यह कहानी निम्न शृंखला का एक भाग है:चुदक्कड बहु की चूत प्यासे ससुर का लौड़ा -13 |
नमस्कार दोस्तों आज फिर से मेरी इस कड़ी चुदक्कड बहु की चूत प्यासे ससुर का लौड़ा -14 में आपका स्वागत है अभी तक अपने पढ़ा चादनी पिछली यादो को याद करते हुए सो गयी फिर क्या हुवा खुद ही पढ़ ले ..
इसी तरह दिन बीत रहे थे । अजित की प्यास बहू को पाने की अब अपनी चरम सीमा पर थी। पर बहू की तरफ़ से कोई भी पहल होने का प्रश्न ही नहीं था। वह भी ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे आकाश के सामने शर्मिंदा होना पड़े। वह अब यह चाहने लगा था कि दिन में चांदनी उसकी प्यास बुझाए और आकाश के आने के बाद वह उसके साथ रहे और मज़े करे। ये उसके हिसाब से बहुत सीधा और सरल उपाय था, पर बात आगे बढ़ ही नहीं पा रही थी। उसके हिसाब से यह बहुत ही सिम्पल सा ऐडजस्टमेंट था जो चांदनी को करना चाहिए और इस तरह वह भी दुगुना मज़ा पा सकती है, और आकाश और वो भी ख़ुश रहेंगे। ।वह बहुत सारी योजना बनाता था चांदनी को पटाने का ,पर कोई भी प्रैक्टिकल नहीं थी। सच ये है कि चांदनी को इस तरह के रिश्ते की कोई ज़रूरत ही नहीं थी क्योंकि वह अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट थी। दिक़्क़त तो अजित की ही थी। इसी तरह समय व्यतीत होते रहा।
फिर एक दिन अजित नाश्ता करके अपने कमरे में बैठा था तभी पंडित का फ़ोन आया।
पंडित: जज़मान, मुझे आशीष जी ने आपका नम्बर दिया है। वो कह रहे थे कि आपके लिए लड़कियाँ पसंद करूँ।
अजित: ओह फिर ?
पंडित: दो लड़कियाँ है शादी में लायक। एक की उम्र २२ साल है और दूसरी २५ की है।
दोनों सुंदर हैं और उनका परिवार इसके लिए तैयार है।
तभी अजित के कमीने दिमाग़ में अचानक ही एक ख़तरनाक योजना ने जन्म लिया और वह सोचने लगा कि अगर उसकी यह योजना सफल हो गयी तो शायद चांदनी उसके पहलू में होगी।
वह एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ पंडित को अपनी योजना समझाया और बोला : जैसे मैंने कहा है वैसे करोगे तो तुमको मैं दस हज़ार रुपए दूँगा।
पंडित: ज़रूर जज़मान, जैसे आपने कहा है मैं वैसे ही बात करूँगा। आप जब भी फ़ोन करोगे। और आपके मिस्ड कॉल आने पर मैं आपको फ़ोन करूँगा। पर जज़मान, पैसे की बात याद रखना।
अजित: अरे पंडित , तुम्हारा पैसा तुमको मिलेगा ही मिलेगा।
पंडित ने ख़ुशी दिखाकर फ़ोन बंद किया।
अजित ने अपनी योजना पर और विचार किया और अब अपने आप पर ही मुस्कुरा पड़ा और सोचा कि सच में मेरा दिमाग़ भी मेरे जैसा ही कमीना है। क्या ज़बरदस्त आइडिया आया है।
उसने सोचा कि शुभ काम में देरी क्यों। वह लूँगी और बनियान में बाहर आया। चांदनी कमला से काम करवा रही थी। वह न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए कमला के जाने का इंतज़ार करने लगा ।
थोड़ी देर में कमला चली गई और चांदनी भी अपना पसीना पोंछते हुए बाहर आयी किचन से बोली: पापा जी चाय बनाऊँ?
