पड़ोसी – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Thu, 22 Mar 2018 06:59:40 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png पड़ोसी – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 उसकी चुत में मेरा लंड आगे पीछे होता | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/usaki-chut-me-mera-lund-aage-piche-hota.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/usaki-chut-me-mera-lund-aage-piche-hota.html#respond Tue, 20 Mar 2018 04:46:08 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11986 उसकी चुत में मेरा लंड आगे पीछे होता, उन्होंने बताया उनका पति दुबई रहता जब आता है तब ही वो सेक्स कर पाती है नहीं तो बस ऐसे ही रात को करवट बदल-बदल कर गुजारनी पड़ती है उनके मुँह से ये सुनकर मैं उनकी और थोड़ा ओर आकर्षित हो गया फिर मैंने उनसे कहा मैं आपकी ये समस्या दूर कर सकता हूँ

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हाय गाइस… मेरी एंट्री थोड़ी लेट होती है, बट जब भी होती ग्रेट होती है..चलिए दोस्ती जब एंट्री मार ही लिया हूँ तो आपको अपनी एक कहानी भी सुना देता हूँ उससे पहले अगर आप लोगो को रिश्ते में सेक्स करना ये बात अच्छी नहीं लगाती तो प्लीज मेरी इस कहानी को न पढ़े. इस कहानी की हीरोइन कविता भाभी के बारे में बता दूँ। उनका कद पांच फुट तीन इंच का और रंग गोरा है। उनका वक्ष स्थल यानि चूचों का साइज करीब छत्तीस इंच का है। भाभी देखने में ऐसी लगती हैं कि मानो परी हों। जब वो चलती थीं.. तो उनके कूल्हे ऐसे मटकते कि अच्छे से अच्छे लोगों की भी पैंट गीली हो जाए |

ये बात आज से दो साल पहले की है.. जब मैं नौकरी के सिलसिले में मुंबई गया था। वहां मंगोलपुरी में मैंने किराए पर एक कमरा लिया। मेरी नौकरी में मेरी ड्यूटी कभी सुबह.. कभी रात को होती थी, क्योंकि मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था।

उन दिनों मेरी रात की ड्यूटी थी.. तो सुबह पांच बजे मैं अपने कमरे में आ जाता था और सो जाता था।

उस दिन मैं करीब ग्यारह बजे सोकर उठा और अपने कमरे की बालकनी में आकर खड़ा हो गया। उस दिन मैंने कविता भाभी को पहली बार देखा था।
मैं तो उन्हें देखता ही रह गया… वाह.. क्या मस्त भाभी थीं।

मेरे कमरे की स्थिति कुछ ऐसी थी कि अगर मैं अपने ऊपर वाले कमरे की बालकनी में आ जाऊं.. तो मुझे उनके घर के अन्दर थोड़ा-थोड़ा दिख जाता है।

जब मैंने भाभी को देखा तो अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थीं। जब वो झाड़ू लगा रही थीं.. तो उनका पल्लू कभी नीचे गिर जाता.. तो उनके चूचों के बीच की दरार दिख जाती। मुझे इस तरह से उनको देखने में बड़ा मजा आ रहा था।

कई दिन ऐसे ही निकल गए।
एक दिन उन्होंने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया.. पर वो बोलीं कुछ नहीं।

फिर एक दिन मैं पड़ोस की दुकान में सामान ले रहा था.. तो वो भाभी भी वहीं आ गईं।
मैं वहाँ से जाने लगा तो उन्होंने मुझे आवाज लगाई- सुनिए, आपका पर्स गिर गया है।

वो मेरा नाम नहीं जानती थीं.. तो मैं मुड़कर उनके पास गया। मैंने पर्स उठाया और उन्हें थैंक्स बोला।
यहीं से हमारी बातचीत शुरू हुई और हम चलते-चलते बात करने लगे।

उन्होंने मेरे बारे में पूछा.. तो मैंने भी उनके बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि उनका पति दुबई में बिज़नेस करता है और साल में दो-तीन महीने के लिए आता है।
उनके घर में उनके अलावा उनकी सास और ससुर रहते हैं और एक छोटा देवर भी रहता है।

मुझे भाभी से बात करना अच्छा लग रहा था.. तो मैंने भाभी को अपना फ़ोन नंबर दिया और उनसे उनका नंबर ले लिया।

अगले दिन मैंने उनको फ़ोन किया तो उन्होंने उठाया तो हम बात करने लगे।
कुछ दिन हम नार्मल बात करते रहे।

एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम मुझे उस दिन ऐसे क्यों देख रहे थे.. जब मैं बाहर झाड़ू लगा रही थी?
मैंने कहा- भाभी आपकी वक्ष के बीच में बनी दरार मुझे बड़ी अच्छी लगती है।

इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और हंस दीं।

मुझे हिम्मत मिली और मैंने आगे बात बढ़ाई। फिर धीरे-धीरे हम अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने लगे। कब ये बात सेक्स में बदल गई.. पता ही नहीं लगा।

इसी दौरान उन्होंने बताया कि उनका पति जब आता है तब ही वो सेक्स कर पाती है.. नहीं तो बस ऐसे ही रात को करवट बदल-बदल कर गुजारनी पड़ती है।

उनके मुँह से ये सुनकर मैं उनकी और थोड़ा ओर आकर्षित हो गया.. क्योंकि अकेली रह रही भाभी को देखकर कोई भी उनकी तरफ खिंचा जा सकता था।
मैंने उनसे कहा- मैं आपकी ये समस्या दूर कर सकता हूँ।
उन्होंने बिना कुछ कहे फ़ोन रख दिया।

मैंने सोचा कि पता नहीं मैंने क्या गलत कह दिया.. कहीं भाभी मुझसे नाराज तो नहीं हो गईं।
मैंने कुछ दिन फ़ोन नहीं किया।

लगभग दस दिन बाद भाभी का खुद फ़ोन आया तो उन्होंने कहा- तुम मेरी समस्या को कैसे दूर करोगे?
मैंने कहा- जैसे आपको ठीक लगे।
उन्होंने कहा- मैं आज तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने कहा- शाम को मिलते हैं.. अभी मेरी ड्यूटी है।
उन्होंने कहा- ठीक है।

शाम को हम मिले.. तो उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरी समस्या को मेरे साथ सेक्स करके दूर कर सकते हो.. क्योंकि मैं सेक्स की भूखी हूँ।

मैंने कहा- क्यों नहीं भाभी.. आप कहो और मैं न करूं। मैं भी कब से यही सोच रहा था.. इसीलिए तो उस रोज के बाद मैं आपको बाल्कनी से देखता था।
उन्होंने कहा- कल मेरे घरवाले शादी के लिए ग्वालियर जा रहे हैं.. मैं नहीं जा रही। तुम कल रात को मेरे घर आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।

उन दिनों मेरी ड्यूटी भी दिन के समय की थी। मुझे जाने में कोई दिक्कत नहीं थी और अगर होती भी तो छुट्टी ले लेता। क्योंकि जो मैं चाहता था.. वही होने वाला था।

मैं अगले दिन शाम को खाना खाकर आठ बजे उनके घर चला गया। मेरे मन में तो सेक्स हिलोरें खा रहा था।

मैंने उनके घर की बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला। उन्होंने स्लीवलेस कुर्ती और पजामा डाला हुआ था। मैंने सोचा कि शायद वो रात को यही पहन कर सोती हैं।

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मैं उन्हें देखता ही रह गया और उन्हें देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया।

भाभी जी ने मुझे अन्दर बुलाकर सोफे पर बिठाया और पानी लाकर दिया।
वो मेरे पास बैठ गईं.. तो मैंने उनसे कहा- मुझे पानी की प्यास नहीं है.. मुझे आपकी प्यास है।
यह कहते हुए मैंने उन्हें अपनी बांहों में पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगा।
वो बोलीं- यहाँ नहीं.. कमरे में चलते हैं।

हम दोनों उठकर बेडरूम में आ गए, वहां जाकर भाभी ने दरवाजा बंद किया।
अब मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा।

वो भी पलट गईं और मुझे भी कस कर पकड़ लिया, फिर हम एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे।
कुछ देर यूं ही चलता रहा।

उसके बाद मैं भाभी जी को गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उनके ऊपर आकर भाभी की कुर्ती में हाथ डालकर उनके चूचों को दबाने लगा। उनकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई।

उसके बाद मैंने देर न करते हुए उनकी कुर्ती निकाल दी। नंगी भाभी के शरीर का खुला नजारा देख कर मैंने कहा- वाह भाभी.. कहाँ छुपा कर रखा था इस खूबसूरत जिस्म को?
उन्होंने कहा- कहीं नहीं.. यहीं तो थे आपके सामने.. जिन्हें आप मुझे झाड़ू लगाते हुए देखते थे।

मैंने हँसते हुए उनकी ब्रा भी निकाल दी। ब्रा निकालने के बाद भाभी के चूचे ऐसे लग रहे थे जैसे काफी समय से किसी ने उन्हें छुआ ही न हो।

मैंने भाभी की नंगी चूचियों को दबाना और चूसना शुरू किया तो भाभी सिसकियाँ निकालने लगी थीं।

वो कह रही थीं- रोनित मेरी जान.. और जोर से चूसो मेरे चूचों को.. काफ़ी समय से इन्हें किसी ने नहीं चूसा है.. चूस चूस.. कर इन्हें लाल कर दो।

मैं और तेजी से उनके चूचे चूसने लगा और उनके काले काले निप्पलों को काटने लगा। भाभी को भी मजा आ रहा था और वो लगातार ‘आह.. आह.. हां ऐसे ही चूसो आह..’ की आवाज निकाल रही थीं।

करीब दस मिनट तक भाभी के चूचे चूसने के बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड भाभी को चूसने के लिए बोला तो भाभी ने झट से मेरा लंड पकड़ कर मुँह में भर लिया और चूसने लगीं।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. क्योंकि भाभी एकदम पागलों की तरह मेरा लंड चूस रही थीं।

मैंने भाभी की नंगी चूत में अपनी एक उंगली डाली.. तो उनकी ‘आह..’ निकल गई। मैंने भाभी की चूत में उंगली को आगे-पीछे करना शुरू किया।

भाभी पागल सी हो गईं.. और मेरे हाथ में ही झड़ गईं।

मैंने अपना मुँह उनकी चूत की तरफ किया और भाभी की चूत को चूसने लगा, वो मेरा लंड चूस रही थीं।
इसी बीच मैं भी भाभी के मुँह में होने वाला था.. तो मैंने भाभी जी से कहा- मैं होने वाला हूँ।

तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.. बस लंड चूसती रहीं।
मैं भाभी जी के मुँह में ही झड़ गया, वो मेरे लंड से निकले सारे माल को पी गईं.. फिर भी मेरा लंड को पागलों तरह चूसती रहीं।

मुझे थोड़ी अकड़न सी होने लगी.. तो मैंने उन्हें रोका और उनके चूचों को चूसने लगा।

पांच मिनट बाद भाभी फिर मेरे लंड को चूसने लगीं.. और अब उन्होंने मेरे लंड को चूस-चूस कर खड़ा कर दिया।
भाभी बोलीं- अब इसे मेरी चूत में उतारो.. मुझसे नहीं रहा जा रहा है।

मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाकर उनकी कमर के नीचे तकिया लगाया और चूत पर अपना लंड रखा। मैंने भाभी की आंखों में देखा और एक धक्का मार दिया। मेरा लंड एक इंच ही अन्दर गया होगा कि उन्होंने चीख मारी।

मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा। इस बार मेरा आधा लंड उनकी चूत में समां गया।

उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया। जब उन्हें मजा आने लगा तो फिर भाभी जी खुद अपनी कमर उठा-उठाकर मुझसे चुदने लगीं और मेरे लंड को अपने अन्दर तक डलवाने लगीं।

साथ में भाभी चिल्ला रही थीं- आहह रॉनित.. फाड़ दे इसे आज.. बहुत दिन से तड़प रही है ये.. किसी के लंड के लिए.. अहह.. आज बुझा दे इसकी आग..
मैंने कहा- भाभी जी आज मैं आपकी चूत की पूरी तसल्ली करवा दूँगा और आज मैं भी इसे छोड़ने वाला नहीं हूँ।

मैं भी बहुत दिनों से सेक्स का भूखा था और फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मैंने भाभी को बीस मिनट तक चोदा और अंत में मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया। फिर मैं भाभी के शरीर पर ही लेट गया।

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर भाभी ने पूछा- बहुत अच्छा चोदा तुमने.. क्या तुमने पहले भी किसी से सेक्स किया है?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी.. मेरी एक गर्ल फ्रेंड थी कोमल.. उसे मैंने चोदा है। एक बार उसे और उसकी फ्रेंड को भी चोदा है।

उसके बाद भाभी और मैं बाथरूम में गए और एक-दूसरे को साफ़ किया। वहां भी हमने शावर के नीचे एक-दूसरे को चूमते हुए सेक्स किया।

इस रात हमने चार बार सेक्स किया।

फिर मैंने भाभी को गर्भ निरोधक गोली दे दी। अगले दिन मैंने भाभी को उनके बेडरूम की दीवार के सहारे खड़ा करके.. मेज के ऊपर लिटाकर और कुर्सी पर बिठाकर भाभी जी चूत और गांड दोनों मारी।

जब भी मुझे मौका मिलता मैं उनके अच्छे देवर की तरह रोज चुदाई करता हूँ।

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सेक्सी आंटी की कीमत | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/sexy-aunty-ki-kimat.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/sexy-aunty-ki-kimat.html#respond Sat, 10 Mar 2018 10:35:24 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12170 सेक्सी आंटी की कीमत, सुजाता और अजय गेस्ट हाउस मिलने चले गए अब वहा पर रमेश अपने रूम में बेठा हुआ था सुजाताा और अजय अंदर गए मिलकर बात करने लगे अजय सुजाता के बारे में बोलने लगा सुजाताा बोलने लगी कि आपसे मिलना था बात करते-करते अजय बोलने लगा मैं बाहर से आता हू अब अजय बाहर चला गया था रमेश और सुजाता बात करने लगे थे रमेश ने सुजाता को तुम बोलो बहुत हॉट हो सुजाताा बोलने लगी तुमको किसने बोला है?

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हैलो दोस्तो, मेरा नाम अजय है, मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ. आज मैं आपको अपनी तीसरी कहानी है या कहानी किसी और दूसरों ने भेजे है उन्होंने आपन नाम बताये है लेकिन मैं नाम बदल दिया है, आंटी का नाम सुजाता है उम्र ३८ है और उसका फिगर साईज ३४-२८-३६ है; और वो दिखने में भी बहुत सुंदर है और गान्ड बहुत मोटी है आंटी.

एक दोस्त था उस नाम अजय उम्र ४७ और उसकी दोस्ती किसी बहुत बड़े नेता से थी. रमेश नाम उम्र ५०, अजय को जब जब टाइम मिलता था तब तब सुजाताा कि चुदाई करता था लेकिन आज तक सुजाता दूसरों लंड नही,,,,,,, लीयत अब मैं कहानी आता हूँ, सुजाता ने कहा एक दिन अजय आपके दोस्त से मीलना है अजय हा बोल दिया मिलाता हूँ. अजय एक उस दिन आपने दोस्त फोन क्या और बोल लग तुम से मील है रमेश बोल हा कल मिलाता हूँ. आपने गस्ट हाउस में मिलाता हूँ. और फोन काट दिया।।

दूसरी दिन सुजाता और अजय गस्ट हाउस मिलने चले गए अब वहा पर रमेश अपने रूम में बेटा हुआ था सुजाताा और अजय अंदर गए मिलकर बात करने लगे अजय सुजाता के बारे में बोलने लगा  सुजाताा बोलने लगी कि आपसे मिलना था बात करते-करते अजय बोलने लगा मैं बाहर से आता हू अब अजय बाहर चला गया था रमेश और सुजाता बात करने लगे थे रमेश ने सुजाता को तुम बोलो बहुत हॉट हो सुजाताा बोलने लगी तुमको किसने बोला है?

