लेस्बियन लड़कियाँ – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Sun, 31 Mar 2019 02:30:59 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2018/10/MSI-FEVICON-3-150x150.png लेस्बियन लड़कियाँ – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 भाभी और ननद की चुदास भरी मस्तियाँ | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/bhabhi-aur-nanad-ki-chudas-bhari-mastiyan.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/bhabhi-aur-nanad-ki-chudas-bhari-mastiyan.html#respond Mon, 12 Nov 2018 09:08:38 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=13762 भाभी और ननद की चुदास भरी मस्तियाँ नीता ने नाटक करते हुए कहा- ओह ! ज़रा देखूँ तो, और वो प्रिया की चूत को झुक कर देखने लगी। उसकी चुदी हुई चूत को देखकर नीता की चूत भी गीली होने लगी, नीता बोली- चिंता मत कर तेरी चूत फटी नहीं, बस थोड़ी खूल गई है, पर क्या तू पहले भी किसी से चुद चुकी है? तुझको खून क्यों नहीं निकला?

The post भाभी और ननद की चुदास भरी मस्तियाँ appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

भाभी और ननद की चुदास भरी मस्तियाँ – प्रिया जल्दी करो, स्कूल के लिए देर हो रही है !” कहते हुये बल्लु अपने किरायेदार राजेन्द्र कपूर की बहन के कमरे में दाखिल हुआ, प्रिया उस समय स्कूल ड्रेस पहन कर झुकी अपने जूते पहन रही थी। झुकी हुई प्रिया के स्कूल शर्ट से बाहर आने को बेताब उसकी मुसम्मियों के उभार और झुके होने से घुटने के ऊपर तक के स्कर्ट से झांकती उसकी गोरी सुडोउल नंगी टाँगों को देख बल्लु के अंदर एक अजीब सी कसमसाहट हुई। बल्लु बहुत दिनों से प्रिया को भोगने की ताक में था।

27 साल का बल्लु एक जवान युवक था और राजेन्द्र की बीवी नीता और जीतू की छोटी बहन प्रिया को अपने मकान में किरायेदार के रूप में रखे हुये था। बल्लु के परिवार में सिर्फ उसकी माँ ही रहती थी और बल्लु एक सरकारी नौकरी करता था।

घर में खाना की दिक्कत थी तो उसने जीतू को इसी शर्त पर अपने घर में रखा हुआ था कि उसकी बीवी नीता ही उसके और उसकी माँ के लिये खाना बनाएगी और बदले में वो उनसे किराया नहीं लेगा।

राजेन्द्र की नौकरी पक्की नहीं थी और वो एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता था और उसको कम्पनी के काम से कई कई दिन बाहर टूर पर रहना पड़ता था, तो उसको यह शर्त सहर्ष मंजूर भी हो गई थी और राजेन्द्र को दारु पीने की लत भी थी, बल्लु अपने पैसे से उसको दारु पिला कर उसकी इस तलब को पूरी करता था।

प्रिया पढ़ाई के लिए शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी, वो एक कमसिन और खूबसूरत 18 साल की किशोरी थी जो गाँव में रहने के कारण अभी बारहवीं में पढ़ रही थी। जवानी में कदम रखती वो लड़की दिखने में ग़ज़ब की सुंदर तो थी ही, उस पर उसके अल्लहड़पन, शोखी और चंचलता ने उसको और भी खूबसूरत बना दिया था।

स्कूल की ड्रेस में उसकी चूचियों के बड़े उभार साफ दिखाई देते थे और उसके ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखती गोरी-गोरी चिकनी टाँगें बल्लु को पागल बना देती थी।

बल्लु जानता था कि नीता भाभी की ननद को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर वो वासना के अधीन हो चुका था और उसकी जवानी का रस लेने के लिए बेताब था पर कोई सही मौका हाथ नहीं लग रहा था। एक बात और थी कि वो अपनी नीता भाभी से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि उसको डर था कि कहीं उसकी भाभी नीता गुस्सा न हो जाए।

नीता जैसी हरामी और चुड़क्कड़ औरत उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रंडियों जैसे अंदाज़ से शादी के 3 माह के अंदर ही उसने अपने मकान मालिक बल्लु को अपना चोदू बना लिया था और उसका पति भी बेबस होकर कुछ नहीं बोलता था क्योंकि साला नपुंसक था, नीता की गांड और चूत की खुजली मिटाने में असफल रहता था।

चूंकि बल्लु दौलतमंद भी था सो नीता के पति को दारु भी मिल जाती थी और वो भी कुछ नहीं बोलता था और इस तरह बल्लु को नीता ने अपना दीवाना बना लिया था। बल्लु को डर था कि नीता को यह बात पता चल गई कि उसकी निगाह प्रिया की कमसिन जवानी पर है तो ना जाने वो गुस्से में क्या कर बैठे।

जबकि वास्तव में उसका यह डर सिर्फ़ एक डर ही था क्योंकि नीता बल्लु की इच्छा को बहुत अच्छे से पहचान गई थी। प्रिया को घूरते हुये बल्लु के चेहरे पर झलकती वासना उसने तो कब की पहचान ली थी, सच तो यह था कि वो खुद इतनी कामुक थी कि बल्लु से हर रात चुद कर भी उसकी कामुकता को तृप्ति नहीं मिलती थी और ऊपर से वो अपने पति की बहन को भी बिगाड़ कर उसे अपने वश में करना चाहती थी क्योंकि शादी से पहले नीता एक लेस्बियन लड़की थी और उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ टीचर्स और ख़ास सहेलियों के साथ संबंध बना रखे थे। उसको लेस्बियन सेक्स में काफ़ी आनन्द आता था। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | रात की चुदाई के बाद दोपहर तक उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगती थी, वासना से उद्दीप्त योनि की अग्नि पर किसी कमसिन कन्या या खाई खेली औरत की जीभ की ठण्डक पाने के लिए उसकी निगाह भी प्रिया पर थी लेकिन फिलहाल उसे हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करनी पड़ती थी।

शादी के बाद वो किसी और मर्द से संबंध नहीं रखना चाहती थी लेकिन क्योंकि राजेन्द्र जैसे नपुंसक से उसकी शादी और घर में ही मजबूत काठी का बल्लु और उसकी मस्त जवानी और मज़बूत लंड उसके पुरुष सुख के लिए पर्याप्त था। वो भूखी तो थी ही पर उसकी पहली पसंद तो लेस्बियन सेक्स ही थी। अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदक्कड़ लड़की या औरत मिल जाए तो मज़ा आ जाए।

पिछले दो माह में वो भी प्रिया की उभरती जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। अब नीता मौका ढूँढ रही थी कि प्रिया को कैसे अपनी चंगुल में फंसाया जाए। बल्लु के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया।
एक दिन उसने जब बल्लु को स्कूल के ड्रेस ठीक करती प्रिया को वासना भरी नज़रों से घूरते देखा तो प्रिया के स्कूल जाने के बाद बल्लु को ताना मारते हुये बोली- क्यों लाला, मुझसे मन भर गया क्या? जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो, और वो भी अपने दोस्त की सग़ी छोटी बहन को?

बल्लु के चेहरे से हवाइयाँ उड़ने लगी कि आख़िर उसकी चोरी पकड़ी गई, वो कुछ ना बोल पाया।तब नीता ने उसको एक दो और बातें सुनाई, फिर खिलखिला कर हंस पड़ी और बल्लु के होंठो को चूमते हुए कहा- मैं भी इस कमसिन गुड़िया की दीवानी हूँ, इसके बदन से खेलना चाहती हूँ और इससे अपनी फ़ुद्दी की आग ठण्डी करवाना चाहती हूँ।

तो बल्लु खुशी से उछल पड़ा।

नीता ने बल्लु से कहा- तुम तो ऑफीस चले जाते हो दोपहर को, इधर अपनी वासना शांत करने में मुझे बड़ी तकलीफ़ होती है, मैं उंगली से ही अपनी मार मार कर परेशान हो जाती हूँ। इस चूत की आग बुझती ही नहीं, तुम बताओ मैं क्या करूँ?

और उसने अपनी शादी के पहले की अपनी सारी समलैंगिक प्रेम-वासना-कथाएँ बल्लु को बता दी।

बल्लु उसको चूमते हुये बोला- पर डार्लिंग, मैं तो हर रात तुमको चोदता हूँ।

नीता उसे दिलासा देते हुये बोली- तुम तो लाखों में एक हो जानू, इतना मस्त लंड तो किस्मत वालियों को ही मिलता है। पर मैं ही ज़्यादा गर्म हूँ और मुझे लेस्बीयन सेक्स की आदत पड़ गई है, मुझे भी किसी लड़की की चूत चाटने और चूसने का दिल करता है। प्रिया पर मेरी नज़र बहुत दिनों से है, क्या रसीली छोकरी है। दोपहर को ये मेरी मस्त ननद मेरी बाहों में आ जाए तो मेरी किस्मत ही खुल जाए।

बल्लु फ़ौरन ही मान गया और उसने नीता से कहा- अभी तो तूने मेरे लौड़े को ही खड़ा कर दिया है रानी, अब जरा जल्दी से मेरे लौड़े को बैठाने का इंतजाम कर दे !

नीता भी गर्म हो गई थी, उसने भी बल्लु के कपड़े उतार कर फेंक दिये, जल्दी से अपनी साड़ी ब्लॉउज उतार कर सिर्फ ब्रा-पैंटी में अपने भरपूर मस्त और गुन्दाज बदन को बल्लु के सामने पेश कर दिया और एक मादक अंगड़ाई लेकर बोली- लो लाला, लगाओ भोग तेरी जवान भौजी तैयार खड़ी है चुदने को…

बल्लु का मूसल सा लंड तनतना कर आसमान की तरफ देखने लगा, जल्दी से उसने नीता की ब्रा पैंटी को भी उतार फैंका और उसके रूप के सागर में गोते लगाने लगा… धचाधच फ़चाफ़च चुदाई से माहौल गर्म हो गया, करीब 20 मिनट की मस्त चुदाई लीला के बाद बल्लु ने अपना माल नीता की चूत में छोड़ दिया।

चुदाई के बाद बल्लु ने नीता से एक सिगरेट सुलगाने के लिये कहा। नीता ने बल्लु की पैंट में से सिगरेट निकाल कर बड़ी अदा से सिगरेट अपने होंटों से लगा कर माचिस से सुलगाई और खुद ही एक जोरदार सुट्टा लगा कर बल्लु की तरफ सिगरेट बढ़ा दी।

फिर दोनों सोचने लगे कि प्रिया को कैसे पटरी पर लाया जाये, शुरूआत कैसे की जाए। तभी नीता ने कहा- कल मैं किसी भी बहाने प्रिया को स्कूल नहीं जाने दूँगी और अपने बेडरूम के तकिये के नीचे नंगी तस्वीरों वाली पत्रिका रख कर उसको कमरे की साफ सफाई के काम में लगा कर वो कुछ घंटों के लिए मार्केट चली जाऊँगी। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है प्रिया जब बिस्तर की चादर ठीक करेगी तब उस किताब को ज़रूर पढ़ेगी और यही वक्त होगा जब तुम वहाँ पहुँचोगे, और फिर प्यार से, उसकी मर्जी से उसको चोदकर फिर ऑफ़िस के लिए निकल जाना।

फिर मैं आकर दर्द से रोती उस मासूम छोकरी को पूछने और सहलाने के बहाने खुद भी भोगूँगी।

उस रात प्रिया की मस्त जवानी को चोदने के ख्याल से बल्लु को नींद भी नहीं आई और उसकी जुगाड़ नीता भी उस रात उससे चुदने नहीं आई।

सुबह बल्लु ने नहा धोकर ऑफ़िस में फोन किया कि वो आज लेट आएगा और उधर रात को बल्लु के साथ सम्भोग न करने के कारण नीता भी प्रिया के साथ देर तक जागती रही और उससे बातें करके उसे भी जगाये रही। इससे हुआ यह कि प्रिया सुबह स्कूल जाने के लिये समय पर ही नहीं उठी और नीता ने प्रिया को जगाया ही नहीं जिसके कारण उसका स्कूल टाइम निकल गया।

और अब कुछ देर सुबह की दिनचर्या समाप्त होने के बाद नीता ने नाश्ते में नीता ने हलवा बनाया और उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला कर प्रिया को बड़े प्यार से हलवा खिलाया, फ़िर अपने बिस्तर के तकिये के नीचे चुदाई की कहानियों और तस्वीरों वाली किताब रखकर प्रिया से बोली- प्रिया, मुझको बाजार जाना है, काफ़ी खरीददारी करनी है, इसलिए देर हो जाएगी, जरा मेरा कमरा ठीक कर देना, चादर, तकिया कवर भी बदल देना, उधर अलमारी में सब रखा है, मुझे आने में कुछ देर हो जायेगी।

“ठीक है !” प्रिया ने हलवा खाते हुए सहमति में सर हिलाया- जी भाभी, आप जाओ, मैं सब ठीक से कर लूँगी।

नीता घर से बाहर चली गई और प्रिया कमरे में जाकर अपने काम में जुट गई। दवा का असर प्रिया के ऊपर होने लगा था उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक उसके हाथ उसकी मुसम्मियों को क्यों सहलाने लगे हैं।

जब प्रिया अंदर चली गई तब नीता ने घर के बाहर खड़े बल्लु से कहा- जाओ डार्लिंग, मज़े करो आज अपनी धर्म बहन को चोद लो। वो रोए चिल्लाये पर तुम उसकी परवाह मत करना। बल्लु को आँख मारकर वो दरवाज़ा बंद कर के चली गई।

दस मिनट बाद बल्लु ने अपने पूरे कपड़े उतार दिये और अपने फनफनाते लौड़े को अपने हाथ से सहलाया और बुदबुदाया- चल आज तुझे जबरदस्त चूत मिलने वाली है !

और उसने अपनी कमर से सिर्फ एक लुंगी बाँध ली और उसे भी नीचे से उठा कर लौड़े के ऊपर दोहरा बाँध लिया ताकि उसके लंड का उभार आसानी से न दिखे और फिर धीरे से अंदर जा कर देखा तो प्रिया बिस्तर पर बैठ कर नंगी चुदाई की तस्वीरों वाली देख अपनी गोरी टाँगों को आपस में रग़ड रही थी। उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था।

बल्लु उसके पास पहुँचा और बोला- देखूँ तो मेरी बहना क्या पढ़ रही है?

प्रिया सकपका कर किताब छुपाने लगी, तब बल्लु ने किताब उसके हाथ से ले ली जिसमें एक औरत को तीन पुरुष चूत, गांड और मुँह में चोद रहे थे।

बल्लु ने प्रिया को एक थप्पड़ मारा और चिल्लाया- तो तू आजकल ऐसी किताबे पढ़ती है? बेशरम लड़की, तब ही ऐसे ही चुदवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई? देख आज मैं तेरा क्या हाल करता हूँ।

प्रिया रोने लगी और उसने कहा- यह किताब मुझको तकिये के नीचे से मिली है, मैंने आज पहली बार ऐसी किताब देखी है।

लेकिन बल्लु ने उसकी नहीं सुनी और उसको अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके कपड़े निकाल दिए। बल्लु उसकी गोल गोल, कड़ी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा। कामोत्तेजक दवा के असर के कारण थोड़ी देर में प्रिया को भी मज़ा आने लगा और उसने अपने आप को अपने भाई के हवाले कर दिया।

तभी बल्लु ने उसकी चूची को बहुत ज़ोर से मसल दिया। प्रिया चीख पड़ी- भैया, यह तुम्हारी बहन की ही चूची है, ज़रा धीरे से दबाओ ना।

बल्लु इतना सुनकर और भी पागल हो गया और अपनी लुंगी भी उतार दी, प्रिया उसके हल्लबी लंड को देख सहम गई और बोली- भैया इतने बड़े लंड से तो मेरी चूत तो फट जाएगी, प्लीज़ मुझे मत चोदो ! मैं अपने हाथ से आपकी मुट्ठ मार देती हूँ।

तब बल्लु ने कहा- मेरी बहना रानी, बहुत प्यार से तेरी चूत की सील तोडूंगा, तू चिंता मत कर..

और उसने अपना मुँह प्रिया की चूत की फांकों पर लगा दिया।

प्रिया मदहोश होने लगी। धीरे धीरे प्रिया के मुँह से रुलाई की जगह मादक सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी चूत पसीजने लगी और उसका कुंआरा बदन मस्ती के कारण कंपकपाने लगा। उसने अपने भाई का सर पकड़ अपनी बुर पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार लेकर बोली- भैया, मेरी बुर को और ज़ोर से चूसो, जीभ डाल दो मेरी चूत के अंदर !

