गे सेक्स स्टोरी – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Tue, 20 Mar 2018 05:45:50 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png गे सेक्स स्टोरी – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/mausi-ne-mausa-se-meri-gand-marwa-diya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/mausi-ne-mausa-se-meri-gand-marwa-diya.html#respond Tue, 05 Dec 2017 04:09:42 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11161 मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया जब मेरे मुह से आवाज निकलती तो मौसी अपनी चुत मेरे मुह पर दबा देती मेरी आवाज गु गु करके रह जाती 5 मिनट के बाद मौसा की स्पीड बढ़ गयी अब मुझे भी मज़ा आने लगा था अपनी गांड मरवाने में मौसा का लंड वैसे भी बहुत मोटा ताजा था |

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मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया जब मेरे मुह से आवाज निकलती तो मौसी अपनी चुत मेरे मुह पर दबा देती मेरी आवाज गु गु करके रह जाती 5 मिनट के बाद मौसा की स्पीड बढ़ गयी अब मुझे भी मज़ा आने लगा था अपनी गांड मरवाने में मौसा का लंड वैसे भी बहुत मोटा ताजा था |

जैसे की आप लोगो ने अभी तक पढ़ा कहानी का मज़ा बढ़ता चला जा रहा है आज अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए दोस्तों अभी तक जिसने पिछली कहानी मौसी की गांड का मज़ा लिया और आंटी ने अपने सामने अपने पति की गांड मरवाई नहीं पढ़ी है उसे पढ़ ले तभी कहानी का असली रस मिलेगा | तो चलिए अब आगे की कहानी की सुरुवात करता हूँ ..

यह शैतान” मेरी ओर देखकर वह कुछ दुष्टता से मुस्कराई और बिस्तर में लेट कर मुझे अपने उपर उलटी तरफ से लिटा लिया और मेरा सिर जांघों के बीच दबाकर अपनी बुर चूसने को बोली मैं समझ गया कि समय आ गया है मौसजी के घोड़े जैसे गोरे थरथराते लंड को फिर एक बार मन भर देखने के बाद मैं मौसी पर लेट कर उसकी बुर चूसने लगा अंकल का लंड अब ऐसा लगता था |

मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया

कि जैसे लोहे का बना हो नसें फूल आई थीं और सुपाडा पाव भर के टमाटर जैसा लग रहा था डंडा मिलाकर लंड आठ इंच ज़रूर लंबा था और कम से कम अढाई इंच मोटा वे अब हथेली पर मख्खन लेकर उसे लंड पर चुपड रहे थे मेरी ओर देखकर उन्होंने आँख मारी “तेरी गान्ड तो आज गयी बेटा” मन ही मन मैंने खुद से कहा अपना मुँह मैंने मौसी की गीली बुर में छुपा लिया और चूसने लगा वह मादक रस मेरे मुँह में गया और मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा मुझमें कुछ ऐसा खुमार भर गया था कि डर के बावजूद मैं गान्ड फटने की उत्सुकता से राह देख रहा था

मौसी ने भी मेरा लंड मुँह में लेकर कुछ देर चूसा और फिर अपने पति को बुलाया “लो जी, माल तैयार है, चोद लो, चढ जाओ और मज़ा करो, भोगो इसे जैसे चाहो” मेरे नितंब सहला कर मौसी ने बड़े प्यार से अपने पति को पेश किए मैं अब मौसाजी के हाथों को अपने नितंबों को सहलाते और दबाते हुए महसूस कर रहा था उनकी ज़ोर से चलती साँस से मुझे अंदाज़ा हो रहा था कि वे कितने उत्तेजित हैं अचानक उनकी गरमा गरम साँसें मेरे नितंबों पर लगीं और उनके मुँह का गीला स्पर्ष अपनी गुदा पर मैंने महसूस किया वे अब मेरे गुदा के छेद को और चाट रहे थे जल्द ही गुदा पर मुँह लगाकर वे चॉकलेट की तरह चूसने लगे मेरा भी लंड इस सुखद स्पर्ष से और मौसी के चूसने से खड़ा हो गया मौसी ने पति से फरमाइश की “डार्लिंग, अपनी पूरी जीभ इसकी कोमल गान्ड में डाल दो, फिर देखो कैसे उचकता है |

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खुद ही मरवाने को बोलने लगेगा” मौसाजी के शक्तिशाली हाथों ने मेरे नितंबों को पकडकर फैलाया और गुदा का छेद चौड़ा किया दूसरे ही क्षण उनकी लंबी गीली जीभ मेरी गान्ड के अंदर थी इतना सुखद और मीठा स्पर्ष था कि मैं सिसककर और ज़ोर से मौसी की बुर चूसने लगा मौसी ने भी अपनी जीभ मेरे लंड पर रगडना शुरू कर दी दो मिनिट गुदा चूस कर मौसाजी उठ बैठे मख्खन का एक बड़ा लौम्दा उंगली पर लेकर मेरी गुदा पर रखा और फिर उंगली से उसे अच्छे से अंदर तक चुपड दिया इसके बाद वे एक के बाद एक मख्खन के गोले मेरी गान्ड में भरते गये ठंडे मख्खन के स्पर्ष से मेरी गुदा को बहुत आराम मिला पिघल कर अब मख्खन मेरी गान्ड में अंदर तक जाता हुआ मैं महसूस कर रहा था साथ ही साथ मौसाजी के कहे अनुसार मौसी भी दोनों हथेलियों पर ढेर सा मख्खन ले कर उनके लौडे पर चुपड रही थी |

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मौसाजी उसे बोले “खूब मख्खन लगा दो डार्लिंग, लौडा डालूँगा तो इस लौम्डे को दर्द तो बहुत होगा पर कम से कम इसकी गान्ड फटेगी नहीं” अब तैयारी पूरी हो चुकी थी मौसाजी अपनी उंगलियाँ चाटते हुए पीछे से मुझपर चढ गये मेरे मुँह से डर और वासना भरी एक हल्की चीख निकल गयी मौसी ने मेरे हाथ लेकर अपने नीचे दबा लिए और मेरा सिर कस कर अपनी जांघों में पकड़ लिया अपने हाथों से उसने मेरी टाँगें पकड़ रही थीं मैं अब बिलकुल विवश था, हिल डुल भी नहीं सकता था मौसी मेरा डर कम करने को बोली “घबरा नहीं बेटे, दर्द तो होगा पर गान्ड मराने में तुझे इतना मज़ा आएगा कि कल से तू मुझे छोड़ कर अपने अंकल के पीछे लग जाएगा, उनसे बार बार गान्ड मराने की ज़िद करेगा” मेरे नितंब कस कर खींच कर अलग किए गये और मुझे ऐसा लगा कि जैसे एक टेनिस बाल मेरी गुदा पर रखी हो यह असल में अंकल का सुपाडा था

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बिना रुके वे उसे अंदर पेलने लगे अपने आप मेरी गुदा रीफलेक्स से बंद होने की कोशिश करने लगी कि इस आक्रमणकारी को बाहर ही रोक दिया जाए पर उनकी शक्ति के आगे मेरी क्या चलती! सुपाडा अंदर घुसने लगा और मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं कसमसा कर कराह उठा मेरी चीख को रोकने के लिए मौसी ने अपनी बुर से मेरा मुँह बंद कर दिया और कस कर सिर को जांघों में और जकड लिया फिर मुझे समझाती हुई बोली “बेटे, गान्ड ढीली छोडो, बाहर को पुश करो जैसे टट्टी के समय करते हो, कम दर्द होगा” मैं अब यातना से तडप रहा था

क्योंकि ऐसा लगता था कि गान्ड फट जाएगी पर मैंने चुनमूनिया चूस कर भागने की कोशिश नहीं की मैं भी अपने उन खूबसूरत जवान अंकल से गान्ड मराने को बेकरार था गुदा अब पूरा तन कर चौड़ा हो गया था और सुपाडा आधा अंदर था | इस कहानी का शीर्षक ” मौसी ने मौसा से मेरी गांड मरवा दिया ” है | किसी तरह मैंने गुदा की माँस पेशियाँ ढीली छोड़ीं और पक्क की आवाज़ से पूरा सुपाडा मेरी गान्ड के छल्ले को खोलकर अंदर समा गया

मैंने चीखने की कोशिश की पर मौसी की बुर में गोंगिया कर रहा गया मौसाजी मुझे आराम देने को अब रुक गये सुपाडा अंदर जाने से गुदा के छल्ले को कुछ राहत मिली क्योंकि लंड का डंडा सुपाडे की तुलना में कम मोटा था फिर भी मुझे भयानक दर्द हो रहा था क्योंकि मेरी ज़रा सी किशोर गान्ड के लिए उनका लंड बहुत बड़ा था किसी तरह मैंने अपने आप को संभाला सहसा मैंने यह भी महसूस किया कि मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया है

मौसी उसे बड़े प्यार से चूस रही थी अंकल जब समझ गये कि मैं सम्भल गया हूँ तो वे फिर लंड पेलने लगे अब उनकी वासना इस सीमा तक बढ़ गयी थी कि जब मैं फिर दर्द से बिलबिला उठा तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया और पेलते रहे इंच इंच करके वह मोटा सोंटा मेरे चुतडो के बीच गढ़ता गया आख़िर तीन-एक इंच डंडा बाहर बचा जब मैं बुरी तरह से छटपटाने लगा लंड फँस सा गया था और अंदर नहीं जा रहा था मौसाजी तैश में थे, मौसी से बोले “रानी इसे पकड़ना, अब मैं इसकी गान्ड में जड तक अपना लंड डाले बिना नहीं रुकने वाला, भले कुछ भी हो जाए” फिर उन्होंने ऐसा जोरदार झटका मारा कि जड तक उनका सोंटा मेरी गान्ड में उतर गया उनकी घूंघराली झांतें मेरी गुदा से सिमट गयीं मेरे आँसू निकल आए और मैंने चीखने की कोशिश की पर मौसी की बुर ने मेरा मुँह सील किया हुआ था |

कहानी जारी है आगे की कहानी अगले पेज पर पढ़े ..

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आंटी ने अपने सामने अपने पति की गांड मरवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/aunty-ne-apne-samne-apne-pati-ki-gand-marwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/aunty-ne-apne-samne-apne-pati-ki-gand-marwai.html#respond Sun, 03 Dec 2017 04:44:28 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11160 आंटी ने अपनी चुत की प्यास बुझा कर थोडा मज़ा लेने की सोची तो आंटी ने अपने सामने अपने पति की गांड मरवाई मेरा लंड अंकल की गांड में घुस कर गे बन गया मैंने जीवन में पहली बार किसी आदमी की गांड मारी थी |

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हेल्लो मित्रो कैसे है आप सब आज मै फिर से लौट आया हूँ अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए दोस्तों अभी तक जिसने पिछली कहानी बुरचोदी मौसी के साथ रंगरेलिया और मौसी के साथ मौसी की नौकरानी की भी चुत मारी  और मौसी की गांड का मज़ा लिया नहीं पढ़ी है उसे पढ़ ले तभी कहानी का असली रस मिलेगा | तो चलिए अब आगे की कहानी की सुरुवात करता हूँ ..  पूरी उंगली डालकर जब अंकल उसे अंदर घुमाने लगे तो मैं सिसक उठा तथा और ज़ोर से मौसी को चोदने लगा मेरे धक्कों से आगे पीछे होती मेरी गान्ड में उनकी उंगली अपने आप अंदर बाहर होने लगी अब मैं पागल सा होकर मौसी को बेतहाशा चोदने लगा और एक मिनिट में झड गया पड़ा पड़ा मैं हाम्फता हुआ इस नये आनंद का मज़ा ले रहा था तब मौसी मुझे चिढाते हुए बोली”

गान्ड में सिर्फ़ उंगली करने से तेरा यह हाल है, तो आगे क्या होगा, बेटे?” मौसाजी अब जोश में थे और मौसी की बुर चूसने को अधीर थे मुझे लगता है कि उन्हें बुर रस के साथ ख़ास मेरे वीर्य की भूख थी जो मौसी की बुर में मैंने छोड़ा था पहले तो झट से उन्होंने मेरा मुरझाया शिश्न जिस पर मेरा वीर्य और मौसी की बुर का पानी लगा था, मुँह में लेकर चूस डाला फिर मौसी की बुर को चूसने लगे मौसी ने भी उनका सिर अपनी जाँघो में क़ैद कर लिया और खिलखिलाती हुई चूत चुसवाने लगी जब तक उन्होंने मौसी की बुर खाली की, मौसी एक बार और झड चुकी थी

तैश में आए मौसाजी अब मौसी पर चढ कर उसे चोदने लगे उनकी इस रति क्रीडा को देखकर मैं धीरे धीरे फिर मस्ती में आ गया मेरा लंड खड़ा देखकर अंकल बोले” यहा लड़का तो बड़ा काम का है रवीना, देख कैसा खड़ा है इसका दो बार झड कर भी राहुल, तू मौसी की गान्ड मार ले, दोनों एक साथ इस चुदैल को सैम्डविच बना कर आगे पीछे से चोदते हैं” मौसी के बुर में अपना लंड वैसा ही घुसाए रखकर पलट कर वे नीचे हो गये और मौसी को उपर कर दिया मौसी के मोटे गोरे चुतड मेरे सामने थे |

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अंकल ने मेरी आसानी के लिए अपनी पत्नी के चुतड पकडकर फैलाए और मैंने एक ही वार में घच्च से पूरा लंड मौसी की गान्ड में उतार दिया अब मैं उपर से मौसी की गान्ड मारने लगा और मौसाजी उसे नीचे से ही धक्के दे दे कर चोदने लगे मौसी को तो इस दोहरी चुदाई में ऐसा मज़ा आया कि वह सीतकारियाँ भरने लगी बुर और गान्ड के बीच की बारीक दीवार में से हम दोनों को एक दूसरे के लंडों का दबाव ऐसा महसूस हो रहा था जैसे बीच में कुछ ना हो “राहुल बेटे, मौसी की गान्ड मस्त हो कर मारो, पर झडना मत जब तक मैं ना कहूँ, दोनों एक साथ झड़ेंगे” अंकल बोले अब हम दोनों अपनी पूरी ताक़त से मौसी के दोनों छेद चोदने लगे बार बार पलट कर कभी मौसाजी नीचे होते कभी मैं इससे बारी बारी से हम दोनों को उपर चढ कर कस कर ठुकाई करने का मौका मिलता बीस मिनिट हमने इसी तरह मौसी को भोगा और वह तीन बार झडी अब तो वह मस्ती में किसी नई नवेली दुल्हन जैसे चिल्ला रही थी”

ऊीीईईईईई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गईईईईईईईईईई हा या रे मार डा ला रे दोनों ने मिलकर, अरे हरामियों, दया करो, क्या फाड़ दोगे मेरे दोनों छेद!” आख़िर जब मैं उपर था तब मौसाजी ने इशारा किया और मैंने उछल उछल कर मौसी की गान्ड बेतहाशा चोद डाली और झड गया पलट कर अब मैं नीचे हो गया और मौसाजी उपर से चोदने लगे मौसी ने अब अपनी एक उंगली मौसाजी की गुदा में घुसेड दी और इसके साथ ही मौसाजी इतनी ज़ोर से झडे कि चिल्ला उठे कुछ देर पड़े पड़े हम तीनों इस सुख का आनंद लेते रहे |