रमेश बोलने लगा मेरे को सब मालूम है अजय का और तुम्हारा क्या है रमेश ने सुजाता का हाथ पकड़ लिया था और बोलन लगी तुम क्या कर रहे हो रमेश इतने में अजय आ गया था सुजाताा अजय को बोलन लगी रमेश जी को तुम क्या बोल हैं मेरे बारे में अजय बोलने लगा  दोस्ती की बात दोस्तों ही को तो बोल हैं रमेश जी बोलन लगे दोस्ती में तो सभी होता है अजय बोलने लगा रमेश को सब बोल दिया है तुमहारे बारे में रमेश जी ने सुजाता क हाथ पकड़ लिया और आपने  तरफ खींचा और सुजाता के बूब्स दबाने लगा और सुजाता नई-नई बोलने लगी.

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अजय यह सब देख रहा था रमेश ने अब सुजाता के बूब्स दबाने लगा और आब सुजाता को मजा आ रहा था अब रमेश ने सुजाताा का ब्रा  खोल दिया और  बूब्स को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा; अब वो सुजाता  पागल होने लगी थी और कहने लगी कि और चूसो प्लीज.वो मानो पागल हो गयी थी और आय यस स्श्ह इह्ह उऔऔ इह्ह उऔ ऊया औ उहिही उहू कर रही थी और उछलने लगी थी और अजय साब दकर मजा लरा था रमेश आब धीरे-धीरे अपनी स्पीड तेज की और सूजता के मुँह से , आहह आहह्ह्ह आय यस स्श्ह इह्ह उऔऔ इह्ह उऔ ऊया औ उहिही  और फिर  रमेश ने सुजाता की साडी उतार दी;

अभी सिर्फ सुजाताा पेटीकोट में थी; अब अजय भी आ गया सजाता के पास तभी अजय गुस्से में बोले साली रंडी हरामजादी चल अब यूँ ही घुटनों के बल बैठकर कुतिया जैसे चलकर मेरे पास आ फिर जब घुटनों पर बैठी तो बिना ब्रा के  दोनों बूब्स  के बाहर लटक गये और अजय पेट खोल और रमेश जी अपना पेंट खोल दिया आब अजय और रमेश जी दोनों लंड खुलकर सामने आ गए सुजाताा के सामने आब  सुजाताा अजय का लंड मुंह में ले कर चूसने लगी. साथ ही रमेश जी के लंड को हाथ में पकड़ कर हिलाने लगी. बारी बारी बारी से सुजाताा दोनों का लंड चूस रही थी और दोनों लंड सुजाताा के गले तक जा रहे थे और सुजाताा के मुंह से पानी निकल रहा था.

अब दोनों को मजा आ रहा था और सुजाताा जोर-जोर से मजा ले कर लंड चूस रही थी अब दोनों ने सुजाताा के मुंह में लंड का पानी निकाल दिया सुजाताा बाथरूम में  जाकर अपना मुंह साफ करने लगी और इतने में अजय अंदर आ गया और सुजाताा के गांड पर हाथ रख दिया और सुजाताा  की गांड के ऊपर लड़ सैट किया और एक जोर का धक्का दिया तो पूरा मोटा कला लंड सुजाताा की गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया..

सुजाताा  चीख  ने लगी और मुंह आआ.. ईईईईईइ.. ऊऊफ़्फ़्स्स चिल्लाने लगी लंड घुसाने से उसकी दर्द के मारे चीख निकल गई- आऐईईइ ऊऊऊ ऊऊऊऊ और  सुजाताा गली देने लगी  मादरचोद मार दिया.. भोसड़ी के गांड में मत कर..दर्द होरा है ,अजय और जोर-जोर से गांड लंड गुस ने लग आब पूरी बतरूम फच फच  आवज आने लगा आब अजय ने अपना लंड क पानी सुजाताा के गण्ड के अंदर ही निकाल दिया आब अजय और सुजाताा बतरूम बहार निकले आब रमेश जी बहार बैट होऊ थे और सुजाताा दकर बोल ने लगा आज तुमरी चुदाई करना है तुम जो बोलगी वो लेकर दूँगा.

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अब सुजाताा बोल लगी क्या नही होना रमेश जी ने आपने पास बुलया और सुजाताा को बोल ने लगा मेरा लंड के ऊपर बैट गि तुम आब सुजाताा  रमेश जी लंड के ऊपर बैट गई रमेश जी लंड खड़ था सीद  सुजाताा की  की चूत के अंदर घुस गया और उसके बाद में रमेश जी अपनी तरफ से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे  इस काम वह दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था। फिर कुछ देर बाद सुजाताा  ने भी नीचे से अपने कूल्हों को उछाल उछालकर  और मैं काफ़ी तेज झटके मारने लगा. १५ मिनट झटके मारने के बाद रमेश जी झड़ गई उस दिन सुजाताा तीन बार
चुदाई  हो गई और सुजाताा रमेश जी काफ़ी देर नंगे ही ऐसे पड़े रहे.;

एक घंटे बाद सुजाताा जी उठाया और कपड़े पहने. और सुजाताा अजय  बाद मैं वहाँ से चला गया. सूरज जी को जब जब टाइम मिलता है तब तब सुजाताा को बुलाते हैं और चुदई करते हैं यह कहानी कैसी लगी कमेंट करें [email protected]

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चूत चटवाते हुए झड़ते वक्त मुह में मूत दिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/chut-chatwate-huye-jhadte-wakt-muh-me-mut-dita.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/chut-chatwate-huye-jhadte-wakt-muh-me-mut-dita.html#respond Mon, 05 Mar 2018 07:55:44 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12135 चूत चटवाते हुए झड़ते वक्त मुह में मूत दिया, मैंने बोला रंडी तुझे पटक पटक कर चोदूंगा फिर मैंने उसके नवल पर किस किया और उसको लीक करने लगा रिया तो जैसे पागल होती जा रही थी फिर मैंने उसकी पूरी बॉडी पर किस किया. फिर मैंने उसकी जींस पर हाथ डालने की कोशिश की तो बोली अभी नहीं, अभी तो तेरा लौड़ा चूसना है मेरे को. फिर मैं उसको चुसाया. कसम से क्या मजा आ रहा था

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कुत्तो की अपनी चूत चटवाती आंटी की चुदाई की कहानी जो चूत को चटवाते हुए आंटी मुझे कुत्ता बनाकर मुँह में मुतना शुरू कर दी। दोस्तों मैं हूं कादिर और मैं आजमगढ़ से हु। और मेरा 6 इंच का लंड हे काला है पर अन्दर से पूरा पिंक. मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थी. जिनका नाम गोमती था. एकदम टाइट माल थी वो. गांड ३६ की थी एकदम फूली हुई और चुचिया ३४ के ब्लाउज से बहार आते हुए.. उसे देख किसी के भी लंड में पानी आ जाए ऐसा माल थी वो.

मेरी उससे मुलाकात एक रात हुई. जब वो कही से आ रही थी. में उस वक्त मेरी गाड़ी से आ रहा था और वह मुझे रस्ते पर चलती मिल गयी. तो मैने उन्हें पूछा की आप मेरे साथ घर पर चलोगी और वो एकदम रंडियों वाली स्माइल दे कर बेठ भी गई. बाते सुरु हुई और में ठहरा हरामी किसम का मर्द ब्रेकर पे जोर जोर से ब्रेक लगा के में उनको मुज पर चिपकने पर मजबूर कर रहा था और उनकी नरम चूचो के मजे भी ले रहा था.

उनका घर आ गया और रस्ते में मुझे यह पता चला की वह एक आर्मी वाले की बीवी हे. और बचे नही हे. इस से मुझे अंदाज हो गया मुझे की साली सेक्स की भूखी होगी रांड. रात को उनके नाम से मुठ मारा. और में उस दिन से उस पर मेरी नजर रखने लगा और वह जब भी मुझे देखती तब में हमेशा स्माइल देता था. एक दिन हिमत करके उसके घर गया उस दिन सन्डे था. उन्होंने दरवाजा खोला साली माल लग रही थी. में तो उसे दो मिनिट तक आँखे फाड़ फाड़ के देखता ही रह गया

उसने उस समय पर टाइट पिंक नाईटी पहनी हुई थी और उसके बूब्स तो और बूब्स तो जेसे की अभी बहार ही आ जांएगे. मेने अपने होठो को सेक्सी तरीके से चाटा.

उसने मुझे अन्दर बुलाया तो में अंदर जा के बैठ गया और उसके साथ में नोर्मल बात कर रहा था. मेरे पेंट में अब मारा सोया हुआ शैतान जाग रहा था.

साली अब मुझसे रहा नही गया. तो में उठा और किचन में जा कर उसकी गांड पे एक थप्पड़ मार दिया. और बोला आंटी आय लव यु.

अब वह एकदम चकित कर देने वाला जवाब देकर बोली बेटा नजर तो मेरी तुझ पे कब से थी. मुझे तेरे जैसा ही मर्द चाहिए था.

आज रात किटी पार्टी हे. आ जाना सब मेरे जेसी प्यासी औरते होंगी.

मेने कहा अभी कुछ तो दे दो बेबी. उसने बोला तड़प मेरे राजा टाइम आने पे सब मिलेंगा.

मुझसे रहा नही गया. मेने उसके गांड से नाईटी उठा कर गांड दबाने लगा. वो कहरा रही थी आआ हाहाहा हरामी आग लगी हे साले और मुझे नंगा कर दिया. मेरे कपडे जंगली कुत्तिया की तरह फाड़ दिये. और बोली चल शाम का ट्रेलर दिखाती हु. और मुझे कुत्ते के पटे से बाँध दिया. और वह मुझे गले से खीचते हुई टॉयलेट में ले गयी. कपबर्ड में मुह खुलवा कर चूत पे पाइप लगा कर मुतने लगी. उम्म और बोली पि हरामजादे आज से तू मेरा कुत्ता बन गया हे. अब से तू मुझे शांत करेगा.

मेरे मुह पे गांड डाल कर बैठ गई. और गांड को दबाने लगी. मुझे मजा आ रहा था. बड़े गांड के बीच में गांड में जीभ डाल कर चाट रहा था.

फिर उसने मेरी गांड पे बेल्ट से मारना सुरु किया. और में भीख मांग रहा था. मालकिन छोड़ दो. मुझे मजा भी बहुत आ रहा था मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की वह मेरे साथ ऐसा कुछ भी कर सकती हे. वह मुझे बोली बोली मेरी चूत की आग बुझा दे मेरे पालतू कुत्ते. फिर उसने मेरे लंड पर थूक दिया और उसे चाटने लगी और उसने उसकी चूत को मेंरे मुह में घुसेड दिया.

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उसकी चूत की खुशबू बहुत लाजवाब थी और उसकी चूत बहुत टाइट थी मैंने उसकी चूत को चूसा और उस पर मेरे दांत से काट लिया और वह साली आह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह कर के मेरे हर काटने को एंजॉय कर रही थी. और फिर वह बोली मेरे राजा मेरी चुदाई इससे अच्छी कही नहीं हो सकती और फिर वह मेरे लंड को तब तक चूसती रही जब तक मेरे लंड से पानी उसका मुंह भर ना गया और मैने उसके मुह में मेरा माल छोड़ दिया.

फिर वह मेरे लंड को चूसने लगी और फिर उसने मेरे लंड पर बैठ गयी और वह उसकी चूत को मेरे मुह पर घिसने लगी फिर उसने उसका सारा माल मेरे मुंह में डाल दिया और साथ में वह मेरे मुंह में मूत भी गई साली रंडी. मगर मैने उस रंडी के चूत का एक रस का बूंद भी नहीं छोड़ा, सब चाट लिया.

अब उस साली की भूख बहुत बढ़ गई थी. वह मुझे बोली आ जा मेरे राजा आज अपनी चूत की तुज को सेर कराती हु. एक तरह से मैं अभी अपनी वर्जिन हूं क्योंकि मेरे पति के डर से कोई चोदता ही नहीं मुझे.

फिर वह मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी भारी गांड के साथ वह अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ने लगी उम्म्म्म अहहह अह्ह्ह उम्म्म अह्ह्ह वाह क्या सेक्सी फिलिंग थी यार और में उसकी चूची को पकड़ कर दबा रहा था. और फिर वह बोली चल मेरे टॉमी चल अपनी मालकिन की चूत को इतना चोद के मेरी चूत तेरे लंड से प्यार कर बैठे.

मैंने चूत में थूक लगाया, लंड को हीलाया और एक झटके में डालने की कोशिश की पर सच में चूत टाइट थी या मेरा लंड बड़ा था. और लंड घुसने के बाद साली को मजा आने लगा, और वह मुझे बोली, मेरे कुत्ते टॉमी मालकिन की मखमली चूत को फाड़ दे. फिर मैं धीरे धीरे से चूत को फेरने और फिर एक जोर से धक्का मारा पर मेरा और अहहह अह्ह्ह मेरा पूरा लंड मालकिन कि नरम नरम चूत में घुस गया. वह चिल्ला गई जैसे की उसका चूत फट गया हो. और फिर वह मुझे बोली मेरे राजा तू मेरा शेर कुत्ता है.

मैं और जोश में आ गया. और मैने साली को कहा मेरी मालकिन कूदो मेरे लंड पे आज सारा मजा ले ही लो मेरी कुत्तिया.

यह सुनकर वह जोश में आ गई और मेरे लंड पर कूदने लगी मेरा लंड टाइट हो गया और मैं तो जैसे जन्नत में था.

वह बोली राजा चोद डाल इस चूत को आह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह ओह्ह अहह उम्म्म बहुत मजा आ रहा है.

अब आंटी का मूड चेंज हुआ और वह एकदम से मालकिन बन गई और मुझे बोली जो बोलती हूं वह तुम करो

उसने बोला चल अब मेरे पैर चाट, मैंने बोला सच में? उस ने मुझे थप्पड़ मारा और बोला चाट मादरचोद. मैं भी उसके पैर चाट रहा था उससे बहुत मजा आ रहा था वह आह्ह अह्ह्ह अहहह अच्छे से चाट आह्ह अह्ह्ह. फिर उसने बोला चल अब मेरा टॉप उतार और मेरे बूब्स को चुस डाल पूरा. मैंने उसका टॉप और ब्रा उतारा और उसके बूब्स को १५ मिनट तक चूसता रहा. निली आह्ह अह्ह्ह ओह्ह और जोर से चूस खाजा मेरा पूरा ऐसा बोल रही थी. फिर उसने मुझे फिर से मारा और बोली गांडू दूध ही पीता रहेगा के चोदेगा भी.

मैंने बोला रंडी तुझे पटक पटक कर चोदूंगा आज. फिर मैंने उसके नवल पर किस किया और उसको लीक करने लगा. निली तो जैसे पागल होती जा रही थी फिर मैंने उसकी पूरी बॉडी पर किस किया. फिर मैंने उसकी जींस पर हाथ डालने की कोशिश की तो बोली अभी नहीं, अभी तो तेरा लौड़ा चूसना है मेरे को. फिर मैं उसको चुसाया. कसम से क्या मजा आ रहा था उसने ५ मिनट तक मेरा लंड चूसा. और मैंने बोला अब तो उतार डू तेरी जींस?

फिर वह बोली उतार उतार. फिर मैंने जैसे ही उतारी उसकी जींस. और में उसकी पैंटी भी उतार रहा था. फिर उसने मुझे मारा और बोली भोसडीके के सीधा चूत? पहले मेरी जांघे तो चाट दे अच्छे से.. फिर मैं उसकी जांघ को लीक करने लग गया. ५ मिनट तक उस की सिसकिया चालू रही और वह बोली आज तो मजा आ रहा है रे लौड़े तेरे से चुदवाने में. फिर मैंने उसकी पेंटी उतारी उस ने कुछ नहीं कहा.

