गतांग से आगे ….
और जब राजीव जाने लगे तो मैं उनके सीने से लिपट गयी और मेरी आँख में आँसू निकलने लगे। मैं रोने लगी। मुझे एक ही दिन में राजीव से अपनी जान से ज़्यादा मोहब्बत हो गयी थी । वो मुझे किस करने लगा और कहने लगा, “अरे शबीना! ऐसे रोया नहीं करते, मैं हूँ ना तुम्हारे साथ, तुम किसी बात की फिक्र नहीं करना, मैं तुम्हारा ज़िंदगी भर साथ नहीं छोड़ुँगा। मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ, बस ये राज़ मेरे और तुम्हारे बीच ही रहने दो…. फहीम को इसकी खबर न हो, नहीं तो अच्छी बात नहीं होगी….. वो क्या फ़ील करेगा मेरे बारे में।“ मैंने आँसू भरी आँखों से राजीव की तरफ़ देखा और अपना सर हाँ में हिला दिया। मैं राजीव को छोड़ना ही नहीं चाह रही थी और उसे कस के पकड़ा हुआ था। मैं चाह रही थी कि कम से कम आज की रात राजीव मेरे साथ ही रहे और सारी रात मुझे प्यार करता रहे और मैं उसकी बाँहों में छिप के सो जाऊँ पर क्या करती, मजबूरी थी। उसको भी अपने घर जाना था। उसके भी तो बीवी बच्चे थे। आँसू भरी आँखों से राजीव को रुखसत किया और बेड पे गिर के रोने लगी। ये एक अजीब से रिश्ते की बुनियाद थी जिसे क्या नाम दूँ, मेरी समझ में नहीं आ रहा था। थोड़ी देर उदास रही पर फिर इस ख़याल से खुश हो गयी कि अब मुझे अपने चूत की प्यास बुझाने के लिये तरसना नहीं पड़ेगा। पता नहीं कब मैं वैसे ही सिर्फ सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी सो गयी।
सुबह उठी तो तबियत कुछ अजीब सी लग रही थी। बेड पे ही काफी देर तक लेटी रही और रात की चुदाई का सोच सोच के मुस्कुराती रही और फिर जब उठके बाथरूम जाने लगी तो पता चला कि मेरी चूत काफी सूज गयी है और चूत में बहुत दर्द हो रहा था। मैं रातभर से नंगी तो थी ही। अपने सैंडल उतार कर मैं बाथरूम में गयी और गरम-गरम पानी से शॉवर लिया और चूत में साबुन लगा के गरम पानी से धोया, तब कहीं जा कर चूत कि तकलीफ कुछ कम हुई और शॉवर से बाहर निकल के अपने जिस्म को टॉवल में लपेट के जिस्म सुखा रही थी तो सारे जिस्म में एक मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था जो बेहद अच्छा लग रहा था। नहाने के बाद कपड़े पहने और कॉफी बना कर पीने लगी। रात में कुछ खाया भी नहीं था और सच मानो कुछ खाने का मूड भी नहीं कर रहा था। कॉफी के साथ कुछ बिस्कुट खा लिये और मैं फ़्रेश हो गयी तो मुझे कल राजीव के साथ अपनी चुदाई का हाल याद आ गया तो मैं फिर से मुस्कुराने लगी और राजीव का खयाल आते ही मैंने ऑफिस के टेलीफोन पे राजीव का नम्बर डायल किया।
