पहली बार चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 100% Free Hindi Sex Stories - Sex Kahaniyan Sun, 18 Mar 2018 10:13:48 +0000 en-US hourly 1 /> //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/wp-content/uploads/2015/10/cropped-mastaram-dot-net-logo-red-32x32.png पहली बार चुदाई – | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru 32 32 कमलेश सर ने मेरी गान्ड को चोदा | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/kamlesh-sir-ne-meri-gaand-ko-choda.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/kamlesh-sir-ne-meri-gaand-ko-choda.html#respond Sat, 17 Mar 2018 02:50:22 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12185 कमलेश सर ने मेरी गान्ड को चोदा, कुछ क्लोज सहेलियां मुझे कहती हैं कि आरती कभी अकेले मत निकलना नहीं तेरा रेप पक्का हो जायेगा, तुझे देख कर कोई मर्द कन्ट्रोल नहीं कर सकता है, खासकर तेरे हिप्स अल्टीमेट हैं आखिर मेरे जीवन में कुछ ऐसा भी हुआ मैं अपनी जीवन के अतीत सच को आज आप बताने जा रही हूं उसके लिए आप पूरी कहानी पढ़े

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आज मैं अपने जीवन की पहली सच्चाई जब मेरे बदन को पहली बार किसी मर्द ने छुआ वो थे मुझे टयुशन पढ़ाने वाले कमलेश सर एक एक शब्द पूरा का पूरा सच है, मैंने ना अपना बदला न अपने सर का न मैं कोई काल्पनिक बात लिखती जो हुआ है उसी को वैसे ही लिख रही हूं। आपको अपने जीवन की सेक्स लाइफ की  सभी पहलुओं को एक एक शब्द जो पूरा सच होगा कहानी के माध्यम से भेजती रहूंगी।

मैं आरती अपनी सच्ची पहली बार की बात आज बता रही हूं उस समय मैं ट्वेल्थ क्लास में जाने वाली थी 11 क्लास जस्ट पास ही किया था। उस समय मेरे हिप्स का साइज़ 34 है और सीना मेरा 30 का जबकि कमर 26 से भी कम रही है, पर मैं जब चलती थी तो सभी लड़के सभी मर्द मेरे बैक के लिए बोलते थे कि क्या जबरदस्त गांड है ऐसी मस्त गांड देखी नहीं है, मेरे चलने का स्टाईल ही ऐसा है कि बैंक मेरा उठ कर निकल जाता है।कुछ क्लोज सहेलियां मुझे कहती हैं कि आरती कभी अकेले मत निकलना नहीं तेरा रेप पक्का हो जायेगा, तुझे देख कर कोई मर्द कन्ट्रोल नहीं कर सकता है, खासकर तेरे हिप्स अल्टीमेट हैं।

मैं अपनी जीवन के अमिट सच को आज आप बताने जा रही हूं। मैंने इलेवन क्लास पास किया रिजल्ट के बाद पापा मम्मी बोली कि ट्वेल्थ बोर्ड है, इसलिए आरती के लिए अभी मई से ही टयुसन कर देते हैं और पापा कमलेश सर जो कि फिजिक्स केमिस्ट्री पढ़ायेंगे उन्हें कर दिया। वो घर मेरे आने लगे टयुसन आराम से चल रहा था सब ठीक-ठाक, एक दिन अचानक एक काक्रोच मेरे बैग में आ गया मैं खड़ी हो गई, काक्रोच से मुझे बहुत डर लगता है, सर ने उसे उलटाया ना जाने कैसे वो उछल मेरे सलवार में अंदर पैरों तरफ से, मैं चिल्ला उठी और तुरंत वहीं सलवार खोल के उतार दी ये भी ध्यान नहीं रहा कि सर यंही है, जैसे काक्रोच गिरा सलवार से और भाग गया मुझे ध्यान आया कि मैं पैंटी में सर के सामने खड़ी हूं सर बिल्कुल एक टक पैंटी के ऊपर फूले हुए जगह को घूरे जा रहे थे।

मैं तुरंत सलवार लेकर अंदर भाग गई और पहन कर सर के सामने आ गई और पढ़ने बैठ गई। लेकिन सर अब बस मेरी तरफ देख रहे थे मैं सरमा के नीचे आंखें कर ली, फिर जब देखी उपर तो सर मेरे सीने को देख रहे थे, मैंने अपना दुपट्टा सही किया और फिर बोली सर कुछ गलत हुआ क्या। सर बोले आरती कुछ गलत कभी नहीं होता, जो होता है अच्छे के लिए होता है,आज बहुत अच्छा हुआ तुम से एक पर्सनल बात करूं अगर किसी को बताना ना हो तुम्हें मैं कुछ पढ़ने का लाकर दूंगा उसे पढ़ना, तुम्हें आरती अब उस पढ़ाई की जरूरत है इसलिए तुम इंतजार करो मैं ला रहा हूं बताओ मैं यह करूं, यह बात सिर्फ मेरे और तुम्हारे बीच रहेगी वादा करो तो ही लाऊंगा.

मैं बिना जाने ही सर से वादा कर दिया सर प्रॉमिस मैं किसी से नहीं बताऊंगी आप जो पढ़ाएंगे मैं पढ़ लूंगी, सर ने मुझे थैंक्यू बोला और वह बुक लाने चले गए मैं उनका इंतजार करने लगी वह करीब एक घंटे में वापस आये। मेरे हाथ में करीब बीस प्रिंट कम्प्यूटर से निकले सर ने दिए और बोले इन्हें आज पढ़ना, और कोई देख ना पाए ऐसे संभाल के रखना, यह कहकर चले गए तभी मैं भी चली गई, और जाते से ही जो सर दे गए थे उसे पढ़ने लगी तभी मेरे शरीर में पहली बार बहुत रोमांच सा होने लगा, वह कागज में जो सर दे गए थे उनमें सिर्फ सेक्स की कहानियां थी जो ट्यूशन मास्टर और छात्रा के बीच रिश्ता बनता है, ट्यूशन के बहाने कैसे सर और पढ़ने वाली लड़की सेक्स करते हैं यही सभी कहानियों में था। एक कहानी में एक छात्रा का ट्यूशन वाले सर बूब्स दबाते हैं और वह बहुत गर्म  हो जाती है और उन सर का लंड चूसने लगती है.

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इसी तरह एक-दो दिन में वह सर के साथ पूरी तरह खुल गई और फिर वह गर्ल अपनी चूत में सर का लंड लेती है फिर बहुत चोदते हैं यह कहानी मेरे
दिमाग में चलने लगती है। पहली बार मेरे नीचे चूत में कुछ नहीं, बहुत कुछ होने लगा अब सारी पढ़ाई भूल कर मैं पूरी रात बार-बार वही कहानियां
पढ़ती रही, और जाने क्यों मुझे बहुत अच्छी लगी। पूरी रात उन कहानियों में खुद को और सर के रूप में कमलेस सर को इमेजिन करने लगी। जैसे जैसे कहानी आगे बढ़े मेरे दिमाग में कमलेश सर और मैं एक दूसरे को सेक्स कर रहे हैं, यही चलने लगा यही सोचते सोचते पता नहीं कब नींद आ गई सुबह के समय मैं सो गई सोते ही मेरे सपने में कमलेश सर आके मेरी पैंटी खींच कर अपने लंड को मेरे मुंह में डाल दिया और मेरी चूंत चाटने लगे फिर मेरे हाथ पकड़ कर दोनों ऊपर बांध दिये और मेरा टाप उतार कर मेरी ब्रा को फाड़ दिये.

अब सर दोनों हाथों से मेरे बूब्स दबाने लगे और मेरी चूचियों को पकड़ कर अपने मुंह में लेकर चूसने लगे फिर मेरी गान्ड को चूमने लगे और चाटने लगे और बोले आरती तेरी गांड के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं। फिर सीधा करके टांगे फैला कर अपनी जीभ से मेरी चूंत को चाट चाट कर  बिल्कुल पागल कर दिया फिर सर बोलने लगे कि अब मेरा लौड़ा चाटो आरती और मेरे मुंह में डाल दिया अपना मस्त लंड, मै पूरा लंड चूस चूस कर चाटी अब सर मेरे बालों को पकड़ कर बोले आरती मैं तुम्हें चोदू, मैं बोली हां सर अपनी स्टुडेंट को चोदो ताकि पागल हो जाऊं, इतना चोदिये कि
मैं पागल होके जन्नत का मजा ले लूं। सर बोले ओके आरती मैं तुम्हें आज छिनाल की तरह चोदूंगा, मैंने कहा थैंक यू सर, तभी सर ने मेरी टांगें
फैला कर चौड़ी कर दी और अपना लंड मेरी चूत में रख दिया और टांगे ऊपर कर दी और एक झटके में पूरा लौड़ा अन्दर मेरी चूत में डाल दिया जोर से, मैं चिल्ला उठी बोली सर बहुत दर्द हो रहा है बाहर निकालो, सर बोले 5 मिनट रुको और फिर देखना, मैं दर्द से तड़प रही थी और सर अब अपना लंड अंदर बाहर मेरी चूत में डाल कर मुझे मसल रहे थे।

सर मुझे जमके चोदते हुए बोले अब दर्द कैसा है आरती, मैं बिल्कुल ठीक हो गई दर्द नहीं रहा और एकदम से मैं सर से लिपट गई उनके होठों को चूमने लगी और बोली सर और डालो चोदो मुझे, चोदो सर बहुत मस्त मजा आ रहा है। मैं मस्त सपना देख ही रही थी कि तभी मम्मी रूम में आकर चिल्ला रही थी आरती देख सुबह के 10:00 बज गए और अभी भी सो रही है। उठ और उठा दिया मेरा सपना वहीं टूट गया क्या मस्त सपना देख रही थी। उठते से मेरे दिमाक में वही सपना चलने लगा कि सपने में किस तरह से कमलेश सर ने मुझे चोदा और सोच सोच कर मेरी पुसी गीली हो जा रही थी। मेरी हालत अब बिल्कुल मदहोश सी होने लगी,सारा दिन यही सोचते हुए निकल गया कि शाम को 6:30 बजे कमलेश सर के आने का टाइम हो गया तभी मैं तैयार होकर गई आज सर से आंखें नहीं मिला पा रहे थी बहुत शर्म आ रही थी, पर सर एकदम से मुझसे पूछे कि जो मैं दे गया था उन सभी कहानियों को पढ़ लिया.

मैंने सर झुका कर सर से बोली जी सर, मुझसे पूछे आरती कैसी लगी मैंने कहा सर अच्छी, तुम घबरा रही हो मैं बोला नहीं सर, बोला और पढ़ोगी मैंने कुछ नहीं बोला उन्होंने हाथ पकड़ कर कुछ और उसी तरह के प्रिंट मुझे हाथ में दिए, और साथ में बोला तुम्हारे यहां डीवीडी है, मैंने बोला जी सर, सर बोले कुछ सीडी हैं इन्हें अकेले में देखना, और फिर किताब खोल कर बहाने से मुझे देखते रहे, इसी तरह आज की पढ़ाई पूरी हो गई, जाते समय बोल गए कि तुम्हारी हालत ठीक नहीं है आरती, यह इसी के लिए है कि तुम पढ़ाई के साथ लाइफ भी इंजवाय करो, तुम आज CD में पिक्चर देख लेना, फिर अगर पसंद आएगी फिल्म तो अपन कल प्रैक्टिकल करेंगे। मैं बोली यस सर।

सर चले गए मैं डीवीडी टीवी में सेट की तभी मम्मी बोली क्या कर रही है आरती, कुछ प्रेजेंटेशन कि CD है उसे देखना है तब मैंने गेट बंद कर लिया और वह फिल्म लगा दी, जैसे ही लगाया उसमे एक लड़की को चार मर्द पूरा कपड़े खोलकर बहुत भारी भारी बड़े-बड़े लोग उसके चूत को चाट रहे थे और उनमें से सभी के बहुत बड़े-बड़े लंड अपने मुंह से चूस रही थी, तभी 2 लोग उसकी चूत को जोर-जोर से चाटने लगे और फिर सभी अपना लंड निकालकर उसे चोदने के लिए डालने लगे, 1 पीछे डाल दिया तभी लड़की बोली फक मी फक मी हार्ड, इतने में एक मर्द लड़की के दोनों बूब्स के बीच में अपना लंड डाल दिया और 1 मिनट में चारों लंड से वह चुदवाने लगी, और बहुत जोर-जोर से आवाज निकालने लगी। यह देखते हुए मेरी हालत बहुत खराब हो गई और अपने आप मेरा हाथ पैंटी के नीचे घुस गया और मैं भी वहां अपना हाथ अपनी चूत में चलाने लगी।

अब मुझसे बिल्कुल रहा नहीं जा रहा था तभी मैं अपने हाथ से पहली बार अपने बूब्स दबाने लगी और मैं वह फिल्म बार-बार देख रही थी करीब दो घंटे तक वो मुवी देखती रही। जब मम्मी आके चिल्लाई तब मैंने जल्दी जल्दी से फिल्म बंद की और CD छुपा दी। थोड़ा खाना खाई खाने में मन ही नहीं लग रहा था, फिर जो आज प्रिंट दिए थे उसे पढ़ने लगी और उसमें भी वही ट्यूशन सर और ट्यूशन पढ़ने वाली लड़की की चुदाई की कहानी थी, मैंने पूरी पढ़ी और फिर जब नींद आई तो आज भी कमलेश सर सपने में आ गए और मुझे रात में सपनों में चोदे उन्होंने मेरे मुंह में अपना रस डालकर पिलाया सपने में अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था मैं दिन भर सोचती रही। कि सर कब आएंगे और प्रेक्टिकल करेंगे मैं सर के आने के  इंतजार में बैठी रही। जैसे ही 4:00 बजे सर आ गये, सर समय से एक घंटे पहले आ गए। इत्तेफाक की बात थी की मम्मी दोपहर को ही यह कहकर कि मैं छोटे वाले मामा के घर जा रही हूं रात में 8:00 बजे तक आऊंगी पापा को बता देना । सर आज 1 घंटे पहले आ गए और आते ही मुझसे बोले मम्मी को बुलाओ मैं बोली मम्मी घर में नहीं है। सर बोले पापा को बुलाओ मैं बोली पापा भी नहीं है, सर बोले मतलब आरती तुम अकेली हो क्या?

मैंने कहा जी सर, तो फिर आरती तुम अंदर से गेट बंद कर दो मैं बोली ठीक है, मैं जाकर अंदर से दरवाजा बंद कर ली, और सर को बोली कि सर
आज क्या पढ़ाएंगे? सर बोले कि ऐसा करो कि पहले यह बताओ कि तुम्हें फिल्म कैसी लगी ? मैं कुछ ना बोली शर्म के मारे कमलेश सर ने फिर से
पूछे कि बताओ कैसी लगी, जवाब नहीं दोगी तो मैं जाता हूं वापस, मैं बोली देखी हूं सर अच्छी थी, बोले तुम्हारा DVD कहां है मैं बोली अंदर, बोले
चल कर दिखाओ, मैं सर को टीवी वाले रूम में लेकर गई, टीवी वाले रूम में सर ने कहा चालू करो मैंने स्टार्ट किया वह जेब से एक CD और निकालें और उसे इंसर्ट कर दिया। और बोले आरती मेरे साथ देखोगी फिल्म मैं बोली नहीं सर, तो बोले ठीक है तुम अकेले देखो इसे बहुत जरूरी है इसके बाद पढ़ाई कराता हूं, तब तक मैं बाहर वेट करता हूं। तुम्हें देखना ही है मैं उनकी बात मान गई, और अंदर DVD में फिल्म देखने लगी।

जैसे ही फिल्म शुरू हुई उस फिल्म में एक इंडियन लड़की को 3 विदेशी उसके सलवार सूट का नाड़ा खोलकर और उस लड़की की सीधे चूत चाटने लगे और टेबल पर लिटा कर सबसे पहले गांड पर लंड डाल दिया। यह फिल्म देखते हुए मैं एकदम से पागल होने लगी बहुत एक्साइटेड हो गई और मुझे ध्यान भी नहीं रहा कि सर बाहर बैठे हैं। मैं अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया और धीरे-धीरे चलाने लगी, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था उधर TV में एक लंड मुंह में और एक गांड में एक चूत में घुसा था और लड़की जोर जोर से आवाज कर रही थी, ऊं हहह वोहहहहह आहहहह मैं हाथ चला रही थी अपने चूत में, मुझे पता नहीं चला कमलेश सर कब अंदर आ गए, अंदर आते ही मेरे पीछे से सर मेरे हाथ के बगल से अंदर मेरी पैंटी में हाथ डाल दिए, बोले अपना हाथ निकालो आरती मैं हेल्प करता हूं।

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मैं उनकी तरफ मुड़ी जैसे ही तभी सर ने मेरे होठों को अपने होठों से चूम लिया और मेरे होंठ चाटने लगे और अपनी उंगली पैंटी के नीचे से ही मेरी चूत में डाल दिया, सच बता रही हूं मुझे पहली बार किसी मर्द ने छुआ वह भी एकदम से इस तरह से, मैं कुछ बोल नहीं पाई, लेकिन सर के हाथों के टच से मेरा रोम रोम सिहर गया, मैं बोली सर यह ठीक नहीं, कुछ हो जाएगा तो मैं मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी। सर प्लीज मुझे छोड़ दीजिए, मेरे साथ ये सब मत करिए प्लीज, सर मुझसे बोले आरती आई लव यू, तुम मुझे बहुत पसंद हो,  जिस दिन से मैंने तुम्हें पैंटी में देखा था तुम्हारी फूली हुई मस्त चूत पतली सी कमर और मस्त बूब्स यार आरती पागल हो गया उस दिन से तुम्हें पाने के लिए, आज मैं जानता हूं कि तुम बहुत गर्म हो मैं जब से आया हूं तब से तुम सिर्फ मेरे पैंट की जिप पर देख रही हो, लगता है तुम्हारी चूत को बहुत खुजली है, आरती मुझे प्यार करने दो, तुम्हारी गांड बहुत मस्त है मुझे सिर्फ तुम्हारी गांड चोदना है, जब तुम पीछे मुड़ती हो मस्त बाहर निकली हुई गांड, कोई कंट्रोल नहीं कर सकता, मुझसे रहा नहीं जाता आरती 5 दिन से मेरा लन्ड बैठा नहीं, 10 से 15 बार तुम्हें चोदते हुए सोचकर मुट्ठ मार चुका हूं।

ऐसे कहते हुए सर ने मेरे कुर्ता के ऊपर से मेरे दोनों बूब्स दबाने लगे और मेरे होठों को फिर से किस करने लगे, उनके होठों की छुअन से मेरे होंठ जलने लगे मेरा पहला अहसास था, सर के बदन की खुशबू मुझे बहुत अच्छी लगने लगी। सर इतनी ओपेन गन्दी गन्दी बातें मुझे बोल रहे थे कि मैं सोच भी नहीं सकती थी। मैं कुछ ना बोली पर सर की जो ऊगली मेरी चूत में घुसी हुई थी उसे सर ने और थोड़ा अंदर डालने लगे, अब सर बिल्कुल सामने आ गए और अपना पेंट खोलकर नीचे कर दिया सिर्फ अंडरवियर में हो गये और अपना टी शर्ट भी उतार दिया। उनका गठीला बदन बनियान नहीं पहने थे इसलिए पूरी नंगी छाती सर की मेरे सामने थी, पहली बार अपनी लाइफ में किसी मर्द से ऐसे मिल रही थी मुझे कुछ पता नहीं था, ना कोई एक्सपीरियंस अब मेरे बस में कुछ नहीं था, मैंने सर को बोला सर किसी को पता चल गया या कुछ हो गया तो मैं मर जाऊंगी किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी।

सर ने बोला अगर तुम्हारी शादी हुई होती आरती तो तुम्हारे दो तीन बच्चे होते तुम पूरी मैच्योर हो चुकी हो। तुम फुल चुदवाने लायक हो आरती। कोई टेंशन मत लो मेरी जान, आरती अब मुझे माफ करना आज अब मैं बहुत गंदी बात करूंगा और सेक्स भी, तुम भी जितना खुलोगी उतना इन्जवाय करोगी और उतना मजा आयेगा। जैसे अभी फिल्म में देखा है वैसा ही तुम्हें करना है और मैं भी वैसा ही करूंगा उन्होंने मुझे अपने हाथों से खड़ा कर लिया और मेरी सलवार को नाड़े से सरका कर के नीचे उतार दिया मेरी सलवार बेड में दूर फेंक दी, और बोले आरती हाथ ऊपर करो और -धीरे मेरे कुर्ते को ऊपर किया जैसे ही मेरा पेट दिखा, कमलेश सर मेरी नाभि को चूमने लगे, मेरी नाभि में जैसे ही होंठ रखे और किस किया जाने मुझे क्या हो गया मैं सी सी आउछ करने लगी थी, मुझे बहुत अजीब सा लगा, सर बोले क्या नाभि है तुम्हारी, ऐसा लगता है कयामत हो आरती, इतनी सेक्सी लड़की मैंने जिंदगी में नहीं देखी.

फिर नाभि को चूमते रहे, धीरे धीरे कुर्ते को ऊपर किया और जैसे ही सीने तक गया, मेरा वाइट कलर का ब्रा उसके अंदर मेरे बूब्स बहुत बड़े नहीं थे, तभी सर बोले यह तुम्हारे मस्त मस्त छोटे-छोटे दूध मैं बहुत बड़े-बड़े कर दूंगा, लोग तरसेंगे देखना इसी महीने तक 1 महीने में अपने दोनों बूब्स का साइज, अभी क्या है साइज़ तुम्हारे बूब्स के, मैं बोली 30 से भी कम सर, बोले इसी महीने 34 से ज्यादा कर दूंगा मैं एकदम हैरान थी, कि ऐसा क्या करेंगे कि बूब्स मेरे बड़े हो जायेंगे और सर मेरे सीने में अपना मुंह रख दिया अब मेरा कुर्ता भी उतार दिया,सर के सामने मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और सर मेरे सामने सिर्फ़ अंडरवियर में सर मुझे एक टक देखते हुए बोले आरती तुम बला की खूबसूरत हो और मुझसे लिपट गये किसी मर्द के बाहों में जाने से क्या होता है अब पता चला, उनका अंडरवियर में तना हुआ पेनिस मेरी पुसी में रगड़ खा रहा था, तभी सर मेरा हाथ पकड़ कर अपने अंडरवियर में डलवाकर मुझे अपना लंड जैसे ही पकड़ा दिया मैं बता नहीं सकती कैसा लगा, अपनी लाइफ में फर्स्ट टाइम लंड को अपने हाथों में ली वोहहहह तभी सर ने अपनी अंडरवियर नीचे खिसका कर उतार दी अब वो पुरे नंगे बदन मेरे सामने हो गए

मुझे बोले आरती मेरी सेक्सी देखो जैसे फिल्म में चल रहा है वैसा करो, उधर टीवी में जो ब्लू फिल्म चल रही थी उसमें वो उन लोगों के लंड चूस रही थी मुझे बहुत झिझक लगी, पर अंदर से बहुत मन हो रहा था तब सर बोले आरती लड़की का ये ड्रीम होता है, कि वो मर्द का लंड अपने मुंह में लेकर चूसे उसे चाटे और लंड का पानी रस पीये, ये कहते हुए मेरे कंधे पर दबाव देके बैठा दिया अब सर का लंड मेरे आंखों के सामने एक दम फनफना रहा था, मैंने उसे पकड़ लिया और जैसे ही मुंह के पास ले गई एक बहुत अजीब सी खुशबू लंड की आई और मैंने जैसे ही लंड में अपने होंठ रखे मेरे बदन में आग सी लग गई और सर भी कांपने लगे और मेरे बाल पकड़ कर अपना लौड़ा मेरे मुंह में घुसा दिया, अब मैं उसे चूसने लगी अपनी जीभ से चाटने भी लगी, सर बोले आरती ऐसा नहीं लग रहा कि पहली बार तू लंड को मुंह में ली है, तू लंड ऐसे चूस रही है जैसे प्रोफेशनल रंडी चूसती हैं, वोहहहहहभ आहहहहहहह सर चिल्ला रहे थे.

अब मेरी ब्रा भी उतारने लगे जैसे ही ब्रा खोल दी मेरे बूब्स देख कर सर बोले आरती तू बहुत गज़ब की माल है रे, चल अब उठ बिस्तर में लेट मैंने लंड मुंह से निकाल कर खड़ी हुई कि सर मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर इतने जोर से दबाने लगे कि मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं दर्द के मारे कराह उठी तभी सर ने एक एक करके दोनों मेरे बूब्स को मुंह में लेकर चूसने लगे, जैसे ही बूब्स चूसने लगे मैं पागल हो गई अब जाना की लड़की के बूब्स अगर कोई मर्द चूस ले फिर उसे कुछ भी कर लें, सर मेरे बूब्स करीब पन्द्रह मिनट तक जबरदस्त चूसे मैं उहहह अहहहह सर आप बहुत मस्त है ऐसे चिल्ला रही थी, और मेरा हाथ अपने आप सर के लंड में चला गया था मैं सर का लंड अपने हाथों से पकड़ कर रगड़ कर उपर नीचे करने लगी थी।

अब पता नहीं मैं कौन सी दुनिया में थी, सर ने मुंह से बूब्स निकालकर मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर पर लिटा दिया और बोले आरती अब प्लीज तुम्हें भी बोलना पड़ेगा, जैसे तुमने उन कहानियों में पढ़ी हो अंदर जो भी फील हो गंदी बाते सब बोलो गाली दो ऐसा करने से जोश और मजा लाख गुना ज्यादा बढ़ जाता है, नहीं बोलोगी मैं चला जाऊंगा, मैं बोली सर बोलूं सर बोले हां डार्लिंग मैं बोली सर हम लड़कियां आपस में बहुत गंदी बातें करते हैं, और गालियां भी देती हैं। आप बुरा मत मानना, सर बोले इन पलों में वाइल्ड लाइफ मिन्स जानवर बन जाना चाहिए आरती, मैं बोली पक्का सर, सर बोले हां आरती, मुझे गालियां बहुत आती है, मैं गालियां देती भी बहुत हूं सर, मैनें पहली गाली सर को जो दी वो यह है, मैंने कहा सर तू बहुत मादरचोद है, सर बोले गुड आरती ऐसे ही, और बोलो मैं बोली कमलेश तु मुझे रंडी बनायेगा क्या?

जैसे ये बोला सर ने पैंटी पकड़ी और उतार ने लगे धीरे धीरे जैसे ही खिसका कर पैंटी मेरी उतारी सर पागल हो गए बोले आरती क्या मस्त पिंक
कलर की चूत है, वो भी फ्रेश अनटच देखने से ही लगती है और मेरी चूंत को चूमने लगे, मेरी जांघों को भी सहलाने लगे और चूमने लगे मुझे अजीब सा नसा चढ़ने लगा मेरे पैर के अंगूठे से चूमना शुरू किया और मांथे तक चूमे, मेरे पैर जांघ पीठ, गांड में उंगली डाल कर उसको चूमने लगे चाटते रहे, बोले आज तेरी गांड जरूर चोदूंगा आरती क्या मस्त उठान लिए तेरी गांड है, मेरी पीठ को चूमने लगे फिर नाभि को चूम लिया और पेट को चाट चाट के नाभि में जीभ डाल दी मैं पागल हो गई, ओहहहहह अब मेरे सीने को चूमने लगे और बूब्स को फिर से दबाने लगे चूसने लगे, मैं ऊं हहह वोहहहहह आहहहह करती रही तभी सर मेरे होंठों को चूसने लगे मुझे अब बिल्कुल होशो-हवास न था, तभी सर बोले आरती एक साथ अब करेंगे..

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मैं बोली क्या सर, सर बोले तू मेरा लन्ड चूसना मैं तेरी चूत चाटूंगा, मैं बोली सर अब मैं सब में तैयार हूं, तभी सर अपने पैर मेरे मुंह तरफ किये और सर का लंड मेरे मुंह में आ गया मैंने तुरंत उसे अपनी जीभ से चाटने लगी और चूसने लगी, सरअंकड़ गये बोले आरती मेरी रंडी आज तू मुझे पागल कर रही है, और मेरी टांगें फैला कर अपनी जीभ मेरे चूत में घुसा दिया मैं उनकी चूत चाटने से बिल्कुल पागल होने लगी और मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा था, पहली बार कोई मेरी चूत चाट रहा था, मै जोश- जोश में पूरा लौड़ा मुंह में अंदर बाहर करने लगी जैसे मुंह की चुदाई हो रही हो, आहहहह तभी सर ने मेरी चूंत को खाने लगे बोले बहुत ही मस्त टेस्ट वाली चूत है तेरी क्या खुशबू है, आरती उहहहहह ओहहहहह हमेशा मेरे मुंह में इसे रखे रहना, मैं पूरी लाइफ तेरी चूत चाट कर गुजार दूंगा वोहहहह मेरी रंडी आरती।

सर के इस तरह चूंत चाटने से मैं बिल्कुल तड़प उठी, और बोली सर अब अपनी रंडी आरती को इस तरह मत तड़पाओ मैं नहीं रह पा रही मुझे कुछ करिये जिससे ये आग मेरे अंदर की बुझे। ये मेरा फर्स्ट टाइम था इसलिए मुझे यह भी नहीं पता था कि ये प्यास ये तड़प कैसे मिटेगी। सर बोले रुक आरती मैं भी इतना पागल आज तक नहीं हुआ, करीब बीसों स्टूडेंट्स को चोदा और इतनी ही काल गर्ल को ठोका मेरी बीवी भी बहुत सेक्सी है, बहुत चुदवाती है। परन्तु तेरे में जो सेक्स की इच्छा है जो तेरी चूत की खुशबू है, उठी हुई तेरी लाजवाब गांड वोहहहह तुने मेरी लाइफ का सबसे सेक्सी पल दे दिया, तेरे जैसे लंड कोई नहीं चूसता अब चल आरती तेरी पहले गांड मारता हूं वोहहह तेरी प्यास बुझाता हूं।और बोले उठ आरती कुतिया की तरह चोदूंगा तेरी गांड, मैं बोली हां कमलेश कुतिया से भी बेकार चोद मैं मरी जा रही हूं। सर बोले कुतिया बन मैं उठ कर एकदम कुतिया बन गई सर बोले तू तो बड़ी एक्सपर्ट हैं पहले भी गांड़ मरवाती थी क्या?

मैं बोली आज तक किसी ने खुली गांड मेरी देखी नहीं छुआ नहीं तो मारने का सवाल ही नहीं उठता सर, आरती मैं बहु लकी हूं कि तुम्हारी गांड आ  जबरदस्त चोदूंगा और ऐसे कहते हुए सर ने मेरे गांड को चूमने लगे और अपनी जीभ मेरी गांड में डाल दी, आरती सच में पागलपन है तेरी गांड आज तुम्हारी गांड की प्यास बुझाऊंगा इस तरह सर ने मेरे उपर कुत्ते की तरह चढ़ गए, और मेरे गांड में अपना लौड़ा रख दिया पीछे से दूध पकड़ कर बोले आरती अब डाल दूं अपना लंड तेरी गांड में, मैं बोली सर अभी घुसा दो पुरे जोर से रगड़ना मेरी गान्ड मुझसे रहा नहीं जा रहा, अब बस चोदो या कुछ भी करो मेरी आग मेरे अंदर की प्यास बुझनी चाहिए.

सर ने कहा प्यास तेरी बुझ जाएगी पर दर्द बहुत होगा सह लेगी, मै बोली चाहे जितना भी दर्द हो आप बिल्कुल चिंता नहीं करो सर बोले फिर ले और सर ने बहुत सारा थूंक मेरी गान्ड में लगाया और अपने लन्ड में भी साली कुतिया रंडी आरती, तभी सर ने थूंक लगाया मेरी गान्ड में और जोर से अपना लंड घुसाने लगे, अंदर बिल्कुल नहीं घुसा तभी एक बहुत जोर का धक्का पूरी ताकत से ऐसा लगाया कि आधा लन्ड चररर की आवाज आई और घुसा पर इतना दर्द हुआ कि लगा मैं मर गई, मैं दर्द के मारे बेहोश हो गई, सर घबरा गये वहीं बाटल में पानी रखा था उससे मेरे चेहरे पर पानी के छीटें मारने लगे, मैं होश में आई उन्होंने पर अपना लन्ड बाहर गांड से निकाला नहीं था, इतना दर्द कभी नहीं हुआ मैं जोर से चिल्लाई बचाओ, छोड़ दो सर प्लीज छोड़ दो , मैं मर जाऊंगी निकाल अपना लं  मादरचोद मैं गाली भी देने लगी और बहुत जोर जोर से चिल्लाई बचाओ कोई, मार डाला इस हरामी ने निकाल अपना लंड कुत्ते, मम्मी बचाओ, पापा बचाओ, मुझे छोड़ दो सर हांथ जोड़ती हूं, मेरी गान्ड में मैंने हाथ लगाया तो मेरे हाथ में खून लगा हुआ था मैं अब जोर जोर से रोने लगी खून देखकर पर सर को कोई फर्क नहीं पड़ा, और उन्होंने एक और जोर का धक्का लगा दिया और पूरा लन्ड मेरी गान्ड के अंदर घुस गया और पूरा लौड़ा अन्दर घुसा कर अब अपने लन्ड को गांड़ के अंदर बाहर करने लगे, मेरी गान्ड को अब सर चोदने लगे और मैं बहुत जोर-जोर से रोये जा रही थी, बहुत दर्द हो रहा था, तभी सर अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगे.

बोले आरती साली रण्डी क्या जबरदस्त तेरी गांड है आज तेरी गांड की सुहागरात है आरती आज मैंने तेरी जबरदस्त गांड की शील तोड़ दी। मेरे से किस्मत वाला कोई नहीं ।सर अब जोर-जोर से मुझे चोदने लगे पूरा लंड मेरी गांड में अंदर करते थे फिर बाहर निकालते इस तरह जबरदस्त मेरी गांड की चुदाई करने लगे, पता नहीं कैसे कब मेरा पूरा दर्द अब कहां गायब हो गया, ये मुझे समझ नहीं आया इतना असहनीय दर्द कैसे खत्म हो गया, ये क्या मैजिक है कि दर्द की जगह अब मुझे एक दम से बहुत जोश आ गया। मैं सर से बोली ओहहहहह मेरे राजा क्या किया अपनी आरती को की दर्द भी खत्म और जबरदस्त मजा ला दिया, वोहहहहह कुत्ते कमलेश चोद अब मेरी गान्ड को जितना चोदना हो, जोर से मेरी गांड में डालो पूरा लंड मुझे बहुत मजा आ रहा है, हमेशा मेरी गान्ड चोदते रहना ऐसे ही मस्त, और डालो कमलेश तेरी आरती तेरे लिए कुछ भी करेगी, बस मुझे अपनी रंडी बना कर ऐसे ही चौबीस घंटे मेरी गान्ड चोदते रहना।

मैं कसम खाती हूं जो बोलोगे करूंगी, और चोदो जोर जोर से तभी सर ने फुल स्पीड से पूरा लौड़ा अंदर बाहर बहुत मस्त करने लगे, मैं पागल हो रही थी करीब 40 मिनट तक ऐसे ही मेरी गान्ड को चोदते रहे, सर बोले सोच आरती तेरे दो दो लंड घुसे हैं एक तेरी चूत में इमेजिन कर और फिर से अपनी तीन ऊंगली मेरी चूत में घुसा दिया। सर बोले ये उंगली नहीं है सोच किसी का लंड है। सर का लंड गुदामैथुन यानि गांड को चोदने में लगा है। और एक लन्ड मेरी चूंत को चोद रहा है, मैं सच में वही सोचने लगी कि एक लंड मेरी चूंत को  चोद रहा है और एक मेरी गान्ड को अब मेरा जोश हजार गुना बढ़ गया। मैं बोली सर मेरी चूत को जोर से चोदो बहुत जोर से ऊंगली रूपी लंड चलाओ और मेरी गांड को तो तूने आज फाड़ ही दिया है।

अब आरती को अपनी बीवी समझ कर चोदो आज मेरी पहली सुहागरात है सर, और चोदो तभी मेरे चूत से  बहुत तेजी से गरम गरम पानी निकलने लगा मैं अकड़ गई, सर बोले आरती तू तो झड़ गई तेरी चूत तो बह चली जोर से, सर ने बोला आरती अपनी गान्ड और ऊपर उठा मैं एक बार पूरा लन्ड तेरी गांड की जड़ तक अन्दर घुसा दूं, मैंने तुरंत अपनी गान्ड ऊपर उठा दी और बोली हां सर पूरा पेल दो अपना लौड़ा वोहहहह, और सर ने फचाक से अंदर कर दिया मैं चींख उठी ओहहहहह मेरे कुत्ते तुमने आज मुझे जन्नत का मजा दे दिया है।

आज से हमेशा मुझे ऐसे ही चोदना आप अपना लौड़ा मेरी चूत में भी डाल दो, तभी सर जोर-जोर से हांफने लगे और बोले मेरी रंडी आरती मेरा लन्ड रस तेरी गांड में जा रहा है, और सर अकड़ के मेरे दोनों दूध जोर से दबाते हुए पूरा फच फच अपना लंड मेरी गांड में जड़ तक पूरा घुसा दिया। और अपने लन्ड का गरम-गरम रस को मेरी गांड में भर दिया। अब जाके मेरी प्यास बुझने लगी मैं तड़प रही थी इसी पल के लिए शायद। सर ले आरती आज तक तुम कच्ची कली थी आज से तू छिनाल बन गई है। और पूरा लंड अंदर तक मेरी गान्ड में घुसेड़ कर लंड रस भर दिया और फिर मुझे सामने लिटा कर के मेरी टांगे फैलाकर मेरी चूंत का बहता हुआ रस चूसने लगे, मुझे बहुत मजा आया मैं बोली सर आप बेस्ट हो, पर मुझे पेशाब है, सर बोले कर दो आरती प्लीज कर दो मुझे पीना है तुम्हारी चूंत से निकली मस्त पेशाब, मैं बोली छि छि नहीं सर, सर बोले नहीं बहुत मस्त होता है.

आरती प्लीज करो पेशाब मेरे मुंह में और मैं वही करने लगी, सर ने मेरी चूत से निकली हुई पेशाब को बड़े मस्त तरीके से पीने लगे, एक एक बूंद
मेरी पेशाब का पी लिया और चाट-चाट के मेरी चूत को भी साफ कर दिया । फिर सर ने उठकर अपनी रूमाल से मेरी गान्ड को साफ किया। सर बोले थोड़ी देर बाद पीछे गांड में दर्द होगा, उसके लिए मैं ये टेबलेट लाया हूं, आरती हल्की तेरी गांड में ब्लाडिंग हुई है इसलिए इसे गांड की होल में लगा लेना ऐसा बता करने एक ट्यूब और कुछ टेबलेट दिये। सर ने बोला आरती चिंता नहीं करनी है। सब दर्द दो तीन दिन में गायब हो जायेगा, और अब लाइफ में दोबारा कितना भी गांड़ चुदाई करवाती रहोगी दर्द नहीं होगा, सिर्फ मजा आयेगा। सर अपने कपड़े पहने और मै भी अपने कपड़े पहन ली, और फिर सर मेरे होंठों को चूमने लगे और बोले तुम्हारी चूंत अभी भी वर्जिन है।

अब तीन चार दिन नहीं आऊंगा। सच में चार पांच दिन मुझे बहुत दर्द हुआ फिर सब ठीक हो गया। ये मेरे साथ मेरे जीवन का पहला सेक्स था वो भी पीछे ही हुआ। एक एक शब्द मैंने पुरा सच लिखा है भरोसा करियेगा एक शब्द भी बनावटी या मनगढ़ंत नहीं है। आने वाले समय में कैसे कैसे किन किन लोगों से चुदवाया बताती रहूंगी लेखनी के माध्यम से। कैसे लगी मेरी सत्य कहानी मेरे मेल आईडी में बताईये,आप अपनी राय और मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं। मुझे मेरे मेल द्वारा बता सकते हैं।

मेल – [email protected]

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चोदु भतीजे से चुदक्कड़ बुआ की चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/chodu-bhatije-se-chudkkad-buaa-ki-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/chodu-bhatije-se-chudkkad-buaa-ki-chudai.html#respond Sat, 10 Mar 2018 05:16:51 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12168 यह कहानी है चोदु भतीजे से चुदक्कड़ बुआ की चुदाई की इस कहानी से इतना तो साबित होता ही है की जवानी का आग किसी को नहीं बक्षाती हर किसी की इच्छा होती है सेक्स करने के लिए और इसके लिए हर हद को पार कर लोग सेक्स की वासना को शांत करने में लग जाते है

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हेलो दोस्तों, मेरा नाम देवेन्द्र है और मैं अभी 23- साल का हूं, यह मेरी पहली मस्ताराम डॉट नेट है जो मैं आपके सामने पेश करने आया हूं. यह कहानी तब की है जब मेरे अंदर नई नई जवानी आई थी और मैं १२वीं क्लास के पेपर देकर छुट्टियों में घर पर रह कर एंजॉय कर रहा था.मेरी एक बूआ है जिसके साथ मेरी बहुत बनती है, वह बहुत सुंदर है और बहुत सेक्सी भी है. मेरी बुआ का नाम प्रियंका है, और उम्र 30 साल थी, और उनकी शादी को अभी 5 साल हुए थे.

मेरी बुआ ने एग्जाम से पहले सर्दियों में एक लड़के को जन्म दिया था पर वह 3 दिन बाद ही मर गया था, मेरी बूआ मुझसे बहुत प्यार करती थी, तभी बुआ का फोन आया और पता चला कि वह मुझे वहां बुला रही है. क्योंकि मेरे फूफा जी कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहे हैं, यह सुन के में बहुत खुश हो गया. इन दिनों मेरा अजीब सा ही मन हुआ करता था, क्योंकि नई नई जवानी निकलने के कारण मेरा लंड भी खड़ा रहता था और वह बहुत परेशान करता था. इसलिए मैंने एक दो बार मुट्ठी मार ली थी, पर उसके बाद मुझे कुछ ज्यादा ही अजीब सा लगता था. पर बुआ के घर जाने के बारे में सोच कर बहुत खुश होता था और मन ही मन कहता था शायद वहां जाकर मेरी यह अजीब सी फीलिंग खत्म हो जाए..

अगले दिन मैं बुआ के पास चला गया जो की मोहाली में रहती थी, उनके घर पहुंचते ही बुआ ने दरवाजा खोला और मैं बुआ को देखता ही रह गया, क्योंकि वह बहुत सेक्सी लग रही थी और उनके बूब्स और गांड तो मानो जैसी कत्ल ही कर देगी, वो देखते ही मेरे अंदर कुछ अजीब सा करंट लगा और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, पर वह बहुत उदास लग रही थी.

फिर मैं घर आ गया और अपनी बुआआ साथ छुट्टियां एंजॉय करने लग गया. दोपहर के खाने के बाद मैंने बुआ से उनके उदास रहने की वजह पूछी, तो वह रोने लगी और मुझे कहने लगी कि अब तू आ गया ना मेरे पास तो मेरी उदासी भी दूर हो जाएगी.

तभी कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि उनकी ब्रा गीली हो गई और उनकी कमीज पर भी दाग लग गया, तभी वह बाथरुम के ओर भाग गई और बाथरूम में जाकर अपने मस्त दूध को दबा कर दूध निकालने लग गई, जिससे उन्हे बहुत तकलीफ हुई और वह बहुत उदास हो गई.

मैं उन्हें ऐसे ही तकलीफ में देखता रहा और उनसे उनकी परेशानी की वजह पूछता रहा पर वह हमेशा मुझे एक ही बात कह कर चुप कर देती, तू आ गया है ना अब सब ठीक हो जाएगा..

दो तीन दिन बाद उनकी एक फ्रेंड घर पर आई, वह भी बुआ की तरह बहुत सेक्सी थी और उनका नाम कस्तूरी था. अब वह दोनों एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करने लग गये और मैं भी वहां बैठा था. तभी मेरी बुआ ने मुझसे कहा रिहान जा अंदर जाकर टीवी  देख ले मुझे कुछ बात करनी है.

मैं वहां से उठकर चला गया और चोरी चोरी उनकी बातें सुनने लग गया. बुआ अपनी परेशानी के बारे में उन्हें बता रही थी कि उनको बूब्स दबा कर दूध निकालने मैं बहुत तकलीफ होती है.

यह कहानी भी पढ़े : चोरी के गिफ्ट से लड़की पटा के चोदा

तभी उनकी फ्रेंड ने मुझे बुलाया और मुझसे कहा क्या तुम जानते हो तुम्हारी बुआ तकलीफ में है?

मैंने कहा : हां जी

कस्तूरी ने कहा : क्या तुम अपनी बुआ की मदद करोगे?

मैंने कहा : कैसी मदद??

तब उन्होंने कहा की तुम्हारी बुआ का दूध निकलता है जिसे हाथों से निकलने में बहुत परेशानी होती है, क्या तुम अपनी बुआ का दूध पियोगे? उस से उन को थोड़ी राहत मिलेगी.

यह सुनते ही मैं वहां से भाग गया और अपने कमरे में आकर बैठ गया.

फिर थोड़ी देर बाद जब बुआ की फ्रेंड चली गई, तब वह मेरे पास आई और बोली सॉरी प्लीज यह बात तुम किसी से भी शेयर मत करना. मेरी फ्रेंड ने मुझे तकलीफ में देखा तो उसने तुझे बता दिया.

में भी कुछ सोच रहा था और बोला मुझे बुरा इस बात का लगा कि यह बात आपने मुझे पहले क्यों नहीं बताई? आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूं..

बुआ ने : कहा सच?

मैंने कहा : हां.

वह बहुत खुश हुई और मुझे जप्पी दी, तभी बुआ बाथरूम की और जाने लगी तो मैंने पूछा क्या हुआ कहां जा रहे हो?

तब वह कुछ नहीं बोली.

मैंने कहा : मैं कुछ हेल्प करूं क्या?

तब वह मेरे पास आ गई और बोली पहले प्रॉमिस करो कि यह बात तुम्हारे और मेरे बीच ही रहेगी.

मैंने कहा हां बुआ प्रॉमिस करता हूं.

अब उन्होंने अपनी कमीज ऊपर कर दी और अपनी सेक्सी बूब्स को बाहर निकाल दिया.

उसे मेने हाथ में पकड़ा तो मुझे ऐसा लगा कि मैं हाथ में आम पकड़ लिया, फिर मैं उन्हें मुंह में डाल कर चूसने लग गया, और इधर मेरा लंड भी खड़ा होने लग गया.

बुआ ने राहत भरी सांस लेकर कहां बस आज मुझे कितने टाइम बाद आराम मिला है?

बुआ मैं आपको अब कोई तकलीफ में नहीं रहने दूंगा.

अब वह खड़ी हुई और घर के काम में लग गई, फिर रात को सोने से पहले बुआ ने मुझे फिर से अपने कमरे में बुलाया जहां बिस्तर पर लेटी हुई थी, मैं भी वहां जाकर उनके पास लेट गया और उन्होंने अपनी कमीज ऊपर उठाई और बूब्स निकाले पर उन्हें तकलीफ हो रही थी तो मैंने बुआ को कैसे कर के उनकी कमीज उतार डाली.

अब बुआ की ब्रा भी परेशानी दे रही थी तो मैंने बुआ को कहा और बुवा ने अपनी हुक खोल कर ब्रा भी उतार डाली. अब मैं आजाद परिंदो को अपने हाथों में पकड़ कर रगड़ने लगा और फिर एक निप्पल को मुंह में लेकर दूध पीने लग गया, इधर मेरा लंड निक्कर में ही सलामी देके खड़ा हो रहा था और उधर बूआ लंबी लंबी सिसकारियां भर रही थी.

मैंने कहा : क्या हुआ बुआ??

बुआ कहने लगी कुछ नहीं बहुत आराम मिल रहा है.

मैं भी उनके बूब्स को दबाता रहा और दूध पीता रहा, उन्होंने भी मुझे कुछ नहीं कहा. तभी मैंने महसूस किया कि उनकी चूत से पानी निकल रहा था और उनका पजामा भी गिला हो गया था.

यह कहानी भी पढ़े : अपने कॉलेज की प्रिंसपल की चूत फाड़ी

मैंने कहा : यह क्या हो रहा है?

बुआ ने कहा कुछ नहीं मजा आ रहा है ना इसलिए गीला हो रहा है.

मैंने कहा : अच्छा..

बुआ ने अपने हाथ मेरे निक्कर पर रखते हुए कहा : पर तुम्हें क्या हो रहा है?

मैंने कहा : पता नहीं बुआ..

जब मैं आपके बूब्स चूसता हूं और दूध पीता हूं तो यह खड़ा हो जाता है..

बुआ ने कहा तो तुम्हें पसंद नहीं क्या??

मैंने कहा नहीं बुआ ऐसी बात नहीं है. आप हाथ लगा रहे हो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है..

बुआ ने कहा : तो एक बार मुझे अपने हाथों में लेने दे..

मैंने कहा : नहीं बुआ मुझे शर्म आती है..

मैंने कहा : अरे यह बात तुम्हारे और मेरे बीच ही रहेगी.

मैं मान गया और उन्होंने मेरा निकर नीचे करके मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया

बुआ ने कहा : अरे वाह यह तो बहुत बड़ा है..

अब मैंने भी बुआ को कहा कि आप भी दिखाओ जहां से गिलापन आ रहा है, बुआ ने मेरी यह बात सुनते ही अपना पजामा नीचे कर दिया और अपनी चिकनी चूत को मेरे आगे नंगा पेश कर दिया.

वह क्या चूत थी मस्त चिकनी और गुलाबी. तभी बुआ ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया और मेरा हाथ जैसे ही चूत पर लगा तो मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ

बुआ ने कहा : कैसा लग रहा है?

मैंने कहा : बहुत अच्छा.

बुआ ने कहा और मजा लेना चाहते हो??

मैंने कहा : वह कैसे?

बुआ ने कहा जब यह तुम्हारा लंड मेरी में जाएगा तब और भी मजा आएगा.

वो कैसे

तब बुआ ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा और टांगे खोल कर लेट गई.. आगे क्या हुआ होगा आप समझ ही गए होंगे….

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मस्ताराम की पाठिका ने कहानी से प्रेरित होकर चुदवाया | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/mastaram-ki-pathika-ne-kahani-se-prerit-hokar-chudwaya.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/mastaram-ki-pathika-ne-kahani-se-prerit-hokar-chudwaya.html#respond Sun, 25 Feb 2018 16:32:46 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=12057 इस कहानी में मै आप सभी को बताऊंगा की उस दिन मैंने कैसे पंजाबन लड़की की सील उसके बॉयफ्रेंड के सामने तोड़ी थी उसके बॉयफ्रेंड की इच्छा थी की उसके सामने उसकी गर्लफ्रेंड की सील कोई और तोड़े |

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मस्ताराम की पाठिका ने कहानी से प्रेरित होकर चुदवाया
( Ki Pathika Ne Kahani Se Prerit Hokar Chudwaya )

दोस्तों मै राहुल आज एक सच्ची घटना प्रस्तुत कर रहा हूँ आशा है आप सभी को पसंद आएगी ये घटना अभी अभी की है ग्वालियर से मेरे पास एक ईमेल आई एक 24ल की लड़की की, नाम था शीतल, परंतु उसने अपना कहानी के लिए नाम रखा था नेहा लिखा था कि राहुल जी आपकी कहानियाँ पढ़ कर मेरी बुर खुजलाने लगती है जैसे अपने , रस बहने लगती है। जिस तरह से आपने रोशनी की बुर की सील तोड़ी, मैं भी आपसे अपनी सील तुड़वाना चाहती हूँ। यह भी चाहती हूँ कि आप मुझे चोद कर हमारी चुदाई की कथा लिखें मेरी बड़ी तमन्ना है कि यह कहानी मैं पढ़ूँ। मुझे विश्वास है कि अपनी खुद की चुदाई का विवरण पढ़ के बेहद आनन्द आएगा।

नेहा कौर के संग आठ दस दिन तक मेल बाज़ी हुई और अंत में आपसी सहमति से मैंने दो दिन का ग्वालियर जाने का प्रोग्राम बना लिया। अब तक मैंने उसे नेहा कौर और उसने मुझे साहबजी कहना शुरू कर दिया था। खूब जम के आपस में गालियाँ बकना और तू तड़ाक से बातें करना चालू हो चुका था। हालाँकि कौर पहले पहले गालियाँ देने में हिचकती थी मगर बहुत जल्दी वो सब गन्दी गालियाँ न सिर्फ सीख गई बल्कि गाली देने में उसकी हिचकिचाहट भी ख़त्म हो गई।

तभी कौर ने एक नई बात कही, वो बोली कि उसका प्रेमी निखिल भी उसकी सील टूटने का दृश्य देखना चाहता है और मेरा शिष्य बन कर चुदाई के खेल में पारंगत होना चाहता है। वो भी चाहता है कि मेरी तरह ज़बरदस्त चोदू बने!

यहाँ निखिल के विषय में मैं यह बता दूँ कि अपनी दूसरी या तीसरी मेल में नेहा कौर ने मुझसे पूछा था कि उसके पीछे चार लड़के पड़े हुये हैं, और चारों ही उसको पसंद हैं, वो समझ नहीं पा रही कि किसको चुने। मैंने उसको चार में से एक को चुनने का एक तरीका बताया था जिसके परिणाम स्वरूप निखिल उसका प्रेमी बन गया था और दोनों ने शादी का फैसला भी कर लिया था।

मैंने उत्तर दिया- ठीक है नेहा कौर, मैं तेरी सील तोडूंगा। निखिल अगर अपनी माशूका को चुदवाते हुए देखना चाहता है मुझे क्या… देखे जी भर के!
वैसे तो यह शर्त भी नेहा कौर ने रखी थी कि वो निखिल को आशिक़ तभी बनाएगी जब वो उसकी सील मेरे से तुड़वाने को राज़ी होगा और शादी के बाद में भी मेरे से नेहा कौर चुदा करेगी जिसमें वो कोई ऐतराज़ नहीं करेगा। इसलिए मैंने नेहा कौर को हामी भर दी कि ठीक है निखिल उसकी नथ खुलने का नज़ारा देख सकता है।

अब आते हैं कहानी पर:

तय किये हुए दिन मैं ग्वालियर जा पहुंचा और बताये होटल में ठहर गया। दोपहर दो बजे के करीब नेहा कौर निखिल के साथ मेरे रूम में आ गई। हरामज़ादी को देख के दिल खुश हो गया, मस्त जवान लौंडिया थी माँ की लौड़ी! हृष्ट पुष्ट सरदारनी, बेहद खूबसूरत, 5 फुट 7 इंच का क़द, छरहरा निखरता हुआ मस्त बदन, तने हुए नुकीले चूचुक और खूब गोरा रंग!

मैंने उसको सर से पांव तक निहारा… साली गज़ब की बुर थी कमीनी, खूबसूरत चेहरा, बेहद हसीन हाथ और सुन्दर सुडौल उंगलियाँ। अच्छे बड़े आयताकार सुन्दर नाख़ून जिन पर बैंगनी नेल पोलिश लगाई हुई थी और वे थोड़े थोड़े बिल्कुल सही सही बढ़े हुए थे मस्त! जैसे फिल्मों में अभिनेत्रियाँ नाख़ून रखती है एकदम वैसे!

लहराते हुए रेशमी बाल, लंबी नाक, बड़ी बड़ी आँखें और हल्की सी मुस्कान लिए छोटे छोटे फ़ौरन ही चूसने लायक होंठ… जब ये होंठ लौड़े को दबाएंगे तो कितना मज़ा आएगा। यह बात मन में आते ही लंड मचल उठा।

उसने पटियाला स्टाइल भड़कीले प्रिंट वाली सलवार और गहरे नीले रंग की शमीज़ पहनी हुई थी। पैरों में जूतियाँ जिनमें उसके गोरे पैरों का ऊपरी भाग दिख रहा था। पांव नहीं दिख रहे थे मगर आशा थी कि ऐसे सुन्दर हाथों वाली लड़की के पैर भी सुन्दर होंगे।

निखिल एक लंबा तगड़ा नवयुवक था, अच्छा स्मार्ट और हैंडसम!
नेहा कौर भी मुझे भली भांति देखते हुए बोली- हाय मिस्टर साहबजी… कैसे हैं आप… आप तो एक प्रोफेसर लगते हैं।
बहनचोद कौर की सेक्सी मीठी आवाज़ सुन कर लगा जैसे कहीं घंटियाँ बज रही हों। लंड तो अकड़ा हुआ था ही, अब फ़ुनफ़ुनाने भी लगा।

तभी निखिल ने कहा- नमस्ते सर जी!
मैंने भी कहा- नमस्ते  निखिल!
और दोनों को आराम कुर्सियों पर बैठ जाने का इशारा किया।

दोनों बैठ गए तो मैंने निखिल से कहा- सुन राज…अब जो तेरी माशूका की नथ खोली जाएगी, उस नज़ारे को तू यहीं चुपचाप बैठे देखते रहना… न कुछ बोलना है और न कुछ करना है… मेरी कौर को तो छूना भी मत… आ गई बात समझ में?
निखिल ने उत्तर दिया- हाँ हाँ सर जी… ऐसा ही होगा… वैसे भी आपकी कौर मुझे छूने कहाँ देती है… अभी तक तो मैंने इसको किस भी नहीं किया… बोलती है जब मैं एक बार साहबजी जी से चुद जाऊँ उसके बाद मैं तेरी… अब तक मैंने इसके सिर्फ पैर चाटे हैं और इसकी सु सु पीने के लिए बुर के नज़दीक मुंह लगाया है… बुर से भी नहीं सिर्फ बुर के पास… बस!

मैंने निखिल को डांटा- सुन बहन के लंड राज… सु सु सिर्फ लड़के करते हैं मादरचोद… लड़कियाँ सु सु नहीं करतीं बल्कि अमृत धारा निकालती हैं… इस धारा को स्वर्ण अमृत या स्वर्ण रस कहा जाता है कमीने… संक्षिप्त में सिर्फ अमृत भी कह सकते हैं… तू किस्मत वाला है बुरिये कि नेहा कौर तुझको अमृत पीने देती है।

निखिल ने फ़ौरन कान पकड़ के कहा- सर जी, भूल हो गई, माफ़ कर दीजिये।
नेहा कौर बोली- और जो तेरी पचासों बार मुट्ठ मारी है उसका भी तो बोल हरामी?
निखिल ने सर हिला हिला कर यह बात मान ली।

मैंने नेहा कौर की ओर बड़े प्यार से देखते हुए कहा- कौर बहुत अकलमंद है कमीने.. चिंता न कर… सबर का फल मीठा होता है… अब तू आराम से बैठ और देख तमाशा…. ज़्यादा ठरक चढ़ जाए तो मुट्ठ मार लियो हरामी के पिल्ले!

इतना कह के मैंने लपक कर नेहा कौर को गोद में उठा लिया और उसको बाँहों में कस के लिपटा लिया। आलिंगन में लिए मैं बिस्तर पर आ गया और कौर को लिटा दिया।
जैसे ही मैं बिस्तर पर चढ़ने को हुआ तो कौर ने खनखनाती हुई शहद सी आवाज़ में कहा- मिस्टर साहबजी… एक बात मानोगे मेरी?

मैं- अरे मेरी जान, एक क्यों एक हज़ार बातें मानूँगा… बोल न क्या कहना चाहती है मादरचोद कुतिया?
कौर- कुछ खास नहीं मैं यह चाहती थी कि आज का खेल मेरे इशारों पर चले… जैसे जैसे मैं डायरेक्शन दूँ, आप वैसा वैसा ही करिये… मंज़ूर मिस्टर साहबजी!

मैंने गर्दन हिला कर हामी भरी और पूछा- और कुछ बदज़ात रण्डी?
नेहा कौर ने इठलाते हुए कहा- दूसरा यह कि आपको चैट पर फोन पर तो खूब गालियाँ दे देती थी मगर फेस टू फेस गाली देने में शर्म आ रही है… थोड़ी गर्म हो जाऊँगी तो शायद शर्म भी खुल जाए मिस्टर साहबजी!

मैंने कहा- ठीक है, मैं ये बात समझता हूँ लेकिन मेरी एक शर्त यह है कि तू मुझे मिस्टर साहबजी बोलना बन्द कर और या तो राजे बोल या बुर निवास या सिर्फ साहबजी!
इस पर कौर ने कहा- मैं तो साहबजी ही कहूँगी बहनचोद!

‘हा हा हा हा हा! बड़ी जल्दी कुतिया की शर्म निकल गई। देने लगी न हरामज़ादी गाली!’
मैंने कहा- आगे क्या हुक्म है मेरी कौर का… कैसे आगे बढ़ना है बताइये कौर जी?

नेहा कौर ने इतराते हुए, बड़े कामुक अंदाज़ में बल खाते हुए धीमे स्वर में कहा- पहले तो राजा मुझे कस के बाँहों में जकड़ ले, जैसे अभी बिस्तर पर लिटाने से पहले जकड़ा था। बहुत आनन्द आया जब तुम्हारी जफ्फी में हड्डियाँ कड़कड़ा गईं… साँसें उखाड़ दो मिस्टर साहबजी… मुझे बाँहों में लिए लिए मेरे होंठों का रस चूसते रहो राजा…

मैंने कौर को बिस्तर से उठाकर फिर से बाहुपाश में बांध लिया और जैसा कौर चाह रही थी, अपने होंठ उसके गुलाब की पंखड़ियों समान लबों से सटा दिए, और लगा उनको हुमक हुमक के चूसने!कौर के मुंह का जूस मेरे मुंह में आ रहा था और मेरा उसके मुंह में, कौर के मुंह का स्वाद और गंध बेहद नशीले थे।
यारो, मस्त हो गया मैं!
लड़कियों के मुखरस और मुखसुगंध कुछ अलग ही होती है, आदमी का लंड तन्ना उठता है… हम्म्म्म… हम्म्म्म… बहनचोद हम्म्म्म.

मैंने उसे इतना ज़ोर से लिपटा रखा था कि बुरी तरह से अकड़ा हुआ लौड़ा उसके पेट में गड़ा जा रहा था और उसके चूचे मेरी छाती में चुभ रहे थे। आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मस्ती में चूर हो गए थे हम दोनों!

उसका मुंह गर्म था और उसमें लार बहे जा रही थी, मेरा मुंह भी पनिया गया था, मेरे हाथ उसके नितंबों तक पहुँच चुके थे और मजा ले लेकर उनको सहलाते हुए दबा रहे थे जबकि कौर मेरा लंड पकड़ना चाहती थी लेकिन असफल थी क्यूंकि लंड तो उसके नर्म पेट में गड़ा हुआ था।
कौर ने अपने एक पैर मेरी टांगों से लिपटा लिया था और मेरे बाल पकड़े हुए वो मुझको अपने मादक होंठों का रसपान करवा रही थी।

काफी देर तक एक दूसरे के लबों का जूस चूसने के बाद कौर ने मुंह अलग किया और बोली- पहले तो अपने लौड़े के दर्शन करवा… सबसे पहले आंखें हरी कर लूँ फिर आगे बढ़ूँगी साले साहबजी!

मैंने कहा- पैंट खोल के खुद ही निकाल के दर्शन कर ले हराम की ज़नी… ये लंड मुसंड भी तो पैंट की क़ैद से आज़ाद होने को बेचैन हो रहा है।

कौर ने लपक के मेरी पैंट की बेल्ट खोल दी और पैंट नीचे गिरा दी, उसके बाद कौर ने मेरी टी शर्ट भी उतार डाली, मेरी नंगी बाँहों को चूमते हुए कौर ने बनियान उतार के दूर कहीं फेंक दी। फिर कौर ने मेरे पेट की चुम्मियाँ लीं, मेरी निप्पल्स पर जीभ फिराई और नाभि चाटते हुए उसने मेरा बॉक्सर शॉर्ट भी नीचे खिसका दिया।

अब मैं एकदम मादरजात नंगा खड़ा था, लंड एक गुस्साए हुए नाग की भांति फुन्ना रहा था, साला बार बार तुनक तुनक के उछाल मार रहा था।कौर ने जैसे ही लौड़े को अपने मुलायम हाथों में थामा तो उम्म्ह… अहह… हय… याह… हवस की तेज़ धारा मेरे बदन में दौड़ी।

कहानी जारी है … आगे की कहानी पढ़ने के लिए निचे दिए गए पेज नंबर पर क्लिक करें ..|

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चोकलेट डे के दिन पहली चुदाई | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/girlfriend/chocolate-day-ke-din-pahali-chudai.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/girlfriend/chocolate-day-ke-din-pahali-chudai.html#respond Tue, 13 Feb 2018 08:02:06 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11944 चोकलेट डे के दिन पहली चुदाई, जब वो उस दिन मुझसे मिली मैंने तो पूरी तयारी कर राखी थी उसे चोदने की धीरे धीरे जब बात बनी तो पटा चला साली पहले से चुदी हुई है फिर भी कोई बात नहीं चुत तो चुत है साली रंडी के मुह में अपना लौड़ा चोद चोद के झडा बहुत मजा आया ऐसी चुदाई से

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हैलो दोस्तों प्यार वाला महिना चल रहा है उम्मीद है की इस कहानी को पढ़ने वाले में या तो कइयो को अपना प्यार मिल चूका होगा या फिर आप 14 का इन्तजार कर रहे है अपने मन की बात बताने के लिए और कुछ लोग ऐसे भी है जिन्हें अब तक कोई ऐसा मिला नहीं इसलिए अपने लटके हुए लंड को लेकर यह वह घूम रहे है की कोई तो मिल जाये. बुरा न मानिये दोस्तों चलिए अब कहानी पर आते है मेरे दोस्तों मैं आज अपनी कहानी लेकर हाज़िर हूँ जो की रीसेंट है | तो मेरी फ्रेश कहानी पर चलने से पहले थोडा मैं अपने और अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में और अपने बारे में बता दूँ | मेरा नाम अश्विन है उम्र 24 साल कद 5 फुट 7 इंच गोरी शकल चौड़ी छाती और मोटा लंड | मेरी गर्लफ्रेंड गौरी उम्र 24 साल कद लगभग 5 फुट 2 इंच गोल चेहरा दूध ठीक हैं पतली कमर और मस्त गांड | वैसे गौरी की आँखें बहुत प्यारी है भूरे रंग की नशीली आँखें हाय मर जावां | तो अब बढ़ते है मेरी हवस भरी चुदाई की कहानी की तरफ |

