दवा के बहाने लंड खड़ा कर चूत में डलवा लिया

गतांग से आगे ….  जैसे ही मैं झुक कर उसको किस करने लगा उसका एक हाथ हमारे बीच में आ गया. देखो माही अब मैं तुमको सहवास की बारीकियाँ समझाती हूँ, सुनो ! सेक्स में फोरेप्ले करने का अपना महत्व है, ये जोड़े को चरम पर ले जाने में बहुत मदद करता है. यह सारी यौन क्रिया जितनी सोफिसटीकेटेड होगी, जोड़ा उतना ही ज्यादा आनंद पायेगा. लिप किस, जीभ को चूसना, कान के नीचे की लटकन को चूसना लटकन के नीचे गर्दन को चूसना और बोबे चूसने से औरत में आग भड़कती है. और उसकी चूत में से चिकना पानी बहने लगता है. ये चिकना पानी ही लण्ड को आराम से अन्दर जाने के लिए होता है. ये प्रकृति की देन है. अब श्रुति ने अपनी दोनों टांगो को फैला कर चौड़ा करते हुए कहा कि नीचे चूत की दरार को चौड़ा करके देखो. मैं कुछ समझ ही नही पा रहा था कि आज ये मेरी किस्मत इतना महरबान क्यों है. श्रुति के कहे अनुसार मैंने उसकी चूत के फलक को चौड़ा किया, श्रुति ने अपनी एक ऊँगली से बीच के उभरे हुए छोटे से आधे इंच के बराबर दाने को दिखाया और बोली कि यह क्लैटोरियस है. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | यह बहुत ही संवेदनशील होती है. इसके रगड़ खाने से परम आनन्द (ओर्गास्म) आता है. योनि की दोनों फलक के अन्दर होल का ऊपरी डेढ़ इंच तक का हिस्सा भी ज्यादा संवेदनशील होता है. अन्दर योनि लगभग ४ इंच गहरी होती है लेकिन यह फ्लेक्सिबल होती है और लण्ड के अन्दर जाने पर लण्ड की लम्बाई तक फ़ैल जाती है. अन्दर योनि के बाद बच्चेदानी का मुंह होता है. जब लण्ड इस पर अड़ता है तो आनंद दुगुना हो जाता है. जैसे जैसे औरत के काम जगता है, योनि में मीठी मीठी खुजली होने लगती है. लण्ड की रगड़ साथ योनि के बीच का हिस्सा उस खुजली को मिटा कर बहुत सुकून देता है. अब ये याद रखो कि योनि के फलक और लण्ड के आगे सुपाडे में यदि बहुत जोर की रगड़ या धक्का दिया जाए तों तेज दर्द से भी इन अंगों के ऊतक क्षतिग्रस्त हो सकते हैं इसलिए लण्ड की एंट्री हलके से सरसराते हुए करनी चाहिए न की ज्यादा जोश में आकर तेज़ धक्का लगाकर. वरना जो आनंद सेक्स की प्रत्येक गतिविधि से मिलता है वो न मिलकर हार्ड सेक्स की आदत हो जाती है.  अब बहुत हो चुका, अब मेरे बोबों से शहद को चाटकर साफ़ करो. मैं उसके शरीर के ऊपर वाले हिस्से की ओर मुड़ा और दोनों हाथों से उसके बोबों को थाम कर अपनी जीभ से शहद चाटने लगा, श्रुति के मुंह से सिस्कारियां और आहें निकलने लगी, उसके हाथों ने मेरे सिर के बालों को सहलाना शुरू किया और धीरे धीरे मेरे सिर को बोबों की ओर भींचने लगी। अचानक वो नीचे सरकी और मेरे सीने पर अपने होंट चिपका कर शहद चूसने लगी, मेरा तो फ़्यूज़ उड़ गया, इतनी उत्तेजना तों मैं सहन नही कर पा रहा था. सात इंच का लण्ड कड़क होकर पत्थर के माफिक हो चुका था. अब श्रुति ने मुझे थोड़ा सा झुकाते हुए कानो के नीचे मेरी गर्दन पर हलके से अपने दांत लगाये, होटों को गर्दन पर चिपकाया और जीभ को घुमा कर मेरी