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फिर रस चूसने का एक और कार्यक्रम हुआ मैंने मौसी की बुर चुसी और उसमें से मौसी की बुर के पानी और अंकल के वीर्य का मिश्रण पिया मौसाजी ने अपनी पत्नी की गान्ड चूस कर उसमें से मेरे वीर्य का पान किया अब हम तीनों थक गये थे और बिलकुल तृप्त भी हो गये थे तीनों लिपट कर सो गये ऐसी गहरी नींद लगी कि पता ही नहीं चला कि कब सबेरा हुआ मेरी नींद बहुत देर से खुली मौसी और मौसाजी के हँसने और बोलने की आवाज़ बाथरूम से आ रही थी मुझे लगा कि शायद नहा रहे होंगे पर कुछ देर बाद दोनों बिलकुल नंगे बाहर आए तो बिना नहाए मुझे अचरज लगा कि वे अंदर क्या कर रहे थे कल भी मौसाजी वापस आने के बाद मौसी को लेकर बाथरूम में चले गये थे

दोनों काफ़ी देर एक साथ बाथरूम में थे वे वहाँ क्या करते हैं, इस रहस्य का पता मुझे काफ़ी देर बाद चला चाय पीकर हम तीनों एक साथ नहाने गये दिन के उजाले में मैंने पहली बार अजित अंकल का गोरा सुडौल छरहरा पर मजबूत शरीर पास से देखा अंकल के चुतड पुष्ट और मजबूत थे झांतें भी ट्रिम की हुई थीं झांतों को छोड़ बाकी बदन एकदम चिकना केश रहित था एक दूसरे को साबुन लगाते हुए जब मेरा हाथ मौसाजी के मस्त खड़े रसीले लंड पर से गुज़रा, मुझे लगा कि अभी चूस लूँ

मैं शायद ऐसा करता भी पर उसके पहले मौसी ने मुझे पकड कर अपने सामने बिठा कर मुझसे अपनी गीली बुर चुसवा ली मैं बुर चाट रहा था और उस समय मौसाजी मेरे नितंबों को प्यार से सहला रहे थे और पास से उन्हें बड़े गौर से देख रहे थे उन्हें साबुन लगाने के बहाने उन्होंने बहुत देर तक मेरे चुतडो के साथ खिलवाड़ किया मौसी आख़िर उनकी इस हरकत पर हँसने लगी “डार्लिंग, मुझे मालूम है तुम क्या करने के लिए मरे जा रहे हो” मौसाजी कुछ ना बोले, सिर्फ़ अपनी पत्नी को आँख मार दी फिर प्यार से मेरा चुंबन लेते हुए बोले “तो क्या हुआ, हमारे राहुल जितनी प्यारी चिकनी गान्ड तो लड़कियों की भी नहीं होती उसे प्यार करने को मन हुआ सो कर लिया” नहाते समय मौसी को छोड़ कोई नहीं झडा मौसी तो रस की ख़ान थी, चाहे जितनी बार झड सकती थी पर हम दोनों ने अपने पर काबू रखा कि बाद में मज़ा करेंगे नहाने के बाद हमने नंगे ही नाश्ता किया मैं जल्दी नाश्ता खतम करके उठने लगा |

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तो मौसी ने शरारत भरी आवाज़ में पूछा “मलाई नहीं खाएगा रे?” मैं जब समझा नहीं कि मौसी क्या कहा रही है तो उसने समझाया “मेरा मतलब उस मलाई से है जो तेरे अंकल के लंड के अंदर है मलाई निकालने में भी उतना ही मज़ा आएगा जितना खाने में” मैंने शरमा कर मौसाजी की ओर देखा उन्होंने प्यार से मुझे चूमा और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया “ले बेटे, सब तेरा है मज़ा कर” मैं इतना उतावला हो गया था कि टेबल के नीचे घुसकर उनकी जांघों के बीच बैठ गया उन्होंने अपना सुपाडा बड़े लाड से मेरे होंठों, गाल और आँखों पर रगडना शुरू कर दिया सुपाडे से एक मोटी सी बूँद उनके प्रीकम की निकली जिसे चख कर मैं और बेचैनी से उनके लंड को चाटने लगा मौसाजी ने तृप्ति की एक साँस ली और बोले “प्यार से आराम से चूसो बेटे, तेरे लिए रात भर से बचा कर रखा है यह माल”

मैं अब उस रसीले लंड को चूसने के लिए मरा जा रहा था इसलिए मुँह में लेने की कोशिश करने लगा मौसी ने देखा कि यह मेरा पहला अनुभव है तो उसने बड़े प्यार से मुझे सिखाया कि लंड कैसे चूसा जाता है मुँह पूरा खोल कर, दाँतों को होंठों से ढक कर आख़िर उस पूरे गोले को मैं मुँह में भर कर चूसने लगा मौसी के सिखाए अनुसार अपनी जीभ मैंने सुपाडे के निचले फूले हिस्से पर रगड़ी तो मौसाजी ने एक सिसकारी भर कर मेरा सिर अपनी गोद में दबा लिया और उपर नीचे होकर मेरा मुँह चोदने लगे चूमा चाटी की आवाज़ से मैंने समझ लिया कि अब दोनों में खूब प्रेम से चुंबनो का आदान प्रदान हो रहा है “जल्दी मत करना बेटे, तेरे मौसाजी को भी लंड चुसवाने का मज़ा लेने दे” मौसी बोली बीस मिनट मैंने बड़े प्यार से अंकल का लौडा चूसा और फिर आख़िर उनसे ना रहा गया मेरे सिर को पकडकर वे नीचे से ही मेरा मुँह चोदने की कोशिश करने लगे |

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मैं समझ गया और दोनों हथेलियों में उनके लंड का डंडा लेकर मैं ज़ोर ज़ोर से उनकी मुठ्ठ मारने लगा सुपाडा चूसना मैंने जारी रखा “मार मेरी मुठ्ठ मेरे राहुला, लगा जोरदार सडका, चूस ले मेरे सुपाडे को” कहते हुए एक हिचकी के साथ वे झड गये और उनका गाढा वीर्य मेरी जीभ पर निकल आया उस गरमा गरम चिपचिपे गाढे माल को खाने में वह मज़ा आया कि मैं बता नहीं सकता स्वाद ले लेकर मैंने उसे खाया और लंड को मुठियाता रहा कि आख़िरी बूँद तक निकल आए आख़िर सिकुड कर लंड नन्हा मिरची जैसा हो गया और उसे कुछ देर और प्यार से चूस कर मुँह पोंछता हुआ मैं उठकर बाहर निकल आया मौसाजी बिलकुल निढाल होकर आँखें बंद करके मौसी की चूची चूस रहे थे मौसी भी प्यार से उन्हें अपनी छाती से लिपटाए हुई थी मुझे उसने शाबासी दी “बहुत अच्छा चूसा तूने राहुल, तेरे अंकल तो फिदा हो गये तुझ पर” मेरा लंड अब मस्त मचल रहा था और जब मौसाजी ने उसे देखा तो उनकी आँखें चमकने लगीं |

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गे नहीं हु पर लड़के से लंड चुसवाया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/ge-nahi-hu-par-ladke-se-land-chuswaya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/ge-nahi-hu-par-ladke-se-land-chuswaya.html#respond Thu, 09 Nov 2017 09:32:57 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10864 दोस्तों ये कहानी गे लोगो के लिए है जो गांड मरवाना पसंद करते है मैंने बहुत कहानियां पढ़ी अभी हाल में ही मेरे एक दोस्तों ने मुझे ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर प्रेषित करवाने के लिए बोला सो मैंने भी सोचा चलो कहानी तो रोज पढता हु आज मै भी एक कहानी लिख ही देता हूँ |

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दोस्तों ये कहानी गे लोगो के लिए है जो गांड मरवाना पसंद करते है मैंने बहुत कहानियां पढ़ी अभी हाल में ही मेरे एक दोस्तों ने मुझे ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर प्रेषित करवाने के लिए बोला सो मैंने भी सोचा चलो कहानी तो रोज पढता हु आज मै भी एक कहानी लिख ही देता हूँ |

स्याम काफी दिनों से अपना लंड किसी जवान लडके से चुसवाना चाहता था.  ऐस नहीं वो गे था. उसकी वाइफ थी और रोज रात उसकी चूत का मजा लेता था. वो भी उसका लंड चुसती थी. बहुत बार उसके मुंह में उसने अपना पानी छोड था और वो भी बेताबी से उसका रस पीती थी.

मगर उसे लगने लगा कि क्यों न किसी मर्द से ही चुसवा ले?

मगर चुसेगा कौन?

उसके दोस्त बहुत थे. मगर उनसे ऐसी बाते करना भी नामुमकिन था. कोई अंजाना मर्द ही देखना पडेगा, वो सोचता था. और ऐसा काम कोई गे ही कर सकता है.

उसने इंतरनेट पर खोज की. गे लोगों की कई साइट्स थी. फोटोज भी थी. उसने हिंमत बांध के एक फेक अकाउंट खोलकर मेल डाल दी. इंतजार करने लगा. एक घंटे में ही जबाब आया. गे तैयार था. ८०००  रुपया मांग रहा था. पुरे मजे देने का वादा भी था.

उसे गे कि गांड मारने कि कतई इच्छा नही थी. सिर्फ अपना लंड चुसवाना था. स्याम ने वैसा लिख दिया. उसका तत्काल जबाब आया, ओके, मगर पैसे कम न होंगे. फिर गे ने उसे एक होटल का पता दिया और वहां आने को कहा.

स्याम ३५ साल की उम्र का था. हट्टाकट्टा था. लंड भी काफी बडा था. नियोजित वक्त पर वो होटल पहुच गया. वोह पहले ही पहुंच गया था. गे का नाम उसने जोसेफ बताया था. वह क्रिश्चन था | बीस साल का होगा. चिकना चुपडा. उसे स्याम ने पहचान लिया. अब उसका दिल धक धक करने लगा था. एक नया अनुभव वो भी अंजान के साथ वो लेने वाला था. पता नहीं रुम में क्या होगा. वो कैसे चुसेगा…मेरा पानी मुंह में लेगा क्या….

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जोसेफ ने रुम बुक कर रखी थी. शायद उसका अड्डा हो. दोनो रुम में चले गये. शर्म के मारे स्याम चूर था…जैसे वो लडकी था. कुछ गलत तो नहीं कर रहा हुं, सोच रहा था.

जोसेफ ने उसकी झिझक देखी. हंसा, उसके पास बैठा, उसके कानों में पुछा…”तुम गे नहीं हो?”

“नही…बस जरा….”

“चलता है…सब अनुभव लेने चाहिये. ऐसा मजा दुंगा कि तुम जिंदगी भर नहीं भुलोगे…निकाल तेरे कपडे. मै भी नंगा हो जाता हुं.” कहकर उसने अपने कपडे उतार दिये. उसका भी लंड बडा था. एक दुसरे मर्द  को वो पहली बार नंगा देख रहा था. जोसेफ उसे कपडे उतारने मदद करने लगा. थोडी झिझक तो हो रहे थी. मगर थोडी देर में वोभी नंगा हो गया.

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ..

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पहली बार दोस्त की गांड को चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/pahali-baar-dost-ki-gaand-ko-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/pahali-baar-dost-ki-gaand-ko-choda.html#respond Mon, 30 Oct 2017 17:16:00 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10733 पहली बार दोस्त की गांड को चोदा, छोटे बच्चो की तरह वो मुझे खींच रहा था। बच्चे तो सोने के लिए खींचते है। मै भी थोड़ा दबता था। क्योंकि उसी के घर में फ्री में रहता था हम दोनों ही बनियान और पैजामे में बिस्तर पर बैठे हुए थे। चिन्मय मुझे बहुत ही हवस की नजरों से मेरी तरफ देख रहा था मुझे उसकी गन्दे इशारे करती नजर बिलकुल ही अच्छी नहीं लग रही थी

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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम दमन है। मैं 24 साल का हूँ। मैं देखने में बहुत ही जबरदस्त लगता हूँ। मुझे देखकर हर लड़का यही कहता है कि अपना भाई तो हीरो लगता है। लडकियां तो मेरी जबरदस्त पर्सनालिटी को देखकर फ़िदा हो जाती है। मैं भी लड़कियों को पटानकर चोदने का बहुत शौक रखता हूँ। मुझे लड़कियों की चूंचियो को दबाकर पीना बहुत ही अच्छा लगता है। मै उनकी गांड चुदाई जरूर करता हूँ। लडकियां मेरा 6″ का लौड़ा देखकर होंठ काट लेती है। मेरा लंड लाल लाल साँड़ के जैसा है। लड़कियां मेरी गाजर खाने के लिए बहुत ही परेशान रहती है। मुझे उनकी चूत में ऊँगली डालकर माल को चाटना बहुत अच्छा लगता है। मैंने अब तक कई लोगो का अपना गाजर खिलाया है। मेरे दोस्त भी इस लंड पर फ़िदा थे।

मै बहुत दिनों से अपनी कहानी लिखने को बेकरार था। जो मेरे साथ हुआ वो सच्ची घटना है। दोस्तों दो साल पहले मैं गोपालगंज में रहता था। ये घटना तब की है जब मैने किसी लड़की को नहीं चोदा था। पहली बार मेरे गांडू दोस्त ने मुझे अपना छेद देकर किस्मत खोल दी। मुझे एक दोस्त मिला। उसका नाम चिन्मय था। वो बहुत ही स्मार्ट था। उसका शरीर किसी लड़की से ज्यादा सॉफ्ट सॉफ्ट था। उसके बदन को छूते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था। मेरी उससे फ्रेंडशिप हो गई। उसका घर गोपालगंज में ही था। मुझे रूम लेकर रहना था। वो मुझे अपने घर ले गया। मुझे वही रहने का आश्रय दिया। मै उसके घर में उसके परिवार के साथ रह रहा था। उसके घर में अंकल और आंटी ही रहते थे। वो बहुत अच्छे आदमी थे। आंटी को देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था।

मेरा मन उनकी चूत फाडने को करता। आंटी अब इस उम्र में भी एकदम जवान लग रही थी। आखिर उन्ही का लड़का तो था चिन्मय। अंकल आंटी जॉब करते थे। वो किसी मीटिंग में दो दिन के लिए जाने वाले थे। उन्होंने मुझसे कहा दमन मै दो दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ। तुम और चिन्मय साथ में ही रहना। खाना कामवाली आकर बना जायेगी। लेकिन मुझे क्या पता था कि आज मेरी किस्मत पर मेरा दोस्त दिया जला देगा।
मै हर दिन की तरह आज भी नॉर्मली घर पर रुका हुआ था। लेकिन आज चिन्मय कुछ ज्यादा ही उछल रहा था।

मैंने पूछा- “क्या बात है भाईजान आज कुछ ज्यादा ही खुश लग रहे हो”
चिन्मय- “क्या करूं जनाब बात ही कुछ ऐसी है”
मै- “क्या बात है??? जो तुम मुझे अभी तक नहीं बता रहे हो”
चिन्मय- “मै तुझे बता देता पर तुम्हे अचानक बता कर सरप्राइज़ देना चाहता हूँ”

पूरा दिन मेरी दिमाग में यही घूमता रहा क्या हो सकता है। मै जानने को बहुत ही उत्सुक हो रहा था। लेकिन मै कर भी क्या सकता था। वो कुछ बताने को तैयार ही नहीं था। मैं भी अपना काम करने लगा। लेकिन अंदर ही अंदर मुझे जानने की उत्सुकता खाये जा रही थी। चिन्मय ने मुझे खुश करने के लिए बहुत सारा प्लान बनाया। मेरी कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। आज कोई स्पेशल डे भी नहीं है। फिर क्यों ऐसा व्यवहार कर रहा है मेरे साथ। उसने शाम को खाना बाहर खाने के लिए होटल चलने को कहा। मैंने भी मना नही किया। शाम को खाना खाकर वापस घर आ गया। मै पढ़ाई करने के लिए अपने कुर्सी पर बैठा ही था कि पीछे से आकर उसने मुझे कहा- “आज घर पर कोई नहीं है। और मस्ती करने का मौका है। तुम फिर भी के किताबो के बीच में ही पड़े सड़ रहे हो”

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मै कुछ कहता उससे पहले ही वो मेरी किताब बंद करके खींचने लगा। छोटे बच्चो की तरह वो मुझे खींच रहा था। बच्चे तो सोने के लिए खींचते है। मै भी थोड़ा दबता था। क्योंकि उसी के घर में फ्री में रहता था। हम दोनों ही बनियान और पैजामे में बिस्तर पर बैठे हुए थे। चिन्मय मुझे बहुत ही हवस की नजरों से मेरी तरफ देख रहा था। मुझे उसकी गन्दे इशारे करती नजर बिलकुल ही अच्छी नहीं लग रही थी। मैं पूछा- “क्या बात है भाई आज बड़ी अजीब नजरो से देख रहे हो”
चिन्मय- “नजरो का क्या है। जो भी जैसा समझ ले”
ये बात उसने बहुत ही दुख से बोला। मै कुछ समझ नहीं पाया। लेकिन फिर भी समझने की कोशिश करने लगा। बार बार पूंछने लगा। इस बार उसने मुझे अपने दिल पर पड़े बोझ को हल्का करने के लिए बताया। कि आज हम लोग मस्ती करते है। मैं ब्लू फिल्म की डी DVD लाया हूँ। पूरी रात हम लोग बैठ कर एन्जॉय करेंगे। मेरा मन भी देखने को मचलने लगा। लेकिन मुझे क्या पता था। इतना मचल जायेगा की सारी हदे पर करनी पड़ेगी। उसने मूवी स्टार्ट की। हम दोनों देख देख कर अपना अपना डंडा हिला रहे थे। मेरा लंड तो कम ही खड़ा हुआ था। लेकिन उसका लंड तो बहुत ही तेजी से खड़ा हो गया। वो मुठ मार रहा था। लेकिन मुझे नहीं पता था कि ये लड़कियों के शौक रखता है। इतने अमीर घर का होकर भी वो अपने शरीर को लड़कियों की तरह ही मेनटेन कर रखा था।
मैंने उसके बदन की नरमी का एहसास तो बहुत पहले ही कर चुका था। मै जब भी उसके पास लेट जाता था कभी तो वो अक्सर रात में अपना हाथ मेरे लंड पर ही रखे मिलता था। मुझे अच्छा नहीं लगता था। लेकिन मुझे क्या पता था कि ये मुझे अपने घर में अपने सपनो को पूरा करने के लिए रखा है। हम दोनों मजा लेकर मुठ मार कर ब्लू फिल्म देख रहा था। झड़ते ही मेरा मन शांत हो गया। मेरा तना खड़ा हुआ लंड धीरे धीरे सिकुड़ कर अपने पुरानी स्थिति में जा पहुचा। पहले की तरह मेरा लंड छोटा हो गया। मै भी कुछ देर चुप रहा। कुछ देर बाद चिन्मय ने मुझसे कहा- “भाई तुम्हे छेद चाहिए”
मै- “हाँ लेकिन अब कहाँ मिलने वाला है। वैसे भी एक भी गर्लफ्रेंड नहीं है। न जाने कब तक हाथ से काम चलाना पड़ेगा”
चिन्मय- “भाईजान!! एक बात बहुत दिनों से मेरे दिमाग में घुसी हुई है जो मैं तुम्हे पेश करने जा रहा हूँ”
मेरी बेचैनी बढ़ती ही जा रही थी। मैंने कहा- “जल्दी से कहो नहीं तो देर हो जायेगी। फिर मुझे नींद आने लगेगी। मै सो जाऊँगा। फिर तुम कर लेना अकेले में ही बात।
चिन्मय- “भाई मेरी गांड में बहुत दिनों से खुजली हो रही है। तुम शांत कर सकते ही”

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मै- “क्या….क्या…कह रहे हो तुम । तुम्हारा दिमाग तो ठीक हैं”
चिन्मय- “मुझे पता था तुम यही बोलोगे। लेकिन सभी एक जैसे तो नहीं होते। तुम नहीं करोगे तो कोई और करेगा ऐसा”
मैंने भी सोचा कुछ भी हो, हाथ से काम चलाने से तो बेहतर ही होगा। मैंने कुछ देर बाद हाँ बोल दिया। वो ख़ुशी के मारे उछलने लगा।

पैंट तो हम लोगो ने पहले से ही नीचे सरका रखी थी। थोड़ा सा और नीचे करके निकाल दिया। आज मुझे पहली बार किसी के छेद में अपना लंड डालने का मौका मिल रहा था। चिन्मय तो साला हिजरा निकला। वो लड़कियो की तरह अपना होठ काट रहा था। वो मेरे ऊपर अपने हाथों की उंगलियां चलाकर मुझे मदहोश कर रहा था। मैं भी बेकाबू होता जा रहा था। कुछ देर बाद उसने अपना हाथ फिराते फिराते मेरे लंड पर ले गया। उसने मेरे सिकुड़े लंड को हिला हिला कर जगाना शुरू किया।

मेरा पप्पू भी उठने की तैयारी में था। धीरे धीरे वो मिसाइल की तरह खड़ा होने लगा। मैंने भी मान लिया चिन्मय लड़का नही लड़की है। फिर मै ब्लू फिल्मों की तरह उसके साथ व्यवहार करने लगा। उसके चिकने बदन पर मैं अपने हाथों से ही मसाज करने लगा। मेरा शरीर का तो एक एक अंग गठीला था। लेकिन उसका पूरा शरीर गोरा गोरा था। मैने उसके जिस्म को छू छू कर आग लगा दिया। मै खड़ा था। वो अपने घुटनों के बल बैठ गया। उसके बाद वो मेरा लंड पकड़ कर अपने मुह में लेने लगा। मै डर रहा था। कही ऐसा न हो की ये अपने मुह में मेरा लंड रखकर जोश में काट वाट ले। मैंने कुछ टाइम तक तो थोड़ा बहुत विरोध किया। लेकिन वो मेरा लंड आइसक्रीम की तरह चाटता हुआ लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा।

मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था। लेकिन कुछ देर बाद मजा भी आने लगा। लंड को मैं अच्छे से चुसवा रहा था। मेरा पप्पू गाजर की तरह लाल लाल होकर निखर रहा था। चूस चूस कर उसने मेरे लंड को 6″ का साँड़ जैसा कर दिया। मैं जोश में आकर गरमा रहा था। मै अपना लंड उसके मुह में डालने लगा। मैंने उसका सर पकड़ा और अपना लंड उसके मुह में जड़ तक अपना लंड पेल दिया। मेरा लंड उसके गले से नीचे उतर गया। वो जोर से वुओ….वुय की आवाज के साथ चीख निकाल दिया। लेकिन मेरा लंड उसके पूरे मुह में भरा हुआ था तो वो बोल नहीं पा रहा था। उसकी आँखे लाल लाल हो गई। उसकी साँसे फूलने लगा। वो लंड निकालने को तड़पने लगा। मुझे डर लगने लगा। कही ये मेरा लंड न काट ले। मैंने झट से अपना लंड बाहर किया। वो कुछ देर चैन की सांस लेकर मेरी गोलियां चूसने लगा। उसके गोरी गोरी गांड को देखकर मेरा लंड गांड चुदाई करने को बेकरार हो रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। उसके बाद चिकनाई के लिये पास से थोड़ा तेल लाकर उसके गांड पर मसाज करने लगा। वो भी गांड में लंड लेने को तङप रहा था।

मैंने अपने लंड पर खूब तेल लगाकर उसके गांड पर रख दिया। मैंने उसे अब कुत्ते की तरह झुकाया। उसके गांड का छेद अच्छे से खुल गया। मै लंड छेद पर ही रगड़ने लगा। वो पकडकर खींच कर अपने गांड में घुसाने लगा। मैंने भी जोर का धक्का मारा। मेरे लंड का सुपारा अंदर फस गया। वो जोर से “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की चीख के साथ चिल्लाने लगा। पहली बार वो भी गांड चुदाई करवा रहा था। हम दोनों ही इस खेल में अनाड़ी थे। लेकिन हमने फिर ब्लू फिल्म से सब सीख लिया था। फिल्म से चुदाई के अलग अलग पोजीशन को देखकर चुदाई करना भी सीख लिया था। मैं धीरे धीरे करके पूरा लंड को घुसाने लगा। आख़िरकार पूरा लंड मैंने जड़ तक पेल कर चुदाई स्टार्ट कर दी। वो अब जोर जोर से “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह. .अई…अई…अई…..” की सिसकारी भर रहा था।

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मुझे लगता कि मैं किसी लड़की को चोद रहा हूँ। उसकी आवाज लड़कियों जैसी ही निकल रहीं थी। मै उसके गद्देदार गांड पर हाथ मार मार कर गांड चुदाई कर रहा था। वो भी अब अपने गांड को हिला हिला कर मजा लेने लगा। मैने पहली बार देखा था कि लड़के भी लड़कियों वाले शौक रखते हैं। उसे बहुत मजा आ रहा था। मैंने भी स्पीड बढ़ा दी। जोर जोर से अपना लंड उसके गांड में घुसाकर निकालने लगा। वो बहुत ही जोर जोर से “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा..” की आवाज के साथ अपना काम लगवाए हुए था।

मै लेट गया। वो मेरे ऊपर आकर लंड खड़ा करके बैठ कर उछल उछल कर गांड चुदवाने लगा। ख़ूब जोर जोर से ऊपर नीचे होकर अपना गांड मरवाने लगा। मै भी कमर उठा उठा कर पेल रहा था। जब भी तेज पेलता तो उसकी चीखे निकल जाती। वो जोर जोर से “उ उ उ उ उ……अ अ अ अ अ आ आ आ आ… सी सी सी सी….. ऊँ— ऊँ… ऊँ….” की आवाज के साथ चुदवा रहा था। मैं भी अब झड़ने वाला था। मैंने उसके गांड में अपना लंड खूब जल्दी जल्दी डालने के लिए ऊपर नीचे कमर उठा उठा कर पटकने लगा। मेरा लंड स्खलित होने वाला था।

मैंने पूछा- “कहाँ गिराऊं अपना माल जनाब”
चिन्मय- “मेरे मुह में अपना माल गिरा दो”
मैंने जल्दी से उठ कर मुठ मार कर सारा माल उसके मुह में गिरा दिया। वो बहुत ही मजे से सारा माल पीकर चैन से बैठ गया। पूरी रात हम लोगो ने ब्लू फिल्म देख कर मजा लिया।

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मेरी गांड की चुदाई की कहानी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/meri-gand-chudai-ki-kahani.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/meri-gand-chudai-ki-kahani.html#respond Mon, 04 Sep 2017 03:00:37 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9987 मेरी गांड की चुदाई की कहानी बड़ी ही मजेदार है जब एक आदमी एक आदमी की गांड में लंड डाल रहा हो तब माहौल कितना मजेदार होगा दोस्तों आप इस पूरी कहानी को पढ़ मज़ा करे

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हेल्लो दोस्तों मेरी गांड की चुदाई की कहानी में स्वागत है। मैं गे सेक्स स्टोरीज भी पढ़ता हूँ मस्ताराम पर दोस्तों यह लौड़ा भी बड़ी अजीब चीज है। मैंने परसों ही तीन शिफ्ट कीं, मेरा मतलब तीन लोगों की गांड लपक के ठोकी, उसके बाद भी कल दिन में फिर से लंड खड़ा हो गया। मेरी तो समझो पागलों जैसी हालत हो रही थी क्या करूँ.. साला तन कर फड़फड़ा रहा था। मुझे फिर से किसी को चोदने की तलब लग रही थी। मेरे पास जिनके मोबाइल नंबर थे.. उन्हें कॉल किया, पर कोई बाहर है, तो कोई कॉलेज में है और किसी का कोई और बहाना है, कोई नहीं मिल रहा था।

यार ऐसा ही क्यों होता है कि जब हमें बहुत जरूरत होती है.. तब कोई नहीं मिलता। बिना जरूरत के समय इतने लोग संपर्क करते हैं कि अभी आ जाओ, मेरे पास जगह है और लौंडे भी ऐसे होते कि उनके नाम से ही मुँह में पानी आ जाए। पर जब मुझे करना हो.. तो कोई नहीं मिल रहा था।

कल दिन में FB पर मैसेज भी पोस्ट की और कुछ रिप्लाई भी आए.. पर कुछ को मैंने मना कर दिया और कुछ के पास प्लेस नहीं था, तो कुछ ने कहा मैं 2-3 दिन बाद आऊंगा.. तब मिलते हैं।

यार लंड अभी तना हुआ खड़ा है.. उसे क्या कहूँ कि तू 2-3 दिन बाद खड़ा होना। उसे तो अभी एक रसीला मुँह चाहिए जो उसे अपनी लार से भिगा-भिगा कर चूसे और एक मस्त चिकनी टाइट गांड चाहिए.. जिसमें घुसकर तूफ़ान मचा दे।

आखिरकार जब कोई नहीं मिला और सब जगह से निराश हो गया तो एक ही उम्मीद थी और वो नामी जगह नेहरू पार्क थी।

मैं रात को 9:00 बजे वहाँ पहुँचा और पार्किंग के वहां एक मंदिर के उधर थोड़ा अँधेरे में मेरी सिल्वर बाइक खड़ी करके मैं उस पर बैठ कर चैट करते हुए इन्तजार करने लगा कि कोई मस्त माल आ जाए तो लंड को शान्ति मिले।

करीब आधा घंटा हो गया.. कोई नहीं आया, सब आस-पास घूमते, घूरते पर आगे आकर पूछने की कोई हिम्मत नहीं करता। यार दूसरे की क्या कहूँ मुझे खुद को डर लगता है.. बात करने में नहीं, वहाँ खड़े रहने में। लोकल हूँ और सामाजिक डर भी है कि कोई देख ले तो लेने के देने हो जाएं। इसलिए मुँह पर रुमाल बांधकर रखता हूँ। पर क्या करूँ यार ये मादरचोद लंड इतना हरामी है कि जब अपनी औकात पर आता है तो सारी लोक लाज लंड के आगे धरी रह जाती है।

जब बहुत देर हो गई और मैं पूरी तरह से निराश हो चुका और जाने के लिए गाड़ी स्टार्ट करने ही वाला था कि एक बंदा मेरे पास आता हुआ दिखा। मैंने तुरंत किक पर से पाँव हटाया, नार्मल होकर बैठा और मोबाइल निकाल कर चैट करने लगा। मैं ये जताना चाहता था कि मेरा ध्यान उसकी तरफ नहीं है।

वो मेरे करीब आया और बोला- हाय मैं अमन..
क्या मस्त लोंडा था यार.. पूरे 23-24 साल का, गोरा, जिम टोन बॉडी.. एकदम मस्त और करारा माल।
मैंने मेरे चहरे से रूमाल नीचे किया और उसे रिप्लाई दिया- हाय मैं सुहास..

जब मैंने मेरा रूमाल नीचे किया तभी उसके चहरे के भाव देख कर समझ गया कि मैं उसे बहुत पसंद आया हूँ। दरअसल मैं दिखने में भी अच्छा हूँ, गोरा हूँ और बॉडी को काफी मेन्टेन किया हुआ है। नॉर्मली लोग सोचते हैं कि 35 के लोग मोटे और अंकल टाइप होते हैं.. पर मैं ठीक-ठाक हूँ।

‘तुम्हें पता चल गया होगा, मैं तुम्हारे पास क्यों आया हूँ?’
‘हाँ मुझे पता हे और मुझे ऐसे लोग बहुत पसंद हैं.. जो सीधे मुद्दे की बात करते हैं। तो मैं तुम्हें बता दूँ मैं प्योर टॉप हूँ।’
‘ओके ग्रेट!’
‘और मेरे पास प्लेस नहीं है। यदि तुम्हारे पास हो तो चल सकते हैं।’
‘यार प्लेस तो मेरे पास भी नहीं है। हाँ मेरे फ्रेंड की कार में चल सकते हैं और हम दोनों ही इच्छुक हैं।’
‘ओके कोई दिक्कत नहीं है।’

मैं बाइक से उतरा और उसके साथ उसके फ्रेंड की कार की तरफ चल दिया। हमारे बीच कुछ सामान्य बातें हुईं.. जैसे कितनों से मिल चुके हो और क्या पसंद है? कितनी देर तक कर लोगे? हम दो हैं दो को खुश कर सकोगे?

मैं सबके जवाब देता जा रहा था। वो एकदम चलते चलते रुक गया और बोला- क्या तुम पागल हो? एक से डेढ़ घंटा किसे कहते हैं!
‘अरे सच में मुझे इतना ही टाइम लगता है। शुरू के 15-20 मिनट तक तो अपना चुसवाता ही हूँ। यदि उसे लगातार एक घंटा तक चोदूँ तो मेरे पार्टनर की तो हालत खराब हो जाए। अधिकतर तो ऐसा होता है कि आधे घंटा चोदने के बाद आखिरकार मुझे हाथ से ही हिलाकर निकालना पड़ता है।’
वो मुस्कुराते हुए बोला- कसम से यार… आज तो असली मज़ा आने वाला है।

हम उसके फ्रेंड की कार के पास गए, तभी मेरा एक कॉल आ गया। मैं बात करने के लिए थोड़ा सा अलग चला गया। अमन जल्दी से अपने फ्रेंड के पास गया और वो लोग बातें करने लगे। शायद अमन मेरे बारे में उसे बता रहा था। बात ख़तम होते ही मैं उनके पास आया।

अमन के फ्रेंड ने हाथ आगे करके कहा- हाय मैं राहुल!
‘सुहास..’

यार आज तो मेरी किस्मत खुल गई थी.. सच में राहुल भी एकदम मस्त था यार। अमन से किसी भी लिहाज से कम नहीं था।

अब ना तो मेरे से कण्ट्रोल हो रहा था और ना ही उन दोनों से.. पर प्रॉब्लम ये थी कि जाएं कहाँ। फिर हमने खंडवा रोड जाने का निश्चय किया।

मैंने अमन से कहा- हम दोनों पीछे बैठते हैं।
‘अरे नहीं इस कमीने का पूरा ध्यान हमारी तरफ रहेगा और एक्सीडेंट कर देगा, अपन आगे ही बैठते हैं।’

मैं दोनों के बीच में बैठा था। राहुल ड्राइव कर रहा था। कोई 20 मिनट में हमने बायपास क्रॉस कर दिया था। जैसे ही थोड़ा सुनसान रोड हुआ.. अमन और राहुल मेरे लंड को दबाने और मेरे होंठों को चूसने लगे थे।

थोड़ा और आगे गए तो हम खंडवा रोड छोड़ कर एक गाँव की तरफ जाने वाली रोड पर आ गए और वहाँ से एक रोड अन्दर जा रहा था.. गाड़ी उधर मोड़ ली। थोड़ा सा आगे को बढ़े कि काफी पेड़ आ गए। वहीं अच्छी सी जगह देख कर राहुल ने गाड़ी रोक दी और सारी लाइट बंद कर दीं।

एकदम सुनसान और अँधेरी जगह थी दूर खंडवा रोड दिख रहा था, पर वो बहुत दूर था। बस अब तो कण्ट्रोल करना किसी के बस में नहीं था। दोनों मेरे पास सरके और मुझे चूमने लगे, मेरे जिस्म को सहलाने लगे। मैं भी दोनों की पीठ को सहलाता तो कभी उनकी जांघों को। कभी अमन के होंठों को चूसता तो कभी राहुल के। दोनों मेरे जिस्म से खेल रहे थे तभी राहुल ने मेरी टी-शर्ट निकाल दी और दोनों मेरे नंगे जिस्म को सहलाने लगे। मेरे एकदम चिकने बदन पर उनके हाथ करंट का काम कर रहे थे। तभी अमन ने मेरे निप्पल को चूसना शुरू किया, ये देख कर राहुल भी मेरे निप्पल को चूसने लगा।

ओह उनकी निप्पल चुसाई मुझे दीवाना कर रही थी।

मैंने अमन का कुर्ता निकाल दिया और उसके जिस्म को मेरे जिस्म से चिपका लिया। राहुल मेरी पीठ को सहलाता और मेरी पीठ चूमता। मैं राहुल की तरफ मुड़ा और उसे मेरी बांहों में लेकर उसके होंठ चूसने लगा। फिर मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल कर उसकी शर्ट को निकाल दिया। अमन में मुझे पीछे से बांहों में लिया हुआ था। मैं दोनों के नंगे जिस्म के बीच में था.. दोनों के गर्म नंगे जिस्म से चिपका मेरा गर्म नंगा जिस्म.. उफ़ क्या मस्त कर देने वाला अहसास था।

हम तीनों अभी सीट पर ही बैठे-बैठे कर रहे थे। मैं उनके बीच से निकला और पीछे की सीट पर आकर मेरी जीन्स निकाल दी और सीट पर लेट कर उनकी तरफ देखने लगा।

वो दोनों भी मेरा मुँह देख रहे थे कि ये क्या कर रहा है। तभी राहुल तुरंत अपनी पेंट.. ब्रीफ निकाल कर पूरा नंगा हो गया और पीछे आकर मेरी ब्रीफ निकाल कर मुझे भी पूरा नंगा कर दिया और मेरे नंगे जिस्म पर लेट गया।

आह.. दो नंगे जिस्मों का चिपकना क्या मज़ा देता है.. ये वही जान सकता है, जो इसे महसूस कर चुका हो।

राहुल मेरे जिस्म पर लेटा हुआ मुझे बांहों में कसता और मेरे होंठों को चूसता, मेरी गर्दन पर लव बाइट देता और मेरे निप्पल चूसता।

इसी बीच अमन भी पूरा नंगा होकर पीछे आ गया और राहुल के ऊपर वो लेट गया और राहुल की गर्दन और उसके गाल पर किस करने लगा। मैंने अमन को अपनी तरफ खींचा और मेरे और राहुल के होंठ चुसाई में उसे भी शामिल कर लिया।

अब हम तीनों एक-दूसरे के होंठों को चूमते जीभ भिड़ाते हुए चूस रहे थे। अमन राहुल के ऊपर से उठा और मुझे उठा कर बैठा दिया। राहुल मेरी बांहों में था.. वो मेरे जिस्म से चिपका हुआ मेरे होंठों को चूसता रहा था। मेरा एक पैर सीट पर था और एक नीचे लटका था राहुल का पाँव भी मेरे दोनों पाँव पर से एक नीचे लटका था और एक सीट पर और लंड से होंठ तक मुझसे चिपका हुआ था। अमन मेरे पीछे बैठ गया, उसने भी उसका एक पैर नीचे लटकाया और एक पैर राहुल के पैर के नीचे से मेरे जैसे सीट पर लम्बा कर लिया और मुझे पीछे से बांहों में कस लिया।

मैंने अपना पूरा बदन अमन पर डाल दिया और अमन मेरे होंठों और मेरे गालों को चूसने लगा। राहुल मेरे निप्पल को चूसने लगा। फिर मेरे जिस्म को सहलाता हुआ मेरे पेट को और जांघों को चूमता हुआ मेरे लंड को चूमने लगा।

ओह गॉड.. तभी उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.. ओओह्ह्ह्ह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जीवन के इस असली आनन्द को पाकर मैं निहाल हो गया। मैंने मेरा पूरा जिस्म उन दोनों के हवाले कर दिया।

अँधेरे, वीरान इलाके में कार की पिछली सीट पर हम तीनों पूरे नंगे थे। मैं अमन के नंगे जिस्म की बांहों में था। अमन मेरे जिस्म से खेलता और मेरे होंठों और मेरी जीभ को चूसता जा रहा था और राहुल मेरे लंड को चूसता हुआ उससे खेल रहा था।

अमन का ध्यान जब मेरे तने हुए और मोटे लंड पर गया तो उससे रहा नहीं गया। वो पीछे से हटा और मेरा पैर के पास आकर राहुल के साथ मेरा लंड चूसने लगा। दोनों मेरे लंड पर टूट पड़े.. मैंने मेरा एक पाँव आगे वाली सीट की बैक के ऊपर रखा और दूसरा पीछे वाली सीट के बैक पर टिका दिया। मेरे दोनों पैर खुल चुके थे और ऊपर थे और वे दोनों मेरे पाँव के बीच थे। वे कभी मेरी गोटियों को चाटते, चूसते तो कभी मेरे लंड को पूरा अन्दर तक ले कर चूसते, तो कभी मेरे लंड को दोनों उनकी जीभ से चाटते और दांतों से मेरे लंड को दबाते। कभी मेरी गांड के छेद को चाटते तो कभी उसमे जीभ से हलचल मचाते और कभी मेरी जांघों को चाटते और काटते।

कुल मिलाकर दोनों ने मेरी जान निकाल दी थी। पर जो मज़ा दिया वो दुनिया की किसी दौलत से नहीं ख़रीदा जा सकता था। मेरी आहें निकल रही थीं और वो दोनों मेरे लंड और गोटियों की चुसाई कर रहे थे। उन लोगों को मेरा लंड चूसते हुए आधा घंटा हो चुका था। मेरा लंड एकदम लाल हो चुका था। मैं उठा, सीट पर सीधे बैठा कर पाँव नीचे कर लिए। लेकिन उन दोनों ने मेरे दोनों पाँवों को फैला दिया और मेरी जीन्स से कंडोम निकाल कर मेरे लंड पर चढ़ा दिया और अमन को गांड की तरफ से मेरे लंड पर बैठा दिया। लंड घुसा तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसे पीछे से मेरी बांहों में भर लिया। अमन मेरी तरफ पीठ करके बैठा था।

अब मैंने धीरे-धीरे अपनी गांड को उठा-उठा कर अमन को चोदना शुरू किया। उसे मजा आने लगा.. तो राहुल को मैंने मेरे पास खींचा और एक हाथ से उसे और दूसरे हाथ से अमन को मेरे जिस्म से चिपका कर उनके जिस्म को सहलाने लगा, साथ ही मैं अपनी गांड को उचका-उचका कर अमन को चोदता जाता।

मैंने राहुल के होंठों को चूस रहा था। फिर मैंने राहुल का मुँह अमन के लंड की तरफ किया तो वो अमन का लंड चूसने लगा। कोई 5-7 मिनट बाद अमन को उठाकर राहुल को लंड पर बैठाया और उसे चोदने लगा। राहुल की टाइट गांड में मेरा लंड खलबली मचा रहा था और राहुल के होश उड़ा रहा था। मैं दोनों को 5-7 मिनट तक बारी-बारी से चोदता रहा। तभी 4-5 मिनट के अन्तराल से दोनों झड़ गए।

फिर मैं सीट से उठा और अमन को सीट पर बठा कर उसके पाँव ऊपर किए और उसके आगे उसके ऊपर झुक कर खड़ा हो गया और उसकी गांड में लंड डालकर चोदने लगा। खड़े होकर धक्के लगाने में बहुत मस्त लग रहे थे। मैं पूरा लंड उसकी गांड में डालने के लिए जोर लगाता। मेरी इस चुदाई से अमन को मज़ा आ गया था।

अब राहुल की बारी थी। उसकी गांड में लंड डाल कर जब जोर-जोर से झटके मारता तो वो तेजी से आह भरता। वो एकदम से मदहोश हो चुका था। वो मेरे सिर को पकड़ कर अपने पास खींचता और मेरे होंठों को चूसता। मैं मेरी जीभ बाहर निकाल देता और अमन को भी पास में खींच कर मेरी जीभ दोनों से चुसवा कर मजा ले रहा था।

कार में खड़े होकर झुकना और फिर चोदना बड़ा दिक्कत वाला था इसलिए दोनों को इस तरह एक-एक बार ही चोद पाया।

हम लोग पूरी तरह से हवस के आगोश में समां चुके थे। मुझे दोनों को आराम से चोदना था। मैं कार के बाहर आ गया और अमन को भी बाहर खींच लिया और उसे कार के सहारे झुका कर खड़ा करके अमन को चोदना शुरू कर दिया। राहुल भी बाहर आ गया और मुझे पीछे से बांहों में लेकर मेरे जिस्म को सहलाने लगा। मेरे स्ट्रोक बहुत तेज होते जा रहे थे। फिर मैंने राहुल को कार के सहारे झुकाया और उसे चोदने लगा। मेरी स्पीड तेज और तेज होते जा रही थी। मेरा लंड पूरी तरह तनतना रहा था। मेरे लंड का टॉप तो फड़फड़ा उठा था।

इसी बीच मैंने अमन को भी राहुल के साथ झुका कर खड़ा कर दिया। अब मैं उन दोनों को 4-4 धक्के मार के चोदने लगा। पहले 4 धक्के अमन की गांड में.. फिर 4 राहुल की में मार के चोदता।

अब मेरा टाइम भी होने वाला था। मैंने राहुल को तेजी से चोदना शुरू किया.. मेरी स्पीड बहुत तेज हो चुकी थी। राहुल से अब सहन नहीं हो रहा था.. वो बस-बस करने लगा। अमन मेरे पीछे से मेरी गांड चाट रहा था। मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी.. राहुल बार-बार बोलता जा रहा था।

‘बस यार.. अब बस कर।’

राहुल को जोश दिलाने के लिए मैंने उसका लंड पकड़ कर तेजी से हिला दिया। दो मिनट में राहुल ने फिर से पिचकारी छोड़ दी और वो ठंडा पड़ गया। मैंने जल्दी से अमन को कार के सहारे झुका कर खड़ा किया और उसे तेजी से चोदने लगा। मैं पूरे जोश में आ चुका था और तेजी से अमन की गांड के अन्दर तक मेरा लंड डाल रहा था। मेरी स्पीड बहुत तेज थी। तेज झटकों के कारण ‘छप छप’ की आवाज़ आने लगी थी। जोर से झटकों के कारण अमन की हालत भी खराब होने लगी। उसे मस्त करने के लिए मैं उसका लंड सहलाने लगा। उसका लंड एकदम कड़क हो गया और उसने भी फिर से पिचकारी छोड़ दी। मेरा टाइम भी हो गया था। मैंने तेजी से मेरा कंडोम निकाला और अमन के मुँह में मेरा लंड डालकर उसे चोदने लगा। राहुल को भी नीचे बैठा कर उसके मुँह में भी मेरा लंड डाल कर चुसवाता और तभी एक जोर का झटका लेकर मैंने राहुल के मुँह में मेरा माल छोड़ दिया और जल्दी से मेरा लंड राहुल के मुँह से निकाल कर अमन के मुँह में डाला और बाकी के झटके उसके मुँह में मार कर सारा माल निकाल दिया।

उन दोनों ने मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ़ कर दिया।

अब हम लोग कार में आ गए.. पहले राहुल गया, जिसे मैंने सीट पर लेटा दिया। मैं उसकी छाती से मेरी पीठ चिपका कर उसके ऊपर उल्टा लेट गया.. और मेरे मुँह को उसके मुँह से चिपका कर चूमने लगा।

फिर मैंने मेरे दोनों पैर उठा कर फैला लिए और अमन मेरी गांड को चाटता हुआ मेरे लंड से होते हुए पेट और निप्पल पर आ गया। अब वो मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरी बांहों में आकर मेरे नंगे जिस्म से चिपक कर मेरे ऊपर लेट गया।

करीब 10-15 मिनट हम दोनों एक-दूसरे के नंगे जिस्म से खेलते रहे।

कुछ 15 मिनट में मेरा लंड फिर तन गया, पर उन दोनों की हिम्मत नहीं थी कि वो फिर से चुदवाएं। इसलिए दोनों से कुछ मिनट तक मैंने लंड चुसवाया।

फिर मैंने अमन को चुदाई के लिए मना ही लिया और उसे मैंने मेरे लंड पर बैठा ही लिया.. पर अमन ने 15 मिनट से ज्यादा नहीं चुदवाया। फिर दोनों ने मेरा लंड चूस-चूस कर ठंडा कर दिया और अमन ने मेरा पूरा माल मुँह में ले कर बाहर थूक दिया।

अब तक रात के 12:15 बज चुके थे.. हम दोनों एक-दूसरे के नंगे जिस्मों पर निढाल पड़े थे। जैसे ही टाइम देखा, तो जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और वहाँ से निकल पड़े। वे दोनों पूरे रास्ते मेरे लंड को दबाते रहे.. अमन ने तो ज़िप खोल कर मेरे लंड को फिर से मुँह में ले लिया था।

नेहरू पार्क की पार्किंग पहुँच कर तो राहुल भी मेरे लंड को चूसने लगा। दोनों ने आधे घंटे मेरा लंड वहीं बैठे-बैठे चूसा। रात के 1:45 हो रहे थे। एकदम सुनसान था। आखिर मैंने हाथ से हिलाकर इस बार सारा माल राहुल के मुँह में निकाल दिया। फिर दोनों से मैंने विदा ली और मेरी बाइक उठा कर अपने घर की ओर चल दिया।

मैं मेरी गांड की चुदाई की गे सेक्स स्टोरी पर आप सभी के कमेंट्स के इन्तजार में हूँ।

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गांडू की हवस में लौड़े लग गए | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/gandu-ki-havas-me-laude-lag-gaye.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/gandu-ki-havas-me-laude-lag-gaye.html#respond Fri, 04 Aug 2017 21:45:51 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9634 गांडू की हवस में लौड़े लग गए, लंड उसकी गांड में घुसने का रास्ता ढूंढ रहा था.. लेकिन ये सब करते हुए मैं अपनी गर्लफ्रेंड की चूत के बारे में ही सोच रहा था फिर मैं घुटनों पर खड़ा हो गया और उसके मुंह को लंड के पास लाकर उसके होठों में लंड को अंदर घुसा दिया दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है

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सभी पाठकों को योगेन्द्र दुबे की तरफ से नमस्कार..
जो मैं कहानी आपको बताने जा रहा हूँ यह कहानी मेरे दिल के बहुत करीब है.. एक पाठक के द्वारा बताई गई यह कहानी एक सच्ची कहानी है और इतनी प्यारी है जिसको मैं ज्यादा दिन अपने सीने में दबाकर नहीं रख सका और इसे लिखते हुए आपके लोगों के रूबरू रख रहा हूँ।

कहानी यु.पी के गाजीपुर में जन्म लेती है जबकि इसकी जड़ें यु.पी के ही वाराणसी से जुड़ी हुई हैं।
वो कैसे.. यह आपको कहानी पढ़कर पता लग जाएगा।
इस कहानी में दो किरदार हैं.. एक वो है समाज में जिसका मज़ाक उड़ाया जाता है.. जिसके यार-दोस्त उस पर हंसते हैं.. क्योंकि वो आम लड़कों जैसा नहीं है.. वो कुछ कुछ लड़कियों के हाव-भाव लिए हुए है.. उसके बात करने का अंदाज भी जनाना है… उसे लड़कियों में रूचि नहीं है।
जबकि इसमें उस लड़के की कोई गलती नहीं है, भगवान ने उसे बनाया ही ऐसा है… आम लड़कों के बीच में उसे घुटन सी महसूस होती है.. क्योंकि वो उनकी बातों की झूठी हामी भरता है.. जब वो लड़कियों की चूत और चूचों के बारे में बात करते हैं तो वो भी उसमें दिखावटी रुचि के साथ भाग लेता है, यह दिखाने की कोशिश करता है कि मैं भी लड़कियों में रुचि रखता हूँ, मैं भी इसी पुरूष समाज का हिस्सा हूँ.. ताकि दूसरे लड़के उसे अपने से अलग न समझें.. उसे दुत्कारें नहीं..

लेकिन उसकी आवाज़.. उसकी बातें.. उसकी चाल ढाल.. उसकी इन कोशिशों को बार-बार नाकाम कर देती हैं.. और वो लोगों की नज़र में मज़ाक बनकर रह जाता है और दिन-रात अंदर ही अंदर घुटता रहता है..
इस किरदार का नाम है चेतन..

जो वाराणसी से अपनी पढ़ाई करने गाजीपुर आया है.. गाजीपुर में आकर वो एक कमरा किराए पर लेता है।
कहानी का दूसरा किरदार इस कमरे में पहले से ही रह रहा है.. यह किरदार बिल्कुल आम लड़कों की तरह है.. अभी-अभी जवान हुआ है.. खुद पर नए नए लुक्स ट्राय करना.. हेयर स्टाइल बदलना.. खुद को बार बार में शीशे के सामने जाकर देखना.. नए ऩए हेयर कट करवाना.. कपड़ों के फैशन का ध्यान रखना.. जवानी का जोश और वासना का नशा.. दोनों का सुरूर इस पर हर वक्त छाया रहता है।
हालांकि वो भी यहाँ पर पढ़ने के लिए आया है लेकिन हमेशा लड़कियों के बारे में सोचना, उनको ताड़ना, उन पर लाइन मारना.. उनको पटाने के तरीके ढूंढना.. चैटिंग करना और उनसे बातें करते हुए मुट्ठ मारना इसकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा है।
इस किरदार का नाम है राघव..

इस पाठक ने मुझे ईमेल किया और अपनी कहानी बताई.. अब आगे की कहानी आप राघव की जुबानी सुनेंगे!
उस दिन मेरा मकान मालिक एक लड़के के साथ मेरे कमरे में आया.. शायद वो किराए पर देने के लिए उसे कमरा दिखाने लाया था। लड़के ने कमरा देखा और रहने के लिए राज़ी हो गया, मुझे भी इसमें कोई आपत्ति नहीं थी.. और होती तो भी क्या कर लेता.. कमरा तो मकान मालिक का है वो जिसे चाहे रख सकता है.. तो कमरा फाइनल हो गया और लड़का एडवांस देकर चला गया।

अगले दिन वो सुबह 10 बजे अपना सामान लेकर आ पहुंचा।
लड़का देखने में गोरा.. पतला सा नाटे से कद का था.. उसकी हाइट लगभग 5 फिट 2 इंच की होगी.. लेकिन चिकना लगता था देखने में..
उसने अपने सामान को कमरे में रखना शुरू किया और उसको सेट करके नहाने चला गया।
पहले दिन हमारे बीच कुछ खास बातचीत नहीं हुई.. फिर धीरे-धीरे बातों का सिलसिला बढ़ने लगा।
मैं बीएससी कर रहा हूँ और वो भी इसी की पढ़ाई करने के लिए यहाँ आया था।

हफ्ता भर गुजरने के बाद मुझे उसकी आदतें.. उसका बातें करने का अंदाज़ समझ में आने लगा.. वो लड़कियों की तरह से रहता था.. वैसी ही बातें करता था.. इसलिए मैं उसे मज़ाक में गांडू कह देता था.. और पता नहीं क्यों वो भी इस बात का बुरा नहीं मानता था।
फिर धीरे-धीरे तो मैं उसे गांडू कहकर ही बुलाने लगा।
महीना भर बीत गया और हम एक-दूसरे के साथ घुल मिलने लगे.. कभी कभी किसी बात को लेकर लड़ाई भी हो जाती थी लेकिन हम दोनों रूम पार्टनर की तरह अच्छे से रह रहे थे।

एक रात की बात है, चेतन बाथरूम में नहाने गया हुआ था.. कमरे की लाइट बंद थी मैं अपने फोन में नंगी फिल्में देख रहा था.. मोटे लंड से चुदते हुए लड़कियों की उछलती हुई चूचियां देखकर और उनकी कामुक सिसकारियां सुनते सुनते मेरा 6.5 इंच का लंड मेरे अंडरवियर में तड़प रहा था।
मैं अंडरवियर के ऊपर से लंड को सहला रहा था.. और मुट्ठ मारने के लिए मचल रहा था लेकिन चेतन के सामने मैंने कभी ऐसा नहीं किया था.. मैंने सोचा कि जब तक वो अंदर बाथरूम में है, मैं अपना लंड हाथ में लेकर रगड़ लेता हूँ ताकि इसकी गर्मी कुछ तो शांत हो!
झटके मारने के कारण मेरे लंड से निकल रहे रस ने अंडरवियर को लंड की टोपी के आस-पास से गीला कर दिया था और मेरे हाथों में भी चिपचिपा पदार्थ लग गया था।

मैंने गांड उठाकर अंडरवियर नीचे की तरफ खींचा और लंड को बाहर खुले में ले आया.. एक हाथ में फोन और एक हाथ में लंड लेकर मैं मुट्ठ मारने लगा।
दो मिनट बाद ही अचानक चेतन ने बाहर निकलकर लाइट जला दी और मुझे चिपचिपे हाथों पकड़ लिया..
मेरा लंड मेरे हाथ में था और वो मेरी मुट्ठी में भरे खड़े लंड को देख रहा था।
मैंने भी उसको आंख मार दी.. और फिर से नंगी फिल्म देखता हुआ लंड की टोपी को ऊपर नीचे करते हुए मुट्ठ मारने लगा।
वो कुछ नहीं बोला और अपना तौलिया सुखाने चला गया।
वापस आकर वो लाइट बंद करके अपने बिस्तर पर आकर लेट गया।
हम ज़मीन पर ही सोते थे और बिस्तर भी साथ में ही लगे हुए थे.. वो दूसरी तरफ करवट लेकर सोने लगा और मैं 5 मिनट बाद अंडरवियर में ही वीर्य की पिचकारी मारकर चैन से लेट गया।

रात के 9.30 बज चुके थे और बाहर से गली की लाइट की हल्की हल्की रोशनी कमरे में आ रही थी… लंड को शांत करने के बाद मुझे नींद आ गई।
रात को 12 बजे के करीब मेरी आंख खुली, मुझे प्यास लगी थी.. मैं उठा तो वीर्य से सने अंडवियर में से वीर्य की तेज गंध आ रही थी.. और लंड तना हुआ था.. लेकिन मैं पानी पीकर वापस लेट गया।
मैं लेटा हुआ था लेकिन नींद नहीं आई थी अभी तक.. मैं अपनी गर्लफ्रेंड की चूचियों और चूत के बारे में ही सोच रहा था और लंड अकड़ा हुआ था।
मुट्ठ मारने के कारण लंड की नसों में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था.. इसलिए दोबारा मुट्ठ मारना ठीक नहीं समझा मैंने!
20 मिनट बाद मैंने महसूस किया कि मेरे अंडरवियर पर कुछ हल्का हल्का टच हो रहा है।

मैंने आंख खोलकर देखा तो चेतन मेरे अंडरवियर को सूंघ रहा था।
मैं उठा और बोला- ये क्या कर रहा है बे?
‘कुछ नहीं.. मैं तो बस ऐसे ही…’
‘तू सच में ही गांडू है क्या?’
‘चल कोई बात नहीं.. ये ले कर ले..’
कह कर मैंने उसकी गर्दन को नीचे झुकाते हुए उसके मुंह को अपने खड़े लंड में दे दिया..
वो उसको चूमने चाटने लगा.. और हाथों से लंड को अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़कर रगड़ने लगा।
मैं तो पहले से ही गर्म था तो मैंने अंडरवियर को निकाल कर लंड उसके हाथ में दे दिया।
उसके कोमल लड़कियों जैसे हाथ में जब लंड गया तो मुझे अजीब सा आनन्द महसूस हुआ.. मैं उसकी गर्दन को अपने पास लाते हुए उसके पतले-पतले होठों को चूसने लगा।
लंड को और मज़ा लगा, एक तरफ उसके नर्म हाथों में मेरा लंड था और दूसरी तरफ उसके होठों को चूसने का मज़ा.. मन कर रहा था अभी चोद दूं उसको!

मैंने उसके कपड़े निकाल कर उसको पीठ के बल लेटा दिया और उसकी टांगें फैलाकर.. जांघों के बीच में उसके आंडों के नीचे लंड लगाकर उसके ऊपर लेट गया और होठों को चूसने लगा, उसके मुंह में अपनी जीभ दे दी।
लंड उसकी गांड में घुसने का रास्ता ढूंढ रहा था.. लेकिन ये सब करते हुए मैं अपनी गर्लफ्रेंड की चूत के बारे में ही सोच रहा था।
फिर मैं घुटनों पर खड़ा हो गया और उसके मुंह को लंड के पास लाकर उसके होठों में लंड को अंदर घुसा दिया। दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
उसके नर्म कोमल मुंह में जब लंड गया तो आनन्द के मारे मेरी आह निकल गई ‘आह.. आह.. चूस यार… पूरा ले जा मुंह में.. आह.. चूस मेरे लंड को.. कहता हुआ मैं उसके मुंह को चोदने लगा।

फिर मैंने उसको दोबारा पीठ के बल लेटा दिया और उसकी टांग दोनों हाथों से दोनों तरफ फैलाकर लंड को गांड के छेद पर लगा दिया.. और लंड को अंदर पेल दिया।
गांड के अंदर जाते ही लंड की टोपी खुल गई और मैं सातवें आसमान पर चला गया।
इस मजे को दोगुना करने के लिए मैंने पूरा जोर लगाकर लंड को उसकी गांड की गहराई में उतार दिया।
वो निकल कर भागने लगा, खींचा तानी में लंड बाहर आ गया लेकिन मैंने उसके हाथों को बिस्तर पर दबोच लिया और दोबारा उसकी गांड में लौड़ा दे दिया।

अब मैं उसको जोश में आकर चोदने लगा.. उसके हाथों को दबाए हुए उसकी गांड की चुदाई करने लगा।
कुछ देर बाद उसको घुटनों के बल झुकाया और उसके गरदाए हुए नरम गद्देदार चूतड़ों के बीच में लंड को देकर अंदर धकेल दिया।
‘आह… मज़ा आ गया..’ गांड इतना मज़ा दे देती है मुझे पहली बार पता चला।
अब तो मेरी स्पीड बढ़ती ही चली गई.. वो भी सिसकारियां लेता हुआ लंड को अंदर बाहर पिलवा रहा था।
मैंने उसके कंधों को कसकर पकड़ लिया और जोर जोर से धचके मारने लगा.. कुछ देर बाद उसकी गांड में मेरा वीर्य निकल गया और मैं उसके ऊपर ही गिर गया।

पहली बार लंड को गांड का मज़ा मिला था इसलिए उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा, उसके जनाना बदन को खूब चूसा।
इसके बाद क्या हुआ.. ये आपको अगले भाग में पढ़ने को मिलेगा..
दूसरे भाग के साथ जल्द ही लौटूंगा..
हवस में अपने रूम पार्टनर को चोद डाला-2

दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा कि पहली रात राघव ने चेतन की गांड को तीन बार पेला..
अब आगे की कहानी राघव की ही ज़ुबानी..
अब तो मैं रोज़ ही रात को उसे चोदने लगा, जैसे उसकी गांड मेरे लिए ही बनी हो!
उसका लंड खड़ा होने पर भी 4 इंच का हो पाता था लेकिन उसका कोमल लड़कियों जैसा जिस्म और मखमली गांड.. मेरे तो वारे न्यारे हो गए थे।
उसके चूतड़ चौड़े और गोल-गोल थे और लड़कियों जैसे पतले-पतले हाथ थे.. वो मेरी गर्लफ्रेंड की कमी को कभी महसूस नहीं होने देता था।
फिर हम दोनों में कुछ भी छुपा न रहता था, हम सब कुछ शेयर करने लगे।

कहानी जारी है ….. आगे की कहानी पढने के लिए निचे लिखे पेज नंबर पर क्लिक करे …..

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और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-3.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-3.html#respond Sat, 22 Jul 2017 02:50:54 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9493 यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है: और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 मित्रो अभी तक आपने लेस्बियन बीवी यानी मेरी स्वीटहार्ट की कहानी पढ़ रहे है अब आगे की कहानी पढ़े फिर स्वेता अर्चना और निया के गले लग बहुत रोई. उसकी जिन्दगी हम तीनो के चलते ही संवरी थी. मैं अर्चना और […]

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यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:

और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2

मित्रो अभी तक आपने लेस्बियन बीवी यानी मेरी स्वीटहार्ट की कहानी पढ़ रहे है अब आगे की कहानी पढ़े फिर स्वेता अर्चना और निया के गले लग बहुत रोई. उसकी जिन्दगी हम तीनो के चलते ही संवरी थी. मैं अर्चना और निया के साथ पूरे रस्ते यही दुआ करते रहे कि वहां हमारा मान लग जाए क्यूंकि अतुल एक बहुत ही छोटा क़स्बा था और केवल केमिकल की फेक्टारीयाँ थी.

हम अतुल रहने आ गए. हमारा नया घर इंडस्टरीअल क्षेत्र से लगभग दो किलोमीटर दूर बनी एक कोलोनी में था. छोटे छोटे बंगले बने थे. बहुत सुन्दर घर थे. हर घर के आगे और पीछे बगीचा बना था. करीब पचास के आसपास घर थे. इन पचास घरों में से करीब तीस ही भरे थे. बाकी खाली थे. हमारे पड़ोस वाले बंगले में एक बंगाली परिवार था. मियाँ बीवी थे. सुमोदिप और सुमोना बनर्जी. सुमोदिप बहुत ही शक्की स्वभाव का था. सुमोना बहुत ही चुलबुली और मिलनसार. सुमोदिप कला और अजीब दिखता था वहीँ सुमोना किसी हिरोइन से काम नहीं लगती थी. हमारे स्समने वाले घर में रहने वाली एक महिला ने अर्चना को बताया की सुमोदिप बहुत पैसे वाला है इसलिए सुमोना की शादी उसके साथ कर दी. सुमोना ने भी पैसा देखा था. लेकिन अब उसके शक्की स्वभाव के कारण बहुत परेशान रहती थी और दोनों में अक्सर झगडा होता रहता था. सुमोदिप एक बड़ी कम्पनी में डायरेक्टर था. वो चौबीस घंटे में से लगभग सोलह सत्रह घंटे फैक्ट्री में ही रहता था. कभी कभी आधी रात के बाद आता और सवेरे जल्दी चला जाता.
बहुत जल्दी अर्चना और सुमोना की दोस्ती हो गई. निया ने भी सुमोना से दोस्ती गाँठ ली थी.

अर्चना ने सुमोना को निया के बारे में बताते हुए कहा कि वो उसकी बचपन कि दोस्त है और एक मनोवैज्ञानिक है. हर समस्या वो सुलझाती है. बहुत जल्दी अर्चना; निया और सुमोना की आपस में गहरी दोस्ती हो गई. अर्चना के सुझाव पर मैंने एक घर के काम-काज के लिए नौकर रखने की इजाजत दे दी. हम तीनों ज्यादा से ज्यादा वक्त साथ में गुजारना चाहते थे. इसलिए ये फैसला लिया गया. पता चला की उस पूरी कोलोनी में केवल दो कामवालीयां आती है. अर्चना ने दोनों से बात की लेकिन बहुत काम लिया होने की वजह से कोई तैयार नहीं हुई.

निया ने इधर उधर घूमकर एक कोई और कामवाली का पता लगा लिया. उसे रख लिया. उसे देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो कामवाली है. निया ने बताया कि उस औरत की लेडिज ड्रेस की दूकान है. वो यह दूकान शाम के बाद खोलती है. निया ने उसे ना जाने कैसे पटाया कि वो घर का काम करने के लिए तैयार हो गई. उस औरत का नाम सुषमा था. वो एक मछुआरन थी. उसकी उम्र चालीस के पार थी लेकिन मछुआरन होने के कारण उसका शरीर जबरदस्त गठा हुआ था. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | निया भी इतनी गठीली होने के बावजूद सुषमा के सामने कमजोर लगती थी. वो मछुआरन तरीकेवाली साड़ी पहनकर आती थी. लौंग वाली. यानी कि धोती कि तरह टांगों में कासी हुई.

पहली बार मैंने जब उसे देखा तो उसके घुटने के नीचे का हिस्सा यानि की उसकी पिंडलीयां ऐसे लगी कि उसे तुरंत अपने दांतों से काट खाऊं. उसका ब्लाउज का गला बहुत नीचे तक कटा हुआ था. उसके दोनों उरोज या स्तन निया से भी डेढ़ गुना बड़े थे. उन दोनों के बीच कि रेखा मुझे भीतर तक रोमांचित कर गई. सुषमा दोनों वक्त काम करने आती.

रविवार के दिन के लिए उसने कहा कि वो शाम को नहीं आएगी क्यूंकि उस दिन दुमान जल्दी खोलनी पड़ती है. शाम को चाय के बाद हम तीनों मूड में आ गए. हम तीनों बिस्तर में थे. हमारे बेडरूम कि एक खिड़की सड़क पर खुलती थी. जब हम तीनों आपस में मस्त थे तो उस खिड़की पर लगा पर्दा कभी कभी हवा में उड़ जाता हमें उसका पता ही नहीं था.

सुषमा को शायद कुछ समय मिल गया था इसलिए वो काम के लिए करीब छह बजे आ गई. उसने दरवाजा खटखटाया लेकिन हम ऐसे खोये थे कि आवाज सुनाई ही नहीं दी. उसने तीन चार बार दरवाजा खटखटाया. लेकिन हम आपस में ही मस्त थे. सुषमा को ध्यान में आते ही वो बेडरूम वाली खिड़की की तरफ आ गई. परदा हवा से हिल गया. उसने हम तीनों को हमबिस्तर देख लिया. वो हमें टकटकी लगाकर काफी देर तक देखती रही और मजा लेती रही. फिर शायद उसकी दूकान खुलने का वक्त हो गया तो वो चली गई.

अगले दिन उसने निया को सारी बात बता दी. निया ने उसे डांट दिया. सुषमा ने निया से कह दिया कि वो यह बात कोलोनी में सबको बता देगी. अर्चना ने बीच बचाव किया. अर्चना ने सुषमा को अगले दिन अपने कमरे में बुलाया. अर्चना ने सुषमा को बहुत समझाया. सुषमा ने अर्चना से कहा ” आप तीनों जो भी कुछ करते हो मुझे उससे कोई लेना देना नहीं है. मुझे को आपत्ति भी नहीं है. मैं इस दुनिया में अकेली ही हूँ. मेरी शादी नहीं हुई है. अपने काम में इतना व्यस्त रहती हूँ कि औरत के शरीर कुआ भूख होती है मुझे कभी याद ही नहीं आया. सारा दिन घर घर जाकर कपडे बेचना. शाम को दूकान पर बैठना. बस यही जीवन लगता था.

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मुझे कई मर्द गलत निगाहों से देखते भी थे लेकिन मैंने किसी को भी घास नहीं डाली. हाँ, मैंने इतना जरुर किया कि मैंने अपने कपडे पहनने का ढंग ऐसा कर लिया कि मर्द अधिक से अधिक देखें और केवल ललचाते रहें. लेकिन कल जब आप तीनों को आपस में बिस्तर में देखा तो मेरे लिए यह पहला मौका था जब मैंने किसी औरत और मर्द को ऐसी स्थति में देखा था. आप तीनों को एक साथ बिस्तर में देखकर अचानक मुझे अपने शरीर कि भूख याद आ गई. मैं सारी रात जागती रही और बिस्तर पर इधर उधर लेटती रही. तड़पती रही. बस एक काम कर दो आप. आप तीनों मुझे भी अपने साथ मिला लो. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी. ये मेरी धमकी नहीं है.मेरी आपसे प्रार्थना है. मुझे भी वो सुख दे दो जो एक औरत को मिलने से उसका जीवन सुखी हो जाता है,.” अर्चना सुषमा कि बातें सुन भावुक हो गई. निया ने भी उसकी बात सुनी थी. दोनों ने आपस में देखा और सुषमा को हाँ कह दिया.

अगले दिन सुषमा ने जब दोपहर का काम ख़त्म किया और जाने लगी तो निया ने उसे रोका और बेडरूम में ले गई. निया ने उसके सीने से साड़ी का पल्लू हटा दिया. सुषमा का भरा हुआ सीना उसके ज्यादा खुले हुए गोलाकार गले से झाँकने लगा. दोनों स्तनों के बीच कि रेखा निया को अन्दर तक भेद गई. निया ने उसके दोनों स्तनों को अपने होंठों से चूम लिया.

सुषमा का शरीर हिल गया. उसके शरीर को पहली बार इस तरह से छुआ गया था. सुषमा थोडा कसमसाने लगी. निया ने उसे पानी बाहों में लेते हुए कहा ” आज तुम मेरे और अर्चना के साथ आ जाओ. हम दोनों तुम्हें सब सिखा देंगे. कल तुम हम तीनों के साथ हो लेना.” सुषमा तैयार हो गई. निया ने अर्चना के साथ मिलकर सुषमा के साथ कई लेस्बियन क्रियाएं की. सुषमा को बहुत शान्ति और आराम पहुंचा. रात को अर्चना और निया ने मुझे सुषमा का पूरा किस्सा बयान कर दिया. मेरे लिए अब ये सब कुछ सामान्य तो था ही साथ ही साथ मेरी आदतों में शुमार होता जा रहा था. मैं अब अगले दिन एक नए शिकार के आने कि बेसब्री से राह देखने लगा. कल शनिवार था. शनिवार के दिन मैं थोडा जल्दी आ जाता और हम तीनों थोडा साथ साथ घूम आते. मैं करीब तीन बजे घर पहुँच गया. अर्चना ने मुझे बताया कि सुषमा आ चुकी है. इसलिए आज का बाहर जाने का कार्यक्रम रद्द . मैं भी हाँ कर गया.

मैंने जब बेडरूम में झाँका तो निया सुषमा के साथ बैठी थी. मैं भी वहीँ आ गया. सुषमा बहुत खुश नजर आ रही थी. उसका सांवला लेकिन अछुता चेहरा बहुत चमक रहा था. हम सभी ने एक दूसरे के कपडे खोल दिए. केवल अंतर्वस्त्र ही रह गए थे. मैंने सुषमा का सीना देखा. मैं अंदाज लगाने लगा कि डी साइज़ की ब्रा है या फिर ई साइज़ की. सुषमा के स्तन सच में बहुत ही ज्यादा बड़े थे. वे उसकी ब्रा में फिट नहीं हो रहे थे. मैं देखता ही रह गया. मैं उसके पास चला गया. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-3 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | अपने हाथों से जब उसके स्तनों को छुआ तो ऐसा लगा जैसे मैं कई इंच मोटे स्पंज के गद्दे पर अपना हाथ रखा हूँ. मैंने उसे अपनी तरफ लिया और अपने से लिपटा लिया. अब मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उसी गद्दे पर उलटा लेट गया हूँ. मैं उसके गालों को चूमने लगा. सुषमा ने भी मेरे गालों को चूमा. फिर मैंने एकदम से ही उसके होंठ जोरों से चूस लिए. उसके होंठ आज तक अछूते थे. मैंने करीब तीन मिनट तक उन होंठों से भरपूर रस खींचा. अब मैंने सुषमा की पैंटी उतार कर उसे बिस्तर पर लिटा दिया.

मैं भी अब अपने इन्दर वेअर उतारकर उसके ऊपर लेट गया. मैंने अपना लिंग उसे और उसके स्तनों को चूम चूमकर एकदम कड़ा कर लिया और उसके जननांग की तरफ बढ़ा दिया. थोड़े से संघर्ष के बाद मेरा लिंग उस गीले और रस से भरे हुए कुंवे में था. सुषमा मचल उठी. उसे बहुत ही सुख पहुंचा था. अर्चना और निया उसके करीब आ गई. वे दोनों रह रहकर उसके होंठ चूमती और उसे और अधिक उत्तेजित करती. जैसे जैसे वो उत्तेजित होती गई मैंने वैसे वैसे और अधिक जोर से अपने लिंग से उसके जननांग पर हमला जैसा बोल दिया. सुषमा गज़ब की मजबूत और हौसले वाली निकली. ये उसका पहला संभोग था लेकिन उसने मेरा पहली बार में ही लगातार एक घंटे तक डटकर मुकाबला किया. सुषमा के बाद मैंने अर्चना और निया के साथ भी हमेशा की तरह संभोग किया. सुषमा ने इसका भी पूरा मजा उठाया. हमने इसके बाद एक और दौर किया. इसमें मैंने तीनों को लिटाकर एक के बाद एक बारी बारी से अपने लिंग से भेदा.

कहानी जारी है …आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें..

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और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-2.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/lesbian-ladkiya/aur-mujhe-lesbian-wife-mil-gyi-2.html#respond Fri, 21 Jul 2017 03:00:46 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9492 यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है: और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-1 दोस्तों आप लेस्बियन बीवी की कहानी पढ़ रहे है है मै अपनी सच्ची कहानी को आगे बढ़ाते हुए चल रहा हूँ जब मैंने निया के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी निया ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन […]

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यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:

और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-1

दोस्तों आप लेस्बियन बीवी की कहानी पढ़ रहे है है मै अपनी सच्ची कहानी को आगे बढ़ाते हुए चल रहा हूँ जब मैंने निया के होंठों को अपने होंठों से चूमा. अनुभवी निया ने मेरा जबरदस्त और बहुत ही तगड़ा चुम्बन लिया. एक लंबा चुम्बन चला. अर्चना ने भी फिर मेरे साथ ऐसा ही लंबा चुम्बन किया. अब अर्चना ने मुझसे कहा ” अब तुम निया को कभी भी इससे छोटा इनाम नहीं दोगो.” इसके बाद हम अर्चना के कहने पर हम तीनों नग्नावस्था में ही आपस में लिपटकर सो गए. अगले दिन मैं बहुत ज्यादा खुश था और रात का फिर इंतज़ार कर रहा था. मेरे बदन में एक अलग तरह का रोमांच बार बार आ रहा था.

मैंने अर्चना और निया को सरप्राइज देने के हिसाब से उन्हें बिना बताये मैं बहुत जल्दी घर आ गया. उस समय केवल चार बजे थे. मैं चुपचाप घर में दाखिल हुआ. अपने कमरे में जाकर जल्दी नहाया और कपडे बदले. फिर मैं घर के पिछवाड़े आ गया. बादल हो रहे थे और बारिश होने की पूरी संभावना लग रही थी. थोड़ी थोड़ी बूंदा बंदी हो भी रही थी. मैं जैसे ही पिछवाड़े की बालकनी में आया.

मैंने देखा की बालकनी के आड़े के छोटे से खुले आँगन में ; जहाँ पर बहुत हरी हरी घास उगी हुई है , अर्चना और निया एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े हैं और छोटी छोटी पानी की बूंदों में भीगने की कोशिश कर रहे हैं.अचानक बारिश तेज हो गई. दोनों बालकनी में लौट आई. मैंने अपने कपडे खोले और केवल अंडर वेअर में बारिश में नहाने चला गया. अर्चना और निया ने मुझे भीगते हुए देखा तो उन्हों ने भी आपस में इशारा किया और केवल ट्यूब टॉप और पैंटी में मेरे साथ भीगने के लिए आ गई. हम तीनों आपस में लिप्त रहे थे |

एक दूसरे को चूम रहे थे. एक दूजे के बदन पर गिरने वाले पानी को भी हम चूम चूमकर पी रहे थे. धीरे धीरे नशा बढ़ता गया और हम तीनों आपस में लिपट कर नहाने लगे. अब बारिश और भी ज्यादा तेज हो गई थी और तेज हवा के कारण धुंआ धुंआ सा हो रहा था. अर्चना ने निया को नीचे लेटने को कहा. निया के नीचे लेटते ही अर्चना उस पर लेट गई. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | अब वे दोनों एक दूसरे को चूमने लगी थी. उन दोनों के जिस्म जब आपस में लिपटने से रगड़ खा रहे थे तो उन्हें देखकर मेरा सब्र जवाब दे रहा था. अर्चना निया के ऊपर लेटकर अपने जसम को उससे एकदम सटकर उसे दबाते हुए उसे जगह जगह पर चूम रही थी. हरी हरी घास ; उस पर तेज बरसता हुआ पानी तथा इस बरसते पानी में घास पर आपस में लिपटे हुए दो बहुत ही खूबसरत हसीनाओं के भरे बदन . इन सबे ने मुझे ऐसा मदहोश किया की मैं भी उनके साथ शामिल हो गया.

अर्चना और निया ने मेरे आते ही मुझे भी अपने साथ ले लिया. हम सभी एक दूजे को चूमने लगे. तेज पानी की बौछारें आग में घी का काम रही थी. बहुत ही काम समय में माहौल एक दम गरम हो गया. मैंने अब अर्चना और निया के सभी कपडे उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया. निया ने एक बार फिर अर्चना को उत्तेजित करना शुरू किया. आज अर्चना बहुत जल्दी उत्तेजित हो गई. मैंने भी तुरंत उसके जननांग में अपना लिंग घुसेड दिया. एक छोटी लेकिन मीठी सिसकी के साथ अर्चना आनंदित हो गई. मैंने करीब पंद्रह मिनट तक अर्चना को इसी तरह से रखा. अर्चना ने अब मेरा लिंग बाहर निकालने को कहा. मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित था. पता नहीं कैसे |

सुंन के जननांग में से लिंग को निकलते ही मैंने निया को पकड़कर लिटा दिया और उस पर चढ़ गया. अर्चना ये देख बहुत खुश हुई और उसने निया के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. निया ने भी अब मुझे कसकर पकड़ लिया. मैंने धीरे से अपना लिंग निया के जननांग की तरफ बढाया. निया ने पाने हाथ की मदद से उसे उंदर का रास्ता दिखा दिया, बस अब क्या था मर लिंग सीधे उस गीले और अनुभवी जननांग में पहुँच चुका था. अर्चना कभी मुझे तो कभी निया को चूम रही थी. मैंने निया को भी पंद्रह – बीस मिनट तक ऐसी ही रखा |

हमारा वो बगीचा बहुत छोटा था. उसके चारों ओर दो फुट जितनी ऊंची दीवार थी. घर कि चाट का सारा पानी नाली से उसी में गिर रहा था. अब हमारे उस छोटे से बगीचे में इस तेज गिरते पानी और मुसलाधार बारिश की वजह से वो बगीचा तेजी से भरने लगा. बहुत जल्द वि लबालब भर गया. एक बहुत बड़ा बात टब जैसा लगने लगा. हम तीनो उसी में अब सेक्स करने लगे |

पानी के अन्दर संभोग का यह अंदाज एक बहुत ही उत्तेजना पैदा करने वाला था. मैंने बारी बारी से अर्चना और निया के साथ आधे आधे घंटे तक संभोग किया. फिर हम तीनों थक कर उस बरसात के पानी में ऐसी ही पड़े रहे जब तक कि हम में उठकर अपने अपने कपडे पहनने की ताकत नहीं लौट आई हम तीनो पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे |

अब हम तीनों के दिन और रात बहुत रंगीन हो चुके थे. अर्चना अब निया और मेरे साथ पूरे जोश के साथ संभोग करने लगी थी. लेकिन अब यह समस्या थी कि आखिर निया कब तक रुक सकेगी. हालाँकि मजा मुझे भी अर्चना के साथ साथ निया के संग संभोग करने पर भी आ रहा था लेकिन गम्भ्र्ता से सोचें तो यह लम्बे समय तक संभव नहीं था |

इसी बीच एक दिन ऐसा मौका आ भी गया. निया को खबर मिली कि उसकी मां बहुत बीमार है और उसे देखने के लिए उसे जाना होगा. अर्चना तो बहुत ही उदास हो गई. लेकिन निया भी मजबूर थी. वो कुछ दिनियो कि छुट्टी लेकर चली गई. पहली रात को तो मैंने कुछ नहीं किया लेकिन अगली रात को अर्चना से जब संभोग करना चाह तो अर्चना थोड़ी देर के बाद रुक गई |

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इसी तरह से तीन दिन और गुज़र गए. एक दिन शाम को जब मैं पहुंचा तो श्व्टा मुझे मेरे घर से निकलती हुई मिली. उसने मुझे देखा और एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ अपने घर में चली गई. अर्चना ने मुझे कहा कि उसने श्रध्दा को निया के बारे में सब कुछ बता दिया है. यहाँ तक कि हम तीनों के लगातार हमबिस्तर होने तक को भी बता दिया है. मैं सन्न रह गया. अर्चना ने कहा कि श्रध्दा भी हमारे साथ आने को तैयार है अब तो मुझे आगे तक दूर दूर अँधेरा नजर आने लगा. मैंने सोचा अब इस चीज का अंत बिलकुल नामुमकिन है क्यूंकि अर्चना एक बहुत ही हार्डकोंर लेस्बियन है. बिना किसी औरत के ये मेरे साथ संभोग कभी नहीं कर पाएगी. मैंने मजबूर होकर अर्चना की बात मां ली. अर्चना ने खुश होकर मेरे होंठ बहुत ही जोर से चूस लिए और मुझसे लिपट गई. मैंने भी उसके होंठ चूस लिए. और उसे लेकर बिस्तर पर गिर गया |

अगले दिन रविवार था. नाश्ते के बाद मैं अखबार पढ़ रहा था. मेंसे देखा की अर्चना श्रध्दा के घर के बाहर खड़ी थी. श्रध्दा बाहर आई. उसने दरवाजा बंद किया और अर्चना के साथ हमारे घर में घुस गई. मैं समझ गया कि अर्चना श्रध्दा को लेकर क्यूँ आई है. दोनों आ गई. श्रध्दा को आज मैंने पहली बार बहुत करीब से देख रहा था. लेकिन करीब एक माह पहले मैंने मेरी ही फैक्ट्री के एक व्यक्ति से श्रध्दा के बारे में एक बात पाता चली को चिंताजनक भी थी और उसके लिए सहानुभूति भी पैदा करने वाली थी. उस व्यक्ति ने बताया कि श्रध्दा का पति यानि कि परमार साहब का लड़का नामर्द है. ये बात श्रध्दा को शादी के बाद पता चली. श्रध्दा तभी से बहुत परेशान रहती है. मैं तुरंत समझ गया. तो अर्चना से उसने दोस्ती इसीलिए की है जिससे वो अपने शारीरिक सुख को अर्चना से प्राप्त कर सके |

मेरे लिए अब ये एक नयी मुसीबत थी. आखिर में मैंने ये मान लिया कि शायद मेरी किस्मत में यही सब लिखा है. इसलिए अब मुझे अच्छा बुरा समझना छोड़कर हर तरह से मजे लूटने चाहिये |

श्रध्दा और अर्चना मेरे सामने थी. मैंने अर्चना की तरफ देखा और मुस्कुअराया. अर्चना खुश नजर आई. मैं श्रध्दा के पास गया और उसके पास बैठ गया. मैंने श्रध्दा के बालों में हाथ फिराया और बोला ” मैं जानता हूँ तुम्हारी तकलीफ. श्रध्दा; मैं और अर्चना तुम्हारी हर तकलीफ दूर कर देंगे. तुम्हे कोई कमी महसूस नहीं होने देंगे. तुम अब हमारे साथ हो तो हम सब मुरे मजे से रहेंगे.” मैंने श्रध्दा के गालों को चूम लिया. श्रध्दा सिहर गई. अर्चना उसके पास आई और उसने भी श्रध्दा के स्तनों पर हाथ रखा और उन्हें दबाना शुरू किया. श्रध्दा को अब इतने से ही आनंद आने लगा. मैंने श्रध्दा द्वारा पहनी गई साडी खोलनी शुरू की. वो अब ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थी. गहरे भूरे रंग का ब्लाउज और उसी रंग का पेटीकोट में उसका गोरा अंग गज़ब ढा रहा था. वो दुबली पतली थी लेकिन बहुत ही सेक्सी लग रही थी. अर्चना ने उसका ब्लाउज उतारा और मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया. अब वो ब्रा और पैंटी में रह गई थी. अर्चना ने उसे अपनी बाहों में ले लिया और मैंने श्रध्दा को उसके पीछे से बाहों में लेकर उसके कमर के नीचे के हिस्से पर अपना दबाव बढ़ा दिया. श्रध्दा अब दोनों तरफ से दब गई थी लेकिन उसका चेहरा साफ बता रहा था की उसके अनादर कितनी ठंडक पहुँच चुकी है. हम दोनों उसे लेकर अपने बेडरूम में चले गए. मैंने और अर्चना ने भी अपने सारे कपडे उतार दिए. श्रध्दा को अब हमने पूरा निर्वस्त्र कर दिया था.

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अर्चना ने श्रध्दा के पूरे जिस्म पर चुम्बनों की बरसात कर दी. इससे पहले कि श्रध्दा संभल पाती मैंने उसके पूरे जिस्म पर अपने चुम्बन बरसा दिए. श्रध्दा तड़पकर बिस्तर पर आ गई. मैंने अर्चना को उसके ऊपर सुला दिया. अर्चना ने अब अपने गुप्तांग वाले भाग को श्रध्दा के गुप्तांग के ठीक ऊपर से स्पर्श करवा दिया. जैसे ही अर्चना ने अपने गुप्तांग को श्रध्दा के गुप्तांग के ऊपर थोडा दबाकर रगड़ना शुरू किया; दोनों एक साथ तड़पकर अपने मुंह से सिसकीयाँ निकालने लगी. इस कहानी का शीर्षक और मुझे लेस्बियन बीवी मिल गयी-2 है आप इस कहानी को मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है | मैंने अपने हाथ अर्चना कि पीठ पर रखे और अर्चना को श्रध्दा के ऊपर दबाते हुए हिलाना जारी रखा. दोनों के लिए यह स्थिति बहुत ही नरम और गरम थी. दोनों को बहुत ही जबरदस्त मजा आने लगा था. अर्चना के कारण अब मुझे भी ऐसे खेल मान को भाने लग गए थे.

कुछ देर के बाद अर्चना और श्रध्दा ने एक और नया तरीका अपनाया जो मेरी हालत बहुत ही खराब कर गया. मेरे सारे शरीर में एक साथ हजारों वाट कि बिजलीयाँ दौड़ गई. उन दोनों ने अपनी टांगें फैला दी. दोनों ने अपनी अपनी टाँगे कैंची कि तरह एक दूसरे कि टांगों के बीच में इस तरह डाली कि उन दोनों के जननांग एक दूसरे से बिलकुल सट गए. अब दोनों ही ने आगे पीछे होकर एक दूजे के जननांग को आपस में रगड़ना शुरू किया. उन दोनों के मुंह से कभी आह निकलती तो कभी एक हलकी सी सिसकी. जब थोडा दबाव बढ़ जाता तो एक हल्की चीख भी निकल जाती. मैंने ये पहली बार देखा था. लेकिन इस दृश्य ने मेरी ऐसी हालत बिगाड़ी कि मैं लिख नहीं सकता. मैं सब कुछ भूलकर उन दोनों को देखने लगा. कुछ देर बाद दोनों अलग हुई. मैंने पहले अर्चना को सोफे कि कुर्सी पर अधलेटा किया और फिर श्रध्दा को अर्चना के ऊपर उसी तरह अधलेटा कर बैठा दिया. दोनों के का आगे का हिस्सा मेरी तरफ था. अब मैं उन दोनों के ऊपर उलटा लेट गया.

अब मेरा लिंग था और सामने पहले श्रध्दा का जननांग और फिर उसके नीचे अर्चना का जननांग. मैंने पहले अर्चना के जननांग में अपना लिंग घुसाया लेकिन दबाव श्रध्दा के बदन पर भी पडा. दोनों को यह बहुत अच्छा लगा. कुछ डेरा बाद मैंने गुप्तांग श्रध्दा के जननांग में घुसा दिया. श्रध्दा कि स्थति आज उसी तरह थी जैसी कुछ दिन पहले अर्चना की थी. श्रध्दा भी आज पहली बार किसी के साथ अपने जीवन का संभोग कर रही थी. मैंने बारी बारी से उन दोनों के साथ कई बार संभोग किया. दोनों को एक साथ दबाकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी बहुत ही मखमली अहसास वाले गद्दे पर लेटा हुआ हूँ. दोपहर तक हम तीनों ने अपनी अपनी भूख मिटाई. श्रध्दा अब अपने घर चली गई क्यूंकि अब उसके घर में कोई भी लौट सकता था.
अगले चार पांच दिन में श्रध्दा समय निकालकर कई बार आई. जैसे जैसे समय मिलता तो वो कभी अर्चना के साथ तो कभी हम दोनों के साथ संभोग करके अपनी प्यास बुझा जाती.

शनिवार के दिन शाम को जब श्रध्दा के घर कोई नहीं था तो वो हमारे साथ थी. हम तीनो अपने बेडरूम पूर्णतया नग्नावस्था में बिस्तर में एक दूसरे से लिपटे हुए अपने काम में व्यस्त थे कि अचानक से मुख्य दरवाजे के खुलने कि आवाज आई. हम तीनों चौंके और डर गए. फिर मुझे ध्यान आया कि बाहर के दरवाजे के ताले कि तीसरी चाबी तो निया के पास थी. मैं निश्चिंत हो गया कि निया ही आई होगी. निया ही आई थी. वो जैसे ही बेडरूम में आई उसने हमारे साथ साथ श्रध्दा को देखा तो हैरान हो गई. फिर वो अर्चना के पास आई. उसने अर्चना के होंठों पर अपने होंठ रखे और बोली ” शैतान और भूखी औरत. मेरे बिना तुम इतने दिन भी नहीं रुक सकी. ओई बात नहीं अब मैं आ गई हूँ ना. मैं भी तुम्हारे साथ हो जाती हूँ.” निया ने फटाफट अपने सारे कपडे उतार दिए और हमारे साथ पलंग पर आ गई. निया बोली ” मैं आप दोनों के बिना एक सप्ताह पागल हो गई थी. पहले मैंने सोचा कि कभी ना कभी तो मुझे आप लोगों के बिना रहना ही होगा.

