रहस्य और रोमांच – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Wed, 03 Apr 2019 07:30:23 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2018/10/MSI-FEVICON-3-150x150.png रहस्य और रोमांच – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 बहन के देवर से चुदवाकर निहाल हुई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/bahan-ke-devar-se-chudwakar-nihal-hui.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/bahan-ke-devar-se-chudwakar-nihal-hui.html#respond Sat, 30 Mar 2019 09:24:47 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14538 उसने मेरी होठो को अपने मुंह में रख लिया और चूसने लगा | वो मेरी होठो को चूसने लगा तो मेरे जिस्म के एक अजीब सा झटका लगा और मैं भी उसकी होठो को चूसने लगी | वो मेरी होठो को चूसने के साथ मेरे बूब्स को कपडे के ऊपर से दबाने लगा |

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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम कल्पना है और मेरी उम्र 20 साल है | मैं आज एक कहानी आप लोगो के सामने पेश करने जा रही हूँ | ये कहानी 1 साल पहले की है | मैं जो आज कहानी पेश करने जा रही हूँ ये मेरे जीवन की सच्ची कहानी है और मेरी पहली चुदाई | दोस्तों मैं सेक्स के बारे में इस चुदाई के बाद जान पाई हूँ और मैं इससे पहले बहुत ही भोली लड़की थी | मेरी उम्र तो तब 18 साल हो गयी थी पर मैं 10 साल की भोली लड़की थी | मुझे सेक्स चुदाई के बारे में कुछ भी नही पता था और मुझे तो ये भी नही पता था की कोई लंड नाम की भी चीज होती है जो बहुत मज़ा देता हैं | पर मेरी दीदी के देवर ने मुझे ये सब सिखा दिया और अब मुझे अपनी चूत में लंड लेने में बहुत मज़ा आता है | मैं अपनी कहानी को शुरू करने से पहले अपना परिचय देना चाहूंगी |

मैं रहने वाली आसाम से हूँ | मैं बचपन से ही बहुत सुन्दर लड़की थी और जब मेरी उम्र बढती गयी तो उम्र के साथ मेरा जिस्म भी भरता गया | जब मेरी उम्र 18 साल हुई थी मैं उस टाइम बहुत ज्यादा सुन्दर लगने लगी थी और मेरा फिगर बहुत सेक्सी हो गया था | उस टाइम मेरी चढ़ती जवानी थी और मेरी बूब्स काफी उभर गए थे जो ऊपर की और निकल आये थे | मेरी गांड भी बहुत मस्त हो गयी थी और मुझे सब लोग घुर घुर कर देखा करते थे | मैं उस टाइम ये सब नही समझती थी की लोग मुझे इतना क्यूँ देखते हैं | दोस्तों मैं कहानी को शुरू करती हूँ और साथ में बताती हुई चलती हूँ|

एक बार की बात है जब मैं अपने कमरे में लेती थी और मुझे उस दिन प्यास लगी और मैं पानी पीकर वापस लेटने के लिए आ रही थी | दोस्तों तभी मुझे पापा के रूम से मम्मी की चीखने की आवाज आई और उसके बाद वो अहह अहह अहह..हाँ हाँ हाँ हाँ… हाँ उई हाँ उई हाँ उई हाँ उई……. की आवाजे आती हुई सुनाई दी | मैं पहले तो खड़ी होकर सोचने लगी ये कैसे आवाजे आ रही है | फिर मेरा मन हुआ की देखती हूँ तो मैंने पहले तो दरवाजा खटखटाने जा रही थी पर मुझे खिड़की खोली दिखी तो मैं खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गयी और देखने लगी | मैंने देख की पापा मम्मी की पेसब करने वाली जगह में अपनी जीभ को घुसा कर चाट रहे थे और मम्मी ऊऊऊ ऊ…हाँ हाँ हाँ….उई उई हाँ हाँ उई उई….अहह अहह अहह…की आवाजे कर रही थी |

मैंने सोचा की जाकर मम्मी से पूछो की पापा क्या कर रहे हैं | फिर मैं थोड़ी देर बाद जाने के लिए चली तभी देखा की मेरे पापा अपने कपडे निकालने लगे | जब पापा कपडे निकालने लगे तो मैं पापा को देखने लगी और कुछ ही देर में पापा ने कपडे निकाल दिए और एक लोहे जैसी चीख को हाथ में पकड कर हिलाते हुए मम्मी की तरफ बढे | मैं पापा के उस चीख को हाथ में पकड कर आगे पीछे करती हुई मुंह में रख लिया और चूसने लगी | दोस्तों मैं ये सब देख कर बहुत हेरान थी और उस टाइम यही सोच रही थी की ये क्या कर रहे हैं | फिर कुछ देर बाद पापा ने मम्मी की पेसब करने की जगह में लोहे जैसी चीख घुसा दी | मम्मी की उस छोटी सी जगह में वो बड़ा और मोटी चीज जैसे घुसी तो मम्मी के मुंह से जोरदार चीख निकल गयी |

मैं ये सब कुछ देर तक देखने के बाद अपने रूम में चली गयी और उस रात यही सब सोचती रही | मैं अब रोज ही पापा के उस लोहे जैसे चीज के बारे में सोचती थी और ये भी सोचती की वो मम्मी की छोटी जगह में कैसे घुस गया था | अब मेरे मन में इच्छा थी की मैं किसी और क पास ये देखूं और पता करूँ की क्या हैं | उसके कुछ दिन की बात है जब मेरे घर मेरी दीदी का देवर आया था | उस दिन वो मुझे बहुत घुर घुर कर देख रहा था और मैं ये सोच रही थी की इसके पास ही देख लेती हूँ की वो क्या चीख थी | फिर उसके दुसरे दिन की बात है जब मम्मी नाश्ता तैयार कर रही थी और मेरे पापा अपने रूम में सो रहे थे | दीदी का देवर छत वाले रूम में सो रहा था | मेरी दीदी के देवर का नाम प्रदीप है | मैं छत पर गयी तो मैंने देखा की वो चादर ओढ़ कर सोया है |

मैं गयी और उसकी चादर को हटा दिया तो मैंने देखा की वो अंडरवियर और बनियान में लेटा था | मैंने उसकी अंडरवियर को हटा दिया तो मैंने देख की उसके पास भी वहीँ चीख है पर उसका तो बहुत छोटा है | तब मेरे मन में हाथ लगा कर देखने की इच्छा हुई और मैंने जब हाथ लगाया तो मुझे बहुत सॉफ्ट लगा | मैं उसके उस चीख को मम्मी की तरह हाथ में पकड कर हिलाने लगी जिससे उसकी आंखे खुल गयी | वो मुझे ऐसे करते देकर बोला या क्या कर रही हो तो मैंने कहा की मैं देख रही थी की ये क्या है |

प्रदीप – तुम्हे नही पता ये क्या हैं |
मैं – हाँ मुझे नही पता ये कहा मैंने कुछ दिन पहले पापा के इस चीज को मम्मी को खेलते हुए देखी थी |प्रदीप – कल्पना इसे लंड कहते हैं और ये बहुत मज़ा देता है |
मैं – वो कैसे ?
प्रदीप – जब तुम इसको अपनी चूत में लोगी तो बहुत मज़ा आएगा |

दोस्तों मैंने उस टाइम चूत से पेसाब करने के सिवा और कोई काम नही किया था | फिर मैंने उससे कहा की तुम्हरा इतना छोटा और सॉफ्ट है पापा के तो लोहे की तरह था | वो बोला की रात में तुम्हे इसके बारे में बताऊंगा और मैं प्रदीप नीचे चले गए | फिर उस रात को मैंने लंड के बारे में जानने के लिए उसके पास गयी | वो बैठा था और मैं जाकर उससे बोली बताओ तो वो अपने कपडे निकाल कर मुझे लंड से खेलने को कहा और मैं वैसे ही करने लगी जैसे मम्मी को करते देखा था | मैं जब उसके लंड को हाथ में पकड कर हिलने लगी तो मेरे हाथ के स्पर्स से उसका लंड पापा के लंड की तरह खड़ा हो गया | मैं ये देख कर बहुत खुश हुई और उसके लंड से खेलने लगी |

तब उसने मेरी होठो को अपने मुंह में रख लिया और चूसने लगा | वो मेरी होठो को चूसने लगा तो मेरे जिस्म के एक अजीब सा झटका लगा और मैं भी उसकी होठो को चूसने लगी | वो मेरी होठो को चूसने के साथ मेरे बूब्स को कपडे के ऊपर से दबाने लगा | जब वो मेरे लगा तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा था | वो मेरे साथ कुछ देर ऐसा करने के बाद मेरे कपडे निकाल कर मुझे नंगा कर दिया | वो मुझे बिना कपड़ो के देख कर बहुत खुश हुआ और मेरे दोनों बूब्स को हाथ में पकड कर मसलते हुए मुंह में रख कर चूसने लगा | जब मेरे बूब्स को मुंह में रख कर चूस रहा था तो मेरी सांसे अपने आप तेज हो गयी | वो मेरे बूब्स को ऐसे ही कुछ देर तक चूसने के बाद मेरी चूत में ऊँगली घुसा दी | दोस्तों जैसे ही उसने मेरी चूत में ऊँगली घुसाई तो मेरे मुंह से मम्मी वाली आवाजे निकल गयी | तब मुझे समझ आ गया की मम्मी इसलिए ये आवाजे कर रही थी |

दोस्तों वो मेरी चूत में ऊँगली घुसाने के साथ अपनी जीभ को घुसा कर चाटने लगा | वो मेरी चूत में ऐसे ही कुछ देर तक करता रहा और मैं अह अह अह… हाँ उई हाँ उई हाँ उई हाँ उई हाँ….. उई माँ उई माँ उई माँ…. की सिसकियाँ लेने लगी | फिर उसने लंड जैसी चीज को मेरे मुंह में घुसा दिया | पहले तो मुझे बहुत ख़राब लगा फिर मस्ती के साथ अन्दर बहर करती हुई चूसने लगी | अब मुझे ये सब करने में बहुत मज़ा आ रहा था और मेरी होने लगी थी | वो कुछ देर तक चुसाने के बाद मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी टांगो को फैला दिया |

फिर वो मेरी चूत में अपने लंड को घुसाने लगा | मेरी चूत में जब थोडा लंड घुसा तो मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और जैसे ही उसने मेरी चूत में जोरदार धक्का मारा और उसका लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए अन्दर चला गया | जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में अन्दर गया और मेरी चूत से खून बाहर निकलने लगा | उस टाइम मुझे ऐसा लग रहा था की मैं अब मर जाउंगी और मेरे मुंह से कोई भी आवाज बाहर नही निकल रही थी | मैं सोच रही थी की ये मेरी चूत से लंड नाम की चीज को बाहर निकाल ले और कुछ ही देर में जब उसने अन्दर बाहर करने लगा तो मुझे फिर से मज़ा आने लगा था | वो मेरी चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर कर रहा था और मैं मज़े लेती हुई उई हाँ उई हाँ उई हाँ उई हाँ….. उई माँ उई माँ उई माँ…. कर रही थी |

अब मैं उसके हर एक धक्के का मज़ा ले रही थी और वो मेरे बड़े और चिकने बूब्स को पकड कर जोरदार धक्के मार रहा था | वो जितने जोर से धक्के मरता मैं उतने ही जोर से मज़े लेती हुई चुदती| फिर वो मेरी चूत में ऐसे ही कुछ देर तक धक्के मारने के बाद झड़ गया और उसके लंड से कुछ सफ़ेद रंग का निकला था |

मैंने उससे पूछा ये क्या हैं तो उसने बताया की इसे वीर्य कहते हैं और इसे जब चूत में निकाल देते हैं तो औरत माँ बन जाती है | उसके बाद उसने मेरी चूत में अपनी उँगलियों को घुसा कर जोर जोर से हिलाने लगा जिससे मेरी चूत से पानी की धार निकल गयी | वो पानी जब निकल रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था | उसके बाद हम दोनों ने कपडे पहन लिया और मैं अपने कमरे में नीचे चली गयी | उस चुदाई के बाद मैं बहुत बार चुदी हूँ | धन्यवाद दोस्तों॥

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देसी गर्ल की चुदाई विदेशी लौड़े से | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/desi-girl-ki-chudai-videsi-laude-se.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/desi-girl-ki-chudai-videsi-laude-se.html#respond Thu, 14 Mar 2019 09:03:09 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14463 मैंने चुदाई का गन्दा खेल शुरू कर दिया | मैंने उसकी चूत जो एक दम गुलाबी थी उसमे अपना लंड घुसाया और वो सिसकियाँ लेने लगी | उसके बाद मैंने उसे रफ़्तार के साथ चोदना चालू किया और उसकी चूत पे अपने लंड से वार करने लगा |

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सुप्रभात दोस्तों | मैं एक अस्पताल में काम करता हूँ | मैं रोजाना अस्पताल जाता हूँ और मरीजो का इलाज करता हूँ | मैंने अपने बचपन में कुछ ख़ास नहीं किया | सिर्फ डॉक्टर बनने की तयारी में लगा रहता था | मैं अपने घरवालो से दूर रहता था और इसकी असली वजह मेरा डॉक्टर बनना था | मैं बचपन से ही डॉक्टर बनना की खवाहिस ले कर आगा बढता रहा हूँ जब मुझे बचपन में कोई पूछता आप बड़े हो कर क्या बनोगे तो मैं उन्हे जवाब देता था डॉक्टर बनूँगा | मैं कुछ खास करने की खातिर घरवालो को छोडकर रहने लगा था |

मैं छतीसगढ़ में रहता था ताकि डॉक्टर की तयारी कर सकू | मैने अपना बचपन डॉक्टर बनने की तयारी में लगा दी | छतीसगढ़ में रहकर मैंने चुदाई किया था | मैं ने इस शानदार कारनामे को अंजाम देने के लिए 500 रूपए खर्चा किया था | छतीसगढ़ में धंधे वाली लडकिया रहती है जिनको एक कोटा जैसे वाली जगह से प्राप्त किया जा सकता है | छतीसगढ़ शहर में एक जगह ऐसी है जहा पर आप कुछ ऐसा पाओगे जो कबीले तारीफ है | इस जगह पर पहुचकर मैं ने एक लड़की की चुदाई किया और वो भी 500 रूपए में | मैं छतीसगढ़ में किराये के मकान में रहता था | मुझे एक दोस्त ने धंधे वाली लड़कियों के पास ले जाना का फैसला किया | मैं जब छतीसगढ़ में था तो मैं पढाई करते हुए अपना वक्त घुमने के लिए भी निकालता था | उस घुमने के वक्त पर मैं और मेरा दोस्त चुदाई में व्यस्त रहते थे | उसने मुझे चोदना सिखाया था | डॉक्टर की पढाई मेरे लिए फायदेमंद साबित हुई |

मै चोदना से पहेले कन्डोम का उपयोग किया करता था | बिना कन्डोम पहनकर लड़कियों को चोदना खतरनाक होता है | डॉक्टर कि पढाई मुझे रास आती थी इसलिए मैं ने अपना वक्त पढाई को दिया करता था | रोज पढाई करता था जैसे ही वक्त बिता और मैं ने पुरे पांच साल पुरे कर लिया तो मुझे डॉक्टर की उपादी मिल गयी | अब किसी को डॉक्टर बनना होता है तो पहेले उसे डॉक्टर की उपाधि पाना होता है | बिना उपाधि कोई भी डॉक्टर नही बन सकता है | डॉक्टर बनने के बाद मैं ने अस्पाताल में कार्य करना शुरु किया | मैंने शुरु में एक अस्पातल में कार्य किया वहा से अनुभव प्राप्त करने के बाद मैं ने अलग आस्पतालो में नौकरी करी | मेरे पास अनुभव था इसलिए अस्पतालो में मुझे आधिक तनखा भी दिया जाता था |

मैं तनखा का कुछ हिस्सा छतीसगढ़ की बाजारू लड़कियों में खर्च कर दिया करता था | मैं लड़कियों को पटाने में भी काफी रूचि लेता था | इसलिए मैं एक बड़ी नौकरी पाने के बाद हमेशा कुछ नया करने की तालाश में रहता था | मैं अब धंधे वाली लड़कीयो के आलावा आम शहर की लड़कियों को पटाने में लगा रहता था | मैंने एक लड़की भी पटाई छतीसगढ़ में | मैं ने उस लड़की को चोदो | जब मैं उस लडकी को चोद रहा था तब मैं ने उस लडकी के कपड़े को उपर उठाया और उसके कपड़े को बिना उतारे फिर मैं उस लडकी की चूत के अन्दर अपने लंड को डाला हुआ था | उसके बाद मैं ने उस लडकी के गांड के अन्दर अपने लंड को डाल दिया |

उस दिन उस लडकी को चोदने का मैं ने जो करनामा किया था वो काफी कारगर था | उस लडकी की चुदाई जब चल रही थी तब मैं ने कुछ देर बाद अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला और मेरे लंड से माल गिर रहा था | लेकिन उस लड़की को पटाना इतना सरल नहीं था | उसने मुझे चुदाई का मौका तो दिया लेकिन वह लड़की पटने से पहेले भाव खाती थी | छतीसगढ़ में मैंने उसे एक कमरे में ले जा कर चुदाई की | घुमने के लिए एक गाडी को बूक करता था | वह लड़की मेरी बूक की हुई गाडी में आती थी और हम लोग गाडी में घुसे रहते थे | उसे मैं ने गाडी में भी चुदाई कर चूका हूँ | वह इतनी सुन्दर थी उसे चोदने की खातिर मैंने उसके लिए गाडी में भी अपने तनखा का कुछ हिस्सा खर्च कर देता था | वह मुझ से नाराज रहती थी तो मैं उसके लिए तोफा लाता था | वह तोफा पाकर खुस होती थी | उसे मैं महेंगे तोफे दिया करता था |

मैंने जैसे उसे महेंगी सी अंगूठी और गले में पहनने के लिए चैन भी दिया | वह मुझ से ऐसा बरताव करती थी जैसे की मैं कोई रहीस हूँ वह मुझे पकवान भी खिलाती थी | छतीसगढ़ के पकवान स्वादिस्ट होते है | अगर आप भी छतीसगढ़ आये तो एक बार यहा का पकवान अवस्य खाए | छतीसगढ़ का पकवान खाने के लिए लोग दूर के शहरो से भी यहा पर आते है | छतीसगढ़ में रहते हुए मैं सारी गलियो में घूम चूका हूँ |

छतीसगढ़ के अदिकांस लोगो से मेरी मित्रता है | अब जब मैं छतीसगढ़ से लौटकर अपने पापा के शहर में जाता हूँ तो लोग मुझे छतीसगढ़ का निवासी के रूप में मुझे पहचानते है | मैं ने छतीसगढ़ में रहकर एक ख़ास पहचान बना ली है | मुझे अब छतीसगढ़ के एक बड़े अस्पताल से बुलावा आया है उस अस्पातल में अगर कार्य करूँगा तो मुझे एक कार भी दिया जायेगे | मैं ने अपने जीवन में बड़ी उप्लाब्दिया प्राप्त किया है | उन उप्लाब्दियो के वजह से लोग मुझ पर गर्व करते है | उप्लाब्दिया प्राप्त करने के लिए आप को भी अपना सारा वक्त उप्लाब्दियो को प्राप्त करने के लिए देना पडता है | छतीसगढ़ में रहते हुए मुझे करीब 8 साल हो चूका है |