अजित मुस्कुराकर: हाँ बहू बनाओ।
थोड़ी देर में दोनों चाय पी रहे थे , तब चांदनी उससे आकाश की दुकान के बारे में बात करने लगी।
चांदनी: पापा जी। ये बोल रहे थे कि दुकान में एक सेक्शन और खोलने से आमदनी बढ़ जाएगी। पर क़रीब ३ लाख और लगाने पड़ेंगे।
अजित: बेटी, मैं तो अभी पैसा नहीं लगाउँगा। आकाश के पास कुछ इकट्ठा हुआ है क्या? वो लगा ले।
चांदनी: पापा जी, वो तो सारा पैसा आपको ही दे देते हैं, उनके पास कुछ नहीं है।
अजित: ओह, अभी तो एक और ख़र्चा आ सकता है।
चांदनी: कैसा ख़र्चा ,पापा जी?
अजित: बेटी, मेरे कई दोस्त बोल रहे हैं कि मैं शादी कर लूँ। मैं कई दिन से इसके बारे में सोचा और आख़िर में मुझे लगा कि इस बात में दम है।
चांदनी हतप्रभ होकर: पापा जी , आपकी शादी? इस उम्र में? ओह !!!!
अजित: बेटी, अजीब तो मुझे भी लग रहा है, पर किया क्या जाए? बहुत अकेला पड़ गया हूँ। अनीता ने तो बीच राह में साथ छोड़ दिया।
चांदनी: ओह, पापा जी पर लोग क्या कहेंगे? और आपके दोनों बच्चे क्या सोचेंगे? मेरी रिक्वेस्ट है कि इस पर फिर से विचार कर लीजिए। यह बड़ी अजीब बात होगी।
अजित: ठीक है बेटी। और सोच लेता हूँ, पर मेरे दोस्त पीछे पड़े हैं। एक दोस्त ने तो गाँव के पंडित को काम पर भी लगा दिया है।वह मेरे लिए गाँव में लड़की देख रहा है।
चांदनी अब शॉक में आकर बोली: लड़की देखनी भी शुरू कर दिए? आपको आकाश और महक दीदी से बात तो करनी चाहिए थी। पता नहीं वो दोनों पर क्या बीतेगी?
अजित: अरे कुछ नहीं होगा , कुछ दिनों में सब समान्य हो जाएगा।
मालनी: तो सच में आप शादी करने को तैयार हैं? लड़की की उम्र क्या होगी?
अजित: समस्या यहीं है, जो लड़कियाँ मिल रहीं हैं , वो तुमसे भी उम्र में छोटी हैं। पता नहीं तुम अपनी से भी छोटी लड़की को कैसे मम्मी कहकर बुला पाओगी?
अब चांदनी का मुँह खुला का खुला रह गया, बोली: मेरे से भी छोटी ? ये क्या कह रहें हैं आप? हे भगवान! उसके माँ बाप शादी के लिए राज़ी हो गए?
अजित: बेटी, पैसे का लालच बहुत बड़ा होता है। मुझे काफ़ी पैसे ख़र्च करने पड़ेंगे। इसी लिए तो बोला कि आगे आगे ख़र्चे और बढ़ेंगे, तो आकाश की दुकान ने कैसे पैसा लगा पाउँगा?
चांदनी: ओह , बड़ी मुश्किल हो जाएगी।
अजित: बेटी, फिर शादी के बाद मेरा परिवार भी तो बढ़ेगा, आकाश का भाई या बहन होगी और ख़र्चा तो बढ़ेगा ही ना?
