Hindi Sex Stories – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Thu, 22 Mar 2018 11:27:15 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png Hindi Sex Stories – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 चाची और उनकी बेटी का कामुक संभोग -1 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chachi-ki-chudai/%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%9a%e0%a5%80-%e0%a4%ad%e0%a5%8b%e0%a4%b8-%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%a0%e0%a5%8b%e0%a4%b8.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chachi-ki-chudai/%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%9a%e0%a5%80-%e0%a4%ad%e0%a5%8b%e0%a4%b8-%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%a0%e0%a5%8b%e0%a4%b8.html#respond Thu, 22 Mar 2018 11:27:15 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12002 चाची और उनकी बेटी का कामुक संभोग -1, चाची भी बड़े ही मादक अंदाज़ में अपने भारी-भारी चूत्तड़ मेरे चेहरे के सामने लाकर टेबल पर झुक कर दो पैग बनाने लग गयी स्ट्रिंग का स्ट्राप पूरा रेखा चाची की गाँड की दरार के अंदर घुसकर उनकी गाँड के भूरे रंग के छेद को छिपाये हुए था

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अपने पेरैंटस के गुज़र जाने के बाद मैं अपने चाचा, चाची और उनकी बेटी (मेरी कज़िन बहन) के साथ उनके बंगले में रहता था। मेरे चाचा बहुत ही कामयाब बिज़नेस मैन थे। घर में हर तरह के सुख-साधन और लग्ज़री मौजूद थी। मेरी उम्र उस समय आठरह साल की थी और मेरी चाची बयालीस साल की थी और उनकी बेटी मुझसे एक साल बड़ी थी और अभी-अभी बीस साल पूरे करे थे और कॉलेज में पढ़ रही थी।। आपको बता दूँ की मेरी रेखा चाची का गदराया बदन बहुत ही मादक और मस्त था। उसकी चूची छत्तीस साइज़ की थी और छत्तीस-सी साईज़ की ब्रा पहनती थी। पतली कमर और बहुत ही प्यारे-प्यारे मोटे-मोटे चूतड़ अढ़तीस साइज़ के थे। जिसको देख के किसी का भी लंड तन जाये। चाची की शक्ल-सूरत और जिस्म भी बिल्कुल नीता अंबानी जैसा था।

मेरी कज़िन बहन, रंगीली जो बस जवान ही हुई थी, एकदम अपनी माँ की तरह मस्त दिखने लगी थी। जब वो स्कर्ट पहनती थी तो मैं हमेशा कोशिश कर के उसके सामने ही बैठा करता ताकि मुझे उसकी चिकनी जाँघें और पैंटी में कसी चूत का उभार और चूतड़ दिखें। मैं हमेशा इस फिराक में रहता था की मुझे एक बार अपनी रेखा चाची और रंगीली पूरी नंगी देखने को मिल जायें।

रेखा चाची शिक्षित और काफी आधुनिक थी और और किट्टी पार्टियों और कुछ चैरिटबल संस्थाओं से भी जुड़ी हुई थी। शराब-सिगरेट का सेवन भी करती थी। रेखा चाची ज्यादातर साड़ी या सलवार-सूट पहनती थी लेकिन कभी-कभार जींस, स्कर्ट वगैरह जैसे वेस्टर्न कपड़े भी पहनती थी। जब शाम को चाची साड़ी में बैठ कर व्हिस्की पीती थी और स्मोक करती थी तो मेरा लंड कस कर अकड़ जाता था। दोस्तों आपने कभी साड़ी वाली औरत को व्हिस्की और सिगरेट पीते हुए देखा है की नहीं? इतना मस्त सीन होता है की इच्छा करती है की वहीं साली की साड़ी उठा के लंड पेल दें। मैं उन दोनों माँ-बेटी को सिर्फ देख कर ही मस्त हो जाता था और बाथरूम में जा कर उनकी उतरी हुई ब्रा और पैंटी, जिस में से उनकी मस्त चूत और चूची की खुशबू आती थी और कभी उनकी की ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल जिन में से उनके पैरों के पसीने की महक आती थी, खूब सूँघता हुआ मुठ मारता था। रेखा चाची की पैंटी में हमेशा मादक सूगंध आती थी और रंगीली की पैंटी में उसकी ताजी चूत की खुशबू मैं सूँघता था और उनकी ब्रा, पैंटी और सैंडलों को चाट-चाट कर अपने लंड को ठंडा करता था।

एक दिन की बात है, मेरा लंड रात को अचानक खड़ा हो गया और मेरी इच्छा हुई की मैं रेखा चाची के बाथरूम में जा कर उनकी पैंटी और ब्रा सूँघ कर मुठ मारूँ। मैं चुप-चाप बाथरूम की ओर जाने लगा तो मुझे रेखा चाची के कमरे से हल्की सी लाइट और कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैं भी धड़कते दिल से चाची के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा। अंदर रेखा चाची चुदाई में मस्त हो कर चाचा को बहनचोद और मादरचोद की गालियाँ दे रही थी। इतनी सफिस्टिकेटिड और पढ़ी-लिखी चाची के मुँह से ऐसी गंदी गालियाँ सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।

मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सोचा यह मौका है जब मैं रेखा चाची को पूरा नंगा और चुदते हुए देख सकुँगा और मैं सीधा बालकोनी की ओर गया क्योंकि मुझे मालूम था वहाँ की खिड़की पर पर्दा नहीं है और वहाँ से मुझे सब दिखाई देगा। मैं चुपचाप दबे पैरों से बालकोनी में गया और अंदर का सीन देख कर तो मुझे जैसे मन की इच्छा मिल गयी। रेखा चाची अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेटी हुई थीं और एक हाथ से सिगरेट पी रही थीं और चाचा उनकी चूत में भीड़ा हुआ था।

रेखा चाची नशे में थी और कह रही थी, “मादरचोद कभी तो मेरी चूत को ठंडा करा कर, बस भोंसड़ी वाले अपना लंड डाल कर अपने आप को ठंडा कर लेता है। आज मादरचोद अगर तूने मेरी चूत को ठंडा नहीं किया तो मैं बज़ार में रंडी बन कर चुदवाऊँगी।”
चाचा भी अपनी और से पूरी ताकत लगा रहा था और कह रहा था कि “साली रंडी कितना चोदता हूँ तुझे… पर तेरी चूत की प्यास ही खत्म नहीं होती और तेरा बदन इतना मस्त है की चार पाँच शॉट में ही मेरा लंड झड़ जाता है” और इतना बोलते-बोलते ही चाचा अपना लंड रेखा चाची की चूत में झाड़ कर लुड़क गये।

रेखा चाची बोलती रहीं कि “पता नहीं कब मेरी चूत की प्यास ठंडी होगी, ये गाँडू तो मुझे ठंडा ही नहीं कर पाता है।”
चाचा और चाची को इस तरह गंदी भाषा में गालियाँ देते हुए बातें करते सुनकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। मेरी बड़ी इच्छा करी कि मैं अंदर जाऊँ और रेखा चाची को पकड़ कर खूब चोदूँ।

मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर वापस अपने कमरे की और चल दिया। रास्ते में रंगीली का कमरा पड़ता था। चाची की चुदाई देखने के बाद मेरा लंड फड़फड़ा रहा था। पता नहीं मैं किस ख्याल में रंगीली के कमरे में घुस गया। मुझे जब ध्यान आया तो मैंने अपने आप को रंगीली के बिस्तर के पास खड़ा पाया। रंगीली इस समय अपनी नाईटी में आराम से सो रही थी जो उसके चुतड़ों को सिर्फ़ आधा ढके हुई थी। मेरे सामने अभी भी रेखा चाची की चुदाई का सीन चल रहा था और इसी गर्मी में मैंने देखा कि रंगीली की मस्त चिकनी-चिकनी टाँगें और फुले हुए चूतड़ जो उसने पैंटी में छुपाये हुए थे। मुझ से रहा नहीं गया और मैं बिस्तर के साइड में हो कर उसकी चिकनी टाँगों को अपने होठों से चूमने लगा, और धीरे-धीरे उसकी गाँड की दरार में अपने होंठ और नाक रख दी। जिस चूतड़ की खुशबू मैं पैंटी में सूँघता और चाटता था वही चूतड़ आज मैं असली में सूँघ रहा था और अपने होंठों से किस कर रहा था। इतने में रंगीली कुछ कुनमुनाई और मैं डर के मारे चुप चाप कमरे से निकल गया।

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उसके बाद मैं बाथरूम गया और रेखा चाची की पैंटी और ब्रा अपने रूम में ला कर सूँघते और चाटते हुए खूब मुठ मारी, और मैंने इरादा किया की एक बार मैं रेखा चाची के साथ ट्राई तो मार के देखूँ, क्या पता, प्यासी चूत है, अपने आप ही मुझे चोदने को दे दे। मुठ मारते-मारते मैं रेखा चाची की ब्रा अपने होंठों से लगा कर सो गया।

अगली सुबह में रेखा चाची ने मुझे झकझोड़ के जगाया और बोली, “राज आज स्कूल क्यों नहीं गया? देख सुबह के दस बज रहे हैं, तेरे चाचा को तो आज सुबह महीने भर के लिये युरोप और अमेरिका जाना था, वो तो कभी के चले भी गये और रंगीली भी अपनी कालेज ट्रिप के साथ जयपुर चली गई है, मैं भी थक रही हूँ, तू नहा धो के नाश्ता कर ले तो मैं भी थोड़ा लेटूँगी।”
मैंने जल्दी से उठ कर सबसे पहले रेखा चाची की पैंटी और ब्रा ढूँढी पर मुझे कहीं नहीं मिली। मेरी तो डर के मारे सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, और मैं सोचने लगा की अगर चाची को पता पड़ गया तो चाची मेरी खूब पिटाई करेंगी।

मैं चुपचाप अपने सारे काम पूरे करके टीवी देखने बैठ गया और उधर चाची मुझे नाश्ता देकर अंदर जा कर लेट गयीं। थोड़ी देर बाद आवाज दे कर मुझे अपने कमरे में बुलाया, और बोली “राज मेरा जरा बदन दबा दे।”

उस समय रेखा चाची सिर्फ़ ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थीं और कहने के बाद पेट के बल हो कर उल्टी लेट गई। रेखा चाची ने अपने ब्लाऊज़ का सिर्फ़ एक हुक छोड़ कर सारे हुक खोले हुए थे और अपना पेटीकोट भी कुछ ज्यादा ही नीचे कर के बाँधा हुआ था जिस से उनकी गाँड की दरार साफ नज़र आ रही थी। मेरे सामने वो चूतड़ थे जिसे सिर्फ़ देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और रेखा चाची तो अपना पूरा बदन मेरे को दिखाते हुए मसलने को कह रही थी। मैं बिना देर करे चुपचाप चाची के साईड में बैठ कर धीरे-धीरे उनका बदन दबाने लगा, उनके चिकने बदन को छूते ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और मैं डरने लगा की कहीं रेखा चाची को पता नहीं चल जाये। जब पेटीकोट के ऊपर से रेखा चाची के चूतड़ दबाये तो लंड एक दम मस्त हो गया। पेटीकोट के ऊपर से ही रेखा चाची के चूतड़ दबा कर मालूम पड़ गया था कि गाँड वाकय में बहुत गदरायी हुई और ठोस थी।

थोड़ी देर बाद चाची बोली, “अरे राज, जरा तेल लगा कर जोर से जरा अच्छी तरह से मालिश कर।”
मैंने कहा, “चाची तेल से आपका ब्लाऊज़ खराब हो जायेगा, आप अपना ब्लाऊज़ खोल दो।”
रेखा चाची बोली, “राज मैं तो लेटी हूँ, तू मेरे पीछे से ब्लाऊज के हुक खोल के साईड में कर दे।”
मैं जिस रेखा चाची को नंगा देखने को तरसता था और जिसकी ब्रा सूँघता था, मैंने बड़े धीरे-धीरे से उनके ब्लाऊज के हुक खोले और अब चाची की नंगी पीठ पर सिर्फ़ काली ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे थे। मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथों पर लेकर चाची की पीठ पर मलना चालू किया पर बार-बार चाची की काली ब्रा के स्ट्रैप दिक्कत दे रहे थे। मैंने रेखा चाची को बोला कि “चाची आपकी पूरी ब्रा खराब हो रही है और मालिश करने में भी दिक्कत हो रही है।”

तब रेखा चाची बोली कि “तू मेरे ब्रा के स्ट्रैप खोल दे।”
रेखा चाची के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड तो झटके लेने लगा। मैंने भी बड़े ही प्यार से ब्रा के हुक खोल दिये। पहली बार इतने पास से मैं रेखा चाची की चिकनी सुंदर पीठ देख रहा था। मैं उस नंगी पीठ पर धीरे-धीरे तेल से मालिश करने लगा।
थोड़ी देर बाद रेखा चाची बोली, “राज जरा मेरे नीचे भी मालिश कर दे।”
मैंने कहा, “चाची कहाँ करूँ?” तो रेखा चाची बिना किसी शरम के बोलीं की “मेरे चुतड़ों की और किसकी।”

मैंने भी सोचा मौका अच्छा है और मैंने कहा, “पर उसके लिए तो आपका पेटीकोट उतारना पड़ेगा।”
तब चाची बोली, “जा कर अच्छे से पहले दरवाजा बंद कर आ।”
मैं जल्दी से जाके दरवाजा बंद कर के आया तो देखा रेखा चाची पहले से ही अपना पेटीकोट उतार कर पिंक पैंटी और काली ब्रा को अपने हाथों से दबाय, पेट के बल उल्टी बिस्तर पर लेटी हुई थीं। मैंने तेल लेकर धीरे-धीरे चाची की मस्त टाँगों की और उन मस्ताने गदराये चूतड़ों की मालिश चालू कर दी। मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की वो रेखा चाची जिसका नाम लेकर मैं रात भर मुठ मारता था, एक दिन ब्रा और पैंटी में मेरे समने लेट कर मेरे हाथ से अपनी मालिश करवायेंगी।

मालिश करते-करते जब मैं रेखा चाची की जाँघों पर पहुँचा तो मेरे हाथ बार-बार पैंटी के ऊपर से रेखा चाची की कसी हुई चूत की मछलियों से टच हो रहे थे जो मुझे एक अजीब तरह का आनन्द दे रहे थे। मुझे पता नहीं क्या सूझा, मैंने रेखा चाची की पैंटी के साइड से अपनी एक उंगली धीरे-धीरे अंदर डाली और रेखा चाची की चूत पर उंगली फेरने लगा। रेखा चाची की चूत एक दम बिना बाल की थी और उसकी साफ़्टनैस से मालूम हो रहा था की चाची शेव नहीं बल्कि हेयर रिमूवर से अपनी चूत के बाल साफ़ करती थीं।

तभी अचानक चाची सीधी हुई और अपनी काली ब्रा को छोड़ के एक चाँटा मेरे गाल पर मार दिया और बोली, “मादरचोद, तुझे शरम नहीं आती मेरी चूत में उंगली डालते हुए।”
जब रेखा चाची उठी उस समय उन्हें अपनी काली ब्रा का ध्यान नहीं रहा और ब्रा के हुक पहले से ही खुले होने के कारण चाची की वो मस्त गोरी-गोरी चूचीयाँ जिसपे भूरे रंग के बड़े से निप्पल थे, मेरे सामने पूरी नंगी हो गई और मैं चाँटे की परवाह किये बिना रेखा चाची की मस्त चूचीयाँ देखता रहा। रेखा चाची ने भी उन्हें छुपाने की कोई कोशिश नहीं की, बल्कि एक और चाँटा मारते हुए बोलीं, “मादरचोद, बहन के लौड़े, तू मुझे क्या चूतिया समझता है, कल रात को मेरी पैंटी और ब्रा तेरे तकिये पर कैसे पहुँच गई, बता सच-सच मदरचोद… मेरी पैंटी और ब्रा के साथ क्या कर रहा था?”

रेखा चाची ने इस तरह की भाषा में मेरे साथ पहले कभी बात नहीं की थी और इस वक्त उनका गुस्सा देख कर मैंने डरते-डरते बताया कि, “कल रात को जब चाचा आपको प्यार कर रहे थे, उस समय मैंने आपको देखा था और पता नहीं… आप उस समय इतनी सुंदर लग रही थीं कि बाथरूम में जा कर आपकी पैंटी और ब्रा लेकर अपने बिस्तर पर आ गया और आपकी पैंटी और ब्रा को सूँघते हुए और चाटते हुए अपने हाथ से मैंने खूब मुठ मारी।”

कहानी जारी है ….. आगे की कहानी पढने के लिए निचे लिखे पेज नंबर पर क्लिक करे …

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मम्मे चुस्वाकर चुत चटवाकर ठंड में लंड का मजा दिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/mamme-chuswakar-chut-chatvakar-thand-me-lund-ka-mja-diya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/mamme-chuswakar-chut-chatvakar-thand-me-lund-ka-mja-diya.html#respond Thu, 22 Mar 2018 06:59:40 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11990 मम्मे चुस्वाकर चुत चटवाकर ठंड में लंड का मजा दिया, एक रांड की तरह लंड का मज़ा लेते हुए स्माईल देती और अब मेरे भी धक्कों की स्पीड और भी तेज हो चुकी थी और मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और अब मुझे लगा कि शायद वो झड़ने वाली है इसलिए मैंने धक्के और तेज कर दिए ताकि उसे और भी चुदाई के मज़े मिले

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम येम्डोल है और मेरी उम्र 24 साल है. में दिखने में बिल्कुल ठीक ठाक हूँ. दोस्तों आज में आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव है और जिसमें मैंने अपनी बहन को चोदा. दोस्तों में उस समय में गावं में अपने दादा दादी के साथ रहा करता था, क्योंकि मेरे माता पिता उस समय बाहर विदेश में रहते थे.
दोस्तों जैसा कि आप सभी को पता है कि शहर में बहुत सारे रिश्तेदार होते है और ऐसे ही मेरे एक दूर के रिश्ते से ताऊजी थे, उनकी एक बेटी और बेटा था, उस बेटी का नाम राशी जो कि मुझसे उम्र में थोड़ी बड़ी थी और लड़का महेश जो मेरी ही उम्र का था और अब महेश भी बाहर विदेश में अपनी पढ़ाई कर रहा है और पिछले कुछ सालों से वहीं पर रहने लगा था. में उस समय अपनी कॉलेज की पढ़ाई के लिए शहर पढ़ने गया हुआ था.

दोस्तों असली कहानी यहाँ से शुरू होती है और जब में शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करने आया तो अपने सभी रिश्तेदार से मिला और तब मैंने राशी को वहां पर देखा तो में बिल्कुल चकित रह गया. उसके बूब्स बहुत बाहर आ चुके थे और बहुत मोटे मोटे दिखाई दे रहे थे. में तो उसे देखता ही रह गया, शायद उसने भी इस बात पर गौर कर लिया था. वो बोली कि तेरा ध्यान कहाँ है? तो मैंने कहा कि कहीं नहीं और ऐसे ही बहुत दिन गुज़र गये और फिर एक दिन में अपने पास के शहर से अपनी कार में वापस घर आ रहा था तो अचानक मुझे रोड पर राशी और उसकी माँ और उसकी दो पड़ोसने दिखाई दी.

फिर मैंने अपनी गाड़ी रोककर उनसे पूछा कि क्यों घर जाना है तो वो बोली कि हाँ भगवान का शुक्र है कि तुम मिल गये वर्ना हम पैदल ही घर जाते, क्योंकि इस जगह से हमें कोई साधन भी नहीं मिलता और फिर राशी फटाफट से पिछली सीट पर बैठ गई. तभी उसकी माँ बोली कि राशी तू आगे बैठ जा हम तीनों पीछे बैठते है और में पीछे की तरफ मुहं करके देखने लगा. वो अंदर से ही आगे वाली सीट पर आने लगी तो उसका एक बूब्स कपड़ो से बाहर आकर मेरे मुहं पर लगा और उसने उस समय काले कलर का सूट पहना हुआ था जो कि बहुत टाईट था और जब उसने आगे आने को अपनी एक टाँग फैलाई तो मुझे उसके पैरों के बीच में बहुत सारा पसीना आया हुआ दिखाई दिया, वो बिल्कुल गीली थी और फिर में झट से समझ गया था कि उसने उस समय पेंटी नहीं पहनी हुई थी.

फिर वो आगे आकर बैठ गई और उसकी माँ और वो दोनों औरतें बातों में एकदम मस्त थी और में उसके साथ बातें कर रहा था और बार बार उसके बूब्स को देख रहा था. तभी वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि लगता है कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? तो मैंने कहा कि हाँ नहीं है और फिर वो बोली कि हाँ तभी तो हमेशा इतने परेशान रहते हो. दोस्तों मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि उसने मुझसे क्या यह सब क्यों कहा? और जब वो गाड़ी से उतरकर जाने लगी तो उसकी मटकती हुई गांड को देखकर मुझे बहुत जोश चड़ गया और मैंने घर पर पहुँचते ही बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा और फिर मैंने दो बार लगातार मुठ मारी और सो गया.

कुछ दिन ऐसे ही बीतते चले गये. फिर कुछ दिन के बाद मेरे ताऊ जी के घर पार्टी थी और उस समय मेरे दादा दादी जी भी उस समारोह में शामिल होने के लिए घर पर आ गये और में उनके साथ घर पर चला गया. जब में अपने ताऊ जी के रूम में पहुँचा तो मैंने देखा कि वहां पर राशी तैयार हो रही थी. तभी वो डरकर अचानक से मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि क्या यार विभु तुम हो? तो मैंने कहा कि हाँ में हूँ अगर तुम्हे कोई काम हो तो बताओ में करवा दूँगा. तो वो बोली कि हाँ सबसे पहले तुम यह मेरे ब्लाउज का हुक लगा दो, ये थोड़ा टाईट है. फिर दोस्तों जब में हुक लगाने लगा तो मुझे पता चला कि वो थोड़ा नहीं बहुत ज़्यादा टाईट था.

फिर में उससे बोला कि तुम भी मेरी हेल्प करो यह ब्लाउज सच में बहुत टाईट है और फिर उसने अपने बूब्स मेरे सामने ब्लाउज में एक हाथ डालकर सेट करते हुए ब्लाउज को थोड़ा सरकाया जिसे देखकर मेरा तो लंड पेंट को फाड़कर बाहर आने को था और यह सब उसने तैयार होते हुए देख लिया था और फिर हम पार्टी में डांस करने लगे तो उसने मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ डांस किया और सबके सामने यह प्रदर्शित किया कि हम भाई बहन है, लेकिन दोस्तों मुझे उसका तो पता नहीं, लेकिन मेरे दिल में बहुत कुछ था और फिर उस दिन से हम दोनों फोन पर चेटिंग करने लगे थे, लेकिन ऐसे कि जैसे हम एक दूसरे के कोई दोस्त है.

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फिर आख़िरकार वो दिन आ ही गया जब मुझे उसकी चूत के दर्शन करने का मौका मिल गया, क्योंकि उस दिन उसके मम्मी पापा और मेरे घर वाले पास वाले शहर में किसी के घर पर जागरण में चले गये और राशी को मेरे साथ मेरे घर पर छोड़ गये. मेरे दिल में तो अब लड्डू फूटने लगे, तब सर्दियों के दिन थे और में सोफे पर बैठकर टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहा था. तभी कुछ देर के बाद अचानक लाईट चली गई और उस समय मैच बहुत मजेदार चल रहा था तो मुझसे रहा नहीं गया और मेंने अपने लॅपटॉप पर मैच लगा लिया. वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई और फिर वो भी मैच देखने लगी और जब कुछ देर बाद मैंने उसकी तरफ देखा तो में कंट्रोल से बाहर हो गया.
उसने नीले कलर की बिल्कुल टाईट टी-शर्ट और लोवर पहना हुआ था. वो उसमें क्या मस्त लग रही थी मेरा तो दिल कर रहा था कि उसके बूब्स को पकड़कर चूसकर सारा का सारा दूध पी लूँ और उन्हे नीबूं की तरह निचोड़ डालूं. तभी वो मुस्कुराते हुए मुझसे बोली कि मैच देख लो और अपना ध्यान मैच पर रखो मुझ पर नहीं. वो उस समय इतना कहते हुए थोड़ा मेरे पास बैठ गई और भी करीब आने लगी और फिर वो मुझसे बोली कि विभु मुझे यहाँ पर ठंड लग रही है, तुम अपना यह लेपटॉप बेड पर रख लो.

फिर में उसके कहने से बेड पर आ गया और में अपने दोनों पैरों को कम्बल के अंदर करके बैठ गया. वो मेरे एक साईड में बैठी हुई थी और थोड़ी दूरी पर थी जिसकी वजह से उसे लॅपटॉप सही ढंग से नहीं दिख रहा था. वो मुझसे बोली कि लेपटॉप को थोड़ा इधर कर लो और मैंने वैसा ही किया. में अब उसकी साईड में और उसके बिल्कुल पास बैठ गया और कंबल में पूरा घुसा हुआ था, लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान मैच से बिल्कुल हट चुका था और में धीरे धीरे अपने एक पैर से उसके पैर को रगड़ने लगा और मैंने एक पैर उसके पैर पर रख दिया, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया में समझ गया था कि उसे भी अब इस सर्दी में गरमाहट चाहिए और फिर मैंने अपना एक हाथ भी कंबल में घुसा दिया और एक साईड से उसकी हल्के से गांड को छूने लगा, लेकिन वो फिर भी मुझसे कुछ भी नहीं बोली और इतनी देर में मैच ख़त्म हो गया, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था. तो कुछ देर के बाद वो बोली कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड का क्या नाम है? में अब लगातार धीरे धीरे उसकी गांड पर हाथ फेरता रहा और उससे बोला कि कोई है ही नहीं.

वो झट से बोली कि ऐसा हो ही नहीं सकता और ऐसे ही हम गर्लफ्रेंड के बारे में बातें करते रहे. तभी मैंने धीरे धीरे अपने हाथ की जगह चेंज कर दी और अपने हाथ को उसके लोवर के ऊपर से ही उसकी चूत के पास ले गया. वो मुझसे बोली कि विभु यह क्या कर रहे हो? क्या तुम्हे शर्म नहीं आती, में तुम्हारी बहन हूँ? तो में बोला कि मैंने ऐसा क्या किया है? तो वो बोली कि अब तुम ज़्यादा चालाक मत बनो, तुम्हारा हाथ कहाँ पर है? तो मैंने कहा कि मेरा हाथ यहीं पर है और मैंने अपना हाथ थोड़ा और टाईट कर लिया. तभी वो मेरा हाथ पकड़कर छुड़ाने लगी और बोली कि यह है तुम्हारा हाथ. तो में बोला कि तो क्या हुआ? तुम मेरी बहन हो इसलिए हम दोनों एक दूसरे की बातें तो जान सकते है. वो बोली कि यह बात बिल्कुल गलत है. भाई बहन में कभी भी ऐसा नहीं होता. में उसे अब मनाने लगा, लेकिन वो नहीं मान रही थी तो मैंने उससे कहा कि चलो अगर तुम मुझे अपना अच्छा भाई मानती तो प्लीज मुझे एक बार अपना शरीर दिखा दो.

वो लगातार ना ना कर रही थी तो मैंने उसे अपनी कसम देकर एक बार दिखाने को बोला तो वो मान गई और मुझसे बोली कि में सिर्फ़ एक बार ही तुम्हे दिखाउंगी और फिर वो अपनी टी-शर्ट के ऊपर के बटन खोलने लगी. तभी मैंने उसे रोक दिया और वो अचानक से रुक गई और मेरी तरफ देखने लगी. मैंने उससे कहा कि तुम रहने दो में खुद ही खोल लूँगा और फिर मैंने धीरे धीरे बटन खोलकर उसके ऊपर का हिस्सा उतार दिया. वो गुलाबी कलर की ब्रा में थी और उस पर फूलों की डिजाईन बनी हुई थी. में उससे बोला कि मुझसे अच्छे तो यह फूल ही है, कम से कम तुम्हारी ब्रा से तो चिपके हुए है. तो वो हँसने लगी और मैंने सही मौका देखकर उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही पकड़ लिया. तो वो बोली कि मैंने सिर्फ़ देखने को कहा था छूने को नहीं. तो मैंने कहा कि प्लीज मुझे छूने दो, पक्का में सेक्स नहीं करूंगा और फिर मैंने उसे विश्वास दिलाया कि सेक्स नहीं करूंगा.

तो वो मान गई में फिर उसके लोवर की तरफ बढ़ा तो वो मुझसे बोली कि क्या इसको उतारना ज़रूरी है? तो मैंने कहा कि असली चीज़ तो यहीं पर है प्लीज उतारने दो और फिर झट से मैंने उसकी लोवर को उतार दिया उसने लाल कलर की पेंटी पहन रखी थी और अब वो ब्रा और पेंटी में क्या मस्त लग रही थी. ऐसे ही करते करते मैंने उसके एक कंधे से उसकी ब्रा को नीचे कर दिया और उसका एकदम सफेद बूब्स आधे से ज्यादा बाहर आ गया और उसने मुझे पकड़ लिया. मैंने उसके एक बूब्स को एक हाथ में लिया और दूसरा हाथ उसकी पेंटी में डाल दिया और उसकी चूत को पहली बार छूकर देखा. मेरे छूते ही वो बिल्कुल पागल हो गयी और उसने एकदम से पलटकर मुझे बिल्कुल टाईट पकड़ लिया और मुझे लिप किस करने लगी और सिसकियाँ लेने लगी.

