प्रेषिका: नेहा
मस्तराम डॉट नेट के प्यारे पाठको अब ये कहानी पापा के आर्मी वाले दोस्तों से चुदी से आगे लिख रही हु..जैसे कि अपनी पिछली कहानियों में बता चुकी हूँ कि मेरा नाम नेहा है और मेरे पति आर्मी में मेजर है। उनकी पोस्टिंग दूर-दराज़ के सीमावर्ती इलाकों पर होती तहती है और इसलिये मैं अपनी सास और ससुर के साथ जालंधर के पास एक गाँव में रहती हूँ जहाँ हमारी पुश्तैनी कोठी और काफी ज़मीन-जायदाद है। मैं बहुत ही चुदक्कड़ किस्म की औरत हूँ। मेरी चुदाई की प्यास इतनी ज्यादा है कि दिन में कम से कम आठ-दस बार तो मुठ मार कर झड़ती ही हूँ। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
मेरी उम्र तीस की है। मैं स्लिम और सैक्सी बदन की मालकिन हूँ। मेरी लम्बाई वास्तव में हालांकि पाँच फुट तीन इंच है पर दिखने मैं पाँच फुट सात इंच के करीब लगती हूँ क्योंकि मुझे हर वक्त ऊँची ऐड़ी की चप्पल सैंडल पहनने का शौक है। मेरा गोरा बदन, बड़े-बड़े गोल मटोल चूतड़ (३६) और उसके ऊपर पतली सी कमर (२८) और फ़िर गठीले तने हुए गोल गोल मम्मे (३४) और मेरी कमर के ऊपर लहराते मेरे चूतड़ों तक लंबे काले घने बाल किसी का भी लंड खड़ा करने के लिये काफी हैं। मगर फ़िर भी जब मैं अपने हुस्न के नखरे और अपनी कातिलाना अदायें बिखेरती हूँ तो बुढ्ढों के भी लंड खड़े होते मैंने देखे हैं। मैंने कईयों से चुदाई भी करवाई है जिसमें से कुछ किस्से पिछली कहानियों में बता चुकी हूँ।
जैसे कि आपको पता है कि रात को बेडरूम में शराब की चुस्कियाँ लेते हुए मुझे कंप्यूटर पर मस्तराम डॉट नेट ओपन कर कहानी पढ़ते हुए मुठ मारने की आदत है। ऐसे ही एक दिन मै मस्तराम डॉट नेट पर कहानिया पढ़ रही थी और मुझे एक कहानी मिली जिसमे एक लड़की कुत्ते से अपनी चुदाई की प्यास बुझती है वो कहानी पढ़ के मेरे मन में इच्छा हुयीवो कहानी पढ़ कर मैं बहुत उत्तेजित हो गयी और सोडे की बोतल चूत में घुसेड़ कर खुब मुठ मारी। फिर मेरा भी दिल करने लगा कि मैं भी हमारे कुत्ते रॉकी से चुदाई करवा के देखूँ। मगर घर में सास और ससुर के होते ये होना मुश्किल था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रॉकी ज्यादातर मेरे ससुर जी के साथ ही रहता था। रात को भी उनके कमरे में ही सोता था। वैसे भी कुत्ते से चुदाई का कोई तजुर्बा तो था नहीं इसलिए रॉकी से जल्दबाज़ी में तो चुदाई हो नहीं सकती थी। रॉकी को किसी तरह फुसला कर अपनी इस कामुक इच्छा को अंजाम देने के लिये मुझे पूरी प्राइवसी की जरूरत थी। अपनी वासना में बहक कर फिर भी मैं मौका देख कर कभी-कभी रॉकी को प्यार से पुचकारती और उसके लंड वाली जगह पर हाथ लगा देती तो रॉकी भी एक बार चिहुंक उठता। मैं तो कुत्ते के लंड कि इतनी प्यासी थी कि मेरा मन हर वक्त रॉकी के लंड वाली जगह पर ही टिका रहता। हर रोज़ रात को इंटरनेट पर कुत्तों से औरतों की चुदाई की फिल्में देख कर मुठ मारने लगी और दिन में कईं बार बाथरूम में या बेडरूम में जा कर रॉकी के बारे में सोचते हुए मुठ मारती। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया। मेरे सास और ससुर को कुछ दिनों के लिये कहीं रिश्तेदारों में जाना था। वो दोपहर घर से करीब तीन बजे निकले और फ़िर मैंने भी जल्दी-जल्दी घर का काम निपटाया। रॉकी उस दिन सुबह से हमारे खेत पर था। मैंने खेतों की देखभाल करने वाले नौकर को फोन करके रॉकी को घर वापस लाने के लिये कह दिया। वो बोला कि कुछ जरूरी काम निपटाने के बाद करीब दो घंटे में रॉकी को घर छोड़ जायेगा। मुझे बहुत गुस्सा आया और एक बार तो मन किया कि खुद ही कार ले कर वहाँ जाऊँ और रॉकी को ले आऊँ। मगर फिर मैंने सोचा कि क्यों ना रॉकी को आकर्षित करने के लिये इतनी देर मैं थोड़ा सज-संवर कर तैयार हो लूँ। हालाँकि कुत्ते के लिये सजने संवरने का ख्याल बेकार का था लेकिन फिर भी मैंने नहा-धो कर अच्छा सा सलवार-कमीज़ और हाई हील के सैंडल पहने और मेक-अप भी किया।आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तैयार होने में करीब एक घंटा ही निकला और रॉकी के आने में अभी भी करीब एक और घंटा बाकी था। मुझसे तो उत्तेजना और बेचैनी में इंतज़ार ही नहीं हो रहा था। कुछ और सूझा नहीं तो व्हिस्की का पैग पीते हुए मैं लैपटॉप पर कुत्ते से चुदाई की फिल्म देखने लगी। तीन औरतें दो कुत्तों के साथ चुदाई का मज़ा ले रही थीं। उनमें एक रॉकी कि तरह ही भूरा ऐल्सेशन कुत्ता था और दूसरा बड़ा सफेद कुत्ता शायद लैब्राडोर था। वो तीनों औरतें उनके लंड चूस रही थीं और अपनी चूत भी चटवा रही थीं। फिर उनमें से एक औरत अपनी चूत में कुत्ते का लंड लेकर चुदवाने लगी और एक औरत दूसरे कुत्ते से गाँड मरवाने लगी। मैंने अपनी पजामी में हाथ डाल कर चूत सहलाना शुरू कर दिया। करीब आधे घंटे बाद वो फिल्म खत्म हुई। इस दौरान मेरी चूत तीन बार झड़ी। अब तक मैंने व्हिस्की के दो पैग पी लिये थे और मुझ पे शराब की सुहानी सी खुमारी छा गयी थी। अपनी पिछली कहानियों में मैं ज़िक्र कर चुकी हूँ कि मुझे चुदाई से पहले शराब पीना अच्छा लगता है मगर शराब मैं इतनी ही पीती हूँ कि मुझे इतना ज्यादा नशा ना चढ़े कि मैं खुद को संभाल ना सकूँ। वैसे कईं बार ज्यादा भी हो जाती है। अगले आधे घंटे में मैंने शराब का एक छोटा पैग और पिया। फिर खेत पे काम करने वाले नौकर ने घंटी बजायी तो रॉकी को अंदर लेकर मैंने दरवाजे को लॉक किया और रॉकी को पुचकारती हुई अपने बेडरूम में ले गयी और उसका भी दरवाजा बंद कर दिया। पहले तो मैंने उसके साथ बहुत प्यार किया और कपड़े उतारे बगैर ही उसे अपने बदन से चिपकती रही। रॉकी भी अपनी जुबान निकाल कर मुझे इधर उधर चाटने लगा। उसकी खुरदरी जुबान जब मेरी गर्दन के ऊपर चलती तो बहुत मज़ा आता। मैं नीचे ही टाँगें फैला कर उसके सामने बैठ गयी और फ़िर अपनी कमीज़ को उतार दिया। मेरे बूब्स मेरी ब्रा में से बाहर आने को थे।आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने रॉकी का मुँह पकड़ कर अपने मम्मों की तरफ़ किया तो वो सूँघ कर धीरे-धीरे से अपनी जुबान मेरे मम्मों के ऊपरी हिस्से पर रगड़ने लगा। ‘आअहहह’ क्या एहसास था उसकी खुरदरी जुबान का। वो ब्रा के बीच भी अपना मुँह डालने की कोशिश करता मगर ब्रा टाईट होने के कारण उसका मुँह अंदर नहीं जा पाता था। मगर उसकी जुबान थोड़ी सी निप्पल को छू जाती तो मेरे तन बदन में और भी बिजली दौड़ जाती।
