अच्छा अब जा बाकी बातें सुबह रात का काम कर ले पहले.’ तनिषा जा कर बिस्तेर पर लेट गयी और अनिश अभी सोया हुया था. वो उस से लिपट कर लेट गयी लेकिन अभी उसका दिल कर रहा था के एक बार और चुदाई का मज़ा लूँ. सुबह होने से पहले अनिश की नींद खुली तो तनिषा जाग रही थी. अनिश ने कहा ‘ क्या बात है जाग रही हो नींद नहीं आई.’ ‘मुझे घर की याद आ रही थी और आज तक घर से बाहर कहीं सोई नहीं इसलिए अंजान जगह नींद नहीं आ रही.’ अनिश ने मेरे गाल को चूमा और कहने लगा ‘अब तो हमेशा मेरे साथ ही सोना है इसलिए घर की याद तो भूलनी ही पड़ेगी. और तुझे आज मेरे साथ सोते हुए भी घर की याद आ रही है इसका मतलब है तुझे मैं पसंद नहीं.’ मैं अनिश से लिपट गयी और कहा ‘ नहीं ऐसी बात नहीं तुम तो बड़े अच्छे हो लेकिन मा बाप की याद तो आएगी ही .’ अनिश मेरे लिपटने से फिर गरम हो गया उस का लंड तन कर खड़ा हो गया. मैने उसे हाथ में पकड़ लिया और कहा ‘ यह भी आज सो नहीं रहा इसे किस की याद आ रही है’. ‘ इसे तो अपनी चूत की याद ही आए गी और किस को याद करेगा’ ‘ तो इस की कोई और चूत है जिस की याद कर रहा है.’ ‘ नहीं इसकी चूत तो यहाँ ही है यह तेरे हुकुम का इंतज़ार कर रहा है’. ‘ पहली बार तो मेरे से पूछा नहीं अब मेरे हुकुम का इंतज़ार है.’ ‘ तुम ने मुँह से ना इशारे से जब तक हुकुम नहीं किया यह चूत के नज़दीक भी नही गया.’ ‘ तो अब क्या यह मेरे मुँह से सुनना चाहता है.’ ‘ उस समय तो तू बोल नहीं रही थी और शरमा रही थी अब तो बोल रही है’ ‘ में कुच्छ नहीं कहूँ गी यह तो तुम्हारे लंड और चूत की मरज़ी है हाँ मैं रोकूंगी नहीं.’ और फिर अनिश का लंड मेरी चूत में चला गया. मेरी चूत में यह दूसरी बार गया था जब के चूत में यह तीसरी बार गया था.’ ‘ अनिश एक बात बतायो के क्या तुमने इस से पहले किसी और लड़की से प्यार किया है.’ ‘ हाँ जितने लड़को से तूने किया है उतनी लड़कियों से मैने किया है. हिसाब किताब बराबर, कुच्छ और पूछना है आज ही पूच्छ लेना दिल में कुच्छ मत रखना.’ मैं सोचने लगी के अनिश को आज ही बता दूँ के तनिषा ने तेरा लंड ले लिया है और यह मेरी मरज़ी से हुया है क्योंकि हम दोनो ने वादा किया था के हम ज़िंदगी में जो भी खाएँगी या लेंगी इकट्ठे करेंगी. लेकिन मैने सोचा के कहीं यह बुरा ना मान जाए इसलिए चुप कर गयी. अगले दिन जब हम घूमने के लिए बाज़ार गये तो तनिषा हमे बाज़ार में मिल गयी. अनिश ने उसे देख कर बुलाया और कहने लगा ‘ तनिषा तू यहाँ कैसे’. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ‘ क्यो क्या मैं मनाली नहीं आ सकती’ ‘ नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन तू भी क्या हनिमून मनाने आई है’. ‘ हाँ मैं भी हनिमून मनाने आई हूँ, तुम्हे कोई एतराज़ है.’ ‘ नहीं हमे कोई एतराज़ नहीं, लेकिन तू ठहरी कहाँ है.’ उसने कहा अपसरा होटेल में. ‘ हम भी वहीं ठहरे है, रूम नंबर 231 में.’ ‘ मैं रूम नो 232 में हूँ.’ ‘ यह तो और भी अच्छा है एक ही होटेल में और वो भी साथ वाले कमरे में.’ हम तीनो ने एक रेस्टोरेंट पर चाय पी और होटेल में वापस आ गये. तनिषा भी हमारे साथ हमारे कमरे में आ गयी और गॅप शॅप चलाने लगी. अनिश ने कहा ‘ अरे तू कह रही थी के तू भी हनिमून मनाने आई है तेरा दूल्हा कहाँ है.’ ‘ मैने यह कहा था के मैं भी हनिमून मनाने आई हूँ लेकिन यह नहीं कहा के अपना हनिमून.’ ‘ किसी और का हनिमून तू कैसे मनाए गी.’ ‘ जैसे बेगानी शादी में अब्दुल्लाह दीवाना बन कर नाचते हैं खुशिया मनाते हैं’. ‘ तो यह किस की शादी में अब्दुल्लाह बनाने आई है’ अनिश तुम तो अकल से बिल्कुल पैदल हो. मेरी सहेली यहाँ हनिमून मनाने आई है और हनिमून अपने दुलहा राजा के साथ ही मनाया जाता है, और वो दूल्हा राजा तुम हो. मैं उस के हनिमून की खुशी में मनाली आई हूँ, समझे.’ ‘ तो फिर तुझे अलग कमरा लेने की क्या ज़रूरत थी हमारे कमरे में ही रुक जाती और हमे हनिमून मनाते हुए देख कर खुश होती, दूसरे कमरे में से तो तुझे कुच्छ दिखाई नहीं दे रहा होगा.’ ‘ अब अगर तुम ने देखने की बात की है तो बता दूं मैने तुम्हारा एक एक सीन देखा है और वो भी इन आँखो से. तुम पूच्छो गे कैसे तो तनिषा कच्ची खिलाड़ी नहीं टाय्लेट के दरवाज़े में एक सुराख पहले ही कर दिया गया था और उसी में से मैने सब कुच्छ देखा है.’ ‘ ओह ओह इस काम के लिए दरवाज़े में सुराख करवाया और उस पर खरच किया. होटेल में अलग से कमरा लिया उस का किराया दिया. मुझे कह देती में तुझे अपने कमरे में अपने ही बेड पर लिटा लेता और तुझे डोर से देखने के लिए इतनी मेहनत ना करनी पड़ती ना खरच.’ ‘ मेहनत से किया काम और उस पर किया खरच जो लुफ्त देता है वो माल मुफ़त में नहीं मिलता.’ ‘ हमे सुहागरात मनाते देख तेरा दिल तो किया होगा के मुझे भी वो सब मिले जो कल्पना को मिल रहा है.’ ‘ ज़रूर किया था और हम ने कभी कोई काम अकेले किया भी नहीं, लेकिन हमारे में जलन नहीं है हम इक दिल दो शरीर है, इक जान हैं हम.’ ‘ अरे मेरी जान को तुम अभी भी अपनी जान कहोगी तो ठीक नहीं होगा.’ ‘ चलो जो हो गया अब तुम अपना कमरा खाली कर के इस कमरे में आ जाओ आज हमे नज़दीक से देखना और मैं भी देखु गा के तुम्हे जलन होती है या दिल में कुच्छ कुच्छ.’ तनिषा ने कमरा तो चाहे खाली नहीं किया लेकिन अनिश की बात मान कर उनके कमरे में उन के साथ ही सो गयी. वो एक साइड में और कल्पना बीच में लेट गयी कल्पना के साथ एक और अनिश लेट गया. अनिश ने कहा ‘ तनिषा अगर इज़ाज़त हो तो हम अपना काम शुरू करें.’ ‘ मुझे क्या एतराज़ है मुझे तो तुम ने अपने साथ लिटाया ही इसलिए है के मैं नज़दीक से देख सकूँ के तुम क्या और कैसे करते हो.’ अनिश ने कल्पना के होटो को चूमना और चूसना शुरू कर दिया और फिर उस का गाउन उतार कर नंगा कर दिया. होंठ चूसते हुए उसने मम्मों को हाथ से मरोड़ना शुरू किया तो मैं ना जाने अपने आप को कैसे रोक पा रही थी मैने एक अंगड़ाई ली तो अनिश ने कहा ‘ क्यो तनिषा कुच्छ दिल कर रहा है.’ तनिषा ने कहा ‘ तुम अपना काम करते रहो मैं देख रही हूँ’ अनिश कल्पना के उपर आ गया और उसने अपना लंड मुझे दिखाते हुए कहा ‘ तनिषा देख ले यह लंड अब तेरे सहेली की चूत में जाने वाला है और अंदर से तो दिखाई देगा नहीं.’ तनिषा ने कहा ‘ तुम कल्पना की चूत में डालो गे तो मुझे अंदर भी दिखाई देगा क्यो के मैने पहले ही कहा है कि एक जान हैं हम.’ ‘ इसका मतलब है के अगर मेरा लंड तेरी चूत में जाएगा तो मज़ा कल्पना को आए गा.’ ‘ मुझ से क्या कल्पना से ही पूच्छ लो.’ ‘ क्यो कल्पना ठीक कह रही है तनिषा.’ ‘ डाल कर देखो उसकी चूत में. मैं तो पहले ही समझ गयी थी के तुम्हारा दिल आज उसपर आ गया है जो उसे अपने कमरे में अपने साथ सोने के लिए कह रहे हो.’ ‘ अनिश ने लंड कल्पना की चूत में डालते हुए कहा पहले तेरे उपर चढ़ा हूँ तेरी चुदाई करने के बाद तनिषा की करूँगा.’ अनिश ने कल्पना की चुदाई करते हुए तनिषा के मम्मों को पकड़ लिया और कहने लगा ‘ अरे मम्मे भी एक जैसे हैं इसका मतलब चूत भी एक जैसी ही होगी.’ ‘ चूत और मम्मे और लंड तो सभी लगभग एक जैसे होते हैं थोड़ा बहुत फरक़ होता होगा.’ कल्पना ने कहा. ‘ तुझे कैसे पता क्या तूने किसी और का लंड लिया है या देखा है.’ ‘ लंड नहीं लिया तो क्या जब आदमी के बाकी अंग एक जैसे होते है तो लंड भी तो शरीर का एक अंग है. गधे का लंड तो सब ने देखा होगा वो सब गधो का एक जैसा होता है तो आदमियो का भी एक जैसा होता होगा. तुमने क्या चुदाई करनी किसी से सीखी थी जो करनी आ गयी है.’ तनिषा बोली ‘ तुम तो ऐसे लड़ने लगे जैसे छ्होटे बच्चे लड़ते हैं वो भी भाई बेहन.’ ‘ अच्छा हमे भाई बेहन बना दिया और तू भी तो मेरी बेहन लगी तुझे अपने भाई से चुदाई करवाते हुए शरम नहीं आए गी.’ ‘ जब मैं कर्वाउन्गि तब ना.’आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
कहानी जारी है……… आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे …..