सामूहिक चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Mon, 19 Mar 2018 11:50:19 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png सामूहिक चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 होली में गर्लफ्रेंड की मम्मी को चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/girlfriend/holi-me-girlfriend-ki-mummy-ko-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/girlfriend/holi-me-girlfriend-ki-mummy-ko-choda.html#respond Sun, 11 Mar 2018 03:06:02 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12174 होली में गर्लफ्रेंड की मम्मी को चोदा, होली मेरी गर्लफ्रेंड की मम्मी का चुदवाया हैल्लो दोस्तों.. यह मेरी पहली कहानी है और में आशा करती हूँ कि आप सभी को मेरी यह बहुत पसंद आएगी। दोस्तों मेरा नाम अजय है और मेरी उम्र 20 है आंटी उम्र 44 हैँ नाम पुष्पा है और गर्लफ्रेंड का नाम पायल उम्र 19. आंटी उनके बूब्स का साईज़ 36 और गांड का भी साईज़ 40

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होली मेरी गर्लफ्रेंड की मम्मी का चुदवाया हैल्लो दोस्तों.. यह मेरी पहली कहानी है और में आशा करती हूँ कि आप सभी को मेरी यह बहुत पसंद आएगी। दोस्तों मेरा नाम अजय है और मेरी उम्र 20 है आंटी उम्र 44 हैँ नाम पुष्पा है और गर्लफ्रेंड का नाम पायल उम्र 19. आंटी उनके बूब्स का साईज़ 36 और गांड का भी साईज़ 40 है।

आंटी का पति और हम सभी आपस में दोस्ताना हैं और अक्सर साथ साथ बैठ कर दारू पीते हैं, इस बार मैं होली खेलने आंटी घर गया तह आंटी ने सफ़ेद साड़ी-ब्लाऊज़ और बेटी ने सफ़ेद सलवार-सूट पहन कर आय तह । अंकल और हम दोनों ड्रिंक करने लगे।जब हमारे दो दो पैग हो गए तभी आंटी आय और सात ड्रिक करा लग साथ मै फिर हम तिनव ड्रिंक करने लगे साथ मै अचानक पायल दोस्त आ गया घर पे और पायल आपन सात लेके गया ।। अंकल बोला आंटी को आज तुम बहोत सेक्स लग राई है । आंटी बहोत नास तई।

मै बोला आंटी को आज तुम बहोत सेक्स लग रही हो। आंटी बोला अंकल को आज मेरी चुत पैय्स भूहज दान। मै बोला अंकल मै ज़रा होऊ तो आंटी बोला का ज़रा है तू मै बोला घार ज़रा होऊ। आंटी बोलाी आज मै चोद ना मै बोलाा नही । अंकल बोला क्या तैरा लंड दाम नही है क्या । अंकल अपनी पेंट खोलकर अपना लंड बहार निकाल दीया अंकल का लंड बिल्कुल काला ताः उसका बहुत बड़ा लंड था आंटी पूरा मुँह मे लेने की कोशिश कर रही थी। अंकल ना आंटी मुहं में अपना लंड घुसा दिया अंकल बाल पकड़ कर उसके मुहं को वो फक फक करके चोदने लगा।

आंटी मुहं से ढेर सारा वीर्य बहकर गिर रहा रहा था। वोअ देकर फिर मैं 69 की अवस्था मे हूँ गया।मैं भी धीरे-धीरे आंटी करीब हो रहा था आंटी ने धीरे से अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया और उसे मसलने लगीं।आंटी ने मेरी चड्डी की चेन ख्वला कर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे चूसने लगीं।आंटी जोर-जोर से मेरा लण्ड चूसे रही थीं और मैं नशे में डूबता जा रहा था।आंटी ने ब्रा-पैन्टी को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे भी उतार दिए।हम दोनों नंगे थे। अंकल साब देक रहा तह।

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अब आंटी ने मुझे बिस्तर पर गिरा दियाअब ।मेरा लण्ड कड़क होने लगाऔर मेरे ऊपर बैठ कर चूत के दरवाजे पर मेरा लण्ड रखा और धीरे-धीरे उस पर बैठने लगीं।आंटी ने मेरे ऊपर उछलना चालू रखा और अपनी रफ्तार बढ़ाने लगीं।। आंटी सिसकारियाँ लेती हुई धक्के तेज करने लगीं। थोड़ी ही देर में। मै आंटी बोलाा आज अपनी गाण्ड दो गए क्या। आंटी बोलाी लए ना तो। उनकी मस्त गाण्ड को सहला लगा।उनकी गाण्ड अपने मुँह पर रख कर रगड़ता मैंने पूछा- आंटी क्या अंकल आपकी गाण्ड मारते हैं? आंटी ने कहा- उस चूतिया से तो चूत नहीं मारी जाती.. साला नामर्द है।

आप चिंता मत करो, बस अब चलो घोड़ी बन जाओ।वो घोड़ी बन गईंलंड के सुपारे को गाण्ड के मुँह पर रखो और ज़ोर से धक्का लगाओ। पूरे कमरे में मेरे चिल्लाने की आवाज गूँज गई। आंटी की आहाहहहहः आंटी बहुत दर्द हो रहा। वो मेरे साथ पहली बार चुदाई कर रही थी।और मेरा पूरा लंड उसकी गाण्ड गाय् चिल्ला उठी प्लीज़ अहहहहा आहहराम से प्लीज़ उसने 4-5 झटके मार करीब 15 मिनट का बाद आंटी बोलाी प्लीज़ पूरे जोर से चोदो मुझे। आंटी ने बोलाा कि तुमने भी आज मुझे रंडी बना दिया है।

अंकल या दकर आंटी का पास आय और आपन लण्ड आंटी बाल पकड़ के जोरो से मुँह मे देने लगा। मेरी सहन शक्ति से ज़्यादा बड़ा। आंटी खांसने लगी सांस रुक गयी थी थोड़ी देर बाद। अंकल ना अपना सारा पानी आंटी मुँह मे छोड़ दिया। आब मै अपना लण्ड गाण्ड से निकाल के आंटीे मुँह मे दे दिया और 10 मिनिट मै का बाद। आंटी का मुँह से अजीब-अजीब आवाज निकल रही थीं। कुछ समय के बाद मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने जोर-जोर से लण्ड को उसके मुँह में आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।, कुछ समय लण्ड चूसने के बाद ।10 मिनट बाद मै झड़।और मेरे लंड में से पानी गिर गया। आंटी ने मेरा लण्ड मुहं में लेकर बराबर चाट चाट कर साफ कर दिया। आपको मेरी कहानी अच्छी लगे तो इसे लाईक जरूर करें ।। धन्यवाद …

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मेरी रंडी बहन ने चुदाई का माहौल बना दिया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/meri-randi-bahan-ne-chudai-ka-mahaul-bana-diya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/meri-randi-bahan-ne-chudai-ka-mahaul-bana-diya.html#respond Fri, 02 Mar 2018 17:34:38 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12041 दोस्तों आप सभी ने इस कहानी का शीर्षक पढ़ कर ही समझ लिया होगा की आखिर क्या होगा इस कहानी में गरमा गर्म मेरी बहन ने पुरे घर में चुदाई का माहौल बना दिया आप भी पढ़े और अपने दोस्तों को भी पढ़ने के लिए शेयर करें |

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मेरी रंडी बहन ने चुदाई का माहौल बना दिया
(Meri Randi Bahan Ne Chudai Ka Mahaul Bana Diya )

दोस्तों यह स्टोरी मेरे एक जिगरी मित्र निकेत के परिवार की है। मैं सीधे निकेत की कहानी उसी की जुबानी पेश कर रहा हूँ। ‘निरुपमा ओ निरुपमा.. अरे भाई मेहमान आए या नहीं?’ सोहन चिल्लाते हुए बोलता है। निरुपमा गुस्से से चिल्लाते हुए बोली- क्यों चिल्ला रहे हो.. आ जाएंगे.. नहीं आए तो माँ चुदाएं अपनी.. आपकी गांड में क्यों जलन हो रही है।

दोस्तो.. इसके पहले आगे बढूँ.. मैं निकेत, आपको अपने परिवार का विवरण दे देता हूँ। निरुपमा है ४६ वर्षीया मेरी माँ.. जो कि बिल्कुल बेबाक हैं.. अपनी बातों में भी.. और चुदाई में भी। सोहन हैं मेरे पिताजी.. जिनकी उम्र ५२ वर्ष है। इनके अलावा मेरी एक बहन भी है जो कि २५ साल की है और मैं निकेत २१ वर्ष का हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ।  जिन मेहमान के आने की बात पिताजी कर रहे हैं.. वो है मेरी बहन रूचि के सास और ससुर और उसकी ननद। मेरी बहन की सास का नाम नेहा है और वो एकदम मस्त माल है.. उसकी उम्र ४२-४३ साल है, लेकिन वो अभी २८ साल की ही लगती है। नेहा का फिगर ३८-30-३८ का है। जब भी वो हमारे घर आती, तो मेरी नजर हमेशा उसके मम्मों पर और उसकी उठी हुई गांड पर ही रहती है। कभी-कभी तो मैंने देखा है कि मेरे बाप की नजर भी हमेशा उसी का पीछा करती रहती है।

नेहा की बेटी यानि कि मेरी बहन की ननद प्रेमा एक 24 साल की शादीशुदा गरम माल है। प्रेमा को उसके पति ने शादी के 2 साल बाद ही छोड़ दिया था।

प्रेमा के बारे में मैं आपको बाद में बताऊंगा और शंकर नेहा के पति, जिनकी उम्र ४५ साल है.. लेकिन भरी जवानी में भी वो 60 साल के बूढ़े लगते हैं। आखिर वो वक्त भी आ गया.. जब मेहमान आ गए। मेरी माँ ने सभी को हॉल में बैठाया और हालचाल पूछे।

नेहा ने कहा- बड़े दिन हो गए थे आप से मिले हुए, तो सोचा कि मिल कर आ जाएं। इसी बहाने प्रेमा का भी मन बहल जाएगा।

मेरी माँ ने कहा- ये तो बड़ा अच्छा हुआ। अब आए हैं तो कुछ दिन यहाँ रह कर ही जाना।

इतने में खाना खाने का समय हो गया तो माँ ने बोला- चलो बातें तो बाद में भी होती रहेंगी, पहले सब खाना खा लो।

सभी लोग डाइनिंग टेबल पर आ गए। माँ पिताजी के बगल में बैठी थीं, मैं माँ के बगल में.. और पिताजी के बगल में मेरी बहन, मेरी साइड में नेहा आंटी थीं.. उनके बगल में शंकर अंकल और सबसे लास्ट में प्रेमा थी। सबने खाना खाना शुरू किया।

अभी 5 मिनट ही हुए होंगे कि मेरी माँ के हाथ से चम्मच छूट कर नीचे गिर गई। माँ उसको उठाने के लिए नीचे झुकीं.. तो देखा कि नेहा आंटी अपने पति शंकर का लंड उसकी पैन्ट के ऊपर से ही सहला रही हैं और शंकर चुपचाप अपना खाना खा रहा है।

लेकिन उसके माथे पर शिकन की लकीरें साफ-साफ दिखाई दे रही थीं। ये देख कर मेरी माँ जो कि बहुत ही कामुक स्त्री हैं.. उन्होंने भी अपने पति का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और जोर से दबा दिया। मैं ये सब चोरी-चोरी देख रहा था और चुपचाप अपना खाना खा रहा था।

जैसे-तैसे सभी ने अपना खाना खत्म किया और इसके बाद बारी आई सोने की।

तो माँ ने बोला- नेहा जी आपका और शंकर जी का बिस्तर ऊपर वाले कमरे में लगा दिया है और प्रेमा रूचि के साथ ही सो जाएगी।
थोड़ी देर सभी ने बातें की, फिर सभी सोने चले गए।

रात में मुझे बहुत जोर से मुतास लगी तो मैं उठ कर बाथरूम की ओर जाने लगा। मैंने देखा कि पापा-मम्मी के कमरे से जोर-जोर से पलंग हिलने तथा और भी कई सारी आवाजें आ रही हैं, तो मैं गेट के पास ही खड़ा हो गया और सुनने लगा।

इसके साथ ही मैं ‘की-होल’ से अन्दर देखने की कोशिश करने लगा।

मैंने देखा कि माँ पापा के लंड के ऊपर तांडव कर रही हैं और जोर-जोर से चिल्ला रही हैं ‘आह सोहन डार्लिंग.. चोदो जोर-जोर से.. चोदो मुझे.. उई माँ.. क्या चोदते हो जानू.. तुम पचास के हो गए.. पर आज भी नए जवान छोकरे की तरह चोदते हो.. हाय राम आह.. आह आह.. आह सीइ.. सी..सी…सीइ हाँ जानू.. ऐसे ही.. आज तो मेरा बलमा बहुत जोश में है.. क्यों भोसड़ी के तेरी समधन जो आ गई है.. देखा मैंने.. कैसे तुम उसकी गांड को घूर रहे थे.. आह्ह.. सोहन- हाँ रंडी.. तेरी माँ को चोदूँ.. तू है ही ऐसी रांड.. कि बूढ़े के लंड में भी कसावट आ जाए.. जो तुझे देख ले तो.. और रही बात नेहा की.. तो उस रांड को भी अपनी रानी बनाऊंगा और तुम दोनों रंडियों को इसी बिस्तर पर एक साथ चोदूँगा.. और आज तो तू डाइनिंग टेबल पर अपनी माँ क्यों चुदा रही थी?

निरुपमा ने सोहन के लंड पर कूदते-कूदते कहा- आह.. साले बेटीचोद.. तेरी वो नेहा रांड उस मरियल शंकर का लंड सहला रही थी.. तो मैं क्या करूँ जानू.. बस मुझे भी इच्छा हुई ऐसे मजे लेने की.. सो तुम्हारा मूसल पकड़ लिया था।

तभी सोहन जोर-जोर से शॉट मारने लगा और निरुपमा, मेरी माँ भी अनाप-शनाप बकते हुए उसके लंड पर लैंड करने लगी।

पूरे कमरे से चुदाई के संगीत की आवाजें आने लगी।

थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत हो गया।

इसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और सोने की कोशिश करने लगा, पर मुझे नींद कहाँ आने वाली थी।

मुझे बार-बार बस अपनी माँ और पिताजी की चुदाई वाली बात याद आ रही थी।

इसी को सोचते-सोचते अचानक मेरा हाथ मेरी चड्डी के अन्दर चला गया और मैं अपने काले भुजंग को सहलाने लगा।

मैंने अपने लंड को चड्डी से बाहर निकाल लिया और फिर उसके सोटे मारने लगा।

लंड हिलाते-हिलाते मेरे दिमाग में खयाल आया कि क्यों ना नेहा रांड और उस मरियल शंकर के कमरे में भी जा कर चैक किया जाए और मैं इसी अवस्था में लंड को हाथ में पकड़े ऊपर सीढ़ियां चढ़ने लगा।

जैसे ही मैं नेहा के कमरे के पास पहुँचा.. तो एकदम से चौंक गया।

मैंने सुना कि उसके कमरे से भी चुदाई की मधुर ध्वनि आ रही है।

इसको देख कर मेरी तो बल्ले-बल्ले हो गई।

मैंने सोचा वाह बेटा आज तो मजे आ गए.. एक दिन में दो-दो चुदाई देखने को मिल रही हैं।

ये ही सोचते सोचते मैं नेहा के कमरे के गेट पर बने ‘की-होल’ से अन्दर झाँकने लगा।

अन्दर का नजारा झांटों में आग लगाने वाला था। अन्दर नेहा अपनी 40 इंच की गांड उठाए अपने पति की टांगों के बीच में बैठी थी और शंकरजी के मुरझाए हुए लंड को जोर-जोर से हिला रही थी।

नेहा- शंकर, आज तुम्हारे लंड को क्या हो गया.. कितना चूस रही हूँ, फिर भी ये साला खड़ा ही नहीं हो रहा है?

शंकर ने सिस्कारते हुए- आह उइ.. साली रंडी चूस रही है.. या खा रही है.. तेरी जैसी रांड मैंने आज तक नहीं देखी, अगर मैं या कोई और तेरी चूत में 24 घंटे लंड डाले रहूँ.. तो भी तू ‘और.. और..’ की डिमांड करेगी.. साली छिनाल कहीं की।

नेहा- साले हरामी.. गांडू की औलाद तूने तो बचपन से मुठ मार-मार के अपने लौड़े को ढीला कर लिया.. और अब मुझे छिनाल बोल रहा है.. मादरचोद शादी से ले करके आज तक कभी संतुष्ट किया है तूने मुझे..

यह बोल कर नेहा शंकर के लंड को पूरा अन्दर गले तक उतार गई।

‘सड़प सड़प आह्ह.. आह्ह..’ की आवाजें नेहा के मुँह से आने लगी।

इतने में नेहा ने अपनी मोटी रस से भरी गांड को और ऊपर उठा लिया और जोर-जोर से शंकर के लौड़े को चूसने लगी।

साथ ही नेहा ने अपनी गांड पर से अपनी साड़ी को पूरा ऊपर उठा लिया।

उसकी नंगी मस्त गोरी गांड को देख के मेरे मुँह से भी एक ‘आह’ निकल गई।

क्या मस्त गांड थी यारों उसकी.. काश एक बार मारने को मिल जाए।

उसकी नंगी गांड को देख कर मैं भी मेरे लंड को जोर-जोर से सड़का मारने लगा।

मेरा लंड भी अपने पूरे उफान पर था।

तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे पीछे खड़ा है और जैसे ही मैंने पलट कर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।

मेरे मुँह से बस ‘व्व्रूचि..’ ये ही निकला तभी रूचि ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर मारा और अपनी आँखें दिखाते हुए मेरा हाथ पकड़ कर मुझे घसीट कर नीचे मेरे कमरे में लेकर आ गई।

यारों मेरी तो गांड ही फट गई थी। मेरा दिमाग भी मेरे लंड की तरह ठंडा पड़ गया था और मैं भूल गया था कि मेरा लंड अभी भी बाहर लटक रहा है।

रूचि ने मेरे कमरे का दरवाजा बंद किया और मेरी और घूरते हुए बोली- क्या कर रहा था तू ऊपर? ज्यादा ही जोश चढ़ रहा है तुझे?

दोस्तो.. मैं आपको बता दूँ कि रूचि मेरी बहन भी एक मस्त गर्म माल है.. उसकी हाइट 5.5 फीट है और फिगर 34-32-38 का है।

वो मेरी तरफ गुस्से से घूरते हुए बोली- बोल.. बोलता क्यों नहीं.. क्या कर रहा था ऊपर सासू माँ के कमरे के बाहर?

दोस्तो, वो गुस्सा तो हो रही थी.. पर उसकी नजर मेरे बाहर निकले लंड पर ही थी। वो बार-बार मेरे लंड की तरफ तिरछी निगाहों से देख रही थी।
लेकिन मेरी तो साँस ही अटक गई थी।

मैं बोला- दीदी मुझे माफ़ कर दो।

लेकिन जैसे ही मैंने मुँह खोला उसने दो चांटे और मार दिए। अब मेरी आँखों से आंसू टपकने लगे। लेकिन उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ।
मैंने गाल सहलाते हुए बोला- दीदी आ लग रही है.. मुझे माफ़ कर दो.. अब से ऐसा नहीं करूँगा।

वो कुछ नहीं बोली.. बस मुझे घूरती रही। मेरी तो गांड फट के हाथ में आ गई। मुझे लगा कि अगर इसने पापा-मम्मी को बता दिया.. तो मेरी माँ तो मेरी गांड ही फाड़ देगी। वैसे भी वो बहुत खतरनाक है। मैं यह सब कुछ सोच ही रहा था कि इतने में रूचि मेरे पास आई और मेरे गाल पर हाथ फिराने लगी। अभी भी मैं सुबक रहा था। उसको ऐसा करते देख मैं और सहम गया और डर से काँपने लगा। मुझे लगा आज तो मेरी खैर नहीं.. तभी रूचि ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी। उसने मेरे मुरझाए लंड को अपने नरम-नरम हाथों में पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरे गालों को सहलाने लगी। यह देख कर मैं एकदम से चौंक गया।

तभी रूचि ने बोला- सॉरी भाई.. मैंने तुझको मारा, तुझे बहुत दर्द हुआ न.. ले तू भी मुझे मार ले। बोल के उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक बोबे पर रख दिया। दोस्तो, एक पल को तो मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि यह हो क्या हो रहा है लेकिन अगले ही पल रूचि मेरे सीने से लग गई। वो मेरी और देखते हुए बोली- विक्की मेरे भाई.. तू वहाँ क्या कर रहा था? तो मैं कुछ नहीं बोला.. तभी रूचि ने जोर से मेरे लंड को मरोड़ा, तो मैं दर्द से बिलबिला उठा। उसने फिर पूछा तो मैंने डरते-डरते बोला- वो मैं.. मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो मैं ऐसे ही घूम रहा था कि तभी ऊपर के कमरे से कुछ आवाज आई और मैंने वहाँ जा करके देखा तो.. वहाँ शंकर अंकल और नेहा आंटी दोनों.. दोनों.. कुछ कर रहे थे। यह बोल के मैंने अपनी नजरें फिर से नीचे कर लीं और चुप हो गया।

तभी रूचि ने बोला- क्या कर रहे थे.. सही-सही बता, नहीं तो सुबह मम्मी को सब कुछ बता दूँगी। बोल कर उसने मेरा लंड फिर से मरोड़ दिया। मेरी रूह यह सुन कर और लंड के मरोड़ने से.. अन्दर तक काँप गई। मैंने बोला- दीदी वो.. नेहा आंटी और शंकर अंकल दोनों सेक्स कर रहे थे। तो दीदी बोली- वो सेक्स कर रहे थे तो इसमें क्या बुरा है। वो दोनों पति-पत्नी हैं.. अगर वो सेक्स करते हैं.. तो करने दो! मैं दीदी की ये बातें सुन कर समझ ही नहीं पा रहा था कि वो क्या चाहती है। तभी दीदी ने मेरे लौड़े को धीरे-धीरे सहलाना चालू कर दिया।

मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। मैंने दीदी का हाथ झटकते हुए उसको अपने से दूर कर दिया। ये देख कर दीदी ने मुझे मेरी कॉलर से पकड़ कर जोर से धक्का दिया और मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और फुर्ती से मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। तभी दीदी ने दो और थप्पड़ मेरे गाल पर मार दिए और बोली- कमीने एक तो गलती करता है.. और ऊपर से मुझे रोब झाड़ रहा है। तेरी माँ को चोदूँ भड़वे.. साले गांडू.. रुक तुझे अभी बताती हूँ। वो मुझे ताबड़तोड़ थप्पड़ मारने लगी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है। मैंने उससे बोला- दीदी प्लीज मुझे छोड़ दो.. आप जो बोलोगी.. मैं वो करूँगा। मैं उसके आगे हाथ जोड़ने लगा।

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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होली में बीवी की दो लोगो ने स्पेशल चुदाई किया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/holi-me-wife-ki-2-logo-ne-special-chudai-kiya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/holi-me-wife-ki-2-logo-ne-special-chudai-kiya.html#respond Tue, 27 Feb 2018 11:31:50 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12089 दोस्तों यह एक होली पर मजेदार चुदाई की अनुभव वाली कहानी है है होली में मेरी वाइफ को चुदाई की अनुभव करना था वो भी अनजाने लोगो से हो गया |

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होली में बीवी की दो लोगो ने स्पेशल चुदाई किया
( Holi Me Wife Ki 2 Logo Ne Special Chudai Kiya )

मेरा नाम सुमित सेन है में चंडीगढ़ का रहने वाला हूँ मेरी बीवी का नाम निकिता कौर है | हम दोनों की ही ज़िन्दगी बहुत अच्छे से कट रही थी | एक दिन में रात को में अपने ऑफिस से घर आया तो निकिता ने बताया की आज दिन में स्कूल से घर आते हुए मेरे बेटे को बहुत चोट लग गयी थी मेरा बेटा बहुत शरारती है

सड़क पर दौड़ते हुए किसी बाइक वाले ने उसे टक्कर मार दी थी | मेरी बीवी ने बताया के हमारी ही गली के कुछ लड़कों ने उसकी मदद की मेरे बेटे को हॉस्पिटल पहुचाने की और वो ही उसे वही घर पर भी लेकर आये | मैंने सोचा हमारी गली में कौन ऐसा भला आदमी आ गया | मैंने अपनी बीवी से उसका नाम पूछा तो वो बोली की उसके दोस्त उसे सुन्दर भाई कह रहे थे |

मैंने कहा उसके दोस्त मतलब | उसने बताया की उसके के साथ उसके दो दोस्त और थे | चलो अच्छा है कम से कम कोई तो हमारी गली में है जो भला आदमी है |

“तुमने उसे चाय नाश्ता कराया या नहीं ” मैंने अपनी बीवी से पूछा “मैंने काफी कहा पर वो रुके ही नहीं और चले गए और कह गए है आपके पति के साथ ही किसी दिन बैठेंगे” मुझे बताओ कौन सा घर है में उन्हें जाकर थोडा अपने तरीके से धन्यवाद दे आता हूँ | मेरी बीवी ने मुझे उनका घर बताया और में उनके घर की तरफ चल दिया
उनके घर पहुच कर पता चला वो घर पर नहीं है पूछने पर पता चला के वो पार्क में है में पार्क जो पास ही था वह चला गया
वह जाकर मुझे उन्हें तलाश करने में परेशानी नहीं हुई मैंने वह एक से पूछा तो उसने बता दिया
जब मैंने उसे देखा तो में थोडा सा परेशान हो गया | वो वही गुंडे लोग थे जिनसे में सब डरते थे पर फिर मैंने सोचा एक बार इनको थोडा दारू पिला देता हूँ फिर कभी बात नहीं करूँगा |

मैंने उन्हें अपना परिचय दिया तो उन्होंने मुझे भी वही बैठा लिया | वो सब दारू पी रहे थे | ज़बरदस्ती मुझे भी पेग बना के पिला दिए |
वहां बातों ही बातों में मैंने उन्हें भी एक पार्टी का न्योता दे दिया | वही उसी पार्क में |

अगले दिन मैंने वही पार्क में उन्हें दारू की पार्टी दी | बातों से तो वो सब मुझे भले ही लगे हा बस गलियां ज्यादा दे रहे थे हर बात में माँ बहन की पर मैंने कहा मेरा क्या जाता है वैसे भी में रात को घर आता हूँ तो अकेले पीने से अच्छा है इनके साथ पी ली जाये और टाइम पास भी हो जाएगा फिर तो आम तौर पर में वही पार्क में उन तीनो के साथ पिने लगा |

उनमे एक सुन्दर था उसे सब सुन्दर भाई कहते थे दूसरा सुखजीत और तीसरा फैसल | तीनो ही काफी लम्बे चौड़े थे | उन्हें देख कर तो कोई वैसे ही डर जाये पर मैंने ये भी देखा की वो बिना बात के किसी को परेशान नहीं करते | अभी कुछ दिनों बाद होली का त्योंहार आने वाला था | मेरे बेटे के प्ले स्कूल की भी छुट्टियाँ पड़ चुकी थी तो मैंने उसे उसके दादा दादी के पास भेज दिया |

होली के दिन में अपने घर पर सुबह सुबह ही बीअर पीना शुरू कर चूका था | निकिता ने आज पकोड़े तले थे | मकान मालिक भी मेरे यहाँ आकर थोड़ी सी पी कर चला गया उसका परिवार भी होली पर अपने गाँव गया हुआ था उसने भी मेरे साथ पी और वो भी अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ होली खेलने चला गया अब पुरे मकान पर में और मेरी बीवी रह गए थे |

हम दोनों ने भी खूब जम कर होली खेली मेरी बीवी ने भी आज थोड़ी सी बीअर पी ली थी तो उसे भी सरुर चड़ा हुआ था | वो भी आज मेरे साथ पूरी मस्ती कर रही थी |
उसने साड़ी पहनी हुई थी जिस पर बिना बाँहों का ब्लाउस था वो भी लो नेक का | बहुत ही सेक्सी लग रही थी

हम दोनों ऐसे ही मस्ती करते रहे मैंने कुछ ज्यादा ही पी ली थी मेरा सर घूमने लगा था | मिने सोचा थोडा सा नींद पूरी कर लीं |

ये सोच कर में सोने के लिए जा ही रहा था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई | मैंने सोचा अब कौन आया होगा | मैंने दरवाज़ा खोला तो बाहर सुन्दर खड़ा था |

उसने आते ही मुझे गले लगा लिया और मुझे रंग लगाने लगा | मैंने भी उसे जवाब में रंग लगा दिया वो अन्दर आया और वही बैठ गया वो अपने साथ एक दारू की बोतल लाया था | वो खुद ही किचन में गया और वह से दो ग्लास उठा लाया | मेरा वैसे ही सर घूम रहा था ऊपर से और दारू मुझे तो उलटी आने को हो रही थी पर उसने जबरदस्ती मुझे एक पेग पिला ही दिया अब तो मेरा बुरा हाल था | में वही लेट गया | सुन्दर ने निकिता से कुछ खाने के कहा | तो निकिता किचन से पकोड़े ले आई |

मैं नशे में तो था पर मेरा ध्यान सुन्दर की तरफ ही था | आदमी चाहे जितना भी अच्छा हो दुसरे की बीवी को देखकर उसके मुह में लार टपकने लगती है | मैंने ध्यान दिया की वो बार बार निकिता के उरोजो की तरफ ही देख रहा था |

जब निकिता उसे पकोड़े देने झुकी तो वो उसके ब्लाउस में दिखती उरोजो की लकीर को देख रहा था | और जब निकिता किचन की तरफ जाने लगी तब उसकी हिलते हुए कुलहो को घूरे जा रहा था | मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था पर में कुछ नहीं बोला | तभी उसका फोन बजा उसने बात करते करते कहा की वो भी सुमित के घर आजाये | मुझे फिर गुस्सा आया की वो बिना मुझसे पूछे किसी को ऐसे कैसे मेरे घर बुला सकता है. उसने बताया की सुखजीत और फैसल भी आ रहे है |

मैंने सोचा चलो वो तो जानं पहचान के ही है |

थोड़ी देर में वो दोनों भी आ गए मैंने उन दोनों को भी रंग लगाया और होली मुबारक की अब वो तीनो दारू पिने लगे और मुझे भी एक पेग पिला ही दिया अब तो में बिलकुल बेहोश होने लगा था | में बाथरूम में गया और वहा से उलटी करके वापस आ गया | अब थोडा सा राहत मिली |
पर सर अब भी घूम रहा था |मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया | अब वो निकिता से बातें करने लगे |
बातें करते करते सुखजीत बोला यार होली का मज़ा तो भाभी के साथ ही आता है जब तक होली पर किसी भाभी को रंग नहीं लगाया तो क्या खाक होली खेली |
निकिता ने कहा आपने गुलाल लगाना है तो कोई बात नहीं पर अगर आपने कोई पक्का रंग लगाया तो अच्छा नहीं होगा |

उन्होंने कहा नहीं भाभी हम कोई पक्का रंग नहीं लगाएँगे | सुन्दर सबसे पहले उठा और निकिता के गलों पर रंग लगाने लगा उसने निकिता का पूरा चेहरा गुलाल से रंग दिया | अभी वो रंग लगा ही रहा था की सुखजीत भी पीछे से आकर निकिता के मुहं पर गुलाल मलने लगा निकिता को इसकी उम्मीद नहीं थी तो वो सुखजीत से बचने के लिए थोडा झुकी |

सुखजीत ने उसके चेहरे को कस के पकड़ा हुआ था निकिता ने जब अपना सर झुकाया तो सुखजीत भी थोडा खीच कर आगे को हो गया और उसका अगला भाग निकिता के कूल्हों के साथ सट गया | निकिता ने किसी तरह अपने आप को उन दोनों से छुड़ाया और अलग हुई | मैंने लेते हुए देखा के सुखजीत की पेंट का अगला हिस्सा उभरा हुआ था मतलब उसका लिंग उत्तेजित हो चूका था | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

निकिता ने सोचा होगा अब इनकी होली ख़तम हुई तो अब बस पर तभी फैसल भी खड़ा हो गया और निकिता की तरफ बदने लगा

उसके हाथ में एक पैकट निकिता ने देखा तो वो चिल्ला पड़ी नहीं ये नहीं | वो पक्का रंग था | फैसल बोला भाभी कोई बात नहीं एक बार नहाते ही ये सब उतर जाएगा | वो निकिता की तरफ बदने लगा | मुझे गुस्सा तो आ रहा था पर एक चीज़ मैंने नोट की की ये सब देख कर में भी बहुत उत्तेजित हो रहा था | और मेरा भी लंड बुरी तरह खड़ा हो चूका था |मैंने सोच चलो अब देखते है आगे ये क्या करते है मैं वैसे ही बिस्तर पर आँखें बंद करके पड़ा रहा |

फैसल ने निकिता को आखिर दबोच ही लिया और उसके चहरे पर रंग लगाने लगा | निकिता ने बहुत कोशिश की अपने आप को बचाने की पर फैसल के आगे उसकी एक न चली | उसने बुरी तरह उसका चेहरा रंग दिया | ये देख कर सुखजीत और सुन्दर भी फैसल से रंग ले कर आ गए और निकिता को रंग लगाने के लिए उसको घेरने लगे | अब तो निकिता ने वहा से भागने में ही भलाई समझी |

वो किचन की तरफ भागने लगी | पर सुखजीत ने उसका रास्ता रोक लिया और उसके हाथों पर रंग लगाने लगा इस धक्का मुक्की में कई बार उस का हाथ निकिता के स्तनों को छू जाता | अब सुन्दर और फैसल भी निकिता को रंग लगाने को उसके पास आ गए |

अब उन तीनो ने उसको घेर लिया था | तीनो की आँखों में वासना साफ़ देखी जा सकती थी | और उनका क्या हाल था ये उनकी फूली हुई पेंट बता रही थी | मेरा भी लंड उत्तेजित होकर पजामा फाड़ कर बाहर आने को तैयार था |

निकिता ने उन के बीच में से निकलने की कोशिश की तो फैसल ने उसको पकड़ने की कोशिश की तो जल्दबाजी में उसने निकिता की कमर में हाथ डाल दिया और दोनों हाथों से घेरा बना कर उसे पीछे से कस कर पकड़ लिया |

ओह ये क्या | निकिता के पीछे फैसल बिलकुल उससे चिपक कर खड़ा हो गया और उसको अच्छी तरह से जकड लिया उसका फुला हुआ लंड निकिता की गांड की दरारों के बिलकुल बीच में था | निकिता जितना अपने आप को फैसल से छुड़ाने की कोशिश करती उतना ही वो फैसल से रगड़ खाती और उतना ही फैसल को मज़ा आता | वो भी जान बुझ कर निकिता को दबाये जा रहा था |

और अपने नीचे के हिस्से को निकिता की गांड से रगड़े जा रहा था | इधर सुखजीत और सुन्दर ने निकिता निकिता के बदन का ऊपर का जो भी हिस्सा साफ़ देखा वहां वो कस कस के रंग लगाये जा रहे थे | उसकी गरदन उसकी पीठ हाथों जहाँ भी नंगा हिस्सा था वहां उनका हाथ चलता जा रहा था | निकिता के साथ इस धक्कामुक्की में निकिता की साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया |

अब तो उन तीनो के मुह में पानी आ गया | निकिता के ब्लाउस में झांकती उसकी दोनों स्तनों की लकीर उन तीनो के सामने थी | | मैंने सोचा अब ये क्या करेंगे | कही कुछ ज्यादा ही न हो जाये | निकिता भी अब थोडा तेज़ चिल्लाने लगी थी |

पर उन पर तो अब वासना का भुत चढ़ चूका था | सुन्दर ने एक रंग का पाकेट खोला और निकिता के ब्लाउस की दरार को एक उंगली से हल्का सा उठाया और पूरा पाकेट अन्दर उड़ेल दिया | पूरा रंग निकिता के ब्लाउस में चला गया पर वो रंग सुखा हुआ था |

सुखजीत भाग कर बाथरूम से एक जग में पानी ले आया और उसने भी ब्लाउस को थोडा सा उठा कर पूरा पानी अन्दर डाल दिया | अब निकिता का पूरा ब्लाउस गिला और रंग से सरोबार हो गया था | ब्लाउस गीला होने से अब उसके अन्दर की ब्रा भी अब साफ़ चमकने लगी थी उसे देख कर तो अब तीनो की हवस और बढ गयी | फैसल का हाथ अब निकिता की कमर से ऊपर आ कर उसके चूचो तक आ चूका था |

निकिता ने थोडा सा चिल्ला कर कर कहा तो | फैसल ने उसे छोड़ दिया | निकिता बाथरूम की तरफ भागने लगी | तभी सुखजीत ने निकिता का जो पल्लू जमीन की तरफ था उस पर पाँव रख दिया | निकिता जब भागी तो पल्लू बड़ा होने के कारण उसकी साड़ी खुल गयी निकिता ने अपनी साड़ी उठाना जरुरी नहीं समझा होगा उसे लगा होगा अब तो ये मुझे रंग लगा ही चुके है अब सीधा बाथरूम जाकर नहा लेती हूँ तो वो अपनी खुलती हुई साड़ी को और उतर कर बाथरूम की तरफ भागी | अब ये सीन देख कर तो तीनो मचल उठे भागते हुए निकिता के बदन से चिपका हुआ उसका पेटीकोट उसकी गांड की शेप बता रहा था |

३६ की गांड को देखते ही सुन्दर निकिता के पीछे भागा और निकिता के बाथरूम का दरवाज़ा बंद करने से पहले ही दरवाज़ा पकड़ कर खड़ा हो गया | उसके पीछे दोनों भी निकिता को धकेलते हुए अन्दर की तरफ आ गए | अब निकिता फिर से बाथरूम में उनसे घिर गयी | अब निकिता ने उनको डाटना शुरू किया तो सुखजीत ने कहा देखो भाभी आज होली है |

और आज तो हम आप को तस्सली से रंग लगा कर ही रहेंगे अब चाहे अपनी मर्ज़ी से लगाने दो या फिर ज़बरदस्ती | बोलो क्या करना है | निकिता ने भी अब सोचा के अब ये मानने वाले नहीं है | और वैसे भी इस रगडा रगड़ी में उसे भी जरुर मज़ा आया होगा | उसने भी कहा | देखो रंग लगा लो पर में चुपचाप नहीं लगवाने दूंगी | तुम अपनी कोशिश करों रंग डालने की में अपनी कोशिश करुँगी अपने को बचाने की | ठीक है |

ठीक है भाभी अब आएगा न मज़ा | तीनो ने कहा |

अब होली थोड़ी और गरम होने वाली थी क्योंकि निकिता को भी अब मज़ा आने लगा था | उसे तो लगा था के शायद ये तीनो उसके पति के दोस्त है और सच में वो सिर्फ होली खेलने आये है पर में जानता था क्या चल रहा है |

अब मेरी बीवी उन तीन मर्दों के सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउस में होली खेलने को बिलकुल तैयार हो चुकी थी | फैसल ने तुरंत एक जग पानी उठाया और निकिता के वक्षस्थल की तरफ फ़ेंक दिया एक बार फिर निकिता का उपरी हिस्सा गीला हो गया और उसकी ब्रा, ब्लाउस से झाकने लगी |

फिर तो फैसल ने लगातार ३ ४ बार निकिता के ऊपर जग से पानी डाल दिया जिससे निकिता बिलकुल तरबतर हो गयी | उसका पेटीकोट भी उसकी बदन से बुरी तरह चिपक गया और उसके पुरे बदन की शेप साफ़ साफ़ दिखने लगी | अब तो सुन्दर, सुखजीत और फैसल भी थोडा और निकिता को हाथ लगाने लगे सुखजीत ने जानबूझ कर निकिता के कमर में हाथ डाल कर उसे उठा लिया और कहने लगा की अब तो आप को शावर के नीचे ही गीला करेंगे |

सुखजीत ने निकिता को आगे की तरफ से उठा लिया जिससे निकिता के चुचे सुखजीत के चहरे के सामने आ गए और उसके दोनों हाथ निकिता के पीछे उसकी गांड के नीचे पहुच गए सुखजीत ने निकिता को कस कर पकड़ा और उसे उठा कर शोवर के नीचे ले आया ये देख कर फैसल ने शोवर चालू कर दिया | अब निकिता और सुखजीत दोनों भीगने लगे | सुखजीत ने जिस तरह से निकिता को उठाया था उससे निकिता का पेटीकोट थोडा सा ऊपर को हो गया था | जिस से उसकी टांगों का पिछला हिस्सा नंगा हो गया था | मतलब उसके टांगों का पिछला हिस्सा घुटनों तक दिख रहा था | सुन्दर से रहा नहीं गया और उसने थोडा सा रंग लेकर उसकी टांगों में मसलना शुरू कर दिया |

जब सुखजीत भी अच्छी तरह गीला हो गया तब उसने मेरी बीवी को नीचे उतारा निकिता का एक एक अंग साफ़ दिख रहा था | वो तीनो भी गीले हो चुके थे और तीनो के लंड उनकी पेंट में तम्बू बना रहे थे | सुन्दर अब कुछ ज्यादा ही वहशी हो चूका था क्योकि उसने अपने हाथ में रंग लेकर निकिता के ब्लाउस के ऊपर लगा दिया | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

निकिता ने उसे मन किया पर अब वो कहा मानने वाला था उसने फिर से उसके एक साइड के चुचे पर रंग लगा दिया | अब निकिता को गुस्सा आ गया उसने मन किया की वो अब होली नहीं खेलेगी पर सुन्दर नही माना वो फिर भी उसके चुचों में रंग लगाता रहा |

निकिता बाहर जाने को हुई तो फैसल ने उसको पीछे से दोनों हाथों से पकड़ लिया निकिता के दोनों हाथ अब पीछे की तरफ थे और उसके चुचे सामने की तरफ को तने हुए सुन्दर और सुखजीत बिलकुल उसके सामने खड़े हो गए उनका इरादा कुछ नेक नहीं था | सुखजीत ने निकिता के ब्लाउस में हाथ डाल दिया और उसके चूचो में रंग लगाने लगा निकिता चिल्लाई |

पर उन्हें कोई फरक नहीं पड़ा | सुखजीत उसके दोनों चूचो को भिचने लगा उधर फैसल भी निकिता के पीछे उसकी गांड से सट कर खड़ा हो गया और उसकी गांड पे अपने लंड से घिस्से लगाने लगा | सुन्दर ने भी मौके का फायदा उठाया और उसने निकिता का पेटीकोट उसकी जांघों तक उठा दिया | कसम से तीनो ने इस तरह से निकिता को घेरा था की वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी |

सुन्दर उसकी जांघों पर रंग रगड़ने लगा | निकिता उन तीनो के बीच में तड़पने लगी और बुरी तरह अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी | पर जितना वो हिलती उतना ही तीनो को मज़ा आता | सुन्दर अब निकिता की टांगों को रंग लगा कर उठ चूका था और अब उसने सुखजीत का काम संभल लिया |

मतलब अब वो निकिता के चुचिओं पर पिल पड़ा | सुन्दर ने निकिता के ब्लाउस के हुक खोलने शुरू किये | निकिता अब जोर जोर से चिल्लाने लगी ये देख सुखजीत ने उसका मुह बंद कर दिया | सुन्दर ने कुछ देर में उसके हुक पुरे खोल दिए पर ब्लाउस को उतारा नहीं |

पर उसके मुम्मो को दबाता जरुर रहा, पीछे फैसल अपना लंड लगातार उसकी गांड से रगड़े जा रहा था | फैसल ने अब निकिता के हाथ छोड़े और उसके दोनों चुचे पीछे से पकड़ लिए और जोर जोर से उन्हें मसलने लगा सुखजीत निकिता का मुह बंद करके खड़ा था पर दुसरे हाथ से वो उसकी गांड को भी दबा रहा था | सुन्दर ने तभी निकिता के पेटीकोट के नाड़े को खोलने की कोशिश की पर वो शायद अटक गया था इसलिए उस से वो खुला नहीं | सुन्दर घुटनों के बल नीचे बैठ गया और वही से नाड़े को खोलने लगा पर नाड़ा फंस चूका था | झल्ला कर सुन्दर ने निकिता का पेटीकोट ऊपर उठा दिया और निकिता की चूत पर अपना हाथ रख दिया और उसे भी रगड़ने लगा |