चांदनी का तो जैसे दिमाग़ ही घूम गया अपने ससुर की बातें सुनकर। वह चुपचाप उठी और अपने कमरे में चली गयी। वो सोचने लगी कि इस उम्र में इनको ये क्या सूझी है शादी और बच्चा पैदा करने की । कितनी जग हँसाई होगी? और हमारे बच्चे का क्या ? उसे सबकुछ गड़बड़ लगा, वह बहुत परेशान हो गयी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। पता नहीं आकाश इसे कैसे लेगा? पता भी उस पर क्या बीतेगी? वह तो अपने पापा से पैसे की आस लगाए बैठा है।
इसी तरह की सोच में वो खोई हुई थी ।
अजित आज बहुत ख़ुश था, क्योंकि उसका तीर एकदम निशाने पर लगा था। वह जानता था की अब आगे आगे वो चांदनी को मजबूर करेगा कि वह उसकी बात मान ले। वह अपना लंड दबाया और बोला: बस अब कुछ दिनों की ही बात है, तू जल्द ही बहू की बुर के मज़े लेगा। वह कमीनी मुस्कुराहट के साथ मोबाइल पर सेक्स विडीओ देखने लगा।
लंच के बाद सोफ़े पर बैठकर चांदनी ने फिर से वही टॉपिक उठाया और बोली: पापा जी। मैं आपसे फिर से कहती हूँ कि प्लीज़ इस पर विचार कीजिए, ये सही नहीं है। आपको इस उम्र में २० साल की लड़की से शादी शोभा नहीं देती।
अजित कुटीलता से बोला: बहू , इस सबके लिए कुछ हद तक तो तुम ही ज़िम्मेदार हो?
चांदनी हैरानी से : में ? वो कैसे ?
अजित: अच्छा भला मेरा काम चल रहा था, संजू के साथ। तुमने उसे भी निकाल दिया। अब बताओ मैं क्या करूँ? कैसे अपना काम चलाऊँ? यह कहकर वह बेशर्मी से अपने लूँगी के ऊपर से अपने लण्ड को दबाने लगा। अजित घर में चड्डी भी नहीं पहनता था।
चांदनी के गाल लाल हो गए। वो पापाजी की इस हरकत से स्तब्ध रह गयी।
वह लूँगी के ऊपर से उनके आधे खड़े लौड़े को देखकर हकला कर बोली: पापाजी, ये आप कैसी बातें कर रहे हैं? संजू एक ग़लत लड़की थी और आपको उससे कभी भी कोई बीमारी भी लग सकती थी। वो आपके लायक नहीं थी।
अजित: मैं नहीं मानता। वो सिर्फ़ अपने पति और मुझसे ही चु- मतलब रिश्ता रखती थी। वो एक अच्छी लड़की थी। तुमने उसको नाहक ही निकाल दिया।
चांदनी परेशान होकर उठ बैठी और बोली: पापा जी मैंने तो अपनी ओर से आपके स्वास्थ्य के हित के लिए किया था और आप मुझे ही दोष दे रहे हैं।
वह परेशानी की हालत में अपने कमरे में आ गयी।
अजित उसकी परेशानी का मज़े से आनंद ले रहा था।
रात को जब आकाश आया तो चांदनी से बात बात में पूछा: पापा से पैसे की बात हो पाई क्या?
चांदनी: नहीं हो पाई।
आकाश: अच्छा आज डिनर पर मैं ही बात करता हूँ।
चांदनी: नहीं नहीं, आज मत करिए, फिर किसी दिन मौक़ा देख कर करेंगे।
आकाश: क्यों आज क्या हुआ?
चांदनी: आज उनका मूड ठीक नहीं है।
आकाश: जान, कल तुम बात ज़रूर करना , तुमको पता है कि मेरे लिए ये पैसे कितने ज़रूरी हैं । प्लीज़ जल्दी बात करना। तुम्हारी बात वो नहीं टालेंगे। अपनी बहू को बहुत प्यार करते हैं वो।
चांदनी: अच्छा करूँगी जल्दी ही बात।
वह मन ही मन में सोचने लगी कि अगर मैं आकाश को बता दूँ कि पापा जी के मन में क्या चल रहा है तो वह सकते में आ जाएँगे। और अभी तो पापा जी का पैसा देने का कोई मूड ही नहीं है।
रात को आकाश सोने के पहले उसकी ज़बरदस्त चुदाई किया और वो भी मज़े से चुदवाई। पर बार बार उसके कानों में पापा जी की बात गूँजती थी कि तुम ही हो इस सबकी ज़िम्मेदार , संजू को क्यों भगाया? वो सोची की पापा को तो बिलकुल ही अपने किए पर पश्चत्ताप नहीं है। उलटा मुझे दोष दे रहे हैं। तो क्या संजू को वापस बुला लूँ? नहीं नहीं ये नहीं कर सकती तो क्या करूँ। उफफफफ वो आकाश से भी कुछ शेयर नहीं कर पा रही थी। वो ये सोचती हुई सो गयी।
अगले दिन चांदनी आकाश के जाने के बाद कमला से काम करवाई और उसके भी जाने के बाद अपनी योजना के हिसाब से अजित बाहर आया। चांदनी उसको देखके पूछी: पापा चाय बनाऊँ क्या?