प्रिया की चूत पर हल्के हल्के झांटों के रेशे थे जो बहुत ही रेशमी और मुलायम थे, वासना की आग में जल रहे बल्लु को प्रिया की झांटों में अपनी जीभ फिराने में बहुत मजा आ रहा था, उसके दायें हाथ में प्रिया की एक गोल गोल चूची थी जिसको बल्लु बड़े ही मजे से हॉर्न जैसे मसक रहा था, उसको ऐसा लग रहा था जैसे प्रिया का दुद्दू दबाने से ही उसकी बुर में से नमकीन पानी छूट रहा हो जितना दुद्दू को मसलो, उतना अधिक रस प्रिया की चूत से निकलेगा।

कामवासना से सिसकते वो अपने भाई का मुँह चोदने लगी। बल्लु ने देखा कि उसकी छोटी धर्म बहन की चूत से मादक सुगंध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है। उस शहद को वो प्यार से चाटने लगा। उसकी जीभ जब प्रिया के कड़े लाल कली जैसे क्लाइटॉरिस पर से गुज़रती तो प्रिया मस्ती में अपनी जांघें अपने भाई के सर को दोनों बाहों से जकड़ कर अपनी गांड उछालने लगती।

कुछ ही देर में प्रिया एक मीठी चीख के साथ झड़ गई। उसकी चूत से नमकीन शहद की नदी बहने लगी जिसे बल्लु बड़ी बेताबी से चाटने लगा। उसको अपनी बहन के चूत का पानी इतना अच्छा लगा कि वो प्रिया की चूत को वैसे ही बहुत देर तक चाटता रहा और प्रिया जल्दी ही फिर से वासना के खुमार में मस्त हो गई।

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिये गए पेज नंबर पर क्लिक करें

The post भाभी और ननद की चुदास भरी मस्तियाँ appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/bhabhi-aur-nanad-ki-chudas-bhari-mastiyan.html/feed 0
वीर्य की आखिरी बूंद भी नौकर ने मेरी बहन की बुर मे झाड़ दी -2 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/naukar-naukarani/virya-ki-aakhiri-bund-bhi-naukar-ne-meri-bahan-ki-bur-me-jhad-di-2.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/naukar-naukarani/virya-ki-aakhiri-bund-bhi-naukar-ne-meri-bahan-ki-bur-me-jhad-di-2.html#respond Tue, 23 Oct 2018 05:07:49 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=13662 मेरी चुत अब उसके लंड के आकार की खुल गयी थी। मैं अब आराम से उसके लंड पर ऊपर नीचे हो रही थी। उसके बड़े लंड का मेरी चुत से हो रहा घर्षण मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रहा था। वह भी अब जोश में आ गया था और नीचे से धक्के देने लगा था। मैं भी अपनी गांड हवा में रखकर उसको धक्के देने के लिए जगह बना के दे रही थी। वीर्य की आखिरी बूंद भी नौकर ने मेरी बहन की बुर मे झाड़ दी

The post वीर्य की आखिरी बूंद भी नौकर ने मेरी बहन की बुर मे झाड़ दी -2 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

अभी तक आपने पढ़ा अमर ने चाय और नाश्ता टेबल पर रखा और दोपहर की प्लेट्स लेकर नीचे चला गया। उन तीनों को अमर से क्या काम था यह मुझे पता था, मुझे भी अमर से वही काम करने की इच्छा हो रही थी। उसका मजबूत लंड देख कर मेरी चुत में भी खलबली मची थी। क्यों नहीं होगी मैं भी दो महीने से भूखी थी, और मेरी चुत को घर में ही अच्छा विकल्प मिला था।

वे तीनों घर से चली गयी तो मैं भी घूमने बाहर चली गयी। थोड़ी देर टहल कदमी की, होली का दिन था तो हर जगह रंगों की बारिश हो रही थी, पूरी धरती रंगबिरंगी हो गयी थी। जब घर लौटी तो अमर रात का खाना बना रहा था।

मैं बैडरूम में जाकर फ्रेश हुई एक अच्छी सी नाईटी पहनी, उसके अंदर सिर्फ पैंटी पहनी हुई थी। मैं टीवी देखने लगी। टीवी देखते समय मेरे मन में भी बहुत उथल पुथल हो रही थी। और अब आगे  दोपहर की घटना मेरे लिए एक सुखद अनुभव था। अमर का लंड मेरी आँखों के सामने तैर रहा था, मेरे मन में आग लगी थी मेरा तनबदन जल रहा था।

मेमसाब खाना तैयार है लगा दूँ क्या? अमर ने दरवाजे से ही पूछा।

हाँ सुनो अमर, आज यहीं खाना लगा दो! मुझे बैडरूम से बाहर जाने की इच्छा नहीं थी।

जी मेमसाब! कहकर अमर नीचे चला गया।

मैं आईने के सामने बैठकर सोचने लगी, कुछ करूँ या नहीं करूँ, करूँ तो कैसे करूँ, ना करूँ तो बदन को शांत कैसे करूँ, क्या करूँ!
कुछ उलझन वाली स्थति में मैं आईने में अपने शरीर को निहार रही थी। अनजाने में मेरी उँगलियों ने मेरी नाइटी के ऊपर के दो बटन खोल दिये। अब मेरे स्तनों के बीच की दरार अब साफ दिखने लगी थी। दोपहर का रंग अभी भी नहीं उतरा था पर मेरे मन में रंगों की वर्षा होने लगी थी।

मेमसाब जरा दरवाजा मैंने देखा तो रूम का दरवाजा आधा लगा हुआ था। अमर ने दोनों हाथों से ट्रे पकड़ा था इसलिए उससे दरवाजा नहीं खुल रहा था।
मैंने फिर वहाँ जाकर बैडरूम का दरवाजा खोला।

अमर मुझे रगड़ता हुआ अंदर आया, उसके पसीने की खुशबू मुझे उकसाने लगी। पर किसी भी स्त्री को किसी भी मर्द के साथ खुद कुछ भी करने की इजाज़त अपना समाज नहीं देता इसलिए अपने मन पर काबू रखते हुए मैंने खुद को संभाला। मुझे वह सुख चाहिए था, पर उसके लिए खुद पहल करने की इजाजत मेरा मन मुझे नहीं दे रहा था। तो दूसरी और मेरा दूसरा मन उस सुख के किये कुछ भी करने को उकसा रहा था।

मैं वैसे ही दरवाजे पे खड़ी उसको देख रही थी। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | कुछ साँवले रंग का भरवे बदन का अमर मुझे उस वक्त बहुत ही आकर्षक लग रहा था। उसकी कमीज़ और घुटनों तक की धोती मुझे उसकी ओर खींच रही थी। मेरी चुत पानी पानी हो रही थी। पर कैसे? कैसे करूँ? यह पहेली नहीं सुलझ रही थी।

पर यह करना सही होगा क्या, और नहीं किया तो खुद के शरीर पर अन्याय नहीं होगा क्या? ऐसे सवाल मेरे मन में घर बनाने लगे।

अन्ततः मैंने कुछ सोचा और अमर को बोली- अमर वह दोपहर को क्या पिलाया तुमने?

मैं कुर्सी पर बैठते हुए बोली।

जी भंगवा भांग वह बोला।

हाँ बहुत सही थी, अब भी पिलाओगे क्या मुझे? मैंने पूछा।

जी नहीं मेमसाब , हमार पास उतना ही था. उसने साफ साफ मना कर दिया।

झूठ मत बोलो! मैं जरा ग़ुस्से में ही बोली।

सच मेमसाब, उतना ही था हमार पास! वह फिर से बोला।

देखो जी, तनिक थोड़ा होगा ही मैं उसकी ही भाषा में बोली।

मेमसाब, झूठ ना बोलूं थोड़ा है पर वह डरते हुए बोला।

पर वर कुछ नहीं, थोड़ा है ना थोड़ा तुम पियो थोड़ा मुझे पिलाओ, जाओ जल्दी लेकर आओ. मैं बोली।

दोपहर की भांग का नशा ही कुछ और था, हर बार विदेशी दारू पीती थी पर भांग का नशा ही कुछ और था और भांग का नशा मेरा प्लान भी सफल बनाने में मदद भी करने वाला था।

वह भांग लेने नीचे चला गया मैंने अपने नाइटी का एक और बटन खोला।

थोड़ी ही देर में भांग लेकर के ऊपर आ गया- ईह लो मेमसाब

अमर ने ग्लास टेबल पर रखा।

ये क्या एक ही, तुम नहीं पिओगे क्या? मैंने पूछा। आपके सामने नहीं मेमसाब! वह डरते हुए बोला। नहीं लो ना तुम भी लो, मुझे अकेले पीना अच्छा नहीं लगता. मैं बोली।

ठीक है मेमसाब! बोलकर वह नीचे चला गया।

उसके बाहर जाते ही कुर्सी से उठी और मैंने अपनी पैंटी को उतार दिया, वह पूरी गीली हो गयी थी। कबसे मैं उसके धोती को देख रही थी, आगे क्या होगा यह सोचते हुए। उसी वजह से मेरी चुत ने भरपूर पानी छोड़ा था। मैंने अपनी पैंटी को सूँघा फिर कुर्सी के पीछे फेंक दिया और कुर्सी पर बैठ गयी।

अमर ऊपर अपना ग्लास ले कर आ गया।

अब ठीक है कहते हुए मैंने उसे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया पर वह वही सामने बैड पे पास जमीन पर बैठ गया।
अरे यहाँ बैठो! मैंने बोला।

ठीक है मेमसाब! उसने बोला।

मैं भांग का एक एक घूंट बड़े आराम से पी रही थी और वो नीचे देखते हुए अपनी ग्लास में से भांग पी रहा था। हम दोनों में कुछ भी बातचीत नहीं हो रही थी, शायद वह कुछ बोलने से डर रहा रहा था और मेरे मन की दुविधा मनस्थिति मुझे कुछ बोलने नहीं दे रही थी। मुझे कुछ भी करके उसका ध्यान मेरी तरफ खींचना था।

मैंने टेबल पर रखा चम्मच नीचे गिरा दिया, उस आवाज की वजह से अमर ने मेरी तरफ देखा। उसी वक्त चम्मच उठाने के बहाने मैं झुकी और उसे मेरे स्तनों का नाईटी के अंदर से दीदार करा दिया। उसका पूरा ध्यान मेरी नाईटी की दरार पर ही था, जब मैंने उसकी तरफ देखा और उसने झट से अपनी नजर वहाँ से हटाई। पर उसने नजर हटाई वह जाकर मेरी पीछे की तरफ पड़ी मेरी पैंटी पर पड़ी। वह शरमाया होगा क्योंकि नजर हटाते हुए वह हड़बड़ाते हुए उठा और उठते समय उसकी धोती उसके ही पैरो में अटक गई और आधी खुल गई।

उसने अपने हाथ से ही धोती पकड़ कर उठा, उसको नशा नहीं हुआ था पर मेरे स्तनों की झलक पाने से और मेरी पैंटी देखने की वहज से उसके लंड पर नशा होने लगा था। उसके निक्कर में बना तम्बू साफ साफ दिखाई दे रहा था।

वह वैसे ही खड़ा हुआ और दरवाजे की और जाने लगा।

क्या हुआ अमर? मैंने समझ कर भी ना समझने का बहाना करते हुए बोली।

कुछ नहीं चलता हूं मेमसाब शायद उसे मेरे मंसूबों का पता चल गया था, मेरी दोनो इनर्स मेरे जिस्म पर नहीं थी इसका अंदाजा हो गया था।
अरे रुको तो मेरे कहने पर वह रुक गया। आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वह मेरी तरफ पीठ कर के खड़ा था और अपने हाथों से अपना लंड एडजस्ट कर रहा था।

मैं उठकर उसके पास गई और उसके कंधे पर हाथ रख कर अपनी और घुमाया, अब उसका चेहरा मेरी तरफ था।

अमर, दोपहर को तुमने मेरी सहेली को अपना पूरा मक्खन खिलाया मैंने बोला।

हाँ वही चाहत थी माफी मेमसाब! शायद उसे लग रहा था कि मैं उस पर चिल्लाने लगूंगी इसलिए वह बहुत डर रहा था।

नहीं करूंगी माफ मैं भी थोड़ा आवाज ऊंची करके बोली।

मेमसाब वह हमार गलती नहीं थी उन्होंने ही हमें वह डरते हुए बोला।

ठीक है करती हूं माफ़ मगर एक शर्त पर!

जी हुकुम ! वह अदब से बोला।

मुझे भी अपना मक्खन खिलाओ! मैं उसके गालों पर प्यार से उंगलिया घूमाते हुए बोली।

नहीं मेमसाब यह पाप होगा! वह बोला।

अरे वाह मेरे यहाँ पर काम करते हो और मक्खन उसे खिलाते हो? मैं नखरे करते हुए रोने का नाटक करने लगी, शायद भांग की नशा हावी हो रही थी।

नहीं मेमसाब मैंने इस घर का नमक खाया है. वह समझाने लगा।

अमर मेरी प्यास बुझा दो मेरा हाथ अपने आप ही उसके लंड पर चला गया।

वह अभी भी अपना हाथ अपने लंड पर रख कर खड़ा था। जैसे ही मेरा हाथ उसके हाथों पर पड़ा वैसे ही उसने अपना हाथ वहा से हटा दिया। उसका निक्कर में छुपा लंड उसने जैसे मुझे भेंट दे दिया हो उसी तरह मैं उसके लंड को उसकी निक्कर के ऊपर पकड़ लिया।

‘अहह ’ कितना बड़ा और कड़क था, दोपहर को मैंने सिर्फ आँखों से स्पर्श किया था अब हाथों में ले रही थी, पर निक्कर के ऊपर से ही। मैंने उसकी धोती खोलने के लिए धोती की गाँठ पर हाथ रखा तो उसने मेरा हाथ हटा दिया।
नहीं मेमसाब, यह पाप है!

और मेमसाब की प्यास ना बुझाना महापाप है. ऐसा कहकर मैं फिर से अपने हाथों से उसके कमर पर की धोती खोलने लगी।

अमर अब प्रतिकार नहीं कर रहा था, मैंने उसकी धोती खोल दी, अब वह मेरे सामने बस निक्कर और कुर्ती में था। वह बिना हिले खड़ा था और मुझे अपना काम करने दे रहा था। मैंने अपना हाथ उसके निक्कर के इलास्टिक के अंदर डाल दिया। मेरे नर्म हाथों का स्पर्श उसके कड़क लंड पर होते ही वह सिसकार उठा।

मेमसाब

उसकी सिसकारियों को अनसुना करते हुए उसके बालों में छुपे नाग को मैंने सीधा पकड़ा, उसके निक्कर में अब तम्बू बना हुआ था। उसके लंड का आकार अब निक्कर के अंदर से भी महसूस हो रहा था। मैंने दूसरा हाथ उसके कुर्ते के अंदर घुसाते हुए उसके मर्दाना स्तनों पे रखा और उनसे खेलने लगी।

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिये गए पेज नंबर पर क्लिक करें ॥

The post वीर्य की आखिरी बूंद भी नौकर ने मेरी बहन की बुर मे झाड़ दी -2 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/naukar-naukarani/virya-ki-aakhiri-bund-bhi-naukar-ne-meri-bahan-ki-bur-me-jhad-di-2.html/feed 0
लेस्बियन सेक्स विथ माय फ्रेंड | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/lesbian-sex-with-my-friend.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/lesbian-sex-with-my-friend.html#respond Sat, 23 Jun 2018 19:10:41 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12791 हेमांगी मेरी जांघों को सहलाते हुए मुझे उँगलियों से चोदती रही और मैं झड़ने लगी । मेरा पानी मेरी चूत से निकल कर हेमांगी के हाथों को भीग रहा था और नीचे बिस्तर पर गिर रहा था । थोड़ी देर के बाद मैं वैसे ही बिस्तर पर गिर गई और जोर जोर से हांफने लगी । हेमांगी मेरे ऊपर लेट कर मुझे चूमते हुए कहने लगी डॉली अब किसी दिन दोनों मिल कर लड़कों के साथ मज़ा करते हैं |

The post लेस्बियन सेक्स विथ माय फ्रेंड appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

मेरे ही ऑफिस में काम करने वाली नाम हेमांगी । हम दोनों हम उम्र हैं इसलिये एक दूसरे से कई प्रकार के मजाक भी कर लेती थी । उसने बहुत बार मुझे अपने घर चलने को कहा और एक दिन मैं ऑफिस के बाद उसके घर चली गई । उसके मम्मी पापा ने मेरा बहुत सत्कार किया और बहुत आदर मान से रात को उनके यहाँ रुकने को कहा । मैं उनका आग्रह टाल नहीं सकी और मैंने निधि को फोन करके बता दिया कि मैं रात को अपनी दोस्त हेमांगी के घर पर रुकूँगी । रात को खाना खाने के बाद हम दोनों हेमांगी के कमरे में चली गईं ।

हेमांगी ने मुझे अपनी एक टी-शर्ट और पायजामा दिया तो मैंने सिर्फ टी-शर्ट पहन ली और अपनी पैंटी में ही उसके साथ बिस्तर में घुस गई और हम दोनों बातें करने लगी । बातों बातों में हेमांगी मुझसे लड़कों के साथ चुदाई के बारे में बातें करने लगी । हम दोनों ऑफिस के लड़कों और दूसरे लड़कों के बारे में बातें करते रहे । मैंने उसे निधि के साथ अपने सेक्स के बारे में बता दिया और यह भी बताया कि किस प्रकार हम दोनों बहुत बार एक ही लड़के के साथ चुदाई करती हैं । हेमांगी मुझे सेक्स के बारे में लगातार छेड़ रही थी और मेरी जांघ को सहला रही थी । मैं उत्तेजित होने लगी और लड़के के लंड के बारे में सोचने लगी ।

कुछ देर बाद हम दोनों लेट गईं तो मैंने देखा कि हेमांगी भी गहरी साँसें ले रही थी और उसके दूध उसके साँस लेने से ऊपर नीचे हो रहे थे । मेरा दिल किया कि उनको दबा दूँ पर आज से पहले तक हम दोनों के बीच में कभी कोई ऐसी बातचीत नहीं हुई थी बस हँसी मजाक ही हुआ था | मैंने भी करवट लेकर उसकी ओर मुँह कर लिया और अब हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे । हेमांगी ने अपनी एक बाँह मेरी गर्दन के नीचे डालने की कोशिश की तो मैंने अपनी गर्दन थोड़ी सी उठा कर उसको अपनी बाँह मेरी गर्दन के नीचे डालने की जगह देदी । मैंने अपनी गर्दन उसकी बाँह पर रख दी और अपनी दूसरी बाँह उसके ऊपर लपेट कर उसके थोड़ा और पास हो गई ।

मैंने धीरे से हेमांगी के चेहरे को चूम लिया | अचानक मुझे निधि की याद आ गई और मैंने एक बार फिर से हेमांगी को चूम लिया । फिर मुझे लगा कि शायद मैंने यह ठीक नहीं किया और तभी हेमांगी ने मेरा सिर अपने और पास करने की कोशिश की । एक बार मुझे लगा कि शायद हेमांगी भी यही चाहती है और मैंने उसे फिर से चूम लिया । हेमांगी ने अपनी आँखें खोल लीं और मुझे होंठों पर चूम लिया । मेरी एक हल्की सी आह निकली और मेरा दिल जोर से धड़कने लगा । हेमांगी ने अपना चेहरा मेरे और पास किया और मेरे होठों को चूसने लगी । फिर उसने मुझे इशारे से अपने ऊपर आने को कहा । मैं उसके ऊपर आ गई और अपनी चूत को हेमांगी की चूत पर दबाने लगी । मैं अपना चेहरा थोड़ा नीचे कर के बिल्कुल हेमांगी के चेहरे के सामने ले आई और उसकी आँखों में देखने लगी ।