“हेलो शबीना, कैसी हो…..” उसने पूछा। “छोटी सी चूत को फाड़ के अब पूछते हो कैसी हूँ?” मैंने हँसते हुए कहा तो वो भी हँसने लगा। मैंने पूछा, “तुम कैसे हो?” तो उसने कहा कि “जब से तुम्हारे घर से वापस आया हूँ, किसी काम में दिल नहीं लग रहा है, तुम्हारी याद सता रही है और तुम्हारी बांहों में सोने का मन कर रहा है।“ मैंने हँस कर कहा, “आ जाओ ना फिर…. देखो मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही हूँ”, तो राजीव ने हँसते हुए पूछा कि “तुम इंतज़ार कर रही हो या तुम्हारी चूत??” मैंने हँस के कहा, “खुद ही आ के पूछ लो, वो तो ज़खमी है…. शायद उसको मसाज की ज़रूरत पड़ेगी।“ राजीव ने फिर से हँसते हुए कहा कि “चलो अगर चूत ज़खमी है तो आज गाँड से ही काम चला लेते हैं”, तो मेरे मुँह से एक दम से चींख निकल गयी “नही….ईईईईईईई।“ वो हँसने लगा और कहा कि “चलो मैं थोड़ी देर में आता हूँ और खुद ही पूछ लुँगा कि कौन मुझे याद कर रहा है।“ फिर राजीव ने पूछा, “रात नींद कैसी आयी शबीना?” तो मैंने कहा “बहुत वंडरफुल नींद आयी, ऐसी मस्ती में सोयी जैसे बेहोश हो गयी हूँ और बस अभी- अभी आँख खुली है। बस अभी शॉवर लेकर आयी हूँ, मुझसे तो ठीक से चला भी नहीं जा रहा है, कुछ मीठा-मीठा सा दर्द सारे जिस्म में है।“ राजीव हँसने लगा और कहा, “अभी क्या इरादा है?” मैंने कहा, “आ जाओ…. अब तुम्हारे बिना एक मिनट भी दिल नहीं लग रहा है।“ राजीव ने कहा, “मेरा भी यहीं हाल है।“ मैंने कहा, “राजीव क्या आज कि रात मेरे साथ रुक सकते हो….. मैं अकेली हूँ और फहीम भी शायद एक वीक के बाद ही आयेगा!” तो उसने कहा, “हाँ रुक तो सकता हूँ पर एक शर्त है अगर तुम रेडी हो गयी तो मैं आज की रात क्या, फहीम के आने तक तुम्हारे पास ही रुक सकता हूँ।“ एक वीक तक हर रात मेरे साथ गुज़ारने का सुन के मैं तो जैसे खुशी से पागल हो गयी और कहा कि, “राजीव तुम एक वीक तक मेरे साथ गुज़ारोगे तो मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है और अगली बार के लिये भी सारी शर्तें मंज़ूर हैं…. बस तुम आ जाओ और मेरे साथ एक वीक की सारी रातें गुज़ारो…. मैं तुम्हारे लिये कुछ भी कर सकती हूँ….. अपनी शर्त बोलने की ज़रूरत नहीं है…. ओके!” तो राजीव ने कहा, “देखो सोच समझ के जवाब दो और मेरी शर्त तो सुन लो”, तो मैंने कहा “मुझे कुछ नहीं सुनना है…. बस मैंने कह दिया ना कि मुझे तुम्हारी हर शर्त बिना सवाल के मंज़ूर है।“ उसने कहा, “ठीक है अगर तुमहारा यहीं फ़ैसला है तो…. ओके मैं आज से एक वीक की सारी रातें तुम्हारे ही साथ गुज़ारुँगा। और हाँ! तुम आज सारा दिन रेस्ट ले लो और सो जाओ क्योंकि मैं आज की रात से एक वीक तक की रातें तुम्हें सोने नहीं दुँगा।“ ये सुन के मेरा दिल खुशी के मारे उछलने लगा और मैं बच्चों की तरह से खुश हो गयी।
राजीव ने कहा “तो ठीक है मैं ऑफिस खतम कर के सीधे तुम्हारे पास ही आ जाऊँगा और तुम डिनर तैयार नहीं करना, मैं पिज़्ज़ा हट से सूपर सुप्रीम पिज़्ज़ा लेकर आ रहा हूँ।“ मैंने कहा, “ठीक है” और वेट करने लगी। वॉव राजीव एक वीक तक मेरे साथ ही रहेगा तो खुशी के मारे मुझसे खाना भी नहीं खाया गया। मैं बेसब्री से रात का और राजीव का इंतज़ार करने लगी। जैसे-तैसे लंच किया और सोने के लिये बेड पे लेट गयी पर नींद कहाँ आती। मेरा सारा दिमाग तो राजीव के लंड में अटक के रह गया था। बस बेड पे लेटी रेस्ट करती रही और चुदाई का खयाल आते ही मुस्कुरा देती। शाम को पाँच बजे के आसपास मैं तैयार होने उठी। पहले मैंने अपनी टाँगों, बाँहों, चूत और गाँड पर वैक्सिंग की और फिर खूब अच्छे से नहाई। बालों को शैंपू करके हेयर ड्रायर से सुखाया। फिर शिफॉन का पिंक रंग का सलवार-कमीज़ पहना। कमीज़ स्लीवलेस और बेहद गहरे गले का था। साथ में मेल काते काले रंग के साढ़े-चार इंच हाई-हील के स्ट्रैपी सैंडल पहने। फिर थोड़ा सा मेक-अप किया। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | तकरीबन सात बजे बेल बजी। डोर खोला तो देखा कि राजीव खड़ा मुस्कुरा रहा है। ब्लैक पैंट और व्हाइट शर्ट पे डार्क ब्लू और रेड स्ट्रैप की टाई में वो बहुत ही शानदार लग रहा था। मैं तो देखती की देखती ही रह गयी। राजीव ने हँस के कहा, “अंदर आने भी दोगी या यहीं खड़ा रखोगी” तो मैं चौंक गयी और कहा, “ओह सॉरी, अंदर आ जाओ प्लीज़”, तो राजीव अंदर आ गये और अपने पीछे डोर को लॉक कर दिया। उनके हाथ में एक बड़ा पिज़्ज़ा और एक शॉपिंग बैग में चॉकलेट आईस क्रीम थी। मैंने पूछा कि “आपको कैसे पता चला कि आई लव चॉकलेट आईस क्रीम” तो राजीव ने कहा “सबसे पहले तो ये आप-आप करना छोड़ो और हाँ मुझे पता है कि हर स्वीट लड़की को चॉकलेट आईस ख्रीम ज़रूर पसंद होती है, बस दिल ने दिल से कहा और मैंने सुन लिया” तो मैं मुस्कुरा दी और राजीव से लिपट गयी और अपना मुँह उसके सीने में छिपा कर उसके जिस्म को बे-हताशा प्यार करने लगी और बोली के “आई लव यू सो मच, राजीव आई लव यू सो मच, आई नीड यू आलवेज़, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती, अब राजीव प्लीज़ तुम डेली आते रहना मेरे पास नहीं तो मैं नाराज़ हो जाऊँगी।“ राजीव ने मुझे अपने आप से लिपटा लिया और मेरे जिस्म पे हाथ फेरा और अपनी बांहों में जकड़ लिया और बोला कि “हे शबीना, आई आलसो लव यू सो मच शबीना, यू डोंट वरी, मैं डेली तुम्हारे पास आऊँगा और तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूँगा, यू आर द डार्लिंग ऑफ़ माय हार्ट एंड सोल।“ हम दोनों एक दूसरे से लिपटे रहे। वो मुझे प्यार करने लगा और मैंने थोड़ा सा ऊपर उठ के राजीव के लिप्स पे किस किया। फिर हम दोनों के मुँह खुल गये और हम एक दूसरे की ज़ुबान चूसने लगे। राजीव के जिस्म से आती हुई पर्फयूम की खुशबू मुझे पागल किये दे रही थी। आप लोग यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | हम दोनों टेबल पे आ गये और पिज़्ज़ा खाने लगे। राजीव मुझे अपने हाथों से पिज़्ज़ा खिला रहे थे तो मैंने एक पिज़्ज़ा का पीस अपने मुँह में रखा और राजीव को खिलाया और उसके साथ ही किस भी हो गया। इसी तरह से हम एक दूसरे को एक दूसरे के मुँह से खिलाते रहे और एक-एक पीस के साथ किसिंग भी चलती रही। दिल कर रहा था कि राजीव और मैं तमाम ज़िंदगी एक दूसरे के साथ ही रहें और ऐसे ही एक दूसरे को प्यार करते रहें। ये ऐसी दिल थी जो पूरी नहीं हो सकती थी, ये मुझे भी मालूम था और राजीव को भी। पिज़्ज़ा खतम हो गया और हम थोड़ी देर ऐसे ही मस्ती करते रहे।