मुझे अब अपने अगला पड़ाव अन्य शहरो की तरफ करना है क्योकि यह मेरे लिए एक बड़ा मौके की तरह है | अन्य शहरो में मेरे अनुभव को बदौलत मुझे बड़ी नौकरी रखी है इसके आलावा रहने के लिए घर और आने जाने के लिए एक कार भी दिया जा रहा है | कारीब 8 साल तक छतीसगढ़ के आस्पताल में कार्य करने के बाद मैं ने अब अन्य शहरो में भी कार्य करने का फैसला किया है | मैं अपने जीवन में सफलता की सीडी पर चड़ने की कोशिश में लगा रहता हूँ | इसके आलावा बुडापे तक लोगो का इलाज करते हुए उनकी सेवा करने का फैसला किया है | मेरे फैसले पर मेरे घरवाले मुझ पर गर्व करते है |

बैंगलोर एक शहर है जहा पर मुझे जाना था | मैं बैंगलोर गया और वहा पर एक साल तक डॉक्टर की नौकारी किया | बैंगलोर के अस्पातल में कार्य करते वक्त मैं ने एक नर्स से दोस्ती किया था | उस लड़की से भी मेरा सम्बन्द करीब 3 साल तक चला | 3 साल बाद उसकी शादी हो गयी | मैं अपने बैंगलोर के अस्पातल में कार्य करते वक्त कुछ फुरसत का वक्त भी निकलता हूँ ताकि मैं नर्स वाली लड़कियों से दोस्ती कर सकू | मैं ने कई सारी नर्सो से दोस्ती किया है | बैंगलोर में मैंने पहेली नर्स को चोदा था तो मैं ने उसे एक अस्पातल में चोदो था | उस नर्स को मैं अपनी अस्पातल की तरफ से दिया गया कार से घुमाता था | उस नर्स को मेरी कार से घूमना पसंद था | मैं उस अस्पातल में 8 घंटे की नौकरी करता था |

मुझे रात का भी शिफ्ट दिया जाता था ताकि मैं अधिक कमा सकू लेकिन मैं वैसे भी सुबह के वक्त कार्य करता था मैं रात की शिफ्ट को पसन्द नहीं करता था | लेकिन मुझे जब भी सुबह कोई ख़ास कार्यकर्म के लिए वक्त निकालना पडता था तब मैं रात के शिफ्ट में कार्य करता था | रात के वक्त मैं जब आस्पताल में कार्य करता था तब उस वक्त मुझे मौका मिलता था मेरी बैंगलोर की पहेली नर्स को चोदने का | लेकिन कोई न आजाये उस डर से मुझे सतर्क रहना पडता था | चोदने के लिए मैं एक लड़के की सहायता लेता था जो आस्पताल कि सफाई करता था |

मैंने उस नर्स को अपने घर पर ले जा कर भी चोदा है | उस लड़की की सुन्दरता सम्मानिये थी | उसकी सुन्दरता के कारण मैं ने उस लड़की से दोस्ती करने का फैसला किया था | तीन साल के सम्बन्द के दौरान मैं ने उस लड़की की चुदाई किया | मेरे पास अधिक धन था जो की मुझे नौकरी के दौरान दिया जाता था | डॉक्टर की नौकरी एक रहीस वाली नौकरी होती है इसलिए मेरे पास धन अधिक था | मैं भी एक गुलाम की तरह उस नर्स पर अपना कमाया हुआ धन खर्च किया करता था | मुझे अपने धन को सहज कर रखना भी आता है | भले मुझे एक कार अस्पातल के तरफ से मिली थी लेकिन मैं ने अलग से एक कार ले ली थी इसलिए अस्पातल को उनकी कार लौटा दी | अब मेरे पास कार है जिसकी किम्मत 8 लाख है | मुझे एक बार भारत से बाहर जाने का मौका भी मिला था |

लन्दन एक ऐसा देश है जहा पर लोग का रहन सहन शानदार है रहने के लिए वहां का मौसम भी तारीफ करने लायक है | मैंने लन्दन में उस नर्स को कई जगह पर ले कर घूम चूका हूँ | मेरे पास और उस नर्स के पास जब फुरसत का वक्त होता था तब मैं उस लड़की को अपने लन्दन वाले घर में चोदता था | जब मैं उस लडकी को चोद रहा था तब पहले मैं ने उस लडकी से कहा की क्या तुम मेरा लंड चूस सकती हो तब उस लडकी ने मुझ से कहा की हा मैं चूस सकती हूँ |

उसके बाद उस लडकी ने मुझ से कहा की क्या तुम मेरे बदन को दबा सकते हो तो मैं उसके बदन को अपने हाथो से दबाना शुरु कर दिया | कुछ समय के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत पर घुसा दिया | उसकी चूत पर अपना लंड डालकर हिला रहा था | जब मैं उस चोद कर थक गया तब मेरे लंड से माल बाहर आने लगा | लेकिन मैने उसे चोदना नही छोड़ा | मैने उसके बाद उस लडकी के गांड के अन्दर अपना घुसेड दिया | उसके बाद मैने उस लडकी के दूध को अपने हाथो से दबाया | उसने भी मेरा साथ दिया और मेरा लंड चूसते हुए उसने मेरे सोये लंड को जगा दिया |

उसके बाद क्या था फिर मैंने वही चुदाई का गन्दा खेल शुरू कर दिया | मैंने उसकी चूत जो एक दम गुलाबी थी उसमे अपना लंड घुसाया और वो सिसकियाँ लेने लगी | उसके बाद मैंने उसे रफ़्तार के साथ चोदना चालू किया और उसकी चूत पे अपने लंड से वार करने लगा | मेरा लंड पूरे जोश में था और उसकी चूत को फाड़ देना चाहता था | बस वार तब तक चला जब तक मुट्ठ नही निकला |

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लंड जब चुत मे उतरी तो वो सहन न कर पाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/lund-jab-chut-me-utari-to-wo-sahan-na-kar-pai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/lund-jab-chut-me-utari-to-wo-sahan-na-kar-pai.html#respond Thu, 07 Mar 2019 08:47:33 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14413 वो जोर जोर से चिल्ला रही थी जिससे मुझे और भी जोश आ रहा था और मै दमदार धक्के लगा रहा था। चुदाई के बाद मै उसकी चूत में ही झड गया और थोडी देर उसके उपर ही लेटा रहा। हम लोग ने उस होटल के कमरे में नंगे ही लेटकर रात बितायी।

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नमस्कार, मेरा नाम विशाल है, मैं बरोडा गुजरात का रहनेवाला हूं। मैं शरीर से पतला हूं लेकिन स्टेमिना अच्छा रखता हूं। मेरी पिछली कहानीयों को लोगो ने खूब सराहा इसके लिए आप सबका धन्यवाद।

अभी मैं अपनी कहानी पर आता हूं। जैसा कि आप सब लोग जानते हो मैं राजनीति शास्त्र का विद्यार्थी हूं, इसी अभ्यास के दौरान मुझे एक माह के लिए इन्टनशिप करनी थी, जिसमें मुझे मेरे ग्रुप के साथ अलग अलग जगह पे काम करना होता है। मेरे ग्रुप में तीन लडके और दो लडकिया थी , वैसे मैं अभ्यास के समय लडकीयो के बारे में नही सोचता लेकिन मेरे ग्रुप की एक लडकी जिसका नाम साजिदा था, उसको देखके मेरा मन थोडा ललचा रहा था। हालाकि मैं तय नही कर पा रहा था कि वो मुझे पसंद करती है या नहि इसीलिए मैने पहले बातचीत कर उससे घुलना मिलना शुरु किया, जिससे मैं उसे अपने करीब ला सकूं। मैने उससे बातचीत करके अपने करीब थोडा ला दिया था और वो भी मेरे साथ और भी ज्यादा घुलमिल गइ थी।

अब हमलोग क्लास खत्म होने के बाद गाडॅन पार्क में जाते थे और काफी समय शाम में देर तक हम साथ में ही रहते थे। अब मुझे लगने लगा था कि वो मुझे पसंद कर रही है क्योकि पार्क में वो मुजसे चिपक के बैठती थी और कभी कभी अपना हाथ मेरे हाथ से टच कर देती थी।

एक बार उसका बर्थडे आ रहा था तो उसने मुझसे बोला कि इस बार बर्थडे पे वो नाइट आउट करना चाहती है , तब मैंने भी मन बना लिया कि इस बर्थडे पे इसे गिफ्ट में मैं अपना लंड दूंगा।
उस दिन बर्थ डे पे हम लोग क्लास सब खत्म करके नाइट आउट के लिए बाहर निकल गए, मैने उसके लिए पहले से सब तय करके रखा था जिसके मुताबिक पहले हम लोग नाइट के शो में मूवी देखने गए फिर उसके बाद डीनर करके लोंग ड्राइव के लिए गए और फिर देर रात मैंने एक होटेल में कमरा बूक करके रखा था वहा चले गए।

कमरे में पहुचने के बाद आराम करते मैने बेड पे उसके पास बैठते बाते करना शुरु कर दिया।
मैं- क्या तुम्हे नींद आ रही है?
साजिदा- नहीं और तुम्हे?
मैं- नही मुझे नही आ रही इसीलिए तो पूछ रहा हूं, चलो कुछ बाते करते है।

हमने इधर उधर की बाते की बाद में थोडी देर बाद उसने मुजसे पूछा क्या तुम्हारी कोइ गर्लफ्रेन्ड है?
मै- ना एसी कोइ लडकी नही जो मुझे पसंद करे!
उसके बाद वो मेरी और एकटक देखने लगी जिसे मैं इशारा समजते हुए मैने उसे अपनी और खींच लिया और लिप पर किस करने लगा।

उसने भी मेरी इस बात का विरोध नही किया और मेरा साथ देने लगी।
ज्यादा देर न करते हुए मैने उसके टोप मे अपना हाथ घूसाकर ब्रा के उपर से ही बोबे मसलना चालु कर दिया। आपको बता दूं कि उसके मम्मे की साइज ३६ डी है और उसे दबाने में मुझे बहोत ही मजा आ रहा था।

धीरे धीरे वो गरम हो रही थी और उसकी सांसे भी गरम हो रही थी जिसकी वजह से वो कभी मेरे लिप्स को काटती या फिर मेरे नेक पे काटती उससे मुझे और भी जोश आ रहा था। मैने उसके सारे कपडे उतारकर उसे बिलकुल नंगी कर दिया था और खुद भी अंडरवीयर में आ गया। उसे हर जगह खूब ज्यादा चूमने चाटने के बाद मैने उसकी टांगे फैलाकर उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा जिससे वो बेकाबू होकर मेरे बाल नोंचने लगी। थोडी देर में उसका पानी निकल गया और वो शांत हो गयी।

अब मैने अपना लंड बाहर निकालकर उसके मुंह मे दे दिया , पहले तो धीरे धीरे लेकिन बाद में मजे से चाट रही थी, मैने अपना माल उसके मुंह में ही निकाल दिया।
अब मै उसके उपर आ गया और लंड उसके चूत के मुंह पे रख दिया और एक जोर का धक्का देते हुए आधा लंड उसकी चूत में उतार दिया, वो धक्के को सहन नही कर पायी और उसके मुंह से जोर की चीख निकल गयी।

मैने उसके दोनो हाथ पकड लिए जिससे वो उपर खिसक न सके और दुसरा जबरदस्त धक्का देकर पूरा लंड चूत में उतार दिया, वो जोर से चिल्लायी और अपने पैर पटकने लगी।
अब मैने उसे धक्के पे धक्के देना शुरु कर दिया और बिलकुल जबरदस्त वाली ठुकाइ करने लगा , वो जोर जोर से चिल्ला रही थी जिससे मुझे और भी जोश आ रहा था और मै दमदार धक्के लगा रहा था।

करीब १५ मिनट की चुदाई के बाद मै उसकी चूत में ही झड गया और थोडी देर उसके उपर ही लेटा रहा। हम लोग ने उस होटल के कमरे में नंगे ही लेटकर रात बितायी। उस दिन के बाद मैने करीब दो तीन बार उसे फिर से ठोका। अगर आपको मेरी कहानी अच्छी लगी हो तो [email protected] पे मेल करे।

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शारीरिक संबंध बनाने के लिए | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/sharirik-sambandh-banane-ke-liye.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/sharirik-sambandh-banane-ke-liye.html#respond Mon, 25 Feb 2019 09:44:41 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14371 जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में प्रवेश हुआ तो मुझे दर्द महसूस होने लगा और बहुत तकलीफ होने लगी परंतु मैं राजीव का विरोध नहीं कर पाई। राजीव ने उस दिन मेरी चूत के मजे लिए जैसे ही राजीव का वीर्य मेरी योनि के अंदर गिर गया

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मैं हर दिन की तरह सुबह अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी लेकिन उस दिन मौसम बहुत ही ज्यादा खराब था, मेरी मम्मी मुझे कहने लगी कि बेटा आज ऑफिस मत जाओ आज मौसम भी ठीक नहीं है और बाहर बारिश होने वाली है तुम आज ऑफिस से छुट्टी ले लो, मैंने मम्मी से कहा लेकिन मम्मी आज ऑफिस में काम है आज छुट्टी लेना संभव नहीं है आज तो किसी भी हालत में मुझे ऑफिस जाना ही पड़ेगा। मेरी मम्मी मेरी बहुत चिंता करती है इसलिए उन्होंने मुझे ऑफिस जाने से रोका परंतु मैं अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ी, मैंने अपने घर से उस दिन ऑटो लिया क्योंकि मौसम काफी खराब था और ऑटो ने मेरे ऑफिस मुझे छोड़ दिया कुछ दिन तक बारिश बहुत तेज हो रही थी और दो-तीन दिन से लगातार बारिश हो रही थी जिससे कि पानी भरने लगा था और पूरी तरीके से मौसम खराब हो चुका था।

उस दिन मैंने ऑफिस का तो काम कर लिया लेकिन जब मैं अपने ऑफिस से निकली तो बाहर देखा तो रोड़ों पर पूरी तरीके से पानी भरा हुआ था और मौसम भी बहुत ज्यादा खराब था बिजली कड़क रही थी और काफी अंधेरा हो चुका था मुझे बहुत डर भी लगने लगा मैं सोचने लगी मैं घर कैसे जाऊंगा मैंने ऑटो वाले को अपना हाथ दिखाया लेकिन कोई ऑटो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था कोई ना कोई सवारी ऑटो में बैठी हुई थी और जिस जगह मेरा ऑफिस था वहां पर बस भी नहीं आती थी। पानी बहुत ज्यादा भरा हुआ था मुझे डर भी लगने लगा था.

मैं सोचने लगी मैं घर कैसे जाऊंगी, मैंने अपने फोन की तरफ देखा तो मेरे फोन की बैटरी भी कम होने लगी थी और शायद कुछ देर बाद ही मेरा फोन स्विच ऑफ हो जाता क्योंकि मैं घर से चार्जर लाना भूल गई थी इसलिए मेरा फोन भी स्विच ऑफ होने वाला था और मैं बहुत ज्यादा टेंशन में आ गई मैंने सोचा पहले मैं अपनी मम्मी को फोन कर देती हूं नहीं तो मम्मी चिंता कर रही होगी, मैंने अपनी मम्मी को फोन किया और उनसे कहा कि मैं ऑफिस से छूट चुकी हूं शायद कुछ देर बाद मेरा फोन भी स्विच ऑफ हो जाएगा इसलिए आप चिंता मत करना मैं घर समय पर पहुंच जाऊंगी बस मैं ऑटो का वेट कर रही हूं और जल्दी घर आ जाऊंगी।

मैंने जब फोन रखा तो मैं ऑटो का वेट करने लगी लेकिन मुझे कोई ऑटो मिल ही नहीं रहा था और मेरा फोन भी स्विच ऑफ होने वाला था अंधेरा भी काफी हो रहा था वहां आसपास कोई दिखाई भी नहीं दे रहा था तब आगे से एक कार आई मैंने सोचा चलो इन्हें हाथ दिखा देती हूं क्या पता यह रोक दे पर मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं कोई गलत व्यक्ति गाड़ी में ना हो, मैंने कार को जब हाथ दिखाया तो उसने कुछ आगे जाकर गाड़ी रोक लिया और जब मैं उस गाड़ी की तरफ गई तो गाड़ी में एक 27-28 वर्ष का नौजवान युवक बैठा हुआ था उसकी उम्र भी लगभग मेरी जितनी हीं थी, मैंने उनसे कहा कि क्या मुझे आप घर छोड़ सकते हैं?

वह कहने लगे कि आपको कहां जाना है? मैंने उन्हें बताया कि मुझे यहां पर कोई ऑटो मिल ही नहीं रहा है और काफी देर से मैं यहां ऑटो का इंतजार कर रही हूं लेकिन मुझे कोई भी ऑटो नहीं मिल रहा तो क्या आप मुझे घर छोड़ सकते हैं, उन्होंने मुझ पर तरस खाया और मुझे घर छोड़ने के लिए तैयार हो गए, उन्हें कहीं और ही जाना था लेकिन शायद उन्होंने मेरी मदद करना पहले उचित समझा और जब मैंने उन्हें अपना नाम बताया तो उन्होंने भी मुझे अपना नाम बताया वह कहने लगे मेरा नाम राजीव है और मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूं, मेरा ऑफिस यहां से कुछ दूरी पर ही है. मैं वैसे तो इस रास्ते से कभी आता जाता नहीं हूं. लेकिन आज मेन रोड की तरफ ज्यादा जाम था इसीलिए मैंने सोचा आज यहीं से घर चले जाता हूं.

मैंने राजीव से कहा आपने मेरी बहुत मदद की यदि आप मुझे लिफ्ट नहीं देते तो शायद आज मैं यहीं फस जाती और मैं बहुत घबरा भी गई थी, राजीव मुझे कहने लगे तुम घबराओ मत मैं तुम्हें कर छोड़ दूंगा तुम्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है तुम बिलकुल टेंशन मत लो। राजीव ने मुझे मेरे घर तक छोड़ दिया मैंने राजीव को कहा मैं आपको धन्यवाद कैसे कहूं आप बड़े ही अच्छे व्यक्ति है वह कहने लगे कोई बात नहीं यह तो मेरा फर्ज था और यह कहते हुए राजीव चले गए, जब राजीव चले गए तो मैं अपने घर चली गई मेरी मम्मी कहने लगी कि बेटा मैंने तुम्हें आज सुबह ही ऑफिस जाने के लिए मना कर दिया था लेकिन तुम किसी की बात मानती ही नहीं हो और तुम आज ऑफिस चली गई देखा आज कितनी बारिश हो रही थी।

मैंने मम्मी से कहा हां मम्मी बारिश तो बहुत हो रही थी पर मुझे आज ऑफिस में जरूरी काम था यदि मैं आज ऑफिस नहीं जाती तो शायद वह काम छूट जाता जिससे कि मेरे बॉस मुझे पर गुस्सा हो जाते परंतु मुझे आज ऑफिस किसी भी हाल में जाना ही था इसीलिए तो मैं ऑफिस गई थी। मैंने मम्मी से कहा अब आप यह बात छोड़ो मैं घर आ गई ना मेरी मम्मी कहने लगी बेटा तुम्हें पता है मैं तुम्हारी कितनी फिक्र करती हूं तुम्हारे सिवा मेरा इस दुनिया में कोई और है भी नहीं, मैंने मम्मी से कहा हां मम्मी मुझे पता है कि आप मेरी कितनी फिक्र करती हो आपको मेरी चिंता करने की जरूरत नहीं है अब मैं बड़ी हो चुकी हूं.