यह कहानी भी पढ़े : बहन की नंगी चुत में छोटे भाई का लंड

मैं हेमांगी के होठों के आस पास चाटने लगी और उसके होठों को हल्के हल्के काटती हुई उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगी । मैंने थोड़ा ऊपर हो कर अपनी टी-शर्ट उतार दी तो हेमांगी ने अपने हाथ मेरे पीछे कर के मेरी ब्रा के हुक खोल दिये और मैंने उसे उतार कर फ़ेंक दिया । हेमांगी ने मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए मेरी पैंटी भी नीचे कर दी तो मैंने उसे भी उतार दिया और फिर से हेमांगी के होठों को चूसने लगी । हम दोनों पलटी और मैंने हेमांगी के कपड़े भी उतार दिये और उसको फिर से नीचे लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी चूत से उसकी चूत पर धक्के देने लगी । हेमांगी ने मेरे एक निप्पलस को अपनी उंगली से दबा दिया ।

मैं जोर से चीखी तो हेमांगी हँस कर कहने लगी प्रीता तुझे ऐसे मज़ा आता है तो मैंने हाँ में सिर हिलाया तो उसने दोबारा मेरे निप्पलस दबा दिये । तेरी चूत तो बहुत गरम हो गई है | तेरी चूत के पानी से मेरी चूत गीली हो रही है | मुझे पता है कि अब तेरा दिल चुदाई का कर रहा है कहते हुए हेमांगी ने मुझे नीचे किया और मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगी । हेमांगी अपने दोंनों हाथों से मेरे दूध दबा रही थी । मेरी चूत बहुत गीली थी और मैं एक हाथ से हेमांगी के बालों को सहलाते हुए दूसरे हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी ।

हेमांगी धीरे-धीरे अपना मुँह मेरे दूध तक ले गई और उन पर टूट पड़ी प्रीता तेरे मोम्मे कितने बड़े हैं | मोटे मोटे गद्दे जैसे | लड़कों को इनको चोदने में मज़ा आता होगा न हेमांगी का पूरा ध्यान मेरे मोम्मों पर था और मेरी सिसकारियाँ निकल रहीं थीं आह्ह| रीतू चूस और जोर से चूस मेरे दूध | काट ले इनको और हेमांगी मेरे दूध को और जोर से दबाने और चूस कर काटने लगी । मैंने अपने दोनों हाथों से हेमांगी की गांड को दबाना शुरू कर दिया ।

धीरे से मैंने अपना एक हाथ हेमांगी की चूत पर रखा और उसकी चूत को सहलाने लगी । उसकी चूत भी बहुत गीली थी । मैं अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल कर हिलाने लगी । हेमांगी मेरे ऊपर से उतर कर मेरे साथ लेट गई और उसने भी मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी । मैंने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी हेमांगी की चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी । हेमांगी ने अपनी उंगली मेरी चूत से निकाल कर मेरे बालों को खींचते हुए मेरे होंठों को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया तो मैं समझ गई कि अब वो मस्त हो गई है । मैं अपनी उँगलियों को उसकी चूत के अंदर-बाहर करने की गति धीरे धीरे बढ़ाने लगी ।

जैसे जैसे मेरे हाथ की गति बढ़ती हेमांगी की सिसकारियों की आवाज़ भी उतनी जोर से आती । मैं धीरे धीरे उसके चेहरे गर्दन और दूध चूमती हुई उसके पेट से होते हुए नीचे तक आकर ठीक उसकी चूत के कुछ ऊपर उसको चूमने लगी । मैंने उसकी चूत को उँगलियों से चोदने की गति बढ़ाई और साथ ही उसकी चूत को जोर जोर से चाटने लगी । हेमांगी ने मेरे सिर को अपनी जांघों में दबा रखा था और दबी आवाज़ में जोर जोर से साँसें भर रही थी । तभी हेमांगी झड़ गई और अपना सिर इधर उधर हिलाते हुए ओह आह की आवाजें निकालने लगी ।

यह कहानी भी पढ़े : साली स्वीटी को टॉयलेट में भी ले जाकर चोदा

मैंने अपनी उँगलियाँ बाहर नहीं निकालीं और उसकी चूत को चाट चाट कर साफ़ करने लगी । जब उसका झड़ना शांत हो गया तो वो मेरा सिर पकड़ कर ऊपर खींचने लगी । मैं उसके शरीर को अब नीचे से ऊपर की ओर चूमती हुई उसके चेहरे पर पहुँच गई और उसके होंठों को चूम | हेमांगी अपनी साँसें तेज होने के बाद मेरा चेहरा चाटने लगी और धीरे धीरे मेरे नीचे की ओर जाने लगी । मेरी गांड अपने दोनों हाथों से दबाते हुए दूध तक पहुँच कर उनको चूसने लगी । उसने मेरे चुचूक काटने शुरू कर दिये ।

फिर नीचे आते आते वो मेरे पेट को चाटती हुई मेरी चूत तक पहुँच गई और मेरी जांघों को चाटने लगी । मैं अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए अपनी चूत को उसके मुँह पर मारने लगी । हेमांगी मेरी चूत से लेकर मेरी गाण्ड के छेद तक चाटने लगी और फिर उसने भी अपनी दो उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और उन्हें मेरी चूत के अंदर-बाहर करने लगी । कुछ देर वहाँ चाटने के बाद हेमांगी ने मुझे घोड़ी की तरह बनने को कहा ।

मैं घोड़ी बन गई तो हेमांगी पीछे से मेरी चूत में अपनी उँगलियाँ डाल कर मेरी गांड को चाटने लगी । मैं अपनी गांड को कभी आगे पीछे और कभी ऊपर नीचे कर रही थी । हेमांगी ने अपना मुँह मेरे नीचे कर के अपनी उँगलियों से मेरी चूत को चोदते हुए मेरी जांघों को चाटना शुरू कर दिय। आह्ह आह्ह हेमांगी | मेरी आहें निकल रहीं थीं रीतू तू यह क्या जादू कर रही है | मैं अपनी सांस संयत रखने की कोशिश कर रही थी । रीतू प्लीज़ | अब बस कर मैं झड़ने वाली हूँ | झड़ जा प्रीता मेरी जान | आज इतनी जोर से झड़ जा ताकि तुझे झड़ने का मज़ा आ जाए | हेमांगी कहने लगी । मेरी आँखें आनंद और उन्माद से पूरी खुली हुई थीं ।

मैं जोर जोर से अपनी गांड को आगे-पीछे कर रही थी । मेरी गाण्ड का छेद खुल और बंद हो रहा था और मेरा दिल कर रहा था कि इस समय कोई लड़का अपना लंड मेरी गांड में घुसेड़ दे । आह्हह्ह ओह्ह्ह्ह हेमांगी | मैंने अपना मुँह तकिये में दबा लिया ताकि मेरी चीख की आवाज़ बाहर ना जाए । परंतु हेमांगी मेरी जांघों को सहलाते हुए मुझे उँगलियों से चोदती रही और मैं झड़ने लगी । मेरा पानी मेरी चूत से निकल कर हेमांगी के हाथों को भीग रहा था और नीचे बिस्तर पर गिर रहा था । थोड़ी देर के बाद मैं वैसे ही बिस्तर पर गिर गई और जोर जोर से हांफने लगी । हेमांगी मेरे ऊपर लेट कर मुझे चूमते हुए कहने लगी डॉली अब किसी दिन दोनों मिल कर लड़कों के साथ मज़ा करते हैं |

The post लेस्बियन सेक्स विथ माय फ्रेंड appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/lesbian-sex-with-my-friend.html/feed 0
खुल कर चुदवाती है ये लड़किया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/khulkar-chudwati-hai-ye-ladakiya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/khulkar-chudwati-hai-ye-ladakiya.html#respond Fri, 08 Jun 2018 12:23:25 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12705 जितने लण्ड बहन चोद मेरे हाथ में आते है वो सब मेरी माँ के भोषडा में घुस जाते है . मेरी दोस्ती कई अंकल से है . मैं एक एक करके अपनी माँ को उनके पास ले जाती हूँ और फिर मजे से चुदवाती हूँ माँ का भोषडा ? माँ भी बहन चोद कम नहीं है ? वह भी मेरी बुर में पेल देती है सबके लण्ड ? मज़ा तो माँ के सामने बुर चुदवाने में भी खूब आता है

The post खुल कर चुदवाती है ये लड़किया appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

मॉम तुम अपने ज़माने की बातें कर रही हो . आजकल देखो दुनियां में क्या हो रहा है ? अब वो पहले वाली दुनिया नहीं रही, मॉम . ज़माना बदल गया है . तुम शर्म की बातें कर रही हो, मॉम ? आजकल कौन शर्म करती है ? जो करती है उसे बैकवर्ड कहा जाता है . उसके लिए आगे के रास्ते बंद हो जाते है . वह पिछड़ जाती है .हमें यह सिखाया जाता है की शर्म करने की जरुरत नहीं है . दुनियां से लड़ना सीखो . आगे बढ़ना सीखो . शर्म करोगी तो पीछे रह जाओगी .

मेरे कॉलेज में आजकल सब कुछ खुल्लम खुल्ला होता है, मॉम . एक लड़की का एडमिसन नहीं हो रहा था . तो कुछ लड़कियां प्रिंसिपल के कमरे में घुस गयी और खुले आम गाली देने लगी . तेरी माँ का भोषडा, तेरी माँ की चूत, तेरी बहन को लण्ड साले कुत्ते कमीने भोषड़ी वाले तू अगर एडमिसन नहीं करता है तो यही चोदूँगी तेरी माँ ? बस उस लड़की का एडमिसन तुरंत हो गया . तो ऐसी है दुनिया मॉम ?
लड़कियां आजकल खुल कर लण्ड की बातें करती है, लण्ड के साईज़ की बातें करती है, लण्ड पकड़ने और पीने की बातें करती है, चुदाई की बातें करती है . सबसे ज्यादा बातें तो माँ चुदाने की होती है मॉम ? उनकी बातें सुनकर तो ऐसा लगता है मॉम, की कॉलेज में कोई ऐसी लड़की नहीं है जो अपनी माँ न चुदवाती हो ?

मैं हर दिन या तो लण्ड की बातें सुनती हूँ या फिर माँ चुदाने की . हालाँकि माँ चुदाना, माँ चोदना, माँ चुदवाना, माँ चोदो , माँ चुदाओ, माँ चुदी, माँ चुद गयी सब गालियां है, इसका हकीकत से कोई लेना देना है . पर आजकल ऐसा सोंचना गलत है माँ . आजकल लड़कियां वास्तव में अपनी माँ चुदवाती है . मैंने अपनी आँखों से देखा है अपनी सहेली को अपनी माँ चुदवाते हुए . और लण्ड पकड़ना तो जैसे बड़ी आम बात हो गयी है . जब चाहो तब पकड़ लो लण्ड ? न लण्ड पकड़ने वाली को कोई शर्म और न लण्ड पकड़ाने वाले को . देखा अम्मी तुमने, किस तरह बदल रहा है ज़माना?

उस दिन मैं कॉलेज में कई लड़कियों के साथ खड़ी थी . ऐसे ही ग्रुप में कुछ बातें होने लगी .
सीमा बोली :- यार , कल मैंने अपनी जीजू का लण्ड पकड़ा ? बड़ा मोटा था बहन चोद लण्ड ?
रेनू बोली :- कितना मोटा था लण्ड उसका ? कुछ अंदाज़ा है तुझे ? और लंबा कितना था ये तो बता, बुर चोदी सीमा की बच्ची ?
सीमा बोली :- यार लंबा तो करीब करीब ७” का होगा और मोटा शायद ४” से ५ ” के बीच होगा .
रेनू फिर बोली :- पूरा टन टना कर खड़ा था कि नहीं ? लण्ड का साईज़ का पता उसके पूरे खड़े होने पर ही चलता है . जब लौड़ा बिलकुल कड़क हो जाये तब उसकी नाप लेनी चाहिए .

आरती बोली :- यार इकोनामिक्स वाले टीचर का लौड़ा तो साला ८”का है यार और मोटा तो ५” है
शोभा बोली :- तू क्या अपनी माँ चुदाने गयी थी उससे ? तुझे कैसे मालूम उसके लण्ड का साईज़ ?
आरती बोली :- यार कल मैं उसके घर गयी थी . उसने दरवाजा खोला लेकिन अपना टी वी बंद करना भूल गया . उसमे एक ब्लू फ़िल्म चल रही थी . म्यूट पर थी फ़िल्म . मैंने उसमे एक लड़की को दो लण्ड पीते हुए देखा . मेरी बुर में आग लग गयी . वह तब तक टी वी बंद करने लगा तो मैंने उसके हाथ से रिमोट छीन लिया . मैंने कहा इसे चलने दो मैं पूरी फ़िल्म देख कर जाऊंगी . फिर मैंने कहा अब भोषड़ी के मुझे अपना लण्ड दिखाओ नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी . वह बोला अच्छा दिखाता हूँ पर शोर न मचाना ? बस मेरा काम बन गया . मैंने फ़ौरन लण्ड पकड़ा उसका ? बड़ा जबरदस्त लौड़ा है उसका यार ?

पूनम बोली :- फिर तूने लौड़ा अपनी बुर में पेला की अपनी माँ के भोषडा में ?
शोभा बोली :- अरी सुन तो ? यार लण्ड इतना बढ़िया था कि मेरा मुंह अपने आप खुल गया . मैं लण्ड चूसने लगी और उसका सुपाड़ा चाटने लगी . बाद में वह बहन चोद मेरे मुंह में ही झड़ गया .
प्राजक्ता बोली :- लण्ड तो मेरे अब्बू का है मादर चोद ९” लम्बा और मोटा इतना है की मेरी एक मुठ्ठी में आता ही नहीं ? उसका सुपाड़ा ही बहन चोद ४” का है . मुझे तो अपने अब्बू के लण्ड पर फक्र है .

यह कहानी भी पढ़े : चोद चोद के मुझे लोगो ने रंडी बना दिया

पारुल बोली :- तब तो तेरी माँ का भोषडा फट गया होगा ? अगर किसी की गाड़ मारी होगी तो वह तो मर ही गयी होगी ? पर तूने भोषड़ी वाली कैसे पकड़ लिया अपने अब्बू का लण्ड ?
प्राजक्ता बोली :- यार जानती हो ? मेरा अब्बू साला दूसरों की बीवियां चोदता है . उनका भोषडा फटता होगा ? उस दिन मेरी खाला मेरी अब्बू से चुदवा रही थी . तभी अचानक मैं कमरे में चली गयी . खाला बोली प्राजक्ता जब तुमने देख ही लिया है तो फिर पकड़ के ठीक से देख लो अपने अब्बू का लण्ड ? तब मैंने पकड़ के देखा .

इतने में क्लास शुरू हो गयी . तो ऐसा माहौल रहता है मेरे कॉलेज में माँ ?
एक दिन क्लास में राबर्ट सर पढ़ा रहे थे .
वह बोले :- फ़िरोज़ा (मेरा नाम ) आज तेरी दोस्त नगमा नहीं आयी .
मैंने कहा :- उसकी माँ चुद गयी, सर ?
सारा क्लास मेरी बात सुन कर हंस पड़ा और सर मेरी तरफ देख कर मुस्करा पड़े . मैं समझ गयी की सर को मज़ा आ गया है .
ऐसे ही एक दिन जब अदा मेम क्लास ले रही थी तो उसने सबसे पूंछा कल तुम सब लोग क्या कर रही थीं ? मेरे मुंह से निकला – माँ चुदा रही थी अपनी ?

अदा मेम नाराज़ हो गयी . वह बोली खड़ी हो जा फ़िरोज़ा . तू बहन चोद आजकल बहुत गालियां बकने लगी है . तेरी तो मैं आज गांड मारूंगी , नहीं मानेगी तो माँ चोदूंगी तेरी . देखती हूँ की कब तक बदतमीजी करती है तू भोषड़ी वाली ? सबने यह महसूस किया की मेम तो ज्यादा गालियां बकती है . उस दिन जाते समय मेम ने मुझे बुलाया और कहा कल मेरे घर आना फ़िरोज़ा ? मैं पहुँच गयी .

वह बहुत खुश हुई और बोली सुनो फ़िरोज़ा आज मैं तुमसे कुछ प्राइवेट बात कह रही हूँ . मैंने कहा हां मेम कहो . वह बोली तुम लड़कों के लण्ड पकड़ती हो . मैंने कहा हां मेम पकड़ती हूँ पर मौका नहीं मिलता ? वह मुझे अंदर के कमरे में ले गयी . वहाँ दो आदमी बैठे थे . मेम बोली फ़िरोज़ा ये दोनों मेरे दोस्त है तुम इनके लण्ड पकड़ो ? मैं तो चाहती ही थी . अदा मेम ने मुझे दोनों लण्ड पकड़ाये और फिर दोनों लण्ड अपने भोषडा में पेलवाया ? दूसरी पारी में मेरी चूत में भी पेला एक एक करके दोनों लण्ड ? मैंने भी खूब मस्ती से चुदवाया, अम्मी
मैंने कहा :- अम्मी मैं चाहती हूँ की तुम भी इन दोनों से चुदवाओ ? मैं किसी दिन इन्हे बुला लूंगी .
अम्मी बोली :- और राबर्ट के लण्ड के बारे में कब बताओगी तुम मुझे ?

मैंने कहा :- अरे अम्मी अभी तो मैंने उसका लौड़ा पकड़ा ही नहीं ? जब पकडूँगी तब बताऊंगी ?
एक दिन और इसी तरह ग्रुप बन गया और सभी लड़कियां कुछ न कुछ सुनाने लगी .
सुनीता बोली :-यार कल मैं अपने पड़ोस की उमा आंटी के घर गयी थी . मैं उनसे खुल कर लण्ड चूत की बातें करती हूँ . मैंने देखा की उमा आंटी एकदम नंगी बैठी हुई है . वह शायद दरवाजा बंद करना भूल गयी थी . इतने में बाथ रूम से एक आदमी एकदम नंगा नंगा निकला . उसका लौड़ा देख कर तो मेरी गांड फट गयी ? आंटी ने अपना मुंह फैलाया और तोप जैसे लण्ड उसके मुंह में घुस गया . मेरी तो लार टपकने लगी . मेरी बुर गरमा गयी . मैं अपनी चूंची मसलने लगी . इतने में आंटी ने मुझे देख लिया . वह बोली अरी बुर चोदी सुनीता वहाँ क्या कर रही है तू . यहाँ आ न मेरे पास ? मैं पास गयी तो बोली ये है तेरे अंकल के दोस्त संजय . मुझे चोदने आया है तू भी पकड़ के देख इसका लण्ड ? अब तू २२ साल की हो गयी है चुदवाया कर अपनी बुर ? मैंने लण्ड पकड़ा तो मज़ा आ गया यार ?

