माँ बेटा – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Wed, 21 Mar 2018 03:23:55 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png माँ बेटा – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 सेक्सी मम्मी और मेरा दोस्त | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/sexy-mummy-or-mera-dost.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/sexy-mummy-or-mera-dost.html#respond Sat, 10 Mar 2018 10:55:13 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12172 सेक्सी मम्मी और मेरा दोस्त, मेरी मा हमेशा से सेक्सी और बहुत चुदक्कड़ किस्म की औरत है उन्हें हमेश असे चुदवाने का काफी शौक हैं उनकी चुदास है की मिटती ही नहीं चुदाई का खूब मजा लेती है चुद्वाते वक्त कहानी कैसी लगी हमें कमेंट कर जरुर बताये

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इस कहानी में दो लोग हैं मम्मी कके कंपनी दो दोस्त एक नाम कपिल उम्र 32 संदीप 28  अब मॆं अपनी कहानी को शुरु करा हूँ मेरा दोस्त की बहन की शादी थी मै मॉम क बोल मै रवि बहन की शादी हैं मै जरा हूँ आन को दो दिन लगा ग और मै मॉम बोल की निकल गये। और रवि की बहन सदी एक छोटी सै गांव थी ऊस की मामा घर बहुत छोटा सा थी मेरा को लगा आज यापे सौन नहि होंग़.

मै रवि को बोल क भाईे मै ज़रा हूँ रवि जा भाई या बोल का निकल गाय 7.30 बजे का बस मै बैठ के निकल गाय पटना कों और मै 9.30 बजे आपन घार आ गया मेरा घार के शाम ने एक कार खड़ी थीं और दरवजा के पास गए वपे दो सउ दिक मेरा लग कोण हैं या दोनों तब मॉम आवज आईं प्ल्ज़ प्ल्ज़ नहाई या आवज सुण का मेरा लगा क्या हवरा है अदर। और  अदर सा दरवजा बंद थे मै पिचा कई दरवजा से अदर गया और अ अंदर जाते देखना लगा मॉम आवज आरहा था प्ल्ज़ नही ना प्ल्ज़ वै आवज मॉम का रूम सै आरहा था.

मॉम के रूम अदर सै दरवाजा बंद था मेरे को लगा अदर क्या हो रहा है। तै मै दरवाज का छोटा सै छेद सै देखने लगा देखते ही मेरा दिल मचल गया मॉम दोस्त कपिल हाथ पकड़ था और सदीप मॉम की चुत चाट रहा था और मॉम। बोली बहुत जलन हो रहा हैं। जब कपील बोल मजा आय गा ने तेर रुक जा 10 मिनट मै । वो देख कर मेरा लण्ड खडा हो गया ओर हाथ मेँ पकड़कर हिलाने लगा।

कपिल आपन लण्ड पैंट से बाहर निकाल ओर अपना लण्ड मॉम के महुँ डाल दिया और कपिल लैंड पूरा काल और मोट था बहुत मॉम आक से पानी आ गया मेरा का लगा कपिल का लण्ड बहुत मोटा है और सदीप मॉम की चुत मै उंगली कर रहे  था और कपिल जोर जोर से धक्के मारने लगा मॉम के मुआ सै पानी बहार  निकल रहे थ वो देख कर ओर मेँ अपना लण्ड जोर जोर से हिलाने लगा कपिल मोठा लण्ड मॉम गलथक जा रहे थ सदीप दो उंगली मॉम चुत के अंदर डाल दिया अब मॉम आक से बहुत पानी निकाल रहा थे क्यूके मॉम के मुह में कपिल काल और मोट लण्ड थे यह देखकर मेरा लुण्ड से पानी आन शूरू हों गये 15 मिनट तक आय सै मॉम को चुदाई चल रहा थी.

अब कपिल आपन लण्ड मॉम के मुआ से बार निकल दिया और कपिल ने निकल दिया यह देख कर मैं समझ गया कि मेरी मम्मी रंडी बन कर चुदने के लिए पूरा मन बना ली या हैं। अब उनकी इस सोच ने मेरा मन भी रंगीन बना दिया था। मॉम ने अब सदीप का लौड़ा चूसना शुरू कर दिया। मॉम अब आह.. कितनी सेक्सी लग रही थीं वे..!

अब मॉम के मुहं को जोर जोर से चोदने लगा. उसके मुहं से ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग जैसे आवाज आ रही थी .कास सदीप लड़ 8 इंच का लंड मुहं के अंदर पूरा के पूरा घुसना हू थे मॉम मुंह मै सदीप ने 10  मिनिट तक भरपूर चोदा और फिर  अपने लंड को मुहं से बाहर किया. मॉम ने अब पलंग में अपनी टाँगे फैला के लेट गई. मैं कपिल मॉम के टांगो के बिच में आ गया और उसकी चूत के होंठो के उपर लंड को रख दिया. मॉम ने अपने हाथो से लंड को चूत के अंदर लिया और उसके सेट होते ही कपिल ने एक झटका दे दिया।

लंड अंदर आधा घुस गया.  जैसे ही दुसर झटके दिए; मॉम के आह आह ओह ओह करने लगी. मॉम को जैसे ही लंड को अंदर झटके दिए; आह आह ओह ओह करने लगी. जोर जोर से ठोका और ठोकता ही रहा. थे अब मॉम के चूत से 10 मिनिट की चुदाई के बंद झाग आने लगा और वो भी अपनी गांड को उठा उठा के से चूदा ने के मजे लेने लगी. कपिल उछल उछल के लंड के मजे ले रही थी. कपिल मॉम कस कस के उसकी चूत को ठोके रअ था. अब कपिल आपन लण्ड मॉम के चूत  से बहार निकाला. और अब सदीप ने आपन लंड मॉम के साम ने रक दिया और मॉम वे दैकर देख कर मुस्कुराई और बोली सदीप तेरा लण्ड तो छोटा से है सदीप बोला  ! इस हरामज़ादी, भोसड़ी की रण्डी को चुदवाना है।

इस छिनाल का एक लण्ड से मन नहीं भरता। है और कपिल  बोला – चुप बुरचोदी रण्डी, अधिक नखरे किया तो…अब मॉम बोली प्ल्ज़ नहीं… नहीं… मुझे छोड़ दो। सदीप बोल
चल साली रण्डी, कुतिया बन जा ! आज तेरे बुर को फाड़ कर तेरी प्यास बुझानी है।” अब मॉम कुतिया बना डाला… सदीप नीचे लेट कर मॉम के चुद में लण्ड डाल दिया। और कपिल ने  पीछे से पहले मॉम के गाण्ड में थूक लगा कर अपना लण्ड उसकी गाण्ड में दाल दिया। मॉम ऐसी चुदाई कभी नहीं हुई थी। वह रो रही थी… चिल्ला रही थी… कह रही थी- बहुत दर्द हो रहा है, मुझे छोड़ दो। वह गिड़गिड़ाने लगी- नहीं… नहीं… मुझे छोड़ दो।प्ल्ज़ मेरे पति ने कभी ऐसा नहीं किया कपिल बोल।

साली रण्डी, एक लण्ड से तुझे संतोष ही नहीं था। तुझे दो मर्दों के ही लण्ड चाहिए, तो अब नाटक क्यों। साली रण्डी, कपिल बोल बस अब चलो घोड़ी बन जाओ।मॉम घोड़ी बन गईं।वाहह.. क्या नज़ारा था.. उनकी गाण्ड तो फ़ैल कर और भी ख़तरनाक हो गई थी जबरदस्ती मॉम गाण्ड को फ़ैला कर कपिल ने अपने लण्ड को घुसा दिया। और मॉम चीख निकल पड़ी पर वो रुका नहीं और लगातार मॉम की गाण्ड मारता रहा। करीब आधा घण्टा गाण्ड मारने के बंद जब वो झड़ने वाला था कपिल ने अपने लण्ड को मॉम के गाण्ड से निकाल और अब सदीप  दाल दिया गाण्ड मै और  कमर से पकड के अपने लंड के ऊपर बहुत जोर जोर से उछाला. और भी जोर जोर से ठोक रहा था। सदीप और भी जोर जोर से मॉम के गांड को चमाट मारने लगा अब मॉम बी साथ दाने लगी जोर से गांड हिला हिला कगांड को २० मिनिट तक ऐसे ही जोर जोर से ठोका और मॉम की गांड भी मस्त लाल लाल हो हैं सदीप अपना वीर्य से लिपटा हुअ लुंड मॉम गांड के छेद के उपर रगड़ा. और सदीप आह आह ओह ओह करते हुए लेट गई.
तो मित्रो, यह कहानी तबस्सुम की थी।
अपने विचार मुझको ईमेल कीजिएगा.. पर फालतू में चूद दिलाने की बात ना करें

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माँ की चुत की तड़प को चोदकर बुझाया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/ma-ki-chut-ki-tadap-ko-chodkar-bujhaya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/ma-ki-chut-ki-tadap-ko-chodkar-bujhaya.html#respond Mon, 12 Feb 2018 12:12:43 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11932 माँ की चुत की तड़प को चोदकर बुझाया, चूतड़ उछाल उछाल अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई का मजा ले रही थी यूँ तो चंद्रकिशोर के लिये चुदाई का पहला मौका था लेकिन वो पिछले साल से हर रात अपनी माँ को नंगी देखता था बाप से चुदवाते

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हमारे परिवार के सभी सदस्य एक विवाह में शरीक होने अपने गांव गये थे, हम तीन भाई-बहन और मां-बाबूजी। मैंने 12वीं की बोर्ड की परीक्षा दी थी और परिणाम का इंतज़ार कर रहा था।

मैं तीनो भाई बहन में सबसे बडा हूं। उस समय 20 साल में था और अन्य लडकों की तरह मुझे भी चूची और चूत की तलाश थी लेकिन उस समय तक एक भी औरत या लडकी का मज़ा नहीं लिया था। बस माल को देखकर तरसता रहता था और लंड हिलाकर पानी निकाल कर संतुष्ट हो जाता था। दोस्तों के साथ हमेशा चूची और चूत की बातें होती थी। मुझसे छोटी बहन, माला है और उससे छोटा एक भाई।

मां का नाम बिंदु है और उस समय वो 39-40 साल की भरपूर जवान औरत थी। बाबूजी 42 साल के मजबूत कद-काठी के मर्द थे जो किसी भी औरत की जवानी की प्यास को बुझा सकते थे। बाबूजी की तरह मैं भी लम्बा और तगड़ा था लेकिन पता नहीं क्यों मुझे लड़कियों से बात करने में बहुत शरम आती थी, यहाँ तक कि मैं अपनी 18 साल की मस्त जवान बहन के साथ भी ठीक से बात नहीं करता था।

गांव में शादी में बहुत से लोग आये थे। चचेरी बहन की शादी थी, खूब धूमधाम से विवाह सम्पन्न हुआ। विवाह के बाद धीरे-धीरे सभी मेहमान चले गये। मेहमानों के जाने के बाद सिर्फ घरवाले ही रह गये थे। पांच भाईयों में से सिर्फ मेरे बाबूजी गांव के बाहर काम करते थे, बाकी चारों भाई गांव में ही खेती-बाड़ी देखते थे। गांव की आधी से ज्यादा जमीन हमारी थी।

बाबूजी की छुट्टी खत्म होने को थी, हम लोग भी एक दिन बाद जाने वाले थे। हम वहाँ 17-18 दिन रहे। बहुत लड़कियों को चोदने का मन किया, बहुत औरतों की चूची मसलना चाहा लेकिन मैं कोरा का कोरा ही रहा। मेरा लन्ड चूत के लिये तरसता ही रह गया। लेकिन कहते हैं कि ‘देर है लेकिन अन्धेर नहीं है’

उस दिन भी ऐसा ही हुआ। उस समय दिन के 11 बजे थे। औरतें घर के काम में व्यस्त थीं, कम उम्र के बच्चे इधर-उधर दौड़ रहे थे और आंगन में कुछ नौकर सफाई कर रहे थे। मेरे बाबूजी अपने भाईयों के साथ खेत पर गये थे। मैं चौकी पर बैठ कर आराम कर रहा था। तभी माँ मेरे पास आई और बगल में बैठ गई। मेरी माँ बिंदु ने मेरा हाथ पकड़ कर एक लड़के की तरफ इशारा करके पूछा,”वो कौन है?” वो लड़का आंखें नीची करके अनाज को बोरे में डाल रहा था। उसने सिर्फ हाफ-पैंट पहन रखा था।

“हां, मैं जानता हूँ, वो चंद्रकिशोर है.. सुरेश का भाई !” मैंने माँ को जवाब दिया।

सुरेश हमारा पुराना नौकर था और हमारे यहा पिछले 8-9 सालों से काम कर रहा था। माँ उसको जानती थी।
मैंने पूछा,”क्यों, क्या काम है उस लड़के से?”

मां ने इधर उधर देखा और बगल के कमरे में चली गई। एक दो मिनट के बाद उसने मुझे इशारे से अन्दर बुलाया। मैं अन्दर गया और बिंदु ने झट से मेरा हाथ पकड़ कर कहा,”बेटा, मेरा एक काम कर दे…”
“कौन सा काम माँ !”

फिर उसने जो कहा वो सुनकर मैं हक्का बक्का रह गया।

“बेटा, मुझे चंद्रकिशोर से चुदवाना है, उसे बोल कि मुझे चोदे…!”

मैं बिंदु को देखता रह गया। उसने कितनी आसानी से बेटे के उम्र के लड़के से चुदवाने की बात कह दी…..
“क्या कह रही हो…..ऐसा कैसे हो सकता है….” मैंने कहा।

“मैं कुछ नहीं जानती, मैं तीन दिन से अपने को रोक रही हूँ, उसको देखते ही मेरी बुर गरम हो जाती है, मेरा मन करता है की नंगी होकर सबके सामने उसे अपने अन्दर ले लूँ !” माँ ने मेरे सामने अपनी चूची को मसलते हुए कहा,”कुछ भी करो, बेटा चंद्रकिशोर का लन्ड मुझे अभी चूत के अन्दर चाहिए !”

बिंदु की बातें सुनकर मेरा माथा चकराने लगा था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मां, बेटे के सामने इतनी आसानी से लण्ड और बुर की बात करेगी। मुझे यह जानकर अचम्भा हुआ कि मैं 18 साल का होकर भी किसी को अब तक चोद नहीं पाया हूँ तो वो चंद्रकिशोर अपने से 20-22 साल बडी, तीन बच्चे की माँ को कैसे चोदेगा। मुझे लगा कि चंद्रकिशोर का लन्ड अब तक चुदाई के लिये तैयार नहीं हुआ होगा।

“मां, वो चंद्रकिशोर तो अभी छोटा है.. वो तुम्हें नहीं चोद पायेगा….” मैंने माँ की चूची पर हाथ फेरते हुए कहा,”चल तुझे बहुत मन कर रहा है तो मैं तुम्हें चोद दूंगा ..!”

मैं चूची मसल रहा था, माँ ने मेरा हाथ अलग नहीं किया। यह पहला मौका था कि मेरे हाथ किसी चूची को दबा रहा था और वो भी एक मस्त गुदाज़ औरत की, जो लोगों की नजर में बहुत सुन्दर और मालदार थी।
“बेटा, तू भी चोद लेना, लेकिन पहले चंद्रकिशोर से मुझे चुदवा दे…अब देर मत कर ….बदले में तू जो बोलेगा वो सब करुंगी… तू किसी और लड़की या औरत को चोदना चाहता है तो मैं उसका भी इंतज़ाम कर दूंगी, लेकिन तू अभी अपनी माँ को चंद्रकिशोर से चुदवा दे.. मेरी बुर एकदम गीली हो गई है।”

बिंदु ने सामने से चुदाई की पेशकश की है तो कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। मैंने जोर जोर से 3-4 बार दोनों मस्त मांसल चूचियों को दबाया और कहा,” तू थोड़ा इन्तज़ार कर….मैं कुछ करता हूँ !” यह कहकर मैंने माँ को अपनी बांहों में लेकर उसके गालों को चूसा और बाहर निकल कर आ गया। दिन का समय था, सब लोग जाग रहे थे, किसी सुनसान जगह का मिलना आसान नहीं था। मैं वहाँ से निकल कर ‘कैटल-फार्म’ में आ गया जो आंगन से थोड़ी ही दूर पर सड़क के उस पार था। वहाँ उस समय जानवरों के अलावा और कोई नहीं था। वहाँ एक कमरा भी था नौकरों के रहने के लिये। उस कमरे में भी कोई नहीं था। मैंने सोचा क्यों ना आज माँ की चुदाई इसी कमरे में की जाये।

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कमरे में एक चौकी थी और उस पर एक बिछौना भी था। मैं तुरंत आंगन वापस आया। बिंदु अभी भी बाहर ही बैठी थी और चंद्रकिशोर को घूर रही थी। मैं उसके बगल में बैठ गया और कहा कि वो दस मिनट के बाद उस नौकर वाले कमरे में आ जाये। वहाँ से उठ कर मैं ग़ोपाल के पास आया और उसकी पीठ थप-थपा कर मेरे साथ आने को कहा। वो बिना कुछ बोले मेरे साथ आ गया। मैंने देखा कि मां के चेहरे पर मुस्कान आ गई है।

चंद्रकिशोर को लेकर मैं उस कमरे में आया और दरवाज़ा खुला रहने दिया। मैं आकर बिछौने पर लेट गया और चंद्रकिशोर से कहा कि मेर पैर दर्द कर रहा है, दबा दे.. यह कहते हुये मैंने अपना पजामा बाहर निकाल दिया। नीचे मैंने जांघिया पहना था। ग़ोपाल पांव दबाने लगा और मैं उससे उसके घर की बातें करने लगा। वैसे तो चंद्रकिशोर के घरवाले हमारे घर में सालों से काम करते हैं फिर भी मैं कभी उसके घर नहीं गया था। चंद्रकिशोर की दादी को भी मैंने अपने घर में काम करते देखा था और अभी उसकी माँ और भैया काम करते हैं। गोपल ने बताया कि उसकी एक बहन है और उसकी शादी की बात चल रही है। वो बोला कि उसकी भाभी बहुत अच्छी है और उसे बहुत प्यार करती है।

अचानक मैंने उससे पूछा कि उसने अपनी भाभी को चोदा है कि नही। ग़ोपाल शरमा गया और जब मैंने दोबारा पूछा तो जैसा मैंने सोचा था, उसने कहा कि उसने अब तक किसी को चोदा नहीं है।
मैंने फिर पूछा कि चोदने का मन करता है या नहीं?

तो उसने शरमाते हुये कहा कि जब वो कभी अपनी माँ को अपने बाप से चुदवाते देखता है तो उसका भी मन चोदने को करता है। ग़ोपाल ने कहा कि रात में वो अपनी माँ के साथ एक ही कमरे में सोता है । लेकिन पिछले एक साल से माँ की चुदाई देख कर उसका भी लन्ड टाईट हो जाता है।

“फिर तुम अपनी माँ को क्यों नहीं चोदते हो…” मैंने पूछा, लेकिन चंद्रकिशोर के जबाब देने के पहले बिंदु कमरे में आ गई और उसने अन्दर से दरवाजा बन्द कर दिया। ग़ोपाल उठकर जाने लगा तो मैंने उसे रोक लिया। चंद्रकिशोर ने एक बार बिंदु के तरफ देखा और फिर मेरा पैर दबाने लगा।

“क्या हुआ मां?”

“अरे बेटा, मेरा पैर भी बहुत दर्द कर रहा है, थोड़ा दबा दे !” बिंदु बोलते बोलते मेरे बगल में लेट गई। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा, डर से या माँ को चोदने के खयाल से , मालूम नहीं। मैं उठ कर बैठ गया और माँ को बिछौने के बीचोंबीच लेटने को कहा।

मैं एक पैर दबाने लगा । ग़ोपाल चुपचाप खड़ा था।

“अरे ग़ोपाल, तुम क्यों खड़े हो, दूसरा पांव तुम दबाओ !” मैंने ग़ोपल से कहा लेकिन वो खड़ा ही रहा।
मेरे दो-तीन बार कहने के बाद चंद्रकिशोर दूसरे पांव को दबाने लगा। मैंने माँ को आंख मारी और वो मुस्कुरा दी।
“मां, कहां दर्द कर रहा है?”

“अरे पूछ मत बेटा, पूरा पाव और छाती दर्द कर रहा है, खूब जोर से पैर और छाती को दबाओ।”

मां ने खुल कर बुर और चूची दबाने का निमंत्रण दे दिया था। मैं पावं से लेकर कमर तक एक पर को मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि चंद्रकिशोर सिर्फ घुटनों तक ही दबा रहा था। मैंने चंद्रकिशोर का एक हाथ पकड़ा और माँ की जांघों के ऊपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से ऊपर तक दबाओ। वो हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी बिंदु लम्बी लम्बी टांगों को नीचे से ऊपर तक मसलने लगा।

2-3 मिनट तक इस तरह से मजा लेने के बाद मैंने कहा,”मां साड़ी उतार दो…तो और अच्छा लगेगा…”
“हां, बेटा, उतार दो…”

“चंद्रकिशोर, साड़ी खोल दो।” मैंने चंद्रकिशोर से कहा।

उसने हमारी ओर देखा लेकिन साड़ी खोलने के लिये हाथ आगे नहीं बढ़ाया।

“चंद्रकिशोर, शरमाते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी माँ को नंगी चुदवाते देखा है…यहां तो सिर्फ साड़ी उतारनी है, चल खोल दे।” और मैंने चंद्रकिशोर का हाथ पकड़ कर साड़ी की गांठ पर रखा। उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मैंने साड़ी माँ के बदन से अलग कर दी। काले रंग के ब्लाऊज़ और साया में गजब की माल लग रही थी।

“मालकिन, आप बहुत सुन्दर हैं…” अचानक चंद्रकिशोर ने कहा और प्यार से जांघों को सहलाया।
“तू भी बहुत प्यारा है..” बिंदु ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनों से ऊपर खींच लिया। माँ के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये खाफी थे। हम दोनों पैर दबा रहे थे लेकिन हमारी नजर बिंदु की मस्त, गोल-गोल, मांसल चूचियों पर थी। लग रहा था जैसे कि चूचियां ब्लाऊज़ को फाड़ कर बाहर निकल जायेंगी। मेरा मन कर रहा था कि फटाफट माँ को नंगा कर बूर मे लन्ड पेल दूं। मेरा लंड भी चोदने के लिये तैयार हो चुका था। और इस बार घुटनों के ऊपर हाथ बढा कर मैंने हाथ साया के अन्दर घुसेड़ दिया और अन्दरुनी जांघों को सहलाते हुये जिन्दगी में पहली बार बुर को मसला। एक नहीं, दो नहीं, कई बार बुर मसला लेकिन माँ ने एक बार भी मना नहीं किया। माँ साया पहने थी और बुर दिखाई नहीं पर रही थी। साया ऊपर नाभि तक बंधा हुआ था। मैं बुर को देखना चाहता था। एक दो बार बुर को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया।

“मां, साया बहुत कसा बंधा हुआ है, थोड़ा ढीला कर लो.. ”

मैंने देखा कि चंद्रकिशोर अब आराम से बिंदु की जांघों को मसल रहा था। मैंने गोपल से कहा कि वो साया का नाड़ा खोल दे। तीन चार बार बोलने के बाद भी उसने नाड़ा नहीं खोला तो मैंने ही नाड़ा खींच दिया और साया ऊपर से ढीला हो गया। मैं पांव दबाना छोड़कर माँ की कमर के पास आकर बैठ गया और साया को नीचे की तरफ ठेला। पहले तो उसका चिकना पेट दिखाई दिया और फिर नाभि। कुछ पल तो मैंने नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला।

अब उसकी कमर और बुर के ऊपर का चिकना चिकना भाग दिखाई पड़ने लगा। अगर एक इंच और नीचे करता तो बुर दिखने लगती।

“आह बेटा, छाती बहुत दर्द कर रहा है..” बिंदु ने धीरे से कहा । साया को वैसा ही छोड़कर मैंने अपने दोनों हाथ माँ की मस्त और गुदाज चूचियों पर रखे और दबाया। चंद्रकिशोर के दोनों हाथ अब सिर्फ जांघो के ऊपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड़ कर देख रहा था कि एक बेटा कैसे माँ की चूचियां मसल रहा है।

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“मां, ब्लाउज खोल दो तो और अच्छा लगेगा।” मैंने दबाते हुए कहा।

“खोल दे ” उसने जबाब दिया और मैंने झटपट ब्लाउज के सारे बटन खोल डाले और ब्लाउज को चूची से अलग कर दिया।

मां की गोल-गोल, उठी हुई और मांसल चूची देख कर माथा झनझना गया। मुझे याद नहीं था कि मैंने आखरी बार कब माँ की नंगी चूची देखी थी। मैं जम कर चूची दबाने लगा।

“कितना टाईट है, लगता है जैसे किसी ने फ़ुटबाल में कस कर हवा भर दी है।” मैंने घुन्डी को कस कर मसला और ग़ोपाल से कहा,” क्यों चंद्रकिशोर कैसा लग रहा है?” मैं जोर जोर से चूची को दबाता रहा।

अचानक मैंने देखा कि चंद्रकिशोर का एक हाथ माँ की दोनों जांघों के बीच साया के ऊपर घूम रहा है। एक हाथ से चूची दबाते हुए मैंने चंद्रकिशोर का वो हाथ पकड़ा और उसे माँ की नाभि के ऊपर रख कर दबाया।

“देख, चिकना है कि नहीं?” मैं उसके हाथ को दोनों जांघों के बीच बुर की तरफ धकेलने लगा। दूसरे हाथ से मैं लगातार चूचियों का मजा ले रहा था। मुझे याद आया कि बचपन में इन चूचियों से ही दूध पीता था। मैं माँ के ऊपर झुका और घुन्डी को चूसने लगा।

तभी माँ ने फुसफुसाकर कान में कहा,”बेटा, तू थोड़ी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये..”
मैं दूध पीते पीते चंद्रकिशोर के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और चंद्रकिशोर का हाथ माँ के बुर पर आ गया। मैंने चंद्रकिशोर के हाथों को दबाया और चंद्रकिशोर बुर को मसलने लगा । कुछ देर तक हम दोनों ने एक साथ बुर को मसला और फिर मैं खड़ा हो गया। ग़ोपाल का हाथ अभी भी माँ की बुर पर था लेकिन साया के नीचे। बुर दिख नहीं रही थी।

मैंने अपना पजामा पहना और चंद्रकिशोर से कहा,”जब तक मैं वापस नहीं आता, तू इसी तरह मालकिन को दबाते रहना। दोनों चूचियों को भी खूब दबाना।”

मैं दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दिया। आस पास कोई भी नहीं था। मैं इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने का जगह ढूंढने लगा। जैसा हर घर में होता है, दरवाजे के बगल में एक खिड़की थी। उसके दोनों पल्ले बन्द थे। मैंने हलके से धक्का दिया और पल्ला खुल गया। बिस्तर साफ साफ दिख रहा था।

बिंदु ने चंद्रकिशोर से कुछ कहा तो वो शरमा कर गर्दन हिलाने लगा।बिंदु ने फिर कुछ कहा और चंद्रकिशोर सीधा बगल में खड़ा हो गया। बिंदु ने उसके लन्ड पर पैंट के ऊपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के ऊपर से बुर को मसलने लगा। एक दो मिनट तक लंड के ऊपर हाथ फेरने के बाद बिंदु ने पैंट के बटन खोल डाले और चंद्रकिशोर नंगा हो गया। बिंदु ने झट से उसका टनटनाया हुआ लंड पकड लिया और उसे दबाने लगी।

मां को मालूम था कि मैं जरुर देख रहा हूँ, उसने खिड़की के तरफ देखा। मुझसे नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लंड को दोनों हाथों से हिलाने लगी। चंद्रकिशोर का लंड देख कर वो खुश थी। उधर चंद्रकिशोर ने भी बुर के ऊपर से साया को हटा दिया था और मैंने भी पहली बार एक बुर देखी वो भी अपनी माँ की, जिसे मेरी आंखों के सामने एक लड़का मसल रहा था।

बिंदु ने कुछ कहा तो चंद्रकिशोर ने साया को बाहर निकाल दिया। वो पूरी नंगी थी। उसकी गठी हुई और लम्बी टांगें और जांघ बहुत मस्त लग रही थी। बुर पर बहुत छोटे छोटे बाल थे, शायद 6-7 दिन पहले झांट साफ किया था। बिंदु लंड की टोपी खोलने की कोशिश कर रही थी। उसने चंद्रकिशोर से फिर कुछ पूछा और चंद्रकिशोर ने ना में गर्दन हिलाई। शायद पूछा हो कि पहले किसी को चोदा है या नहीं। बिंदु ने चंद्रकिशोर को अपनी ओर खींचा और खूब जोर जोर से चूमने लगी और चूमते-चूमते उसे अपने ऊपर ले लिया।

अब मुझे बिंदु की बुर नहीं दिख रहा था। बिंदु ने हाथ नीचे की ओर बढ़ाया और अपने हाथ से लंड को बुर के छेद पर रखा। बिंदु ने चंद्रकिशोर से कुछ कहा और वो दोनों चूची पकड़ कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा।

चंद्रकिशोर अपने से 20 साल बड़ी गांव की सबसे मस्त और सुन्दर माल की चुदाई कर रहा था। मैं अपने लंड की हालत को भूल गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा। चंद्रकिशोर जोर जोर से धक्का मार रहा था और बिंदु भी चूतड़ उछाल उछाल अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई का मजा ले रही थी। यूँ तो चंद्रकिशोर के लिये चुदाई का पहला मौका था लेकिन वो पिछले साल से हर रात अपनी माँ को नंगी देखता था, बाप से चुदवाते।
मैं देखता रहा और चंद्रकिशोर जम कर मेरी माँ को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो माँ के ऊपर ढीला हो गया। मैं 2-3 मिनट तक बाहर खड़ा रहा और फिर दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया। मुझे देखते ही चंद्रकिशोर हड़बड़ा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लंड को ढक लिया। लेकिन बिंदु ने उसका हाथ अलग किया और मेरे सामने चंद्रकिशोर के लंड को सहलाने लगी।

मां बिल्कुल नंगी थी। उसने दोनों टांगों को फैला रख्खा था और मुझे बुर का फांक साफ साफ दिख रहा था। लंड को सहलाते हुये बिंदु बोली,”बेटा, चंद्रकिशोर में बहुत दम है…मेरा सारा दर्द खत्म हो गया।” फिर उसने चंद्रकिशोर से पूछा,”क्यों, कैसा लगा..?”

मैं उसकी कमर के पास बैठ कर बुर को सहलाने लगा। बुर चंद्रकिशोर के रस से पूरी तरह से गीली हो गई थी।

“बेटा, साया से साफ कर दे।”

मैं साया लेकर बुर के अन्दर बाहर साफ करने लगा और उसने चंद्रकिशोर से कहा कि वो चंद्रकिशोर को बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अच्छी की। उसने चंद्रकिशोर को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे में बात करेगा तो वो बड़े मालिक (मेरे बड़े काका) से बोल देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा चंद्रकिशोर का लंड बुर में लेती रहेगी। चंद्रकिशोर ने कसम खाई कि वो किसी से कभी बिंदु मालकिन के बारे में कुछ नहीं कहेगा। बिंदु ने उसे चूमा और कपड़े पहन कर बाहर जाने को कहा।

ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब माँ ने उससे कहा कि वो जल्दी फिर उससे चुदवायेगी। मैंने चंद्रकिशोर से कहा कि वो आंगन जाकर अपना काम करे। चंद्रकिशोर के जाते ही मैंने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटाफट नंगा हो गया। मेरा लन्ड चोदने के लिये बेकरार था। माँ ने मुझे नजदीक बुलाया और मेरा लन्ड पकड़ कर सहलाने लगी।

“हाय बेटा, तेरा लौड़ा तो बाप से भी लम्बा और मोटा है…, लेकिन अपनी माँ को मत चोद। तू घर की जिस किसी भी लड़की को चोदना चहता है, मैं चुदवा दूंगी.. लेकिन मादरचोद मत बन।”
मैंने अपना लंड अलग किया और माँ के ऊपर लेट गया। लंड को बुर के छेद से सटाया और जम कर धक्का मारा…

“आह्ह्ह्ह्ह……”

मैं माँ के कन्धों को पकड़ कर चोदने लगा।

“साली, अगर मुझे मालूम होता कि तू इतनी चुदासी है तो मैं तुझे 4-5 साल पहले ही चोद डालता, बेकार का हत्तू मार कर लौड़े को तकलीफ नहीं देता।” कहते हुये मैंने जम कर धक्का मारा.. “आअह्ह्ह्ह्ह्ह….मजा आआआअ ग…याआअ..”

मां ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और मेरा माथा पकड़ कर बोली,”बेटा, वो तो चंद्रकिशोर से चुदवाने के लालच में आज तेरे सामने नंगी हो गई, वरना कभी मुझे हाथ लगाता तो एक थप्पड़ लगा देती।

मैंने धक्का मारते मारते माँ को चूमा और चूची को मसला।

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“साली, सच बोल, चंद्रकिशोर के साथ चुदाई में मजा आया क्या?” मेरा लौड़ा अब आराम से अपनी जन्मभूमि में अन्दर-बाहर हो रहा था।

“सच बोलूं बेटा, पहले तो मैं भी घबरा रही थी कि मैं मुन्ना के उम्र के लड़के के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गई हूँ लेकिन अगर वो नहीं चोद पाया तो !” माँ ने चंद्रकिशोर को याद कर चूतड़ उछाले और कहा,” चंद्रकिशोर ने खूब जम कर चोदा, लगा ही नहीं कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है.. मैं तो खुश हो गई और अब फिर उससे चुदवाउंगी।”

“और मैं कैसा चोद रहा हूँ मेरी जान ?” मैंने उसके गालों को चूसते हुये पूछा।

“बेटा, तेरा लौड़ा भी मस्त है और तेरे में चंद्रकिशोर से ज्यादा दम भी है….मजा आ रहा है….”
और उसके बाद हम जम कर चुदाई करते रहे और आखिर में मेरे लंड ने माँ के बुर में पानी छोड़ दिया। हम दोनों हांफ रहे थे। कुछ देर के बाद जब ठण्डे हो गये तो हमने अपने कपड़े पहने और बिस्तर ठीक किया।
“बाप रे, सब पूछेंगे कि मैं इतनी देर कहा थी, तो क्या बोलूंगी…” माँ अब दो दो लंड खाने के बाद डर रही थी।
मैंने उसे बांहों में जकड़ कर कहा, “रानी, तुम डरो मत। मैं साथ हूँ ना… किसी को कभी पता नहीं चलेगा तुमने बेटे और नौकर से चुदवाया है।” मैंने माँ के गालों को चूमा और उससे खुशामद किया कि वो दो-ढाई घंटे के बाद फिर इस कमरे में आ जाये जिसमें से कि मैं उसे दुबारा चोद सकूँ

“एक बार में मन नहीं भरा क्या..?” उसने पूछा..

“नहीं साली, तुमको रात दिन चोदता रहूँगा फिर भी मन नहीं भरेगा… जरुर आना..”

“आउंगी..लेकिन एक शर्त पर…!” माँ ने मेरा हाथ अपनी चूची पर रखा।

“क्या शर्त?” मैंने चूची जोर से मसला…

“चंद्रकिशोर भी रहेगा ….” माँ फिर चंद्रकिशोर का लौड़ा चाहती थी।

“साली, तू चंद्रकिशोर की कुतिया बन गई है… ठीक है, इस बार मैं अपनी गोदी में लिटा कर चंद्रकिशोर से चुदवाउंगा।
“तो ठीक है, मैं आउंगी….”

आंगन के रास्ते में मैंने उससे पूछा कि वो पहले कितने लौड़े खा चुकी है.. तो उसने कहा कि बाद में बतायेगी।
आंगन में पहुंचते ही बड़ी काकी ने पूछा- माँ को लेकर कहां गया था। सब खाने के लिये इंतजार कर रहे हैं।
मैंने जबाब दिया कि मैं माँ को गाछी (फार्म हाउस) दिखाने ले गया था। फिर किसी ने कुछ नहीं पूछा।

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-3 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-3.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-3.html#respond Mon, 05 Feb 2018 04:52:56 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11874 पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-3, मै अपनी माँ की अब चुत में मुह लगा के खूब चूसता और भरी हुई गांड में लंड घुसा के चोदना चाहता लेकिन माँ ने अपनी गांड छोड़नी नहीं दी लेकिन उनकी चुत चोदने का मजा कम नहीं था पंडित का शुक्रिया जिसकी वजह से आज मै अपनी माँ को चोद पता हूँ

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-2

 

मैने मन ही मन कुछ बाते तय कर ली और अन्दर रूम गया. मम्मी उसी पूजा स्थान पे बैठी थी, जैसे मै अन्दर आया तो उसने पूछा, अब आगे क्या विधी बतायी है पन्डितजी ने. मैने कहा पहले आप बाथरूम मे जा कर शुद्ध वस्त्र पहन लो, पन्डितजीने आज कुछ अलग वस्त्र रखे है जिनपर मन्त्र-जाप करके उन्हे शुद्ध किया है आप वो पहन लेना, मेरे लिये यह धोती रखी है.

मम्मी ने कुछ पूछे बिना अन्दर जाके कपडे बदल लिये किन्तु जब वो आयी तो मुझे लगा कि मै सपना देख रहा हू, वो वस्त्र कैसा सिर्फ़ एक साडी थी, सफेद कलरकी, ना ब्लाउझ ना पेटिकोट और ना ही अन्दर कुछ, उनकी बडी बडी चुचिया लगभग नन्गी थी, मुझे अहसास हुआ की उनके स्तन का आगे का भूरा हिस्साभी दिखाई दे रहा था और फिर वो वो मुनके जैसे निप्पल…….. पेट जरा सा फूला हुआ था और उसपर उनकी गहरी नाभी इतनी सेक्सी लग रही थी कि पूछो मत…… वो साडी घुटनोके नीचे तक तो थी लेकिन पतली होनेके कारण उनकी सुडौल जान्घे उससे साफ दिख रही थी. मम्मी इतनी ज्यादा कामुक लग रही है थी कि मेरा मन कह रहा था मारो गोली इस पूजा-विधी को और झपटकर…….मुझे उन्हे देखकर ‘राम तेरी गन्गा मैली’ वाली मन्दाकिनी याद आयी. आपको याद होगा कि दोपहर को मैने जब लेप लगाया तो उन्होने वो चोला पहना हुआ था और सुबह तेल लगाते हुए मैने आन्खोपे पट*टी बान्धी थी इसलिये उनके इस सेक्सी बदन का दर्शन मुझे ठीकसे नही हुआ था लेकिन अब की बात और थी, इस साडी मे वो लगभग ८०% नन्गी थी, उनका चेहरा शर्म से लाल हुआ था, जाहिर है वो कम्*फरटेबल नही थी, लेकिन क्या करती, पन्डितजी का कहना वो किसी हालत मे नही टालती.

खैर वो आके खडी हो गयी और पूछने लगी, बोलो अब क्या करना है. मै उनके रूप को निहारने मे इतना मगन था कि मुझे पता ही नही चला कि वो मेरा नाम पुकारे जा रही है. फिर वो करीब आयी और मुझे हिलाते हुए कहा बेटा बताओ ना , क्या सोच रहा है, अब आगे क्या करना है. मेरे दिमाग मे एक आयडिया आया, मैने कहा पन्डितजी ने आपको शुद्ध होके आने के लिये कहा है, आपको तेल लगाकर नहाना है, पन्डितजी ने मन्त्र-सिद्ध किया हुआ तेल दिया है. वो एक आसनपे बैठ गयी. मै उनके पीछे जाकर उनकी पीठ पे तेल रगडने लगा. सुबह मै यह काम खुले मे और पटटी बान्धे कर रहा था लेकिन इस बार मै एक बन्द कमरे मे था, आसपास कोई नही था और मेरी आन्खे पूरी खुली थी, मै सुकूनसे उन्हे तेल लगा रहा था, पीठ के बाद मैने उनकी जान्घोपे, कन्धोपे, बाहोपे यहातक कि उनकी चिकनी और गदराई हुई बगलमे भी तेल लगाया. उनकी बगल मे तेल लगाते हुए मम्मी किसी बच्ची की तरह हस रही थी और गुदगुदी होनेके कारण मुझसे छुडाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैने भी जिद रखकर उनके सारे शरीर पर तेल लगा लिया, बस अब उनके स्तन और नितम्ब बचे थे और वो खास हिस्सा जो अभीतक मैने नही देखा था. लेकिन मै कोई जल्दबाजी नही करना चाहता था क्योन्कि इससे मेरा काम बिगड सकता था. तेल मालिश होने के बाद मैने मम्मी को नहाके आने के लिये कहा और वो बाथरूम मे चली गयी. अब मुझे क्या करना है इसका मुझे खुद पता नही था, मैने बाथरूमके दरवाजेमे कोई सुराग ढून्ढनेकी कोशिश की, लेकिन कुछ नही था, उस रूम मे इधर उधर ताकाझाकी कर ली, वहा पे कुछ तेल की शीशी और एक-दो धार्मिक किताबे मिली और तो कुछ नही था.

अब आगे मम्मी को क्या बताया जाये इस सोच मे डूबा हुआ था कि मुझे एक तरकीब सूझी. मैने उस रूम के कोने से एक चद्दर और एक पुरानीसी मन्त्रोवाली किताब ढून्ढ निकाली, उस पर कुछ फूल और चन्दन की पावडर रख दी और मम्मीके आने का इन्तजार करने लगा. कुछही समय मे मम्मी नहा के वापस आयी, उसने वही साडी लपेटी थी, लेकिन बाल गिले होनेसे वो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी. बाहर आतेही उन्होने अपने बाल एक जूडेमे बान्ध लिये, यह करते हुए उनके हाथ उपर उठ गये और उनकी साफ सुथरी बगलका हिस्सा साफ दिखाई दिया, जो बहुत सेक्सी लग रहा था. मैने उन्हे उस फर्शपे बिछाई चद्दर पे लेटने को कहा, वो कुछ बोले बिना लेट गयी, मैने उस किताब को पढके मन्त्र-जाप करने का नाटक करते उनके पैरकी उन्गलियोको सहलाने लगा.

उनकी गोरी गोरी नाजुक उन्गलिया इतनी सुन्दर लग रही थी कि मैने नीचे झुककर उन्हे चूम लिया. मेरे होन्टोका स्पर्श पाकर मम्मी चौन्क गयी और बोली, बेटा यह क्या कर रहे हो. मैने उन्हे समझाया, पन्डितजीने यह विधी बतायी है, इसी किताबकी आधारपर, और मैने उन्हे वो किताब दिखा दी, उसमे कुछ मन्त्र जरूर लिखे थे, लेकिन क्या लिखे थे इसका उन्हे पता नही था. मैने बात और आगे बढाते हुए कहा कि यह बडी विचित्र विधी है, पन्डितजी बता रहे थे कि दीदीका जो दोश है कही ना कही उसकी जड आपमे भी है, और इस लिये मुझे आपसे आप का दोश हटाना है. मै जानता था कि मम्मी पन्डित की बात कभी नही टालेगी और न ही उन्हे पूछने जायेन्गी कि क्या वाकई उन्होने ऐसी विधी बतायी है इसलिये मै निश्चिन्त था. मैने उनके पैर से लेकर उसकी सारी उन्गलिया एक एक करके चूसने लगा, मम्मी को गुदगुदी हो रही थी और बीच बीच मे वो खिलखिलाकर हसती थी. उन्गलिया चूसते समय मैने अपना एक हाथ उनके पैरका घुटने के नीचेका हिस्सा सहलाने लगा, उन्होने विरोध नही किया इसे मैने उनकी अनुमति समझा और फिर उनका घुटना सहलाने लगा. फिर उनका पैर छोडकर मैने मेरा मुह उनके पाव पर लाया और फिर जहा पहले मेरा हाथ था वहा पे मै किस करने लगा, चूसने लगा हलकेसे काटने लगा.

मम्मी अब आन्खे बन्द किये पडी थी, उनकी सासोसे और बीच बीच मे भरी सिसकियोसे उनके मन के अन्दरकी बात जाहिर हो रही थी. मै औन्धे बैठ गया, मेरा लन्ड अब गमछेका तम्बू बनाकर खडा था, मैने मम्मी के दोनो पैर साथ मे रख दिये और बारी बारी उनके घुटने चूमने लगा. फिर थोडा आगे झुककर मैने डरते हुए उनकी साडी उनकी जान्घोसे उपर उठा दी, मुझे डर था कि कही वो मना ना कर दे, लेकिन मम्मी की आन्खे बन्द की बन्द रही, उन्होने मुह से कुछ नही कहा, बस थोडासा कसमसायी. मैने वो इशारा अनुमतिके तौरपे लिया और उनकी साडी यहातक उपर उठा दी कि वो साडी अब केवल उनकी चूत और आजूबाजूका थोडा हिस्सा ढक रही थी, मम्मी की केले के खम्बे जैसे सुडौल, गोरी, चिकनी और मादक जान्घे देखकर मै अपने आप पे काबू नही कर सका और झपटकर मम्मी की उन जान्घोपे तडातड चुम्मे जड दिये, मम्मी मेरे इस हमलेसे सकपका गई और उन्होने अपनी जान्घे सिमटकर पास खीन्च ली, इस क्रिया की वजहसे उनके पैर थोडे उपर आ गये और सीधे मेरे खडे लन्डपे जा धडके. जैसेही मम्मीके पैरोको मेरे खडे लन्ड का अहसास हुआ, उन्होने फिरसे पैर नीचे रख दिये, और मुझे बाहोसे पकड लिया. यह कसौटी की घडी थी, अब अगर मै पीछे हट जाता या मम्मी मुझे मना कर देती तो शायद हम दोनो पास कभी नही आते, लेकिन मम्मी ने कापते हुए स्वर मे पूछा, यह क्या कर रहे हो बेटा, मुझे…….मुझे…….बडा अजीबसा लग रहा है, क्या यह विधी मे जरूरी है यह सब कुछ………….मै जानता था कि वो अजीबसा लगना क्या था, वास्तव मे मम्मी बुरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी, उन्हे डर था कि अगर बात आगे बढती तो वो शायद खुदपे काबू न रख पाती. लेकिन मै अब पीछे हटनेवाला नही था, मैने फट्से जबाब दिया कि हा मम्मी यही विधी पन्डितजी मुझे बताके गये है, उन्होने कहा था कि थोडी कठिनाई होगी मगर…………और मैने बात को आधा छोड दिया, मम्मी फिर चुप हो गयी और लेट गयी.

अब मेरे लिये मैदान खुला था, मैने आधा छोडा हुआ मेरा काम फिरसे शुरु किया, मम्मी ने अपनी जान्घे एक दूसरे से सटाकर रखी थी, मैने मेरा हाथ बीचमे डालकर उन्हे थोडा अलग किया और उनकी जान्घोके अन्दरवाला हिस्सा सहलाना और चूमना शुरु किया. जैसे जैसे मै उनकी चूतके पास जाता वैसे ही मुझे उनकी चूतसे निकलती हुई सुगन्धका अहसास होता था, मम्मी की जान्घे गिली हुई थी इसका मतलब था कि वो भी मस्तायी हुई थी और चोदने के लिये बेकरार थी. मैने उन्हे कहा की आप उठ के खडी हो जाईये, मुझे विधी करना आसान हो जायेगा. वो खडी हो गयी, फिर मैने वो तेल की शीशी हाथ मे ले ली और कुछ मन्त्र कहने का नाटक करते हुए वो तेल बिलकुल थोडासा लेकर उनकी टान्गोपे मलना शुरु किया, लेकिन इस बार मैने पाव से लेकर सीधे उनकी जान्घोतक हाथ घुमाया, जान्घोके पीछेवाले हिस्सेपर भी मैने रगड लिया, बीच बीचे मे मेरे हाथ उनकी नितम्बोको छू लेते थे, मम्मी आन्खे बन्द करके लम्बी आहे भर रही थी, मैने उनके थोडा पीछे करके एक दीवारकी तरफ सटा दिया. अब वो ज्यादा हिल नही सकती थी, मैने फिर बडे आरामसे उनकी चिकनी जान्घे और फिर उनकी गुदाज नितंबोपर मसलना शुरु किया, बीच मे मैने उनकी जान्घोपर हलकेसे दात गडाए और मम्मी चिहुक उठी, लेकिन दूर हटी नही.

मैने थोडे आत्मविश्वाससे कहा कि मम्मी आप अपनी टान्गे थोडी दूर किजिए. मुझे यह सब कहने करने का साहस कहा से आया पता नही, लेकिन मम्मी अब मेरी बात पूरी तरहसे मान रही थी, उन्होने अपनी टान्गे थोडी फैला दी और मै उनकी जान्घोके बीचमे तेल मलने लगा. उनकी चूत की तरफ जैसे मेरा हाथ बढने लगा वो थोडीसी छटपटायी, लेकिन मैने साहस बान्धकर उनके जान्घोपर और कूल्होपर मसलना जारी रखा. लेकिन मैने जानबूझकर उनकी चूत पर हाथ फेरना टाल दिया, उसके इर्द-गिर्द हाथ फेरता रहा. कई बार मेरी उन्गली सीधी उनकी चूत के फूले हुए बाहरी हिस्से को छूती और मम्मी ऐसा झटका देती मानो उन्हे बिजली का करन्ट लगा हो. मै उन्हे और उत्तेजित करना चाहता था इसलिये मैने उनकी चूत मे हाथ नही डाला. फिर मै उपर उठा और तेल लगा हाथ उनके साडी का पीछे वाला हिस्सा हटाकर उसमे हाथ डाल दिया.

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मम्मी अपना चेहरा दिवार से सटाकर चुप खडी थी, उनके मुह्से मात्र सिसकिया निकल रही थी. मैने उनकी पीठ मसलना शुरु किया, मम्मी कुछ बोल नही रही थी लेकिन मुझे सहयोग भी दे रही थी, मैने साडी थोडीसी उपर उठाकर उनकी नन्गी पीठ पर हलके हलके चुम्बन जडना शुरु किया, धीरे धीरे उपर आकर मैने उनके भरे हुए कन्धोपे दात गडा लिये, मुझे अब उनके वक्षो का उपर से नजारा दिख रहा था और मेरी तना हुआ लन्ड उनकी गान्डपे धक्के मार रहा था. पहली बार जब मेरा लन्ड उनकी गान्ड को टच कर गया तो मैने झट्से मेरी कमर पीछे ले ली, लेकिन उनकी तरफ से कोई परेशानी नही यह देखकर मैने आरामसे मेरीए लन्ड उनकी गान्डकी दरार मे रगडना शुरु किया, उपर मेरे हाथ उनकी पीठ मसल रहे थे और कभी हलकेसे उनकी बगल से आगे जाकर उनके बूब्स को भी छू लेते. इसतरह मै और मम्मी एकदम एक दूसरेसे चिपके हुए थे, यह मेरे सुख की परमसीमा थी, अब मै जान गया कि मम्मी भी अभी मस्ती के मूडमे मे है, कोई भी औरत अपने जवान बेटेको अधनन्गी अवस्था मे इस तरह चिपकने नही देती. मेरे सब्र का फल शायद मुझे मिलने वाला था.

मैने मम्मी को मेरी ओर मुखातिर किया. अब मम्मी की पीठ दिवारसे सटी थी, और उनकी भरी हुई चुचिया मेरे नन्गे सीनेसे टकरा रही थी. मम्मीने अपनी आन्खे बन्द की थी लेकिन उनका चेहरा लाल हुआ था, होन्ट थरथरा रहे थे. मैने मेरे हाथ उनके मुलायम पेट पर लाकर धीरे धीरे उनका पेट सहलाने लगा. फिर शरारती अन्दाज मे मैने मेरी उन्गली उनकी नाभीमे घुसा दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा. मम्मी बस लम्बी आहे भर रही थी. मैने सोचा कि अब वक्त आया है आगे बढने का. मैने उनका चेहरा कापते हुए हाथोमे लिया और बडे प्यारसे उनके माथेपे चूम लिया. यह घडी परिक्षा की थी, अगर मम्मी पीछे हट जाती या मुझे डाटती तो मामला बिगड जाता, लेकिन मम्मी ने बस ‘हम्म्म्म’ ऐसी आवाज की, मै समझ गया कि मम्मी नाराज नही बल्कि वो भी कुछ करना चाहती है.

मैने हलकेसे उनकी दोनो आन्खोपर चूम लिया, फिर उनकी नाक पर……मुझे जन्नत का मझा आ रहा था, मम्मी की गरम सासे मेरी नाक को गर्मा रही थी, उनकी आहे मेरे दिल मे वासना बढा रही थी. और फिर मम्मी ने अपने हाथ उठाये और मेरे कन्धोपे रख दिये और उन्होने अपना नीचला होन्ट दातोतले दबा दिया और उनके मुह से ‘स्स्स्स्स्स’ की आवाज आयी. उनके चेहरे पे एक अजीबसी रौनक थी, तब मैने साहस करके उनके गुलाबी होन्टोपे अपने होन्ट रख दिये. ओह्ह्ह्ह्ह्ह……………ऐसा लगा कि मै स्वर्ग मे था, मम्मी के होन्ट मुलायम और बडे रसीले थे, कुछ देर मै बस उनके होन्टोको हलके हलके चूमता रहा, मुझे अन्दाजा नही था कि वो कैसा रिअ*ॅक्*ट करेगी, उनके हाथ मेरे कन्धोपेसे हटे तो नही थे. कुछ देर बाद मै खुद उनसे दूर हुआ. मम्मीने आन्खे खोली, मेरी नजर से नजर मिलायी. आगे क्या होगा इसका मुझे कतई अन्दाजा नही था, उन्होने मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरे होन्टोपे एक कसके चुम्मा जड दिया.

अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैने भी बडे प्यारसे मम्मीका मुखचुम्बन आरभ किया, शुरु शुरु मे तो मै थोडा हिचकिचाया, और क्यू नही, जिन्दगी पहला चुम्बन, वो भी अपनी सगी मा से और इस हालतमे…………यह अनुभव मेरे लिये बहुतही नया और अद्भुत था, लेकिन मम्मी का सहयोग देखकर मुझे भी जोष आ गया, और मै बडी सहजता उनके गुलाबी औत थोडे मोटे होन्ट चूसने लगा, मम्मी की मुह से बहुत सेक्सी आवाजे निकल रही थी और उनके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे, उनके साडी का पल्लु कब का सरक गया था और मैने सीनेमे और उनके भरे हुए वक्षोके बीच मात्र एक पतलीसी साडीका फासला था. मम्मी की उत्तेजना की गवाही उनके सख्*त हुए निप्पल दे रहे थे, वो निपल मेरे सीनेमे गड रहे थे, मानो मुझे और भी भडका रहे थे. मैने इतनी देरसे मेरा हाथ मम्मीके चेहरेपर ही रखा था, मम्मीका सहयोग देखकर मुझे याद आया कि अब मै उनके इस खूबसूरत बदन का खूब मजा ले सकता हू. इस विचारसे मैने मेरा दाया हाथ नीचे लाया और मम्मी की बायी चुची कसके पकड ली. ओफ्फ्फ्फ्फ………मम्मी की उमर ४० के उपर होनेके बावजूदभी उनकी चुची बहुत कसी हुई लग रही थी यहा तो कोई ब्रेसिअरका सहारा भी तो नही था, बडे टरबुजेकी तरह सख्*त और गोल चुची को सहलाते हुए और मसलते हुए मुझे बहुत आनन्द मिल रहा था, मेरे मुह से मम्मी का मुह बिलकुल चिपका हुआ था और मम्मी अपनी जान्घो को मेरी जान्घो पे रगड रही थी. या तो व मेरे लन्डके सख्तपन का अन्दाजा ले रही थी या फिर उत्तेजनासे उनका भी पानी छूट रहा था. मैने सोचा कि इससे अच्छा मौका फिर आये ना आये, और मैने पीछे हटकर अपना मुह उनके मुह्से हटा लिया.