अब तो ये तय था की अब वो मेरी बीवी का कांड करने ही वाले है | फैसल ने पीछे अपना लंड निकल लिया था और निकिता की गांड की दरार पर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था | सुखजीत भी निकिता का मुह छोड़ कर उसके चूचो में मस्त था और सुन्दर नीचे बैठा हुआ निकिता की चूत में उंगली डाले जा रहा था | मैंने निकिता को देखा तो चूत में उंगली डालने पर उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और वो भी सुन्दर के बाल पकड़ कर उसे अपनी चूत की तरफ खिंच रही थी | थोड़ी देर में सुन्दर ने अपना मुह निकिता की चूत की तरफ किया और उसकी दोनों टांगों को चौड़ा किया और अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी | एकदम से निकिता के मुह से आह निकली |

और उसने कस कर सुन्दर के बाल भीच लिए |१ इस से निकिता का पेटीकोट नीचे सुन्दर के सर के ऊपर आ गया अब निकिता की चूत चाटते हुए वो दिख नहीं रहा था पर निकिता का चेहरा देख कर साफ़ था की नीचे सुन्दर की जीभ निकिता की चूत चोद रही है |

बहुत गरम द्रश्य था | सुखजीत ने निकिता की ब्रा को ऊपर किया और उसके निप्पलों को चूसने लगा एक दम कड़क निप्पल हो चुके थे | फैसल पीछे अपना लंड निकाल कर निकिता की गांड पर रगड़ रहा था | काफी देर से रगड़ने की वज़ह से शायद वो झडने वाला था |

हा सच में उसने पीछे निकिता की गांड के ऊपर अपना सारा माल निकाल दिया था और अपने लंड को ख़ाली करने के लिए वो उसे आगे पीछे किये जा रहा था | सुखजीत ने अपना लंड अपनी पेंट से नक़ल कर निकिता के हाथ में दे दिए निकिता उसके तने हुए लंड की मुठ मरने लगी | और सुखजीत उसके चूचो को चूसता रहा | सुखजीत का जल्द ही लंड झड गया और उसने भी अपना सारा माल निकल दिया | अब फैसल और सुखजीत बाहर आ अगये और वही सोफे पर बैठ गए | तभी सुन्दर उठा और उसने झट से बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और अन्दर से कुण्डी लगा दी | कुछ देर बाद अन्दर से शोवर चलने की आवाज़ आने लगी | वो दोनों बाहर हसने लगे |

तभी बाहर घंटी बजी शायद कोई आ गया था | बाथरूम के अन्दर सुन्दर ने भी बेल की आवाज़ सुन ली तो वो भी जल्दी से बाहर आ गया उस वक़्त उसकी पेंट नीचे उतरी हुई थी पर उसका अंडर वियर ऊपर ही था शायद वो बस अब कांड करने ही वाला था |

पर बेल की आवाज़ सुन कर बाहर आ गया था उसने अपनी पेंट ऊपर की और मुझे उठाया |

मैंने भी नशे में होने का नाटक किया और ऐसे उठा जैसे कुछ हुआ ही न हो | मैंने देखा निकिता अंदर बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर चुकी थी | उसकी साड़ी नीचे फर्श पर पड़ी थी | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

सुन्दर भी सोफे पर उनके साथ बैठ गया और तीनो आपस में खुसर पुसर करने लगे | मैंने दरवाजे पर देखा तो मेरे ऑफिस के दोस्त थे | मैंने उन्हें अंदर बुलाया और उनके साथ भी होली खेली उन्होंने पूछा भाभी कहा है तो मैंने कहा शायद नहाने गयी है | मैंने निकिता को आवाज़ लगाई तो उसने अंदर से कहा की अभी वो नहा कर बाहर आ रही है | कुछ देर हम यु ही बातें करते रहे |

थोड़ी देर में वो बाहर आयी तो उसने मेक्सी पहनी हुई थी | उसकी साड़ी तो ये उतर ही चुके थे | हाँ उसके और कपडे तो उसके बदन पर ही थे और मेक्सी तो हमेशा ही बाथरूम में रहती है | उसने बाहर आते ही सब हो होली मुबारक कहा और वही बैठ गयी | उसका चेहरा देख कर लगा नहीं की उसके साथ कुछ भी हुआ है एकदम से रिलेक्स मुड में थी वो |

कुछ देर बातें करने और एक दो पेग पिने के बाद वो सब चले गए तो मैंने सुन्दर से कहा सोरी यार कुछ ज्यादा ही नशा हो गया था इसलिए थोडा सो गया था | उसने कोई बात नहीं भाई तुम सोये तो क्या हुआ भाभी ने तो हमारा पूरा साथ दिया होली खेलने में | वो निकिता की तरफ देख कर मुस्कुराया तो निकिता भी थोडा सा हंस दी | क्यों न हो उसे भी तो मज़ा आया होगा |

दोस्तों कहानी कैसी लगी मुझे बताने के लिए ईमेल करें या निचे कमेंट करें |

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YouTube के चक्कर में दो विदेशियों से चुद गयी | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/youtube-ke-chakkar-me-2-videshiyon-se-chud-gayi.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/youtube-ke-chakkar-me-2-videshiyon-se-chud-gayi.html#respond Sun, 25 Feb 2018 03:28:45 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12081 मेरा नाम कल्पना है यह कहानी एक ग्रुप चुदाई की स्टोरी है मेरी चुत में दो विदेशियों के लंड का दीदार हो गया मेरी चुत में सुजन आ गयी थी चुदवाने के बाद आप लोग मेरी कहानी को पसंद करते है तो निचे कमेंट लिखे |

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YouTube के चक्कर में दो विदेशियों से चुद गयी
( YouTube Ke Chakkar me 2 Videshiyon Se Chud Gayi )

आज मै आप सभी को अपने साथ घटी सच्ची घटना से अवगत कराने वाला हूँ मैंने बहुत मस्ताराम डॉट नेट पर कहानियां पढ़ी है हर एक कहानी का रस और मज़ा अलग ही होता है चुत में मेरी अन्दर से खुजली हो जाती है फिर कैसे ना कैसे भी चुत की खुजली तो मिटानी पड़ेगी आप सब लोग तो समझ ही गए होंगे | तो चलिए मै अपनी सच्ची कहानी पर चलती हूँ | हुआ कुछ यु की मैंने एक youtube पर चैनल देखा उसमे विडियो मस्त मस्त बने थे वो एक विदेशी लड़के का था |

मैंने उसे कमेंट किया की मुझे भी यू ट्यूब चैनल को सुरु करना है उसका रिप्लाई आया की आप अपना मोबाइल नंबर इस ईमेल पर भेजे मैंने अपना मोबाइल नंबर उसके मेल आई डी पर भेज दिया थोड़ी देर बाद उसका कॉल आया | मैंने उससे १ घंटे तक बात किया उसने मुझे पूरा समझाया की मै अपने youtube चैनल की सुरुवात कैसे करूँ |

विडियो कैसे एडिट करूँ सब कुछ उसने जो कैमरा लेने के लिए बोला था वो बहुत ही महगा कैमरा था मेरे लिए उसने मुझे इन कैमेरो के बारे में बताया , , और , और साथ माइक का भी लिंक भेजा जो माइक , और था | अब मेरे पास इतने पैसे नहीं थे की मै खरीद सकू मैंने उसे बताया की मै बड़े घर से नहीं हूँ जो मै इतने महगे महगे सामान खरीद सकू तो उसने बोला की उसके बदले एक काम करने पड़ेंगे मैंने पूछा क्या तो उसने बताया की उसके बदले उसे कुछ देना होगा अभी भी नहीं बताया साफ़ मै समझ गयी की वो क्या चाहता है

मै बोली मै तैयार हूँ बोलो कब तो उसने बोला की वो अभी अमेरिका में है और अगले हफ्ते मेरा सारा सामान लेकर अमेरिका से भारत आएगा और साथ में उसका दोस्त भी होंगा दोनों साथ में ग्रुप में करेंगे | मै तो ठीक है | अब मै अन्दर ही अन्दर बहुत खुश थी की एक तो मेरे घर की कंडीशन ठीक नहीं है और कोई मुझे हेल्प कर रहा और मै उसके बदले अगर सेक्स कर लेती हूँ तो क्या बिगड़ जाएगा और ना तो उसमे मज़ा ही आने वाला है | मेरे मन में भी विदेशी आदमी का लौड़ा चखने का शौक 11वि से ही था | अब मेरा सपना पूरा होने वाला था | अगला हफ्ता आसानी से बीत गया | उसका कॉल आया ही वो अभी अभी डेल्ही एअरपोर्ट पर उतरा है और उसने मेरे बताये गए होटल में रूम बुक कर चूका था | मै उनके पहुचने से पहले ही मै वहा पर पहुच गयी थी |

अब वो लोग होटल के रूम में आये होटल का वेटर उनका सारा सामान लेकर आया मै बेड पर बैठी थी उसने देखकर मुस्कुराया उसका दोस्त उससे भी दुगुना शरीर का था उसका लौड़ा भी पेंट मे से पता चल रहा था | पर मेरे मन में तो मेरे सामान की फ़िक्र थी तभी उसने कैमरा दिखाया मै ख़ुशी से उछल पड़ी और उसके गले लग गयी |

अब मेरे मन में ख़ुशी 100 गुना ज्यादा हो चुकी थी | हमने साथ में चिकन खाया और और फिर एक साथ बेड पर लेट गये | मै बिच में थी वो दोनों मेरे आजू बाजु थे | अब उसके दोस्त ने डायरेक्ट मेरी पैंटी निकाले बिना ही चुत को सहलाने लगा | और वो मेरे बूब्स को पिने लगा अब मेरे मुह से सिस्कारियां निकलने लगी |

तभी उसका दोस्त मेरी पैंटी खोल कर मेरी चुत पर जीभ लगा दिया और अपनी जीभ से मेरी चुत को लबाई में चाटने लगा कभी चुत के किनारों पर गोल गोल घुमाता तो कभी चुत में जीभ डाल देता तो कभी गांड में एक अंगुली डाल कर चुत में जीभ अन्दर बाहर करता |

अभी जेम्स ( बदला हुआ नाम ) मेरे बूब्स पर ही लगा हुआ था अब मै पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी मेरी चुत से पानी की धार निकलने लगी थी जेम्स का दोस्त मेरी चुत का रस पीता जा रहा था मुझे इतना मज़ा आ रहा था मै क्या बोलू आप समझ लो फिर जेम्स ने अपने दोस्त को बोला नाऊ इन्सर्ट बस फिर क्या था उसके दोस्त ने मेरी चुत पर अपना लौड़ा रखा मैंने अपने हाथो से टटोला उसके लौड़े को ये देखने के लिए की कितना मोटा और लम्बा है जैसे ही मेरा हाथ उसके लौड़े से लगा मेरी तो आह निकल गयी उसका लौड़ा इंडियन लोगे के मुकाबले तीन गुना बड़ा और मोटा था अब मेरे मन में चुदाई का भुत सवार था तो दूसरी तरफ ख़ुशी भी थी |

उसने अपने लौड़े हो मेरी चुत पर सेट कर जोर से अपना लौड़ा अन्दर की तरफ घुसाया मेरी चीख निकलने वाली थी की जेम्स ने अपना लौड़ा मेरे मुह में घुसेड दिया मेरी आवाज गु गु करके रह गयी |

मेरी आखो में आसू आ गये फिर भी जेम्स का दोस्त नहीं रुका दुसरे झटके में अपना पूरा लौड़ा मेरी चुत में उतार दिया मेरी आखे नाचने लगी थी उसका लौड़ा अब मेरी चुत में फिट हो चूका था मैंने इशारे में उसको थोड़ा रुकने के लिए बोला अब वो मेरे पेट पर किस करने लगा थोड़ी देर में मुझे आराम मिला फिर उसने अपने धक्के लगाने सुरु कर दिए |

इधर जेम्स अपना लौड़ा मेरे मुह में डाल कर धक्के मर रहा था | मुझे मज़ा आ रहा अब तो जेम्स के दोस्त ने १० -१२ धक्के मारने के बाद मुहे अपने गोद में ले लिया और जेम्स पीछे से आ गया अब दोनों ने मेरी चुत और गांड दोनों भर दिया साथ में मेरे मुह में अपनी जीभ डाल दी की मै चिल्लाऊ तो मेरी आवाज बाहर ना जाने पाए और वो दोनों बिना कुछ बोले बेदर्दी से मेरी चुत का भुर्ता बनाने लगे मेरी चुत से ब्लड आने लगा था मेरी गांड की सील भी खुल चुकी थी और मेरी चुत तो पहले से खुली थी |

थोड़ी देर में मुझे मज़ा आने लगा अब मै खुद से हिलने लगी और वो दोनों लगातार मेरी चुत में धक्के पर धक्का लगा रहे थे | इतने में मेरी चुत से पानी निकल गया पर वो दोनों अपने काम में अभी भी लगे थे थोड़ी देर होने के बाद भी धक्के लगने से मेरी चुत से पेशाब और वीर्य का पानी निकलने लगा पर उन दोनों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी करीब ४५ मिनट तक लगातार वो दोनों मेरी चुत में बिना रुके धक्के पर धक्के मारते रहे आखिर वो पल आ गया जिसका मुझे बेसब्री से इन्तेजार था वो दोनों मेरी चुत और गांड अपने गाढ़े वीर्य से लबालब भर दिए |

जेम्स का दोस्त मुझे बेड पर लिटा दिया मै आज पहली बार लगातार ४५ मिनट चुदी थी वो दो बड़े लंड वाले विदेशियों से जिनको हम ब्लू फिल्मो में देखते है सेम वैसे ही थे दोनों | इस ४५ मिनट में मै १० बार झड़ी थी इसलिए मुझे जल्दी नीद आने लगी मै सो गयी वो दोनों फ्रेश होकर मेरे साथ में सो गये शाम को 5 बजे मै उठी और उन दोनों को भी जगाई |

हमने होटल से टी मगवा के पिया फिर उन लोगो ने मुझे मेरी 2 चीजे दी एक तो  था और दूसरा  था और उन दोनों ने मुझे एडिंग सिखाने के लिए दुसरे दिन ९ बजे होटल आने को बोला | मै सामान लेकर घर की तरफ निकल गयी |

दोस्तों मेरी कहानी अभी बाकि है | आगे की कहानी अगले भाग में सुनाउंगी |

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भाभी के साथ चुदाई का मज़ा ली
( bhabhi ke sath chudai ka maza lee )

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम निखिल है, मैं आपको पहले भी बता चुका हूँ कि मेरी सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं जिनका किसी से भी कोई सम्बन्ध नहीं है अगर होता भी है तो यह मात्र एक संयोग ही होगा। मैं डेढ़ महीने से ज्यादा गाँव में रहा और श्रुति भाभी के साथ काफी मजा किया। मेरी छुट्टियाँ समाप्त हो गई थी इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया। मैं घर आया तब तक मेरे भैया छुट्टियाँ समाप्त करके अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे इसलिये अब मैं अपनी श्रुति भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगा और मेरे व भाभी के शारीरिक सम्बन्ध बनने फिर से चालू हो गये।

मुझे गाँव से आये हुए अभी दस दिन ही हुए थे कि एक दिन शाम को जब मैं क्रिकेट खेलकर घर आया तो देखा कि ड्राईंगरूम में जहरू चाचाजी बैठे हुए थे। उनको देखकर मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको मेरे और श्रुति भाभी के बारे में पता तो नहीं चल गया और वो उसी की शिकायत करने के लिये यहाँ आये हों ?

खैर मैं उनके चरण स्पर्श करके सीधा अन्दर चला गया और जब अन्दर गया तो देखा की निधि (जहरू चाचा जी की बेटी) भी आई हुई थी, बाद में मुझे पता चला कि निधि को नौकरी के लिये कोई परीक्षा देनी है, उसी के लिये जहरू चाचाजी निधि को शहर लेकर आये हैं।

निधि की परीक्षा अगले दिन थी इसलिये वो दोनों उस रात हमारे घर पर ही रहे। अगले दिन परीक्षा के बाद वो जाना चाहते थे मगर मेरे मम्मी पापा निधि को हमारे घर कुछ दिन रुकने के लिये कहने लगे। वैसे तो निधि की छुट्टियाँ ही चल रही थी मगर वो अपने कपड़े लेकर नहीं आई थी इसलिए वो मना करने लगी। इसके लिये मेरी मम्मी ने उनहें श्रुति भाभी के कपड़े पहनने के लिये बताया और आखिरकार निधि रुकने के लिये मान गई। निधि को हमारे घर पर ही छोड़कर जहरू चाचाजी वापस गाँव चले गये।

निधि के रूकने से मेरे मम्मी पापा तो खुश थे मगर इसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा क्योंकि निधि मेरी भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगी और मुझे फिर से ड्राईंगरूम में बिस्तर लगाना पड़ा जिससे मेरे और मेरी भाभी के शारीरिक सम्बन्ध होने बन्द हो गये, हमारे सम्बन्ध बस चूमने चाटने और लिपटने तक ही सीमित होकर रह गये थे, और वो भी तभी होता जब भाभी रात को घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये ड्राईंगरूम से होकर आती जाती थी।

हमारे घर का मुख्य दरवाजा मेरी भाभी ही खोलती और बन्द करती थी क्योंकि रात को भाभी ही घर के काम निपटा कर सबसे आखिर में सोती और सुबह जब दूधवाला आता तो भाभी ही दूध लेने के लिये सबसे पहले उठकर दरवाजा खोलती थी, इसके लिये उन्हें ड्राईंगरूम से होकर गुजरना पड़ता था।

मैं उन्हें कभी कभी वहीं पर पकड़ लेता था मगर अब तो भाभी उसके लिये भी मना करने लगी क्योंकि एक बार जब मैं भाभी को ड्राईंगरूम में पकड़ कर चूम रहा था तो अचानक से निधि आ गई, उसने हमे देख लिया था। इसके बारे में निधि ने किसी से कुछ कहा तो नहीं मगर उसको हमारे सम्बन्धों का शक हो गया था इसलिये वो अब हम दोनों पर नजर रखने लगी, मगर वो जाहिर ऐसा करती जैसे कि उसे कुछ पता ही नहीं हो।

मुझे निधि से चिढ़ सी होने लगी थी, मैं सोचता रहता कि आखिर यह कब हमारे घर से जायेगी और इसी तरह हफ्ता भर गुजर गया।

एक बार रात में बिजली नहीं थी क्योंकि शाम को काफी जोरो से आँधी और बारिश होने के कारण लगभग पूरे शहर की ही बिजली गुल थी। बिजली नहीं होने के कारण सभी ने जल्दी ही खाना खा लिया। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही सो गये और मेरी भाभी व निधि घर के काम निपटाने लगी।

बिजली के बिना पूरे घर में अन्धेरा था, बस मोमबत्ती की रोशनी से ही काम चल रहा था, मैं मोमबत्ती की रोशनी में पढ़ाई तो कर नहीं सकता था, इसलिये खाना खाने के बाद ऐसे ही ड्राईंगरूम में लेट रहा था और भाभी के बारे में ही सोच रहा था।

तभी ड्राईंगरूम के अन्दर कोई आया और बाहर की तरफ चला गया। ड्राईंगरूम में इतना अन्धेरा था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था बस दोनों तरफ के दरवाजे ही बाहर से आने वाली थोड़ी सी रोशनी की वजह से अन्धेरे में दिख रहे थे।

मैं समझ गया कि भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये गई हैं, तभी मेरे शैतानी दिमाग में एक योजना आई, मैं सोचने लगा कि आज चारों तरफ अन्धेरा है और ड्राईंगरूम में तो कुछ भी दिखाई देना मुश्किल है इसलिये क्यों ना आज अन्धेरे का फायदा उठा लिया जाये।

वैसे भी मुझे भाभी के साथ सम्बन्ध बनाये हफ्ता भर हो गया था इसलिये मेरी हवश भी काफी जोर मार रही थी। इस मौके का फायदा उठाने की सोचकर मैं तुरन्त बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और भाभी के वापस आने का इन्तजार करने लगा।

जैसे ही भाभी घर का मुख्य दरवाजा बन्द करके ड्राईंगरूम से होकर वापस जाने लगी, मैंने उन्हें पकड़ लिया और उनकी गर्दन व गालों पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। अन्धेरे में अचानक हमले से भाभी सकपका गई और जब तक वो कुछ समझ सकें तब तक मैंने उनके दोनों होंठों को अपने मुँह की गिरफ्त में ले लिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मजा आ गया।

भाभी ने अपने होंठों को छुड़ाने की भी कोशिश की मगर मैंने एक हाथ से उनकी गर्दन को पकड़ लिया और उनके होंठों को जोर से चूसने लगा।
भाभी काफी डर रही थी, वो मेरा विरोध तो नहीं कर रही थी मगर काफी कसमसा रही थी।

भाभी के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना दूसरा हाथ उनके शर्ट के अन्दर भी डाल दिया और उनके पेट को सहलाते हुए धीरे धीरे उरोजों की तरफ बढ़ने लगा जिससे उनका पूरा बदन कांपने लगा, पता नहीं उन्हें ये कंपकपी डर के कारण हो रही थी या फ़िर उत्तेजना के कारण, मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था |

भाभी ने मेरे हाथ को रोकने के लिये पकड़ना भी चाहा मगर तब तक मेरा हाथ उनके उरोजों तक पहुँच गया था। शर्ट के नीचे भाभी ने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैं ब्रा के उपर से ही उनके उरोजों को मसलने लगा मगर आज उनके उरोज मुझे कुछ छोटे व काफी कसे हुए से महसूस हुए।

और फिर तभी मेरे दिमाग में एक सवाल सा कौन्ध गया…कही यह निधि तो नहीं?

क्योंकि आज मुझे भाभी का व्यवहार भी कुछ अजीब ही लग रहा था, पहले जब कभी मैं भाभी को चुम्बन करता था तो वो हमेशा मेरा साथ देती थी मगर आज वो साथ देने की बजाय कसमसा रही थी और काफी घबरा भी रही थी।

यह बात मेरे दिमाग में आते ही मेरा हाथ जहाँ था वहीं का वहीं रूक गया और मैं बुरी तरह से घबरा गया। मेरी भाभी की व निधि की लम्बाई समान ही थी और उस दिन दोनों ने ही सलवार सूट पहन रखा था इसलिये अन्धेरे में मैं पहचान नहीं सका कि ये मेरी भाभी है या निधि?

मैंने गलती से आज निधि को पकड़ लिया था। निधि भी डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही थी। शायद वो इस वजह से शर्मा रही थी कि अगर वो कुछ कहेगी तो मैं ये जान जाऊँगा कि उसे मेरे और मेरी भाभी के सम्बन्धों के बारे में पता है और उस दिन उसने मुझे व भाभी को देख लिया था, ऊपर से निधि बहुत डरपोक भी थी। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

अब तो मुझे पता चल गया था कि ये श्रुति भाभी नहीं है बल्कि निधि है मगर फिर भी मैंने निधि को छोड़ा नहीं और उसे वैसे ही पकड़े रखा, क्योंकि इतना सब करने के बाद मैं अब अगर निधि को छोड़ देता हूँ तो वो भी समझ जायेगी कि मैंने उसे क्यों छोड़ दिया, अब निधि के जैसी स्थिति में ही मैं भी फँस गया था |

मेरे दिमाग में अब एक साथ काफी सवाल चल रहे थे। निधि को छोड़ दूँ या फिर पकड़े रहूँ? यह मालूम होने के बाद कि ये निधि है और डर व शर्म के कारण कुछ बोल नहीं रही है तो ना जाने क्यों मुझे बहुत रोमाँचित सा भी लग रहा था और रह रह कर निधि के प्रति मेरी वासना भी जोर मार रही थी।

मेरे दिमाग में एक साथ अनेक विचारों का भूचाल सा मच रहा था, मैं सोच रहा था कि अगर निधि डर व शर्म की वजह से कुछ बोल नहीं रही है तो क्यों ना मैं भी इसका फायदा उठा लूँ | आखिरकार वासना मेरे विचारों पर भारी पड़ने लगी और अपने आप ही मेरे हाथों की पकड़ निधि के उरोजों पर फिर से कसती चली गई। मैं निधि के होंठों को कसकर चूसने लगा और साथ ही धीरे धीरे उरोजों को भी मसलता रहा जिसका वो विरोध तो नहीं कर रही थी मगर अब भी कसमसाये जा रही थी।

कुछ देर उरोजों को दबाने के बाद मैंने अपना हाथ निधि के शर्ट से बाहर निकालकर धीरे से उसकी जाँघों की तरफ बढ़ा दिया और सलवार के ऊपर से ही एक बार उसकी बुर को मसल दिया जिससे निधि चिहुँक पड़ी, उसने मेरे हाथ को वहाँ से हटाकर अपनी दोनों जाँघो को भींच लिया।

तभी बाहर किसी की आहट सी सुनाई दी, शायद ये मेरी भाभी थी। अब निधि भी मुझसे छुटाने का जोरों से प्रयास करने लगी इसलिये मैं उसे छोड़ कर अलग हो गया, मैं नहीं चाहता था कि निधि को पता चले कि मैं उनके साथ ये सब जानबूझ कर कर रहा था। मुझसे छुटते ही निधि जल्दी से ड्राईंगरूम से बाहर चली गई।

निधि तो जा चुकी थी मगर मेरे अन्दर हवस का एक तूफान सा उमड़ रहा था इसलिये उस रात मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मुझे नींद आ सकी। मेरी चचेरी बहन तो चली गई पर मेरे अन्दर वासना का तूफान उमड़ रहा था, रात में मैंने दो बार हस्तमैथुन किया तब जाकर मैं सो पाया।

अगले दिन सुबह मैं बिना नाश्ता किये जल्दी ही स्कूल चला गया इसलिये घर में मेरी किसी से भी बात नहीं हुई मगर दोपहर को जब मैं स्कूल से आया तो मेरे दिल में हल्का सा डर था, कहीं निधि ने रात वाली बात किसी को बता ना दी हो?

मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, सब कुछ सामान्य ही रहा और निधि का व्यवहार तो ऐसा था जैसे कल रात के बारे में उसे कुछ पता ही नहीं।

इसी तरह तीन दिन गुजर गये जो बिल्कुल सामान्य ही रहे मगर पता नहीं क्यों निधि के प्रति मेरी सोच को क्या होता जा रहा था, अब वो मुझे बहुत खूबसूरत लगने लगी थी। निधि को गाँव से आये हुए अभी एक हफ्ता ही हुआ था और हफ्ते भर में ही निधि का रंग रूप काफी निखर गया था, ऊपर से वो मेरी भाभी के सलवार सूट पहनती थी जो उस पर इतने खिलते थे उनको देखकर कोई कह ही नहीं सकता कि यह गाँव की वही सामान्य सी दिखने वाली लड़की है।

बिल्कुल गोल चेहरा, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, पतले और सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बी सुराहीदार गर्दन, हाँ उनका वक्षस्थल मेरी भाभी के मुकाबले में कुछ छोटा था मगर उसमें काफी कटाव व कसाव था, लम्बा कद, बिल्कुल पतली सी कमर और उसके नीचे भरे हुए माँसल गुदाज नितम्ब व जाँघें!

उस समय भी निधि के शरीर का कटाव किसी फिल्मी अभिनेत्री से कम नहीं था बस कुछ समय की ही दरकार थी। अभी तक मैंने निधि को कभी ऐसे नहीं देखा था। निधि सही में इतनी खूबसूरत हो गई थी, या फिर पता नहीं उस रात के बाद मुझे ही ऐसा लगने लगा था।

निधि के परिवार और हमारे परिवार के बीच काफी करीबी सम्बन्ध थे, उसके पापा को मैं चाचा ही मानता था मगर फिर भी पता नहीं क्यों मैं निधि के प्रति आसक्त सा होता जा रहा था और दिल ही दिल में उसको हासिल करने कल्पना करने लगा था।

मैंने अपने आप को समझाने की काफी कोशिश भी की मगर जब मुझसे रहा नहीं गया तो आखिरकार मैंने निधि को पाने के लिये एक योजना बना ली और इसके लिये सबसे पहले तो मैंने अपनी भाभी को सारी बात बता दी।

मेरी बात सुन कर पहले तो भाभी गुस्सा हुई मगर फिर मान गई और मेरा साथ देने के लिये भी तैयार हो गई।

करीब दो दिन बाद ही मुझे मौका मिल गया, उस दिन हल्की सी बारिश होने के कारण मौसम थोड़ा सा खराब था इसलिये शाम को मौका देखकर मैंने शार्ट-सर्किट का बहाना करके जान बूझ कर हमारे घर की बिजली खराब कर दी जिससे हमारे पूरे घर में अन्धेरा हो गया।

मैं उस दिन की तरह ही अन्धेरे का फायदा उठाना चाहता था और इसके लिये मैंने अपनी योजना पहले ही भाभी को बता दी थी।
बिजली ना होने के कारण रात को सभी ने जल्दी खाना खा लिया और सोने की तैयारी करने लगे। मेरे मम्मी पापा तो खाना खाते ही अपने कमरे में जाकर सो गये और मैं ड्राईंगरूम में आ गया।

अब बर्तन साफ करना और बचे हुए काम मेरी भाभी व निधि को करने थे।
मेरी योजना के अनुसार भाभी ने पहले ही तबियत खराब होने का बहाना बना लिया और बचे हुए काम निधि को खत्म करने के लिये बोल कर अपने कमरे में जाकर सो गई।

निधि ने करीब आधे घण्टे में ही सारे काम निपटा लिये और अब बस उसे घर का मुख्य दरवाजा बन्द करने के लिये आना था, मगर निधि शायद दरवाजा बन्द करने के लिये आना नहीं चाहती थी क्योंकि काम खत्म होने के बाद भी काफी देर तक वो रसोईघर में ही खड़ी रही, वो असमन्जस में थी कि दरवाजा बन्द करने के लिये जाये या ना जाये!

इसके लिये वो अब भाभी को बता भी नहीं सकती थी, आखिर वो करे तो क्या करे?

कुछ देर तक तो निधि ऐसे ही रसोईघर में खड़ी रही और फिर दरवाजा बन्द करने की बजाय सीधा भाभी के कमरे में चली गई, शायद आज वो दरवाजा बन्द करना ही नहीं चाहती थी, इससे तो मेरी सारी योजना विफल होने वाली थी, मगर फ़िर भगवान ने मेरी सुन ली क्योंकि कुछ देर बाद ही मोमबत्ती जलाये हुए कोई ड्राईंगरूम की तरफ आने लगा।

मैं समझ गया कि यह निधि ही है, वो मोमबत्ती जलाकर इसलिए आ रही है ताकी मोमबत्ती की रोशनी में मैं उसे पहचान लूँ और उस दिन की तरह कोई हरकत ना करूँ मगर आज तो यह सारी योजना मेरी ही बनाई हुई थी।

मैं तुरन्त ड्राईंगरूम के दरवाजे के साथ चिपक गया और जैसे ही निधि ने दरवाजे में पैर रखा सबसे पहले मैंने मोमबत्ती को ही झपटा मारकर नीचे गिरा दिया। मोमबत्ती नीचे गीरते ही बुझ गई और बिल्कुल अन्धेरा हो गया। अचानक हमले से निधि घबरा गई और तुरन्त वापस मुड़ने लगी मगर मैंने उन्हें पकड़ कर ड्राईंगरूम के अन्दर खींच लिया और वो कुछ बोले उससे पहले ही उनके होंठों को अपने मुँह में भरकर बन्द कर दिया। अब निधि के दोनों होंठ मेरे मुँह में थे इसलिये वो कुछ बोल तो नहीं सकती थी मगर कसमसाते हुए पीछे की तरफ हटने लगी।

मैंने भी उसे छोड़ा नहीं और उसके साथ साथ पीछे होता रहा मगर वो ज्यादा पीछे नहीं जा सकी क्योंकि थोड़ा सा पीछे होते ही दीवार आ गई इसलिये अब वो अपने दोनों हाथों से मुझे धकेलने लगी मगर आज मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसे दीवार से सटा लिया और जोरो से उसके होंठों को चूसता रहा।

निधि के होंठों को चूसते हुए ही मैंने अपना एक हाथ उसके शर्ट के अन्दर डाल दिया, नीचे उसने ब्रा पहन रखी थी इसलिये मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों पर अपना हाथ रख दिया।
निधि के उरोजों को मैं चूचियाँ इसलिये कह रहा हूँ क्योंकि वो काफी छोटी थी और मेरी भाभी के उरोजों के मुकाबले में तो वो चूचियाँ ही थी।

मैंने बस एक बार उन्हें हल्का सा सहलाकर ब्रा के किनारे को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसको ऊपर खींचते हुए उसकी दोनों चूचियों को शर्ट के अन्दर ही ब्रा की कैद से आजाद कर लिया। अब उसकी दोनों नँगी चूचियाँ मेरी मुट्ठी में थी जिनको मैं धीरे धीरे सहलाने लगा।

निधि की चूचियाँ मेरी भाभी से छोटी थी मगर भाभी के मुकाबले में काफी सख्त और मुलायम थी, मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे हाथ में रबड़ की कोई गेंद आ गई हो।

मैं ऐसे ही निधि की दोनों चूचियों को मसलता रहा और ऊपर उनके होंठों को चूसते हुए अपनी ज़ुबान को भी उनके होंठों के दरम्यान में धकेलने की कोशिश करने लगा, मगर उसने दाँतों को बन्द कर रखा था जिसके कारण मेरी जीभ अन्दर नहीं जा सकती थी इसलिये मैं उनके होंठों को ही अन्दर से चाटने लगा, फिर कुछ देर बाद ही आहिस्ता आहिस्ता निधि के दाँत अपने आप थोड़ा सा अलग हुए जिससे मेरी ज़ुबान को अन्दर जाने की इजाज़त मिल गई और अगले ही पल मेरी ज़ुबान निधि की ज़ुबान से टकराने लगी!

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]]> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/group-sex/bhabhi-ke-sath-chudai-ka-maza-lee.html/feed 0 मेरी आँखों के सामने बनी मम्मी की चुदाई की फिल्म | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/anal-gand-chudai-female/mere-aakho-ke-samne-bani-mummy-ki-chudai-ki-film.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/anal-gand-chudai-female/mere-aakho-ke-samne-bani-mummy-ki-chudai-ki-film.html#respond Fri, 16 Feb 2018 15:51:51 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11973 दोस्तों यह मेरी मम्मी की चुदाई की फिल्म की कहानी है मै आप लोगो को बताऊंगा की मेरी मम्मी ने अपनी चुदाई की फिल्म मेरी मौजूदगी में बनवाई मेरे सामने गैर मर्दों से चुदाई करवाई |

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हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम रघु है और मेरी माँ का कल्पना है। मेरे अनगिनत बाप है जिनका कोई पता नहीं है। मेरे एक छोटी बहन और नाना-नानी है। मेरी माँ को एक पति का और मुझे एक बीवी का इंतजार है। मेरी बहन १४ साल की है, मेरी उम्र २४ साल है, हाईट ६ फुट २ इंच, मेरे लंड का साईज़ मीडियम है, लेकिन मोटा है और वो में आपको बाद में बताऊंगा। मेरी माँ की उम्र ३६ साल है। हुए ना हैरान वो मेरी सग़ी माँ ही है, में उसी की चूत से इस हसीन दुनिया में बाहर आया हूँ।

दोस्तों मेरी परविश अनाथालय में हुई है, जहाँ में 16 साल की उम्र तक रहा हूँ और पैदा होते ही लावारिस बन गया, क्योंकि मेरी माँ ने जब मुझे पैदा किया था तो उसकी उम्र सिर्फ़ १४ साल की ही थी, में नाजायज़ औलाद था और मेरे बाप का पता तो मेरी माँ को भी नहीं रहा होगा। एक बार टाँगे फैला देने के बाद उसे तो ये भी फ़िक्र नहीं रहती थी कि उसे कौन आदमी चोद रहा है?

दोस्तों जब में 18 साल का था तो एक दिन मुझे लेने पुलिस आई, तो में डर गया, लेकिन बाद में पता चला कि वो मुझे गुमशुदगी के 2 साल पहले लिखवाई गई रिपोर्ट के चलते तलाश रही थी। अब मेरे परिवार वालों का पता चल चुका था और अब में खुश हो गया था कि अब मुझे घर मिल जाएगा। फिर में घर पहुँचा तो बहुत खुश हुआ और सबने मुझे बहुत प्यार किया और फिर में अच्छी तरह से समय काटने लगा। फिर कुछ महीने के बाद में अपने एक नये दोस्त के घर गया, तो वहाँ उसकी बहन शीला ने दरवाजा खोला। फिर मैंने रोहित के बारे में पूछा, तो उसने कहा कि वो घर पर नहीं है बल्कि वो बिल्कुल अकेली है, तो उसने मुझे अंदर बुलाया तो में उसके रूम में चला गया और बिस्तर पर बैठ गया। फिर मैंने कहा कि पानी मिलेगा, तो वो हँसने लगी और बोली कि बीयर की बोतल तो बगल में ही है यहाँ पानी से ज़्यादा शराब पी जाती है, ये इंडिया नहीं है और फिर वो मुझसे इधर उधर की बातें करने लगी।

फिर उसने कहा कि वो कहीं घूमने चलना चाहती है, तो मैंने कहा कि ठीक है और फिर उसने अपनी टी-शर्ट मेरी तरफ पीठ करके उतार दी, उसने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था, तो मेरे लंड को झटका लगा। वैसे भाई मुझे 4 महीनों से सिर्फ़ मुठ ही मारने को मिला था। अब मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था। अब वो सामने की अलमारी में कोई दूसरी शर्ट ढूंढ रही थी, शायद उसे टी-शर्ट नहीं मिली तो वो एकाएक मेरी तरफ घूमी। अब उसकी दोनों गोरी-गोरी चूचीयाँ मेरे सामने थी। फिर उसने मुझसे कुछ कहा, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ उसकी छाती पर ही था। तो वो ज़ोर से बोली कि क्या हुआ? और अपने हाथों से अपनी छाती को ढक लिया और कहा कि तुम्हारे पीछे पड़ी मेरी शर्ट माँग रही हूँ, सुनाई नहीं देता क्या? तो मैंने कहा कि सॉरी। फिर वो बोली कि कभी लड़की को नंगा नहीं देखा है क्या? तो मैंने कहा कि नहीं ऐसी बात नहीं है।

अब जब में चलने के लिए सीढी से उतर रहा था, तो उसकी नंगी चूचीयाँ मेरी आँखो के सामने आ गई और में जानबूझ कर फिसल गया। फिर उसने मुझे पकड़ लिया और हम वहीं पर बैठ गये। फिर उसने कहा कि ज़्यादा चोट तो नहीं लगी, तो मैंने कहा कि दर्द हो रहा है, तो उसने कहा कि चलो वापस घर में बैठते है। अब में तो मचलने लगा था और फ्लेट में घुसते ही बिस्तर पर गिर गया। उसका फ्लेट बहुत बड़ा था। फिर मैंने कहा कि में तुम्हारा फ्लेट देखना चाहता हूँ, तो उसने मेरे पैर की तरफ़ देखा और मुस्कुराई, तो मैंने कहा कि ओह मेरा तो ध्यान ही हट गया। फिर उसने मुझसे पूछा कि और क्या चल रहा है कुछ काम करना है, या पढ़ाई?

तो मैंने कहा कि मुझे मम्मी पापा से पैसे माँगने में शर्म आती है, में कुछ करना चाहता हूँ। में पैसे के लिए कोई भी काम कर सकता हूँ बस क्राइम नहीं और में किसी को तकलीफ़ नहीं पहुँचा सकता हूँ। फिर उसने कहा कि ब्लू फिल्म में काम करोगे? तो मैंने कहा कि क्या? तो उसने कहा कि तुम्ही ने तो कहा कि तुम कुछ भी कर सकते हो, तो मैंने कहा कि तुम मज़ाक कर रही हो।

फिर उसने कहा कि नहीं, में उम्र में छोटी हूँ इसलिए नहीं कर सकती, लेकिन मेरी माँ करती है और जब में २० साल की हो जाउंगी तो में भी करूँगी। फिर मैंने कहा कि तुम मज़ाक कर रही हो, तो उसने लाईट बंद की और नाईट लेम्प जलाकर सामने की दीवार का बड़ा सा पर्दा हटा दिया, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। अब सामने तो फिल्म बनाने की तैयारी चल रही थी, लेकिन मेरी हैरानी इस बात को लेकर थी की वहाँ तो मेरी माँ भी थी, उसने शर्ट और पेंट पहनी थी। फिर शीला ने कहा कि वो मेरी माँ की दोस्त कल्पना आंटी है, वो मेन हिरोइन है, वो बहुत बड़ी रंडी है। अब वो इस बात से अंजान थी कि वो मेरी माँ है। अब वहाँ पर मेरे ही मौहल्ले का बूढ़ा हरदीप अंकल, जिसकी उम्र 60-65 साल होगी और उसका काला लंड बिल्कुल सीधा खड़ा था। अब वहाँ 3 औरतें, 20-25 आदमी और 2 कैमरा मैन और डाइरेक्टर थे।

फिर तभी हरदीप ने जाकर मेरी माँ को पीछे से पकड़ा और उसकी शर्ट के अंदर अपना हाथ डालकर सहलाने लगा, तो मेरी माँ मुस्कारने लगी और वो एकाएक मेरी माँ की चूचीयाँ अंदर से ही पकड़कर मसलने लगा। फिर मेरी माँ ज़ोर से हंस पड़ी। फिर शीला ने कहा कि बस अब वो शूटिंग करने ही वाले है। फिर मैंने कहा कि उनकी आवाज़ें हम कैसे सुन सकते है? अब हमें शीशे की वजह से कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा है, तो उसने एक स्पीकर का बटन ऑन कर दिया। फिर डाइरेक्टर ने कहा कि ओके तो शुरू करें, तो सबने हाँ में हाँ मिलाई। अब मेरी माँ बेड पर जाकर बैठ गई और अपने कपड़े के ऊपर से ही अपने बदन की चूची को मसलने लगी।

फिर तभी वहाँ हरदीप पहुँचा और उसने अपनी पेंट उतार दी और तुरंत अपनी शर्ट भी उतार दी। अब वो बिल्कुल नंगा हो चुका था और अब बूढ़ा होने के बावजूद उसका लंड जबरदस्त था। फिर वो मेरी माँ के पास गया तो मेरी माँ ने तुरंत ही उसके लंड को चाटना शुरू कर दिया। अब हरदीप भी उसकी चूची को उसकी शर्ट के ऊपर से ही दबा रहा था।

फिर मेरी माँ ने अपनी शर्ट भी उतार दी तो उसकी शानदार नंगी चूचीयाँ बाहर निकल आई। अब में तो पागल होने लगा था और फिर मैंने मेरे बगल में देखा तो शीला पूरी नंगी हो चुकी थी और अपनी चूत में अपनी उंगली डालकर पेल रही थी। फिर वो मुझे देखकर मुस्कुराई और मेरे पास आई और मेरे कपड़े उतारने लगी। अब उधर हरदीप ने मेरी माँ को पूरा नंगा कर दिया था और उसकी चूचीयाँ चूसने लगा था। अब वो चूची चूसते-चूसते उसकी चूत में भी अपनी एक उंगली घुसेड़ रहा था।

फिर तभी वहाँ सिमोन आया और उसने भी अपने कपड़े उतार दिए।

अब उसका लंड देखकर तो मेरी गांड ही फट गई थी। उसका लंड करीब 10 इंच का था, तो माँ उसका लंड भी चूसने लगी। अब वो बड़ी ही मादक आवाजे निकाल रही थी और अब वो साथ-साथ कुछ बोल भी कर रही थी, फुक मी आई एम ए होर आई एम ए बिच फुक मी।

अब माँ उन दोनों के लंड एक साथ चूस रही थी। फिर तभी शीला ने मेरे लंड को अपने हाथों से पकड़ा और चूसना शुरू कर दिया और अपने एक हाथ से अपनी चूत को भी रगड़ रही थी। अब उधर हरदीप ने मेरी माँ को बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया। अब वो उसके मुँह मे मुँह डालकर किस कर रहा था और फिर वो उसकी छाती पर चढ़कर बैठ गया और अपना लंड उसके मुँह में दे दिया और सिमोन माँ की दोनों टांगो को फैलाकर उसकी चूत चाटने लगा, तो मेरे मुँह से निकल गया कि वाऊ क्या चूत है?

तो शीला बोली कि रंडी का भोसड़ा है उसमें तो तुम पूरे खुद ही घुस जाओगे। फिर मैंने मन ही मन सोचा कि इसे क्या पता में पूरे 9 महीने उसी में तो था? फिर कुछ देर चूत चाटने के बाद सिमोन ने उसमें अपना लंड पेला तो माँ के मुँह से कराह निकल गई। फिर मैंने कहा कि दर्द हो रहा होगा ना, तो शीला बोली कि बड़े बड़े लोड़ो को पूरा खा जाती है तब तो चिल्लाती नहीं है, ये सब उसका नाटक है, ये फिल्म की शूटिंग है जानू। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर काफ़ी देर तक सिमोन अपना लंड थोड़ा सा उसकी चूत में डालकर यानि कि लगभग 5-6 इंच अंदर डालकर चोदता रहा और फिर उसने ज़ोर से अपना आधे से ज़्यादा लंड मेरी माँ के भोसड़े में घुसा दिया। फिर करीब 20 मिनट तक चोदने के बाद हरदीप और सिमोन दोनों उठे और सिमोन ने अपना लंड उसकी चूत में से निकालने के बाद सीधा माँ के मुँह में डालकर चूसाने लगा। फिर हरदीप भी पीछे से आकर माँ की चूत में अपना लंड डालकर पेलने लगा।

फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी गांड के छेद पर रखकर एक धक्का मारा तो उसका आधा लंड घुस गया और फिर से एक ज़ोर का धक्का मारा तो उसका पूरा लंड माँ की गांड में घुस गया और चुदाई करने लगा। अब वो अपना लंड बाहर निकालकर कभी चूत में डालता, तो कभी गांड में डालता। फिर काफ़ी देर तक चुदाई करने के बाद वो तीनों अलग हुए और उन्होंने पानी वग़ैरह पिया।

फिर माँ ने कॉफ़ी का कप लिया और पीने लगी, तो तभी डाइरेक्टर आया और उसकी चूची को मसलते हुए बोला कि कल का क्या प्रोग्राम है? तो माँ ने बोला कि रात का, तो उसने हँसते हुए बोला कि नहीं दिन का। खैर तुम सब थोड़ा 15-20 मिनट आराम करो, फिर शूटिंग स्टार्ट होगी। फिर माँ ने कहा कि आज कितनों से डलवा सकती हूँ? तो उसने कहा कि अगले शनिवार को इन सारे मर्दों से चुदवाना है, आज तो मैन-मैन शॉट होगा।

फिर तभी शीला उठकर मेरे लंड पर निशाना लगाकर बैठी और धीरे-धीरे मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया और घुड़सवारी करने लगी। उसका बिस्तर इतना शानदार स्प्रिंग वाला था कि अपने आप ही नीचे से धक्का लग रहा था।

अब वो जबरदस्त मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से आहें भरे जा रही थी। अब में उसकी दोनों चूचीयों को अपने दोनों हाथों से मसल रहा था। फिर में उठकर उसकी दोनों चूचीयों को अपने मुँह से बारी-बारी चूसने लगा, तो वो मुझे जकड़कर मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से कूदने लगी।

फिर मेरे लंड का वीर्य पिचकारी मारकर निकलने लगा तो मेरे लंड में बहुत दिनों का माल जमा था तो मेरे लंड से ढेर सारा लंड का पानी पाकर वो भी तृप्त होकर मेरे ऊपर ही सो गई। अब उधर मेरी माँ भी उन दोनों के साथ खूब चुम्मा चाटी कर रही थी। फिर तभी सिमोन और हरदीप दोनों ने मेरी माँ के मुँह में ढेर सारा थूक दिया, तो मेरी माँ वो सब पी गई और उन दोनों के लंड को चाटती रही। फिर तभी सिमोन माँ को घोड़ी बनाकर अपना लंड उसकी गांड में डालने लगा था। अब हरदीप का लंड माँ के मुँह में था और फिर थोड़ी देर तक पेलने के बाद सिमोन ने अपना लंड सीधा माँ की गांड से बाहर निकालकर माँ के मुँह में डालकर चुसवाने लगा।

फिर हरदीप ने भी अपनी पोज़िशन चेंज करके माँ की चूत में अपना लंड पेल दिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा। अब मेरी माँ की मस्त-मस्त चूचीयाँ हवा में लहरा रही थी, जिसे बीच- बीच में हरदीप और सिमोन दबा देते थे और जब कोई नहीं दबाता तो वो खुद ही दबाने लगती थी।

फिर उन्होंने फिर से अपनी पोज़िशन चेंज कर दी और अब हरदीप सोफे पर बैठ गया था, तो माँ ने उसके ऊपर बैठकर उसके लंड को अपनी गांड के छेद पर टिकाया और बैठ गई। फिर सिमोन ने आकर उसकी चूत में अपने काले किंग कोबरा नाग जैसे लंड को भोसड़े में डालकर ज़ोर-ज़ोर से धक्के पे धक्के लगाने लगा। अब मेरी माँ डबल मज़ा ले रही थी, ये दुनिया की हर औरत को नसीब नहीं होता है। फिर सिमोन उठा और माँ के मुँह में अपना लंड दे दिया। अब माँ कभी उसकी बॉल्स चाटती तो कभी लंड और हरदीप माँ की चूचीयाँ दबाए जा रहा था। फिर माँ ने सिमोन की काली गांड भी चाटनी शुरू कर दी। अब वो उसकी गांड के छेद में अपनी जीभ पेल रही थी। फिर काफ़ी देर तक गांड चाटने के बाद वो लोग उठे और कैमरामैन ने एक बड़ा सा टब लाकर वहाँ रख दिया, तो माँ उसमें बैठ गई। अब में तो सब समझ गया था, क्योंकि मैंने बहुत सी ब्लू फ़िल्मों में ये सब देखा था।

अब हरदीप माँ के ऊपर अपना लंड करके ज़ोर जोर से मूठ मारने लगा था। फिर थोड़ी देर के बाद ढेर सारा वीर्य माँ के मुँह में गिरने लगा, तो माँ वो सारा वीर्य निगल गई। फिर हरदीप ने अपना लंड माँ को चटाया और हट गया और अपना लंड साफ करने लगा। अब वहाँ के सारे लोग लाईन लगाने लगे थे।

अब वो बारी-बारी से माँ को अपना लंड चटाते और फिर मेरी माँ के मुँह में, उसकी चूचीयों पर, चेहरे पर वीर्य निकालकर गिराते और अपना लंड चटवाकर साफ करते और फिर चले जाते। फिर से लाईन में लगने के लिए एक मर्द वैसे भी 2-3 बार अपना माल एक ही समय में गिरा सकता है। फिर करीब 40-50 बार लंड की पिचकारियाँ माँ के ऊपर मारी गई।

अब माँ का पूरा शरीर पूरा भीगा हुआ था और वो हर आदमी का वीर्य नहीं पी रही थी। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | अब हर शॉट के बाद वीर्य उसकी चूचीयों की लाईन से होता हुआ उसकी चूत से नीचे गिरे जा रहा था। फिर तभी मुझे लगा कि अब वो पेशाब भी करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने के बजाए बाथरूम में जाकर अपना लंड साफ करके अपने अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए। फिर तभी सिमोन ने वहाँ आकर माँ के मुँह में अपना लंड डालकर चुसवाने लगा।

अब सिमोन जब आह-आह करने लगा, तो माँ ने अपना मुँह खोल दिया, तो सिमोन के लंड से खूब मोटी तेज धार निकलने लगी और उसके वीर्य से मेरी माँ के मुँह, चेहरे, चूची, पेट, बालों पर, वो तो पूरी नहा ली थी और अब माँ वीर्य से पूरी लथपथ हो गई थी, अब माँ काफ़ी ज़्यादा खुश थी। फिर वो खड़ी हुई और सिमोन का लंड चाटकर साफ करके शूटिंग जारी रखी। फिर सिमोन ने बड़े से जग में पूरा वीर्य इकठ्ठा किया, जो लगभग 1 लिटर से ज़्यादा का ही रहा होगा। अब मेरी माँ के पूरे शरीर पर वीर्य लगा हुआ था, अब उनकी आँखों में भी वीर्य चला गया था और बालों में भी ढेर सारा वीर्य लगा हुआ था।

फिर उसने वो जग टेबल पर रख दिया, तो एक औरत वहाँ 3 गिलास, 1 छोटा सा गैस चूल्हा और एक कटोरी भी लेकर आई। फिर बहुत सारे लोगों ने उस कटोरी में थूकना शुरू कर दिया और उसे निकालकर 1 गिलास में पूरा भर दिया। अब उधर वो औरत जल्दी-जल्दी जग से 1 गिलास वीर्य निकालकर उसका आमलेट बनाने लगी थी, क्योंकि वीर्य 10-15 मिनट में पतला होकर पानी की तरह होने लगता है। अब माँ के ऊपर लगा हुआ सारा वीर्य भी टपकने लगा था। फिर जब आमलेट बन गया तो उस औरत ने अपना कपड़ा उठाकर 1 गिलास में मूत दिया, तो सिमोन ने भी उसमें थोड़ा मूत दिया ताकि गिलास पूरा भर जाए।

अब माँ के सामने टेबल पर 1 गिलास थूक, 1 गिलास मूत और आधा लीटर से ज़्यादा वीर्य और दो ब्रेड स्लाइस और वीर्य से बना आमलेट रखे थे। फिर माँ ने आमलेट के एक टुकड़े को तोड़ा और उसे अपनी चूत और चूची पर वीर्य से लपेटा और अपने मुँह में डालकर खाने लगी और फिर उसने 3-4 घूँट थूक भी पीया और पूरा गिलास पेशाब पिया। आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |अब गिलास खाली देखकर वो औरत गिलास को अपनी चूत के पास ले जाने लगी, तो माँ ने कहा कि अभी इतना ढेर सारा ये सब है, ये कौन पिएगा? तो उसने गिलास वापस रख दिया।

फिर माँ ने आमलेट खाना शुरू कर दिया और 1 गिलास में जग से वीर्य निकालकर भर लिया और अपनी एक उंगली को अपनी गांड और अपनी चूत में घुसा-घुसाकर वीर्य को भरती रही और अपने बदन पर लगा वीर्य मलती रही और आमलेट पर लगाकर खा जाती। अब उसने 1 गिलास थूक और 1 गिलास वीर्य पीकर सब खाली कर दिया था और पूरा आमलेट खा गई थी। फिर उसने कहा कि बस अब और नहीं, तो डाइरेक्टर ने इशारा किया, तो वो बोली कि कोशिश करती हूँ और जैसा कि कोशिश अक्सर कामयाब होती है, तो वो 2 गिलास वीर्य और किसी तरह से पी गई और फिर वो इसी हालत में बैठ गई। उसके बाद उसने ना तो बाथरूम में जाकर साफ सफाई की और ना ही कुल्ला किया। अब वो इसी हालत में कैमरे के सामने 15-20 मिनट बैठी रही और उसका इंटरव्यू होता रहा। अब इधर शीला मेरे ऊपर से हटी, तो लंड का पानी मेरे ऊपर फैला हुआ था, तो उसने भी चाटकर पूरा साफ किया। फिर में वो सब देखकर वापस अपने घर चला आया ।।

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पति के दो गॉर्डस से चुत और गांड मरवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/pati-ke-do-gaurds-se-chut-or-gaand-marwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/pati-ke-do-gaurds-se-chut-or-gaand-marwai.html#respond Sun, 28 Jan 2018 11:59:25 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11807 पति के दो गॉर्डस से चुत और गांड मरवाई, जब पति ऑफिस जाते तो मै घर पे अकेली रहती धीरे धीरे घर पे रहने वाले दो गार्ड्स ने मुझे पटा लिया और मेरी भी चुदाने की बहुत इच्छा हो रही थी और गार्ड्स ने भी चोदने के मन बना लिया था फिर हमने कुभ चुदाई का थ्रीसम खेल खेला

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सभी लंड वाले मर्दों के मोटे लंड पर किस करते हुए और सभी खूबसूरत जवान चूत वाली रानियों की चूत को चाटते हुए सभी का मैं स्वागत करती हूँ। ये मेरी पहली स्टोरी है। इसे पढकर आप लोगो को मजा जरुर आएगा, ये गांरटी से कहूंगी।

मेरा नाम लतिका सिंह है। मै गुजरात की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 31 साल है। मेरी जवानी आज भी बरकरार है। सारे मोहल्ले में मेरी जवानी के चर्चे हैं। मेरी खूबसूरती को देखकर सारे मर्द झड़ जाते हैं। मै जब भीं मोहल्ले से गुजरती हूँ सारे मोहल्ले वाले जहां के तहां खड़े होकर मेरे को ताड़ने लगते हैं। मेरी मटकती गांड को देखकर ही अपना लंड खड़ा कर लेते हैं। मै शादी शुदा औरत थी। मेरे हसबैंड एक बिज़नस मैन थे। वो अक्सर बाहर ही रहते थे। मेरे को घर का सारा काम संभालना पड़ रहा था। मेरा एक बेटा था। उसे भी मुम्बई के एक अच्छे से कॉलेज में एडमिशन कराके वही शिफ्ट कर दिया गया था। मैं अकेली ही घर पर रहती थी। मेरे अलावा मेरे घर पर दो गार्ड रहते थे। एक का नाम विनय और दूसरे का नाम प्रीतम था।

वो भी मेरे काम में हाथ बटाते थे। विनय का शरीर बिल्कुल लोहे जैसा था। प्रीतम भी कुछ कम नहीं था। वो भी जवान मर्द था। प्रीतम की उम्र लगभग 29 साल की और विनय की उम्र 26 साल की थी। वो दोनों मेरे को बहोत ही अच्छे लगते थे। दोनों एक से बढ़कर एक फौलादी शरीर वाले थे। दोनों के शरीर को देख कर चुदने का मन कर रहा था। वो दोनों हमेशा भाभी भाभी करते रहते थे। प्रीतम तो शादी शुदा था। वो मेरी तरफ काम ही ध्यान देता था। लेकिन मन उसका भी करता था। विनय तो मेरे को कभी कभी एक टक लगाए घूरता ही रहता था। दोनों कुछ कर नहीं रहे थे बस ताड़ते ही रहते थे। मैं अपनी चूत उन दोनों के हवाले करना चाहती थी।

एक दिन मैं बैठी धूप सेक रही थी। सर्दियों का मौसम था। काफी ठंड पड़ रही थी। बड़े दिनों के बाद धूप भी निकली था। मैंने उस दिन साडी पहनी हुई था। मेरे घर के ग्राऊंड में एक चारपाई पड़ी थी। मैं उसी पर लेटी हुई थी। वो दोनों मेरे को घूर कर देख रहे थे। मैंने अपना पैर उठाकर एक पैर पर रख ली। मेरी साड़ी जांघ तक आ गयी। प्रीतम मेरी गोरी चिकनी टांगो को देखकर बहोत ही खुश हो रहा था। उसने विनय को भी बुला लिया। वो दोनों मेरे टांग की तरफ खड़े होकर मेरी चूत को देखने की कोशिश करने लगे। मैं भी उन दोनों को मजा देने के लिए अपनी साड़ी धीरे धीरे ऊपर करने लगे। उन दोनों के लंड में हलचल मच गयी। कुछ देर बाद मैं उठ गयी। वो दोनों जल्दी से खिसक लिए। मैं प्रीतम को पहले अपने पास बुलाई।

मै: प्रीतम तुम दोनों किस बात को लेकर मेरी तरफ देख रहे थे??

प्रीतम: कुछ नहीं भाभी हम दोनों तो वैसे ही बात कर कर के हंस रहे थे

प्रीतम डर गया। वो हिचकिचा कर बोल रहा था। मैने कुछ देर बाद विनय को बुलाया। उसने भी यही बात बोली।

मै: तुम दोनों मेरे को भाभी कहते हो। तो तुम मेरे देवर हुए. तुम जो भी मजाक करना चाहो कर लो

विनय: भाभी हम लोग आप के बारे में ही बात कर रहे थे

विनय ने मेरे को सारी बाते बता दी। वो मेरे से खुल के सब बता रहा था। मेरा मन भी चुदने का होने लगा। इतने में वो दोनो मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ किये जा रहे थे। मैं बहोत खुश हो रही थी।

प्रीतम: भाभी आप भैया के बिना कैसे इतने दिन काट लेती हो? मेरी बीबी तो एक ही दिन में बेकरार हो जाती है.

मै: कैसे काटती हूँ एक एक पल वो मै जानती हूँ। मेरे को भी डोज़ चाहिए लेकिन कौन दे सकता है। तुम्हारे भैया तो हमेशा बाहर ही रहते है।

प्रीतम: सही कहा भाभी आपने! बहोत तड़प होती है। मैं भी अभी तक कुवांरा हूँ मेरे को भी सेक्स करने का बहोत मन कर रहा है. मैं सोफे पर बैठी थी। मैं अचानक से उठने लगी। मेरी साडी पैर में फस गयी और मै विनय के ऊपर गिरने लगी। उसने मेरे को थाम लिया। वो मेरी आँखो में आँखे डालकर बात कर रहा था। उसकी हवसी नजरे बता रही थी की वो मेरे को चोदना चाहता है।

विनय: भाभी ऐसे न देखो मेरे को, मेरे अंदर हलचल मच जाती है.

भाभी: ऐसी हलचल तो मेरे अंदर रोज मचती रहती है.

विनय: प्रीतम का क्या है उसकी तो शादी हो चुकी है। उसकी बीवी भी उसी के साथ रहती है.

प्रीतम: एक ही सामान से रोज रोज खेलने पर जी भर जाता है। मेरा बीवी से जी भर गया है.

मैं: चलो मैं तुम लोगों को एक नया सामान दिखाऊंगी। लेकिन उसके लिए तुम लोगों को शाम को रुकना होगा.

वो दोनों नयी चूत के बारे में सुनते ही उछल पड़े। मैं भी उन दोनों के साथ अपनी कामना पूरी होने का इंतजार कर रही थीं। वो दोनो भी किसी तरह से शाम का इंतजार कर रहे थे। वह घडी आने ही वाली थी जब मैं उन दोनों से चुदने वाली थी। शाम हो चुकी थी। कामवाली ने आकर तीन लोगों का खाना बनाया। उसके बाद हम तीनो ने खाना खाकर बैठ कर कुछ रोमांचक बाते की। दोनों का चोदने का मूड बना था। मेरे बड़े बडे 34 के मम्मे को घूर रह थे। मैं जल्द ही उन दोनों के साथ अपने बेडरूम में आ गयी। मैंने उस दिन काले रंग की साड़ी पहन रखी थी। लिपस्टिक भी काली लगा रखी थी।

यह कहानी भी पढ़े : पतियों की अदला बदली का खेल

विनय: भाभी काले रंग की साडी में आप कुछ ज्यादा ही हॉट लगती हो!

मै: कुत्तो!! मै तो हर दिन ऐसी ही लगती हूँ। तभी तुम दोनों मेरे को देखकर हमेशा लार टपकाते रहते हो!

प्रीतम: सिर्फ लार टपकाने से क्या होता है। लेने को मिला ही नहीं.

मैं: तुम लोगो ने आज तक मेरे को देखकर लार टपकाया है। आज मैं तुम्हे अपने बदन को चाटने का मौका दूँगी.

विनय: भाभी आप हमसे चुदवायेंगी??

मै: हाँ विनय तुम्हारे भैया भी तो बाहर किसी की चूत पी रहे होंगे.

मैने दोनों को अपने पास कर लिया। वो दोनों मेरे को ताड़ने लगे। मैंने अपने हाथों से साडी को पेट से हटाया। मेरे गोरे पेट पर गहरी चूत सी नाभि को देखते ही दोनो झपट पड़े। विनय मेरी नाभि को चाट रहा था। मैं चुपचाप अपनी नाभि को पीने दे रही थी। उसने अपनी जीभ मेरी नाभि में घुसाकर मेरी सिसकारी निकलवा दी। मैं “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ…ऊँ…ऊँ सी सी सी सी… हा हा हा.. ओ हो हो….” की सिसकारियां निकालने लगी। प्रीतम भी कुत्ते की तरह मेरे बदन को अपनी जीभ लगाकर चाट रहा था। वो मेरी कमर को कस कर दबाये हुए पेट के किनारे किनारे चाट रहा था। दोनों ने मेरे को चाट चाट कर गरम कर दिया। विनय नाभि को ही छेड़ कर खेलता रहा।

प्रीतम ने मेरे गले को किस करते हुए मेरे गालो पर किस किया। वो कुछ देर तक तो मेरे होंठों की खूबसूरती को ताड़ता रहा। फिर उसने अपने होंठो को मेरे होंठो पर टिका दिया। धीरे धीरे से मेरे होंठो को चूसने लगा। मै दोनों के सर पर एक एक हाथ रखे हुए उनके बालो को पकडे हुए थी। मैं जब भी उन दोनों के बालो को पकड़ कर खींचती थी वो दोनो मेरी नाभि और होंठ की चुसाई को तेज कर देते थे। दोनों के इस तरह से करने पर मेरी चूत में आग सी लग गई। प्रीतम की जोरदार होंठ चुसाई से मेरे को सांस लेने तक की फुरसत नहीं मिल रही थी। मेरी सांस फूलने लगी। वो अपनी जीभ को मेरे मुह में डालकर मेरी जीभ से खेलने लगा। विनय ने नाभि पीना बंद किया।

उसने एक एक करके मेरी ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया। मैंने अंदर काले रंग की ब्रा पैंटी पहनी थी। काली ब्रा में फसे हुए मेरे दोनों दूध की तरह बूब्स बहोत ही अच्छे लग रहे थे। विनय ने अपने हल्के हाथों से मेरे बूब्स को दबाया।

विनय: प्रीतम भाई होंठ पीना बंद कर! भाभी के चुच्चे तो और भी ज्यादा मजेदार हैं

प्रीतम: चल भाई आज भाभी के दूध को पीते हैं

मेरी ब्रा को प्रीतम ने निकाल दिया। मेरे दोनों बूब्स आजाद होकर झूलने लगे। बिक्रम और विनय दोनों में मेरे एक एक बूब्स को पकड़ कर पीने लगे। मक्खन की तरह मुलायम दोनों चुच्चो को पी कर वो दोनों मजा काट रहे थे।

मेरी तो जान निकल जाती थी जब वो दोनों मेरे निप्पल को अपने दांतो से पकड़कर खीचते थे। मै“……अई…अई….अई……अ ई….इसस् स्स्स्…….उ हह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” की आवाजे निकाल कर अपने होंठो को काट रही थी। वो दोनो मेरी आवाज के धुन पर ही जैसे पी रहे थे। मै जितनी जल्दी आवाजे निकालती उतनी ही तेजी से वो दोनों मेरा दूध पी रहे थे। दोनों ने एक साथ सब करना शुरू किया। प्रीतम और विनय दोनों ही खड़े होकर अपना अपना पैंट खोलने लगे। दोनों का औजार बहोत ही बड़ा लग रहा था। मै बैठी हुई थी। वो दोनो मेरे सामने अपना अंडरवियर उतार रहे थे।

मेरे मुह के आमने सामने ही उन दोनो का लंड उपस्थित था। अंडरवियर के निकलते ही उन दोनों के साँड़ जैसा लंड दिखने लगा। वो दोनो अपने हाथो में लेकर हिला रहे थे। मै बहोत खुश हो रही थी। इतने दिनों की तड़प दो साँड़ जैसे लंड वाले इंसान मिटाने वाले थे। मैंने दोनो के लंड को हाथ में पकड़ा। प्रीतम का लंड 7 इंच और विनय का लंड लगभग 6 इंच का था। प्रीतम का लंड काला और भयानक दिखता था। लेकिन विनय का लंड गोरा और ज्यादा आकर्षक लग रहा था। मेरे छूते ही उन दोनों का लंड मोटा हो गया। दोनों का लंड मै एक साथ हिला रही थी। धीरे धीरे उनका ढीला खंभा टाइट होकर खड़ा हो गया। मेरे हाथ हटाते ही उनका लंड ऊपर नीचे होने लगा।

विनय: भाभी मेरे लंड को चूसो!

मैंने उसके लंड को पकड़ा और अपने मुह में भर कर चूसने लगी। प्रीतम अपने लंड पर मेरा हाथ रखा के मालिश करवा रहा था। मेरे को बहोत मजा आ रहा था।

प्रीतम ने मेरी साडी निकाल दी। मैं सिर्फ पेटीकोट में हो गयी। मैंने खुद ही अपनी पेटीकोट का नाडा खोला और पैंटी में हो गयी। प्रीतम मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से ही मसलने लगा। मै चुदने को तड़पने लगी। मेरी“..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअ अ….आ हा …हा हा हा” की सिसकारियां बढ़ने लगी। दोनों ने पैंटी को पकड़कर निकाल दिया। मेरी चिकनी चूत की देखकर दोनों के मुह से एक बार फिर से लार टपकने लगा। वो दोनों मेरी चूत को एक साथ मिल कर चाटने लगे। मै बहोत गर्म हो चुकी थी। मेरी चूत के एक एक टुकड़े को एक साथ पी रहे थे।

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बारी बारी मेरी चूत का रस पीकर मेरे को बहोत ही ज्यादा उत्तेजित कर दिया। कुछ देर तक तो उन दोनों ने अपनी अंगुली को ही मेरी चूत में अंदर बाहर करके चुदाई करने लगे। एक साथ चार चार अंगुली डाल कर मेरी चूत के छेद को फैला रहे थे। मै सिसकारियां भरकर अपनी चूत की मालिश कर रही थी। मै चुदने को तड़पने लगी। वो दोनों भी ज्यादा उत्तेजित लग रहे थे। वो मेरी बूब्स को दबाकर मेरी चूत चाट रहे थे। विनय मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। अचानक मेरी चूत में धक्के मार कर वो अपना लंड अंदर घुसाने लगा। मेरी चूत में उसका आधा लंड ही घुसा दिया। मै “ओह्ह माँ….ओह्ह माँ…उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ….” की चीख निकाल रही थी।

वो मेरी चूत में अपना लंड आधे से ज्यादा घुसा दिया। मैं चीखें निकाल कर चुदवा रही थी। वो बार बार धक्के पर धक्का मार कर अपना लंड जड़ तक पेल दिया। प्रीतम को कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। वो अपना हाथ लंड मेरे मुह में रख कर चुसाने लगा। मेरे मुह में वो अपना लंड चूत की तरह अंदर बाहर करने लगा। मेरे को चुदवाने में बहोत मजा आ रहा था। मै अपनी गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी। वो मेरे को जोर जोर से चोदने लगा। आज पहली बार दो मर्दो के साथ सम्भोग कर रही थी। वो दोनो मेरे साथ सम्भोग करके बहोत ही मजे ले रहे थे। विनय की स्पीड धीरे धीरे बढ़ रही थी। वो तेजी से मेरी चूत फाड़ने लगा। वो मेरी चूत को फाड़कर उसका भरता बना डाला। विनय झड़ने वाला हो चुका था। उसने मेरी चूत से अपना लंड निकाल कर मुठ मारते हुए झड़ गया। प्रीतम को मौक़ा मिलते ही उसने मेरे ऊपर चढ़ लिया।

मेरी टांगो को खोलकर वो अपना लंड पेलने लगा। मेरी चूत में उसका 7 इंच का लंड बहोत ही तेजी से घुस गया। वो और भी तेजी से अपना लंड मेरी चूत में घुसाने लगा। मेरी चूत का कचरा बना दिया। मै भी “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्ह ह..अ ई…अई…अई…..” की आवाज के साथ कमर को मटकाते हुए चुदवा रही थी। विनय ने सिर्फ मेरी चूत को भरता बनाया था। लेकिंन प्रीतम के लंड ने तो उसकी चटनी निकलवाने पर तुला था। वो तेजी से अपने लंड को मेरी चूत में कमर उछाल उछाल कर चुदाई कर रहा था। मैं भी उसका साथ दे रही थी। मेरे को बहोत ही आनंद आ रहा था। विनय का लंड एक बार फिर से तैयार हो गया। प्रीतम ने मेरी चूत से चटनी की निकाल दी।

मै “अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…”, की आवाज के साथ झड़ गयी। मेरी चूत से निकले माल को उन दोनों ने अपना मुह लगाकर पिया। पहली बार किसी ने मेरी चूत को इस तरह से चाटकर मजा दिया था। मेरे हसबैंड तो डायरेक्ट चुदाई पर ही भिड़ जाते थे। 8 10 झटकें मार कर झड़ जाते थे। आज मेरे को चुदाई का असली मजा आ रहा था।

प्रीतम: भाभी आपकी चूत गीली होने के साथ साथ ढीली भी हो चुकी है। मेरे को ममजा नहीं आ रहा है

मै: चोदो! और चोदो! मेरी चूत को आज इसका सारा रस निकाल दो!

विनय: भाभी मेरे को आपकी टाइट गांड चोदनी है( मेरी गांड पर हाथ मारते हुए बोला)

मै: ठीक है सालो चूत के साथ साथ गांड को भी फाड़ डालो!

इतना कहकर मैं खड़ी होकर झुक गयी। विनय तेजी से मेरी गांड की तरफ लपकते हुए आ गया। विनय ने मेरी गांड के छेद पर अपना लंड कुछ देर तक रगडा। उसके बाद छेद में अपना लंड धकेलने लगा। उसके लंड का टोपा बड़ी मुश्किल से मेरी गांड में घुसा था। वो जोर जोर से धक्के मार कर अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया। पूरे लंड से वो मेरी जोरदार की चुदाई कर रहा था। मेरी गांड फट गयी। उधर मेरे मुह को पकड़कर प्रीतम अपना गीला लंड चुसाने लगा। पहली बार मैंने उसके लंड पर लगे अपनी चूत के माल को चखा था। प्रीतम मेरी जीभ के रगड़ से झड़ गया। विनय दूसरी बार चुदाई कर रहा था। वो मेरी गांड में ही अपना लंड डाले हुए सारा माल निकाल दिया।

मेरे को गांड में कुछ गरमा गरम लगा। विनय का लंड भी धीरे धीरे सिकुड़ कर बाहर निकल आया। हम तीनों रात भर बिस्तर पर नंगे ही पड़े रहे। उस रात प्रीतम और विनय ने मेरी जवानी का खूब मजा लूटा। उसके बाद आज तक वो दोनों मौक़ा मिलते ही मेरे साथ सेक्स करना शुरू कर देते हैं। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए मस्ताराम.नेट पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।

 

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पतियों की अदला बदली का खेल | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wife-swapping/patiyon-ki-adla-badali-ka-khel.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wife-swapping/patiyon-ki-adla-badali-ka-khel.html#respond Fri, 26 Jan 2018 14:54:17 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11797 मैंने शादी के बाद पहली पतियों की अदला बदली का खेल खेला था अदल बदल के मेरी चुदाई हुयी मुझे मज़ा तो खूब आया पर थोडा डर भी रही थी क्योकि पहली बार था ना तो थोडा अन्दर ही अन्दर अजीब सा लग रहा था |

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पतियों की अदला बदली का खेल ( Patiyon Ki Adadla Badli Ka Khel )

हेल्लो मेरे प्यारे प्यारे देवर राजाओं कैसे है आप सब आज मै जानकी देवी अपनी सच्ची चुदाई की घटना जो मेरे साथ घटी आप सभी को टाइम निकाल के भेज रही हूँ आशा करती हूँ आप लोग मजे से पढेंगे | पतियों की अदला बदली का खेलआशा है कि आपको अच्छी लगेगी। मेरे पतिदेव शैलेश की अकस्मात मौत के बाद मेरी शादी मेरे देवर से करवा दी गई जो कि सिंगापुर में रहते हैं। उनकी पत्नी का भी एक एक्सीडेंट में 3 साल पहले देहांत हो गया था। मैं उस समय कॉलेज में पढ़ ही रही थी। दो तीन महीने बाद मेरी शादी की बात चली और मेरे जेठ का नाम बीच में लाया गया। काफी विचार विमर्श के बाद यही तय हुआ कि हमारी शादी कर दी जाये। उन्होंने मुझे पहले पढाई खत्म कर लेने के लिए कहा। पढाई ख़त्म हो जाने के बाद वो मुझे ले जायेंगे।

मेरे सास ससुर को भी यह बात ठीक लगी। मेरे जेठ रघु लम्बे कद के ताकतवर पुरुष हैं। अभी तो मेरी दूसरी साल ही चल रही थी। वो हर साल दो बार घर आया करते थे। शादी के तुरंत बाद जब हमें एक कमरे में साथ में सोने को भी मिला तब भी उन्होंने मेरे साथ कुछ नहीं किया। शायद भाई की मृत्य के सदमे ने उन्हें कुछ भी करने से रोक रखा था। मैं खुद से तो क्या कहती।

पर ६ महीने गुजर चुके थे। धीरे धीरे समय बीतने लगा और मैं पढाई में ध्यान देने लगी। गर्मियों की छुट्टीओं में रघु घर आये। मेरे दूसरा साल खत्म हो गया था। रिजल्ट भी अच्छे आये थे। मैं खुश थी. रात के खाने के बाद वो मेरे सास ससुर से बातें करने लगे और मैं बर्तन धोने लगी। सास ससुर उन्हें समझा रहे थे कि जानकी को कहीं बाहर घूमने ले जाओ , उसका भी दिल बहल जायेगा। अब तो उसकी परीक्षाएं भी ख़त्म हो गई हैं। रघु उन सब बातो को चुप चाप सुनते रहे और कहा की छुट्टियां काफी काम हैं और काम काफी ज्यादा।

कभी बाद में समय मिलने पर घुमा लाएंगे। मैं सब सुन रही थी और मन ही मन बहुत उदास हुई। पति को गुजरे हुए १ साल से ज्यादा हो गया था। अब मेरा भी मन करता था कि फिर से कोई मेरे बदन से खेले। सास ससुर नीचे अपने कमरे में सोते थे। हमारा कमरा ऊपर था और सामने छत थी। गर्मी अधिक थी पर मेरे कमरे में एयर कंडीशनर लगा हुआ था। बर्तन साफ़ हो जाने के बाद मैं अपने कमरे में जाने लगी।

ससुर जी रघु को समझा रहे थे कि वो मेरा ख्याल रखें। कमरे के अंदर जाकर मैं चेंज करने लगी। सास ससुर के सामने मैं साड़ी ब्लाउज पहनती थी पर अपने कमरे के अंदर मैं मैक्सी या स्कर्ट टॉप पहन लिया करती थी। जब रघु कमरे में अंदर आये तो मैं साड़ी उतार चुकी थी और ब्लाउज और पेटीकोट में थी।

ब्लाउज के हुक खोल रही थी कि दरवाजा खुला और वो अंदर आ गए। मुझे चेंज करता देखकर वो बाहर जाने लगे तो मैंने उन्हें रोकते हुए कहा कि प्लीज आप मेरी वजह से बाहर न जाएँ। मैं बाथरूम में चेंज कर लूंगी। वैसे भी आप मेरे पति हो। आपके सामने कपडे बदलने में मुझे कोई शर्म नहीं आनी चाहिए। रघु को डाइवोर्स लिए ३ साल हो चुके थे। शायद उन्हें भी अब शरीर की भूख सताने लगी थी।

ऊपर से २१ साल की कमसिन मैं। किसी का भी मन डोल सकता था। मैंने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें बिस्तर पर बिठा दिया। उनकी तरफ पीठ करके ब्लाउज उतारने लगी। सामने शीशे में खुद को देखते हुए ब्लाउज के बटन खोल रही थी। शीशे में देखा तो वो मेरी तरफ ध्यान से देख रहे थे। हिम्मत करके मैंने धीरे से ब्लाउज उतार दिया। वो एक टक मेरी ओर देखे जा रहे थे।

मेरा फिगर 36C – 26 – 38 है। अब मुझे बड़ी शर्म आने लगी कि पता नहीं वो क्या सोचेंगे। मैंने जल्दी से सामने पड़ी मैक्सी पहन ली। फिर मैं उनके पास आकर बैठ गई। उनसे सिंगापुर के बारे में बातें करने लगी।

थोड़ी देर यहाँ वहां की बातें करने के बाद वो पूछने लगे कि क्या तुम रोज़ यही कपडे पहन कर सोती हो ? मैं क्या कहती। मुझे चुप देख कर वो कहने लगे कि रात को सोते वक़्त ढीले कपडे पहनने चाहिए। मैंने कहा मैंने मैक्सी पहनी तो है। वो कहने लगे और अंदर इतने टाइट कपडे पहने हैं उसका क्या ?तब तो बड़ा कह रही थी कि पति के सामने शर्म। मैंने शर्माते हुए कहा कि मुझे शर्म आती है। वो कहने लगे कि अच्छा अगर मैं उतारूँ तो? मैंने कहा आप तो मेरे पति हो आपका तो हक़ बनता है। वो कहने लगे कि जानकी मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो मेरी तरफ से तुम्हें कोई तकलीफ न हो। फिर उन्होंने मुझे खड़े होने को कहा। वो खुद मेरे पीछे खड़े हो गए. मेरी मैक्सी के ऊपर से ही उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया।

मेरी मैक्सी धीरे धीरे ऊपर उठाई और मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। पेटीकोट सरक कर तुरंत नीचे गिर गया। प्यार से मेरी गर्दन के पीछे किस किया और कहा यह मैक्सी ही काफी है कुछ और मत पहना करो रात में सोते समय। मैंने सामने से अपनी मैक्सी के अंदर हाथ डालकर अपनी ब्रा को बहार निकाला और फिर अपनी पैंटी भी उतार दी। अब मैं सिर्फ मैक्सी में थी। मेरे कन्धों को पकड़कर उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया। मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और सोचा की शायद अब वो मुझे किस करेंगे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

वो ऐसे ही मुझे देखते रहे और फिर कुछ ना होता पाकर मैंने अपनी आँखें खोल दी। मैंने उन्हें अपनी आँखों में देखते हुए पाया। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि रात बहुत हो गई है अब सो जाना चाहिए। हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। मेरी तो हिम्मत ही नहीं हो रही थी उनसे बातें करने की। उन्होंने ही बातें शुरू की , मेरे रिजल्ट के बारे में पूछा। घर के हालातों के बारे में पूछा। यह भी पूछा की मुझे क्या अच्छा लगता है। कॉलेज में दोस्तों के बारे में। सहेलियों के बारे में। मैं सब बताती रही। एकदम से वो पूछ बैठे कि कॉलेज में मेरी सहेलियों के बॉयफ्रेंड तो होंगे ?

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मैंने कहा हाँ हैं तो। तुम्हारा तो कोई बॉयफ्रेंड नहीं है ना ? मैंने कहा रघु आप भी ना कैसी बातें करते हैं। वो पूछने लगे कि कॉलेज में मेरी सबसे सबसे अच्छी दोस्त कौन है? मैंने कहा कविता मेरी सबसे अच्छी दोस्त है। उन्होंने पूछा कि कविता का कोई बॉयफ्रेंड है ? मैंने कहा हाँ है तो ? वो कहने लगे कि फिर तो उसने कविता के साथ के साथ बहुत कुछ किया होगा ? और कविता ने तुम्हें सब कुछ बताया भी होगा ? मैंने कहा हाँ कविता मुझे सब कुछ बताती है। रघु पूछने लगे कि क्या क्या किया उन्होंने ?मैंने कहा मुझे शर्म आती है। इसपर रघु ने कहा कि बताना तो पड़ेगा। फिर वो वही सब मेरे साथ भी करेंगे। मैं तो खुश हो गई। मैंने कहा मैं जरूर बताउंगी की कविता के बॉयफ्रेंड ने उसके साथ क्या क्या किया।

पर अभी तो आप वो सब करो मेरे साथ जो आप चाहते हो। मेरी परमिशन मिलने पर वो बिस्तर से उठ गए , मुझे इशारा किया कि मैं भी उठ जाऊं। मैं उठ कर खड़ी हो गई। उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों में भरा और अपने होंठ मेरे थरथराते होठों पर रख दिए।

बड़ी देर तक मेरे होठों को चूसते रहे। उन्हें भी कई सालों में कुछ नहीं मिला था। मैं भी साल भर से प्यासी थी इसलिए मैंने भी पूरा सहयोग किया। करीब 15 मिनट के बाद मैंने महसूस किया कि उनके हाथ मेरी पीठ पर चल रहे हैं। वो अपने हाथों से मुझे कस रहे थे जिससे मेरे बूब्स उनके सीने से चिपके जा रहे थे। थोड़ी देर में ही उनका एक हाथ मेरे चूतड़ तक पहुँच गया।

मैक्सी के ऊपर से ही वो मेरे हिप्स को महसूस करने लगे। जब उन्होंने मेरे होठों को थोड़ी देर के लिए छोड़ा तो मैंने कहा : आप कहें तो मैं मैक्सी उतार दूँ ?

उन्होंने प्यार से मेरे हिप्स दबाते हुए कहा : तुम क्यों तकलीफ करोगी अब से मैं ही तुम्हारे कपडे उतरूंगा और मैं ही पहनाऊंगा। मेरा मन तो ख़ुशी से नाच उठा। उन्होंने मेरी मैक्सी कमर तक ऊपर उठाई और मेरी नंगी कमर पर हाथ फिराते हुए मेरे हिप्स पर ले गए। क्या बताऊँ इतना मज़ा आ रहा था मन कर रहा था कि वो यह सब बस करते ही रहें। मेरी मैक्सी कमर तक चढ़ी हुई थी।

कमर से नंगी थी। उन्होंने मुझे बिस्तर पर बिठा दिया और खुद बिस्तर पर चढ़ कर दीवार पर बैक रेस्ट लेकर बैठ गए। मेरे कन्धों पर हाथ रखा और अपनी ओर खींच लिया। अब मैं उनके पैरों के बीच बैठी थी और मेरी पीठ उनकी तरफ थी। उन्होंने मेरे कन्धों को चूमना शुरू किया। गर्दन के पीछे जब वो किस कर रहे थे तो इतना अच्छा लग रहा था। कितने समय बाद यह सब हो रहा था।

मेरा तो मन कर रहा था कि यह सब कभी ख़त्म ना हो। मेरी गर्दन के पीछे किस करते करते उन्होंने अपने हाथ आगे करके मेरे बूब्स को अपने हाथों में भर लिया और उन्हें अपने मजबूत हाथों में उठा लिया और हलके हलके मसलने लगे। अभी भी वो मैक्सी के ऊपर से ही यह सब कर रहे थे। मैं तो लम्बी लम्बी साँसे भर रही थी और वो मेरे बूब्स मसले जा रहे थे। फिर उन्होंने अपनी टी शर्ट उतार दी। अब वो सिर्फ शॉर्ट्स में थे। मेरी मैक्सी भी धीरे धीरे करके उतारने लगे। मैंने भी अपने हाथ ऊपर कर दिए ताकि वो आराम से मैक्सी उतार सकें।

एक बार फिर से उन्होंने मेरे बूब्स अपने हाथों में भरे और मसलने लगे। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था , कई दिनों के बाद कोई मर्द मेरे बदन से इस तरह खेल रहा था। और सबसे बड़ी बात मेरे जेठ जो कि मेरे पति बन गए हैं मेरे साथ यह सब करने के लिए तैयार हो गए हैं। लग रहा था कि अब यह रिश्ता नार्मल हो जायेगा और हम पति पत्नी की तरह रह पाएँगे। काफी देर बूब्स मसलने के बाद और गर्दन के पीछे किस करने के बाद उन्होंने मेरी कमर पर हाथ फिराना शुरू किया। मेरी झांघें सहलाने लगे। पेट के निचले हिस्से पर भी हाथ फिराने लगे।

शायद वो मेरी चूत को छूना चाहते थे। उनका इशारा समझकर जब भी उनके हाथ मेरी चूत के पास आते मैं अपनी टाँगे और खोल लेती। आखिरकार उनका हाथ गया। उन्होंने जल्दी से अपना हाथ वहां से हटा लिया। इसका कारण मुझे बाद में पता चला। उन्होंने जल्दी से मुझे पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी बगल में लेट गए करवट लेकर। मेरे होठों पर अपने होंठ कर दिए और किस करने लगे।

यह हमारा पहला चुम्बन था। वह हलके हलके मेरे होठों पर अपने होंठ फिरा रहे थे। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। अब रिश्ता नार्मल होता लग रहा था। लग रहा था जैसे अब सब कुछ ठीक हो जायेगा और हर रात मुझे पति का सुख मिलेगा। मैं चाहती थी कि वो मेरे साथ वो सब करें जो वो चाहते हैं और मैं उनका साथ दूँ। थोड़ी देर में उन्होंने मेरे निचले होंठ को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

जब वो थोड़ी देर को रुके तो मैंने भी उनके ऊपरी होंठ को अपने होठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया। मेरा इस तरह साथ देना शायद उन्हें अच्छा लगा। उन्होंने अपना दायाँ हाथ मेरे बाएं बूब पर रखा और उसे दबाने लगे। फिर अचानक मेरे होठों को छोड़कर मेरे बाएं बूब के निप्पल को अपने मुँह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगे। मैंने उनके बालों में हाथ फिराने लगी। थोड़ी देर बाद भी जब उनकी स्पीड काम नहीं हुई तो मैंने कहा मैं कहीं भागी नहीं जा रही। आप आराम से कीजिये। उन्होंने फिर मुझसे पूछा कि तुम्हें कैसा लग रहा है। मैंने कहा मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। यह अच्छा हुआ कि हमारे बीच की दूरियां कम हो गई हैं। वो मेरे एक बूब को चूसते और दूसरे को अपने हाथों से मसल रहे थे।

एक सवाल करते और फिर बूब चूसने में बिजी हो जाते। वो पूछते रहते बीच बीच में कि मुझे दर्द तो नहीं हो रहा ? क्या मैं उन्हें अपना पति मान चुकी हूँ ?