मेरी मम्मी भावुक हो गई और कहने लगी कि तुम अब इतनी भी बड़ी नहीं हुई जो मैं तुम्हारा ध्यान ना रख सकूं और इस बात से मेरी मम्मी मुझे कहने लगी कि मैं तो सोचती हूं कि जब तुम्हारी शादी होगी तो मैं कैसे रहूंगी, मैंने मम्मी से कहा मैं शादी करने ही नहीं वाली मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी, मैंने जब मम्मी को राजीव के बारे में बताया तो मम्मी कहने लगी बेटा आज भी इस दुनिया में इंसानियत बची है और अच्छे लोग आज भी इस दुनिया में है देखो उस लड़के ने तुम्हें घर तक छोड़ दिया। काफी दिनों बाद मेरी मुलाकात जब राजीव से हुई तो मैंने राजीव से कहा की उस दिन मैं तुम्हें घर पर भी नहीं बुला पाई लेकिन मेरी मम्मी ने तुम्हें घर पर आने के लिए कहा है।

राजीव कहने लगा मैं तुम्हारे घर पर तो नहीं आ सकता, मैंने राजीव का उस दिन फोन नंबर ले लिया और राजीव को मैंने घर पर आने के लिए कहा, राजीव घर पर आ गया जब वह घर पर आया तो मैंने उसे अपनी मम्मी से मिलवाया, मेरी मम्मी राजीव से मिलकर बहुत खुश थी, मम्मी कहने लगी कि बेटा आजकल तो अच्छाई का जमाना रह ही नहीं गया है लेकिन उस दिन तुमने मेरी बेटी को घर तक छोड़ दिया उसके लिए मैं तुम्हारा धन्यवाद कहना कहती हूं और तुमसे मैं मिलना भी चाहती थी इसीलिए मैंने पायल से कहा था कि तुम राजीव को कभी घर पर ले आना।

राजीव से मिलकर मेरी मम्मी बहुत ज्यादा खुश थी और मैं भी बहुत खुश थी जब मैं राजीव को छोड़ने बाहर गई तो राजीव मुझे कहने लगा तुम्हारी मम्मी से मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा अब बार-बार तुम्हारी मम्मी से मिलने आना पड़ेगा, मैंने राजीव से कहा क्यों नहीं जब तुम्हारा मन हो तब तुम मिलने के लिए आ जाना, राजीव और मेरी फोन पर कभी कबार बात हो जाती थी और जब भी राजीव मम्मी से मिलने आता तो वह मुझे फोन कर दिया करता, मम्मी भी राजीव के साथ बहुत देर तक बात करती रहती है उन्हें भी राजीव से बात करना अच्छा लगता। राजीव और मेरे बीच में फोन पर कई घंटे तक बात हुआ करती थी और एक दिन राजीव और मेरे बीच रात को अश्लील बातें होने लगी।

उस दिन मैंने राजीव के साथ बहुत देर तक फोन पर बात की राजीव मुझे कहने लगा पारुल तुम मुझे अच्छी लगती हो और तुम्हारे साथ में मुझे बात करना अच्छा लगता है। मुझे नहीं पता था कि राजीव मेरे साथ फ्लर्ट कर रहा है उसकी पहले से ही एक गर्लफ्रेंड है मुझे इस बात का पता तब चला जब राजीव ने एक दिन अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर अपनी गर्लफ्रेंड के साथ फोटो डाल दी, मैंने जब उसे पूछा कि वो किसकी फोटो है तो वह कहने लगा वह मेरे दोस्त है लेकिन मुझे उस पर पूरा शक हो चुका था। मैं उससे दूर जाने लगी पर राजीव ने मुझे अपनी बातों में फंसा लिया, एक दिन वह मेरे घर पर आ गया और उस दिन हम दोनों के बीच सेक्स हो गया।

जब वह मेरे घर पर आया तो उस दिन मम्मी कहीं गई हुई थी क्योंकि राजीव को मम्मी अच्छा मानती है इसलिए राजीव मेरी मम्मी से भी लगातार संपर्क में रहता है। उसने इसी बात का फायदा उठाया और वह घर पर आ गया, वह मेरे होठों को चूमने लगा और मेरे स्तनों को भी उसने चूसना शुरू कर दिया। मैं भी उसे मना नहीं कर पाई क्योंकि मुझे भी अच्छा लगने लगा था, जब उसने मेरी चिकनी चूत को चाटा तो मुझे भी एक अलग ही फीलिंग आने लगी, मेरे शरीर से करंट निकलने लगा। जब वह मेरी चूत को चाटता तो मुझे बहुत मजा आता।

जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया तो मैंने उसे कहां यह मत करो लेकिन उसने मेरी चूत में लंड डाल दिया, जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में प्रवेश हुआ तो मुझे दर्द महसूस होने लगा और बहुत तकलीफ होने लगी परंतु मैं राजीव का विरोध नहीं कर पाई। राजीव ने उस दिन मेरी चूत के मजे लिए जैसे ही राजीव का वीर्य मेरी योनि के अंदर गिर गया तो वह मुझे कहने लगा तुम मेरी बात ही नहीं मान रही थी इसलिए मैंने तुम्हें घर पर मिलने की सोची लेकिन आज हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गया।

मैं भी मुस्कुराने लगी मैंने भी राजीव को माफ कर दिया क्योंकि उसके मोटे लंड को अपनी चूत में लेकर मुझे मजा आ गया था और उसके साथ सेक्स करना मुझे बहुत अच्छा लगा। राजीव और मेरे बीच में अब लगातार सेक्स हुआ करता लेकिन वह मुझसे सिर्फ फ्लर्ट करता है वह मेरे बदन के मजे लेता है यह बात मुझे भी पता है परंतु मैं भी उसे कुछ नहीं कहती क्योंकि कहीं ना कहीं इसमें मेरा स्वार्थ जुड़ा हुआ है।

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जवानी के निशानी के लिए बुर चुदवानी पड़ती है | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/jawani-ki-nishani-ke-liye-bur-chudwani-padati-hai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/jawani-ki-nishani-ke-liye-bur-chudwani-padati-hai.html#respond Thu, 21 Feb 2019 04:14:25 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14332 जब मैं उसकी बाहों में गई तो उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया और मेरे होठों को चूसना शुरू किया मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी, मैं अपने आप को काबू में ना रख सकी। उसने मेरे स्तनों को चूसना शुरू किया तो मेरे शरीर से गर्मी अधिक मात्रा में बढने लगी

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एक दिन मेरी कार खराब हो जाती है और उस दिन मुझे बस से ही जाना पड़ता है, मैं बस से जाती हूं तो उस वक्त बस स्टॉप पर बहुत भीड़ थी और सुबह के वक्त सब लोग ऑफिस जाते हैं इसलिए वहां पर बहुत भीड़ थी। मैंने बस को देखा तो बस पूरी भरी हुई आ रही थी लेकिन मैं हिम्मत करते हुए बस में चढ़ ही गई और जैसे ही मैं बस में चढ़ी तो मुझे बड़ा ही अनकंफरटेबल सा महसूस हो रहा था गर्मी भी बहुत ज्यादा हो रही थी क्योंकि मुझे अपने ऑफिस के लिए लेट हो रही थी इसलिए मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था पहले मैं सोच रही थी कि मैं ऑटो से जाऊं लेकिन ऑटो भी सुबह के वक्त मिल पाना बहुत मुश्किल होता है इसलिए मुझे बस से ही जाना पड़ा मैं अपनी कार से ही अपने ऑफिस जाया करती हूं।

मेरे सामने एक लड़का खड़ा था उसने अपने कान में बड़े-बड़े हेडफोन लगाए थे और उसने टीशर्ट पहनी थी उसके बाल भी खड़े थे वह बार-बार मेरी तरफ देख रहा था मैंने उसे कहा तुम ऐसे मुझे क्या देख रहे हो उसने अपने कान से हेडफोन को निकालते हुए मुझे कहा हां मैडम आप क्या कह रही थी, मैंने उसे कहा तुम मुझे ऐसे घूर कर क्या देख रहे हो उसने मुझसे कहा मैं आपको घूरकर नहीं देख रहा हूं मैं आपके चेहरे की तरफ देख रहा था आप बडा ही अनकंफरटेबल सा महसूस कर रहे हो।

मैंने सोचा वह कह तो ठीक रहा है मैंने उसे कहा हां मैं अन कंफर्टेबल महसूस कर रही हूं क्योंकि बस में बहुत ज्यादा भीड़ है और मैं कभी भी ऐसे सफर नहीं करती वह मुझे कहने लगा मैं आपको सीट दिलवा देता हूं। उस युवक ने मुझे सीट दिलवा दी उसने एक व्यक्ति से कहा कि मैडम की तबीयत खराब है आप उन्हें सीट दे दीजिए, मुझे बस में बैठने के लिए सीट मिल गई क्योंकि मेरे घर से मेरा ऑफिस काफी दूर है इसलिए मेरे पैरों में भी दर्द होने लगा था और जब मुझे सीट मिल गई तो मैंने उस लड़के की तरफ देख कर मुस्कुरा दिया उसने भी मुझे इस्माइल दी और कहा कोई बात नहीं। थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा कि तुम क्या करते हो जिस सीट पर मैं बैठी थी वह वहीं पास में खड़ा था वह मुझे कहने लगा मैडम मैं तो बच्चों को डांस सीखता हूं मैं एक डांस टीचर हूं, मैंने उससे हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया मैंने उसे कहा मेरा नाम रचिता है।

वह मुझे कहने लगा मेरा नाम गन्नु है उसने मुझे अपनी जेब से अपना विजिटिंग कार्ड निकाल कर दिया और कहा मैडम कभी आप हमारे डांस एकेडमी आइएगा मैंने उसे कहा जरूर मैं तुम्हारे डांस अकैडमी आऊंगी उसने मुझसे पूछा कि आप कौन सी कंपनी में जॉब करती हैं तो मैंने उसे बताया मैं एक आईटी कंपनी में जॉब करती हूं उस लड़के ने मुझे कहा मैडम बस मैं अब अगले स्टेशन पर ही उतर जाऊंगा और यह कहकर वह चला गया लेकिन मैं उसकी तरफ देखती रही और जब वह उतरा तो उसने मुझे हाथ दिखाते हुए बाय किया।

मैंने उसे देख लिया था परंतु मैंने कोई रिप्लाई नहीं किया मैं वहां से अपने ऑफिस चली गई और मैं उस दिन अपने काम में इतनी बिजी हो गई कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब 6:30 बज गए मुझे उस दिन जल्दी घर लौटना था क्योंकि मुझे मेरे पापा को डॉक्टर के पास लेकर जाना था उनके दांत में बहुत तकलीफ रहती है जिस वजह से मुझे उन्हें डॉक्टर को दिखाना था। मैं जल्दी से ऑफिस से निकली और मैंने ऑटो ले लिया मैं आधे घंटे में अपने घर पहुंच गई और मैंने पापा से कहा पापा सॉरी मुझे आने में लेट हो गई पापा कहने लगे कोई बात नहीं बेटा हमें यही नजदीक में जाना है।

मैं पापा को लेकर डेंटिस्ट के पास चली गई डेंटिस्ट ने पापा के दांत को देखा तो वह कहने लगे कि अब इनका दांत पूरी तरीके से खत्म हो चुका है इनका दांत बदलना पड़ेगा मैंने उन्हें कहा सर क्या आज ही हो जाएगा वह कहने लगे हां मैं आज ही दांत निकाल देता हूं। डॉक्टर ने पापा के दांत को निकाल दिया लेकिन वह कहने लगे कि शायद आज ही दांत को दोबारा से लगाना मुश्किल हो जाएगा इसलिए आप अगले हफ्ते आइएगा और फिर हम वहां से घर चले आए पापा को बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी इसलिए मैंने पापा से कहा आज आप आराम कीजिए मैंने मम्मी को भी कह दिया था कि पापा को आज आप कुछ हल्का ही खिलाना जिससे कि उनके दांत में ज्यादा तकलीफ ना हो मम्मी कहने लगी ठीक है बेटा क्योंकि घर में मैं ही एकलौती हूं इसलिए मुझे अपने घर का और ऑफिस दोनों का ही ध्यान रखना पड़ता है।

मैं अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती आ रही हूं मैंने कभी भी अपने पापा मम्मी से कोई चीज की डिमांड नहीं कि मैं हमेशा से ही अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी और बचपन से ही मेरी ज्यादा चीजों को लेकर मांग कभी नहीं रहती थी इसलिए मेरे माता-पिता भी मुझे बहुत प्यार करते हैं और वह हमेशा कहते हैं कि तुमने घर को बखूबी संभाला है और तुम किसी लड़के से कम नहीं हो। एक दिन मेरे ऑफिस की छुट्टी थी उस दिन मैं अपने पर्स में से कुछ निकाल रही थी तभी मेरे हाथ में गन्नु का विजिटिंग कार्ड लगा.

मैंने जब उस विजिटिंग कार्ड को देखा तो मैंने उसके नंबर पर फोन कर दिया और गन्नु से कहा आज तुम कहां हो तो वह कहने लगा मैं तो आज अपनी डांस अकैडमी में ही हूं और बच्चों को डांस सिखा रहा था मैंने उसे कहा चलो आज मैं तुमसे मिलने आती हूं गन्नु कहने लगा क्यों नहीं मैडम आप मुझसे मिलने आईये। उस दिन मैं गन्नु से मिलने के लिए चली गई मैं जब उस दिन गन्नु से मिली तो मैंने उसके डांस अकैडमी को देखा वहां पर काफी भीड़ थी गन्नु मुझे एक रूम में लेकर गया वहां पर बिल्कुल भी शोर शराबा नहीं हो रहा था और हम दोनों वहीं बैठे रहे वह मुझे कहने लगा मैडम आज आप यहां कैसे आ गई मैंने उसे कहा बस ऐसे ही आज तुम्हारा विजिटिंग कार्ड मेरे हाथ में आ गया तो मैंने सोचा तुमसे मिल लूं क्योंकि उस दिन मैंने तुम्हें कहा था मैं तुमसे जरूर मिलूंगी।

गन्नु ने भी मुझे अपने बारे में बताया गन्नु के बारे में सुनकर मुझे भी ऐसा लगा कि गन्नु ने भी अपने जीवन में बहुत मेहनत की है मैंने भी जब गन्नु को अपने बारे में बताया तो गन्नु कहने लगा मैडम आपकी और मेरी जिंदगी तो बिल्कुल एक जैसी है आपने भी अपने जीवन में बहुत मेहनत की है और मैं भी अपने जीवन में बहुत मेहनत कर रहा हूं, उस दिन गन्नु के साथ मैं ज्यादा देर तक नहीं रुकी लेकिन उसके बाद गन्नु और मेरी बातें अक्सर फोन पर होने लगी कभी कबार मैं गन्नु से मिलने भी चले जाया करती, गन्नु से मिलना मुझे बहुत अच्छा लगता था और गन्नु से मेरी दोस्ती भी हो चुकी थी।

जब गन्नु से मेरी दोस्ती हो गई तो गन्नु और मैं एक दूसरे को मिलने भी लगे थे हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय एक दूसरे के साथ गुजारने लगे जिससे कि हम दोनों के बीच और भी नजदीकिया आने लगी मुझे नहीं पता था कि हम दोनों के बीच में आखिरकार क्या है लेकिन गन्नु के साथ में मुझे समय बिताना बहुत अच्छा लगता है और ऐसा लगता कि जैसे वह मेरी हर एक बात को समझता है इसीलिए तो मैं उसके साथ समय बिताती थी हालांकि गन्नु मुझसे उम्र में छोटा है लेकिन वह दिल का बहुत अच्छा है और हमेशा ही मुझे कहता है कि आप बहुत अच्छी हैं गन्नु की अच्छाइयों से मैं भी बहुत ज्यादा प्रभावित हूं। गन्नु जब मुझे मिलता तो मुझे ऐसा लगता कि गन्नु एक बहुत ही अच्छा लड़का है मैंने भी गन्नु से एक दिन अपने दिल की बात कह दी और उसे कहा गन्नु मैं तुम्हारे साथ ही अपना समय बिताना चाहती हूं। वह कहने लगा क्या आपने वाकई में मेरे अंदर इतनी अच्छाइयां देखी।

मैंने गन्नु से कहा हां गन्नु तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो उसके बाद हम दोनों जैसे एक दूसरे के ही हो गए, हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय एक दूसरे के साथ बिताते हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध में बनने लगे थे लेकिन जब पहली बार हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध बना था तो उस दिन मुझे बड़ा डर लगा था। गन्नु ने मुझे मिलने के लिए अपनी डांस एकेडमी बुलाया और उस वक्त वहां पर कोई नहीं था गन्नु और मैं साथ में बैठे हुए थे लेकिन हम दोनों की जवानी उस दिन कुछ ज्यादा ही बढने लगी। गन्नु ने मेरे हाथों को अपने हाथ में ले लिया, उसने जब मेरी जांघ पर हाथ रखा तो वह मेरी जांघ को दबाने लगा मैं उसकी बाहों में चली गई। जब मैं उसकी बाहों में गई तो उसने मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया और मेरे होठों को चूसना शुरू किया मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी थी, मैं अपने आप को काबू में ना रख सकी। उसने मेरे स्तनों को चूसना शुरू किया तो मेरे शरीर से गर्मी अधिक मात्रा में बढने लगी, मैंने गन्नु के लंड को दबाना शुरू कर दिया।

गन्नु के लंड को मै दबाने लगी मैंने उसके लंड को थोड़ा बहुत अपने मुंह में लेकर सकिंग किया लेकिन जब उसने मेरी चूत को चाटा तो मैंने अपना आपा खो दिया। मुझे लगा बस अब वह मेरी चूत में लंड डाल दे जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी चूत में डाला तो मैं मचलने लगी मुझे दर्द होने लगा। मै तेज आवाज में मादक आवाज लेने लगी, जिससे गन्नु की उत्तेजित बढती जाती वह भी तेज गति से मुझे धक्के देता। उसके धक्को से मैं पूरी तरीके से अपने आपको उसे ही सौप देती लेकिन जैसे ही मेरी गर्मी शांत हो गई तो गन्नु ने तेज झटके मारे परंतु जब उसने अपने वीर्य को मेरे पेट पर गिराया तो मुझे लगा गन्नु भी शांत हो चुका है। मैंने उसके वीर्य को अपने पेट से साफ किया उसके बाद तो हम दोनों के बीच सेक्स आम बात हो गई, हम दोनों जब भी एक दूसरे से मिलते तो जरूर सेक्स किया करते क्योंकि मुझे भी अब लगता है कि शायद सेक्स के बिना प्यार अधूरा है। गन्नु को मैं खुश रखने की हमेशा कोशिश करती हूं गन्नु भी बहुत खुश है मैं भी उसके साथ बहुत ज्यादा खुश हूं।

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मम्मी की चुदाई मुस्लिम लौड़े से | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/mummy-ki-chudai-muslim-laude-se.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/mummy-ki-chudai-muslim-laude-se.html#respond Mon, 11 Feb 2019 12:49:06 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14281 चूची को मुंह मे भरकर चूसना शुरूकर दिया और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को मसलना शुरू कर दिया। माँ की बनावटी विरोध ख़त्म हो चूका था. अब वह सीसियाकारी ले रही थी और आगे बढ़कर अपनी दूसरी चूची साबिर के मुंह मे दे रही थी और साबिर तो मां पागल हो चूका था थोड़ी देर चूचियों का रस निचोड़ने के बाद साबिर ने उसकी सलवार खोल कर नीचे कर दी और उसकी पैंटी भी उतार दी.