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फिर मैंने उसकी चूत चाटना चालू कर दिया मैंने ३-४ मिनट चाटता रहा. उसके बाद मैं कंडोम पहनने लगा तो वह बोली अबे छोड़ उसको ऐसे ही चोद दे मुझे मैं अब नहीं रुक सकती, कुत्ते जल्दी कर.

फिर मैंने भी सोचा ऐसे ही चोद डालता हूं. फिर मैंने ऐसे ही अपना लंड उसकी चूत पर रखा और में धीरे धीरे डाल रहा था. वह बोली जोर से फिर मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर जोर से धक्के मारने लगा. मैंने बोला ले रंडी ओर से. और वह आह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह ओह्ह आह्ह उम्म्म्म दर्द दे रहा हे धीरे कर बोलने लगी. फिर मैंने बोला मादरचोद ऐसे ही चोदुंगा और जोर से चोदने लगा.

५ मिनट तक उसको चोदता रहा ऐसे ही. फिर उसको बोला चल अब ऊपर आ मेरे और मेरे लंड पर चूत रख और मेरा पूरा लंड उसके अंदर चला गया. और फिर इसी तरह उसको चोद रहा था, इतने में वह जड चुकी थी. और मैं भी बस उसकी चूत के अंदर ही जड गया.

फिर मैंने उसको एक स्मूच किया. फिर वह बोली अब मेरी आखरी बात मान ले. तो मैंने बोला बोल जान बोल मेरी रंडी क्या? तो वह बोली चल अब मेरी मूत पी. मैंने सोचा फिर मैं बोला ठीक है फिर उसकी चूत के पास बैठा. वह मेरे चेहरे पर मूत दी और मैं पूरा चेहरा उसकी मूत से भर गया था. मैंने मुह खोला और उसकी मूत पी.

मैंने बोला चल रंडी तैयार हो जा मुझे भी मूत आ रही है.

अब वह बैठ गई और उसके ऊपर में मूतना चालू किया. वह मेरा लंड चूस भी रही थी. मैने उसके ऊपर पूरा मूत दिया और मूत उसके बूब्स पे भी आ गयी थी. और मैने उसके मुह में भी मूत पिलाया. फिर हम लोग बात रूम गये और दोनों नहाये वहा पे.

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होली में भीगा बदन ऊपर से आंटी का मन | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/holi-me-bheega-badan-upar-se-aunty-ka-man.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/holi-me-bheega-badan-upar-se-aunty-ka-man.html#respond Sun, 04 Mar 2018 07:15:12 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12123 आज की यह अन्तर्वासना सेक्स स्टोरी होली में भीगा बदन ऊपर से आंटी का मन कहानी को पढ़ आप सभी को मस्त्रुबतिओन करना पड़ सकता है तो उसके लिए तैयार रहे. ये कहानी है मेरे पड़ोस की मोटी चुदासी सेक्सी आंटी की जिनकी चुत पे होली के रंग लगाकर सेक्स के मजे लिए

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हाय दोस्तों, आप सभी की कहानियो पे तो मैं फ़िदा हो गया हूँ, जब भी कोई रिश्तो में सेक्स की कहनिया पढता हूँ तो बस दिमाग में ये आता है की क्या ऐसा भी कोई परिवार हो सकता है जो अपनी मर्जी से भाई बहन, मा बेटा, बाप बेटी, सास दामाद, और ससुर बहु की बिच सेक्स हो सकता है. लेकिन अब मुझे भी एक्सपीरियंस हो चूका इतना तो समझ ही गया की हर किसी के मन में इसके प्रति वासना रहती है लेकिन उनमे से कोई उसके लिए आसानी से मन जाता तो कोई नहीं मानता. बुत चलिए हमारी संस्कृति ऐसी है की वो इस तरह की रिश्तो में सेक्स को सही नहीं मानती जिसकी वजह से लोग इस रिश्तो को गुप्त रखते है. और छुप छुप के चुदाई का आनंद उठाते है. चलिए अब एक होली वाली सेक्स कहानी पर आते हे.

मेरा नाम शरद हे और मैं 28 साल का हु. मैं मेरिड हूँ और मैं पतला हूँ लेकिन मेरा लंड बड़ा और चौड़ा हे. मैं पवई की एक प्राइवेट फर्म में काम करता हु लेकिन मेरा नेटिव प्लेस वैसे कोटा हे. मैं यहाँ कांजुलमार्ग में एक किराए के मकान में किरायेदार के तौर पर रहता हूँ. चलिए आप मैं आप को इस कहानी की हिरोइन से मिलवाऊ. वो 35-36 साल की एक सेक्सी आंटी हे. वो एक बच्चे की माँ हे लेकिन अभी भी उसे देख के लगता ही नहीं हे की ऐसा हो. उसका पति पवई से बहार काम करता हे और वो महीने में एकाद दो बार ही घर पर आता हे. और शायद यही वजह थी की आंटी जी मुझे पहले से ही फुल लाइन दे रही थी. आंटी की चूत पक्का प्यासी थी ये मुझे पता था! होली के दिन मैंने देखा की आज भी अंकल घर नहीं आये थे. मैं भी एक ही दिन की छुट्टी मिलने की वजह से कोटा नहीं गया था.. मुझे होली खेलने का मुड़ नहीं बना तो मैं अपने कमरे में बैठ के टीवी देख रहा था. आंटी का लड़का बहार अपने यार दोस्तों के साथ रंग खेलने के लिए गया था. आंटी भी अपनी उम्र की औरतों और जवान लड़कियों और भाभियों के साथ होली खेल के वापस आ गई थी.

हम लोग सुबह से मिले नहीं थे क्यूंकि मैं थोडा लेट जगा था. आंटी मेरे पास आई और उसने मुझे हेप्पी होली कहा. मैंने भी होली की बधाई दी. आंटी ने थोडा और नोटीनेस दिखा के मेरे गालों के ऊपर गुलाल लगा दिया. और फिर वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गई. और फिर तुरंत वो बाथरूम में नहाने के लिए भी चली गई. कुछ देर में आंटी ने मुझे बुलाया.

मैं जा के बाथरूम के पास रुका. मैंने देखा की आंटी ने बाथरूम का डोर खुला रखा था. मैंने पूछा क्या हुआ तो उसने कहा अन्दर आओ मनोज देखो न ये नल मेरे से खुल ही नहीं रहा हे.

 मैं अन्दर घुसा और अन्दर का सिन देख के मेरे लंड और दिमाग एक एक न्यूरोन यानी नर्व तन्तु की माँ बहन एक हो गई. आंटी एकदम ओपन यानी की नंगी खड़ी हुई थी.

मैंने कहा लेकिन आप तो…!

आंटी ने हंस के कहा, अरे इसमें क्या हुआ, तुम घर के ही तो हो, क्या अपनी बीवी के साथ नंगा नहाये नहीं क्या! शर्माना छोडो और मेरे लिए जल्दी से नल खोलो. आंटी एकदम सेक्सी लग रही थी अपने इस न्यूड अवतार में. उसका सेक्सी बदन देख के कोई नहीं कह सकता हे की वो एक बच्चे की माँ थी. मैंने नल खोला, और वो एकदम आसानी से खुल गया. मैं आंटी को कहने के लिए मुड़ा की ये तो एकदम फ्री खुल रहा हे.

लेकिन तभी आंटी ने मेरे ऊपर आधी बाल्टी पानी फेंक के मुझे भिगो दिया! उसने मुझे भिगोने के लिए ही बुलाया था. और उस पानी के अन्दर रंग भी डाला हुआ थे उसने. मैंने अपने बाल को और आँखों के ऊपर से पानी को हटा के बोला, अब मैं कैसे निचे जाऊँगा इस हाल में?

तो उसने कहा चलो हम दोनों साथ में रंग छुड़ा लेते हे.

मैं नहीं करना चाहता था इसलिए एक कदम पीछे हटा. लेकिन आंटी शायद आज मुझे छोड़ने के मुड़ में नहीं थी. उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ सा लिया. और वो बोली, मेरिड हो और अनुभव वाले हो फिर इतने क्यूँ शर्माते हो भला! और ये कह के उन्होंने मेरा लोवर और चड्डी दोनों खिंच लिया. आंटी की इस हरकत ने मेरे लौड़े को भी हिला के रख दिया. बहुत दिनों से मैंने भी अपनी बीवी को नहीं चोदा था इसलिए फटाक से लंड कड़क हो गया.

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मैंने आंटी के बूब्स को अपने हाथ में ले के दबाये और उन्हें चूमने लगा. आंटी ने अपने हाथ मेरी गांड पर दबाये और अपनी तरफ खींचने लगी.

मैंने आंटी को कहा, बहुत दिन से मेरा लंड लेने की ट्राय में थी तुम.

वो बोली, हां मेरा बेटा घर पर होता था जब तुम होते थे. आज जा के चांस मिला हे इस लेने के. और ये कहते हुए उसने मेरे लंड को दबा दिया. मैंने कहा, तो क्या हर किरायेदार से चुदी हो तुम?

वो बोली, ऐसी मेरी किस्मत कहा! तुम इस मकान के पहले किरायेदार हो. पहले तो उस कमरे में मेरा देवर रहता था.

मैंने कहा, फिर आप ने उसका लिया होगा ना.

छी, वो खुद एक गांडू था और अपनी मरवाने के लिए लोगो को लाता था. तभी तो उसे बहार निकाल के तुम्हे भाड़े पर दे दिया.

मैंने हाथ को आंटी की चूत पर लगा के दबाया. उसकी चूत अन्दर से गीली हुई पड़ी थी. वो कस के मुझे किस करने लगी.

और उसने भी मेरे लौड़े को अपनी मुठी में बंध कर के हिला दिया. मैंने उसके निपल्स को काटा और उसके मुहं से आह निकल पड़ी.  आंटी ने कहा, चलो जल्दी से डाल दो मेरे अंदर.

मैंने कहा एकदम डालना हे?

वो बोली, अरे मैं आज तो जल्दी से अंदर ही लेना चाहती हूँ. फिर प्यार रोमांस सब करेंगे.

मैंने आंटी को बाथरूम की दिवार पकड के खड़ा करवा दिया. फिर पीछे से उसकी गांड के चिक्स यानी की कूल्हों को खोला.

उसकी चूत का छेद देखा तो उसके ऊपर भी होली के रंग लगे हुए थे. मैंने अपना लंड वहाँ रखा तो आंटी की आह्ह निकल गई. मैंने आंटी की कमर को पकड के हौले से धक्का दिया और लंड अन्दर आधा घुस गया. मुझे लंड के ऊपर चिपचिपाहट सी फिल हुई. आंटी बोली, इतने बेदर्दी न बनो, थोडा धीरे से करो!

मैंने कहा, रुक जाओ डार्लिंग. अभी मजा आएगा!

और फिर मैं धीरे धीरे से आंटी की चूत में लंड को हिलाना चालू कर दिया. और एक मिनिट के अन्दर मैंने लंड को पूरा उसकी चूत में घुसेड दिया. आंटी की चूत का रंग निकल के मेरे लंड पर भी आ गया. आंटी भी अपनी गांड को जोर जोर से घिस के मुझे मजे दे रही थी.

मैंने अब उसकी गांड को पकड के जोर जोर से चोदना चालू कर दिया. वो भी हांफती हुई कुतिया की तरह चुदवा रही थी.

और 10 मिनिट की मस्त चुदाई के बाद मैंने कहा, चलो आगे घुमो. वो आगे को हुई तो मैंने उसकी एक टांग को उठा के उसकी चूत में लंड भर दिया.

अब की वो हिल नहीं प् रही थी. लेकिन चुदवाने में अभी भी वो वैसी ही हॉट थी. मैंने कस के उसे 10 मिनिट और चोदा और उसके अन्दर वो 2 बार झड़ गई.

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मेरा भी लंड का पानी निकलने को था. मैंने कहा, आंटी मेरा वीर्य कहा निकालू?

तो वो बोली, अन्दर नाह क्यूंकि पति कम ही चोदते हे मुझे.

मैंने कहा, फिर अपने मुहं में ले लो.

वो बोली ठीक हे.

मैंने लंड को चूत से निकाला. आंटी घुटनों के ऊपर बैठ के लंड को चूसने लगी. केले को खा रही हो वैसे वो मस्त ब्लोव्जोब दे रही थी.

एक मिनिट में मेरे लंड की मलाई उसके मुहं में चूत गई. और वो सब पी भी गई.

दोस्तों हमारी ये चुदाई उस दिन चालु हुई थी पूरी नहीं. आज भी मैं इस सेक्सी मकानमालिकिन आंटी को अपने लौड़े का मजा दे रहा हु.

दोस्तों जाने से पहले आप सब को एक बार फिर से हेप्पी होली!

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करुणा भाभी का नंगा बदन देख | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/karuna-bhabhi-ka-nanga-badan-dekh.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/karuna-bhabhi-ka-nanga-badan-dekh.html#respond Mon, 12 Feb 2018 12:50:12 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11934 करुणा भाभी का नंगा बदन देख, मेरे घर की बालकनी के सामने रहने वाली करुणा भाभी ज्यादा अपने पति से चुदी नहीं थी उनकी प्यास गहरी थी और मैंने उनसे दोस्ती कर उनके साथ जिस्मानी रिश्ता बनाया उनका पूरा बदन जैसे खिली हुआ गुलाब जिसे बरसो से किसी ने न छुवा हो

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मैं आपको कहानी की हीरोइन करुणा भाभी के बारे में बता दूँ। उनका कद 5 फुट6 इंच का और रंग गोरा है। उनका वक्ष स्थल यानि चूचों का साइज करीब छत्तीस इंच का है। भाभी देखने में ऐसी लगती हैं कि मानो परी हों। जब वो चलती थीं.. तो उनके कूल्हे ऐसे मटकते कि अच्छे से अच्छे लोगों की भी पैंट गीली हो जाए।

ये बात आज से दो साल पहले की है.. जब मैं नौकरी के सिलसिले में दिल्ली गया था। वहां नैनी में मैंने किराए पर एक कमरा लिया। मेरी नौकरी में मेरी ड्यूटी कभी सुबह.. कभी रात को होती थी, क्योंकि मैं एक कॉल सेंटर में काम करता था। उन दिनों मेरी रात की ड्यूटी थी.. तो सुबह पांच बजे मैं अपने कमरे में आ जाता था और सो जाता था।

उस दिन मैं करीब 11 बजे सोकर उठा और अपने कमरे की बालकनी में आकर खड़ा हो गया। उस दिन मैंने करुणा भाभी को पहली बार देखा था।
मैं तो उन्हें देखता ही रह गया… वाह.. क्या मस्त भाभी थीं। मेरे कमरे की स्थिति कुछ ऐसी थी कि अगर मैं अपने ऊपर वाले कमरे की बालकनी में आ जाऊं.. तो मुझे उनके घर के अन्दर थोड़ा-थोड़ा दिख जाता है।

जब मैंने भाभी को देखा तो अपने घर के बाहर झाड़ू लगा रही थीं। जब वो झाड़ू लगा रही थीं.. तो उनका पल्लू कभी नीचे गिर जाता.. तो उनके चूचों के बीच की दरार दिख जाती। मुझे इस तरह से उनको देखने में बड़ा मजा आ रहा था। कई दिन ऐसे ही निकल गए।
एक दिन उन्होंने मुझे उनको ताड़ते हुए देख लिया.. पर वो बोलीं कुछ नहीं।

फिर एक दिन मैं पड़ोस की दुकान में सामान ले रहा था.. तो वो भाभी भी वहीं आ गईं।

मैं वहाँ से जाने लगा तो उन्होंने मुझे आवाज लगाई- सुनिए, आपका पर्स गिर गया है।

वो मेरा नाम नहीं जानती थीं.. तो मैं मुड़कर उनके पास गया। मैंने पर्स उठाया और उन्हें थैंक्स बोला। यहीं से हमारी बातचीत शुरू हुई और हम चलते-चलते बात करने लगे। उन्होंने मेरे बारे में पूछा.. तो मैंने भी उनके बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि उनका पति दुबई में बिज़नेस करता है और साल में दो-तीन महीने के लिए आता है। उनके घर में उनके अलावा उनकी सास और ससुर रहते हैं और एक छोटा देवर भी रहता है।

मुझे भाभी से बात करना अच्छा लग रहा था.. तो मैंने भाभी को अपना फ़ोन नंबर दिया और उनसे उनका नंबर ले लिया।

अगले दिन मैंने उनको फ़ोन किया तो उन्होंने उठाया तो हम बात करने लगे। कुछ दिन हम नार्मल बात करते रहे।
एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा- तुम मुझे उस दिन ऐसे क्यों देख रहे थे.. जब मैं बाहर झाड़ू लगा रही थी?
मैंने कहा- भाभी आपकी वक्ष के बीच में बनी दरार मुझे बड़ी अच्छी लगती है।

इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और हंस दीं। मुझे हिम्मत मिली और मैंने आगे बात बढ़ाई। फिर धीरे-धीरे हम अपनी पर्सनल लाइफ के बारे में बात करने लगे। कब ये बात सेक्स में बदल गई.. पता ही नहीं लगा। इसी दौरान उन्होंने बताया कि उनका पति जब आता है तब ही वो सेक्स कर पाती है.. नहीं तो बस ऐसे ही रात को करवट बदल-बदल कर गुजारनी पड़ती है।

उनके मुँह से ये सुनकर मैं उनकी और थोड़ा ओर आकर्षित हो गया.. क्योंकि अकेली रह रही भाभी को देखकर कोई भी उनकी तरफ खिंचा जा सकता था।
मैंने उनसे कहा- मैं आपकी ये समस्या दूर कर सकता हूँ।
उन्होंने बिना कुछ कहे फ़ोन रख दिया।

मैंने सोचा कि पता नहीं मैंने क्या गलत कह दिया.. कहीं भाभी मुझसे नाराज तो नहीं हो गईं।
मैंने कुछ दिन फ़ोन नहीं किया।

लगभग दस दिन बाद भाभी का खुद फ़ोन आया तो उन्होंने कहा- तुम मेरी समस्या को कैसे दूर करोगे?
मैंने कहा- जैसे आपको ठीक लगे।
उन्होंने कहा- मैं आज तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने कहा- शाम को मिलते हैं.. अभी मेरी ड्यूटी है।
उन्होंने कहा- ठीक है।

शाम को हम मिले.. तो उन्होंने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखकर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरी समस्या को मेरे साथ सेक्स करके दूर कर सकते हो.. क्योंकि मैं सेक्स की भूखी हूँ।

मैंने कहा- क्यों नहीं भाभी.. आप कहो और मैं न करूं। मैं भी कब से यही सोच रहा था.. इसीलिए तो उस रोज के बाद मैं आपको बाल्कनी से देखता था।
उन्होंने कहा- कल मेरे घरवाले शादी के लिए ग्वालियर जा रहे हैं.. मैं नहीं जा रही। तुम कल रात को मेरे घर आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है।

उन दिनों मेरी ड्यूटी भी दिन के समय की थी। मुझे जाने में कोई दिक्कत नहीं थी और अगर होती भी तो छुट्टी ले लेता। क्योंकि जो मैं चाहता था.. वही होने वाला था।

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मैं अगले दिन शाम को खाना खाकर आठ बजे उनके घर चला गया। मेरे मन में तो सेक्स हिलोरें खा रहा था।
मैंने उनके घर की बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला। उन्होंने स्लीवलेस कुर्ती और पजामा डाला हुआ था। मैंने सोचा कि शायद वो रात को यही पहन कर सोती हैं।

मैं उन्हें देखता ही रह गया और उन्हें देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया। भाभी जी ने मुझे अन्दर बुलाकर सोफे पर बिठाया और पानी लाकर दिया। वो मेरे पास बैठ गईं.. तो मैंने उनसे कहा- मुझे पानी की प्यास नहीं है.. मुझे आपकी प्यास है। यह कहते हुए मैंने उन्हें अपनी बांहों में पकड़ लिया और उनके होंठों को चूमने लगा।

वो बोलीं- यहाँ नहीं.. कमरे में चलते हैं।

हम दोनों उठकर बेडरूम में आ गए, वहां जाकर भाभी ने दरवाजा बंद किया। अब मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा।

वो भी पलट गईं और मुझे भी कस कर पकड़ लिया, फिर हम एक-दूसरे के होंठों को चूसने लगे। कुछ देर यूं ही चलता रहा।

उसके बाद मैं भाभी जी को गोद में उठाकर बिस्तर पर ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उनके ऊपर आकर भाभी की कुर्ती में हाथ डालकर उनके चूचों को दबाने लगा। उनकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई।

उसके बाद मैंने देर न करते हुए उनकी कुर्ती निकाल दी। नंगी भाभी के शरीर का खुला नजारा देख कर मैंने कहा- वाह भाभी.. कहाँ छुपा कर रखा था इस खूबसूरत जिस्म को?
उन्होंने कहा- कहीं नहीं.. यहीं तो थे आपके सामने.. जिन्हें आप मुझे झाड़ू लगाते हुए देखते थे।

मैंने हँसते हुए उनकी ब्रा भी निकाल दी। ब्रा निकालने के बाद भाभी के चूचे ऐसे लग रहे थे जैसे काफी समय से किसी ने उन्हें छुआ ही न हो।

मैंने भाभी की नंगी चूचियों को दबाना और चूसना शुरू किया तो भाभी सिसकियाँ निकालने लगी थीं।

वो कह रही थीं- चंदन मेरी जान.. और जोर से चूसो मेरे चूचों को.. काफ़ी समय से इन्हें किसी ने नहीं चूसा है.. चूस चूस.. कर इन्हें लाल कर दो।

मैं और तेजी से उनके चूचे चूसने लगा और उनके काले काले निप्पलों को काटने लगा। भाभी को भी मजा आ रहा था और वो लगातार ‘आह.. आह.. हां ऐसे ही चूसो आह..’ की आवाज निकाल रही थीं।

करीब दस मिनट तक भाभी के चूचे चूसने के बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड भाभी को चूसने के लिए बोला तो भाभी ने झट से मेरा लंड पकड़ कर मुँह में भर लिया और चूसने लगीं। मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. क्योंकि भाभी एकदम पागलों की तरह मेरा लंड चूस रही थीं।

मैंने भाभी की नंगी चूत में अपनी एक उंगली डाली.. तो उनकी ‘आह..’ निकल गई। मैंने भाभी की चूत में उंगली को आगे-पीछे करना शुरू किया।
भाभी पागल सी हो गईं.. और मेरे हाथ में ही झड़ गईं।

मैंने अपना मुँह उनकी चूत की तरफ किया और भाभी की चूत को चूसने लगा, वो मेरा लंड चूस रही थीं। इसी बीच मैं भी भाभी के मुँह में होने वाला था.. तो मैंने भाभी जी से कहा- मैं होने वाला हूँ।

तो उन्होंने कुछ नहीं कहा.. बस लंड चूसती रहीं। मैं भाभी जी के मुँह में ही झड़ गया, वो मेरे लंड से निकले सारे माल को पी गईं.. फिर भी मेरा लंड को पागलों तरह चूसती रहीं। मुझे थोड़ी अकड़न सी होने लगी.. तो मैंने उन्हें रोका और उनके चूचों को चूसने लगा। पांच मिनट बाद भाभी फिर मेरे लंड को चूसने लगीं.. और अब उन्होंने मेरे लंड को चूस-चूस कर खड़ा कर दिया।
भाभी बोलीं- अब इसे मेरी चूत में उतारो.. मुझसे नहीं रहा जा रहा है।

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मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाकर उनकी कमर के नीचे तकिया लगाया और चूत पर अपना लंड रखा। मैंने भाभी की आंखों में देखा और एक धक्का मार दिया। मेरा लंड एक इंच ही अन्दर गया होगा कि उन्होंने चीख मारी।

मैंने भाभी के होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा। इस बार मेरा आधा लंड उनकी चूत में समां गया।

उसके बाद मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में अपना लंड पेलना शुरू किया। जब उन्हें मजा आने लगा तो फिर भाभी जी खुद अपनी कमर उठा-उठाकर मुझसे चुदने लगीं और मेरे लंड को अपने अन्दर तक डलवाने लगीं।

साथ में भाभी चिल्ला रही थीं- आहह रॉनित.. फाड़ दे इसे आज.. बहुत दिन से तड़प रही है ये.. किसी के लंड के लिए.. अहह.. आज बुझा दे इसकी आग..
मैंने कहा- भाभी जी आज मैं आपकी चूत की पूरी तसल्ली करवा दूँगा और आज मैं भी इसे छोड़ने वाला नहीं हूँ।

मैं भी बहुत दिनों से सेक्स का भूखा था और फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। मैंने भाभी को बीस मिनट तक चोदा और अंत में मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया। फिर मैं भाभी के शरीर पर ही लेट गया।
कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर भाभी ने पूछा- बहुत अच्छा चोदा तुमने.. क्या तुमने पहले भी किसी से सेक्स किया है?

तो मैंने कहा- हाँ भाभी.. मेरी एक गर्ल फ्रेंड थी कोमल.. उसे मैंने चोदा है। एक बार उसे और उसकी फ्रेंड को भी चोदा है।

उसके बाद भाभी और मैं बाथरूम में गए और एक-दूसरे को साफ़ किया। वहां भी हमने शावर के नीचे एक-दूसरे को चूमते हुए सेक्स किया।
इस रात हमने चार बार सेक्स किया।

फिर मैंने भाभी को गर्भ निरोधक गोली दे दी। अगले दिन मैंने भाभी को उनके बेडरूम की दीवार के सहारे खड़ा करके.. मेज के ऊपर लिटाकर और कुर्सी पर बिठाकर भाभी जी चूत और गांड दोनों मारी। जब भी मुझे मौका मिलता मैं उनके अच्छे देवर की तरह रोज चुदाई करता हूँ।

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पड़ोस की बड़ी दीदी को चोद के चुदाई ज्ञान लिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/pados-ki-badi-didi-ko-chod-kar-chudai-ka-gyan-liya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/pados-ki-badi-didi-ko-chod-kar-chudai-ka-gyan-liya.html#respond Mon, 05 Feb 2018 16:02:19 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11889 पड़ोस की बड़ी दीदी को चोद के चुदाई ज्ञान लिया दीदी ने खूब उछल उछल के चुदवाया मेरा लौड़ा पडोसी दीदी की चुत में हिचकोले खा रहा था |

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पड़ोस की बड़ी दीदी को चोद के चुदाई ज्ञान लिया ( Pados Ki Badi Didi Ko Chod Ke Chudai Ka Gyan Liya )

नमस्कार दोस्तो मै सिद्धार्थ बनारस से, आप का स्वागत करता हु। दोस्तो मैं 24 साल का नौजवान स्टूडेंट हु और यही बनारस में रहता हु । दोस्तो मैं बहुत पहले से सेक्स की कहानियां पड़ता आ रहा हु लेकिन कभी सोचा नही था कि एक दिन अपनी कहानी भी लिख के आप सब तक पहुँचाऊगा दोस्तो ये कहानी बिल्कुल असली और मेरे साथ की घटित घटना है ये बिल्कुल भी झूटी या काल्पनिक नही है।

आप सब का टाइम न बर्बाद करते हुए मैं कहानी सुरु करता हु इस कहानी में जो लडकी है वो मेरे घर के बगल की मेरी पड़ोसी है जिन्हें मैं दीदी कहता था हालांकि वो मुझसे काफी बड़ी मेरे से दूनी उम्र की है उन्हें मैं दीदी ही बोलता था वैसे उनका नाम गुड्डी है वो सिंह अंकल की सबसे छोटी बेटी है वो तीन बहन और एक भाई हैं सबकी सादी हो चुकी थी सिर्फ वही बची थी सादी के लिए उनके घर मे वो उनके मम्मी पापा भाई और भाभी थे। और मेरे घर मे मै और मम्मी पापा ही रहते है हम दो भाई है पर मेरा बड़ा भाई बोर्डिंग स्कूल में रह कर पढता है घर पे मैं ही रहता हूं मम्मी पापा के साथ, मेरी अपनी दीदी की शादी हो चुकी है वो अपने ससुराल ही रहती है।

उस समय मैं क्लास 8th में था तब मुझे सेक्स या इन बातों का कोई ज्ञान भी नही था मै स्कूल से आता घर पे खेलता कूदता या बगल वाली दीदी के घर जाके खेलता, मैं बचपन से ही उनसे बहुत घुला मिला हु वो मुझे बहुत प्यार भी करती थी मुझे बहुत खेलाती थी पढ़ाती भी थी, मैं स्कूल से आके उन्ही के पास चला जाता था मम्मी भी भेज देती थी उनके पास या वो ही आ जाती हमारे घर पे तो ऐसे ही चल रहा था मौज मस्ती भरे दिन।

ऐसे ही एक दिन मैं स्कूल से आया और उनके घर चला गया और उनके साथ खेलने लगा उस समय हम बेड पे थे और एक दूसरे के पैर के पंजों को मिला के जैसे सायकिल की पैंडल मारी जाती है वैसे ही एक दूसरे के पैर को चला रहे थे( जैसे बेड के एक तरफ उनका सर दूसरी तरफ मेरा सर बीच मे दोनो के पैर के पंजे एक दूसरे से चिपके हुए) जो लोग बचपन मे ये खेले होंगे वो समझ जाएंगे ऐसे ही तेजी से हम पैर चलाये जा रहे थे कि तभी अचानक दीदी का पैर फिसला और मेरे दोनो पैरो के बीच मे बहुत ही तेज़ी से जा लगा मेरी तो हालात खराब हो गयी बहुत बुरी तरह से दर्द होने लगा और मै रोना स्टार्ट कर दिया | आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | दीदी को भी ये एहसास हो गया कि मुझे बहुत जोर से लगी है वो मुझे चुप कराने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी लेकिन मैं चुप ही नही हो रहा था क्योंकि मुझे बहुत बुरी तरह से चोट लगी थी |

दर्द भी बहुत भयंकर कर रहा था वो पैंट के ऊपर से ही सहला रही थी जब आराम नही मिला तो उन्होंने मेरी पेंट खोली और मेरी उस जगह को देखा जहा चोट लगी थी मेरी लुल्ली के नीचे अंडकोषों पे चोट लगी थी जिस वजह से मेरी गोलियो में सूजन भी आ गयी थी और बहुत तेज़ दर्द भी हो रहा था उन्होंने मेरी छोटी सी लुल्ली को छुआ और मेरे अंडकोसो को सहलाया लेकिन मुझे कोई आराम नही मिल रहा था |

फिर उन्होंने कपड़े से गर्म करके सेकाई की उसके बाद पानी गर्म करकर भी सेकाई की थोड़ा बहुत आराम मिला मुझे, उन्होंने कहा किसी को बताना मत की तुम्हे चोट लगी थी मैं ने भी मम्मी को कुछ नही बताया।

दो तीन दिन तक दीदी ने सेकाई करी और धीरे धीरे मुझे आराम मिल गया और सूजन भी खत्म हो गयी लेकिन उस बीच एक दिन दीदी ने मेरी लुल्ली को छुआ और उसके ऊपर वाली चमड़ी हटानी चाही लेकिन मुझे बहुत दर्द हुआ मेरी चमड़ी पूरी तरह से खुल नही पायी दीदी ने बताया कि इसे पूरी तरह से खुलना चाहिए सबके लुल्ली की चमड़ी खुलती है मेरी क्यों नही खुल रही क्योंकि मैंने कभी उसे खोलने की कोसिस नही की थी आपसब को पता होगा दोस्तो बच्चो की लुल्ली की चमड़ी ठीक से नही खुल पाती उसे धीरे धीरे कई दिन तक खोलते रहने से खोला जाता है |

फिर उन्होंने मुझे कहा कि रोज़ रोज़ इसे खोला कर धीरे धीरे खुलने लगेगी और वैसे ही वो रोज़ ही मेरी लुल्ली को छूती और उसे खोलती धीरे धीरे मेरी लूल्ली खुलने लगी उसमे न जाने कहा से गंदगी आ जाती थी जिसे उन्होंने कहा कि रोज़ इसे नहाते समय खोल के साफ कर लिया कर मैं रोज़ ही साफ कर लेता पर फिर भी वो रोज़ ही मेरी लुल्ली को निकाल के उससे खेलती वो सख्त हो जाता एकदम कड़ा रॉड की तरफ फिर वो मुझे मज़े करने का तरीका भी बताई की कैसे मै इसे आगे पीछे करके मजे ले सकता हु वो तो रोज़ ही उसे आगे पीछे करती खुब मस्ती करती ऐसे ही कई दिन बीत गए फिर एक दिन उन्होंने मेरे हाथ को अपने समीज ( कपड़े) के अंदर जो कि उनकी बॉब्स थी में डाला और मेरे हाथ को अपने बूब्स पे जोर जोर से दबाने लगी और अपनी आँखें बंद करके वो ऐसे ही करती ऐसा रोज़ ही होने लगा था मेरी भी रुचि इन चीज़ों में होने लगी थी मैं भी मौके की तलाश में रहता था कि कब वो मेरे साथ ऐसे मज़े करे चुपके चुपके हम लोग खूब मज़े लिया करते थे |

उनकी मम्मी और भाभी का डर भी था कि कही कोई देख न लें लेकिन उनका कमरा ऊपर दूसरे माले पे था जहाँ कोई कभी कभी ही आता था लेकिन फिर भी डर तो था ही कोई भी कभी भी आ सकता है उस समय मुझे ऐसी मस्ती मिल रही थी कि मै यहा उसे लिख के नही बता सकता क्या मज़ेदार दिन थे ऐसे ही रोज़ मस्ती होती।

एक दिन दीदी ने मुझे आंख बंद करने को कहा मैने आंख बंद करली दीदी काफी जोश में थी मुझे किस पप्पी और इधर उधर खूब चाट रही थी उन्होंने जोश में मेरी लुल्ली को अपने मुंह मे ले लिया मुझे तो बड़ा अजीब लगा पर गजब मज़ा आ रहा था पूरी लुल्ली थूक से भींग गयी थी वो उसे किसी लॉलीपॉप की तरह चाटे जा रही थी ज़ोर ज़ोर से उसे चूसे जा रही थी मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था मैंने वैसा मज़ा कभी महसूस ही नही किआ था मुझे तो अजीब सी गुदगुदी और बहुत मज़ा आ रहा था दीदी तो जैसे कही खो गयी थी उन्हें पहली बार मैंने कहि खोया हुआ देखा था उन्हें कोई होस ही नही था बहुत देर तक वो मेरे लुल्ली को चुस्ती रही तभी अचानक हमे लगा कि कोई सीढ़ियों से चलता हुआ ऊपर आ रहा है हम लोग तुरंत ठीक ठाक हुए अपने कपड़े भी ठीक कर के पढ़ने बैठ गए |

उनकी मम्मी थी थोड़ी देर बैठी फिर चली गयी हम लोग ऐसे ही रोज़ मस्ती करते किसी को कुछ शक भी नही होता क्योंकि कोई ऐसा सोच ही नही सकता था हम दोनो के बारे में मैं छोटा 15,16 साल का बच्चा था और वो उस टाइम 27या 28 साल की रही होंगी।

ऐसे ही एक दिन वो मेरी लुल्ली को चूस रही थी कि मुझे बहुत तेज़ी से जैसे पेसाब जैसा लगा मैने दीदी से कहा कि मुझे टॉयलेट जाना है तो वो बोली नही तुम अब जवान मर्द बन गए हो और मुह से निकाल कर खूब तेज़ तेज़ मेरी लुल्ली को आगे पीछे करने लगी तभी मुझे जैसे लगा कि मैं पेसाब कर दूंगा और उनके हाथ से छुड़ाने लगा और अचानक से तभी मेरे लुल्ली से कुछ चिपचिपा सा गाढा पानी निकला जिसे देख के वो बहुत खुश हुई और मुझे पप्पी और किस करने लगी थोड़ी देर में मेरी फूली हुई लुल्ली सिकुड़ गयी पर मुझे बहुत मज़ा आया अब मैं रोज़ ही अपनी लुल्ली को हिलाता बाथरूम में या जब भी पोट्टी करने जाता मुझे इसकी आदत लग गयी थी मैं खुद भी मारता और जब दीदी अकेले में मिल जाती तो वो भी मज़े लेती और मेरा पानी निकालती |

धीरे धीरे वो मुझे लड़के से मर्द बना रही थी इतनी कम उम्र में ही मैं बहुत कुछ सिख और देख लिया था लोग मुझे बच्चा समझते थे और मैं सबका बाप बन चुका था |

ऐसे ही एक दिन दीदी ने मुझे अपने बॉब्स नंगे करके दिखाए बहुत ही सॉफ्ट था मैं बता नही सकता गजब का था एकदम सफेद गोरा सा मुलायम मखमली जैसा उसपे एक छोटा सा काले रंग का निकला हुआ हिस्सा था निपल्स जिसे मै मुह में लेकर पिता था बहुत ही मज़ा आता था गजब की खुसी मिलती थी मुझे ऐसा करते समय दीदी भी मुझे हर चीज़ सीखा रही थी एक एक चीज़ बता रही थी | आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

ऐसे ही हम मस्ती करते रहे फिर नंगे हो कर मस्ती करने लगे मेरी भी लुल्ली अब लंड में बदल चुकी थी गजब का मोटा और लम्बा हो गया था मैं उस परिवर्तन को महसूस करता आया था वो उसे चूस चूस के और मोटा बनाते जा रही थी |

ऐसे ही एक दिन इन्होंने मेरा हाथ अपनी सलवार में डाला अपनी चड्डी के भी अंदर वहा मुझे जैसे बालो का हिस्सा महसूस हुआ मैं अपने हाथ को वहा फेरता रहा उन्होंने मेरी उंगली को अपनी चूत के अंदर डाला वहा मुझे पूरा भींगा हुआ महसूस हुआ जैसे उन्होंने पेसाब कर दिया हो मैने अपना हाथ वहां से हटा लिया मुझे समझ नही आया मैने सोचा दीदी ने टॉयलेट कर दिया है चड्डी में ही लेकिन उन्होंने फिर से मेरे हाथ के अपनी चड्डी में डाला और साथ ही मेरी एक उंगली को अपनी चूत के छेद में डाल दिया गजब का मज़ा आ रहा था |

मुझे मैं अपनी अंगुली को खूब आगे पीछे किये जा रहा था वो सिसकारियां लिए जा रही थी उन्हें भी बहुत मज़ा आ रहा था मैं उनकी सलवार और समीज को उतारने लगा उन्होंने पहले मना किया लेकिन फिर खुद ही अपने कपड़े उतार दिए और मुझे भी उतारने को कहा मैने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिए अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा और एक हाथ से उनकी चुचिओ को दबाने लगा वो मेरे लड से खेल रही थी मेरे लंड पूरा खड़ा था एकदम टाइट मुझे मेरे लंड में दर्द भी महसूस हो रहा था मैंने उनसे बोला तो वो लेट गयी और मुझे अपने ऊपर खीच लिया |

अब हम दोनों एक दूसरे के ऊपर लेते हुए थे उन्होंने मेरे लड को एडजस्ट करके अपनी चूत में लगाया और मुझे धक्का लगाने को बोला मैं इस काम मे अनुभवी नही था मैने तेज़ से धक्का मारा जिससे पूरा लंड उनकी चुत में चीरता हुआ अंदर चला गया उन्हें बहुत तेज़ दर्द हुआ वो मुझे हटने को बोलने लगी उनकी हालत खराब हो गयी आंख से आंसू भी निकलने लगे थे मैं अपना लैंड निकाल के बैठ गया थोड़ी देर बाद उन्हें जब आराम मिला तब उन्होंने धीरे धीरे करने को बोला तब मैं लंड को चूत पे एडजस्ट करके धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा दोस्तो बता नही सकता कितना मज़ा आ रहा था गजब का मज़ा है चुत चोदने में हम ऐसे ही खूब मज़े करते रहे दीदी भी सिसकारियां ले रही थी उन्हें भी बहुत मज़ा आ रहा था |

थोड़ी देर में मेरा स्पर्म निकलने को हुआ तो मैंने दीदी को बताया उन्हेंने बाहर निकलने को कहा मै अपना लंड निकाल के उनकी काली झांटो वाली चुत पे रगड़ने लगा मेरा स्पर्म निकल गया बहुत मज़ा आया जीवन की पहली चुदाई कर के क्या गजब का मज़ा है चुदाई में।

दोस्तो हम लोग ऐसे ही कई सालों तक चुदाई करते रहे 2014 में उनकी शादी हो गई और हमारी चुदाई पे विराम लग गया लेकिन जब भी वो घर आती है हम मौका देखकर चुदाई कर लेते है। वो अक्सर ही अपने घर आया करती है क्योंकि उनकी शादी भी यही पास में ही हुई है अब उन्हें एक बच्ची है। दोस्तो उनके जाने के बाद मैने एक और लड़की को पटाया जिसकी कहानी कभी और लिखूंगा तब तक के लिए नमस्कार।।
मेरा ईमेल आईडी com कृपया आप सब मुझे कहानी की प्रतिक्रिया जरूर (comment) दें |

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टांगे उठाकर चुद्वाती है विद्या के साथ वाइल्ड सेक्स | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/tange-uthakar-chudwati-hai-vidya-ke-sath-wild-sex.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/tange-uthakar-chudwati-hai-vidya-ke-sath-wild-sex.html#respond Sat, 03 Feb 2018 11:43:48 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11880 टांगे उठाकर चुद्वाती है विद्या के साथ वाइल्ड सेक्स, मेरे घर के निचे रहने वाली विद्या जिसे पटना आसन था क्योकि वो भी मुझपर लाइन मारती थी मैंने उसे पटाया और उसे मेरा जिम करना अच्छा लगता था तो वो भी एक बार टांगे उठाकर पुशअप करती जिसे देख मेरा लौड़ा तन गया और मैंने उसे चोदने का प्लान बनकर साली को चोद डाला

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हेल्लो दोस्तों मै इस साईट का पुराना पाठक हूँ और मस्ताराम का फैन हूँ आज मुझे भी अपनी कहानी आप सभी के साथ शेयर करनी है इसलिए आज मैं आप सभी को एक कच्ची कलि मस्त जवानी वाली लड़की की चुदाई की कहानी आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ उम्मीद है आप सभी को मेरी आज की कहानी की बहुत ही पसंद आएगी. उससे पहले मैं आप सभी की अपना परिचय दे दू. मैं 24 साल का 6 फ़ुट कद, रंग गेंहुआ, सोमनाथ हूँ। मैं बंगलौर में ऍम. बी.ए की पढ़ाई कर रहा था, फाइनल इयर तक पहुँचते पहुँचते मैंने 3 कमरे बदल लिए थे पर ढंग का कमरा नहीं मिल पा रहा था, तब जाकर मुझे एक ढंग का कमरा मिला। वैसे तो कमरा छोटा था, ऊपरी मंजिल पर था, पर नीचे के लोगों का व्यव्हार बहुत बढ़िया और दिल खुश कर देने वाला था, हर बात मुस्कुरा कर कहते, मकान मालकिन अधेड़ महिला थी पर उनकी बेटी विद्या गजब की माल थी, आँखें काली काली और बड़ी बड़ी, कोई उसकी आँखों को देख कर ही मूठ मार ले ऐसी सुन्दर आँखें थी। और चूची का तो पूछो ही मत, वह 22-23 साल की थी एकदम आईटम लगती थी, और बातें करने में एक्सपर्ट थी. वैसे तो वो मेरी सीनियर थी.

जब एक महीना बीत गया, तो मुझे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था विद्या को पटाने का, क्योंकि वह ऊपर सिर्फ कपड़े सुखाने आती और अपनी माँ के डर से लड़कों से बात भी नहीं करती थी। मेरे दिमाग में सिक्स पैक एब्स बनाने का चस्का चढ़ा, हर सुबह मैं अपनी शर्ट उतार कर पुश-अप्स करता, क्रंचेस मारता, इस उम्मीद में कि विद्या देखेगी, वो देखती तो थी पर भाव नहीं देती थी।

एक दिन वह ऊपर आई कपड़े सुखाने, मुझे लगा यह अच्छा मौका है, मैंने अपना लंड खड़ा कर दिया, लंड मेरी कैपरी में विद्या को सलामी दे रहा था, मैं झट से लोहे की बनी सीढ़ी जो छत पर चढ़ने के लिए रखी थी उसको पकड़ कर पुल-अप्स करने लगा। विद्या ने मेरे लंड की ओर नजर डाली और थोड़ा शरमा कर कपड़े डालने लगी, जाते समय उसने एक बार फिर मेरे लंड की ओर देखा, मेरा लंड भी कुछ कम नहीं था 7.5 इंच लम्बा और काफी मोटा, विद्या जवानी के उस पड़ाव पर थी जिसमें उसे रात को अपने सपने के राजकुमार की जगह सपने के राज-लौड़े की तलाश थी।
धीरे धीरे एक महीना और बीत गया, मुठ मार मार कर मैं फ्रसट्रेट हो रहा था, मन करता था जाकर चोद दूँ साली को पर मैं हवस का पुजारी नहीं था, तो अपने को कण्ट्रोल किया। अब मुझे लगने लगा कि विद्या को अपने लंड के साक्षात् दर्शन कराये जायें।

एक बार विद्या के माँ-बाप को शादी में 1 वीक से ज्यादा दिनों के लिए बाहर जाना था, विद्या की देखरेख के लिए विद्या की दादी थी, यह सुन कर मैंने मन ही मन भगवान की जय-जयकार कर दी। विद्या अब मेरी दोस्त बन चुकी थी, विद्या का मैथ्स में बैकलोग का पेपर था, हम दोनों अब साथ में ही तैयारी करने लगे। एक दिन पढ़ते पढ़ते विद्या ने पूछा- सोमनाथ, तुमने आज ऐक्सेरसाइज़ क्यों नहीं की?

मेरा शैतान जाग गया, मैंने कहा- मेरी कैपरी फट गई है।
उसने कहा- लाओ, मैं सिल देती हूँ।
मैंने कहा- छोड़ ना !

फिर वह जिद करने लगी, मैं ऊपर अपने कमरे में गया और कैपरी को लंड वाले जगह जानबूझ कर फाड़ दिया और नीच विद्या को दे दिया।
यु.पी वाली विद्या का हाथ जैसे मेरी कैपरी के लंड वाले हिस्से पर पड़ा, उसका दूध जैसा गोरा चेहरा लाल पड़ गया। यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, उसने मेरी कैपरी सिल कर मुझे दे दी।

मैंने कहा- मैं जींस में मैं अनकम्फर्टेबल फील कर रहा हूँ, मैं कैपरी पहन लेता हूँ।
मैंने विद्या के सामने ही जींस उतार दी और कैपरी पहन लिया। पहनते पहनते मैंने विद्या को थैंक्स बोल कर उलझाये रखा, ऐसा करके हम दोनों फिर पढ़ने लगे।

एक घंटे बाद विद्या बोली- देखो न सोमनाथ, कितनी मोटी हो गयी हूँ मैं !
मैंने कहा- नहीं तो यार, तू तो बिल्कुल सेक्सी है।
यह सुन कर वो हंसने लगी और बोली- नहीं यार, सीरियसली मैं मोटी हो रही हूँ। मुझे भी कुछ एक्सरसाइज़ सिखा !
फिर मैंने कहा- चल साथ में एक्सरसाइज़ करते हैं।
मैंने अपनी शर्ट उतार दी, मेरा लंड खड़ा हो गया था पर मैंने परवाह नहीं की, विद्या ने यह देख लिया था पर इग्नोर कर दिया।

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मैंने कहा- पहले पुश-अप्स कर ! इससे तेरी चेस्ट मस्सल स्ट्रोंग होंगी।

वह हंसते हुए बोली- पहले से मेरी चेस्ट काफी बड़ी है, अब और बड़ी नहीं करनी !

मैंने भी स्माईल देते हुए कहा- अरे नहीं, यह तो तेरे ब्रेस्ट का फैट जलाएगा।

फिर वो बोली- हाँ, तो फिर ठीक है। वैसे भी कुछ ज्यादा ही बड़ी हो गए हैं मेरे ब्रेस्ट !

ऐसा कह कर वो पुश-अप्स मारने की कोशिश करने लगी, पर वो पूरी तरह कर नहीं पा रही थी, उसने कहा- सोमनाथ, नहीं हो रहा।

मैंने कहा- मैं हेल्प करता हूँ।

मैंने उसकी चूचियों के बगल का हिस्सा पकड़ कर उससे पुश-अप्स करवाने लगा, वो धीरे धीरे गर्म होने लगी क्योंकि उसकी साँसें तेज़ हो गई थी।

मैंने अब अपना लंड अपनी कैपरी में फिट किया और उससे क्रंचेस मारने कहा, मैंने उसे लेटा कर अपने पैर उसके कमर के दोनों और रख खड़ा हो गया और उसकी क्रंचेस मारने में हेल्प करने लगा, वो जैसे ही ऊपर आती उसका मुख मेरे लंड के करीब हो जाता, बीच में वह हंसने लगी तो मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो वो बोली- कुछ नहीं !

अब मैंने उसे उसके चूतड़ों की तरफ इशारा करते हुए कहा- सबसे ज्यादा फैट लड़कियों का वहीं जमा होता है।

वो फ़िर हंसने लगी, मैंने उसे लेटा कर उसकी टाँगें ऊपर नीचे करने कहा। जब वो टाँगें उठाती तो उसकी गांड मुझे पागल बना रही थी।

मैंने कहा- आज के लिए इतना काफी है।

उसने पूछा- सोमनाथ, इसमें कितने दिन लगेंगे?

मैंने कहा- 4-5 महीने !

फिर उसने मेरी छाती की तारीफ करते हुए कहा- तेरी छाती मस्त है !

और मैंने कहा- छू कर देख !

वो शरमाते हुए मेरी छाती पर हाथ रखा, उसने मुझे छेड़ने के लिये मेरे निप्पल को छूकर दबाया।

मैंने कहा- मैं लड़की नहीं हूँ जो मुझे इसमें मजा आएगा।

वो हंसने लगी, मैंने सोचा अब देर करनी बेवकूफी है, मैंने अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया, और सहलाने लगा, उसने एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया और लंड पर जोर से चुट्टी काट दी, मुझे दर्द हुआ पर मैंने जोर से उसे किस कर दिया, मैं उसे पागलों की तरह चूम रहा था, मैंने उसकी टी शर्ट फाड़ दी और ब्रा का हूक पीछे से खींच कर रबर बैंड की तरह उसके पीठ में दे मारा, उसे दर्द हुआ, पर मैंने जोर से उसकी चूची दबा दी, मैंने सोच लिया था आज ऐसा चोदूँगा इसको कि जिन्दगी भर मेरे लंड के डरावने सपने आयें इसको।

मैंने उसकी चूची के निप्पल दाँत से जोर से काट दिए, वह चिल्लाई और बोली- छोड़ो मुझे !

मैंने प्यार से उसे फिर किस कर दिया, अब मैं किस करते हुए नीचे आने लगा, होंठ, गला, चूची, क्या सोफ्ट चूची थी उसकी, पेट और उसके लोअर के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा।

वो गर्म हो गई और ऊउह करने लगी, मैंने एक झटके में लोवर के साथ उसकी पैंटी भी उतार दी।

अब विद्या मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी जमीन पर ही, मैंने उसे गोद में उठा कर उसके बिस्तर पर लेटाया और उसकी चूत देख कर दंग रह गया। वह कुंवारी अक्षत योनि थी, उसकी चूत पर बाल भी कम थे।

मैं अपना लंड उसके चूची के बीच रगड़ने लगा, उसने आँखें बन्द कर ली थी, मैंने कहा- विद्या, मेरा लंड मुँ में ले !

उसने मना कर दिया, पर मैं जबरदस्ती अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में डालने लगा, हार मान कर वह चूसने लगी, मैं तो सातवें असमान में पहुँच गया। क्या चूस रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे बहुत बड़ी चुदक्कड़ है।

चूसते चूसते मैंने उसके मुँह में ही अपना माल गिरा दिया, वह उल्टी करने जैसा मुँह बनाने लगी।

मैंने तेज आवाज में कहा- विद्या, पी जा उसको। वह पी गई।

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अब मैं उसकी चूत चाटने लगा और उसकी कसी चूत में अपनी जीभ घुसाने की कोशिश की। मैं उसकी चूत को दांत से काटने लगा, वह चिल्ला पड़ती। जब मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा तो वह कांप गई, उसके पैर कांपने लगे थे।

मैंने एक जोरदार झटका मारा, वह इतनी जोर से चिल्लाई कि मुझे लगा कहीं पड़ोसी ना सुन लें।

मैंने जल्दी से उसका मुख बन्द किया, वह फिर भी चिल्ला कर हाथ पाँव मारने लगी और मुझे दूर धकेलने लगी।

मैंने जोरदार झटका ऐसा मारा कि दूसरे झटके में ही पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया, वह रोने लगी, मैंने उसे फ्रेंच किस किया और धक्के मारने लगा, मैं उसे किस करने के साथ धक्के भी मार रहा था।

मैंने उसे कहा- आई लव यू विद्या !

और वह यह सुन कर और ज्यादा रोने लगी। मैंने उसे चोदना चालू रखा, वह रो रही थी, अब उसने ताकत लगाना छोड़ दिया, मैं उसे उठा कर सीधा ऊंचा हो गया और खुद को उठा कर ऊपर नीचे करने लगा।

फिर उसे अपने ऊपर बिठाया और बोला- चोद मुझे अब !

मैंने देखा जब वह ऊपर-नीचे हो रही थी तब ज्यादा मजे लेने लगी।

अब मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूत को साफ़ किया और घोड़ी की तरह बैठा दिया, और पीछे से उसकी जबरदस्त चुदाई करने लगा, मैं धक्के काफी तेज़ी से मार रहा था। वह दो बार झड़ चुकी थी, फिर मैंने उसे सीधा लेटा कर धक्के मारने लगा, धक्के मारते मारते वह अब खुद मुझे किस कर रही थी, मैं झड़ने वाला था और मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूचियों के बीच रखा और धक्के मारने लगा और वहीं झड़ गया।

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बायोलॉजी पढ़ते पढ़ते केमिस्ट्री स्टार्ट हो गया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/biology-padhate-padhate-chemistry-star-ho-gya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/biology-padhate-padhate-chemistry-star-ho-gya.html#respond Fri, 02 Feb 2018 09:41:53 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11864 बायोलॉजी पढ़ते पढ़ते केमिस्ट्री शुरू हो गया, घर के नीचे के हिस्से में हम लोग रहते थे और ऊपर के हिस्से में किरायेदार रहते थे एक रूम में 2 लड़कियाँ और दूसरे रूम में एक भाई और बहन रहते थे वो सभी एक ही शहर से थे और सब एक दूसरे को जानते थे उन दोनों लड़कियों का नाम सुष्मिता और रिधिमा था वो दोनों दिखने में बहुत खूबसूरत थी

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हैल्लो दोस्तों, सेक्सी कहानिया पढ़ के मुठ मारने वालो मुझे पटा है तुम लोग वाही हो जो शक्ल से तो दिखाते बहुत शरीफ हो लेकिन चार दिवारी के अंदर तुम कितने वैश्य या कौफनक हो ये कभी बहार वाला तुम्हे देखकर अंदाजा नहीं लगा पता. तुम्हारे जैसे मैंने बहुत से देखे है जो दिन में शरीफ कपूर और रात में शक्ति कपूर बन जाते हो. कोई बात नहीं भाई तुम्हारे पास गर्लफ्रेंड नहीं है या अगर है तो चुद्वाती नहीं है तभी तो ये कहानी पढ़ रहे हो अभी तो पढ़ते रहो और चुदाई का मजा लेते रहो.

यह उन दिनों की बात है जब हमारे घर में नये किरायदार रहने आए थे। घर के नीचे के हिस्से में हम लोग रहते थे और ऊपर के हिस्से में किरायेदार रहते थे। एक रूम में 2 लड़कियाँ और दूसरे रूम में एक भाई और बहन रहते थे। वो सभी एक ही शहर से थे और सब एक दूसरे को जानते थे। उन दोनों लड़कियों का नाम सुष्मिता और रिधिमा था, वो दोनों दिखने में बहुत खूबसूरत थी। ख़ासकर सुष्मिता बहुत खूबसूरत थी। वो जब घर में रहती थी तो स्कर्ट और शर्ट पहनती थी, रिधिमा भी खूबसूरत थी, लेकिन सुष्मिता के जितनी नहीं। सुष्मिता का बॉडी फिगर भी बहुत अच्छा था, उसकी बॉडी भरी- भरी थी, जिससे वो और भी अच्छी लगती थी, काले बाल उसकी खूबसूरती को और भी बढ़ाते थे। गर्मी में शाम देर से होती है तो में अक्सर शाम को छत पर चला जाया करता था और छत पर 1-2 घंटे रहता था। सुष्मिता मेडिकल की तैयारी कर रही थी और उसकी क्लास 2 बजे तक खत्म होती थी और वो 3 बजे तक घर आ जाती थी।

फिर जब में शाम को छत पर जाता था, तो अक्सर सुष्मिता भी अपने रूम के बाहर बैठी रहती थी। में सुष्मिता से हमेशा बात करने की कोशिश में रहता था और जैसे ही मौका मिलता था वैसे ही में उससे बातें करता था। उसे इंटरनेट के बारे में कुछ भी पता नहीं था। फिर एक दिन उसने मुझसे कहा कि मुझे अपने एक फ्रेंड को मैल करना है, लेकिन मैल कैसे करते है? मुझे पता नहीं है, क्या आप मेरी मदद करेंगे? तो मैंने कहा कि ठीक है, में आपको बता दूँगा। हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही एक साइबर कैफे है, जिसमें में और सुष्मिता गये और मैंने उसे मैल करने के बारे में बताया। अब जब में उसे बता रहा था तो बहुत बार मेरा हाथ उसके हाथों से टच हुआ, तो मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा था, लेकिन जब भी मेरा हाथ टच होता तो में सॉरी बोलकर बात को अनदेखा करने की कोशिश करता। फिर तभी उसने कहा कि सॉरी बोलने की जरूरत नहीं है, जब आप मुझे कुछ सिखा रहे है तो हाथ टच हो गया तो क्या हुआ? फिर में वही कैफे पर उसके हाथ को हल्के से पकड़ने की कोशिश करने लगा और एक बार पकड़ भी लिया। उसके हाथ इतने सॉफ्ट थे कि में बता नहीं सकता हूँ? बस मेरा दिल कर रहा था कि उसके हाथों को इस तरह पकड़े रहूँ। फिर थोड़ी देर के बाद हम लोग घर चले आए और वो अपने रूम में चली गई।

अब में उस दिन बहुत बैचेन हो गया था कि सुष्मिता से कैसे बात करूँ? वो मॉर्निंग में अपनी मेडिकल क्लास जाती थी, वो क्लास करने के लिए घर से ऑटो से जाती थी और ऑटो घर से थोड़ी दूरी पर ही मिलता था। तो तब मैंने डिसाइड किया की जब वो क्लास से लौटेगी तो तब उससे बात करूँगा और फिर में दूसरे दिन 1 बजे घर से निकल गया और उसकी कोचिंग क्लास के बाहर जाकर उसकी क्लास छूटने का इंतजार करने लगा। फिर थोड़ी देर के बाद उसकी क्लास ख़त्म हुई, तो मैंने देखा कि रिधिमा भी उसके साथ में है, तो में निराश हो गया कि अब कैसे बात करूँगा? तो तभी मैंने देखा कि रिधिमा ने सुष्मिता से कुछ कहा और फिर वो कहीं और जाने लगी। फिर जब सुष्मिता आगे बढ़कर ऑटो की तरफ जाने लगी, तो मैंने अपनी बाइक सुष्मिता के बगल में रोकी और कहा कि घर जा रही हो तो मेरे साथ चलो, में भी घर ही जा रहा हूँ। तो वो बिना कुछ कहे मेरी बाइक पर बैठ गई।

अब में बहुत खुश था कि सुष्मिता मेरी बाइक पर मेरे साथ बैठी थी। अब जब वो बाइक पर बैठी थी तो उसके बूब्स बार-बार मेरी पीठ से टच हो रहे थे। अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, तो तभी मैंने सुष्मिता से कहा कि मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो, आप बहुत खूबसूरत हो और आज में आपसे बात करने के लिए ही यहाँ तक आया हूँ। तो मेरी बातें सुनकर सुष्मिता हँसने लगी और बोली कि आप भी मुझे अच्छे लगते है, में भी आपसे बात करना चाहती थी, लेकिन आप बात ही नहीं करते थे। फिर मैंने पूछा कि रिधिमा कहाँ गई है? तो वो बोली कि रिधिमा आपको देखकर मुझसे अलग चल गई थी, वो जानती थी कि आप मुझसे बात करने के लिए यहाँ तक आए है। अब उसकी बात सुनकर में बहुत खुश हो रहा था। अब मेरे दिल में एक अजीब सी खुशी हो रही थी। फिर सुष्मिता से बातें करते-करते कब घर के पास आ गये? पता ही नहीं चला।

फिर में शाम होने का इंतज़ार करने लगा कि शाम होगी तो छत पर जाऊँगा और सुष्मिता से बातें करूँगा। फिर शाम हो गई और में छत पर गया, तो सुष्मिता बाहर ही बैठी हुई थी और रिधिमा अंदर रूम में सो रही थी। फिर जब सुष्मिता ने मुझे देखा तो उसने मुझसे बैठने के लिए कहा, तो में उसके बगल में ही एक कुर्सी पर बैठ गया। फिर थोड़ी देर के बाद सुष्मिता मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और बोली कि चाय पी लीजिए, तो में चाय का कप हाथ में लेकर पीने लगा और अपना एक हाथ सुष्मिता के हाथों के ऊपर रख दिया। तो सुष्मिता मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराई, लेकिन बोली कुछ नहीं। फिर में समझ गया कि सुष्मिता भी चाहती है कि में उसके साथ कुछ करूँ, लेकिन शाम का टाईम था तो ज्यादातर लोग अपनी-अपनी छतों पर थे, तो में कुछ कर नहीं पा रहा था। फिर में सुष्मिता के चेहरे की तरफ अपना एक हाथ बढ़ाकर उसके गालों को छूते हुए अपने हाथ को उसके लिप्स पर ले गया। फिर सुष्मिता बोली कि क्या कर रहे हो अंकित? रिधिमा देख लेगी तो क्या सोचेंगी? फिर उसके बाद में थोड़ी देर तक वहाँ बैठ रहा और फिर नीचे चला आया और रात होने का इंतज़ार करने लगा।