मुझे पता चल चुका था कि अब सब कुछ मेरे हाथ में या मेरे लंड में है. में उसकी चूत को पेंटी के अंदर ही बार बार छू रहा था और धीरे धीरे सहला रहा था. फिर में उसकी चूत के सामने आ गया और मैंने उसकी पेंटी को उतार दिया. दोस्तों वाह क्या जन्नत की तरह थी वो जगह उसकी चूत बिल्कुल साफ थी. मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर लेटा दिया और उसकी चूत को छूने लगा. तो वो मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब ऐसा मत करो मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है.
दोस्तों अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत के ऊपर मुहं रख दिया और उसे किस करने लगा इस वजह से वो बहुत ज़ोर से मचलने लगी जैसे बिन पानी के मछली तड़पती है वैसे ही तड़पने लगी और वो मेरा सर अपनी चूत पर दबा रही थी. मैंने उसके दोनों पैरों को फैला दिया और उसकी बैचेन चूत में अपनी जीभ को डाल दिया. वाह दोस्तों क्या मस्त अहसास था, पहली बार मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने ऐसी रसीली और मजेदार चीज़ कभी खाई ही नहीं. फिर कुछ देर ऐसे ही करते करते वो झड़ गई और उसकी चूत का पानी मेरी जीभ को लग गया वो बहुत अजीब से स्वाद का था, मैंने उसे थूक दिया.

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वो मुस्कराते हुए बड़ी संतुष्ट लगी, लेकिन में अभी भी ठंडा नहीं हुआ था और में हल्का सा उसके ऊपर आकर अपना लंड उसके दोनों बूब्स के बीच में दबा लिया और रगड़ने लगा. जब में लंड को आगे की तरफ ले जाता तो वो अपना मुहं खोलकर उसे अंदर ले लेती. फिर राशी ने बोला कि में और अब नहीं रह सकती, प्लीज़ इसे नीचे डालो, मुझे बहुत अजीब सा कुछ कुछ हो रहा है. फिर मैंने भी अपने लंड को हाथ में ले लिया और राशी की चूत के मुहं पर रगड़ने लगा. वो अब झटपटाने लगी और मुझसे लंड को अंदर डालने की भीख माँगने लगी.
मैंने फिर से हल्का सा ज़ोर देकर अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर डाला तो उसकी एक बार आखें फट गयी. में थोड़ी सी देर बिल्कुल शांत हो गया और फिर दूसरे ही झटके में लंड को अंदर की तरफ पहुंचा दिया. उसके मुहं से बहुत ज़ोर से चीख निकल पड़ी और आँखो से आँसू. में फिर से थोड़ा नीचे की तरफ होकर उसके होंठो को चूसने लगा और उसके बूब्स को दबाने लगा और फिर मैंने सही मौका देखकर एक बार फिर से धक्का मार दिया और अब लंड बहुत अंदर जा चुका था और वो बार बार मुझसे से उसे बाहर निकालने के लिए कह रही थी, लेकिन में अब वहां से वापस नहीं लौट सकता था इसलिए मैंने थोड़ा सा रुककर मैंने फिर से एक आखरी झटके में अपना लंड जड़ तक राशी की चूत में डाल दिया और वो दर्द से झटपटाने लगी और में फिर से नीचे झुककर उसको स्मूच करने लगा और बूब्स को दबाने लगा.

फिर थोड़ी देर बाद उसको भी दर्द खत्म होने के बाद जोश आ गया और धीरे धीरे से अपने कूल्हों को हिलाने लगी और में समझ गया कि अब शायद उसे भी मज़ा आने लगा है और फिर में भी हल्के हल्के झटके लगाने लगा. फिर वो कभी मुस्कुराती तो कभी एक रांड की तरह लंड का मज़ा लेते हुए स्माईल देती और अब मेरे भी धक्कों की स्पीड और भी तेज हो चुकी थी और मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और अब मुझे लगा कि शायद वो झड़ने वाली है इसलिए मैंने धक्के और तेज कर दिए ताकि उसे और भी चुदाई के मज़े मिले और फिर उसका शरीर अकड़ने लगा और मेरी बहन मेरे लंड से चुदाई करवाती हुई झड़ गई.

अब मैंने अपनी स्पीड को और भी बढ़ा दिया और चूत में बहुत गीलापन होने की वजह से फच फच की आवाजें आने लगी और अब मुझे भी लगने लगा कि शायद अब में भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपने धक्के और भी तेज कर दिए और 15-20 धक्कों के बाद में और राशी एक साथ झड़ गये और थोड़ी देर तक हम दोनों एक साथ लेटे रहे और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे. मैंने ध्यान से देखा कि राशी के बूब्स एकदम लाल हो चुके थे और उस पर मेरे हाथों के निशान भी साफ साफ नज़र आ रहे थे.
फिर हम ऐसे ही नंगे फिर से एक बार जोश में आ गये और एक दूसरे से सांप की तरह लिपट गये. मेरा लंड एक बार फिर से उसके पैरों के बीच दस्तक देने लगा और मेरी बहन मुस्कुरा रही थी और मेरा लंड पकड़कर एक बार फिर से हिलाने लगी और कुछ देर के बाद मेरे लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी और जब मैंने उसे लेटने के लिए कहा तो उसने कहा कि नीचे के लिए आज इतना ही बहुत है और बाकी बाद में. फिर उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे लंड पर जकड़ दिए और चूसने लगी.

में उसके बालों को पकड़कर पीछे करके उसको देखने लगा, वो बड़े मज़े से चूस रही थी और कभी कभी एक हाथ से अपने बूब्स को भी बॉल की तरह दबाती. दोस्तों उस रात हम दोनों बिना कपड़ो के ही रहे और सारी रात सोए नहीं और जब हमारे घरवालों का आने का टाईम हुआ तो हम एक बार और चुदाई करके सब कुछ साफ करके सो गए. दोस्तों आज भी वो एक होस्टल में रहकर नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रही है में जब भी वहां पर जाता हूँ तो एक पूरे दिन और रात हम होटल में एक दूसरे के साथ रहते है. मुझे आज भी उसकी चूत बहुत रसीली लगती है और उसे देखते ही मेरा दिल करता है कि उसे लगातार चाटता ही रहूँ.

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एक्सप्रेस मधि पटवला आणि घरी ग्रुप सेक्स केले | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/teen-girls/express-madhi-patvla-aani-ghari-group-sex-kele.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/teen-girls/express-madhi-patvla-aani-ghari-group-sex-kele.html#respond Thu, 22 Mar 2018 06:11:20 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12025 एक्सप्रेस मधि पटवला आणि घरी ग्रुप सेक्स केले, माझ्या डोक्या वर सेक्स चे भूत चढले होते आणि मला पण आता एक लंड ची गरज भासत होती आणि आधी मी नाही म्हणले होते कि नाही मला जायचे आहे आणि मला लेट होईल, तर त्याने म्हणले कि मी तुला ड्रोप करून देतो आणि मग मी पण हो म्हणले होते, मग आम्ही दोघे त्याच्या एक मित्रा च्या रूम वर गेलो होतो

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का्य रे येडानों आल्या सगळा पुन्हा दा आपल्या आपल्या लंड हलवा साठी. तुमि गरीब मनसा लंड हालवुननच एकटा मरणार का. एक मुलगी ला तुमि फसवू ने सकता का्य संगाचा. जाऊ दया कही नहीं आहे न आपल्या मस्ताराम डॉट नेट मजे करा स्टोरी वाचून. चला आता स्टोरी वर या माझे नाव स्वरूपा आहे आणि मी एक मिडल क्लास ची मुलगी आहे, माझे वय 24 आहे आणि माझे फिगर ३४-२८-३४ आहे, माझ्या फेमिली मद्धे माझी आई पप्पा आणि एक लहान भाऊ आहे एक मोठा भाऊ पण आहे आणि मला एक लहान बहिण पण आहे.
मी एक सरळ साधी मुलगी आहे, मी आता शिकते आहे, हि गोष्ट तेव्हाची आहे जेव्हा मी माझ्या अंकल च्या मुलाच्या लग्न वरून परतत होते.

मला तिथून एक्प्रेस ट्रेन पकडून दिल्ली ला जायचे होते, माझे गाव स्टेशन पासून बहुतेक ९-१० किमी वर होते. त्या मुळे माझी ट्रेन सुटली होती. ट्रेन ८:३० वाजता होती आणि मला सोडायला माझा भाउ आला होता.
तर मी त्याला सागितले कि तू जा मी ट्रेन पकडते कारण कि त्याला पण जायचे होते, तो माझ्या पेक्षा 4 वर्षे लहान होता आणि माझे ऐकले होते आणि त्याला मी समजावले कि घरी सांगून टाक कि ट्रेन मिळाली आहे, मग तो घरी गेला होता.

आता ५ वाजले होते आणि तेव्हा उन्हाळ्याचे दिवस होते, मी विचार केला कि वाट पाहत बसण्या पेक्षा मी पेसेन्जर ट्रेन ने निघून जाते, मग मी ट्रेन ची वाट पाहत होते आणि ट्रेन येई पर्यंत स्टेशन ववर खूप गर्दी झली होती.
मग जसे ट्रेन आली होती तसे मी माझा मोठा बेग जसे तसे ट्रेन मध्ये घुसवला होता आणि मी दोन्ही टोयलेट च्या मध्ये माझे बेग ठेवून उभी राहिले होते, मी माझी दुसरी बेग पण पहिल्या बेग च्या वर ठेवली होती.
गर्दी होती त्या मुळे मला तिथे एकदम थोडी जागा मिळाली आणि आता ट्रेन सुरु झाली होती, मग मी विचार केला कि काही वेळ उभी राहते पुढे गेले कि थोडी जागा होऊन जाईल. मग मी उभी होते आणि माझ्या मागे एक माणूस होता, आणि गर्दी मध्ये अनेक वेळा लोकांनी माझी गांड दाबली होती.

मी काहि लक्ष दिले नाही आणि मी सूट घातला होता, माझ्या सलवार मधून माझी गांड एकदम सरळ सरळ दिसत होती आणि माझी पेंटी पण दिसत होती. कारण कि खूप उकाडा होता त्या मुळे मी एकदम पातळ कपडे घातले होते..
मला खूप घाम येत होता आणि त्या मुळे माझे कडपे एकदम भिजले होते, तेव्हा मी नोटीस केले होते कि कोणी तरी माझे बोल घासले होते, माहिती नाही कि कोणी पण मला त्रास झाला होता पण नंतर म्हणले कि गर्दी आहे त्या मुळे असे काही होणारच आणि हे नॉर्मल आहे, मी काही करू शकत नाही, मग काही वेळाने मला सीट मिळून जाईल आणि काही त्रास होणार नाही.

मग ट्रेन थांबली होती आणि झटका लागतच मागचा मानुस ने माझी बेक ढकलली होती, जसे अजून लोक चढले तसे पुढच्या माणसाने धक्का दिला होता आणि माझे बुब्स दाबले होते आणि सोरी म्हणला होता, आणि माझ्या कडे पाहून स्माईल केले होते, मी नो प्रोब्लेम म्हणले होते आणि नजर खाली केली होती, आता मला थोडी थोडी लाज पण वाटू लागली होती.
मग ट्रेन सुरु झाली तर मी मागे माझ्या पाठी वर काही तरी अनुभव केले होते आणि मी जेव्हा माझा चेहरा फिरवून पहिले तर ती माणूस चेहरा खाली करून उभा होता, मी मग गप्प उभी राहिले होते आणि अंधार पण आता होऊ लागला होता, मग मागच्या माणसाने माझ्या मागून धक्का दिला.

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आता मला समजले होते कि तो माणूस गर्दी चा फायदा घेऊन मजा घेत आहे, माझा काही विरोध होत नाही आहे पाहून त्याने त्याच्या हात ने माझी गांड घासली होती आणि आता मला तर खूप लाज वाटत होती, मग त्या मुळे मी काही बोलू पण शकले नाही, त्या मुळे त्याची हिम्मत अजून वाढली होती, आता त्याने दोन्ही हातानी माझी गांड दाबली होती आणि मग तो माझी गांड दाबु लागला होता.
काही वेळ साठी मला पण लाज वाटत होती पण नंतर मला पण मजा येऊ लागली होती. मग तो फायदा घेऊ लागला होता आणि माझे बुब्स पण दाबू लागला होता आणि माझ्या ब्बुस आणि गांडी बरोबर खेळू लागला होता.

तेव्हा त्याचा एक हात माझ्या सूट च्या आत मध्ये गेला होता आणि मी एकदम चकित झाले होते आणि तो माझे पोट घासत होता, आणि खूप मजा घेत होता आणि मला पण खूप मजा येत होती.
आता त्याचा हात माझ्या सलवारी वरून माझ्या पुची वर गेला होता आणि माझी पुची मुठ मध्ये घेऊन दाबली होती, मी एकदम उडाले होते, तो कधी माझी गांड तर कधी माझी पुची घासत होता.
तेव्हा अचानक त्याने माझा नाडा पकडला होता आणि मला समजले पण नाही आणि एक झटका देऊन्न उघडला होता आणि माझी सलवार ढिली होऊन काही खाली आली होती आणि आता मला भीती वाटू लागली होती. मला मजा पण येत होती आणि माझी पुची आता ओली होऊ लागली होती.

त्यान एक हात ने माझी पेंटी खाली केली होती आणि हात पुची वर ठेवला होता आणि तो एकदम चकित झाला होता कारण कि माझी पुची ओली होती, मग ते पाहून त्याला ग्रीन सिग्नल मिळला होता. आता मला अजून एक लंड ची गरज भासत होती आणि मी काही म्हणले नाही आणि त्याने बोट माझ्या पुच्ची मध्ये टाकून दिले होते आणि बोटाने आत बाहेर करू लागला होता.
माझे पाय कापत होते आणि मला उभी राहायला खूप त्रास होत होता आणि मी त्याचा हात पकडला होता, तर त्याने लंड काढला होता आणि मला वाकवून माझ्या पुची वर घासू लागला होता.
त्याच्या लंड चे साईझ बहुतेक ७-८ इंच होते आणि खूप जाड होता.

मी आधी माझ्या कोलेज लाईफ मध्ये सेक्स ची मजा घेतली होती, आणि माझी सील तुटली होती, पण मी आधी फक्त ५.५ इंच लंड घेतला होता आणि त्याचा लंड पाहून मला चकित झाले होते, मग माझे सार्व कपडे आधी पासून ओले झाले होते आणि आता भीती पण वाटत होती आणि सेक्स ची इच्छा पण होत होती.
मग मी त्याचा लंड माझ्या हाताने माझ्या पुची वर घासू लागले होते आणि अचानक माझ्या समोर च्या माणसाने माझे बुब्स दाबून दिले होते आणि डोळा मारला होता.

मला समजले कि त्याला सर्व माहिती आहे, मी त्याला गप्प राहायचा इशारा केला होता आणि मग तो गप्प राहिला होता, पण त्याने माझे बोल आता एकदम जोर जोराने दाबणे चालु केले होते आणि कधी तो माझ्झे बुब्स दाबत होता तर कधी मला कीस करत होता आणि कधी माझ्या बुब्स वर कीस करत होता, मला आता त्याचे असे वर्तन पाहून खूप गुदगुदी होत होती.
तेव्हा मागच्या माणसाने त्याचा लंड माझ्या पुची मध्ये घुसवू पहिला होता आणि माझी पुची अजून खूप टाईट होती कारण कि मी एक वेळा ठोकून घेतले होते, त्याने परत लंड पुची वर सेट केला होता आणि झोर लावला होता आणि त्याचा टोपा माझ्या पुची मध्ये गेला होता आणि मला खूप त्रास झाला होता आणि माझा हळूच आवाज निघाला होता आणि मी पुढच्या माणसाला त्याचा पाय हटवायला सांगतिले होते कि पायावर पाय ठेवू नकोस, तर त्याला समजले आणि त्याने सोरी म्हणले होते.

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मग त्याने त्याचा लंड काढला होता आणि माझ्या कान मध्ये म्हणला कि ओरडलीस तर कसे काम चालू राहणार, मजा घ्यायची असेल तर गप्प राहा आणि मजा घे आणि ओरडू नकोस नाही तर आपण पकडले जाऊ आणि आपली बदनामी होईल.
मग मी म्हणले कि त्रास झाला तर काय करणार, मग त्याने कपडे सरळ केले होते मग मी पण माझे सरळ केले होते, मग मी माझी पेंटी वर केली होती आणि माझी सलवार पण बांधली होती, मग त्याने कान मध्ये म्हणले कि रूम वर चल तिथे खूप मजा येईल.
मग तेव्हा माझ्या डोक्या वर सेक्स चे भूत चढले होते आणि मला पण आता एक लंड ची गरज भासत होती आणि आधी मी नाही म्हणले होते कि नाही मला जायचे आहे आणि मला लेट होईल, तर त्याने म्हणले कि मी तुला ड्रोप करून देतो आणि मग मी पण हो म्हणले होते, मग आम्ही दोघे त्याच्या एक मित्रा च्या रूम वर गेलो होतो.

मग मी कसे त्याच्या रूम वर जाऊन ग्रुप सेक्स ची मजा घेतली होती ते मी पुढच्या गोष्टी मध्ये सांगते.
मग मी कसे माझ्या भाभी ला इथे बोलावून ठोकवले होते आणि आम्ही दोघी नणंद भाभी पैशाची गरज भासली कि सर्विस देत असतो, मग त्या नंन्तर मी कसे कसे आणि कोठे ठोकून घेतले ते पण तुम्हला सांगते.

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बाप की ग़लती छुपाई छोटी बेटी ने | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%aa-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a4%bc%e0%a4%b2%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%9b%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%9b%e0%a5%8b%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a5%87.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%aa-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%97%e0%a4%bc%e0%a4%b2%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%9b%e0%a5%81%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%9b%e0%a5%8b%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a5%87.html#respond Wed, 21 Mar 2018 09:18:40 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11998 बाप की ग़लती छुपाई छोटी बेटी ने, मैने दुबारा से उसके छेद पर लंड रखा.इस बार विनोद ने मेरी तरफ़ आँख मार्कर इशारा किया.मैं समझ गया कि वो बोल रहा है कि झटके से डाल दो.मैने वैसा ही किया निशाना लगाया और एक दम सारा लंड अंदर.रवीना काँप गयी और चिल्लाने लगी

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आज मैं आपको अपने एक दोस्त की कहानी उसी की ज़ुबानी सुनाता हूँ.जो उसने मुझे मैल की है.

मेरा नाम निशांत है.मेरे परिवार में मेरी बीवी दिव्या एज 42साल ,2 बेटियाँ टीना एज 20,रवीना(अनु) 18 साल है.मैं अपने ऑफीस कंप्यूटर पर खाली समय में मस्ताराम की सेक्सी कहानिया पढ़ता रहता हूँ और इसलिए मेरे मन में भी कभी कभी अपनी छोटी बेटी रवीना जो कि सरीर में काफ़ी हशट पुष्ट है को लेकर ग़लत विचार आते रहते थे.लेकिन मैं अपने रिस्ते के बारे में सोचकर अपने मूड को डाइवर्ट कर लेता था. मेरे घर के पास रहने वाले एक दोस्त की बीवी डिंपल के साथ संबंध भी है मैं उसके घर समय निकालकर चुपके से जाता रहता हूँ .

अब मैं अपनी स्टोरी पर आता हूँ.मेरी दोनो बेटिओं की स्कूल की छुट्टियाँ थी.छोटी बेटी रवीना को फीवर था और दिव्या के मायके में एक शादी थी.दिव्या ने बोला कि मैं प्रोग्राम कॅन्सल कर देती हूँ.तो मैने कहा कोई बात नहीं,तुम जाओ लेकिन शादी अटेंड करते ही आ जाना.तो वो बोली 2-3 दिन तो लग ही जाएँगे,तो मैने कहा कोई बात नहीं लेकिन जल्दी आने की कोशिश करना.और अगले दिन वो बड़ी बेटी को साथ लेकर मायके सुबह 06.00 पर ही चली गयी.घर में अब मैं और मेरी बेटी के अलावा कोई नहीं था और मेरी बेटी को सुबह 9-10 बजे तक जागने की आदत है.

मैने अपने दोस्त की बीवी डिंपल को फोन किया कि कहाँ हो वो पार्क में मॉर्निंग वॉक के लिए आई थी तो मैने कहा मेरे घर आजाओ,दिव्या मायके गयी है.वो जल्दी से आ गयी.मैं उसको पहली बार अपने घर पर बुलाया था.डिंपल बोली रवीना तो यहीं है.मैने कहा वो तो 9-10 बजे तक जागेगी तब तक तो हमारा गेम हो जाएगा.और मैं उसको अपने कमरे में ले गया.अपने कमरे का गेट बंद किया और डिंपल के मस्त 32-30-34 शरीर का मज़ा लेने लग गया.थोड़ी देर बाद ही किसी ने गेट नॉक किया हम दोनो ही डर गये दोनो ने जल्दी जल्दी से अपने कपड़े पहने और मैने डिंपल को बेड के नीचे छुपा दिया.

जब मैने गेट खोला तो देखा रवीना बाहर खड़ी है.उसने पूछा पापा अंदर कौन है ,मोम और दीदी तो चले गये,आप किससे बातें कर रहे थे.मैने हकलाते हुए बोला कोई नहीं.लेकिन मेरे बोलने के अंदाज से उसको शक हो गया कि कोई है.वो सीधे बेड के पास झाँकने लगी और अंदर देखकर बोली डिम्पी आंटी,उसने बोला बाहर निकलो वो जब बाहर निकली तो देखा उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नही था.और उसकी चूत और पेट पर मेरा वीर्य सॉफ दिखाई दे रहा था.रवीना बोली डिम्पी आंटी आप अभी यहाँ से चली जाओ वरना बहुत बुरा होगा.वो चुपचाप वहाँ से चली गयी.लेकिन रवीना मुझसे कुछ नहीं बोली.जब वो चली गयी तो मैं अनु के रूम में गया और उसे बोला सॉरी अनु बेटा ग़लती हो गयी.

वो बोली ये क्यूँ किया आपने,आप मोम के पीछे ये सब करते हो मैं मोम को ये सब बताउन्गि.मैने कहा अनु मोम को मत बताना प्लीज़.तो वो बोली क्यूँ नही बताउ. तो मैने कहा ठीक है तुम्हारी मर्ज़ी है लेकिन तुम्हारी मोम मेरे साथ नही सोती है अक्सर तुम लोगों के साथ ही सोती है और मेरा ख्याल नहीं रखती तो मैं क्या करूँ बताओ. वो शांत रही और कुछ नहीं बोली और मैं भी वहाँ से अपने कमरे में चला आया.मैं अब यही सोचता रहा कि अगर अनु ने सब कुछ बता दिया तो क्या होगा.अब मेरे दिमाग़ में विचार आने लगे कि कैसे मैं अपनी बेटी को बताने से रोकू.मेरे पास एक ही रास्ता था कि उसकी भी कोई ग़लती हो तो मैं उसको ये बात मेरी बीवी को बताने से रोक पाउ.मगर मेरे पास उसका कुछ नहीं था.वो तो मुझसे अब बात करने के लिए भी तैयार नही थी.मैं सोचता रहा कि उससे बात करने का कोई रास्ता निकले जिससे उसका दिल नरम हो जाए.

अनु अभी तक नॅचुरल कॉल्स के लिए बाथरूम मे नही गयी थी.मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया उसके मुताबिक बाथरूम मे वॉश बेसिन और टाय्लेट शीट के पास मोबाइल आयिल फैला दिया और बाथरूम के बाहर अपने वो स्लीपर रख दिए जिनसे तो मैं कई बार नॉर्मल फर्श पर भी स्लिप हो गया था.मेरा आइडिया था कि अगर वो स्लिप हुई तो उसके चोट ज़रूर लगेगी और उसकी देखभाल तो मुझे ही करनी होगी.और देखभाल करते करते अनु को मनाने का चान्स लेकर देखते हैं.मैं अपने रूम में जाकर बैठ गया और उसका बाथरूम जाने का इंतजार करता रहा.अनु थोड़ी देर बाद ब्रश लेकर बाथरूम की ओर बढ़ी उसकी तबीयत तो ऐसे ही ठीक नहीं थी कमज़ोरी भी थी उसने वही स्लीपर पहने और जैसे ही अंदर घुसी मुझे एक ज़ोर की आवाज़ सुनाई दी.वो स्लिप हो गयी थी.मैने देखा कि वो पीठ के बल गिरी हुई है,उसकी राइट कोहनी से ब्लड निकल रहा है और अपने कूल्हे को पकड़ कर आआआआआआः आआआआआआआआहह कराह रही है,आँखों मे आँसू आ रहे हैं उसकी स्कर्ट उपर उठी हुई है उसकी गोल भरी हुई दूधिया जांघें और चॉकलेट कलर की पैंटी जो सॉफ दिखाई दे रही थी मेरा दिमाग़ खराब करने लगी जबकि मैने अपना प्लान उससे बात करके उसे समझाने के लिए बनाया था .

मैने उसे पूछा क्या हुआ.वो बोली स्लिप हो गयी.मैने पूछा कहाँ लगी वो बोली राइट हॅंड में और हिप के पास.मैने बोला चलो खड़ी हो जाओ.उसने उठने की कोशिश की तो उसको दर्द और बुखार की कमज़ोरी के कारण से चक्कर आने लगे वो वहीं पर बैठ गयी तो मैने कहा क्या हुआ तो वो बोली पापा सिर घूम रहा है चक्कर आ रहे हैं.तो मैने कहा चल मैं तुझको बेड पर लिटा देता हूँ.जब मैने उसको उठाने के लिए राइट हॅंड को पकड़ कर उसको गोदी मे लेना चाहा तो उसको बहुत दर्द हुआ और वो बोली पापा नही ऐसे तो काफ़ी दर्द हो रहा है.मैने उसको फिर से फर्श पर बैठा दिया और गोदी की बजाय उसको सीधे खड़े खड़े उठने के लिए बोला.वो मेरा सहारा लेकर खड़ी हो गयी.मैने उसको अपने से सटा लिया और उसके 32 इंच बूब्स का स्पर्श महसूस करने लगा.

मैने जान भूजकर उसकी स्कर्ट को उपर उठाकर ही अपने कंधे पर उठा लिया.अब उसके बूब्स मेरे कंधों से उपर और उसकी चॉकलॅटी पैंटी वाला पिछवाड़ा मेरे राइट हॅंड से उठाया हुआ था.मैने जानभूजकर उसको अपने राइट हॅंड से हिप के पास प्रेस किया जहाँ उसको चोट लगी थी.अनु बोली पापा आराम से उठाओ चोट लगी है.मैने कहा कहाँ.वो बोली हिप के पास तो मैने उसके हिप को लेफ्ट हॅंड से टच करके सहलाते हुए बोला यहाँ. तो बोली हां पापा.मैने कहा कोई बात नहीं कोई क्रीम लगा देंगे.और मैने अनु को बेड पर लिटा दिया और बोला अनु क्रीम लगा दूं तो वो बोली हां पापा लगा दो मैं एक क्रीम लेकर आ गया मैने अनु से पूछा बेटा दिखाओ कहाँ लगी है लगा देता हूँ.वो झेन्प सी गयी और बोली नही पापा मैं लगा लूँगी और अपना राइट हॅंड आगे बढ़ाने की कोशिश की लेकिन मूह से आअहह की आवाज़ लगाते हुए रुक गयी.

उसका राइट हॅंड जाम सा हो गया था अब उसने अपना लेफ्ट हॅंड बढ़ाया और क्रीम अपने हाथ में लेकर खोल दी और अपने पिछवाड़े को मुझसे छुपाने की कोशिश करते हुए लेफ्ट हॅंड से अपने राइट हिप को क्रीम से मालिश करने की कोशिश करने लगी लेकिन उससे ठीक तरह से मालिश नही हो पा रही थी और थोड़ा ट्विस्ट होने की वजह से उसको दर्द भी हो रहा था और वो दर्द के कारण बार बार चहेरे के एक्सप्रेशन भी बदल रही थी

मैने उसके हाथ की तरफ हाथ बढ़ाया और उसके हाथ से क्रीम छीन ली और बोला क्यूँ संकोच कर रही है बेड पर लेट जा मैं लगाए देता हूँ ऐसे भी एक हाथ से कितनी देर मालिश करेगी थक जाएगी चोट बहुत है और इस क्रीम को काफ़ी देर मालिश करने से ही असर होगा चल ज़िद मत कर मुझसे कैसी शरम.

अनु ना चाहते हुए भी बेड पर लेट गयी मैने उसको पेट के बल लेटने के लिए बोला वो पेट के बल लेट गयी मैने उसकी स्कर्ट को उसकी कमर पर चढ़ा दिया और उसकी पैंटी को राइट साइड से थोड़ा नीचे खिसका दिया मैने उसकी पैंटी थोड़ी ही खिसकाई जिससे उसको शरम महसूस ना हो मैने थोड़ी सी क्रीम निकाली और उसके हिप पर लगा दी और हल्के हाथ से मालिश करने लगा उसके दोनो हिप्स के बीच का कट थोड़ा दिखाई दे रहा था जिसकी वजह से मेरा दिमाग़ खराब होने लगा मैं मालिश कर रहा था तो उसकी पैंटी बार बार उपर खिसक आती थी और मैं उसको फिर से वहीं थोड़ा सा कर देता था

मैने अनु से पूछा बेटा आराम मिल रहा है बेटा वो बोली पापा कोई फरक नही है तो मैने बोला कई दिन तक अच्छी मालिश करनी पड़ेगी तभी आराम मिलेगा मैने उससे बातें करते करते इस बार उसकी पैंटी को थोड़ा और नीचे खिसका दिया अब उसकी हिप्स की दरार आधे से भी ज़्यादा दिखाई दे रही थी मैं मालिश करते करते उसको उत्तेजित करने की कोशिश करने लगा मैं बीच बीच मे उसकी दरार मे हाथ लगाता रहता और जैसे ही उसकी हिप की दरार पर हाथ लगता वो हिप्स को हल्का सा सिकोड लेती थी मैं ऐसा बार बार करता और वो भी बार बार अपने चुतडो को सिकोड लेती थी.

थोड़ी देर बाद मैने फिर उससे पूछा बेटा कैसा लग रहा है थोड़ा आराम मिल रहा है क्या.तो वो बोली हां पापा ठीक है लेकिन अब रहने दो तो मैने कहा ठीक है लेकिन अब तुम्हे इस क्रीम से दिन में 3-4 बार मालिश करनी होगी वो बोली ठीक है पापा.और मैने फिर से एक बार उसके हिप पे मजाकिया अंदाज में थप्पड़ लगाते हुए बोला चल अब आराम कर ले वो मेरी तरफ नीचे से उपर की तरफ उठते हुए मुस्करा दी वो पलटी और अपनी पैंटी उपर चढ़ा ली और जब वो अपनी स्कर्ट को डाउन कर रही थी तो मैने देखा उसका आगे का हिस्सा गीला था मैं समझ गया कि मेरे स्पर्श से उसको सेक्स का अनुभव हुआ है मैं वहाँ से खड़ा हो गया और अपने कमरे में चला गया थोड़ी देर बाद वो सो गयी और मैं फिर से उसके पास पहुँच गया .

वो करवट के बल सो रही थी और उसका राइट हिप उपर की तरफ था मैं फिर से क्रीम लेकर उसके पास पहुँचा और उसकी स्कर्ट उपर कर दी और उसकी पैंटी को इस बार तो दोनो हिप की तरफ से ही नीचे कर दिया उसके दोनो हिप्स मेरे सामने थे मैने थोड़ी सी क्रीम ली और मालिश करना शुरू कर दिया मैने थोड़ा आगे की तरफ धकेला तो उसकी चूत के उपर के छोटे छोटे बाल साफ दिखाई दे रहे थे लेकिन चूत नही दिख रही थी मैं धीरे धीरे उसके हिप्स को ही सहलाता रहा और कभी कभी अपना एक हाथ उसके आगे के बालों पर भी घुमा देता.उसके बूब्स पर जो कि नॉर्मल आकार के मालूम पड़ते थे उनपर भी मैं टच करने लगा मुझे उसकी साँसों से महसूस हुआ कि वो जाग गयी है लेकिन उसने अपनी आँखें बंद की हुई हैं

मैं एक हाथ से उसके हिप की मालिश कर रहा था और एक हाथ से उसके दोनो हिप्स को बड़े प्यार से सहला रहा था मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही उसकी मालिश करता रहा लेकिन मैं इससे ज़यादा आगे नही बढ़ा मुझे डर था कि कहीं बात बिगड़ ना जाए और मैने उसकी पैंटी को फिर से उपर कर दिया और वहाँ से उठ खड़ा हुआ और वो भी थोड़ी देर बाद जाग गयी मैं दोबारा से कमरे में गया और अनु से पूछा बेटा कैसी हो.

अनु बोली पापा ठीक हूँ मैने उसको बोला बेटा ऐसे ही ठीक थोड़े ही हो मैने तुम्हारी एक बार और मालिश की थी जब तुम सो रही थी रवीना बोली हां पापा मुझे भी लगा कि आपने मालिश की थी.मैने उससे बोला देखा बेटा मैं तुम्हारा कितना ख्याल रखता हूँ और तुम हो कि मेरा ख़याल ही नही रखती हो. अनु बोली कैसे पापा? मैं बोला कि तुम को मेरी खुशी अच्छी ही नही लगती इसीलिए तुम मेरे बारे मे सब कुछ अपनी माँ को बताना चाहती हो वो बोली नही पापा मैं तो सिर्फ़ आपको डरा रही थी जिससे आप ऐसी औरत के चक्कर मे ना पडो इस पर मैने चुटकी लेते हुए कहा कि अगर मुझे पता होता कि तुम सिर्फ़ मुझे डरा रही हो तो मैं तुम्हारी डिम्पी आंटी को दोपहर को फिर बुला लेता इस पर वो मुस्कुरा दी और बोली पापा ये सब ठीक नही है.

अगर बाहर किसी को पता चलेगा तो हम लोगों की बदनामी होगी इस पर मैने कहा कि तुम्हारी बात तो ठीक है लेकिन मेरा क्या मैं क्या करूँ तुम्हारी मोम मेरा ख्याल रखती नही मुझे देती ही नही इस वर्ड की मुझको देती ही नही सुनकर अनु ने अपना सिर नीचे झुका लिया और बोली तो क्या हुआ इस पर मैने बोला तो क्या हुआ बेटा ये सेक्स ऐसी चीज़ है जिस में लोग कुछ भी कर सकते है और तुम बोल रही हो तो क्या हुआ?

वो चुप हो गयी और कुछ नही बोली दोनो ही शांत हो गये. फिर मैने उससे कहा कि बेटा क्या तुम्हारे लिए कुछ बना दूँ भूख लगी होगी वो बोली हां पापा भूक तो लगी है लेकिन आज तो मैने स्नान भी नही किया है तो मैं बोला तो अब कर लो इस पर वो बोली कि पापा मैं कैसे नहा पाउन्गी ऐसी हालत मैंमेरा राइट हॅंड तो बिल्कुल काम ही नही कर रहा और उठने बैठने के लिए भी आपके सहारे की ज़रूरत है.

तो मैने कहा कि मैं तुम्हारी मदद कर दूँगा. अनु बोली पापा मैं आपके सामने कैसे नहाऊंगी मैने कहा जैसे बचपन में नहाती थी.वो शर्मा गयी और बोली नही पापा ऐसा करती हूँ कि गीले कपड़े से शरीर पोंच्छ लेती हूँ और कपड़े चेंज कर लेती हूँ आप उसी में मेरी मदद कर देना मैं बोला ठीक है और उसने वहीं से बोला पापा सामने कपबोर्ड मैं मेरे अंडर गारमेंट्स हैं थोड़ा दे दो मैने कपबोर्ड में देखा 03-04 कलर्स की पैंटी और ब्रा उसमें थे ब्लॅक कलर की पैंटी और ब्रा भी थे जो कि नेट मे थे उनमें शरीर छुपाने के लिए कुछ नहीं था तो मैने उससे पूछा कौन से वाले तो उसने कहा पापा ब्लू वाले दे दो तो मैने कहा मुझे तो ये ब्लॅक वाले अच्छे लग रहे हैं आज इनको ही पहनो और उनको लेकर उसके सामने खड़ा हो गया उसने मेरे हाथ से झेन्पते हुए उनको ले लिया और बोली पापा आप बहुत गंदे हो इस पर मैने कहा क्यूँ अनु?

अनु बोली आपने वही लिए हैं जिनमें सबसे ज़्यादा दिखाई दे. तो मैने बोला हां अनु मैं भी तो देखूं कि मेरी बेटी कितनी सुंदर दिखती है ऐसे कपड़ों में.

वो बोली मुझे शरम आएगी इनको आपके सामने पहिनने में प्लीज़ ब्लू वाले ले लो ना अब मुझे लगने लगा था कि अनु मेरी हरकतों से थोड़ा थोड़ा उत्तेजित होने लगी थी और अगर ऐसा ही चलता रहा तो बात बन सकती है वो फिर बोली पापा पापा थोड़ा मुझे खड़ा कर दो मैने उसे अपनी बाहों में भर लिया उसकी चुचियाँ मेरे सीने से सटी हुई थी और मेरे दोनो हाथ उसकी पीठ को पकड़े थे मैं उसको लेकर खड़ा हो गया वो मेरे सामने थोड़ी सी संभलकर खड़ी हो गयी और खड़ी होकर स्कर्ट में से लेफ्ट हॅंड की सहायता से पैंटी को खिसकाने लगी और उसे उतारने मे सफल भी हो गयी उसे पता था कि वो बिना मेरी मदद के उसे पहन नही सकती है मैं उसके पास गया और बोला पैंटी लाओ उसने तुरंत अपनी ब्लॅक पैंटी मुझे दे दी.

मैं उसके नीचे बैठ गया जब मैं नीचे बैठा तो मैने देखा उसकी उतरी हुई पैंटी आगे से गीली है क्यूंकी उसकी चूत का माल मैने जब मालिश की थी तो एग्ज़ाइट्मेंट की वजह से निकला होगा और शायद अब भी वो मेरे बिहेव से ऐसा ही फील कर रही है. अब मैने उसे अपने कंधे पर हाथ रखने को बोला उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और अपना लेफ्ट पैर थोड़ा उपर कर लिया ताकि मैं उसकी पैंटी को उसमें पहना सकूँ मैने उसकी पैंटी को जैसे ही उसके पैर में फसाया उसकी स्कर्ट थोड़ी सी और उपर हो गयी और मुझे उसकी मुनिया के दर्शन हो गये उसकी छोटी सी मुनिया को देखते ही मेरे चेहरे का कलर बदल गया जिससे अनु को भी मालूम हो गया कि मैने उसकी चूत को देख लिया है लेकिन वो क्या करती कुछ नही बोल पाई.

मैने जब उसकी पैंटी को उपर खिसकाया तो उसकी मुनिया को भी हल्का सा टच किया. अनु मेरे हाथ के टच होते ही थोडे से झटके से काँपी सी थी अब उसकी ब्रा की बारी थी उसने बोला पापा पहले शरीर और बॅक गीले कपड़े से पोंच्छ दो मैं एक गीला कपड़ा लाया और उसने अपनी टॉप उतार दी और मेरे सामने अपनी पीठ करके खड़ी थी.

मैने उससे बोला इसको ब्रा नही उतारना क्या ऐसे ही सॉफ करना है क्या वो बोली पापा आप सिर्फ़ पोछ दो मैं अपने आप पहन लूँगी मुझे पता था कि वो शरम की वजह से बोल रही है लेकिन मुझे ये भी पता था कि वो ब्रा अपने आप नही पहन पाएगी मैने उसकी गोरी पीठ को पीछे से गीले कपड़े से सॉफ कर दिया अब मैने अपना हाथ पीछे से ही उसके पेट की तरफ बढ़ा दिया जैसे ही मेरा हाथ उसके पेट को टच किया वो फिर काँप सी गयी मैने उससे पूछा क्या हुआ बेटा वो बोली कुछ नही पापा और बोली पापा अब रहने दो आप थोड़ा बाहर चले जाओ मैं इसको पहन लूँगी इस पर मैं बोला ठीक है और बाहर चला गया मैं बाहर खिड़की से देखता रहा उसकी पीठ मुझे दिखाई दे रही थी उसने अपने लेफ्ट हॅंड की मदद से ब्रा को उतारा और नेट वाली काली ब्रा को पहनने की कोशिस करने लगी वो लगभग 05 मिनिट तक प्रयास करती रही लेकिन उससे उसका हुक बंद नही हुआ इतना सब देखकर मैं पीछे से वहाँ पहुँच गया और उसके हुक को बंद कर दिया इस पर वो बोली थॅंक यू पापा आप कितने अच्छे हो मेरा कितना ख्याल रखते हो इस पर मैं फिर बोला और तुम मेरा कितना ख़याल रखती हो बोलो? इस पर वो बोली पापा मैं भी आपका बहुत ख़याल रखती हूँ.

मैने कहा अच्छा तो फिर जब तक तुम्हारी माँ नही आ जाती डिम्पी को बुला लूँ नाइट नाइट के लिए इस पर वो बोली पापा उस औरत का नाम आप बार बार क्यूँ लेते हो वो बहुत गंदी है उसके कॉलोनी मैं कई लोगों के साथ चर्चे हैं ऑर तो ऑर उसने अपने घर दूध देने वाले तक को नही छोड़ा है मैं इसीलिए आपके उपर गुस्सा हो रही थी कि कॉलोनी वाले अगर उसको हमारे घर एक दो बार आता जाता देख लेंगे तो वो समझ जाएँगे इस पर मैं बोला तो इसका मतलब मैं ऐसे ही परेशान रहूं बिना सेक्स के. वो बोली नही पापा मैं तुम्हारी कुछ हेल्प ज़रूर करूँगी लेकिन उस औरत से दूर रहना मैं बोला फिर कब हेल्प करोगी जब तुम्हारी मोम आ जाएगी तब वो बोली नही पापा आज ही मैने अनु को बोला थॅंक यू बेटा आइ लव यू.

अब मुझे कन्फर्म हो गया कि आज रात को अनु मेरी हेल्प करेगी मगर कैसे? क्या उसकी कोई फ्रेंड है जिसको वो चुद्वायेगि या वो खुद मुझसे चुदेगि ये कन्फर्म नही था लेकिन मेरा अंदाज़ा यही था कि वो खुद ही समर्पण करेगी. मैने मौका मिलते ही डिंपल को फोन लगाया और उसे बताया कि मेरी बेटी सुबह की बात को लेकर जो नाराज़ थी वो मान गयी है और तो और उसने बोला है कि वो मेरी हेल्प करेगी इस काम में मुझे अंदाज़ा है कि या तो वो खुद देगी या उसकी कोई ऐसी फ्रेंड है ऑर वो तुमको तो बिल्कुल देखना भी नही चाहती है तुम्हारा पति आज यहीं है या टूर पर है तो डिंपल बोली वो तो 4-5 दिनो के लिए बाहर है तो मैने बोला तुम एक काम करना मेरे घर का मैन गेट रात को खोल दूँगा तुम हॅंडी कॅम लेकर आना और चुपके हमारी वीडियो बनाना जिससे हमारे काम में आगे अनु रुकावट ना पैदा करे मैं तुम्हें मिस्ड कॉल करूँगा और तुम आ जाना डिम्पी बोली ठीक है डिंपल को अपने घर बुलाना मेरी लिए इतना ख़तरनाक होगा इसका मुझे अंदाज़ा नही था उसने मुझे और मेरी बेटी को ब्लॅकमेल किया

इसके बाद शाम को 07 बजे करीब मैने पिज़्ज़ा हट से पिज़्ज़ा ऑर्डर किया.पिज़्ज़ा अनु का सबसे पसंदीदा वयंजन था उसे देखते ही अनु मुझसे बोली पापा रीयली यू आर नाइस पापा और मेरे गाल पर एक किस कर दिया मैने भी उसको तुरंत ही रिटर्न किस किया.

मैं काफ़ी देर तक उसके गाल पर चिपका ही रहा, तो अनु बोली पापा अब छोड़ो भी अभी माँ 2-3 दिन में आएगी तब तक के लिए अपना प्यार मेरे लिए बचाकर रखो उसकी ये बात सुनकर मैं बड़ा ही खुश हुआ अब मुझे बिल्कुल क्लियर हो
गया कि आज जिस लड़की का इंतज़ाम अनु ने मेरे लिए करने को कहा है वो कोई और नही बल्कि खुद अनु है लेकिन मैं ना जाने क्यूँ खुलकर उसके सामने नही आ पा रहा था. हम दोनो ने एक साथ पिज़्ज़ा खाया और हम इस दौरान एक दूसरे के साथ हल्का फूलका मज़ाक करते रहे.

लेकिन ना जाने क्यूँ हम दोनो ही एक दूसरे से निगाहें चुरा रहे थे पिज़्ज़ा खाने के बाद मेरे ऑफीस की एक कॉल आई और मैं उसको अटेंड करने के लिए अपने कमरे में चला गया और जब मैं वापस आया तो देखा अनु के कमरे की मैन लाइट ऑफ थी और सिर्फ़ नाइट बल्ब ही जला हुआ था.मैने अनु से बोला अनु बेटा सो गयी क्या तो वो बोली नही पापा आपसे मालिश कराए बिना कैसे सो सकती हूँ और पापा आज से आप मोम के आने तक यहीं मेरे कमरे मे सो जाया करना इस पर मैने लाइन क्लियर करने के लिए कहा कि अनु मैं रात को बहुत हाथ पैर चलाता हूँ उसे झेल पाओगि तो वो बोली पापा हाथ पैर क्या आपको सारा झेल लूँगी बस आप थोड़ा हाथ पईऱ आराम से चलाना मैं तुरंत क्रीम लाने के बहाने अपने कमरे में गया और अपने फोन से डिंपल को कॉल किया कि जल्दी से आ जाओ,और डिंपल तो जैसे तैयार ही थी वो 02 मिनिट में आ गयी मैने मेन गेट से उसको अंदर किया

उसके हाथ मे हॅंडी कॅम था मैने उसको अपने रूम की बाल्कनी से अनु के कमरे की तरफ का रास्ता दिखाया जहाँ से काँच की खिड़की से बाहर से अंदर तो दिखता था लेकिन अंदर से बाहर नही और क्रीम लेकर अनु के कमरे में आ गया.वो पेट के बल लेटी हुई थी.अब रूम में इतनी लाइट थी कि सिर्फ़ हमें एक दूसरे के स्ट्रक्चर ही दिखाई दे रहे थे ऐसे भी पहले पहले रूम में घुसने के बाद आँखों को उस कमरे के हिसाब से अड्जस्ट होने मे थोड़ा टाइम लगता है.मैं उसके पास गया और बेड पर बैठ गया.मैने उसका स्कर्ट उपर किया और जैसे ही पैंटी को खिसकाने के लिए हाथ बढ़ाया तो वहाँ कुछ नही था.

अनु ने सोने से पहले अपनी पैंटी ही उतार दी थी.मैने उससे बोला कि आज तुमने ठीक किया पैंटी उतार दी, वो बोली पापा इसलिए कि आपको परेशानी ना हो और मेरे कपड़े भी गंदे ना हो तो मैं उसके टॉप को हाथ लगाते हुए बोला कि मुझे तो इनसे भी परेशानी होगी.इस पर वो बोली उतार लो पापा.

मैने झट से उसको अपने हाथ की सहायता से सीधा किया और उसकी टॉप उतार दी अब वो सिर्फ़ ब्रा मे थी मैने उसको भी उतार दिया कमरे मे काफ़ी अंधेरा था इसलिए शरम की तो कोई बात ही नही थी मैने उसको दूबारा से पेट के बल ही लिटा दिया.

मैने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया मैं उसकी साइड मे बैठा, क्रीम निकाली और उसके राइट हिप पर लगा दी और उसके हिप को एक हाथ से मालिश और एक से हल्के हाथ से हिप और पीठ को सहलाने लगा.

मैने लगभग 05 मिनिट तक उसके हिप की मालिश की और उसके बाद उसके पास पीठ से सट कर लेट गया और उसके कान मे धीरे से बोला अनु अब मुझे नींद आ रही है और नींद में मेरे हाथ पैर हरकत करते हैं और कहते कहते अपना राइट हॅंड उसके राइट बूब्स पर रख दिया.वो धीरे से बोली मैं आपकी हरकतों के लिए तैयार हूँ पापा लेकिन अनु के कमरे में अभी तक अंधेरा ही बना हुआ था मुझे अनु के शरीर की खूबसूरती भी मालूम नही हो पा रही थी मैने सोचा कि अंधेरे मे तो डिंपल जो बाल्कनी में हॅंडी कॅम लेकर खड़ी है वो तो बिल्कुल भी रेकॉर्डिंग नही कर पाएगी.मैने पास के ही स्विच को ऑन कर दिया और कमरे में रोशनी हो गयी उसका शरीर अब बिल्कुल नंगा था वो बला की खूबसूरत है ये मुझे आज ही मालूम हुआ उसके हाथ पैरों पर एक भी बाल नही था ऐसा लग रहा था जैसे कि केले के तने से छिलका हटा दिया हो बिल्कुल गोरी और अनु बिल्कुल बॉलीवुड आक्ट्रेस अमृता राव की तरह दिखती थी लेकिन थोड़ी उससे हेल्थि थी.
जैसे ही रोशनी हुई अनु ने अपने शरीर को सिकोड लिया और अपने एक हाथ से अपने हिप्स को ढकने का असफल प्रयास करने लगी ओर ज़ोर से चिल्लाई पापा नही प्लीज़ लाइट बंद करो तो मैं बोला क्यूँ बेटा तो वो बोली कि मुझे शरम आ रही है.तो मैं बोला अनु मैं देखना चाहता हूँ कि मेरी अनु कितनी खूबसूरत है ऑर उसकी कमर के नीचे हाथ लगाकर उसको अपनी गोदी में अपनी तरफ मूह करके बैठा लिया और वो अपने चहेरे को हाथों से छुपाने लगी.मैने जब उसको गोदी में बैठाया तो मेरा खड़ा हुआ लंड उसकी चूत के पास पहुँच गया और मैने अपने दोनो हाथो को उसके 32″ के उभारों के उपर हाथ रख दिया वो सहम गयी अपना सिर झुका लिया और दोबारा बोली पापा प्लीज़ लाइट बंद कर दो ना, तो मैं बोला नही अनु मैं तुम्हे जी भरकर देखना चाहता हूँ और कहते कहते उसके चेहरे को उपर उठाया उसकी आँखें बंद थी मैने उसके होटो से होंठ सटा दिए और उसके होटो को चूसने लगा.वो भी मेरा साथ देने लगी.अब मेरे हाथ कभी उसकी पीठ को सहलाते ,कभी उसके हिप्स को और कभी उसकी जांघों को.

मैं धीरे धीरे से अपने लंड को उसकी चूत पर घिस रहा था.अनु लंबी लंबी साँसें भर रही थी मैने उसको धीरे से बेड पर लिटा दिया और खुद भी उसके उपर लेट गया उसने अभी तक अपनी आँखें बंद की हुई थी.

मैने अपना मूह उसके कसे हुए गोल दूध पर लगा दिया.उसके बूब्स बहुत ही मस्त थे ऐसा लग रहा था जैसे अलग से लगाया गया हो बिल्कुल गोल और कड़क.मैं उनको बुरी तरह से चूसने लगा अब उसके मूह से तरह तरह की आवाज़ें आ रही थी,तो मैने उससे पूछा कैसा लग रहा है,तो उसने कोई जवाब नही दिया सिर्फ़ एक मुस्कान भर छोड़ दी मैने उससे फिर पूछा अच्छा नही लग रहा है तो रहने दूँ. तो वो बोली पापा मैं बता नही सकती कि कितना मज़ा आ रहा है आआअप करते रहूऊओ मैने उसके दूसरे बूब्स पर मूह गढ़ा दिया और उसे भी चूसा.मैं काफ़ी देर तक उसके दोनो दूध को चूस्ता रहा.अब मैं सीधा नीचे खिसका और उसकी चूत पर हाथ रख दिया मुझे ऐसा लगा जैसे कि उसकी चूत पर एक कप पानी फैला दिया हो चद्दर भी काफ़ी गीली हो चुकी थी

अब मुझे पूरा विस्वास हो गया कि उसका ये पहला पुरुष अनुभव है और वो एक दम कुँवारी है.ये सोचकर मेरा दिल खुश हो गया कि आज तो मज़ा.आ जाएगा आज फिर से 20 साल बाद नयी चूत का मज़ा मिलेगा.अच्छी तरह से निचोड़ दूँगा अनु का पूरा रस निकाल दूँगा बस थोड़ा सब्र से काम करना होगा.

मैने अपना मूह उसकी चूत पे गढ़ा दिया तो अनु ने मेरे सिर को पकड़ लिया और बोली पापा प्लीज़ रहने दो,बर्दास्त नही हो रहा.अब प्लीज़ जल्दी से जो करना है करो.तो मैं बोला अनु पहले मुझको तो गरम करो तो वो बोली कैसे पापा.मैं बोला तुम थोड़ा बैठो तो वो बैठ गयी.मैने अपना लंड उसके मूह के पास रख दिया और बोला इसको अपने मूह में लेकर थोड़ा आगे पीछे करो तो ये गरम हो जाएगा.उसने पहली बार मेरा 7″लंबा और 3.5″मोटा लंड देखा और देखते ही बोली पापा इतना मोटा और लंबा.पापा ये कैसे जाएगा मैने कहा चला जाएगा तू चिंता मत कर थोड़ी सी तकलीफ़ होगी लेकिन बाद में तुम्हें अब से ज़यादा मज़ा आएगा.ओर उससे बोला पहले तुम इसको मूह मे लेकर गर्म करो.तो वो बोली पापा मैं इसको मूह में नही लूँगी इससे मुझे वॉमेटिंग हो जाएगी मैने बोला नहीं अनु ऐसा कुछ नही होगा तो वो बोली प्लीज़ पापा मेरा मन नही कर रहा.मैने ज़यादा ज़ोर नही दिया कि कहीं बनी हुई बात बिगड़ ना जाए मेरी ये प्लॅनिंग थी कि आज कैसे भी इसकी ले लूँ उसके बाद तो अनु की जो रेकॉर्डिंग मैं डिंपल से करवा रहा हूँ ,उसके बाद तो मैं उसकी ना नुकुर नही सुनूँगा और बाद मे कभी भी ज़यादा ना नुकुर करेगी तो उस रेकॉर्डिंग को दिखाने से वो मान जाएगी.

और मेरा मैन इरादा तो उसकी फ्यूचर में शादी होने के बाद भी उसे पेलते रहने का था, साथ ही साथ डिंपल के साथ मेरे सेक्स करने पर भी वो कुछ मूह नही खोलेगी. मैने ज़िद नही की और उसकी बात मान ली मैं अब सीधे उसके उपर लेट गया और उसकी चूत के उपर अपना लंड रख दिया.

वो बोली पापा आराम से करना पहले कभी नही किया दर्द होगा और ब्लड के लिए नीचे कुछ चद्दर लगा लो तो मैं बोला मेरी अनु तो बहुत समझदार है,ये सब तुमको कैसे मालूम तो वो बोली पापा मैं क्या आपको अभी छोटी ही लगती हूँ मुझे सब कुछ पता है.

आपने दिन भर जो मेरी सेवा की है उसके साथ साथ हरकतें भी की हैं लेकिन मैं अंजान बनी रही लेकिन सही बात तो ये है कि मैं तो इंतेजार कर रही थी कि रात जल्दी से हो और आप मेरी तमन्ना को पूरी करें मैने उससे कहा अनु मेरी जान ले मैं तेरी तमन्ना आज पूरी कर दूँगा चद्दर की चिंता मत कर थोड़ा बहुत ब्लड निकलने दे धूल जाएगी.वो फिर बोली पापा प्लीज़ थोड़ा आराम से करना.मैने उसकी बात सुन तो ली लेकिन मुझे पता था कि उसको कष्ट तो होगा ही क्यूंकी अभी तक वो अन्छुइ और अन्चुदि है.

मैने फिर से उसके लिप्स को अपने लिप्स से लॉक कर दिया और उसकी चूत के उपर अपने लंड का सुपाडा रख दिया और एक ज़ोर का झटका लगाया और एक ही बार में लंड को उसकी चूत की जड़ तक पहुँचा दिया.वो तड़पने लगी लेकिन मैने उसके मूह को नही छोड़ा और जकड़कर उसको पकड़ लिया.उसके मूह से हुउन्ण हूम की आवाज़ें आ रही थी उसने मूह को छुड़ा ही लिया और रोते रोते हकलाते हुए बोली पापा निकालो इसको बहुत दर्द हो रहा है मैं मर जाउन्गि. आआअप बहुत गगगंदे हो मैने बोला था बोला था कि आराम से करना लेकिन आप माने नहीं.वो पसीने पसीने हो गयी थी निकालो ना .

इस पर मैं बोला अनु अब रहने दो मैं ऐसे ही रहूँगा और धीरे धीरे हरकत करूँगा.इस पर वो बोली आपका कोई विस्वास नही है आप फिर भी नही मानोगे निकालो इसे

मैने कहा तुम्हारी कसम अनु अब आराम से करूँगा तो वो शांत हो गयी.अब मैं धीरे धीरे अपने लंड को उसकी चूत पर आगे पीछे करता रहा और उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी.मैं पहली बार में जल्दी ही झड गया,लेकिन नयी चूत के बारे मे सोचकर मेरा लंड जल्दी से खड़ा हो गया और फिर से शुरू हो गया अब अनु से मैने बोला कैसा लग रहा है जान.वो झैन्प गयी क्यूंकी मैने पहली बार उसको जान बोला था,वो बोली अच्छा लग रहा है पापा अब चाहे जितना ज़ोर से करो.

मैं उससे बोला तुम भी मुझको नाम लेकर बुलाओ या जान बोलो.तो वो बोली मुझसे नही होगा.थोड़ी देर बाद मैने स्पीड बढ़ा दी.उसने मुझे जकड़कर पकड़ रखा था वो शायद झड़ने वाली थी,थोड़ी देर बाद उसकी पकड़ ढीली पड़ गयी शायद वो झड चुकी थी और मैं भी झड गया.हम दोनो ऐसे ही कुछ देर तक पड़े रहे और जब मैने उसे उठाया तो देखा बिस्तर पर काफ़ी खून पड़ा था साथ में हम दोनो का माल भी था.

ये देखकर अनु बोली देखा आपने कितना खून निकाल दिया,मुझे मेरी सहेलियों ने बताया था कि पहली बार मे ब्लड निकलता है और पेन भी होता है.मैने उसको बोला तो फिर मुझको गंदा क्यूँ बोल रही थी तो वो बोली आराम से करते तो दर्द कम होता,लेकींन आप को तो बिल्कुल सब्र ही नही था. अब मैने कहा चलो अब दूसरी तरफ से ट्राइ करते हैं तो वो बोली नही जी मैं पीछे से नही दूँगी आपको.मैने कहा क्यूँ तो वो बोली मुझे बताया गया है कि पीछे से बहुत ही ज़यादा दर्द होता है और बाद में भी बहुत दिन तक तकलीफ़ होती है,और पीछे से मज़ा भी नही आता.इस पर मैं बोला नही अनु किसी ने ग़लत बताया है,तो वो बोली कि जो भी हो नही का मतलब नही,और अब सो जाओ.

मैने कहा चलो एक बार ऑर आगे से तो वो बोली कल करना अब मुझे नींद आ रही है.मैं समझ गया कि इसके नखरे जब पहले दिन ही इतने हैं कि ना तो पीछे से दे रही है ऑर ना ही इसने मेरा लंड मूह में लिया तो ये ज़यादा दिन तक मुझको देगी नही.मेरा फ़ैसला ठीक ही है जो मैने इसकी रेकॉर्डिंग करा ली डिंपल से.

मैं तुरंत बाहर गया और देखा डिंपल वही खड़ी थी मैने उसको एक किस की ऑर बोला डार्लिंग अब हमारा रास्ता भी सॉफ हो जाएगा अब हम दोनो कुछ दिन बाद अनु के सामने खुल कर मज़ा लेंगे.मैने उसे बोला इस रेकॉर्डिंग को कल मेरे कंप्यूटर में सेव कर देना और इसके बारे में किसी को भी खबर नही होनी चाहिए.वो बोली जानेमन बेफिकर रहो,और मैने उसे जल्दी से घर से बाहर निकालकर गेट बंद कर दिया.

जब मैं रूम में पहुँचा तो देखा अनु अपनी चूत को एक कपड़े से पोंच्छ रही थी,मैने उसके हाथ से कपड़ा लिया और उसकी छोटे छोटे बालों वाली चूत को धीरे धीरे से पोन्छने लगा.वो ये देखकर मुस्कुरा गयी और बोली एक बात तो है आप बहुत रोमॅंटिक/सेक्सी तो हो ही लेकिन केरिंग भी हो अपनी बेटी का कितना ख़याल है आपको काम पूरा होने के बाद भी मेरी परवाह है आपको.यही मुख्य कारण है कि मैने दिन भर देखा कि आप मेरी कितनी केर कर रहे हो क्या मैं आपकी एक ज़रूरत पूरी नही कर सकती.और मैने आपके साथ सेक्स करने का फ़ैसला लिया.अब तो आप खुश हो ना.मैने उसको बोला अनु खुश तो हूँ लेकिन एक बार से काम नही चलेगा आज तो मैं तुम्हें पूरी रातभर जगाना चाहता हूँ.तो वो बोली तो दिन मैं क्या करोगे दिन भी तो अपना है चलो एक बार और करते हैं बाकी दिन में.और मैने उसे फिर से लिटा दिया इस बार मैने उसको काफ़ी देर तक रगड़ा उसकी चूत छिल गयी थी वो बोली पापा आज मार ही डालोगे क्या तो मैं बोला नही अनु और थोड़ी देर बस अभी ख़तम करता हूँ और एक बार फिर मैने उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया और हम बिना अपने चूत लंड को सॉफ किए ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गये.

सुबह हम करीब 09.00 बजे तक सोते रहे. घर पर एक डोर बेल बजी तो मैं,अनु जल्दी से उठे,कपड़े पहने और डोर खोला तो देखा कि एक दूध वाला खड़ा है जो कि डिंपल के घर पर दूध देता है और उसके संबंध डिंपल के साथ हैं इस बात की चर्चा कॉलोनी वाले करते हैं ऐसा भी मुझे मेरी बेटी ने पिछली रात बताया था.वो हमारे घर तो दूध नही देता था पर वो आज हमारे घर क्यूँ आया है,मुझे बड़ा ही आस्चर्य हुआ.गेट खोलते ही वो बोला अंकल जी नमस्ते कैसे हैं.मैने कहा ठीक हैं,

मैने उससे पूछा बोलो भाई कैसे आना हुआ.उसने बोला अंकल दूध चाहिए क्या.तो मैं बोला नही.तो वो बोला कोई बात नही अंकल पैसा मत देना.मैं उसकी बात को सुनकर एकदम ठगा सा रह गया और बोला क्यूँ आजकल समाजसेवा कर रहे हो क्या.तो वो बोला नही अंकल जी सेवा तो आप कर रहे हैं और एक पेनड्राइव दिखाते हुए बोला आप आजकल जो सेवा अपनी बेटी की कर रही हो वो इसमें है मेरी जान डिंपल ने दी है अरे अंकल थोड़ा सेवा हमे भी करने दो आपको तो बुढ़ापा आ गया है आप मेरी भैंस का दूध पिओ और मैं आपकी बिटिया का पीता हूँ ओर पैसा भी मत देना आपको जितना पीना हो पिओ और मुझे आपकी बछड़ी का पीने दो मेरा चेहरा लाल हो गया और बोला हरामजादे ज़यादा मूह मत खोल तू मुझे ब्लॅकमेल कर रहा है.तो वो बोला ब्लॅकमेल नही कर रहा हूँ पैसा तो नही माँग रहा हूँ सिर्फ़ सेवा चाहिए अंकल जी आपकी बिटिया की मैं उससे बोला तुम्हें पैसे चाहिए तो वो बोलो मेरी बेटी तुम्हारे लिए तैयार नही होगी तो वो बोला ये तो आपका काम है कि आप उसको कैसे मनाते हो मुझे पैसे नही आपकी लौंडिया का दूध पीना है अंकल जी तो मैं बोला अभी तुम जाओ यहाँ से.

तो वो फिर बोला तो मैं कब आऊ अंकल जी इस पर मैं बोला मुझसे फोन पर बात करना फिर मैं बताता हूँ और वो मेरा फोन नंबर लेकर चला गया. दोस्तो इसीलिए किसी गयानी ने कहा है….
बिना बिचारे जो करे फिर पीछे पछताय .
काम बिगाड़े आपनो जाग को देत हंसाय

इसके बाद मैं जब वापस कमरे मैं पहुँचा तो डिंपल बोली पापा वो दूध वाला क्यूँ आया था,मैने बोला कि वो दूध की बात कर रहा था.तो वो बोली पापा इससे दूध मत लेना इसकी नियत ठीक नही है.इसका चक्कर कई औरतों के साथ चल रहा है,आपकी वो डिंपल आंटी के साथ भी.

मैं बोला लेकिन अनु बेटा वो बहुत ज़िद कर रहा था दूध के लिए कि अच्छा दूध दूँगा तो मैने उससे 01 लीटर के लिए बोल दिया है,आज शाम से ले लेंगे,हमे क्या करना है हमें तो दूध से मतलब.वो बोली पापा ठीक है लेकिन ये बहुत बदतमीज़ है,जब कभी भी ये मुझे रास्ते में मिलता है तो बहुत घूर घूर कर देखता है.इस पर मैं रवीना को लिप किस करते हुए बोला कि मेरी रवीना है ही इतनी खूबसूरत कि किसी की भी नज़र रुक जाए.इस पर वो मुस्कुरा दी.

इसके बाद मैने सोचा कि रवीना को विनोद(दूधवाला) के लिए कैसे तैयार करूँ,मैने एक प्लान सोचा कि रात को जब वो दूध देने आएगा तो मैं उसके लिए गेट खुला छोड़ दूँगा और उस समय मैं रवीना को चोद रहा हुंगा.बस रवीना को तैयार होना ही पड़ेगा.मैने विनोद को अपना प्लान बता दिया और प्लान के मुताबिक वो ठीक 0800 बजे मेरे घर आ गया.मैं और रवीना उस समय बिल्कुल नंगे थे और रवीना मेरे उपर थी मैं लेटा हुआ था.रवीना का मूह गेट की तरफ ही था.जैसे ही रवीना ने उसे देखा रवीना रोंगटे खड़े हो गये.

विनोद के मूह पर एक अजीब सी मुश्कुराहट थी,विनोद जान बूझकर बोला अच्छा तो ये काम चल रहा है अंकल जी.इसलिए सुबह दूध के लिए मना कर रहे थे अपनी ही बेटी का दूध पी रहे हो तो तुम्हें दूध की क्या ज़रूरत.कॉलोनी वालों को बुलाता हूँ आपकी करतूत,मेरी अफवाह तो ऐसे ही उड़ा रखी है कॉलोनी में

.इस पर मैं बोला नही भाई ऐसा मत करना हम तुम्हारे सामने हाथ जोड़ते हैं.तो वो बोला नही अंकल जी कॉलोनी वालों को तो पता चले कि यहाँ क्या क्या होता है.इस पर मैं फिर बोला प्लीज़ रहने दो भाई.मैने रवीना को इशारा किया कि वो भी उससे रिक्वेस्ट करे.रवीना उसके थोड़ा नज़दीक पहुँचकर बोली भैया प्लीज़ मान जाओ हम से ग़लती हो गयी.इस पर वो बोला नही बिल्कुल नही.मैं उसके पैर पड़ गया और रवीना को भी इशारा किया.हम दोनो ही उसके पैरों पर पड़ गये.

अब उसने मेरी बेटी को उठाते हुए बोला की ठीक है अगर तुम कहती हो तो मान जाउन्गा लेकिन एक बार मुझे भी चाहिए.इस पर रवीना के मूह से बहुत गुस्से में निकला हरगिज़ नही,बिल्कुल नही.मैने भी विनोद से बोला तुम्हें पैसा चाहिए तो बोलो.वो बोला मुझे पैसा नही चाहिए मुझे अगर तुम्हारी बेटी नही देना चाहती तो मैं बाहर से कॉलोनी वालों को बुलाता हूँ और बाहर गेट की तरफ बढ़ने लगा.मैने उसे रोका और बोला रूको एक मिनिट और रवीना से बोला बेटी इसको एक बार देदे नहीं तो हमारी बहुत बदनामी होगी,रिश्तेदारों को भी पता चलेगा,प्लीज़ मान जाओ.उसकी आँखें नम हो गयी और बोली ठीक है,पापा लेकिन सिर्फ़ एक बार.

विनोद बहुत खुश हुआ और मुझसे बोला अंकल जी जाओ आप जब तक दूध गरम करके लाओ 3 ग्लास.मेरी किचन उस रूम के पास ही है वहाँ से उस रूम का सब कुछ दिखता और सुनाई देता है मैने अंडरवेर पहना और जैसे ही मैं किचन मे गया मैने देखा विनोद बेड पर लेटा है और रवीना उसके पास बैठी है ,विनोद ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना 4इंच मोटा और 8 इंच लंबा लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया.उसका लंड मेरे लंड से काफ़ी बड़ा और तंदुरुस्त था.उसने रवीना को उसे अपने मूह में लेने का इशारा किया.तो वो बोली प्लीज़ मुझे उल्टी हो जाएगी.विनोद बोला लॉलिपोप समझ कर लेलो,बोलते बोलते विनोद ने उसके सर को सहारा देकर अपना लंड उसके मूह में दे दिया.

रवीना धीरे धीरे उसे चूसने लगी और विनोद उसके बूब्स को दबाने लगा,वो उससे लंड को चुस्वाता रहा.उसने मुझे आवाज़ लगाई अंकल जी दूध गरम हुआ तो ले आओ थोड़ा गुनगुना ही लाना,शुगर डालकर. दूध गरम हो चुका था,मैं चीनी डालकर 3 ग्लास मे ले गया.विनोद ने एक ग्लास उठाया और रवीना की तरफ बढ़ाया उसने गुस्से से मूह सिकोड लिया और बोली नही चाहिए.इस पर विनोद बोला अंकल जी आप ही समझाओ.मैं बोला पी ले बेटी.तो रवीना ने ग्लास को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया मगर विनोद बोला नही मैं ही पिला देता हूँ.और जैसे ही रवीना ने एक घूंठ पिया उसी ग्लास से एक घूंठ उसने पिया.फिर एक घूंठ रवीना को और एक घूंठ विनोद.मेरे पास अब भी दो ग्लास थे विनोद बोला अंकल जी आप भी पिलाओ ऐसे ही मैने भी रवीना को अपना झूठा दूध पिलाया.

वो मेरे ग्लास वाला दूध आराम से पी रही थी.जब दोनो ग्लास ख़तम हो गये तो उसने तीसरा (3र्ड ) ग्लास रवीना के हाथ में पकड़ा दिया और उससे बोला इस ग्लास को हम दोनो को पिलाओ.उसने ऐसा ही किया लेकिन अनुस्का का प्यार मेरी तरफ अलग ही था दूध पिलाने में.

विनोद बोला अंकल जी अपनी बेटी को समझाओ कि मेरे साथ भी आप जैसे ही बिहेव करे,अगर सब कुछ प्यार से होगा तो बड़ा मज़ा आएगा इसको भी और मुझे भी और ज़बरदस्ती से तो मज़ा भी नही आएगा और दर्द भी होगा.अगर ये चाहे तो आप भी यहाँ रह सकते हो सिर्फ़ एक शर्त पर कि ये मेरा साथ ऐसे ही दे जैसे आपके साथ कर रही थी.इस पर मुझसे पहले ही रवीना बोल पड़ी पापा आप भी यही रहो.विनोद बोला ठीक है आप भी अपने कपड़े उतार लो और मैं भी नंगा हो गया.

इस समय रवीना बेड पर बीच मे थी और एक तरफ मैं और एक तरफ विनोद उसने लंड को फिर से चूसने का इसरा किया.रवीना अब एक बार विनोद के लंड को चुस्ती और एक बार मेरे लंड को.करीब 05 मिनिट के बाद विनोद ने उसको बिस्तर पर लिटा दिया एक बूब्स पर वो मूह मारने लगा और दूसरी पर मुझे लगने का इशारा किया.इस क्रिया से रवीना के मूह से आवाज़ें निकलने लगी उसको अलग अलग बूब्स के चूसने से शायद काफ़ी मज़ा आ रहा था.मैने अपना एक हाथ उसकी चूत पर लगाया तो महसूस किया कि उसकी चूत काफ़ी पानी छोड़ रही है,यानी कि उसको खूब मज़ा आ रहा है.विनोद थोड़ी देर बाद ही उसकी दोनो जांघों के बीच में पहुँच गया और उसकी चूत को चूसने लगा,अब मैं उसके बूब्स पर और विनोद उसकी चूत पर था.रवीना अपने शरीर को बुरी तरह से नागिन की तरह बाल खा रही थी,इससे लगता था कि उसको काफ़ी मज़ा आ रहा है.

विनोद भी ये समझ चुका था.वो उठा और रवीना से बोला क्यूँ जानेमन मज़ा आ रहा है.अकेले पापा से चुदने में मज़ा है या दोनो से.वो चुप ही रही और लंबी लंबी साँसे लेती रही.विनोद फिर बोला एक बात बताओ तो सही अगर सही बता दोगि तो हम और प्रयास करके तुमको खूब मज़ा देंगे,मैं फिर बोला अच्छा लगा हां या ना कुछ तो बोलो.रवीना धीरे से बोली हां.वो फिर बोला अच्छा या बहुत अच्छा.वो इस पर मुस्कुरा दी तो विनोद बोला मैं समझ गया लेकिन तुम साथ दोगि तो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.बोलो दोगि साथ.चाहिए खूब मज़ा,रवीना ने हां में सिर हिला दिया.

अब मैने और विनोद दोनो ने ही रवीना को एक आदमी बूब्स पर और एक आदमी चूत पर अदला बदली करके लगे रहे चूस्ते और चाटते रहे.विनोद बोला अंकल जी कोई क्रीम है तो ले आओ.मैने बोला लाता हूँ.मैं जैसे ही उठा तो रवीना ने पहली बार विनोद से बात करते हुए पूछा,क्रीम किस लिए,इस पर विनोद बोला लाने तो दो तब बताउन्गा.मैं तो समझ गया था कि इसका प्लान पीछे से गान्ड मारने का है.

जैसे ही मैं वापिस आया मैने देखा उसने रवीना की दोनो टाँगें उपर की हुई हैं और अपना लंड डालने वाला है.उसने जैसे ही अपना लंड उसकी चूत के मुहाने पर रखा रवीना बोली प्लीज़ धीरे से करना तुम्हारा काफ़ी बड़ा है.इस पर वो बोला तुम्हारे पापा से भी बड़ा.तो वो फिर मुस्कुरा गयी. विनोद बोला ओके जान धीरे ही करूँगा.और उसने वास्तव में आराम से ही किया और रवीना से बीच बीच मे पूछता भी रहा कि कोई तकलीफ़ हो तो बता देना.रवीना को सुरू में थोड़ा सा दर्द हुआ मगर वो उसका लंड भी झेल गयी,थोड़ी देर बाद जब वो झड़ने वाला था तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और खुद बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और रवीना से अपने उपर आने को बोला.रवीना उसके उपर सवार हो गयी.

रवीना अब विनोद के उपर घुड़ सवारी कर रही थी.विनोद ने रवीना को विनोद ने मेरी तरफ इशारा किया कि अंकल जी थोड़ा क्रीम लगाओ पीछे आप तो आकर खड़े हो गये.ये सुनकर रवीना रुक गयी और बोली नही पीछे से नही.इस पर विनोद बोला अच्छा ये बताओ मैने तुम्हें दर्द होने दिया,बोलो.रवीना बोली नही,फिर विश्वास करो तुम्हें बहुत मज़ा आएगा,तुम्हें तकलीफ़ ना हो इसलिए तो ये क्रीम मगाई है.

वो बोली प्लीज़ पीछे से रहने दो, तुम्हारा बहुत मोटा है,मुझे दर्द होगा ये पीछे से अंदर नही जाएगा तुम्हारा तो सुरू सुरू में आगे से भी हल्का हल्का दर्द कर रहा.विनोद बोला,क्यूँ जब अंकल जी आगे से लेते हैं तो दर्द नही होता.रवीना बोली पापा के उससे दर्द नही होता,उनका तुम्हारे से कम मोटा है.विनोद ने उसे मनाने; के लिए तरीका अपनाया ओर बोला अच्छा अगर ऐसा है तो अपने पापा से ही करा लो.वो बोली ठीक है.और विनोद ने उसे अपने उपर बैठी हालत में ही लिटा लिया और अपने दोनो हाथों से उसके दोनो चुतड़ों को पकड़ कर उसकी गान्ड को खोल दिया.विनोद मुझसे बोला लो अंकल जी लगाओ कीम और छेद को नरम करो आपकी लड़की को तो आपका ही लंड पसंद है.

मैं धीरे धीरे उसकी गान्ड पर राउंड राउंड करके क्रीम लगाने लगा.और करीब 15 मिनिट तक उसकी गान्ड में विनोद के बताए अनुसार क्रीम लगाई(विनोद से उस दिन मैने गान्ड के छेद को लंड के लिए तैयार करने का तरीका सीखा वो इस खेल का पुराना खिलाड़ी था) पहले एक उंगली और बाद में दो उंगलियों से भी क्रीम लगाई.जब उसकी गान्ड के छेद में दो उंगली जाने लगी तो मुझे विस्वास हो गया कि अब रवीना थोड़ा बहुत दर्द झेलकर मेरा लंड ले ही लेगी.

विनोद बोला अंकल जी अब सुरू भी करो और मैने जैसे ही रवीना की गान्ड पर लंड रखा वो बोली पापा आराम से करना.मेरे बोलने से पहले ही विनोद बोला क्यूँ जानेमन अपने पापा पर भी भरोसा नही.तो वो बोली पापा ने पहले भी बहुत दर्द कराया था इसलिए बोल रही हूँ.इस पर विनोद बोला तो मैं करूँ.रवीना बोली नही तुम तो बिल्कुल नही मरना है क्या मुझे तुम्हारा तो बहुत मोटा है.और तभी मैं बोला ठीक है बेटी में आराम से करूँगा.लेकिन मैने जैसे ही उसकी गान्ड के छेद पर लंड को रखकर जैसे ही थोड़ा अंदर किया वो चिल्लाई आआआआआआआअ और विनोद की पकड़ से छुटकर उठने की कोशिस करने लगी.विनोद बोला अंकल जी आराम से करो आपकी ही बेटी है.

रवीना भी बोली पापा आप बहुत ज़ोर से लगाते हो धीरे से करो.मैने सोचा कि इससे आराम से कैसे होगा.मैं बोला ठीक है.मैने दुबारा से उसके छेद पर लंड रखा.इस बार विनोद ने मेरी तरफ़ आँख मार्कर इशारा किया.मैं समझ गया कि वो बोल रहा है कि झटके से डाल दो.मैने वैसा ही किया निशाना लगाया और एक दम सारा लंड अंदर.रवीना काँप गयी और चिल्लाने लगी आआआआआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.मुझे छोड़ूऊऊऊऊऊऊ,विनोद बोला अंकल थोड़ा धीरे करो इतनी ज़ोर से करोगे तो लगेगी ही.रवीना बोली पापा आप बहुत बुरे हो,आप से तो ये अच्छा है कम से कम इतनी ज़ोर से तो नही करता पहले भी आपने ऐसा ही किया था.इस पर मैं बोला बेटा पहली बार में थोड़ा दर्द होता ही है,अब आराम से करूँगा.

और धीरे धीरे शुरू हो गया.इस तरह से मैने उसको पीछे से चोदा और विनोद भी आगे से लगा रहा.इसके बाद मैं और विनोद दोनो ही झाड़ गये.और रवीना से अलग होकर बेड पर पड़ गये.रवीना बीच में और हम दोनो उसके लेफ्ट राइट मे.विनोद ने रवीना को फिर से अपनी तरफ घुमा लिया और अपने से चिपका लिया.रवीना को भी उससे चिपकने मे अब कोई संकोच नही हो रहा था.

विनोद ने उसके कान में कुछ कहा.तो वो बोली नही तुम्हारा नही झेल पाउन्गि.अब मुझमें ताक़त नही रही.मैं समझ गया कि वो रवीना की गान्ड की बात कर रहा है.विनोद उससे बहुत रिक्वेस्ट कर रहा था,विनोद बोला मुझ पर भरोसा करो कल आ जाना.मैं दे दूँगी.प्लीज़ आज रहने दो.विनोद पता नही कैसे उसकी बात मान गया और बोला, ओके जान जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.और वो बोला ठीक है 11बज गये हैं.जब तुम दोगि ही नही तो फिर मैं चलता हूँ यहाँ रुकने का क्या फ़ायदा.और फिर वो चला गया.

उसके जाने के बाद मैने गेट बंद किया और रवीना के पास आकर बोला.बेटी कैसी है.रवीना मुझसे गुस्सा थी बोली आपको मेरी चिंता कहाँ आप इतनी ज़ोर से करते हो,कितनी ज़ोर से लगाई है,अभी तक दर्द हो रहा है आपसे तो वो दूधवाला अच्छा है ना तो दर्द दिया और देखो मेरी बात मानकर चला भी गया.मुझे मेरी बेटी ने चुप कर दिया था वो किसी हद तक ठीक ही कह रही थी.रवीना फिर बोली देखना कल वो कितने प्यार से करेगा और दर्द भी नही देगा.

अगले दिन विनोद फिर आया और पूरी रात रुका.उसने मेरी बेटी को जमकर चोदा आगे और पीछे दोनो तरफ से.वो सेक्स का माहिर खिलाड़ी था,उसने मज़ा भी लिया और रवीना को दर्द भी नही होने दिया.रवीना ने मुझे उसके सामने ही बोला पापा इसे कहते हैं सेक्स और सेक्स का मज़ा.आपकी तरह नही.मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई क्यूंकी ये बात उसने उस दूधवाले विनोद के सामने बोली थी और ये सुनकर विनोद को शायद बहुत गर्व हुआ था.

मेरी बीवी दिव्या ँका मुझको 3 दिन बाद फोन आया मैं उस समय रवीना के साथ सेक्स ही कर रहा था.मेरी बीवी बोली पापा, मम्मी और एक हफ्ते रुकने के लिए बोल रहे हैं क्या रुक जाउ.तो मैने कहा कोई परेशानी नही है रवीना के होते कोई परेशानी नही है वो पूरा ख़याल रख रही है.सब कुछ टाइम टाइम से सब दे देती है.फोन काटने के बाद रवीना ने पूछा कि पापा क्या क्या टाइम से देती हूँ तो मैं बोला आदमी को जिस्म की भूख सबसे ज़्यादा होती है वो तो तुम अपनी माँ से भी ज़यादा पूरी कर रही हो.रवीना मुस्करा दी.

जब तक मेरी बीवी दिव्या मायके से वापिस नही आई, विनोद और मैं रवीना को जमकर चोद्ते रहे.इसके बाद जब मेरी बीवी वापस आई तो उसने जब उस दूध वाले को घर में दूध देते देखा तो काफ़ी गुस्सा हुई उसको उसके कॅरक्टर के बारे में पता था मेरी बीवी उसका दूध बंद करने को बोली लेकिन रवीना के कहने पर कि माँ ये अच्छा दूध लाता है.हमें तो दूध से मतलब ऐसा कहा तो मेरी बीवी ने उसकी बात मान ली.

इसके बाद विनोद और मुझे रवीना को चोदने का मौका नही मिल पा रहा था.मेरी बीवी दिव्या दिन में घर से बाहर कहीं नही जाती थी और रात को मैं अपनी बीवी के साथ और रवीना अपनी बहन के साथ सोती थी.

इसके बाद विनोद ने मेरी मदद से मेरी बड़ी बेटी टीना जोकि रवीना से थोड़ी कम खूबसूरत थी ,को भी फसाया ताकि रवीना को चोद सके.क्या हुआ नेक्स्ट स्टोरी लास्ट पार्ट में लिखूंगा.ओके बाइ रेस्पॉन्स ज़रूर देना.