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प्रिये दोस्तों आज मैं आपको अपने घर की कहानी शेयर कर रहा हूँ मेरा नाम आकाश है और मैं आगरा का रहने वाला हूँ मेरी उम्र 19साल है अभी पिछले साल ही मेरे पिता का देहांत हो गया है. अब घर पर मैं और मेरी मम्मी ही हैं मेरी मम्मी मोनिका की उम्र 39 साल है और वह बहुत ही सेक्सी हैं लेकिन पापा के देहांत बाद उनके व्यवहार मे परिवर्तन आ गया है. उनका व्यवहार मे चिड़चिड़ापन आ गया है.

ऐसा क्यों है मैं नहीं समझ पा रहा था लेकिन एक दिन मम्मी बाथरूम में नहाने गयी थी मैंने हलकी सी सीसियाने की आवाज सुनकर अपनी एक आँख की होल पर लगा दी अंदर की पिक्चर बड़ी मजेदार थी मम्मी बिलकुल नंगी थी और और उनके बड़े बड़े पपीते किसी को भी पागल बनाने के लिए काफी थे मोटी मोटीजांघे और बिलकुल चिकनी चुत किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी थी. मैं ताज्जुब मे था कि मम्मी अपनी चुत की शेविंग पापा के जाने के बाद भी रेगुलर कर रही थी.

अब मैं आगे की स्टोरी पर आता हूँ मम्मी अपने हाथ मे एक गाजर लेकर अपनी चुत के अंदर बाहर करते हुए सीसिया रही थी और मैं बड़े प्रेम से यह नजारा दख रहा था मेरा लण्ड बिलकुल टाइट हो चूका था मम्मी की स्पीड धीमे धीमे बढ़ती जा रही थी और साथ ही उसके सीसियाने की आवाज भी फिर एक समय ऐसा भी आया की वो एक दम से रुक गयीं. मैं समझ गया की वह इस्खलित हो चुकी है. मैंने देखा की उसकी चुत से वीर्य टपक रहा था और उसकीआँखें  बंध हो चुकी थी वह शांत पड़ गई थी मैं वहां से हट गया और कमरे मैं आकर मुठ्ठ मारी तब जा कर मुझे शान्ति मिली थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से निकली और घर के काम काज मे लग गई.

मैं उसके व्यवहार के बारे मैं सोचने लगा मुझे लगा क्योंकि सेक्स की आवशयकता हर इंसान को होती है तो अगर मेरी मम्मी की यह अधूरी प्यास है तो मुझे उसका विरोध नहीं सहयोग करना चाहिए मैंने बड़ी देर तक सोचा की मैं मम्मी की मदद कैसे कर सकता हूँ फिर मुझे एक विचार आया कि मेरा एक दोस्त है, जिसका नाम मोहम्मद साबिर है. वह लड़कियां पटाने मैं उस्ताद था. मैने सोचा अगर वह मम्मी की चुदाई कर दिया करे तो मम्मी को गाजर मुल्ली की आवश्यकता नहीं रहेगी. मैंने जी भी घर मे देखा था वह सब साबिर को बता दिया तो वह बोला कि मैं तो तेरी मी को बहुत पंद करता हूँ अगर मुझे चोदने को मिल जाए तो उसी सारी प्यास बुझा दूंगा.

फिर हम दोनों ने प्लान बनाया और साबिर प्लान के अनुसार मेरे घर रोज़ ही आने लगा और मैं उस समय जानबूझकर घर से बाहर चला जाता था ताकि मम्मी और साबिर को दोस्ती करने मे आसानी हो और मेरा यह प्लान काम कर रहा था घर के अधिकांश काम साबिर ही कर रहा था. अगर मम्मी किसी काम को मुझ से कहती तो मैं कहता कि साबिर से करा लेनाऔर इस तरह मम्मी और साबिर काफी नज़दीख आ गए फिर एक दिन मुझे याद आया की 4 मार्च को मम्मी का बर्थडे है मैंने यह बात साबिर को बता दी. साबिर अगले ही दिन मुझे लेकर मार्किट गया और मम्मी के लिए 4 पैंटी, 4 ब्रा और बाल साफ़ करने वाली क्रीम ,एक गुलाबी ट्रांसपेरेंट नाईटी खरीदी और शाम को ही घर आ गया.

मैंने उसे देखते ही मम्मी से कहा की मैं किसी काम से बहार जा रहा हूँ लेकिन यह कर मैं घर मैं ही छुप गया क्योंकि मैं देखना चाहता था कि साबिर मम्मी को कैसेिफ्ट देता है साबिर ने घर मे आते ही मम्मी को आवाज दी तो मम्मी ड्राइंग रूम मे आ गयी. मैं स्टोर के अंदर खड़ा होकर दरवाजे की झीरी से यह सब देख रहा था साबिर ने मम्मी को पैकेट थमा दिया आगे की कहानी उन्ही के शब्दों मे’ साबिर .. आपको जन्मदिन की एडवांस मे बधाई है मोनिका..लेकिन यह तुारे हाथ मे क्या है साबिर… कुछ नहीं बस आपके लिए एक छोटा सा गिफ़्ट है लेकिन मेरी एक हसरत है की बर्थडे वाले दिन आप इस सामान का उपयोग करें और मुझे भी आपसे कुछ चाहिए मोनिका…तुम्हे जो भी चाहिए दिल खोलकर मांग लेना फिर थोड़ी देर इधर उधर की बातों के बाद साबिर चला गया फिर जैसे ही मम्मी अपने रूम मे गयी.

मैं बाहर निकल आया मैंने देखा था कि वह पैकेट खोलकर देख रही थी फिर उसके चेहरे पर एक शर्म सी आ गयी और उसने वह पैकेट अलमारी में रख दिया मैं समझ गया कि यह अपनी चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार है शाम को जब वह बाथरूम गयी तो मई फ़ौरन उसके पीछे जा कर देखा वह बाथरूम मई जाकर अपनी सलवार उतार दी फिर पैंटी भी उतार दी. उसकी चुत पर हल्की हल्की छांटे थीं. उसने पास मई रखी क्रीम उठाई और क्रीम निकाल कर अपनी चुत के आस पास मॉलिश करने लगी 5 मिनट बाद उसने चुत के आस पास पानी डाला तो सारे बाल पानी के साथ बह गए और उसकी मखमली चुत पावरोी की तरह फूली हुई थी मैं समझ गया की इसने पूरी तैयारी कर ली है।

अगले दिन मम्मी का बर्थे था इसलिए प्लान के मुताबिक मुझे कहीं छिप कर चुदाई देखनी थी. मैं मम्मी को बोल कर कि मैं अपने दोस्त रवि के पास जा रहा हूँ और शाम को आऊंगा यह कह कर मैं छत पर चला गया और साबिर को फ़ोन कर दिया कि माल रेडी है. 15 मिनट बाद ही साबिर घर आ गया मम्मी बोली साबिर क्या खाओगे तो सािर बोला की आंटीजी आज तो मुझे अपना गिफ्ट चाहिए तो मम्मी बोली बताओ क्या गिफ्ट चाहिए तो साबिर ने मम्मी से कहा कि आंटीजी आज आपका बर्थडे है इसलिए मेरी किी बात का बुरा नहीं मानना !मम्मी बोली ठीक है फिर साबिर ने मम्मी को ऑंखें बंद करने की कहा तो मम्मी ने आँखें बंद कर ली मी की आँख बंद होते ही साबिर ने मम्मी के सर को दोनों हाथों से पकड़कर होठों से किस करने लगा दोनों के होंठ आपस मे जुड़ गए थे।

मम्मी अपने आपको छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन साबिर की पकड़ बड़ी मजबूत थी. फिर साबिर ने एक हाथ से मम्मी की गोलाइयाँ नापना शुरू कर दिया मम्मी कह रही थी की साबिर यह ठीक नहीं है लेकिन साबिर ने तो मम्मी के कुर्ते के नीचे से एक हाथ अंदर दाल दिया और उसकी चूची दबाने लगा फिर उसने कुरता उा दिया और ब्रा को ऊपर कर दिया. अब मम्मी की चूचियां खुलकर बाहर आ गयीं थी. साबिर ने जब इतनी बड़ी बड़ी चूचियां देखि तो पागल हो गया. उसने फ़ौरन एक चूची को मुंह मे भरकर चूसना शुरूकर दिया और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को मसलना शुरू कर दिया माँ की बनावटी विरोध ख़त्म हो चूका था.

अब वह सीसियाकारी ले रही थी और आगे बढ़कर अपनी दूसरी चूची साबिर के मुंह मे दे रही थी और साबिर तो मां पागल हो चूका था थोड़ी देर चूचियों का रस निचोड़ने के बाद साबिर ने उसकी सलवार खोल कर नीचे कर दी और उसकी पैंटी भी उतार दी. उसकी खुली चुत साबिर को दावत दे रही थी. साबिर ने फ़ौरन उसकी चुत को अपनी जीभ से चाटना शुरु कर दिया. अब मम्मी ने जोर ज़ोर से सीसियाना शुरु कर दिया. साबिर बीच बीच मे उसकी चुत के दाने को अपनी जीभ से चाट रहा था. वह उत्तेजना से मरी जा रही थी लेकिन साबिर तो पागल हो चूका था थोड़ी देर बाद साबिर ने अपनी पेंट उतार दी साबिर का 9 इंच का लण्ड देखकर मम्मी की गांड फट गयी बोली मैं इतना लम्बा और मोटा लण्ड नहीं ले पाउंगी लेकिन साबिर कहाँ मानने वाला था. उसने धीरे से मम्मी की चुत पर अपना लण्ड रख दिया मम्मी की चुत चाटने के कारण गीली हो कर चमक रही थी.

साबिर ने हल्का धख्खा लगाया तो लण्ड का टोपा अंदर घुस गया मम्मी ज़ोर ज़ोर चिल्लान्ने लगी लगा की उनकी चुत फट्ट गयी थोड़ी देर तो साबिर रुक गा जब मम्मी का चिल्लाना कम हुआ तो उसने अपने लण्ड को धीऱे धीऱे आगे पीछे करना शुरू कर दिया. 5 मिनट बाद ही उसने पूरा लण्ड जड़ तक मम्मी की चुत मे उतार दिया अब मम्मी काफी खुश लग रही थी और साबिर का गांड उठा उठा के पूरा साथ दे रहीं थी और साबिर पूरी ताकत से मम्मी को चोद रहा था मम्मी कह रहीं थी. साबिर आज बढ़िया करके चोद दे अपनी रंडी को आज इस रांड की प्यास बुझ्झा दे चुत की चटनी बना दे और साबिर कह रहा था अब तू मेरी परमानेंट रंडी है रोज आकर चुदाई करूँगा धख्खों की स्पीड बाद चुकी थी और थोड़ी ही देर मे मम्मी ने साबिर को कस कर चिपका लिया.

मैं समझ गया की इसने अपना पानी छोड दिया लेकिन साबिर ने कम से कम 15 धख्खे और मारने के बाद मम्मी की चुत मे ही अपना माल निकल दिया और जब अपना लण्ड मम्मी की चुत से निकाला तो साथ मे दोनों का मिला जुला वीर्य भी निकलने लगा. साबिर ने मम्मी की सलवार से उसकी चुत साफ़ की फिर अपना लण्ड ! मम्मी चुदाई के बाद बड़ी खुश लग रही थी. अब साबिर रोज हमारे घर आता है और मैंने मम्मी को बता दिया की मैंने उसकी हर चुदाई देखि है इसलिए अब सब कुछ खुलकर करो अब मम्मी मेरे सामने ही चुदवाती है और कई बार मैं साबिर का लण्ड उसकी चुत पर सेट करता हूँ और कभी कभी उसकी चूची चूची को भी पकड़ना पड़ता है कहानी कैसी लगी प्लीज कमेंट कीजिए.

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दो साल से चोदने की प्यास | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/do-saal-se-chodane-ki-pyas.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/do-saal-se-chodane-ki-pyas.html#respond Sat, 02 Feb 2019 08:01:00 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14232 मैंने ताहिरा की गाँड के छेद पर अपने लण्ड की टोपी रखकर ताहिरा  की कमर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे अपने लण्ड को ताहिरा की गाँड में घुसाने लगा। ताहिरा ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। अभी तक लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा ही घुस पाया था. फिर मैंने ताहिरा की गाँड के छेद को हाथों से फैलाया और फिर से ताहिरा की कमर पकड़ कर एक धक्का दिया।

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मेरा नाम जय है. मैं गोराखपुर से हूं. मैं 28 साल का हूँ और मेरी हाइट 5 फिट 11 इंच है.

वह घटना आज से 3 साल पहले की है जब मैं सऊदी अरब नौकरी कर्ता था. मैं एक कंप्यूटर और मोबाइल तकनीशियन हु.

मेरी दुकान पे एक पाकिस्तानी नर्स लैपटॉप मरम्मत के लिय लाई. मैने पुछा क्या समस्या है तो बोली साउंड  के प्रॉब्लम  है और आप देख लेना. मै बोला पासवर्ड हो तो हमें बता दो और कल शाम के समय हो जायेगा. उसके बाद ओ चली गई और मेरा मोबाइल नंबर ले ली. रात 10 बजे उसका कॉल आया और पूछी जय मेरा लैपटॉप सही होगया. मैंने बोला जी मैडम मस्त चल रहा है और 150 riyal हुए इसका चार्ज. ओ बोली  हम भी बाहर के ही हैं कुछ कम कर लीजिए. मै बोला कोई बात नहीं आप 100 दे देना. फिर उसने बोला आप imo यूज़ करते हैं मुझे अपना लैपटॉप देखना है. क्योंकि सऊदी मे वाटसअप कॉल नहीं होता है.

मै अपना imo नंबर दिया तो उसने विडियो कॉल की. क्या बताऊँ फ्रेंड देख के मेरा तो आउट ऑफ कंट्रोल होगया. उसका उम्र 32 के होगा और फिगर ओय होए 36.34.36 था. कुछ देर  लैपटॉप देख के बोली मेरे लिए कुछ और कम कर दीजिए ना प्लीज हम भी आपके कोई काम आ सकती हूँ. आपको जब भी कोई दवा चाहिए तो मैं आपको दूँगी. उसके बाद थोड़ा पर्सनल बात होने लगी. मैंने पूछा आपको यहा कितने साल हो गए हैं तो बोली 2 साल फिर मै मजाक मे बोला 2 साल में मन नहीं किया करने को.

ओ हसने लगी बोली कोई मिला ही नहीं..!मैंने बोला हमे भी 2 साल हो गया. आपकी जैसी हसीन मिला नहीं और दोनों हसने लगे. अगले दिन ओ दुकान पर आई लैपटॉप लेने के लिए तो मैंने उसका नाम पूछा तो ताहिरा बताई. दुकान पर ग्राहक ज़्यादा थे तो बोली नाइट को फोन करने के लिये. मै भी बिना पैसे लिए उसका लैपटॉप दे दिया. रात को उसका फोन आया ताहिरा बोली जय आप बहुत मस्त है. मै बोला मेरा सब कुछ है. कब  लेना चाहोगी ताहिरा बोली कब दीजिएगा. मै उसे फ्राइडे को 1 बजे दोपहर मे बुलाया.

क्योंकि 1 बजे सारा मार्केट बंद रहता ही है. मैं इसके लिये कुछ दे भी सकती हूँ!” तब मैंने कहा, “आप क्या दे सकती हो?” तो वो कुटिल मुस्कान भरते हुए अदा के साथ बोली, “चाय पानी!” मैं भी हंस कर रह गया. उसके बाद से तो मैंने महसूस किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी और उसकी नज़रों में काम वासना की ललक नज़र आती थी. पहले मैं समझ नहीं सका कि वो ऐसे क्यों देखती है। फिर मुझे लगा किफिर दो साल से प्यासी होगी। ताहिरा  को देख केर अक्सर मेरा लण्ड भी पैंट में तंबू की तरह खड़ा हो जाता था।दो दिन सेक्सी बाते होती रही imo पे फिर फ्राइडे का दिन भी आ गया जिसका बहुत बेसब्री से इंतजार था.

मेरा lund का साइज़ 8 इंच और 3 इंच मोटा है. ओ आई उसके बाद उसको दुकान में बुलाकर बाहर देखा कोई नहीं था. मै दरवाजा बंद कर दिया दिया. ताहिरा बेहद खूबसूरत थी और उसका फिगर था. उसका 36.34.36 भरा-भरा सा जिस्म बेहद सुडौल था और मैं तो उसके चूतड़ों पर बहुत फिदा था. मैंने उसको दीवार के सहारे और दबा दिया.ताहिरा  की गाँड पर मेरा लण्ड सटा हुआ था और ताहिरा के दोनों बूब्स मेरी मुठ्ठी में थे. मैं उंगली और अंगूठे से ताहिरा  के निप्प्लों को बेदर्दी से मसलने लगा. ताहिरा तो जोश में एक दम जैसे पागल सी हो रही थी. दस मिनट बाद मैं ताहिरा  को पकड़ कर टेबल के पास ले गया और उसे टेबल पर बैठने को कहा. ताहिरा टेबल पर बैठ गयी. अब मेरा मोटा और लंबा तना हुआ लण्ड ताहिरा  के सामने था. सने तुरंत ही मेरा लण्ड हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी.