प्रेमा बोली :- तो ठोकवा लेती वही लण्ड अपनी चूत में ? तू क्या कम हरामजादी है ?
शमा बोली :- यार हरामजादी तो मैं हूँ .कल मैंने अपनी माँ चुदवाई . मैं अपनी माँ को लेकर राबर्ट के घर चली गयी . माँ जब बाथ रूम गयी तो राबर्ट बोला शमा आज मैं तेरी माँ चोदूंगा .
जोया बोली :- इसका मतलब तू राबर्ट सर से चुदवाती है ?
शमा बोली :- हां चुदवाती हूँ तो तेरी गांड क्यों फट रही है .
जोया बोली :- मेरी गांड क्यों फटेगी ? चुदवायेगी तू तो तेरी गांड फटेगी न ? तेरी माँ की गांड फटेगी बहन चोद ? और फिर मेरी गांड इतनी कमजोर नहीं है कि पिद्दी भर के लण्ड से फट जायेगी ?

यह कहानी भी पढ़े : भाभी के बूब्स चुसाई और चुत की चुदाई

मैंने कहा ;- यार शमा राबर्ट सर के लण्ड का साईज़ क्या है ?
उसने कहा :- ८” और ५” बड़ा मस्त लौड़ा है ? कड़क है और गोरा चिट्टा है .
मैंने कहा :- यार मुझे भी अपनी माँ चुदवानी है . पर तू अपनी बात तो पूरी कर ?
शमा बोली :- जब माँ वापस आयी तो सर अंदर कुछ लेने चले गए . इतने में मैंने कहा अम्मी सर का लण्ड देखोगी ? वह बोली हां देखूँगी और पसंद आया तो अपनी बुर में घुसा लूंगी . तब तक सर आ गए . मैंने कहा हां सर चोद लो मेरी माँ ? लेकिन मेरे सामने ही चोदो ? मैं माँ चुदा लूंगी अपनी ? बस मैंने वही बैठी हुई अपनी माँ चुदाने लगी . हां जब सर का लौड़ा झड़ने लगा तो मैंने भी माँ के साथ लण्ड पिया .

सिमरन बोली :- यार एक बात तो है की माँ चुदाने में मज़ा तो आता है . और माँ जब अपनी बेटी चुदवाती है तो और मज़ा आता है . मैंने भी एक दिन अपने बॉय फ्रेंड से अपनी माँ चुदवाई . उसके दूसरे ही दिन मेरी माँ ने अपने बॉय फ्रेंड बिल्लू का लौड़ा मेरी चूत में घुसेड़ कर मेरी बुर चुदवाई .
हबीबा बोली :- माँ तो मैं चुदवाती हूँ मस्त होकर ? जितने लण्ड बहन चोद मेरे हाथ में आते है वो सब मेरी माँ के भोषडा में घुस जाते है . मेरी दोस्ती कई अंकल से है . मैं एक एक करके अपनी माँ को उनके पास ले जाती हूँ और फिर मजे से चुदवाती हूँ माँ का भोषडा ? माँ भी बहन चोद कम नहीं है ? वह भी मेरी बुर में पेल देती है सबके लण्ड ? मज़ा तो माँ के सामने बुर चुदवाने में भी खूब आता है .

जोया बोली :- तो तू अपनी माँ का भोषडा चोदती है और तेरी माँ तेरी बुर चोदती है ?
हबीबा बोली :- हां और नहीं तो क्या ? जब चोदने और चुदाने निकली हो तो शर्म कैसी ? मेरी अम्मी कहती है कि जब चोदो तो बिंदास चोदो, जब चुदाओ तो बिंदास चुदाओ . मेरी अम्मी लण्ड खूब चोदती है .
जोया बोली :- यार मेरी भी माँ चुदवा दो प्लीज ? मुझे भी सिखा दो माँ चुदाना ? मैं भी चुदाऊंगी माँ ?

तो लड़कियों की इस तरह की बातें होती है कॉलेज में अम्मी . एक से एक हरामी लड़की है मेरे कॉलेज में जिसकी कहो उसकी माँ चोद दें ? जिसकी कहो उसकी गांड मार दें ? अम्मी ने कहा बड़ा अच्छा कॉलेज है बेटी तेरा . ये सब मेरे समय में कहाँ होता था . हम लोग तो एक एक लण्ड के तरस जाया करती थी . मैंने कहा अम्मी अब तुम नहीं तरसोगी . अब जितने लण्ड कहो उतने लण्ड पकड़ा दूं तुम्हे ?
मैं तुम्हे एक दिन की और कहानी सुनाती हूँ . जाड़े का समय था . धूप निकली हुई थी . हम कुछ लड़कियां दूर कॉलेज के कैम्पस में कड़ी बातें करने लगी .

मैंने कहा :- यार आजकल जिसको देखो वही लण्ड की बात करती है बुर चोदी ?
प्राजक्ता बोली :- हां यार , कल सोफिया मेम बोली प्राजक्ता मुझे मालूम है की तुम अपने अब्बू का लण्ड पकड़ती हो ? मुझे अपने अब्बू के लण्ड का साईज़ बताओ ? मैंने जब बताया की ९” है तो उसकी गांड फटने लगी और आँखे निकल आयी .
शमा बोली :- हां यार आजकल टीचरें भी लण्ड के साईज़ में दिलचस्पी रखती है . मुझेसे भी कशोभा मेम ने राबॅर्ट के लण्ड का साईज़ पूंछा . मैंने बताया तो वह बोली की एक दिन मुझे भी पकड़ाओ उसका लण्ड ?

पिंकी बोली :- यार विक्रम सर का लौड़ा बड़ा मोटा है बहन चोद ? तुम लोग भी कभी पकड़ के देखना ?
पद्मा बोली :- हां तुमने ठीक कहा पिंकी उसका तो सुपाड़ा गोल गोल छतरी जैसा लगता है ? मुझे तो सुपाड़ा चाटने में खूब मज़ा आया था लेकिन वह बहन चोद मेरे मुंह में ही झड़ गया .
गुंजन बोली :- यार अपने क्लास में राना है न ? उसका लण्ड बिलकुल राबर्ट सर के लण्ड की तरह है ?

मैंने कहा :- तू भोषड़ी की दोनों के लण्ड पकड़ चुकी है और मुझे बताया भी नहीं ?
वह बोली :- फ़िरोज़ा तुम्हे तो अपनी माँ चुदाने से ही फ़ुर्सत नहीं है ? मैं तुम्हे भी ले जाती लण्ड पकड़ाने पर तू कहीं माँ चुदाने गयी थी अपनी ?
तुलसी बोली :- राना का लौड़ा मैंने भी पकड़ा है .मैंने उसका सड़का मारा है और लण्ड पिया है बड़ा टेस्टी है लौड़ा ? मेरा मन बार बार पीने का होता है . कल मैं फिर पियूंगी उसका लण्ड .

यह कहानी भी पढ़े : सगी बहन से शादी करके घर बसाया

मेघा बोली :- और इंग्लिश टीचर जैकब सर के लण्ड के बारे में जानती हो ? उस दिन सर मुझे अपनी कार में बैठा अपने घर ले गए थे . वह जब अपने कपडे बदल रहे थे तो मुझे उसके लण्ड की एक झलक मिल गयी . मेरे रोंगटे क्या मेरी चूत की झांटे भी खड़ी हो गयी . मेरे मुंह से निकला सर, अपना लौड़ा दिखाओ न प्लीज . उसने मुझे चिपका लिया और तब मैं उसका लौड़ा टटोलने लगी . थोड़ी देर में वह भी नंगा मैं भी नंगी . बड़ा मज़ा आया यार उसका लौड़ा पकड़ कर और पी कर ? मैं तो कहती हूँ की तुम सब लोग उसका लौड़ा पी कर देखो .

दूसरे दिन मैं राबर्ट सर के घर चली गयी . मैंने कहा भोषड़ी के राबर्ट माँ के लौड़े मादर चोद तुम सबको अपना लौड़ा पकड़ाते हो और मुझे नहीं ? मैंने क्या गुनाह किया है बहन चोद ? क्या मेरे पास चूत नहीं है ? क्या मेरी चूंचियां नहीं है ? क्या मेरी गांड नहीं है ? भोषड़ी के तुझे और क्या चाहिए ? वह बोला अरे फ़िरोज़ा तू क्यों गुस्सा कर रही है लो पकड़ लो मेरा लण्ड ? जो चाहो करो मेरे लण्ड का ? ऐसा कह कर वह अपना लण्ड खोल कर मेरे आगे खडा हो गया ? मैंने लण्ड पकड़ा और कहा सर मेरी माँ चोदोगे ? वह बोला हां चोदूंगा ? तब मैंने कहा तो फिर चलो मेरे घर और वही मेरी माँ चोदो . मुझे भी चोदो . मेरी माँ का भोषडा चोदो मेरी चोदो बुर ? इस तरह मैंने रात भर चुदवाई अपनी माँ और माँ का भोषडा ?

The post खुल कर चुदवाती है ये लड़किया appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/khulkar-chudwati-hai-ye-ladakiya.html/feed 0
तीन सहेलियों ने चुदाई के जोश में 15 लोगो से भी चुदवाया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/teen-saheliyo-ne-chudai-ke-jish-me-15-logo-se-bhi-chudwaya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/teen-saheliyo-ne-chudai-ke-jish-me-15-logo-se-bhi-chudwaya.html#respond Thu, 05 Apr 2018 07:28:42 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12390 तीन सहेलियों ने चुदाई के जोश में 15 लोगो से भी चुदवाया, सोनिया ने मुझे बताया कि वो शादी के बाद से और ज़्यादा सेक्सी हो गयी थी और वो कयि आदमियों से चुदवा चुकी थी. उसकी एक दलाल से जान पहचान हो गयी थी जो कि अमीर औरतों को आदमी सप्लाइ करता था. वो बोली, तू तो जानती ही है कि मुझे तो खूब मोटा और लंबा लंड ही पसंद आता है और उसी से चुदवाने में मुझे मज़ा भी आता है

The post तीन सहेलियों ने चुदाई के जोश में 15 लोगो से भी चुदवाया appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

मेरा नाम रागिनी है. मेरी उमर 18 साल की है और मैं बहुत ही खूबसूरत हूँ. मेरी दो सहेलियाँ हैं जिसका नाम रूपा और सोनिया है. वो दोनो मेरे साथ ही कॉलेज में पढ़ती थी. हम तीनो ही बहुत ही सेक्सी थे. कॉलेज में ही हमारा ढेर सारे लड़को से संबंध था. हम तीनो ही उनसे खूब चुदवाते थे. सोनिया चुदवाने में सबसे ज़्यादा तेज थी. सोनिया हमेशा ही खूब लंबे और मोटे लंड की तलाश में रहती थी. रूपा को कयि लड़को से एक साथ चुदवाने में ज़्यादा मज़ा आता था लेकिन उसे ज़्यादा लंबा और मोटा लंड पसंद नहीं था. जहाँ तक मेरा सवाल है तो मुझे एक साथ चूत और गांद दोनो में लंड लेना पसंद था.

पढ़ाई ख़तम होने के बाद रूपा और मैं 2 साल के लिए दूसरे शहर में पढ़ने चले गये. हमारे जाने के 6 महीने के बाद ही सोनिया की शादी उसी शहर में धर्मेन्द्र के साथ हो गयी थी. धर्मेन्द्र बहुत ही अमीर आदमी था और अय्याश भी. सोनिया ने हम दोनो को भी शादी में बुलाया लेकिन हम उसकी शादी में नहीं आ सके. सोनिया ने अपनी शादी की दूसरी सालगिरह पर हम दोनो को बुलाया. मैं रूपा के साथ सोनिया के पास आ गयी. सोनिया ने हम दोनो को देखा तो बहुत खुश हो गयी. हम सब ने आपस में खूब बातें की.

सोनिया ने मुझे बताया कि वो शादी के बाद से और ज़्यादा सेक्सी हो गयी थी और वो कयि आदमियों से चुदवा चुकी थी. उसकी एक दलाल से जान पहचान हो गयी थी जो कि अमीर औरतों को आदमी सप्लाइ करता था. मैं जानती थी कि ये मुंबई के लिए आम बात है. सोनिया ने हम दोनो को लगभग 150 आदमियों के फोटो दिखाए और बोली, मैं इन सब से चुदवा चुकी हूँ. वो सभी आदमी फोटो में एक दम नंगे थे. उन सब आदमियों का लंड एक से बढ़कर एक था. किसी का लंड 8″ से कम लंबा नहीं था. मैने सोनिया से कहा, इन सब का लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है. वो बोली, तू तो जानती ही है कि मुझे तो खूब मोटा और लंबा लंड ही पसंद आता है और उसी से चुदवाने में मुझे मज़ा भी आता है. आज मैने एक पार्टी रखी है. आज हम सब सारी रात चुदाई का पूरा मज़ा उठाएँगे.

सोनिया ने 6 मर्दो के फोटो हमारे सामने रखते हुए कहा, मैं आज इन सब को बुलाया है. मैने पूच्च्छा, अगर धर्मेन्द्र आ गया तो. वो बोली, वो तो महीने 25 दिन बाहर ही रहता है. इसी लिए तो मैने दूसरे आदमियों से चुदवाना शुरू किया है. मैने कहा, धर्मेन्द्र तुझे कुच्छ कहता नहीं. वो बोली, वो भी तो अय्याश है और तमाम लड़कियों को चोद्ता रहता है. मैं उसके सामने भी कयि बार चुदवा चुकी हूँ. मैने कहा, तो फिर तूने आज 6 मर्दो को क्यों बुलाया है. सोनिया बोली, क्या तुम सब को चुदवाना नहीं है. मैने कहा, चुदवाना तो है लेकिन 6 मर्द एक साथ. वो बोली, तो क्या हुआ, तभी तो चुदाई का असली मज़ा आएगा. मैने कहा, इन सभी का लंड 11″ से कम नहीं है. वो बोली, इसी लिए में केवल इन्हें ही बुलाया है. मैं तो आज रात इन सब से कम से कम 1 बार ज़रूर चुदवाउन्गि.

रूपा बोली, सोनिया, तू तो जानती है कि मुझे कयि मर्दो से एक साथ चुदवाना पसंद है लेकिन मैं ज़्यादा लंबा और मोटा लंड पसंद नहीं करती. सोनिया बोली, छ्चोड़ यार, तूने लंबे और मोटे लंड का मज़ा कभी लिया ही नहीं फिर तू क्या जाने की खूब लंबे और मोटे लंड से चुदवाने का मज़ा क्या होता है. आज तो मैं तुझे इन सब ज़रूर चुदवाउन्गि. रूपा बोली, तब मेरी हालत एक दम खराब हो धर्मेन्द्रगी क्यों की इसमें से किसी का लंड 11″ से कम लंबा नहीं है. मैं तो सुबह तक बिस्तेर पर से हिलने डुलने के काबिल ही नहीं रहूंगी. सोनिया बोली, क्यों तुझे कल सुबह कहीं जाना है क्या. रूपा बोली, नहीं यार, कहीं नहीं जाना है. हम दोनो तो तेरे पास कम से कम 10 दीनो तक रहेंगी. सोनिया बोली, फिर सारा दिन तू बिस्तेर पर ही आराम करना.

उसके बाद सोनिया ने मुझसे कहा, तेरा क्या ख़याल है, रागिनी. मैने कहा, तू तो जानती ही है मुझे एक साथ दो लंड अंदर लेना पसंद है. मुझे तो कोई दिक्कत नहीं है. मैं पहले भी 11″ लंबा लंड अंदर ले चुकी हूँ. मैं तो इन सब से कम से कम 2 बार ज़रूर चुदवाउन्गि. सोनिया बोली, फिर ठीक है. आज रात हम सब को चुदवाने में खूब मज़ा आएगा.

यह कहानी भी पढ़े : मेरी आँखों के सामने बनी मम्मी की चुदाई की फिल्म

सारा दिन हम गॅप शॅप करते रहे. रात के 8 बजे एक सूमो आ कर खड़ी हुई. उसमें से 6 हत्थे कत्थे जवान मर्द बाहर आए. मैं उन्हें देखकर खुश हो गयी. रूपा उन्हें देख कर थोड़ा उदास हो गयी. सोनिया ने रूपा से पुचछा, तू क्यों उदास है. वो बोली, इन सब के लंड के बारे में सोच कर मैं परेशान हूँ. सोनिया बोली, फिर तो आज सबसे पहले मैं तेरी ही चुदाई कराउंगी. रूपा बोली, नहीं, मैं सब से बाद में चुदवाउन्गि. सोनिया ने कहा, तू लाख कोशिश कर ले लेकिन आज मैं सबसे पहले तुझे ही इन सब के हवाले करूँगी. ये सब तेरी चुदाई कर कर के तेरी चूत को एक दम चौड़ा कर देंगे. रूपा बोली, इसका मतलब आज तू मेरा कतल करवाने पर तुली है. सोनिया बोली, कुच्छ ऐसा ही समझ ले. रूपा बोली, ये सब मेरी चूत की हालत खराब कर देंगे और साथ में मेरा भी. सोनिया बोली, मुझसे शर्त लगा ले. कल सुबह के पहले अगर तूने खुद ही मंगेश से दोबारा नहीं चुदवाया तो मैं अपना नाम बदल दूँगी. रूपा बोली, ये मंगेश कौन है. सोनिया बोली, मंगेश सबसे ज़्यादा देर तक चोद्ता है और बहुत ताकतवर भी. मैं सबसे पहले उसी से तेरी चुदाई कराउंगी. रूपा चुप हो गयी.

वो सभी अंदर आ गये. सोनिया ने कहा, तुम सब कुच्छ पियोगे. उसमें से एक बोला, आज रात बहुत मेहनत करनी है. हो सके तो कुच्छ ड्रिंक पीला दो. सोनिया ने उन सब को 1 बॉटल शराब ला कर दे दी. वो सब शराब पीने लगे. सोनिया ने रूपा की तरफ इशारा करते हुए मंगेश से कहा, ये मेरी सहेली रूपा है. आज तक इसने 7″ से ज़्यादा लंबे लंड से नहीं चुदवाया है. तुम सबसे पहले इसकी चुदाई करो. मैं नहीं चाहती कि इसे बार बार तकलीफ़ उठानी पड़े. तुम इसकी चूत में एक दम बेरहमी से अपना लंड घुसा देना. मंगेश बोला, मेडम, फिर तो ये बहुत चिल्लाएगी. सोनिया ने कहा, तो क्या हुआ. एक बार ही तो चिल्लाएगी. उसके बाद इसे इन सब से चुदवाने में मज़ा आएगा. वो बोला, ठीक है मेडम, मैं एक दम रेडी हूँ, आप कहें तो मैं शुरू कर दूं. सोनिया बोली, हां, शुरू कर दो.