डिनर खतम होने तक तकरीबन नौ बज गये थे। थोड़ी देर के बाद राजीव ने व्हिस्की के दो पैग बनाये और हम दोनों सोफ़े पे बैठ के व्हिस्की पीने लगे। व्हिस्की पीते-पीते राजीव ने मेरी कमीज़ के स्ट्रैप मेरे कंधों से नीचे खिसका दिये और मेरी चूचियों से खेलने और दबाने लगा। पिछली रात की चुदाई के बाद और व्हिस्की के सुरूर से अब मैं भी बोल्ड हो गयी थी और मैंने अपना हाथ राजीव के लंड पे रखा तो उसका लंड फौरन उसकी पैंट के अंदर खड़ा हो गया। मैंने सोचा कि इतना बड़ा और मोटा लंड पैंट के और अंडरवीयर के अंदर अकड़ेगा तो राजीव को तकलीफ होगी। इसलिये मैं सोफ़े से उठ गयी और अंदर कमरे में जा कर फहीम की एक लुँगी ले आयी और राजीव को दे दी। चलते वक्त मुझे महसूस हुआ कि मुझ पर व्हिस्की का नशा हावी होने लगा था क्योंकि मेरे कदम उन हाई-हील सैंडलों में थोड़े से लड़खड़ा रहे थे। राजीव सोफ़े से उठ कर खड़ा हुआ और अपनी शर्ट और बनियान निकाल दी और बोला, “शबीना ज़रा पैंट निकाल दो” तो मैंने पैंट की बेल्ट खोली और ऊपर से हुक खोल कर ज़िप को नीचे करके पैंट उतार दी। अब लंड अंडरवीयर के अंदर तंबू बनाये हुए था। मैंने थोड़ा सा आगे को झुक कर अंडरवीयर के दोनों तरफ़ से दो हाथ डाल कर जैसे ही अंडरवीयर नीचे किया तो मैं एक दम से उछल पड़ी। लंबा, मोटा रॉकेट जैसा लंड उछल कर मेरे मुँह के सामने लहराने लगा तो मैंने मस्ती में उसको अपने हाथ से पकड़ लिया और लंड के सुपाड़े का एक ज़बरदस्त चुंबन ले लिया और थोड़ा सा चूस लिया। राजीव ने अभी मेरे मुँह में लंड घुसाना सही नहीं समझा क्योंकि अभी-अभी हम ने खाना खाया था और मैं व्हिस्की के तीन पैग पी चुकी थी। उसने सोचा होगा कि कहीं उलटी ना हो जाये और खाना बाहर निकल ना जाये। राजीव ने लुँगी लपेट ली। फिर राजीव ने कहा कि अरे इसकी क्या ज़रूरत है और अपनी लूँगी निकाल दी और बिना शर्ट और बिना लुँगी के मेरे पास नंगा ही सोफ़े पे बैठ गया। मैं अपने लिये चौथा पैग डालने लगी तो राजीव ने मुझे रोक दिया। राजीव ने मेरे भी सारे कपड़े भी उतार दिये और अब मैं भी सिर्फ सैंडल पहने, नंगी ही उसके साथ सोफ़े पे बैठी थी और हम एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। मैं उसका लंड दबाती और मसलती रही। वो मेरी चूचियों को मसलता और निप्पलों को काटता रहा और चूत का मसाज भी करता रहा।
कहानी जारी रहेगी …| आज मै यही पे स्टॉप करती हूँ आगे की कहानी अगले भाग में और हां आप लोग अपनी प्रतिक्रिया देना ना भूलना मेरी मेल आई डी जिन्हें नही पता है वो ले ले :[email protected]