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हेल्लो दोस्तों, शायद आप लोग मुझसे नाराज है. अगर नहीं तो अच्छी बात है और अगर हा तो उसके लिए आप सभी को सॉरी..कुछ जरुरी काम के सिलसिले में मुझे अपने शहर से बहार जाना था जिसकी वजह से मैं आप सभी तक एक से एक नयी कहानिया नहीं पहुंचा पी..लेकिन कोई बात नहीं अब मै आ गई हूँ आप सभी का मनोरंजन से भरपूर मजेदार चुदाइयो की कहानिया लेकर जिसे पढ़ने के बाद तो आआह्ह्ह्ह हहाहाहा मजा आ जायेगा आप सभी को. तो चलिए मुझे मेल आई हुई कहानियो को अपने बोल देकर आप सभी के सामने प्रकाशित कराती हूँ. दोस्तों मेरी उम्र छब्बीस साल है और मैं सरकारी दफ़्तर में ऑडिटिंग ऑफिसर हूँ और हमारे दफ़्तर की शाखायें पूरे देश में हैं और अक्सर मुझे काम के सिलसिले में दूसरे शहरों की शाखाओं में दो-तीन महीनों के लिये जाना पड़ता है। मैं शादीशुदा नहीं हूँ इसलिये मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं होती है।

एक बार मुझे काम के सिलसिले में तीन महीने के लिये लखनऊ शाखा जाना पड़ा। वहाँ के दफ़्तर में मेरी सहकरमी ‘चंदना’ थी जो कि सीनियर क्लर्क थी। उसकी उम्र बत्तीस-तेत्तीस साल की थी और उसकी शादी को आठ साल हुए थे। उसके शौहर बहरीन में दो साल से सर्विस कर रहे थे। चंदना बेहद खूबसूरत थी और उसका फिगर ३६-३०-३८ था। उसका भरा-भरा सा जिस्म बेहद सुडौल था और मैं तो उसके चूतड़ों पर बहुत फिदा था। वो जब ऊँची हील की सेंडल पहन कर चलती थी तो गाँड मटका-मटका कर चलती थी। रुबिना काफी बनठन कर दफ्तर आती थी। एक महीने में ही काम के दरमियाँ काफी घुलमिल गयी थी। वो मुझे ‘सर’ कह कर बुलाती थी क्योंकि वो मुझसे जुनियर थी। मैं भी उम्र में उससे छः-सात साल छोटा होने की वजह से उसे ‘रूबीना जी’ कह कर बुलाता था ।

एक बार बातों-बातों में उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि “सर! आप चाहें तो मेरा प्रमोशन हो सकता है… इसलिये आप हेड ऑफिस में मेरी सफारिश करेंगे तो मेरा प्रमोशन हो जायेगा और मैं इसके लिये कुछ दे भी सकती हूँ!” तब मैंने कहा, “आप क्या दे सकती हो?” तो वो कुटिल मुस्कान भरते हुए अदा के साथ बोली, “चाय पानी!” मैं भी हंस कर रह गया। उसके बाद से तो मैंने महसूस किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी और उसकी नज़रों में काम वासना की ललक नज़र आती थी। पहले मैं समझ नहीं सका कि वो ऐसे क्यों देखती है। फिर मुझे लगा कि या तो वो प्रमोशन के लिये ऐसा कर रही है या फिर दो साल से प्यासी होगी। चंदना को देख केर अक्सर मेरा लण्ड भी पैंट में तंबू की तरह खड़ा हो जाता था।

एक दिन उसने मुझे डिनर के लिये अपने घर इन्वाइट किया। उस दिन शुक्रवार था तो ऑफिस से मैं उनके साथ ही उसके घर के लिये निकला। रास्ते में उसने व्हिस्की की बोतल खरीद ली और होटल में डिनर का ऑर्डर दे दिया। घर पहुँच कर उसने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और खुद फ्रेश होने अंदर चली गयी। जब वो ऊँची हील की सैंडल खटखटाती हुई व्हिस्की की बोतल, सोडा, बर्फ और ग्लास वगैरह ले कर वापस आयी तो मैंने देखा कि चंदना ने अपना मेक-अप दुरुस्त किया हुआ था और बदल कर दूसरा सलवार-सूट पहन लिया था।

उसने दो ग्लास में पैग बनाये तो मैंने चौंकते हुए पूछा, “चंदना जी! आप भी ये शौक फरमाती हैं क्या?” वो अदा से हंसते हुए बोली, “क्यों औरतें शराब का मज़ा नहीं ले सकती क्या…?” और फिर एक ग्लास नुझे पकड़ाते हुए बोली, “अकेलापन दूर करने के लिये कभी-कभी पी लेती हूँ!” फिर हम दोनों व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगे। जब हम दो-दो पैग पी चुके तो मैंने महसुस किया कि चंदना कुछ ज्यादा ही खिलखिला कर हंस रही थी और बार-बार मुझे अजीब निगाहों से देखती थी और बातों-बातों में कभी-कभी आँख मार देती या अपने होंठों को अपने दाँतों से दबा लेती थी। मैं समझ गया कि वो आज गरम हो चुकी है और उसे नशा चढ़ने लगा है। उसकी हरकतों से मेरा लण्ड भी सख्त हो गया था।

वो मेरे सामने सोफे पर बैठी थी और जब वो अपने लिये एक और पैग बनाने उठी तो मैंने चंदना का हाथ पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया तो मैंने उठकर चंदना को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और चंदना के होंठों को चूमने और चूसने लगा। चंदना एकदम पागल सी हो रही थी जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा हो। मैं चंदना की ज़ुबान भी चूसे जा रहा था और मेरे हाथ चंदना की कमर पर चल रहे थे। फिर मैं एक हाथ से चंदना चूची दबने लगा तो चंदना बेताब होने लगी। मैंने चंदना के कान में कहा, “बहुत ज्यादा भूखी हो आप तो रुबिना जी!” चंदना सिर्फ़, “सर….” ही कह सकी।

मेरा हाथ अब धीरे-धीरे चंदना की सलवार के नाड़े पर आ गया और मैंने चंदना को चूमते हुए एक झटके में ही सलवार के नाड़े को खोल दिया। चंदना की लाल सलवार सरक कर नीचे उसके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गयी। वो नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसकी फूली हुई गोरी चूत बिल्कुल चिकनी थी और उस पर झाँटों का एक रेशा भी नहीं था। उसकी चूत बेहद गीली हो गयी थी। चंदना ने मेरी पैंट में से लण्ड बाहर निकाल लिया और सहलाते हुए बोली, “हायऽऽऽऽ अल्लाहऽऽऽ काफी मोटा और लंबा है सर आपका ये!”

फिर मैं चंदना की टाइट कमीज़ ऊपर की तरफ़ करने लगा तो चंदना और जोश में आ गयी और चंदना ने सहुलियत के लिये अपने हाथ ऊपर की तरफ़ कर दिये। मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। कमीज़ उतारने के बाद पीछे से चंदना की ब्रा का हुक खोल दिया और एक झटके से चंदना की ब्रा को उतार कर फेंक दिया। अब वो बिल्कुल नंगी थी और ऊँची हील के सैंडल में बहुत ही सैक्सी लग रही थी।

फिर मैंने उसको दीवार की तरफ़ मुँह करके खड़ा किया और पीछे से उसकी चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और मसलने लगा। जब मैंने उसके निप्पलों को मसलना शुरू किया तो चंदना सिसकरियाँ भरने लगी। मैंने उसको दीवार के सहारे और दबा दिया। चंदना की गाँड पर मेरा लण्ड सटा हुआ था और चंदना के दोनों बूब्स मेरी मुठ्ठी में थे। मैं उंगली और अंगूठे से चंदना के निप्प्लों को बेदर्दी से मसलने लगा। चंदना तो जोश में एक दम जैसे पागल सी हो रही थी। दस मिनट बाद मैं चंदना को पकड़ कर टेबल के पास ले गया और उसे टेबल पर बैठने को कहा। चंदना टेबल पर बैठ गयी। अब मेरा मोटा और लंबा तना हुआ लण्ड चंदना के सामने था। उसने तुरंत ही मेरा लण्ड हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी। मैं बोला, “रानी, मुँह में लेकर चूसो इसको!” चंदना लण्ड को पकड़ कर अपनी जीभ से चाटने लगी। थोड़ी ही देर बाद चंदना ने लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लण्ड के सुपाड़े को चूसने लगी। चंदना भी जोश में अपने आपको काबू में नहीं रख पा रही थी और बोली, “जानू, प्लीज़ जल्दी कुछ करो ना! नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी!” फिर मैंने चंदना की गाँड को टेबल के किनारे पर किया और उसकी सुडौल टाँगों के बीच आ कर खड़ा हो गया।

चंदना टेबल पर आधी लेटी हुई थी। मैंने चंदना की टाँगों को हाथों से पकड़ कर फैला दिया और अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के बीच में रख दिया। फिर एक झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। चंदना दर्द से चिल्ला उठी, “ऊऊईईई! अल्लाह!! मर जाऊँगी मैं! आहहह रुक जाओ जानू! प्लीज़ऽऽ!” चंदना कराहने लगी तो मैं रुक गया और अपने लण्ड को चंदना की चूत से बाहर निकल लिया।

फिर मैंने एक तकिया लिया और चंदना की गाँड उठा कर उसकी गाँड के नीचे रख दिया। अब चंदना की चूत थोड़ा और ऊपर हो गयी। मैं चंदना के ऊपर झुक गया और चंदना के होंठों को अपने मुँह में ले लिया। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा एक बार फिर उसकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा। चंदना की चींख निकलते-निकलते रह गयी क्योंकि मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा रखा था। चंदना दर्द से कराह उठी तो मैं रुक गया। चंदना के शौहर का लण्ड छोटा था और उसकी चूत का छेद छोटे लण्ड के लिये ही मुनासिब था।

मेरा आधा लण्ड घुस चुका था। दो-तीन मिनट तक मैं उसके ऊपर बिना हिलेडुले लेटा रहा। फिर मैंने धीरे-धीरे लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया। चंदना अभी भी दर्द से कराह रही थी। अचानक मैंने एक जोरदार धक्का दिया तो मेरा लण्ड सरसराता हुआ चंदना की चूत में और ज्यादा अंदर तक घुस गया। चंदना चिल्लाते हुए रुकने के लिये कहने लगी लेकिन मैं नहीं रुका और चंदना को तेजी से चोदने लगा। बिजली की तरह मेरा लण्ड चंदना की चूत में अंदर बाहर हो रहा था। जैसे ही चंदना की चींख कुछ कम होती मैं एक धक्का ज़ोर से लगा देता था और चंदना फिर चींख पड़ती थी। कुछ देर तक मैं इसी तरह चोदता रहा। धीरे-धीरे मेरा पूरा लण्ड चंदना की चूत की गहराई तक जगह बना चुका था और तेजी के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। चंदना दर्द से तड़प रही थी। आठ-दस मिनट के बाद चंदना को भी मज़ा आने लगा। उसने अपने हाथ मेरी कमर पर कैंची की तरह कस दिये और अपनी गाँड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैं बोला, “शाबाश जानेमन! अब तो तुम्हें भी चुदवाने में मज़ा आ रहा है!” मैं उसको लगभग पंद्रह-बीस मिनट तक चोदता रहा। इस दौरान चंदना तीन-चार बार झड़ चुकी थी लेकिन मेरा लण्ड था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।

अब मैं चंदना के ऊपर से हट गया और उसको घोड़ी की तरह बन जाने को कहा। चंदना उठ कर ज़मीन पर आ गयी और घोड़ी की तरह हो गयी। मैंने उसकी कमर पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से चंदना की चूत में डाल दिया। चंदना फिर दर्द से कराहने लगी पर कुछ ही देर में चंदना का दर्द कम हो गया और चंदना को मज़ा आने लगा। चंदना अब अपनी गाँड को पीछे ढकेल-ढकेल कर ताल से ताल मिला रही थी। दस-पंद्रह मिनट के बाद मैं चंदना की चूत में ही झड़ गया और अपना लण्ड चंदना की चूत से बाहर निकाल कर चंदना के मुँह में दे दिया। चंदना ने मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ किया और हम दोनों साथ साथ ही ज़मीन पर ही लेट गये।

फिर हम दोनों ने नंगे ही खाना खाया और खाना खाने के बाद हम फिर शराब पी रहे थे तो मैंने चंदना से कहा, “चंदना, और मज़ा दोगी?” चंदना नशे में थी। उसने मुस्कुराते हुए अपना सिर हाँ में हिला दिया और बोली, “मज़ा दूँगी भी और लूटुँगी भी!” फिर चंदना ने मेरा लण्ड, जोकि फिर खड़ा हो गया था, अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी बीच की मोटी उंगली चंदना की चूत में घुसा दी। “उफ़्फ़….!” चंदना तड़प उठी। मेरी उंगली चंदना की चूत में अंदर बाहर होने लगी। चंदना को भी मज़ा आने लगा और चंदना मेरा लण्ड चूसते हुए आहें भरने लगी।

फिर मैंने चंदना के मुँह में से अपना लण्ड निकाला और उसे लेटने को कहा। मैं भी उठा और चंदना की टाँगों के बीच में आ गया। उसके पैर उठा कर अपने कंधों पर रख लिये। मेरा तना हुआ लण्ड चंदना की चूत से केवल एक इंच की ही दूरी पर था। फिर मैंने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा, “चोदूँ, मेरी रानी?” चंदना ने अपना सर हाँ में हिला दिया और अपनी गाँड आगे ढकेलते हुए अपनी चूत मेरे लण्ड से सटा दी और बोली, “धीरे-धीरे चोदना प्लीज़! बहुत दर्द होता है… बहुत ही बड़ा है तुम्हारा!” फिर मैंने उसकी चूची को पकड़ा और निप्पलों को मसलते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसाने लगा। अभी तक मैंने हल्का सा धक्का मारा था लेकिन आधा लण्ड चंदना की चूत में घुस चुका था। चंदना की चूचियों को दबाते हुए और दोनों निप्पलों को खींचते हुए मैं बोला, “एक बार में पुरा अंदर लोगी?” चंदना तो एक दम जोश और नशे में थी और उसने दर्द की परवाह ना करते हुए कहा, “हाँ जानू!” फिर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। इससे पहले कि चंदना कुछ समझ पाती कि एक ही धक्के में मैंने अपना पूरा लण्ड वापस चंदना की चूत में गहराई तक घुसा दिया। चंदना अपनी चींख बड़ी मुश्किल से रोक पायी।

कुछ देर बाद मैंने चंदना को तेजी से चोदना शुरू कर दिया। चंदना के सैंडल मेरे हर धक्के के साथ मेरी गर्दन के पास थपथपाते थे जिससे मुझे और जोश आने लगा और मैं चंदना को और तेजी के साथ चोदने लगा। मेरे हाथ अभी भी चंदना की चूचियों और निप्पलों को मसल रहे थे और चंदना को दर्द हो रहा था लेकिन उसे फिर भी मज़ा आ रहा था क्योंकि आज दो साल बाद कोई उसकी चूत की प्यास को बुझा रहा था वो भी इतने मोटे तगड़े लण्ड से। थोड़ी देर बाद मैंने चंदना के पैरों को अपने कंधों से उठाया और चंदना की टाँगें पीछे मोड़कर उसके कंधों की तरफ़ झुका दीं। अब चंदना एक दम दोहरी हो गयी और चंदना की चूत और ऊपर उठ आयी। फिर आगे होकर मैंने उसके पैरों के पास उसकी टाँगों को पकड़ कर बहुत ही तेजी के साथ चंदना की चुदाई करनी शुरू कर दी। मुझे मेरे लण्ड के सुपाड़े पर उसकी बच्चेदानी का मुँह महसूस होने लगा था। चंदना और भी जोश में आ गयी और अपनी आँखें बंद कर लीं। चंदना के मुँह से केवल मस्ती भरी आवाज़ें निकल रही थी, “हाय मेरे जानू! ऐसे ही… और कस-कस कर जोर से चोदो… और जोर से चोदो… फाड़ दो मेरी चूत को!”

मेरे चेहरे का पसीना चंदना की चूचियों पर टपक रहा था लेकिन लण्ड रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। चंदना अब तक दो-तीन बार झड़ चुकी थी। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने फिर उसकी चूत में पानी छोड़ दिया था। मैं ऐसे ही थोड़ी देर चंदना के ऊपर पड़ा रहा और चंदना मुझे चूमती रही। फिर मैं चंदना के ऊपर से हट कर उसके बगल में लेट गया।

थोड़ी देर बाद चंदना ने मेरे मुर्झाये हुए लण्ड को अपने हाथों में लिया और अपने होंठों को दाँत से काटते हुए बोली, “अगर बुरा ना मानो तो मैं तुम्हारे लण्ड को फिर से चूसना चाहती हूँ, प्लीज़!!!” मैं बोला, “इसमें इजाज़त की क्या बात है… ये लण्ड तो अब सिर्फ़ तुम्हारा ही है!” चंदना मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गयी और दोनों हाथों से लण्ड को पकड़ कर लण्ड के सुपाड़े पर धीरे से किस किया। चंदना ने मेरी तरफ़ देख कर आँख मारी और वापस अपने होंठ मेरे लण्ड पर रख दिये। लण्ड को पकड़ कर चूसते हुए चंदना अपने मुँह को ऊपर-नीचे करने लगी और मेरा लण्ड बिल्कुल तन गया। फिर चंदना उठ कर मेरे ऊपर आ गयी और अपने हाथ से लण्ड को पोज़िशन में करके अपनी चूत के बीच में सटा दिया और ऊपर से दबाव डालने लगी पर सिर्फ़ सुपाड़ा ही चंदना की चूत में घुस पाया। उसने तरसती निगाहों से मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गया। मैंने उसकी कमर को पकड़ कर ज़ोर से नीचे किया तो एक झटके से आधे से ज्यादा लण्ड चंदना की चूत में घुस गया। अब चंदना धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी और मैं चंदना की कमर को पकड़े हुए था। चंदना ने अपनी आँखें बंद कर लीं और चुदाई का मज़ा लेने लगी। उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी और वो इतनी तेज़ हो गयी कि पता ही नहीं लगा कब दोनों झड़ गये। फिर हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लिपट कर लेट गये।

थोड़ी देर बाद चंदना उठ कर बाथरूम में गयी। मैंने देखा कि चलते हुए नशे में चंदना के कदम बीच-बीच में बहक रहे थे। उसने अभी भी ऊँची हील वाले सेंडल पहने हुए थे और नशे में डगमगाते हुए चंदना के गुदाज़ चूतड़ बहुत ही कामुक ढंग से हिल रहे थे। ये देखकर मेरा लण्ड फिर तनने लगा था। जब वो बाथरूम से बाहर अयी तो मैं भी बाथरूम में जा कर थोड़ा प्रेश हुआ। बाथरूम से निकला तो चंदना पैग बना रही थी। मैं अपना ग्लास लेकर सोफे पर बैठ गया और वो मेरी टाँगों के बीच में नीचे बैठ गयी। अचानक उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपने व्हिस्की के ग्लास में डुबा दिया और फिर बाहर निकाल कर अपने मुँह में लिया। चंदना इसी तरह मेरा लण्ड व्हिस्की में डुबा-डुबा कर चूसने लगी।

मेरा लण्ड फिर से पत्थर की तरह सख्त हो कर तन कर गया था। मैं बोला, “चंदना, अब तुम फिर से घोड़ी बन जाओ!” चंदना ने जल्दी से अपना गिलास खाली किया और ज़मीन पर घोड़ी बन गयी। तब मैंने कहा, “चंदना, अब मैं तुम्हारी गाँड मारुँगा!” चंदना थोड़ा डरते हुए बोली, “लेकिन तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है!” मैं बोला, “तुम घबराओ मत… मैं आराम से करुँगा!” चंदना अब काफी नशे में थी और मस्ती में चहकते हुए बोली, “ओके, तुम सिर्फ मेरे बॉस ही नहीं बल्कि जानेमन हो, मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है! चाहे जो करो… आज तुम्हारी चंदना तुम्हारे लण्ड की ग़ुलाम है! मारो मेरी गाँड को, फाड़ दो इसे भी… मैं कितना भी चिल्लाऊँ… तुम रुकना मत…. अपनी चंदना की गाँड बेदर्दी से पेलना!”

मैं उठ कर उसके पीछे आ गया और चंदना की गाँड के छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया। मेरा लण्ड तो पहले से ही चंदना के थूक से सना हुआ था। फिर मैंने चंदना की गाँड के छेद पर अपने लण्ड की टोपी रखकर चंदना की कमर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे अपने लण्ड को चंदना की गाँड में घुसाने लगा। चंदना ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। अभी तक लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा ही घुस पाया था। फिर मैंने चंदना की गाँड के छेद को हाथों से फैलाया और फिर से चंदना की कमर पकड़ कर एक धक्का दिया। चंदना दर्द से अपना सर कुत्तिया की तरह इधर-उधर हिलाने लगी। मैंने थोड़ा ज़ोर और लगाया तो चंदना और भी ज़ोर-ज़ोर से चींखने-चिल्लाने लगी। मैं बोला, “चंदना मेरी जान! अगर तुम ऐसे चिल्लाओगी तो कैसे काम बनेगा? अभी तो ये तीन इंच ही अंदर घुसा है!” चंदना दर्द से चिल्लाते हुए ही बोली, “मेरे चिल्लाने कि तुम परवाह मत करो! घुसा दो अपने तमाम लण्ड को मेरी गाँड में… फाड़ डालो इसे!”

फिर मैंने चंदना के मुँह पर एक हाथ रख दिया और उसकी कमर को पकड़ कर धक्के पर धक्का लगाते हुए अपने लण्ड को चंदना के गाँड में घुसाने लगा। लण्ड चंदना की गाँड में और गहराई तक घुसने लगा तो चंदना दर्द के मारे छटपटाने लगी। मैं बोला, “शाबाश चंदना! मेरा लण्ड अब तुम्हारी गाँड में करीब छः इंच तक घुस चुका है!” दर्द से चंदना कि हालत अभी भी खराब हो रही थी। मैं पूरी ताकत से चंदना की गाँड में लंड ठूँसने में लगा था और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे था। चंदना की गाँड चौड़ी होती गयी और दर्द भी बढ़ता गया। गाँड में दर्द की वजह से चंदना सिसकियाँ लेती रही। चंदना के आँसू भी निकल आये पर चंदना ने हिम्मत नहीं हारी। चंदना की गाँड में अपना लण्ड पूरा घुसाने के बाद मैं रुक गया।

थोड़ी देर में दर्द धीरे-धीरे कम हो गया तो मैंने फिर धीरे-धीरे पेलना शुरू कर दिया। अब मैं अपना आधा लण्ड बाहर निकालता और वापस एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी गाँड में अंदर तक घुसेड़ देता। हालांकि दर्द अभी खतम नहीं हुआ था पर फिर भी चंदना अब अपनी गाँड मेरे हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिलाने लगी थी। अब मैं पुरी स्पिड से रूबीना को चोदने लगा। अब मैं अपना पुरा लण्ड बाहर निकालता और वापस तेजी के साथ अंदर घुसा देता। चंदना को तो यकीन ही नहीं था कि इतना लंबा और मोटा लण्ड वो कभी अपनी गाँड में ले पायेगी।

मैं बहुत मज़े ले-ले कर चंदना की गाँड मारने में लगा हुआ था। चंदना भी और ज्यादा मस्त हो गयी थी और अपनी गाँड ढकेलते हुए बोली, “पेलो मुझे! मेरी गाँड फाड़ दो! अपनी चंदना की गाँड चौड़ी कर दो! बेदर्दी से पेलो मुझे… मेरे जनू! मेरे बॉस!” मैं चंदना की गाँड पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता हुआ अपना लण्ड उसकी गाँड में गहराई तक घुसेड़-घुसेड़ कर पेलता रहा। वो भी कभी चींखती तो कभी सिसकती और कभी मुजे ज़ोर-ज़ोर से गाँड पेलने को कहती और फिर चींखने लगती। थोड़ी देर में मैं चंदना की गाँड में ही झड़ गया और हम दोनों दोने ज़मीन पर ही लेट गये। दोनों की साँसें फूली हुई थीं। बीस पच्चीस मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं चंदना को अपनी बांहों में सहरा दे कर बेडरूम में ले गया और हम दोनों बिस्तर पे लेट कर सो गये।

अगले दिन सुबह चंदना बहुत खुश थी और मैंने भी एक हफ़्ते के अंदर उसका प्रमोशन करा दिया। चंदना तो मेरे लण्ड की दीवानी बन गयी थी और मैं जब तक लखनऊ में रहा हर रात चंदना के घर पर उसकी चुदाई करने में गुज़ारी।

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पलंग पे लेटा कर लौड़ा चुस्वाया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/palang-pe-leta-kar-lauda-chuswaya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/palang-pe-leta-kar-lauda-chuswaya.html#respond Wed, 21 Mar 2018 03:23:55 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11982 पलंग पे लेटा कर लौड़ा चुस्वाया, फिर अचानक सुहानी मेरे लवड़े को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा था.. तभी एकदम से मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया और मेरे लौड़े से कुछ रस सा निकला.. जो सीधा सुहानी के मुँह में गिर गया इस पर सुहानी ने अपने मुँह में लौड़े को लेकर फिर चूसने लगी

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यह कहानी तब की है जब मेरा घर पर किसी कारण झगड़ा होने की वजह से मैं 3 साल के लिए घर से दूर एक कमरा किराए पर लेकर रहता था और खर्चे के लिए मिनी बस पर खलासी का काम करता था। उस वक़्त मेरी मुलाकात एक बस ड्राईवर से हुई.. जिसका नाम सोनू था। मेरी सोनू से काफी अच्छी दोस्ती हो गई।

कुछ दिनों बाद सोनू का खलासी किसी काम से अपने घर चला गया।
अब उसे एक खलासी की आवश्कता थी.. तो उसने मुझसे बात की और कहा- तू मेरे साथ परमानेन्टली मेरी गाड़ी पर चल और मेरे साथ ही रह।

मैंने कहा- ठीक है.. पर मैं हफ्ते में एक दिन की छुट्टी करूँगा।

उसने कहा- ठीक है।

मैंने कहा- एक तारीख को आ जाऊँगा।

जब मैं एक तारीख को सोनू के घर पहुँचा तो सोनू की पत्नी ने दरवाजा खोला और पूछा- आप कौन हैं और किससे मिलना है?

तो मैंने कहा- मुझे सोनू ने गाड़ी पे चलने के लिए बुलाया है।

तो उसने मुझे बताया- सोनू तो किसी काम से अपने गाँव गए हुए हैं.. 4-5 दिनों में आयेंगे.. पर सोनू ने मुझे बताया था कि कोई आने वाला है।

यह कहकर उसने मुझे अन्दर आने को कहा और मुझे कमरा दिखाया और कहा- नहा-धोकर खाना खाने आ जाओ।

मैंने कहा- ठीक है..

मैं फ्रेश होकर खाना खाने आ गया।

खाना खाते समय मैंने पूछा- आपका नाम क्या है?

तो उसने अपना नाम सुहानी बताया..

उसने मुझसे पूछा- क्या तुम यहाँ जयपुर में अकेले ही रहते हो?

तो मैंने कहा- यहाँ मैं अपने परिवार के साथ रहता हूँ.. पर किसी कारण से अभी अलग कमरा लेकर अकेले ही रहता हूँ..

अब हमने खाना खाया और काफी सारी बातें की।

खाना खाकर मैं अपने कमरे में आ गया और अपने कपड़े उतार कर सो गया।

मुझे पता नहीं.. मेरी आँख कब लग गई। जब आँख खुली तो देखा सुहानी मेरे सामने चाय लेकर खड़ी थी।

मैं एकदम से चौंक गया.. तो सुहानी ने मुझसे कहा- कोई बात नहीं.. घर पर ही तो हो.. पर आगे से ध्यान रखना।

मैंने कहा- ठीक है।

सुहानी ने मुझे चाय दी और बाहर चली गई। कुछ देर बाद सुहानी ने मुझे बुलाया और कहा- मेरे साथ बाजार चलो।

मैंने कहा- ठीक है।
मैं तैयार होकर सुहानी के साथ बाजार निकल गया।

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बाज़ार से खरीददारी करके जब हम घर लौट रहे थे.. तब बस में भीड़ होने के कारण सुहानी मेरे आगे चिपक कर खड़ी हो गई.. सुहानी की गाण्ड मेरे लौड़े के बिल्कुल नजदीक होने से और चिपकने के कारण मेरे लौड़े में एक अजब सा तनाव पैदा हो गया.. जो मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था।

अब मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो चुका था। शायद जिसका अहसास सुहानी को भी हो रहा था.. लेकिन सुहानी ने मुझे कुछ नहीं कहा।

थोड़ी देर बाद हम घर पर आ गए। सुहानी अपने कपड़े बदल कर रसोई में चली गई। मैं भी कपड़े बदल कर हॉल में टीवी देखने बैठ गया।

तभी सुहानी ने मुझे बुलाया- पिंटू जरा रसोई में आना।

मैं खड़ा होकर रसोई में चला गया।
मैंने देखा सुहानी ने बिल्कुल ही पतला सा नाईट-गाउन पहन रखा है.. जिसके कारण सुहानी का जिस्म मुझे बिल्कुल साफ दिख रहा था।
मेरी नजर एकटक सुहानी को देख रही थीं।

तभी सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे क्या देख रहे हो.. पहले कभी किसी को नहीं देखा?

मैं डर गया और कहा- ऐसी कोई बात नहीं है.. आज से पहले कभी इतनी खुबसूरत स्त्री को नहीं देखा है.. खाश तौर पर ऐसी नाईट-ड्रेस में तो किसी को नहीं..

तो सुहानी ने मुझसे पूछा- ऐसा इस ड्रेस में क्या है?

तो मैंने कहा- ड्रेस में नहीं.. इसे पहनने वाले में कुछ बात है।

तभी सुहानी ने मुस्कुरा कर कहा- कोई तारीफ़ करना तो तुम बस वालों से सीखे.. अब तारीफ करना बंद करो और मेरी कुछ मदद करो।

मैंने कहा- ठीक है.. पर मुझे रसोई का काम नहीं आता।

तो सुहानी ने कहा- कोई बात नहीं.. मैं सब सिखा दूंगी।

यह कहकर सुहानी मेरे पीछे खड़ी हो गई जिससे सुहानी के मम्मे मेरी कमर में चुभने लगे, मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।

तभी सुहानी ने मुझसे कहा- बस में तुम क्या कर रहे थे?