अब मैंने अपनी ब्रा के हुक पीछे सो खोल दिये और फ़िर ब्रा को भी उतार दिया। रॉकी अब इन खुले कबूतरों को देख कर और भी तेजी से निप्पल पर अपनी जुबान चलाने लगा। वो अपनी पूँछ को बड़े अंदाज़ से हिला रहा था। मैं उसकी पीठ पर हाथ घुमाने लगी और फ़िर अपना हाथ उसके लंड कि तरफ़ ले गयी। जब मैंने रॉकी का लंड हाथ में पकड़ा तो शायद वो परेशान हो गया और जल्दी से मुढ़ कर मेरे हाथ की तरफ़ लपका। मैंने उसका लंड छोड़ दिया मगर मुझे उसके लंड की जगह वाला हिस्सा काफी सख्त लगा। रॉकी फ़िर से मेरे निप्पल को चाटने लगा। अब मैंने अपनी पजामी (सलवार) जो मेरी टाँगों से चिपकी हुई थी, उसका नाड़ा खोलना शुरू किया तो रॉकी पहले से ही मेरी पजामी को सूँघने लगा। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैंने अपने चूतड़ उठा कर अपनी पजामी को नीचे किया और फ़िर अपने सैंडल पहने पैरों से निकाल कर अलग कर दिया। मेरी पैंटी पर चूत वाली जगह पर मेरी चूत का रस लगा हुआ था। रॉकी इसे तेजी से सूँघने लगा और फ़िर मैं खड़ी हो गयी और मैंने अपनी पैंटी भी उतार फेंकी। अब मैं बिल्कुल नंगी थी और बस पैरों में काले रंग के ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने हुए थे। मेरी चिकनी चूत को देख कर रॉकी मेरी टाँगों में मुँह घुसाने लगा और मेरी जाँघों पर अपनी जुबान से चाटने लगा। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | एक तो पहले से ही शराब का नशा था और रॉकी की हरकतों से तो मैं और ज्यादा मदहोश हुई जा रही थी। मैं बेड के किनारे पर बैठ गयी और अपनी टाँगें फैला दी। रॉकी के सामने मेरी चूत के होंठ खुल गये जिसमें रॉकी ने जल्दी से अपनी जुबान का एक तगड़ा वार किया और मैं सर से पाँव तक उछल पड़ी। मुझे इतना मज़ा तो किसी मर्द से चूत चटवा कर भी नहीं आया था जितना मज़ा रॉकी मेरी चूत चाट कर दे रहा था। जब रॉकी अपनी जुबान को मेरी चूत पर ऊपर नीचे करता और उसकी जुबान मेरी चूत के दाने से टकराती जिसके कारण मैं भी अपनी चूत को मसलने लगी और मेरी चूत में से मेरे चूत-रस की एक तेज धार निकल कर रॉकी की जुबान पर गिरी। रॉकी को तो जैसे मलाई मिल गयी हो। वो और भी तेजी से चूत को चाटने लगा और अपनी जुबान को चूत के अंदर तक घुसेड़ने की कोशिश करने लगा। मैंने देखा रॉकी का लंड भी थोड़ा सा बाहर दिखायी दे रहा था और मुझसे भी अब और सब्र नहीं हो रहा था। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं ज़मीन पर ही कुत्तिया की तरह घुटनों के और अपने हाथों के बल बैठ गयी ताकि रॉकी मुझे कुत्तिया समझ कर मेरे पीछे से मेरे ऊपर चढ़ जाये। मगर वो तो मेरी साइड में से होकर मेरी चूत को ही चाटने की कोशिश कर रहा था। मैं कुत्तिया की तरह चल कर घूम गयी और अपनी चूत पीछे से उसके सामने कर दी। वो फ़िर से मेरी चूत को चाटने लगा। रॉकी पालतू कुत्ता था और उसने पहले कभी किसी कुत्तिया को नहीं चोदा था और चुदाई का उसे कोई तजुर्बा नहीं था। काफी देर के बाद भी जब वो मेरे ऊपर नहीं चढ़ा तो मैं अपने पैरों पर गाँड के बल बैठ गयी और मैंने उसके दोनों अगले पाँव पकड़े और उनको अपनी कमर के साथ लपेट लिया और फ़िर से आगे की ओर झुक गयी। इससे वो मेरी कमर पर आ गया, मगर उसका लंड अभी मेरी चूत तो क्या टाँगों से भी नहीं छू रहा था। मैं आगे से और नीचे झुक गयी और ज़मीन पर अपना सर लगा कर रॉकी के दोनों पाँव आगे को खींच लिये, जिससे अब रॉकी का लंड मेरी चूत के साथ टकरा गया। रॉकी को भी ये अच्छा लगा और वो भी अपनी कमर हिला-हिला कर अपना लंड मेरी चूत के इधर-उधर ठोकने लगा और अपने अगले पैरों से मेरी कमर को कस के पकड़ लिया। मगर उसका लंड अभी मेरी चूत में नहीं घुसा था। मैं अपना एक हाथ पीछे लायी और रॉकी का लंड अपनी उंगलियों में हल्का सा पकड़ लिया। उसके लंड का अगला हिस्सा बहुत पतला महसूस हो रहा था। मेरी उंगलियों के स्पर्श से रॉकी को शायद ऐसा लगा कि उसका लंड मेरी चूत में घुस गया है तो वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा और अपने अगले पाँव से मुझे अपनी ओर खींचने लगा। इतने तेज झटकों से मेरे हाथ से भी लंड इधर उधर हो रहा था और चूत में नहीं जा रहा था। मगर फ़िर अचानक रॉकी का लंड सही ठिकाने पर टकराया और तेजी से मेरी चूत में करीब दो इंच तक घुस गया। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों से ऐसे टकराया जैसे कोई तेज धार वाला चाकू मेरी चूत में घुस गया हो। इस वार ने मेरा तो बैलेंस ही बिगाड़ कर रख दिया। मैंने जल्दी से लंड को छोड़ा और अपना हाथ आगे ज़मीन पर लगा कर गिरते-गिरते बची। उधर रॉकी भी मुझे अपनी ओर खींच रहा था तो उसका भी सहारा मिल गया। मगर इतनी देर में रॉकी का एक और धक्का लगा और उसका लंड दोबारा मेरी चूत की दीवारों से रगड़ता हुआ पहले से भी ज्यादा अंदर घुस गया। मेरे मुँह से फ़िर ‘आह’ की आवाज़ निकल गयी।आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं समझ गयी कि कुत्ता तो मुझे कुत्ते की तरह ही चोदेगा। इसलिये मैं झट से संभल गयी और अगले वार के लिये तैयार भी हो गयी। रॉकी ने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाल के फ़िर से लंड को मेरी चूत में घुसेड़ दिया। मैंने भी अपनी चूत को हिला कर लंड के धक्के सहने के लिये अड्जस्ट कर लिया। रॉकी के हर वार से मुझे मीठा-मीठा एहसास होने लगा था। रॉकी की ज़ुबान बाहर थी और वो मेरे कंधे के ऊपर से अपना मुँह आगे को निकाले हुए था और अपने अगले दोनों पैरों से मेरी कमर को इस तरह से पकड़े हुए था