वो सुखद स्पर्श छोडनेकी वजहसे मै थोडा व्याकुल जरूर हुआ लेकिन मुझे अगला एक और काम करना था जिसकेलिये मै बहुत समयसे तरस रहा था. मम्मी भी मेरी इस हरकतसे शायद थोडी नाराज हो गयी और उन्होने आन्ख खोली और नजरोसेही मुझे सवाल किया कि क्यो मै दूर गया. मैने उनके कन्धोपेसे सरके हुए पल्लु को खीन्च लिया और उनकी साडी निकालने की कोशिश करने लगा, मम्मी को तब समझमे आया कि मै क्यो पीछे हटा था, उन्होने फिरसे अपनी आन्खे बन्द कर ली, मानो उन्होने मुझे अनुमति दी कि जो करना है वो करो. मैने वो साडी खीन्च कर पहले तो उनके विशाल स्तन खुले कर दिये. मै पहली बार मम्मीके वक्ष इतने करीब से और इतने निर्वस्त्र देख रहा था. क्या नजारा था, क्या बताऊ, मेरी तो सासे रुक गयी, मम्मीके वक्ष बहुत सुडौल और सुन्दर थे, बगैर किसी सपोर्ट के वो बडे शानसे उनके सीने पे खडे थे, चुचियो का आगे का हिस्सा भूरे कलर का था, बडा बडा और गोल, और उसपर एक छोटी सुपारीकी तरह खडे उनके निप्पल…..कुछ मिनिट मै अपना होशोहवास खो कर सिर्फ यह नजारा देखता रहा, फिर आगे होकर मैने उन दोनो वक्षोको हाथ मे लिया, जैसे ही मैने उन्हे हाथ मे लेकर हलकेसे मसला मम्मी की मुह से एक ‘स्स्स्स्स्स’ जैसी आह निकल आयी.

मैने अपना मुह नीचे करके उनके एक वक्ष को निपलसमेत मुह मे लिया और हलकेसे चूसना शुरु क्या, मेरी आन्ख अपने आप ही इस असाधारण सुखसे बन्द हो गयी, मैने दाये हाथ से मम्मीको अपने पास खीन्चके रखा था और बाये हाथ से मैने उनकी दायी चुची को पकडकर सहलाने लगा, मै उनके निप्पलपे उन्गली घुमा रहा था और मुझे महसूस हो रहा था कि मेरी इस क्रिया की वजहसे उनके निप्पल और भी सख्*त हो रहे थे. जैसे मेरा मम्मी का वक्ष चूसना तीव्र हो गया, वैसेही मेरे दूसरे हाथ का दबाव उनकी चुची पर बढता गया, मै बिलकुल बेहोश हो कर उनके वक्षोका आनन्द ले रहा था और वो मुह्से सेक्सी आवाजे निकाल कर मुझे बढावा दे रही थी. कुछ देर बाद मै उस अजीब अवस्था मे थोडा अनकम्फर्टेबल लगने लगा और मैने मजबूरन उनके वक्ष चूसना बन्द करके सीधा खडा हो गया. अब मम्मीने आन्खे खोल ली, उनका चेहरा लाल हुआ था और उसपर वासना साफ झलक रही थी. मैने उन्हे अपनी तरफ खीन्च लिया तो वो बडी सहजतासे मेरी बाहोमे आ गयी, मैने पहली बार मम्मी को इस तरह आलिन्गनबद्ध किया था, मुझे अपने आप पर बडा गर्व हो रहा था, आखिर मै मेरी चालसे मम्मी को अपने आप को समर्पित कराने मे कामयाब हो गया था. वो पन्डितक्ने काम बखुबी निभाया था. कुछ दिन पहले हम एक साधारण मा-बेटा थे और आज हम लगभग पूरे नग्न अवस्था मे एक दूसरेसे लिपटकर खडे थे. मम्मी की तो चुचियाभी नन्गी थी जो मै मेरे नन्गे सेनेपे महसूस कर रहा था.

मैने कुछ देर मम्मीको यूही कसके बाहोमे भर लिया था और उनके सारे अन्गोपर हाथ फेर रहा था. फिर मैने उन्हे अपने अलग किया और उनकी साडी पूरी निकालने लगा, उन्होने भी गोल गोल घूमकर साडी निकालने मे मेरी मदद की, मम्मी धीरे धीरे नन्गी हो रही थी और मै आन्खे फाडफाडकर उनके यौवन का नजारा देख रहा था. मम्मी कमरके उपर तो पहलेसे नन्गी थी अब साडी निकलनेसे उनकी गोल गुदाज गान्ड भी नन्गी हो गयी, काफी कसी हुई लग रही थी उनकी गान्ड, पेट जरा सा फूला था, घूमते हुए साडी निकालनेमे उनकी मेरी तरफ पीठ हो गयी थी सो मै उन्हे आगेसे नही देख पा रहा था लेकिन पीछेसे मम्मी गजबकी सेक्सी लग रही थी, उनकी गोरी गोरी पीठ , बीचवाली दरार, कमर बहुत मोटी भी नही थी लेकिन नीचे उनके कूल्हे पूरी तरह फैले हुए और कसे हुए थे, नीचे उनकी गोरी जान्घे सेक्सी और खूबसूरत पैरोमे समाप्त हो रही थी.

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मैने पीछे से जाकर मम्मी को दबोच लिया, अब वो पूरी तरहसे नन्गी थी और मै केवल एक गमछा लपेटे हुए था, मेरा तना लन्ड उनकी गान्डपे रगडते हुए मैने उनकी गोरे कन्धोपर चूमना शुरु किया. मम्मीने अपने बाल एक जूडेमे बान्धे थे, उस जूडेको उपर उठाकर मैने उनकी गोरी गर्दन भी चूम ली और फिर मेरे हाथ उनकी बगलसे आगे लाकर उनके वक्षोको मसलना शुरु किया. मम्मी अब पूरी तरह मस्ती मे आयी थी, वो भी अपनी गान्डको पीछे धकेलती हुई मेरे लन्ड का स्पर्श पानेका आनन्द लुटा रही थी. मैने उनके कन्धोपे और गर्दनपे दातोसे हलकेसे काटा और फिर बेरहमीसे उनकी निप्पल उन्गलियोसे कुरेदना शुरु किया, मम्मी कसमसा गयी लेकिन मुह से बस सिसकारिया भरती थी. फिर उसने अपने आप को मुझसे अलग किया और वो उस रूममे मैने जो चद्दर बिछायी थी उस पर जाके खडी हो गयी. धीरे से वो मेरी तरफ मुडी और मुझे अपने खूबसूरत बदन का नजारा दिखाते हुए उन्होने अपने हाथ अपनी गर्दनके पीछे किये, हम दोनो मा-बेटा एक दूसरे की आन्खोमे देख रहे थे, मै उत्सुक था जानने के लिये कि अब मम्मी क्या कदम उठाती है. मम्मी उस चद्दरपर घुटने मोड कर बैठ गयी उन्होने हलकेसे मुस्कुराते हुए अपनी बालोका जूडा छोड दिया और उनके बाल आजाद हो के खुल गये, उन्होने गर्दन हिलाकर उन्हे और भी खुला कर दिया. उस अदा को देखकर मै तो मानो पागल हो गया.

यह अदा से मानो वो मुझे बताना चाहती थी कि अब वो पूरी तरह से खुल गयी है, जैसे वो एक प्रेमिका है जो अपने प्रेमी को बता रही है कि मै तो अब तैय्यार हू, अब आके मुझे अपना लो. मैने आगे बढकर मम्मीको चित लिटा दिया और उनके बदनपर मै लेट गया, इस प्यारभरी दावत को मै बडे इत्मिनान से एन्जॉय करना चाहता था. मम्मी से फिर किस करते हुए मैने उनकी बाहे उपर उठा ली, उनकी बगल का जो हिस्सा था वो मुझे बडा ही सेक्सी लग रहा था, मैने उन्हे पूछा, अम्मी अपके यहा बाल नही है तो वो शरमा के मेरी आगोशमे अपनी मुह छुपा ली, मुझे उनकी इस अदा इतनी पसन्द आयी कि मैने तडातड कई चुमबन उनके चेहरे पे और गर्दन पे जड दिये, फिर शरारत करके मैने उनकी बगल मे चूमा, गुदगुदी होनेकी वजहसे वो कसमसाने लगी और हसने लगी, मैने जबरन वहा पे मेरा काम जारी रखा और उनकी बगल का थोडा सा फूला हुआ हिस्सा हलके से काटा. उनके बदन का एक एक हिस्सा चूमते चाटते हुए मै नीचे सरक गया, कुच और समय उनकी चुचियोपर बितानेपर मैने उनके पेट को चूमना शुरु किया. मम्मी जान गयी थी कि मेरा अगला स्थान कौनसा रहेगा. उस अन्दाज से वो और भी शरमा गई, लेकिन मै अभी इस मकाम पर पहुचा था कि वहासे लौटना नामुमकिन था. मैने मम्मी की नाभीमे जीभ घुमायी जिससे उनको गुदगुदी हो गयी और वो दबे सुर मे हसने लगी लेकिन जैसे मै नीचे चूमता गया उनकी हसी सिसकारियोमे बदल गयी. आखिर मै उस जगह पर पहुचा जो जगह कोई माता अपने बच्चे को नही दिखाएगी, वासना की नजरसे तो हरगिज नही. मम्मी की चूतका उपरी हिस्सा एक पावरोटीकी तरह फूला हुआ था, और उसके नीचे उनके चूत के गुलाबी लिपलिपाते हुए होन्ट, जिनसे यौनरस बह रहा था और एक अनोखी खुशबू की महक आ रही थी.

मैने उस छेदमे उन्गली डाल दी और मम्मी ऐसे उछली मनो उन्हे बिजली का नन्गा तार छुआ हो, उनके मुह से आआआह्ह्ह……..उफ्फ्फ्फ……इसतरह की आवाजे आ रही थी, लेकिन उन आवाजोमे मस्ती भरी थी, इन्कार नही था. मैने उस रसभरी चूत मे अपनी दो उन्गलिया घुसाकर निकाल दी और अपनी नाक के पास ले जाकर एक लम्बी सास ली. मम्मी की चूतकी उस मादक खुशबूसे मै गनगना उठा और बिनाकुछ सोचे समझे मैने उनकी चूतसे मुह सटाकर चूमना शुरु किया. मम्मी उछल उछल कर अपनी कमर को झटके देने लगी. पहले तो मै इस मामले मे अन्जान होनेकी वजहसे बस कोई आईसफ्रूटकी तरह मम्मी की चूत चाट रहा था, लेकिन अनजानेमे मेरी जीभ एक खास जगहपे जा धडकी और उस वक्*त मम्मीने जो आह भरी वो सुनकर मुझे लगा जैसे मेरा लन्ड पानी गिरा देगा. बस फिर क्या था, उसी जगह को सामने रखकर मैने मम्मी की चूतपे बेरहमीसे मेरी जीभ के वार करना शुरु किया, मम्मीभी अपनी कमर उछालकर मेरा साथ दे रही थी. मैने फिर थोडा और नीचे झुककर उनके चूतमे अन्दर तक मेरी जीभ डाल दी, मेरी नाक उनकी चूतकी टीटपर रगड रही थी और मेरी जीभ अन्दरतक उनकी चूतकी दिवारको रगड रही थी. मैने मेरे दोनो हाथोको मम्मीके सीनेपर ला कर उनकी चुचिया मसलना शुरु किया, मम्मी की सिसकारिया सारे कमरे मे गून्ज रही थी. मम्मी अब मुहसे आहे भरनेके साथ जोरजोरसे बडबडा रही थी, हाय…….ये क्या हो रहा है मुझे, बेटा…….तुम तो……..आआआह्ह्ह….स्स्स्स्स्स……और अभी, और……….मममम्म्म्म्म्म्म…..आह्ह्ह……मै…..मै……बेटा सम्भालो मुझे…….ऐसा कहकर मम्मीने मेरा सर अपनी चूतपर टाईट पकड लिया, मै भी बिना रुके उनकी चूत अपनी जीभसे चोद रहा था.

वो घडी आ गयी, मम्मी ने कसमसाकर मुझे पकड लिया, उनकी चूतसे रस की फुहार बहने लगी और मम्मी एकदम शान्त हो गयी, मै समझ गया कि वो झड गयी. मुझे अपने आप पर गर्व महसूस होने लगा, न ही मैने मम्मी को सिर्फ पटाया था, उन्हे ओरल सेक्स भी करवाया था और उन्हे उत्तेजना की चरमसीमा तक ला कर खुश करके छोडा था.

मै मम्मी के पास लेट गया, मम्मी सुस्त हो कर आन्खे बन्द किये पडी थी, मैने उन्हे अब बेझिझक हो कर पास खीन्च लिया और उनके रसीले होन्टोपे एक जोरदार चुम्मा जड दिया, मेरे हाथ उनकी चुचियोन्की गोलाई नाप रहे थे और मेरा खडा लन्ड उनकी जान्घोपे रगड रहा था. कुछ देर बाद मम्मीने अपनी आन्खे खोली और मेरी तरफ देखकर बोली, यह क्या कर गये हम दोनो, यह पाप है, हम मा-बेटे है हमारे बीच मे ऐसे सबन्ध होना पाप है और वो भी इस जगह पे…….यह कहकर वो उठनेका प्रयास करने लगी, लेकिन मै अभी झडा नही था और यह सुनहरा मौका मै गवाना नही चाहता था, मैने उनके होन्टोपे मेरे होन्ट रख दिये और एक उन्गली नीचे ले जाकर सीधी उनकी चूतमे घुसा दी, मम्मी तिलमिला उठी लेकिन मेरे चुम्मा-चाटी और बाकी हरकतोसे वो भी अभी उत्तेजित हुई थी, मैने अब ज्यादा समय गवाना उचित नही समझा, मै झट्से उनके उपर चढ गया और उनकी जान्घे फैलाकर मेरा लन्ड सही निशाने पे रखा, मेरा पहला टाईम होनेकी वजहसे मुझे थोडी दिक्कत जरूर हुई लेकिन १-२ बार कोशिश करनेके बाद मेरा लन्ड मम्मी की चूतमे घुस गया, मम्मी की मुहसे बस ‘आआआह्ह्ह्ह’ की आवाज आई, मैने फिर कमर आगे पीछे करके मम्मी को घचाघच चोदना शुरु किया, बीच मे मै प्यारसे उनके होन्टोको चूमता, और बेरहमीसे उनकी चुचिया मसलता, मम्मी मेरा साथ दे रही थी अपनी कमर उचकाकर वो मेरा लन्ड और अन्दर लेनेका प्रयास कर रही थी, अब वो पूरी तरह खुल चुकी थी.

अब विधी वगैरा का कोई बहाना जरूरी नही थी, अब हम एक दूसरेसे इस तरह लिपट गये थे कि मानो २ प्रेमी हो और न मा बेटा. मुझे इसी बात का अहसास हुआ कि अब हमने जो रिश्तेकी दिवार तोडी है तो क्यू न दिल खोलके प्यार किया जाए, यह सोच कर मै भी मस्तीकी मूड मे आकर उन्हे चूमने लगा, मम्मीने उनकी जीभ मेरे मुह मे ठेल दी और हम दोनो मुखरस का आदान-प्रदान करने मे जुट गये, मम्मीके मुखरस का मादक स्वाद मुझे और गरमा रहा था. मेरी जान्घे मम्मी की जान्घोपर थप थप की आवाज करती धडक रही थी, मम्मीने मुझे बाहोसे जकड लिया था और वो पल आ गया जो मै चाहता भी था और नही भी, मुझे लगा कि अब मेरा वीर्यपतन होने वाला है. मैने मम्मीको और कसके पकड लिया और मेरे धक्कोकी रफ्तार बढा दी, मम्मीने उनकी कमर बहुत ज्यादा स्पीडसे उछालनी शुरु कर दी………….और कुछ्ही पलोमे मेरे लन्डसे एक लहर दौड गई और मै मम्मी की चूतमे मेरा वीर्य छोडने लगा, मम्मीभी शायद दुबारा झड रही थी, उन्होने मुझे कसके पकड रखा था, उनके नाखून मेरे पीठ मे गडे जा रहे थे और उनके गर्म होन्ट मेरे सीनेपर चूम रहे थे. हम दोनो निढाल हो कर एक दूसरे पर गिर गये. हमारी सासोकी आवाज के अलावा वहा कुछ सुनाई नही दे रहा था. कुछ पल ऐसेही लेटने के बाद मै मम्मी की उपरसे उनके साईडपर लेट गया.

मम्मी की आन्खे अभीभी बन्द थी, मै एक कोहनी उठाकर उन्हे निहारने लगा. कुछ देर बाद मम्मीने अपनी आन्खे खोली, मुझे यू घूरता देखकर वो शरमा गई और करवट लेकर मेरी ओर होकर बोली, क्या देख रहे हो. मैने बडे प्यारसे उन्हे और थोडा पास खीन्च लिया और कहा कि देख रहा हू आप कितनी सुन्दर हो और……….इतना कहकर मै रुक गया. मम्मी आगे की बात सुननेके लिये बेताब थी, उन्होने पूछा और क्या, बोलो बोलो. मैने कहा आप बहुत सेक्सी हो. मम्मी ने एक चपत मेरे सीनेपर मारी और बोली, हट शैतान. मुझे उनकी यह अदा बहुत पसन्द आयी, मैने प्यारसे उन्हे किस किया. इसी प्रकारकी मीठी मीठी बाते करते मुझे नीन्द आ गई और मै सो गया.
कुछ देर बाद मेरी नीन्द टूटी कुछ आवाजसे. मैने मोबाईल मे देखा तो सुबह के ४ बज गये थे, रूम की लाईट जल रही थी लेकिन मम्मीका पता नही था. मै थोडा डर गया कि कही मम्मी बुरा मानकर चली तो नही गई. लेकिन फिर बाथरूमसे आवाज आई और मम्मी बाहर आ गयी, उन्होने वही साडी पहनी थी, वास्तव मे उसे पहनी थी कहना गलत होगा, बस बदन पे लपेटी थी. मुझे जगा हुआ देखकर मुस्कुराई और बोली, क्या हुआ, नीन्द नही आ रही है क्या. मैने कहा आप भी तो जाग गई है. उन्होने कहा, हा मुझे बाथरूम जाना था, अभी फ्रेश होकर आ रही हू. इतना कहकर वो मेरी बाजूमे चद्दर पर अपने घुटनोपर बैठ गयी और कुछ ढून्ढने लगी. मैने पूछा क्या हुआ, क्या ढून्ढ रही है आप, मम्मी बोली, मेरे कानकी बाली यही कही गिर गई है और वो घोडी बनकर बाली खोजने लगी.

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इस पोझिशनमे उनकी गान्ड और चूत का थोडा हिस्सा उभरकर मेरे सामने आ गया. अब मै अपने आप पे कैसा काबू रखता. मैने उठकर उनके बडे और फूले चुतडोपर हाथ रख दिये. मेरा हाथ पा कर मम्मी हैरान हो गई और बोली, बेटा अब बस करो, रात मे हुआ सो हुआ, अब और नही. मैने कुछ जवाब न देते हुए आगे झुक गया और उनके चुतडोको चूमने लगा. पहले तो मैने अपनी जीभ उनकी चूत पे घुमायी और फिर उसे उनकी गान्ड पे ले आया, मै ऐसा कुछ करून्गा इसका मम्मी को अन्दाजा नही था, जैसेही मेरी जीभ उनके गान्डके छेदपर लगी वो उछल गयी और चूतड हिलाने लगी, मैने उनके कूल्होको मजबूतीसे पकडा और पहले उस गान्डके भूरे छेदपर जीभ फिराई और जीभ सख्त करके सीधी उस छेद के अन्दर घुसा दी. मम्मी सिसकी भरती हुई आहे भरने लगी, उफ्फ्फ……..बेटे………..क्या कर रहे हो………मैने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए मेरी एक एक करके २ उन्गलिया उस फूली हुई चूतमे भी घुसेड दी. अब मेरा मुह मम्मी की गान्ड ओए था, उन्गलिया चूतमे हरकत कर रही थी, मैने इस पोझिशनमे उनके लटकती चुचियोको मसलने लगा. इस तीन तरह के हमले से मम्मी बिलकुल मस्त हो गई और अपने होन्टोको दातोके नीचे दबाकर अपनी उत्तेजना जाहिर होनेसे रोकने लगी. लेकिन उनकी चूतसे निकलता हुआ ढेर सारा पानी उनकी अवस्था बता रहा था. मै घचाघच उन्गली पेलता जा रहा था, बीच मे उनके नितम्बोपर हलकेसे दात गडाता. फिर मैने मम्मी की चूतसे उन्गली निकाल ली और मेरा मुह सीधे उनकी चूतपर लगा दिया. उनकी चूतसे बहुत सारा रस निकल रहा था जिससे मेरा मुह सराबोर हो गया.

कुछ देर बाद मम्मीने झटका दे कर अपने आप को छुडा लिया और सीधी होकर मुझपर लेट गयी और प्यारसे मुझे चूमने लगी, उनकी भरी चुचिया मेरे सीनेपर रगड रही थी, मम्मी पागलोकी तरह बडबडाने लगी, मुझसे लिपट कर कहने लगी, जल्दी करो बेटा……..आआआ…….अब बर्दाश्त नही होता………….मेरे अन्दर आग लगाई है तूने, अब उसे बुझा दे ………..फिर मैने उन्हे थोडा ऊन्चा होने का इशारा किया. ऐसे करने से उनकी चूत बराबर मेरे लन्ड के उपर आयी, मम्मीको मेरी चाल समझमे आयी, उन्होने मेरा लन्ड अपनेही हाथोसे उनकी चूतके छेद पर सेट कर के धीरे धीरे उसपे बैठ गयी. जैसे ही वो पूरा बैठ गयी मेरा लन्ड उनकी चूत के अन्दरतक धस गया. मम्मी की चूत गजब की टाईट लग रही थी, मम्मी ने झुककर उनकी चुची मेरे मुह मे ठेल दी, मै नीचे से धक्के मारते हुए उन्हे चूसने लगा.

मम्मी भी उछल उछलकर मेरा लन्ड और अन्दर लेनेकी कोशिश कर रही थी………और इसी मे उनकी चूतसे ढेर सारा पानी निकल गया और मेरी जान्घे गीली हो गई. मम्मी सुस्त होकर मुझपर ढेर हो गई, लेकिन मै तो झडा नही था, मै अब पूरे मूड मे था, मैने उन्हे पीठ के बल लिटा दिया और उनपर चढकर घचाघच चोदने लगा, साथ मे उनकी चुचियोको बेरहमीसे मसलता था और उनके रसीले होन्टोको चूमता और चूसता भी था. मम्मी शुरुमे तो बस हिल रही थी, लेकिन मेरी ताबडतोड चुदाई से वो भी उत्तेजित हो गई, वो बोली ओह्ह्ह्ह बेटा…….और तेज और….और…..और जोरसे………ऐसेही करो मुझे……… तेज मै अभी खतम होने वाली हू…….हाय राम………..यह क्या हो रहा है मुझे……..और मुझे अहसास हुआ कि मेरा पानी निकलने वाला है. मै किसी जानवर की भान्ति गुर्राते हुए कमर तेजीसे आगे-पीछे करने लगा और कुछ ही पलोमे मेरे अन्डकोष से वीर्यकी एक और जबरदस्त फुहार छूटी और मै हाफते हाफते मम्मीके उअर गिर गया. हम दोनो पसीनेसे भीग चुके थे. मम्मीने मेरा बदन अपने बदन पर रखा था और वो प्यारसे मेरे बालोमे हाथ फेर रही थी. मुझे एक झपकीसी लग गयी.

थोडी देर बाद मम्मीने मुझे उठाया. मेरे वजनसे उन्हे दिक्कत होती होन्गी लेकिन उन्होने प्यारसे कुछ नही कहा. मै उनके बगल मे लेट गया, वो उठकर फिरसे बाथरूम हो कर आयी और दिवार को पीठ लगाकर बैठ गयी. मैने प्यारसे उनकी गोद मे अपना सर रख दिया और उन्होने भी मुझे बडे प्यारसे किस किया. मैने शरारत करते उनकी नन्गी चुचियोको मुह मे लिया और दूसरी को मसलने लगा. वो हस पडी लेकिन मुझे रोकते हुए बोली, अभी रुक जाओ, पन्डितजी आते होन्गे. हम दोनो बिलकुल नन्गे एक दूसरे के इतने करीब थे कि पूछो मत. एक बहुत शान्तसी भावना हम दोनो के मन मे थी. फिर मम्मीने उठ कर अपनी हमेशावाली साडी पहन ली, मैने भी अपने कपडे पहन लिये. सुबह के ५ बजने वाले थे, मै और मम्मी एकदम साधारण मा-बेटे की तरह बैठे थे, हमे देखकर किसी को शक नही होता कि कुछ समय पहले यह दोनो घमासान चुदाई मे लगे थे. मै और मम्मी बस उस पल का आनन्द ले रहे थे. और फिर दरवाजेपर खटखटानेकी आवाज आई.

मैने जा कर दरवाजा खोला, जाने के पहले मम्मी के होन्टोपर किस जरूर किया, उन्होनेभी मुझे आगोशमे भरकर भरपूर साथ दिया. दरवाजा खोला तो सामने पन्डित था, उसने कहा कि अब बाकी के लोग आयेन्गे. मम्मी फिर हमारे कमरे मे चली गई. वो जातेही पन्डितने मुझे पूछा कि काम हुआ कि नही. मुझे लगा कि जो भी हुआ वो मेरे और मम्मीके बीच हुआ, इस गैर आदमी को क्यू बताया जाए, इसलिये मैने चेहरेपर नाराजी जताते हुए कहा कि वो नही मानी. पन्डित परेशान हो गया कि कही मै उसकी पोल खोल दून्गा. मैने उसे पूछा कि दीदी का रिश्ता तय हुआ क्या. उसने हामी भर दी तो मैने उसे तसल्ली दी कि मै शहर मे जा कर उसका पर्दाफाश नही करून्गा. वो मुझे कई बार शुक्रिया बोला और चला गया.

अब कमरे मे मै और मम्मी दोनो फिरसे अकेले थे, मैने दरवाजा बन्द करके मम्मीको बाहोमे भर लिया. मम्मीने मुझे प्यारसे चूमते हुए कहा, अभी नही बेटा, अब घर चलते है, फिर हम दोनो रहेन्गे, हमे कई मौके मिलेन्गे. मै समझ गया कि मम्मी कोई खतरा नही उठाना चाहती लेकिन वो मेरे साथ यौन सबन्ध बनाए रखनेके लिए राजी है. इस खुशीसे मैने उन्हे एक बार फिर चूम लिया और हम दोनो हमारे कमरेकी ओर चल पडे.

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-2 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-2.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-2.html#respond Sun, 04 Feb 2018 05:52:48 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11873 पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-2, मम्मी को मेरी अन्तर्वासना के बारे में पता चाल गया तो मैंने उन्हें सहला सहला के गरम कर लिया ताकि वो कुछ और बोल न सके फिर अगले दिन मैंने उनकी तारीफ करना शुरू कर दिया की आ अभी तो बहुत यंग हो फिर हम रात का इंतज़ार किसी और रात में हम दोनों एक अलग कमरे में झुपकर गए झा मेरा प्लान उन्हें चोदने का था जो की कुछ हद तक कम्यद रही क्योकि मैंने उनकी चुत को हाथ लगाया था

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-1

फिर मैने मम्मी की साडी घुटनो तक उठायी, इसपर मम्मी ने आन्खे खोल दी और बोली, यह क्या कर रहे हो, मैने कहा मम्मी पन्डित्जी ने कहा है ऐसा करने के लिये, आप कहे तो रुक जाता हू, लेकिन मम्मी ने कहा कि नही, अगर पन्डितजीने कहा है तो करो, आखिर मोनाली के भविष्य का सवाल है. अब तो मुझे लायसन्स मिल गया फिर मैने मम्मी के पाव पे घुटनो तक तेल लगाने लगा, मम्मी ने अपनी आन्खे फिरसे बन्द की. अब धीरे धीरे उनके के चेहरे के भाव बदल रहे थे. उनका चेहरा हलका लाल होता जा रहा था,

शायद उन्हे भी इस क्रिया से मझा आ रहा था. अब मेरा भी साहस बढ गया और मैने हिम्मत करते हुए मम्मी की जान्घो पे साडी थोडी और उठानी चाही. मम्मी शरमा गयी और बोली ऐसा मत करो, मैने कहा मम्मी तेल कैसे लगाउन्गा तो उन्होने पूछा कि क्या पन्डितजी ने यहा भी तेल लगाने के लिये कहा है, मैने कहा हा ऐसेही कहा है, तो मम्मी बोली की साडी उपर मत करना. मैने कहा कि फिर तो साडी खराब हो जायेन्गी उसपर तेल के धब्बे दिखेन्गे. लेकिन मम्मी इस बार अपनी बात पे अडी रही, फिर मैने तेल अपने हाथोपे लिया और साडी के अन्दर हाथ डालकर जान्घो पे तेल लगाने लगा.

ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बताउ दोस्तो मम्मी की जान्घे इतनी कोमल और मुलायम थी, ऐसा लग रहा था जैसे फूलो पे हाथ घुमा रहा हू, अब मुझे इस मे और भी ज्यादा मझा आने लगा था, और मै चाहता था के मै इसे और लम्बा खीचू और मम्मी मुझसे उन्हे चोदने के लिये गिडगिडाये. मैने आस्तेसे मम्मी की जान्घोके उपर वाले हिस्सेपे तेल रगडना शुरु किया. मम्मी के मुह से आवाजे निकलने लगी, जैसे ही मै जान्घोके उपरी हिस्से मे पहुचा तो मेरे हाथ उस लकडी को लगने लगे जो पन्डितने उन्हे बान्धने के लिये दी थी, मै हल्केसे वो लकडी मम्मी की चुत की दिशा मे ढकेलता रहा. अब मम्मी मस्ती मे आयी थी, अपने दान्तो तले होठ दबा रही थी और आन्ख बन्द किये शायद मालिश का मझा ले रही थी. फिर मैने उनसे खडे होने को कहा, वो बोली क्यू तो मैने बताया कि पाव के पिछे के हिस्से मे भी तेल लगाना है, वो खडी हो गयी और मैने अपने घुटनो पे बैठ गया और तेल हाथ मे लेकर साडी मे हाथ घुसा के पाव के पिछले हिस्से मे उपर से नीचे तेल रगडने लगा. मम्मी बहुत अनकम्फरटेबल हो रही थी आन्ख बन्द करके खडी थी. मैने कई बार उनकी पॅन्टी की लाईन को छुआ, लेकिन जब जब मेरा हाथ उनकी गान्डके करीब आता वो सहम जाती.

अब मै खडा हो गया और मम्मी क हाथ अपने हाथ मे लेकर तेल लगाने लगा. ब्लाउझ के चलते पूरे हाथ मे लगाना मुश्किल था, मैने मम्मी से कहा के ऐसे कपडो के साथ मे तेल लगा नही पाउन्गा, और वैसे भी नीचे का हिस्सा रह गया है. मम्मी एकदम से चौन्क गयी, उनकी आन्खोमे कई सवाल थे पर वो कह नही पा रही थी. मैने उनसे कहा मम्मी अब थोडी देर मे रोशनी हो जायेगी और फिर लोगोकी भीड भी बढ जायेगी तो बेहतर यही होगा कि आप साडी ब्लाउझ उतारकर पेटिकोट पहन लो, ऐस पन्डितजी ने खुद कहा है. वो करना तो नही चाहती पर पन्डितके प्रति विश्वास की वजह से वो चुप थी. वो साईड मे जा कर सारे कपडे उतार के आ गयी. मम्मी का वो रूप देखकर मुझे लगा कि कोई स्वर्ग की अप्सरा धरतीपे उतर आयी हो मम्मीने सफेद कलर का पेटिकोट पहना था और उनके बाल खुले थे, चेहरेपे शर्म की लाली थी. मै मम्मी के पिछे खडा हुआ और उनके बालोमे तेल लगाया.

सर रगडतेही मम्मी की आन्खे मून्दने लगी, इस मौके का फायदा उठाकर मैने तेल उनकी कन्धोपे लगाया, गजब की मखमली स्किन थी, नर्म रजाई जैसी, कन्धोपे लगाते लगाते मैने उनके बूब्सके उपरी हिस्सोमे तेल लगाया. उनके बूब्स पेटिकोट मे समा नही पा रहे थे, और उभर के बाहर आने को बेताब थे. मैने तेल हाथ मे लेकर मम्मी की पीठ पे लगाने लगा, उनकी स्किन का स्पर्श एक दम सुखद था

मम्मी भी अब मेरे हाथ के स्पर्श का आनन्द ले रही थी, वो कुछ बोल तो नही रही थी पर उनका चेहरा लाल हो चुका था, अब बारी थी उनके प्रायव्हेट जगहोकी मुझे समझ नही आ रहा था कि कैसे आगे बढू. मैने उनसे कहा कि बाकी जगहोपे तेल लग गया है, मम्मी ने पूछ कही कुछ बाकी है क्या, तो मैने नौटन्की अन्दाज मे नजर नीचे घुमाकर कहा कि पन्डितजी ने तो पूरे बदन पे लगाने के लिये कहा था लेकिन मेरे हिसाब से अब मुझे रुकना चाहिये. मम्मी सोच मे पड गयी एक तरफ थी उनकी उस पन्डितके प्रति श्रद्धा और दूसरी तरफ अपने जवान बेटे के सामने नग्न हो कर उससे अपने शरीर की मालिश कराना. उन्होने मुझे फिर पूछा कि क्या पन्डितने सचमुच सब जगह लगाने के लिये बोला है.

मैने झट से कहा कि हा वाकई सब जगह पे, आप चाहती हो तो मै उन्हे बुलाकर आपके तसल्ली कर दू और ऐसा कहकर मैने निकलने का अभिनय किया. मम्मी घबडा गयी, वो नही चाहती थी वो पन्डित उसे इस अवस्था मे देखे. कुछ पल ऐसे उधेड-बुन मे बिताने के बाद मम्मीने एक तरकीब सोची. उन्होने कहा कि मै तेरे सामने अपने कपडे तो नही निकाल सकती, तुम एक काम करो, अपनी आन्खोपे कपडा बान्ध लो. मै थोडा नाराज हो गया क्योन्की मै इस काम का आराम से मझा लेना चाहता था, लेकिन यह भी जानता था की देर करनेपर लोग आना शुरु हो जायेन्गे और मेरा काम बिगड जायेगा. मैने कुछ बोले बिना अपनी आन्खो पे पटटी बान्धी और अपने हाथ मे तेल लेकर मम्मी के पेटिकोट मे उपर से हाथ डाला, जैसे ही मेरा हाथ मम्मी के बूब्स को छुआ हम दोनो के शरीर कान्प गये, मै ऐसे ही कुछ पल खडा रहा और उस अजीब महोल मे मम्मी के भरेपूरे वक्षो को रगडने का आनन्द लेने लग. जैसे ही मेरा हाथ उनके एक निपल पर आया……….उफ्फ्फ्फ…….ऐसा लग रहा था जैसे मै हवा मे सैर कर रहा हू.

मै जोरसे दबाना तो चाहता था लेकिन मन ही मन जानता था कि ऐसा करने से बना बनाया काम बिगड सकता था इसलिये मैने सिर्फ उपर उपर से हाथ घुमाया. मम्मी का निपल मेरी हथेली के नीचे सख्त होता हुआ मै महसूस कर रहा था, मै उनके बूब्स देख तो नही सकता था लेकिन उनके बूब्स के स्पर्श से अन्दाजा लगा सकता था कि उनके बूब्स काफी कठोर थे, ढीले नही पडे थे. और उनका साईझ काफी बडा था, मै सब कुछ भुलाकर उनके दोनो मम्मोपर तेल लगा रहा था. मम्मी को कैसा लग रहा था इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल था क्योन्की मै उनका चेहरा तो नही देख सकता था, उन्होने कोई आवाज भी नही की लेकिन मेरे स्पर्श से थोडी कसमसायी जरूर थी. एक एक करके मैने मम्मी के दोनो बूब्स पे तेल लगाया और अपना हाथ वहा से निकाल लिया, शायद मम्मी अपने बूब्स मुझसे और थोडा दबाना चाहती थी लेकिन उनकी तरफ से कोई आवाज नही आयी, फिर मैने मम्मी को खडा किया और उनके पेटिकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और सीधा उनके गदराई गान्ड पे रख दिया, क्या बताउ, मेरे अन्दाज़ से भी उनकी गान्ड बडी और टाईट और सुडौल थी, मेर हाथ लगते ही मम्मी का बॅलन्स बिगड गया, शायद उनको भी अब इन्ही हरकतोसे मजा आ रहा था, और वो कुछ ना कहते हुए मेरे मसाज का आनन्द ले रही थी.

पहले तो मैने उनके गोल मटोल चुतडोपे बारी बारी तेल लगाया, एक अजीब से हलचल हो रही थी मन मे, और मेरा लन्ड एक दम तना हुआ था, मैने उनकी गान्ड की दरार मे तेल लगाया और वहा से हाथ हटा लिया, फिर मैने हाथ मे तेल लिया और वो काम करने के लिये बढ गया जिसे मुझे कुछ दिन पहले करने का ना कोई इरादा न मनशा, पर आज मेरी सबसे बडी चाहत वो चीज बन चुकी थी. यह सब सोच कर मेरा लन्ड मेरे वस्त्रसे बाहर आनेकी कोशिश कर रहा था जैसे ही मैने मम्मी के पेटिकोट मे हाथ अन्दर डाला, मम्मी की मुह से एक लम्बी सास मुझे सुनाई दी, शायद वो भी जान चुकी थी कि आगे क्या होना है, मैने जैसे ही अपना हाथ मम्मी की चूत के करीब लाया तो मुझे अपने हाथ मे गरमी महसूस हुई, शायद मम्मी भी उत्तेजित हो गयी होगी.

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जब मैने उनकी चूत पे हाथ रखा तो हक्का बक्का रह गया, उनकी चूत भटटी की तरह गरम थी और गीली भी थी, चूत के उपर वाले हिस्से मे वो पन्डितवाली लकडी हाथ को लग रही थी. मम्मी शायद मेरे स्पर्श और उस लकडी की वजह से उत्तेजित हो चुकी थी, उनके चूत एकदम गदराई थी और उनके बाहर वाले होट फूले फूले से लग रहे थे. मैने जैसेही उनकी चूत पे हाथ रखा तो मम्मी एकदम झेन्प गयी और मेरे हाथ को अपनी टान्गोसे हलकेसे दबा लिया. मम्मी की चूत एकदम चिकनी थी, एक भी बाल नही था, इसका मतलब मम्मी भी एक मॉडर्न औरत की तरह सब साज-शृन्गार करती थी बस बाहरसे वो एकदम सीदी साधी लगती थी. मुझे लग रहा था कि कुछ पल वक्त यही रुक जाये, मेरी मम्मी मेरा हाथ उनके टान्गोके बीच दबाये रखे और मै उनकी मस्तानी चूत सहलाता रहू. खैर कुछ देर बाद मैने मम्मी की चूत से हाथ हटा लिया मम्मी को भी होश आया और उन्होने मेरी आन्ख की पटटी खोल दी और खुद घाट की तरफ चल पडी.

मै मम्मी के पीछे चुपचाप चल पडा, हम दोनो एक अजीबसे नशेमे थे. गन्गा मे उतरने के बाद मैने नहाने मे उनकी मदद की, लेकिन मैने जान बुझ कर उन्हे ज्यादा छुआ नही, अब आजूबाजू मे काफी लोग भी आये थे. मम्मी भी झट्से नहा कर निकली और तैय्यार हो गयी. कुछ देर बाद पन्डित आ गया, मैने उसे आन्खसे इशारा करके बता दिया की जो हुआ सो अच्छा था. मम्मी थोडी दूर जानेपर मैने उसे साफ बता दिया की यह आयडिया तो अच्छा था लेकिन अब थोडा और आगे बढाओ. पन्डित ने कहा की अभी नही थोडा सब्र करो, उसने मम्मी को पूजा-स्थान पे बिठाया और कोई किताब खोल कर मन्त्र जाप करने लगे, करीबन आधे घन्टे तक वो मन्त्र जाप कर रहे थे, फिर उन्होने मम्मी से कहा कि मुझे लगता है जिस निष्ठा से तुम यह पूजा कर रही हो उससे लगता है कि हमारे जाने से पहले ही आपका सन्कल्प पुरा हो जायेगा. मम्मी यह सुनकर बहुत खुश हुई और कहने लगी की पन्डितजी आप जो विधि है वो करवा लो अगर मोनाली की शादी हो जाये तो हम समझेन्गे भग्वान हम पे सच मे प्रसन्न हो गये है

मन ही मन हसी आ रही थी क्योन्की मै जानता था कि पन्डित ने पहले से ही मोनाली दीदी के लिये रिश्ता तय कर चुका था, मम्मी का भोलेपन का वैसे तो मुझे गुस्सा आता था, लेकिन मुझे आज उसकी मासूमियत बहुत सेक्सी लग रही थी. पन्डितने हमे आश्रम जाने के लिये कहा और कहा कि बाकी के विधी दीदी पर होने है. उसने यह भी बताया कि उन्होने एक रूम पूजा विधी के लिये ले लिया है. इसका मतलब था कि मेरा काम होनेवाला था, मै खुश हुआ और मम्मी के सुन्दर बदन के सपने देखने लगा. हम आश्रम आ गये, दीदी हमारे रूम मै सोयी थी. फिर हम दोनो मा-बेटे हमारे रूमसे उस पूजावाले रूम मे पहुचे. पन्डितने मेरे आने के बाद कमरा बन्द किया और मुझे और मम्मी को एक आसन पे बिठा दिया और मुझे मम्मी का हाथ अपने हाथ मे लेकर ध्यान करने को कहा. वो खुद भी मन्त्र जाप शुरु कर दिया, मुझे मम्मी का मुलायम हाथ मेरे हाथ मे लेकर अजीबसी उतेजना हो रही थी. कुछ देर बाद पन्डित ने बताय कि और कठिन विधी करनी होगी, मेरी मम्मीसे वो बोले कि मै वो विधी तुम्हारे सुपुत्र को समझा दून्गा, मेरी उपस्थिती मे आपको वो विधी करनी ठीक नही लगेगा, मै उसे सारी बाते समझा दून्गा लेकिन आपको वैसेही करना है जैसा बतयाअ गया हो वर्ना विधी का फल नही मिलेगा. फिर वो उस रूम के बाहर आया और मुझे समझाने लगा, उसने मुझे चन्दन का लेप दिया और एक चोला दिया और मेरे लिये एक धोती दी. उसने कहा आगे तुम देख लो इससे ज्यादा मै कुछ नही कर सकता.

मैने एक कमरे का बन्दोबस्त किया है और यहा तुम दोनोके सिवा कोई नही आयेगा, अब तुम्हे पूरा मैदान खाली छोडा है, जाके अच्छी बॅटिन्ग करो. ऐसा कहकर वो वहा से खिसक गया. मै अन्दर गया और कमरा अन्दरसे बन्द किया और मम्मी से कहा कि आपको यह चोला पहनना है. उन्होने चिन्तित स्वर मे पूछा की बेटा अब क्या करना है, मैने कहा कि पन्डितजी यह लेप दे गये है इसे आपके शरीर पे लगाना है. वो थोडी सन्देह मे थी वो बोली ऐसेही तो लगाया जा सकता है, मैने उन्हे पन्डितकी बात बतायी कि यह वस्त्र पहनकर ही लगाना है, यह पूजा के स्पेशल वस्त्र है और लगाने की भी विधी है. उन्होने पूछा कैसी विधी, तो मैने कहा कि वो बतानी नही है, गुप्त विधी है, बस करके दिखानी है. मम्मी उस कमरे के साथवाले बाथरूम मे जाकर चोला पहनने लगी, मैने भी अब अपनी पॅन्ट शर्ट खोल कर वो धोती पहन ली. मम्मी जब बाहर आयी तो वो चौन्क गयी, पूछने लगी कि तुमने अपने कपडे क्यू निकाल लिये, मैने कहा यह धोती पहन के विधी करनी है, मम्मी मुह बनाके वही खडी रही. मै कुछ समझा नही कि वो ऐसा क्यू कर रही है, लेकिन जब मेरा ध्यान मम्मी के कपडो पे पडा तो मै दन्ग रह गया, दरसल वो चोला बहुत ही छोटा था,और नीचे का हिस्सा एक ढीले स्कर्ट जैसा था जो मुश्किलसे उनकी घुटनोतक ही आ रहा था, मम्मी की केले जैसी गोरी चिकनी जान्घे साफ दिख रही थी.

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ब्लाउझ इतना छोटा था कि मम्मी के विशाल स्तन उसमे समा भी नही रहे थे, छाती पूरी ढकी थी बस, वैसे तो उनकी ८०% बूब्स इतने उभरकर आये थे मानो नन्गेही हो. उपर से वो ब्लाउझ इतना ढीला था और उसका गला बडा था. . उसकी स्लीव्स ढीली होनेकी वजह से मम्मी की साफ सुथरी बगल का हिस्सा दिख रहा था जो एकदम सेक्सी लग रहा था. सिर्फ उनकी बगलही नही बल्कि मम्मी पूरी की पूरी इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा मन कर रहा था कि उन्हे उसी वक्त लिटा कर…………खैर, मैने अपने आप पर काबू पाया, धोतीमे खडे लन्ड को मम्मीके विरुद्ध दिशा मे घूमकर अ*ॅडजस्ट किया. मुझे नही पता था कि क्या यह मेरा वहम है या और कुछ लेकिन मम्मी के चोलेसे उनके निपल्स साफ दिखाई दे रहे थे, क्या मम्मी भी उत्तेजित हुई थी यह मै नही जानता था. मुझे अब किसी तरीकेसे उनको मेरी आगोशमे लाना था.

मैने कुछ सोचकर उनको मेरे सामने बिठाया. जैसे ही मम्मी बैठ गयी मै उनके सामने घुटनोपे बैठा और उनके चेहरे पे लेप लगाने लगा, पहले मै उनके माथे पे लगाया और फिर गले पे, फिर उनकी लम्बी और सुराईदार गर्दन पे, उनके गोरे गोरे और कोमल गालोपे लगाया. उन मक्खन जैसे गालोको सहलाते हे मै जन्नत का मझा ले रहा था. उन्होने कहा कि अगर गाल पे लगाना था तो गर्दनसे पहले लगाते, मैने कहा जैसे पन्डितजी ने कहा मै तो वैसेही कर रहा हू. मैने डर डर के मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली क्या, तो मैने शरमाते हुए कहा कि आपके गाल बहुत मुलायम है, और आपके चेहरे की स्किन बहुत स्मूथ है, मम्मी शर्मसे लाल हो गयी, बोली, धत ऐसे नही कहते और चुप हो गयी. मै जान गया कि उन्हे यह सब अच्छा लग रहा है. मै उठके मम्मी के पिछे जाके बैठ गया, मम्मी का स्कर्ट नीचे खिसक गया था और उनके गान्ड की लकीर दिख रही थी, मेरा लन्ड धोती मे बेकाबू हो चला था, मैने उसे अ*ॅदजस्ट किया. फिर मम्मी का ब्लाउझ थोडा उपर किया, ढीला होने की वजह से वो आराम से उपर आ गया. मम्मी ने कापते हुए आवाज मे कहा क्या कर रहे हो, मैने कहा जैसा पन्डितजी ने बताया है वैसा ही कर रहा हू, मुझे आपकी पीठ पर शुभचिन्ह बनाना है.

मम्मी थोडी झल्ला गयी कि ऐसी विधी मैने ना देखी थी और न ही कभी सुनी थी, पता नही पन्डितजी मोनाली का दोश हटाने के लिये क्या क्या करवायेन्गे, मैने भी उनकी हा मे हा मिला दी, मन ही मन मै सोच रहा था कि यह साजिश तो हम दोनो ने रचाई है. लेकिन शायद मम्मी को यह सब उत्तेजित भी कर रहा था, क्योन्कि वोह यह सब दिखाने के लिये कह रही थी अन्दरसे वो भी शायद मेरे हाथोका स्पर्श चाहती थी. और ऐसा नही होता तो उसने ऐसे विधी के लिये कब का मना कर दिया होता. जैसे ही मैने मम्मी की लगभग पूरी नन्गी पीठ को छुआ मेरे शरीर मे बिजली दौड गयी, मेरी रगो मे खून दुगनी रफ़्तार से बहने लगा. मम्मी का भी शायद यही हाल था, उनकी पीठ एकदम चिकनी थी बिलकुल गोरी, उसपर कोई निशान नही था. मैने साहस करके शरारत करने की सोची और मम्मी से कहा, मम्मी एक बात कहू, वो बोली अब क्या है. मैने कहा मम्मी आपकी पीठ फ़िसलपटटी जैसी है, वो हसने लगी और पूछने लगी क्यू, मैने कहा हाथ रुकता ही नही फिसल जाता है. फिर मम्मीने कहा कि अब बस बहुत तारीफ कर ली. मैने कहा सचमुच मम्मी इस आश्रम के इस माहौल मे इन कपडो मे इस पूजा-पाठ की विधी मे आप सच मे कोई अप्सरा जैसी लग रही हो. मुझे मेरे साहस पे खुद भी विश्वास नही हो रहा था कि मैने यह कह दिया. लेकिन मम्मी तो सिर्फ हस पडी, कही, मै जानती हू मै क्या हू, एक औरत जो पूरी जवान भी नही और पूरी बुढढी भी नही.

मुझे यकीन हो गया कि अब मम्मी को भी इन शरारती बतो मे मजा आ रहा था, मैने कहा मम्मी आप क्या बात करती हो, जब आप और दीदी साथ साथ चलती हो तो लोग आप दोनो को बहने कहते है. मम्मीने मुडकर मेरी तरफ देखा और कहा सचमे तुझे ऐसा लगता है, मैने कहा हा मम्मी वाकई आप की उमर ज्यादा लगती नही. कोई भी औरत तारीफ से पिघल जाती है और मम्मी भी एक औरत ही थी, उनका खूबसूरत और गोरा चेहरा लाल हो गया, उन्होने यह बात पे जरा भी ध्यान नही दिया कि मै उन्हे बातो मे उलझाकर उनकी पीठ को बहुत समय से मसल रहा था. मैने शुभचिन्ह बना लिया और मम्मी को कहा कि आप लेट जाओ.

उन्होने पूछा कि अब क्या करना है. मैने कहा पन्डितजीने जो कहा मै वैसा ही कर रहा हू. जैसे ही मम्मी लेट गयी,मै उनकी जान्घो के करीब बैठ गया, वो मुझे टुकुर टुकुर देख रही थी मगर कुछ बोल नही रही थी. मैने हाथोपे लेप लिया और उनकी जाघो पे लगाने के लिये आगे बढा, मेरा हाथ उत्तेजना की वजह से कान्प रहा था, और मुझे यकीन नही हो रहा था कि मै यह सब अपने हाथो से कर रहा हू और वो भी मम्मी की अनुमति से खैर जैसे ही मैने अपना हाथ मम्मी की जान्घो पे रखा, मेरा शरीर ठन्डा पड गया,

मम्मी की जान्घे मुलायम और गरम थी शायद वो भी मेरी तरह उत्त्तेजित हो चुकी थी, वो अपनी आन्ख बन्द कर धीरे धीरे आहे भर रही थी, वो आवाज मुझे बडी सेक्सी लग रही थी, उनकी सासे भी तेज हो गयी थी. उनकी तरफसे कोई विरोध नही था यह देखकर मैने सुकूनसे फिर उनके पाव से लेकर जान्घो तक लेप लगाया. सुबह किये हुई तेल मालिश की वजह से उनकी टान्गे और भी चिकनी हो चुकी थी. मैने लेप लगाते लगाते मम्मी से हिम्मत करके पूछा, मम्मी आप अपनी टान्गोपे क्या लगाती हो, उन्होने आन्खे खोल कर मेरी ओर देखा और पूछ क्यू, मैने कहा मुझे नही पता था के इतनी भी मुलायम स्किन किसी की हो सकती है. तो मम्मी हस के बोली तुम पागल हो, मैने फिर जिद की के बताओ ना क्या लगाती हो, वो बोली कुछ खास नही हमेशा तेल मालिश करती हू, लेकिन आज मेरे लाडले बेटेने मसाज किया है इसलिये स्किन और भी नरम हो गयी होगी, चल अब जल्दी खतम कर इस विधी को, जैसे ही मैने स्कर्ट के अन्दर हाथ डाला तभी दरवाजेपर किसीने खटखटाया. साला कौन आ गया इस वक्त यह सोचकर मै दरवाजेकी ओर बढा, मम्मी के शकल पर भी नाराजी झलक रही थी, वो उठकर बाथरूम मे चली गयी कि कोई उसे इस हालत मे न देखे. मुझे बडा गुस्सा आया, झट्से दरवाजा खोला तो देख पन्डित लौट आया था, मै गुस्सेमे फुसफुसाया कि क्या है, मैने क्या कहा था तो वो कहने लगा कि मोनालीदीदी जाग गयी है और कबसे पूछ रही है वो यहा आ जाती तो सब गडबड हो जाता और काम बिगड जाता. फिर मम्मी नहा के चेन्ज कर के आ गयी और हम दोनो हमारी रूम मे चले गये.

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जाते जाते मैने पन्डितको एक कोने मे ले जा कर दुबारा धमकाया अब पूजा मे सिर्फ २ दिन बचे है, वो अगर मेरा काम नही करेगा तो मै भी उसे किया हुआ वादा भूल जाउन्गा और फिर तुम्हारा जो अन्जाम होगा वो तो तुम्हे पता है. पन्डित डर गया और मुझसे बिनती करने लगा कि प्लीज मुझे थोडा समय दे दो, आज रात को किसी भी हालत मे मै तुम्हारा यह काम करून्गा, अब तुम जाके सो जाओ, रात को तुम्हे जागना है. दोपहर मे पन्डित मम्मी और दीदी से कुछ ना कुछ पूजा और विधी करवाता रहा. शाम को मम्मी वापस रूम मे लौटी तो बहुत थकी हुई थी, वो झट्से सो गयी. दीदी सुबह सो चुकी थी तो अब वो फ्रेश थी, वो चाहती थी कि मै उसे शहर घुमाने ले जाऊ या कुछ और टाईमपास करू लेकिन मेरा सारा ध्यान रात की प्लान पे था. मै नही चाहता था कि दीदी रात को जागे और मेरा खेल बिगाड दे. मै शाम को ३-४ घन्टे सो कर उठा था, वैसे मै उन्हे घूमने ले जा सकता था लेकिन मैने ऐसा कुछ नही किया.

दीदी यूही आश्रम मे इधर उधर टहलके वापस आयी. रात को ८ बजे पन्डित रूम मे आये और कहने लगे के शादी के रिश्ते की बात आयी है, देखो अगर सब कुछ ठिक चला तो रिश्ता पक्का हो जायेगा. मम्मी अभी सो के उठी थी, यह बात सुनकर वो बहुत खुश हुई और पन्डित को धन्यवाद देने लगी. पन्डितने बडी विनम्रता से कहा मेरा कुछ नही यह सब तो आपकी पूजा क असर है, फिर उन्होने कहा के आज रात की विधि १० बजे शुरु होगी, और उन्होने कहा मम्मी से के आपके सुपुत्र और के अलावा और कोई नही हो सकता आपके साथ. दीदीने कहा मै भी चलती हू तो पन्डितने कहा ऐसा नही हो सकता, उन्होने मम्मीसे भी कहा मोनाली नही आ सकती, उसी मे तो दोश है. यह बात सुनकर मम्मी क्या कहती, उन्होने दीदीसे कहा कि तुम यही रहो, हम पूजा करके आयेन्गे, तुम सो जाना. दीदी मान गयी. हमलोग खाना खाने नीचे आ गये, पन्डितने मुझे बाजूमे ले जाकर सब समझा दिया यू समझो सारा मामला फिट्* कर दिया. मम्मी ने बीचमे उसे पूछा तो उसने बताया कि वो मुझे विधी ठीकसे समझा रहा है, फिर मम्मी क्या बोलती. खाना खाने के बाद हम रूम मे आ गये, कुछ देर बाद पन्डित आया और पूजा के लिये चलने को कहा. हम भी तैयार थे खास करके मै तो बहुत उतावला हो चुका था. मम्मीने दीदी से कहा कि तुम सो जाना और दरवाजा अन्दरसे लगा लेना, हम जब भी आयेन्गे तुम्हे जगा लेन्गे. दीदीने दोपहर मे आराम नही किया था जो मैने किया था, इसलिये उसे भी नीन्द आ रही थी. उसने सोने की तैयारी कर दी. उसे वहा छोड कर हम दूसरे कमरे मे दाखिल हो गये.