मैंने कहा- कुछ नहीं.. वो भीड़ होने के कारण.. मैं आपसे चिपक गया था और कोई बात नहीं।

सुहानी ने कहा- ठीक है।

फिर मैं हॉल में बैठकर टीवी देखने लग गया।

सुहानी ने खाना लगा कर मुझे बुलाया- पिंटू खाना तैयार है.. आकर खा लो।

मैं खाना खाने चला गया.. खाना खाने के बाद मैं फिर टीवी देखने बैठ गया।

कुछ देर सुहानी ने भी मेरे साथ बैठ कर टीवी देखा, फिर उसने मुझसे कहा- मैं सोने जा रही हूँ.. किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे बुला लेना।

मैंने कहा- ठीक है।

वो कमरे में चली गई और मैं टीवी देखने लगा।

तभी सुहानी ने मुझे आवाज लगाई- पिंटू जरा कमरे में आना..

जब मैं कमरे में गया.. तो मैंने देखा सुहानी सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में थी। जिसे देखकर मैं पागल हो गया।

एक मन तो हुआ कि जाकर सुहानी को चोद दूँ.. प्यार से नहीं तो जबरदस्ती ही चोद दूँ..

लेकिन मैंने खुद को संभाला और बोला- क्या बात है?

इस पर सुहानी ने कहा- मेरी पीठ में दर्द हो रहा है.. जरा सी बाम लगा दो।

मैंने कहा- ठीक है आप लेट जाओ।

वो औंधी हो कर लेट गई.. और मैंने उसकी पीठ पर बाम लगानी शुरू कर दी।

जैसे-जैसे मैं उसकी नरम पीठ पर अपना हाथ फेर रहा था.. धीरे-धीरे मेरी हालत खराब होने लगी। मुझे फिर से बस वाला दौरा पड़ना चालू हो गया.. मेरा लौड़ा पूरी तरह से तन कर पैन्ट से बाहर आने के लिए उछलने लगा।

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पीठ पर मालिश करवाते समय सुहानी ने मुझसे कहा- पिंटू.. जरा मेरी इस ब्रा के हुक को खोल कर.. ‘अच्छी’ तरह से मालिश कर दे।

मैंने ठीक वैसे ही किया.. सुहानी के ब्रा का हुक खोल कर उसके नंगे जिस्म की मालिश करने लगा.. मालिश करते हुए धीरे-धीरे मैंने अपना हाथ सुहानी के मम्मों पर लगाया और उसकी तरफ से कोई आपत्ति न होते देख मैं उसके मम्मों को मसलने लगा।

थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ हटा लिया.. इस पर सुहानी ने कहा- क्या हुआ..? मालिश करो न.. मुझे बहुत मजा आ रहा है।

इस पर मैंने कहा- आपको तो मजा आ रहा है.. पर मेरी हालत ख़राब हो रही है।

तो सुहानी ने हँस कर पूछा- क्यों.. क्या हुआ?

मैंने कुछ नहीं कहा.. तभी सुहानी ने मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर खींच लिया और मेरी छाती पर बैठ गई।

कहने लगी- मुझे मालूम है.. तुम्हें क्या हुआ है।

यह कहकर उसने अपनी लटकती हुई ब्रा खोल दी.. अब मेरे सामने उसके मम्मे बिल्कुल नंगे थे।

सुहानी ने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए कहा- पिंटू इनको पकड़ के इनका दूध निकाल कर पी जा..

मैंने भी ठीक वैसे ही किया। जब मैंने सुहानी के मम्मों को छुआ तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि किसी के मम्मे इतने नाजुक कैसे हो सकते हैं?

मैं सुहानी के मम्मों को जोर से मसलने लगा.. तभी सुहानी ने कहा- आह्ह.. जरा आराम से..

थोड़ी देर तक अपने मम्मों को दबवाने के बाद सुहानी मेरे ऊपर से उठी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।

जैसे ही सुहानी का पेटीकोट नीचे गिरा तो मैंने देखा कि उसने पेटीकोट के नीचे कुछ भी नहीं पहना था।

मैं उसे अपलक देखता ही रह गया।

तभी सुहानी ने कहा- क्या हुआ मेरे राजा?

मैंने कहा- मैंने आज से पहले कभी किसी को ऐसे नहीं देखा।

तो सुहानी ने पूछा- क्या आज से पहले तुमने कभी चुदाई नहीं की?

मैंने कहा- नहीं.. मगर ब्लू-फिल्म बहुत देखी हैं और मुठ मारकर रह जाता था।

तो सुहानी ने कहा- मतलब मुझे ही तुम्हें सब कुछ सिखाना है।

मैंने कहा- मुझे कुछ-कुछ पता तो है.. जो नहीं मालूम है.. वो आप बता देना।

इस पर सुहानी ने कहा- ठीक है.. मगर मेरी एक शर्त है।

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मैंने कहा- मुझे आपकी सारी शर्त मंजूर हैं।

तो सुहानी ने कहा- सुन तो लो.. मेरी पहली शर्त है कि तुम मुझे ‘आप’ नहीं बल्कि सुहानी कहोगे..

मैंने कहा- ठीक है।

‘और दूसरी शर्त यह है कि मैं जब भी कहूँ.. तुम मुझे चोदोगे।’

मैंने कहा- ठीक है..

अब सुहानी ने कहा- पहले अपने सारे कपड़े खोल दो और पलंग पर लेट जाओ।

मैंने अपने सारे कपड़े खोल दिए और पलंग पर लेट गया। सुहानी मेरे पास आकर बैठ गई और मेरे लौड़े को हाथ में लेकर हिलाने लगी.. मेरा लौड़ा तन्ना गया।

फिर अचानक सुहानी मेरे लवड़े को अपने मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।

मुझे बहुत मजा आ रहा था.. तभी एकदम से मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया और मेरे लौड़े से कुछ रस सा निकला.. जो सीधा सुहानी के मुँह में गिर गया।

इस पर सुहानी ने कहा- कोई बात नहीं.. पहली बार ऐसे ही होता है।

थोड़ी देर बाद सुहानी मेरे ऊपर आकर बैठ गई और मुझे चुम्बन करने लगी।

कम से कम 8 -9 मिनट बाद मैंने सुहानी से कहा- सुहानी.. चल कुछ नया करते हैं।

इस पर सुहानी ने अपने मुँह में लौड़े को लेकर फिर चूसने लगी.. जिसके कारण मेरा लौड़ा दुबारा तन कर खड़ा हो गया।

अब सुहानी ने कहा- पिंटू तुम भी मेरी चूत को चाटो।

मैं सुहानी की चूत को चाटने लगा.. जैसे ही मैंने चूत पर अपना मुँह लगाया.. सुहानी ने सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दीं।

कुछ देर बाद सुहानी की चूत से कुछ पानी निकला.. मैं उसे पी गया।

ऐसा रस मैंने कभी नहीं पिया था। मुझे बहुत अच्छा लगा।

हम काफी देर तक ऐसे ही एक-दूसरे को चाटते रहे।

फिर मैंने सुहानी से कहा- सुहानी.. अब मुझे लगता है कि मेरा पानी निकलने वाला है..

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तभी सुहानी ने मेरे लौड़े को मुँह से बाहर निकाला और मुझसे कहा- पिंटू अब तुम अपने लंड को नीचे मेरी चूत में पेल दो.. लेकिन आराम से.. क्योंकि तुम्हारा सुपारा बड़ा है।

मैंने कहा- ठीक है.. जब दर्द हो तो कह देना.. मैं रुक जाऊँगा।

अब मैं लंड लगाने को हुआ और सुहानी की चूत पर अपने लौड़े को लगाया तो गीलेपन के कारण लौड़ा फिसल गया।

इस पर सुहानी ने गुस्से में कहा- भोसड़ी के.. अब मुझे ही बताना होगा कि तेरे लंड को चूत में कैसे डालना है।

उसने मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और कहा- अब जोर से धक्का मार..

मैंने वैसे ही किया.. एक जोर का धक्का लगाया और इसके साथ ही मेरा सुपारा सुहानी की चूत में घुस गया।

सुहानी जोर से चिल्ला उठी और बोली- हरामी.. धीरे डालने के लिए कहा था न..

मैंने- सॉरी यार.. अनाड़ी हूँ..

तो उसने कहा- कोई बात नहीं.. मैं समझ सकती हूँ.. लेकिन किसी और के साथ ऐसे मत करना.. वरना वो कहीं मर न जाए।

मैंने कहा- गुरू जी.. तुम्हारे होते हुए मुझे क्या डर और वैसे तुम हो ना.. मुझे सिखाने के लिए।

इस पर सुहानी ने मुझसे कहा- कभी मैं न हुई तो?

मैंने कहा- अभी तुम मुझे अच्छी तरीके से तैयार कर देना।

सुहानी ने कहा- ठीक है.. लेकिन अभी तो जो काम कहा है.. वो तो करो.. मुझे चोदो और मेरी प्यास बुझा दो।

मैंने कहा- ठीक है..

मैंने एक जोर का झटका लगाया.. मेरा पूरा लंड सुहानी की चूत में घुस गया। फिर मैंने जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।

करीबन आधा घंटे के बाद मैंने उससे कहा- मेरा अब पानी निकलने वाला है..

तो सुहानी ने कहा- मुझे तुम्हारा पानी पीना है.. तुम अपना पानी मेरे मुँह में निकाल दो।

मैंने वैसे ही किया.. अपना लंड सुहानी के मुँह में डाल दिया और सारा पानी सुहानी के मुँह में निकाल दिया.. और थक कर सुहानी के पास ही लेट गया।
सुहानी भी थक चुकी थी।

थोड़ी देर बाद सुहानी ने कहा- पिंटू आज के जैसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला।

सुहानी ने मुझे चुम्बन किया और सो गई रात को सुहानी ने मुझे जगाया और चोदने के लिए कहा।

उस रात मैंने सुहानी को कम से कम 4 बार चोदा.. सुबह मेरी आंख 9 बजे खुली जब सुहानी मेरे पास चाय लेकर आई।

मुझे चाय पीकर फिर से रात का कार्यक्रम चालू करने के लिए कहा।

दोस्तों में पहले ही थका हुआ था.. मगर शर्त के कारण मना भी नहीं कर सकता था।

सुहानी ने मुझसे सोनू के आने तक खूब चुदवाया और मुझे नए तरीके भी बताए।

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मम्मो का मसला तो लंड जकड गया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/mammo-ko-masla-to-land-jakad-gya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/mammo-ko-masla-to-land-jakad-gya.html#respond Tue, 20 Mar 2018 05:45:50 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12010 मम्मो का मसला तो लंड जकड गया, मैंने उसको अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा। वो राज़ी हो गई और लंड के ऊपर बैठ गई अब वो उछल-उछल कर चुदवाने लगी मैंने उसके सूट को ऊपर करके दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खूब दबाया और फिर वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गई अब मेरा भी निकलने वाला था मैंने उसको नीचे करके उसके पैरों को फैला कर लंड चुत में डाल कर उसको चोदने लगा

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मेरा नाम विभा है.. मैं कोलकाता में रहता हूँ। मैं आज आप लोगों को अपनी एक चुदाई की कहानी सुना रहा हूँ। यकीन मानो कि ये कहानी एकदम सच्ची है। ये मेरी और मेरी कजिन सिस्टर यानि चचेरी बहन की चुदाई की कहानी है। मैं दस दिनों के लिए अपनी मौसी के घर रहने गया था। जब मैं वहाँ पहुँचा तो सब बहुत खुश हुए। मेरी मौसी तो सबसे ज़्यादा खुश थीं.. क्योंकि वो मुझे सबसे ज़्यादा प्यार करती हैं। मेरी मौसी की बेटी प्रत्युषा भी बहुत खुश थी। मेरी मौसी की एक ही लड़की है। मौसा जी आगरा में जॉब करते हैं.. सो वो हफ्ते में एक बार ही घर आ पाते हैं।

दिन भर मैं ऐसे ही बातें करता रहा.. रात को खाना खाने के बाद टीवी देखने लगा।
मौसी बोलीं- तू हमारे साथ ही सो जाना।
मैंने ओके कह दिया।
वो सोने चली गईं। जब मैं टीवी बंद करके सोने गया तो मैंने देखा कि मौसी नीचे सो रही हैं और प्रत्युषा बेड पे सो रही है।
मैंने मौसी से पूछा- मैं कहाँ सोऊँ?
तब मौसी बोलीं- तुम बेड पर सो जाओ।

मैं बिस्तर के एक किनारे पर सो गया। अब तक मेरे अन्दर कोई भी ग़लत फीलिंग्स नहीं थी।
मुझे आधी रात को फील हुआ कि जैसे मेरे लंड को कोई सहला रहा है.. मेरी नींद खुल गई और मुझे पता चला कि वो हाथ प्रत्युषा के हैं।
मैंने उसके हाथ हटा दिए। लेकिन वो दुबारा मेरा हाथ पकड़ कर सहलाने लगी। अब मेरे अन्दर भी ग़लत फीलिंग्स आने लगीं, मैंने भी उसके हाथ को सहलाया। थोड़ी देर बाद वो मेरे हाथ को किस करने लगी और मेरे सीने से चिपक कर सो गई।

मैंने भी उसको अपनी बांहों में भर के उसके गालों पे किस किया, फिर उसने भी मुझे बांहों में भर लिया और मुझे किस करने लगी। मैंने उसके होंठों को भी किस करना शुरू कर दिया और एक हाथ उसकी छाती पर ले जाकर उसके मम्मों को सहलाने लगा। अब वो भी पूरा मस्त होकर मेरे होंठों को चूस रही थी। फिर मैंने एक हाथ उसके शर्ट के अन्दर डाल कर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को मसलना शुरू कर दिया, इससे उसकी साँसें तेज़ हो गईं।

फिर मैंने उसके सूट को ऊपर उठा कर उसकी ब्रा खोल दिया और बारी-बारी से उसके दोनों मम्मों को चूसने लगा।
अंधेरे में कुछ भी नहीं दिख रहा था लेकिन बहुत मजा आ रहा था।
15-20 मिनट तक हम दोनों ऐसे ही करते रहे।
उसके बाद मैंने अपने एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चुत को सलवार के ऊपर से दबाया। बहुत मजा आ रहा था, उस टाइम हम दोनों कोई बात नहीं कर रहे थे, बस मजा ले रहे थे।

फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर पेंटी के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चुत को सहलाने लगा। उसकी चुत में छोटी और रेशमी झांटें थीं। मेरी बहन की चूत पूरी गीली हो गई थी। ये मेरा पहला एक्सपीरियेन्स था जब मैं किसी के साथ रियल सेक्स करने का मजा ले रहा था। इससे पहले मैं सिर्फ़ पॉर्न मूवी देख कर लंड को हाथ से झाड़ लिया करता था।
जब मैं उसकी चुत को सहलाने लगा तो वो अपने आपको रोक नहीं पाई और मेरे कान में बोली- ऐसे ही करो.. बहुत मजा आ रहा है.. बस जोर से रगड़ो!

मैंने भी उसकी क्लिट को जोर से रगड़ना शुरू कर दिया और उसकी सलवार को घुटने तक सरका कर उसकी चुत में उंगली डाल दी।
वो बोली- प्लीज़ धीरे-धीरे करो.. दर्द हो रहा है।
उसने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया था।
मैंने उसकी चुत को दो उंगली से चोदना स्टार्ट किया। प्रत्युषा अपने एक हाथ को मेरे शॉर्ट्स में डाल कर मेरे लंड को पकड़ कर आगे-पीछे करने लगी। इस तरह फिंगरिंग करवाते हुए वो झड़ गई।

फिर वो मुझे नीचे करके मेरे ऊपर चढ़ गई.. मेरी बनियान को उतार दिया और अपने मम्मों को मेरी छाती से रगड़ने लगी.. किस करने लगी। तभी मैंने अपने शॉर्ट्स को नीचे किया और अपने लंड को उसकी दोनों जाँघों के बीच में घुसा दिया। प्रत्युषा ने अपनी दोनों जाँघों से मेरे लंड को दबा लिया।
कुछ देर बाद मैंने उसके कान में बोला- लंड लोगी अन्दर?
वो मना कर रही थी- नहीं, कभी नहीं लिया है।
मैं समझ गया कि इसका मन है।

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मैंने उसको अपनी नीचे लेटाया और उसके पैरों के बीच बैठ गया। प्रत्युषा की चुत को मैंने अपने हाथों से फैला कर चाटना चालू कर दिया, वो भी तड़प उठी, वो मेरे सर को पकड़ कर अपनी चुत में खींचने लगी।
मैंने उसकी चुत में अपनी जीभ डाल कर खूब चाटा.. बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने प्रत्युषा के पैरों को फैला कर लंड को उसकी चुत की फांक में रख कर थोड़ा सा प्रेस किया.. तो सिर्फ़ लंड का टोपा अन्दर गया। अब मैं प्रत्युषा के ऊपर लेट गया और उसके मम्मों को मसलने लगा, चूसने लगा।
वो बोली- अब पेल दो अन्दर।

फिर मैंने एक जोर का झटका मारा, पूरा 6” का लंड अन्दर डाल दिया। इसी के साथ मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया ताकि कहीं आवाज़ बाहर ना आ जाए।
उसको काफ़ी दर्द होने लगा, मैं उसी तरह उसके लिप्स को चूसता रहा और मम्मों के निप्पलों को सहलाता रहा।
थोड़ी देर बाद मैंने लंड को हिलाना शुरू कर दिया।
फिर वो भी नीचे से अपनी गांड उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने प्रत्युषा से पूछा- कैसा लग रहा है?
वो बोली- कुछ मत पूछो.. बस जोर-जोर से करते रहो।
दस मिनट में वो झड़ गई और मुझे जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया।
लेकिन मेरा अभी तक नहीं निकला था। मैं उसको जोर-जोर से चोदता रहा और प्रत्युषा दुबारा गर्म हो गई और गांड उठा कर चुदवाने लगी।

फिर मैंने उसको अपने लंड के ऊपर बैठने को कहा। वो राज़ी हो गई और लंड के ऊपर बैठ गई, अब वो उछल-उछल कर चुदवाने लगी।
मैंने उसके सूट को ऊपर करके दोनों मम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खूब दबाया और फिर वो मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गई।
अब मेरा भी निकलने वाला था, मैंने उसको नीचे करके उसके पैरों को फैला कर लंड चुत में डाल कर उसको चोदने लगा।
मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
तो बोली- अन्दर ही डाल दो।
लेकिन कोई प्राब्लम ना हो इसलिए, मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और सब माल उसके पेट के ऊपर गिरा दिया।

अब मैं उसके बगल में लेट गया और रात भर उसकी चुची चूसता रहा।
सुबह उसने अपनी पेंटी मुझे दिखाई, तो उसमें ब्लड लगा हुआ था।
वो पूछने लगी- कोई प्राब्लम तो नहीं होगी?
मैं बोला- पहली बार ऐसा होता है।
अगले दिन सुबह मेरे और प्रत्युषा के बीच में सब नॉर्मल बातें हो रही थीं लेकिन वो मेरे साथ ज्यादा हंस कर बात कर रही थी। इस दौरान मैं जब भी उससे अकेले मिलता तो चुपके से चींटी काट लेती थी। इस पर मैं बस हंस देता था, क्योंकि मैं सबके सामने उसे पढ़ाई के लिए बहुत डांटता था।

मौसी की हमेशा शिकायत रहती थी कि वो पढ़ती नहीं है.. दिन भर टीवी देखती रहती है। इस बात मैं उसे उसी वक्त डांट भी दिया करता था। उसके एग्जाम भी नज़दीक थे, इसलिए मौसी बोलीं- तुम ज़रा उसकी हेल्प करो और ज़बरदस्ती बैठा कर पढ़ाओ।
मैंने भी हाँ कर दिया। दस बजे मौसी को एक सत्संग में जाना था (नाम नहीं बताऊँगा) और मौसी उनकी सास को लेकर चली गईं। अब घर में सिर्फ़ मैं और प्रत्युषा रह गए थे।
मैंने प्रत्युषा को कहा- चल पढ़ाई स्टार्ट करते हैं।
वो बोली- नहीं टीवी देखेंगे।
लेकिन मेरे कहने से वो मान गई।

हम दोनों कमरे में आ गए और वो किताब खोल के बैठ गई। उस वक्त मेरे मन में कोई भी ग़लत थिंकिंग नहीं थी.. क्योंकि मैं डरता था कि दिन का टाइम है.. कोई भी आ सकता है।
लेकिन प्रत्युषा कुछ देर बाद बोली- कल आपने क्या किया मेरे साथ?
मेरा मुँह लाल हो गया और मैंने सॉरी बोलते हुए कहा- ग़लती हो गई, पर स्टार्ट तो तुमने की थी।
उसने बोला- अच्छा मैं तो सो रही थी, आप ही मेरे हाथों को सहला के किस करना शुरू किए थे।
तब मैं बोला- छोड़ो जो हुआ उसे भूल जाओ।
तो वो बोली- नहीं.. मैं नहीं भूलूंगी।
मैं बोला- क्यूँ?
तो वो बोली- मुझे अच्छा लगा था।

अब उसकी बातें सुन कर मैं भी थोड़ा हॉट हो गया।
मैंने उससे पूछा- सबसे अच्छा क्या लगा?
वो बोली- सब कुछ, पहले तो बहुत दर्द हुआ, पर उसके बाद बहुत मजा आया। आप सच में बहुत प्यार करते हो।
मैं बोला- क्या आज भी करेंगे?
वो बोली- आज क्यों.. अभी ही करते हैं।
मैं बोला- कोई आएगा तो नहीं?
वो बोली- अभी कोई नहीं आएगा।

मैंने अपनी बांहें फैला दीं और वो किताब साइड करके मेरी बांहों में आ गई और मैंने उसे बांहों में भर लिया। उसने भी मेरी छाती में अपना सर रख कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
वो उस वक़्त एक पेंट और शर्ट (गर्ल्स वाली नाइट ड्रेस) पहने हुई थी। मैं उसकी पीठ सहला कर उसके माथे पे किस कर रहा था। पीठ पर हाथ फेरने से मुझे महसूस हुआ कि उसने ब्रा नहीं पहनी है।
मैंने उससे पूछा- ब्रा क्यों नहीं पहनी है?
वो बोली- आप के लिए..
मैंने पूछा- क्यों?

तो वो बोली- मैं जानती थी कि हम आज अकेले रहेंगे और सेक्स करेंगे।
तो मैंने बोला- वेरी स्मार्ट गर्ल।
प्रत्युषा- हाँ, आई एम स्मार्ट गर्ल।
फिर मैंने उसके चेहरे को ऊपर करके उसके लिप्स को किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबा रहा था। कुछ देर बाद मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल कर मम्मों को खोल दिया। मैं उसके मम्मों को देख कर पागल हो गया।
उसके गोरे बदन पर दो ठोस बॉल और उस पर गुलाबी निप्पल भी बहुत क्यूट लग रहे थे।

वो उस वक़्त एक पेंट और शर्ट (गर्ल्स वाली नाइट ड्रेस) पहने हुई थी। मैं उसकी पीठ सहला कर उसके माथे पे किस कर रहा था। पीठ पर हाथ फेरने से मुझे महसूस हुआ कि उसने ब्रा नहीं पहनी है।
मैंने उससे पूछा- ब्रा क्यों नहीं पहनी है?
वो बोली- आप के लिए..
मैंने पूछा- क्यों?
तो वो बोली- मैं जानती थी कि हम आज अकेले रहेंगे और सेक्स करेंगे।
तो मैंने बोला- वेरी स्मार्ट गर्ल।
प्रत्युषा- हाँ, आई एम स्मार्ट गर्ल।

फिर मैंने उसके चेहरे को ऊपर करके उसके लिप्स को किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबा रहा था। कुछ देर बाद मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल कर मम्मों को खोल दिया। मैं उसके मम्मों को देख कर पागल हो गया।
उसके गोरे बदन पर दो ठोस बॉल और उस पर गुलाबी निप्पल भी बहुत क्यूट लग रहे थे।

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मैंने उसे खड़ा किया और उसके दोनों मम्मों को दोनों हाथों से खूब दबाया।
वो बोली- प्लीज़ कल जैसे चूस रहे थे, वैसे ही चूसो ना।

मैंने उसकी शर्ट को बिल्कुल से अलग कर दिया और अब वो सिर्फ़ पेंट में मेरे सामने खड़ी थी। मैंने उसे बांहों में भर लिया और उसके नंगी पीठ को खूब सहलाया। मैं लगातार उसकी गर्दन पे किस कर रहा था और वो मेरे शॉर्ट्स के ऊपर से मेरे लंड को सहला रही थी। इससे मेरा लंड भी बहुत हार्ड हो गया।

फिर मैं उसे छोड़ कर अपनी बनियान, शॉर्ट्स और अंडरवियर उतार के नंगा हो गया। उसने जैसे ही मेरे खड़े लंड को देखा, तुरंत पकड़ लिया।
प्रत्युषा बोली- भैया, क्या मस्त लंड है तुम्हारा, कितना मोटा है.. देखने से तो डर लगता है।
मैं- पर कल तो यही तुम्हारी चूत में गया था।
प्रत्युषा- इसी लिए इतना दर्द हुआ और बाद में तो इसने बहुत मजा दिया।

मैं- इसको मुँह में लेकर प्यार करो।
वो नीचे बैठ कर लंड चूसने लगी।
मेरी तो हालत खराब हो गई.. अह.. क्या मजा आ रहा था… वो साली लंड को एकदम लॉलिपॉप की तरह चूस रही थी।

कुछ देर बाद मेरे लंड का रस निकलने वाला था तो मैंने लंड उसके मुँह से निकाल लिया और उसके मम्मों को पर सारा रस गिरा दिया।
फिर मैंने उसको बांहों में भर लिया और उसकी पेंट और पेंटी निकाल दी। वो इस वक्त पूरी सेक्स की परी लग रही थी।

आप कल्पना करो कि एक लड़की को नंगी करने का बाद क्या नशा चढ़ता है। सेक्स का नशा शायद दारू के नशा से भी मस्त होता है।

फिर मैंने उसको बिस्तर पर लेटा दिया और बोला- मैं तुम्हारा बेबी हूँ.. मुझे अपना दूध पिलाओ ना!
प्रत्युषा मेरी तरफ मुँह करके बोली- ओके माय बेबी.. चलो मुँह खोलो और मेरा दूध पियो।

उसने अपनी एक चुची को एक हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह में भर दिया और मैं मज़े से चुची चूसने लगा। साथ ही में एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा। उसकी चूत की रेशमी झांटें मुझे बहुत पसंद आ गई थीं।
कुछ ही देर में उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी। मैंने उसका एक पैर अपनी कमर के ऊपर रख लिया और उसकी चूत को सहलाने लगा, फिर दो उंगलियों से चूत को चोदने लगा।
वो लगातार कामुक सिसकारियाँ भर रही थी और मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाने लगी थी।

फिर मैंने उसको पीठ के बल लेटा दिया और उसके मम्मों को प्रेस करके और किस करते हुए नीचे की तरफ आ गया।
वो मेरे बालों में अपनी उंगली फेर रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी।
जब मैं उसकी चूत के पास आया, तो पहले उसे एक किस किया और उसके दोनों पैरों को ऊपर करके फैला दिया। उसकी चूत के लिप्स फ़ैल गए और चूत के अन्दर की लालामी दिखने लगी। किसी चूत को देखने का ये मेरा पहला अनुभव था। इससे पहले मैंने सिर्फ़ पॉर्न मूवी में ही चूत मम्मे आदि देखे थे।

मैंने उसकी चूत में मुँह रख दिया और भूखे शेर की तरह चूत को चाटने लगा। वो भी पागल हो गई और मेरे सर को अपनी चूत में दबा कर चूत की खाज मिटवाने लगी।
कुछ देर चूत चटवाने के बाद वो अकड़ गई और उसकी चूत से गाढ़ा सफेद पानी निकलने लगा। चूत रस मेरे मुँह से लगा तो मैं रस सूंघने लगा।

जब मैंने अपना मुँह उठा कर देखा तो चूत झलाझल बह रही थी, मैं समझ गया कि वो झड़ गई है। मैं तुरंत उसकी चूत को चाटने लगा। उसका रस नमकीन और मस्त स्वाद का था। मैंने ये चीज़ पॉर्न मूवी में देखी तो थी लेकिन ये नहीं मालूम था कि चूत के पानी का स्वाद कैसा होता है। कुछ देर में वो ढीली पड़ गई।

मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
तो वो कुछ नहीं बोली और उसने बांहें फैला दीं।
मैं उसके ऊपर लेट गया, वो मुझे किस करने लगी और उसने कहा- आई लव यू।
मैंने भी चुदास के नशे में उसको ‘आई लव यू टू..’ कह दिया।

फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसको किस करके उसके मम्मों को चूसने लगा। साथ ही मैं अपना मोटा लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा। वो गर्म हो गई और बोली- प्लीज़ अब डाल दो अन्दर.. मुझे और ना सताओ। मैं उसके ऊपर से उठ गया और दोनों पैरों को फैला कर बीच में बैठ गया। उसको दोनों पैरों को ऊपर उठाने को कहा और उसने झट से पैर उठा लिए।

अब मैंने उसकी गीली चूत में अपना लोहे जैसे तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़ कर उसकी चूत में रगड़ने लगा। मैं उसको पूरा तड़पाना चाहता था। यही हुआ.. कुछ ही पलों में वो तड़पती हुई बोली- कितना तरसाते हो.. अब घुसा दो प्लीज़। मैंने लंड के टोपा चूत के अन्दर घुसा दिया। उसके मुँह से लंबी सिसकारी निकली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊऊऊऊ..