कहानी जारी है …आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें..

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दोस्तों मेरा नाम सुनील है मै मस्ताराम.नेट का बहुत पुराना पाठक हूँ बहुत चुदाई की कहानियां पढ़ा हूँ मेरे मन में इच्छा हुई की मै अब अपनी सच्ची कहानी आप सभी मस्ताराम.नेट के पाठको से शेयर करूँगा मित्रो आज से ४ साल पहले की बात है मेरी अभी नयी नहीं शादी हुयी थी | जब मेरी शादी को दो महीने हुए थे. मेरी शादी अर्चना से हुई थी. मैं बहुत खुश था. अर्चना बहुत ही खुबसूरत थी. अर्चना लेस्बियन बीवी थी | मुझे ये बात बाद में पता चली | मेरे सभी दोस्त जब मेरी वाइफ को देखे तो जल गए की साले को खुबसूरत बीवी मिली है | अर्चना का रंग गुलाबी गोरा था. अच्छा कद और हुस्न की मल्लिका. हर अंग तराशा हुआ. कहीं कोई कमी नहीं निकल सके ऐसा हुस्न था उसका. मैं भरूच के नजदीक अन्कलेस्वर की एक फैक्ट्री में काम करता था. फैक्ट्री की अपनी कालोनी थी. मुझे वहीँ एक छोटा बंगला मिला हुआ था. बंगले में दो फ्लैट थे. एम् में मैं और दूसरे में एक परमार परिवार रहता था. परमार साहब हमारी कंपनी में काम करते थे.

उनके एक बेटा भी था जो दूसरी जगह काम करता था. वो भी मेरी ही उम्र का था. उसकी पत्नी का नाम था श्रध्दा. श्रध्दा भी अर्चना की ही तरह गज़ब की खुबसूरत थी. वो मुझे सुनील भाई कहकर बुलाती थी और हमेशा अच्छे से बात करती थी. परमार साहब की पत्नी का देहांत कुछ समय पहले हो चुका था.

मैं शादी के बाद अर्चना को लेकर अन्कलेस्वर आ गया. अभी तक मैंने अर्चना के साथ सुहागरात नहीं मन पाया था. अर्चना शादी के समय से ही तेज बुखार के चलते बहुत कमजोर हो गई थी. मैं उसे पूरा आराम देना चाहता था. यहाँ आने के बाद दूसरे दिन ही श्रध्दा उससे मिलने आई और वो दोनों सहेलीयां बन गई. मैं बहुत खुश हो गया. एक दिन रात को मैंने अर्चना को अपनी बाहों में भर लिया. वो भी कुछ ना बोली और खुद-बी-खुद सिमट गई. हम दोनों के एक दूसरे को काफी देर तक किस किया. जब मैंने अर्चना के कपडे उतारे तो वो थोडा कसमसाई.

मैंने उसे अपने साथ पूरी तरह नग्न कर दिया. मैंने उसे आज पहली बार इस तरह देखा था. उसके हर जिस्म का एक एक हिस्सा बहुत ही कारीगरी से बना हुआ था. मैं अपने आपको बहुत खुशनसीब समझने लगा. हम दोनों आपस में लिपट गए. लेकिन इसके आगे अर्चना एकदम से ठंडी हो गई और हमारा मिलन अधुरा रह गया. लेकिन मैंने इसे कोई गलत नहीं माना. लेकिन हर बार वो ऐसा ही करने लगी तो मुझे थोड़ी हैरानी हुई. मैंने उससे एक दो बार पूछा तो उसने कुछ ना कहा और बात को टाल गई.

एक दिन मैं दोपहर को घर आ गया क्यूंकि मेरे सर में बहुत दर्द हो रहा था. मैंने देखा की अर्चना और श्रध्दा बहुत ही घुलमिलकर बातें कर रही है और हंस भी रही है. मुझे बहुत अच्छा लगा. अर्चना का चेहरा आज पहली बार इतना खिला हुआ लग रहा था. रात को मैंने फिर एक बार कोशिश की लेकिन बात वहीँ आकर रुक गई. लेकिन इतना जरुरु हुआ की अर्चना ने आज ज्यादा गर्मजोशी से मुझे भू चूमा था और खुद के भी चुम्बन दिए थे.

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दो दिन बाद मुझे कुछ काम से किसी मीटिंग में जाना था. कपडे बदलने के लिए मैं घर पर गया. दरवाजा खुला था. मैं अपने कमरे में जैसे ही दाखिल हुआ मैंने देखा की अर्चना और श्रध्दा दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा रखा है. दोनों पलंग पर बैठी हुई है. अर्चना श्रध्दा को चूम रही थी औए श्रध्दा अर्चना के बाल सहला रही थी. मैं हैरान हो गया. अब मैं समझा की अर्चना पूरी तरह से खुलकर मेरे साथ सेक्स क्यूँ नहीं कर रही थी. तो इसका मतलब यह हुआ की वो लेस्बियन है. मैंने सुना था की लेस्बियन आपस में ही संतुष्ट होते हैं ऐसा नहीं की वे मर्दों के साथ संभोग नहीं करते लेकिन ज्यादातर वो आपस में ही सेक्स सम्बन्ध बनाते हैं. मैं परेशान हो गया. मैंने ये बात मेरे कुछ करीबी रिश्तेदारों को बताई लेकिन किसी ने भी कोई सुझाव नहीं दिया. मेरी परेशानी बढती जा रही थी. हमारा सम्बन्ध केवल चुम्बनों तक ही रह गया था, यहाँ तक कि अर्चना ने आज तक मुझे अपने होंठ चूमने नहीं दिए थे.

इन्ही दिनों मेरी मुलाकात मेरे एक बहुत पुराने मित्र से हुई. मैं उसे सारी समस्या बताई. उसने सारी बात सुनने के बाद मुझे कुछ सुझाव दिए. मुझे उसके सुझाव कुछ पसंद आये. मैंने उस दोस्त के बताये एक आदमी से मुलाकात कि. उस आदमी ने मुझे कहा कि काम हुआ समझो. उसी शाम को मैं उस आदमी से मिलने गया. उसने मुझे एक जवान लडकी से मिलवाते हुए कहा ” ये निया है. ये आपके यहाँ काम करने के लिए तैयार है. मैंने इसे सब कुछ समझा दिया है. ये कल ही अपना सामान लेकर आपके घर पहुँच जाएगी. आपकी हर समस्या हल हो जायेगी.” निया एक लगभग ३० साल कि उम्र कि औरत थी. उसका शरीर जबरदस्त गंठा हुआ था. उसके स्तन तो जैसे ब्लाउज को फाड़कर बाहर आने को बेताब थे. वो दिखने में ज्यादा खुबसूरत नहीं थी लेकिन उसके गठे हुए शरीर और साफ सुथरे कपडे से दिखने में काफी गरम लग रही थी. निया ने मुझसे कहा ” आप बिलकुल चिंता मत करना. मैं सब समझ गई हूँ. आपकी समस्या हल हुई समझो. मैं और आप मिलकर इस समस्या को सुलझा लेंगे. बस आप अपना सहयोग पूरा पूरा देना. समय समय पर मैं आपको इशारे से सब कुछ सम्जहती रहूंगी और कब मदद चाहिये बताती भी रहूंगी. आजकल इस तरह की समस्या बहुत कॉमन हो गई है. मैं ऐसी समस्याएँ सुलझा चुकी हूँ.” मैं खुश होता हुआ घर लौट आया.

मैंने अर्चना से कहा ” मैंने तुम्हारी मदद के लिए एक नौकरानी रख ली है. घर का सारा काम कर लेगी और तुम्हे भी आराम रहेगा. मुझे तुम्हारी बहुत चिंता रहती है.” अर्चना ने खुश होते हुए कहा ” ये तो बहुत ही अच्छी बात है. अब मैं फुर्सत में रहूंगी और घर की देखभाल ज्यादा आसानी से कर सकुंगी.”

अगले दिन सवेरे ही निया अपने साथ एक सूटकेस लेकर आ गई. मैंने निया को अर्चना से मिलवाया. निया ने सारा काम संभाल लिया. निया ज्यादातर ट्यूब टॉप के ऊपर फुल ज़िप्पर पहनती थी और नीचे घुटनों तक की लम्बाई की कैप्री. कुल मिलाकर वो नौकरानी नहीं बल्कि बाहर के देशो की तरह हाउस मेनेजर लगती थी.

जब मैं तैयार होकर नाश्ते के लिए टेबल पर आया तो नाश्ता लगा हुआ था. अर्चना बैठी थी और बहुत खुश नजर आ रही थी. तभी निया आ गई. उसने अर्चना के सर में मालिस करनी शुरू कर दी. निया ने मेरी तरफ मुस्कुराकर देखा. मैंने देखा कि निया ने अर्चना के सर की मालिश करते करते उसकी कंधे और बाहें भी दबानी शुरू कर दी थी. अर्चना को यह बहुत अच्छा लगने लगा. मैं मुस्कुराते हुए फैक्ट्री चला गया.

कहानी जारी है …आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें..

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फाड़कर उसे जुस पिला दिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/fadkar-use-juice-pila-diya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/gandu-gay/fadkar-use-juice-pila-diya.html#respond Tue, 04 Jul 2017 08:31:14 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9306 नमस्कार दोस्तो मेरा नाम मोहन है और मै मस्ताराम डॉट नेट की कहानियों नियमित पाठक हू। तो मै आज आप के सामने मेरी एक कहानी प्रस्तुत कर रहा हू।जब मै छोटा था मतलब मै 7 वी पाठशाला मे पढ़ाई करता था । एक दिन मै रविवार के दिन मामा के यहा गया था वैसे हमारा […]

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नमस्कार दोस्तो मेरा नाम मोहन है और मै मस्ताराम डॉट नेट की कहानियों नियमित पाठक हू। तो मै आज आप के सामने मेरी एक कहानी प्रस्तुत कर रहा हू।जब मै छोटा था मतलब मै 7 वी पाठशाला मे पढ़ाई करता था । एक दिन मै रविवार के दिन मामा के यहा गया था वैसे हमारा ओर मेरे मामा का गांव एक ही है सिर्फ ऊनका घर हमारे घर से दो किलोमीटर कि दूरी पर था। मेरे मामा जी का एक चार साल का बेटा  है। तो मामाजी को खेत मे काम होने कि वजह से मामी जी उनके बेटे को मेरे पास दे दिया और कहा कि इस का दिनभर खयाल रखना और खाना खिला देना और घर के सारे लोग खेत मे चले गये ।

थोड़ी देर बाद मामा का लड़का बाहर खेलने गया और मै आराम करने के लिए लेट गया । तभी किसी के आने कि मुझे आहट सुनाई दि । मैंने देखा तो वह मामा जी के पडोस मे रहने वाला लड़का था उस का नाम रवि था । उस की उम्र 19 साल कि थी । जैसे ही वह मेरे पास आया  और मेरे पास  बैठे गया और मुझसे बाते करने लगा। बाते करते करते उस ने अपना हाथ मेरे पेट पर रखकर पूछने लगा की तुम्हारी पसंद क्या है उसने पूछा कि कभी सेक्स विडियो देखा है क्या । तब मुझे यह सेक्स क्या है यह ही नही पता था । मैंने ना मे उत्तर दिया । तो उस ने अपना मोबाइल निकाला और पुछा की देखना चाहते हो । तो मुझे लगा कि कोई कार्टून फिल्म होगी तो मैने हा कह दिया । उसने विडियो लगाकर मोबाइल मेरे हाथ मे दे दिया । मैने देखा कि एक आदमी एक औरत के जननांग मे अपना बडा सा लंड घुसेडकर आगे पीछे करने लगा और वह औरत जोर जोर से चिख रही थी ।

मै मन-ही-मन मे उस आदमी को गालीया दे रहा था कि उस औरत को कितना दर्द हो रहा होगा । तभी रवि ने पुछा की कैसा लगा मैने कहा गंदा है लेकिन विडियो देखते हुए मुझे कुछ अलग सा महसूस होने लगा । तभी रवि अपना हाथ मेरे पेट पर धीरे-धीरे फेर रहथा । तो मुझे गुदगुदी होने लगी । और उसका हाथ मेरी पॅट के बटन तक गया और मेरे मना करने के बावजूद भी उसने मेरी पेन्ट निचे कर दी ।  उस ने जल्दी करते हुए मेरे गांड के छेद मे अपनी ऊँगली डालने लगा मुझे थोड़ा-सा दर्द हो ने लगा था । तो मै वहा से बाजू हो गया । तो रवि ने मेरा हाथ पकड़कर बेड पर खिच लिया । और मेरी पेन्ट और अपनी भी पेन्ट निकाली तो मैने क्या देखा कि उसका लंड 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा तो होगा ही । रवि ने मेरी गाड़ के छेद पर थुक लगाकर अपने लडं का सुपारा घिस रहा था और अपने लंड को मेरी गांड मे डालने की कोशिश कर रहा था । तो मुझे बहुत दर्द हो रहा था । रवि ने अपने लंड का सुपारा एक जोरदार धक्के के साथ अंदर डाल दिया । तो मै जोर से चिल्लाया पर साले ने मुझे ऐसा दबोचा था कि मै हिल भी नही सकता था ।

तभी मेरे आखों से आसु आ गये मै रोने लगा । तो फिर रवि ने मुझे छोड़ दिया और कहा कि तुम अभी छोटे हो तो तुम्हारा छेद भी छोटा है । मुझे तो बहुत दर्द हो रहा था । मैंने हाथ लगाकर देखा की मेरी गांड से खुन निकल रहा था । मैं देख ही रहा था की उसने अपने लंड का सुपारा मेरे मुँह देकर मेरे सिर को अपने और दबोचलिया और लंड हिलाने लगा । मैं अपना सिर पिछे नही ले पाया । थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कम हूआ। मुझे भी अच्छा लगने लगा था और मै भी अपना सिर आगे पीछे करने लगा । और फिर मै मजे से रवि का लंड चूस रहा था.

एक दो बार तो रवि का लंड मेरे गले तक जाकर आया । करीब दस मिनट बाद रवि कुछ ज्यादा ही सिसकारिया निकाल रहा था । तब उसने अपने लंड से मेरे मुँह मे ही मुत दिया । लेकिन यह मुझे कुछ अलग ही लगा । मैंने वह बिना देखे ही पी गया क्योंकि मेरे मुँह में रवि का बड़ा सा लंड था तो मै अपना मुंह नही छोड पाया रवि करीबन पांच-छह पिचकारीया अपना मुत मुझे पिला दिया जो बहुत ही गाढ़ा था और फिर उसने अपनी पेन्ट पहन ली और बिना कुछ कहे निकल गया और मै वही लेट कर सोच रहा था कि आज ये सब मेरे साथ क्या हुआ ।

फिर मै बाद मे रवि को एक साल बाद मिले एक शादी मे और उस शादी के दिनो मे रवि ने मुझे दो बार चोद कर अपना जूस मुझे मुह भरभरकर पिलाया । उस बिते केएक साल मे मैंने रवि के लंड को बहुत याद किया । तो सोचा कि आज मौका मिला है तो फायदा उठालू । यह कहानी मै आपको बाद मे सुनाऊँगा । यह मेरी बिती कहानी सच्चि कहानी थी । अब तो मै 20 साल का हू इस दौरान मैंने करीबन 7-8 लौडो का स्वाद दोनो तरह से दो-दो बार लिया है । अब मै लंड चुसने मे और गाडं मार लेने मे माहिर हो चुका हू ।मुझे सख्त और लंबे मोटे लौडे बहुत पसंद है । कोई हो तो बता देना मेरा नाम मोहन।

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