रूपा ने सोनिया से कहा, तू मुझे मरवाएगी क्या. सोनिया बोली, नहीं यार, मैं एक बार में ही तेरा काम तमाम कर देना चाहती हूँ जिस से हम सब एक साथ मज़ा ले सकें. इसी लिए तो मैं सब से पहले मंगेश से ही तेरी चुदाई करने को कह रही हूँ. तब तक मंगेश रूपा के पास आ गया. उसका लंड एक दम टाइट हो चुका था. उसका लंड लगभग 11″ लंबा और 3″ मोटा था और वो बहुत ताकतवर भी लग रहा था. उसने रूपा के सारे कपड़े उतार दिए और उसे बेड के किनारे लिटा दिया. उसके बाद वो रूपा के पैरो के बीच में ज़मीन पर खड़ा हो गया. उसने रूपा की चूत के मूह को फैला कर अपना लंड बीच में रख दिया.

सोनिया ने बाकी के आदमियों को इशारा कर दिया तो वो सभी रूपा के पास आ गये. उन सब ने रूपा के हाथ ज़ोर से पैर पकड़ लिए. एक ने अपना लंड रूपा के मूह में दे दिया. रूपा उसका लंड चूसने लगी. तभी मंगेश ने एक धक्का मारा. रूपा ने उस आदमी का लंड अपने मूह से बार निकाल दिया और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी. उस आदमी ने दूसरा धक्का लगाया तो रूपा बुरी तरह से चीखने लगी. सोनिया बोली, तू इतना चीख क्यों रही है. 7″ लंबा लंड तो तू पहले ही अंदर ले चुकी है. इसका लंड तो अभी तेरी चूत में केवल 5″ ही घुसा है. रूपा बोली, इसका मोटा भी तो बहुत है. मंगेश जैसे ही रुका तो सोनिया ने उसे ज़ोर से डांटा, क्यों बे, रुक क्यों गया. घुसा अपना पूरा लंड इसकी चूत में. मंगेश बोला, ग़लती हो गयी मेडम. अब मैं नहीं रुकुंगा.

मंगेश ने पुर ताक़त के साथ बहुत ही जोरदार दो धक्के लगाए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड रूपा की चूत में 8″ तक अंदर घुस गया. रूपा की चूत से खून निकलने लगा और वो बहुत ही बुरी तरह से चिल्लाने और तड़पने लगी. रूपा का सारा बदन पसीने से लथपथ हो चुका था. मंगेश ने एक गहरी सांस लेते हुए 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगा दिए. इन दो धक्कों के साथ ही उसका लंड रूपा की चूत में 10″ तक अंदर घुस गया. रूपा की चूत बुरी तरह से फैल चुकी थी. उसकी चूत ने मंगेश के लंड को बुरी तरह से जाकड़ रखा था. तभी मंगेश ने पूरी ताक़त के साथ बहुत ही ज़ोर का धक्का मारा. इस धक्के के साथ ही उसका पूरा का पूरा लंड रूपा की चूत में समा गया. उसके बाद मंगेश ने रूपा की चुदाई शुरू कर दी.

यह कहानी भी पढ़े : आखिर जिस्मानी रिश्ते की चाहत पूरी हुई

सोनिया ने रूपा से कहा, आख़िर तूने इसका 11″ लंबा लंड अंदर ले ही लिया. अब तो तुझे खूब मज़ा आ रहा होगा. वो बोली, मैं दर्द के मारे मरी जा रही हूँ और तुझे मज़ाक सूझ रहा है. सोनिया बोली, मेरी जान, बस 10 मिनट में ही तू एक दम पक्की चुड़क्कड़ बन जाएगी और तुझे वो मज़ा आएगा की तू भी मेरी तरह कभी छ्होटा और पतला लंड पसंद ही नहीं करेगी. वो बोली, ये तो है. लंबा और मोटा लंड अंदर लेने के बाद छ्होटा लंड भला किसे पसंद आएगा. मंगेश रूपा को चोद्ता रहा और रूपा चिल्लाति रही. 10 मिनट की चुदाई के बाद जब रूपा शांत हो गयी तो सोनिया ने अनलि से कहा, अब तू रहने दे. रूपा बोली, अब मुझे मज़ा आ रहा है तो तू इसे मना क्यों कर रही है. सोनिया बोली, अब तुझे साहिल चोदेगा फिर उसके बाद देव शर्मा जब तक मैं नहीं कहूँगी तब तक कोई भी अपने लंड का जूस तेरी चूत में नहीं निकलेगा. रूपा बोली, तू ऐसा क्यों कर रही है. सोनिया बोली, बस, तू केवल देखती जा.

मंगेश हट गया तो साहिल रूपा को चोदने लगा. 15 मिनट की चुदाई के बाद देव ने रूपा को चोदना शुरू किया. उसने भी लगभग 15 मिनट तक रूपा की चुदाई की. उसके बाद कमाल, केशरी और शिव ने रूपा को लगभग 15-15 मिनट तक चोदा. रूपा को अब मज़ा आने लगा था और उसे अब ज़रा सा भी दर्द नहीं हो रहा था. सोनिया ने सभी को मना कर रखा था इस लिए किसी ने अपने लंड का जूस उसकी चूत में नहीं निकाला.

सोनिया ने मंगेश और साहिल से मुझे चोदने को कहा. उन दोनो का लंड एक ही साइज़ का था. मैं मंगेश के उपर आ गयी और उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया. साहिल मेरे पिछे आ गया और उसने अपना लंड मेरी गांद में डाल दिया. उसके बाद वो दोनो मुझे चोदने लगे. देव सोनिया को चोदने लगा. सोनिया भी खूब मज़े ले ले कर चुदवा रही थी. मुझे भी खूब मज़ा आ रहा था. बहुत दीनो के बाद मुझे बहुत अच्छे लंड से एक साथ चुदवाने का मौका मिला था. मैने ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरते हुए उन दोनो के जोश को बढ़ा रही थी. वो दोनो भी बहुत ताकतवर थे और बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहे थे.

उधर रूपा पूरी मस्ती के साथ कमाल, केशरी से चुदवा चुकी थी. अब उसे शिव चोद रहा था. उसे चुदवाते हुए लगभग 1 घंटे हो चुके थे. वो अब तक केयी बार झाड़ भी चुकी थी. मंगेश और साहिल भी मुझे लगभग 30 मिनट तक चोद चुके थे. उन दोनो के हट जाने के बाद क्‍मल और केशरी मुझे चोदने लगे. वो दोनो मेरी चूत और गांद की बुरी तरह से धुनाई कर रहे थे. मैं भी एक दम मस्ती के साथ चुदवा रही थी. सोनिया ने सभी को मना कर रखा था कि किसी के लंड से जूस नहीं निकलना चाहिए. वो सभी जब झड़ने वाले होते तो हट जाते थे. जब थोड़ी देर में उनका जोश कुच्छ ठंढा पड़ जाता तो वो फिर से शुरू हो जाते थे. वो सभी बारी बारी से हम तीनो की चुदाई कर रहे थे.

3 घंटे तक हम सब की चुदाई चलती रही. सोनिया ने उन सब से कहा, अब तुम सब रुक जाओ. वो सब हमारी चूत से अपना लंड बाहर निकाल कर खड़े हो गये तो सोनिया ने कहा, मंगेश, अब तुम्हें मेरी गांद मारनी है. मंगेश बोला, मेडम, आप ने आज तक कभी गांद नहीं मरवाई है. वो बोली, तो क्या हुआ. आज मेरे साथ मेरी सहेलियाँ भी हैं इस लिए आज मैं गांद भी मर्वाउन्गि. तुम मेरी गांद मारना शुरू कर दो. मुझ पर ज़रा सा भी रहम मत करना और पूरा का पूरा लंड मेरी गांद में घुसेड कर ही दम लेना. वो बोला, ठीक है मेडम.

उसके बाद सोनिया ने साहिल से कहा, साहिल, तुम रूपा की गांद मारो और अपना पूरा लंड उसकी गांद में ही घुसा कर ही रुकना. नहीं तो समझ लो कि मैं तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँगी. वो बोला, मेडम, मैं कोई ग़लती नहीं करूँगा. रूपा बोली, तू मुझे क्यों मारने पर तुली हुई है. सोनिया बोली, मैने इसी लिए 6 आदमियों को बुलाया था. अब तू साहिल का लंड अपनी गांद के अंदर लेगी और रागिनी देव से गांद मरवाएगी. उसके बाद हम सब को 2-2 आदमी एक साथ चोदेन्गे.

मंगेश ने सोनिया की गांद में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया. सोनिया बहुत ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी. साहिल भी अपने लंड का सूपड़ा रूपा की गांद के छेद पर रख चुका था. रूपा ने सोनिया से कहा, खुद तो दर्द के मारे मरी जा रही है और मुझे भी फसा दिया. तभी साहिल का बहुत ही ज़ोर का धक्का लगा. रूपा ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. मैं खड़ी हो कर तमाशा देख रही थी. मंगेश और साहिल पूरे ताक़त के साथ ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहे थे. सारा रूम चीखों से गूँज रहा था. तभी देव ने मुझसे कहा, मेडम मैं भी शुरू कर दूं. मैने कहा, मैं तो आदि हूँ. ज़रा इन दोनो की गांद में पूरा लंड तो घुस जाने दो उसके बाद तुम मेरी गांद मारना.

5 मिनट में ही सोनिया और रूपा की गांद में उन दोनो का पूरा का पूरा लंड समा चुका था. वो दोनो अब उनकी गांद मार रहे थे. मैने देव से कहा, चलो अब तुम भी शुरू हो जाओ. देव ने मेरी गांद मारनी शुरू कर दी. सोनिया और रूपा अभी भी बहुत ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी. देव बहुत ही ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाता हुआ मेरी गांद मार रहा था. मुझे खूब मज़ा आ रहा था. 10 मिनट के बाद सोनिया और रूपा शांत हो गयी. अब उन दोनो की गांद में मंगेश और साहिल का लंड सटा सॅट अंदर बाहर होने लगा था. उन दोनो ने 10 मिनट तक और गांद मरवाई. उसके बाद सोनिया बोली, मंगेश और साहिल अब तुम दोनो रुक जाओ. उन दोनो ने अपना लंड उनकी गांद से बाहर निकाला और हट गये.

सोनिया बोली, साहिल तुम लेट जाओ. मैं तुम्हारे उपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चूत में डाल लेती हूँ और कमाल पिछे से मेरी गांद मारेगा. उसके बाद सोनिया ने मंगेश से कहा, तुम भी लेट जाओ. रूपा तुम्हारे उपर आ कर तुम्हारा लंड अपनी चूत में डाल लेगी और केशरी उसके पिछे आ कर उसकी गांद मारेगा. उसके बाद सोनिया ने शिव से कहा, रागिनी देव का लंड अपनी चूत में डाल लेगी और तुम पिछे से उसकी गांद मारना. इस बार तुम सब हमारी चूत और गांद को अपने लंड के जूस से भर देना. वो सब बोले, ठीक है मेडम.

यह कहानी भी पढ़े : भाभी को एक ही शॉट में बच्चे का सुख दे दिया

सोनिया ने जैसा कहा था ठीक उसी तरह से हम सब की चुदाई शुरू हो गयी. लगभग 1 घंटे तक हमारी खूब जम कर चुदाई हुई. रूपा ने पूरी मस्ती के साथ 2-2 लंड का एक साथ मज़ा लिया. सोनिया ने भी पहली बार गांद मरवाने का पूरा मज़ा उठाया. सोनिया ने रूपा से पुचछा, क्यों बेबी, मज़ा आया. रूपा मुस्कुराते हुए बोली, कसम से बहुत मज़ा आया. मैं ज़्यादा लंबे और मोटे लंड से बहुत डरती थी लेकिन आज मेरा सारा डर ख़तम हो गया. आ तो मैं हेमशा केवल खूब लंबे और मोटे लंड से ही चुदवाउन्गि. तुम इन सभी से कह दो की बिना रुके ही खूब जम कर मेरी चुदाई करें और मेरी चूत और गांद को अपने लंड के जूस से एक दम भर दें. सोनिया बोली, ऐसा ही होगा, रानी जी. सोनिया ने उन सब से कहा, तुमने सुना कि ये क्या कह रही है. अब तुम सब शुरू हो जाओ और मेरी सहेली को एक दम मस्त कर दो. ये जब तक मना ना करे तुम सब इसे खूब जम कर चोदना.

उन सभी ने सुबह होने तक रूपा को तरह तरह के स्टाइल में खूब जम कर चोदा और उसकी गांद मारी. सुबह को रूपा ने उन सभी को खुद ही मना कर दिया. वो एक दम मस्त हो चुकी थी और थक कर चूर भी. उसके बाद सोनिया ने उन सब से कहा, तुम सब 1-2 घंटे आराम कर लो. उसके बाद रागिनी को भी इसी तरह से चोदना. मैने सोनिया से कहा, क्या तू ऐसे ही रहेगी. सोनिया बोली, मेरा क्या, मैं तो हमेशा ही चुदवाती रहती हूँ. तुम दोनो मेरी सहेली हो और मेहमान भी. पहले तुम दोनो का अच्छि तरह से स्वागत होना चाहिए.

उन सब ने 2 घंटे तक आराम किया और फिर उसके बाद वो सब मुझ पर टूट पड़े. उन्होने 5 घंटे तक लगातार खूब जम कर मेरी चुदाई की और मेरी गांद भी मारी. मैं भी रूपा की तरह से एक दम मस्त हो गयी. मुझे बहुत दिनो के बाद चुदाई का मज़ा मिला और वो भी जी भर के.

दोपहर के 3 बजे वो सब जाने लगे तो सोनिया ने मंगेश, साहिल और देव से कहा, तुम तीनो रात के 8 बजे आ जाना. उसके बाद वो सब चले गये. रूपा ने सोनिया से कहा, अब जब मुझे चुदाई का असली मज़ा मिल गया है तो तूने आज केवल तीन को ही क्यों बुलाया है. सोनिया बोली, मेरी रानी, देखती जाओ. सोनिया ने अपने दलाल को फोन किया और उस से कहा कि रात के 8 बजे 6 आदमियों को और भेज देना लेकिन एक बात का ध्यान रखना की उन सभी का लंड 11″ से कम नहीं होना चाहिए और साथ में खूब मोटा भी होना चाहिए. दलाल ने कहा की भेज दूँगा.

रात के 8 बजे सूमो से 9 लोग आ गये. उन सभी का लंड एक से बढ़ कर एक था. उसमें से एक का नाम धर्मेन्द्रंत था. उसका लंड देखते ही रूपा बहुत खुश हो गयी. सोनिया ने रूपा से पूछा, क्या बात है, तू धर्मेन्द्रंत को देख कर बहुत खुश हो रही है. रूपा बोली, मुझे इसका लंड बहुत ही शानदार लग रहा है. मैने तो आज सबसे पहले इसी से चुदवाउगी. सोनिया ने कहा, तू तो ज़्यादा लंबे और मोटे लंड से बहुत डरती थी. आज तुझे क्या हो गया. रूपा बोली, तूने खूब लंबे और मोटे लंड से मेरी चुदाई करा कर मेरी चूत और गांद में आग लगा दी है. अब तो मुझे इस आग को बुझाना ही है. सोनिया बोली, शाबाश बेबी, आख़िर तू जान ही गयी कि असली मज़ा क्या होता है.

धर्मेन्द्रंत का लंड लगभग 12″ लंबा था और उन सभी के लंड से बहुत मोटा भी. धर्मेन्द्रंत ने रूपा की चुदाई शुरू कर दी रूपा ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी. लेकिन आज वो ज़्यादा नहीं चीखी और थोड़ी ही देर में शांत हो गयी. उसे धर्मेन्द्रंत से चुदवाने में खूब मज़ा आया. धर्मेन्द्रंत से चुदवाने में मैं भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में मुझे भी खूब मज़ा आया. सोनिया का भी वही हाल हुआ. वो भी बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे भी खूब मज़ा आया. सुबह तक उन सभी ने हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांद भी मारी. हम सब पूरी तरह से मस्त हो चुके थे. उसके बाद वो सब चले गये.

मैं रूपा के साथ सोनिया के पास 10 दीनो तक रही. हम सब ने खूब जम कर चुदाई का मज़ा लिया. एक दिन तो सोनिया ने एक साथ 15 आदमियों को बुला लिया था. उन सभी ने तो हमारा चोद चोद कर बुरा हाल कर दिया. वो सभी रात के 8 बजे आए थे उन्होने दूसरे दिन दोपहर तक हमारी खूब जम कर चुदाई की और गांद भी मारी. उन सभी ने उस दिन हम तीनो को चोद चोद कर और हमारी गांद मार मार कर ऐसा बुरा हाल कर दिया था कि उनके जाने के बाद हम तीनो शाम तक बिस्तेर पर से उठने के काबिल ही नहीं रह गये थे. मेरी चूत और गांद का मूह पहले से भी ज़्यादा चौड़ा हो चुका था. रूपा का तो पूच्छो मत, उसकी चूत और गांद भी एक चौड़े साइज़ की हो चुकी थी. उसे ही सबसे ज़्यादा मज़ा आया. उसके बाद मैं रूपा के साथ वापस चली आई. वापस आते समय सोनिया ने कहा, जब कभी भी इच्छा हो आ जाना. मैने कहा, मैं ज़रूर आउन्गि. रूपा बोली, क्या तू मुझे अपने साथ नहीं ले आएगी. मैने रूपा से मज़ाक किया, तुझे तो ज़्यादा लंबा और मोटा लंड पसंद ही नहीं है. फिर तू आकर क्या करेगी. रूपा ने मेरे गाल काट लिए और बोली, मेरी चूत और गांद में तो अभी भी आग लगी हुई है. मैने कहा, चल मैं तेरे लिए फाइयर बिग्रेड बुला दूँगी. मेरी बात सुनकर वो ज़ोर ज़ोर से हस्ने लगी.