मैं धीरे-धीरे पेलता गया और उसकी सिसकारियाँ बढ़ती गईं। जब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया, तब उसकी चूत का हाल देखने लायक था। उसकी चूत एक मछली के मुँह जैसे हो गई थी और लग रहा था जैसे कोई सांप उसके मुँह में घुसा हुआ है। मैं लंड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर कर रहा था।

प्रत्युषा बोली- क्या कर रहे हो, ज़रा जोर से करो ना, बहुत मजा आ रहा है.. और जोर से चोदो मेरी जान!
मैं उसके ऊपर पूरा चढ़ गया और अपनी स्पीड थोड़ी तेज़ कर दी.. क्योंकि मैं उसको देर तक चोदना चाहता था।

मैंने धीरे-धीरे स्पीड को बढ़ाया, मेरा लंड पिस्टन की तरह अन्दर-बाहर हो रहा था, ‘छप.. छप..’ की आवाज़ भी हो रही थी और दोनों की साँसें टकरा रही थीं।

वो दोनों हाथों से मेरी पीठ और गांड सहला रही थी। मैं दनादन धक्के पर धक्का लगा रहा था। बीच में वो फिर से झड़ गई, पर मेरा अभी भी निकला नहीं था। फिर हम दोनों नीचे ज़मीन पर आमने-सामने खड़े हो गए, मैंने उसके एक पैर को उठा कर बिस्तर पर रख दिया, फिर सामने से मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और इसमें मुझे बहुत मजा आया। अब मैंने उसको चोदना स्टार्ट किया, अगले 5 मिनट में मेरा माल भी निकलने वाला था।

मैंने पूछा- कहाँ निकालूँ?
वो बोली- अन्दर छोड़ दो।
मैं बोला- प्राब्लम हो गया तो?
फिर वो बोली- नहीं, मेरा पीरियड शुरू होने वाला है।

मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और बिस्तर पर सीधा लेट गया, फिर प्रत्युषा भी मेरे ऊपर लेट गई। मैं उसको किस कर रहा था और उसकी पीठ और गांड सहला रहा था। कुछ देर बाद वो मेरे बगल में लेट कर मेरे लंड को हिलाने लगी। मैं उसके मम्मों को पीने लगा और चूत को छेड़ने लगा। कुछ ही देर में हम दोनों फिर गर्म हो गए, मेरा लंड सख्ती से खड़ा हो गया था, अब वो मेरे लंड को किस करके मेरे लंड पर बैठ गई और अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी। उसके दोनों मम्मे हवा में हिलने लगे, बड़ा मस्त लग रहा था।

मैं आप लोगों को बता नहीं सकता, जिसने ऐसी मस्त चूत चोदी होगी, केवल वो ही इस मजे को समझ सकता है। सच में कितना मजा आता है, जब कोई लड़की लंड के ऊपर बैठ कर चुदवाती है।

फिर मैंने उसको उल्टा बैठने को कहा, तो वो उठ कर मेरे मुँह की तरफ पीठ करके लंड के ऊपर बैठ कर गांड को ऊपर-नीचे करते हुए चोदने लगी। मैंने उसके दोनों हाथ को पकड़ कर पीठ के बल मेरे ऊपर लेटा दिया और उसके दोनों मम्मों को दबाने लगा। उसकी चूत में लंड से दबा कर चोदने लगा। वो झड़ने वाली थी और इसलिए पलट कर फिर लंड के ऊपर बैठ के मेरे ऊपर लेट गई और जोर-जोर से अपनी चूत में लंड अन्दर-बाहर करने लगी। अंततः जब वो झड़ी तो मुझे जोर से पकड़ लिया, उसकी चूत में से गरम-गरम रस निकल रहा था, जो मेरा लंड में फील हो रहा था।

इधर मेरा भी झड़ने वाला था, फिर मैं उसको अपनी नीचे लेटा कर चोदने लगा। कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया। झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर लेट गया। हम दोनों ही हाँफ रहे थे जैसे कि 100 मीटर्स की रेस दौड़ कर आए हों.. हमें बहुत मजा आया। फिर हम हर रोज दिन और रात में दो बार सेक्स करने लगे थे। ये मेरी बहन की चुदाई की सच्ची कहानी है, इसमें एक शब्द भी काल्पनिक नहीं है।

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उसकी चुत में मेरा लंड आगे पीछे होता | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/usaki-chut-me-mera-lund-aage-piche-hota.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/usaki-chut-me-mera-lund-aage-piche-hota.html#respond Tue, 20 Mar 2018 04:46:08 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11986 उसकी चुत में मेरा लंड आगे पीछे होता, उन्होंने बताया उनका पति दुबई रहता जब आता है तब ही वो सेक्स कर पाती है नहीं तो बस ऐसे ही रात को करवट बदल-बदल कर गुजारनी पड़ती है उनके मुँह से ये सुनकर मैं उनकी और थोड़ा ओर आकर्षित हो गया फिर मैंने उनसे कहा मैं आपकी ये समस्या दूर कर सकता हूँ

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हाय गाइस… मेरी एंट्री थोड़ी लेट होती है, बट जब भी होती ग्रेट होती है..चलिए दोस्ती जब एंट्री मार ही लिया हूँ तो आपको अपनी एक कहानी भी सुना देता हूँ उससे पहले अगर आप लोगो को रिश्ते में सेक्स करना ये बात अच्छी नहीं लगाती तो प्लीज मेरी इस कहानी को न पढ़े. इस कहानी की हीरोइन कविता भाभी के बारे में बता दूँ। उनका कद पांच फुट तीन इंच का और रंग गोरा है। उनका वक्ष स्थल यानि चूचों का साइज करीब छत्तीस इंच का है। भाभी देखने में ऐसी लगती हैं कि मानो परी हों। जब वो चलती थीं.. तो उनके कूल्हे ऐसे मटकते कि अच्छे से अच्छे लोगों की भी पैंट गीली हो जाए |

ये बात आज से दो साल पहले की है.. जब मैं नौकरी के सिलसिले में मुंबई गया था। वहां मंगोलपुरी में मैंने किराए पर एक कमरा लिया। मेरी नौकरी में मेरी ड्यूटी कभी सुबह.. कभी रात को होती थी, क्योंकि मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था।

उन दिनों मेरी रात की ड्यूटी थी.. तो सुबह पांच बजे मैं अपने कमरे में आ जाता था और सो जाता था।

उस दिन मैं करीब ग्यारह बजे सोकर उठा और अपने कमरे की बालकनी में आकर खड़ा हो गया। उस दिन मैंने कविता भाभी को पहली बार देखा था।
मैं तो उन्हें देखता ही रह गया… वाह.. क्या मस्त भाभी थीं।

मेरे कमरे की स्थिति कुछ ऐसी थी कि अगर मैं अपने ऊपर वाले कमरे की बालकनी में आ जाऊं.. तो मुझे उनके घर के अन्दर थोड़ा-थोड़ा दिख जाता है।

जब मैंने भाभी को देखा तो अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थीं। जब वो झाड़ू लगा रही थीं.. तो उनका पल्लू कभी नीचे गिर जाता.. तो उनके चूचों के बीच की दरार दिख जाती। मुझे इस तरह से उनको देखने में बड़ा मजा आ रहा था।

कई दिन ऐसे ही निकल गए।
एक दिन उन्होंने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया.. पर वो बोलीं कुछ नहीं।

फिर एक दिन मैं पड़ोस की दुकान में सामान ले रहा था.. तो वो भाभी भी वहीं आ गईं।
मैं वहाँ से जाने लगा तो उन्होंने मुझे आवाज लगाई- सुनिए, आपका पर्स गिर गया है।

वो मेरा नाम नहीं जानती थीं.. तो मैं मुड़कर उनके पास गया। मैंने पर्स उठाया और उन्हें थैंक्स बोला।
यहीं से हमारी बातचीत शुरू हुई और हम चलते-चलते बात करने लगे।

उन्होंने मेरे बारे में पूछा.. तो मैंने भी उनके बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि उनका पति दुबई में बिज़नेस करता है और साल में दो-तीन महीने के लिए आता है।
उनके घर में उनके अलावा उनकी सास और ससुर रहते हैं और एक छोटा देवर भी रहता है।

मुझे भाभी से बात करना अच्छा लग रहा था.. तो मैंने भाभी को अपना फ़ोन नंबर दिया और उनसे उनका नंबर ले लिया।

अगले दिन मैंने उनको फ़ोन किया तो उन्होंने उठाया तो हम बात करने लगे।
कुछ दिन हम नार्मल बात करते रहे।

एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम मुझे उस दिन ऐसे क्यों देख रहे थे.. जब मैं बाहर झाड़ू लगा रही थी?
मैंने कहा- भाभी आपकी वक्ष के बीच में बनी दरार मुझे बड़ी अच्छी लगती है।

इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और हंस दीं।

मुझे हिम्मत मिली और मैंने आगे बात बढ़ाई। फिर धीरे-धीरे हम अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने लगे। कब ये बात सेक्स में बदल गई.. पता ही नहीं लगा।

इसी दौरान उन्होंने बताया कि उनका पति जब आता है तब ही वो सेक्स कर पाती है.. नहीं तो बस ऐसे ही रात को करवट बदल-बदल कर गुजारनी पड़ती है।

उनके मुँह से ये सुनकर मैं उनकी और थोड़ा ओर आकर्षित हो गया.. क्योंकि अकेली रह रही भाभी को देखकर कोई भी उनकी तरफ खिंचा जा सकता था।
मैंने उनसे कहा- मैं आपकी ये समस्या दूर कर सकता हूँ।
उन्होंने बिना कुछ कहे फ़ोन रख दिया।

मैंने सोचा कि पता नहीं मैंने क्या गलत कह दिया.. कहीं भाभी मुझसे नाराज तो नहीं हो गईं।
मैंने कुछ दिन फ़ोन नहीं किया।

लगभग दस दिन बाद भाभी का खुद फ़ोन आया तो उन्होंने कहा- तुम मेरी समस्या को कैसे दूर करोगे?
मैंने कहा- जैसे आपको ठीक लगे।
उन्होंने कहा- मैं आज तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने कहा- शाम को मिलते हैं.. अभी मेरी ड्यूटी है।
उन्होंने कहा- ठीक है।

शाम को हम मिले.. तो उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरी समस्या को मेरे साथ सेक्स करके दूर कर सकते हो.. क्योंकि मैं सेक्स की भूखी हूँ।

मैंने कहा- क्यों नहीं भाभी.. आप कहो और मैं न करूं। मैं भी कब से यही सोच रहा था.. इसीलिए तो उस रोज के बाद मैं आपको बाल्कनी से देखता था।
उन्होंने कहा- कल मेरे घरवाले शादी के लिए ग्वालियर जा रहे हैं.. मैं नहीं जा रही। तुम कल रात को मेरे घर आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।

उन दिनों मेरी ड्यूटी भी दिन के समय की थी। मुझे जाने में कोई दिक्कत नहीं थी और अगर होती भी तो छुट्टी ले लेता। क्योंकि जो मैं चाहता था.. वही होने वाला था।

मैं अगले दिन शाम को खाना खाकर आठ बजे उनके घर चला गया। मेरे मन में तो सेक्स हिलोरें खा रहा था।

मैंने उनके घर की बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला। उन्होंने स्लीवलेस कुर्ती और पजामा डाला हुआ था। मैंने सोचा कि शायद वो रात को यही पहन कर सोती हैं।

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मैं उन्हें देखता ही रह गया और उन्हें देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया।

भाभी जी ने मुझे अन्दर बुलाकर सोफे पर बिठाया और पानी लाकर दिया।
वो मेरे पास बैठ गईं.. तो मैंने उनसे कहा- मुझे पानी की प्यास नहीं है.. मुझे आपकी प्यास है।
यह कहते हुए मैंने उन्हें अपनी बांहों में पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगा।
वो बोलीं- यहाँ नहीं.. कमरे में चलते हैं।

हम दोनों उठकर बेडरूम में आ गए, वहां जाकर भाभी ने दरवाजा बंद किया।
अब मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा।

वो भी पलट गईं और मुझे भी कस कर पकड़ लिया, फिर हम एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
कुछ देर यूं ही चलता रहा।

उसके बाद मैं भाभी जी को गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उनके ऊपर आकर भाभी की कुर्ती में हाथ डालकर उनके चूचों को दबाने लगा। उनकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई।

उसके बाद मैंने देर न करते हुए उनकी कुर्ती निकाल दी। नंगी भाभी के शरीर का खुला नजारा देख कर मैंने कहा- वाह भाभी.. कहाँ छुपा कर रखा था इस खूबसूरत जिस्म को?
उन्होंने कहा- कहीं नहीं.. यहीं तो थे आपके सामने.. जिन्हें आप मुझे झाड़ू लगाते हुए देखते थे।

मैंने हँसते हुए उनकी ब्रा भी निकाल दी। ब्रा निकालने के बाद भाभी के चूचे ऐसे लग रहे थे जैसे काफी समय से किसी ने उन्हें छुआ ही न हो।

मैंने भाभी की नंगी चूचियों को दबाना और चूसना शुरू किया तो भाभी सिसकियाँ निकालने लगी थीं।

वो कह रही थीं- रोनित मेरी जान.. और जोर से चूसो मेरे चूचों को.. काफ़ी समय से इन्हें किसी ने नहीं चूसा है.. चूस चूस.. कर इन्हें लाल कर दो।

मैं और तेजी से उनके चूचे चूसने लगा और उनके काले काले निप्पलों को काटने लगा। भाभी को भी मजा आ रहा था और वो लगातार ‘आह.. आह.. हां ऐसे ही चूसो आह..’ की आवाज निकाल रही थीं।

करीब दस मिनट तक भाभी के चूचे चूसने के बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड भाभी को चूसने के लिए बोला तो भाभी ने झट से मेरा लंड पकड़ कर मुँह में भर लिया और चूसने लगीं।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. क्योंकि भाभी एकदम पागलों की तरह मेरा लंड चूस रही थीं।

मैंने भाभी की नंगी चूत में अपनी एक उंगली डाली.. तो उनकी ‘आह..’ निकल गई। मैंने भाभी की चूत में उंगली को आगे-पीछे करना शुरू किया।

भाभी पागल सी हो गईं.. और मेरे हाथ में ही झड़ गईं।

मैंने अपना मुँह उनकी चूत की तरफ किया और भाभी की चूत को चूसने लगा, वो मेरा लंड चूस रही थीं।
इसी बीच मैं भी भाभी के मुँह में होने वाला था.. तो मैंने भाभी जी से कहा- मैं होने वाला हूँ।

तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.. बस लंड चूसती रहीं।
मैं भाभी जी के मुँह में ही झड़ गया, वो मेरे लंड से निकले सारे माल को पी गईं.. फिर भी मेरा लंड को पागलों तरह चूसती रहीं।

मुझे थोड़ी अकड़न सी होने लगी.. तो मैंने उन्हें रोका और उनके चूचों को चूसने लगा।

पांच मिनट बाद भाभी फिर मेरे लंड को चूसने लगीं.. और अब उन्होंने मेरे लंड को चूस-चूस कर खड़ा कर दिया।
भाभी बोलीं- अब इसे मेरी चूत में उतारो.. मुझसे नहीं रहा जा रहा है।

मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाकर उनकी कमर के नीचे तकिया लगाया और चूत पर अपना लंड रखा। मैंने भाभी की आंखों में देखा और एक धक्का मार दिया। मेरा लंड एक इंच ही अन्दर गया होगा कि उन्होंने चीख मारी।

मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा। इस बार मेरा आधा लंड उनकी चूत में समां गया।

उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया। जब उन्हें मजा आने लगा तो फिर भाभी जी खुद अपनी कमर उठा-उठाकर मुझसे चुदने लगीं और मेरे लंड को अपने अन्दर तक डलवाने लगीं।

साथ में भाभी चिल्ला रही थीं- आहह रॉनित.. फाड़ दे इसे आज.. बहुत दिन से तड़प रही है ये.. किसी के लंड के लिए.. अहह.. आज बुझा दे इसकी आग..
मैंने कहा- भाभी जी आज मैं आपकी चूत की पूरी तसल्ली करवा दूँगा और आज मैं भी इसे छोड़ने वाला नहीं हूँ।

मैं भी बहुत दिनों से सेक्स का भूखा था और फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मैंने भाभी को बीस मिनट तक चोदा और अंत में मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया। फिर मैं भाभी के शरीर पर ही लेट गया।

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर भाभी ने पूछा- बहुत अच्छा चोदा तुमने.. क्या तुमने पहले भी किसी से सेक्स किया है?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी.. मेरी एक गर्ल फ्रेंड थी कोमल.. उसे मैंने चोदा है। एक बार उसे और उसकी फ्रेंड को भी चोदा है।

उसके बाद भाभी और मैं बाथरूम में गए और एक-दूसरे को साफ़ किया। वहां भी हमने शावर के नीचे एक-दूसरे को चूमते हुए सेक्स किया।

इस रात हमने चार बार सेक्स किया।

फिर मैंने भाभी को गर्भ निरोधक गोली दे दी। अगले दिन मैंने भाभी को उनके बेडरूम की दीवार के सहारे खड़ा करके.. मेज के ऊपर लिटाकर और कुर्सी पर बिठाकर भाभी जी चूत और गांड दोनों मारी।

जब भी मुझे मौका मिलता मैं उनके अच्छे देवर की तरह रोज चुदाई करता हूँ।

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बहन की नंगी चुत में छोटे भाई का लंड | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/bahan-ki-nangi-chut-me-chhote-bhai-ka-lund.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/bahan-ki-nangi-chut-me-chhote-bhai-ka-lund.html#respond Tue, 20 Mar 2018 03:30:53 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11987 बहन की नंगी चुत में छोटे भाई का लंड,

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हैल्लो दोस्तों, आज में जो कहानी आप सभी पढ़ने वालों के लिए लेकर आया हूँ यह मेरी अपनी एक सच्ची घटना है जो कुछ समय पहले मेरे साथ घटी और इस घटना के बाद मेरे साथ साथ मेरी बहन का जीवन और उसके जीने का तरीका बिल्कुल ही बदल गया। हम दोनों के अंदर बहुत ज्यादा बदलाव आ गया और हमारा व्यहवार एकदम बदल गया था। उस घटना को में आज तक नहीं भुला सका, इसलिए आज आप सभी को लिखकर सुना रहा हूँ यह मेरे बदले की भवना के ऊपर आधारित है मुझे पता नहीं यह सब आपको कैसा लगे प्लीज मुझे जरुर बताए।

दोस्तों में अपने घर में सबसे छोटा हूँ और मेरी उम्र 18 है और मेरे परिवार में मेरी मम्मी पापा के अलावा मेरी बड़ी बहन जिसका नाम रूबी है उसकी उम्र 22 साल वो बहुत सुंदर गोरी होने के साथ साथ मस्त सेक्सी भी लगती है उसकी लम्बाई 5.5 है और उसके बूब्स का आकार 32-30-34 है और मेरा एक भाई है जो उसकी शादी होने के बाद अब हम सभी से अलग रहता है। दोस्तों में शुरू से ही बिल्कुल सीधा था और किसी से कुछ भी नहीं कहता था और इस बात की वजह से बचपन से ही मुझे बहुत परेशान किया जाता था।

मेरे दोनों भाई बहन मुझे हमेशा किसी भी बात के लिए डांट खिलाते और वो मेरा मज़ाक भी हमेशा बहुत उड़ाते थे और में मन ही मन में ना जाने क्या क्या बातें सोचता रहता था। मेरे मन में बहुत गलत गलत बातें वो विचार आते थे। अब कॉलेज में आने के बाद भी मुझे भोंदू कहा जाता और मेरी बहन मुझे घर में बहुत परेशान किया करती थी, माँ को शिकायत करने पर वो मुझसे कहती थी कि तुम्हारा तो यह हमेशा का काम है और मेरी बहन के 20 जन्मदिन की पार्टी पर उसके दोस्तों के सामने उसने मेरा बहुत मज़ाक उड़ाया जिसकी वजह से में बहुत दुखी हुआ, लेकिन उस बात से किसी को कुछ भी फर्क नहीं पड़ा बस मेरे आलावा।

अब में अपने खोए हुए धेर्य को पाने की बहुत कोशिश किया करता था, लेकिन उन सभी का व्यहवार मेरे प्रति ऐसा ही हो गया था और अब किसी तरह में अपनी पढ़ाई और अपने भविष्य पर ध्यान रखता और धीरे धीरे बातों से मैंने अपनी बहन की वॉट लगाना सीख लिया था और इस पर वो भड़ककर मेरे खिलाफ लोगों से कुछ भी बातें बनाकर बकचोदी करने लगी थी। कभी मेरी कही बात पर कोई तीसरा मज़ाक बनाता जो वहाँ पहले कभी नहीं होता था और कभी उसके दोस्त और भाई मिलकर मेरी बजाते। अब मेरे मन में बदले की भावनाए आनी ही थी, क्योंकि उनमे मेरे लिए कोई दया के भाव नहीं दिखते थे और उन्होंने परिवार में होते हुए भी मुझे दूसरो जैसे रिश्ते रखे। एक दिन रूबी के कॉलेज में प्रोग्राम था और में और भाई भी वहां पर गये थे वहाँ जाकर मैंने विचार किया कि रूबी का यह स्वभाव और भी कई लोगों के प्रति वैसा ही खराब हर किसी का मज़ाक उड़ाने वाला था और उन लोगों में दोस्ती की बजाए सिर्फ़ राजनीती चलती थी और वहाँ सब बिखर गए, भाई अपने दोस्तों के साथ, में अपने और रूबी अपने दोस्तों के साथ थी।

फिर में कुछ देर चले उस डांस प्रोग्राम के बाद अब चल रहे गाने से बोर हो गया था और अब में बाहर आकर पीछे के जाकर अपने मोबाइल पर इंटरनेट चलाने लगा था। तभी मैंने देखा कि रूबी वहाँ से लॅडीस टॉयलेट के लिए निकली और मुझे वहां पर देखकर भी उसने बिल्कुल अनदेखा कर दिया था, लेकिन मैंने कुछ देर बाद देखा कि दो लड़के पीछे के रास्ते से छुपते हुए आ गए और फिर उन्हे मैंने रूबी के पीछे उसी टॉयलेट में घुसते हुए देखा। दिल के एक कोने में आवाज़ उठी कि में उन्हे अभी जाकर पीट दूँ और अपने दोस्तों को भी फोन कर दूँ, लेकिन जिंदगी का एक सबक मैंने ऐसी दुनिया से दूर रहकर भी सीखा था कि जो तुम्हारे साथ ढंग से व्यहार ना करे उसके साथ अच्छाई करके तुम खुद से ही बुरा करोगे और वो भी बुरा ही करेगा, क्योंकि अब वो जमाना गया जब तुम्हे काँटा देने वाले को फूल देने की बात हुआ करती थी, लेकिन वो मेरी बहन थी इसलिए में पास की खिड़की से अंदर की तरफ झांकने लगा कि तब तक में कुछ सोच ना लूँ।

अब अंदर झाकते ही मुझे दिखा कि एक लड़के ने उसका मुँह बंद करके उसको पीछे से पकड़ रखा था और दूसरे ने टॉयलेट का दरवाजा बंद करके उससे कहा कि तू हमेशा बहुत उछलती है साली तू अपने छोटे से फ्रेंड सर्कल के साथ मुझे हिजड़ा कहकर बदनाम करने चली थी और तू अपने आप को सबसे स्मार्ट समझती है, तुम लोग बहुत समझदार बनते हो, आज में तुझे असली दुनिया दिखाता हूँ। दोस्तों उसके मुहं से यह शब्द सुनकर मेरे अंदर भी मन में बदले की भावना आ गई और मुझे कुछ ही पल में वो सारा सब कुछ याद आ गया जो भी रूबी ने मेरे साथ हमेशा किया था और में नहीं जानता था कि मुझे उस घटना को कैसे लेना चाहिए? लेकिन में आज उसकी उस चुदाई को यादगार बनाना चाहता था इसलिए मैंने अपना मोबाइल निकाला और यह बात सोचते हुए कि उसकी पहले भी मदद करके मुझे उसकी तरफ से खिल्ली ही उड़ी और आज उसको इन सबका सबक मिलना ही चाहिए और यह बात सोचकर में उसका वीडियो बनाने लगा।

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फिर उनके आपस के संबोधन से मुझे पता चला कि जो लड़का मुँह पकड़े पीछे खड़ा था वो बृजेश था और आगे वाला अमित। अब अमित ने अपनी बात पूरी करते हुए रूबी के पैर पकड़े और उसको ज़मीन पर खींचते हुए उसकी जींस का बटन खोलकर चेन को भी खोलने लगा और रूबी उऊन उऊन करके छटपटा रही थी और फिर उसने अपने एक पैर को छुड़ाते हुए अमित को एक जोरदार लात दे मारी और अब वो बृजेश का हाथ काटने की कोशिश करती रही। फिर मैंने देखा कि उसका चेहरा अब डर की वजह से एकदम लाल पड़ गया था और वो बहुत घबराई हुई अपनी जिंदगी की पहली असली लड़ाई लड़ रही थी।

अब बृजेश ने अपनी पकड़ को पहले से ज्यादा मजबूत कर दी और अमित ने खुद को सम्भालकर उसकी जींस को निकालकर खीचते हुए पूरी उतार दी और वो उसकी गोरी तड़पती हुई जांघों पर हाथ फेरते हुए हंसने लगे और बोले अब तू बदनाम होगी और अगर तूने खुद किसी को बाहर जाकर बताया तो भी मेरे पापा के नेताओं और जज से बहुत अच्छी जान पहचान है इसलिए वो मुझे बचा लेंगे, तेरा बाप क्या है बस एक कंपनी का मैनेजर और अगर तूने किसी को नहीं बताया तो में कॉलेज में फैला दूँगा कि तुझे चोदा है और अब बृजेश ने उसकी और अमित के हाथ उसकी जाँघो पर रखकर एक फोटो अपने मोबाइल में क़ैद कर ली और वो दोनों ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे और वो रूबी से कहने लगे कि आराम से दे दे और वैसे भी इस वाले टॉयलेट में कोई भी नहीं आता जो तुझे बचाएगा। अब रूबी ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और अमित ने उसकी पेंटी को उतारकर उसकी घने बालों वाली चूत को एक पप्पी दी और अपनी जीभ से उसकी चूत को थोड़ा सा टटोला और उसके बाद उसके टॉप को ऊपर उसके कंधे तक उठाकर उसकी ब्रा को खींचकर तोड़ दिया और अब वो उसके बूब्स को चाटने लगा।

फिर बृजेश ने अब तक अपना रुमाल उसके मुहं पर कसकर बाँध दिया और उसके बाद उसको नीचे लेटाकर उसके दोनों हाथों को दोनों तरफ करके अपने जूतों से दबा दिए, जिसकी वजह से वो दर्द से करहा उठी। अब अमित ने उसके बूब्स को चूसते हुए अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर रख दिया और उसके दोनों पैरों को फैलाते हुए अब वो अपने लंड को अंदर धकेलने लगा था, जिसकी वजह से रूबी उस दर्द से तिलमिला उठी और अब अमित बिना रुके अपने लंड को रूबी की चूत में डालने लगा और अब उस जबरदस्ती की वजह से उसकी चूत से थोड़ा सा खून भी निकल गया। फिर इस पर बृजेश बोला लो इसने तो आज तक सेक्स भी नहीं किया और यह बड़ी होशियार मॉडर्न बनती थी, लेकिन अमित अब बिना रुके लगातार धक्के देकर उसको चोदने लगा था और वो उसके दर्द से खुश होते हुए बड़े तेज तेज झटके देने लगा था। वो इससे पहले कि कुछ हो उसको जल्दी से चोद देना चाहता था और उसने रोती हुई रूबी के बूब्स पर काटना शुरू कर दिया और गर्दन को दबाते हुए अपना लंड अंदर बाहर करने लगा।

