जवान चूत – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Tue, 20 Mar 2018 05:45:50 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png जवान चूत – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 एक नर्स की चुत को चुसा और चाटा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/ek-nurse-ki-chut-ko-chusa-or-chata.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/chudai-ki-kahani/ek-nurse-ki-chut-ko-chusa-or-chata.html#respond Fri, 09 Mar 2018 07:33:20 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12162 क्लिनिक की एक नर्स की चुत को चुसा और चाटा उसके साथ मैंने बहुत सेक्स किया उसकी चुत को चाटा और चूसा उससे पहले मैंने अपना पेंट खोल कर अपना लंड हिला हिला के खड़ा किया फिर जब लंड टाईट हो गया तो उसने मुह में लेकर खूब चूसा मेरे लंड को

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हेल्लो दोस्तों मेरा नाम श्रीहरी है। मै झारखंड का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 29 साल है। कद काठी से मैं काफी लंबा चौड़ा हूँ। लेकिन एक पैर से मै कमजोर हूँ। बचपन में ही मेरा एक छोटा सा एक्सीडेंट हुआ था। तभी मेरा दाया पैर टूट गया था। उसे सही होने में काफी समय लग गया। मैं स्कूल कॉलेज जाने में असमर्थ हो गया था। मै पढ़ लिख नहीं पाया। घर में ही कुछ पढ़ाई लिखाई करके थोड़ा बहुत नॉलेज ले लिया था। 4 साल पहले मेरे घर के करीब में एक हॉस्पिटल बना था। उसी में नर्स की ट्रेनिंग के लिए लडकियां सीखने के लिए आती थी। मेरा घर काफी बड़ा बना हुआ था। लेकिन मैं किसी किरायेदार को नहीं रखना चाहता था। मेरी शादी नहीं हुई थी। अभी तक मैं कुवांरा ही बैठा था। पढ़ने जाने वाली लड़कियों को देखकर मेरा मौसम बन जाता था। फिर भी मै किसी तरह से खुद को संभालता था।

मन करता था कि एक एक लड़कियों को लाइन में खड़ा करके चोद कर मजे लू। लेकिन इतनी जबरदस्त किस्मत कहाँ थी!! शक्ल सूरत से मै बहुत स्मार्ट था। लेकिन मेरी फूटी किस्मत में एक भी माल की चूत का दर्शन नहीं लिखा था। मै मुठ मार मार कर काम चला रहा था। घर में मेरे अलावा मेरी माँ थी। मेरे बड़े भाई बाहर जॉब करते थे। उनकी शादी हो चुकी थी। अपनी बीबी के साथ वो बाहर ही रहते थे। दो चार महीने में कही एक बार आ जाते तो आ जाते थे। मै घर पर अकेले ही बोर जाता था। एक दिन मैं सोच रहा था किसी लड़की को कमरा दे दूं। जिससे मेरा टाइम पास उसे देखमे में बीत जाया करे। लेकिन मै किसी एक ऐसी लड़की को रूम देने वाला था। जो की गजब की माल हो। मेरा सपना एक दिन सच ही हो गया। एक खूबसूरत लड़की ने आकर मेरे घर का बेल बजाया।

उसने घर का बेल बजाकर जैसे मेरी किस्मत का बेल बजा दिया हो। जैसा मैंने सोचा था बिल्कुल वैसी ही लड़की मेरे सामने खड़ी थी। उसनें मेरे से किराए पर रहने के लिए बात की। मैं तुरन्त ही जाकर सबसे अच्छा वाला कमरा उसको दिखा दिया। उसकी बॉडी साइज को देखकर मेरा लंड उसे चोदने को मचलने लगा। मै उसके निप्पल को काट कर खाने के लिए बेकरार होने लगा। मेरी माँ ने भी मेरा चेंज मूड देखकर बहुत खुश थी। पहले मैं हर किसी को मना कर देता था। लेकिन मै पहली बार किसी को अपने यहां रूम देने की बात की थी।
उसकी याद में मैंने उस दिन खूब मुठ मार कर अपने को शांत किया। वो दूसरे दिन सामान लेकर आने की बात कर रही थीं। उसका चेहरा काफी गोल था। नाक थोड़ी सी चौड़ी थी। लेकिन फिर भी वो बहुत गजब की माल लगती थी। उसके होंठो पर लाल लाल लिपस्टिक लगी हुई थी। आँखों में काजल लगा कर मेरे को तो घायल ही कर दी थी। मैं उसका दीवाना सा हो गया। मन करता था कि उसके साथ शादी करके रोज उसके होंठो को चूसूं! उसकी चूत को फाडूँ! उसके निप्पल से खेलूं! दूसरे दिन वो मेरे घर आई। काफी सारा सामान लेकर आई हुई थी। वो वही पास के हॉस्पिटल में जॉब के लिए आई थी। अब मेरा इंटरटेनमेंट उसे देखकर हो जाता था। रविवार का दिन था। होस्पिटल में उस दिन उसकी छुट्टी थी। वो बाहर बरामदे में घूम रही थी। मै पास में ही बैठा था। मैंने उसे पास बुलाकर कुछ बात चीत करना चाहा। मेरी माँ भी नहीं थी। वो मेरे पास कर खड़ी हो गयी।
“बैठो दिपाश्री कुछ बाते वाते करते हैं” मैंने कहा

वो पास में बैठ गयी।
“तुम्हारी शादी हो गयी है क्या???” मैंने कहा
“नहीं अभी मेरी इम्र ही क्या हुई है जो मेरी शादी हो जायेगी इतनी जल्दी” दिपाश्री ने कहा
“देखने में तो लगता है कि तुम्हारी शादी हो चुकी होगी” मैंने मुस्कुराते हुए कहा
“आपकी शादी हो चुकी होगी! आपकी तो उम्र भी हो गयी है” उसने बड़े ही कॉन्फिडेंस के साथ कहा

मैंने उसे सब सच बताया किस वजह से मेरी शादी नहीं हुई है अभी तक। तो उसने भी हर किसी की तरह दुःख व्यक्त किया।

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वो मेरे से कुछ ही देर में खुल के बात करने लगी। लेकिन कुछ ही देर में उसने भी अपना सारा हाल सुना दिया। उसकी दुःख भरी कहानीं सुनकर मै भी बहुत ही ज्यादा दुखी हो गया। उसके बॉयफ्रेंड से किस प्रकार से उसका ब्रेकअप हुआ। मेरे को सब उसने बताया दिया। कोई कैसे इतनी गजब की माल को छोड़ सकता है! कुछ देर तक बात करने के बाद वो आँखों में आंसू लेकर चली गयी। उस दिन उसने सफेद रंग की सलवार और समीज पहनी हुई थी। उसके उभरे मम्मे को देखकर दबाने का मन कर रहा था। एक दिन मेरी माँ मामा के गयी हुई थी। वो कुछ देर बाद आने वाली थी। घर पर मैं अकेला ही था। दिपाश्री भी मेरे साथ उस दिन बैठी बाते कर रही थी। उस दिन उसने नीले रंग का शूट पहना हुआ था। उसकी टाइट शूट में उसके चुच्चे काफी बड़े बड़े नजर आ रहे थे।

“दिपाश्री अगर मै तुम्हारा बॉयफ्रेंड होता तो  कभी नहीं छोड़ता” मैंने कहा
“क्यों??? ऐसी क्या बात है मुझमे!” दिपाश्री ने कहा
“तुम्हारे जैसी गर्लफ्रेंड मिलना बहुत नसीब की बात है” मैंने बड़े ही लहजे में कहा
वो बहुत ही खुश हो गयी। पहली बार मैं किसी लड़की को पटाने की भरपूर कोशिश कर रहा था। लेकिन इतने में मेरा काम हो जाएगा मैंने सोचा नहीं था।
मैंने दिपाश्री का हाथ पकड़ लिया।

“दिपाश्री आज तुम बहुत ही हॉट लग रही हो” मैंने कहा
“वो तो मैं बचपन से ही हूँ” उसने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा

“दिपाश्री इतनी अच्छी बॉडी और सबकुछ पाकर तुम्हारा इसका मजा लेने का मन नहीं करता??” मैंने कहा

“तुम सेक्स के बारे में बात तो नही कर रहे” दिपाश्री बोली
“हां दिपाश्री मै उसी की बात कर रहा हूँ” मैंने कहा
वो बहुत ही नशीली आँखों से मेरे तरफ देखी और कहने लगी।
“सेक्स के लिए दो लोग चाहिए और मै सिंगल हूँ” दिपाश्री ने कहा

मै अपना जुगाड़ लगाते हुए दिपाश्री को चोदने की बात करने लगा। दिपाश्री ने मुस्कुरा दिया। मेरे को रास्ता क्लियर दिखने लगा। शाम को वो खाना बनाकर मेरे लिए भी लायी हुई थी। चूंकि मेरी माँ तो थी नहीं तो खाना उसी ने बना लिया था। उसके बाद हमने खाना खाया और बात करने लगे। उसके बाद से मेरा मन अचानक से बदल गया। मै उसकी तरफ आकर्षित होने लगा। मेरा होंठ उसके गले पर पहुच गया। मैं उसके गले को किस करने लगा। दिपाश्री ने कोई विरोध नहीं व्यक्त किया। मेरे को सारा रास्ता साफ़ नज़र आने लगा। दिपाश्री भी काफी दिनों की तड़पी हुई लग रही थी। मैंने उसको अपने से चिपका कर किस करने लगा। लाल लाल लिपिस्टिक को चूस चूस कर छुड़ा रहा था। सारी लिपस्टिक छूटते ही उसकी गुलाबी होंठ और भी ज्यादा जबरदस्त लगने लगी।

“चूसो और चूसो!! मेरे होंठो को काट काट कर सारा रस पी लो” दिपाश्री कह रही थी।

मैं उसको दोनों होठों को बारी बारी पीने लगा। वह भी मेरा साथ देने लगी। दिपाश्री भी कुछ कम ना थी वह भी मेरे होठों को पीने लगी। हम दोनों एक दूसरे की होठ को चूस कर मजा लेने लगे। दिपाश्री किस करने में एक्सपीरियंसड लग रही थी। जिस तरह से मेरे होंठों को चूस रही थी। उससे साफ साफ जाहिर होता था की वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ कई बार ऐसा कर चुकी थी। मैंने उसके गले पर किस करके उसे गर्म कर दिया। उसकी समीज को ऊपर उठा कर निकाल दिया। समीज के अंदर उसने नीले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। नीले रंग की ब्रा में उसका बदन और भी ज्यादा जबरदस्त दिख रहा था। उसके बड़े-बड़े चूचे ब्रा के बाहर निकलने को तैयार थे। मैंने ब्रा की हुक खोल कर चूचो को आजाद कर दिया। दोनों चूचे को मसलते ही वो “……अई…अई….अ ई……अई….इसस्स्स्स्…….उहह् ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की सिसकारियां भरने लगी।

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उसकी आवाज को सुनकर मेरा लंड खड़ा होने लगा मैंने उसके दोनों चूचो को दबा कर पीना शुरू किया। उसके बूब्स पर ब्राउन रंग का निप्पल बहुत ही रोमांचक लग रहा था। कुछ देर तक मैंने उसके दूध को निचोड़ कर पिया। दिपाश्री चुदने को तड़पने लगी वह बिस्तर पर इधर-उधर करवटें बदलने लगी। मैंने अपना पैंट खोला और अपना लंड बचपन की तरह हिलाने लगा धीरे धीरे मेरा लंड बड़ा और मोटा होता गया। दिपाश्री यह सब नजारा देख रही थी। उससे रहा नही गया। उसने मेरे लंड को पकड कर हिलाना शुरू कर दिया। उसके हाथ के स्पर्श से ही मेरा लंड ऊपर ऊपर नीचे होने लगा।

मेरा लंड कठोर हो गया। उसने मेरे लंड को अपनी जीभ लगा कर चाटना शुरू कर दिया। कुछ देखा तो कुछ नहीं मेरे लंड को वैसे ही चाट कर मजा लिया। मैंने भी उसकी सलवार का नाड़ा खोला और नीचे सरका कर निकाल दिया। वो अब सिर्फ नीले रंग की पैंटी में मेरे सामने बैठी हुई थी। मैंने उसकी पैंटी को निकालकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया। दिपाश्री की टांगों को खोलते ही उसकी चिकनी चूत का दर्शन हो गया। उसकी चूत बड़ी ही रसीली लग रही थी। मेरे दोस्त ने बताया था लड़कियों की चूत चाटने पर कुछ ज्यादा ही गर्म हो जाती है और चुदने को तड़पने लगती हैं। मेरे को उसकी बात याद आ गई और मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर लगा दिया। उसकी चूत पर जीभ लगाते ही वह चोदने को बेकरार होने लगी।

वह बार-बार मेरा सर अपनी चूत में धकेलने लगी। मैंने उसकी चूत चाट चाट कर उसकी सिसकारियां निकलवा दी। वो जोर जोर से“..अहहह्ह्ह्ह ह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा हा” की सिसकारियां भर रही थी। दिपाश्री की चूत माल बहने लगा। मैंने सारा माल चाट कर उसकी चूत से अपना लंड सटा दिया।उसकी चूत पर अपना लंड को ऊपर नीचे करके रगड़ने लगा दिपाश्री ने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद से सटा दिया।

“फाड़ दो!! सी सी सी सी….आज फाड़ दो मेरी गर्म चूत को…ऊँ…..ऊँ…..ऊँ….” दिपाश्री कह कर तड़प रही थी
“तेरी माँ की चूत साली!! आज तेरा भोसड़ा फाड़ दूंगा!!” मैंने कहा

वो मेरा लंड अपनी चूत में डालने लगी। मैंने भी धक्का मार दिया मेरा आधे से अधिक लंड उसकी चूत में घुस गया। मेरे मोटे लंड के घुसते ही सायरा के मुंह से “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” की चीखें निकलने लगी। दिपाश्री की चूत में मेरा पूरा लंड हो चुका था। मैंने उसकी धीरे-धीरे चुदाई भी करनी शुरू कर दी। दिपाश्री चीखती रही और मै अपना लंड पेल पेल कर उसकी चुदाई करता रहा। दिपाश्री की चूत को फाड़कर उसे सम्भोग का पूरा मजा दे रहा था। दिपाश्री की चूत मेरे गरमा गरम लंड को खा रही थी। वो भी बड़े मजे ले लेकर चुदवा रही थी। मैं अपना लंड कमर उठा उठा कर डाल रहा था। मैंने दिपाश्री के पेट पर लेटकर सायरा को चोदना शुरू किया।

उसके मम्मो को पीते हुए मैं उसकी चुदाई कर रहा था। वो भी अपनी कमर उठा उठा कर चुदवा रही थी। दिपाश्री की चूत में मेरा लंड जल्दी जल्दी अंदर बाहर होने लगा। दिपाश्री की जोर से चुदाई करते ही वह “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ—ऊँ…ऊँ….” की आवाज निकालने लगती थी। मैंने सायरा को कुछ देर तक इसी पोजीशन में चोदा। उसके बाद मैंने दिपाश्री को उठाकर उसे कुतिया बनने को कहा। सायरा को मैं डॉगी स्टाइल में चोदना चाहता था। मेरे कहते ही दिपाश्री कुतिया की तरह झुक कर बैठ गई। मैंने अपना लंड हिलाते हुए उसकी चूत पर रगड़कर छेद में डाल दिया। उसने भी अपनी गांड मटका मटका कर चुदवाना शुरू किया। मैंने उसकी कमर को पकड़ कर जोर जोर से अपना लंड पेलना शुरू किया। मेरे को उसे चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

“….उंह हूँ…. हूँ…मेरे चूत के राजा!! और गहराई से चोदो मेरी रसीली चूत को!! हूँ…हमम अहह्ह्ह…अई….अई…..” की आवाज के साथ दिपाश्री मेरी उत्तेजना को बढ़ा रही थी। उस के सहयोग से मेरे चोदने की क्षमता बढ़ती जा रही थी। मैंने चुदाई की स्पीड बढ़ा दी।। मेरे लंड की रगड़ को दिपाश्री की चूत ज्यादा देर तक सहन नहीं कर सकी। सायरा ने अपना माल निकाल दिया मेरा पूरा लंड गीला हो गया था। गीले लंड से भी मैंने दिपाश्री की लगभग 10 मिनट तक चुदाई की और आखिरकार मैं भी उसकी चूत में झड़ गया। मेरी चूत में स्खलित होते ही दिपाश्री मुंह के बल चित्त ही लेट गई।

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बुआ तेरी छोरी को खूब जम के चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/buaa-teri-chhori-ko-khub-jam-ke-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bhai-bahan/buaa-teri-chhori-ko-khub-jam-ke-choda.html#respond Tue, 06 Mar 2018 06:25:10 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12147 बुआ तेरी छोरी को खूब जम के चोदा, antarvasna sex story, hindi sex story, kamukta, chodan, antarvasnasexstories, hindi porn stories, chudai ki kahnaiya, new hindi sex story, latest sex story, latest new hindi sex kahani, sex story

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हाय गाइज मेरा नाम आवेश है. मेरा इस साईट के साथ बहुत ही पुराना रिश्ता है ओए सेक्स, सेक्स से तो मेरा होश संभालने के कुछ समय बाद से ही नाता है. इसके नाते इतना तो क्लियर हो गया की मेरा सेक्स से बहुत पुरान नाता है मेरा ही नहीं बल्कि ये स्टोरी पढ़ते वालो में हर किसी के सेक्स से पुराना और गहरा नाता है,, तभी तो अपना कीमती वकत आप सब मस्ताराम को दे प् रहे है.

मैं भुभ्नेश्वर के पास एक छोटा शहर पड़ता है वहां का हूँ | मैं जो अभी तक कहानी पढ़ी है उन कहानियों से मैंने बहुत कुछ सिखा है | मैं भी आज आप लोगो के सामने अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ और मैं जो आज कहानी लिखने जा रहा हूँ ये मेरे जीवन की एक सच्ची कहानी है | इस कहानी में मैंने अपनी बुआ की लड़की की चुदाई अपने गोरे लंड से की थी | मैं अपनी कहानी को शुरू करने से पहले अपने बारे में बताना चाहता हूँ | मैं दिखने में बहुत स्मार्ट हूँ और मेरी हाईट 5 फुट 8 इंच है | दोस्तों मैं इतना गोरा हूँ की लड़कियां मुझ पर मरती है और मेरे जिस्म की तरह ही मेरा लंड भी बहुत गोरा है | कहानी शुरू करने से पहले आप लोगो को बता दूँ की ये मेरी पहली कहानी है तो मैं उम्मीद करता हूँ की आप लोगो को पसंद आये | आप लोगो को मेरी कहानी पसंद आती है तो मेरा कहानी को लिखना बेकार नही जायेगा |

फ्रेंड्स ये कहानी पिछले साल की है जब मैं 24 साल का था और इससे पहले भी मैंने बहुत सारी लड़कियों की चुदाई की है | मैंने तो बहुत लड़कियों की सील भी तोड़ी है और दोस्त जब लड़कियों की सील टूटती है जोओ वो बहुत जोर जोर से सिसकियाँ लेती है और पुरे बिस्तर पर इधर उधर घुमने लगती है | कुछ लड़कियों के मुंह से तो दर्द की वजह से आवाज भी नही निकलती है | पर मैं अभी तक जिन लड़कियों की सील तोड़ी है उसमे से ज्यादा तर तो सील टूटने पर मछली की तरह तडपी है | फ्रेंड्स मैंने जब कभी अपनी बुआ के घर जाता था तो अपनी बुआ की लड़की को देख कर पागल हो जाता था | वो दिखने में बहुत गोरी है और वो मुझसे एक साल छोटी है | मुझे तो नही पता पर मेरी बुआ ऐसा ही बोलती है | उसका नाम कौशिका है | उसका फिगर बहुत सेक्सी है और उसका भरा हुआ बदन देखकर मेरे मुंह में पानी आ जाता था | उसके बड़े बड़े बूब्स और उसकी चढ़ती जवानी देखर मेरे अन्दर आग लग जाती थी | जब वो चलती थी तो उसकी बलखाती कमर जो नागिन की तरह चलती थी | उसको देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था | मैं बहुत बार तो उसके नाम से मुठ भी मारी क्यूंकि जब मैं उसको देख लेता था तो मैं अपने आप पर कंट्रोल नही कर पता था | जब वो मुझे देखती थी तो उसकी चल बदल जाती थी |

एक टाइम की बात है मुझे कुछ काम से बुआ के घर जाना था तो मैं उस दिन बुआ के घर चला गया | मैं उसको अब पुरे 5 महीने बाद देख रहा था | वो अब तो उससे ज्यादा सेक्सी लगने लगी थी | उसकी वो नशीली आँखों जिनको देख कर मेरा मन डूबने का होता | अब वो पहले से भी ज्यादा मस्त माल लगाने लगी थी और जब वो अपने बालो को बिखरा लेती तो और भी ज्यादा मस्त लगती थी | पर मुझे नही पता था वो ये सब मुझे दिखाने के लिए करती है | जब मैं उसको देखता तो वो मुझे देखकर बहुत सेक्सी स्माइल देती मैं तो उसकी स्माइल पर फ़िदा था | मैं पहले दिन ही लगा की वो मुझे पसंद करती है | फ्रेंड्स सर्दी के दिन थे तो सब बुआ तो फूफा जी के साथ लेट गयी और मुझसे कहा की तुम कौशिका के रूम में सो जाओ बाहर लेटोगे तो सर्दी लग जाएगी | तब मैं उसके रूम में एक ही बेड पर लेट गया |

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फ्रेंड्स मुझे नही पता था की वो सर्दी में भी कपडे निकाल कर सोती है | मैं उसके पास जाकर लेट गया और वो मुझे देखकर चुप चाप लेट गयी | मैं और वो एक साथ एक ही बेड पर लेटे थे और वो कुछ देर तक ऐसे ही लेती रही | फिर वो मेरी तरफ मुंह करके लेट गयी और मुझे कुछ देर तक ऐसे ही बात करते हुए सो गयी | मैं जब उसके पास लेटा था तो मेरा मन हो रहा था की इसकी जवानी के मज़े अभी लूट लूं पर मैं उसकी हाँ का इंतजार कर रहा था | फिर मैं भी सो गया और जब मैं सुबह सो के उठा तो देखा की सब लोग उठ गए हैं |

मैं भी उठ गया और फ्रेस हुआ फिर नाश्ता करने के लिए टेबल पर बैठ गया | मैं जहाँ बैठा था वहीँ के पास वाली कुर्सी पर कौशिका आकर बैठ गयी | जब कौशिका मेरे पास आकर बैठ गयी तो मैं उसके तरफ देखने लगा | तब वो मेरी आँखों में आंखे डाल कर देखने लगी और हँसती हुई मेरी होठो पर एक छोटी सी किस कर दी और बोली तुम भी न कितने भोलो हो | मैं तुम्हे इतने दिनों से पसंद करती हूँ पर तुम कहते ही नही हो | मैं और कौशिका बात कर ही रहे थे की तब तक फूफा जी आ गये | जब वो आ गए तो कुछ देर बाद बुआ भी नाश्ता लेकर आ गयी और फिर हम लोग नाश्ता करने लगे | जब सब लोग नाश्ता करने लगे तो मैं भी नाश्ता करने लगा | मुझे आज ही घर भी जाना था और जब मैं जान गया था की वो मुझसे प्यार करती हो तो मेरा अब बिना चुदाई किये जाने का मन नही हो रहा था |

फिर मैं कमरे में जाकर लेट गया और जब फूफा जी काम पर चले गए | तब बुआ काम में बिजी थी और वो कमरे में आ गयी और मुझसे लिपट गयी | जब वो मुझसे लिपटी हुई थी तो उसके मस्त बड़े बूब्स बीच में दब रहे थे | मैं भी उसको चूमने लगा और वो मुझे चूमने लगी हम दोनों ऐसे ही 5 मिनट तक करते रहे | फिर मैं उसके बाद अपने घर चला आया | उसके कुछ दिन बाद की बात है जब कौशिका और बुआ मेरे घर आई थी | उस दिन मेरी छोटी बहन का जन्मदिन था | उस दिन कभी लोग घर आये हुए थे और उस टाइम भी हल्की हल्की सर्दी पड़ रही थी |

इसलिए सब लोग कमरे में लेट गए और कुछ लोग घर में लेट गए अभी मैं और कौशिका मेरे घर के लोग नही सोये थे | तब कौशिका ने बुआ से कहा मैं जाकर आवेश के कमरे में सो जाती हूँ और कहीं जगह भी नही है | तब बुआ ने कहा ठीक है तुम वहां सो जाओ और फिर पहले वो जाके लेट गयी | मुझे तो पता ही था की वो मेरे कमरे में लेटी है | फिर मैंने मम्मी से कहा की मैं कहाँ लेट जाऊ तो मम्मी ने कहा तू अपने कमरे में जाकर लेट जा | तब मैंने कहा की कमरे में कौशिका लेती है तो बुआ बोली तू भी लेट जा की एक बेड पर नही लेट पाओगे |

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फ्रेंड्स में तो बुआ के कहने का इंतजार ही कर रहा था | जब बुआ ने मुझे ये बात कहीं तो मैं बिना किसी सवाल के जाकर लेट गया | फिर मैं और कौशिका कुछ देर तक एक दुसरे से बात करते रहे और खेलते रहे | फिर मैं और वो एक दुसरे से लिपट कर लेट गए | जब मैं उससे लिपट कर लेटा था तो उसके मस्त चिकने बूब्स दब रहे थे | कुछ देर तक लेटने के बाद मैं उसकी होठो को अपनी ऊँगली से सहलाने लगा | जब मैं उसकी होठो को सहलाने लगा तो वो मेरी आँखों में आंखे डाल कर देखने लगी और मेरी होठो पर अपनी होठो को रख कर चूसने लगी  | मैं उसकी होठो को चूसने लगा और वो मेरी होठो को चूसने लगी | मैं उसकी होठो को चूसने के साथ उसकी ब्रा को खोल कर उसके बूब्स को दबाने लगा | मैं उसकी होठो को चूसने के साथ उसकी पैंटी में हाथ को डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा | मैं जब उसकी चूत को सहला रहा था तो उसकी चूत की गर्मी से मेरा लंड झटके मारने लगा | मैं उसकी चूत को सहलाने के साथ उसकी चूत में ऊँगली घुसा दी तो उसकी सांसे तेज हो गयी |

मैं उसकी चूत में ऐसे ही कुछ देर तक ऊँगली को अन्दर बाहर करने के बाद | अपने कपडे निकाल दिए और फ्रेंड्स मुझे चूत चाटना और लंड चुसाना नही पसंद है | तब मैंने अपने लंड के मुंह पर थूक लगा कर उसकी चूत में थूक लगाया | फिर उसकी चूत में घुसा दिया | मेरा मोटा और लम्बा लंड जैसे ही उसकी चूत में घुसा तो उसके मुंह से सेक्सी आवाजे निकल गयी | मैं उसकी चूत में लंड को घुसा कर धीरे धीरे अन्दर बहर करते हुए चोदने लगा | वो अहं अहं अह उई उई हाँ हाँ उई….. सी उई हाँ सी उई हाँ अह उई अह हाँ….. की आवाजे करती हुई चुदने लगी | मैं उसकी ये आवाजे सुनकर धक्को की स्पीड तेज करदी और जोरदार धक्को के साथ अन्दर बाहर करते हुए उसको चोदने लगा | मैं उसकी चूत में जोर जोर से धक्के मारने लगा और वो मेरे हर धक्के का मज़ा लेती हुई चुद रही थी और साथ में सेक्सी आवाजे कर रही थी | मैं उसको जोरदार धक्को के साथ ऐसे ही 15 मिनट तक चोदता रहा और वो मज़े लती हुई चूत को हिला हिला कर चुदती रही |

फिर मैं अपने लंड को उसकी चूत से निकाल कर उसकी चूत के ऊपर अपना माल निकाल दिया | फिर मैंने अपने कपडे पहन लिए और वो तो बिना कपडे पहन कर ही सोती थी | फिर सुबह सबसे पहले उठ कर कपडे पहन लेती थी | वो घर में सबसे पहले उठ जाती थी | इस तरह से हमारा खेल चलता रहा और किसी को पता भी नहीं चला हमने खूब एन्जॉय किया है.

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पति से ज्यादा मज़ा मेरे ससुर जी ने लिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/pati-se-jyada-maza-mere-sasur-ji-ne-liya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/bahu-ki-chudai/pati-se-jyada-maza-mere-sasur-ji-ne-liya.html#respond Tue, 26 Dec 2017 11:00:47 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11491 पति से ज्यादा मज़ा मेरे ससुर जी ने लिया क्योकि मेरे पति साल में १ बार ही घर पर आते है और मेरी चुदास अब कैसे मिटेगी कोई तो चाहिए तो मैंने भी अपने ससुर को अपना चुदाई का मोहरा बनाया मेरे ससुर का लौड़ा मेरे पति के लौड़े कही ज्यादा मोटा लम्बा मोटा और तगड़ा है |

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मेरा नाम रुचिका है और मुझे चुदाई में बहुत रूचि है तथा मुझे उससे जुड़ी अच्छी रचनाएँ पढ़ने की बहुत रुचिका भी रहती है। चार वर्ष पहले मेरी शादी पुणे वासी योगेश के साथ हुई थी और मैं अपने पति और ससुरजी के साथ हंसी-ख़ुशी पुणे में ही रहती थी। मेरी सासु माँ स्वर्गवासी हो चुकी है मेरे पति एक बड़ी कंपनी में इंजिनियर है उनका ऑफिस पुणे में है | मेरे ससुर गवर्नमेंट नौकरी करते है |

एक वर्ष के बाद मेरे पति को USA की एक कंपनी में नौकरी मिल गई तब वह तो तुरंत वहाँ चले गए और मुझे USA का वीसा मिलने में छह माह लग गए। उन्हीं छह माह के शुरुआत में ही जो घटना मेरे साथ घटी मैं उसी का विवरण आप से साझा कर रही हूँ । पति को USA गए अभी तीन सप्ताह ही हुए थे की एक दिन जब मैं अपने ससुरजी के साथ बाजार में खरीदारी कर के घर आ रहे थे तब हमारे ऑटो का एक्सीडेंट हो गया और वह पलटी हो गया।

उस एक्सीडेंट में मेरे ससुरजी को तो कुछ खरोंचे ही आई थी लेकिन मुझे बहुत चोटें लगी थी जिसमें मेरे दोनों बाजुओं की हड्डियों में फ्रैक्चर हो गए थे और उन पर आठ सप्ताह के लिए प्लास्टर चढ़ा दिया गया था।

मेरी टांगों और घुटनों पर भी काफी चोंटें आई थी जिस के कारण मेरा उठाना बैठना भी मुश्किल हो गया था और डॉक्टर ने मुझे दो सप्ताह के लिए बिस्तर पर ही लेटे रहने की सलाह दे दी थी। मेरी यह हालत देख कर ससुरजी ने मेरी देख-रेख एवं घर के काम के लिए पूरे दिन के लिए एक कामवाली रख दी।

वह कामवाली सुबह छह बजे आती थी और पूरा दिन मेरा और घर का सभी काम करती तथा रात को नौ बजे डिनर खिला कर अपने घर चली जाती थी। अंगों पर लगी चोट और बाजुओं पर बंधे प्लास्टर के कारण मैं अधिक कपड़े नहीं पहन पाती थी इसलिए मैं दिन-रात सिर्फ गाउन या नाइटी ही पहने रहती थी!

मैं नहा तो सकती नहीं थी इसलिए काम वाली बाई दिन में मेरे पूरे शरीर को गीले तौलिये से पोंछ कर मुझे गाउन या नाइटी पहनाने में मदद कर देती थी। क्योंकि मुझे बाथरूम में जाकर पेशाब आदि करने में कोई परेशानी नहीं हो इसलिए मैं पैंटी भी नहीं पहनती थी।

इस तरह दुःख और तकलीफ में एक सप्ताह ही बीता था की मेरे ऊपर एक और मुसीबत ने आक्रमण कर दिया। उस रात को लगभग ग्यारह बजे जब मैं सो रही थी तब मुझे मेरी जाँघों के बीच में गीलापन महसूस हुआ और मेरी नींद खुल गई।

मेरी परेशानी और भी अधिक बढ़ गई क्योंकि मेरे दोनों बाजुओं में प्लास्टर लगे होने के कारण मैं अपने हाथों से वह गीलापन क्यों और कैसा है इसका पता भी नहीं लगा पा रही थी। वह गीलापन नीचे की ओर बह कर मेरी नाइटी और बिस्तर को भी गीला करने लगा था जिस के कारण मुझे कुछ अधिक असुविधा होने लगी थी।

दो घंटे तक उस गीलेपन पर लेटे रहने के बाद जब मेरे सयम का बाँध टूट गया तब मैंने ससुरजी को आवाज़ लगा कर बुलाया और उन्हें अपनी समस्या बताई। मेरी बात सुन कर ससुरजी ने जब मुझे थोड़ा सा सरका कर बिस्तर के गीलेपन को देखा तो अवाक हो कर मेरी ओर देखने लगे थे।

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया की मेरी टांगों, नाइटी और बिस्तर पर गीलापन महसूस होने का कारण मेरी चुत में से खून का रिसाव है। ससुरजी के मुख से मेरी चुत में से खून का रिसाव की बात सुनते ही मेरा माथा ठनका और मैं समझ गई कि मुझे मासिक-धर्म आ गया था और वह गीलापन उसी के कारण था।

लेकिन मेरी दुविधा कम होने के बजाये और भी अधिक बढ़ गई थी क्योंकि मैं यह निर्णय नहीं कर पा रही थी कि मैं अपनी सफाई कैसे करूँ। तभी ससुरजी ने कहा– तुम्हें बाथरूम तक पहुँचाने के लिए मैं तुम्हारी मदद कर देता हूँ और तुम वहाँ जाकर अपने आप को साफ़ कर लो। तब तक मैं तुम्हारे इस बिस्तर की चादर आदि बदल देता हूँ।

ससुरजी की बात सुन कर अकस्मात मेरे मुख से निकल गया- पापाजी, इन बंधे हाथों से मैं अपनी सफाई कैसे कर सकती हूँ?

मेरी बात सुन कर ससुरजी कुछ देर तो चुप रहे लेकिन फिर बोले- तो तुम ही बताओ क्या करें? क्या कल सुबह काम वाली के आने तक ऐसे ही इसी तरह मैले में ही पड़ी रहोगी?

उनकी बात सुन कर कुछ देर तो मैं संकुचाई फिर हिम्मत कर के बोली- पापाजी, रात भर मैले में तो मैं पड़ी नहीं रह सकती इसीलिए तो आप को आवाज़ लगाईं थी। क्यों नहीं आप ही मेरी सफाई करने में मदद कर देते?

मेरी बात सुनते ही उन्होंने उत्तर दिया- नहीं रुचिका, यह मुझसे नहीं हो पायेगा और यह ठीक भी नहीं है। एक ससुर और बहु के बीच में जो पर्दा, मर्यादा और दूरी होती है तुम उसे तोड़ने के लिए कह रही हो। मैंने तुरंत बोला- पापाजी हमारे पास और कोई चारा भी तो नहीं है। मेरे लिए तो आप मेरी सास और ससुर दोनों ही हो इसलिए क्यों नहीं आप मेरा यह काम मेरी सास की तरह फर्ज़ समझ कर निभा दीजिये।

मेरी बात सुन कर ससुरजी पहले तो चुप हो कर खड़े रहे और फिर अपना सिर को नकारात्मक हिलाते हुए मेरे कमरे बाहर चले गए। 10 मिनट तक मैं अपने बिस्तर पर चिंतित पड़ी यही सोच रही थी कि अब आगे क्या करूँ तभी ससुरजी कमरे में लौट कर आये और बोले- रुचिका, मैं तुम्हे मैले में नहीं पड़ा रहने दे सकता, इसलिए तुम्हारी सफाई करने को तैयार हूँ। लेकिन मुझे नहीं मालूम की वह कैसे करते हैं इसलिए तुम्हें मुझे बताना होगा कि मैं क्या और कैसे करूँ…

ससुरजी की बात सुन मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी हुई क्योंकि जीवन में पहली बार मेरी मम्मी, पापा और पति के इलावा कोई अन्य इंसान मेरे गुप्तांगों को देखेगा या फिर छुएगा। लेकिन मैंने अपने मन को संयम में रखते हुए उन्हें मुझे बाथरूम में ले जाने में मदद करने के लिए कहा। तब उन्होंने मुझे सहारा देकर उठाया और कमर से पकड़ कर बाथरूम ले गए तथा मेरे कहने पर मुझे पॉट पर बिठा दिया।

पॉट पर बैठने के बाद मैंने उन्हें कहा- अब आप मेरी नाइटी उतरवा कर कमरे में लकड़ी की अलमारी में से मेरी एक पैंटी, एक नाइटी तथा ड्रेसिंग टेबल के दराज़ में से सेनेटरी नैपकिन का पैकेट लेते आइये। मेरे कहे अनुसार उन्होंने मेरी नाइटी को नीचे से पकड़ ऊपर की ओर खींच कर मेरे शरीर से अलग करके धोने वाले कपड़ों में रख कर बाथरूम से बाहर चले गए।

थोड़ी देर में ससुरजी मेरे बिस्तर की चादर बदल कर और मेरी पैंटी, नाइटी और नैपकिन लेकर बाथरूम में आये तब तक मैंने जोर लगा कर अपनी चुत में से खून का सारा रिसाव बाहर निकाल दिया था। ससुरजी के पूछने पर कि आगे क्या करना है तब मैंने उन्हें मेरी चुत को धोने के लिए कहा।

मेरी बात सुन कर पहले तो वे थोड़ा झिझके लेकिन फिर एक मग में पानी ले कर आये और मेरी टाँगे चौड़ी करके मेरी चुत पर पानी डाल कर धोने लगे। तब मैंने उनसे कहा- पापाजी, ऐसे पानी डालने से सफाई नहीं होगी। आप अपने हाथ में पानी ले कर मेरी चुत को मल मल कर धोयेंगे तभी खून साफ़ होगा।

मेरी बात को समझ कर उन्होंने मेरी चुत पर अपने हाथ से पानी का छींटा मार कर उसे हाथ से ही मल कर साफ़ करने लगे। उनका हाथ लगते ही मेरा पूरा शरीर रोमांचित हो उठा और मेरे शरीर के रोयें खड़े होने लगे!