क्या वो ठीक से कर रहे हैं ? मैं हर सवाल का जवाब देती जा रही थी और एन्जॉय करती जा रही थी। उन्होंने कहा कि वो अपनी छुट्टियाँ बढ़वाने की सोच रहे हैं। मैं तो खुश हो गई। और पलटकर मैंने उन्हें होठों पर किस कर दिया। फिर उन्होंने कहा कि हम हनीमून पर न जाकर मम्मी पापा को तीर्थ यात्रा पर भेज देते हैं। घर पर अकेले बहुत समय मिलेगा और मैं तुमपर ध्यान दे पाउँगा जो मैं इतने समय से नहीं दे पाया। मुझे भी उनका सुझाव अच्छा लगा। मैंने उन्हें कस कर बाँहों में जकड लिया और अपने होंठ उनके होठों पर रख दिए यह कहते हुए की रघु मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ। आपके लिए कुछ भी करुँगी। उन्होंने भी जवाब में मुझे बहुत किस किया और बूब्स मसले। मेरी चूत तो पानी छोड़े जा रही थी।

मैं खुद से ऐसा कैसे कहती की चोदो मुझे बस ऑर्गैस्म पर ऑर्गैस्म हो रहे थे और एक वो थे की अंदर आने का नाम ही नहीं ले रहे थे। आखिर कार वो भी थक गए और सो गए। मैं काफी देर तक सोचती रही की उन्होंने इतना सब कुछ होने के बाद भी आखिर मेरी चुदाई क्यों नहीं की ?

अगले दिन सुबह वो मुझसे पहले उठ गए। जब मैं नाश्ता बनाने नीचे पहुंची तो वो मेरे सास ससुर के साथ बैठे चाय पी रहे थे और उनके जाने का प्रोग्राम उन्हें बता रहे थे। सास ससुर ने पहले तो थोड़ी आना कानी की फिर मान गए। जब तक मैं नाश्ता बना कर लायी तब तक तो रघु ने उनके जाने के लिए टिकट भी बुक करवा दिए थे। ३ दिन बाद उनकी रवानगी थी। यह तीन दिन कैसे कटेंगे यही सोच सोच कर मैं परेशान हो रही थी और रात वाली बात सोच कर भी। आखिरकार दिन निकला और रात आ गई। मैं कुछ ज्यादा ही बन संवर कर तैयार हो रही थी। इस रात भी उन्होंने मुझे नहीं चोदा। मैं लाज शर्म के मारे उनसे पूछ भी नहीं पायी कि उन्होंने ऐसा क्यों किया ? हर रात को ऐसा ही होता था और मेरी हिम्मत नहीं होती थी पूछने की। ऐसा करते करते तीन दिन बीत गए। आज दोपहर को सास ससुर को जाना था। मैं सुबह से ही किचन में लगी थी। यह सामान पैक कर रहे थे। रघु उन्हें ट्रेन में बिठाने के लिए ग्यारह बजे घर से निकले , मुझसे कहके गए कि एक बजे तक घर वापस आ जाऊंगा। मैं नहाने चली गई।

नहा धोकर मैंने सलवार सूट पहन लिया और बैडरूम में आकर बैठ गई। बहुत सोचा कि आज तो जरूर पूछूंगी रघु से कि उन्हें मेरे साथ सेक्स करने में क्या तकलीफ है ?

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए पेज नंबर पर क्लिक करें ….

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]]> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wife-swapping/patiyon-ki-adla-badali-ka-khel.html/feed 0 संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/sandhya-ne-apne-pati-ke-sath-threesome-chudai-karwai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/indian-wife-sex-stories/sandhya-ne-apne-pati-ke-sath-threesome-chudai-karwai.html#respond Wed, 24 Jan 2018 04:06:08 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11783 मुझे चूत पर जाने को कहा मैं संध्या के पैर अपने कंधे पर उठाके संध्या को पेलने लगा संध्या फिर से गरम हुई थी वो भी मेरे साथ साथ नीचे से धक्के लगाके मेरा साथ देने लगी |

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संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई

नमस्कार दोस्तो, मैं अमित सेठ आप का स्वागत करता हूँ और आप सभी का धन्यवाद करता हूँ कि अपने मेरी कहानी नागपुर के माल मे मिली मडम की चुदाई को पढ़ कर मुझे बहुत प्यार दिया। बहुत सारे मेल किए, दोस्तो, मैं कभी भी लड़की या महिला का ईमेल पता या उनका नंबर या हमारी बातचीत को आगे नहीं बता सकता, इसलिए आप निश्चिन्त होकर पहले की तरह बातें करते रहिये। आप मुझ से फेसबुक पे भी अमित सेठ नामकी आय डी जुड़े रहिये।

दोस्तो आपको मैने वादा किया था की मेरी अगली कहानी कपल के साथ सेक्स वाली बहुत जल्द भेजूँगा तो दोस्तो आज मैं आपको मेरी दोस्त नेहाजी के ही रेफ्रन्स से उनकीही फ्रेंड जिसने अपने पति के साथ मिलकर खुद की चुदाई करवाई उस चुदाई का अनुभव लिख रहा हूँ, ये एक असली अनुभव है इसमें कुछ भी काल्पनिक नहीं है बस नाम ही बदले हुए हैं।

तो दोस्तो मै नेहा मैडम से फिर से दो तीन बार मिला नेहाजी ने ही संध्या मैडम के बारे मे बताया था पर मैने उतना ध्यान नही दिया था |

एक दिन मेरे मोबाइल पर एक अंजान नंबर से कॉल आया मैने रिसीव किया तो सामने से एक महिला की आवाज़ आई मैने कहा – कौन बोल रहे है ? तो उन्होने कहा – ‘’संध्या बोल रही हू मै ‘’ चौक गया |

मैने कहा – ‘’ आप नेहा मैडम की फ़्रेंड बोल रहे |

हो तो उन्होने कहा –‘’ हा ‘’ मैने उनका हालचाल पूछा फिर फोन करने की वजह पूछी तो |

उन्होने कहा – ‘’मुझे आपसे मिलना है ‘’ मैने पूछा – क्यू तो उन्होने कहा – ‘ क्यू आप किसीसे मिलते नही है क्या ‘’ इसपर मैं बोला- ‘ ऐसी बात नही है ‘ इसपर उन्होने कहा- ‘ आप फ्री कब रहेंगे’ |

मैने कहा – शाम को तो उन्होने मुझे इटरनिटी मॉल मे शाम को छे बजे आने को बोला मैने ओके बोल के फोन रख दिया |

फिर शाम को ६ बजे मै मॉल गया तो उनकी कॉल आई की केफसी की तरफ आओ मै केफसी की तरफ चला गया फोन चालू ही था की उन्होने मुझे हाथ दिखाके इशारा किया मैं नज़िक गया तो उनको देखता ही रहा खो गया |

बहुत खूबसूरत थी करीब ३२-३३ साल की बहुत ही गोरी औरत थी वो उन्होने मुझे हाय कहके फिर बोला – कहा खो गये हो अमित मैने कहा – कही नही मॅम फिर उन्होने मुझे बैठने के लिए कहा और बोला बोलो क्या लोगे मैने आदतन उनसे कह दिया- ‘ जो आप खिलाएँगी पिलाएँगी वो मैं ख़ौऊन्गा और पीऊंगा’ फिर उन्होने दोनो के लिए कोलडिंक्स मंगाई फिर हम लोग बाते करने लगे कहिए फिर उन्होने मेरे से हाथ मिलाया मैने अपना हाथ आगे बढ़ाके उनसे हाथ मिलाया बहुत ही नरम मुलायम हाथ था |

उसका फिर मैने कहा कहिए मेरे से क्या काम था तब उन्होने कहा – ‘ क्यू बिना काम के तुम किसीसे मिलते नही क्या’ मैने कहा- ‘ एसी कोई बात नही है कहिए क्या बात है’ उन्होने अपने बारे मे बताया फिर कहा – मै बहुत बिंदास औरत हू मुझे भी जिंदगी का असली मज़ा लेना है इसपर मैने कहा – ‘ मै समज़ा नही आप कहना क्या चाह रही है’ आपको मज़े लेने है तो इसमे मै आपकी क्या हेल्प कर सकता हू तो उन्होने कहा – जाड़ा बनो मत मै तुम्हारे और नेहा के बारे मे सब जानती हू अब मुझे सब कुछ समझ मे आने लग गया की इनको क्या चाहिए मैने उनसे कहा – आप जानती है ठीक है पर मैं आपके साथ कैसे करू और क्यू |

इसपर उसने कहा- नेहा के साथ क्यू करते हो मैं चुप ही रहा फिर उन्होने कहा- मैं आपके साथ मज़े करना चाहती हू और हा इसमे मेरे पति भी शामिल होंगे मैं शाक हो गया |

मैं तुरन्त ही बोल पड़ा – क्या आपके पति भी…….. क्यू आप मुझे मरवाना चाहती हो ये क्या कह रही हो आप आपको पता भी है मैं नही आ सकता आप कोई और देख लो प्लीज़ मैं ये नही कर सकता |

इसपर उन्होने कहा – किसी और के पास जाना होता तो मैं तुम्हारे पास क्यू आती मुझे नेहा ने तुम्हारे बारे मैं बताया तुम्हारी बहुत तारीफ कर रही थी इसलिए तुमसे बात कर रही हू | आप यह कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

मैने कहा – लेकिन तुम्हारे पति कैसे क्या वो कैसे क्या शामिल होंगे इस सब मे इसपर संध्या ने कहा– अमित हम लोग ब्राड मैंडेड है हम लोग खुलकर जीते है एकदुसरे से कोई बात छुपी नही होती है वो भी इस बात के लिए राज़ी बल्कि उन्होने ने ही मुझे कहा है आपको बुलाने के लिए |

थोड़ी देर सोचने के बाद मैने कहा – ओके मैं आता हू पर कोई प्रब्लम हुई तो मैं कुछ भी नही करूँगा |

उसपर संध्या ने कहा- तुम बेफिकर रहो कोई प्राब्लम नही होगी हम दोनो तैयार है तो कोनसि प्रब्लम होगी तुम बिन्धस्त रहना ओके संध्या ने मुझे घर का पता दिया और कहा- मैं फ़ोन करूँगी तुम्हे कब आना है और हा शायद वीकेंड पर तुमको बुला सकती हू तब तक तुम तैयार रहना ओके इसपर मैने -ओके -कहा और संध्या ने हाथ मिलाके बाय कहा मिलाया क्या यू कहिए दबाया था बाद मे मैं रूम पर वापस आया फिर उसी हफ्ते के शनिवार को सबेरे सबेरे मेरे मोबइल की रिंग से मई जगा तो संध्या का ही काल था मैने नींद मे ही हेलो कहा उसने कहा- उठो उठो कितनी देर सोते रहोगे भूल गये क्या मुझे संध्या बोल रही हू गुड मार्निंग……

इसपर मैने मार्निंग विश करके कहा – मैने आवाज़ पहचान ली है पर इतनी सुबह आपने कैसे याद किया मुझे याद तो तुम्हारी हमेशा आती ही है पर आज मेरे लिए खास दिन है |

मैने कहा क्यू आज आपका जन्मदिन है तो उन्होने कहा – ईडिएट आज शनिवार है वीकेंड मैने कहा तो क्या हुआ |

संध्या बोली- मैने क्या कहा था याद है या भूल गये फिर मैं समझ गया मुझे याद आई उसकी बाते फिर उन्होने कहा – आज तुमको हमारे घर आना है शाम को सात बजे और खाना ख़ाके मत आना हमारे साथ ही खाना खाना |

मैने कहा- ओके ठीक है मैं आता हू |

फिर आफ़िस गया शाम को लौटकर आते वक्त कंडोम के दो पकेट साथ लिया रूम पर आके नाहया फिर तैयार होके संध्या के बताए पते पर निकला उसके घर के पास जाके काल किया उन्होने फिर से ठीक से पता बताया और आख़िर मैने घर ढूंड लिया और बेल बजाई दरवाजा एक आदमी ने खोला मुझे समझ गया की ये संध्या का पति होगा उसने मुझसे हाथ मिलाया मेरा वेलकम किया अंदर आने के लिए बोला मैं उनके पीछे पीछे हाल मे आया उनका घर बहुत अच्छा घर मैं हाल मे आकर बैट गया संध्या के पति अपना परिचय दिया उनका नाम राहुल था |

फिर राहुल ने मुझे फ्रेश होने के लिए कहा मैं नाहया तो था फिर भी फ्रेश होने चला बाद कमरे में आया |

फिर राहुल ने पूछा –‘ड्रिंक मे क्या लोगे’ |

तो मैने कहा- बीयर लूँगा |

फिर राहुल अंदर जाके बीयर और उनके लिए रम लेकर आए उनके पीछे ही संध्या आई काले कलर का गाऊंण पहने हुए ओ बहुत सेक्सी लग रही थी क्या फिगर था उसका मैं तो उसे देखता ही रह गया ओ बिल्कुल सिल्क स्मिता की विद्या बालन जैसी दिख रही थी अब आप अंदाज़ा लगा लो क्या नज़ारा होगा वाहाका फिर संध्या मेरे पास आके हाथ मिलाके मुझे होश मे लाया और बोली कहा – खो गये अमित जागो अभी खो जाने को टाइम है |

मैं बोला – कही नही आप होही इतनी हाट की कोई भी अपने होश खो देगा |

राहुल बोले – हा अमित संध्या की बात ही कुछ एसी है की हर कोई अपने होश खो दे |

फिर हम तीनो मिलकर पीने लग गये राहुल के पास संध्या बैठी थी मैं दूसरे सोफे पर था राहुल संध्या को चूमते हुए बुब्स दबाने लगा संध्या शर्मा रही थी |

राहुल बोले- अमितसे क्या शरमाना तुम तो आज अमित से चुदने वाली हो |

मैने अपनी बीयर ख़तम की राहुल और संध्या ने अपने दो दो पैग पूरे किए बाद राहुल ने संध्या को खाना लगाने बोला संध्या किचन मे गयी फिर खाना खाने हम लोग बैठ गये खाना खाने तक रात के दस बज गये खाने के बाद राहुल ने टी वी चालू करके ब्लू फिल्म लगाई हम तीनो फिल्म देखने लगे फिल्म ग्रुप सेक्स की थी |

राहुल और संध्या दोनो साथ मे बैठे थे मैं अकेला एक जगह था राहुल ने संध्या को सहलाते हुए चूमना चालू कर दिया संध्या गरम हो रही थी फिर राहुल ने संध्या के कपड़े उतरे और बुब्स चूसने लगा संध्या सिर्फ़ पैंटी पर थी बाद मे राहुल ने पैंटी भी उतारी अब संध्या पूरी की पूरी नंगी हुई थी मैं उन दोनो को देख रहा था |

फिर राहुल ने मुझे नज़िक आने का इशारा किया मैं संध्या के नरम नरम बुब्स दबाने लगा संध्या ने मेरी तरफ देखा और मेरे गले मे हाथ डालके अपनी और खिछा और मुझे बेहद बुरे तारीख़े से चूमने लगी जैसे बरसो की प्यासी हो मैं भी कहा पीछे रहने वाला था मैं भी एक हाथ से संध्या का सर पकड़ा एक हाथ से बुब्स दबाते हुए संध्या को चूम रहा था | इस कहानी का शीर्षक संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई और आप इस स्टोरी को मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसकी जीभ मूह मे लेके चूस ने लगा संध्या तो सातवे आसमान मे थी क्यू की उसकी बहुत दीनो की इच्छा पूरी हो रही थी एक साथ दो लोगो से चूड़ने की |

फिर राहुल ने कहा – चलो बेडरूम मे चलते है |

फिर हम तीनो बेडरूम मे आ गये संध्या बेड पर लेट गयी मेरा हाथ पकड़के अपने उपर खिछा मुझे फिर मुझे चूमते हुए मेरे कपड़े उतरने लगी मेरी अंडरवियर उतरते ही मेरे लॅंड की तरफ देखने लगी मैने पूछा – क्या हुआ संध्या जी तो संध्या बोली – आज मज़ा आएगा फिर राहुल भी बेड पर आ चुका था संध्या ने राहुल के भी कपड़े उतारे राहुल संध्या के बुब्स चूसने लगा |

मैने संध्या को चूमते हुए नीचे आने लगा जैसे ही मैने संध्या के चुत को छुआ तो संध्या ने मुझे कसके पकड़ लिया और आ आ ससस्स ‘आह्ह.. अहह..’ करने लगी फिर मैने संध्या की चुत को सहलाने लगा एकदम क्लीन शेव्ह की हुई चुत मस्त पाव रोटी की तरह फूली हुई थी फिर मैं संध्या की चुत को चूमा संध्या एकदम सिहर उठी उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत पर दबाया मुझसे चुदास भरी नशीली आवाज में बोलीं- अपनी जुबान से मेरी चूत को मालिश दे.. |

एसेही थोड़ी देर तक मैं संध्या को चाट रहा था संध्या अपनी आखे बंद करके मज़ा ले रही थी मदहोश हुई जा रही थी राहुल ने भी अपना काम जारी रखे था संध्या का तो मज़ा दोगुना था दो दो लोग जो थे उसके पास एकसाथ वो अलग अलग आवाज़े निकल रही थी और मज़ा ले रही थी |

फिर संध्या बोली — अमित तुम लेट जाओ मैं तुम्हारे मूह पर बैट जाती हू फिर चूसो मेरी चुत को |

मैं बोला- ‘ओके संध्या जी’

संध्या बोली,- मेरी चुत चाट रहे हो, मुझे चोद्ने वाले हो तो फिर ये क्या संध्या जी संध्या जी कह रहे हो मुझे रानी या जान कहके बुला सकते हो |

मैने- ‘ओके मेरी जान’ |

कहा फिर संध्या बोली- ‘’ये हुई ना बात चलो लेट जाव’’

फिर मैं लेट गया संध्या मेरे मूह पर अपनी चुत सेट करके बैट गई फिर राहुल उठा और संध्या के मूह मे अपना लॅंड दे दिया |

संध्या मज़े से राहुल का लॅंड चूस रही थी और अपनी चूत चुसवा रही थी मैं थोड़ी देर उसकी चूत चाट ही रहा था की वो मेरे मूह मे ही झड़ गयी मैने चाट के साफ किया फिर उसने राहुल का लॅंड अपने मूह से निकल के सीधी बेड पर लेट गयी और बोली — ” अब मुझसे रहा नही जा रहा कोई तो मेरी छूट को शांत करो” |

फिर राहुल ने मुझे इशारा किया मैंने एक बार चूत को चाटा और फिर संध्या से लण्ड चुसवा कर लता की दोनों टांगों को कंधों पर रख कर मैने अपने आपको संध्या के उपर सेठ करके अपना लॅंड चूत पर टीकके ज़ोर से धक्का दिया मेरे धक्के से संध्या हिल सी गयी बुरी तरह तड़प उठी और बोली – आहह… बहन के लौड़े उम्म्मम… लण्ड से चूत चुदाई करने को कहा था चूत फाड़ने को नहीं आहहहह…मादर चोद चूत चुदवानी है फड़वानी नहीं… साले गधे का लण्ड लेकर ह्म्म्म… ऐसे झटके मारेगा तो चूत के चीथड़े उड़ जाएंगे। ”कमीणे मैं कही भागी नही जा रही हू ज़रा धीरे धीरे कर नही सकता क्या”

मैं- सॉरी डार्लिंग, मुझे पता नहीं था कि तुम झेल नहीं पाओगी, अब धीरे धीरे चोदूँगा।

फिर मैं थोडा स्लो हो गया और धीरे धीरे करने लगा थोड़ी देर बाद मैने स्पीड बढ़ा दी संध्या बड़बड़ाने लगी |

राहुल सही कह रहा था कि लता चुदवाते समय बहुत बकती है और आवाज ज्यादा न जाए इसलिए मैंने उसके होठों को चूसने लगा. .
राहुल- अमित, और जोर से चोद साली को, बहुत चुदक्कड़ बनती जा रही है, आज इसकी चूत को चोद चोद के लाल कर दे।

