गतांग से आगे ….
तभी शन्नो उसके पास गई और उसके कान में कुछ कहा। उसने अपना सर हिलाया और वो शन्नो के पीछे पीछे चल दिया। शन्नो ने मुझे आंख मार कर इशारा कर दिया। मेरा दिल धड़क उठा। क्या मामला अभी … नहीं … नहीं … इतनी जल्दी कैसे होगा।
पर नजर का जादू चल जाये तो क्या जल्दी और क्या देर … मेरा घायल दिल और परेशां दिमाग … खुदा की मरजी … हाय मेरे दिलदार … मन की कश्ती मौजों से घिर गई। मेरे कदम शन्नो के कमरे की ओर बढ़ चले।
“दिल नर्म … जबां गरम … जिस्म शोला … जाने किस की जान लोगी !”
“हाय अल्लाह … ऐसे ना कहो … ! ” मैं शर्म से जैसे लाल हो गई।
“जवानी बला की, खूबसूरती जहां की … तन तराशा हुआ … खुदा ने जवानी की यही तस्वीर बनाई है !” अफजल मेरे गुणगान में लगा था। मेरी उलझी हुई लटें मेरे चेहरे पर आ गई। जुल्फ़ों के बीच में से मैंने उसे देखा … वो जैसे तड़प उठा,” सुभान अल्लाह … ये हंसी चेहरा … जनाब का क्या इरादा है।”
अफजल को आशिकाना लहजे में देख कर शन्नो वहाँ से चली गई। अफजल मेरे करीब आ गया।
“आदाब … अफजल जी !”मैंने झुकी पलकों और चुन्नी में चेहरे को लपेटे शरमाते हुये कहा।
“आपने कहा आदाब … हमने कहा जनाब हमारी तकदीर … आ दाब दूँ !” उसकी शरारत मेरे दिल को चीर गई।
“धत्त् … आपकी बातें बहुत मन को भाती है … “मैंने उसे बढ़ावा दिया। नतीजा तुरन्त सामने आया। उसने मुझे अपने पास खींच लिया …
“अफजल … शन्नो ने मुझे आपके बारे में बताया है … आप फ़िक्र ना करें … आप मुझे लूट सकती हैं … ये मुजस्मां आपका ही है … जैसे चाहो … जहां चाहो … इसे अपने रंग में रंग लो !”
“हमें डर लगता है … कहीं उनको पता ना चल जाये … !” मेरे माथे पर पसीना छलक आया था।
“देखिये मोहतरमा … इश्क और मुश्क छिपाये नहीं छिपता है … ये तो तन की प्यास है कोई इश्क मुश्क नहीं … शन्नो को रोज चोदता हूँ … आप भी वहीं पर … ”
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मैंने उसके अधरों पर अंगुली रख कर उसे चुप कर दिया। मैं उसकी बातों पर रीझ गई थी, शरम से लाल हो रही थी। वह तो बेहयाई से बोला जा रहा था।
“बस ऐसे ना कहो … शरम भी कुछ चीज़ है !”मैंने उसकी चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया।
“अफजल … ऊपर वाले कमरे में चले जाओ … मैं बाहर से ताला लगा देती हूँ … वहाँ बाथरूम भी है … अफजल अभी जा रहे हो क्या ?” शन्नो ने हमें ऊपर का रास्ता बता दिया।
“आजा अफजल … ऊपर आ जा !” और हंसता हुआ वो छलांगें मारता हुआ ऊपर चला गया।
मैं शन्नो से शरम के मारे लिपट गई। शन्नो की आंखों में आंसू थे …
“जा मेरी अफजल … अपना सपना पूरा कर ले … मन भर ले … तेरी आज सुहागरात नहीं सुहाग दिन है ऐसा समझ ले … जा मेरी प्यारी सहेली … मैं तुझ पर सदके जाऊं !”
“शन्नो, मेरी जान … मेरी सच्ची सहेली, तुझ पर कुर्बान जाऊं … “मैंने प्यार से उसके होंठो को चूम लिया। मैंने अपने नजरें नीची की और चुन्नी चेहरे पर डाल ली और धीरे धीरे सीढ़ियाँ चढ़ने लगी … ।
शन्नो नीचे से ऊपर जाते हुये मुझे देखती रही। अन्तिम सीढ़ी चढ़ कर मैंने पलट कर शन्नो को देखा। शन्नो ने प्यार से हाथ हिला दिया। मैंने भी उसे हाथ से एक प्यार भरा बोसा दे दिया और शरमा गई।
मैंने दरवाजा खोला और कमरे के अन्दर समा गई। उसी समय बाहों के घेरे मेरी कमर से लिपट गये। मैं सिमट सी गई। मेरे गालों पर एक प्यार भरा चुम्बन भर दिया। मैंने पलट कर अफजल को देखा। मैंने अपने आपको छुड़ाने की असफ़ल कोशिश की। उसकी आंखों में प्यार उमड़ रहा था। उसने मुझे गले से लगा लिया और मुख से मुख रगड़ खा गये। उसकी खुशबू भरी सांसें मेरे जिस्म में बसने लगी। उसके हाथ मेरे सर पर नरम बालों में अंगुलियों से मालिश से सहलाने लगे। उसकी शरीर की गर्मी मुझे पिघलाने लगी। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |
“मेरे मालिक … मेरे आका … मुझे अपनी दासी बना लो … अपने दिल में जगह दे दो” मैं उसके कदमो में झुक सी गई।
उसने मुझे सम्भालते हुये कहा,”हुस्न-ए-मलिका, तुझ पर बहार आई हुई है … तेरे ख्वाब अब मेरे हैं … इन्शा अल्लाह … आज से तू मेरी हुई … तुझ पर खुदा का फ़जल बना रहे … तू मेरी बने रहना … आज से तेरा दुख मेरा है और मेरी खुशी तेरी है … या मेरे अल्लाह … !”
मैं अफजल के शरीर से लिपटती चली गई। एक मोहक सी वासना घर करने लगी। सुन्दर, मनमोहक, काम देवता सा कामुक रूप जैसे शरीर का मालिक था अफजल।
मेरे नसीब में उसका सुख लिखा था। मेरी चूनरी मेरी छाती से ढलक गई थी। मेरे उन्नत उभार जैसे पहाड़ियों के तीखे शिखर उसके हाथों में मचल उठे। उसने मेरे ब्लाउज के बटन चट चट करके खोल डाले। मेरा गोरा तन उसकी आंखो में समा गया। मेरे उभार कठोर हो चुके थे। जिया धक धक करने लगा था। दिल जैसे उछल कर बाहर निकला जा रहा था। मेरी साड़ी उसने धीरे से उतार कर पास में रख दी। शायद मेरे पोन्द और चूत की कल्पना उसके दिल को बींध रही थी। ऐसे में उसने अपना जीन्स और चड्डी भी उतार दिया और अपना लण्ड मेरे सामने कर दिया।
“हुजूर की तमन्ना हो तो शौक फ़रमायें … आपकी सेवा में लण्ड हाजिर है !”
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