कि मेरी कमर उसके धक्के से आगे ना जा सके। अब ज़रा भी दर्द बाकी नहीं रहा था, बस मज़ा ही मज़ा था। रॉकी के लंड का आगे वाला पतला नोकीला हिस्सा जब मेरी चूत के अंदर तक जाता तो एक अजीब सा नशा मेरी चूत में घुल जाता था। मगर अब फ़िर एक दर्दनाक हमला होने वाला था। रॉकी का लंड फूल कर अब मुझे कुछ ज्यादा ही मोटा महसूस होने लगा। मैंने इंटरनेट पे कुत्ते से चुदाई वाली फिल्मों में देखा तो था कि कुत्ते का लंड पीछे से एक गेंद कि तरह फूल जाता है और जो चूत में घुस जाता है। मगर इस हिस्से को चूत में लेने से अब मैं घबरा रही थी। मैंने पीछे हाथ लगा कर देखा तो सच में रॉकी का लंड एक गेंद के जैसे गोल फूला हुआ था और मोटा भी काफी था। रॉकी तो लगातार अपने धक्के तेज कर रहा था, ताकि उसका वो मोटा हिस्सा भी मेरी चूत में घुस जाये। मगर मैं जानबूझ कर उसका झटका लगते ही अपने आप को आगे ढकेल देती ताकि उसका वो मोट हिस्सा मेरी चूत में ना जाये। पर रॉकी को ये सब मंज़ूर नहीं था। वो अपना काम अधूरा नहीं छोड़ने वाला था। उसने मुझे अपने अगले पैरों से कस के जकड़ लिया और अपने पीछे वाले पैर भी और आगे कर लिये। अब उसकी टाँगें मेरी जाँघों के साथ चिपकी हुई थीं। मुझे एहसास हो गया था कि अब रॉकी मेरे बलात्कार पर उतर आया है। रॉकी फ़िर से अपने मोटे लंड का प्रहार मेरी चूत पर करने लगा था और हर एक धक्के से मुझे एहसास होता कि उसका मोटा गेंद वाला हिस्सा मेरी चूत में घुस रहा है। मैंने एक बार कोशिश भी कि के रॉकी के आगे वाले पैरों से छूट जाऊँ, मगर उसने मुझे इतनी मजबूती से जकड़ रखा था कि मैं डर गयी कि उसके नाखून मेरे बदन में न लग जायें। अब मैंने मोटे गेंद जैसे हिस्से को चूत में घुसवा लेना ही ठीक समझा। मेरी चूत मुझे फैलती हुई महसूस होने लगी और इससे दर्द भी होने लगा था। मेरे मुँह से ‘आह-आह’ की आवाजें निकलने लगी थी। मगर रॉकी को तो मज़ा आ रहा था। वो हर धक्के के साथ मुझे अपनी ओर खींच लेता और पीछे से जोरदार झटका लगा देता। फिर एक और झटका लगा और उसका गेंद वाला हिस्सा भी पुरा मेरी चूत में घुस गया। मेरे मुँह से चींख निकल गयी। मेरी चूत का मुँह जो बुरी तरह फैल कर फट रहा था अब फिर से नॉर्मल हो गया जिससे मुझे कुछ राहत मिली। मगर मुझे अपनी चूत में वो गेंद जैसा हिस्सा ठूँसा हुआ थोड़ा अजीब भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था। अब रॉकी थोड़ी देर के लिये रुका और फ़िर से झटके लगाने लगा। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | भी उसके साथ अपनी कमर हिलाने लगी। मगर अब उसका लंड चूत में फंस चुका था। वो बाहर नहीं आ रहा था और अंदर ही अपना कमाल दिखा रहा था। इतनी देर में रॉकी ने तेज-तेज कमर हिलायी और फ़िर अपनी कमर को ऊपर उठा कर मुझे जोरदार धक्का लगाते हुए कस के जकड़ लिया। मुझे भी अपनी चूत में उसके लंड का तेज झटका लगा, जो अब तक के झटकों से सब से आगे तक पहुँचा था और फ़िर रॉकी के लंड का गरम-गरम पानी मैंने अपनी चूत में महसूस किया। रॉकी के तेज झटकों की वजह से मैंने भी एक बार फ़िर से अपना पानी छोड़ दिया। उधर रॉकी ने मेरी चूत में जितनी भी पिचकारियाँ छोड़ी मुझे सब का बारी-बारी एहसास हुआ। मैं बेहद मज़े और मस्ती में थी और थोड़ी देर ऐसे ही लंड को चूत में रखना चाहती थी। मगर रॉकी जो बुरी तरह से हाँफ रहा था, उसने मेरी कमर को छोड़ दिया और एक साइड को उतरने लगा।आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरी चूत में उसके लंड का गेंद वाला हिस्सा फंसा हुआ था और रॉकी के नीचे उतरने से मेरी चूत पर बहुत प्रेशर पड़ा और दर्द का एहसास होने लगा। इसलिये मैंने झट से उसकी दोनों टाँगें पकड़ी और उसको उतरने से रोक लिया। मगर रॉकी अब रुकने वाला नहीं था, वो बेतहाशा हाँफ रहा था। रॉकी अपने अगले पाँव मेरे ऊपर से हटा कर नीचे उतर गया और घूम कर खड़ा हो गया लेकिन उसका लंड मेरी चूत में वैसे ही फंसा रहा। मुझे एहसास हुआ कि उसके लंड से मेरी चूत में अब भी काफी रस बह रहा था। मैं ऐसे ही पंद्रह-बिस मिनट तक कुत्तिया की तरह रॉकी से जुड़ी रही जैसे कि अक्सर कुत्ते-कुत्तिया आपस में चिपके दिखायी देते हैं। फिर मुझे अपनी चूत में रॉकी के लंड का गेंद वाला हिस्सा थोड़ा ढीला होता महसूस हुआ तो मैंने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ा और पीछे कि तरफ़ खींचा तो उसका मोटा हिस्सा बाहर आने लगा। जैसे ही उसका गेंद जैसा मोटा लंड मेरी चूत में से बाहर आया तो मेरी चूत में से ‘फ़च’ की आवाज आयी जैसे की शैम्पेन की बोतल खोली हो। रॉकी भी शायद इसी के इंतज़ार में था। लंड बाहर निकलते ही वो एक कोने में जाकर बैठ गया। आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब मैंने उसका पूरा लंड लटका हुआ देखा। करीब सात-आठ इंच का होगा और आखिर में वो मोटा गेंद वाला हिस्सा अभी भी काफी फूला हुआ था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी मोटी गेंद मेरी चूत में घुसी थी। मैं उसके लंड की तरफ़ देखती रही और खुद भी सीधी होकर बैठ गयी। मेरी चूत में से मेरा और रॉकी का मिला जुला माल बहने लगा। मैं नीचे ही फ़र्श पर बैठी थी और नीचे ही मेरी चूत में से निकल रहा पानी फ़ैल रहा था। मैं भी निढाल होकर बैठ गयी और रॉकी की तरफ़ देखती रही। रॉकी अपने लंड को चाट रहा था और थोड़ी देर में ही वो अपने पैर पे पैर रख कर सो गया और धीरे धीरे उसका लंड भी छोटा होकर खोल में समा गया।जब मैं उठ कर खड़ी हुई तो मेरी चूत में से निकलता मेरा और रॉकी का मिला-जुला माल मेरी टाँगों से होता हुआ मेरे पैरों और सैंडलों के बीच में बहने लगा। मैंने बाथरूम में जाकर पेशाब किया। मेरी चूत टाँगें और सैंडलों में मेरे पैर चिपचिपा रहे थे और बेडरूम के फर्श पर भी काफी रस फैला हुआ था मगर उस वक्त मैंने कुछ साफ नहीं किया। बस बेडरूम में आकर धम्म से बेड पर लुढ़क गयी और सो गयी।
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