मैं बोला, “डिंपल, मुँह में लेकर चूसो इसको!” ताहिरा  लण्ड को पकड़ कर अपनी जीभ से चाटने लगी. थोड़ी ही देर बाद ताहिरा ने लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लण्ड के सुपाड़े को चूसने लगी. ताहिरा  भी जोश में अपने आपको काबू में नहीं रख पा रही थी और बोली, “जानू, प्लीज़ जल्दी कुछ करो ना! नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी!” ताहिरा टेबल पर आधी लेटी हुई थी. मैंने ताहिरा  की टाँगों को हाथों से पकड़ कर फैला दिया और अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के बीच में रख दिया. फिर एक झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया. ताहिरा दर्द से चिल्ला उठी, “ऊऊईईई! अल्लाह!! मर जाऊँगी मैं! आहहह रुक जाओ जानू! प्लीज़ऽऽ!” ताहिरा कराहने लगी तो मैं रुक गया और अपने लण्ड को ताहिरा की चूत से बाहर निकल लिया.

मैं ताहिरा  के ऊपर झुक गया और ताहिरा  के होंठों को अपने मुँह में ले लिया. फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा एक बार फिर उसकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा. ताहिरा  की चींख निकलते-निकलते रह गयी क्योंकि मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा रखा था. ताहिरा दर्द से कराह उठी तो मैं रुक गया. ताहिरा के शौहर का लण्ड छोटा था और उसकी चूत का छेद छोटे लण्ड के लिये ही मुनासिब था.मेरा आधा लण्ड घुस चुका था.दो-तीन मिनट तक मैं उसके ऊपर बिना हिलेडुले लेटा रहा. फिर मैंने धीरे-धीरे लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया. ताहिरा  अभी भी दर्द से कराह रही थी. अचानक मैंने एक जोरदार धक्का दिया तो मेरा लण्ड सरसराता हुआ ताहिरा की चूत में और ज्यादा अंदर तक घुस गया.

ताहिरा चिल्लाते हुए रुकने के लिये कहने लगी लेकिन मैं नहीं रुका और ताहिरा को तेजी से चोदने लगा. बिजली की तरह मेरा लण्ड ताहिरा की चूत में अंदर बाहर हो रहा था.जैसे ही ताहिरा की चींख कुछ कम होती मैं एक धक्का ज़ोर से लगा देता था और ताहिरा  फिर चींख पड़ती थी. कुछ देर तक मैं इसी तरह चोदता रहा. धीरे-धीरे मेरा पूरा लण्ड ताहिरा की चूत की गहराई तक जगह बना चुका था और तेजी के साथ अंदर-बाहर हो रहा था. ताहिरा दर्द से तड़प रही थी. आठ-दस मिनट के बाद ताहिरा को भी मज़ा आने लगा. उसने अपने हाथ मेरी कमर पर कैंची की तरह कस दिये और अपनी गाँड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी. मैं बोला, “शाबाश जानेमन! अब तो तुम्हें भी चुदवाने में मज़ा आ रहा है!”

मैं उसको लगभग पंद्रह-बीस मिनट तक चोदता रहा. इस दौरान ताहिरा  तीन-चार बार झड़ चुकी थी लेकिन मेरा लण्ड था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.ब मैं ताहिरा के ऊपर से हट गया और उसको घोड़ी की तरह बन जाने को कहा. ताहिरा उठ कर ज़मीन पर आ गयी और घोड़ी की तरह हो गयी. मैंने उसकी कमर पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से ताहिरा की चूत में डाल दिया.ताहिरा फिर दर्द से कराहने लगी पर कुछ ही देर में ताहिरा का दर्द कम हो गया और ताहिरा को मज़ा आने लगा. ताहिरा अब अपनी गाँड को पीछे ढकेल-ढकेल कर ताल से ताल मिला रही थी. दस-पंद्रह मिनट के बाद मैं ताहिरा  की चूत में ही झड़ गया और अपना लण्ड ताहिरा की चूत से बाहर निकाल कर ताहिरा के मुँह में दे दिया. ताहिरा ने मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ किया और हम दोनों साथ साथ ही ज़मीन पर ही लेट गये।

उसने तरसती निगाहों से मेरी तरफ़ देखा.मैं उसका इशारा समझ गया.मैंने उसकी कमर को पकड़ कर ज़ोर से नीचे किया तो एक झटके से आधे से ज्यादा लण्ड ताहिरा की चूत में घुस गया. अब ताहिरा धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी और मैं ताहिरा की कमर को पकड़े हुए था. ताहिरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और चुदाई का मज़ा लेने लगी. उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी और वो इतनी तेज़ हो गयी कि पता ही नहीं लगा कब दोनों झड़ गये. फिर हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लिपट कर लेट गये.

कुछ देर बाद मैंने ताहिरा  को तेजी से चोदना शुरू कर दिया. ताहिरा  के सैंडल मेरे हर धक्के के साथ मेरी गर्दन के पास थपथपाते थे जिससे मुझे और जोश आने लगा और मैं ताहिरा  को और तेजी के साथ चोदने लगा. मेरे हाथ अभी भी ताहिरा की चूचियों और निप्पलों को मसल रहे थे और ताहिरा को दर्द हो रहा था लेकिन उसे फिर भी मज़ा आ रहा था क्योंकि आज दो साल बाद कोई उसकी चूत की प्यास को बुझा रहा था वो भी इतने मोटे तगड़े लण्ड से थोड़ी देर बाद मैंने ताहिरा  के पैरों को अपने कंधों से उठाया और ताहिरा की टाँगें पीछे मोड़कर उसके कंधों की तरफ़ झुका दीं. अब ताहिरा एक दम दोहरी हो गयी और ताहिरा की चूत और ऊपर उठ आयी.

फिर आगे होकर मैंने उसके पैरों के पास उसकी टाँगों को पकड़ कर बहुत ही तेजी के साथ ताहिरा  की चुदाई करनी शुरू कर दी. मुझे मेरे लण्ड के सुपाड़े पर उसकी बच्चेदानी का मुँह महसूस होने लगा था. ताहिरा  और भी जोश में आ गयी और अपनी आँखें बंद कर लीं. ताहिरा के मुँह से केवल मस्ती भरी आवाज़ें निकल रही थी, “हाय मेरे जानू! ऐसे ही… और कस-कस कर जोर से चोदो… और जोर से चोदो… फाड़ दो मेरी चूत को!”

मेरे चेहरे का पसीना ताहिरा  की चूचियों पर टपक रहा था लेकिन लण्ड रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था. ताहिरा  अब तक दो-तीन बार झड़ चुकी थी. कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने फिर उसकी चूत में पानी छोड़ दिया था.मैं ऐसे ही थोड़ी देर ताहिरा  के ऊपर पड़ा रहा और ताहिरा मुझे चूमती रही. फिर मैं ताहिरा के ऊपर से हट कर उसके बगल में लेट गया.

थोड़ी देर बाद ताहिरा  ने मेरे मुर्झाये हुए लण्ड को अपने हाथों में लिया और अपने होंठों को दाँत से काटते हुए बोली, “अगर बुरा ना मानो तो मैं तुम्हारे लण्ड को फिर से चूसना चाहती हूँ, प्लीज़!!!” मैं बोला, “इसमें इजाज़त की क्या बात है… ये लण्ड तो अब सिर्फ़ तुम्हारा ही है!” ताहिरा  मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गयी और दोनों हाथों से लण्ड को पकड़ कर लण्ड के सुपाड़े पर धीरे से किस किया. ताहिरा ने मेरी तरफ़ देख कर आँख मारी और वापस अपने होंठ मेरे लण्ड पर रख दिये. लण्ड को पकड़ कर चूसते हुए ताहिरा अपने मुँह को ऊपर-नीचे करने लगी और मेरा लण्ड बिल्कुल तन गया. फिर ताहिरा  उठ कर मेरे ऊपर आ गयी और अपने हाथ से लण्ड को पोज़िशन में करके अपनी चूत के बीच में सटा दिया और ऊपर से दबाव डालने लगी पर सिर्फ़ सुपाड़ा ही ताहिरा की चूत में घुस पाया.

उसने तरसती निगाहों से मेरी तरफ़ देखा. मैं उसका इशारा समझ गया. मैंने उसकी कमर को पकड़ कर ज़ोर से नीचे किया तो एक झटके से आधे से ज्यादा लण्ड ताहिरा  की चूत में घुस गया. अब ताहिरा धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी और मैं ताहिरा की कमर को पकड़े हुए था. ताहिरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं और चुदाई का मज़ा लेने लगी. उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी और वो इतनी तेज़ हो गयी कि पता ही नहीं लगा कब दोनों झड़ गये। फिर हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लिपट कर लेट गये.

लण्ड फिर से पत्थर की तरह सख्त हो कर तन कर गया था। मैं बोला, “ताहिरा , अब तुम फिर से घोड़ी बन जाओ!” ताहिरा ने जल्दी से अपना गिलास खाली किया और ज़मीन पर घोड़ी बन गयी। तब मैंने कहा, “ताहिरा , अब मैं तुम्हारी गाँड मारुँगा!” ताहिरा  थोड़ा डरते हुए बोली, “लेकिन तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है!” मैं बोला, “तुम घबराओ मत… मैं आराम से करुँगा!” ताहिरा अब काफी नशे में थी और मस्ती में चहकते हुए बोली, “ओके, तुम सिर्फ मेरे बॉस ही नहीं बल्कि जानेमन हो, मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है! चाहे जो करो… आज तुम्हारी ताहिरा  तुम्हारे लण्ड की ग़ुलाम है! मारो मेरी गाँड को, फाड़ दो इसे भी… मैं कितना भी चिल्लाऊँ… तुम रुकना मत…. अपनी ताहिरा की गाँड बेदर्दी से पेलना!”

मैं उठ कर उसके पीछे आ गया और ताहिरा  की गाँड के छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया। मेरा लण्ड तो पहले से ही ताहिरा  के थूक से सना हुआ था. फिर मैंने ताहिरा की गाँड के छेद पर अपने लण्ड की टोपी रखकर ताहिरा  की कमर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे अपने लण्ड को ताहिरा की गाँड में घुसाने लगा। ताहिरा ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। अभी तक लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा ही घुस पाया था. फिर मैंने ताहिरा की गाँड के छेद को हाथों से फैलाया और फिर से ताहिरा की कमर पकड़ कर एक धक्का दिया. ताहिरा दर्द से अपना सर कुत्तिया की तरह इधर-उधर हिलाने लगी। मैंने थोड़ा ज़ोर और लगाया तो ताहिरा  और भी ज़ोर-ज़ोर से चींखने-चिल्लाने लगी. मैं बोला, “ताहिरा मेरी जान! अगर तुम ऐसे चिल्लाओगी तो कैसे काम बनेगा? अभी तो ये तीन इंच ही अंदर घुसा है!” ताहिरा दर्द से चिल्लाते हुए ही बोली, “मेरे चिल्लाने कि तुम परवाह मत करो! घुसा दो अपने तमाम लण्ड को मेरी गाँड में… फाड़ डालो इसे!”

फिर मैंने ताहिरा  के मुँह पर एक हाथ रख दिया और उसकी कमर को पकड़ कर धक्के पर धक्का लगाते हुए अपने लण्ड को ताहिरा  के गाँड में घुसाने लगा. लण्ड ताहिरा की गाँड में और गहराई तक घुसने लगा तो ताहिरा दर्द के मारे छटपटाने लगी. मैं बोला, “शाबाश ताहिरा ! मेरा लण्ड अब तुम्हारी गाँड में करीब छः इंच तक घुस चुका है!” दर्द से ताहिरा  कि हालत अभी भी खराब हो रही थी. मैं पूरी ताकत से ताहिरा की गाँड में लंड ठूँसने में लगा था और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे था.ताहिरा की गाँड चौड़ी होती गयी और दर्द भी बढ़ता गया. गाँड में दर्द की वजह से ताहिरा सिसकियाँ लेती रही. ताहिरा के आँसू भी निकल आये पर ताहिरा ने हिम्मत नहीं हारी. ताहिरा की गाँड में अपना लण्ड पूरा घुसाने के बाद मैं रुक गया.

थोड़ी देर में दर्द धीरे-धीरे कम हो गया तो मैंने फिर धीरे-धीरे पेलना शुरू कर दिया. अब मैं अपना आधा लण्ड बाहर निकालता और वापस एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी गाँड में अंदर तक घुसेड़ देता. हालांकि दर्द अभी खतम नहीं हुआ था पर फिर भी ताहिरा अब अपनी गाँड मेरे हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिलाने लगी थी.अब मैं पुरी स्पिड से ताहिरा को चोदने लगा. अब मैं अपना पुरा लण्ड बाहर निकालता और वापस तेजी के साथ अंदर घुसा देता. ताहिरा को तो यकीन ही नहीं था कि इतना लंबा और मोटा लण्ड वो कभी अपनी गाँड में ले पायेगी.

मैं बहुत मज़े ले-ले कर ताहिरा  की गाँड मारने में लगा हुआ था. ताहिरा  भी और ज्यादा मस्त हो गयी थी और अपनी गाँड ढकेलते हुए बोली, “पेलो मुझे! मेरी गाँड फाड़ दो! अपनी ताहिरा  की गाँड चौड़ी कर दो! बेदर्दी से पेलो मुझे… मेरे जनू! मैं ताहिरा की गाँड पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता हुआ अपना लण्ड उसकी गाँड में गहराई तक घुसेड़-घुसेड़ कर पेलता रहा. वो भी कभी चींखती तो कभी सिसकती और कभी मुजे ज़ोर-ज़ोर से गाँड पेलने को कहती और फिर चींखने लगती. थोड़ी देर में मैं ताहिरा  की गाँड में ही झड़ गया और हम दोनों दोने ज़मीन पर ही लेट गये. दोनों की साँसें फूली हुई थीं. बीस पच्चीस मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं ताहिरा को दुकान से बाहर भेज दिया.

मित्रों कैसी लगी मेरा सच्चा कहानी. मुझे मेरे मेल पे लाइक और कमेंट जरूर करना. [email protected]

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निकक्मे पति की बीवी को चोदता | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/nikkame-pati-ki-bivi-ko-chodta.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/nikkame-pati-ki-bivi-ko-chodta.html#respond Thu, 31 Jan 2019 08:53:23 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14217 मैंने उसकी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी और अब वो मेरे सामने पेंटी और ब्रा में थी. फिर मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उसे फिर से चूमना शुरू किया. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी और वो बीच-बीच में सिसकारियाँ भी ले रही थी. फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार दिए, अब वो बिल्कुल नंगी थी.

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम देवा है और मेरी उम्र 24 साल है. में राजस्थान का रहने वाला हूँ और मैंने बहुत सी स्टोरी पढ़ी है. आज में आपको एक सच्ची स्टोरी बताने जा रहा हूँ. यह 2 साल पुरानी बात है तब में याहू मैसेंजर पर बहुत चैटिंग करता था.

में हमेशा राजस्थान की लड़कियों से ही चैटिंग करता था, लेकिन मुझे कोई भी लड़की अच्छी नहीं लगती थी, क्योंकि ज्यादातर लड़कियाँ चैटिंग में टाईम पास करती थी. फिर एक दिन मुझे एक लड़की मिली तो मुझे उसका ई-मैल आई डी अजीब लगी, पहले मुझे लगा कि वो कोई विदेशी लड़की है, लेकिन मैंने उससे चैटिंग करनी शुरू की.

में – हाए आई एम देवा फ्रॉम राजस्थान एंड यू?

लड़की – हैल्लो डियर, माई नेम इज एकता, माई ऐज 22 ईयर फ्रॉम राजस्थान. (उसका नाम एकता था, उम्र 21 साल, फीमेल और वो राजस्थान की रहने वाली थी)

फिर जैसे-जैसे में उससे बात आगे बढ़ाता गया तो मुझे पता चला कि वो कोई नयी है, उसे चैटिंग करनी नहीं आती थी. खैर फिर में उससे चैटिंग करता रहा, तो उसने मुझे अपने बारे में बताया, तो मैंने भी उसे अपने बारे में बताया, वो मुझे अच्छी लगी.

में – तुम क्या कर रही हो?

लड़की – कॉलेज में हूँ.

में – क्या तुम्हारे बॉयफ्रेंड है?

लड़की – नहीं, मेरे कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.

में – क्यों तुम्हें पसंद नहीं है?

लड़की – नहीं.

में – ओके.

फिर तो में रोज उससे चैटिंग करने लगा. फिर एक दिन मैंने उससे उसका फोटो भेजने को बोला.

में – क्या तुम्हारे पास तुम्हारा फोटो है?

लड़की – हाँ

में – आपका फोटो भेजो, मुझे तुम्हारा फोटो देखना है.

लड़की – नहीं.

में – क्यों?

लड़की – पहले तुम तुम्हारा फोटो भेजो.

में – ओके.

फिर मैंने उसे अपना फोटो भेज दिया, तो दूसरे दिन उसने भी अपना पासपोर्ट साईज़ फोटो भेज दिया. उसका फोटो साफ़ नहीं था, लेकिन मैंने उससे कहा कि तुम दिखने में बहुत सुंदर और सेक्सी हो. फिर अगले दिन मैंने उससे उसका मोबाईल नंबर माँगा, तो उसने अपना मोबाईल नंबर भी दे दिया. अब हम लोग रोज फोन पर घंटो बातें करने लगे थे.

फिर एक दिन मैंने उससे कहा कि में उससे मिलना चाहता हूँ, तो वो मान गयी और हमने मिलने की जगह और टाईम फिक्स किया, वो जगह थी राजस्थान की एक फेमस वर्ली स्टेशन और टाईम शाम का 7 बजे का था.

फिर हमने एक दूसरे को अपना ड्रेस कोड बताया, मेरा ड्रेस कोड ब्लेक पेंट और लाईट पिंक शर्ट था और उसका ड्रेस कोड स्काई ब्लू जीन्स और वाईट टी-शर्ट था और फिर में उससे मिलने वर्ली स्टेशन पहुँच गया. अब मुझे डर भी लग रहा था तो में नेवी ब्लू पेंट और शर्ट वाईट पहनकर चला गया. अब में वर्ली स्टेशन के ब्रिज पर खड़ा था, तो तभी मेरी नजर एक लड़की पर पड़ी, जो बार-बार अपनी घड़ी देख रही थी, उसने ब्लू जीन्स और वाईट टी-शर्ट पहन रखी थी, लेकिन अब मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि उसके पास जाऊं और कहूँ कि में ही देवा हूँ.

फिर मैंने देखा कि वो अपने मोबाईल से फोन करने लगी, तो मेरा मोबाईल बजने लगा. फिर उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने भी उसे देखा और फिर उसने अपनी नजर हटा लिया और मोबाईल को अपने कानों से लगा लिया. अब तक में समझ चुका था ये एकता ही है.

फिर मैंने अपना कॉल उठाने का बटन दबाया, तो उधर से आवाज़ आई देवा तुम कहाँ पर हो? में एक घंटे से तुम्हारा इंतजार कर रही हूँ अगर तुम नहीं आ रहे हो तो में चली जाती हूँ. तो यह बात सुनते ही मुझे गुस्सा आ गया तो में सीधे उसके पास चला गया और बोला कि क्या कहा तुमने तुम एक घंटे से यहाँ आई हो? में तुमसे पहले से ही यहाँ खड़ा हूँ और में तुम्हें कब से देख रहा हूँ?