अब मैं आपको ये बता के बोर नहीं करूँगा की मैंने उसको पटाया | बात शुरू करते है जब वैलेंटाइन वीक शरू हुआ था और हमारी चुदाई का सिलसिला भी | तो बात चालू होती है सुबह 6 बजे से जब उसका फ़ोन आया और मैं अपने रूम में बिस्तर पर मस्त सो रहा था | मैंने फ़ोन उठाया और दिमाग तो ख़राब हो ही रहा था लेकिन कहना पड़ता है हाय बेबी बस तुम्हारे बारे में सोच रहा था और तुम्हारा फ़ोन आ गया | उसने कहा अच्छा बाबु आज न हम घूमने जा रहे है और जगह तुम बताओ | मैंने सोचा बहुत दिन हो गए है और मैं बस घूम ही रहा हूँ हाँथ पकड़ के और कुछ पकड़ने ही नहीं मिला तो मैंने कहा चलो पार्क चलते है और थोड़ी देर बाद हम लगभग 11 बजे पार्क चले गए |

जिस पार्क में हम गए वो हमारे यहाँ का सबसे बड़ा पार्क है और ज्यादातर खाली रहता है लेकिन जब मैं गया तो बहनचोद बहुत भीड़ थी लेकिन मैंने जगह और मौका मार ही लिया और उसको एक कोने में लेकर गया और हम हाँथ में हाँथ डाल के बैठे थे | मैंने आसपास देखा कोई नहीं था तो मैंने उससे कहा बेबी तुम मुझसे प्यार करती हो तो मुझे किस करो | वो शरमाने लगी और मैंने एक बात सीखी है अगर किसी बात को सुनकर लड़की शरमाए तो इसका मतलब ज्यादातर हाँ ही होता है | तो मैंने उसको किस किया और उतने ही मेरा लंड खड़ा हो गया |

मुझे तो बहुत खुजली मची थी लौड़े में तो मैंने अपनी पैंट खोली और लौड़ा बाहर निकला और उससे कहा हिलाओ ना | वो मना करने लगी तो मैंने उससे थोड़ी बिनती की और वो मान गई और मेरा लंड पकड़ के हिलाने लगी | मैं भी पीछे हो के आराम से बैठ गया और मज़े लेने लगा थोड़ी देर तक उसने मेरा हिलाया और फिर मेरा निकलने को हुआ तो मैंने खड़े होकर उसके ऊपर हिलाना शुरू किया तो उसने कहा नहीं मेरे ऊपर नहीं तो मैंने वहीँ किनारे माल गिरा दिया | फिर हम घर जाने लगे तो मैंने कहा अच्छा कल कब मिलोगी ? तो उसने कहा क्यूँ क्या करना है ?

तो मैंने कहा कल चॉकलेट डे है तुम्हें चॉकलेट देना है | तो उसने कहा अच्छा तुम बताओ कल कहाँ आना है ? तो मैंने कहा अच्छा कल मेरे रूम आ जाना कल कहीं घूमने नहीं जायेंगे | तो उसने मुझे घूर कर देखा और फिर हसकर कहा ठीक है आ जाउंगी | वो भी समझ गई थी कि कल उसकी खुलने वाली है लेकिन उसने मना नहीं किया तो इसका मतलब था वो भी खुलवाना चाहती थी और मैं तो हूँ ही ठरकी |

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अब मैं अगले दिन की चुदाई की तैयारी में मैंने पूरी रिसर्च कर रखी थी कि क्या क्या खाना चाहिए और कौन कौन सी पोजीशन में करना चाहिए जिससे ज्यादा मज़ा आये क्यूंकि ये मेरा पहली बार था | मैंने चुदाई के स्वामी कामसूत्र के ब्लॉग और उसके विडियो भी देखे जिसमें अच्छी चुदाई के नुस्खे दिए थे | मतलब पूरी तैयारी थी और मैंने रूम को दिनभर ठीक से सजाया और साफ़ किया और शाम को वो आई और उसने अन्दर घुसते ही उसने कहा वाह यार तुम्हारा रूम तो बहुत अच्छे से सजा है | मैंने भी मन में सोचा हाँ भोसड़ी वाली सजाने में गांड मर गई है |

मैंने उसको बैठाया और कहा पहले खाना खाना है या सरप्राइज | साली भुक्खड़ ने कहा पहले खाना खा लेते बाकी सब के लिए तो बहुत टाइम है खैर उसकी बात भी सही तो तो हम दोनों ने खाना खाया और आराम से बिस्तर पर बैठकर टी.वी. देखने लगे | टी.वी. पर कुछ ख़ास आ नहीं रहा था तो उसने कहा यार टी.वी. बंद कर दो कुछ अच्छा आ ही नहीं रहा है और मैं तो यही चाहता था | बस फिर बातें शुरू हुई और होते होते बात पहुंची सैक्स पर | तो मैंने पूछा अच्छा सच सच बताना तुमने पहले कभी किया है तो उसने कहा अच्छा मैं सच बताउंगी तो बुरा तो नहीं मानोगे तो मैंने कहा नहीं | तो उसने कहा हाँ लेकिन सिर्फ एक ही बार तो मैंने कहा फिर से मन है तो उसने कुछ नहीं कहा और फिर से शरमाने लगी और मैं भी तो इसी इशारे का इंतज़ार कर रहा था | तो मैंने कहा अच्छा आज चॉकलेट डे है तो तुम्हें चॉकलेट देना तो बनता है तो मैंने पैंट उतारी और अपना लौड़ा उसके आगे कर दिया |

मैंने पहले से ही लौड़े पर चॉकलेट कंडोम चढ़ा रखा था मैंने अपना लंड सामने करके कहा बेबी ये रही तुम्हारी चॉकलेट ले लो | उसने भी बिना देर किये मेरा लंड पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी | मैंने सोचा था कि बहुत गुज़ारिश करनी पड़ेगी बहुत मनाना पड़ेगा तब कहीं जाके कुछ हो पायेगा लेकिन ये तो देख के ही शुरू हो गई | चलो जो भी है इसमें फायदा तो मेरा भी है | वो बड़े शौक से मेरा लंड चूसे जा रही थी और मैं मज़े ले रहा था | थोड़ी देर में मेरा निकल पड़ा और मैं सिर्फ एक ही कंडोम लाया था | अब मुझे क्या पता ? मैंने सोचा इसको धोके फिर से इस्तेमाल कर लूँगा लेकिन ऐसा होता नहीं है ये मुझे बाद में पता चला | मैंने सोचा बिना कंडोम के खतरा है लेकिन मौका अभी है बाद में मिले न मिले तो मैंने बिना कंडोम चुदाई के करने का फैसला लिया |

अब मेरा माल तो निकल चुका था और मैंने कंडोम डस्टबिन में भी फेंक दिया और वो मेरी तरफ बड़ी आस भरी निगाहों से देख रही थी | तो कारवाँ आगे बढ़ाते हुए उसके कपडे उतारना शुरू किया | अब मैंने उसके पूरे कपडे उतार दिए और जैसा जैसा ब्लू फिल्म में देखा था वैसा वैसा करने लगा | मैंने उसके दूध दबाये और उसकी चूत घिसने लगा | चूत बहुत गरम थी और गीली थी और दूध बहुत सॉफ्ट बड़ा मज़ा आ रहा था | फिर मैंने उसको किस किया और उसके दूध चूसने में लग गया | मैं निप्पल चूस रहा था और खींच भी रहा था और वो हलकी हलकी आवाज़ में आह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह कर रही थी जो मेरा हौसला और बढ़ा रही थी |

अब मैंने सोचा चलो चूत चाटी जाये तो मैं नीचे गया और उसकी चूत से नज़रें मिलाने लगा | चूत देखकर मेरा मन तो नहीं हो रहा था चाटने का लेकिन फिर मैं टूट पड़ा और चूत चाटने लगा | चूत चाट ही रहा था तभी उसने मेरा सिर पकड़ा और अपनी चूत में दबा दिया | चलो ठीक है दबा दिया तुमने लेकिन मेरी नाक भी दब गई मैं ठीक से साँस नहीं ले पा रहा था | अगर मैं मर जाता तो पेपर में न्यूज़ क्या आती गर्लफ्रेंड की चूत में घुस कर मरा प्रेमी | जैसे तैसे मैं बचा और अब मेरा लंड खड़ा हो गया था और गुफा में जाने को तैयार था |

मैंने अपना लंड चूत पर रखा और अन्दर करने लगा तो उसने कहा वहां नहीं और उसने मेरा लंड पकड़ा और अन्दर किया | मुझे लगा बहनचोद थू है मेरे पे लड़की मुझे चोदना सिखा रही है | फिर मैंने उसे चोदना शुरू किया और वो आअह्ह्ह्ह आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आअह्ह्ह्ह आआआआह ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह ह्ह्हह्ह्ह्ह आआआआअ ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उम्मम्मम्म उम्म्म्मम्म्म्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह करने लगी | चोदते चोदते मैं उसके ऊपर लेट गया और झटके मारते हुए चोदने लगा और किस भी |

फिर मैंने उससे कहा क्या तुम मेरे ऊपर उचकना चाहोगी ? और लेट गया | तो वो मेरे ऊपर बैठी और लंड अन्दर करके उचकने लगी और आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हा ह्ह्हह्ह्ह्ह आआआआ आआआआआ अह्ह्हह्ह्ह्ह करने लगी | थोड़ी देर में मेरा मुट्ठ निकलने को हुआ तो मैंने जल्दी से लंड बाहर निकाला और मुझे याद नहीं मुट्ठ गिरा कहाँ ? शायद उसके ऊपर ही गया होगा क्यूंकि मेरी आँखें बंद थी और गोलियां लौड़े से चल रही थी | बस फिर क्या था हम दोनों लिपट के लेट गए और किस करते रहे |

अब तो वैलेंटाइन डे के दिन भी उसका चुदाने का इरादा और मेरा चोदने का इरादा है साला इस बार तो रंडी की खाली गांड चोदुंगा वाइल्ड सेक्स करूँगा अगर आप लोगो को वो कहानी भी सुनानी है तो जरुर मेरी इस कहानी को पहले प्रोत्साहन दीजिये ताकि मै अपनी एक और कहानी आप सभी तक भेज सकू.

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बड़ी बहन के देवर से चटवाई अपनी चुत | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/badi-bahan-ke-devar-se-chatwai-apni-chut.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/koi-mil-gaya/badi-bahan-ke-devar-se-chatwai-apni-chut.html#respond Tue, 13 Feb 2018 07:31:41 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11942 बड़ी बहन के देवर से चटवाई अपनी चुत, दीदी के शादी में जब उनके देवर से मै मिली हम दोनों एक दुसरे के करीब आ गए और पहली बार नींद में उसने मुझे किस किया जिससे मेरी नींद खुल गई और मै उसके मन की बात जान गई और फिर हम रात में मिले और एक दमदार चुदाई किये

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हाय दोस्तों आज मैं पहली बार अपनी कहानी को मस्ताराम की साईट पे शेयर करने जा रही हूँ उम्मीद कराती हूँ की आप सभी को जरुर पसंद आएगी. आशा कराती हूँ की ये वैलेंटाइन डे आपके लिए स्पेशल रहे आपको आपका पाट्नर मिले और अगर ऐसा हो गया तो मुझे जरुर कमेंट बॉक्स में बताये. चलिए अब कहानी पे आते है. मेरा नाम अस्फा है | मैं रहने वाली हरिद्वार की हूँ | मेरी उम्र 22 साल है | मैं ऍम एस सी कम्पलीट कर चुकी हूँ | मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच है | मैं दिखने में काफी गोरी हूँ | मेरा फिगर देख कर किसी बूढ़े आदमी का भी लंड खड़ा हो जाये | मेरे बड़े बड़े बूब्स और मेरी पतली कमर और मेरी मस्त बड़ी गांड है | मैं किसी हुस्न की मल्लिका से कम नहीं हूँ | जिसको देख कर मेरे मोहल्ले के लड़के पागल रहते हैं |

मुझे सेक्सी कहानी पढना बहुत अच्छा लगता है | मैं सेक्सी कहानी काफी अरसे से पढ़ती आ रही हूँ और आज मुझे भी मौका मिला रहा है की मैं भी एक कहानी लेकर आई हूँ | ये मेरी पहली कहानी है और मेरे जीवन की सच्ची घटना | मेरे घर मैं 4 लोग थे | मैं और मेरे मम्मी पापा और मेरी दीदी | जिसकी अभी कुछ महीने पहले शादी हो गयी है | मेरी दीदी की शादी जयपुर से हुई है | मैं आप लोगो का ज्यादा समय न लेती हुई सीधे अपनी कहानी पर आती हूँ |

ये कहानी कुछ दिन पहले की है जब मैं गर्मी की छुट्टियों में अपनी दीदी के घर गयी थी | मैं जब वहां गयी तब मैंने वहां दीदी के देवर को देखा | जिसका नाम अरशद था | वो दिखने में काफी अच्छा था | उसकी मस्त बॉडी भी थी और काफी स्मार्ट था | जब मैंने उसे पहली बार शादी में देख था तो वो मुझे इतना अच्छा नहीं लगा था | पर जब मैंने उसको उसके घर देख तो वो मुझे बहुत अच्छा लगा था | अब मैं उसके घर पर रुकी थी और मैं कभी कभी उसे मजाक भी कर दिया करती थी | एक दिन की बात है जब मैंने उसकी गांड पर हाथ मारा तो वो ये बात मेरी दीदी से बोल दिया | तो मेरी दीदी ने मुझसे कहा की तुमने मेरे देवर को क्यूँ मारा तो मैंने भी कह दिया | दीदी तुम्हरा देवर छोटा बच्चा नहीं है मैं तो मजाक कर रही थी | वो ये बात पीछे से सुन रहा था | तब वो मुझसे बोला ठीक है अस्फा जब मैं करूँगा तब भाभी से न कहना | तब मेरी दीदी बोली तुम दोनों आपस में जानो मुझ कोई जरूरत नही है और वो ये कह कर चली गयी | उसके बाद मैं सो रही थी |

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तब अरशद आकर मेरी होठो पर किस करने लगा और मैंने भी उसके लंड को पकड कर दबा दिया | तो वो मेरे बूब्स को दाबने लगा तभी दीदी ने मुझे आवाज दी और मैं चली गयी | इस तरह से वो मेरे साथ अक्सर किया करता था | मुझे भी अच्छा लगता था | एक दिन की बाद है जब मेरी दीदी और घर के सब लोग किसी पार्टी में जा रहे थे और अरशद नहीं जा रहा था | तो मैंने भी माना कर दिया और कहा मेरा मन नहीं है जाने का आप लोग चले जाओ | सब लोग चले गए और अरशद अपने कमरे में सो रहा था | मैंने जाकर उसके कमरे के दरवजा बंद करके उसकी होठो पर अपने होठ रख कर मैं उसकी होठो को चूसने लगी और उसकी आंखे खुल गयी | वो भी मेरा साथ देते हुए मेरी होठो को चूसने लगा |

मैं उसकी होठो को चूसने के साथ उसके लंड को पेंट के ऊपर से सहला रही थी | वो मुझे किस करने के साथ में मेरे बूब्स को कपडे के ऊपर से दबाने लगा | तो मेरे मुंह से उह्ह्ह उग्ग्ग्गु ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ ऊआआ हाह्ह्ह करने लगी | वो मेरे दूधो को जोर जोर से मसलने लगा | साथ में मेरी चूत को कपडे के ऊपर से सहला रहा था | तो मेरे मुंह से उह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्ह ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेने लगी |आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

फिर उसने मेरे कपडे निकाल दिए | मैं अब उसके सामने ब्रा और पेंटी में थी | वो मेरे दूध को ब्रा के ऊपर से मसलते मसलते मेरी ब्रा भी खोल दी | अब मेरे बड़े बड़े दूध उसके सामने आ गए और वो मेरे एक दूध को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा | जिससे मेरे मुंह से हलकी हलकी आवाज में उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ निकलने लगी | वो मेरे एक दूध को मुंह से चूस रहा था और एक को हाथ से मसल रहा था | में उह्ह्हू ऊग्ग्ग्ग उफ्फ्फ उह्ह्हू ह्ह्हू ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करती हुई अपने मुंह में अपनी ऊँगली को डाल कर चूस रही थी |

फिर उसने मेरे पहले दूध को छोड़ कर दुसरे वाले को मुंह में रख कर चूसने लगा और पहले वाले को अपने हाथ से दबने लगा | तो मेरे मुंह से उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ उह्ह्हह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेते हुए अपनी चूत को सहलाने लगी | वो मेरे दोनों दूधो को एक एक करके चूस रहा था | कुछ देर तक वो मेरे दोनों दूध को चूसता रहा |

फिर वो मेरी पेंटी को निकाल कर मेरी टांगो को थोडा से फेला कर उसने अपना मुंह मेरी चूत में घुसा कर मेरी चूत को चाटने लगा | तो मेरे मुंह से अह्ह्ह्ह उह्ह्ह आःह्ह की आवाज निकल गयी | वो मेरी चूत में अपनी जीभ को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा जिससे मेरे मुंह से उह्ह्हह्ह उह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह करती हुई अपने बूब्स को मसल रही थी | वो मेरी चूत को चाटने के साथ मेरी चूत में अपनी ऊँगली भी घुसा दी |

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तो में उह्ह्ह उफ्फ्फ उय्य्य उफ्फ्फ्फ़ करने लगी | वो मेरी चूत में अपनी ऊँगली को जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा जिससे मेरी मुंह से हलकी हलकी आवाज में उफ्फ्फ ऊह्ह उफ्फ्फ की सिसिकियाँ लेते हुए अपनी बूब्स को मसलने लगी | वो मेरी चूत को कुछ देर तक चाटता रहा | फिर अपने कपडे निकाल कर अपने लंड को हिलाने लगा | तो मैंने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर मुंह में रख कर चूसने लगी | तो उसके मुंह से ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह करने लगा | मैं उसके लंड को अपने मुंह में अन्दर बाहर करते हुए चूस रहा थी | वो अह्ह्ह उह्ह्ह करते हुए मेरे सर को पकड कर मेरे मुंह में धीरे धीरे धक्के मारने लगा | फिर वो मेरी टांगो को फेला कर मेरी चूत के मुंह पर रख कर मेरी चूत में लंड को घुसा कर अन्दर बाहर करने लगा | तो मेरे मुंह से अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करते हुए चुदने लगी | वो जोर जोर के धक्के के साथ मेरी चूत को चोद रहा था |

मैं उह्ह्ह उफ्फ्फ करते हुए चुद रही थी | वो अपने लंड से मेरी चूत को फुल स्पीड से चुदने लगा | वो मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए मेरी चूत को चोद रहा था | मैं ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ करती हुए अपने चूत को हिला हिला कर चुदने लगी |आप यह हिंदी सेक्स स्टोरी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | वो मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए चुद रहा था और मैं ह्ह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह उह्ह आह्ह्ह ह्ह्ह्ह ऊह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उह्ह्ह उफ़  उफ़ अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह उह्ह्ह उफ्फ्फ उह्ह्ह उफ्फ्फ अहह करते हुए अपनी चूत को आगे पीछे करते हुए चुद रही थी वो मेरी चूत को अन्दर बाहर करते हुए चुद रहा था | वो 35 मिनट की मस्त चुदाई के बाद अपने लंड को मेरी चूत से निकाल कर मेरी चूत के ऊपर मुठ मारने लगा और कुछ दी देर में उसके लंड ने सारा माल मेरी चूत के ऊपर निकाल दिया |

इस तरह से मैंने अपनी दीदी के देवर से अपनी चूत की मस्त चुदाई करवाई | मैं उम्मीद करती हूँ की आप लोगो को मेरी कहानी पसंद आई होगी और मज़ा भी आया होगा | मेरी कहानी पढने के लिए धन्यवाद |

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-3 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-3.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-3.html#respond Mon, 05 Feb 2018 04:52:56 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11874 पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-3, मै अपनी माँ की अब चुत में मुह लगा के खूब चूसता और भरी हुई गांड में लंड घुसा के चोदना चाहता लेकिन माँ ने अपनी गांड छोड़नी नहीं दी लेकिन उनकी चुत चोदने का मजा कम नहीं था पंडित का शुक्रिया जिसकी वजह से आज मै अपनी माँ को चोद पता हूँ

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-2

 

मैने मन ही मन कुछ बाते तय कर ली और अन्दर रूम गया. मम्मी उसी पूजा स्थान पे बैठी थी, जैसे मै अन्दर आया तो उसने पूछा, अब आगे क्या विधी बतायी है पन्डितजी ने. मैने कहा पहले आप बाथरूम मे जा कर शुद्ध वस्त्र पहन लो, पन्डितजीने आज कुछ अलग वस्त्र रखे है जिनपर मन्त्र-जाप करके उन्हे शुद्ध किया है आप वो पहन लेना, मेरे लिये यह धोती रखी है.

मम्मी ने कुछ पूछे बिना अन्दर जाके कपडे बदल लिये किन्तु जब वो आयी तो मुझे लगा कि मै सपना देख रहा हू, वो वस्त्र कैसा सिर्फ़ एक साडी थी, सफेद कलरकी, ना ब्लाउझ ना पेटिकोट और ना ही अन्दर कुछ, उनकी बडी बडी चुचिया लगभग नन्गी थी, मुझे अहसास हुआ की उनके स्तन का आगे का भूरा हिस्साभी दिखाई दे रहा था और फिर वो वो मुनके जैसे निप्पल…….. पेट जरा सा फूला हुआ था और उसपर उनकी गहरी नाभी इतनी सेक्सी लग रही थी कि पूछो मत…… वो साडी घुटनोके नीचे तक तो थी लेकिन पतली होनेके कारण उनकी सुडौल जान्घे उससे साफ दिख रही थी. मम्मी इतनी ज्यादा कामुक लग रही है थी कि मेरा मन कह रहा था मारो गोली इस पूजा-विधी को और झपटकर…….मुझे उन्हे देखकर ‘राम तेरी गन्गा मैली’ वाली मन्दाकिनी याद आयी. आपको याद होगा कि दोपहर को मैने जब लेप लगाया तो उन्होने वो चोला पहना हुआ था और सुबह तेल लगाते हुए मैने आन्खोपे पट*टी बान्धी थी इसलिये उनके इस सेक्सी बदन का दर्शन मुझे ठीकसे नही हुआ था लेकिन अब की बात और थी, इस साडी मे वो लगभग ८०% नन्गी थी, उनका चेहरा शर्म से लाल हुआ था, जाहिर है वो कम्*फरटेबल नही थी, लेकिन क्या करती, पन्डितजी का कहना वो किसी हालत मे नही टालती.

खैर वो आके खडी हो गयी और पूछने लगी, बोलो अब क्या करना है. मै उनके रूप को निहारने मे इतना मगन था कि मुझे पता ही नही चला कि वो मेरा नाम पुकारे जा रही है. फिर वो करीब आयी और मुझे हिलाते हुए कहा बेटा बताओ ना , क्या सोच रहा है, अब आगे क्या करना है. मेरे दिमाग मे एक आयडिया आया, मैने कहा पन्डितजी ने आपको शुद्ध होके आने के लिये कहा है, आपको तेल लगाकर नहाना है, पन्डितजी ने मन्त्र-सिद्ध किया हुआ तेल दिया है. वो एक आसनपे बैठ गयी. मै उनके पीछे जाकर उनकी पीठ पे तेल रगडने लगा. सुबह मै यह काम खुले मे और पटटी बान्धे कर रहा था लेकिन इस बार मै एक बन्द कमरे मे था, आसपास कोई नही था और मेरी आन्खे पूरी खुली थी, मै सुकूनसे उन्हे तेल लगा रहा था, पीठ के बाद मैने उनकी जान्घोपे, कन्धोपे, बाहोपे यहातक कि उनकी चिकनी और गदराई हुई बगलमे भी तेल लगाया. उनकी बगल मे तेल लगाते हुए मम्मी किसी बच्ची की तरह हस रही थी और गुदगुदी होनेके कारण मुझसे छुडाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैने भी जिद रखकर उनके सारे शरीर पर तेल लगा लिया, बस अब उनके स्तन और नितम्ब बचे थे और वो खास हिस्सा जो अभीतक मैने नही देखा था. लेकिन मै कोई जल्दबाजी नही करना चाहता था क्योन्कि इससे मेरा काम बिगड सकता था. तेल मालिश होने के बाद मैने मम्मी को नहाके आने के लिये कहा और वो बाथरूम मे चली गयी. अब मुझे क्या करना है इसका मुझे खुद पता नही था, मैने बाथरूमके दरवाजेमे कोई सुराग ढून्ढनेकी कोशिश की, लेकिन कुछ नही था, उस रूम मे इधर उधर ताकाझाकी कर ली, वहा पे कुछ तेल की शीशी और एक-दो धार्मिक किताबे मिली और तो कुछ नही था.

अब आगे मम्मी को क्या बताया जाये इस सोच मे डूबा हुआ था कि मुझे एक तरकीब सूझी. मैने उस रूम के कोने से एक चद्दर और एक पुरानीसी मन्त्रोवाली किताब ढून्ढ निकाली, उस पर कुछ फूल और चन्दन की पावडर रख दी और मम्मीके आने का इन्तजार करने लगा. कुछही समय मे मम्मी नहा के वापस आयी, उसने वही साडी लपेटी थी, लेकिन बाल गिले होनेसे वो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थी. बाहर आतेही उन्होने अपने बाल एक जूडेमे बान्ध लिये, यह करते हुए उनके हाथ उपर उठ गये और उनकी साफ सुथरी बगलका हिस्सा साफ दिखाई दिया, जो बहुत सेक्सी लग रहा था. मैने उन्हे उस फर्शपे बिछाई चद्दर पे लेटने को कहा, वो कुछ बोले बिना लेट गयी, मैने उस किताब को पढके मन्त्र-जाप करने का नाटक करते उनके पैरकी उन्गलियोको सहलाने लगा.

उनकी गोरी गोरी नाजुक उन्गलिया इतनी सुन्दर लग रही थी कि मैने नीचे झुककर उन्हे चूम लिया. मेरे होन्टोका स्पर्श पाकर मम्मी चौन्क गयी और बोली, बेटा यह क्या कर रहे हो. मैने उन्हे समझाया, पन्डितजीने यह विधी बतायी है, इसी किताबकी आधारपर, और मैने उन्हे वो किताब दिखा दी, उसमे कुछ मन्त्र जरूर लिखे थे, लेकिन क्या लिखे थे इसका उन्हे पता नही था. मैने बात और आगे बढाते हुए कहा कि यह बडी विचित्र विधी है, पन्डितजी बता रहे थे कि दीदीका जो दोश है कही ना कही उसकी जड आपमे भी है, और इस लिये मुझे आपसे आप का दोश हटाना है. मै जानता था कि मम्मी पन्डित की बात कभी नही टालेगी और न ही उन्हे पूछने जायेन्गी कि क्या वाकई उन्होने ऐसी विधी बतायी है इसलिये मै निश्चिन्त था. मैने उनके पैर से लेकर उसकी सारी उन्गलिया एक एक करके चूसने लगा, मम्मी को गुदगुदी हो रही थी और बीच बीच मे वो खिलखिलाकर हसती थी. उन्गलिया चूसते समय मैने अपना एक हाथ उनके पैरका घुटने के नीचेका हिस्सा सहलाने लगा, उन्होने विरोध नही किया इसे मैने उनकी अनुमति समझा और फिर उनका घुटना सहलाने लगा. फिर उनका पैर छोडकर मैने मेरा मुह उनके पाव पर लाया और फिर जहा पहले मेरा हाथ था वहा पे मै किस करने लगा, चूसने लगा हलकेसे काटने लगा.

मम्मी अब आन्खे बन्द किये पडी थी, उनकी सासोसे और बीच बीच मे भरी सिसकियोसे उनके मन के अन्दरकी बात जाहिर हो रही थी. मै औन्धे बैठ गया, मेरा लन्ड अब गमछेका तम्बू बनाकर खडा था, मैने मम्मी के दोनो पैर साथ मे रख दिये और बारी बारी उनके घुटने चूमने लगा. फिर थोडा आगे झुककर मैने डरते हुए उनकी साडी उनकी जान्घोसे उपर उठा दी, मुझे डर था कि कही वो मना ना कर दे, लेकिन मम्मी की आन्खे बन्द की बन्द रही, उन्होने मुह से कुछ नही कहा, बस थोडासा कसमसायी. मैने वो इशारा अनुमतिके तौरपे लिया और उनकी साडी यहातक उपर उठा दी कि वो साडी अब केवल उनकी चूत और आजूबाजूका थोडा हिस्सा ढक रही थी, मम्मी की केले के खम्बे जैसे सुडौल, गोरी, चिकनी और मादक जान्घे देखकर मै अपने आप पे काबू नही कर सका और झपटकर मम्मी की उन जान्घोपे तडातड चुम्मे जड दिये, मम्मी मेरे इस हमलेसे सकपका गई और उन्होने अपनी जान्घे सिमटकर पास खीन्च ली, इस क्रिया की वजहसे उनके पैर थोडे उपर आ गये और सीधे मेरे खडे लन्डपे जा धडके. जैसेही मम्मीके पैरोको मेरे खडे लन्ड का अहसास हुआ, उन्होने फिरसे पैर नीचे रख दिये, और मुझे बाहोसे पकड लिया. यह कसौटी की घडी थी, अब अगर मै पीछे हट जाता या मम्मी मुझे मना कर देती तो शायद हम दोनो पास कभी नही आते, लेकिन मम्मी ने कापते हुए स्वर मे पूछा, यह क्या कर रहे हो बेटा, मुझे…….मुझे…….बडा अजीबसा लग रहा है, क्या यह विधी मे जरूरी है यह सब कुछ………….मै जानता था कि वो अजीबसा लगना क्या था, वास्तव मे मम्मी बुरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी, उन्हे डर था कि अगर बात आगे बढती तो वो शायद खुदपे काबू न रख पाती. लेकिन मै अब पीछे हटनेवाला नही था, मैने फट्से जबाब दिया कि हा मम्मी यही विधी पन्डितजी मुझे बताके गये है, उन्होने कहा था कि थोडी कठिनाई होगी मगर…………और मैने बात को आधा छोड दिया, मम्मी फिर चुप हो गयी और लेट गयी.

अब मेरे लिये मैदान खुला था, मैने आधा छोडा हुआ मेरा काम फिरसे शुरु किया, मम्मी ने अपनी जान्घे एक दूसरे से सटाकर रखी थी, मैने मेरा हाथ बीचमे डालकर उन्हे थोडा अलग किया और उनकी जान्घोके अन्दरवाला हिस्सा सहलाना और चूमना शुरु किया. जैसे जैसे मै उनकी चूतके पास जाता वैसे ही मुझे उनकी चूतसे निकलती हुई सुगन्धका अहसास होता था, मम्मी की जान्घे गिली हुई थी इसका मतलब था कि वो भी मस्तायी हुई थी और चोदने के लिये बेकरार थी. मैने उन्हे कहा की आप उठ के खडी हो जाईये, मुझे विधी करना आसान हो जायेगा. वो खडी हो गयी, फिर मैने वो तेल की शीशी हाथ मे ले ली और कुछ मन्त्र कहने का नाटक करते हुए वो तेल बिलकुल थोडासा लेकर उनकी टान्गोपे मलना शुरु किया, लेकिन इस बार मैने पाव से लेकर सीधे उनकी जान्घोतक हाथ घुमाया, जान्घोके पीछेवाले हिस्सेपर भी मैने रगड लिया, बीच बीचे मे मेरे हाथ उनकी नितम्बोको छू लेते थे, मम्मी आन्खे बन्द करके लम्बी आहे भर रही थी, मैने उनके थोडा पीछे करके एक दीवारकी तरफ सटा दिया. अब वो ज्यादा हिल नही सकती थी, मैने फिर बडे आरामसे उनकी चिकनी जान्घे और फिर उनकी गुदाज नितंबोपर मसलना शुरु किया, बीच मे मैने उनकी जान्घोपर हलकेसे दात गडाए और मम्मी चिहुक उठी, लेकिन दूर हटी नही.

मैने थोडे आत्मविश्वाससे कहा कि मम्मी आप अपनी टान्गे थोडी दूर किजिए. मुझे यह सब कहने करने का साहस कहा से आया पता नही, लेकिन मम्मी अब मेरी बात पूरी तरहसे मान रही थी, उन्होने अपनी टान्गे थोडी फैला दी और मै उनकी जान्घोके बीचमे तेल मलने लगा. उनकी चूत की तरफ जैसे मेरा हाथ बढने लगा वो थोडीसी छटपटायी, लेकिन मैने साहस बान्धकर उनके जान्घोपर और कूल्होपर मसलना जारी रखा. लेकिन मैने जानबूझकर उनकी चूत पर हाथ फेरना टाल दिया, उसके इर्द-गिर्द हाथ फेरता रहा. कई बार मेरी उन्गली सीधी उनकी चूत के फूले हुए बाहरी हिस्से को छूती और मम्मी ऐसा झटका देती मानो उन्हे बिजली का करन्ट लगा हो. मै उन्हे और उत्तेजित करना चाहता था इसलिये मैने उनकी चूत मे हाथ नही डाला. फिर मै उपर उठा और तेल लगा हाथ उनके साडी का पीछे वाला हिस्सा हटाकर उसमे हाथ डाल दिया.