लगभग चार सप्ताह के बाद मेरी चुत पर किसी मर्द का हाथ लगने से उसके अन्दर एक खलबली मच गई और मेरी सोई हुई चुदाई उत्तेजित हो उठी। इतने में ससुरजी ने मेरी चुत पर पानी के पांच-छह छींटे मार कर उसे मल मल कर साफ़ कर दिया और पूछा- रुचिका, लो अब यह तो बिलकुल साफ़ हो गई है! अब और क्या करना है।

तब मैंने उन्हें कह दिया- पापाजी, अभी इसके अन्दर खून भरा हुआ है। आप दो तीन बार अपनी बड़ी उंगली की इसके अंदर डाल कर थोड़ा घुमा दीजिये तो वह खून बाहर आ जायेगा, उसके बाद आप इसे बाहर से एक बार फिर धो दीजियेगा। मेरी बात सुन कर उन्होंने जैसा मैंने कहा था वैसे ही अपनी बड़ी उंगली को कई बार मेरी चुत के अंदर घुमाया और जब उनकी उंगली पर खून लगना बंद हो गया तभी वह रुके।

क्योंकि मैं तो पहले से ही उत्तेजित थी इसलिए ससुरजी द्वारा आठ-दस बार चुत के अन्दर उंगली घुमाने के कारण खून के साथ मेरा चुत रस भी छूट कर बाहर निकल आया था जिसे उन्होंने पानी से धो कर साफ़ कर दिया।

इसके बाद मैं पॉट से उठी और अपनी टाँगे चौड़ी करके खड़े होते हुए ससुर जी से कहा- पापाजी, उस पैकेट में से एक सेनेटरी नैपकिन निकाल कर मेरी पैंटी के अन्दर चिपका दीजिये और फिर वह पैंटी और नाइटी मुझे पहना दीजिये।

ससुरजी ने मेरे कहे अनुसार वह सब करके मुझे पैंटी पहनाने के बाद मुझे नाइटी पहनाई और फिर मुझे कमर से पकड़ कर सहारा देते हुए कमरे में लाकर मुझे बिस्तर पर लिटा दिया।

रात का एक बज चुका था और ससुरजी जब मेरे कमरे की लाईट बंद करके अपने कमरे में सोने के लिए जाने लगे तब मैंने उन्हें कहा– पापाजी, रात में मुझे बाथरूम में जाने एवं पैंटी उतरवाने के लिए आपकी ज़रूरत पड़ सकती है इसलिए आप मेरे कमरे में मेरे साथ वाले बिस्तर पर ही सो जाइए।

ससुरजी मेरी बात सुन कर थोड़ा झिझके लेकिन फिर बोले- अच्छा, मैं अपने कमरे की लाईट बंद करके आता हूँ। लगभग पांच मिनट के बाद वह आ कर मेरे साथ वाले बिस्तर पर मेरी ओर पीठ कर के सो गए।

रात में मुझे दो बार बाथरूम जाना पड़ा जिसके लिए मैंने ससुरजी का सहारा लिया और अपनी वासना की तृप्ति के लिए उनसे हर बार अपनी चुत में उंगली डलवा कर सफाई भी करवाई। क्योंकि मेरी उत्तेजना एवं वासना की तृप्ति हो चुकी थी इस कारण मैं भी निश्चिन्त हो कर नींद की गोद में खो गई और सुबह बहुत देर तक सोई रही।

ससुरजी मेरे कमरे से कब उठे कर गए मुझे पता ही नहीं चला और मेरी नींद तब खुली जब कामवाली मेरे कमरे की सफाई करने के लिए आई थी! मुझे इतनी गहरी नींद आई थी कि मुझे कामवाली के आने का और ससुरजी के काम पर जाने का पता भी नहीं चला था।

दिन तो दो-तीन बार कामवाली बाई के सहारे सामान्य रूप से बीत गया लेकिन रात कैसे बीतेगी, मुझे इसकी चिंता सताने लगी थी। रात को दस बजे जब ससुरजी सोने जाने से पहले मुझे देखने तथा मेरे कमरे की लाईट बंद करने आये तब मुझसे पूछा- रुचिका, मैं सोने जा रहा हूँ। अगर तुम्हे कुछ चाहिए तो बता दो, मैं अभी दे जाता हूँ।

मैंने कहा- पापाजी, सब कुछ तो कामवाली रख गई है। अभी तो मुझे बाथरूम के लिए आपका सहारा चाहिए है। आप रात की तरह यहीं मेरे साथ वाले बिस्तर पर सो जाइए क्योंकि रात को भी तो बाथरूम जाने के लिए मुझे आपकी ज़रुरत पड़ेगी। एक बार तो अभी ही जाना पड़ेगा। मेरी बात सुन कर ससुरजी ने मुझे उठा कर खड़ा किया और मेरी कमर को पकड़ कर सहारा देते हुए मुझे बाथरूम में ले गए।

वहाँ मेरे कहे अनुसार उन्होंने मेरी नाइटी को ऊँचा करके मेरी पैंटी को उतरा और मुझे पॉट पर बिठा दिया। फिर उन्होंने मेरी पैंटी में से सैनिटरी नैपकिन उतार कर डस्ट-बिन में और पैंटी को धोने वाले कपड़ों में डाल दिया।

इसके बाद वह कमरे में जा कर एक साफ़ पैंटी पर नया सैनिटरी नैपकिन चिपका कर ले आये। उनके आने पर मैंने अपनी टाँगें चौड़ी करके उन्हें मेरी चुत की सफाई के लिए संकेत दिया। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मेरे संकेत को समझ कर वह मग में पानी भर कर ले आये और पानी के छींटे मार कर अपने हाथ से मेरी चुत को मल मल कर साफ़ कर दिया।

फिर मेरे बिना कहे ही उन्होंने अपनी बड़ी उंगली मेरी चुत के अन्दर आठ-दस बार डाल कर उसे साफ़ किया और फिर बाहर से उसे धो कर उसमें से निकला खून और चुत रस भी साफ़ कर दिया। इसके बाद उन्होंने मुझे सेंट्री नैपकिन लगी हुई साफ़ वाली पैंटी पहना कर मुझे सहारा देते हुए बिस्तर पर लिटा दिया और कमरे की लाईट बंद खुद भी साथ वाले बिस्तर पर सो गए।

पिछली रात की तरह उस रात को भी मैंने दो बार ससुरजी के सहारे से बाथरूम में जा कर अपनी वासना की तृप्ति के लिए उनसे हर बार अपनी चुत में उंगली डलवा कर सफाई भी करवाई। उस रात भी मुझे बहुत अच्छी नींद आई और मैं सुबह तक एक ही करवट सोती रही तथा कामवाली ने ही मुझे जगाया था।

यही सिलसला अगले तीन दिनों तक यानि की मेरे मासिक धर्म के आखिरी दिन तक चलता रहा और मैं उन सभी दिनों में बहुत ही संतुष्ट एवं खुश रहती थी। पांचवीं रात यानि की मासिक धर्म बंद होने की आखरी रात को जब ससुरजी ने मेरी चुत की सफाई करी और उन्होंने अपनी उंगली पर खून नहीं लगा पाया तब उन्होंने मुझे वह उंगली दिखाते हुए कहा- रुचिका, अब तो तुम्हारा मासिक धर्म बंद हो गया है क्योंकि आज तो तुम्हारी चुत से खून नहीं निकला है।

उनकी बात का उत्तर देते हुए मैंने कहा- हाँ पापाजी, मासिक धर्म को होते हुए आज पांच दिन पूरे होने को है इसलिए बंद तो हो जाना चाहिए, लेकिन फिर भी आज की रात तो सफाई करनी ही पड़ेगी। मेरी बात सुन कर ससुरजी ने अपनी उंगली कई बार मेरी चुत में डाल कर घुमाते रहे जब तक की मेरा रस नहीं निकल गया।

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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नयी नवेली दुल्हन से चुदक्कड़ बन गयी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/nayi-naveli-dulhan-se-chudakkad-ban-gyi.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/nayi-naveli-dulhan-se-chudakkad-ban-gyi.html#respond Fri, 15 Dec 2017 11:30:17 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11395 मै भी अपनी सच्ची स्टोरी आप सभी को बताने जा रही हूँ मेरे देवरों अपने लंड पर हाथ रख लो क्योकि कभी भी हिलाने की जरूरत पड़ सकती है यह कहानी तब की है जब मै नयी नवेली दुल्हन से चुदक्कड़ बन गयी |

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हेल्लो मैंने बहुत कहानियां पढ़ी है मस्ताराम डॉट नेट पर आज मै भी अपनी सच्ची स्टोरी आप सभी को बताने जा रही हूँ मेरे देवरों अपने लंड पर हाथ रख लो क्योकि कभी भी हिलाने की जरूरत पड़ सकती है यह कहानी तब की है जब मै नयी नवेली दुल्हन से चुदक्कड़ बन गयी | मेरी शादी को 4 महीने हो गए थे। मेरे पति अभिनय मुझसे बहुत प्यार करते थे। उनके ७ इंची मोटे लंड का स्वाद मेरी चूत तीन महीने में कई बार चख चुकी थी। जब वो घर पर होते थे तो चूचियाँ कभी भी दब जाती थीं। रात को लैपटॉप पर कई बार ब्लू फिल्म मुझे दिखा चुके थे।

एक दिन बातों बातों में मैंने पूछ लिया- क्या लंड इतने लम्बे लम्बे और मोटे भी होते हैं?

अभिनय बोले- प्यारी, वैसे तो 5-7 इंची ही लम्बे होते हैं लेकिन कुछ के बहुत लम्बे और मोटे भी होते हैं मेरे दोस्त अतुल का लंड 9 इंची लम्बा है।
मैंने पूछ लिया- आपको कैसे पता?

हँसते हुए अभिनय बोले- हम लोग एक ही हॉस्टल में रहते थे तो हम दोनों ने कई बार एक दूसरे की मुठ ब्लू फ़िल्में देखते हुए मारी थी। बातें करते हुए उन्होंने मुझे नंगा कर दिया और बोले- तुम बात बहुत करती हो ! असल में लंड वही अच्छा होता है जो चूत की खुजली मिटा दे। चलो, अब घोड़ी बनो और चूत मारने दो।

मैं बोली- घोड़ी बनती हूँ लेकिन पहले आपके कपड़े तो उतार दूँ !

दो मिनट में मैंने उनका पजामा और बनियान उतार दी तो रोज़ की तरह उनका 6 इंची कड़क लंड मेरी आँखों के आगे था।मेरी आँखों में कामुक चमक आ गई थी। मैं बिस्तर पर घुटने रखकर घोड़ी बन गई, अभिनय ने पीछे से मेरी चूत में उँगलियाँ घुसा कर घुमानी शुरू की और मेरी चूत के साथ साथ चूत के दाने को भी रगड़ने लगे।

मुझे लंड की प्यास लग रही थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं बोली- अभिनय चोदो न ! बहुत खुजली हो रही है। अपनी चिर परिचित आवाज़ के साथ अभिनय बोले- रानी, अभी दोपहर में ही तो तुम्हारी चोदी है, इतनी पागल क्यों हो जाती हो?

इसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में छुला दिया और मेरा सर पलंग पर लगा कर मेरी चूत में अपने लंड को घुसा दिया और चूचियों को पकड़ कर मुझे चोदने लगे। आह ऊह ऊह की आवाज़ों से कमरा गूंजने लगा।

एक औरत जब अपने अच्छे पति से चुदती है तो उसके मन में कहीं न कहीं यह बात छुपी होती है कि यह उसका अपना लंड है इसलिए उसमें कोई हिचक नहीं होती और वो खुल कर लंड का मज़ा लेती है। मैं भी इस समय खुल कर चुद रही थी। कुछ देर बाद मेरा चूत रस बाहर आ गया। अभिनय बहुत अच्छे चोदू हैं, दो बार तो मुझे झड़ा ही देते हैं।

फ़िर इन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया और मेरी चूत में अपना लंड दुबारा पेल दिया मेरे गालों और चूचों को दबाते हुए मुझे चोदने लगे और मेरी चूत में इनका लंड दुबारा दौड़ने लगा। दस मिनट चुदने के बाद मैं दुबारा जब झड़ने को हुई तो इन्होने भी अपना रस मेरी चूत में छोड़ दिया। हम लोग एक दूसरे से चिपक गए। सच अद्भुत चरम आनन्द का अनुभव था, आपकी भाभी ने चुदाई का स्वर्गीय सुख ले लिया था।

रात को चुदने के बाद अच्छी नींद आती है, मैं और अभिनय सो गए। सुबह 6 बजे ही अभिनय के बॉस का फ़ोन आ गया कि ऑफिस 8 बजे जाना है। मैं उठ गई और 7 बजे तक नाश्ता तैयार कर दिया इसके बाद ऑफिस जाने से पहले रोज़ की तरह अभिनय का लौड़ा उनकी पैंट की ज़िप खोलकर बाहर निकाला और उसे मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। वीर्य निकलने तक मैंने उनका लौड़ा पूरी मस्ती से चूसा और वीर्य पूरा अपने मुँह में गटक लिया।

इसके बाद अभिनय ऑफिस चले गए। शाम को अभिनय जब वापस आए तो बोले- स्वाति , मुझे दो दिन बाद अमेरिका 6 महीने के लिए जाना है।
हम सब लोग जाने की तैयारी में लग गए। मेरे सास ससुर भी यह सुनकर देहली आ गए। सब लोगों के साथ दो दिन बड़ी जल्दी निकल गए और अभिनय अमेरिका के लिए उड़ गए। मेरे सास-ससुर देहली मेरे पास रुक गए। दो दिन ठीकठाक कटे लेकिन तीसरे दिन रात को मेरी चूत बुरी तरह खुजियाने लगी, मुझे पता लगने लगा कि चूत की प्यास क्या होती है। उस समय मैं एक प्यासी दुल्हन थी जिसे सिर्फ इस समय एक लंड की चाहत थी। अमेरिका से उनसे 5-7 मिनट से ज्यादा रोज बात नहीं हो पाती थी। चैटिंग जरुर 1-2 घंटे रात को होती थी। लेकिन चूत की आग तो लंड से बुझती है। किसी तरह मैं रात को सो पाई।

अगले दिन अभिनय रात को 12 बजे वेब केम पर थे। मैंने उन्हें बताया कि उनके पप्पू की याद मुझे कितनी आती है। पूरी रात हाथ चूत में घुसा रहता है। चूत की प्यास बुझ नहीं रही है।

अभिनय बोले- रानी, मेरे लंड का भी बुरा हाल है, देखो तुम्हारी आवाज़ सुनकर पप्पू कैसा हिनहिना रहा है। और उन्होंने अपना नेकर उतार दिया, उनका 6 इंची लंड कड़क, तना हुआ मेरे सामने था।

मुझसे रहा नहीं गया, मैंने कहा- अभिनय , इसे मेरी चूत में डालो ना !

मैंने अपनी मेक्सी उतार दी, तब मैं पूरी नंगी थी। अभिनय बोले- स्वाति , तुम्हारी गेंदें देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है ! और वो लंड की मुठ मारने लगे, मुझे पुचकारते हुए बोले- अपनी रानी के दर्शन तो कराओ !

मैंने अपनी चूत चौड़ी कर ली और कैमरा अपनी चूत से कुछ दूर रख लिया। चूत रानी को अभिनय निहारने लगे और उनका हाथ लंड पर जोरों से चलने लगा। दो प्यासे, बुद्धू बक्से पर चूत और लंड देखकर खुश होने की कोशिश कर रहे थे।

एक बजे लाइट चली गई। कंप्यूटर बंद हो गया। मेरी चूत गीली हो गई थी लेकिन उसकी प्यास नहीं बुझी थी। मैं रसोई में चाय बनाने चली गई।
लाइट दस मिनट बाद आ गई थी, अभिनय ने फ़ोन कर के कहा- मैं अब ऑफिस जा रहा हूँ।

चाय पीने के बाद मैं जब मैं अपने कमरे की तरफ जा रही थी तो मुझे अपने सास-ससुर के कमरे से कुछ आवाजें सुनाई दीं। मैंने उनके कमरे में झांक कर देखा। पापा जी उठकर टीवी बंद कर रहे थे शायद मूवी ख़त्म हो गई थी। मेरी सास जो 45 साल के करीब थी, ने अपना ब्लाउज उतार दिया था, मोटी-मोटी, गोल-गोल थोड़ी लटकती हुई चूचियां सासु जी की बाहर थीं।

एक अंगड़ाई लेती हुई बोलीं- जब से बहू आई है, ठन्डे पड़ गए हो, पिछले तीन महीने में दो बार ही चोदा है, पहले तो हफ्ते में एक बार सवार हो ही जाते थे।
पापा जी ने मम्मीजी के गले में हाथ डालकर उनकी चूचियाँ अपने हाथों में पकड़ ली और उन्हें मसलते हुए बोले- रानी थोड़ी शादी की भाग दौड़ हो गई थी, अब तो मैं फ्री हूँ, अब हफ्ते में दो बार तेरी मुनिया को ठंडा किया करूँगा, नहीं तो तेरा भरोसा नहीं किसी और का घुसवा ले ! अभी तो तू जवान है। सासु की चूचियां और निप्पल मसल मसल के पापाजी ने खड़े कर दिए थे। मेरा मन किया कि मैं वहाँ से हट जाऊँ। अपने पति से तो मरवाने का हर औरत को अधिकार है। लेकिन मेरे मन मैं एक चोर था, मैं पापाजी का लंड देखना चाह रही थी। पापाजी ने अपने कपड़े उतार दिए थे और अब सिर्फ एक अंडरवीयर उनके बदन पर था। मम्मीजी उर्फ़ मेरी सासु ने अपना पेटीकोट उतार दिया था और वो पूरी नंगी हो चुकी थीं लेकिन मुझे उनकी चूत दिख नहीं रही थी। मेरी आँख दरवाज़े की झिरी पर थी और हाथ अपनी चूत के ऊपर था।

अगला पल मेरे लिए कभी न भूलने वाला था, सासु माँ ने पापाजी की चड्डी उतार दी और उनका लंड अपने हाथ में लेकर सहला रहीं थीं। थोड़ी देर में उन्होंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। चूसने के बाद जब ससुर का लंड बाहर निकला तो टनाटन कड़क 6 इंच का हो रहा था। बिल्कुल अभिनय के लंड जैसा था। मेरी चूत गर्म भट्टी हो रही थी, मन कर रहा था कि पापाजी लंड मेरी चूत में डाल दें।मैंने अपनी मेक्सी उतार दी थी और अपनी उंगलियाँ चूत में घुसा लीं थीं। सास ने 5 मिनट तक ससुर जी के लौड़े की चुसाई और चटाई की। उसके बाद पापाजी ने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया, मम्मीजी ने दोनों टांगें फ़ैला दीं थीं। पापाजी कोंडोम लेने अलमारी की तरफ चले गए. सासु माँ की चिकनी चमचमाती चूत मेरी आँखों के सामने थी। उस पर एक भी बाल नहीं था आज ही शेव की हुई लग रही थी।

पापाजी ने अपने लंड पर कोंडोम लगाया और और सास को तिरछा कर के उनकी चूत में पेल दिया। सासु माँ की आह ऊह निकलने लगी जो बाहर तक आ रही थी, पापाजी का लोड़ा चूत में दौड़ रहा था, सास का मुँह मेरी तरफ था उनकी चूचियों की मसलाई और चूत की चुदाई साफ़ दिख रही थी, सास मज़े ले लेकर चुद रही थी और बहु मुठ मार रही थी।

पापाजी अच्छे चोदू थे, 5 मिनट तक उन्होंने सासु माँ की चूत चोदी, उसके बाद उन्होंने सासु को घोड़ी बना दिया। कुतिया सास बोली- आज गांड का सुख दे दो, मुझे बड़ा मज़ा आता है गांड मरवाने में।

अगले पल जो था वो मेरे लिए नई चीज़ थी ! ससुर ने लंड मम्मीजी की गांड में डाल दिया था, मुझे लंड गांड में घुसता हुआ नहीं दिखा लेकिन उनके आसन से यह साफ़ था कि लंड गांड में ही घुसा है। ऊपर से सास चिल्ला रही थी- कुत्ते, गांड फाड़ दी ! वाह वाह ! क्या मज़ा दिया है।

सास की गांड मारी जा रही थी और मेरी चूत रो रो कर गीली हो रही थी। दस मिनट यह खेल चला होगा, उसके बाद पापाजी बोले- मैं यह कोंडोम बाहर डाल कर आता हूँ !और वो दरवाज़े की तरफ आ गए मैं अपनी मेक्सी उठाकर नंगी ही अपने कमरे में दौड़ ली।

दस दिन बाद – मेरा बैंक का पेपर अल्लाहाबाद में था। मेरी कोई तैयारी नहीं थी। मैं घर मैं बोर हो रही थी, मैंने सासु मां से कहा- मैं पेपर दे आती हूँ।
सासु ने हाँ भर दी, सासु माँ बोली- तू निखिल के घर कानपुर चली जाना, वहाँ से वो अल्लाहाबाद पेपर दिला लाएगा। उसकी मकान मालकिन बहुत अच्छी है, तेरी कम्पनी भी हो जाएगी, चाहे तो 6-7 दिन रुक भी आना।

निखिल सासु की बहन का लड़का था और कानपूर मैं नौकरी करता था। देवर के यहाँ जाने की बात सुनकर मेरी चूत चुलबुली हो गई। मन ही मन ख़ुशी भी हो रही थी। मैं गुरुवार को शताब्दी से कानपुर जा रही थी। मेरा पेपर रविवार को था। निखिल बीच में देहली आया था, 3-4 दिन रुका था तो हम लोग आपस में थोड़ा खुल गए थे। उसने मुझे नॉन वेज जोक भी सुनाए थे और सेक्सी बातें भी की थीं। अब मेरे मन के किसी कोने मैं उसके साथ मस्ती करने का मन कर रहा था, आज मंगलवार था। अभी जाने में एक दिन बीच में था। बुधवार को मैंने अपनी चूत के बाल साफ़ किये और ब्यूटी पार्लर मैं जाकर अपना बदन चिकना करवाया। रात को सामन रखते समय दो जोड़ी सेक्सी ब्रा-पैंटी और मेक्सी जिनसे पूरी चूचियाँ और चूत चमकती थीं जाने के लिए रख लीं। दो छोटी स्कर्ट और 2-3 लो-कट ब्लाउज भी रखे।

रात को निखिल का फ़ोन 9 बजे आया, मुझसे बोला- और भाभी कैसी हो?

मैंने कहा- अच्छी हूँ ! भाभी के स्वागत की तैयारी कर लेना।

सते हुए बोला- मैंने तो कर ली है। तुम क्या तोहफ़ा ला रही हो मेरे लिए।

मुस्कराते हुए बोली- दो संतरे ला रही हूँ।

देवर हँसते हुए बोला- चूस चूस कर खाऊँगा, जल्दी लेकर आओ।

निखिल बोला- कल मुर्गा खाओगी या आराम से दो दिन बाद खाओगी?

मैं हँसते हुए बोली- मुझे मुर्गे की आवाज़ आ रही है। कुँकङु कूं कुँकङु कूं बोल रहा है। अभी इसे सुला दो आकर बताउंगी की कब खाना है।
फ़ोन पर बातें करने के बाद मैं अपनी चूत सहलाती हुई सो गई।

अगले दिन मैं शताब्दी से कानपुर पहुँच गई, निखिल मुझे लेने आया था, उतरते ही उसने मुझे गले लगाया और बोला- घर पर अच्छी तरह से गले मिलूँगा, मुझे आप से मिलकर बहुत ख़ुशी हो रही है।मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और हम लोग बाहर आ गए। निखिल की बाइक से हम उसके घर पहुँच गए। वहाँ उसकी 35 साल की मकान मालकिन सुस्मिता ने मेरा स्वागत किया और हम लोगों के लिए चाय-नाश्ता ले आई।

हम सभी ने चाय पी, इसके बाद सुस्मिता बोली- जाकर फ्रेश हो लो जब तक मैं बच्चों को देख लेती हूँ। आज रात को मेरे साथ सोना, इस नालायक का भरोसा नहीं, रात को सोने भी न दे। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैं निखिल के साथ उसके ऊपर वाले किराए के टू-रूम सेट में आ गई। कमरे की एंट्री बाहर और अंदर दोनों तरफ से थी। पहला कमरा बहुत छोटा था उसमें 4 कुर्सी, मेज और एक तखत था, अंदर का कमरा काफी साफ़ सुथरा और बड़ा था उसमें एक बड़ा पलंग पड़ा था, छोटी सी किचन और एक बाथरूम कमरे से जुड़ा था।

शाम के 4 बज रहे थे। कमरे में घुसकर मैंने कमरा बंद कर लिया। निखिल बोला- भाभी, मैं बाहर के कमरे मैं बैठता हूँ, आप अंदर फ्रेश हो लो।
मैंने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- बाहर क्यों बैठते हो? अंदर आ जाओ। इतना शरमाओगे तो 5-6 दिन कैसे काटेंगे।

निखिल और मैं अंदर वाले कमरे में आ गए। मैंने मुस्कराते हुआ कहा- सुबह से साड़ी लपेटी हुई है, अब कुछ हल्का हो लेती हूँ !

और मैंने अपनी साड़ी निखिल के सामने उतार दी मेरी तनी हुई चूचियां निखिल को ललचा रही थीं। पेटीकोट थोड़ा ठीक करते हुए मैंने नाभि के नीचे सरका दिया। मैंने अपनी बाहें फ़ैलाते हुए कहा- गले तो मिल लो !

निखिल एक पुतले की तरह मेरी बाँहों में आ गया मैंने उसे कस कर चिपका लिया, अब मेरी चूचियाँ उसके सीने से दब रही थीं, निखिल के लंड का उभार मैं अपनी नाभि पर महसूस कर रही थी। मैंने उसे 5 मिनट तक अपने से चिपके रखा और उसके गालों को कस कर चूम लिया। यह हमारा पहला सेक्स अनुभव था।

उसके बाद मैं बाथरूम में चली गई, मैंने अपनी चड्डी और ब्रा उतार दी और ब्लाउज दुबारा से पहन लिया। बाहर आकर निखिल को दिखाती हुई बोली- इन्हें उतार कर बड़ा आराम लग रहा है।

अब मेरे बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था। बिस्तर पर निखिल को बैठाकर मैं उसकी गोद में लेट गई और अपने चिकने पेट पर उसका हाथ रख लिया। निखिल मेरी नाभि और पेट को सहलाने लगा।उसका मन मेरे दूध दबाने का कर रहा था लेकिन वो इसकी हिम्मत नहीं कर पा रहा था, मैं अंदर ही अंदर मुस्करा रही थी। मैंने 2 मिनट बाद निखिल के गले में हाथ डालकर उसके होंटों को 2-3 बार चूमा और बोली- यह प्यार अब तुम्हें पूरे हफ्ते मिलेगा।

दस मिनट हम बात करते रहे। इसके बाद मैं उसे उठाकर उठ गई। मैंने अपना एक सलवार-कुरता निकाल लिया। बाथरूम अंदर से बहुत छोटा था और उसमें टांगने के लिए कुछ नहीं था। मैं अंदर सिर्फ निखिल की टॉवेल लेकर चली गई और निखिल से बोली- जब मांगूं तो केवल मेरा कुरता दे देना वो भी आँखें बंद करके।

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मैंने बाथरूम मैं अपना ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब मैं पूरी नंगी थी। निखिल के साथ मस्ताने से मेरी चूत गीली हो रही थी। मैंने उँगलियों से ही अपनी चूत को शांत कर लिया। यह तो कुछ देर की ही शांति थी दोस्तो, असल में लंड खाई चूत लंड से ही शांत होती है।

उसके बाद मैं नहा ली। निखिल का तौलिया बहुत छोटा था, चूत ढकती तो चूचियाँ खुली रहतीं और चूची ढकती तो चूत खुली रहती। मैंने तौलिया अपनी कमर पर बाँध लिया और स्तन खुले छोड़ दिए। दरवाज़ा खोल कर बहार झाँका तो निखिल टीवी देख रहा था, मैंने जानबूझ कर बाहर निकल कर निखिल को आवाज़ दी, निखिल तुम सुन नहीं रहे हो, मेरी कुर्ती दो न।

निखिल ने मुड़कर देखा तो मेरी नंगी चूचियाँ और भरी भरी चिकनी जांघें देखता ही रह गया। निखिल ने मुझे कुरता दे दिया, मैंने चूचियाँ कुरते से ढक लीं और मुस्कराती हुई मुड़कर बाथरूम में आकर कुरता पहना, कुरता सिर्फ मेरी जांघें ढक रहा था। जैसे ही मैं दरवाज़े से बाहर निकली, मैं चौंक गई, निखिल अपने लंड की मुठ मार रहा था। उसने मुझे नहीं देखा, मैं बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छुपकर निखिल का लंड देखने लगी।

वाह ! क्या मोटा लंड था, मेरे पति से थोडा लम्बा ही लग रहा था, मन किया दौड़ कर मुँह में ले लूं और एक महीने से तड़प रही चूत में डलवा लूँ। दो मिनट बाद मैंने दरवाज़ा आवाज़ करके खोला तो निखिल ने लंड जींस में डाल लिया और अपनी जींस ऊपर चढ़ा ली। इसके बाद मैं बाहर आ गई।मैं कुरता पहन कर बाहर आई तो मेरी गुदाज़ जांघें और चूचियाँ निखिल घूर घूर कर देख रहा था। मैंने निखिल को आँख मारी और बोली- ऐसे क्या देख रहे हो? मेरी पजामी दो न। निखिल ने हड़बड़ाते हुए मेरी पजामी मुझे दे दी। निखिल के सामने ही मैंने अपनी पज़मी चूत छुपाते हुए ऊपर चढ़ा ली लेकिन अपनी गुदाज़ जांघें पूरी खोलकर निखिल को दिखलाईं। निखिल ललचाई नज़रों से मेरा बदन देख रहा था।

निखिल को देखकर मैं मुस्कराई और शीशे के सामने जाकर खड़ी हो गई। शीशे में अपने को देखकर मैं चकित रह गई, मेरे गोल-गोल गीले स्तन और चुचूक कुरते में से बिल्कुल साफ़ दिख रहे थे। मैं समझ गई कि निखिल इतना घूर घूर कर चूचियाँ क्यों देख रहा है, अगर मेरे पति इतना देख लेते तो मुझे अब तक नंगा करके मेरी चूत में लंड डाल चुके होते।

निखिल को मैंने आवाज़ लगाई और बोली- निखिल, इधर आओ !

निखिल मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया।

“अपनी भाभी को एक मीठी पप्पी दे दो न !” मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी कमर मैं डलवा लिए।

निखिल गर्म था, उसने पूरा अपना लोड़ा मेरी गांड की दरार से छुलाते हुए मेरे गालों पर एक पप्पी दे दी और हटने लगा।

मैंने उसे प्यार से डांटा- इतना क्यों शर्मा रहे हो? चिपके रहो न ! अच्छा लग रहा है। अच्छा इधर कान में यह बताओ कि जब मैं बाहर आई थी तो मुझे घूर घूर कर क्या देख रहे थे?

निखिल झेंपते हुए बोला- कुछ नहीं।

मैंने धीरे से कहा- हूँ, झूठ बोलते हो? सच सच बताओ, अभी तो 5 दिन साथ रहना है।

निखिल धीरे से बोला- आपके दूध देख रहा था !

मैंने शीशे में देखते हुए कहा- ऊह ! ये तो पूरे नंगे दिख रहे हैं। तुम तो बहुत शैतान हो।

मेरी बातों से निखिल पूरा गर्म हो रहा था, उसने मेरी चूचियाँ पीछे से दबाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसका हाथ कमर पर रख दिया और बोली- थोड़ा रुक जाओ ! सारे मज़े आज ही ले लोगे क्या? अच्छा निखिल। यह बताओ मेरी चूचियाँ कैसी लगीं?

निखिल बोला- भाभी, बहुत सुन्दर हैं, चूसने का मन कर रहा है।

हँसती हुई मैं बोली- चूस लेना लेकिन पहले एक रसीला चुम्बन होटों पर दे दो !

और मुड़कर मैंने उसे बाँहों में भरा और उसके होंठ अपने होटों में दबाकर दो मिनट तक उसके होंट चूसे। निखिल के लंड का उभार मैं अपने पेट पर महसूस कर रही थी, मेरी चूचियाँ निखिल के सीने से दबी हुई थी।

मैंने कहा- चूची चूसनी है?

निखिल बोला- चुसवाओ न !

मैंने अपना कुरता ऊपर उठाया और बोली- सिर्फ एक-एक बार दोनों चुचूक चूस लो और काटना नहीं। मेरे दोनों चूतड़ों को दबाते हुए निखिल ने दोनों चुचूक एक एक करके मुँह में लिए और लॉलीपोप की तरह एक एक बार चूसे।

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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पूरी रात में मैंने उस नौजवान पट्ठे को निचोड़ दिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/office-sex/puri-raat-me-maine-us-naujwan-patthe-ko-nichod-diya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/office-sex/puri-raat-me-maine-us-naujwan-patthe-ko-nichod-diya.html#respond Sun, 15 Oct 2017 15:03:02 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10522 मैंने घोड़ी बन गांड उठा ली उसने तेज़ तेज़ धक्के मारे और मैं झड़ गई मैंने उसे कहा- मैं झड़ गई | हाय उसने बाहर निकाला और थूक लगा कर गांड में डालते हुए करीब ५ मिनट की चुदाई में सारा माल मेरी गांड में डालते हुए मुझ से लिपट गया ! मैं भी बेल की तरह उसके बदन से चिपक गई | पूरी रात में मैंने उस नौजवान पट्ठे को निचोड़ दिया |

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मैं एक बहुत बड़ी चुदक्कड़ औरत हूँ | स्कूल से लेकर कॉलेज तक मैंने खूब चुदवाया है मेरे साथ लगभग हर लड़का मुझे चोदा होगा और मेरे से लडको के साथ चुद्वाते देखे जाने के किस्से तो आम बात हो चुकी थी | मुझे कम उम्र के लडको से चुदवाने की हवस सी जाग उठी थी | तभी मेरे कॉलेज के किस्से जब घर तक आने लगे तो माँ ने लड़का ढूंढ़ लिया और मेरी शादी का फैसला ले लिया, जिसका मैंने बहुत विरोध किया और माँ को कई खरी खोटियाँ सुनाई ! आखिर उनके ही बनाये गए माहौल में जो देख देख कर बड़ी हुई थी !

आखिर मुझे हां करनी ही पड़ी और मैंने एक लड़के के लिए हां कर दी और शादी करवा के ससुराल आ गई ! यहाँ मेरा ज्यादा वक़्त तो घरेलू काम काज में निकल जाता! अपनी सारी शौकीनी अब काम में लगने लगी! टाइट सूट डाल कर लड़कों को बहकाना और फिर उनसे चुदवाना सब कुछ अब पीछे रह गया !

अपनी ननद के साथ मेरी बहुत पटती थी और मैं उसको उसके आशिकों से मिलने में उसकी मदद करती रहती! मेरे पति का लौड़ा इतना बड़ा नहीं था, ऊपर से मेरी रांड ननद सुन्दर – सुन्दर लड़कों से मिलती ! उसका एक आशिक उसे आधी रात को मिलने आता था और कभी कभी उसको चोद भी लेता था ! सब मिलना मिलाना मेरे राह से निकल कर जाता था ! मैंने जल्दी ससुराल में पकड़ बना ली ! मैं किसी से डरती नहीं थी! अब कोई काम-काज किस से कैसे करवाना है, जान गई थी | उसके आशिक ने जिस रात मिलने आना होता, वो मेरे मोबाइल पे ही कॉल करता और पूछ लेता की आज हिना कहाँ सोयेगी, उसको कहना चौकन्नी रहना !

एक दिन मेरे दिमाग ने पलटी खाई, सोचा अब जब उसका फ़ोन आयेगा तो तो तो ????

वैसा ही हुआ शाम को मुझे कॉल आई ! उस दिन मेरे पति घर पे नहीं थे! मैंने उसको कह दिया कि आज हिना मेरे कमरे में होगी क्यूंकि मैं आज सासू माँ के कमरे में सो जाउंगी ! तू आराम से मिलना, पिछली खिड़की खुली होगी !
वो बोला- ठीक है भाभी !

मैंने हिना को कुछ नहीं बताया और आराम से अपने कमरे में सो गई और कमरा बंद कर लिया !

करीब रात १२ बजे उसने दस्तक दी ! बत्ती बंद थी, उसने टॉर्च से बेड ढूंढा ! मैंने भी बारीक सी कुर्ती डाली थी ! वो मेरी चादर में घुस गया, मैं भी उसके साथ लिपट गई !

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उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए और चूसने लगा- हिना मेरी जान !
मैं भी गरम हो उसका साथ देने लगी ! उसने मेरी कुर्ती में हाथ डाल मेरे मम्मे दबाने शुरु कर दिए !

वहां से उसको शक हुआ ! मेरे मम्मे हिना से कहीं ज्यादा सेक्सी और गोल थे ! उसने टॉर्च चेहरे पर की !

मैंने आंख मारते हुए कहा,”हाय राकेश ! और मसल न !”

भाभी………. आप ??

“हां मैं ! क्यों क्या हुआ ?? आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

वो ख़ुशी से पागल हो गया- वाह भाभी ! जिसके बारे में सोचते हुए हिना को चोदता हूँ, मुठ मारता हूँ, वो आज मेरे नीचे लेटी है !!

मैंने अपनी कुर्ती उतार फेंकी और उसको नंगा करते हुए उसका मोटा लौड़ा निकाल लिया!

“हाय ! क्या शानदार लौड़ा था उसका ! कितना मोटा लंबा !”

वो मेरे मम्मे को चूसने लगा ! मैं, हाय ! हाय ! करने लगी ! मैंने भी उसको पीछे लिटा कर उसका लौड़ा मुहं में डाल कर चूसना शुरू किया !

“ओह मेरे राजा, चोद मुझे ! हाय बहुत दमदार है ! कब से तेरा मूसल अपनी चूत में डलवाना चाहती थी!”

अभी ले, मेरी कमीनी कुतिया ! भाभी, तेरा यह देवर है न तुझे रौंदने के लिए !

“हाय रानी, तू तो साली हिना से भी ज्यादा बढ़िया माल है !”
तजुर्बा है, लल्ला जी !

“हाय……. !!!!”

उसने ६९ में ला मेरी चूत पे जैसे तपते होंठ रखें, मैं सी सी सी करने लगी और उसने अपनी ज़ुबान के खेल से मुझे मोहित कर दिया !! बोला अब चोद दूँ ?? सब जाग जायेंगे !

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“हट साले, मेरे कमरे में कौन आयेगा ?

यह कह कर मैंने टांगें खोल दी और उसको बीच में आने को कहा और उसने अपना मूसल लौड़ा चूत पे रख घस्सा मारा (पंजाबी में झटके को घस्सा कहते हैं) !

“हाय और घस्से मार ना कस कस के !

“हाय ! रे, तेरी दीवानी रांड भाभी तुझसे चुदाना चाहती है !”

“कम ओन, फाड़ डाल !” हाय !!! और और और !!!!!!!!!

वो भी ज़बरदस्त प्रहार करने लगा और और मेरे बालों को नोंचते हुए कहा,”चल बहिन की लौड़ी, बन जा घोड़ी !

” यह ले, यह ले !!” आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैंने घोड़ी बन गांड उठा ली उसने तेज़ तेज़ धक्के मारे और मैं झड़ गई मैंने उसे कहा- मैं झड़ गई | हाय उसने बाहर निकाला और थूक लगा कर गांड में डालते हुए करीब ५ मिनट की चुदाई में सारा माल मेरी गांड में डालते हुए मुझ से लिपट गया ! मैं भी बेल की तरह उसके बदन से चिपक गई !!

पूरी रात में मैंने उस नौजवान पट्ठे को निचोड़ दिया |

“वो ठहरा था हिना की कभी-कभी लेने वाला और मैं थी जनम जनम से प्यासी चुदाई की हसीना !!!!!!”

उसका बुरा हाल हो गया ! उसने सोचा नहीं होगा कि सारी रात दम लगाना पड़ेगा ??

खैर !! चुद गई बन्नो !!!

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सौतेले भाइयों ने तेल रगड़ रगड़ कर चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/sautele-bhaiyo-ne-oil-ragad-ragad-kar-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/sautele-bhaiyo-ne-oil-ragad-ragad-kar-choda.html#respond Tue, 26 Sep 2017 12:10:12 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=10231 सौतेले भाइयों ने तेल रगड़ रगड़ कर चोदा कभी एक गांड में चोदता तो एक चुत में डालता तो कभी एक मुह में चोदता तो दूसरा बुर में डाल के रगड़ता है दोनों ने मेरी चुत चोद कर सुजा दिया मेरी चुत एसे लग रहा था जैसे किसी ने जबरदस्ती किया हो अब मै कुवारी नहीं रही थी मेरी चुत की झिल्ली खुल चुकी है |

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हेल्लो मै कनिका हु आज मै पहली बार अपनी रियल चुदाई की कहानी लिख कर भेज रही हूँ मन तो कर रहा था की मै खुद आके सुना दू पर मस्ताराम डॉट नेट की कहानियां पढ़ पढ़ कर दिन काट रही थी तो सोची क्यों ना इसी की मदत से आप सभी को बता दूँ | ये कहानी मेरी पहली चुदाई यानी कई लोग कहते है वर्जिन लड़की या कई लोग कुवारी भी बोलते है तो ये कहानी मेरा कुवारापन से आवारापन की ओर जाने का है | मुझे पता ही नहीं चला कब मै रंडी बन गयी | जब मै चौदह साल की थी तब मेरी मम्मी का स्वर्गवासी हो  गयी | तब मेरे पापा ने एक और औरत से शादी कर ली यानी की मेरे लिए सौतेली माँ ले आये, जिसको दो लड़के थे विकाश जो की मुझसे करीब चार साल बड़ा है और आकाश मुझसे पांच साल मेरे पापा काम पर चले जाते थे मेरी सोतेली माँ मुझ पर बहुत जुल्म करती थी मुझसे सारे घर का काम करवाती थी और मारती भी थी.. उसने मेरे पापा को यह कह कर की मेरी पढ़ाई पर बहुत पैसे लगाते हैं और वेसे भी लडकी जात पढ़ कर क्या करेगी, उसके बाद उन्होंने मेरी पढाई बंद करवा दी.

क्या बताऊँ दोस्तों, मैं तो ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं ये उस वक़्त की बात है जब मे जवान हो गई थी.. मे एक दम गोरी थी.. 16 साल की उम्र मे बहुत चिकनी हो गयी थी मेरे चूचियाँ छोटे मगर बिल्कुल टाईट हो गये थे मेरी कमर एक दम पतली और पेट एक दम फ्लॅट था मेरी बूर और गांड के छेद एक दम टाइट और बिल्कुल छोटे थे बूर एकदम गुलाबी है और उस पर एक भी बाल नही था एकदम चिकनी हाथ रखो तो फिसल जाए मैंने महसूस किया की मेरे सोतेले भाई मुझ पर गंदी नज़र रखने लगे थे..वो मेरे चूचियाँ और गांड को घूर घूर के देखते, लेकिन मैंने उन्हे यह पता नही लगने दिया की मुझे पता है की वो मुझे देखते हैं उन्ही दिनो मेरी माँ का भाई मर गया जिसकी वजह से मेरे पापा, मेरी माँ और विकाश को एक हफ्ते के लिए जाना पढ़ गया लेकिन आकाश किसी ज़रूरी काम की वजह से ना जा सका जो मुझे बाद मे पता चला की उसने बहाना बनाया था उसे कोई ज़रूरी काम नही था..आप ये कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पड़ रहे है।

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जिस दिन मेरे घर वाले गये उस दिन रात को खाने के बाद जब मे सोने चली गयी तो रात को 12 बजे आकाश मेरे कमरे मे आया और मुझे कोल्ड ड्रिंक पीने को दी मे बहुत खुश हुई पहली बार मेरे भाई ने मुझे कुछ दिया है मुझे उस कोल्ड ड्रिंक का टेस्ट कुछ अलग लगा लेकिन मे वो पी गयी उसके 10 मिनट बाद मेरी हालत खराब होने लगी मुझसे हिला तक नही जा रहा था मे बेड पर लेटी हुई थी बोलने मे भी दिक्कत हो रही थी; मैंने बहुत मुश्किल से आकाश से कहा की मेरी हालत खराब हो रही है तो उसने कहा की वो तो होगी क्युकी मैंने कोल्ड ड्रिंक मे दवा डाली थी जिससे तू 9,10घंटो तक अपनी उंगली तक नही हिला सकेगी और ना ही ज्यादा ज़ोर से बोल सकेगी…

मैंने उस से पूछा की भैया आपने ऐसा क्यों किया? तो वो बोला की बहुत दिनो से तेरे चिकने बदन को चोदने का मन कर रहा था यह सुन कर मे हेरान रह गयी..उसके बाद क्या बताऊँ दोस्तों मैं बेड पर लेटी हुई थी और ज़रा सा भी हिला नही जा रहा था फिर वो मेरे पास आया और मेरी कमीज़ उतारने लगा मैंने उसे बोला की भैया भगवान के लिए ऐसा ना करो तो वो बोला की आज तो मे तुझे रंडी बना के ही रहूंगा… फिर उसने मेरा पजामा भी उतार दिया; अब मे सिर्फ़ ब्रा और पेंटी मे थी आकाश ब्रा के उपर से ही मेरे चूचियाँ दबाने लगा उसने कहा की तेरे चिकने बदन पर तो हर लौड़ा फिदा हो ज़ाये… आप ये कहानी आप मस्ताराम डॉट नेट पर पड़ रहे है। थोड़ी देर बाद उसने मेरी ब्रा और पेंटी भी उतार दी फिर आकाश ने मेरी दोनो टांगो को फेला दी और अपने कपडे उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया अब मुझसे बोला भी नही जा रहा था जब मैंने उसका लौड़ा देखा तो बिल्कुल हेरान रह गयी की किसी का इतना बड़ा लौड़ा भी हो सकता है उसका लौड़ा 9” लंबा और मोटा था वो मेरा मुहं खोल के उसमे अपना इतना बड़ा लौड़ा डालने लगा और कुछ देर बाद पूरा लौड़ा डाल कर झटके देने लगा हर झटके मे उसका लौड़ा मेरे गले तक पहुच जाता जिससे मुझे साँस लेने मे दिक्कत होने लगी..कुछ देर बाद वो मेरे मुहं मे ही झड़ गया और अपना लौड़ा मेरे मुहं मे उस समय तक डाला रखा जब तक मे उसके वीर्य को निगल ना गयी उसके बाद भाई ने अपना लौड़ा निकाल कर मेरी बूर के सुराख पर रख दिया और अपने दोनो हाथों से मेरी पतली कमर पकड़ ली अब मे चुदने के लिए बिल्कुल तैयार थी उस बहनचोद भाई ने अपना लौड़ा मेरी बूर मे घुसा दिया |

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उस दर्द से मेरी आँखे पूरी तरह से खुल गयी लेकिन चीख नही निकल सकी फिर भाई ने एक और ज़ोरदार झटका मारा और अपना पूरा लौड़ा मेरी छोटी बूर मे घुसा दिया और मेरी सील तोड दी दर्द से मेरी आँखों से आँसू निकल आए उसके बाद उसने मुझ पर ज़रा भी रहम नही खाया और जोर ज़ोर से झटके मार के मेरी बूर मे ही झड़ गया और मेरे उपर गिर गया..कुछ देर बाद वो वापस उठा और मेरे मुहं मे अपना लौड़ा डाल दिया और कुछ देर बाद अपना लौड़ा मेरे मुह से निकाल कर वापिस पूरी शक्ति से मेरी बूर मे डाल दिया मे फिर दर्द से कांप उठी मे ऐसे मे कई बार झरी उसने मुझे उस रात कई बार चोदाऔर इतनी बुरी तरह से चोदा की मे रात को बेहोश हो गई अगले दिन जब मेरी आँख खुली तो मे बेड पर बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी शाम के 5 बज रहे थे लेकिन अब उस दवा का इफेक्ट खत्म हो गया था मे उठी तो दर्द से चला भी नही जा रहा था |

कहानी जारी है …. आगे की कहानी पढने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करे ..

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जान बचाने के लिए जान को गरम करके चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/jaan-bachane-ke-liye-jaan-ko-garam-karake-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/jaan-bachane-ke-liye-jaan-ko-garam-karake-choda.html#respond Tue, 29 Aug 2017 04:57:03 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9913 जान बचाने के लिए जान को गरम करके चोदा, इसके कपडे उतारो और अपने शरीर की गर्मी इसको दो मैंने कहा क्या इससे ये ठीक हो जाएगी तो उन्होंने कहा हो सकता है ठीक हो जाये. मैंने सृदुप्ती के कपडे उतारे और देखा क्या बड़े बड़े दूध थे उसके और फिर उसके बदन को देखा उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मैंने सोचा क्या किस्मत है फिर मैंने उसकी चूत की तरफ नज़र घुमाई तो देखा एक दम छोटी और गुलाबी सी थी बिलकुल प्यारी सी उसपे एक भी बाल नहीं था

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दोस्तों मुझे आज आप से एक बात कहना है जो की बहुत बड़ी चीज़ है और मुझे हर वो बात आज आपसे करनी है जो हर शख्स कहने से डरता है | मेरी थोड़ी हिंदी कमजोर है तो मैं गुरुमास्ताराम जी से निवेदन करता हूँ की मेरी इस कहानी में हुई गलतियों को सुधारकर आप पाठको के सामने प्रस्तुत करे. मुझे तो पता ही नहीं था कि ऐसा भी कोई माध्यम होगा जिससे हम अपनी सच्ची घटना लोगों तक पहुंचा सकते हैं | पर आज जब इससे रूबरू हुए हैं तो मज़ा आ रहा है और मुझे लग रहा है कि मैं बिलकुल सही कर रहा हूँ |

मेरा नाम है सिद्धार्थ और मैं आंध्रा से हूँ और मुझे तो कबसे इस चीज़ का इंतज़ार था की कोई मुझे मिले और मैं उसे अपनी चुदाई की कहानी सुनाऊ| पर मुझे ऐसा कुछ मिला नहीं और अब दखिये सब लोग एक साथ मेरी कहानी पढेंगे | मेरे साथ वैसे तो कई किस्से हुए हैं पर जो किस्सा मेरे दिल के करीब है वो हेयर मेरी दोस्त सृदुप्ती का |

मैं भी आप लोगो की तरह ही एक सीधा सा इंसान हूँ और मुझे भी साधारण सी चीज़े पसंद है और मुझे बहुत अच्छा लगता है जब कोई मुझे गौर से सुनता है जैसे की आप लोग सुन रहे हो | मेरे पास कोई ज्यादा धन दौलत तो थी नहीं हाँ पर एक चीज़ थी वो थे दोस्त और उनमे सब से ज्यादा ख़ास सृदुप्ती थी | थी से मेरा मतलब यह है की अब उसकी शादी हो गयी और वो कर्नाटक में रहने लगी है पर हमारी बात होती रहती है |

तो ये बात है दो साल पहले की जब हम दोनों एक साथ नौकरी तलाश करने गये थे | हमे गांवों में घूमना बहुत पसंद था और उमने सोचा था हम इन लोगों के लिए कुछ करेंगे | तो हमलोगों ने बहुत मेहनत की और आखिकार वो नौकरी हमे मिल ही गयी | हमारा काम था की गाँव में साफाई से जुडी जानकारी फैलाना और हमे कई गाँवों में घूमना था | हम दोनों थे और साथ में दस लोगो का ग्रुप भी था जो सारी चीज़ों को व्यवस्थित करता था तो हमे किसी भी चीज़ का डर नही था |

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रहने के लिए हमे कभी झोपडी कभी कच्चे घर पर एक बात है वो जो शुद्ध हवा और वातावरण गाँव में है वो शहर में देखने को नहीं मिलता | ये हमे खूब भा रहा था और पैसे भी अच्छे मिलते थे |

मेरा काम जम चुका था और सृदुप्ती तो पागल ही थी | एक साल लगातार काम करने के बाद भी उसने एक दिन भी छुट्टी नहीं ली थी और मैं तो बस उसी के चक्कर में आ जाता था | पागल थी वो न खुद कुछ करती थी न मुझे करने देती थी | जहाँ भी हम जाते थे वहां के लोग हमारे मुरीद हो जाते थे | सृदुप्ती और मैं थे ही ऐसे क्यूंकि हमारे बोल चाल में अजीब सा जादू था | मुझे तो खुद पता ही नहीं चला कि कब में उसके जादू में आ गया और वो मेरे |

मैंने उसे कहा सुन न शादी करले मुझसे कसम से दोनों साथ में काम करेंगे | वो मजाक में इस बात को ताल देती थी और मैं भी क्यूंकि हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और हम दोनों एक दुसरे को सब बताते थे | मुझे तो ये भी पता था कि उसको कब पीरियड आएगा और मैं भी उसे बता देता था कि यार आज मुझे न रात में नंगे सपने आये और मेरा माल गिर गया | तो वो हस दिया करती थी और बोलती थी की मेरे साथ करले और गर्मी निकाल ले |

मैं भी कह दिया करता था हाँ आ आजा कर लू तो वो भाग जाती थी | मुझे बड़ा मज़ा आता था इस चीज़ में क्यूंकि ये चीज़ें आम बात नहीं है | किसी भी लड़की के साथ ऐसी बात करना मतलब खतरा ही है | पर वो अलग थी सबसे आज भी कहता हूँ कि उससे ज्यादा सही लड़की कोई नहीं थी | उसकी बात करने की स्टाइल और उसका जो नेचर था वो मुझे बहुत भा गया था | वो मेरा ऐसा ख्याल रखती थी जैसे मेरी बीवी हो और कभी कभी में उसकी गोद में ही सर रखके सो जाता था |

मुझे उसपे इतना विश्वास था की वो कभी मेरे साथ कुछ गलत नहीं करेगी क्यूंकि वो हमेशा मेरे लिए तैत्यार रहती थी और उसके घरवाले उतने अच्छे नहीं थे | वो हमेशा मुझसे कहती काश मैं तेरे घर पैदा होती और तू मेरे | तो मैंने कहा उसमे कोई दिक्कत नही है मेरे घरवाले तुझे बड़ा पसंद करते जब बोल तब शादी कर लूँगा तुझसे | उसने कहा यार मेरा बस चले तो मैं आज करलूं यार पर मेरे घर वाले कभी नहीं तैयार होंगे इस चीज़ के लिए |

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जैसे ही उसने ये कहा मैं एकदम से चोंक गया और बोला तू मुझसे शादी करने के लिए तैयार है | उसने कहा हाँ जान पहचान वाले कमीने से शादी करना बेहतर है न की किसी अनजान कुत्ते से | मैंने कहा धन्य हो तुम सृदुप्ती !!!!! कहाँ है आपके चरण लाओ उन्हें छू लूँ | वो बोली मेरे चरण नीचे है बेटा आओ छू लो तथास्तु !!!! फिर बोली देखना चरण छूते छूते कुछ और मत छू लेना | फिर मैंने कहा तू इधर आ और उसे गले लगा कर कहा बहुत प्यारी है तू हमेशा ऐसी ही रहना |

उसने कहा तू है न मेरे साथ तो मैं ऐसी ही रहूंगी | फिर उसके बाद एक गाँव में हमे भेजा गया जिसका नाम था मोहनिया | इस गाँव के बारे में क्या कहना हर तरफ हरियाली बहता हुआ झरना और उसी के पास हमारे लिए एक लकड़ी का घर बना हुआ था | वाह मज़ा ही आ गया था और वह लोग भी कम ही थे | मतलब पूरे गाँव में केवल १५० लोग होंगे और हमे यहाँ पूरा एक महिना रहना था |

ठण्ड का समय था और ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं थी | मुझे लगा चलो इस बार मेरा सपना पूरा हुआ है और मुझे एक बहुत ही बढ़िया जगह पर भेजा गया है | सृदुप्ती भी बहुत खुश थी और कह रही थी सुन न मुझे ठंड लग रही है तुझसे चिपक के गरम हो जाऊं | मैंने कहा नहीं पहले मुझे इस जन्नत का मज़ा लेने दे तो वो बोली कि अकेले नहीं ले सकता तू मैं भी चलूंगी | तो मैंने कहा चल अब शाम का समय था और सूरज डूब ही रहा था तो मैंने मस्ती में झरने के पास ले जाकर उसे पानी में गिरा दिया और पानी बहुत ठंडा था |

वो कांपने लगी और मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ | झरना ज्यादा गहरा नहीं था और पानी बिलकुल साफ़ था इसलिए वो कड़ी हुयी और एकदम से गिर गयी | मैंने उसे उठाया और रुकने की जगह पर ले गया | सारे लोग दुसरे घर में थे तो मैंने तुरंत ही आग जलाई और उसे गर्मी देने लगा | आधे घंटे तक उसे होश नहीं आया क दादा थे जो हमारे नौकर थे उन्होंने कहा गरम पानी में पैर रखो तो भी कुछ नहीं हुआ |

फिर वो बाबा मेरे पास आया और कहा बेटा इसे अब शारीरिक गर्मी की ज़रूरत है | मैंने कहा बाबूजी मैं कुछ समझा नहीं आप क्या कहना चाह रहे हैं | उन्होंने कहा इसके कपडे उतारो और अपने शरीर की गर्मी इसको दो | मैंने कहा क्या इससे ये ठीक हो जाएगी तो उन्होंने कहा पता नहीं पर हो सकता है हो जाये | पर ये भी हो सकता है कि तुम्हरी जान पे बन आये | मैंने कहा में तैयार हूँ और इतना बोलके उन्होंने और आग जला डी और कम्बल दे दिया और गद्दा भी बिछा दिया |

फिर वो चले गये | मैंने सृदुप्ती के कपडे उतारे और देखा क्या बड़े बड़े दूध थे उसके और फिर उसके बदन को देखा उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मैंने सोचा क्या किस्मत है | फिर मैंने उसकी चूत की तरफ नज़र घुमाई तो देखा एक दम छोटी और गुलाबी सी थी बिलकुल प्यारी सी | उसपे एक भी बाल नहीं था | सृदुप्ती के ऊपर बड़ा प्यार आया मुझे और दुःख भी हुआ की ये मेरी वजह से इस मुसीबत में है |

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फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और ढांक लिया खुद को | दो घंटे तक मैं उससे चिपका रहा फिर उसे होश आया और वो कहने लगी क्या कर रहा है तू | तब मैंने उसे सारी बात समझाई और उसने कहा तूने मेरे लिए अपनी जान क्यों खतरे में डाली ? तो मैंने कहा मैं तुझे कुछ होते हुए नहीं देख सकता | तो वो मुझसे चिपकी और कहा काश तुझसे ऐसे ही चिपकी रहती | फिर उसने कहा सुन मुझे न और ठण्ड लग रही है मेरे दूध पी न ज़रा |

मैंने कहा जी और पीने लगा और वो थकी हुयी थी | तो उसने कुछ आवाज़ नहीं की | फिर उसने कहा सुन मेरी चूत में भी ठण्ड लग रही है उसे चाट न. तो मैंने बिना कुछ सोचे उसकी चूत चाटने लगा | उसने कम्बल को कस के पकड़ लिया और अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्मम्म्म्मम्म्म्म आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊओह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्म्म्मम्म्म्मम्म्म्म आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊओह्हह्ह करने लगी | फिर मैंने सोचा क्यूँ न इसकी चूत में लंड डाल दूँ तो मैंने उसे चोद दिया और लगातार एक महीने तक चोदा | तो दोस्तों ये थी मेरे दिल के करीब वाली कहानी | अपनी राय देना मत भूलियेगा दोस्तों |

 

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इतनी कम उम्र में जवानी की आग कैसे बुझेगी -3 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/itni-kam-umra-me-jawani-ki-aag-kaise-bujhegi-3.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/jawan-chut-ki-cudai/itni-kam-umra-me-jawani-ki-aag-kaise-bujhegi-3.html#respond Thu, 24 Aug 2017 02:00:27 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=9818 प्यारे मस्ताराम के पाठको आज मै फिर से लौट आया हु अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए मुझे ढेर सारे पाठको के मेसेज आये मै रिप्लाई अभी नहीं कर पाया हु क्यों की ऑफिस के काम का लोड है और कहानी को भी आगे बढ़ाना है जल्दी ही सभी ईमेल का रिप्लाई दूंगा तब […]

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प्यारे मस्ताराम के पाठको आज मै फिर से लौट आया हु अपनी कहानी को आगे बढ़ाने के लिए मुझे ढेर सारे पाठको के मेसेज आये मै रिप्लाई अभी नहीं कर पाया हु क्यों की ऑफिस के काम का लोड है और कहानी को भी आगे बढ़ाना है जल्दी ही सभी ईमेल का रिप्लाई दूंगा तब तक आगे की कहानी का मज़ा लीजिये | इतनी कम उम्र में जवानी की आग कैसे बुझेगी -2

चंदा ने सेफ मे से एक सीडी निकालकर, वही पड़े एक प्लेयर मे डाल दी और टीवी ओं कर दिया, कुछ ही पॅलो मे जो टीवी पर दिखाई देने लगा, वो देखने के बाद तो रश्मि के होश उड़ गये, उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी,…गनीमत थी की वो बेहोश नही हुए……सीडी मे वो और मॉंटी दिखाई दे रहे थे, उस रात का पूरा शटैंग था उस सीडी मे, रश्मि का चेहरा ऐसा लग रहा था मानो उसके जिस्म से पूरा खून निचोड़ लिया हो…..एकदम सफेद,….रख सा सफेद……..”ये …ये बंद करो…प्लीज़…मैं देख नही सकती…प्लीज़ बंद करो इसे”…..रश्मि ज़ोर से चिल्ला पड़ी.

“क्यू रश्मि डार्लिंग…..सिर्फ़ शुरुआत देखकर ही होश उड़ गये…..अभी आगे और है…..रोमी, लकी…और भी लड़के….पूरी रंडी बन गयी थी तुम…..जम के ले रही थी ….वो भी बड़े प्यार से…..कोई ज़बरदस्ती नही………..अगर ये सीडी मैं पूरे शहर मे बाट दू तो क्या होगा……?

“”मैं तुम्हारे पाव पड़ती हू, भीख मांगती हू……प्लीज़ ये सीडी मुझे दे दो….मेरा यकीन करो मैं किसी से कुछ नही कहूँगी……मैं अपने मा बाप की कसम खाती हू…..प्लीज़ चंदा…ये सीडी मुझे दे दो…..प्लीज़.”…..रश्मि ने सचमुच चंदा के पैर पकड़ लिए थे, वो रो रही थी, गिड़गिदा रही थी…….लेकिन चंदा पर ना कोई असर होना था ना हुआ,……उसने रश्मि के बाल पकड़ कर उसे उठाया, अपने पास बिठाया, और कहा..

” देख रश्मि, अब रोने ढोने से कुछ नही होगा,……जब तक नीलू ठीक होकर घर नही आती,…जब तक ये मामला ठंडा नही पड़ जाता,…..जब तक मुझे यकीन नही हो जाता, की तुमसे मुझे कोई ख़तरा नही, तब तक ये सी डी मेरे पास ही रहेगी,……और तब तक तू मेरी गुलाम बन कर रहेगी……मेरी पालतू कुतिया बनकर रहेगी,….जो मैं काहु वो तुम्हे करना पड़ेगा….कोई नखरे नही, कोई ना नुकुर नही……बोल मंजूर है..?”

रश्मि के पास और दूसरा क्या ऑप्षन था, हाँ कहने के सिवा….उसने गर्दन नीचे करदी और हाँ कर दी.

चंदा ने बड़े ही संतुष्टि पूर्ण तरीके से होठ चटकाए, और इंटरकम उठा के मॉंटी, रोमी को कमरे मे बुला लिया.

मॉंटी और रोमी के कमरे मे आते ही रश्मि समझ गयी, “पालतू कुतिया से चंदा का क्या मतलब था, वो और घबरा गयी, सेक्स का बुखार उसका कब का उतर चुका था, अपनी ग़लती का उसे अहसास हो चुका था, लेकिन अब देर हो चुकी थी……उस सी द का चंदा के पास होना, जाहिर करता था अब उसे, चंदा के एशारे पर नाचना था, चाहे मर्ज़ी से, चाहे मजबूरी से……अब उसे इस अधोपतन से कोई नही रोक सकता था.

कमरे मे आते ही मॉंटी और रोमी उसके दोनो तरफ बैठ गये,

“क्या कहती है हमारी रश्मि डार्लिंग……उस रात तो बड़ी उच्छल कूद कर रही थी, आज मूड क्यू उखड़ा है, जानेमन…….?”……मॉंटी ने उसके गले मे हाथ डाल कर अपने पास खिछा

“लगता हैं उस रात की चुदाई से हमारी रश्मि डार्लिंग का मन नही भरा……इस लिए नाराज़ है हमसे….कोई बात नही मेरी जान…चलो आज तुम्हारी प्यास बुझा देते हैं”……ये रोमी था, उसका हाथ सीधे रश्मि के स्कर्ट के उंड़र घुस चुका था

“नही…प्लीज़ ऐसा मत करो…मुझे बक्ष दो…..मैं बिल्कुल चुप रहूंगी….प्लीज़ मुझे जाने दो”…….रश्मि ने आखरी बार कोशिश की, उसकी आँखे लगातार बरस रही थी.

“नखरे मत दिखा कुतिया…..चुपचाप जैसा ये चाहते हैं, वैसा कर…वरना..!”………चंदा पूरी तरह से रश्मि पर हावी हो रही थी.

“अरे नही नही,….ऐसा जुलूम मत करो , हमारी रश्मि तो बड़े प्यार से चुदेगि…ये कोई पहली बार थोड़े ही चुद रही है….?”…..मॉंटी का हाथ अब रश्मि की चुचियो की गोलाई नाप रहा था.

“मेरे दोस्तो को तकलीफ़ हो रही है तेरे इश्स मदमस्त जवानी से खेलने मे….साली रंडी….टॉप उतार दे अपना… चंदा तो जैसे आज रश्मि को पूरी तरह से तोड़ना चाहती थी…..उसे इतना ह्युमिलियेट करना चाहती थी, की आगे कभी भी वो उसके खिलाफ कुछ भी कहा, सुनने से डरे

“मरती क्या ना करती रश्मि ने टॉप उतार दिया, पिंक ब्रा मे कसे यौवन भर, छिपाये नही छिप रहे थे…….दोनो बेसबरो ने ब्रा उतरने की भी राह नही देखी…दोनो भीड़ गये निप्पलेस चूसने मे, …ब्रा के उपर से ही..रश्मि कसमसने लगी, आज उसे मज़ा नही आ रहा था, बल्कि तकलीफ़ हो रही थी…..अब दोनो ने ही अपनी अपनी पॅंट्स की ज़िप खोल ली….रश्मि के दोनो हाथो को पॅंट के अन्दर घुसा दिया…..

“रूको अब मेरी डाइरेक्षन मे होगा ये चुदाई का प्रोग्राम…..सबसे पहले इसे नंगी करो…और तुम दोनो भी, अपने अपने कपड़े उतार दो..!
अगले ही पल दोनो ही रश्मि पर टूट पड़े….रोमी ने झटके से उअस्कि स्क्रिट और पनटी उतार दिए, और मॉंटी ने ब्रा नोच डाली…एक मजबूर लड़की को नंगा करने मे वक़्त ही कितना लगाना था…..रश्मि एक हाथ से, च्छुपाए ना च्छुपाने वाली चुचिया च्छुपाने की कोशिश कर रही थी, तो दूसरे हाथ से, अपनी नर्म,नाज़ुक,मुलायम बालो से ढाकी चूत च्छुपाने की चेस्टा कर रही थी……मॉंटी, और रोमी भी नगञा हो गये.

“रश्मि तुम कुतिया हो…है ना …चलो कुतिया बन के दिखाओ….”….डिरेक्टर चंदा ने आदेश दंडनाया.
अपने आँसू पोछति, किस्मत पर रोटी रश्मि ने आदेश का पालन किया, इश्स पोज़िशन मे उसके, चिकने, गुदाज भारी, मसल कूल्हे उपर उठ गये, हवा मे…..चूत की दोनो पंखुड़िया फैल गयी….गंद का च्छेद खुलबन्द हो रहा था……..तनी हुई चुचिया लटक रही थी….मॉंटी और रोमी के लंड अपने आप तन गये थे, अपनी पूरी लंबाई और मोटाई मे….माहौल मे बढ़ती उत्तेजना अब चंदा पर भी असर कर रही थी….. उसने भी अपने कपड़े उतरने शुरू किए…..अगले ही पल उस कमरे मे सभी नंगे थे.

“रोमी इससके होत देखो कितने प्यारे हैं,बिल्कुल गुलाब की तरह…क्या तुम देखना नही चाहते ऐसे होतो मे तुम्हारा लंड कैसा दिखता है…..और मॉंटी तुम, ज़रा इस खूबसूरत चूत को देखो, क्या तुम इसे सूंघ कर, चट कर नही देखना चाहते हो……आख़िर हमारी प्यारी सहेली है, इसकी खूबसूरती का मज़ा हम नही लूटेंगे, तो कौन लूटेगा”……..कहते कहते चंदा के हाथ खुद अपनी चूत को कुरादाने लगे.

चंदा का कहना था की दोनो ने अपनी अपनी पोज़िशन सम्हल ली, रोमी का लंड रश्मि के होठ के बीच फसा था, तो मॉंटी की जीभ चूत की गहराई नाप रही थी…चंदा रश्मि के चारो पैरो(?) मे लेट कर, उसकी चुचियो को मसल रही थी, खिच रही थी………..काफ़ी देर तक रश्मि की चूत चाटने के बाद,मॉंटी से रहा नही गया, और उसने, अपना खड़ा टाइट लंड उसकी चूत मे एक ही झटके मे घुसा दिया…..रोमी का लंड मूह मे होने से रश्मि चीख भी ना सकी……..अब उसकी दोनो तरफ से चुदाई हो रही थी

रोमी तो पहले से ही इतना गर्म हो चुका की रश्मि के मूह मे 15 मिनट से ज़्यादा नही टिक पाया, वही झाड़ गया. लेकिन उसने तब तक लंड बाहर नही निकाला जब तक पूरा माल रश्मि के पेट मैं ना जा पहुचा

रोमी के झदने के बाद चंदा का अगला आदेश………..

मॉंटी तुम अपना लंड निकाल लो और सोफे पर जा बैठो…घबराव नही मैं तुम्हारे साथ क्ल्प्ड नही करूँगी……..अब मॉंटी सोफे पर जा बैठा…….”रश्मि तुम अब मॉंटी के लंड पर बैठो…..अपने हाथ से मॉंटी का लंड लेलो अपनी चूत मे…….और उच्छल कूद शुरू करो”……डाइरेक्टर का आदेश था, मानना तो था ही……अपमान से जलती रश्मि ने,अपनी भाव नाओ पर काबू करके वैसा ही किया…मॉंटी का दिल बागबाग हो उठा…..उसने रश्मि की चुचिया कस के पकड़ ली, और पूरी ताक़त से मसल ने लगा, निप्पल्स उमेटाने लगा…..रश्मि के मुलायम जिस्म का घर्षण उसमे और जोश भर रहा था……..अब रश्मि को और जलील करने की नियत से चंदा अपनी क्लीन शेव्ड, बहुत ज़्यादा चोदे जाने से फैली हुए चूत लेकर, रश्मि के सामने खड़ी हो गयी……रश्मि के बालो को पकड़ कर, उसका मूह अपनी चूत से सताती, बोल पड़ी…”चल चाट इसे…अच्छे से साफ कर…जैसे ही रश्मि की जीभ का स्पर्श चंदा की चूत पे हुआ…..उसके मूह से कामुक सिसकारिया निकल ने लगी

अब झदने की बारी मॉंटी की थी….जैसे ही राशमी ने महसूस किया, की मॉंटी झदने वाला है, वो फिर से गिड़गिदने लगी…..”प्लीज़ मॉंटी अंदर मत गिराना, मैं प्रेग्नेंट हो जौंगी…..चंदा प्लीज़ समझाओ इसे…मैं तुम्हारी हर बात मान रही हू…तुम मेरी इतनी बात मानो प्लीज़……वरना मुझे ख़ुदकुशी के अलावा कोई रास्ता नही बचेगा…प्लीज़”

रश्मि के मूह से ख़ुदकुशी शब्द निकलना था की चंदा ने मॉंटी को इशारा किया,….मॉंटी ने बड़ी ही अनिच्छा से रश्मि को लंड पर से उठाया,….गुस्से से उसके मूह को चोदने लगा……रश्मि के पेट मे वीर्या की दूसरी किश्त पहुच गयी

अगले दो घंटे तक मॉंटी और रोमी पोज़िशन बदल बदल के उसे चोदते रहे, रश्मि के शरीर पे एक भी ऐसा च्छेद बाकी नही रहा जहा लंड जा सकता हो लेकिन डाला ना गया हो…..वो चीखती रही कराहती रही, रहम की भीक मांगती रही..लेकिन ना किसी को रहम आना था ना आया

इनस्पेक्टर राजपूत और आमिर एक बार फिर, डेंजर ज़ोन मे बैठे थे, राजपूत के सामने, कोई सॉफ्ट ड्रिंक था, तो आमिर के सामने बियर की बोतल. आमिर ने राजपूत को उसके और तरुन्य के बीच हुई बातचीत के बारे मे डीटेल मे बता दिया था,…..जिसे सुनकर राजपूत के माथे पर गहन चिंता की सलवते उभर आई थी.

“यार आमिर ये बता….ये अग्रवाल का…..इतने बड़े बज़ाइनेस मेन का….नेल्लु के केस मे, इतना गहरा इंटेरेस्ट लेना समझ मे नही आ रहा……माना की वो मल्होत्रा परिवार से काफ़ी जुड़ा है…..लेकिन फिर भी…..कुछ तो गड़बड़ है”……..राजपूत को अग्रवाल की इस केस मे दिलचस्पी काफ़ी उलझन मे डाले हुए थी,….आख़िर जब इतने बड़े लोग किसी केस मे उलझ जाते हैं, तो सबसे बड़ी कसौटी, पुलिसे वालो की होती है……उनपर हर तरफ से दबाव जो डाला जाता है.

“हाँ यार…कुछ तो लॅफाडा ज़रूर है,….ड्रग्स का पाया जाना…….नीलू के बदन पर खरोनछे, जखम पाए जाना…… इशारा तो किसी गांग रेप की तरफ करते हैं…..और ऐसे मे अग्रवाल की दिलचस्पी, सिर्फ़ परिवारिक रिलेशन्स की बदौलत नही हो सकती”….आमिर भी कुछ विचलित था.

“देखो तुम एक काम करो, तुम नीलू के स्कूल मे जाकर जानकारी हासिल करने की कोशिश करो,…मैं हॉस्पिटल मे अपने आदमी लगा देता हू,…जो वाहा घुलमिल कर जानकारी हासिल करेंगे…….डरो मत, मैं डिपार्टमेंट के आदमी नही भेजूँगा……..हमारे पास ऐसे कामो के लिए अलग आदमी होते हैं…….लेकिन तुम भी सावधानी से कम लेना…….बात उँचे रसुख वेल लोगो की है……कही लेने के देने ना पद जाए.”…………राजपूत ने आमिर को आक्षन प्लान समझाया, आमिर ने बची हुए बियर गले मे उतार ली, और राजपूत से हाथ मिला कर वो बाहर निकल गया.

राजपूत थोड़ी देर वही बैठा रहा, मोबाइल से उलझा हुआ, उसने वाहा बैठे बैठे ही अपने खास आदमी कम पर लगा दिए.

इधर चंदा के घर से रोती, बिलखती, अपमान मे जलती, रश्मि बाहर निकली तो उसका चेहरा पत्थर सा सख़्त हो चुका था, एक एक करतूत, जो चंदा और उसके दोस्त ने उसके साथ की थी,….उसके नाज़ुक दिल पर, उसके दिमाग़ पर, जिस्म पर, नासूर बन कर रह गयी थी…….आँखो से क्रोध की ज्वाला निकल रही थी…….उसका रोम रोम तड़प रहा था., सुलग रहा था…..चंदा और उसके दोस्तो को सबक सिखने के लिए……..लेकिन कैसे…..वो किसी से कुछ कह नही सकती थी, किसी को अपने नासूर दिखा नही सकती थी…….किसी से मदद नही माँग सकती थी, ना घर वालो से, ना पुलिसे से, ना और किसी से……वो करे तो क्या करे………इसी उधेड़बुन मे वो कब ऑटो को रोक कर, उसमे बैठी, कब घर पहुचि, उसे पता ही नही चला.

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घर पहुचते ही, जब उसकी मा ने पुचछा, वो इतनी देर कहा थी, तो उसने तबीयत ठीक ना होने का बहाना बना दिया, और अपने कमरे मे जाके सोने की चेष्टा करने लगी, लेकिन जब तकदीर ने साथ छोड़ दिया हो, तो नींद भी कहा साथ देने वाली थी………एक ग़लती,….वासना के जाल मे फसने की, अपने आप पर काबू ना पाने की….एक पल का मोह, शारीरिक संतुष्टि का…..उसे कहाँ ले आया था.

उधर आमिर नीलू के स्कूल पहुचा, हरफ़नमौला होने की वजह से, कोई दिक्कत नही आई, अपने आप को सीनियर स्टूडेंट स्थापित करने मे, वो स्कूल मे इधर उधर घूमता रहा, कभी नोटीस बोर्ड के पास, तो कभी लाइब्ररी मे, कभी लड़के लड़कियो के जमघट के पास, कान को मोबाइल लगाके खड़ा रहता, पूरे दो घंटे वो स्कूल मे घूमता रहा, लेकिन किसी ने उसे टोका नही……..क्यो की नीलू का स्कूल जूनियर कॉलेज था, और सीनियर कॉलेज भी उसी कॅंपस मे था.

पूरे स्कूल मे नीलू की ही चर्चा थी, उसके कोमा मे होने से, हर कोई अपनी अपनी बुद्धि के अनुसार, अटकले लगा रहा था, अपने अपने तर्क दे रहा था…….कुलमिला कर नीलू के साथ सिंपती का माहौल था, हर किसी को दुख था………..दो घंटे बाद जब आमिर स्कूल से बाहर निकाला तो, उसके पास एक नाम था………नीलू की बेस्ट फ्रेंड,……..रश्मि

और रश्मि का स्कूल मे कही पता नही था….!

आमिर उलझन मे था, रश्मि को वो नही जानता था , सीधे से किसी को पुच्छ भी नही सकता था, ख्वंख़्वाह शक पैदा हो जाता, क्यू की मामला सेन्सिटिव था,……कुछ देर वो वही सोचता रहा……फिर अचानक उसकी दिमाग़ की बत्ती जली.
वो दौड़ता हुआ, नज़दीक के एक बुक स्टाल मे गया, कुछ किताबे खरीदी, उन्हे अच्छे से पॅक करवाया,…..उसपर रश्मि का नाम लिखा, और पता लिखा स्कूल का…….फिर उसने एक कपड़े की दुकान से एक टी-शर्ट और एक साधारण सी जीन्स खरीदी…..(ये सब खर्चा, राजपूत से मिले उन पैसो से हो रहा था, जो आमिर ने बतौर उधर लिए थे, फाइनल सएतटेल्मेंट से काटने की शर्त पर)…..अपने बालो का स्टाइल बदल कर, उसने काफ़ी हद तक अपना हुलिया चेंज कर लिया, अब वो आसानी से नही पहचाना जा सकता था.

किताबो का वो पॅकेट ले कर वो फिर से रश्मि के स्कूल मे गया,……सीधा प्रिन्सिपल के कमरे मे
मे आइ कम इन मेडम”
“एस प्लीज़…..आप..?”…….प्रिन्सिपल, जो एक अधेड़ उमरा की महिला थी, उसने प्रश्नार्तक नज़ारो से पुचछा
“मैं एक पार्सल लाया हूँ, मिस रश्मि शर्मा के नाम, स्कूल मे पता चला की वो, आज आई नही हैं, तो सोचा उअनके घर डिलीवेरी दे दू……क्या आप मुझे उनके घर का पता बता सकती हैं…?……..आमिर ने बड़ी विनम्रता से पुचछा.
“क्या हैं पार्सल मे, कहा से आया है…?”…….
” मुझे पता नही मेडम, लेकिन च्छुने से लगता हैं, कितबे होनी चाहिए, देल्ही के किसी पब्लिशर ने भेजी हैं, ज़्यादा कुछ तो मैं नही जानता”………आमिर ने उसी नाम्रता से कहा.

प्रिन्सिपल कुछ देर सोचती रही,…..शायद सोच रही थी पता बताना चाहिए या नही,…कुछ सोच कर….उन्होने घंटी बजाई……चपरासी दौड़ता हुआ आया…

“इन्हे,..नायडू के पास ले जाओ…..उसे कहो इन्हे रश्मि शर्मा का पता देना है….मैने कहा है”………शायद आमिर की अच्छी शकला का उनपर अच्छा प्रभाव पड़ा था.

आमिर का काम बन गया, उसने नायडू के पास से रश्मि के घर का अड्रेस्स लिया, और फ़ौरन स्कूल के बाहर निकल गया……..वापस उसी कपड़े की दुकान मे जाकर उसने अपने कपड़े चेंज किए…..पुराने कपड़े उसने वही छ्चोड़ दिए थे…बालो को फिर से सेट किया……..अब उसे मिलना था रश्मि से…….और उससे जानकारी हासिल करना उसे टेढ़ी खीर लग रही थी……..वो रश्मि के घर के सामने एक चाय की टॅपारी पे जम गया……वो पहले रश्मि को देखना, परखना चाहता था………ता की अंदाज़ा हो जाए, बात कैसे च्छेड़नी है.

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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हेल्लो मित्रो अब मै आगे की कहानी सुरु कर रहा हु जिन्होंने पिछला भाग नहीं पढ़ा वो सबसे पहले पढ़ ले फिर इस भाग को पढना सुरु करें >> इतनी कम उम्र में जवानी की आग कैसे बुझेगी -1 रश्मि पर फिर से शर्म और एक्शितमेंट हावी हो गई, उसने धीरे धीरे चल कर, मॉंटी के पॅंट तक का फासला तय किया, और अपनी नाज़ुक उंगलियो से मॉंटी के पॅंट की ज़िप खोलने लगी……..इश्स मिशन मे वो उकड़ू बैठी हुई थी, उसके कूल्हे बाहर निकले हुए थे, उसने मॉंटी का लंड जैसेही च्छुआ,….उसे राज अंकल के लंड की याद आई…….राज का लंड मॉंटी से भी ज़्यादा मोटा और लंबा था.

“अब इसे अपने मूह मे लेकर चूसना हैं तुम्हे………….. लेकिन डार्लिंग तुम्हारे जिस्म पर ये ब्रा,पनटी अच्छी नही लग रही हैं मुझे, मैं तो तुम्हे मदरजात नंगी देखना चाहता हू………मॉंटी का शैतानी दिमाग़ एक से बढ़ कर एक ह्युमाइलियेशन के आइडिया पैदा कर रहा था.

रश्मि तो पहले से ही बेकाबू हो गयी थी…….उसने तुरंत मॉंटी जैसे गिरे हुए शाकस के सामने अपने जिस्म को नंगा करना शुरू किया………जबकि वो आम हालत मे कभी नही करती………लेकिन आज हालात कुछ और थे.

रश्मि ने मॉंटी का लंड मूह मे लिया, और चूसने लगी, उसके प्यारे नाज़ुक होटो मे वो ठीक से अड्जस्ट नही हो पा रहा था, फिर भी जैसे तैसे उसने आधा लंड तो मूह मे ले ही लिया. मॉंटी खुश था, उत्तेजित था, उसने रश्मि के तरफ देखा, वासना मे घिरी होने के बावजूद उसकी मासूमियत मे कोई कमी नही आई थी.

मॉंटी ने अब अपने पैर का अंगूठा धीरे से लंड चुसती हुए रश्मि की चूत पर टीका दिया. और दोनो हाथो को रश्मि के कंधो पर रख कर उसे नीचे दबा दिया, अंगूठा अब गीली हो चुकी, कमसिन चूत मे घुस गया……रश्मि लंड मूह मे होने की वजह से चीख भी ना सकी, सिर्फ़…….उूउउन्न्ं….कर बैठी. अब मॉंटी ने अंगूठे को अंदर बाहर करना शुरू किया…….हलकी अंगूठा कोई लंड का मज़ा तो नही दे सकता था पर, रश्मि को और बहका सकता था, पूरा लंड खाने के लिए…..अब रश्मि भी, इश्स दोहरे हमले से जोश आ गयी थी….एक र्हिदम पैदा होगया था लंड चूसने मे और अंगूठा लेने मे.

तकरीबन 20 मिनिट तक ये सिलसिला चलता रहा, मॉंटी का लंड अब झदने की कगार पर था, उसने रश्मि के बाल पकड़ कर, उसके चेहरे को लंड से दूर हटाया, अपना अंगूठा भी निकल लिया, रश्मि का चेहरा देखने लायक था, जैसे बच्चे का फेवरेट चोकोबार उससे छीन लिया हो , वो सवालिया नज़रो से मॉंटी को देखने लगी, उसकी हालत देख कर मॉंटी का दिल बागबाग हो गया

“मेरा लंड ज़डने वाला हैं,,,,बोल चूत मे लेगी की मूह मे..?……….मॉंटी ने रश्मि को दो चाय्स दिए, दोनो ही नशीले थे, सेक्शिले थे.
लंड का चूत मे झड़ना ख़तरनाक साबित होगा ये तो कच्ची काली भी जानती थी, लिहाजा
“मूह मे..”
“चल मूह खोल…पूरा माल पेट मे जाना चाहिए, ज़मीन पे गिराया तो, फर्श चटवाउन्गा”

गौर तलब बात ये है की, वैसे तो रश्मि पर कोई दबाव नही था,की वो मॉंटी की ये ह्युमाइलियेशन बर्दाश्त करे…….पर वो वासना की गर्त मे इश्स कदर डूबी हुए थी के जब तक, उसके शरीर मे भड़की हवस की आग बुझ ना जाए, वो कुछ भी करने को तैय्यर थी, मॉंटी की हर गंदी बात मानने पर मजबूर थी.

उसने फिर से मूह खोल दिया, मॉंटी ने अब अपने हाथो से लंड को हिलना शुरू किया, रश्मि मूह खोले इंतज़ार कर रही थी……आख़िर इंतज़ार ख़त्म हुआ, मॉंटी ने अपना लंड फ़ौरन रश्मि के मूह मे डाल दिया आखरी 3,4 झटके मारे और ….एक के बाद एक वीर्या के फ़ौव्वारे छूटने लगे, सीधे रश्मि के गले से होकर पेट मे चले गये.
जब गोलिया पूरी तरह से खाली हो गयी, मॉंटी ने लंड बाहर खिच लिया

मॉंटी ने रश्मि को उठा कर अपनी गोद मे बिठा लिया,उसके नर्म नाज़ुक मुलायम बदन को सहलाने लगा, होटो को कुचल ने लगा, अधखिले स्तानो को चूसने लगा,निपल्स तो इतने बड़े नही थी मूह मे लेकर चूसे जाय, वो पूरे स्तनो को ही मूह मे भरने की कॉिश करने लगा……..इश्स वाइल्ड अटॅक से रश्मि फिर से झड़ने की कगार पर थी,……..वो पहले कितनी बार झाड़ चुकी थी, उसे भी याद नही था.

मॉंटी का लंड अब फिर से अपनी औकात मे आने लगा……उसने रश्मि को बेड पर लिटा दिया…….उसकी आँखो मे झाँकता हुआ बोला

“क्या चाहती हो रश्मि….खुल के बोलो..!”
“चोदो मुझे….जम के चोदो….मैं पागल हो रही हू……प्लीज़..अभी और मत तडपा ओ…जल्दी से डाल दो अपना लंड…..ये आग बुज़ादो….मैने तुम्हारी हर बात मानी हैं…प्लीज़ अब शुरू हो जाओ”…….अत्यधिक उत्तेजना,सेक्स की आग,हवस के तूफान मे घिरी रश्मि लाज,शर्म छोड़ कर गिड़गिदा रही थी.

अब मॉंटी भी उसे और तड़पाने के मूड मे नही था, खुद को भी रहा नही जा रहा था, उसने रश्मि की टाँगे फैलाई, चूत पहले से ही गर्म और गीली थी, पहले भी चुद चुकी थी, ल्यूब्रिकेशन की कोई ज़रूरत नही थी, मॉंटी ने लंड निशाने पे लगाया ओर एक ज़ोर का झटका लगाया…….रश्मि की चीख निकल गयी, वो छटपटाने लगी, होठ भिचने लगी, गर्दन एधर उधर हिलने लगी……..दूसरे झटके ने लंड को पूरी तरह से उस 16 साल की कमसिन चूत मे दाखिला दिला दिया.

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रश्मि की चीखे, लंड के हर झटके के साथ कम होती गयी, मॉंटी का मोटा लंड, चूत की दीवारो को फैला रहा था, ये रगड़ान, ये फैलाव…..पिस्टन से चलता लंड, उसे अजीब सी खुशी, संतुष्टि का अहसास दिला रहे थे, धीरे धीरे वो मंज़िल के करीब पहुच रही थी, मॉंटी को भी अहसास हो रहा था, उसकी भी मंज़िल आने का,……रश्मि के बदन मे अकड़न पैदा होने लगी, चूत की दीवारे लंड पर कसने लगी……आहह..आहह..की कामुक सिसकारियो के साथ रश्मि ने मॉंटी के लंड को नहला दिया……..वो निढाल सी पड़ी रही

मॉंटी ने अब अपना लंड बाहर खिच लिया, वो रश्मिकी छाती पर जा बैठा, धीरे से ज़्यादा दबाव ना डालते हुए, लंड को रश्मि की गदराई चुचियो के बीच ले गया….रश्मि उसका इशारा समझ गयी, उसने अपने हाथो से अपनी चुचियो को लंड के इर्द गिर्द कस दिया,….मॉंटी ने आखरी धके मारने शुरू किए…….थोड़ी ही देर मे उसके लंड ने ढेर सारा वीर्या उगल दिया, रश्मि के चेहरे पर, बालो मे, हर जगह वीर्या ही वीर्या था.

और चेहरे पर थे परमसंतुष्टि के भाव.
उस रात रश्मि लूटती रही बार बार, उसका वासना का खुमार उतर चुका था, अपने आप को धिक्कार रही थी……..राज की बात और थी, वो शादी शुदा, घर गृहस्थी वाला शरीफ इसान था,…जो वक़्ती तौर पर भावनाओ मे बह गया था….लेकिन उसीने रश्मि को समझाया भी था…….पर ये लोग….ये शरीफ कतई नही थे……लड़कियो को फसाना…….ऐश करना, उनका पसंदीदा खेल था……रश्मि का जिस्म कांप उठा…..ये क्या कर बैठी थी वो…..क्यू रोक नही पाई, अपने आप को…..क्यो सेक्स की इश्स हद तक दीवानी हो गयी थी वो….अब अगर घर वालो को किसी तरह से पता चला तो….वो सिहर उठी….पासचताप से उसके आँखो मे आँसू आए……..और उसे याद आई नीलू की…..पूरी रात वो कहा थी.?…..उसके साथ क्या बीती थी.?

सुबह हो रही थी, रश्मि ने जैसे तैसे कपड़े पहने,वो कमरे से बाहर निकली, और एक एक कमरा देखने लगी, लगभग हर कमरा खुला ही पड़ा था, हर कमरे की कहानी एक जैसी ही थी, नंगी पड़ी लड़किया, उनके उपर या आसपास्स आड़े तिरच्चे पड़े लड़के, अस्तव्यस्त फैले कपड़े, खाली पड़ी शराब की बोटले, ड्रग्स लेने की नीदल्स……….रश्मि को अपने आप से घृणा होने लगी,…पूरी रात वो भी तो इसी माहौल का हिस्सा थी,…….एक कमरे मे उसे नीलू दिखाई दी……..उसकी हालत देख कर रश्मि एक दम से डर गयी……….नीलू बेहोश सी लग रही थी……जाँघो के बीच मे खून दिखाई दे रहा था, हॉट खून से सने हुए थे,…….उसका सर के तरफ से आधा शरीर बेड से नीचे लटक रहा था….बदन पर कई खरोन्चे थी, बेड शीट एक तरफ गठरी की शक्ल मे जमा हुई थी……..रोमी, लकी,मॉंटी…..और चंदा भी वही पड़े हुए थे…..चंदा का सर नीलू के पेट पर था, एक हाथ अभी भी नीलू की चुचि पर था…….सबसे बड़ी बात, चंदा का मूह भी खून से सना था…..नीचे रोमी,लकी, मॉंटी नंगे पड़े थे….उनके लंड भी खून से सने थे…..शराब की बोटले, नशे का समान सब बिखरा पड़ा था………सिचुटेशन …….गंभीर लग रही थी…….रश्मि का दिल जोरो से धड़क रहा था….किसी अंजानी आशंका से.

वो धीरे धीरे नीलू के पास पहुचि….बिना कोई आवाज़ किए…..उसने सबसे पहले नीलू की छाती से कान सटा ये, और राहत की सास ली……धड़कन चल रही थी,..लेकिन बहुत ही धीरे धीरे…..उसने फिर चंदा का सर नीलू के पेट से हटाया….चंदा गहरी नींद (या नशे मे..?) मे थी….फिर वो कोशिश करने लगी नीलू को जगाने की….पहले तो उसने नेलु को बेड पर सीधा लिटा दिया….फिर उसके गालो को थपथपाकर, हल्के हल्के पुकारने लगी.

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“नीलू…नीलू…जाग जाओ,..चलो घर चल ते हैं”……लेकिन नीलू पर कोई असर नही हुआ, वो थोड़ी और ज़ोर से पुकाराने लगी, साथ साथ कंधे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी……उठो नीलू,…जाग जाओ नीलू…प्लीज़ आँखे खोलो नीलू….जल्दी जाग जाओ…ह्यूम घर जाना हैं”………लेकिन नीलू टस से मस नही हुई, तो वो घबरा गयी….क्या हुआ हैं इसे….साँसे तो चल रही हैं, ये उठती क्यो नही हैं….होश मे क्यो नही आ आराही हैं….उसने एधर उधर देखा, कोने मे फ्रिज दिखाई दिया….भाग कर रश्मि ने पानी की बोतल बरामद की, और पूरी उंड़ेल दी नीलू के चेहरे पर……फ्रिज का चिल्ड पानी डालने के बावजूद जब नीलू को होश नही आया तो…….रश्मि की सांस फूलने लगी, पैर जवाब देने लगे, किसी आशंका से दिल लरजने लगा…..आँखो से बरबस आँसू बहने लगे.

वो अब झपट पड़ी चंदा की तरफ….उसे जगाने की कोशिश किए बगैर, उसने सीधे चंदा पर ठंडा पानी डाल दिया……तुरंत असर हुआ…..चंदा हड़बड़ा कर उठ गयी…कुछ पल तो उसे कुछ समझ ही नही आया…..फिर धीरे से उसे समझ मे आने लगा…उसने रश्मि की तरफ देखा…..वो गुस्से से और डर से कांप रही थी………!

“क्या किया हैं तुम लोगो ने नीलू के साथ……..उसकी हालत देखो……पूरी खून से लथपथ है…….होश मे नही आ रही हैं….क्या किया हैं उसके साथ …बोलो..?
रश्मि बेकाबू सी हो रही थी, चंदा के कंधे पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से झंझोड़ रही थी.

और चंदा फ़टीफटी आँखो से नीलू को देख रही थी, उसका दिमाग़ सुन्न हो गया था, वो तरीके से सोच भी नही पा रही थी, ड्रग्स,शराब और रात भर के सेक्स का नशा, अब भी उस पर हावी था……..वो कभी नीलू को देखती तो कभी रश्मि को, तो कभी फर्श पर नंगे पड़े अपने उन खास दोस्तों को.

चंदा अब पूरी तरह से होश मे आगाई थी, स्थिति की गंभीरता उसके समझ मे आने लगी थी. वो तुरंत उठी, फटाफट कपड़े पहन लिए, ठंडे पानी से मूह धो कर, सबसे पहले अपने लिए एक लार्ज पेग बनाया विस्की का, दो बड़े बड़े घूँट पेट मे जाते ही, उसका दिमाग़ तेज़ी से कम करने लगा.

कल रात का पूरा ट्रेलर उसकी नज़रो के आगे गुजरने लगा, वो नीलू की हालत की वजह कुछ कुछ समझ रही थी, सिचुयेशन बहुत गंभीर थी, दोनो परिवारो की इज़्ज़त का सवाल था, अगर रश्मि वाहा नही होती तो वो, इश्स सारे सिलसिले को आराम से निपट सकती थी, दोनो परिवारो की सहायता से.

उसने तुरंत फर्श पर पसरे पड़े दोस्तो को जैसे तैसे जगाया, और सबसे पहले कपड़े पहनने को कहा……..थोड़ी सी ख़ुसरफुसर के बाद सब के समझ मे स्थिति की गंभीरता आ गयी, वो रह रह कर कभी बेहोश पड़ी नीलू की तरफ तो कभी सुबक्ती हुई रश्मि की तरफ देख रहे थे…….फिर तीनो ने अपने लिए पेग बना लिए, ताकि उनके भी दिमाग़ काम करने लगे.

अब चंदा ने रश्मि की तरफ रुख़ किया
“देखो रश्मि, जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ, हम सभी सिर्फ़ मौज मस्ती करना चाहते थे, ……और तुम भी तो यही चाहती थी, रात को मॉंटी के सामने गिड़गिदा रही थी……….अपनी खुजली मिटाने के लिए….क्यो क्या मैं झूठ बोल रही हू…बोलो..?

रश्मि कुछ नही बोली….क्या बोलती वो….बहक तो गयी थी, लाज शरम तक पर रख कर गिड़गिदई थी वो……….लेकिन ये बात चंदा को कैसे पता चली…..वो पूछने का साहस नही कर सकी

“देखो रश्मि, तुम आचे से जानती हो मेरे और नीलू के परिवार मे गहरे रिलेशन्स हैं, दोनो ही परिवार नही चाहेंगे, की यहा जो भी हुआ उसकी खबर बाहर, लोगो तक, मेडिया तक, या पोलीस तक पहुचे, इश्स मे सब की बदनामी होगी, दोनो ही परिवरो के बिजनेस पर बुरा असर होगा, इश्स लिए और तुम्हारी भी भलाई इसी मे हैं की तुम अपनी ज़बान बंद रखो, हम सब सम्हाल लेंगे, मैं तुम्हे गौरनटी देती हू, नीलू को कुछ नही होगा”……..

चंदा की आवाज़ मे एक ऐसा ठंडा पन था, एक ऐसी खुश्की थी, एक बार के लिए रश्मि सिहर उठी,…उसे पता था चंदा के परिवार के हाथ बहुत उपर तक पहुचे थे, वो सच मे कुछ भी कर सकते थे…….लेकिन क्या उनकी ये पहुच नीलू की जान बचा सकते थे, क्या पैसा और पोवेर होने से ही सारी समस्या सुलझ जाती हैं…..उसकी आँखे फिर बरस पड़ी…….अपनी प्यारी सहेली के किए.

चंदा के दोस्तो ने तबतक हॉस्पिटल मे फोन किया था, सभी बेचैनी से आंब्युलेन्स की रह देख रहे थे…….मॉंटी, रोमी, और लकी, इन मे से कोई भी चंदा जैसे बड़े बाप के बेटे नही थे….वो तो सिर्फ़ चंदा का पैसा और उसका जिस्म देख कर उससे चिपके हुए थे…..अब तीनो की चेहरे पर हवैया उड़ने लगी थी

इतने मे आंब्युलेन्स भी आ गयी…..हॉस्पिटल के कर्मचारियो ने कोई सवाल नही पूछा…..उन्होने नीलू को स्ट्रॅचर पर रखा और आंब्युलेन्स मे डाल कर खामोशी से हॉस्पिटल की तरफ निकल पड़े.

“तुम हमारे साथ हॉस्पिटल चलॉगी या हम तुम्हे घर पर ड्रॉप कर दे”……चंदा ने रश्मि को बड़े ठंडे स्वर मे पूछा
“मैं हॉस्पिटल चलूंगी”
चाहती तो जल्द से जल्द घर पहुचना, …लेकिन ना जाने क्यू उसे लग रहा था, नीलू को इन दरिंदो के साथ अकेला छोड़ना ठीक नही होगा.

दोपहर के 2.00 बजे थे, डेंजर ज़ोन मे ग्राहक कम ही थे, ज़्यादा तर टेबल्स खाली पड़े थे, बार टेंडर उंघ रहा था, एक्का दुक्का टेबल्स पर जो ग्राहक बैठे थे, उन्हे कोई जल्दी नही लगती थी, बाहर धूप कड़क रही थी.

आमिर उन्ही गिने चुने ग्राहको मे से एक था. अपने लगभग खाली हुए बियर की बोतल को बड़े ध्यान से, मगर आनमने ढंग से देख रहा था, उस बोतल के जैसे ही उसकी जेब की स्थिति थी,….लगभग खाली,…वो मन ही मन हस पड़ा. उसके बाप ने उसका नाम आमिर ये सोच के रखा था की वो एक दिन अपने नाम की तरह अमीर बन जाएगा…….लेकिन बेचारे को क्या मालूम, अगर सिर्फ़ नाम रखने से आदमी वैसा बन जाए, तो हर कोई अपनी बेटी का नाम, ऐश्वर्या, या मधुरी रखेगा, और बेटे का नाम र्हितिक, शाहरुख, या सलमान रखेगा.