अब रूबी कुछ देर बाद एकदम निढाल हो गयी और वो उसको तब भी अपनी तरफ से धक्के देता रहा, लेकिन बृजेश के कहने पर उसने रूबी का गला अब छोड़ दिया था और कुछ देर में उसके लंड ने वीर्य की धारा को रूबी की चूत में छोड़ और उसके बाद वो कुछ दो चार धक्के देने के बाद अपना लंड रूबी की चूत से बाहर बाहर निकालकर उसको साफ करके वो अब पीछे की साइड में आकर बैठ गया और वो थकी हुई रूबी के हाथ अपने हाथों से ही दबाए बैठा रहा और बृजेश ने बिना देर किए अपना लंड पेंट से बाहर निकालकर सीधा उसकी चूत में धकेल दिया और अब वो जोश में आकर रूबी को बहुत बेरहमी से झटके देने लगा था। उसके झटके बहुत तेज थे क्योंकि इससे पहले चली चुदाई को देखकर बहुत गरम हो चुका था और इसलिए वो जल्द ही झड़ गया। उसने भी अपना वीर्य रूबी की चूत में ही निकाल दिया था जो अब उसकी पहले से भरी हुई चूत से बहकर बाहर आने लगा था और फिर उसने लंड को रूबी की चूत से बाहर निकालकर अपने रुमाल को भी उसके मुहं से हटा लिया था।

फिर उसके बाद रूबी की पेंटी को उठाकर उसके मुँह पर फेंका और वो दोनों झट से दरवाजा खोलकर बाहर भाग गए। अब रूबी वहाँ ज़मीन पर अपनी नंगी चूत से निकली खून की बूंदे और उन दोनों के लंड से निकले वीर्य के साथ उस दर्द से एकदम निढाल होकर पड़ी हुई थी। उस चुदाई ने उसके पूरे बदन को ठंडा बेजान कर दिया था। तभी मैंने अपने मोबाईल का कैमरा बंद किया और अंदर जाकर उसको देखा कि वो अब बेहोश हो चुकी थी। फिर मैंने उस पर थोड़ा सा पानी डाला और उसके बाद उसके एक हाथ को पकड़कर उसकी नब्ज़ और साँसे चेक की तो सब ठीक था उसकी चूत को पानी डालकर मैंने उसकी पेंटी से साफ करके उसको जींस टॉप पहनाकर उसको उठाकर अपने कंधे का सहारा देकर में बाहर ले गया। फिर चलते चलते ही उसको थोड़ा सा होश आ गया और अब वो मुझे दूर धकेलकर बोली कि तू पागल और वो बड़े भाई को फोन मिलाकर बुलाने लगी, बड़े भाई ने उस स्थिति को भांपते ही पीछे की दरवाजे पर कार को मंगाई और फिर हम घर चले गए।

फिर चलते समय रास्ते में उसने सभी बातें बड़े भाई को बताई और वो रोने लगी और तभी उसका ध्यान इस बात पर गया कि मैंने उसको सबसे आखरी में कपड़े पहनाए और उसने आँखे झुका ली। अब भाई के मूझसे पूछने पर मैंने उनको बताया कि इसको मैंने टॉयलेट की तरफ जाते हुए देखा था, लेकिन बहुत देर तक वापस ना आते देख मुझे लगा कुछ हो गया है या चक्कर आ गए है इसलिए में उस तरफ चला गया और वहाँ पर इसको नीचे पड़े देख मैंने सोचा कि इसको इस हालत में कोई देख ना ले और में इसको बाहर निकाल लाया। फिर इस बात पर उन दोनों को में थोड़ा सा समझदार लगा और वो यह बात सोचने लगे कि इस बदनामी से अब हम कैसे बचे? फिर रूबी घर पर पहुंचते ही सो गई और भाई अपने तीन विश्वसनीय दोस्तों और मेरे साथ ऊन दोनों को ढूँढने निकल गए। में भी अब रूबी को उसकी ग़लतियों को समझने का वक़्त देना चाहता था।

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तभी भाई को पता चला कि अमित एक इंडस्ट्रियलिस्ट का बेटा था। उसके दोस्तों ने उन्हे शहर के बाहर एक बीयर बार में पीते हुए देख लिया और उनकी कार का पेट्रोल निकाल लिया जिसकी वजह से लौटते वक़्त उनकी गाड़ी बीच रास्ते में बंद हो गई। वहां से रात को उन दोनों को कार में लिफ्ट देकर बैठाकर दूर एक बिल्कुल सुनसान जगह पर ले गए। उसके बाद उन दोनों को बहुत जमकर पीटकर उनको बोले कि अब अगर हम तुम्हे आज मार भी दे तो तुम्हारे बाप भी नहीं पता कर सकते कि यह सब किसने किया? फिर मैंने दोनों के पास ही में पड़े मोबाइल उठा लिए और वो फोटो खत्म करके देखा उन्होंने अब तक किसी को मैसेज या वो फोटो नहीं दिए थे। फिर हमारी इस पिटाई और धमकी पर वो रो पड़े और हमसे माफी माँगने लगे। फिर इस पर मैंने कहा कि माफी कुछ नहीं होती इन दोनों ने एक ऐसी हरकत की है इसलिए यह छूटने के बाद कॉलेज में यह बात सभी जगह जरुर फ़ैलाएँगे और यह कहते हुए में उनसे बोला कि थोड़ी सी बदनामी लायक बात तो इनके साथ भी होनी चाहिए जिससे यह भी किसी को अपना दर्द यह चेहरा बता ना सके।

फिर मेरी इस बात पर भैया के एक दोस्त और में एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराने लगे और अब वो बृजेश को नंगा करके उसकी जाँघो पर हाथ फेरने लगा। तो मैंने भी भाई की परवाह किए बगैर बृजेश को अपना लंड चुसवाना शुरू कर दिया। हम दोनों ने उन्हे पूरा नंगा करते हुए उनकी छाती को चूसते हुए उन्हे स्मूच दिया तब भाई कार में बैठ गए और मैंने लंड थोड़ा अंदर डालकर झटके दिए और वो हमारा दोस्त तो तबीयत से बृजेश की गांड में अपना लंड डालकर धक्के मार रहा था। फिर थोड़ी देर में वो कार्यक्रम खत्म करके हम उन्हे वहीं पर छोड़ आए। अब कार में बैठकर वापस अपने घर पर आते समय मेरे भाई ने मुझे उस बेवकूफी के लिए शाबाशी देते हुए कहा कि वो अब हमें मरवा सकते है, लेकिन बाकि सभी ने मेरा साथ देते हुए कहा कि उनको तो हम वैसे भी छोड़ देते तब भी वो हमें मरवाते।

अब कम से कम वो यह बातें कहीं फ़ैलाएँगे तो नहीं और किसी को अपने साथ हुए इस काम को बताने में हिचकिचाएंगे। अपने बाप को भी वो नहीं बता सकते, लेकिन हम सभी यह बात सोचकर थोड़ा सा परेशान भी थे कि वो अपने बाप को यह बात कहेंगे या नहीं, लेकिन थोड़े दिनों में सब शांत हो गया और वो शरम की वजह से किसी से कुछ भी नहीं बोले। फिर जब रूबी को पता चला कि मैंने उनके साथ ऐसा काम किया तब वो मेरी तरफ बहुत झुक गई, लेकिन उसे उनसे छीने हुए मोबाइल में अपनी कोई भी फोटो नहीं मिली तो उसको अब मुझ पर शक होने लगा था।

फिर एक दिन जब घर पर कोई भी नहीं था तो उसने मुझसे पूछा कि बृजेश ने उसके मोबाइल से बहुत सारी एक फोटो खींची थी, लेकिन उसके मोबाईल में वो एक भी नहीं थी, ऐसा कैसे हो सकता है? तब मैंने बताया मैंने उसका वो कैमरे वाला मोबाइल देखकर शक किया था, इसलिए इसमें वो वीडियो और सब कुछ मैंने खुद उड़ा दिया। फिर मेरी इस बात पर उसने थोड़ी राहत की साँस ली, लेकिन तब में बोला कि आख़िर और कोई मेरी बहन की वीडियो बनाए यह सब में कैसे सहन करता? मेरी इस बात पर उसने मुझे एक ज़ोर का थप्पड़ मारा और अब वो मुझे बहुत गुस्से से मुझे देखने लगी, तो मैंने उससे कहा कि तुम भी तो यही चाहती थी कि कोई भी तुमसे एक बार जीत कर तो दिखाए और हर किसी को नीचा दिखाने का मतलब और क्या होता? अब वो मेरी बातें सुनकर एकदम चकित हो गई और वो मुझसे कहने लगी कि तुम मुझे वो वीडियो दे दो।

फिर मैंने उससे कहा कि इस बात से क्या फ़र्क पड़ता है में किसी को वो सब दिखाने वाला नहीं हूँ बस तुम्हे बेबस लाचर चुदते हुए कभी कभी में देख लूँगा और तुम भाई को भी बता दो भले तब में इसको इंटरनेट पर डाल दूँगा घर के सभी लोग इंटरनेट पर डालने से वो मुझे उतनी ही बुरी तरह से मारेंगे, लेकिन उससे तुम्हारा क्या होगा? तुम तो फेमस हो जाओगी तुम्हारा क्लिप सबके मोबाइल में होगा। अब वो मेरी पूरी बातें सुनकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी और इन घटनाओं से वो पहले से ही बहुत घबराई हुई थी। अब मैंने उसको चुप करवाते हुए कहा कि तुम एक बार मुझसे चुपचाप चुद जाओ तो में तुम्हारा वो वीडियो तुम्हारे सामने खत्म करा दूँगा और वैसे भी तुम एक बार उन दोनों से चुद तो चुकी ही हो फिर बदनाम क्यों होना चाहती हो? वो अब बिल्कुल चुप हो गई और थोड़ा सोचकर उसने अपने आँसू साफ करते हुए वो मुझसे बोली कि तुम तो मेरे साथ वो सब करने के बाद भी मुझे हमेशा ब्लॅकमेल करोगे।

तो मैंने उसको कहा कि नहीं में यह सब कुछ मिटा दूँगा। मेरा तुमसे यह पक्का वादा रहा, दोस्तों उस पल मुझे ऐसा लग रहा था कि वो उस वीडियो के लिए अब कुछ भी कर सकती है और उसी समय मैंने उसे होंठो पर चूम लिया और एक लंबा स्मूच लेकर उसके होंठ अपने दाँतों में दबा लिए उस दर्द की वजह से वो करहा उठी और वो मुझे थप्पड़ मारने लगी। फिर उसको अपनी बाहों में तड़पते हुए देख मैंने माफ़ करने को कहा और अब उसकी जींस को घुटनों तक उतारकर में अब उसकी गोरी मुलायम जाँघो पर अपने एक हाथ को फेरते हुए उसको स्मूच करने लगा और उसी के साथ साथ में उसके टॉप और ब्रा को भी अब तुरंत उतारकर उसके बूब्स को ज़ोर से मसलने दबाने लगा था। तो इस पर वो मुझसे कहने लगी कि थोड़ा आराम से कर अमित ने इन्हे बहुत ज़ोर से काटा था इसलिए मुझे बहुत दर्द हो रहा है। अब मैंने उसके लटकते हुए एक बूब्स को अपने मुँह में भरकर दूसरे बूब्स को अपने एक हाथ से निचोड़ डाला और वो उस दर्द से करहा उठी और अब मैंने उसको सोफे पर लेटाते हुए उसके दोनों बूब्स को बारी बारी से जमकर चूसा और फिर उसकी दोनों जाँघो पर अपने होंठो और जीभ से में उसको चाटने लगा। मैंने उसको सम्भलने का मौका दिए बिना उसकी पेंटी को फाड़ दिया और फिर उसकी चूत में पास ही में पड़ी मोटी लंबी मोमबत्ती को डाल दिया उस दर्द की वजह से वो बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी और उस मोमबत्ती को अपनी चूत से बाहर निकालकर वो अपने रूम में भागने लगी थी।

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अब मैंने झट से उसके हाथ को पकड़ लिया वो ज़मीन पर गिर पड़ी में उसको हाथों से पकड़ते हुए ड्राइंग रूम से नंगी ही अपने रूम लेकर बेड पर लाकर पटक दिया। वो बुरी तरह से डर चुकी थी और रो भी रही थी। अब मैंने अपने कपड़े उतारे और उसके हाथ पलंग से बाँध दिए में उसकी छाती पर चड़कर उसके बूब्स को लंड के दोनों और दबाकर उनके बीच की जगह में रगड़ने लगा। फिर थोड़ी ही देर में मेरा वीर्य निकल गया और तब मैंने अपनी अंगुली से अपना वीर्य उसके मुँह में डाल दिया और वो बोली तुम्हे देखकर तो लगता है कि तुम मुझसे आज कोई बदला ले रहे हो। फिर मैंने उसके मुँह में अपने लंड को डालते हुए उससे कहा कि तुम्हे अगर वो वीडियो चाहिए तो तुम मूझे पूरा पूरा मज़ा दो और अब उसने थोड़ी सी आनाकानी करते हुए मेरे लंड को अब चुपचाप चूसना शुरू कर दिया था।

में अब भी उसकी छाती पर बैठा हुआ था और वो मेरा लंड चूस रही थी और बहुत देर तक लंड को चूसने के बाद मैंने उसकी दोनों जांघे फैलाई और उसके बाद अपनी उँगलियों को में उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा जिसकी वजह से वो गरम होने लगी और बहुत देर तक अपनी ऊँगली को रगड़ने के बाद वो अब झड़ने को तैयार ही थी कि तभी मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत से बाहर निकाल दी जिसकी वजह से वो अब एकदम तिलमिला उठी, उसको कुछ भी समझ में नहीं आया कि वो अब क्या करें? मैंने कुछ सेकेंड्स रुके रहने के बाद उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया और थोड़े झटको के बाद वो झड़कर एकदम ठंडी हो गई उसकी चूत से रस बहकर बाहर निकलने लगा था। यह उसका पहली बार झड़ना था और मेरा लंड उसके पानी में नहा चुका था।

अब मैंने अपनी तरफ से उसको झटके देना तेज कर दिया और थोड़े टाइम बाद में उसके नीचे लेट गया और पीछे से उसकी चूत को धक्के देकर चोदने लगा था। फिर कुछ समय बाद मैंने उसमे अपने वीर्य की पिचकारी दाग दी और वो मेरे ऊपर अपने बंद हाथों से लेती हुई बोली मुझे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया, क्या तुम्हे आया? मैंने जवाब देने की जगह उसको पास में पड़े मोबाइल में वीडियो दिखाते हुए बोला लोग हर बात को अन्धरुनी बात समझते है अपने आप को लोगों से अलग दिखाते है और फिर उन्ही से उम्मीद भी रखते है, तुम्हे तुम्हारे उस बलत्कार के बाद उसके बारे में सोचकर कैसा लगता है? तो रूबी बोली कि में बहुत चकित रहती हूँ क्यों तुम मुझसे यह सब बातें क्यों पूछ रहे हो? मैंने उसके सामने वो वीडियो खत्म किया और उसके हाथ खोले। दोस्तों जो भी हुआ सब कुछ ठीक हुआ अब हम दोनों का ही स्वभाव बिल्कुल बदल चुका था और हम दोनों एक दूसरे के साथ हमेशा बहुत खुश रहने लगे थे ।।

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बहन के चूत का दर्द ऊपर से मैं भाई बेदर्द | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/bahan-ki-chut-ka-dard-upar-se-main-bhai-bedard.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/bahan-ki-chut-ka-dard-upar-se-main-bhai-bedard.html#respond Mon, 19 Mar 2018 04:31:21 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12044 एक तो चूत का दर्द उसपे भी भाई बेदर्द, मैंने उनके बूब्स दबाने शुरू किये, फिर वो भी मेरा साथ देने लगी और मैं धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने लगा तो धीरे धीरे उनको भी मजा आने लगा और वो भी नीचे से चूतड़ उठा कर मेरा साथ देने लगी. 10 मिनट बाद मेरी स्पीड बढ़ने लगी, तब तक दीदी झड़ चुकी थी मैं तेजी से धक्के मारने लगा और दीदी की चूत में झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया।

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यह कहानी मेरी जिंदगी की ऐसी सच्चाई है जिसके बारे में मेरे और मेरी बहन के अलावा कोई नहीं जानता। यह कहानी मेरी और मेरी बड़ी बहन की है, मेरा नाम साहिल है, मैं नेपाल का रहने वाला हूँ. हमारे घर में 4 मेंबर हैं, मम्मी, पापा और हम दो भाई बहन हैं. मेरी बहन लक्ष्मी की उम्र 26 साल है और मेरी 24 साल है। आज लक्ष्मी की शादी हुए 2१/२ साल हो चुके हैं।
यह बात कुछ साल पहले की है जब हमारी जिंदगी मजे से कट रही थी। हमारा घर में 2 कमरे और एक बड़ा सा हाल है, एक कमरे में मम्मी, पापा सोते थे और दूसरे रूम में हम दोनों अलग अलग बिस्तर पर सोते थे।

एक रात को अचानक मेरी आँख खुली और मैं पेशाब करने बाथरूम चला गया। आने के बाद मैंने दीदी के बिस्तर की तरफ देखा तो वो बिस्तर पर नहीं थी.
मैं बाहर देखने चला गया तो दीदी मम्मी-पापा के कमरे की खिड़की से अंदर देख रही थी.
मैंने पूछा तो उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया और मैं भी अंदर देखने लगा. देखा कि मम्मी पापा नंगे होकर आपस में सेक्स कर रहे थे.
उस टाइम मुझे सेक्स के बारे में कुछ भी पता नहीं था क्योंकि तब घरों में टीवी और दूसरे साधन बहुत कम थे जितने आज हैं। मुझे देखने में मजा आ रहा था और फिर मम्मी पापा के सोने के बाद हम अपने कमरे में आ गए तो मैंने दीदी से पूछा- मम्मी पापा क्या कर रहे थे?

दीदी ने बताया- वो आपस में सेक्स कर रहे थे!
तो मैंने पूछा- उससे क्या होता है?
दीदी बोली- इसे करने में बहुत मजा आता है.

फिर दीदी ने मुझे सोने को कहा तो मैं सोने लगा क्योंकि मैं दीदी से बहुत डरता था।
फिर मैं और दीदी रोज मम्मी पापा का सेक्स देखने लगे, ये हमारा रोज का काम हो गया।
इस तरह 2 साल बीत गए। अब मुझे सेक्स के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी हो गई थी पर प्रेक्टिकल नहीं किया था।
एक दिन मैंने दीदी से कहा- आपसे एक बात पूछूँ तो गुस्सा तो नहीं करेंगी?

दीदी ने कहा- तू मेरा एक ही तो भाई है जिसे मैं प्यार करती हूँ, बोलो क्या पूछना है?
तो मैंने पूछा- सेक्स करने से क्या होता है?
दीदी बोली- सेक्स करने में बहुत मजा आता है पर उससे बच्चे पैदा होते हैं.
मैंने पूछा- कैसे?
तो उन्होंने मुझे पूरी जानकारी दी।

फिर मैंने दीदी से कहा- क्या आप हमें सेक्स करना सिखायेंगी?
तो दीदी ने कहा- सिर्फ पति और पत्नी ही सेक्स कर सकते हैं, भाई बहन नहीं!
तो दीदी को थोड़ा इमोशनल ब्लैकमेल करते हुए कहा- लगता है आप मुझसे प्यार नहीं करती, तभी मना कर रही हैं सिखाने से?
तो दीदी ने कहा- ठीक है… पर एक शर्त पर मैं तुझे सेक्स करना सिखाऊंगी कि तू यह बात किसी को नहीं बताएगा?
मैंने कहा- ठीक है।

दीदी ने कहा- आज रात को मम्मी पापा के सोने के बाद मेरे बिस्तर पर आ जाना।
मैं रात होने का इंतजार करने लगा और खाना खाने के बाद पढ़ने बैठा तो मेरा पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगा, मैं दीदी की इंतजार करने लगा, वो मम्मी के साथ रसोई में काम कर रही थी।
फिर दीदी काम खत्म करके रूम में आई और अपने बिस्तर पर लेट गई.
मेरे सोने का इशारा करने पर उन्होंने कहा- मम्मी पापा के कमरे की लाइट बन्द होने तक रुक!
तो किताब में देखने लगा।

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रात के लगभग 10 बजे मम्मी पापा के कमरे की लाइट बन्द हुई तो दीदी ने मुझे अपने साथ सोने का इशारा किया तो मैं जाकर उनके साथ लेट गया और मैंने दीदी के बूब्स दबाने शुरू कर दिए.
दीदी को मजा आने लगा, मैंने उनकी कुर्ती उतार दी और देखा दीदी ने काली ब्रा पहन रखी है जो उनके गोरे रंग पर बहुत अच्छी लग रही थी.
मैं उनके बूब्स ब्रा के ऊपर से दबाता रहा. फिर धीरे धीरे मैंने उनकी ब्रा भी उतार दी और उनके बूब्स चूसने लगा, फिर उन्होंने भी मेरी बनियान उतार दी। अब हम दोनों आधे नंगे हो चुके थे।
इस तरह ही कुछ देर तक एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे, फिर मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खींच दिया और सलवार उतार दी. अब दीदी सिर्फ पेंटी में मेरे सामने थी, वो भी मैंने उतार दी.
अब दीदी पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी।

अब उन्होंने मुझे अपनी वेजिना को चाटने को कहा तो उनको बिस्तर पर लिटा के उनकी वेजिना चाटने लगा।
दीदी के मुंह से अजीब अजीब आवाजें आने लगी, उन्हें मजा आ रहा था। लगभग 5 मिनट के बाद वो झड़ गई और मैं उनका सारा रस पी गया।
फिर उन्होंने मेरा पायजामा उतार दिया और फिर मेरी अंडरवियर उतार दिया जिससे मेरा 6 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा लंड हवा में झूलने लगा। दीदी ने जैसे ही उसे हाथ लगाया, मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया।
दीदी ने उसको मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। लगभग 5 मिनट बाद में दीदी के मुंह में झड़ गया और दीदी ने चाट कर मेरा लंड साफ कर दिया।

तब दीदी ने पूछा- कैसा लगा ये करके?
तो मैंने कहा- इतना मजा मुझे जिंदगी में कभी भी नहीं आया।
दीदी ने कहा- अब सो जा क्योंकि तुझे सुबह स्कूल जाना है.
मैंने कहा- दीदी, क्या मैं आपके साथ सो सकता हूँ?
दीदी ने कहा- ठीक है.

फिर दीदी बाथरूम चली गई और थोड़ी देर बाद कपड़े पहन कर आई तो मैंने देखा कि ब्रा और पेंटी उनके हाथ में ही थी.
मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि इससे रात को सोने में आसानी रहती है।
फिर मैं बाथरूम चला गया और थोड़ी देर में कपड़े पहन कर आया, दीदी के बगल में लेट गया और दीदी को लिपट कर सोने सोने लगा.
दीदी ने भी मुझे लिपट गई जिससे दीदी के बूब्स मेरे मुंह से लगने लगे और फिर हम सो गए।
सुबह दीदी ने मुझे उठाया तो मैंने उन्हें रात की घटना की वजह से मुस्करा के देखा तो दीदी ने ऐसा बर्ताव किया कि जैसे कुछ हुआ ही ना हो।
फिर मैं नहा धोकर स्कूल चला गया और शाम को घर आया तो दीदी ने सुबह जैसा बर्ताव किया जो मेरे समझ मैं नहीं आया।
मैंने रात को दीदी से इस बारे मैं पूछा तो उन्होंने कहा कि वो नहीं चाहती कि मम्मी पापा को इस बारे में शक भी हो.

हम पिछली रात की तरह फिर एक दूसरे को चूसने लगे और एक दूसरे के झड़ने के बाद सो गए।
अब यह हमारा रोज का काम हो गया था और इस तरह 2-3 महीने बीत गए।
फिर मैंने कहा- दीदी, आप मुझे बाकी का सेक्स कब सिखायेंगी जैसे पापा मां के साथ करते हैं?
तो दीदी ने कहा- लक्ष्मी, मैंने आज तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया, मैंने सोचा था कि पहला सेक्स अपने पति के साथ करुँगी.
मैंने कहा- दीदी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ, अगर आप कहें तो एक रास्ता है जिससे हम सेक्स भी कर लेंगे और आपके मन की बात भी पूरी हो जायेगी.

दीदी ने कहा- कैसे?
तो मैंने कहा- आप मेरे से शादी कर लो, फिर मैं आपका पति होऊँगा और मेरी पत्नी!
दीदी ने मुझे गले से लगा लिया.
फिर मैं जाकर सिंदूर ले आया और दीदी की मांग में भर दिया, दीदी मेरे पैर छूने लगी तो मैंने कहा- ये क्या है?
तो उन्होंने कहा- आज से आप मेरे सच्चे पति हिं और मैं आपकी पत्नी…
दीदी ने कहा- आज हमारी सुहागरात है, मैं इसको यादगार बनाना चाहती हूँ।
फिर हम एक दूसरे को चूमने लगे और मैं धीरे धीरे एक एक करके दीदी के कपड़े उतारने लगा और दीदी को पूरी नंगी कर दिया। और दीदी ने मुझे नंगा कर दिया

हम एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे और फिर दीदी ने मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और मेरा सारा रस पी गई.
फिर मैंने चूत चाटना शुरू किया और दीदी के झड़ने के बाद उनका सारा रस पी गया।
फिर हम दोनों थोड़ी देर के लिए लेट गए और एक दूसरे को गर्म करने लगे।
थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से तन गया और दीदी ने कहा- पहली बार सेक्स करने पर दर्द होता है लेकिन बाद में बहुत मजा आता है इसलिए मैं कितना भी चिल्लाऊँ, आप पूरा लंड अंदर कर देना! मैंने कहा- ठीक है.

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फिर दीदी ने कहा- आप मेरे ऊपर आ जायें!
और दीदी ने अपने टाँगें हवा में उठा ली और अपनी गांड के नीचे तकिया लगा लिया जिससे उनकी चूत और उभर गई.
मैं चूत पर लंड टिका कर धक्का मारने लगा लेकिन वो बाहर फिसल गया तो दीदी को दर्द होने लगा दीदी को दर्द होने लगा और कहा- अब धक्का मारिये!
मैंने दबाब दिया तो सुपारा अंदर फंस गया उम्म्ह… अहह… हय… याह… और दीदी को दर्द होने लगा.
फिर मैं दीदी के होंठ चूसने लगा और एक जोरदार धक्का मारा, मेरा आधा लंड दीदी की चूत में चला गया और दीदी की आँखों में आंसू आ गए.
मैं दीदी की चूची चूसने लगा तो थोड़ा दर्द कम हुआ और मैंने फिर होंठ चूसते हुए एक और धक्का मारा तो मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में फंस गया और दीदी रोने लगी.

मैंने उनके बूब्स दबाने शुरू किये, फिर वो भी मेरा साथ देने लगी और मैं धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने लगा तो धीरे धीरे उनको भी मजा आने लगा और वो भी नीचे से चूतड़ उठा कर मेरा साथ देने लगी. 10 मिनट बाद मेरी स्पीड बढ़ने लगी, तब तक दीदी झड़ चुकी थी. मैं तेजी से धक्के मारने लगा और दीदी की चूत में झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया।

थोड़ी देर बाद जब हम नार्मल हुए तो मैंने दीदी के माथे पे किस किया और साइड में लेट गया तो मेरी नज़र बिस्तर पर पड़ी, उस पर खून के धब्बे लगे हुए थे और मेरे लंड पर भी खून लगा हुआ था.
दीदी ने कहा- पहली बार में खून निकलता है.
दीदी बेड से उठकर बाथरूम की तरफ जब जाने लगी तो लड़खड़ाने लगी, मैंने उन्हें सहारा दिया और बाथरूम ले गया.
मेरी भी टांगों में दर्द हो रहा था.

मैंने उन्हें कमोड पर बिठाया और उनकी चूत साफ करने लगा.
उनकी चूत सूज गई थी, मैंने उस पर बोरोलीन लगाई और उन्हें वापस उठाकर बिस्तर पर लाया तो उन्होंने कहा- मुझे कपड़े पहनने हैं.
तो मैंने कहा- आज आप ऐसे ही सोयेंगी!
दीदी ने पूछा- नंगी?
मैंने कहा- हाँ… और मैं भी आपके साथ नंगा ही सोऊँगा।
दीदी ने कहा- ठीक है।
और हम बेड पर आ गये और एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

सुबह दीदी ने मुझे उठाया तो मैंने देखा कि दीदी नहा चुकी थी और मुझे बोली- आप जल्दी उठ जाइए और मम्मी पापा के देखने से पहले कपड़े पहन लीजिये।
मैंने कपड़े पहने और फिर सो गया और दीदी घर का काम करने चली गई।
उस दिन के बाद से दीदी की शादी होने तक हम उस कमरे के अंदर एक पति पत्नी की तरह रहे।
दीदी ने कहा- चाहे मेरी शादी हो रही है लेकिन मेरे पति आप ही रहेंगे और मैं आपको ही अपना पति मानूंगी और मेरा पहला बच्चा भी आपका ही होगा।

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