अजित: नहीं रहने दो। पानी पिला दो।
जैसे ही वह पानी लेने गयी , उसने पंडित को मिस्ड कॉल दी। चांदनी के आते ही अजित के फ़ोन की घंटी बजी। चांदनी के हाथ से पानी लेकर वह बोला: हेलो, अरे पंडित जी आप?
चांदनी पंडित के नाम से चौंकी और ध्यान से सुनने लगी।
अजित ने पानी पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डाला।
पंडित: जज़मान, आपके लिए दो लड़कियाँ देख लीं हैं , एक २० साल की है और दूसरी २२ की। दोनों बहुत ही मासूम और सुंदर लड़कियाँ हैं।
चांदनी हैरान रह गयी, कि ये सब क्या हो रहा है। ये पापा जी तो बड़ी तेज़ी से शादी का चक्कर चला रहे हैं।
अजित: अरे यार थोड़ी बड़ी उम्र की लड़की नहीं मिली क्या? ये तो मेरी बहु से भी छोटी हो जाएँगी ।
पंडित: अरे जज़मान, मज़े करो, ऐसी लड़कियाँ दिला रहा हूँ कि आप फिर से जवान हो जाओगे। तो बोलो क्या कहते हो?
अजित: ख़र्चा कितना आएगा?
पंडित: ३/४ लाख तो लगेंगे ही। आख़िर शादी का सवाल है ।
चांदनी सोची ३/४ लाख, इतना ही तो आकाश को चाहिए। और पापा इसे शादी में बर्बाद कर रहे हैं।
अजित: पंडित जी , थोड़ा सा मोल भाव करों भाई। देखो और कम हो सकता है क्या?
पंडित: चलिए मैं कोशिश करता हूँ, पर आप लड़कियाँ देखने कल आएँगे ना।
चांदनी का तो जैसे कलेजा मुँह में आ गया, कल ही? हे प्रभु, क्या करूँ? कैसे रोकूँ इनको?
अजित: अरे पंडित जी, कल का मत रखो , मुझे पैसे का भी इंतज़ाम करना होगा। आप ३ दिन बाद का कर लो। ठीक है?
पंडित: ठीक है तो तीन दिन बाद ही सही। और कुछ?
अजित: देखो, पंडित , कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए लड़कियों पर । वह अपनी मर्ज़ी से शादी करेंगी। ठीक है?
पंडित: बिलकुल ठीक है। ठीक है फिर रखता हूँ।
अजित ने फ़ोन रखा और चांदनी को देखा जो बहुत परेशान दिख रही थी। अजित मन ही मन ख़ुश हो रहा था कि तीर निशाने पर लगा है।
चांदनी: पापा जी, कोई तरीक़ा नहीं है इस शादी को टालने का?
आप चाहो तो मैं संजू को वापस बुला लेती हूँ। उसने अपने हथियार डालते हुए कहा।
अजित: क्या फ़ायदा अब? उसके गर्भ को काफ़ी समय हो गया है। अब वो चु- मतलब करवाने के लायक होगी भी नहीं। अक्सर डॉक्टर ऐसे समय में चु- मतलब सेक्स करने को मना करते हैं।
चांदनी: ओह, फिर क्या करें? यह संजू वाला आप्शन भी गया।
अजित: देखो, मेरी हालत तो तुमने बिगाड़ ही दी है। संजू को निकाल दिया और ऊपर से तुम्हारा ये क़ातिलाना सौंदर्य मैं तो पगला ही गया हूँ।
चांदनी बुरी तरह से चौकी: मेरा सौंदर्य? मतलब? मैंने क्या किया? आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं?