फिर संध्या बहुत छ्ट पता रही थी शायद वो झड़ने को आई थी मुझे कसक के पकड़ा मुझे चूमने लगी और झड़ गयी |

फिर राहुल ने कहा- ” अमित तुम इसके मूह को चोद मैं इसकी चूत चोदत हू” फिर मैने अपने लॅंड को संध्या के मूह मे दिया मैने अभी तक झाड़ा नही था राहुल संध्या को बड़ी बेरहमिसे चोद्ने लगा संध्या मेरा लॅंड चुसती रही राहुल ५ मिनिट मे ही झड़ गया |

फिर वो संध्या के मूह मे आ गया और मुझे चूत पर जाने को कहा मैं संध्या के पैर अपने कंधे पर उठाके संध्या को पेलने लगा संध्या फिर से गरम हुई थी वो भी मेरे साथ साथ नीचे से धक्के लगाके मेरा साथ देने लगी |

संध्या- ” उम्म्मम… हाँ अब मजा आ रहा है… हाँ भोसड़ी के ऐसे ही आहहह… तेरा मस्त लौड़ा तो मेरी चूत में बिल्कुल कस के रगड़ मार रहा है, आहहहह… अब जोर से चोद… अब लगा अपने लौड़े का जोर दिखा कितनी स्पीड से ओह्हहह… चोद सकता है। नेहा को तो तूने बहुत चोद है अब मुझे भी चोद आआहह आइईइ ””,,,,,,,,,,,,

बोल के संध्या फिर से झड़ने को हुई तो मैने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी मैं भी झड़ ने को आया था मैं इतनी जोरोसे धक्का लगा रहा था की संध्या के बुब्स गोलल्गोल हिल रहे थे फिर उसे कस के पकड़ा और संध्याने भी मुझे कासके पकड़ा और दोनो झद्ने लगे मैं संध्या के उपर लेट के रहा थोड़ी देर बाद राहुल ने एक बीयर और व्हिस्की ले आया और स्नकस भी फिर संध्या उठी और बाथरूम हो के आई |

फिर से हम तीनो ने पीना चालू किया संध्या मेरी गोद मे बैठी और मुझे बीयर पिलाने लगी मैं भी संध्या को पिलाने लगा फिर संध्या ने मेरी किसिंग चालू कर दी और मेरे लॅंड को सहलाना चालू कर दिया फिर से हम लोग बेड पर आ गये संध्या गरम हुई और मेरा लॅंड चूसने लगी फिर मुझे लेटने को कहा और मेरे लॅंड को अपनी चुत के अंदर लेके उपर से मुझे चोद्ने लगी | इस कहानी का शीर्षक संध्या ने अपने पति के साथ थ्रिसम चुदाई करवाई और आप इस स्टोरी को मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं भी नीचे से धक्के देने लगा फिर राहुल ने तेल निकलके संध्या के गान्ड मे लगाना चालू किया और फिर संध्या को मेरे उपर झुका कर अपना लॅंड डालने लगा संध्या दर्द के मारे चिल्लाने लगी थी फिर मैने संध्या को मेरे उपर झुकाके किस करने लगा |

फिर थोड़ी देर के बाद संध्या मज़े से चुदने लगी बहुत बड़बड़ा रही थी गलिया दे रही थी राहुल ने कहा- ” अमित रहम मत करो चोदो और जोरसे चोदो चुत का भोसड़ा बना दो मैं इसकी गान्ड फाड़ ता हू आज, बहुत चूड्डकड़ है ये आज हम दोनो मिलके इसकी सारी गरमी निकल देते है एसा कहते ही संध्या झड़ गयी अपने आपको ढीला छोड़ दिया |

फिर राहुल ने कहा- ” अमित तुम मेरी जगह आ जाओ मैं तुम्हारी जगह आता हू फिर हुँने अपनी जगह बदल ली और फिर से शुरू हुआ घमासान दो लॅंड और एक चुत के बीच का युध्द हम इसबार करीब २४-२५ मिनिट तक संध्या को पेलते रहे इतनी देर मे संध्या ३-४ बार झड़ चुकी थी फिर हम दोनो झद्ने को आए तो हम लोग संध्या के मूह पर आकर झड़ने लगे संध्या हम दोनो के लॅंड को बारी बारी चूसने लगी फिर हम दोनो को चुस्के साफ किया फिर संध्या थक गयी थी और सोने को हुई थी |

हम तीनो नंगे ही सो गये फिर रात को संध्या ने मेरा लॅंड चुसके एक बार फिर जगाया और डागी स्टाइल मे चुडवाया फिर हम सो गये अगले दिन सवेरे हम तीनो साथ नहाए और एक बार संध्या को दोनो के बीच मे लेके चुदाई की और मैं वाहा नाहके बाहर आया सभी तैयार हो गये मैने निकलने की बात ही कह दी की संध्या ने मुझे गले लगाया और मुझे चूमने लगी कहा- ”अमित बहुत मज़ा दिया तुमने ” राहुल ने भी मुझे गले लगाया और मुझे दस हज़ार देने लगा मैने लेने से मना कर ही रहा था की संध्या ने कहा अगर नही लोगे तो हम फिर तुम्हे कभी नही बुलाएँगे मैं संध्या को बार बार करने की सोच रहा था तो मुझे लेने ही पड़े और मैं अपने घर वापस आ गया |

दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे आप सबकी मेल्स का इंतज़ार रहेगा। मुझे आशा है कि पहले जैसे ही आपको मेरी ये कहानी भी पसंद आएगी और मेरे दोस्त मुझे मेल जरूर करेंगे।

आपका अपना अमित [email protected]

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बेटी की गर्म ससुराल में चुदाई का मज़ा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/beti-ki-garm-sasural-me-chudai-ka-maza.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/beti-ki-garm-sasural-me-chudai-ka-maza.html#respond Tue, 23 Jan 2018 14:35:07 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11781 मै अपनी बेटी की ससुराल में चुदाई के मजे लेकर आई हूँ मेरे दमांद जी , समधी जी , समधी जी के भाई किससे नहीं चुदाई अपनी चुत इस कहानी में सब कुछ बताउंगी |

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बेटी की गर्म ससुराल में चुदाई का मज़ा

मेरा नाम राधिका है मै सीतापुर पुर जिले की महिला हूँ मेरी उम्र 36 साल है मेरी शादी हु 8 साल हो गए है मेरी शादी एक अमीर आदमी से हुवी थी उसके पास बहुत माल था। लेकिन वो पहले से शादी सुधा था और उसकी एक लौड़ाकी थी। 17 साल की वो करीब 45 साल का था। फिर अब मै 36 की हूँ और मेरी बेटी 25 की है मेरे पति 53 के है।

दिखने में मै बहुत सेक्सी हूँ और मेरी चूचिया के निपल्स आज भी टाइट है मेरे पति मुझे अब नही चोद पाते है और मै प्यासी रहती हूँ। एक दिन मेरे पति ने आके बताया कि सारिका के लिए लौड़ाका देखा है वो मेरे बिजनेस पार्टनर का लौड़ाका मुकेश है। मेरी बेटी का नाम सारिका है।

फिर कुछ दिनों की बात चित के बाद रिश्ता तय हुवा और हमने होटल में सगाई रखी। सगाई में मै ने के नेट दार साडी पहनी जिसमे मेरा जिस्म कामुक लग रहा था फिर सगाई के बाद जल्दी ही सादी भी होगयी। और मेरी बेटी अपने घर चली गयी। मेरे दामाद दो भाई थे। मेरे दामाद का एक बड़ा भाई और भाभी भी थी। और सास ससुर भी थे।

फिर कुछ दिनों बाद बेटी दामाद घर आये। और हमने उनकी पूरी खातिर की। लेकिन दामाद की नजरें मेरी चूचियों पर थी। अगले दिन मेरी बेटी और दामाद चले गए। 2 महीने बाद मेरी बेटी का फ़ोन आया और वो बोली मम्मी हम सब लोग गुमने जा रहे हैं आप भी चलो। फिर मैने हां कर दी। और अगले दिन बेटी के घर पहुँची।

फिर वहा जाकर सबसे बात चित की हमरी ट्रेन 2 दिन बाद की थी। रात मेरी बेटी ने मुझे एक कमरे में मेरे सामान रख दिया। और फिर सब लोग खाना खाने लगे। तभी मेरी नजरें मेरी बेटी की जेठानी पर गई उसने एक सिल्की शर्ट और लोअर पहना था। उसकी चुचिया आधी बाहर थी। मुझे लगा की यहाँ सब बैठे है ये ऐसे कपड़ो में गुम रही है।

फिर बाद में सब सोने चले गये मैने एक सेक्सी नाइटी पहनी और सोने चली गयी। रात को उठी और बतरूम करने बाहर आई और मुझे बतरूम नही मिल रहा था। फिर मैंने बेटी के कमरे उससे पूछने गयी। तो वहा से कुछ आवाज आ रही थी। मैने किड़की से देखा तो हिल गयी। मेरी बेटी पूरी नागी लेटी थी और दामाद उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चुचियो को पी रहे थे। फिर दामाद खड़े हुए तो मेरे होस फाख्ता हो गए।

वो दामाद नही थे वो मेरी बेटी के जेठ थे। मेरी कुछ समझ में नही आ रहा था। कि क्या हो रहा है अपने ही घर में अपने पति के बड़े भाई से चुदवा रही है। फिर उसने मेरी बेटी की चूत में अपने लौड़ा को डाल दिया। मेरी बेटी हालाकि चिक नकल कर आह…करने लगी फिर उसने तेजी से दक्के लगाने लगा और बेटी….या आह चोदो मुझे आह हाय रे चोदो अपनी भाई की बीवी को आह और तेज डालो आह सिसस्स उम्मआआ आह हा हा हा हा ऐसे ही फिर उसने दक्के लगाने बंद कर दिए।

मेरी चूत भी गीली हो गयी मै जल्दी से बतरूम ढुना और फिर अपने कमरे में आगई चूत में ऊँगली करने लगी फिर मेरा पानी निकल गया और मै सो गई। अगले दिन सुबह मेरी बेटी से कुछ पूछने की हिम्मत नही कर पा रही थी। फिर दिन में मै बेटी की सास के साथ मंदिर चली गयी। और जब आयी तो मेरी बेटी घर में नही थी।

मेरा दामाद मुकेश आया और मुझसे बाते करने लगा फिर उसने मुझे बताया की कल मेरे जीजा भी आ रहे है और दीदी भी वो भी कल गुमने हमारे साथ चले गये। मेरी बेटी की ननद रेखा जो 26 साल की है उसका पति रवि 28 साल का है और रवि के बॉस और ऊनकी वाइफ भी चले गई। उसका बॉस 40 साल का है उसकी पति 37 साल की बॉस का नाम अरविंद और मेघा।

हमलोग गोवा जा रहे थे ट्रेन से सबकी सीटे बुक थी। आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | फिर अगले दिन हम लोग की ट्रेन 4 बजे की थी। हम 5 लोग थे मै और मेरे दोनों दामाद और बेटी उसकी जेठानी और उसकी ननद वाही फ्लैटफॉम पर आरही थी। फिर जब हम लोग वहां पँहुचे तो वो लोग वही पर थे। मेरी बेटी ननद रेखा और उसके पति थे और उनके बॉस और उनकी वाइफ उसके बाद बहुत मजबूत आदमी लग रहे थे।

‌फिर हमारी ट्रेन आ गयी और हम लोग चढ़ गए। पहले तो सबने कुछ मजाक किया फिर बेटी की जिठानी का नाम निर्मला बोलो चलो सब लोग कपडे बदल लो रात के लिए। फिर सारे मर्द भर चले गए ac कंपटमेट था। फिर सारी औरतो ने सेक्सी नाइटी पहनी और मुझे भी पहना दी। और बालों को खुला छोड़ दिया। मुझे शर्म आ रही थी। सभी मर्दो की नजरें औरतो की चुचियो पर थी निर्मला ने एक फूल शर्ट में थी और एक हाफ पैंट उसकी चूचिया को रवि गुर रहा था फिर रात को सबने अपनी अपनी सीट पर लेटने लगे और मिजे सबसे ऊपर वाली सीट में लिटा दिया।

फिर रात को मेरी आँख खुली तो कुछ सिसकियों की आवाज आ रही थी। मैने चुपके से नीचे सीट पर जाखा और देखा की रवि निर्मला के ऊपर चढ़ कर दक्के लगा रहा था और सब लोग देख रहे थे। फिर रवि उठा और निर्मला बोली और कोई मेरो चूत लेगा तो फिर मेघा जी बोली अब सब लोग सो जाओ।

फिर सब सो गए अगले दिन हम लोग गोवा पहुँचे। वह जाकर हम उनलोगों ने सिर्फ दो रूम लिए। फिर सब लोग औरते एक कमरे में आके नहाया और कपडे पहने फिर मेघा जी मेरे पास आई और बोली राधिका जी आप भी एन्जॉय कीजिये। उन्होंने मुझे अपने कपडे पहनने को कहे फिर सब लोग कहने पर मैने पहन लिए। उन्होंने मुझे एक टाइट जीन्स और काली सिल्की शर्ट दी जिसमे मेरी चुचिया पूरी सीधी हो गयी। और सबने हॉट कपडे पहने। फिर गुमने निकले बिच पर कुछ औरते बिकनी में थी।

बहुत सेक्सी नजरे थे। फिर साम को सब अपने रूम में आये अभी लोग एक ही रूम में थे। फिर सबने शराब पी औरतो ने भी मेघा जी ने मुझे भी पिला दी फिर रवि ने कहा चलो एक गेम खेलते है पहले तो सब मना करने लगे फिर मान गये। रवि ने सबको एक गोले में बैठाल दिया और फिर एक बियर की बोटल बिच में रख दी और बोला ये बोतल मै गुमाँ दूँगा जिसकी और इस बोटल का मुँह होगा और जो इस बोटल के पीछे होगा पीछे वाला बोटल के मुँह वाले को जो सजा देगा वो माननी पड़ेगी।

फिर पहली बार बोटल गुमी और उसका मुँह मेघा जी कीतरफ था और पीछे का हिस्सा मुकेश के पास था। मेघा जी ने मुकेश से कहा बताओ मुकेश क्या करूँ मुकेश बोला आप निर्मला भाभी को किस करो सब बोले करो करो फिर मेघा जी ने निर्मला को पास बुलाया और उसके होटो पर अपने होट को रख कर तेजी से चूसने लगी फिर उन्होंने अपना सजा पूरी की फिर बोटल गुमी और इस बार रेखा हारी और अरविंद जी जीते फिर रेखा बोली बताईये क्या करूँ फिर अरविंद ने बोला तुम अपने भाई मुकेश से अपनी चूचिया दबाव सब हैरान रह गए।

फिर रेखा ने मुकेश को अपनी तरफ बुलाया और बोली भूल जाओ की मै तुम्हारी बहन हूँ। सिर्फ ये सोचो की या सारी गर्म औरते है फिर मुकेश ने अपने हाथ हाथ रेखा की चुचियो पर रख कर तेजी से दबाने लगा रखा आह आउच कर रही थी। फिर अगली चाल की गयी। उसमे मेघा जीती और मै हार गई। सब हैरान हो गए की क्या होगा। फिर मेघा ने मुझे सजा दी की मै अरविन्द से अपने होटो की लिपस्टिक को चूसा दू।

फिर मै आगे बड़ी और अरविन्द के पास बैठ गयी और वो जैसे भूखा था। उसने में बालों को पकड़ कर मेरे होटो को चसने लगा और मै गर्म हो गयी उसने मेरी सारी लिपस्टिक चूस ली। फिर मेरे भी टास्क पूरा हुवा। वाह पर सब औरते अपनी चूत और चुचियो को सहला रही थी। फिर अगले चाल में मेरी बेटी हरी और निर्मला जीत गयी। उसने मेरी बेटी को अपनी चूत चाटने को कहा। सब सन रह गए कोई कुछ नही बोल रहा था। लेकिन फिर मेरी बेटी ने उसके पास जाके निर्मला की लोअर को उतारा और उसकी पैंटी को उसकी चूत देख कर सब के लौड़ा खड़े हो गए।

फिर निर्मला ने अपनी पैरो को फैलाया और मेरी बेटी ने उसको गर्म चूत पर अपना मुँह रख दिया और चुसने लगी। निर्मला आह…आउच….सस्स…..मजा आ रहा है ये ऐसे ही हां सारिका यस……हां पी मेरी चूत फिर निर्मला झड़ गयी और मेरी बेटी ने भी टास्क कम्प्लीट किया। फिर सब मर्द गर्म हो गए थे। फिर सबने गेम को बंद करने को कहा और बैठ कर बाते करने लगे। मेरा दामाद मेरी कमर में हाथ डाल कर सहला रहा था। फिर रात होने लगी मेघा ने कहा मैं पाच पर्ची बनाती हूँ। सभी मर्दो के नाम लिख रही हूं। जिस मर्द के नाम की पर्ची जिसको मिले गईं।

‌वो रात भर उसी मर्द के साथ रहे गई। और जिसमे राधिका जी का नाम होगा वो दो औरतो के साथ जायगा। फिर पर्ची मिक्स करके उछाली गयी और सबने उठायी। सबसे पहले मेरी बेटी से कहा गया दिखाओ वो बोली मेरे में रवि है रवि और मेरी बेटी किनारे हो गए। फिर निर्मला से पूछा तो वो बोली मेरे में मुकेश है फिर रेखा से पूछा गया उसके में अरविन्द थे पहिर मेघा में निर्मला का पति पुनीत था और मेरा नाम था फिर जमीन पर ही बिस्टेर लगया गया और सारी और तो ने अपनी अपनी ड्रेस बदली और अपने अपने के साथ लेट गयी।

तभी मेघा जी बोली आज सभी औरते जिन मर्दो के साथ है वो उनको अपना पति माने और मनाये। फिर सब अपनी अपनी औरतो को लेकर लेट गये और लाइट जल रही थी। कुछ देर बाद गर्म आवाजे सुरू हूवी। पुनीत ने मेरी चूचियों को दबाने लगा दूसरी तरफ मेघा जी मेरी नाइटी में हाथ डाल कर मेरी चूत को मसल रही थी फिर मेघा ने मेरी नाइटी को उतार दिया और खुद भी नंगी हो गयी फिर पुनीत मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेके चुसने लगा मेरी तो आह निकल गयी। मेघा जी मेरी चूत के ऊपर अपनी जीभ चला रही थी। मै आह….मेघा…आराम से करो आउच मेघा मेरी चूत को पागलो की तरह चाट रही थी और पुनीत मेरी चूचियों को पी रहा था। आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

फिर मेघा बोली पुनीत तेरी सास की चूत गीली हो गयी है चोद दे इसे फिर पुनीत ने मेरे ऊपर आकर लौड़ा को मेरी चूत में पेल दिया। मेरी चीख निकल गयी और वो तेजी से दक्के लगाने लगा। मै आह….धिरे..करो….हाय रे मेरी चूत पुनीत पागलो की तरह मेरी चुदाई क्र रहा था मै सिर्फ तड़फ रही थी। फिर उसने अपनी स्पीड बढा दी और आह करने लगा बोला वा तेरी चूत तो तेरी रंडी बेटी से बी अच्छी है फिर उसने अपना माल मेरी चूत में भर दिया। फिर मेघा बोली चल पुनीत मुझे भी मजा दे। ‌फिर मेरी नजर अपने अगल पागल गयी तो मेरी आँखें खुली रह गयी।

सब लोग नंगे थे और एक दूसरे को मजा दे रहे थे। मेरी बेटी की रवि गाड़ मार रहा था वो भी मजा लेकर गाड़ मरवा रही थी। निर्मला मेरे दामाद का लौड़ा चूस रही थी। और रेखा के ऊपर अरविन्द चढ़े थे। रेखा की जवानी को अरविन्द लूट रहा था। इदर मेघा की भी चुदाई सुरु हो गयी। मै मेघा को किस कर रही थी।

फिर इसी तरह सब ने रात भर चुदाई और सो गए। फिर शुबह सब नहाने लगे। मैने सिर्फ एक किसी शर्ट पहन ली और बाथ रूम जाने लगी तभी मुझे पीछे से अरविन्द ने पकड़ लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगा बोला राधिका जी कब से आपको चोदना चाहता हूँ मै ने कहा तो चोद दीजिये ना फिर मै उनको लेके बतरूम आयी आते ही उन्होंने मुझे पकड़ कर किश करने लगे और शर्ट के ऊपर से मेरे बड़े बड़े चुचियो को दबाने लगे।

फिर उन्होंने मेरी शर्ट के सारे बटन को जटके में तोड़ दिया और मुझे नगा क्र दिया। और बोले राधिका जी आप तो बहुत गर्म है। मैने उनके लौड़ा को पकड़ कर कहा हा मै गर्म भी हु और प्यासी भी फिर उसने मुझे दीवाल के सहारे लगा के मेरी चूचियों को काटने लगा।मै आउच धिरे करो ना फिर उसने मुझे बतरूम मै लिटा के मेरी चूत में अपना लौड़ा डाल दिया। मुझे कुछ दर्द हुवा पर मै उनका पूरा लौड़ा अपनी चूत में लेलिया फिर वो मुझे चोदने लगा मुझे बहुत मजा आ रहा था | आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो मुझसे गीली गीली बाते भी कर रहा था और मै भी उससे बाते कर रही थीं। वो मुझे चोद ते हुवे बोल रहे थे। आह….राधिका….सस्स्सा..तुम मेरी बीबी की तरह चुदवाती हो उसकी भी चूत तुम्हारी तरह गर्म है। मै बोली…और तेज से चोदो आह हा हा हा हा सस्स्सा अपनी बीवी ही समजो मुझे वो तेजी से मुझे चोद रहा था।फिर उसने अपना माल मेरी चूत में गिरा दिया उसके गर्म माल से मेरी चूत भी बह गई। फिर फिर हमदोनो ने साथ में नहाया और बाहर आये।

आगे की स्टोरी बाद में दूँगी। तबतक मेरी स्टोरी से अपनी हवस मिटा ले। बहुत लोगो के मुझे मेल आये सबको सुक्रिया। [email protected]

ध्न्यवाद।।।।

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