फिर इस बात पर वो ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी और बोली कि में जानती हूँ अगर में ऐसा नहीं बोलती तो तुम मेरे पास नहीं आते, तो इस बात पर में भी मुस्करा दिया. अब में आपको एकता के बारे में बता दूँ, वो बहुत ही सुंदर थी, उसकी हाईट लगभग 5 फुट 2 इंच थी और फिगर 36-26-36 होगा. मुझे तो वो एक नजर में ही अच्छी लगी थी, अब मुझे तो ऐसा लगा कि बस अब तो पूरी जिंदगी इसके साथ ही गुजारनी है. फिर हम वर्ली स्टेशन के बाहर आए और मैंने उससे पूछा कि कहाँ चलोगी? तो उसने जवाब दिया कि कहीं भी ले चलो.

मैंने उसे अपनी बाइक पर बैठा लिया और उसे एक रेस्टोरेंट में ले गया और फिर हम बातें करने लगे. फिर उसने मुझे बातों ही बातों में बताया कि वो मुझे पसंद करती है. तो मैंने भी उससे बोल दिया कि में भी उसे पसंद करता हूँ.

फिर अचानक से वो चुप हो गयी और रोने लगी, अब उसकी आँखों से आँसू आने लगे थे. फिर मैंने उससे पूछा कि क्या बात है? तो उसने मुझसे कहा कि मैंने तुमसे एक झूठ कहा था. तो मैंने पूछा कि क्या झूठ? तो उसने बताया कि में शादीशुदा हूँ और मेरी उम्र 24 साल है, तो मुझे जैसे एक ज़ोरदार झटका सा लगा.

फिर उसने मुझे आगे से बताया कि मेरी शादी मेरे घरवालो ने जबरदस्ती एक लड़के से करा दी थी, जो दिमाग से कमजोर (पागल) है, में उसके साथ नहीं रहना चाहती प्लीज मुझे यहाँ से निकालो, मेरा उस पागल से पीछा छुडाओं.

फिर एक बार तो मुझे उसके ऊपर बहुत गुस्सा आया, लेकिन मुझे उसके ऊपर तरस भी आ रहा था. फिर कुछ देर सोचने के बाद मैंने उससे कहा कि ठीक है में तुम्हारी मदद करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन मुझे क्या मिलेगा? तो उसने कहा कि में तुम्हारी हमेशा के लिए हो जाउंगी.

फिर मैंने कहा कि लेकिन तुम्हारी तो शादी हो चुकी है, तो उसने कहा कि में अभी तक कुँवारी हूँ, उस पागल ने मुझे अभी तक छुआ तक नहीं है, उसे तो यह भी नहीं पता है कि सुहागरात क्या होती है?

मैंने कहा कि में कैसे मान जाऊं कि तुम कुँवारी हो? तो उसने कहा कि तुम मुझसे शादी करो और सुहागरात मनाओ, अपने आप पता चल जाएगा.

फिर मैंने कहा कि नहीं में तुमसे अब शादी नहीं कर सकता, तुम मेरे साथ बिना शादी के रह सकती हो. तो उसने कहा कि नहीं ये नहीं हो सकता. फिर मैंने कहा कि मेरे घरवाले नहीं मानेंगे कि में किसी शादीशुदा लड़की से शादी करूँ.

फिर कुछ देर सोचने के बाद वो मान गयी, तो उसने कहा कि ठीक है, लेकिन मेरी कुछ शर्ते है, तुम मुझसे हमेशा प्यार करोंगे, मेरी सारी जरूरतो को पूरा करोंगे, मुझे अपनी पत्नी की तरह ही रखोंगे. तो मैंने उसकी सारी शर्ते मान ली (आप सबको लग रहा होगा यह सब एक ही मुलाकात में संभव नहीं है, लेकिन ऐसा ही हुआ था, शायद यह सब उस लड़की की मजबूरी थी) फिर मैंने एक अच्छे से वकील से उसका तलाक करवा दिया और उसे एक किराए पर फ्लेट दिला दिया. अब वो मेरी हो चुकी थी, लेकिन मैंने अभी तक उसे टच तक नहीं किया था.

फिर मैंने उससे कहा कि अब तो तुम मेरी हो, अब तो मेरे पास आ जाओ.

फिर वो मुझसे लिपट गयी, तो मैंने उसे गोद में उठा लिया और उसे बेडरूम में ले गया. फिर मैंने उससे कहा कि तुम्हें कैसा लग रहा है? तो उसने कहा कि बहुत अच्छा, आज से आप मेरे स्वामी हो और में आपकी दासी हूँ और फिर मैंने उसे धीरे-धीरे गर्म करना शुरू किया. फिर पहले मैंने उसे चूमना शुरू किया और फिर मैंने पहले उसके लाल-लाल गालों पर चुंबन लेना शुरू किया.

अब मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए थे और उसके रसीले होंठो को चूसने लगा था, उसके होंठ सचमुच में बहुत ही रसीले थे. फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी, तो उसने भी अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. फिर में उसके बूब्स को धीरे-धीरे दबाने लगा और अभी हम बेड पर बैठे थे इसलिए ठीक से कुछ जम नहीं रहा था.

फिर मैंने उसकी टी-शर्ट और जीन्स उतार दी और अब वो मेरे सामने पेंटी और ब्रा में थी. फिर मैंने उसे बेड पर लेटा दिया और उसे फिर से चूमना शुरू किया. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी और वो बीच-बीच में सिसकारियाँ भी ले रही थी. फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी ब्रा और पेंटी भी उतार दिए, अब वो बिल्कुल नंगी थी.

फिर उसने मुझसे कहा कि मुझे तो नंगा कर दिया और खुद कब नंगे होंगे? तो मैंने भी जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके ऊपर आ गया. अब में उसके बूब्स को सहलाने और दबाने लगा था, अब वो गर्म हो चुकी थी. फिर में धीरे-धीरे उसे चूमते हुए उसकी टांगो के बीच में आ गया और उसकी टांगो को फैलाकर उसकी चूत को चाटने लगा.

अब उसके मुँह से आवाजे आने लगी थी ईईएसस्स्स्स्सस्स और जोर से, आहह, आहह. फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी तो कुछ ही देर के बाद एक नमकीन सा गाड़ा पानी उसकी चूत से बहने लगा, तो में उसका सारा पानी पी गया. फिर में उठा और अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह के पास लाया और उससे कहा कि इसे अपने मुँह में लेकर चूसो.

फिर उसने कहा कि मुझे लंड चूसना नहीं आता है. तो मैंने कहा कि आइसक्रीम की तरह चूसो, तो उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी.

अब मुझे ऐसा लग रहा था कि में स्वर्ग में हूँ, अब एक बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की मेरा लंड चूस रही थी और मैंने ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था. फिर कुछ देर के बाद में उसकी टांगो के बीच में आ गया और अपने लंड का सुपड़ा उसकी चूत पर रखकर एक धीरे से एक धक्का मारा, तो वो चिल्लाने लगी कि देवा प्लीज इसे बाहर निकालो, ये बहुत बड़ा है, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज इसे बाहर निकालो, आाआईईईईईईईई में मर गयी. फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं होगा और तुम्हें इस दर्द के बदले जो खुशी तुम्हें मिलने वाली है वो इस दर्द से बहुत ज़्यादा है.

फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर रखकर एक ज़ोर से धक्का लगाया तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और फिर कुछ देर रुककर मैंने और एक धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला गया. अब में उसे धीरे-धीरे चोदने लगा था, फिर कुछ देर तक चोदने से उसे भी मज़ा आने लगा.

अब में उसे और जोर-जोर से चोदने लगा था और अब वो भी अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ देने लगी थी. अब मेरा लंड एक जवान सुंदर लड़की की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था और फिर में उसे चोदता रहा, चोदता रहा, उसकी चूत इतनी टाईट थी कि में आपको बता नहीं सकता.

फिर करीब 30 मिनट तक चोदने के बाद मेरा घड़ा भर गया और मैंने एक ज़ोरदार झटके के साथ अपना सारा पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया. अब उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गयी थी, अब इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी. फिर मेरा लंड कुछ ढीला हुआ तो में उसके ऊपर से उठ गया तो मैंने बेड पर देखा कि बेडशीट पर खून गिरा था और मेरे लंड पर भी खून लगा था और उसकी चूत से भी थोड़ा खून बह रहा था. अब में समझ गया था कि ये लड़की कुँवारी है और मैंने ही इसकी सील तोड़ी है, अब एकता बहुत खुश थी.

फिर उस दिन मैंने उसे 3 बार और चोदा. अब तो वो मेरी रखैल बनकर रह गयी है, में तो उससे शादी करना चाहता था, लेकिन मेरे घरवाले इस रिश्ते को कबूल नहीं करते. में अब भी जब मेरा मन करता है उसके यहाँ जाता हूँ और उसे खूब चोदता हूँ, क्या करूँ? में इससे ज़्यादा कुछ भी नहीं कर सकता हूँ. में उससे शादी तो कर नहीं सकता और वो भी मेरी रखैल बनकर खुश है, में कम से कम उस पागल से तो अच्छा हूँ जो उसे चोद सके.

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पड़ोस की साली के साथ सेक्सी घटना | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/pados-ki-sali-ke-sath-sexy-ghatna.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/pados-ki-sali-ke-sath-sexy-ghatna.html#respond Mon, 28 Jan 2019 09:33:29 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14202 सर पकड़ के उसके मुँह में लंड अन्दर बाहर करने लगा. वो उसके बालों को जोर जोर से ऊपर खींच कर लंड को और अन्दर डालने लगा. श्रेया के मुँह में जोर जोर से धक्के देने लगा. रशीद का लंड श्रेया के मुँह में अन्दर तक चला गया. उसके लंड की टोपी पूरी पीछे करके सुपारा श्रेया के दांतों पे जुबान पे रगड़ने लगा. मेरे बालों को नोंचने और खींचने के बाद दोनों गाल बाहर से पकड़ कर लंड पर पकड़ जमा ली

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हाय फ़्रेंड्स आज मैं जो अप सभी को कहानी सुनने जा रहा हूँ वो कहानी नहीं बल्कि एक सच्ची मे हुई सेक्स की दस्ता है। आप इस कहानी को पूरा अंत तक पढे ओर अपने विचार विमर्श हमारे साथ शेयर करे। यह बात कुछ महीने पहले की है, मैंने और मेरे दो दोस्तों ने मिलकर हमारे मोहल्ले की एक लड़की के साथ खूब मस्ती की थी. उसी की ये कहानी है, बहुत बार हम कहानी पढ़ते हैं कि कोई लड़की, भाभी मिली, जो सेक्स के लिए तड़प रही हो और उसके साथ सेक्स किया, मगर हमारे जिंदगी में ऐसा नहीं होता. एक तो ऐसी लड़की मिलती नहीं, मिली तो सेक्स के लिए आसानी से तैयार होती नहीं और हमने कुछ करने की कोशिश की तो हंगामा अलग से होने का खतरा रहता है.

सच बताओ बहुत बार ऐसा ही होता है ना?

हम सिर्फ किसी की याद करके आहें भरेंगे और मुठ मारेंगे, शादीशुदा हो, या गर्लफ्रेंड होगी तो हमें जिसके साथ सेक्स करना है, उसे सोच कर उसके साथ सेक्स कर लो. मगर मेरी कहानी में हम जिस लड़की के लिए पागल थे, उसी को मना के बहला फुसला के सेक्स किया. पहले वो तैयार नहीं हुई, मगर हमने जैसे तैसे उसे राजी किया और मजे लिए.

इधर पहले मैं अपने बारे में बता दूँ, मेरा नाम मुकुंद है. मैं 34 साल का शादीशुदा बंदा हूँ.. पुणे में रहता हूँ. दिखने में मैं गोराचिट्टा हूँ, बॉडी भी मस्त है.. मतलब हीरो नहीं, पर कम भी नहीं हूँ. हमारे घर से थोड़ी दूरी पे श्रेया नाम की एक कमसिन कली रहती थी, जिसकी आठ महीने पहले शादी हमारे यहां रहने वाले एक मयंक नाम के एक मवाली किस्म के लड़ाके के साथ हुई थी, जो श्रेया ने घरवालों के खिलाफ जा के लव मैरेज की है. ये मयंक इधर उधर के काम और गुंडागर्दी करता था. उसके घर में श्रेया और मयंक दोनों ही रहते थे. मयंक शादी के बाद एक प्रायवेट कंपनी में रिकवरी का काम करता था, इसीलिए उसे बाहर भी रहना पड़ता था

जब ये शादी हुई तो हम लोग यही सोचने लगे कि ये फूल जैसी नाजुक और सुंदर सेक्सी परी ने इस जंगली भैंसे में ऐसा क्या देखा? जो प्यार कर बैठी.

श्रेया के बारे में भी कुछ लिख दूँ, ताकि आपको भी उसकी सुन्दरता का भान हो जाए. श्रेया सिर्फ 22 साल की है और बहुत ही अमीर खानदान से है. दिखने में वो एकदम सुंदर और मादक है. उसकी साईज भी 38-28-36 की होगी. उसकी स्किन एकदम गोरी नाजुक और मुलायम थी. होंठ ऐसे नाजुक कि रगडूँगा तो शहद गिर जाएगा. पूरी स्किन पर एक भी दाग नहीं.. बिल्कुल अजंता की मूरत की तरह तराशा हुआ जिस्म था. वो कपड़े भी सेक्सी पहनती थी. उसके हिप और मम्मे देख के ही हमारा पानी निकल जाता था.

हम मोहल्ले के सब लोग उस पे लट्टू थे और उसे जी भर के चोदना चाहते थे, मगर उसका पति बहुत ही हरामी था इसलिए लाईन नहीं मार सकते थे. लेकिन पीने बैठने के वक्त, चाय पे ठेले पे उसी की बातें करते थे और घर में आकर मुठ मारते थे.

मोहल्ले की औरतों का भी ग्रुप बना हुआ था, इसलिए धीरे धीरे श्रेया भी उसी ग्रुप में आने लगी. वो किटी पार्टी वगैरह में जाने लगी, इसलिए उसका मेरे घर में भी आना जाना शुरू हो गया.

वो मुझे जीजू और मेरी पत्नी को दीदी बुलाती थी. धीरे धीरे वो मेरी बीवी से बहुत बातें करने लगी और उसकी बातों से ही हमें पता चला कि वो इस शादी से इतनी खुश नहीं है, उसका पति मयंक सिर्फ हवस का पुजारी है. उसे सेक्स को छोड़ कर और कुछ नहीं दिखता. वो घर खर्च के लिए पैसे भी नहीं देता. इसी सब को लेकर उन दोनों में बहुत झगड़े भी शुरू हो गए थे. मयंक रोज शराब के नशे में श्रेया पे वहशी दरिन्दे की तरह टूट पड़ता था और वो दर्द और डर से कांपती रहती थी. उसने मेरी बीवी को मयंक के दांतों से काटने के निशान वगैरह भी दिखाये थे. मयंक भी उस पर बहुत शक करने लगा था. मयंक का बाहर भी चक्कर था और वो बाहर की लड़कियों को घर में ला के श्रेया के सामने चोदता था.. वगैरह वगैरह.

इतना सब होते हुए भी श्रेया का प्यार कम नहीं हुआ था. वो मयंक को बेइंतहा प्यार करती थी और कोई पूछता. तो बोलती थी कि मयंक कुछ भी करे. मैंने उससे प्यार किया है और मैं अपने प्यार से उसे बदल दूँगी.. अब यही मेरा नसीब है.

इसी लिए सभी औरतों ने मिलकर श्रेया को भी काम करने के लिए और खुद के पैरों पर खड़ा होने के लिए बहुत समझाया.

पर जब मयंक नहीं माना, तो श्रेया ने घर से ही किराना सामान का बिजनेस शुरू किया. वो फोन पे हल्दी, मिर्ची, चीनी, मसाला वगैरह चीजों का ऑर्डर ले कर डिलीवरी दे देती थी. हम सभी लोग उससे ही सब सामान लेते थे. इसी बहाने उसे मदद भी हो जाती थी और उसका दीदार भी हो जाता था.

पर मयंक ने हमारा मोहल्ला छोड़ के हमारे यहां से 3-4 किमी दूरी पर घर शिफ्ट कर लिया था. लेकिन श्रेया ने अपना बिजनेस नहीं छोड़ा था. वो ऑर्डर ले कर सभी जगह सामान पहुंचाती थी और मिले पैसों से घर चलाती थी.

अब उस हसीन रात की तरफ आता हूँ. उस दिन घने बादल छाये थे और जोर से बारिश का भी अंदाजा था. ऐसी वो मदहोश करने वाली शाम थी और हम मर्द अकेले थे. जैसे क्योंकि कुछ हुआ यूं मेरी हमारी मोहल्ले की औरतों ने आठ दिन का घूमने का प्लान बनाया था. ये सब ग्रुप बना कर प्रायवेट बस से निकलने वाली थीं. आठ दिन अपनी अपनी बीवियों से छुटकारा मिलेगा तो कौन पागल ना बोलेगा? सभी मर्द झट से मान गए.

उसी समय पे घर का सामान भी खत्म होने को आया था. मेरी बीवी को सामान मंगाने का ऑर्डर दिए चार दिन हो गए थे, लेकिन श्रेया आ नहीं सकी थी. तो जिस दिन औरतें निकलने वाली थीं, उसी दिन बीवी ने श्रेया को कहा कि आज सामान भेज दो.

श्रेया भी मान गयी और मेरी बीवी मुझे बोल कर चली गयी कि सामान लेकर रख देना. कामवाली बाई दूसरे दिन वो सब लगा देगी.

पूरे दिन श्रेया नहीं आयी तो शाम को मैंने मेरे जिगरी और कमीने दोस्तों को घर पे बुलाया और पीना शुरू कर दिया.

अब मैं मेरे दोस्तों का भी परिचय दे देता हूँ. एक था सुनील जो पुलिस में डीवाय एसपी है और दूसरा रशीद, जिसका स्क्रेप का बिजनेस है. हम बहुत जिगरी दोस्त हैं.

हमने शाम को मेरे घर पे पीना शुरू कर दिया. उसी समय बारिश भी जोर की शुरू हो गयी. हम बाल्कनी में ही मजा लेने बैठ गए और हंसी मजाक नॉनवेज जोक, अपनी बीवियों की बुराईयां करना, कुछ प्लान बनाना शुरू हुआ.. जैसे कि दोस्तों में अक्सर होता है.

जैसे ही दो दो पैग पूरे हुए और मजा आने लगा, तभी बीवी का फोन आ गया कि श्रेया थोड़ी देर बाद घर आ के सामान दे कर जाएगी, तुम सामान उतरवा लेना.

यह सुनते ही मेरी तो हवा निकल गयी, हम ऐसे इंटरनेशनल हालत में, कोई कच्छे में, कोई शॉर्ट में, मैं तौलिया लपेट के बैठा था, सभी ऊपर नंगे बदन ही बैठे थे. सभी सामान चखना बोतलें बिखरा हुआ था.
मालूम चला कि श्रेया आ रही है, ये बताते ही सब उछलने लगे. बोलने लगे कि साले मुकुंद तू रोज अकेले उसकी लेता है. तेरी वाईफ की वो फ्रेंड है आज हमें भी मौका दे.. जन्नत की सैर करेंगे.