पन्डितने वहा जाते ही हमे कुछ देर पूजा के स्थान पर बिठाया और मन्त्र जाप करने लगा. यह नाटक कुछ समय चलने के बाद मैने उसे आन्खोसे इशारा किया कि अब बहुत हो चुका, चलो अपना काम निपटाओ. तुरन्त उसने अपना कारोबार खतम किया, जाते वक्त मम्मीसे बोला कि बाकी की विधी मै आपके सुपुत्र को समझा के चलून्गा और सुबह ५ बजे आउन्गा.

मुझे वो बाहर ले गया और कहने लगा अब सब तुम्हारे हाथ मे है, मैने कुछ अलगसे वस्त्र रखे है वोही पहनाना, तुम्हारा काम आसान हो जायेगा. मात्र ५ बजे तक का वक्*त है तुम्हारे पास, उसके बाद तो बाकीके लोग जाग जाते है और अपनी अपनी पूजा के लिये निकल पडते है, उस टाईम तुम्हे इस कमरे मे रहना ठीक नही होगा. बस अपना वादा याद रखना, मेरे नाम पे अपने शहर मे कोई धब्बा नही लगना चाहिये. मै समझ गया कि इससे ज्यादा कुछ करना उसके लिये सम्भव नही होगा. अब सचमुच सबकुछ मेरे हाथमे था अगर मै इस रात को कामयाब नही होता तो फिर ऐसा सुनहरा मौका कभी नही आता.

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मेरे परिवार मे 4 लोग है, मै, मेरी बडी बहन मोनाली उनकी उम्र 24 साल है, मेरी मम्मी उषा उनकी उम्र 43 और पापा बलवंत उनकी 47 साल है, और मै 20 साल का हू. हम एक मिडलक्लास परिवार वैसे पैसे की कोई तकलीफ़ नही थी, पापा सरकारी नौकर थे, अच्छी तनखा थी उनकी यह कहानी कुछ महिने पहले की है, मेरी दीदी 23 की हो चुकि थि,उन्होने डिग्री कर ली और वो घर का सब काम जानती थी, बहुत ही सुन्दर और सुशील थी, पर उनकी शादी नही हो पा रही थी क्योकी वो मान्गलिक थी और उनकी जनमपत्री मे भी कुछ दोष था. उनकी शादी ना होने से मम्मी पापा बहुत परेशान थे.

पापा सरकारी नौकर होनेकी वजह से उन्हे काम के सिलसिले मे अक्सर बाहर रहना पडता था, पर १ या २ दिन से ज्यादा नही. एक दिन मै घर पर आया तो मम्मी पापा आपस मे हमेशा की तरह दीदी की शादी की बात कर रहे थे, फिर हमारा पन्डित आया जो दीदी के लिये रिश्ता ढून्ढने मे मदद कर रहा था. उसने बताया के दीदी की जनमपत्री का दोष हटाने के लिये हरिद्वार मे गन्गा किनारे पूजा करनी होगी और उनकी शुद्धि करनी होगी तब कोई मान्गलिक लडका दीदी के लिये ढून्ढ कर उनकी शादी करायी जा सकती है.

मुझे ये सब बाते ठीक नही लगती थी और मै इनमे ज्यादा विश्वास भी नही रखता था. मुझे तो उस पन्डित पर भी विश्वास नही था, लेकिन मम्मी और पापा उसपर बहुत भरोसा रखते थे, असल मे वो दोनो इतने परेशान थे के वो शादी के लिये कुछ भी करने के लिये तैयार थे, पन्डित की बाते सुन कर वो खुश हुए और उस पूजा के लिये फ़ौरन राजी हो गये. पन्डित ने बताया की यह पूजा ७ दिन तक चलेगी और यजमान-मतलब मेरे पिता का-उपस्थित होना जरूरी है. पापा फिर नाराज हो गये के उन्हे २-३ दिन से ज्यादा छुटी नही मिलेगी, फिर ये तय हुआ के मै दीदी, मम्मी और पन्डित जायेन्गे, पापा ने हमारा रिझर्वेशन भी करा दिया.

हमने सारी तैयारी कर ली और निर्धारित समय पे स्टेशन पहुच गये, ट्रेन शाम के 6 बजे चलनी थी और सुबह ९ बजे हरिद्वार पहुचती थी. पन्डित वही स्टेशनपे आ गया था, फिर पापा ने हमे अपने डिब्बे मे बिठाया और चले गये, जाते वक्त उन्होने मुझे कुछ पैसे दिये और कहा की मा और दीदी का खयाल रखना. जब ट्रेन चली तो हम अपने अपने स्थान पे बैठ गये और बाते करने लगे, हमारे डिब्बे मे १ कपल और था, वोह खिडकी वली सीट पे आमने सामने बैठे थे और वोह अपनीही बतो मे बिझी थे, मम्मी और दीदी और वो औरत एक साईड मे थे और मै और पन्डित और वो तीसरा आदमी एक साईड मे थे. मै मम्मी के सामने था, बातो बातो मे मैने देखा की पन्डित मम्मी की तरफ़ कुछ ज्यादा ही देख रहे थे, मुझे बडा अनकम्फरटेबल फ़ील हो रहा था और शायद मम्मी को भी. साला पन्डित कभी मम्मी के बडे बडे बूब्स की ओर देखता तो कभी उसकी जान्घो की ओर, और जब भी मम्मी किसी काम से खडी होती तो वोह उनकी कमर और उनके कूल्हो को देख रहा था.

मुझे बडा गुस्सा आ रहा था पर मैने अपने आप पे काबू बनाये रखा, कुछ समय बाद जब भी वो मम्मी की तरफ़ देखता तो मै भी देखता के वो कहा देख रहा है, इसके चलते मै भी न जाने कब मम्मी के खूबसुरत बदन को देखने लगा, मैने देखा की मम्मी के स्तन बडे विशाल और सख्त लग रहे थे, ब्लाउझ मे कस के बन्धे हुए थे, उनके हिप्स भी बडे और गोल थे, उनका पेट थोडा सा ही फूला था, उनकी स्किन गोरी थी, मम्मीने अपने जिस्म का अच्छा खयाल रखा था. उनके चेहरेपर गोल बडी लाल बिन्दी खूब सज रही थी, मेरी मम्मी अब मुझे भी बहुत खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी. साला इस पन्डित ने मेरा मम्मी की तरफ़ देखने का नजरियाही बदल दिया था.

रात हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे, मै और पन्डित सबसे उपर की बर्थ पे सोये, मम्मी और दीदी बीच की बर्थ पे और वो कपल नीचे वाली बर्थ पे सो गये. सुबह जब उठे तो देखा मम्मी और दीदी जागी हुई थी और पन्डित भी जागे हुए थे, वो कपल बीचमे ही कही उतर गया होगा, क्योन्कि दीदी और मम्मी विन्डो सीट पे बैठे थे, पन्डित मम्मी की तरफ़ ही देख रहा था और शायद मन ही मन मम्मी के शरीर को पाने की कामना कर रहा था. मम्मी ने ग्रीन कलर की साडी पहनी थी और उसी कलरका ब्लाउझ, मम्मी का शायद ध्यान नही था पर उनकी दायी चुची पूरी तरह से ब्लाउझके साईडसे दिख रही थी, वो शायद पल्लु कुछ ज्यादा ही चढ गया होगा, पन्डित तो उसे बस घूरते जा रहा था, मम्मी का स्तन काफ़ी बडा दिख रहा था और वो उनकी उमर की हिसाब से ढीला भी नही लग रहा था. ब्लाउझ का कपडा पतला होनेसे अन्दर की उनकी ब्रा थोडी दिख रही थी और उनके वक्ष का उभार मानो उस कपडेसे बाहर आनेकी राह देख रहा था.

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मम्मी की बगल के हिस्से मे आया पसीन यह सब और उजागर कर रहा था. मेरा लन्ड मेरी पॅन्ट मे फनफना उठा. कुछ ही देर मे हम हरिद्वार पहुच गये, हमने वहा एक आश्रम मे किसी से कह के बुकिन्ग करवा रखी थी. जब हम वहा पहुचे तो देखा वो एक बहोत बडा आश्रम है और रहने खाने पीने की अच्छी व्यवस्था थी, हमने २ कमरे लिये एक मे पन्डित और दूसरे मे हम तीनो, फिर पन्डित ने कहा के अभी आराम कर लो, और शाम ५.३० बजे गन्गा घाट जायेन्गे और पूजा का आरम्भ करेन्गे, हमने दोपहर को खाना खाया और फिर सो गये, ५ बजे मम्मी ने हमे जगाया और जल्दी तैयार होने को कहा, मे तुरन्त नहा के बाहर निकल गया, क्योन्कि मम्मी और दीदी को भी तैयार होना था, जब वो दोनो बाहर निकले तो दोनोने एक जैसी ही साडी पहन रखी थी, क्रीम कलर की गोल्डन बॉर्डरवाली, जैसे हम अक्सर पूजा मे पहनते है, वो दोनो बहोत सुन्दर लग रही थी. साला पन्डित पहले की तरह मम्मीको घूरते जा रहा था. मम्मी भी उनके इस बरताव से परेशान लग रही थी.

खैर हम घाट पे चले गये, वो उस आश्रम का निजी घाट था, आश्रम मे रहने वाले लोग सुकून से स्नान और पूजा कर सकते थे. पन्डित ने सारी तैयारी कर रखी थी, जैसे ही हम पहुच गये उसने मम्मी और दीदी को पूजा के स्थान पे बिठाया और मन्त्र जाप शुरु किया, मे वहा बैठे बैठे सब देख रहा था, मम्मी मेरे बिलकुल सामने बैठी हुई थी, मैने देखा की मम्मी वाकई बहुत सुन्दर और सेक्सी है, उनकी उमरकी कोई भी औरत इतनी सेक्सी मैने नही देखी थी. पूजा के इस साडी मे तो वो इतनी खूबसूरत दिख रही थी की दीदी उनसे जवान होने के बावजूद उनकी मुकाबला नही कर पा रही थी. कुछ देर बाद पूजा करने के बाद पन्डित ने कह की अब आपकी शुद्धि मन्त्रो से हो गयी है अब आप दोनो गन्गा मे ३ डुबकी लगाके आओ.

मम्मी हैरान हो गयी, उसने कहा की हमारे पास कपडे नही है, लेकिन पन्डितने कहा की अभी पूजा समाप्त नही हुई है, आपको स्नान करके फिरसे यहा आके बैठना है. मम्मी कुछ बोल नही पाई, वो चुपचाप पानी मे उतर गयी और डुबकिया लगाने लगी, जब वो बाहर आयी तब मुझे पन्डितकी चाल समझ मे आयी. मम्मी की सारी पूरी भीगने कि वजह से मम्मी और दीदी के शरीर का ज्यादातर हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था, दीदी ने काले कलर की ब्रा पहनी थी और मम्मी ने सफ़ेद, मम्मी के बूब्स एक दम उभर के आ रहे थे, और गीले पानी की वजह से सारी शरीर से चिपक गयी थी, मम्मी का पूरा शेप दिख रहा था, बहुत ही मन मोहित करने वाला दृश्य था. मम्मी का पेट हल्का सा बाहर दिख रहा था, उनकी गान्ड बडी थी, जान्घे मोटी मोटी भरी हुई, दीदी की तरफ़ मैने इतना ध्यान नही दिया मेरी नजर मम्मी से हटतीही नही थी. पन्डितका तो हाल बुरा हो चुका था वो मम्मी को देख के कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, घडी घडी अपना लन्ड धोती मे अ*ॅडजस्ट कर रहा था, मुझे उसपे गुस्सा तो बहोत आया पर मै कुछ नही बोला. रात करीबन ७.३० बजे हम वहा से चले पन्डित ने कहा खाना खाके जल्दी सो जाना, सुबह ६ बजे पूजा फिर से शुरु करनी है, और वो चला गया.
मैने मम्मी से कहा मै जरा बाहर घूम कर आता हू. आश्रम से बाहर निकला तो मैने देखा साला पन्डित शर्ट-पॅंन्ट पहने कही जा रहा था. मुझे कुछ अजीबसा लगा की ये शाम को आश्रम छोडकर कहा जा रहा है. मैने उसका पीछा करनेकी ठान ली, चुपकेसे मै भी उसके पीछे चलने लगा. थोडी देर चलने के बाद देखा तो पन्डित एक गन्दीसी दुकान मे घुस गया, मै हैरान हो गया वो तो एक देसी दारू की दुकान थी. ये पन्डित इसमे क्या कर रहा होगा, ये देखनेके लिये मै भी अन्दर दाखिल हुआ और भीड मे छुपकर पन्डितको देखने लगा, उसने एक क्वार्टर मन्गाकर गटागट आधी पी गया. मुझे इस कमीने पन्डितसे बहुत नफरत हो गई थी साला दिन मे पूजा-पाठ पढाता था और शाम होतेही उसके ये धन्दे शुरु हो जाते थे. पन्डितने आधी बोतल अपनी जेब मे रख दी और वो वहासे निकल पडा, मै पीछा करता जा रहा था. फिर पन्डित एक घर मे चला गया, वो बहुत पुराना सा घर था, मै अन्दर तो नही जा सकता था, लेकिन उस घर के पीछे जाकर देखा तो एक खिडकी का काच टूटा हुआ था,

मै अन्दर देखनेके लिये बेताब था, इसलिये बाजूमे पडे एक डिब्बे का सहारा लेकर मै खिडकीसे झाकने लगा. वैसे तो कमरा खाली दिख रहा था, एक टेबल और एक बिस्तर था, मुझे लगा मै शायद गलत कमरे मे देख रहा हू लेकिन कुछही पलोमे पन्डित एक अधेड उम्र की एक औरत को साथ ले आया, दिखनेमे साधारण सी थी लेकिन मेक-अप पर बडा जोर दिया था. चेहरे पर पावडर होटो पे लिपस्टिक वगैरा……मै दन्ग रह गया की भला ऐसी औरत के साथ ये पन्डित क्या कर रहा है. देखतेही देखते पन्डितने उसे अपनी बाहो मे भर के उसे चूमने लगा, चोलीके उपरसे उसके मम्मे दबाने लगा, कुछही पलोमे उसने वो औरत की चोली उसके सीनेसे हटा दी, उस औरत के बूब्स थे तो काफी बडे लेकिन ढीले ढीले लग रहे थे. कुछ देर यूही चुम्मा चाटी करने के बाद वो औरत बिस्तर पर लेट गयी और अपना घागरा कमरतक उठा लिया, उसने नीचे कच्छी नही पहनी थी सो उसकी काले झाटोवाली बुर साफ दिख रही थी, पन्डितने अपना पॅन्ट उतारा और अंडरवेअरसे अपना लन्ड निकाल के उसकी बुर मे घुसा दिया, मै भी ये सब देखकर बहुत उत्तेजित हुआ था, मेरा लन्ड भी मेरे पॅन्टमे सख्त हो गया. धीरे धीरे उनकी चुदई तेज होने लगी और पन्डित जोर जोर से धक्के लगाने लगे, फिर उन्होने और तेजी से चुदई शुरु की और कुछ देर बाद उनका शरीर अकड गया.

मै समझ गया के वो अब झडनेवाला है. और हुआ भी ऐसाही, कुछही पलोमे पन्डित हाफने लगा और वो औरत पर निढाल होकर गिर गया. वो औरत कुछ भी बोल नही रही थी, फिर पन्डित ने उठकर अपने कपडे पहने और वहा से निकलनेके पहले उसने उस औरत को कुछ रुपये दिये, तब मै समझ गया की वो औरत एक वेश्या थी, साला हरामी पन्डित, दिन मे बभूती लगाकर पूजा के मन्त्र बोलता था लेकिन रात को शराब पी कर रन्डीबाजी करता था.

मुझे उसपर गुस्सा भी आया और इस बात का बुरा भी लगा के मेरे मम्मी-पापा ऐसे गिरे हुए इन्सानपर भरोसा रखते थी. फिर पन्डित आश्रम आगये और उनके पीछे पीछे मै भी लौट आया, रात हो चुकी थी, हम सब ने खाना खाया, मम्मी और दीदी उपर हमारे कमरे मे चली गयी, मै इधर-उधर की टहल रहा था, पन्डितने मेरे साथ बात करने की कोशिश की लेकिन मैने टाल दिया. मै ये देखना चाहता था की कही वो कमीना हमारे कमरे के आसपास तो नही आता है, लेकिन वो एक बडेसे कमरेमे सोने चला गया जहा पर और भी लोग थे. तब मै अपने रूम मे सोने चला गया, आश्रम के रूम मे बेड नही था, जब मै रूम मे पहुचा तो देखा की दीदी दिवाल की साईड मे सो रही थी और मम्मी उनके पास. मेरा बिस्तर भी मम्मी के पास फर्शपरही|

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बिछाया था. मै चुपचाप सो गया, मम्मी और दीदी गहरी नीन्द मे थी, अब मेरे मन मे मम्मी के लिये अलग विचार आने लगे थे, बहोत कोशिश के बाद भी मै सो नही पय, एक पल मुझे मम्मी को छूने की सोची लेकिन डर के मारे आगे नही बढ पाया. फिर हिम्मत बढाकर मैने धीरे से मा के हाथ के उपर हाथ रखा, सच बताउ दोस्तो मुझे ऐसा लगा जैसे धडकन वही रुक गयी हई, फिर कुछ देर तक जब कोई हरकत नही हुई तो मै उनका हाथ सहलाने लगा, बहुत अच्छा लगने लगा था. जब मम्मी नही जागी तो मेरा साहस और भी बढ गया और मैने अपना हाथ उनके पेटपर रखा, ओहोहोहो…….कितना मुलायम था, मैने अपना हाथ काफ़ी देर तक हिलाया भी नही, अब कोई हरकत ना हुई तो मै उनका पेट सहलाने लगा, एकदम मख्खन जैसी नरम स्किन थी और नाभी काफी गहरी थी, मै उसमे अपनी उन्गली घुमा रहा था. ऐसा लग रहा थ के मै स्वर्ग मे आया हू, इसी मे मुझे नीन्द आ गयी. जगाया और तैय्यार होने को कहा, मै उठकर दात मान्जने लगा, दीदी नहाने चली गयी, उस वक्*त मैने देखा की मम्मी मुझे कुछ अजीब नजरोसे देख रही है, मैने जब उनकी तरफ देखा तो वो मुस्कुराकर नजर फेरकर चली गयी. मुझे थोडी शर्मसी लग रही थी की कही उनको रातवाली बात मालूम तो नही हो गयी.

खैर हम जब तैयार होके बाहर निकले तो पन्डित बाहर ही खडा था. हम पूजा के स्थान पे गये, वहा सफेद रन्ग के कुछ कपडे पडे हुए थे पन्डितने बताया की ये शुद्ध किये हुए वस्त्र आप दोनो (यानि मम्मी और दीदी) को पहनने होगे, पर अभी आप इन्ही कपडो मे रहे, फिर कुछ देर मन्त्र पढ कर उसने मम्मी और दीदी से कहा की आप पानी मे डुबकी लगा के आओ और ये जो वस्त्र है वो पहन लो. मम्मी-दीदी जब डुबकी लगाकर वस्त्र पहन लिये तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गयी, काहे के वस्त्र वो तो सिर्फ एक ब्लाऊझ और पेटिकोट था और एक चुन्नी, साईझ मे इतने छोटी की मम्मी के बूब्स ब्लाउझमे आधे भी समा नही पा रहे थे, और पेटिकोट बिलकुल उनकी नाभी के नीचे था, शायद अन्दर उन्होने पॅन्टी नही पहनी थी जिसकी वजह से उनकी गान्ड पेटिकोटसे साफ झलक रही थी. दीदी का भी यही हाल था लेकिन मेरी आन्खे तो सिर्फ मम्मी के गदराये हुए जिस्म पर थी, उन्होने किसी तरह उस चुन्नी जैसे कपडे से अपना काम चलाया. पन्डितने आकर फिर पूजा और हवन शुरु कर दिया, जैसी ही मम्मी आहुती देने के लिये हाथ हवन कुन्ड की ओर ले जाती उनके बूब्स उस छोटेसे ब्लाउझसे बाहर आनेकी कोशिश करते थे, मेरा उनको इस हाल मे देख के लन्ड खडा हो गया, पन्डित का भी कुछ ऐसाही हाल था.

एक-दो बार तो मम्मीने शायद मुझे लन्ड अ*ॅडजस्ट करते हुए देख भी लिया था. मै घबरा गया पर कुछ कह न सका, बस वही खामोश बैठा रहा. जब हवन खतम हुआ तो नारियल डालने के लिये सब खडे हो गये, पन्डित सामने था, दीदी और मम्मी पास पास खडी थी और मै मम्मी के पिछे खडा था. पन्डित ने कहा की नारियल की आहुती के समय परिवार के सभी लोग जिस पे नारियल रख के आहुती देते है उसे हाथ लगाये, मै मम्मी के पिछे लकडी पकडके खडा था मम्मी थोडीही पिछे आई और मेरा तना हुआ लन्ड उनकी गदराई गान्ड से एकदम सट गया उधर वो पन्डित कुछ मन्त्र जाप करने लगा लेकिन मै मम्मी की मोटी मांसल गान्ड पे अपने लन्ड के स्पर्श का आनन्द ले रहा था.

कुछ देर बाद जब नारियल की आहुती देने लगे तो मम्मी और दीदी झुक के उस हवन कुन्ड मे डाल रहे थे, इस सूरत मे मम्मी की गान्ड मेरे लन्ड से एक दम सट सी गयी, मै भी जरा भी पिछे नही हटा बल्कि अपने आप को थोडा और आगे की ओर किया जिसकी वजह से मम्मी जब जब झुकती थी मेरा लन्ड मानो उनकी गान्ड की छेद मे धस सा जाता था. आहुती खतम होने के बाद जब हम सब खडे हो गये तो मुझे मम्मी की रिअ*ॅक्शन का डर था, लेकिन उसके चेहरे पर कुछ फर्क नही था.
फिर पन्डित ने कहा की अबकी बार आप तीनो एक बार गन्गा मे नहा कर आ जाओ, और फिर मम्मी और दीदी को कहा की आप अपने दूसरे कपडे पहन लेना. जब हम पानी मे गये तो मम्मी की पीठ मेरे सामने थी, जैसे ही मम्मी ने पहली दफा डुबकी लगायी, गीले पानी की वजह से उनकी गान्ड का शेप साफ दिखने लगा. मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया, मम्मी आराम से नहा रही थी और मुझे उनकी नन्गी पीठ, कमर और गान्ड के खूब दर्शन हो रहे थे. जब डुबकिया लगाने के बाद मम्मी मेरी तरफ मुडी तो मेरा दिल जोरो से धडकने लगा, उन्होने चुन्नी हटा दी थी, और उनके बडे बूब्स मेरी आन्खो के बिलकुल सामने थे, उनके बूब्स का सिर्फ़ ३०-४० % हिस्सा कपडे के अन्दर था बाकी पूरा बाहर था.

मेरा दिल कर रहा था के मै वही उन बडे मम्मो को भीन्च दू, लेकिन मम्मी ने मुझे एक ब्लॅन्कसा लुक दिया और वहा से चली गयी. मै भी पानी से निकल कर बाहर आके खडा हो गया, कुछ देर बाद जब मम्मी और दीदी आये तो हम आश्रम के ओर चले, वहा हमने खाना खाया. पन्डित ने कहा की पूज फिर शाम ५ बजे शुरु होगी. हम अपने रूम मे सोने चले गये क्योन्की सुबह जल्दी उठे थे. शाम करीबन ४.३० बजे मम्मी ने मुझे जगाया, हम सब तैयार होके पूजा-घाट पर आ गये, पन्डित ने मम्मी से कहा की अब यहा से पूजा थोडी कठिन हो जायेगी. लेकिन मम्मे को उसपर पूरा विश्वास था उन्होने कहा की मोनाली की जनमपत्री का दोश हटाने के लिये जो आप जरूरी समझे वो बताये, हम आपका पूरा साथ देन्गे. मै मन ही मन हस पडा, मम्मी कितनी भोली थी, अगर उसने पन्डितका उस शामवाला रूप देखा होता तो………….खैर, मम्मी और दीदी अपने स्थान पर बैठ गयी, पन्डित ने विधी शुरु कर दी, फिरसे वही सुबह वाली बात बतायी, गन्गा मे नहा आओ और सफेद वस्त्र पहनो, पन्डित ने ममी को बुलाया और उन्हे एक धागा दिया उस धागे मे एक मोटी गोल करीबन ३ इन्च की लकडी बन्धी हुई थी, पन्डितने बताया की इस धागे को स्नान के बाद आप और मोनाली अपने नाभी पे पहन लेना, और जब तक पूजा पूरी तरह से खतम नही होगी, उसे नही उतारना.

स्नान होने के बाद मम्मी गजब की मादक और कामुक लग रही थी, उनके ब्लाउझके उपर वाला एक हुक भी नही था. मै समझ गया की ये जरूर इस कमीने पन्डित की चाल होगी. आज तो मम्मी के ७०% बूब्स बाहर थे और चुन्नी होते हुए भी वो उसमे समा नही पा रहे थे, वो पन्डितने दिया हुआ धागा बाहर कमर पे बान्धा हुआ था, पन्डित ने कहा की ऐसे नही, लकडी के टुकडे को अन्दर की ओर रहने दो, मम्मी ने तुरन्त अपने पेटिकोट के अन्दर कर दिया. जैसे ही मम्मी और दीदी उस धागे को और उससे से बन्धी लकडी को लेकर बैठ गयी, लकडी ने अपना काम शुरु किया. अन्दर कुछ न पहनने की वजह से वो लकडी सीधे उन दोनो की चूतपर ही रगड रही थी. और इसी वजह से दोनो के चेहरे पे एक अजीब सा भाव आ रहा था, जो आनन्द और शर्म दोनो दिखा रहा था काफी देर तक वो इस लकडी से जूझ रही थी. जब शाम की पूजा समाप्त हुई और वो दोनो खडी हुई तो मेरे होश का कोई ठिकाना नही रहा, जैसे ही मम्मी और दीदी पलटी तो उनकी गान्ड के थोडा नीचे का भाग गिला था, शायद लकडी की वजह से उनकी चूत से पानी निकल रहा था, मतलब दोनो एकदम कामुक हो चुकी थी. पन्डित ने भी मन ही मन मे कुछ सोच कर उसे घूर रहे थे, उनके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान थी. मम्मी और दीदी ने जब फिर से स्नान कर के कपडे पहने तो वो काफी शान्त लग रही थी और थकी हुई भी. पन्डित ने उन्हे आराम करने को कहा और खाने पर मिलने की बात कही.