गर्दन को चूसने लगी, मेरे शरीर में बिजलियाँ गिरने लगी, मेरा शरीर भट्टी की तरह तप गया, मुह से बहुत ही लम्बी सिसकारी निकली. मैं ने श्रुति का चेहरा हाथों में थाम कर अपने होंट उसके होटों पर चिपका दिए, हम एक दूसरे के होंट चूसने लगे, श्रुति ने अपनी जीभ मेरे मुह में दे दी, मैं टॉफी की तरह जीभ चूसने लगा, सच में इतनी रसदार, स्वादिष्ट तों कभी कुछ जिन्दगी में पहले कभी खाया नही था. मैं सरक कर बेड पर उसके ऊपर आ गया, एक हाथ से लण्ड को उसकी चूत के फलक के बीच लम्बाई में सेट किया, और अपने धड़ को थोड़ा झुका कर श्रुति के बोबे चूसने लगा. श्रुति के मुंह से आहें और सिसकियां तेज़ होती जा रही थी, उसके बोबे एकदम कड़क हो गए थे, मैंने उसकी गर्दन पर उसके ही अनुसार दांत लगा कर चूसना शुरू किया, उसकी आँखें एकदम से मुंद गई, उसको हिचकियाँ आने लगी जैसे रोने के बाद आती हैं, मैं घबरा गया, पूछा क्या हुआ रानी ! श्रुति बोली – माही मेरे भोले राज्जा ये निर्मल आनंद है, घबराओ मत, लेकिन अब लण्ड का प्रेशर मेरी क्लेटोरिअस पर बढ़ा दो और मुझ से चिपक जाओ. मैंने अपन लण्ड शरीर के दबाव से उसकी चूत पर जोर से दबाया. दोनों ३-४ मिनिट तक चिपके रहे, फ़िर कुछ देर मैंने अपना लण्ड श्रुति की चूत की दरार के बीच उसके क्लैटोरियस पर रगडा. अब श्रुति ने कहा कि मेरे प्रिय स्टुडेंट माही, अब मैं आनंद के झूले पर सवार हूँ, इस आनंद को अपने चरम पर लाने का काम शुरू कर दो, ये कहते हुए एक कंडोम का पैकेट तकिये के नीचे से निकाल कर मेरे हाथ में दे दिया, और श्रुति के सहयोग से मेरे लण्ड पर अगले ३० सेकंड्स में एक कंडोम लगा नज़र आने लगा. मैं फ़िर श्रुति पर आ गया, मैं ने अपने हिप्स थोड़े ऊपर किए और हाथ उसकी चूत पर लगाया, उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि नीचे चादर तक गीली हो गई थी. लण्ड को श्रुति की चूत पर सेट किया, लेकिन ये लेकिन ये सब पहली बार था सो लण्ड अंदर नही जा पाया, ऊपर से अकड़ इतनी ज्यादा थी कि वो अपनी जगह से टस से मस भी नही होने को राजी था. श्रुति हौले से मुस्कुराई और अपना एक हाथ नीचे ले ला कर लण्ड को अपनी चूत के छेद पर सेट किया और बोली लण्ड को अन्दर डालो मैंने धीरे से जोर लगाया तो लण्ड जरा सा ही अन्दर हुआ, अन्दर जाने के अहसास से लण्ड तनकर स्टील के माफिक कड़क हो चुका था. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  नीचे से श्रुति ने अपने हिप्स ऊपर किए, उसने अपना हाथ बीच में से हटा लिया, लण्ड पर थोड़ा जोर डालने पर सरकता हुआ धीरे धीरे चूत की गहराई में घुस गया, मैं तो सातवें आसमान पर आ गया और श्रुति के मुह से एक लम्बी सिसकारी निकली वो मेरे साथ ऐसी चिपक गई जैसे मेरे ही शरीर का हिस्सा हो. उसके शरीर ने सारी हरकत बंद कर दी. मुझे कुछ पता नही चल रहा था कि क्या  हो रहा है, जब ३-४ मिनिट तक कोई हरकत नही  हुई तो मैंने अपना वजन कोहनी और घुटनों पर लिया और एक हाथ से उसके गाल  थपथपाते हुए उसको हलके हलके आवाजें दी. उसने  धीरे धीरे अपनी आँखें खोली, मेरे चेहरे की घबराहट को देख कर बड़े प्यार  से मुस्कुरा कर बोली, मेरे शेर मेरे राजा ये सब इस खेल के  आनंद है. चिंता मत करो. ये सब नरम ढंग से सेक्स करने का आनंद है.  