The post तीन सहेलियों ने चुदाई के जोश में 15 लोगो से भी चुदवाया appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/teen-saheliyo-ne-chudai-ke-jish-me-15-logo-se-bhi-chudwaya.html/feed 0
Lesbians Enjoying whole Night | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/lesbians-enjoying-whole-night.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/lesbians-enjoying-whole-night.html#respond Fri, 10 Nov 2017 11:49:29 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10869 Hello friends this story name is Lesbians Enjoying whole Night so here is the story please comment after reading. Hema waited on Meghali impatiently. Her husband had left for the office and Hema had promised to give her good company.

The post Lesbians Enjoying whole Night appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

Hello friends this story name is Lesbians Enjoying whole Night so here is the story please comment after reading. Hema waited on Meghali impatiently. Her husband had left for the office and Hema had promised to give her good company. They had maintained their relationship secret for years. Hema came and shut the door behind her, hugged Meghali and planted a passionate kiss on her lips. Meghali was too happy to respond and kneaded her breasts softly. Hema put her palm on Meghali’s swollen pussy from above the garments. Both sat on the sofa in each others arms, cajoled, handled each other body parts, kissed and then Meghali said,

“ You always come late. How eagerly I was waiting!”

“Didn’t you have fuck from your hubby?”

“Yes, indeed I did. He rammed my cunt like an animal. But it is you who give me joy! “

“My sweet darling! I love you, I hate your hubby for his fucking you. You seem to enjoy his strokes in your cunt.”

“Not really. But I am married to him and he has every right on my body though I dislike it. Anyway when he fucks my ass hole, that I love! Would you like to sleep with him?”

“Naughty…I hate male partners…you know. I love you and happy with you. Are you happy with me my love?”

“yes…” said Meghali fondling her soft breasts. Her other hand was slipping in Hema’s pant. Her cleanly shaven warm mound was fantastic. She loved her cunt. She loved licking her clit and cunt hole. She loved fingering her wet cunt…deeo to the womb.

They sat silent, caressing, kissing each other.

Then Meghali said, “Come to bedroom…I cannot stop now..” her voice had become lusty.

Both went in. removed each others cloth. Hema was a medium height, sexy chick. Her cunt mound was as sexy as of Meghali’s. Both were now in passionate embrace. Kissing each other. Kneading each other’s breasts. Sucking nipples. Flat stomach.

Hema came between Meghali’s thighs. Kissed both the thighs and then smelled her wet cunt. Aroma was arousing. She smelled it deeply, kissed slowly. Then parted her cunt lips and inserted finger inside to feel her velvety and warm wet inside. Meghali gave a shudder and asked Hema to finger fuck her.

Hema obeyed. She inserted two fingers now and jerked her. Meghali was yelling in excitement. this story you are reading on . After few minutes, Hema buried her mouth in her cunt. Her tongue was now probing her rosy cunt hole…her erect clit. She tongue fucked Meghali like a lust crazy woman. Meghali was enjoying every bit of it. She was feeling as if in heaven.

“Hema darling…you give me extreme joy…lick me…eat my cunt…my juices are  oozing…ahh…I am dying for it…lick me….you bitch…”

Hema was busy in her act. She loved licking. She too was on height of excitement. Her cunt too was dripping with juices. She too needed Meghali’s tongue in her vulva. Meghali was coming. Her juices oozed spreading feminine aroma in the bedroom. She drank every drop of cum and changed position inviting Meghali to fuck her.

Like a slave Meghali obeyed. She too finger fucked her. Then she ate her pussy till she too came.

Now exhausted both slept on the bed in arms. Still fondling caressing each other.

“Loved dear. Loved very much…as usual.”

“You are lucky bitch.” Said Hema. “You have husband too to fuck.”

“I have invited you to join the party. See how male’s fuck women. I have no probs to share my hubby!”

“No. I love you only. I the males. They look ugly and what they have that stick…!”

“But you will enjoy when that stick in your cunt and it gives hard strokes!” said Meghali

“You enjoy?”

“Not really. But when it is inevitable, one has to find joy in it!”

“Enjoy then. Now suck my ass hole…get up…” said Hema.

And humbly Meghali obeyed her.

next part will come soon….

The post Lesbians Enjoying whole Night appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/lesbians-enjoying-whole-night.html/feed 0
और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-3.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-3.html#respond Sat, 22 Jul 2017 02:50:54 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9493 यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है: और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 मित्रो अभी तक आपने लेस्बियन बीवी यानी मेरी स्वीटहार्ट की कहानी पढ़ रहे है अब आगे की कहानी पढ़े फिर स्वेता अर्चना और निया के गले लग बहुत रोई. उसकी जिन्दगी हम तीनो के चलते ही संवरी थी. मैं अर्चना और […]

The post और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:

और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2

मित्रो अभी तक आपने लेस्बियन बीवी यानी मेरी स्वीटहार्ट की कहानी पढ़ रहे है अब आगे की कहानी पढ़े फिर स्वेता अर्चना और निया के गले लग बहुत रोई. उसकी जिन्दगी हम तीनो के चलते ही संवरी थी. मैं अर्चना और निया के साथ पूरे रस्ते यही दुआ करते रहे कि वहां हमारा मान लग जाए क्यूंकि अतुल एक बहुत ही छोटा क़स्बा था और केवल केमिकल की फेक्टारीयाँ थी.

हम अतुल रहने आ गए. हमारा नया घर इंडस्टरीअल क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूर बनी एक कोलोनी में था. छोटे छोटे बंगले बने थे. बहुत सुन्दर घर थे. हर घर के आगे और पीछे बगीचा बना था. करीब पचास के आसपास घर थे. इन पचास घरों में से करीब तीस ही भरे थे. बाकी खाली थे. हमारे पड़ोस वाले बंगले में एक बंगाली परिवार था. मियाँ बीवी थे. सुमोदिप और सुमोना बनर्जी. सुमोदिप बहुत ही शक्की स्वभाव का था. सुमोना बहुत ही चुलबुली और मिलनसार. सुमोदिप कला और अजीब दिखता था वहीँ सुमोना किसी हिरोइन से काम नहीं लगती थी. हमारे स्समने वाले घर में रहने वाली एक महिला ने अर्चना को बताया की सुमोदिप बहुत पैसे वाला है इसलिए सुमोना की शादी उसके साथ कर दी. सुमोना ने भी पैसा देखा था. लेकिन अब उसके शक्की स्वभाव के कारण बहुत परेशान रहती थी और दोनों में अक्सर झगडा होता रहता था. सुमोदिप एक बड़ी कम्पनी में डायरेक्टर था. वो चौबीस घंटे में से लगभग सोलह सत्रह घंटे फैक्ट्री में ही रहता था. कभी कभी आधी रात के बाद आता और सवेरे जल्दी चला जाता.
बहुत जल्दी अर्चना और सुमोना की दोस्ती हो गई. निया ने भी सुमोना से दोस्ती गाँठ ली थी.

अर्चना ने सुमोना को निया के बारे में बताते हुए कहा कि वो उसकी बचपन कि दोस्त है और एक मनोवैज्ञानिक है. हर समस्या वो सुलझाती है. बहुत जल्दी अर्चना; निया और सुमोना की आपस में गहरी दोस्ती हो गई. अर्चना के सुझाव पर मैंने एक घर के काम-काज के लिए नौकर रखने की इजाजत दे दी. हम तीनों ज्यादा से ज्यादा वक्त साथ में गुजारना चाहते थे. इसलिए ये फैसला लिया गया. पता चला की उस पूरी कोलोनी में केवल दो कामवालीयां आती है. अर्चना ने दोनों से बात की लेकिन बहुत काम लिया होने की वजह से कोई तैयार नहीं हुई.

निया ने इधर उधर घूमकर एक कोई और कामवाली का पता लगा लिया. उसे रख लिया. उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो कामवाली है. निया ने बताया कि उस औरत की लेडिज ड्रेस की दूकान है. वो यह दूकान शाम के बाद खोलती है. निया ने उसे ना जाने कैसे पटाया कि वो घर का काम करने के लिए तैयार हो गई. उस औरत का नाम सुषमा था. वो एक मछुआरन थी. उसकी उम्र चालीस के पार थी लेकिन मछुआरन होने के कारण उसका शरीर जबरदस्त गठा हुआ था. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | निया भी इतनी गठीली होने के बावजूद सुषमा के सामने कमजोर लगती थी. वो मछुआरन तरीकेवाली साड़ी पहनकर आती थी. लौंग वाली. यानी कि धोती कि तरह टांगों में कासी हुई.

पहली बार मैंने जब उसे देखा तो उसके घुटने के नीचे का हिस्सा यानि की उसकी पिंडलीयां ऐसे लगी कि उसे तुरंत अपने दांतों से काट खाऊं. उसका ब्लाउज का गला बहुत नीचे तक कटा हुआ था. उसके दोनों उरोज या स्तन निया से भी डेढ़ गुना बड़े थे. उन दोनों के बीच कि रेखा मुझे भीतर तक रोमांचित कर गई. सुषमा दोनों वक्त काम करने आती.

रविवार के दिन के लिए उसने कहा कि वो शाम को नहीं आएगी क्यूंकि उस दिन दुमान जल्दी खोलनी पड़ती है. शाम को चाय के बाद हम तीनों मूड में आ गए. हम तीनों बिस्तर में थे. हमारे बेडरूम कि एक खिड़की सड़क पर खुलती थी. जब हम तीनों आपस में मस्त थे तो उस खिड़की पर लगा पर्दा कभी कभी हवा में उड़ जाता हमें उसका पता ही नहीं था.

सुषमा को शायद कुछ समय मिल गया था इसलिए वो काम के लिए करीब छह बजे आ गई. उसने दरवाजा खटखटाया लेकिन हम ऐसे खोये थे कि आवाज सुनाई ही नहीं दी. उसने तीन चार बार दरवाजा खटखटाया. लेकिन हम आपस में ही मस्त थे. सुषमा को ध्यान में आते ही वो बेडरूम वाली खिड़की की तरफ आ गई. परदा हवा से हिल गया. उसने हम तीनों को हमबिस्तर देख लिया. वो हमें टकटकी लगाकर काफी देर तक देखती रही और मजा लेती रही. फिर शायद उसकी दूकान खुलने का वक्त हो गया तो वो चली गई.

अगले दिन उसने निया को सारी बात बता दी. निया ने उसे डांट दिया. सुषमा ने निया से कह दिया कि वो यह बात कोलोनी में सबको बता देगी. अर्चना ने बीच बचाव किया. अर्चना ने सुषमा को अगले दिन अपने कमरे में बुलाया. अर्चना ने सुषमा को बहुत समझाया. सुषमा ने अर्चना से कहा ” आप तीनों जो भी कुछ करते हो मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है. मुझे को आपत्ति भी नहीं है. मैं इस दुनिया में अकेली ही हूँ. मेरी शादी नहीं हुई है. अपने काम में इतना व्यस्त रहती हूँ कि औरत के शरीर कुआ भूख होती है मुझे कभी याद ही नहीं आया. सारा दिन घर घर जाकर कपडे बेचना. शाम को दूकान पर बैठना. बस यही जीवन लगता था.

ये भी पढ़े: 

मुझे कई मर्द गलत निगाहों से देखते भी थे लेकिन मैंने किसी को भी घास नहीं डाली. हाँ, मैंने इतना जरुर किया कि मैंने अपने कपडे पहनने का ढंग ऐसा कर लिया कि मर्द अधिक से अधिक देखें और केवल ललचाते रहें. लेकिन कल जब आप तीनों को आपस में बिस्तर में देखा तो मेरे लिए यह पहला मौका था जब मैंने किसी औरत और मर्द को ऐसी स्थति में देखा था. आप तीनों को एक साथ बिस्तर में देखकर अचानक मुझे अपने शरीर कि भूख याद आ गई. मैं सारी रात जागती रही और बिस्तर पर इधर उधर लेटती रही. तड़पती रही. बस एक काम कर दो आप. आप तीनों मुझे भी अपने साथ मिला लो. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी. ये मेरी धमकी नहीं है.मेरी आपसे प्रार्थना है. मुझे भी वो सुख दे दो जो एक औरत को मिलने से उसका जीवन सुखी हो जाता है,.” अर्चना सुषमा कि बातें सुन भावुक हो गई. निया ने भी उसकी बात सुनी थी. दोनों ने आपस में देखा और सुषमा को हाँ कह दिया.

अगले दिन सुषमा ने जब दोपहर का काम ख़त्म किया और जाने लगी तो निया ने उसे रोका और बेडरूम में ले गई. निया ने उसके सीने से साड़ी का पल्लू हटा दिया. सुषमा का भरा हुआ सीना उसके ज्यादा खुले हुए गोलाकार गले से झाँकने लगा. दोनों स्तनों के बीच कि रेखा निया को अन्दर तक भेद गई. निया ने उसके दोनों स्तनों को अपने होंठों से चूम लिया.

सुषमा का शरीर हिल गया. उसके शरीर को पहली बार इस तरह से छुआ गया था. सुषमा थोडा कसमसाने लगी. निया ने उसे पानी बाहों में लेते हुए कहा ” आज तुम मेरे और अर्चना के साथ आ जाओ. हम दोनों तुम्हें सब सिखा देंगे. कल तुम हम तीनों के साथ हो लेना.” सुषमा तैयार हो गई. निया ने अर्चना के साथ मिलकर सुषमा के साथ कई लेस्बियन क्रियाएं की. सुषमा को बहुत शान्ति और आराम पहुंचा. रात को अर्चना और निया ने मुझे सुषमा का पूरा किस्सा बयान कर दिया. मेरे लिए अब ये सब कुछ सामान्य तो था ही साथ ही साथ मेरी आदतों में शुमार होता जा रहा था. मैं अब अगले दिन एक नए शिकार के आने कि बेसब्री से राह देखने लगा. कल शनिवार था. शनिवार के दिन मैं थोडा जल्दी आ जाता और हम तीनों थोडा साथ साथ घूम आते. मैं करीब तीन बजे घर पहुँच गया. अर्चना ने मुझे बताया कि सुषमा आ चुकी है. इसलिए आज का बाहर जाने का कार्यक्रम रद्द . मैं भी हाँ कर गया.

मैंने जब बेडरूम में झाँका तो निया सुषमा के साथ बैठी थी. मैं भी वहीँ आ गया. सुषमा बहुत खुश नजर आ रही थी. उसका सांवला लेकिन अछुता चेहरा बहुत चमक रहा था. हम सभी ने एक दूसरे के कपडे खोल दिए. केवल अंतर्वस्त्र ही रह गए थे. मैंने सुषमा का सीना देखा. मैं अंदाज लगाने लगा कि डी साइज़ की ब्रा है या फिर ई साइज़ की. सुषमा के स्तन सच में बहुत ही ज्यादा बड़े थे. वे उसकी ब्रा में फिट नहीं हो रहे थे. मैं देखता ही रह गया. मैं उसके पास चला गया. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | अपने हाथों से जब उसके स्तनों को छुआ तो ऐसा लगा जैसे मैं कई इंच मोटे स्पंज के गद्दे पर अपना हाथ रखा हूँ. मैंने उसे अपनी तरफ लिया और अपने से लिपटा लिया. अब मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उसी गद्दे पर उलटा लेट गया हूँ. मैं उसके गालों को चूमने लगा. सुषमा ने भी मेरे गालों को चूमा. फिर मैंने एकदम से ही उसके होंठ जोरों से चूस लिए. उसके होंठ आज तक अछूते थे. मैंने करीब तीन मिनट तक उन होंठों से भरपूर रस खींचा. अब मैंने सुषमा की पैंटी उतार कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.

मैं भी अब अपने इन्दर वेअर उतारकर उसके ऊपर लेट गया. मैंने अपना लिंग उसे और उसके स्तनों को चूम चूमकर एकदम कड़ा कर लिया और उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. थोड़े से संघर्ष के बाद मेरा लिंग उस गीले और रस से भरे हुए कुंवे में था. सुषमा मचल उठी. उसे बहुत ही सुख पहुंचा था. अर्चना और निया उसके करीब आ गई. वे दोनों रह रहकर उसके होंठ चूमती और उसे और अधिक उत्तेजित करती. जैसे जैसे वो उत्तेजित होती गई मैंने वैसे वैसे और अधिक जोर से अपने लिंग से उसके जननांग पर हमला जैसा बोल दिया. सुषमा गज़ब की मजबूत और हौसले वाली निकली. ये उसका पहला संभोग था लेकिन उसने मेरा पहली बार में ही लगातार एक घंटे तक डटकर मुकाबला किया. सुषमा के बाद मैंने अर्चना और निया के साथ भी हमेशा की तरह संभोग किया. सुषमा ने इसका भी पूरा मजा उठाया. हमने इसके बाद एक और दौर किया. इसमें मैंने तीनों को लिटाकर एक के बाद एक बारी बारी से अपने लिंग से भेदा.

कहानी जारी है …आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें..

The post और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-3.html/feed 0
और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-2.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-2.html#respond Fri, 21 Jul 2017 03:00:46 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9492 यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है: और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-1 दोस्तों आप लेस्बियन बीवी की कहानी पढ़ रहे है है मै अपनी सच्ची कहानी को आगे बढ़ाते हुए चल रहा हूँ जब मैंने निया के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी निया ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन […]

The post और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:

और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-1

दोस्तों आप लेस्बियन बीवी की कहानी पढ़ रहे है है मै अपनी सच्ची कहानी को आगे बढ़ाते हुए चल रहा हूँ जब मैंने निया के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी निया ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन लिया. एक लंबा चुम्बन चला. अर्चना ने भी फिर मेरे साथ ऐसा ही लंबा चुम्बन किया. अब अर्चना ने मुझसे कहा ” अब तुम निया को कभी भी इससे छोटा इनाम नहीं दोगो.” इसके बाद हम अर्चना के कहने पर हम तीनों नग्नावस्था में ही आपस में लिपटकर सो गए. अगले दिन मैं बहुत ज्यादा खुश था और रात का फिर इंतज़ार कर रहा था. मेरे बदन में एक अलग तरह का रोमांच बार बार आ रहा था.