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फिर रात में करीब 11 बजे में छत पर गया तो मैंने देखा कि सुष्मिता के रूम की लाईट ऑन है, तो में वही छत पर खड़ा होकर उसके बाहर आने का इंतज़ार करने लगा। फिर रात को 11:30 पर वो रूम से बाहर आई तो मुझे देखकर चौंक गई और बोली कि आप यहाँ क्या कर रहे है? तो मैंने कहा कि आपके बिना रहा नहीं जा रहा था, आपकी याद आ रही थी तो छत पर चला आया और यह कहते हुए मैंने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया। तभी वो बोली कि अरे ये क्या कर रहे हो? कोई देख लेगा तो? तो मैंने कहा कि इस टाईम कौन देख रहा है? और यह कहते हुए मैंने उसके होंठो पर किस करना चाहा। तो पहले तो उसने मना किया, लेकिन फिर खुद ही वो मेरे होंठो पर किस करते हुए बोली कि अब आप नीचे जाओ। तो में बिना कुछ कहे फिर से उसके होंठो पर किस करने लगा, तो इस बार वो कुछ नहीं बोली। अब इस टाईम भी उसने स्कर्ट और शर्ट पहन रखी थी। अब जब में उसके होंठो पर किस कर रहा था, तो उसके बूब्स मेरी छाती से टच हो रहे थे, तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

फिर में उसे पीछे से पकड़ते हुए उसके गले पर किस करने लगा और उसकी चूचीयों को अपने हाथों में लेकर दबाने लगा। तो पहले तो उसने थोड़ा सा विरोध किया, लेकिन फिर जब में उसकी चूचीयों को ज़ोर- ज़ोर से दबाने लगा। तो उसने सिसकते हुए कहा कि आह धीरे-धीरे कीजिए, उउउहह। अब मेरा भी लंड टाईट होने लगा था। फिर मैंने सुष्मिता से कहा कि चलो सबसे ऊपर वाली छत पर चलते है और यह कहते हुए मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया। तो उसने अपनी आँखे बंद कर ली और फिर में उसे उठाकर सबसे ऊपर वाली छत पर चला गया। फिर वहाँ जाते ही सुष्मिता मेरे सीने से लिपट गई और मेरे होंठो पर किस करने लगी और बोलने लगी कि अंकित में तुमसे बहुत प्यार करती हूँ और अब वो मेरे होंठो को बेतहाशा चूमे जा रही थी। अब मैंने भी अपने दोनों हाथों से उसकी चूचीयों को दबाना स्टार्ट कर दिया था, उसकी चूचीयाँ बहुत टाईट थी।

अब थोड़ी देर में ही मेरे हाथों में दर्द होने लगा तो मैंने सुष्मिता को पकड़कर हल्का सा जमीन के ऊपर लेटाते हुए उसकी शर्ट के सारे बटन खोल दिए, उसने शर्ट के नीचे कुछ नहीं पहना था। अब उसकी चूचीयों को देखकर तो मानो मेरे लंड में 440 वॉल्ट का करंट दौड़ गया था। फिर में उसकी चूचीयों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबाने लगा और अपने मुँह को उसकी चूचीयों के पास ले जाकर उसके निप्पल को अपने दोनों होंठो के बीच में दबाकर अपनी जीभ से हल्का-हल्का चूसने लगा था। अब सुष्मिता को और भी अच्छा लगने लगा था। अब में उसकी चूचीयों को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था। अब सुष्मिता जोश में बोल रही थी आह अंकित, मेरे अंकित मेरी चूचीयों का सारा दूध पी लो और आआअहह चूसते रहो मेरे अंकित और ज़ोर से चूसो। अब उसकी यह बातें मेरे अंदर और भी जोश पैदा कर रही थी और अब मेरी चूसने की स्पीड भी तेज हो गई थी। फिर उसकी चूचीयों को चूसते हुए में अपना एक हाथ उसके पेट के ऊपर से उसकी जांघो के पास ले गया और उसे हल्के हाथ से सहलाने लगा।

अब सुष्मिता भी जोश में मेरे मुँह को अपनी चूचीयों पर ज़ोर से दबाने लगी थी और आआआ, आआहह कर रही थी। फिर में उसकी चूचीयों को चूसते-चूसते अपने दोनों हाथों से उसकी स्कर्ट को खोलने लगा तो पहले तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और फिर उसने खुद ही अपनी स्कर्ट खोल दी, उसने ब्लेक कलर की पैंटी पहन रखी थी। अब चाँदनी रात में उसका खूबसूरत जिस्म और ऊपर से उसकी ब्लेक पैंटी मेरे ऊपर कयामत ढा रहे थे। फिर में उसे अपनी बाँहों में भरकर उसके पूरे जिस्म को अपने दोनों हाथों से सहलाने लगा। अब मेरा लंड मेरे कंट्रोल में नहीं हो रहा था। फिर मैंने जल्दी से उसकी पैंटी उतार दी। अब उसकी क्लीन शेव चूत को देखकर तो मेरे होश ही उड़ गये थे, उसकी क्लीन शेव चूत इतनी सॉफ्ट थी कि क्या बताऊँ? फिर मैंने उसकी चूत पर एक हल्का सा किस किया, ताकि वो जोश से भर जाए। फिर थोड़ी देर के बाद वो मेरे कपड़े उतारने लगी। अब हम दोनों पूरे नंगे थे। अब सुष्मिता के शरीर पर भी कोई कपड़ा नहीं था और मेरे शरीर पर भी कोई कपड़ा नहीं था।

फिर उसने जैसे ही अपने मुलायम हाथों से मेरे लंड को टच किया, तो मेरे तो होश ही उड़ गये। मेरा लंड पूरी तरह से उसके हाथों में नहीं आ रहा था। अब वो बार-बार मेरे लंड को पूरी तरह से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। फिर उसने एक बार मेरे लंड पर झुककर किस कर लिया, तो मेरा लंड बेकाबू हो गया। फिर मैंने उसे अपने ऊपर से हटाते हुए उसे नीचे लेटा दिया और उसकी चूत के पास अपना मुँह ले जाकर उस पर किस किया। फिर तभी वो बोली कि अंकित ये क्या कर रहे हो? मुझे कुछ हो रहा है और वो उउउफफफफ ऐसा मत करो बोले जा रही थी। फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ को फैरने लगा। तो सुष्मिता ज़ोर-ज़ोर से आआहह, उफफफफफ करने लगी। अब सुष्मिता को देखकर ऐसा लग रहा था कि अब उससे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था।

फिर वो बोलने लगी कि मेरे अंकित जो करना है जल्दी से कर लो, जल्दी-जल्दी कर लो, उउउहह, आआआ, बस करो अंकित, अब और नहीं, आहह, उउहह, अंकित जल्दी से कर लो। फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी चूत को हल्का सा फैलाया और अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाल दी, उसकी चूत बहुत ही गर्म थी। अब सुष्मिता मेरे मुँह को ज़ोर से अपनी चूत पर दबाकर अपनी कमर को हिलाने लगी थी और साथ में बड़बड़ा रही थी पूरा चूस लो मेरी चूत को, चूस लो अंकित, अंकित आई लव यू, अंकित चूस लो मेरी चूत का सारा रस, आह अंकित, मेरे अंकित, उूउउ, आअहह और फिर थोड़ी देर के बाद उसकी कमर हिलने की स्पीड धीरे हो गई और फिर उसकी चूत में से रस निकलने लगा। अब जब तक उसकी चूत से रस निकल रहा था, तो तब तक उसने मेरे मुँह को अपनी चूत पर कसकर दबा रखा था। फिर में उठा और उसके बगल में लेट गया। तो वो मुझसे लिपट गई और मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी। अब वो अपने एक हाथ से मेरे लंड को हिला रही थी और उसका दूसरा हाथ मेरे पूरे शरीर पर चल रहा था। अब मेरा लंड पूरा टाईट खड़ा हो चुका था।

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फिर सुष्मिता वहाँ से उठकर मेरे लंड के पास गई और अपने होंठो से मेरे लंड के चारों तरफ किस करने लगी। अब में पूरी तरह से बेकाबू होकर उसे चोदने के लिए तैयार हो गया था। फिर मैंने सुष्मिता को नीचे लेटाकर उसके दोनों पैरो को फैलाया और उसके बीच में जाकर बैठ गया। अब वो बड़ी ध्यान से मेरी तरफ देख रही थी। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाली तो मुझे ऐसा लगा कि उसकी चूत बहुत टाईट है। अब मेरी एक उंगली भी उसकी चूत में बड़ी मुश्किल से जा पा रही थी। फिर में अपनी एक उंगली को उसकी चूत में अंदर डालकर अपनी उंगली को अंदर बाहर करने लगा तो थोड़ी देर में ही मेरी उंगली आसानी से अंदर बाहर होने लगी। फिर तब मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा, तो उसने अपनी आँखे बंद कर ली। अब मैंने हल्का सा अपने लंड को उसकी चूत पर दबाया ही था कि वो चिल्ला उठी नहीं अंकित अब नहीं, बहुत दर्द हो रहा है। तो तभी मैंने थोड़ा सा अपने लंड को और दबा दिया। अब मेरा आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था और वो ज़ोर से चिल्लाई अंकित नहीं, में मर जाऊँगी, प्लीज रहने दो, आआहह बहुत दर्द हो रहा है, उहह अंकित अब मत करो, बहुत दर्द हो रहा है। फिर मैंने अपने लंड को वैसे ही छोड़ दिया, आधा अंदर आधा बाहर।

फिर थोड़ी देर के बाद जब उसका दर्द जैसे ही कम हुआ, तो मैंने ज़ोर का एक झटका दिया तो मेरा पूरा लंड सुष्मिता की चूत में समा गया। वो इस बार ज़ोर से चिल्ला उठी अंकित्ल्ल्ल्लल्ल्ल्ल आअहह, अंकित्ल्ल्ल्ल बस करो। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालकर वैसे ही छोड़ दिया। फिर 2 मिनट के बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो सुष्मिता ने अपने दोनों से मुझे जकड़ लिया और मेरे होंठो पर किस करने लगी। फिर मैंने अपना लंड सुष्मिता की चूत से बाहर निकाला और फिर से एक ज़ोर का झटका मारा तो इस बार मेरा पूरा लंड एक ही बार में अंदर चला गया। तभी सुष्मिता बोली कि सस्स्स्स, हाईईईईई, धीरे-धीरे करो, बहुत दर्द हो रहा है। फिर में अपने लंड को उसकी चूत में ही छोड़कर उसके होंठो को चूसने लगा।
फिर जब वो मेरे होंठो को चूसने में मस्त हो गई, तो मैंने अपने लंड से एक ज़ोर का झटका फिर से उसकी चूत में मारा, तो इस बार उसे उतना दर्द नहीं हुआ और वो बस आआ, उहह मेरे अंकित अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, मेरी चूत सिर्फ़ तुम्हारी है अंकित। तो तब मैंने अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करना शुरू किया। अब सुष्मिता तो बस उउउईईईई माँ मर गई और ज़ोर से मेरे अंकित और ज़ोर से करते रहो, आज मेरी चूत की प्यास मिटा दो मेरे अंकित, उफफ्फ बोले जा रही थी। अब सुष्मिता को भी मज़ा आने लगा था और अब वो भी धीरे-धीरे अपनी कमर को उठा-उठाकर मेरा साथ देने लगी थी। अब में पूरे जोश से अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर कर रहा था और साथ ही साथ उसके होंठो को भी बीच-बीच में चूम रहा था।

फिर तभी अचानक से उसकी कमर उठाने की स्पीड बहुत तेज हो गई और कहने लगी कि मेरे अंकित आज मेरी चूत को फाड़ दो और ज़ोर से करो मेरे साथ, अयाया करते रहो मेरे अंकित, करते रहो और फिर उसने अपने दोनों पैरो से मेरी कमर को पूरी तरह से जकड़ लिया और फिर एक ज़ोर के झटके के साथ झड़ गई। फिर वो मेरे होंठो पर अपने होंठो को रखकर किस करने लगी। अब मेरा लंड भी अब आखरी स्टेज पर आ चुका था तो में और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा और ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा था। फिर थोड़ी देर के बाद में भी झड़ने लगा और फिर में उसकी चूत के अन्दर ही झड़ गया। अब उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई थी। फिर में 2 मिनट तक तो ऐसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और फिर उसके बगल में आकर लेट गया और वो मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर लेट गई, उसका नंगा मुलायम शरीर सच में बहुत खूबसूरत लग रहा था।
फिर मैंने उस रात ही एक बार फिर से उसकी चुदाई की। फिर सुबह 5 बजे जब हल्की रोशनी होने लगी तो तब हम लोग नीचे आ गये। फिर जब हम नीचे गये, तो तब तक रिधिमा जाग चुकी थी और फिर वो हम दोनों को साथ में देखकर हँसते हुए बोले कि रातभर आप लोग सोए नहीं है क्या? फिर सुष्मिता तो उसकी बात सुनकर हंसकर रूम के अंदर चली गई और फिर में भी नीचे अपने रूम में चला गया। उस दिन सुष्मिता पूरा दिन सोती रही और वो अपनी क्लास भी नहीं गई थी। फिर 10 दिन तक तो लगातार हम लोग रोज रात में इस तरह से चुदाई का खेल खेलते रहे ।।

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चुदवाने की आदी चुदक्कड़ आंटी की चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/chudwane-ki-aadi-chudkkad-aunty-ki-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/chudwane-ki-aadi-chudkkad-aunty-ki-chudai.html#respond Thu, 11 Jan 2018 13:50:44 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11629 चुदवाने की आदी चुदक्कड़ आंटी की चुदाई, यह कहानी मेरे पड़ोस की आंटी की चुदाई जो की बहुत हु चुदक्कड और लंड चूसने में माहिर है उनकी चुदाई करने में मुझे बहुत मजा आया उन्ती ने मेरा तो हर बार पूरा माल पी ली

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हाय दोस्तो स्वागत है आपका मस्ताराम की इस साईट पर आप सभी का इस साईट की हर कहानी की तरह ये कहानी भी आप सभी को अच्छी लगेगी उम्मीद है आप सभी आज मुठ मारे और चुत में उंगली किये बिना नहीं रह सकते. मेरा नाम रामानुज है, मैं यु. पी का रहने वाला हू, मेरी एज 24 साल का हू, मेरे लंड का साइज़ 5.7’’ है, अगर स्टोरी अच्छी लगे तो कमेंट ज़रूर करना ताकि मै इस का का अगला पार्ट आप सभी के सामने और मजेदार बना कर भेज सकू. यह कहानी आज से 3 साल पहले की है जो मेरी और मेरी पाडोस वाली आंटी की है, जिसका नाम धान्वी है और उनकी एज करीब 34 की है, बट वो दिखने मे बिल्कुल 30 की लगती है, वो हाउस वाइफ है और उनके पति एक क्लास वन ऑफीसर है, उनको कोई बच्चा नही है, उनकी फिगर 36-30-38 है. वो दिखने मे सेक्सी एंड हॉट है, उनकी गॅंड तो लाजवाब है, जब वो चलती है तो उनकी गॅंड को देखते ही चोदने का मन हो जाता है, तो ज़्यादा वक़्त ना लेते हुए हम सीधे स्टोरी पर आते है.