प्रत्येक हरकत आनंद देती है. तुम्हारे लण्ड ने अंदर सरक  कर मेरी चूत की खुजली को बहुत आराम दिया है.  अब श्रुति ने फ़िर एक जुम्बिश खाई और पलट कर मुझे नीचे कर दिया और वो मेरे  ऊपर हो गई, मैं फ़िर एकबार उसकी इस हरकत  पर दंग रह गया, न जाने श्रुति मुझे बहुत ही प्यारी लगने लगी हालाँकि अब तक  का उसका व्यव्हार एक रहस्य था. लेकिन अब तक  का बिजी टाइम मुझे ये पूछने नही दे रहा था. 1 मिनिट का रेस्ट लेकर श्रुति  ने कहा कि माही राज्जा अब मेरे ऊपर के बदन से जैसा  चाहो खेलो, मैंने उसके बोबे दबाना और लिप किस करना एक साथ शुरू किया हम  दोनों में आग भरती गई, फ़िर तो मैंने उसके बोबे  चूसना, गर्दन और कानो को चूसना और होटों व एक दूसरे की जीभ को चूसना ये  सब एक के बाद एक बदल बदल कर करना शुरू  किया और श्रुति ने बगैर न नुकर किए पूरा सहयोग देना शुरू किया।  धीरे धीरे हम दोनों की आँखें मुंदने लगी, सिसकियों और आहों से कमरे में  गर्मी आने लगी, बदन से गर्मी फूट कर पसीना आने लगा,  श्रुति के हिप्स लम्बाई में चलने लगे. वो हिप्स को ऊपर नीचे नही करके  लम्बाई में चला रही थी. इसने मुझे बहुत आनंद दिया,  मेरी झांटे उसकी झांटों से रगड़ खा रही थी और उसका क्लैटोरियस भी. ऊपर के  आधे शरीर पर सारी हरकतें हो रही थी और नीचे चक्की  के पाटों के बीच घर्षण हो रहा था. अन्दर लण्ड श्रुति के बच्चेदानी पर टकरा  रहा था, मेरी गाण्ड भी धीरे धीरे हरकत में आने लगी,  श्रुति की हरकत लम्बाई में कम होकर तेज मूव होने लगी, हमारे होंट एक दूसरे  के चिपक गए, मेरे धक्के भी नीचे से तेज और तेज  होते गए, अचानक श्रुति के होंट खुले और वो फुसफुसाई राजा और तेज़, और और  तेज़ ठोको, और एकदम से थम कर मेरे ऊपर ढेर  हो गई, फ़िर उसके शरीर ने हरकत बंद कर दी. मैं उसके बाल सहलाने लगा, धीरे  धीरे उसको चूमने लगा, वो बहुत ही प्यारी लगने और  प्यारी लगने लगी।  आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | चार पॉँच मिनिट बाद उसकी ऑंखें खुली, वो बहुत हौले से प्यारी सी  मुस्कुराई, बोली मज्जा आ गया, और फ़िर दोबारा किस्सिंग चालू  हो गई, श्रुति ने तीन बार, ऊपर रहते हुए ओर्गास्म लिया और तीसरी बार में  फ़िर उसके शरीर ने जुम्बिश खाकर मुझको ऊपर ले  लिया, बोली अब तुम्हारी बारी है राजा शुरू हो जाओ।  नीचे से उसने किस्सिंग को बदल बदल कर मेरे होटों फ़िर कान फ़िर सीना फ़िर  गर्दन सब को चूस कर मुझ में भट्टी जला दी. अब  मैंने धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत के फलक तक लाकर अन्दर गहरे उतरना चालू  किया, उसके मुह से हिचकियाँ आने लगी, दोनों  एक दूसरे की बाँहों में जकड गए।  