मैंने अर्चना और निया को सरप्राइज देने के हिसाब से उन्हें बिना बताये मैं बहुत जल्दी घर आ गया. उस समय केवल चार बजे थे. मैं चुपचाप घर में दाखिल हुआ. अपने कमरे में जाकर जल्दी नहाया और कपडे बदले. फिर मैं घर के पिछवाड़े आ गया. बादल हो रहे थे और बारिश होने की पूरी संभावना लग रही थी. थोड़ी थोड़ी बूंदा बंदी हो भी रही थी. मैं जैसे ही पिछवाड़े की बालकनी में आया.

मैंने देखा की बालकनी के आड़े के छोटे से खुले आँगन में ; जहाँ पर बहुत हरी हरी घास उगी हुई है , अर्चना और निया एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े हैं और छोटी छोटी पानी की बूंदों में भीगने की कोशिश कर रहे हैं.अचानक बारिश तेज हो गई. दोनों बालकनी में लौट आई. मैंने अपने कपडे खोले और केवल अंडर वेअर में बारिश में नहाने चला गया. अर्चना और निया ने मुझे भीगते हुए देखा तो उन्हों ने भी आपस में इशारा किया और केवल ट्यूब टॉप और पैंटी में मेरे साथ भीगने के लिए आ गई. हम तीनों आपस में लिप्त रहे थे |

एक दूसरे को चूम रहे थे. एक दूजे के बदन पर गिरने वाले पानी को भी हम चूम चूमकर पी रहे थे. धीरे धीरे नशा बढ़ता गया और हम तीनों आपस में लिपट कर नहाने लगे. अब बारिश और भी ज्यादा तेज हो गई थी और तेज हवा के कारण धुंआ धुंआ सा हो रहा था. अर्चना ने निया को नीचे लेटने को कहा. निया के नीचे लेटते ही अर्चना उस पर लेट गई. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | अब वे दोनों एक दूसरे को चूमने लगी थी. उन दोनों के जिस्म जब आपस में लिपटने से रगड़ खा रहे थे तो उन्हें देखकर मेरा सब्र जवाब दे रहा था. अर्चना निया के ऊपर लेटकर अपने जसम को उससे एकदम सटकर उसे दबाते हुए उसे जगह जगह पर चूम रही थी. हरी हरी घास ; उस पर तेज बरसता हुआ पानी तथा इस बरसते पानी में घास पर आपस में लिपटे हुए दो बहुत ही खूबसरत हसीनाओं के भरे बदन . इन सबे ने मुझे ऐसा मदहोश किया की मैं भी उनके साथ शामिल हो गया.

अर्चना और निया ने मेरे आते ही मुझे भी अपने साथ ले लिया. हम सभी एक दूजे को चूमने लगे. तेज पानी की बौछारें आग में घी का काम रही थी. बहुत ही काम समय में माहौल एक दम गरम हो गया. मैंने अब अर्चना और निया के सभी कपडे उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया. निया ने एक बार फिर अर्चना को उत्तेजित करना शुरू किया. आज अर्चना बहुत जल्दी उत्तेजित हो गई. मैंने भी तुरंत उसके जननांग में अपना लिंग घुसेड दिया. एक छोटी लेकिन मीठी सिसकी के साथ अर्चना आनंदित हो गई. मैंने करीब पंद्रह मिनट तक अर्चना को इसी तरह से रखा. अर्चना ने अब मेरा लिंग बाहर निकालने को कहा. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित था. पता नहीं कैसे |

सुंन के जननांग में से लिंग को निकलते ही मैंने निया को पकड़कर लिटा दिया और उस पर चढ़ गया. अर्चना ये देख बहुत खुश हुई और उसने निया के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. निया ने भी अब मुझे कसकर पकड़ लिया. मैंने धीरे से अपना लिंग निया के जननांग की तरफ बढाया. निया ने पाने हाथ की मदद से उसे उंदर का रास्ता दिखा दिया, बस अब क्या था मर लिंग सीधे उस गीले और अनुभवी जननांग में पहुँच चुका था. अर्चना कभी मुझे तो कभी निया को चूम रही थी. मैंने निया को भी पंद्रह – बीस मिनट तक ऐसी ही रखा |

हमारा वो बगीचा बहुत छोटा था. उसके चारों ओर दो फुट जितनी ऊंची दीवार थी. घर कि चाट का सारा पानी नाली से उसी में गिर रहा था. अब हमारे उस छोटे से बगीचे में इस तेज गिरते पानी और मुसलाधार बारिश की वजह से वो बगीचा तेजी से भरने लगा. बहुत जल्द वि लबालब भर गया. एक बहुत बड़ा बात टब जैसा लगने लगा. हम तीनो उसी में अब सेक्स करने लगे |

पानी के अन्दर संभोग का यह अंदाज एक बहुत ही उत्तेजना पैदा करने वाला था. मैंने बारी बारी से अर्चना और निया के साथ आधे आधे घंटे तक संभोग किया. फिर हम तीनों थक कर उस बरसात के पानी में ऐसी ही पड़े रहे जब तक कि हम में उठकर अपने अपने कपडे पहनने की ताकत नहीं लौट आई हम तीनो पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे |

अब हम तीनों के दिन और रात बहुत रंगीन हो चुके थे. अर्चना अब निया और मेरे साथ पूरे जोश के साथ संभोग करने लगी थी. लेकिन अब यह समस्या थी कि आखिर निया कब तक रुक सकेगी. हालाँकि मजा मुझे भी अर्चना के साथ साथ निया के संग संभोग करने पर भी आ रहा था लेकिन गम्भ्र्ता से सोचें तो यह लम्बे समय तक संभव नहीं था |

इसी बीच एक दिन ऐसा मौका आ भी गया. निया को खबर मिली कि उसकी मां बहुत बीमार है और उसे देखने के लिए उसे जाना होगा. अर्चना तो बहुत ही उदास हो गई. लेकिन निया भी मजबूर थी. वो कुछ दिनियो कि छुट्टी लेकर चली गई. पहली रात को तो मैंने कुछ नहीं किया लेकिन अगली रात को अर्चना से जब संभोग करना चाह तो अर्चना थोड़ी देर के बाद रुक गई |

ये भी पढ़े: 

इसी तरह से तीन दिन और गुज़र गए. एक दिन शाम को जब मैं पहुंचा तो श्व्टा मुझे मेरे घर से निकलती हुई मिली. उसने मुझे देखा और एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ अपने घर में चली गई. अर्चना ने मुझे कहा कि उसने श्रध्दा को निया के बारे में सब कुछ बता दिया है. यहाँ तक कि हम तीनों के लगातार हमबिस्तर होने तक को भी बता दिया है. मैं सन्न रह गया. अर्चना ने कहा कि श्रध्दा भी हमारे साथ आने को तैयार है अब तो मुझे आगे तक दूर दूर अँधेरा नजर आने लगा. मैंने सोचा अब इस चीज का अंत बिलकुल नामुमकिन है क्यूंकि अर्चना एक बहुत ही हार्डकोंर लेस्बियन है. बिना किसी औरत के ये मेरे साथ संभोग कभी नहीं कर पाएगी. मैंने मजबूर होकर अर्चना की बात मां ली. अर्चना ने खुश होकर मेरे होंठ बहुत ही जोर से चूस लिए और मुझसे लिपट गई. मैंने भी उसके होंठ चूस लिए. और उसे लेकर बिस्तर पर गिर गया |

अगले दिन रविवार था. नाश्ते के बाद मैं अखबार पढ़ रहा था. मेंसे देखा की अर्चना श्रध्दा के घर के बाहर खड़ी थी. श्रध्दा बाहर आई. उसने दरवाजा बंद किया और अर्चना के साथ हमारे घर में घुस गई. मैं समझ गया कि अर्चना श्रध्दा को लेकर क्यूँ आई है. दोनों आ गई. श्रध्दा को आज मैंने पहली बार बहुत करीब से देख रहा था. लेकिन करीब एक माह पहले मैंने मेरी ही फैक्ट्री के एक व्यक्ति से श्रध्दा के बारे में एक बात पाता चली को चिंताजनक भी थी और उसके लिए सहानुभूति भी पैदा करने वाली थी. उस व्यक्ति ने बताया कि श्रध्दा का पति यानि कि परमार साहब का लड़का नामर्द है. ये बात श्रध्दा को शादी के बाद पता चली. श्रध्दा तभी से बहुत परेशान रहती है. मैं तुरंत समझ गया. तो अर्चना से उसने दोस्ती इसीलिए की है जिससे वो अपने शारीरिक सुख को अर्चना से प्राप्त कर सके |

मेरे लिए अब ये एक नयी मुसीबत थी. आखिर में मैंने ये मान लिया कि शायद मेरी किस्मत में यही सब लिखा है. इसलिए अब मुझे अच्छा बुरा समझना छोड़कर हर तरह से मजे लूटने चाहिये |

श्रध्दा और अर्चना मेरे सामने थी. मैंने अर्चना की तरफ देखा और मुस्कुअराया. अर्चना खुश नजर आई. मैं श्रध्दा के पास गया और उसके पास बैठ गया. मैंने श्रध्दा के बालों में हाथ फिराया और बोला ” मैं जानता हूँ तुम्हारी तकलीफ. श्रध्दा; मैं और अर्चना तुम्हारी हर तकलीफ दूर कर देंगे. तुम्हे कोई कमी महसूस नहीं होने देंगे. तुम अब हमारे साथ हो तो हम सब मुरे मजे से रहेंगे.” मैंने श्रध्दा के गालों को चूम लिया. श्रध्दा सिहर गई. अर्चना उसके पास आई और उसने भी श्रध्दा के स्तनों पर हाथ रखा और उन्हें दबाना शुरू किया. श्रध्दा को अब इतने से ही आनंद आने लगा. मैंने श्रध्दा द्वारा पहनी गई साडी खोलनी शुरू की. वो अब ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थी. गहरे भूरे रंग का ब्लाउज और उसी रंग का पेटीकोट में उसका गोरा अंग गज़ब ढा रहा था. वो दुबली पतली थी लेकिन बहुत ही सेक्सी लग रही थी. अर्चना ने उसका ब्लाउज उतारा और मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया. अब वो ब्रा और पैंटी में रह गई थी. अर्चना ने उसे अपनी बाहों में ले लिया और मैंने श्रध्दा को उसके पीछे से बाहों में लेकर उसके कमर के नीचे के हिस्से पर अपना दबाव बढ़ा दिया. श्रध्दा अब दोनों तरफ से दब गई थी लेकिन उसका चेहरा साफ बता रहा था की उसके अनादर कितनी ठंडक पहुँच चुकी है. हम दोनों उसे लेकर अपने बेडरूम में चले गए. मैंने और अर्चना ने भी अपने सारे कपडे उतार दिए. श्रध्दा को अब हमने पूरा निर्वस्त्र कर दिया था.

ये भी पढ़े: 

अर्चना ने श्रध्दा के पूरे जिस्म पर चुम्बनों की बरसात कर दी. इससे पहले कि श्रध्दा संभल पाती मैंने उसके पूरे जिस्म पर अपने चुम्बन बरसा दिए. श्रध्दा तड़पकर बिस्तर पर आ गई. मैंने अर्चना को उसके ऊपर सुला दिया. अर्चना ने अब अपने गुप्तांग वाले भाग को श्रध्दा के गुप्तांग के ठीक ऊपर से स्पर्श करवा दिया. जैसे ही अर्चना ने अपने गुप्तांग को श्रध्दा के गुप्तांग के ऊपर थोडा दबाकर रगड़ना शुरू किया; दोनों एक साथ तड़पकर अपने मुंह से सिसकीयाँ निकालने लगी. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैंने अपने हाथ अर्चना कि पीठ पर रखे और अर्चना को श्रध्दा के ऊपर दबाते हुए हिलाना जारी रखा. दोनों के लिए यह स्थिति बहुत ही नरम और गरम थी. दोनों को बहुत ही जबरदस्त मजा आने लगा था. अर्चना के कारण अब मुझे भी ऐसे खेल मान को भाने लग गए थे.

कुछ देर के बाद अर्चना और श्रध्दा ने एक और नया तरीका अपनाया जो मेरी हालत बहुत ही खराब कर गया. मेरे सारे शरीर में एक साथ हजारों वाट कि बिजलीयाँ दौड़ गई. उन दोनों ने अपनी टांगें फैला दी. दोनों ने अपनी अपनी टाँगे कैंची कि तरह एक दूसरे कि टांगों के बीच में इस तरह डाली कि उन दोनों के जननांग एक दूसरे से बिलकुल सट गए. अब दोनों ही ने आगे पीछे होकर एक दूजे के जननांग को आपस में रगड़ना शुरू किया. उन दोनों के मुंह से कभी आह निकलती तो कभी एक हलकी सी सिसकी. जब थोडा दबाव बढ़ जाता तो एक हल्की चीख भी निकल जाती. मैंने ये पहली बार देखा था. लेकिन इस दृश्य ने मेरी ऐसी हालत बिगाड़ी कि मैं लिख नहीं सकता. मैं सब कुछ भूलकर उन दोनों को देखने लगा. कुछ देर बाद दोनों अलग हुई. मैंने पहले अर्चना को सोफे कि कुर्सी पर अधलेटा किया और फिर श्रध्दा को अर्चना के ऊपर उसी तरह अधलेटा कर बैठा दिया. दोनों के का आगे का हिस्सा मेरी तरफ था. अब मैं उन दोनों के ऊपर उलटा लेट गया.

अब मेरा लिंग था और सामने पहले श्रध्दा का जननांग और फिर उसके नीचे अर्चना का जननांग. मैंने पहले अर्चना के जननांग में अपना लिंग घुसाया लेकिन दबाव श्रध्दा के बदन पर भी पडा. दोनों को यह बहुत अच्छा लगा. कुछ डेरा बाद मैंने गुप्तांग श्रध्दा के जननांग में घुसा दिया. श्रध्दा कि स्थति आज उसी तरह थी जैसी कुछ दिन पहले अर्चना की थी. श्रध्दा भी आज पहली बार किसी के साथ अपने जीवन का संभोग कर रही थी. मैंने बारी बारी से उन दोनों के साथ कई बार संभोग किया. दोनों को एक साथ दबाकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी बहुत ही मखमली अहसास वाले गद्दे पर लेटा हुआ हूँ. दोपहर तक हम तीनों ने अपनी अपनी भूख मिटाई. श्रध्दा अब अपने घर चली गई क्यूंकि अब उसके घर में कोई भी लौट सकता था.
अगले चार पांच दिन में श्रध्दा समय निकालकर कई बार आई. जैसे जैसे समय मिलता तो वो कभी अर्चना के साथ तो कभी हम दोनों के साथ संभोग करके अपनी प्यास बुझा जाती.

शनिवार के दिन शाम को जब श्रध्दा के घर कोई नहीं था तो वो हमारे साथ थी. हम तीनो अपने बेडरूम पूर्णतया नग्नावस्था में बिस्तर में एक दूसरे से लिपटे हुए अपने काम में व्यस्त थे कि अचानक से मुख्य दरवाजे के खुलने कि आवाज आई. हम तीनों चौंके और डर गए. फिर मुझे ध्यान आया कि बाहर के दरवाजे के ताले कि तीसरी चाबी तो निया के पास थी. मैं निश्चिंत हो गया कि निया ही आई होगी. निया ही आई थी. वो जैसे ही बेडरूम में आई उसने हमारे साथ साथ श्रध्दा को देखा तो हैरान हो गई. फिर वो अर्चना के पास आई. उसने अर्चना के होंठों पर अपने होंठ रखे और बोली ” शैतान और भूखी औरत. मेरे बिना तुम इतने दिन भी नहीं रुक सकी. ओई बात नहीं अब मैं आ गई हूँ ना. मैं भी तुम्हारे साथ हो जाती हूँ.” निया ने फटाफट अपने सारे कपडे उतार दिए और हमारे साथ पलंग पर आ गई. निया बोली ” मैं आप दोनों के बिना एक सप्ताह पागल हो गई थी. पहले मैंने सोचा कि कभी ना कभी तो मुझे आप लोगों के बिना रहना ही होगा.

कहानी जारी है …आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें..

The post और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-2.html/feed 0
और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-1 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-1.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-1.html#respond Thu, 20 Jul 2017 03:40:41 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9491 दोस्तों मेरा नाम सुनील है मै मस्ताराम.नेट का बहुत पुराना पाठक हूँ बहुत चुदाई की कहानियां पढ़ा हूँ मेरे मन में इच्छा हुई की मै अब अपनी सच्ची कहानी आप सभी मस्ताराम.नेट के पाठको से शेयर करूँगा मित्रो आज से ४ साल पहले की बात है मेरी अभी नयी नहीं शादी हुयी थी | जब […]

The post और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-1 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

दोस्तों मेरा नाम सुनील है मै मस्ताराम.नेट का बहुत पुराना पाठक हूँ बहुत चुदाई की कहानियां पढ़ा हूँ मेरे मन में इच्छा हुई की मै अब अपनी सच्ची कहानी आप सभी मस्ताराम.नेट के पाठको से शेयर करूँगा मित्रो आज से ४ साल पहले की बात है मेरी अभी नयी नहीं शादी हुयी थी | जब मेरी शादी को दो महीने हुए थे. मेरी शादी अर्चना से हुई थी. मैं बहुत खुश था. अर्चना बहुत ही खुबसूरत थी. अर्चना लेस्बियन बीवी थी | मुझे ये बात बाद में पता चली | मेरे सभी दोस्त जब मेरी वाइफ को देखे तो जल गए की साले को खुबसूरत बीवी मिली है | अर्चना का रंग गुलाबी गोरा था. अच्छा कद और हुस्न की मल्लिका. हर अंग तराशा हुआ. कहीं कोई कमी नहीं निकल सके ऐसा हुस्न था उसका. मैं भरूच के नजदीक अन्कलेस्वर की एक फैक्ट्री में काम करता था. फैक्ट्री की अपनी कालोनी थी. मुझे वहीँ एक छोटा बंगला मिला हुआ था. बंगले में दो फ्लैट थे. एम् में मैं और दूसरे में एक परमार परिवार रहता था. परमार साहब हमारी कंपनी में काम करते थे.

उनके एक बेटा भी था जो दूसरी जगह काम करता था. वो भी मेरी ही उम्र का था. उसकी पत्नी का नाम था श्रध्दा. श्रध्दा भी अर्चना की ही तरह गज़ब की खुबसूरत थी. वो मुझे सुनील भाई कहकर बुलाती थी और हमेशा अच्छे से बात करती थी. परमार साहब की पत्नी का देहांत कुछ समय पहले हो चुका था.