जैसे ही हम आश्रम पहुचे मैने देखा पन्डित पॅन्ट शर्ट पहन कर चल पडा, मै जानता था की वो कहा जायेगा. पन्डित वैसे ही पहले शराब की दुकान पर और फिर उस रन्डी के पास जाने के लिये निकल पडा. लेकिन आज उसने कुछ ज्यादाही पी रखी थी, ठीकसे चल भी नही पा रहा था, लडखडा रहा था. उस दिन की तरह भी मै उस घर के पीछे छिप गया, लेकिन इस बार मैने एक तरकीब सोची थी, मेरे पास कॅमेरावाला फोन था, मैने सोचा की क्यो ना इन दोनो का व्हिडियो बनाया जाये. कुछ समय बाद पन्डित आ गया, इस बार कोई और औरत थी, जो बहुतही जवान थी, वो पन्डित से लड रही थी की उसे छोड दे, लेकिन नशे मे धुत पन्डित को अपनी वासना के आगे कुछ नही दिख रहा था. उसने उस औरत को बिस्तरपे गिरा दिया और उसके वस्त्र उतारने लगा, वो औरत चीख रही थी, चिल्ला रही थी, पन्डित ने अपने कपडे उतार दिये और वो उस औरतपर झपटनेवाला था की अन्दर से वो पहलेवाली अधेड औरत आ गयी, उसने डर डर के कहा, भागो जल्दी, पुलीस की रेड पडी है, ये सुनकर वो जवान औरत उठ के खडी हो गयी और अपने कपडे उठाकर अन्दर की तरफ भाग गयी. पन्डित नशे मे था, उसने इस अधेड औरत को अपने बाहो मे भर लिया और उसे चूमने लगा, लेकिन उस औरत ने एक जोरदार तमाचा उसके गाल पे जड दिया और उसको पीछे की दरवाजे की तरफ ढकेल दिया. आगे क्या होगा इसका मुझे अन्दाजा नही था, अचानक पन्डित और वो वेश्या पीछे का दरवाजा खोलकर मेरे सामने आ गये.

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हम दोनो मे कौन ज्यादा अचम्भित हुआ ये बताना मुश्किल है, उस औरत ने पन्डित को ढकेल दिया, लेकिन पन्डित ने उसको काफी कसके पकडा था, सो वो दोनो एक दूसरे पर गिर गये. मैने होश सम्भाला और झट से मेरे फोन के कॅमेरेमे उन दोनो की तस्वीरे खीन्च ली, ये देखकर वो औरत ने पन्डितसे अपने आप को छुडाया और अन्दर भाग गयी, बडा अजीब सा नजारा था, पन्डित आधा नन्गा उस रन्डीखाने के पीछे पडा था, नशे मे धुत………तस्वीरे खीन्चने पर मै वहासे दूर भाग कर खडा हो गया और कुछ अन्तरसे वो सारा तमाशा देखने लगा.

काफी भीड जमी थी. फिर पुलीस आ गयी और उसने पन्डित को उठाकर अपने गिरफ्त मे ले लिया. उस कोठे के सामने ही उन्होने रेड मे गिरफ्तार किये लोगोकी खूब पिटाई शुरु की. अब पन्डित की बारी थी, उसका नशा अब पूरी तरह से उतरा था, उसे अब मार पडनीही थी की उसकी नजर मुझपर पडी, मै भी भीड मे खडा था. पन्डित ने पुलीस को बताया की वो आश्रम मे आया है और गलती से इन लोगोके साथ फस गया है, उसने मुझे पुकारकर बुलाया. पुलीस ने मुझे पन्डितके बारे मे पूछा. मैने मौके का फायदा उठाने की सोच ली, मैने पुलीस से कहा की ये सचमुच हमारे साथ आश्रम मे ठहरा है. पुलीस को तसल्ली हो गयी और उन्होने उसे छोड दिया, मै और पन्डित फिर आश्रम लौट आये, पन्डित बार बार मुझसे शुक्रिया कह रहा था, मै कुछ नही बोला, बस सुनता जा रहा था. आश्रम आने के बाद वो अपने कमरे मे चला गया, कुछ देर बाद जब खाना खाने सब नीचे आये तो वो भी आ गया, उसके चेहरे पे कोई चोट तो नही थी, लेकिन चेहरा लाल था, उसका नशा अब कम हुआ लग रहा था, उसकी चाल अभी भी ठीक नही लग रही थी, मम्मीने बडी चिन्तासे उनको पूछा, लेकिन उसने कुछ झूठ बोलकर बात टाल दी. खाना खाके मम्मी और दीदी उपर चले गये, मै वही पे बैठा रहा, मुझे देखकर पन्डित भी मेरे पास आ गया और बाते करने लगे, बातो बातो मे वो मम्मी की बहुत तारीफ़ करने लगा.

मुझे बडा गुस्सा आया और मैने एक जोरका तमाचा उसके गाल पे मारा और कहा, लगता है मार कम पडी है जो अभी भी औरतो के खयाल जेहेन से जा नही रहे है, वो मेरे मुह से सुन ने के बाद अपने होश मे ही नही था, फिर मैने उनको मेरे फोन के कॅमेरा की तस्वीरे बता दी. वैसे ये पन्डित था तो बडा बदमाश, लेकिन हमारे शहर मे उसका बडा नाम था, कई लोग उसे गुरू मानते थे. इन्ही लोगोकी वजह से उसका पूजा-पाठ का अच्छा धन्दा चलता था. उसे पता चला की अगर मै ये फोटो शहर मे दिखा दी तो उसे मुह छुपाने की भी जगह नही मिलेगी. मैने उसे ये भी बताया की वो शराब पीता है और रन्डीयो के पास जाता है, ये बाते अगर मै अपने शहर मे जाके सबको बता दू तो उसका सारा धन्दा चौपट हो जायेगा.

अब पन्डित बहुत डर गया था, वो मेरे आगे हाथ जोडने लगा और माफ़ी मान्गने लगा और किसी से ना कहने के लिये गिडगिडाने लगा. अब स्थिती बिलकुल मेरे कब्जेमे थी, सो मैने उसे धमकाकर उसे कहा एक शर्त पे. मैने उससे पूछा की तुम यहा पूजा के लिये आये हो या कोई और चक्कर मे. तो उसने बताया के वो मेरी मम्मी को पाने की साजिश रचानेके लिये यहा आया था, वो जानता था की मम्मी और पापा उसे बहुत मानते थे सो वो जो कहेगा उसे वो इन्कार नही करेन्गे, पूजा के बहाने वो मम्मी को अपने चन्गुल मे फसा ने के लिये ही यहा लाया था. उसे मेरे आने की उम्मीद नही थी और पापा आते तो उन्हे वो आसानीसे ठगा सकता था. मेरी वजह से उसका काम नही बन रहा था. उसने बताया के उसने वास्तव मे दीदी के लिये एक रिश्ता ढून्ढ रखा था, ये पूजा तो मेरी मम्मी को फसाने के लिये रखी थी. ये सब सुनकर मुझे उसपर बहुत गुस्सा आया और मैने भी एक कोने मे उसे ले जाके उसकी अच्छी धुलाई कर दी. उसे फिर एक बार उसके नन्गे फोटो दिखाने की धमकी दी. फिर वो मेरे पैरो मे गिर गया और रोने लगा और माफ़ी मान्गने लगा, फिर मैने उससे कहा की मेरी मम्मी का खयाल अपने दिमाग से निकाल दो, और जो दूसरी बात मैने बोली तो वो हक्का बक्का रह गया.

मैने उसे साफ कहा की मै अपने मम्मी को पाना चाहता हू, पर जोर जबरदस्ती से नही बल्कि प्यार से, और तुम मेरी इस काम मे मदद करोगे, नही तो मै उसकी पोल खोल दून्गा. पन्डित का नशा अभी काफी उतरा था, वो हसने लगा की मै कैसा कमीना इन्सान हू जो अपनी सगी मा के साथ यौन-सबन्ध बनाना चाहता है. फिर मैने उसे एक और थप्पड मारा और कहा की हरामी तेरी वजह से ही मेरी नियत बिगडी है, तो अभी ज्यादा नौटन्की मत करना, मेरा काम हो जाना चाहिये वरना तुम जानते हो मै क्या कर सकता हू. उसके पास कोई चारा भी तो नही था, वो मेरी सारी बाते मान रहा था. मैने उसे फिर एक बार धमकाया की ये काम कल सुबहसेही शुरु हो जाना चाहिए और मै सोने चला गया. जब मै रूम मै पहुचा तो देखा की मम्मी और दीदी सो चुकि है, मै भी लेट गया. रूम की खिडकी से चान्द की हल्की रोशनी आ रही थी, मैने साईड मे सोयी मम्मी की तरफ देखा, उनकी साडी घुटनो तक उन्ची हुई थी और उनके गोरे कोमल पाव उस रोशनी मे साफ़ दिख रहे थे. मेरी नीन्द उड गयी, मै मम्मी के पाव के पास बैठ गया और उन्हे देखने लगा, बहुत मन कर रहा था की मै मम्मी के पाव का स्पर्श करू पर हिम्मत जुटा नही पा रहा था, कुछ देर सोचने के बाद मैने मम्मी के पाव को हाथ लगाया मेर शरीर ठन्डा पड गया, मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था.

मैने कुछ देर अपना हाथ मम्मी के पाव पे बिना हिलाये रहने दिया और फिर कुछ देर बाद हलके हलके उनके पाव को मह्सूस करने लगा. मम्मी की टान्गो पे बाल नही थे, शायद यहा आने से पहले उन्होने निकाल लिये होन्गे, लेकिन मम्मी ऐसी मॉडर्न चीजे भी करती होगी ये सोचकर मै और उत्तेजित हो गया.

खैर मै अपना हाथ हलके हलके मम्मी के पाव पे घुमा रहा था, अब मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया था और मै अपना हाथ पाव के नाखूनो से लेकर घुटनो तक घुमा रहा था, मुझे बडा मजा आ रह था. मेरा लन्ड भी अब आगेसे चिपचिपा हुआ था. मै अपने ही खयालो मे खोया हुआ था के अचानक मम्मी जाग गयी और मेरा हाथ पकड लिया, मेरी तो जैसे सास ही रुक गयी, मै कुछ भी नही बोला और मम्मी की डाट का इन्तजार करता रहा. लेकिन मम्मीने बडे शान्त स्वर मे पूछा, बेटा तुम यह क्या कर रहे हो, मैने हिचकिचाते हुए कहा, मम्मी मै आपके पाव दबा रहा था. उन्होने थोडे गुस्सेसे पूछा क्यु, मैने कहा की मुझे लगा आप दिन भर पूजा मे बैठ के थक गयी होगी तो पाव दबाने से आराम मिलेगा, लेकिन आपकी नीन्द कैसे खुल गयी. तो उन्होने कहा बेटा यह जो लकडी बान्धी है पन्डितजी ने उससे काफ़ी तकलीफ़ होती है सोने मे. फिर मैने कहा आप सो जाईये, मै पाव दबा देता हू, थोडा चैन मिलेगा.

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इसपर मम्मी के चेहरेपर सन्तुष्टीके भाव झलकने लगे, बडे प्यार से उन्होने मेरे बालोमे हाथ फेरा और बोली, मेरा राजा बेटा मेरा कितना खयाल रखता है, मैने कहा मम्मी ये तो मेरा फ़र्ज़ है. फिर उन्होने कहा बेटा तू भी तो हमारे साथ पूजा मे लगा रहता है, तू भी तो थक गया होगा, चल अब बस कर मेरी सेवा, सो जा यह कहकर वो लेट गयी. मै भी उनके पास जाके लेट गया. मेरे इस बर्ताव से मम्मी काफी खुश थी, उसने प्यार से मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरी तरफ मुह करके मेरे कन्धे पर हाथ डालकर सो गयी. मै उनके बाजू मे लेटा था, मम्मी की साडी का पल्लु थोडासा खिसक गया था और उनके बडे बडे मम्मे और उन मम्मोके बीच वाली खूबसूरत दरार उस चान्दनीमे गजब की जच रही थी. लेकिन मैने इस वक्*त चुपचाप सो जाना ठीक समझा.

सुबह मम्मीने मुझे ५ बजे जगाया और तैयार होने को कहा, आज मै बडी खुशीसे उठा, जल्दी से तैयार हो गया. दीदी नहाने चली गयी, मम्मी का रवैया आज बदला बदला सा था, वो मेरा बडा खयाल रख रही थी, और बात बात पे मेरी तारिफ़ कर रही थी. मेरे रात के पैर दबानेवाले ड्रामेसे वो एकदम पिघल गयी थी, वो नही जानती थी की मै उन्हे किस नजर से देख रहा था. जब हम नीचे आये तो पन्डित हमारा इन्तज़ार कर रहा था, मुझे देखतेही उसने अपनी नजरे नीचे झुका ली. हम घाट पे आये तो मम्मी और दीदी पूजा स्थान पे बैठ गये, और पन्डित ने पूजा शुरु कर दी, आज वो अपना पूरा ध्यान मन्त्र और पूजा पे लगाये हुए थे, उसने मम्मी और दीदी की तरफ देखा तक नही. कुछ देर बाद उसने मम्मीसे कहा की अब पूजा मे मोनाली की जरुरत नही है सो वो आश्रम जा सकती है, अब आगे की विधी मे आपके सुपुत्र और आपका काम है, मै समझ गया की वो मेरे लिये मौका बना रहा है. मैने इशारेसे उसको बता दिया की दीदी की नाभी की लकडी को खुलवा दे.

पन्डित ने वैसे ही किया. अब वो बिलकुल पालतू कुत्तेकी तरह मेरा कहना मान रहा था. मम्मी को थोडा अचरज हुआ, उसने पूछा ऐसा क्यू, तो पन्डित बोला की बाकी की विधी मै आपसे सम्पन्न कर लून्गा. दीदी ने जाते वक्त वो धागा पन्डित को दे दिया और वो आश्रम मे चली गयी. अब पन्डित की चाल शुरु हो गयी, उसने मम्मीसे कहा कि अब पूजा मे आपका विधीपूर्वक स्नान और शुद्धि होनी है, मम्मी ने कह की उसमे कौनसी नयी बात है, हम तो रोज करते आ रहे है. तो पन्डित ने कहा कि आगे की पूजा और कठिन परिश्रमवाली होगी, मात्र डुबकी लगाने से शुद्धि नही होगी. मम्मी ने आश्चर्यसे पूछा तो फिर क्या करना होगा, पन्डित ने बताया कि तुम्हे पहले दिव्य जडीबूटी वाला तेल लगाना होगा फिर गन्गा स्नान करना होगा, यह सब आप खुद नही कर सकती और यह काम मुझे आपके लिये करना उचित नही, आप यह पसन्द भी नही करोगी, इसलिये मै यह कार्य आपके सुपुत्र से करवाउन्गा. मम्मी हैरान हो गयी और परेशान भी, वो कहने लगी, पन्डितजी वो मेरा बेटा है, मतलब कि……वो अब अब….बडा है, मै उसके साथ उसके सामने कैसे स्नान कर सकती हू, मोनाली मुझे स्नान करा सकती है, आप उसे क्यू नही बुलाते. लेकिन पन्डित साला बहुत चालाक था, उसने कहा जी मोनाली जरूर करवा सकती थी अगर उसकी जनमपत्रीमे दोश ना होता तो.

फिर उसने और थोडा जोर देते हुए कहा कि आप अगर अपनी बेटी की जनमपत्री से दोश हटाना चाहती हो तो ऐसा करो, वर्ना इस विधी के बगैर भी काम चलाया सकता है, लेकिन…………यह कहकर पन्डितने बात आधी छोड दी. उसको मम्मी का वीक पॉईन्ट पता था, मम्मी घबरा गयी और पन्डित से माफ़ी मान्गने लगी, पन्डितजी क्षमा करे, हमे आप पर पूर विश्वास है, आप जैसा कहेन्गे वैसा ही होगा. पन्डित ने कहा कि मेरी उपस्थिती मे आप लोग ज्यादा शरमा जाओगे इसलिये मै पुरी स्नान विधी आपके बेटे से कह के कुछ देर के लिये चला जाउन्गा, और जैसा मै उसे समझा के जाऊ उसे वैसा ही करने देना, एक भी कार्य अगर ठीक से ना हुआ तो पूरी पूजा व्यर्थ हो जायेगी. और इस अजीब विधी के लिये पन्डितने एक जगह बतायी जो थी तो घाट पे ही पर थोडी दूर थी, वहा पे ज्यादा लोग अक्सर नही आते थी, अच्छी प्रायव्हसी थी. मम्मी ने पन्डित से कहा की जैसी आपकी आज्ञा हो, हम करेन्गे, है ना, यह कहकर उसने मेरी तरफ देखा, मैने भी हामी भर दी.

फिर पन्डित मुझे एक कोने मे ले गया और उसने कहा कि देखो भाई शुरुआत तो कर दी है थोडा प्रयास तुम्हे भी करना होगा, समय समय पे मै ऐसेही मौके तुम्हे देता जाऊन्गा लेकिन वो कलवाली बात किसीसे ना कहना. मैने उसे निश्चिन्त रहने को कहा, फिर वो वहा से चला गया, जाते हुए वो मुझे एक तेल की बोतल दे गया. मै समझ गया की क्या करना है. मै मम्मी के पास पहुचा, वो थोडी सी घबराई हुई थी और व्याकुल भी थी मै समझ सकता था के उनके मन मे क्या विचार आ रहे होन्गे, लेकिन मै मन ही मन मे बहुत खुश था लेकिन मम्मी के सामने मै भी परेशान होने का नाटक कर रहा था. मम्मी ने क्रीम कलर की साडी पहनी थी और मॅचिन्ग ब्लाउझ भी. उस ब्लाउझसे उनकी सफेद कलर की ब्रा भी साफ दिखाई दे रही थी. मैने थोडा हिचकिचाते हुए मम्मी से कह की विधी शुरु करे वरना सूरज निकल आनेपर और भी लोग आ जायेन्गे और फिर बडी मुसीबत होगी. मम्मी बोली की ठीक है, यह बात भी सही है, और फिर मम्मी वहा एक पत्थर पे बैठ गयी,

मै मम्मी के पाव के करीब नीचे जमीन पर बैठ गया और मम्मी का एक पाव अपने घुटनेपे रखा और पहले उनके पाव के तलवो पे तेल लगाने लगा, फिर मैने पाव की उन्गलियो पे तेल लगाया. मम्मी बहुत अन-इझी लग रही थी पर मुझे बडा अच्छा लग रहा था, फिर मैने पाव के उपरी हिस्से मे तेल लगाया, अब मेरे हाथ उनके पैरोपर घूम रहे थे. मम्मी ने अपनी आन्खे बन्द कर रखी थी और मुझे अपनी मन मर्जी करने का मौका मिल रहा था.

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कड़ाके की ठंड में सगी मौसी ने अपनी गर्म तड़पती चुत चुदवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/kadake-ki-thand-me-sagi-mausi-ne-apni-garm-tadapati-chut-chudwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/kadake-ki-thand-me-sagi-mausi-ne-apni-garm-tadapati-chut-chudwai.html#respond Sat, 27 Jan 2018 10:28:24 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11800 मौसी को किस करने लगा और थोड़ी देर में मौसी गर्म हो गयी और लंड को चुत में फिर से डाल दिया और चोदने लगा । । इस बार कंबल के अंदर ही अपनी मौसी माँ को चोद रहा था । उस रात मौसी को चार बार चोदा । मेरा लंड सूज गया था ।

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कड़ाके की ठंड में सगी मौसी ने अपनी गर्म तड़पती चुत चुदवाई
( Kadake Ki Thand Me Sagi Mausi Ne Apani Garm Tadapati chut Chudwai )

मस्ताराम कहानी के पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार | मेरा नाम सचिन है | मैं गाँव का रहने वाला हूँ । लेकिन मैं एक बड़े शहर में रह कर पढ़ाई कर रहा हूँ । उसी शहर में मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी बहन और उसके पति रहते है । अब मैं सीधे अपनी सच्ची कहानी पर आता हूँ । यह बात 25 दिन पहले की है । मेरी मौसी अपने बेटी से मिलने आयी थी । तो मौसी मुझे भी कॉल करके बुलायी । बोली आ जाओ सचिन बेटा तुमसे से भी मिलना है बहुत दिन हो गया है मिले हुए । हम बोले ठीक है क्लास के बाद आता हूँ । मैं 7 बजे शाम में अपनी बहन के घर गया । वहाँ पहुँचे तो मौसी मुझे देख कर बहुत खुश हो गयी । बोली बाप रे कितना बड़ा हो गया मेरा बेटा । ऐशे मौसी हमको बचपन से बहुत मानती है ।

हम बोले मौसी आप भी बहुत अच्छी लग रही है । मौसी बोली कुछ भी बेटा | हम बोले नही मौसी जी सच में । मेरी मौसी की उम्र 40 साल है | लेकिन  देखने मे अभी भी 26 की ही लगती है । अपने फिगर को मेंटेन रखी है । लेकिन ज्यादा मॉडर्न नही है गाँव जैसा ही रहती है । वो साड़ी पहनती है । क्योकि गाँव मे सब लोग यही पहनती है । मौसेरी बहन और जीजू भी बहुत खुश थे । उस सब से बहुत बात किये । ऐशे तो दीदी जीजू से मिलते ही रहता हूँ । फिर खाना बना सब कोई बैठ कर खाना खाया । फिर सोने की बारी आया |

हम दीदी से बोले हम कहाँ सोयेंगे तो मौसी बोली तुम मेरे ही साथ सो लेना क्योकि ज्यादा बेड नही है और ठंड भी काफी है । हम बोले ठीक है । दीदी और जीजू एक रूम में सोने चले गए । फिर हम भी  सोने चले गए | उस दिन काफी ठंड थी । हम कंबल ओढ़ कर सोने लगा । फिर कुछ देर बाद मेरी मौसी आ गई सोने वो भी कंबल के अंदर घुस गई । हम किनारा हो कर सो रहे थे तो मौसी बोली बेटा सट कर सोवो ना नही तो ठंड लग जायेगा और गिर भी जाएगा ।

हम बोले हाँ मौसी ठीक है । मौसी मुझे पकड़ कर अपनी ओर खिंच ली और मेरे शरीर से चिपक गयी । मुझे अजीब लग रहा था । और मुझे कुछ होने लगा था । मेरा  लंड खड़ा हो गया । हम ऐशे ही चुपचाप रहा कुछ देर बाद मौसी अपना पैर मेरे ऊपर चढ़ा दिया और हाथ से मुझे जकड़ कर पकड़ लिया । जिससे मौसी की बड़े बड़े चुच्ची मेरे मुह से सट गया । मेरा तो हालत खराब हो रहा था । मैं सोच रहा था मौसी को क्या हो गया । ऐशे मुझे मज़ा आ रहा था । लेकिन मुझे कुछ करने का हिम्मत नही हो रहा था । और कुछ बोलने का भी हिम्मत नही हो रहा था ।

कुछ देर बाद मौसी मेरे अंदर वियर में डाल कर लंड पकड़ लिया । तो हम हिम्मत करके  मौसी से बोले ये क्या कर रहे है । तो मौसी बोली बेटा मेरा प्यास बुझा दो तेरे मौसा को जब से चीनी रोग हुआ है तब से वो कुछ नही कर पाता है । बेटा मेरा बरसों की प्यास बुझा दो मैं यहाँ तेरे लिए ही आयी हूँ । ऐशे ये सुन के मैं बहुत खुश था |

मुझे भी चुदाई करने का बहुत मन था क्योकि कभी नही किया था बस पोर्न वीडियो देखता था और मुठ मरता था । मैं थोड़ा नाटक करते हुए बोला मौसी आप मेरे माँ की तरह है आप के साथ मैं ये सब कैसे कर सकता हूँ । तो मौसी बोली प्लीज बेटा आज मेरी प्यास बुझा दो नही तो मैं मर जाऊँगी । और बोली क्या तुम चाहते हो की तेरी मौसी किसी गैर से चुदाये |

हम बोले नही और हम बोले ठीक है मौसी जी आप की जैसी मरजी । तो मौसी बोली सुक्रिया मेरा अच्छा बेटा । मौसी बहुत खुश हो गयी । मौसी मुझे पूछी कभी चुदाई किया है?मैं बोला नही तो मौसी जी । बोली फिर अच्छा है ।

आज मैं कुँवारा लंड से चुदूँगी । फिर मौसी मेरे ऊपर आ गयी और मुझे चूमने लगा | मैं भी अपनी मौसी को चूमने लगा । कुछ देर बाद मैं मौसी के ऊपर आ गया और कंबल को हटा दिया और मौसी की साड़ी उतार दिया | अब मौसी ब्लाउज और पेटीकोट में हो गयी । मौसी की चुची बहुत बड़ा बड़ा है । मैं मौसी के गर्दन को चुमने लगा । और हाथ से चुची दबाने लगा ।

मौसी मदहोश होने लगी । फिर मैं मौसी की ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मौसी बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी पहली बार किसी औरत को नंगी देख रहा था वो भो अपनी मौसी को जिसके गोद मे खेल के बड़ा हुआ था । मौसी क्या लग रही थी एकदम शिल्पा शेट्टी जैसी | पतली कमर और सब कुछ उसके जैसी ही | हुस्न की परी | मौसी ब्रा पेन्टी नही पहनती है |

क्योंकि गाँव के बहुत कम ही लोग ब्रा पेन्टी पहनती है । इसीलिए मौसी भी नही पहनी थी । मौसी का पूरा शरीर दूध जैसा गोरी है । बड़े बड़े ममे थी । मौसी की मस्त गुलाबी चुत पर बहुत बड़ा बड़ा  बाल था । लेकिन चुत  बहुत गोरा है । मन कर रहा था चुत  चूस ले लेकिन बड़ा बाल देख कर मन नही किया और मौसी भी क्या  सोचेगी क्योकि वो उतना मॉडर्न  नही है | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर मैं चुत पर अपना हाथ फेरते ही मौसी की शरीर मे करंट दौर गया और मुँह से हल्की सी आह निकल गयी ।

फिर मैं मौसी की चुची को चुसने लगा । और एक हाथ से झांट वाली चुत सहलाने लगा थोड़ी देर में मौसी सिसकियाँ लेने लगी | उनके मुह से आ आ आ उ ऊऊ… आह उ ऊऊ करने लगी मौसी अपने मुह से धीरे धीरे आवाज निकाल रही थी क्योंकि बगल वाली रूम में बेटी दामाद था ।

यानी दीदी और जीजू । बहुत मज़ा आ रहा था चुची चुसने में । फिर मैं अपने एक ऊँगली चुत में डाल कर अंदर बाहर करने लगा । मौसी आँखे बंद कर मजे लेने लगी । फिर दो और अंगुली डाल कर अंगुली से चुत चोदने लगा । मौसी कमर हिला हिला के अंगुली से चुत चुदवा रही थी । और चुची भी मैं चूस रहा था । मेरा लंड भी बहुत टाइट हो गया था और मैं अपने चड्डी में ही झड़ गया और सिकुड़ कर छोटा हो गया ।

कुछ देर बाद मौसी का शरीर अकड़ने लगा और झड़ गयी उसके चुत से बहुत सारा पानी निकला । मेरा पूरा हाथ मे लग गया | मौसी एक दम निढ़ाल हो कर शांत हो गयी । कुछ देर ऐशे ही रहे फिर मैं कपड़े से मौसी का चुत और अपना लंड पोछ लिया । फिर से मैं मौसी का चुची  चुसने लगा और बुर में उंगली करने लगा थोड़े देर में मौसी फिर गर्म हो गयी |

मेरा भी लंड टाइट हो गया । मौसी फिर से सिसकिया लेने लगी । और बोली बेटा अब मत तड़पाओ अपनी मौसी को चोद  कर प्यास बुझा दो | हम बोले ठीक है मौसी फिर मैं अपना पूरा  कपड़ा उतार कर नंगा हो गया फिर  मैं अपने मौसी की दोनों टांगे को अपने कांधे पर रख दिया और कमर के नीचे तकिया लगा दिया । और  लंड को चुत पर रगड़ने लगा | मौसी तो और तड़पने लगी जैसी बिना पानी की मछली । चुत पूरा पानी छोड़ रहा था | और गुलाबी चुत का छेद खुल बंद हो रहा था । मौसी बोली बेटा जल्दी डालो लंड मेरे बुर में |