उन दोनों ने श्रेया को ले कर गंदे जोक शुरू कर दिए और मैं भी उनकी मस्ती में शामिल हो गया. हम सभी श्रेया का इन्तजार करने लगे. बारिश इतनी तेज होने लगी थी कि सभी जगह पानी भर गया था और मुझे लगने लगा कि इतने तेज बारिश में श्रेया अब नहीं आएगी.

ये अभी सोच ही रहे थे कि उतने में डोरबेल बज गयी और श्रेया की आवाज आयी- जीजू, दरवाजा तो खोलो ना…
वो बेचारी इतनी बारिश में आयी थी, मैंने ऊपर कंधे पर दूसरा तौलिया डाल दिया और दरवाजा खोला तो बाहर श्रेया पूरी तरह से भीगी हुई खड़ी थी. वो पूरी तरह से भीग चुकी थी, उसके बालों में से कपड़ों में से पानी टपक रहा था. मेरे ख्याल से उसके ऊपर के कपड़े ही नहीं.. ब्रेसियर और चड्डी भी पूरी तरह से भीग गए होंगे.

वो ठंड से कांप रही थी. मगर दोस्तों … क्या माल लग रही थी, उसने गहरे लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो जिस्म पे चिपक कर ग़दर मचा रही थी. उसके ब्लाऊज में से उसके मम्मे ही नहीं, मम्मों के निप्पल्स भी उभर के दिख रहे थे. मैं तो उसे देखता ही रह गया.

तभी वो मुझे चिढ़ाने के अंदाज में बोली- क्या जीजू.. क्या चल रहा है.. दरवाजा खोलने में इतनी देर? दीदी नहीं तो दोस्तों की महफिल? बताऊं क्या दीदी को कि जीजू को सामान उठाने का भी होश नहीं था.
उसकी इस मस्ती पर मैं शरमा गया और हंस कर बाहर बंगले के पार्किंग में उसकी स्कूटर थी, जिस पर सामान की थैलियाँ रखी थीं, वो उठाने लगा. सभी जगह पे पानी भरा था.

मैं वो थैलियाँ अन्दर ले कर आया और पूछा- इतनी बारिश में आने की क्या जरूरत थी, मयंक को भेज देती.
वो बोली- मयंक आज ही टूर पे गया है, चार दिन बाद आएगा.
यह सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे.

हम दोनों मिल कर सामान अन्दर लाने लगे. अन्दर का नजारा देख के वो हंसने लगी और मेरे कमीने दोस्त उसे हवस भरी नजरों से देखने लगे.
तो वो बोली- लाईये जीजू मैं सब सामान किचन में रख देती हूँ. आपका प्रोग्राम चलने दो, अगर कुछ चाहिये होगा, तो बना के दे दूँगी.
मैं बोला- अरे नहीं श्रेया, तू पहले बदन पौंछ ले… मैं तुझे तेरी दीदी के कपड़े दे देता हूं, तू पहले चेंज कर, चाहे बाथरूम जाके गर्म पानी से सेंक ले ले.. तब तक मैं गर्म कॉफी बना देता हूं.
मैंने मेरा बेडरूम खोल के बाथरूम की लाईट को चालू कर दिया.

इसके बाद मैंने मेरी बीवी का एक सेक्सी सफेद रंग का ओपन नेकवाला ड्रेस वॉर्डरोब से निकाल लिया, जिससे ब्रेस्ट उभर के दिखाई देते थे.. जो उतारने में भी आसान था, उसे पीछे सिर्फ एक नॉट थी.

उसे वो ड्रेस देते समय एकदम जोर से बिजली कड़की और लाईट चली गयी, वो एकदम से डर गयी और मुझे पकड़ लिया.
मैंने बोला- घबराओ नहीं, मैं अभी इनवर्टर शुरू कर देता हूँ.

मैं चला गया, वो बाथरूम में चली गयी. इनवर्टर से हमारे बंगले की लाईट शुरू हो गई. कुछ देर बाद वो बाहर आयी, तब उस ड्रेस में वो इतना पटाखा माल लग रही थी. उसकी ब्रा और निक्कर लाल रंग की थी और ड्रेस सफेद, उसकी पूरी फिगर दिख रही थी.

मैंने उसे गर्म कॉफी थमा दी और उसे थोड़ी देर रुक के बारिश रुकने का इंतजार करने को बोला. वो मान गयी और बाहर आके मेरे साथ बैठ गयी. तब तक मेरे दोस्तों का तीसरा पैग भी खत्म हो गया था.

श्रेया मुझे ड्रिंक कंटीन्यू करने के लिए बोली और कहा- मैं कुछ बना के दे दूँ क्या?
मैंने ना बोल के उसके लिए टीवी शुरू कर दिया और दोस्तों के साथ चालू हो गया.

इधर फिर से दोस्तों की टुन्नी में गंदी बातें शुरू हो गईं- अरे उसे पकोड़े कवाब वगैरह बनाने के लिए बोल ना. हमें श्रेया कवाब खाना है.

तभी टीवी पे बारिश की न्यूज दिखाने लगे, पूरे शहर में पानी भरा था और रास्ते बंद होने लगे थे और बिजली का भी प्रॉब्लम हुआ था. ये सुनते ही श्रेया ने न्यूज देखने के लिए मुझे अन्दर बुलाया.
मैं अन्दर आ गया. मेरे पीछे रशीद भी आ गया और श्रेया के पीछे खड़ा हो गया. दो मिनट में सुनील भी न्यूज के बहाने आ गया. हम सभी सिर्फ शॉर्ट में थे, रशीद तो जानवर जैसा ही दिखने में सांड था.
वो सब श्रेया के आस पास थे, लेकिन अब भी श्रेया को कुछ गलत नहीं लग रहा था. या शायद वो भी कुछ मजे लेने के मूड में आ गई थी.

तभी मेरे हाथ में खाली ग्लास देख के श्रेया बोली- लाओ जीजू, मैं आपका पैग बना देती हूं.
उसके पैग बनाए जाने के बाद देखा तो सभी के लौड़े तने हुए थे.

रशीद बोला- अबे मुकुंद कुछ भी जुगाड़ कर.. इसे पटा, इसपे टूट पड़ना है, कंट्रोल नहीं होता रे अब.

तभी वो आ गयी, मैंने मेरे दोस्तों का परिचय करवा दिया और वो सभी से हंस के बोलने लगी. उसने रशीद का भी पैग बनाया. हम सिर्फ मौके की तलाश में थे.

तभी रशीद बोला- श्रेया जी, पूरे शहर में पानी भर गया है, शहर की बिजली भी चली गयी है, अब आप घर कैसी जाओगी?
मैं बोला- श्रेया डोंट वरी … कुछ प्रॉब्लेम हो, तो यहीं रुक जा.. इतना बड़ा बंगला है. तू ऊपर के बेडरूम में सो जाना और कल उठ के चली जाना.
कुछ हाँ ना करते हुए वो मान गयी.

हमने सोचा मछली फंस गयी, सिर्फ अब पकाना बाकी है. मेरे दोस्तों ने उसकी तारीफ करना शुरू किया, वो भी हमारे पैग बनाने लगी.
सुनील ने उसे ड्रिंक ऑफर की लेकिन उसने ‘मैं नहीं पीती…’ बोल के टाल दिया.
सुनील बोला- जी.. आप खुद अपने आप में ही शराब हो, तो ऐसे शवाब को और शराब जरूरत ही क्या है?
ये सुनते ही श्रेया शरमा गयी और कहने लगी- क्या सर… कुछ भी बोलते हो.

बस हमारी बातें और रंग लाने लगीं. वो भी घुलमिल गई, तालियां देना, उसे छूना आदि भी शुरू हो गया.
वो पैग बनाने लगी. तभी रशीद ने पूछा- श्रेया, तुम्हारी उंगलियां ग्लास में डूबी थीं क्या?
वो बात समझी नहीं, तो बोली- नहीं.. पर क्यों?
रशीद बोला- अगर नहीं डूबी थीं, तो मेरा जाम इतना कड़क कैसे हो गया.. साला चढ़ने लगा.
तभी सुनील बोला- अरे वाह … उंगलियों में इतना नशा है.. अगर ग्लास को होंठों से लगा कर देती तो हम मर ही जाते. सिर्फ श्रेया जी हमारे ग्लास को अपने होंठों का जाम लगा कर दे दो प्लीज़. हमें भी आपकी खूबसूरती का नशा करने दो.
श्रेया बिंदास हंसने लगी.

तभी रशीद ने चैनल चेंज करके मूवी चैनल लगा दिया. एक सेक्सी मूवी चल रही थी, उसका हॉट सीन चल रहा था. यह देख कर और हमारी बातें सुन के श्रेया थोड़ी सहम गयी. लेकिन बाद में हमने उस सीन पे बोलना शुरू किया और नॉनवेज, डबल मीनिंग बोलना शुरू किया.

हम सभी श्रेया के बहुत ही करीब आ गए थे, पीछे से रशीद का तना हुआ लंड श्रेया के पीठ को टच करने लगा और सुनील उससे चिपक कर बैठ गया. वो कुछ समझ नहीं पा रही थी, तभी रशीद ने उसके बालों को सहलाते हुए उसके बालों की तारीफ करना शुरू किया और सुनील बदन की खुशबू लेने लगा.
यह देख के श्रेया डर गयी और बोली- जीजू, प्लीज रोको इन्हें.. ये क्या कर रहे हैं?
मैंने उसके कंधे जकड़ कर बोला- श्रेया डर मत.. आज हमारा साथ दो, हम जबरदस्ती नहीं करेंगे, प्यार करने दो … तुम्हें बिल्कुल तकलीफ नहीं देंगे.. फिर तेरी मर्जी.

मैंने उसके मम्मे पकड़ कर उसे कस के हग किया. तभी रशीद उसकी पीठ को चूमने लगा और मैंने गले को किस करना शुरू किया. न जाने क्यों मुझे लग रहा था कि भी यही सब चाहती है.
तभी सुनील ने उसे समझाया- हमें तो तुझे चोदना है.. तू भी एंजॉय कर न.
वो कहने लगी- मयंक को पता चला तो वो मेरा बुरा हाल करेगा, दीदी को कैसे मुँह दिखाऊंगी.
मैं बोला- वो तू मुझ पे छोड़ दे.. हमें तीनों के अलावा किसी को खबर नहीं होगी.

मैं श्रेया के मन की बात समझ गया था कि साली चुदने को ही फिर रही है बस ड्रामा कर रही है.

इस चुदाई की कहानी का पूरा मजा आपको अगले भाग में मिलेगा.

मेरे मोहल्ले की शादीशुदा हॉट गर्ल श्रेया को हम तीन दोस्तों ने चुदाई के लिए राजी कर लिया था. बस वो थोड़े नखरे दिखा रही थी.
अब आगे …

मैं श्रेया के पेट को किस करने लगा और उसकी योनि को कपड़े के ऊपर से किस बाईट करना शुरू किया. अब तक वो भी मादक सिसकारियां भरने लगी थी. फिर भी दिखावे के लिए छटपटा रही थी और बोल रही थी- ये गलत है, मयंक मुझे नहीं छोड़ेगा.
यह सुनते ही पुलिस वाले दोस्त सुनील बोला- डर मत … मयंक ने कुछ किया तो मैं हूँ ना. मैं देखता हूँ. तू सिर्फ हमारा साथ दे, कुछ नहीं होगा … आज तू भी मजे ले ले.
अब श्रेया को समझ आ गया था कि शायद हम उसे नहीं छोड़ेंगे, तब बोली- जीजू जो भी करना है आहिस्ता और प्यार से करो, मयंक जैसा दर्द मत दो … और तुम तीन लोग करोगे तो मेरा क्या होगा … सोचो ना प्लीज.

उसके मुँह से ये सुनते ही हम सबके लंड हिनहिनाने लगे. वाह और लंड को क्या चाहिए था अब … नेकी और पूछ पूछ … जिसकी चुदाई के सपने देखते थे, वो हमारे सामने चूत देने को राजी हो गई थी.
ये सुनते ही रशीद बोला- अरे तू ऐसी है कम से कम दस बार चोदने के बाद भी तेरा जादू बढ़ता ही रहेगा, तू डर मत.
श्रेया- प्लीज ऐसी बात मत करो ना, दस बार से तो मेरी हालत खराब हो जायेगी, मेरे बारे में भी सोचो ना. जीजू प्लीज आप ही समझाओ ना. प्लीज जीजू मेरी हालत बुरी मत करना, मुझे चलने फिरने के काबिल तो छोड़ो … और प्लीज पहले आप करो, जो भी करना है.

ये सुनते ही मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर उसके टमाटर जैसे गालों को चुम्मी करना, काटना शुरू कर दिया और होंठों पे होंठ रख के फ्रेंच किसिंग शुरू कर दी. रशीद ने पीछे से पीठ को, गले को गांड को चूमना शुरू किया. सुनील उसकी योनि को चाटने लगा.

रशीद ने पीछे से दांतों से उस ड्रेस की नॉट को निकाला और वो ड्रेस निकल गई. उसका वो मादक बदन देख के मैं तो देखता ही रह गया. क्या संगेमरमर जैसा बदन था, बदन पे लाल ब्रा खूब जंच रही थी. वो उसकी ब्रा भी सिर्फ निप्पलों ही मुश्किल से ढक पा रही थी, उसके बड़े बड़े मम्मे उछल रहे थे.

वो देख कर मेरे पहले सुनील ने ही उसकी ब्रा खींच कर निकाली और दूर फेंक दी. सुनील ने इतनी जोर से ब्रा खींची थी कि उसकी ब्रा के दो टुकड़े हो गए और हुक्स बिखर गए. ब्रा हटते ही सुनील श्रेया के मम्मों पे टूट पड़ा. वो श्रेया का एक चूचा अपने हाथों से रगड़ने लगा और दूसरा मुँह में लेकर खाने लगा.

मैंने ऊपर का मोर्चा संभाला. उसके होंठों का रसपान फिर से शुरू किया. मैंने पहले उसके ऊपर का होंठ चूसना शुरू किया, फिर नीचे का होंठ अपने होंठों में दबा आकर हल्का सा चुभलाने लगा. उसका मुँह खुला तो मैं अपनी जुबान उसके मुँह में अन्दर तक डाल कर फिराने लगा.
मेरी जुबान उसकी जुबान पर चलने लगी थी. उसको भी मजा आने लगा था.

फिर मैंने दोनों होंठ उसके मुँह में अन्दर डालकर उसके रस को पीना शुरू कर दिया. मैं पूरी ताकत से उसके होंठ अपने होंठों से लगा कर चूमने का मजा ले रहा था. मैंने उसकी जुबान मेरे होंठों से खींच कर अपने मुँह में ले ली और उसकी जुबान को चूसना शुरू कर दिया.

उसकी जुबान एकदम गुलाबी मुलायम थी, मैं उसे दांतों से हल्का रगड़ने लगा, जोर जोर से चूसने लगा. वो भी मेरी जुबान से खेलने लगी. तभी नीचे रशीद ने उसकी चड्डी खींच कर फेंक दी थी. देखा तो उसकी चूत इतनी नाजुक और मुलायम और शेव की हुई थी कि लंड की माँ चुद गई.

उसके होंठों जैसे ही सुंदर नाजुक चूत पर रशीद टूट पड़ा. वो अपनी जुबान से चूत सहलाने लगा. तो श्रेया सिसकारियां लेने लगी. रशीद धीरे धीरे अन्दर श्रेया की चूत में अपनी जुबान डालने लगा और श्रेया की चूत के अन्दर उसकी यौनमणि को उसने अपने होंठों में पकड़ कर कसके होंठों से मींजते हुए खींचा तो वो मीठे दर्द से चिल्ला उठी.

उधर सुनील जो उसके मम्मे चूस रहा था, श्रेया उसके बाल नोंचने लगी. श्रेया के मम्मे इतने बड़े थे कि सुनील के हाथ में और मुँह में समा ही नहीं रहे थे.

श्रेया मेरे बदन में नाखून घुसाने लगी, मेरे होंठों को दांतों से काटने लगी, तभी उसकी योनि चाटते हुए रशीद उल्टा फिर गया और अपना लंड उसके मुँह में डालने लगा. रशीद का लंड सात-आठ इंच का लम्बा और बहुत ही मोटा व झांटों से भरा हुआ था.
ये देखते ही वो चिल्लाने लगी- छी: कितना गंदा है ये, बदबू है इसमें, ये में बिल्कुल नहीं करूँगी, मुझे नहीं करना … प्लीज जीजू रोको इनको.
रशीद अपना लंड श्रेया के मुँह में डालने की कोशिश करने लगा.

तभी श्रेया कलपते हुए बोली- मैं पहले जीजू का लंड लूंगी.
यह सुन कर मैं आगे आया. मेरा लंड छह इंच का गोरा और शेव किया हुआ साफ सुथरा रहता है. अपने चिकने लंड को मैं उसके मुँह में डालने लगा और 69 में आके उसकी चूत को चाटने लगा. जैसे ही मैं श्रेया की चूत को अन्दर तक चाटता, वैसे वो मेरे लंड को चूसने लगती, मुँह में ले कर अन्दर बाहर करने लगती.

वो मेरे लंड की टोपी को पीछे करके सुपारे को चाटने लगी, लंड को होंठों में दबा कर हल्का सा बाईट करने लगी. मैं उसकी चुत में अन्दर तक चाटने लगा और कुछ ही देर में उसने अपनी चूत से पानी छोड़ दिया.

इसी बीच रशीद अपना एक और पैग खत्म करके आ गया और बोला- अब मैं इस गजब माल को चोदता हूँ.
वो श्रेया के पीछे आ गया … श्रेया नीचे बैठ कर मेरे लंड को कैंडी की तरह चूस रही थी. मैं उसके मुँह को चोद रहा था. सुनील उधर खड़ा होकर श्रेया को मेरा लंड चूसते हुए देख रहा था, साथ ही पैग लेते हुए वो मुठ भी मारने लगा था.

रशीद अपना लंड श्रेया की पीठ पे फिराने लगा … उसके चूतड़ों को मसलने लगा. फिर रशीद श्रेया के चूतड़ों को किस और बाईट करने लगा. उसके चूतड़ों पर नीट शराब डाल कर चाटने लगा. उसके नाजुक गोरे चूतड़ों पर रशीद के दांतों के निशान बन गए.

तभी मैं झड़ने लगा, मैं बोला- श्रेया, मेरा पानी निकलने वाला है.
लेकिन श्रेया मेरे लंड को चूसती ही रही और मैंने सब पानी उसके मुँह में ही छोड़ दिया. उसने बड़े मजे से मेरे लंड के रस को निगल लिया और फिर से चूसना चालू रखा. इससे मेरा लंड पांच मिनट में ही फिर से तन गया.