अजित: और क्या बोलूँ? कभी अपना रूप देखा है आइने में। इतनी सुंदर और सेक्सी हो तुम। दिन भर तुम्हारे इस रूप और इस सेक्सी बदन को देखकर मेरा क्या हाल होता है , जैसे तुमको मालूम ही नहीं? यह कहकर वह फिर से अपना लौड़ा लूँगी के ऊपर से दबाया।
चांदनी को तो जैसे काटों ख़ून नहीं!!! हे ईश्वर, ये मैं क्या सुन रही हूँ। पापा जी खूल्लम ख़ूल्ला बोल रहे हैं कि वह उसे वासना की नज़र से देखते है। अब तो वह कांप उठी। पता नहीं भविष्य में उसके लिए क्या लिखा है?
वह बोली: पापा जी। ये कैसी बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ ,बेटी के जैसे हूँ। महक दीदी के जैसे हूँ। आप मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं?
अजित: देखो, पिछले दिनो में मेरी भावनाएँ तुम्हारे लिए बहुत बदल गयी है। अब मैं तुमको एक जवान लड़की की तरह देख रहा हूँ और तुम्हारा भरा हुआ बदन मुझे पागल कर रहा है। पर मैंने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की है तुम्हारे साथ। मैं हमेशा लड़की को उसकी रज़ामंदी से पाना चाहता हूँ। आज मैंने तुमको बता दिया कि ये शादी अब सिर्फ़ तुम ही रोक सकती हो। वो भी मेरी बन कर।
चांदनी: पापा जी, पर मैं तो आपके बेटे की बीवी हूँ। आपकी कैसे बन सकती हूँ?
अजित: देखो बहू , तुम दिन में मेरी बन कर रहो और आकाश के आने के बाद उसकी बन कर रहो। इस तरह हम दोनों तुमसे ख़ुश रहेंगे। इसमे क्या समस्या है?
चांदनी: पापा जी, आप क्या उलटा पुल्टा बोल रहे है? मैं आकाश से बहुत प्यार करती हूँ, उनको धोका नहीं दे सकती हूँ। आप अपनी सोच बदल लीजिए। आप नहीं जानते मुझे आपकी बात ने कितना दुखी किया है। और वह रोने लगी।
अजित: देखो बहू, रोना इस समस्या का हल नहीं है। तुमको या तो मेरी बात माननी होगी या मेरी शादी होते देख लो। अब जो भी करना है, तुमको ही करना है।
चांदनी वहाँ से रोते हुए भाग कर अपने कमरे में आ गयी।
चांदनी के आँसू जब थमें वह बाथरूम में जाकर मुँह धोयी और बाहर कर बिस्तर पर बैठ गयी और पूरे घटनाक्रम के बारे में फिर से सोचने लगी। यह तो समझ आ गया था कि पापा की आँखों पर हवस का पर्दा पड़ा है और वो उसे पाने के लिए पागल हो रहे हैं। अगर वह उनको नहीं मिली तो वह शादी करके एक दूसरी लड़की की ज़िन्दगी बरबाद करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूँ।? पापा की शादी से और क्या क्या नुक़सान हो सकते है ? वो इसपर भी विचार करने लगी। एक बात तो पक्का है कि पैसे का तो काफ़ी नुक़सान होगा ही। और क्या पता कैसी लड़की आए घर में। हो सकता है वह इस घर की शांति ही भंग कर देगी। उफ़ वो क्या करे ? किसकी मदद ले? आकाश, महक या मम्मी की। उसने सोचा कि उसके पास ३ दिन है । देखें क्या रास्ता निकलता है इस उलझन का?
पापा के साथ लंच करने की इच्छा ही नहीं हुई। उसने उनको खाना खिलाया।
अजित: तुम नहीं खा रही हो?