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मम्मी अपना चेहरा दिवार से सटाकर चुप खडी थी, उनके मुह्से मात्र सिसकिया निकल रही थी. मैने उनकी पीठ मसलना शुरु किया, मम्मी कुछ बोल नही रही थी लेकिन मुझे सहयोग भी दे रही थी, मैने साडी थोडीसी उपर उठाकर उनकी नन्गी पीठ पर हलके हलके चुम्बन जडना शुरु किया, धीरे धीरे उपर आकर मैने उनके भरे हुए कन्धोपे दात गडा लिये, मुझे अब उनके वक्षो का उपर से नजारा दिख रहा था और मेरी तना हुआ लन्ड उनकी गान्डपे धक्के मार रहा था. पहली बार जब मेरा लन्ड उनकी गान्ड को टच कर गया तो मैने झट्से मेरी कमर पीछे ले ली, लेकिन उनकी तरफ से कोई परेशानी नही यह देखकर मैने आरामसे मेरीए लन्ड उनकी गान्डकी दरार मे रगडना शुरु किया, उपर मेरे हाथ उनकी पीठ मसल रहे थे और कभी हलकेसे उनकी बगल से आगे जाकर उनके बूब्स को भी छू लेते. इसतरह मै और मम्मी एकदम एक दूसरेसे चिपके हुए थे, यह मेरे सुख की परमसीमा थी, अब मै जान गया कि मम्मी भी अभी मस्ती के मूडमे मे है, कोई भी औरत अपने जवान बेटेको अधनन्गी अवस्था मे इस तरह चिपकने नही देती. मेरे सब्र का फल शायद मुझे मिलने वाला था.

मैने मम्मी को मेरी ओर मुखातिर किया. अब मम्मी की पीठ दिवारसे सटी थी, और उनकी भरी हुई चुचिया मेरे नन्गे सीनेसे टकरा रही थी. मम्मीने अपनी आन्खे बन्द की थी लेकिन उनका चेहरा लाल हुआ था, होन्ट थरथरा रहे थे. मैने मेरे हाथ उनके मुलायम पेट पर लाकर धीरे धीरे उनका पेट सहलाने लगा. फिर शरारती अन्दाज मे मैने मेरी उन्गली उनकी नाभीमे घुसा दी और उसे अन्दर बाहर करने लगा. मम्मी बस लम्बी आहे भर रही थी. मैने सोचा कि अब वक्त आया है आगे बढने का. मैने उनका चेहरा कापते हुए हाथोमे लिया और बडे प्यारसे उनके माथेपे चूम लिया. यह घडी परिक्षा की थी, अगर मम्मी पीछे हट जाती या मुझे डाटती तो मामला बिगड जाता, लेकिन मम्मी ने बस ‘हम्म्म्म’ ऐसी आवाज की, मै समझ गया कि मम्मी नाराज नही बल्कि वो भी कुछ करना चाहती है.

मैने हलकेसे उनकी दोनो आन्खोपर चूम लिया, फिर उनकी नाक पर……मुझे जन्नत का मझा आ रहा था, मम्मी की गरम सासे मेरी नाक को गर्मा रही थी, उनकी आहे मेरे दिल मे वासना बढा रही थी. और फिर मम्मी ने अपने हाथ उठाये और मेरे कन्धोपे रख दिये और उन्होने अपना नीचला होन्ट दातोतले दबा दिया और उनके मुह से ‘स्स्स्स्स्स’ की आवाज आयी. उनके चेहरे पे एक अजीबसी रौनक थी, तब मैने साहस करके उनके गुलाबी होन्टोपे अपने होन्ट रख दिये. ओह्ह्ह्ह्ह्ह……………ऐसा लगा कि मै स्वर्ग मे था, मम्मी के होन्ट मुलायम और बडे रसीले थे, कुछ देर मै बस उनके होन्टोको हलके हलके चूमता रहा, मुझे अन्दाजा नही था कि वो कैसा रिअ*ॅक्*ट करेगी, उनके हाथ मेरे कन्धोपेसे हटे तो नही थे. कुछ देर बाद मै खुद उनसे दूर हुआ. मम्मीने आन्खे खोली, मेरी नजर से नजर मिलायी. आगे क्या होगा इसका मुझे कतई अन्दाजा नही था, उन्होने मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरे होन्टोपे एक कसके चुम्मा जड दिया.

अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैने भी बडे प्यारसे मम्मीका मुखचुम्बन आरभ किया, शुरु शुरु मे तो मै थोडा हिचकिचाया, और क्यू नही, जिन्दगी पहला चुम्बन, वो भी अपनी सगी मा से और इस हालतमे…………यह अनुभव मेरे लिये बहुतही नया और अद्भुत था, लेकिन मम्मी का सहयोग देखकर मुझे भी जोष आ गया, और मै बडी सहजता उनके गुलाबी औत थोडे मोटे होन्ट चूसने लगा, मम्मी की मुह से बहुत सेक्सी आवाजे निकल रही थी और उनके हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे, उनके साडी का पल्लु कब का सरक गया था और मैने सीनेमे और उनके भरे हुए वक्षोके बीच मात्र एक पतलीसी साडीका फासला था. मम्मी की उत्तेजना की गवाही उनके सख्*त हुए निप्पल दे रहे थे, वो निपल मेरे सीनेमे गड रहे थे, मानो मुझे और भी भडका रहे थे. मैने इतनी देरसे मेरा हाथ मम्मीके चेहरेपर ही रखा था, मम्मीका सहयोग देखकर मुझे याद आया कि अब मै उनके इस खूबसूरत बदन का खूब मजा ले सकता हू. इस विचारसे मैने मेरा दाया हाथ नीचे लाया और मम्मी की बायी चुची कसके पकड ली. ओफ्फ्फ्फ्फ………मम्मी की उमर ४० के उपर होनेके बावजूदभी उनकी चुची बहुत कसी हुई लग रही थी यहा तो कोई ब्रेसिअरका सहारा भी तो नही था, बडे टरबुजेकी तरह सख्*त और गोल चुची को सहलाते हुए और मसलते हुए मुझे बहुत आनन्द मिल रहा था, मेरे मुह से मम्मी का मुह बिलकुल चिपका हुआ था और मम्मी अपनी जान्घो को मेरी जान्घो पे रगड रही थी. या तो व मेरे लन्डके सख्तपन का अन्दाजा ले रही थी या फिर उत्तेजनासे उनका भी पानी छूट रहा था. मैने सोचा कि इससे अच्छा मौका फिर आये ना आये, और मैने पीछे हटकर अपना मुह उनके मुह्से हटा लिया.

वो सुखद स्पर्श छोडनेकी वजहसे मै थोडा व्याकुल जरूर हुआ लेकिन मुझे अगला एक और काम करना था जिसकेलिये मै बहुत समयसे तरस रहा था. मम्मी भी मेरी इस हरकतसे शायद थोडी नाराज हो गयी और उन्होने आन्ख खोली और नजरोसेही मुझे सवाल किया कि क्यो मै दूर गया. मैने उनके कन्धोपेसे सरके हुए पल्लु को खीन्च लिया और उनकी साडी निकालने की कोशिश करने लगा, मम्मी को तब समझमे आया कि मै क्यो पीछे हटा था, उन्होने फिरसे अपनी आन्खे बन्द कर ली, मानो उन्होने मुझे अनुमति दी कि जो करना है वो करो. मैने वो साडी खीन्च कर पहले तो उनके विशाल स्तन खुले कर दिये. मै पहली बार मम्मीके वक्ष इतने करीब से और इतने निर्वस्त्र देख रहा था. क्या नजारा था, क्या बताऊ, मेरी तो सासे रुक गयी, मम्मीके वक्ष बहुत सुडौल और सुन्दर थे, बगैर किसी सपोर्ट के वो बडे शानसे उनके सीने पे खडे थे, चुचियो का आगे का हिस्सा भूरे कलर का था, बडा बडा और गोल, और उसपर एक छोटी सुपारीकी तरह खडे उनके निप्पल…..कुछ मिनिट मै अपना होशोहवास खो कर सिर्फ यह नजारा देखता रहा, फिर आगे होकर मैने उन दोनो वक्षोको हाथ मे लिया, जैसे ही मैने उन्हे हाथ मे लेकर हलकेसे मसला मम्मी की मुह से एक ‘स्स्स्स्स्स’ जैसी आह निकल आयी.

मैने अपना मुह नीचे करके उनके एक वक्ष को निपलसमेत मुह मे लिया और हलकेसे चूसना शुरु क्या, मेरी आन्ख अपने आप ही इस असाधारण सुखसे बन्द हो गयी, मैने दाये हाथ से मम्मीको अपने पास खीन्चके रखा था और बाये हाथ से मैने उनकी दायी चुची को पकडकर सहलाने लगा, मै उनके निप्पलपे उन्गली घुमा रहा था और मुझे महसूस हो रहा था कि मेरी इस क्रिया की वजहसे उनके निप्पल और भी सख्*त हो रहे थे. जैसे मेरा मम्मी का वक्ष चूसना तीव्र हो गया, वैसेही मेरे दूसरे हाथ का दबाव उनकी चुची पर बढता गया, मै बिलकुल बेहोश हो कर उनके वक्षोका आनन्द ले रहा था और वो मुह्से सेक्सी आवाजे निकाल कर मुझे बढावा दे रही थी. कुछ देर बाद मै उस अजीब अवस्था मे थोडा अनकम्फर्टेबल लगने लगा और मैने मजबूरन उनके वक्ष चूसना बन्द करके सीधा खडा हो गया. अब मम्मीने आन्खे खोल ली, उनका चेहरा लाल हुआ था और उसपर वासना साफ झलक रही थी. मैने उन्हे अपनी तरफ खीन्च लिया तो वो बडी सहजतासे मेरी बाहोमे आ गयी, मैने पहली बार मम्मी को इस तरह आलिन्गनबद्ध किया था, मुझे अपने आप पर बडा गर्व हो रहा था, आखिर मै मेरी चालसे मम्मी को अपने आप को समर्पित कराने मे कामयाब हो गया था. वो पन्डितक्ने काम बखुबी निभाया था. कुछ दिन पहले हम एक साधारण मा-बेटा थे और आज हम लगभग पूरे नग्न अवस्था मे एक दूसरेसे लिपटकर खडे थे. मम्मी की तो चुचियाभी नन्गी थी जो मै मेरे नन्गे सेनेपे महसूस कर रहा था.

मैने कुछ देर मम्मीको यूही कसके बाहोमे भर लिया था और उनके सारे अन्गोपर हाथ फेर रहा था. फिर मैने उन्हे अपने अलग किया और उनकी साडी पूरी निकालने लगा, उन्होने भी गोल गोल घूमकर साडी निकालने मे मेरी मदद की, मम्मी धीरे धीरे नन्गी हो रही थी और मै आन्खे फाडफाडकर उनके यौवन का नजारा देख रहा था. मम्मी कमरके उपर तो पहलेसे नन्गी थी अब साडी निकलनेसे उनकी गोल गुदाज गान्ड भी नन्गी हो गयी, काफी कसी हुई लग रही थी उनकी गान्ड, पेट जरा सा फूला था, घूमते हुए साडी निकालनेमे उनकी मेरी तरफ पीठ हो गयी थी सो मै उन्हे आगेसे नही देख पा रहा था लेकिन पीछेसे मम्मी गजबकी सेक्सी लग रही थी, उनकी गोरी गोरी पीठ , बीचवाली दरार, कमर बहुत मोटी भी नही थी लेकिन नीचे उनके कूल्हे पूरी तरह फैले हुए और कसे हुए थे, नीचे उनकी गोरी जान्घे सेक्सी और खूबसूरत पैरोमे समाप्त हो रही थी.

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मैने पीछे से जाकर मम्मी को दबोच लिया, अब वो पूरी तरहसे नन्गी थी और मै केवल एक गमछा लपेटे हुए था, मेरा तना लन्ड उनकी गान्डपे रगडते हुए मैने उनकी गोरे कन्धोपर चूमना शुरु किया. मम्मीने अपने बाल एक जूडेमे बान्धे थे, उस जूडेको उपर उठाकर मैने उनकी गोरी गर्दन भी चूम ली और फिर मेरे हाथ उनकी बगलसे आगे लाकर उनके वक्षोको मसलना शुरु किया. मम्मी अब पूरी तरह मस्ती मे आयी थी, वो भी अपनी गान्डको पीछे धकेलती हुई मेरे लन्ड का स्पर्श पानेका आनन्द लुटा रही थी. मैने उनके कन्धोपे और गर्दनपे दातोसे हलकेसे काटा और फिर बेरहमीसे उनकी निप्पल उन्गलियोसे कुरेदना शुरु किया, मम्मी कसमसा गयी लेकिन मुह से बस सिसकारिया भरती थी. फिर उसने अपने आप को मुझसे अलग किया और वो उस रूममे मैने जो चद्दर बिछायी थी उस पर जाके खडी हो गयी. धीरे से वो मेरी तरफ मुडी और मुझे अपने खूबसूरत बदन का नजारा दिखाते हुए उन्होने अपने हाथ अपनी गर्दनके पीछे किये, हम दोनो मा-बेटा एक दूसरे की आन्खोमे देख रहे थे, मै उत्सुक था जानने के लिये कि अब मम्मी क्या कदम उठाती है. मम्मी उस चद्दरपर घुटने मोड कर बैठ गयी उन्होने हलकेसे मुस्कुराते हुए अपनी बालोका जूडा छोड दिया और उनके बाल आजाद हो के खुल गये, उन्होने गर्दन हिलाकर उन्हे और भी खुला कर दिया. उस अदा को देखकर मै तो मानो पागल हो गया.

यह अदा से मानो वो मुझे बताना चाहती थी कि अब वो पूरी तरह से खुल गयी है, जैसे वो एक प्रेमिका है जो अपने प्रेमी को बता रही है कि मै तो अब तैय्यार हू, अब आके मुझे अपना लो. मैने आगे बढकर मम्मीको चित लिटा दिया और उनके बदनपर मै लेट गया, इस प्यारभरी दावत को मै बडे इत्मिनान से एन्जॉय करना चाहता था. मम्मी से फिर किस करते हुए मैने उनकी बाहे उपर उठा ली, उनकी बगल का जो हिस्सा था वो मुझे बडा ही सेक्सी लग रहा था, मैने उन्हे पूछा, अम्मी अपके यहा बाल नही है तो वो शरमा के मेरी आगोशमे अपनी मुह छुपा ली, मुझे उनकी इस अदा इतनी पसन्द आयी कि मैने तडातड कई चुमबन उनके चेहरे पे और गर्दन पे जड दिये, फिर शरारत करके मैने उनकी बगल मे चूमा, गुदगुदी होनेकी वजहसे वो कसमसाने लगी और हसने लगी, मैने जबरन वहा पे मेरा काम जारी रखा और उनकी बगल का थोडा सा फूला हुआ हिस्सा हलके से काटा. उनके बदन का एक एक हिस्सा चूमते चाटते हुए मै नीचे सरक गया, कुच और समय उनकी चुचियोपर बितानेपर मैने उनके पेट को चूमना शुरु किया. मम्मी जान गयी थी कि मेरा अगला स्थान कौनसा रहेगा. उस अन्दाज से वो और भी शरमा गई, लेकिन मै अभी इस मकाम पर पहुचा था कि वहासे लौटना नामुमकिन था. मैने मम्मी की नाभीमे जीभ घुमायी जिससे उनको गुदगुदी हो गयी और वो दबे सुर मे हसने लगी लेकिन जैसे मै नीचे चूमता गया उनकी हसी सिसकारियोमे बदल गयी. आखिर मै उस जगह पर पहुचा जो जगह कोई माता अपने बच्चे को नही दिखाएगी, वासना की नजरसे तो हरगिज नही. मम्मी की चूतका उपरी हिस्सा एक पावरोटीकी तरह फूला हुआ था, और उसके नीचे उनके चूत के गुलाबी लिपलिपाते हुए होन्ट, जिनसे यौनरस बह रहा था और एक अनोखी खुशबू की महक आ रही थी.