मैं शादी के बाद अर्चना को लेकर अन्कलेस्वर आ गया. अभी तक मैंने अर्चना के साथ सुहागरात नहीं मन पाया था. अर्चना शादी के समय से ही तेज बुखार के चलते बहुत कमजोर हो गई थी. मैं उसे पूरा आराम देना चाहता था. यहाँ आने के बाद दूसरे दिन ही श्रध्दा उससे मिलने आई और वो दोनों सहेलीयां बन गई. मैं बहुत खुश हो गया. एक दिन रात को मैंने अर्चना को अपनी बाहों में भर लिया. वो भी कुछ ना बोली और खुद-बी-खुद सिमट गई. हम दोनों के एक दूसरे को काफी देर तक किस किया. जब मैंने अर्चना के कपडे उतारे तो वो थोडा कसमसाई.

मैंने उसे अपने साथ पूरी तरह नग्न कर दिया. मैंने उसे आज पहली बार इस तरह देखा था. उसके हर जिस्म का एक एक हिस्सा बहुत ही कारीगरी से बना हुआ था. मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब समझने लगा. हम दोनों आपस में लिपट गए. लेकिन इसके आगे अर्चना एकदम से ठंडी हो गई और हमारा मिलन अधुरा रह गया. लेकिन मैंने इसे कोई गलत नहीं माना. लेकिन हर बार वो ऐसा ही करने लगी तो मुझे थोड़ी हैरानी हुई. मैंने उससे एक दो बार पूछा तो उसने कुछ ना कहा और बात को टाल गई.

एक दिन मैं दोपहर को घर आ गया क्यूंकि मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा था. मैंने देखा की अर्चना और श्रध्दा बहुत ही घुलमिलकर बातें कर रही है और हंस भी रही है. मुझे बहुत अच्छा लगा. अर्चना का चेहरा आज पहली बार इतना खिला हुआ लग रहा था. रात को मैंने फिर एक बार कोशिश की लेकिन बात वहीँ आकर रुक गई. लेकिन इतना जरुरु हुआ की अर्चना ने आज ज्यादा गर्मजोशी से मुझे भू चूमा था और खुद के भी चुम्बन दिए थे.

ये भी पढ़े: 

दो दिन बाद मुझे कुछ काम से किसी मीटिंग में जाना था. कपडे बदलने के लिए मैं घर पर गया. दरवाजा खुला था. मैं अपने कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ मैंने देखा की अर्चना और श्रध्दा दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा रखा है. दोनों पलंग पर बैठी हुई है. अर्चना श्रध्दा को चूम रही थी औए श्रध्दा अर्चना के बाल सहला रही थी. मैं हैरान हो गया. अब मैं समझा की अर्चना पूरी तरह से खुलकर मेरे साथ सेक्स क्यूँ नहीं कर रही थी. तो इसका मतलब यह हुआ की वो लेस्बियन है. मैंने सुना था की लेस्बियन आपस में ही संतुष्ट होते हैं ऐसा नहीं की वे मर्दों के साथ संभोग नहीं करते लेकिन ज्यादातर वो आपस में ही सेक्स सम्बन्ध बनाते हैं. मैं परेशान हो गया. मैंने ये बात मेरे कुछ करीबी रिश्तेदारों को बताई लेकिन किसी ने भी कोई सुझाव नहीं दिया. मेरी परेशानी बढती जा रही थी. हमारा सम्बन्ध केवल चुम्बनों तक ही रह गया था, यहाँ तक कि अर्चना ने आज तक मुझे अपने होंठ चूमने नहीं दिए थे.

इन्ही दिनों मेरी मुलाकात मेरे एक बहुत पुराने मित्र से हुई. मैं उसे सारी समस्या बताई. उसने सारी बात सुनने के बाद मुझे कुछ सुझाव दिए. मुझे उसके सुझाव कुछ पसंद आये. मैंने उस दोस्त के बताये एक आदमी से मुलाकात कि. उस आदमी ने मुझे कहा कि काम हुआ समझो. उसी शाम को मैं उस आदमी से मिलने गया. उसने मुझे एक जवान लडकी से मिलवाते हुए कहा ” ये निया है. ये आपके यहाँ काम करने के लिए तैयार है. मैंने इसे सब कुछ समझा दिया है. ये कल ही अपना सामान लेकर आपके घर पहुँच जाएगी. आपकी हर समस्या हल हो जायेगी.” निया एक लगभग ३० साल कि उम्र कि औरत थी. उसका शरीर जबरदस्त गंठा हुआ था. उसके स्तन तो जैसे ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को बेताब थे. वो दिखने में ज्यादा खुबसूरत नहीं थी लेकिन उसके गठे हुए शरीर और साफ सुथरे कपडे से दिखने में काफी गरम लग रही थी. निया ने मुझसे कहा ” आप बिलकुल चिंता मत करना. मैं सब समझ गई हूँ. आपकी समस्या हल हुई समझो. मैं और आप मिलकर इस समस्या को सुलझा लेंगे. बस आप अपना सहयोग पूरा पूरा देना. समय समय पर मैं आपको इशारे से सब कुछ सम्जहती रहूंगी और कब मदद चाहिये बताती भी रहूंगी. आजकल इस तरह की समस्या बहुत कॉमन हो गई है. मैं ऐसी समस्याएँ सुलझा चुकी हूँ.” मैं खुश होता हुआ घर लौट आया.

मैंने अर्चना से कहा ” मैंने तुम्हारी मदद के लिए एक नौकरानी रख ली है. घर का सारा काम कर लेगी और तुम्हे भी आराम रहेगा. मुझे तुम्हारी बहुत चिंता रहती है.” अर्चना ने खुश होते हुए कहा ” ये तो बहुत ही अच्छी बात है. अब मैं फुर्सत में रहूंगी और घर की देखभाल ज्यादा आसानी से कर सकुंगी.”

अगले दिन सवेरे ही निया अपने साथ एक सूटकेस लेकर आ गई. मैंने निया को अर्चना से मिलवाया. निया ने सारा काम संभाल लिया. निया ज्यादातर ट्यूब टॉप के ऊपर फुल ज़िप्पर पहनती थी और नीचे घुटनों तक की लम्बाई की कैप्री. कुल मिलाकर वो नौकरानी नहीं बल्कि बाहर के देशो की तरह हाउस मेनेजर लगती थी.

जब मैं तैयार होकर नाश्ते के लिए टेबल पर आया तो नाश्ता लगा हुआ था. अर्चना बैठी थी और बहुत खुश नजर आ रही थी. तभी निया आ गई. उसने अर्चना के सर में मालिस करनी शुरू कर दी. निया ने मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा. मैंने देखा कि निया ने अर्चना के सर की मालिश करते करते उसकी कंधे और बाहें भी दबानी शुरू कर दी थी. अर्चना को यह बहुत अच्छा लगने लगा. मैं मुस्कुराते हुए फैक्ट्री चला गया.

कहानी जारी है …आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें..

The post और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-1 appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-1.html/feed 0
सहेली की चुत की आग बुझाने में मदत | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/saheli-ki-chut-ki-aag-bujhane-me-madat.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/saheli-ki-chut-ki-aag-bujhane-me-madat.html#respond Fri, 30 Jun 2017 09:30:32 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9270 ये कहानी दो सहेलियों की है जिसमे से एक बहुत ही चुदक्कड़ लड़की और एक जिसे कभी झड़ना भी नसीब नहीं होता चुदक्कड़ सहेली ने उस सहेली की चुत की आग बुझाने में मदत की उसकी छुट की फाको को खोलकर उंगली से सहलाकर उसे जन्नत का मजा दिला रही थी उसके बदन में गुदगुदी सी होने लगती

The post सहेली की चुत की आग बुझाने में मदत appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>

ये दो सहेली है रीटा चौधरी और सुनीता सक्सेना। साथ साथ ही कॉलेज में पढ़ी, आपस में एक दूसरे की राजदार रही थी। रीटा की शादी उसके ग्रेजुएट होते ही हो गई थी। दोनों ने पोस्ट ग्रेजुएट करने बाद एक प्राईवेट फ़र्म में नौकरी कर ली थी। पर रीटा के पति कमल को ये अच्छा नहीं लगा तो उसने नौकरी छोड़ दी थी।

उसकी किस्मत ने जैसे पल्टी खाई, कमल को कुवैत में अच्छा काम मिल गया, वो जल्दी ही वहाँ चला गया। रीटा ने सुनीता को अपने साथ रहने के लिये बुला लिया। हालांकि सुनीता अकेली रहना पसन्द करती थी, क्योंकि उसके रणजीत और उसके दोस्त अभय से शारीरिक सम्बन्ध थे।

रीटा को ये सब मालूम था पर उसने अपने प्यार का वास्ता दे कर सुनीता को अपने घर में रहने के लिये राजी कर लिया।रीटा ने अपने घर में सामने वाला कमरा दे दिया। रणजीत और अभय ने सुनीता को कमरा बदलने में बहुत सहायता की। पर शायद सुनीता को नहीं पता था कि रणजीत और अभय की वासना भी नजरे रीटा पर गड़ चुकी है।

सुनीता की ही तरह रीटा भी दुबली पतली थी, तीखे नयन नक्शे वाली थी, बस शादी के बाद उसने साड़ी पहनना आरम्भ कर दिया था।चुदाई का अनुभव सुनीता को रीटा से बहुत अधिक था, वो हर तरह से अपनी वासना शान्त करना जानती थी। इसके विपरीत रीटा शादी के बाद कुंए के मेंढक की तरह हो गई थी। चुदाने के नाम पर पर बस वो अपना पेटीकोट ऊपर उठा कर कमल का लण्ड ले लेती थी और दो चार धक्के खा कर, झड़ती या नहीं भी झड़ती, बस सो जाया करती थी।

झड़ने का सुख रीटा के नसीब में जैसे बहुत कम था। आज कमल को कुवैत गये हुये लगभग दो साल हो गये थे, हां बीच बीच में वो यहा आकर अपना वीसा वगैरह का काम करता था और जल्दी ही वापस चला जाता था।पर आज रीटा को देख कर सुनीता को बहुत खराब लगा। बर्तन धोना, कपड़े धोना, खाना बनाना ही उसका काम रह गया था।आज वो नल पर कपड़े धो रही थी। उसने सिर्फ़ पेटीकोट और एक ढीला ढाला सा ब्लाऊज पहन रखा था। उसके दोनों चूंचियाँ ब्लाऊज में से हिलती जा रही थी और बाहर से स्पष्ट नजर आ रही थी।

उसके अस्त व्यस्त कपड़े, उलझे हुये बाल देख कर सुनीता को बहुत दुख हुआ। रणजीत तो अक्सर कहता था कि इस भरी जवानी में इसका यह हाल है तो आगे क्या होगा … इसे सम्भालना होगा … ।फिर एक दिन सुनीता ने देखा कि रीटा अपने बिस्तर पर लेटी करवटें बदल रही थी। उसका एक हाथ चूत पर था और एक अपनी चूंचियों पर … । शायद वो अपनी चूत घिस घिस कर पानी निकालना चाह रही थी। उसे देख कर सुनीता का दिल भर आया। वो चुपचाप अपने कमरे में आ गई।

फिर आगे भी उसने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में से देखा, रीटा ने अपना पेटीकोट ऊपर उठा रखा था और अंगुली अपनी चूत में डाल कर हस्त मैथुन कर रही थी।शाम को सुनीता ने हिम्मत करके रीटा को बहुत ही अपनेपन से कह दिया,”मेरी प्यारी सखी … बोल री तुझे क्या दुख है?”

“मेरी सुनीता, कुछ दिनों से मेरा मन, भटक रहा है … और ये सब तेरे रणजीत का किया हुआ है !” “नहीं रे, वो तो भोला भाला पंछी है … मेरे जाल में उलझ कर फ़ड़फ़ड़ा रहा है … वो कुछ नहीं कर सकता है …!”

“सच है री सखी … उसकी कामदेव सी निगाहों ने मुझे घायल कर दिया है … उसका शरीर मुझे किसी काम देवता से कम नहीं लगता है … मेरे तन में उसे देख कर अग्नि जल उठती है, तन मन राख हुआ जा रहा है !” रीटा की आहों में वासना का पुट स्पष्ट उभर कर कर आ रहा था, स्वर में विनती थी। “सखी रे सखी … तुझे उसका काम देव जैसा लिंग चाहिये अथवा उसकी प्रीति की भी चाह है?” रीटा की तड़प और आसक्ति देख उसका मन पिघल उठा।

“ना रे सखी … तेरी दया नहीं … उसका प्यार चाहिये … दिल से प्यार … हाय रे …!” उसका अहम जाग उठा।सुनीता ने अपना तरीका बदला,”सखी … तू उसे अपने जाल में चाहे जैसे फ़ंसा ले … और तन की जलन पर शीतल जल डाल ले … तब तक मुझे ही अपना रणजीत समझ ले !” सुनीता के मन में रीटा के लिये भावनाएँ उमड़ने लगी … उसे समझ में आ गया कि ये बेचारी अपने छोटे से जहाँ में रहती है, पर कितनी देर तक तड़पती रहेगी।

रीटा भी अपनापन और प्रीति पा कर भावना से अभिभूत हो गई और सुनीता के तन से लता की तरह लिपट पड़ी, और सुनीता के गुलाबी गालों पर मधुर चुम्बनो की वर्षा कर दी। सुनीता ने उसकी भावनाओं को समझते हुए रीटा के होंठ चूम लिये और चूमती ही गई। रीटा के मन में कुछ कुछ होने लगा … जैसे बाग की कलियाँ चटकने लग गई।

उसकी चूंचियाँ सुनीता की चूंचियों से टकरा उठी … और मन में एक मीठी टीस उठने लगी। उसे अपनी जीवन की बगिया में जैसे बहार आने का अहसास होने लगा।”सुनीता, मेरे मन में जैसे कलियाँ खिल रही हैं … मन में मधुर संगीत गूंज रहा है … मेरे अंगो में मीठी सी गुदगुदी हो रही है … ! ” रीटा के होंठो से गीलापन छलक उठा। सुनीता के भी अधर भीग कर कंपकंपाने लगे। अधरों का रसपान होने लगा। जैसे अधरों का रसपान नहीं, शहद पी रहे हों। फिर जैसे दोनों होश में आने लगे। एक दूसरे से दोनों अलग हो गईं।

“हाय सुनीता, मैं यह क्या करने लगी थी … ” रीटा संकुचा उठी … और शर्म से मुख छिपा लिया।”रीटा, निकल जाने दे मन की भावनाएँ … मुझे पता है … अब समय आ गया है तेरी प्यास बुझाने का !””सुन सुनीता, मैंने तुझे और रणजीत को आपस में क्रीड़ा-लीन देखा …तो मेरे मन विचलित हो गया था !” रीटा ने अपनी मन की गांठें खोल दी।”इसीलिये तू अपने कमरे में हस्तमैथुन कर रही थी … अब सुन री सखी, शाम को नहा धो कर अपन दोनों आगे पीछे से अन्दर की पूरी सफ़ाई कर के कामदेव की पूजा करेंगे … और मन की पवित्र भावनाएँ पूरी करेंगे …! ”

सुनीता ने एक दूसरे के जिस्म से खेलने का निमंत्रण दिया।”मेरी सुनीता … मेरी प्यारी सखी … मेरे मन को तुझ से अच्छा कौन जान सकता है? मेरा प्यारा रणजीत कब मुझे प्यार करेगा ? … हाय रे !” रीटा ने निमंत्रण स्वीकार करते हुये उसे प्यार कर लिया। मैने मोबाईल पर रणजीत को समझा दिया था … कि उसके प्यारे लण्ड को रीटा की प्यारी चूत मिलने वाली है। दोस्तों आप ये कहानी मस्रीटाम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।

संध्या का समय हो चला था। सूर्य देवता अपने घर की ओर जा रहे थे। कहीं कोने में छुपा अंधकार सारे जहां को निगलने का इन्तज़ार कर रहा था। शैतानी ताकतें अंधेरे की राह ताक रही थी। जैसे ही सूर्य देवता का कदम अपने घर में पड़ा और रोशनी गायब होने लगी, शैतान ने अपने आप को आज़ाद किया और सारे जहाँ को अपने शिकंजे में कसने लगा। सभी के मन में पाप उभर आये। एक वासना भरी पीड़ा उभरने लगी। कामदेव ने अपना जादू चलाया।

इन्सान के अन्दर का पागलपन उमड़ने लगा। सभी औरतें, लड़कियाँ भोग्य वस्तु लगने लगी। मासूम से दिखने वाले युवक, जवान लड़कियों को कामुक लगने लगे … उनकी नजरें उनके बदन पर आकर ठहर गई। मर्दों का लिंग उन्हें कड़ा और खड़ा दिखने लगा। इधर ये दोनों सहेली भी इस सबसे अछूती नहीं रही।

सुनीता और रीटा भी नहा धोकर, पूर्ण रूप से स्वच्छ हो कर आ गई। दोनों जवानियाँ कामदेव का शिकार बन चुकी थी। दोनों की योनि जैसे आग उगल रही थी। शरीर जैसे काम की आग में सभी कुछ समेटने को आतुर था। कमरे को भली भांति से बंद कर दिया। दोनों ने अपनी बाहें फ़ैला दी … कपड़े उतरने लगे … चूंचियाँ कड़क उठी, स्तनाग्र कठोर हो कर इतराने लगे।

सुनीता नंगी हो कर बिस्तर पर दीवार के सहारे पांव लम्बे करके बैठ गई और नंगी रीटा को उसने अपनी जांघों पर उल्टा लेटा लिया।रीटा के चूतड़ों को सुनीता ने बिल्कुल अपने पेट से सटा लिया और उसके चूतड़ो को सहलाने लगी और थपथपाने लगी। रीटा ने आनन्द के मारे अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपने प्यारे गोल गोल चूतड़ों की फ़ांकें खोल दी। सुनीता रीटा की गाण्ड को सहलाते हुये कभी उसके दरारों के बीच सुन्दर से भूरे रंग के फ़ूल को भी दबा देती थी।

कहानी जारी है ….. आगे की कहानी पढने के लिए निचे लिखे पेज नंबर पर क्लिक करे …..

The post सहेली की चुत की आग बुझाने में मदत appeared first on hindisexstories.autocamper-service.ru.

]]>
//hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/saheli-ki-chut-ki-aag-bujhane-me-madat.html/feed 0