मौसी अपने से मेरे लंड को पकड़ कर चुत के छेद में सेट कर लिया । फिर मैं एक जोर का धक्का दिया गीली चुत होने की वजह से आधा लंड बुर में घुस गया | एक और धक्का दिया तो पूरा लंड चुत में घुस गया

मौसी की मुह से चीख निकल गयी बोली आराम से बेटा । बहुत दिन बाद मेरे बुर में लोरा गया । दर्द हो रहा । कुछ देर बाद हम धक्के लगाने लगे । मौसी कमर उछालने लगी । और आ आ आ आ आ आ ……………..उ उ उ ऊऊ करने लगी | और बोलने लगी बेटा और ज़ोर जोर से आज अपनी मौसी माँ की बुर का भोसड़ा बना दो । चोद बेटा अपनी मौसी को तेरा मौसा अब  नही चोद पता है । आज से मेरे चुत पर तेरा पहला हक और आज से अपनी रखेल बना ले बेटा । ये सुन के मुझे और जोश आ रहा था । मैं और पूरी ताकत से मौसी की बुर चोदने लगा चुत पर बाल होने की वजह से पूरा बुर पर झाग हो गया था ।

20 मिनट से जम के चोदाई हो रहा था और मैं चुची भी चूस रहा था । इस बीच मौसी 2 बार झड़ चुकी थी | फिर से मौसी का शरीर अकड़ने लगा हम समझ गये फिर से झड़ने वाली है । अब मैं भी झड़ने वाला था तो मैं मौसी से पूछा मौसी मैं झड़ने वाला हूँ कहाँ गिराये तो मौसी बोली मेरे बुर में गिरा दो बेटे इस सुखार में हरियाली ला दो । हम पूछे मौसी कुछ होगा नही । तो  मौसी बोली बेटा कुछ नही होगा मैं बच्चा नही होने वाला ऑपरेशन बहुत पहले ही तेरा मौसा करवा दिया है । हम बोले ठीक है ।

मैं अपने धक्के की स्पीड और बढ़ा दिया । और कुछ देर बाद हम दोनों साथ मे ही झड़ गया । मौसी की चुत को अपने वीर्य से भर दिया । मौसी पूरी संतुष्ट हो गयी थी । और बहुत खुश थी । और मैं अपना लंड को चुत से निकला तो चुत से वीर्य और चुत का पानी निकाल रहा था । फिर मौसी कपड़ा से चुत पोछि और मेरा लंड भी साफ किया । फिर मौसी ऊपर से कंबल ओढ़ दिया और हमको जकड़ कर पकड़ ली । फिर हम मौसी से पूछे कैसा लगा मौसी  बोली बहुत मज़ा आया बेटा इतना मज़ा कभी नही आया था । बेटा तेरे  मौसा भी इतना मजा नही दिया था । फिर मौसी बोली बेटा अब तुम हमको सब दिन चोदेगा ना हम बोले हाँ मौसी आपको जब मन होगा ?हमको बोल दीजिएगा ।

ये सुन के मौसी बहुत खुश हो गयी बोली मेरा प्यार बेटा । फिर ऐशे ही हमदोनो माँ बेटा बात करने लगे | इस बीच मेरा फिर से लंड खड़ा हो गया । मैं मौसी से बोला मौसी फिर से चोदने का मन कर रहा है तो मौसी बोली ये पूछने की बात है आज से ये तुम्हरी है जितना चाहो उतना चोदो बेटा । मैं मौसी के ऊपर चढ़ गया |

फिर से मौसी को किस करने लगा और थोड़ी देर में मौसी गर्म हो गयी और लंड को चुत में फिर से डाल दिया और चोदने लगा । । इस बार कंबल के अंदर ही अपनी मौसी माँ को चोद रहा था । उस रात मौसी को चार बार चोदा । मेरा लंड सूज गया था । सारी रात हमदोनों नंगा ही रहे । फिर सुबह हम सोये थे तो मौसी  बोली उठो बेटा 8 बज गया है । फिर हम उठे मौसी अभी भी नंगी थी । हम उठते ही मौसी को चूमने लगा । आरे क्या कर रहे हो हम बोले मौसी हमको अब रूम जाना है |

क्लास है 11 बजे | इसीलिए मौसी एक बार और चोदने दो । मौसी बोली हम मना कहाँ कर रहे है बेटा चोदो जीतना मन करता है तुमको जो मन है । करो फिर हम मौसी से बोले मौसी एक बात बोलू तो मौसी बोली बोलो फिर हम मौसी से बोले कि हमको मम्मी को चोदना है किसी तरह से जुगाड़ लगा दो तो  मौसी बोली नही तुम सिर्फ हमको चोदेगा |

मौसी मना कर दी लेकिन बहुत कहने पर मान गयी । फिर हम मौसी के चुत में लंड डाल दिया और चोदने लगा । मौसी धीरे धीरे सिकियाँ ले रही थी । दोनो को बहुत मज़ा आ रहा था । कुछ देर बाद दीदी दरवाजा खटखटाने लगी बोली उठने के लिए तो मौसी बोली हाँ आ रही हूं । फिर हम और तेजी से चोदने लगा और जल्दी से हम दोनों माँ बेटा झड़ गए ।

उसके बाद मौसी से बोला अगली बार चुत का बाल साफ कर लीजिएगा मौसी बोली ठीक है बेटा । और बोली जल्दी से कपड़ा पहन लो फिर हम दोनों कपड़ा पहन लिए । हम फिर से लेट गए मौसी उठ के चले गयी । थोरे देर बाद हम उठे और फ्रेस हो गए |

दीदी चाय बनाई पिये फिर नास्ता कर के वहाँ से चले आये । आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | आते समय मौसी दीदी बोली आते रहना हम बोले ठीक हैं । 2 दिन बाद दीदी की कॉल आया बोली छोटू रात में आ जाना तुम्हरे जीजू बाहर गए है इसिलए आ जाना हम बोले ठीक है दीदी । ।

फिर मैं रात  में वहाँ पहुँच गए । मैं अपना अगले कहानी मैं जल्द लिखूंगा अपनी सगी माँ के साथ चुदाई का । अब सिर्फ देखते है | मौसी कब  मेरे माँ को कब राजी करती है अपने बेटा से यानी हमसे चुदाई के लिए । आप सभी का आशीर्वाद रहा तो ये बहुत जल्द होगा । इससे पहले हम उस रात का कहानी लिखूंगा जब दीदी कॉल कर के बुलाई थी ।

कैसे मौसी दीदी की चुत चुदवाई मुझे  दीदी को गर्भवती करने के लिए क्योकि दीदी की शादी हुए 4 साल हो गयी थी औऱ बच्चा नही हो रहा था । उस दिन पता चला जीजू में ही कमी है । और पूरी कहानी के लिए अगले कहानी लिखने का इंतेजार कीजिये आप सब को ये कहानी कैसी लगो प्लीज कमेंट कर बताये ।

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मै और मेरे दोस्त ने अपनी अपनी माँ की चुदाई किया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/mai-aur-mere-dost-ne-apni-apni-maa-ki-chudai-kiya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/mai-aur-mere-dost-ne-apni-apni-maa-ki-chudai-kiya.html#respond Thu, 18 Jan 2018 11:26:28 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11718 माँ मेरा लंड चुसने लगी ओर मै माँ के बालो को सवारने लगा | फिर मै अपनी माँ को कुत्तिया बना कर गांड में लंड घूसाने लगा माँ आआआआ आहआहआह उ्आऊफ की अवाजे जोर जोर निकालने लगी मैने माँ के गांड में लंड डाल कर चोदने लगा मेरा लंड माँ के गांड में घूसा तो लगा कि मेरा लंड किसी गर्म बिल मे घूस गया है |

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रा नाम रासिद है और मेरा एक बहुत ही अच्छा दोस्त है और उसका नाम साहीद है ओर हम दोनो एक ही क्लास में पढ़ते है | ओर हम दोनो अपने माँ बाप के एक ही औलाद है | गर्मीयों का समय था और हम दोनों अपनी अपनी माँ को लेकर मुम्बई घूमने गए थे हम दोनो अपनी माँ के साथ पूरा मुम्बई दर्शन किए मेरे दोस्त बहुत बड़ा हरामी था |

वह जब भी मेरी माँ को देखता तब मुझ से कहता क्या माल है तेरी माँ ओर मै भी साहीद की माँ को देखकर बोलता था | क्या माल है तेरी माँ इनको चोदने में बहुत मजा आएगा हम दोनों में यह हमेशा चलता रहता था

हम सब मुम्बई दर्शन कर के अपने अपने रूम आ गए मै रूम मे आते के साथ बार्थरूम मे नहाने चला गया ओर मेरी माँ रूम का दरवाजा बंद कर के बैड पर लेट गई जब मै नहा कर बाहर निकला तो देखा कि माँ की शाड़ी कमर तक आ गई है |

मै माँ को इस हालत मे देख कर मदहोश हो गया माँ फरेन्च कक्षा पहनती थी मै माँ के पास गया ओर हल्के हाथो से उनके चूत मे हाथ फेरा माँ के चूत मे पसीना था मै माँ के चूत का पसीना चाटने लगा कि अचानक साहीद दरवाजा खटखटाया रासिद दरवाजा खोलो | मै तुरन्त माँ के शाड़ी को नीचे करने लगा कि माँ भी जग गई ओर मुझे शाड़ी नीचे करते देख कर शर्मा गई ओर कहने लगी ये तुम क्या कर रहे हो |

मैने तुरन्त कहा जब मै नहा कर निकला तो देखा कि आपकी शाड़ी कमर तक थी और साहीद भी दरवाजा खटखटा रहा है |

‎तो मै आपकी शाड़ी नीचे कर रहा था माँ बोली चलो ठीक है जाओ दरवाजा खोलो मै जाकर दरवाजा खोला साहीद बोला इतना देर दरवाजा खोलने में क्या हुआ मै बोला कुछ नहीं तुम बोलो क्या हुआ साहीद कहा चलो बाहर चलते हैं फिर मै तैयार हुआ ओर बाहर चला गया |

बाहर घूमते घूमते एक बार नजर आया साहीद बोला चलो दो दो पैक हो जाए हम दोनों बार मे जाकर बैठ गया ओर साहीद दो बोतल बियर मगाया हम दोनो ने एक एक बोतल बियर पिया ओर नशे में हो गए सहीद नशे के हालत मे कहने लगा क्या कर रहे थे |

तुम रूम मे बताओ मैने कहा क्या भाई तो साहीद ने कहा इतना देरी क्यों कि दरवाजा खोलने में मैने कहा नही यार मै तो दरवाजा खोल ही रहा था तो साहीद बोला कि तुम अपनी माँ की चुदाई तो नहीं कर रहा था |

मैने कहा क्या बताऊ साहीद मेरी माँ के शाड़ी कमर से ऊपर हो गई थी मै उनको इस हालत मे देख कर मदहोश हो गया था मै अपनी माँ को चोदना चाहता हूँ साहीद कोई आईडीया दे भाई तो साहीद ने कहा अरे भाई मै भी अपनी माँ को चोदना चाहता हूँ |

पर ऐसा नहीं होगा हम दोनो की माँ अपनी बदन को छूने तक देगी ही नहीं फिर हम दोनो रूम जाने लगे रूम पहुँचा तो देखा मेरा रूम बंद था |

साहीद बोला कही तुम्हारी माँ मेरे रूम मे तो नहीं चलो देखते हैं जैसे ही मै साहीद के रूम के पास गया तो मेरी माँ ओर साहीद की माँ आपस में बात कर रही थी

हम दोनो दरवाजे के पीछे छुप कर उनकी बाते सुनने लगे | मेरी माँ साहीद की माँ से मेरे बारे में बात कर रही थी वह कह रही थी कि देखो ना से मुझे थोड़ी आँख लग गई ओर मेरी शाड़ी कमर से ऊपर हो गई थी |

रासिद भी वही था मै अब रासिद के सामने कैसे जाऊगी तो साहीद की माँ बोली क्या बहन तुम्हारे साथ तो इतना ही हुआ है ना एक दिन की बात है जब मै रात में घर पर सोई हुई थी तब साहीद मेरी योनि में लंड घूसाने की कोशिश कर रहा था क्या बताऊ बहन मै साहीद के साथ जिंदगी भर चुदना चाहती हूँ |

मैने साहीद से कहा साले हरामी तू अपनी माँ की चूत मे लंड घूसा रहे थे | ओर मेरी माँ के बारे में बोलता था आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब जा तुम्हारी माँ तुम से चुदना चाहती है तुम्हारा तो रास्ता साफ है |

फिर मेरी माँ बोली बहन मे क्या करू तो साहीद की माँ बोली जा तू भी अपने बेटे के साथ रंगरलियां मनाओ | फिर मै अपने रूम मे आ गया कुछ देर बाद माँ भी रूम मे आई |

माँ रूम मे आते ही दरवाजा बंद करके मुझसे पूछी कि सच्च सच्च बताओ रासिद तुम मेरी शाड़ी को ऊपर देख कर मेरे साथ क्या किया है मेरा योनि में पानी निकल रहा था |

बताओ मै यह सुन कर माँ को कहा आप ये क्या कह रही है | आप मेरी माँ हो |

माँ बोली नही तुम मेरी चूत मे लंड घूसा कर चोदे हो ना यह कह कर मेरा लंड पकड़ ली ओर कहने लगी जा कर देखो तुम्हारा दोस्त अपनी माँ को चोद रहा है ओर एक तू है जो मुझसे नाटक कर रहे हो | फिर मै भी कुछ देर बाद माँ की बात मान लिया ओर माँ के साथ देने लगा | मै अपना पेंट का जिप खोला ओर लंड निकाल कर माँ के हाथ में दे दिया | ओर माँ मेरा लंड मुँह में ले कर चुसने लगी मेरी माँ मेरा लंड चुसते चुसते लोहे की तरह खड़ा कर दि अपनी थूक लगा लगा कर लंड चुसी |

फिर अपना लंड चुसवाने के बाद माँ को खड़ा किया ओर माँ को पीछे से पकड़ कर बूब्स दबाने लगा मेरी माँ की बूब्स बहुत टाइट ओर बड़ी थी | फिर मे माँ के ब्लाउज की सारे बटन तोड़ दिया ओर ब्लाउज उतार दिया |

कुछ देर तक माँ की गर्दन ओर पीठ को चुमता रहा ओर बूब्स दबाता रहा फिर मै माँ की शाड़ी को खोला अब माँ मेरे सामन लंगी हो गई थी माँ को बैड पर सुलाकर अपनी पेंट खोला ओर माँ के बूब्स पर बैठ कर मुँह में दे कर लंड चुसवाने लगा |

फिर मै 69 के पोजिसन मै हो कर माँ की पसीना वाला चूत चाटने लगा ओर माँ मेरा लंड चुसने लगी | मै माँ के चूत मे एक अँगूली डाल कर चोदने लगा माँ आआआआ आहआहआह उ्आऊफ फिर मै सीधा होकर माँ की चूत मे लंड रगड़ने लगा कुछ देर तक रगड़ने से माँ के बदन मे आग लगने लगी |

अब मै माँ के चूत मे लंड पकड़ कर अन्दर घूसाने लगा माँ सिसकारी लेने लगी फिर मैने एक जोर का झटका देकर लंड घूसा दिया ओर चोदने लगा मेरी माँ की मुँह से आहआहआह उ्आऊफ की अवाजे निकाल रही थी |

मै ओर जोर जोर से चोदने लगा ओर जोर जोर से धक्का मारने लगा मै माँ के ऊपर चढ़ कर चूत मे धक्का मार रहा था और माँ के होंठों को किस कर रहा था माँ अपनी चुदाई करने में मेरी मदद कर रही थी माँ भी गांड उठा उठा कर चुद रही थी मैने अपनी माँ की चूत को दस मिनट तक चोदा फिर चूत मे से लंड निकाल कर माँ के मुँह में दिया |

माँ मेरा लंड चुसने लगी ओर मै माँ के बालो को सवारने लगा | फिर मै अपनी माँ को कुत्तिया बना कर गांड में लंड घूसाने लगा माँ आआआआ आहआहआह उ्आऊफ की अवाजे जोर जोर निकालने लगी मैने माँ के गांड में लंड डाल कर चोदने लगा मेरा लंड माँ के गांड में घूसा तो लगा कि मेरा लंड किसी गर्म बिल मे घूस गया है |

फिर मैनें माँ की गांड भी जोर जोर से चोदने लगा माँ आआआआ आहआहआह उ्आऊफ ओर चोद मजा आ रहा है आहआहआह उ्आऊफ अब मै झड़ने वाला था तो मैं ओर जोर जोर धक्का मार मार कर माँ की गांड चोदने लगा मैने अपनी स्पीड ओर तेज कक के माँ की गांड चोदने लगा ओर माँ की गांड ही झड़ गया |

फिर मै लंड गांड में से निकालकर मुँह में देकर सब वीर्य चटवाया ओर मै माँ को अपने ऊपर ले कर सो गया |
उस रात मै अपनी माँ को तीन बार चोदा जब सुबह हुआ तो दरवाजे पर साहीद आकर खटखटाने लगा मै साहीद से बोला मै अभी नहीं आऊगा मै अभी अपनी माँ की चुदाई कर रहा हूँ | जा तू भी अपनी माँ की चुदाई कर |

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मेरी देशी मम्मी और भाभी की चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/meri-deshi-mummy-aur-bhabhi-ki-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/meri-deshi-mummy-aur-bhabhi-ki-chudai.html#respond Sun, 14 Jan 2018 05:56:48 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11661 दोस्तों यह कहानी मेरी भाभी और मम्मी की चुदाई पर आधारित है मैंने कैसे अपनी भाभी और मम्मी को चोदा यह सब बाते मै आप सभी को इस कहानी में बताऊंगा |

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मेरा नाम पुनीत है मेरी उम्र 19 साल है मेरे लंड बहुत मोटा है और बड़ा भी ये स्टोरी मेरे घर की है जो रियल स्टोरी है पढ़े और मजा ले। मेरे घर एक गाँव में है मेरे घर मै मेरी मम्मी सुरेखा जो 46 साल की है दिखने में आज भी माल लगती है उसकी चूचिया बहुत बड़ी है और देसी औरत होने के वजह से वो अभी भी जवान है। मेरे एक बड़ा भाई हैं जो 22 साल है रमेश उसका नाम है। गांव में जल्दी सादी होने के वजह से मम्मी ने भाई की शादी तय कर दी है। और मेरे पापा अब नही है।

मै पढ़ने के लिए शहर में ही रहता हूँ। लगबग 4 साल से गांव नही गया। लेकिन मम्मी ने बताया भाई की शादी है तो गाँव पहुँचा। जब मै गांव पंहुचा तो सादी को एक महीना था। भाई की शादी पड़ोस के गांव से ही हो रही थी।जब मै घर पहुँचा तो देखा घर पर काफी रिश्तेदार थे। मेरे चाचा और चाची भी आये थे जो हमसे बहुत दूर रहते है। और मेरी मौसी और मौसा भी थे। मेरे चाचा की बहू भी आईं थी। यानी मेरी भाभी गांव में सब रिश्तेदार सादी के कुछ दिन पहले से ही डेरा डाल लेते है।

मेरा चाचा सोहन जो 48 साल और चाची रमनी 46 साल  और मौसा जगन्नाथ  42 मौसी सरला 40 साल और मेरी भाभी मीनू 21 साल है। जब भाई की शादी सर्दी में थी। काफी ठंड पड़ रही थी। मेरे घर कच्चा है पर बहुत बड़ा है।  जब रात को सब बातें रहे थे। तभी मेरी मीनू भाभी मेरे पास और बोली पुनीत कैसे हो मैने कहा ठीक हूँ उस वक़्त मेरी नियत ठीक थी। भाभी ने कहा कभी अपनी भाभी से भी आके मिल लिया करो मैने कहा ठीक है अबकी बार जरूर आऊँगा।

फिर सब ने खाना खाया और अपनी अपनी कमरे में ग़ुस गये। मम्मी ने कहा तुम मीनू के साथ लेट जाओ। भाभी ने मम्मी से कहा पर ये मेरे साथ मम्मी अरे बच्चा है अभी लिटा लो। फिर भाभी ने एक बहुत डिली मैक्सी पहनी और बालों को खुला रक्खा और हम एक ही रजाई में ग़ुस गये। फिर भाभी से पूछा भाभी भईया क्यों नही आये वो बोली तेरे भईया सहेर में काम करते हैं दो महीने में एक दो बार ही आते है।

और रात को मै भाभी से लिपट कर सो गया। सुबह भाभी नहा रही थी तो मेरी नजर भाभी पर पड़ी उनकी चुचिया देख कर मेरा लड़ टनटना गया। और मेरी नियत खराब हो गयी। दिन में मैने देखा मेरे चाची और मम्मी कुछ बात कर रही थी। फिर चाची ने पता नही कैसे पर मम्मी की दोनों चूचियो अपने दोनों हाथो से दबा दिया मम्मी आह क्या कर रही है तू चाची देख रही हु गर्मी ख़त्म तो नही हो गयी।

मम्मी देखना है तो भेज दे अपने मर्द को मेरे पास चाची उसके में अब दम नही है। इतना कहकर मम्मी चली गयी। रात को भाभी मेरे पास लेटी और मुझसे पूछा पुनीत तुझे कैसी लड़की पसंद है मैने कहा मुझे आपकी जैसी पसंद है भाभी हँसने लगी और मेरे एक दम करीब आकर लेट गयी उनकी गर्मी से मेरे लड़ खड़ा हो गया और वो मेरे पेट पे हाथ  फेर रही थी।

उनका हाथ मेरे लड़ से लग गया वो बोली ये क्या है पुनीत दिखावो मैने कहा कुछ नही वो जबरदस्ती रजाई हटाने लगी। मेरी नेकर में टैंट बना हुवा था। वो समज गयी की क्या था। फिर रजाई डाली और बोली तुमने किसी के साथ किया है मैने कहा क्या वो बोली प्यार और क्या मैने नही कहा और वो बोली मेरे साथ करोगे तो मै बोला आप तो मेरी भाभी हो आपसे कैसे वो मेरी तरफ करवट लेते हुए बोली आज कल जो करते है देवर भाभी ही करते है। और बोली किसी से कहना मत मेरा समज गया भाभी गर्म हो चुकी है।

उन्होंने अपने हाथ मेरी चड्डी में डाला और मेरे लड़ को पकड़ लिया और बोली पुनीत तेरा तो तेरे भैया से भी बड़ा है और मेरे हाथ को अपनी मैक्सी के ऊपर से चुचियो पर रखा और बोली पुनीत अपनी भाभी की चुचियो को दबाव ना उनके गुलाबी होट को मेरे होट पर रख कर चुसने लगी और फिर वो इतनी गर्म थी की मेरे लड़ को मुह में लेके चुसने लगी।

मै आह….भाभी…..मै….. छूट…जाऊँगा और वो फच्च की तरह मेरा लड़ चूस रही थी। मैं स्स्स आह कर रहा था फिर मै छूट गया मेरा मॉल भाभी के होटो पर और मुह में चला गया और और भाभी ने मेरा एक हाथ अपनी बुर पर रख दिया और बोली आज से ये तेरी मेरे राजा जितना मन करे मुझे चोदने का चोद लेना और अपनी मैक्सी उतार कर नंगी हो गयी।

मुझे चिपका कर एक चूची मेरे मुँह में देदी और मै उनके निपल्स को चूसता रहा कुछ देर बाद मेरे लड़ फिर से खड़ा हो गया और भाभी बोली पुनीत अब इसे मेरी बुर मेडालो मै लड़ सेट नही कर पाया उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा कर मेरे लड़ को अपनी चूत पर सेट किया और मैने तुरंत उसे पेल दिया भाभी चिलाने लगी।

आह..चिलाने लगी साले मेरी चूत फाड् दी इतनी तेज क्यों डाल दिया और फिर मै धक्के लगाने लगा। भाभी आह….सस्स धिरे करो मर जाऊँगी उमआआआ हासस्स धिरे चोद और फच्च की आवाजें आ रही थी तभी भाभी चिलाई मै गयी आह……आँखे बंद कर ली फिर मेरे लड़ पर भाभी का रस से मै भी झड़ गया और पूरा माल भाभी की बुर मेछोड़ दिया। यह हिंदी माँ और भाभी की चुदाई स्टोरी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

और बगल में गिर गया और सो गया। फिर सुबह उठा तो भाभी के पास गया तो वो मुझसे बात नही कर रही थीं मैने कहा क्या हुवा हो गुस्से में बोली तुमने मुझे कल जबरदस्ती चोद दिया मैने ने कहा पर आप ने ही तो सुरुवात की थी फिर उन्हीने कहा मैने कहा था आराम से करना मेरी बुर में दर्द होने लगा है। फिर मैने माफ़ी मांगी और वो मान गयी।

फिर दिन मै उन्होंने साडी पहनी थी और मैने उन्हें पीछे से उनकी चूचियों को पकड़ कर ब्लाउज के ऊपर से मसलने लगा वो बोली कोई आ जाय गया हटो। फिर उन्होंने कहा रात को तुमको कुछ दिखा दू गी। मैने कहा क्या वो बोली रात को बताऊँगी। फिर साम को उन्होंने मुझे बुलाया और मुझे घर के पीछे जहा कोई नही जाता वहा ले गयी। वहा दो कमरे थे जिसमें भूसा पईरा पड़ा था ।

दोनों कमरो के बीच एक किडकी थी। उन्होंने मुझसे कहा आज तुम मेरे रेप करो। मैने उनकी साड़ी उतार दी वो ब्लाउज और पेटीकोट में थी मैने उनके ब्लाउज को फाड़ डाला और उनकी चुचियो को रगड़ने लगा हो भी गर्म हो कर मेरे किस करने लगी और बोली मोसम गर्म हो गया।

इतने में किसी की आवाज आयी और भाभी ने मुझे चुप रहने का इसहरा किया। और सामने वाली किड़की से मुझे बुलाया और कहा था ना तुंमको कुछ दिखाऊँगी। मैने देखा तो दग रह गया। मेरी मम्मी और चाचा जी थे। चाचा जी मम्मी के ब्लाउज के ऊपर से उनकी चुचियो को दबा रहे थे और बोल रहे थे भाभी तुंमको कब से चोद रहा हूँ याद है मम्मी बोली हा देवर जी आपने तो दो बार अपना बीज मेरी कोख में डाल और मुझे चोदा। अब चोदो जल्दी से फिर चाचा ने मम्मी को नगा किया और अपने लड़ को उनकी चूत में पेल कर धक्के लगाने लगे। भाभी ने कहा तुम्हारी मम्मी को मेरे ससुर चोद रहे है तुम मुझे चोदो। दोस्तों आप यह हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |

मैने उनकी कमर से पेटीकोट का नारा खिंचा और उनकी उनकी दोनों टाँगों को फैलाया और अपना लड़ उनकी चूत पर रखा और एक धक्के में अंदर कर दिया । भाभी आह…धिरे करा कर और तेजी से धक्के लगाने लगा…भाभी….आह….उमआआआ…..और आह ….सस्स्सा की आवाज निकलने लगी मेरी मम्मी की भी आवाज आ रही थी। और फिर भाभी निच्चे से भी कमर हिलाने लगी कुछ देर बाद मेरा माल निकल गया। फिर मैंने उठकर देखा तो चाचा मैम्मी की गाड़ मर रहे थे मम्मी आह….सस्स……मर गयी आह चाचा कह रहे थे ले साली मुझे पता है तू अपने समधी से भी चुदवा ले लेगी और फिर चाचा ने अपना माल मम्मी की गाड़ में छोड़ दिया।

फिर मै मम्मी में अपने कपड़े पहने और दोनों वहा से चले गये। भाभी से मैने पूछा तुंमको कैसे पता चला वो बोली कल रात को मै उठ कर पिसाब करने गयी थी। तब मैने देखा सुरेखा नीचे लेटी थी और मेरे ससुर उनके ऊपर से चोद रहे थे। फिर वो बोली मेरी सास को भी जागनाथ से चुदवा दूँगी। मैने क्यों कहा तो वो बोली जिसमे मुझ पे कोई ऊँगली ना उठाय।