मैं धक्के लगाने की रफ्तार बढ़ता चला गया और उसके मुह से हिचकियों की  रफ्तार भी बढ़ने लगी. लगभग ७०-८० धक्कों के बाद  मेरे लण्ड में जोर की अकडन हुई और इतना तेज ओर्गास्म हुआ कि मैं श्रुति के  बिल्कुल चिपक गया, मेरी आँखें मुंद गई, और  मैं कहाँ चला गया कुछ पता नही चला. लगभग पाँच मिनिट बाद आंखें खुली, मैं  श्रुति की साइड में आ गया, करवट लेकर, श्रुति  को अपनी बाँहों में जकडा, उसमे अभी तक हरकत नही थी, और एक दूसरे के चिपक कर सो गए.  आधे घंटे बाद हम जागे, एक दूसरे को बाँहों में लिए ही हम बैठ गए, श्रुति ने  तकिये और गाव तकिये दीवार के सटा कर सेट किए  और हम टाँगे फैला कर दीवार के सहारे धड टिका कर बैठ गए. अब थी मेरी सारी  उत्सुकता शांत करने की बारी, श्रुति ने धीरे धीरे  एक एक सवाल का जवाब दिया, श्रुति भी एक ऐम ऐस डॉक्टर है, उसकी शादी को ६-७  महीने ही हुए हैं लेकिन पति के ट्रान्सफर  ने सारा कबाडा कर दिया, कभी सात तो कभी कभी १५ दिन तक में एक बार डेढ़  दिन का मिलन होता है, हमारी दोनों की नौकरी ने  हमें अलग कर रखा है. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तुम आए, मुझे अच्छे लगे, फ़िर तुम इतने अच्छे लुक के  होते हुए भी इधर उधर मुंह नही मारते, बोलने का  अंदाज बहुत अच्छा है, तमीज और आदर के साथ बोलते हो, तो मैंने ये निर्णय लिया.  अब तो तुमको अनुभव हो गया होगा कि किस किस स्टेज पर कैसा मज़ा आता है. फ़िर उसने बताया कि ओर्गास्म के समय फेरोमोन नाम का हारमोन शरीर को परम आनंद की ओर ले जाता है और शरीर को पूरा रिलेक्स कर देता है. अब एक वादा करो कि यदि अब भी इधर उधर मुह नहीं मारोगे तो मैं तुमसे सम्बन्ध रखने को तैयार हूँ, जब मेरी इच्छा होगी तुमको बुला लूंगी. मैंने वादा किया. श्रुति ने और बताया कि मैं उनकी जिन्दगी में कुल दूसरा पुरूष हूँ. अब फ़िर वो उठी और मेरी जांघो पर बैठ गई, हम बैठे हुए ही एक दूसरे की बाँहों में बंध गए. हमारे होंट फ़िर एक दूसरे के चिपक कर चूसने लगे. मैंने श्रुति को हिप्स के पीछे हाथ रखकर अपने से सटा लिया, उसकी चूत की दरार में मेरा लण्ड सेट हो गया. मेरे हाथ उसके बोबे दबाने लगे. उसके हाथ मेरे लण्ड को पकड़ कर उसकी चूत में क्लैटोरियस पर फिरने लगे, मैं उसकी जीभ चूसने लगा. फ़िर अपने हाथ उसके बोबों से हटा कर अपनी उँगलियों के पोरों को उसकी एड़ी से छूआया और सिर्फ़ अँगुलियों के पोर हौले से छुआते हुए हाथ ऊपर को लाते गया. पिंडली, घुटने फ़िर जांघे और उसके बाद कूल्हे. कूल्हे तक आते आते श्रुति के शरीर में तेज हरकत होनी शुरू हो गयी. उसके होंट मेरे होटों से हट कर सिसकियाँ भरने लग गए. उत्तेजना की लहरें उसके शरीर में उठने लगी, वो मेरे से एकदम चिपक गई. मैंने दो बार और इसी तरह किया. उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिए और बोबों पर कस लिए. मैं समझ गया की अब वो और बर्दाश्त नही कर सकती मैंने उसके बोबे भींचने शुरू कर दिए. अपने होंट उसके गले पर चिपका दिए और चूसने लगा. अब उसने मेरी एडी से कूल्हों तक अपनी अँगुलियों का स्पर्श करते हुए हाथ फिराए. मेरे शरीर में बिजली फूटने लगी. मैंने कस कर श्रुति को अपने से चिपका लिया और उसके कूल्हों को अपने हाथों में थम कर श्रुति को ऊपर नीचे करने लग गया. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  इस बैठी पोसिशन का फायदा ये था की पूरा शरीर हाथों की हद में था. शरीर एक दूसरे को चिपके थे और दोनों के मुह एक दूसरे के बिल्कुल सामने थे और दोनों के हाथ कुछ भी करने को स्वतंत्र थे. श्रुति ने मेरी जीभ अपने मुह में लेकर चूसनी शुरू कर दी और अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे कस कर कूल्हे चंलाने शुरू कर दिए. मैंने एक हाथ दोनों के बीच लेकर अपने लण्ड को पकड़ कर श्रुति को थोड़ा पीछे करके उसकी चूत के छेद पर सेट करके श्रुति के हिप्स के पीछे अपना हाथ लगाकर अपनी और खींचा. लण्ड सरकता हुआ उसकी चूत में जा घुसा और बच्चेदानी के मुह पे जा लगा. उसके मुह से सीसाहट निकलने लगी उसने फ़िर मेरे पूरे मुह को चाट दिया. अब मैंने उसके कूल्हे हाथों में उठा कर ऊपर नीचे करने लगा. अब श्रुति ने इसी पोसिशन में सहयोग करना शुरू किया, हमारे होंट एक दूसरे को चूसने लगे। जैसे जैसे हम ओर्गास्म की तरफ़ बढ़ते गए, होंट बहुत जोरों के चूसे जाने लगे. कूल्हों की हरकत बढती गई. श्रुति के होंट ढीले पड़ने लगे और गर्दन पर हाथ कसते गए फ़िर एकदम से ढीले हो गए. श्रुति के मुह से लम्बी सीत्कार निकली और मेरे ओर्गास्म आने तक वो हिचकियाँ लेने लग गई. हम एक दूसरे को पकड़े जकडे फ़िर निढाल हो गए.  १५ -२० मिनिट बाद धीरे धीरे हमारे शरीर में हरकत होने लगी. न चाहते हुए भी हम एक दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े इकठ्ठा करके उनको बदन पर डालने लगे. आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | थोडी देर में हम वापस २ घंटे पुरानी हालत में आ गए. मैं विदा होने के लिए तैयार हो गया. श्रुति ने विदा होते समय कहा कि हमारे रिश्ते के बारे में किसी को भी पता नही चलना चाहिए. मैंने कहा कि बिल्कुल, ये भी कोई कहने वाली बात है, निश्चिंत रहो. मेरे पूछने पर फीस के बारे में बताया कि ज्वेलरी उसके पास बहुत है, कोई यादगार आइटम लाकर दे देना, मैंने अगले ही दिन उसको प्यार करते हुए पेयर का चाइनीज शो पीस लाकर दिया, उसने बहुत खुशी से स्वीकार किया जो आज भी उसकी शो विण्डो की शोभा है. वो मुझे बहुत समय तक बुलाती रही, २ सालों बाद भी वोही पहली बार की अनुभूति होती थी. जब मेरी शादी की बात चलने लगी तो भी वो बहुत खुश हुई, बोली मेरे प्यारे स्टुडेंट अब तुम्हारा एक्जाम का टाइम आ गया है, हम ऐसे ही मिलते रहेंगे. मजे करो. और मेरी गुरुआनी के सबक मेरी शादी में बहुत काम आये. श्रुति ने मेरी पत्नी को देख कर मेरे कान में कहा कि तुम खुश किस्मत हो, सुखी रहोगे, लड़की अच्छी है. मैंने श्रुति को बोला मैं तो पहले से ही खुश किस्मत हूँ. शादी के बाद भी दो सालों से ज्यादा हम और साथ बने रहे फ़िर उसके पति का ट्रान्सफर कही और हो गया | अब मै अपनी बीवी के साथ खुश हूँ | समाप्त



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