आमिर ख़ान देखने मे एक आकर्षक पर्सनॅलिटी का तंदुरुस्त युवक था, जिसके बारे मे आम धारणा ये थी की वो एक मस्त कलंदर टाइप का आदमी था, बेफिकिरी उसके चेहरे पर हमेशा छाई रहती थी, खाओ,पियो ऐश करो वाले नियत का लगता था लेकिन, सचाई ये थी की…..आमिर ख़ान एक खोजी पत्रकार था,…. इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट,….. उसकी खबर सूंघने की शक्ति, कुत्ते को भी मात देती थी,…. सूंघने के मामले मे, एक बार खबर की सूंघ लगजाए तो आमिर उसे दो नज़रिए से देखता था.

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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हेलो दोस्तो आप लोगो के लिए एक और मस्त कहानी पेश कर रहा हू दोस्तो ये कहानी कच्ची उम्र की कामुकता पर आधारित है जैसे की आप जानते ही हैं आज कल हमारे समाज मैं सेक्स की एक आँधी सी चल रही है टीवी सिनेमा सब जगह सेक्स ही परोसा जा रहा है इन्ही सेक्सी सीन्स की वजह से कम उम्र के बच्चे भी सेक्स मई रूचि लेना शुरू कर देते है और कई बार ये कच्ची उम्र की कामुकता इन लड़कियो को सेक्स का गुलाम बना देती है और उनका भविष्य दूसरो के हाथो मैं सौंप देती है तो दोस्तो मेरी कोशिश इन्ही सब पहलुओ को लेकर इस कहानी को पूरा करना है अब ये तो आप ही बताएँगे की मैं अपनी इस कोशिश मैं किस हद तक कामयाब हुआ हूँ अपने विचार मुझे अवश्य बताए

क्या बात हैं, आज बड़ी बेचैन दिख रही हो…….रश्मि ने पास बैठी नीलू से पूछा नही रे ऐसी कोई बात नही…………नीलू ने बात टलने के नियत से कहा हमेशा तेरी बकबक से, सर मे दर्द पैदा कर देती हो……….आज इतनी खामोश हो, ज़रूर कोई बात हैं भरोसा रख ऐसी कोई बात नही……नीलू ने ज़ल कर कहा ठीक हैं मत बता , मैं तो समझ ती थी हम पक्की सहेलिया हैं, एक दूसरे से कोई बात नही छुपति, मगर तू नही बताना चाहती है तो मैं फोर्स नही करूँगी………………….रश्मि ने ब्रम्हयस्त्रा छोड़ा, जोकि बिल्कुल सही निशाने पे लगा. क्लास छूटने के बाद बतौँगी……..आख़िर नीलू ने मान लिया ठीक हैं

रश्मि और नीलू पक्की सहेलिया थी, शहर के एक नामी कॉनवेंट स्कूल मे पढ़ती थी,दोनो ही एसएससी की स्टूडेंट थी, उनकी दोस्ती एतनि गहरी थी,की बाकी लड़किया उनसे जलती थी. रश्मि एक उप्पर मिड्ल क्लास फॅमिली से थी, तो नीलू का परिवार शहर का प्रतिष्ठित,आमिर था. लेकिन इससे उनकी दोस्ती पर कोई फ़र्क नही पड़ता था. सिर्फ़ रश्मि के परिवार वाले थोड़े चिंतित रहते थे, उनके बीच सोशियल स्टेटस का फ़र्क जो था.

क्लास ख़त्म होने के बाद दोनो स्कूल के पीछे बने गार्डन मे बैठ गयी. चल अब बता क्या हुआ हैं……..रश्मि जानने के लिए उतावली थी और नीलू सोच मे पड़ गयी थी शुरूवात कैसे करे

देख मैं तुझे सब बताती हू, पर पहले मेरे कुछ सवालो के सही सही जवाब देने होगे……..नीलू अपनी भूमिका बाँध रही थी क्या पूछना चाहती हैं तू उउउउउउउउउम्म…… अरे पूछ ना……ये उउउउउउउउउउम्म्म क्या हैं………रश्मि जानने के लिए अधीर हो रही थी.

तूने कभी सेक्स किया हैं……………नीलू ने बम फोड़ा. क्या……..??? तेरा दिमाग़ तो नही खराब हुआ, अगर ऐसा कुछ किया होता तो क्या तुज़से छुपति…?” मैं जानती हू की तू मुज़ासे कुछ नही छुपति,लेकिन कुछ ऐसा हुआ हैं,मुझे पूछना ज़रूरी लगा

क्या हुआ हैं…? कही तूने अकेले ही कुछ,मेरा मतलब हैं…. नही मैने कुछ नही किया हैं तो…… ?…….रश्मि से जिगयसा छुपी नही रही थी.

तू मेरे घर का डिज़ाइन जानती हैं,मेरे बेडरूम से किचन के लिए जाना हो तो भैया के बेडरूम के सामने से गुजर ना पड़ता हैं हाँ जानती हू,तेरे घर पर कई बार आ चुकी हू, तू आगे बोल………….रश्मि अभी भी कुछ समझ पाने मे असमर्थ थी.

कल रत अचानक मेरी नींद खुली,12.30 से उपर का समय हुआ होगा,मुझे भूख सी महसूस हुई, मैने थोड़ी देर वैसे ही सोने की कोशिश की, पर नींद नही आई, तो मैने सोचा किचन मे जाकर दूध वग़ैरा कुछ पी लू,मैं उठाकर किचन की तरफ चल दी,मगर……….. मगर क्या….अरे बोल ना रश्मि सुस्पेंसे को बर्दाशस्त नही कर पा रही थी. मुझे भैया,भाभी के बेडरूम से कुछ आवाज़े सुनाई दी क्या आवाज़े सुनाई दी…….रश्मि का सुस्पेंसे बढ़ता ही जा रहा था

वो वो भाभी भैया से कह रही थी…,वो…वो… अरे वो…वो…क्या कहा रही हैं, अब बक भी………रश्मि अब एक्शिट हो रही थी ,उसे कुछ कुछ समझ मे आ रहा था.

एमेम….एम्म…मुझे शर्म आती हैं नीलू सचमुच शर्मा रही थी ओये होये मेरी शर्मीली कबूतरी, अब ये शरमाना छोड़ और बता भाभी क्या कह रही थी.

वो..वो कह रही थी…….है मेरे राजा बड़ा मज़ा आ रहा है,, और जम के, है और ज़ोर से. आप के जैसा पति पाकर तो मैं धान्या हो गयी…..पूरे मर्द हैं आप तो ……एक बात पुच्छू….?……………… इतना कह कर नीलू चुप हो गयी.
तो…आगे बताना,भाभी ने क्या पूछा,और भैया ने क्या कहा रश्मि को अब रहा नही जा रहा था

वो ..भैया ने कहा पूछो मेरी जान….मैं भी तो तुम्हारी जैसी मदमस्त,सेक्सी पत्नी को पाकर धान्या हो गया हू, हाए क्या बॉल हैं तुम्हारे, पूछो जो पूछना है फिर…भाभी ने क्या कहा………….रश्मि अब बहुत ही गरम हो चुकी थी, पूरी बात एकदम से सुनना चाहती थी भाभी ने पूछा…आप पिछले जानम मे घोड़े थे क्या….?…ये आपका इतना बड़ा कैसे हैं..?

फिर…अरे पूरी बात एकदम से बताना, क्यो हिन्दी सीरियल की तरह एपिसोड्स मे बता रही हैं?……….रश्मि अब ज़ल उठी थी.
आगे कुछ सुन नही पाई, मुझे मम्मी,पापा के बेडरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, तो मैं भाग कर अपने बेडरूम मे चली गयी, दूध भी नाही पिया.

जैसे ही नीलू की बात ख़ात्मा हुई, दोनो सहेलिया,अपने चेहरे पे अजीब से एक्सप्रेशन्स लिए एक दूसरी की तरफ देखती रही, दोनो ने एकदम नज़रे झुकाली….दोनो की ही पॅंटी गीली हो चुकी थी

रश्मि और नीलू, सही मायने मे आज के जमाने की लड़कियो को रेप्रेज़ेंट करती थी एस मॉडर्न जमाने के आज़ाद ख़याल मा,बाप की उतनी ही आज़ाद ख़याल लड़किया. अपनी ही बेटियो को शॉर्ट स्कर्ट्स मे देखने से उनके माथे पे शिकन तक नही आती थी,……..उनकी स्कर्ट्स से झलकती भारी भारी गुदज जंघाओ,और टी-शर्ट से झलकती उनकी ठोस चुचिया, उनके दिमाग़ मे कोई ख़तरे की घंटी नही बजाते थे. आम तौर पर, सभी परिवरो मे मॅमी,डॅडी, भैया,भाभी, बड़ी या छोटी बहाने,अपने अपने बूससिनएस्स मीटिंग्स, क्लब्स,किटी पार्टिया, स्पोर्ट्स इवेंट्स,कॉलेज की गॅदरैंग्स इतने व्यस्त रहते थे की, किसिको किसी के बारे मे ज़्यादा जानने,या बात करने की फ़ुर्सत भी नही मिलती थी. एक ही परिवार के सदस्या एक ही घर मे ऐसे रहते थे मानो, रूम पार्ट्नर्स हो, या एक ही होटेल मे रुके मुसाफिर हो, जिनका एक दूसरे की जिंदगी से कोई वास्ता ना हो ऐसी स्थिति मैं अगर ये कची उम्र की कालिया, उनके आसपास के माहौल से, टीवी,फ़िल्मो मे दिखाई देने वाले उत्तेजक,सेक्सी दृश्यो से,क्लब,पार्टी,पब्स के माहौल से, वक़्त से पहले ही खिल कर फूल बनने की कोशिश करे तो इसमे कोई हैरानी बात नही थी

रश्मि और नीलू भी अपनी उम्र के ऐसे ही नाज़ुक मोड पर खड़ी थी. “चलो घर चलते हैं नीलू ने कहा “उउउँ क्या ? हाँ चलो रश्मि अभी भी उत्तेजना से बाहर नही निकली थी. दोनो ने अपने अपने स्कूल बॅग्स उठाए और स्कूल गेट की तरफ चल दी. दोनो ही खामोश थी,उपर से, दिल मे तूफान उठा हुआ था |

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“क्या सोच रही हो नीलू ने खामोशी तोड़ी कुछ भी तो नही अब तुम झूठ बोल रही हो नही नही,ऐसी कोई बात नही इश्स पर नीलू ने जाड़ा कुरेदना उचित नही समझा…………….थोड़ा वक़्त और खामोशी मे बीता.

“क्या तुमने उन्हे करते हुए देखा था अचानक रश्मि ने पूछा. कुछ पल के लिए नीलू कुछ समझी ही नही, लेकिन जैसे ही उसके समझ मे आया, वो शर्मा से लाल हो गयी. “धात,…कुछ भी बोलती हो” “अब ये शरमाना छोड़,और सच सच बता..!” “मुझे इच्छा तो हुई थी…….पर डर भी लग रहा था” हुउऊुुुउउंम्म…….”

नीलू और भी कुछ कहना चाहती थी, पर हिम्मत नही जुटा पा रही थी “रश्मि…”…………..नीलू ने हलकीसी आवाज़ मे पुकारा “क्या हैं..?” “मैने भैया भाभी को तो नही देखा था …….मगर.” रश्मि के कान एकदम खड़े हो गये, आँखे चमक उठी. “मगर क्या ….साफ साफ बोल ना” “तू किसी से कुछ कहोगी तो नही”…………नीलू ने डरते,हिचकते पूछा “पागल हो गयी हो….!मैने आज तक,हमारे मेरे बीच जो भी बाते हुई हैं क्या किसिको बताई हैं” “मैने….मैने…एक बार ब्लू फिल्म देखी थी,चोरी से,अचानक ही”……..नीलू अभी भी हिचकिचा रही थी “क्या……!!!!!!!!!!!!!!….. तूने ये बात मुझसे छुपाके रखी,अपनी पक्की सहेली से..!मैं तो समझ ती थी तेरे मेरे बीच कुछ भी छुपा नही हैं.”

नीलू खामोश रही “कब देखी थी, कहा और कैसे देखी थी”………रश्मि अब फिरसे उत्तेजित हो रही थी. ब्लू फिल्म्स के बारे मे उसने भी सुन रखा था,देखना भी चाहती थी, सिर्फ़ जिगयसा वश.

एक बार जब घर मे कोई नही था, मैने भैया के कमरे से एक सीडी उठा लाई थी,मुझे लगा था वो कोई कॉंमान हिन्दी फिल्म की होगी,उसपर कोई कवर भी नही था,……….लेकिन जैसे ही मैने सीडी प्लेयर मे डाली………..उसमे एकदम नंगी लड़किया और लड़के थे,एक बार मैने सोचा सीडी निकाल कर वापिस भैया के कमरे मे रख दू, ……….लेकिन वो …वो..मुझे उत्सुकता हो रही थी एस लिए पूरी देख ली. नीलू ने एक सांस मे पूरी बात कह डाली, बात करते करते ही उसकी साँसे तेज़ चलने लगी थी…………जैसे वो खुद उस फिल्म की हेरोइन थी |

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“अब कहा हैं वो सीडी……….रश्मि एक्शितमेंट की हद पर कर रही थी. “मेरे पास ही हैं” “क्या अभी भी तेरे पास ही हैं..? रश्मि के आँखोकी चमक फिर बढ़ने लगी. “हाँ बाद मे रख दूँगी, सोच कर मैने अपने पास ही रख ली”

“मुझे भी देखनी हैं”……….रश्मि की आवाज़ थरथरा रही थी, उत्तेजना से जिस्म कांप रहा था.

“कल दोपहर को मेरे बेडरूम मे देखेंगे,उस वक़्त घर पर कोई नही होता”

तभी नीलू की कार उसे लेने आगयइ,दोनो ही कार पे सवार हो गयी, दोनो ही खामोश थी,दोनो का मन कल आने वाले आनंद की कल्पना से मस्त,मस्त हो रहा था

रश्मि जब घर पहुचि, तब भी वो अपने आप मे नही थी. बात सिर्फ़ ये नही थी के नीलू की बतो ने उसे आंदोलित कर दिया था, बात कुछ और भी थी, अगर नीलू ने ब्लू फिल्म देखने की बात उससे छुपाई थी,तो उसने भी एक बात नीलू से छुपाई थी…………एक बहुत ही बड़ी बात…!

रश्मि कुवारि नही थी….! वो पहले ही चुद चुकी थी….! उसकी सील टूट चुकी थी……और यही वजह थी की सेक्स, रोमॅन्स की बात निकलते ही वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी……..उसने वो वर्जित फल खाया था, जिसे खाने की उसे मनाही थी,शादी होने तक.

लेकिन वो तो खा चुकी थी,चख चुकी थी,मज़ा लूट चुकी थी………अपने राज अंकल से.

रश्मि घर मे पहुचते ही सीधी घुस गयी बाथरूम मे,फ्रेश होने के लिए,….गीली पॅंटी बदल ने के लिए……….बाथरूम से निकल कर वो सीधी अपने बेड रूम मे पहुचि, स्कूल की ड्रेस बदल कर उसने एक ढीला सा गॉन पहन लिया,और बेड पर लेट गयी…..नीलू की बातो ने उसे उत्तेजित कर दिया था, जिन भावनाओ को उसने बड़े मुश्किल से काबू मे रखा, था वोही भावनाए अब उस पर हावी होनी लगी थी, अपनी पहली चुदाई की यादे ताज़ा होने लगी थी………..अपने आप उसका एक हाथ उसकी कमसिन,मगर टाइट चुचियो को सहलाने लगा…….और दूसरा हाथ पनटी मे राहत तलाश रहा था.

राज अंकल, तकरीबन साल भर पहले तक उनके पड़ोसी थे,….35 साल की उमरा मे भी किसी 25,26 साल के नौजवानो जैसे दिखाते थे, रश्मि को हमेशा अचरज होता था, की उनके फॅमिली मे , उसके साथ वो यू घुलमिल गये थे, जैसे उनके परिवार का एक हिस्सा हो, उनकी पत्नी, शीतल, सिर्फ़ नाम की शीतल थी,वास्तव मे बड़ी चिड़चिड़ी और खुंदकि थी, सबका ध्यान अपने तरफ आकर्षित करने की कोशिश मे लगी रहती, (हमेशा कोई ना कोई बीमारी का बहाना बना कर,) वैसे उन्हे एक बेटा भी था जो राज अंकल के मॅमी,दादी के साथ रहता था.रश्मि के दिमाग़ मे हमेशा ये बात कुलबुलाती रहती की एटने अच्छे अंकल को ऐसी नकचाढ़ि पत्नी कैसी मिली. राज अंकल उसे हमेशा पढ़ाई मे मदद करते, उसे इंग्लीश स्पीकिंग की तैय्यारि कराते. कुलमिलाकर उसे और उसकी फॅमिली को राज अंकल बेहद पसंद थे

लेकिन कुछ बाते ऐसी भी थी जिसका मतलब रश्मि उस वक़्त नही समझ ती थी,राज अंकल जब भी उससे बात करते थे,उनकी नज़रे हमेशा उसकी विकसित हो रही ककचे आमो की भाती चुचियो पर टिकी रहती,थी बात करते समय वो हमेशा उसकी पीठ पर हाथ फेरते थे, गालो पे चुटकी भरते थे, हाथ फेरते थे,कभी कभी अंजाने (..?) मे वो उसकी गुदाज मांसल जंघाओ पर हाथ रखते थे, तो रश्मि के टाँगो के बीच गीलापन महसूस होता था, लेकिन वो उनका विरोध नही करती थी,क्यो की वो तो “बेचारे” राज अंकल थे और उसे पता नही क्यो अछा भी लगता था.

एक दिन जब वो स्कूल से वापस आई, तो उसे पता लगा की शीतल आंटी हमेशा की तरह बीमार हो गयी हैं, अंकल उन्हे हॉस्पिटल मे भरती करने गये हैं
शाम को जब अंकल वापस आए तो रश्मि दौड़ कर उनके फ्लॅट पर पहुचि, तो देखा राज अंकल सिर्फ़ बरमूडा पहने सोफे पर बैठे थे,उनके हाथ मे एक ग्लास था जिसमे कोई लाल रंग का तरल पदार्थ था |

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“आंटी को क्या हुआ अंकल रश्मि ने धदाम से सोफे पर बैठते हुए पूछा.
कुछ नही याआआआर वोही हमेश का नाटक”…….अंकल उदास स्वर मे बोले……….वो छोड़ तू बता तेरी पढ़ाई कैसे चल रही हैं.
कुछ प्राब्लम आपको पूछनी थी……..पर”…….रश्मि अंकल का उखाड़ा हुआ मूड देखा कर हिचक रही थी
“पर क्या…….?”….अंकल ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा……..हमेशा की तरह
“आंटी बीमार हैं तो मैने सोचा”
“छोड़ इस बात को तू जानती हैं, उसकी बीमारी के बारे मे अंकल का हाथ उसके ब्रा स्ट्रेप्स पर रुक गया (हाँ रश्मि 9थ स्ट्ड से ही ब्रा पहनने लगी थी, सवाल उसकी चुचियो को सम्हल ने का नही था, पर उसके निपल दिख जाते थे,पतली शर्ट से)
रश्मि आज कुछ अजग सा महसूस कर रही थी

“रश्मि……एक बात कहु,तुम बुरा तो नही मनोगी” “नही अंकल…….मैं आपकी किसी बात का बुरा नही मानूँगी”…………रश्मि को राज अंकल बहोत आछे लगते थे.
अंकल का हाथ अब पीठ पर रश्मि के ब्रा स्ट्रेप से खेल रहा था,और दूसरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम जाँघो पर फिर रहा था.
रश्मि सांस अब भारी हो रही थी

अंकल आप कुछ कह रहे थे”……………रश्मि ने जैसे तैसे पूछा. “अगर तुम और थोड़ी बड़ी होती……….. उउउउउउउउम्म्म्म्म्म्म्म 25,26 साल की होती तो मैं तुमसे शादी कर लेता……….अंकल का हाथ जंघाओ पे कस गया रश्मि नादान थी,कमसिन थी, नासमझ थी, कक़ची उमरा की काली थी, लेकिन उमरा के ऐसे मोड़ पर थी, जहाँ मर्द का स्पर्श दीवाना बना देता हैं वो समझ ही नही पाई की जो आज सिर्फ़ 15 साल की हैं,वो थोड़ी सी बड़ी 25,26 साल की कैसे हो सकती हैं. लेकिन एतनि भी छोटी नही थी की कुछ भी ना समझ पाए |

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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