फिर अगले दिन भईया के सास ससुर आये और सादी में क्या और कैसे हो बातचीत सुरु हु वी। सास कल्पना 44 और ससुर मधुर 46 के है वो लोग जाने लगे तो मम्मी ने रोक लिया बोली समधी जी कल जाना अब। मै समझ गया कि मम्मी आज अपने समधी का लड़ लेंगी। साम को मम्मी में अपने समधी को खेत दिखने ले गईं।

और मै उनके पीछे गया मम्मी ने पिली साड़ी और सूटर पहना था जिसमे उनकी कमर और तोदी दिख रही थी। फिर उन्होंने कुछ बाते कर खेत दिखाए और वापिस आगई।मुझे लगा था की शायद कुछ होगा पर रात को भाभी से बताया तो वो बोली ठीक है करने दे। और रात मम्मी और समधी जी आग तापते हुए बात कर रहे थे। मम्मी सुंटर के सारे बटन खोल कर बैठी थे समधी जी उनकी चुचियो को देख रहे थे। फिर मम्मी उठ कर समधी जी को बिछे वाली कोटरी में लेगयी।

मै भी गया और देखा तो मम्मी अपने सूटर को उतार दिया। मधुर जी बोले अरे समधन जी क्या हुवा मम्मी ने कहा गर्मी लग रही है फिर मधुर ने कहा तो साड़ी भी उतार दीजिये। मम्मी ने अपनी साड़ी उतार दी मधुर की आँखे फटी रह गयी। और मम्मी बोली समधी जी और कुछ फिर मम्मी ने कहा अब सर्दी लग रही है फिर मधुर जी में उनके पास जाके उनके लाली को चुसने लगे और मम्मी ने उनकी पेंट को उतार दिया और उनका लड़ को मसलने लगी।

बोली लगता है आज आप अपनी समधन को ठंडा कर दो गे। मधुर बोले सुबह से तुमने अपनी चूचिया को दिखा कर मुझे गर्म कर दिया है और मधुर जी ने मम्मी ने ब्लाउज को उतार दिया ब्रा ना होने के वजह से उनकी बड़ी चुचिया को दबाने लगे। मम्मी बोली आह….धिरे धिरे दबाव ना राजा फिर ससुर जी ने उनके पेटीकोट में अपना हाथ डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगे बोले अरे रानी तेरी चूत बहुत गर्म है मम्मी हाआआ… समधी जी डालो अपने लड़ को फिर मम्मी को लिटा कर उनकी दोनों टाँगों को ऊपर उठा दिया और उनकी चूत इतनी गीली थी की मधुर जी लंड अंदर ग़ुस गया मम्मी आह…..मधुर जी कितना गर्म लड़ है तुम्हारा फच्च फच्च की आवाजें आने लगी मम्मी आह….चोदो और तेज हाआआ ….उमआआआ ….सस्स चोदो.. अपनी रानी को हाआआ …..चोदो तेरी बेटी को मेरा बेटा चोदेगा तुम आह उमआआआ उसकी माँ चोद दो मधुर जी पुरे जोस् में तेजी से आह आह कर रहे थे फिर उनका माल मम्मी की चूत में भर गया मम्मी की चूत से उनका माल बाहर निकल रहा था।

फिर मेरा भी मन करने लगा मै जल्दी से गया और भाभी को ढूढ़ने लगा  फिर भाभी मिली और उनको पकड़ कर उनकी चुचिया दबाने लगा वो बोली पुनीत अभी नही सब है। फिर रात को मेरी मौसी आयी और बोली पुनीत तुम मेरी साथ लेटना मुझे लगा मेरी रात खराब होगयी।

लेकिन रात मौसी ने एक पिंक नाइटी पहनी थी उनकी चुचिया मस्त टाइट थी। उन्होंने मुझसे कहा क्यों आज कल भाभी के पास खूब लेटते हो मै कुछ नही बोला फिर उन्होंने अपने हाथ से मेरे लड़ को पकड़ लिया मै बोला मौसी क्या कर रही हो वो बोली कुछ नही बस जो तुम्हारी भाभी करती है वही कर रही हूँ। फिर उन्होंने कहा मुझे पता है तुम अपनी भाभी की रोज चुदाई करते हो।

आज मेरी भी कर दो उन्होंने अपनी नाइटी को उतार दिया और अपनी मोटी चुचियो को मेरे मुह में दे दिया मै चुसने लगा वो आह… आराम से पियो ना  मेरे दूधो को फिर कुछ देर बाद मै ने उनकी चूत में ऊगली कर दी वो चीख़ ऊटी बोली धिरे कर फिर उन्होंने मुझे कहा इसे चाटो मैने मना किया पर फिर उनकी दोनों टांगो के बीच उनकी चूत पर मुँह रख दिया और उनकी चूत को मै अपनी ओर चुसने लगा वो आह..क्या कर रहा है | यह हिंदी माँ और भाभी की चुदाई स्टोरी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

अपनी जवान से चाट फिर मै अपनी जीभ को उनकी योनी में डाल कर अंदर बहर करने लगा हो मदहोश हो गईं बोली आह…चुसो इतने दिनों से नही चुदी हूँ..उमआआआ मर गयी सिसस्स चूस आह ले आह गयी मै आह सिसस्स फिर उन्होंने कहा अब डाल अपना लड़ जल्दी से चोद दे मुझे आह फिर मैंने उनकी चूत पर तेजी से लड़ डाल दिया हो चिलाने लगी आह…कितना मोटा है तेरा और मै धक्के मारने लगा अपने दोनों हाथों से उनके निपल्स को दबाने लगा हो वो आह…करो चोद….दो…..और तेज……आह…..फिर वो झड़ गयी मै उनकी चूत मार रहा था। फिर वो बोली अंदर मत छोड़ना लेकिन मैंने अंदर ही बिज डाल दिया ।

वो बोली ये क्या किया मै गर्वती हो जाऊँगी। फिर मै ने उनसे पूछा की आप को कैसे पता मै भाभी को चोदता हु। वो बोली मुझे तेरी भाभी ने ही बताया था। फिर मैने कहा क्यों वो मुझे अपने कमरे में ले गयी और दिखया तो मैं दग रह गया मेरे मौसा मेरी भाभी को चोद रहे थे और भाभी चीला रही थी। फिर मौसी ने बताया कि अब तेरे मौसा कल्पना जी को चोदने को कह रहे हैं मैने कहा मौसा को पता था तुम मुझसे चुदने आयी हो वो बोली हां।

मै ने कहा आप लोग कब से ये सब कर रहे हो बोली सबसे पहले मैने तुम्हारी मम्मी को अपने पति से चुदवा दिया फिर उन्होंने ना जाने कितने लड़ लिए मैने अपने देवर से खूब चुदवाती थी एक दिन मेरे पति ने देख लिया। तब से हम दोनों यही करते है। फिर भईया की शादी वाले दिन सबने खूब मस्ती की रात को सभी औरतो को सभी मर्दो ने खूब चोदा फिर मेरी भाभी आयी उनकी मस्त जवानी पर मै फ़िदा हो गया सब महमान चले गये। फिर कुछ दिन बाद भाभी ने भईया की लड़ाई हुवी और भाभी अपने घर चली गयी। मै और मम्मी भाभी को लाने गये।

जब हम भाभी के घर पहुचे फिर मम्मी ने भाभी से बात की भाभी नही मानी। फिर मैंने उनके कमरे में गया भाभी ने सालार कुरता पहना था उनकी चुचिया के निपल्स जलक रहे थे। मैने कहा भाभी क्या बात है वो कुछ नही बोली फिर जोर देने पर वो बोली तुम्हारे भईया मुझे प्यार नही कर पाते मै मैने कहा मतलब वो बोली गुससे में मतलब मुझे सन्तुष्ट नही कर पाते। मैने कहा पर आप घर चलो नही तो बदनामी होगी वो नही मान रही थी।

फिर मैंने कहा अगर मै आपको सन्तुष्ट कर दू तो वो बोली तुम कैसे करो गे। फिर मैंने उनको उनके बिस्तर पर लिटा दिया और उनके लिपस्टिक को चसने लगा हो गर्म हो गयी फिर मने कुर्ते के ऊपर से उनकी चूचियों को मसलने लगा वो आह..की आवाज होने लगी फिर उन्होंने मेरी पैंट उतार दी और मेरे लड़ को पकड़ कर सहलाने लगी मैने उनके सालार का नारा खिंच कर डिला कर उतार दिया और उनके कुर्ते को भी उतार दिया उन्होंने एक काली पैंटी और सफ़ेद ब्रा पहनी थी।

मैने उनके पैंटी में अपना हाथ डाल कर उनकी चूत में उंगली करने लगा। वो आह…धिरे करो,सिसस्स डिरेसस्स कर रही थी। फिर मैने उनकी ब्रा खोल दी और उनके निपल्स को मसलने लगा उनकी आँखें बंद होने लगी फिर निपल्स को मुह में भर लिया और चुसने लगा क्या आनंद था फिर उनकी पैंटी उतार दी और उनकी चूत पर अपनी जीभ ले के चुसने लगा वो आह….प्लेसस्स धिरे करो सस्स उमआआआ आह चुसो उमआआआ सससससस आह फिर उन्होंने अपना पानी छोड़ दिया फिर मैंने अपने लड़ को उनकी बुर पर रखा अंदर डालने लगा इतनी टाइट बुर थी की लड़ अंदर नही जा रहा फहिर मैने पाउडर का डिब्बा रखा था ।

मैने उनकी चूत पर डाला और अपने लड़ पर फिर टोपी की उनकी बुर पर टिका कर अंदर पेल दिया वो तेजी से चीला ऊटी औरत तड़फने लगी बोली बाहर निकाला मर जाऊँगी निकालो फिर मैंने धिरे धिरे धक्के लगाने सुरू किए उनकी चूचियों को दबाने लगा फिर उनको भी मजा आने लगा और वो आह… देवर जी करो आह सस्स तुम से ही चुदवागी आह उमआआआ आह चोदो तुम मेरे पति हो अपनी बीबी की लो आह फिर हम दोनों साथ झाड़ गये। फिर भाभी ने मुझे किस किया और फिर घेर जाने को तैयार हो गयी।

लेकिन मधुर जी ने हम लोग को रोक लिया और बोले समधन जी अब कल जाना। मै समझ गया मम्मी को चोदने के चक्कर में है। फिर रात को मेरी नजरें मम्मी के ऊपर थी। फिर रात को मधुर जी के।

एक दोस्त भी आये। उन दोनों ने शराब पी मम्मी सामने नाइटी पहने बैठी थी। ससुर जी और उनके दोस्त मम्मी की चुचियो को देख रहे थे। फिर कल्पना जी भी आई और मधुर जी के दोस्त के बगल में बैठ गयी।

उन्होंने भी सेक्सी नाइटी पहनी थी। फिर पंकज ससुर के दोस्त का नाम है। उन्होंने कल्पना जी की जागो पर हाथ रख दिया। और ससुर ने मम्मी की चुचियो पर हाथ रख दिया। मै समझ गया आज कुछ नया होगा। फिर पंकज कल्पना की चूचियों को दबाने लगे और कल्पना जी आह…आआआआ…..आराम से करो पंकज हां भाभी और फिर मधुर जी ने मम्मी की नाइटी खोल दी और ब्रा खोल दिया मम्मी की मस्त चूचियों को आजाद कर दिया।

मम्मी आह…उमआआआ सस्स कर रही थी फिर पंकज कल्पना जी की चूत में अपना लड़ डाल कर धक्के लगा रहा था। कल्पना जी उमआआआ…..स्स्स…..आह….धिरे करो अपनी चूत पर अपने हाथ चला रही थी। मम्मी की भी चूत में ससुर जी का लड़ जा चुका था वो भी आह….और तेज …चोदो …फाड़ ….दो मेरी चूत…. हां ….समधी जी…. हाय रे… हचक कर चोदो …..आह.. हाँ ..हां …हां हा …ऐसे ही चोदो… फिर ससुर जी हफ्ते हुए झड़ गये।

लेकिन कल्पना जी अभी भी चुदवा रही थी वो आह… चोद ….जल्दी चोद साले …आह… हाय मेरी चूत फट गई फिर पंकज ने उनकी भी चूत में माल गिरा दिया।

दोस्तों मेरी स्टोरी कैसी लगी मुझे बताये और कंमेंट करे।।।।

ध्न्यवाद।।।।

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मम्मी को पड़ोसी से चुदवाते देखा फिर मालिश कर चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/mummi-ko-padosi-se-chudawate-dekha-fir-malish-kar-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/maa-beta/mummi-ko-padosi-se-chudawate-dekha-fir-malish-kar-choda.html#respond Fri, 12 Jan 2018 07:58:21 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11636 यह कहानी एक माँ बेटे की चुदाई की कहानी है बेटे ने माँ को पडोसी से चुदवाते देखा फिर खुद भी चोदा और अपने दोस्तों को भी बुलाया है चोदने के लिए |

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दोस्तों कैसे है आप सब ये मेरी पहली कहानी है मस्ताराम डॉट नेट पर ज्यादा बात ना करते हुए सीधे कहानी पर आता हूँ | पिछले हफ्ते सन्डे के दिन मै क्रिकेट खेलने गया था मेरी बड़ी बहन अपनी सहेली के घर गयी थी | पापा भी कही गये थे जब मै क्रिकेट खेल के घर आया और दरवाजे की कुण्डी खटखटायी तो मुझे लगा की मम्मी किसी और से कुछ बात कर रही है मुझे शक हुआ की शायद कोई और भी है घर में चुकी मुझे पता था पापा तो इतनी जल्दी आ नहीं सकते मै दरवाजे के बाहर लगी खिड़की से देखने लगा |

जैसे ही मेरी नजर अन्दर के कमरे में गयी मै तो सन्न रह गया अन्दर मम्मी पड़ोस के एक अंकल के ऊपर नंगे ही ऊपर निचे कर रही है और अपने मुह से आवाज कर रही है अह्ह्ह और तेज और तेज आह्ह्ह्ह ये सब देख के मेरा लौड़ा खड़ा हो गया अब मुझे नहीं रहा गया मै बाहर ही खड़ा खड़ा मुठ मारने लगा तब तक मम्मी जोर से आवाज करते हुए झड़ गयी | और अंकल से लिपट गयी फिर मैंने जानबूझ कर दरवाजे की कुण्डी खटखटाई जब तक मम्मी नहीं आ गयी मै वैसे ही करता रहा और थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला मैंने देखा मम्मी ने बस नाईटी डाली है वो भी जल्दी जल्दी में उल्टा ही पहन लिया था मैंने बोला ये क्या उल्टा ही पहन ली | मम्मी एकदम से सकपका गयी अमी जल्दी से अन्दर जाकर देखा अन्दर कोई नहीं था शायद मम्मी ने अंकल को छत के रास्ते बाहर भगा दिया था |

मम्मी जहा पर चुदवा रही थी मै वहा भी गया पर अंकल नहीं दिखे पर उनकी अंडरवियर जरुर पड़ी हुयी थी मैंने पूछा मम्मी ये किसका है तो मम्मी ने कहा ये तेरे पापा का है अभी धोने जा रही थी |

अब मुझे मम्मी का झूठ सुन रहा नहीं गया मैंने बोला अच्छा तो अभी वो अंकल जो थे वो कौन था अब मम्मी को की आवाज ही नहीं आ रही थी मैंने मम्मी को बोला मेरा भी खड़ा हो गया मुझे भी करना है अब मम्मी के चहरे पर मुस्कान आ गयी और खुद ही निचे बैठ कर मेरे लौड़े को ज़िप खोल के निकाल लिया और चुसने लगी मै मम्मी के मुह में धक्के लगाने लगा और पांच मिनट भी नहीं हुआ होगा की मै मम्मी के मुह में ही झड़ गया |

फिर भी मम्मी भूखे शेर की तरह चूस रही थी | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने जैसे तैसे मम्मी को छुड़ाया फिर बोला चलो बेडरूम में मैंने बेड पर मम्मी को लेटने को कहा और पास में रहा सरसों का तेल उठा और मामी के सारे कपड़े खोल कर बूब्स पर तेल गिरा कर मसलने लगा मम्मी बोली ये क्यों कर रहा है मैंने बोला पहले मालिश करूँगा फिर चुत मारूंगा |

मम्मी भी खुश हो गयी मम्मीं ने पैंटी नहीं पहनी थी अभी अभी चुदी थी मम्मी की चुत में अंगुली डाला तो अंकल का वीर्य अभी अन्दर ही था मैंने पूछा अंकल ने अन्दर गिराया क्या मम्मी बोली हां मै ही नहीं उतारी उनका अन्दर ही निकल गया फिर मै ये सुन कर और जोश में आ गया और बूब्स को मसलने लगा और चुत में थोडा तेल लगा कर रगड़ने लगा अब मम्मी सिसियाने लगी मैंने अपनी 4 अंगुलि मम्मी की चुत में घुसा दिया था और तेज तेज अन्दर बाहर करने लगा मम्मी के बूब्स टाइट हो गये थे जैसे चौसा आम हो |

मै बेड पर मम्मी की चुत के साइड में बैठ गया और चुत के साथ गांड में भी अंगुली घुसा दिया मम्मी की चुत से पानी निकल रहा था और साथ में अंकल का वीर्य भी जो तेल के साथ मिक्स को के गाज बन गया था और रगड़ने पर निकल रहा था | मम्मी के मुह से जोर जोर की आवाज आने लगी आह्ह्ह और तेज्ज आह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह अब तु मेरा पति है बेटा नहीं और तेज आह्ह आह्ह्हह्ह और तेज अन्दर घुसा दे अपना लौड़ा जल्दी कर अह्ह्ह मैंने देर ना करते हुए अपना खड़ा मोटा 6 इंच का लौड़ा मम्मी की चुत में घुसा दिया मामी को मज़ा आ गया

बोली बहुत मज़ा आ रहा है तेज तेज धक्के मार मैंने जोश में आकर तेज तेज धक्के मारा और 10 मिनट तक मै धक्के पर धक्के मारते रहा क्योकि अभी अभी मै एक बार मम्मी के मुह में झड़ा था सो जल्दी नहीं निकला मेरा और मम्मी का 2 बार हो चूका था |

अब मेरा होने वाला था | मैंने बोला मम्मी मेरा होंने वाला है मम्मी ने इतना सुनते ही मुझे अपने ऊपर कश के दबा लिया और मेरा पूरा माल मम्मी की चुत में निकल गया और मै निढाल होकर बेड पर लेट गया | मैंने पहली बार सेक्स किया था वो भी एक ही दिन में दो बार झड़ा था अब मामी की चुत से मेरा और अंकल का वीर्य एक साथ बूंद बूंद कर गिर रहा था |

मम्मीं ने कपड़े से साफ किया और मेरा लौड़ा एक बार मुह मे लेकर चूसा मैंने हटा दिया बोला अभी नहीं बाद में मैंने देखा मम्मी अभी भी गर्म थी उनकी इच्छा शांत नहीं हुयी थी मैंने बोला अभी और करवाना है क्या तो बोली हां मै समझ गया की मम्मी बहुत चुदक्कड़ है मैंने बोला एक मेरा दोस्त है उसका लौड़ा मेरा दुगुना है और मोटा भी है उसने मुझे बताया था कहो तो बुला लू मम्मी ने झट से कहा कौन है

आज बुला ले मैंने तुरंत अपने दोस्त को कॉल किया वो तैयार हो गया | बोला शाम तक आऊंगा मम्मी बहुत खुश लग रही थी फिर मैंने खाना खाया और सो गया दोस्तों आगे की कहानी जल्दी ही पढ़ने को मिलेगी | अगर कहानी अच्छी लगी तो शेयर करना ना भूले |

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बड़ी माँ की चुदाई की इच्छा मैने पूरा किया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/badi-maa-ki-chudai-ki-ichchha-maine-pura-kiya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/badi-maa-ki-chudai-ki-ichchha-maine-pura-kiya.html#respond Thu, 11 Jan 2018 06:17:33 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11624 दोस्तों इस कहानी में मै आपको बताऊंगा मैंने कैसे अपनी बड़ी माँ की चुदाई किया बड़ी माँ की चूत को जीभ से खूब चाटा जब चूत से पानी निकलने लगा तब लौड़ा अन्दर घुसाया |

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दोस्तों मेरा नाम रासिद हैं और मैं बिहार का रहने वाला हूँ | ये सेक्स कहानी मेरी और मेरी बड़ी माँ की हैं. आप का समय ख़राब का करते हुए मैं अब सीधा इस चुदाई की कहानी पर ही आता हूँ | मेरी बड़ी माँ एक गदराई हुई जवान औरत हैं उनका फिगर एकदम हॉट हैं | एकदम टाईट गोल चुंचे और मसलवाली बड़ी गांड भी हैं | उनकी. बड़ी माँ को देखते हुए किसी का भी लोडा खड़ा हो जाए ऐसा रंग हैं उसका, देखने वो किसी परी के जैसी लगती हैं | एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था सिर्फ मैं और मेरी बड़ी माँ थे | वो दोपहर में सो गई थी तभी मैं क्रिकेट खेल के घर आया तो देखा की उनकी साड़ी ऊपर उठी हुई थी और उनका बुर पूरा पसीने से भीगा हुआ था |

उस समय मुझे पता नहीं चला की बड़ी माँ नींद में ही झड़ चुकी है मैं उन्हें नींद में समझ के उनके जांघ की तरफ जा के सूंघने लगा. क्या मस्त खुसबू आ रही थी उनके बुर से. मैंने उसकी साडी को थोडा ऊपर किया तभी उनकी आँख खुल गई तब भी उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा. और वो उठ के मेरी तरफ देख रही थी तो मैंने बहाना बना के कहा की बड़ी माँ खाना दो न बहुत भूख लग रही हैं. पर मैंने देखा की वो मुझे एकदम नशीली आँखों से देख रही थी |

मैंने कहा, क्या हुआ बड़ी माँ ऐसे क्यूँ देख रही हो. तो उसने कहा की मेरा एक काम करेगा तू?

मैं: क्यों नहीं बड़ी माँ!

बड़ी माँ: किसी से कहेगा तो नहीं ना?

मैं: नहीं बड़ी माँ क्या बात हैं.

बड़ी माँ: वही जो तू अभी मेरे साथ कर रहा था उसे अच्छे से और खुल कर लो

मैं पूरा शर्म के मारे लाल हो गया.

बड़ी माँ: मेरी नजर तेरे ऊपर बड़े पहले से ही थी. तू जब भी नहाता तो मैं तेरा लोडा बड़े ही प्यार से देखती हूँ.

मैं बड़ी माँ के पास गया तो उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया. मुझे भी अन्दर से बहुत मस्त लग रहा था क्यूंकि मेरी भी सालो की तमन्ना आज पूरी होने को थी. कितने दिनों से मैं बड़ी माँ की गांड और बूब्स को देखना और टच करना चाहता था. और तभी बड़ी माँ ने मेरा माथा पकड के अपने बुर की तरफ कर दिया.मुझे बड़ी माँ के बुर से गीली खुसबू का अहसास हो रहा था.

मैंने उनके बुर पर हाथ रखा तो जैसे मेरे लोडे में पूरा करंट लगा. अब वो उठी और मेरी पेंट को निचे कर के बोली, जो तू रोज मेरे नाम की मुठ मारता हैं तो आज जो करना चाहता हैं कर ले. मैंने भी देरी न करते हुए पसीने से लथपथ उनके कंधे को और कानो को चाटना चालू कर दिया. बड़ी माँ भी एकदम मदहोशी में डूबी हुई थी |

अब मैं निचे गया और उनके बुर को चाटना चालू कर दिया. वो पूरी मदहोशी से मोनिंग कर रही थी.. आह्ह्ह चाट आह्ह्ह मेरे राजा चाट चाट के साफ़ कर के अपनी बड़ी माँ के भोसड़े को! आह आह तू ही है जो मेरी चुदाई का दर्द दूर करेगा मेरे राजा,, आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह.बड़ी माँ ने अपनी जांघो के बिच में मेरी मुंडी को कस के दबा ली और मैं समझ गया की मेरे चाटने की वजह से वो झड़ने की कगार पर आ चुकी थी.तभी मुझे किसी के आने की आवाज सुनाई दी…. वो कोई और नहीं मेरे बड़े पापा थे | आप यह हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैं जैसे तैसे अपनेआप को रोक के वहाँ से भाग खड़ा हुआ. और बड़ी माँ को बड़ा गुस्सा आ गया | फिर मैं शाम को बड़ी मम्मी के यहाँ गया तो देखा उनकी आँखों में एक अलग ही चमक थी. मैंने कुछ बोला भी नहीं और वो मेरे पास आइ और एक झटके में मुझे किस करने लगी. मैंने भी जवान में खूब जोर से उसे किस करना चालू कर दिया.

फिर मैंने देर न करते अपने दोनों हाथो से उनकी साडी के अन्दर के बूब्स को पकड़ लिया. पहले मैंने बूब्स को थोडा मसला और फिर अपना एक हाथ उनके बुर में डाल दिया. क्या बताऊँ दोस्तों उनके बुर की खुसबू को मैं सूंघना चाहता था और इसलिए मैं खुद को रोक नहीं सका. मैंने अपना हाथ बुर से निकाल के अपने उंगलियों को चाटना और सूंघना चालू कर दिया |

बड़ी माँ ने कहा, चाटना हैं तो पहले से बता देता.यह कह के उन्होंने नंगे हो के सोफे के ऊपर अपनी जांघो को खोल दिया. मैं उनके पास गया और उनके बुर को चाटने लगा. बुर को चाट रहा था और लोडा भी मेरे हाथ में था. मैं लोडा हिलाते हुए अपनी बड़ी माँ का बुर चाट रहा था |

मैंने २० मिनट तक उनका बुर अपनी जबान से चोदा और इस बिच में वो २ बार झड़ भी गई. वो मुझे अपना बुर जोर जोर से चाटने के लिए कहती रहती थी बिच बिच में.अब मैंने और भी जोर जोर से बड़ी माँ का बुर चाटा. वो फिर से एक बार झड़ गई और मैं उसके बुर का सब पानी पी गया. अब मैंने अपना लोडा बड़ी माँ को चूसने के लिए दे दिया | आप यह हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | बड़ी मम्मी सच में एक चुदस्सी औरत थी और उसने इतना हॉट ब्लोव्जोब दिया मुझे की मेरे लौड़े में जैसे आग सी लगा दी. वो अपनी जबान से सुपारे को हिलाती थी और लंड को एकदम तडपा के फिर अपने मुह में ले लेती थी. मैं ५ मिनट में ही उसके मुहं में झड़ गया. बड़ी माँ ने सब वीर्य पी लिया |

फिर हम दोंनो ने एक दुसरे को गले लगा लिया. २ मिनट में उसके हाथ से फिर से मेरा लंड हिलना चालू हो गया. सिकुड़े हुए लोडे में फिर से खुसपुसाहट सी हो गई और उसकी सलवटें मिट के लोडा फिर से कडक हो गया. अब मैंने बड़ी माँ की बुर को खोला और अपना लंड उनके बुर पर रख दिया |

बड़ी माँ: आह जल्दी से अन्दर कर दे अपने तोते को मेरी मैना बहुत ही प्यासी हैं |

मैंने एक झटका दिया और मेरा लोडा बड़ी माँ के बुर में घुस गया. मैंने अपने मुह में उनके बूब्स भर लिये और मैं बूब्स को चूसते हुए ही उन्हेंचोदने लगा. बड़ी माँ को बड़ा अच्छा लग रहा था और वो भी अपनी गांड हिला हिला के चुदवा रही थी.१० मिनट चोद के फिर मैंने अपना सब वीर्य बड़ी माँ के बुर में ही छोड़ दिया |

बड़ी माँ ने फिर मेरा लोडा अपने मुह में भर लिया और लंड के सब तरफ से वीर्य को चाट के साफ़ कर लिया.दोस्तों यह थी मेरी और बड़ी माँ की पहली चुदाई की हिंदी सेक्स कहानी. अब हम दोनों सेक्स के रेग्युलर पार्टनर हो चुके हैं और जब भी चांस मिलता हैं मैं उनका बुर चोद आता हूँ |

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