चांदनी: आपने मेरी भूक़ प्यास सब मार दी है। आपने तो मुझे पागल ही कर दिया है।
अजित: बहू, मैंने नहीं , तुम्हारी जवानी ने मुझे पागल कर दिया है। बस तुम एक बार मेरी बात मान जाओ , सब ठीक हो जाएगा। दिन में तुम मेरी जान और रात में आकाश की जान। आख़िर इसमें इतना ग़लत क्या है? घर की बात घर में ही रहेगी। और समय आने पर आकाश को भी बता देंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि वह इसे सामान्य रूप से ही लेगा।
चांदनी: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। छि, ये सब कितना ग़लत है। आकाश को धोका देना मेरे लिए असम्भव सा है। प्लीज़ मुझे बक्श दीजिए। प्लीज़ शादी मत करिए।
अजित खाना खाकर वापस सोफ़े में बैठ चुका था। वो बोला: देखो बहु, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूँ तो मेरे इसका क्या होगा? इस बार वो अपनी लूँगी के ऊपर से लौड़ा दबाकर बोला। उसकी इस कमीनी हरकत से एक बार चांदनी फिर से सकते में आ गयी।
अजित अपने लौड़े को मसलते हुए बोला: देखो बहु, मैं कैसे मरे जा रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए। अब उसका लौड़ा पूरा खड़ा था लूँगी में और वह चड्डी भी नहीं पहनता था। चांदनी ने अपना मुँह घुमा लिया,और सोची कि इनका पागलपन तो बढ़ता ही जा रहा है। उफ़्फ़ इस सब का क्या हल निकल सकता है?
वह फिर से उठकर अपने कमरे में चली गयी। रात को ८ बजे आकाश आया और चांदनी सोचती रही कि इनको बताऊँ क्या कि पापा मुझसे क्या चाहते हैं। फिर वह सोची कि घर में कितना बड़ा घमासान हो सकता है बाप बेटे के बीच में। वह अभी चुप ही रहना चाहती थी।
उसने सोचा कि कल महक या माँ से बात करूँगी, शायद वो कुछ मदद कर सकें।
अगले दिन आकाश और कमला के जाने के बाद चांदनी सोफ़े पर बैठी सोच रही थी कि मम्मी से सलाह ले लेती हूँ। तभी अजित अपने कमरे से बाहर आया और आकर चांदनी के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया।
चांदनी: पापा जी चाय लेंगे?
अजित: ले आओ। ले लेंगे। वैसे लेना तो कुछ और भी है तुम्हारा,पर तुम तो सिर्फ़ चाय पिलाती हो। वह अब बेशर्मी पर उतर आया था। अब उसे अश्लील भाषा का भी लिहाज़ नहीं रहा था।
चांदनी उसकी इस तरह के लहजे से हैरान हो गयी और बोली: पापा जी आप किस तरह की बातें कर रहे हैं। मैं आपकी बहू हूँ आख़िर। छी कोई अपनी बहू से भी ऐसी बातें करता है भला।
अजित: देखो बहु, मैंने तो कल ही साफ़ साफ़ कह चुका हूँ कि मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ। अब इसी बात को दुहरा ही तो रहा हूँ, कि मुझे तुम और तुम्हारी चाहिए।
चांदनी: पापा जी आपके कोई संस्कार हैं या नहीं? अच्छे परिवार के लोग ऐसी बातें थोड़े ही करते हैं।
अजित: संस्कार? हा हा हममें से किसी में भी संस्कार नहीं है। ना हमारे परिवार में और ना तुम्हारे परिवार में। बड़ी आयी संस्कार की बातें करने वाली।
चांदनी: पापा जी आपके परिवार का तो पता नहीं पर मेरे परिवार में संस्कार का बहुत महत्व है।
अजित कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला: अच्छा , और अगर मैं ये साबित कर दूँ कि तुम्हारा परिवार संस्कारी नहीं है तो तुम मुझे वो दे दोगी जो मुझे चाहिए?
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