अब मैंने और रशीद ने उसे उठा के खड़ा किया. श्रेया ने मेरे बदन को, कंधे को, चेस्ट को किस करना और काटना शुरू किया. श्रेया ने अपनी चूत मेरे लंड के सामने खोल दी. उसने रशीद के लंड को दरकिनार कर दिया, वो बोली- पहले जीजू का अन्दर जाएगा.
यह सुनकर रशीद की खोपड़ी भन्ना गई, लेकिन मैंने रशीद को इशारे से समझा दिया कि लौंडिया किधर जाएगी, साली को पूरी रात चोदेंगे.

अब मैंने अपना लंड श्रेया के चुत में फिट कर दिया और पीछे रशीद ने श्रेया की गांड के छेद पे अपना लंड रख दिया. हम दोनों ने श्रेया की चुदाई का काम शुरू किया. मैंने लंड फंसा कर रशीद को आँख मारी तो रशीद ने श्रेया की गांड में लंड का झटका लगा दिया. श्रेया जोर से चिल्लायी. उसके छटपटाहट से लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

मैंने पास रखी मेरी केवाई जैली उसे दे दी. उसने जैली को लंड पे लगाया और मैंने भी फिर से काम शुरू किया. हल्के हल्के धक्के देना शुरू किए, लेकिन रशीद जोर जोर से धक्का देने लगा … तो श्रेया चिल्लाने लगी थी, वो छटपटा रही थी.

तभी रशीद ने इतना जोर का झटका दिया कि उसका लंड श्रेया की गांड को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया. दर्द के मारे श्रेया जोर से चिल्ला उठी. मैंने अपने होंठों से उसका मुँह बंद किया और झटके से अपना भी लंड अन्दर डाल दिया. थोड़ी देर के दर्द के बाद श्रेया भी दोनों छेदों में लंड का मजा लेने लगी.

उसने बताया कि मयंक ने उसकी गांड को खूब बजाया था, इसलिए उसका पिछवाड़ा खुला है. लेकिन दोनों तरफ से लंड पहली बार घुसा है तो दर्द हुआ था.

कुछ ही देर में रूम कामुक आवाजों से भर गया था. श्रेया मजा ले रही थी- आहह जीजू मजा आ रहा है … और अन्दर तक करो ना … आह … जोर से करो … आहह रशीद साले दर्द मत दो … आहहहह प्लीज … उई माँ …
थोड़ी देर बाद रशीद झड़ गया और बाजू में जा के नशे में टुन्न हो कर गिर गया और मैं श्रेया की चूत को चोदता ही रहा. इतने में श्रेया ने दो बार पानी छोड़ा और फिर मैंने भी अपना वीर्यदान श्रेया को कर दिया और हम दोनों थक कर गिर गए.

श्रेया के बदन पे एक भी पॉइंट ऐसा नहीं था, जहां हमने किस या बाईट ना किया हो. उसकी जवानी का और बदन का पूरा लुत्फ़ उठाया.

तभी हाथ में ग्लास लिए सुनील आया और श्रेया को बांहों में लेने लगा, श्रेया की तो जान निकल गयी थी. सुनील ने अपना ग्लास श्रेया के होंठों से लगा के पिला दिया … श्रेया एकदम से उठ गयी और थूकने लगी, बोली- ये क्या पिला दिया, इसमें कतरा सा क्या मिलाया है?
सुनील हंसने लगा, मैंने देखा था सुनील ने मुठ मार के अपना वीर्य दारू में मिक्स करके श्रेया को पिला दिया था.

कुछ ही देर में सुनील ने दूसरा पैग भी श्रेया को पिला दिया. जिससे श्रेया के मुँह का स्वाद ठीक हो गया और उसको नशा छा गया. तभी सुनील ने अपना लंड श्रेया के मुँह में डाल दिया, इस वक्त श्रेया एकदम चुदासी हो गई थी, उसको नशे में कुछ नहीं सूझ रहा था. वो सुनील के लंड को चूसने चाटने लगी.

सुनील का लंड बहुत ही बड़ा था, श्रेया के मुँह में पूरा जा ही नहीं रहा था, श्रेया साँस ही नहीं ले पा रही थी. यह देख के श्रेया बोली- सुनील सर, मेरी हालत बहुत खराब है … मैं चल भी नहीं पा रही हूँ और आपका ये मूसल लंड मेरी चूत फाड़ देगा … प्लीज आप मत करो ना.

यह सुनकर सुनील ने बोतल में बची हुई शराब श्रेया के मुँह में लगा कर उसे नीट ही पिला दी. अब जैसे श्रेया को जैसे ही नशा चढ़ा और उसे दिखना बंद हुआ तो सुनील ने उसे हल्के हल्के से चोदना शुरू कर दिया. श्रेया की सिर्फ ‘आह … उह्ह …’ की आवाजें आ रही थीं. वो मस्ती में बके जा रही थी- ओ प्लीज … आहाहह हहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… नो … अब बस भी करो … ऊयी माँ … उंउऊ … आहहहह … बहुत बड़ा है … मुझसे सहा नहीं जा रहा सुनील सर बस करो ना … मेरी चूत फाड़ ही दोगे क्या? प्लीज़ जानवर मत बनो ना … मुझ पर रहम करो … इहह … आहाहह … जीजू कहां हो? प्लीज अब बस भी कर दो.

लेकिन सुनील ने एक नहीं सुनी और वो उसे चोदता ही रहा. बाद में वो झड़ कर श्रेया के ऊपर ही ढेर हो गया. उसके बाद फिर एक बार रशीद ने श्रेया के मुँह में लंड डालने की ख्वाहिश पूरी कर ली, उसके मुँह में अपने झांट युक्त लंड डाल ही दिया. रशीद ने श्रेया को उठा के सोफे पे बिठा दिया और सर पकड़ के उसके मुँह में लंड अन्दर बाहर करने लगा. वो उसके बालों को जोर जोर से ऊपर खींच कर लंड को और अन्दर डालने लगा. श्रेया के मुँह में जोर जोर से धक्के देने लगा. रशीद का लंड श्रेया के मुँह में अन्दर तक चला गया. उसके लंड की टोपी पूरी पीछे करके सुपारा श्रेया के दांतों पे जुबान पे रगड़ने लगा. मेरे बालों को नोंचने और खींचने के बाद दोनों गाल बाहर से पकड़ कर लंड पर पकड़ जमा ली और श्रेया का मुँह आगे पीछे करने लगा.

श्रेया कुछ भी रिएक्ट नहीं हो रही थी. बाद में लंड बाहर निकाल कर लंड पे शराब डाली और फिर मुँह में ठूंस दिया. इस बार वो इतनी जोर से श्रेया का मुँह चोदने लगा कि श्रेया आहें भरने लगी. उसकी ‘आ …आं …’ की आवाज आने लगी.

श्रेया की हालत सच में बहुत बुरी हो चली थी. मगर वो कुछ भी कर नहीं सकती थी. फिर कुछ देर बाद रशीद ने अपने लंड का पूरा पानी श्रेया के मुँह में डाल दिया. श्रेया का मुँह वीर्य से भर गया. श्रेया ने वो बाहर थूक दिया. इस मुखचोदन में श्रेया के रेशमी बालों पे, गालों पे, लगभग सारे बदन पर ही रशीद ने अपना वीर्य गिराया था … इतनी भारी मात्रा में वीर्यपात हुआ था.

रशीद झड़ने के बाद भी शांत नहीं हुआ था. वो एक बार फिर से श्रेया के मम्मों को मसलने लगा और उसके निप्पलों को मरोड़ने लगा. वो आटे की तरह मम्मों को गूँथ रहा था. फिर उसने श्रेया के एक मम्मे को अपने मुँह में खींचा तो उसका पूरा चूचा तो मुँह में समा ही नहीं रहा था. रशीद श्रेया के मम्मे को आम समझ कर उसका रसपान करने लगा … और चूसते हुए मसलने लगा.

श्रेया सिर्फ ‘आह आं …’ करती रही, अपनी छाती श्रेया के मुँह पे रखके रशीद अपने सीने के निप्पलों को श्रेया के होंठों से किस करवाने लगा. साथ ही श्रेया की बांहों को काटने लगा.

इतना गर्म सीन देख कर हम दोनों भी पास ही आ गए. हम दोनों ने श्रेया के दोनों हाथ कसके ऊपर उठा लिए और उसकी बगलों के बीच में मुँह डाल कर उसको चाटने लगे. उसकी बगलें उसके गालों की तरह मुलायम और गोरी चिट्टी थीं, उनमें एक भी बाल या बाल के निशान नहीं थे.

ये देख कर एक बाजू सुनील और दूसरी में मैं उसकी बांहों को किस करने लगे और उत्तेजना बढ़ने पर उसे काटने लगे. हम दोनों बड़ी बेताबी से अपनी जीभ फेरने लगे. इससे श्रेया मचलने लगी.

रशीद ने अब खुद के सीने को श्रेया के मुँह से निकालकर फिर अपना तना हुआ मोटा काला लंड उसकी चुत पे सैट करके हैवानों जैसे जोर से अन्दर धकेलने लगा.

इधर मैं और सुनील पागलों के जैसे श्रेया के गले को, कंधों को, बांहों को, बगलों को, पीठ को, जांघों पर किस करते रहे. हम दोनों अपनी जीभों और दांतों से उसके बदन का मर्दन करते रहे.

इतने में रशीद ने बेरहमी से अपना पूरा लंड श्रेया की चुत के अन्दर डाल दिया. इतनी थकी हालत में भी श्रेया दर्द से जोर से चीख उठी. उधर रशीद भी इतनी जोर से चुदाई करने लगा कि सोफा हिलने लगा.
जब रशीद अपने लंड को बाहर निकालता तो श्रेया एकदम से ऊपर को उठ जाती और जब अन्दर तक डालता, तब नीचे गिरके रशीद के भारी भराकम शरीर के नीचे दब जाती.

श्रेया की पूरी चुत यूं समझो कि रशीद ने फाड़ ही दी और अंत में अपना माल गिरा कर श्रेया की साईड में गिर कर ढेर हो गया.

कुछ देर बाद रशीद और सुनील चले गए. उसने जाने के थोड़ी देर बाद मैं श्रेया को अपनी बांहों में उठा कर बेडरूम में ले गया. उसे चला भी नहीं जा रहा था. मेरी बांहों में बांहें डाल कर वो परी सो गयी.

सुबह जब श्रेया की आंख खुली तो उसने मुझे जगाया. उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था. बेचारी के मुँह में और चुत में तीन बार, पीछे से एक बार ठुकाई के बाद जान निकल गयी थी.

मैंने उसे हल्का मसाज दिया और फिर दोनों एक साथ नहाये और वो तैयार हो गयी. मगर उसे चलने में प्रॉब्लम हो रही थी.

मैंने श्रेया को दिल से थैंक्स बोला और उसने भी मुझे कसके हग करके लिपलॉक करते हुए एक लम्बा किस दिया.
फिर वो बोली- जीजू फिर कब मिलोगे?
मैंने बोला- तुम फिर कब आओगी? शाम को फिर आओ ना …!
वो हंस के बोली- आई विल ट्राय बट जीजू … तुम अकेले ही रहना, मैं सिर्फ आप के लिए आऊंगी.
मैंने उसे चूम कर हां कह दिया.

वो सच में शाम को आ गयी और हम दोनों ने अलग अंदाज में एंजॉय किया.

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फौजी अंकल से रात भर खुब चुदी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/fauji-uncle-se-raat-bhar-khub-chudi.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/fauji-uncle-se-raat-bhar-khub-chudi.html#respond Sat, 26 Jan 2019 09:52:02 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=14197 एक दूसरे की चुत, गांड और लंड को चूस रहे थे. जिसे देख कर मेरी चुत गीली होने लग गई. मैने अपना हाथ अपनी पेंटी मे डॉल लिया और अपनी छूट को मसलने लग गई थी. मेरी चूत पहले से ही अपना काफ़ी पानी निकाल दिया था

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मेरे प्यारे दोस्तो मै पुजा गोरखपुरी एक बार फिर से आप सभी को हार्दिक बधाई मेरी ये कहानी जनवरी की मेरी दुसरी  कहानी है. ये कहानी मेरे जीवन के सब से अच्छे  सेक्स पर आधारित है. किस्मत से मेरी लाइफ का मेरा पहला सेक्स बहुत ही ज़्यादा हार्ड था. जिससे मुझे चुदाई वो मज़ा मिला, जो मज़ा आम लड़कियो को शायद न्ही मिल पाता.

तो फिर अब देर किस बात की, चलिए कहानी को शुरू करते है.

मेरी उम्र उस टाइम 19 साल थी, और मेरे उपर पूरी जवानी आई हुई थी. मेरे उपर मेरे मोहल्ले के सारे लड़के मरे फिरते थे. सब मेरी गांड मे अपना लंड डालना चाहते थे. क्योकि मेरी गांड बहुत मस्त थी, मेरा फिगर उस टाइम 32-26-34 था. ज़िसे देख कर सब के लंड खड़े हो जाते थे.

एक दिन मेरी घर वाले किस काम से पूरी रात के लिए बाहर गये थे. क्योकि अगले दिन मेरा एग्ज़ाम था. पर मुझे एग्ज़ाम की तैयारी पहले से ही की थी, मैं जान बुझ कर उनके साथ नही गई. क्योकि मुझे घर पर बैठ कर अकेले मे सेक्सी मूवी देखनी थी.

पर मुझे ये न्ही पता था की मेरे घर वालो ने आज रात को घर पर सोने के लिए मेरे पड़ोसी फ़ौजी अंकल को मेरे साथ सोने के लिए कहा था. वो अंकल काफ़ी अच्छे थे, क्योकि वो बच्चो से बहुत प्यार करते थे.

मैने शाम तक अपनी स्टडी की पूरी कर ली, फिर रात को मैने अपने टीवी पर दौड़ लगा दी. और सोफे पर आ कर बैठ गयइ, मैं जल्द बाज़ी मे ये भूल गई की मैं दरवाजा बंद न्ही किया. मैं अपनी मस्ती मे ब्लू मूवी देख रही थी.

मैने पिंक कलर का खुला सा पयज़ामा डाला हुआ था, और उपर पिंक कलर का ही खुला सा टॉप डाला हुआ था. और उसके नीचे ब्लॅक कलर की ब्रा और पेंटी डाली हुई थी. मैं सोफे पर बैठ कर ब्लू मूवी देखने लग गई. वो एक हिन्दी सेक्स मूवी थी. जिसमे इंडियन लड़की को एक बाहर का एक लड़का उसके साथ सेक्स करने वाला था.

वो पहले एक रूम मे आते है, फिर वो लड़की को बेड पर गिरा कर उसके उपर लेट जाता है. फिर वो लड़की को किस करते हुए उसके जिस्म को मसलने लग जाता है. कुछ ही देर मे वो लड़की को नंगा कर देता है.

लड़की बिल्कुल मेरी जैसी थी 19 साल की इंडियन टीन, आगे फिर वो लड़का उसके बूब्स को चूसने लग जाता है. ये सब देख कर मैं गरम होनी शुरू हो गई. मैं अपने बूब्स को खुद ही मसलने लग गई. मेरे मूह से आहह आहह की मस्त आवाज़ें निकलनी शुरू हो गई थी.

कसम से इसमे बहुत ही मज़ा आरा था, फिर जब उस लड़की ने उसके भी कपड़े निकालने शुरू कर दिए. लड़के का लंड एक दम काला और मोटा था. जिसे लड़की अपने मूह मे लेकर ज़ोर ज़ोर से चूस रही थी. फिर वो दोनो एक दूसरे के उपर 69 की पोज़िशन मे आ गये.

वो दोनो एक दूसरे की चुत, गांड और लंड को चूस रहे थे. जिसे देख कर मेरी चुत गीली होने लग गई. मैने अपना हाथ अपनी पेंटी मे डॉल लिया और अपनी छूट को मसलने लग गई थी. मेरी चूत पहले से ही अपना काफ़ी पानी निकाल दिया था.

मैं अपनी मस्ती मे अपनी चुत को मसल रही थी. मुझे नहीं पता था की मेरे पीछे खड़ा हो कर कोई ये सब कुछ देख राहा है. जब मेरी चूत का पानी निकल गया, तभी मुझे लगा की मेरे पीछे कोई खड़ा है. मैने जब पीछे पलट कर देखा तो मेरे पीछे मेरे फ़ौजी अंकल खड़े थे.

वो मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे. मैं भी उन्हे देख कर मुस्कुरा दी और टीवी बंद करके सीधा अपने रूम मे सोने चली गई. मुझे जल्दी ही नींद आ गई पर करीब थोड़ी देर बाद मुझे नींद मे ही महसूस हुआ की मेरे साथ कोई और भी लेटा हुआ है.

पर मुझे ये समझते हुए देर नहीं लगी की ये और कोई नहीं फ़ौजी अंकल है. फिर वो और मुझसे चिपक गये. पर मैं जान बुझ कर सोने की आक्टिंग करती रही. फिर उन्होने अपना हाथ मेरे बूब्स पर रखा और मेरे बूब्स को धीरे धीरे मसलने लग गये.

पर फिर भी मैं सोने की आक्टिंग करती रही. क्योकि मुझे इसमे बहुत मज़ा आ रहा था. अंकल ने फिर अपना हाथ मेरे टॉप मे नीचे से डॉल लिया और अब उनका हाथ मेरे नंगे बूब्स पर चलने लग गया. मुझे बहुत मज़ा आ राहा था, आज पहली बार मेरे नंगे बूब्स किसी मर्द के हाथ मे आए थे.

करीब 10 मिनिट बूब्स को मसलने के बाद वो सीधे नीचे आ गये. उन्होने मेरे पयज़ामे मे हाथ डॉल कर सीधा मेरी पेंटी मे डॉल लिया. अब मेरी चुत उनके हाथ मे थी. मैं एक दम काँप उठी और तभी अंकल ने मेरे कान मे बोले.

अंकल – बेटा मज़ा आ रहा है ना ?

मैं – हा अंकल बहुत मज़ा आ राहा है.

अंकल – कोई बात न्ही अभी तो मज़ा शुरू ही हुआ है. आज रात देख मैं कैसे तेरे फटाके बजाता हूँ. तू मर जाएगी पर आज रात को कभी न्ही भूलेगी.

अंकल की बात सुन कर मैं अब और भी मस्त हो गई थी. फिर अंकल ने मेरी पेंटी को खींच कर फाड़ दिया. और मुझे पूरा नंगा कर दिया, वो मेरे उपर आ गये और मुझे किस करने लग गये. मेरी चूत पर उनका मोटा सा लंड लग रहा था.

उन्होने मेरे बूब्स और चूत दोनो को अच्छे से चूसा और फिर अपना लंड निकाल कर मेरे होंठो के सामने कर दिया. उनका लंड बहुत मोटा और लंबा था, जिसे देख कर मेरे मूह मे पानी आ गया. मैने अपना मूह खोला और उनका लंड अपने मूह मे भर लिया. और रात भर खुब चुदी आप सभी पाठकों को कहानी कैसी लगी जरूर बताएं

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