तो यह कहानी उस टाइम की है जब मैने अपनी पढ़ाई ख़तम की और मैं जॉब ढूँढ रहा था, बहुत ट्राइ किया पर जॉब नही मिल रहा था, तो एक दिन आंटी मेरे घर पर मम्मी से कुछ बात करने आई, उस टाइम मैं घर पर था तो आंटी ने कहा की बेटा अपनी मम्मी को बुलाओ मुझे उनसे कुछ बात करनी है तो मैने अपनी मम्मी को बुलाया और वो दोनो रूम मे जाकर बात करने लगे.

थोड़ी देर बाद मैने सुना की आंटी की रोने की आवाज़ आ रही है तो मैं चुपके से सुनने लगा, आंटी मम्मी को बता रही थी की उनके हज़्बेंड उनको शराब पीकेर परेशान कर रहे है, मेरी मम्मी ने आंटी को समझाया और वो शांत हो गयी फिर आंटी थोड़ी देर बाद चली गयी.

कुछ दिन ऐसे ही नॉर्मल बीत गये और मेरे मम्मी पापा को 2 दिन के लिए टूर पर जाना था तो मम्मी ने मेरा खाने का इंतेज़ाम आंटी के यहा किया था, रात को मम्मी पापा चले गये और मैं घर पर जाकर सो गया. आप ये कहानी मस्ताराम. नेट पर पढ़ रहे है.

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फिर मैं जब सुबह फ्रेश होकर निकला तो आंटी ने कहा की तुम ने चाय नास्ता किया की नही तो मैने कहा आंटी मैं बाहर कर लूँगा तो आंटी ने मुझे मना किया और हम उनके घर पर चले गये. फिर आंटी चाय लेकर आई और मैं सोफे पर बैठा था, जैसी ही आंटी चाय देने के लिए झुकी तो उनकी साड़ी का पल्लू गिर गया तो उनके बूब्स दिखने लगे तो मैं चौक गया और मेरा ध्यान वही से हट नही रहा था तो आंटी ने यह देख लिया.

फिर आंटी नॉर्मल हुई और साड़ी का पल्लू ठीक किया और चली गयी, मैने भी नास्ता किया और मैं भी वाहा से निकलने लगा तो आंटी ने कहा की रूको मुझे तुम से कुछ काम है, मैं थोड़ी देर बैठा और आंटी आई और मुझे कहा की देखो तो मेरा डीवीडी स्टार्ट नही हो रहा है.

फिर आंटी चली गयी और मैं ठीक करने लगा कुछ देर तक बाद डीवीडी स्टार्ट हो गया तो मैने वाहा पर पड़ी हुई सीडी डाली चेक करने के लिए तो जैसे ही स्टार्ट हुई तो मैं चौक गया वो एक बीएफ की सीडी थी. फिर मैं देखने लगा तो आंटी वाहा आ गयी और मुझे बोलने लगी की तुम क्या कर रहे हो तो मैने कहा की मैं तो सीडी चेक कर रहा था, फिर मैने आंटी को कहा की यह सीडी यहाँ कैसे आई तो आंटी रोने लगी और कहा की यह सीडी मैं लाई थी.

मैने कहा क्यू तो आंटी ने कहा की मेरे पति मुझे सॅटिस्फाइड नही कर पाते और वो हमेशा मेरे साथ झगड़ा करते रहते है तो मैं यह सब देखकर अपना मन बना लेती हू. फिर मैने आंटी को शांत किया और आंटी को कहा की क्या मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकता हू तो आंटी ने कहा की नही किसी को पता चल गया तो हमारी बदनामी होगी फिर मैने आंटी को मनाया तो थोड़ी देर बाद मान गयी.

फिर मैने आंटी को किस करने लगा पहले तो वो मेरा साथ नही दे रही थी पर थोड़ी देर बाद उनको भी मज़ा आने लगा तो वो भी मेरा साथ देने लगी, करीब 10 मिनिट्स बाद वो बोली मैं बाथरूम जाकर आती हू, तुम बेडरूम मे जाकर बैठो, मैं बेडरूम मे जाकर उनका वेट करने लगा.

थोड़ी देर बाद जब वो आई तो मैं उनको देखता ही रह गया, उसने साड़ी निकाल दी और सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे चली आई, मैं तो उनके बूब्स और गॅंड का दीवाना हो गया, जैसी ही वो अंदर आई मैं सीधा उनके उपर टूट पड़ा, उनके बूब्स को ब्रा के उपर से ही दबाने लगा, वो आआअह्ह… आआअह्ह्ह्ह., स्स्स्स्स्स्स की आवाज़े निकालने लगी.

फिर मैने उनके बूब्स को चूसने लगा और वो मेरे लंड को पैंट के उपर से ही सहलाने लगी, थोड़ी देर बाद मैने उनकी ब्रा को निकाल दिया तो उनके बूब्स आज़ाद हो गये, उनके बूब्स इतने बड़े थे की एक हाथ मे समा भी नही रहे थे.
फिर आंटी ने भी मेरे कपड़े निकाल दिए और मैने भी उनकी पैंटी निकाल दी, अब हम दोनो नंगे हो गये मैने आंटी की चूत जो की क्लीन थी अपनी उंगली से खेलने लगा.

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आंटी के पूरे बदन को चूमने लगा, करीब 10 मिनिट्स बाद हम दोनो 69 मे आ गये आंटी की चूत का टेस्ट बहुत ही मीठा था, आंटी मेरा लंड ऐसे चूस रही जैसे बरसो से लंड के लिए ताड़पी हो.

फिर आंटी ने कहा अब नही रहा जाता तो मैने आंटी की चूत के उपर लंड रखा और ज़ोर से शॉट मारा तो आंटी चिल्लाने लगी, अह्ह्ह्हाआह्हा सस्साससस्स आआस्सास आंटी बोल ने लगी बहुत दर्द हो रहा है. आप ये कहानी मस्ताराम. नेट पर पढ़ रहे है.

तो मैं थोड़ी देर रूका और स्लो स्लो शॉट्स मारने लगा फिर जैसे ही आंटी नॉर्मल हुई मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और आंटी भी अब उछल ने लगी, अब हम जन्नत की सहर करने लगे थे.

मैं आंटी के बूब्स कभी कभी बाइट भी करता तो आंटी को और भी नशा चढ़ जाता था, आंटी बोलने लगी चोद इस रंडी को चोद चोद के भोस से भोसड़ा बना दे तो मेरा ज़ोर और भी बढ़ गया और मैं ज़ोर ज़ोर से शॉट्स मारने लगा, करीब 15 मिनिट्स बाद मैं तक गया तो मैं नीचे आया और आंटी को उपर बुला दिया.

आंटी ने मेरा लंड चूत मे डाला और उच्छल उच्छल कर चुदवाने लगी, उस टाइम आंटी 2 बार पानी छोड़ चुकी थी और मेरा निकलने वाला था तो मैने आंटी को कहा की मेरा निकलने वाला है.

तो आंटी ने कहा की अंदर मत छोड़ना तो मैने आंटी को नीचे उतारा और मेरा लंड उनके मूह मे दे दिया, आंटी ने मेरा लंड चूसने लगी और मैने सारा पानी उनके मूह मे डाल दिया, आंटी ने एक ज़ोर आआ भरी और मेरा सारा पानी पी गयी और मेरा लंड को चूस कर सॉफ कर दिया.

थोड़ी देर हम नंगे ही बेड पर लेटे रहे और फिर आंटी घर का काम करने चली गयी और मैं उनके रूम मे सो गया और दोपहर के लंच के बाद हमने फिर से सेक्स चालू किया, उस दिन मैने आंटी को 4 बार चोदा.

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आंटी की गंध मेरे लंड को खड़ा कर देती है | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/aunty-ki-gandh-mere-land-ko-khada-kar-deti-hai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/padosi/aunty-ki-gandh-mere-land-ko-khada-kar-deti-hai.html#respond Wed, 08 Nov 2017 06:32:12 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10847 अब मेरी जन्नत मेरे सामने थी, मैं उनके गले को चूम कर नीचे मम्मे पर आया, उनके मम्मे नरम और दूध जैसे सफ़ेद थे। मैं उनके चुचक मुँह में ले कर उन्हें चूस रहा था, फिर उनकी नाभि में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा और फिर उनकी चूत को चाटने लगा। उनकी चूत में बहुत सारे बाल थे, वो सी सी कर कहने लगीं

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मेरा नाम अरुण है और मैं जौनपुर का रहने वाला हूँ। मित्रों, मुझे आंटी चोदने में बहुत मज़ा आता है और मेरा लण्ड ७.२ इंच का है। आज, मैं आपको अपनी सच्ची स्टोरी बताने जा रहा हूँ कि कैसे मैंने अपने घर के बगल वाली आंटी को  खूब चोदा | वो आंटी मजे की खुबसूरत थीं, जब वो पास से गुजरती थीं, तो उनका गंध मेरे लंड को खड़ा कर देती थी ।

उनका नाम निशा है… मैं आपको बता दूँ, मैं भाभी के लिए दीवाना हूँ | मैं उन्हें अपनी बनाना चाहता था। इसलिए अक्सर मैं उनके घर जाता था और वो मुझसे छोटे मोटे काम करवाती थीं, जैसे कुछ सामान लाना। यह निशा आंटी के प्रति मेरी दीवानगी ही थी कि मैं उनके आस पास ही रहता था। अब जरा में आंटी के बारे में बता दूँ, वो गोरी, लम्बी तीखी मुस्कान वाली, ३१ साल की हैं। उनके मम्मे ३४ के तो होंगे ही और गाण्ड ३६ की और क्या कमर थी उनकी उफ़!! लगभग २८ की… उस पर लाल साडी उन पर क्या कमाल की जचती थी, और गले में छोटा सा मंगलसूत्र हो तो, बात ही अलग थी!! !!!

देखकर लगता था कि बस गले को चूम लूँ… वो हमेशा साडी ब्लाउज से काफी नीचे पहनती थीं, उनका वो थोडा सा निकला हुआ पेट और उसमे एक छोटी सी नाभि, मुझे पागल बना देती थी!!

तो बात गर्मियों की है, जब मैं आंटी के घर पर कहानी पढ़ रहा था, अचानक मुझे आवाज आई उई, माँ!!

मैं अन्दर गया तो निशा आंटी फिसलकर नीचे गिर गईं थीं। मैंने उन्हें उठाया, उनका बदन बहुत ही नरम था, ऐसा लग रहा था कि उन्हें ऐसे ही पकडे रहूँ, फिर उन्हें सहारा दे के पलंग तक लाया। उनके पैरो में मोच आ गई थी, मैंने उनसे पूछा कि मैं मालिश कर दूँ, क्या?

वो – हाँ…

मैंने मालिश करने के लिये जैसे ही उनकी साडी को ऊपर उठाया, मैं बिलकुल मदहोश हो गया, उनके दूध जैसे गोरे पैर में एक भी बाल नहीं था।

लेकिन मैं चुपचाप मालिश करता रहा। मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो चुका था!!

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मैं वहाँ से मालिश के बाद तुरंत ही चला गया, शायद उन्हें भी अजीब लगा।

तब से मेरे अन्दर उन्हें चोदने की तमन्ना बहुत ही ज्यादा बड गई थी।

अगले दिन जब मैं निशा आंटी के पास गया तो बातें करते हुए मैंने अंकल के बारे में पूछा।

तो उन्होंने बताया कि उनके पति काम में बहुत बिजी रहते है, इसलिए कई बार तो वो रात में घर भी नहीं आते, तो मैंने पूछ दिया कि तो आप क्या करती हो, रात भर?

वो मुस्कुरा कर बात टाल गईं। मेरा मन हमेशा ही निशा आंटी को चोदने को करता था। आखिर मेरी ये इच्छा भी पूरी हो गई।

एक दिन जब मैं निशा आंटी के घर बैठा था, वो काम कर रही थीं और मैं उनके मम्मे देख रहा था।

उन्होंने मुझे ऐसा करते देख लिया और झट से पूछ लिया – क्या देख रहे हो?

मैंने कहा – कुछ नहीं…

पर वो मेरा हाथ पकड़ कर बोलीं – मुझे सब पता है कि तुम यहाँ क्यों आते हो?

मैंने कहा – क्यों?

तो उन्होंने कहा – मेरे लिए!!

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इतना कह कर वो किचन की ओर जाने लगी, मैंने तुरंत उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनके मम्मे दबाने लगा। मेरा लण्ड आंटी की गाण्ड पर टच होने लगा और मैं उनके गले पर किस करने लगा और उन्हें आई लव यू, आंटी… कह कर चूमने लगा!!
वो बोलीं कि वो भी मुझसे बहुत प्यार करती हैं और मुझसे चुदवाना चाहती हैं।

उन्होंने बताया कि उनका पति दो हफ्ते में एकाद बार ही चोदता है और वो प्यासी ही रह जाती हैं।

आंटी भी मुझे पकड़ कर किस कर रही थीं, हमने एक दूसरे को पूरा नंगा कर दिया!!

अब मेरी जन्नत मेरे सामने थी, मैं उनके गले को चूम कर नीचे मम्मे पर आया, उनके मम्मे नरम और दूध जैसे सफ़ेद थे। मैं उनके चुचक मुँह में ले कर उन्हें चूस रहा था, फिर उनकी नाभि में अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा और फिर उनकी चूत को चाटने लगा। उनकी चूत में बहुत सारे बाल थे, वो सी सी कर कहने लगीं – अब मत तडपाओ और अपना लण्ड मेरी चूत में डालो, लेकिन मेरा मन भरा नहीं था!!

मैंने उन्हें उल्टा लिटा कर फिर उनके गले से उन्हें चाटना शुरू किया और फिर कमर से गाण्ड तक चाटा…

उनकी गाण्ड के छेद में पहले अपनी उंगली, फिर अपनी जीभ डाल कर चाटने लगा।

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वो एक बार झड़ गईं पर मेरा लण्ड तो पागल ही हुआ जा रहा था!!

आंटी बोलीं – आज तुमने जो मज़ा दिया है, वो तो आज तक नसीब नहीं हुआ था…

मैंने कहा – असली मजा तो अभी बाकी है और अपना लण्ड उनकी चूत में डाल दिया, १० मिनट तक उन्हें चोदता रहा फिर लण्ड निकाल कर उनकी कमर पर झड़ गया।

फिर हम एक दूसरे से लिपट कर सो गये…

लगभग आधे घंटे बाद आंटी उठ कर दोनों के लिए दूध लाई, दूध पीकर मैंने उन्हें फिर से पकड़ लिया और बचे दूध को उनके मम्मे और गाण्ड पर डाल कर चाटने लगा, वो भी मेरे लण्ड को सहलाने लगीं…
अब लण्ड फिर से तैयार हो गया था!!

अब मैं उनकी गाण्ड मैं लण्ड डालने लगा, वो कुछ भी नहीं बोली और बड़े प्यार से देखने लगीं, इधर मैं पूरी मेहनत से आंटी की गाण्ड में अपना लण्ड डाल रहा था।

शायद आंटी की गाण्ड में पहली बार था, उन्हें थोडा दर्द हुआ पर अब दोनों आनंद की परम सीमा पर थे…

लगभग २० मिनट बाद मैं आंटी की गाण्ड में ही झड गया और उनके ऊपर ही लेट गया, फिर आंटी के गले को चूम कर उठा।

अब तो मैं रोज ही आंटी को किस करता हूँ और उनके मम्मे दबाता हूँ और ३-४ दिन में हम जम कर चुदाई करते है।

अब तक तो लगभग हर आसन में आंटी की चूत और गाण्ड मार चुका हूँ और आंटी भी मेरी लण्ड की दीवानी हो चुकी हैं…

जब तक मेरे लंड का पानी अपनी चूत में ना ले लेती है तब तक उन्हें अब नीद भी नहीं आती पर मेरा मन अब उबने लगा है दोस्तों क्या करू कैसे छोडू कुछ नहीं समझ में आ रहा है कृपया करके मुझे कुछ सलाह दीजिये |

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