मैने उस छेदमे उन्गली डाल दी और मम्मी ऐसे उछली मनो उन्हे बिजली का नन्गा तार छुआ हो, उनके मुह से आआआह्ह्ह……..उफ्फ्फ्फ……इसतरह की आवाजे आ रही थी, लेकिन उन आवाजोमे मस्ती भरी थी, इन्कार नही था. मैने उस रसभरी चूत मे अपनी दो उन्गलिया घुसाकर निकाल दी और अपनी नाक के पास ले जाकर एक लम्बी सास ली. मम्मी की चूतकी उस मादक खुशबूसे मै गनगना उठा और बिनाकुछ सोचे समझे मैने उनकी चूतसे मुह सटाकर चूमना शुरु किया. मम्मी उछल उछल कर अपनी कमर को झटके देने लगी. पहले तो मै इस मामले मे अन्जान होनेकी वजहसे बस कोई आईसफ्रूटकी तरह मम्मी की चूत चाट रहा था, लेकिन अनजानेमे मेरी जीभ एक खास जगहपे जा धडकी और उस वक्*त मम्मीने जो आह भरी वो सुनकर मुझे लगा जैसे मेरा लन्ड पानी गिरा देगा. बस फिर क्या था, उसी जगह को सामने रखकर मैने मम्मी की चूतपे बेरहमीसे मेरी जीभ के वार करना शुरु किया, मम्मीभी अपनी कमर उछालकर मेरा साथ दे रही थी. मैने फिर थोडा और नीचे झुककर उनके चूतमे अन्दर तक मेरी जीभ डाल दी, मेरी नाक उनकी चूतकी टीटपर रगड रही थी और मेरी जीभ अन्दरतक उनकी चूतकी दिवारको रगड रही थी. मैने मेरे दोनो हाथोको मम्मीके सीनेपर ला कर उनकी चुचिया मसलना शुरु किया, मम्मी की सिसकारिया सारे कमरे मे गून्ज रही थी. मम्मी अब मुहसे आहे भरनेके साथ जोरजोरसे बडबडा रही थी, हाय…….ये क्या हो रहा है मुझे, बेटा…….तुम तो……..आआआह्ह्ह….स्स्स्स्स्स……और अभी, और……….मममम्म्म्म्म्म्म…..आह्ह्ह……मै…..मै……बेटा सम्भालो मुझे…….ऐसा कहकर मम्मीने मेरा सर अपनी चूतपर टाईट पकड लिया, मै भी बिना रुके उनकी चूत अपनी जीभसे चोद रहा था.

वो घडी आ गयी, मम्मी ने कसमसाकर मुझे पकड लिया, उनकी चूतसे रस की फुहार बहने लगी और मम्मी एकदम शान्त हो गयी, मै समझ गया कि वो झड गयी. मुझे अपने आप पर गर्व महसूस होने लगा, न ही मैने मम्मी को सिर्फ पटाया था, उन्हे ओरल सेक्स भी करवाया था और उन्हे उत्तेजना की चरमसीमा तक ला कर खुश करके छोडा था.

मै मम्मी के पास लेट गया, मम्मी सुस्त हो कर आन्खे बन्द किये पडी थी, मैने उन्हे अब बेझिझक हो कर पास खीन्च लिया और उनके रसीले होन्टोपे एक जोरदार चुम्मा जड दिया, मेरे हाथ उनकी चुचियोन्की गोलाई नाप रहे थे और मेरा खडा लन्ड उनकी जान्घोपे रगड रहा था. कुछ देर बाद मम्मीने अपनी आन्खे खोली और मेरी तरफ देखकर बोली, यह क्या कर गये हम दोनो, यह पाप है, हम मा-बेटे है हमारे बीच मे ऐसे सबन्ध होना पाप है और वो भी इस जगह पे…….यह कहकर वो उठनेका प्रयास करने लगी, लेकिन मै अभी झडा नही था और यह सुनहरा मौका मै गवाना नही चाहता था, मैने उनके होन्टोपे मेरे होन्ट रख दिये और एक उन्गली नीचे ले जाकर सीधी उनकी चूतमे घुसा दी, मम्मी तिलमिला उठी लेकिन मेरे चुम्मा-चाटी और बाकी हरकतोसे वो भी अभी उत्तेजित हुई थी, मैने अब ज्यादा समय गवाना उचित नही समझा, मै झट्से उनके उपर चढ गया और उनकी जान्घे फैलाकर मेरा लन्ड सही निशाने पे रखा, मेरा पहला टाईम होनेकी वजहसे मुझे थोडी दिक्कत जरूर हुई लेकिन १-२ बार कोशिश करनेके बाद मेरा लन्ड मम्मी की चूतमे घुस गया, मम्मी की मुहसे बस ‘आआआह्ह्ह्ह’ की आवाज आई, मैने फिर कमर आगे पीछे करके मम्मी को घचाघच चोदना शुरु किया, बीच मे मै प्यारसे उनके होन्टोको चूमता, और बेरहमीसे उनकी चुचिया मसलता, मम्मी मेरा साथ दे रही थी अपनी कमर उचकाकर वो मेरा लन्ड और अन्दर लेनेका प्रयास कर रही थी, अब वो पूरी तरह खुल चुकी थी.

अब विधी वगैरा का कोई बहाना जरूरी नही थी, अब हम एक दूसरेसे इस तरह लिपट गये थे कि मानो २ प्रेमी हो और न मा बेटा. मुझे इसी बात का अहसास हुआ कि अब हमने जो रिश्तेकी दिवार तोडी है तो क्यू न दिल खोलके प्यार किया जाए, यह सोच कर मै भी मस्तीकी मूड मे आकर उन्हे चूमने लगा, मम्मीने उनकी जीभ मेरे मुह मे ठेल दी और हम दोनो मुखरस का आदान-प्रदान करने मे जुट गये, मम्मीके मुखरस का मादक स्वाद मुझे और गरमा रहा था. मेरी जान्घे मम्मी की जान्घोपर थप थप की आवाज करती धडक रही थी, मम्मीने मुझे बाहोसे जकड लिया था और वो पल आ गया जो मै चाहता भी था और नही भी, मुझे लगा कि अब मेरा वीर्यपतन होने वाला है. मैने मम्मीको और कसके पकड लिया और मेरे धक्कोकी रफ्तार बढा दी, मम्मीने उनकी कमर बहुत ज्यादा स्पीडसे उछालनी शुरु कर दी………….और कुछ्ही पलोमे मेरे लन्डसे एक लहर दौड गई और मै मम्मी की चूतमे मेरा वीर्य छोडने लगा, मम्मीभी शायद दुबारा झड रही थी, उन्होने मुझे कसके पकड रखा था, उनके नाखून मेरे पीठ मे गडे जा रहे थे और उनके गर्म होन्ट मेरे सीनेपर चूम रहे थे. हम दोनो निढाल हो कर एक दूसरे पर गिर गये. हमारी सासोकी आवाज के अलावा वहा कुछ सुनाई नही दे रहा था. कुछ पल ऐसेही लेटने के बाद मै मम्मी की उपरसे उनके साईडपर लेट गया.

मम्मी की आन्खे अभीभी बन्द थी, मै एक कोहनी उठाकर उन्हे निहारने लगा. कुछ देर बाद मम्मीने अपनी आन्खे खोली, मुझे यू घूरता देखकर वो शरमा गई और करवट लेकर मेरी ओर होकर बोली, क्या देख रहे हो. मैने बडे प्यारसे उन्हे और थोडा पास खीन्च लिया और कहा कि देख रहा हू आप कितनी सुन्दर हो और……….इतना कहकर मै रुक गया. मम्मी आगे की बात सुननेके लिये बेताब थी, उन्होने पूछा और क्या, बोलो बोलो. मैने कहा आप बहुत सेक्सी हो. मम्मी ने एक चपत मेरे सीनेपर मारी और बोली, हट शैतान. मुझे उनकी यह अदा बहुत पसन्द आयी, मैने प्यारसे उन्हे किस किया. इसी प्रकारकी मीठी मीठी बाते करते मुझे नीन्द आ गई और मै सो गया.
कुछ देर बाद मेरी नीन्द टूटी कुछ आवाजसे. मैने मोबाईल मे देखा तो सुबह के ४ बज गये थे, रूम की लाईट जल रही थी लेकिन मम्मीका पता नही था. मै थोडा डर गया कि कही मम्मी बुरा मानकर चली तो नही गई. लेकिन फिर बाथरूमसे आवाज आई और मम्मी बाहर आ गयी, उन्होने वही साडी पहनी थी, वास्तव मे उसे पहनी थी कहना गलत होगा, बस बदन पे लपेटी थी. मुझे जगा हुआ देखकर मुस्कुराई और बोली, क्या हुआ, नीन्द नही आ रही है क्या. मैने कहा आप भी तो जाग गई है. उन्होने कहा, हा मुझे बाथरूम जाना था, अभी फ्रेश होकर आ रही हू. इतना कहकर वो मेरी बाजूमे चद्दर पर अपने घुटनोपर बैठ गयी और कुछ ढून्ढने लगी. मैने पूछा क्या हुआ, क्या ढून्ढ रही है आप, मम्मी बोली, मेरे कानकी बाली यही कही गिर गई है और वो घोडी बनकर बाली खोजने लगी.

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इस पोझिशनमे उनकी गान्ड और चूत का थोडा हिस्सा उभरकर मेरे सामने आ गया. अब मै अपने आप पे कैसा काबू रखता. मैने उठकर उनके बडे और फूले चुतडोपर हाथ रख दिये. मेरा हाथ पा कर मम्मी हैरान हो गई और बोली, बेटा अब बस करो, रात मे हुआ सो हुआ, अब और नही. मैने कुछ जवाब न देते हुए आगे झुक गया और उनके चुतडोको चूमने लगा. पहले तो मैने अपनी जीभ उनकी चूत पे घुमायी और फिर उसे उनकी गान्ड पे ले आया, मै ऐसा कुछ करून्गा इसका मम्मी को अन्दाजा नही था, जैसेही मेरी जीभ उनके गान्डके छेदपर लगी वो उछल गयी और चूतड हिलाने लगी, मैने उनके कूल्होको मजबूतीसे पकडा और पहले उस गान्डके भूरे छेदपर जीभ फिराई और जीभ सख्त करके सीधी उस छेद के अन्दर घुसा दी. मम्मी सिसकी भरती हुई आहे भरने लगी, उफ्फ्फ……..बेटे………..क्या कर रहे हो………मैने उसकी तरफ ध्यान न देते हुए मेरी एक एक करके २ उन्गलिया उस फूली हुई चूतमे भी घुसेड दी. अब मेरा मुह मम्मी की गान्ड ओए था, उन्गलिया चूतमे हरकत कर रही थी, मैने इस पोझिशनमे उनके लटकती चुचियोको मसलने लगा. इस तीन तरह के हमले से मम्मी बिलकुल मस्त हो गई और अपने होन्टोको दातोके नीचे दबाकर अपनी उत्तेजना जाहिर होनेसे रोकने लगी. लेकिन उनकी चूतसे निकलता हुआ ढेर सारा पानी उनकी अवस्था बता रहा था. मै घचाघच उन्गली पेलता जा रहा था, बीच मे उनके नितम्बोपर हलकेसे दात गडाता. फिर मैने मम्मी की चूतसे उन्गली निकाल ली और मेरा मुह सीधे उनकी चूतपर लगा दिया. उनकी चूतसे बहुत सारा रस निकल रहा था जिससे मेरा मुह सराबोर हो गया.

कुछ देर बाद मम्मीने झटका दे कर अपने आप को छुडा लिया और सीधी होकर मुझपर लेट गयी और प्यारसे मुझे चूमने लगी, उनकी भरी चुचिया मेरे सीनेपर रगड रही थी, मम्मी पागलोकी तरह बडबडाने लगी, मुझसे लिपट कर कहने लगी, जल्दी करो बेटा……..आआआ…….अब बर्दाश्त नही होता………….मेरे अन्दर आग लगाई है तूने, अब उसे बुझा दे ………..फिर मैने उन्हे थोडा ऊन्चा होने का इशारा किया. ऐसे करने से उनकी चूत बराबर मेरे लन्ड के उपर आयी, मम्मीको मेरी चाल समझमे आयी, उन्होने मेरा लन्ड अपनेही हाथोसे उनकी चूतके छेद पर सेट कर के धीरे धीरे उसपे बैठ गयी. जैसे ही वो पूरा बैठ गयी मेरा लन्ड उनकी चूत के अन्दरतक धस गया. मम्मी की चूत गजब की टाईट लग रही थी, मम्मी ने झुककर उनकी चुची मेरे मुह मे ठेल दी, मै नीचे से धक्के मारते हुए उन्हे चूसने लगा.

मम्मी भी उछल उछलकर मेरा लन्ड और अन्दर लेनेकी कोशिश कर रही थी………और इसी मे उनकी चूतसे ढेर सारा पानी निकल गया और मेरी जान्घे गीली हो गई. मम्मी सुस्त होकर मुझपर ढेर हो गई, लेकिन मै तो झडा नही था, मै अब पूरे मूड मे था, मैने उन्हे पीठ के बल लिटा दिया और उनपर चढकर घचाघच चोदने लगा, साथ मे उनकी चुचियोको बेरहमीसे मसलता था और उनके रसीले होन्टोको चूमता और चूसता भी था. मम्मी शुरुमे तो बस हिल रही थी, लेकिन मेरी ताबडतोड चुदाई से वो भी उत्तेजित हो गई, वो बोली ओह्ह्ह्ह बेटा…….और तेज और….और…..और जोरसे………ऐसेही करो मुझे……… तेज मै अभी खतम होने वाली हू…….हाय राम………..यह क्या हो रहा है मुझे……..और मुझे अहसास हुआ कि मेरा पानी निकलने वाला है. मै किसी जानवर की भान्ति गुर्राते हुए कमर तेजीसे आगे-पीछे करने लगा और कुछ ही पलोमे मेरे अन्डकोष से वीर्यकी एक और जबरदस्त फुहार छूटी और मै हाफते हाफते मम्मीके उअर गिर गया. हम दोनो पसीनेसे भीग चुके थे. मम्मीने मेरा बदन अपने बदन पर रखा था और वो प्यारसे मेरे बालोमे हाथ फेर रही थी. मुझे एक झपकीसी लग गयी.

थोडी देर बाद मम्मीने मुझे उठाया. मेरे वजनसे उन्हे दिक्कत होती होन्गी लेकिन उन्होने प्यारसे कुछ नही कहा. मै उनके बगल मे लेट गया, वो उठकर फिरसे बाथरूम हो कर आयी और दिवार को पीठ लगाकर बैठ गयी. मैने प्यारसे उनकी गोद मे अपना सर रख दिया और उन्होने भी मुझे बडे प्यारसे किस किया. मैने शरारत करते उनकी नन्गी चुचियोको मुह मे लिया और दूसरी को मसलने लगा. वो हस पडी लेकिन मुझे रोकते हुए बोली, अभी रुक जाओ, पन्डितजी आते होन्गे. हम दोनो बिलकुल नन्गे एक दूसरे के इतने करीब थे कि पूछो मत. एक बहुत शान्तसी भावना हम दोनो के मन मे थी. फिर मम्मीने उठ कर अपनी हमेशावाली साडी पहन ली, मैने भी अपने कपडे पहन लिये. सुबह के ५ बजने वाले थे, मै और मम्मी एकदम साधारण मा-बेटे की तरह बैठे थे, हमे देखकर किसी को शक नही होता कि कुछ समय पहले यह दोनो घमासान चुदाई मे लगे थे. मै और मम्मी बस उस पल का आनन्द ले रहे थे. और फिर दरवाजेपर खटखटानेकी आवाज आई.

मैने जा कर दरवाजा खोला, जाने के पहले मम्मी के होन्टोपर किस जरूर किया, उन्होनेभी मुझे आगोशमे भरकर भरपूर साथ दिया. दरवाजा खोला तो सामने पन्डित था, उसने कहा कि अब बाकी के लोग आयेन्गे. मम्मी फिर हमारे कमरे मे चली गई. वो जातेही पन्डितने मुझे पूछा कि काम हुआ कि नही. मुझे लगा कि जो भी हुआ वो मेरे और मम्मीके बीच हुआ, इस गैर आदमी को क्यू बताया जाए, इसलिये मैने चेहरेपर नाराजी जताते हुए कहा कि वो नही मानी. पन्डित परेशान हो गया कि कही मै उसकी पोल खोल दून्गा. मैने उसे पूछा कि दीदी का रिश्ता तय हुआ क्या. उसने हामी भर दी तो मैने उसे तसल्ली दी कि मै शहर मे जा कर उसका पर्दाफाश नही करून्गा. वो मुझे कई बार शुक्रिया बोला और चला गया.

अब कमरे मे मै और मम्मी दोनो फिरसे अकेले थे, मैने दरवाजा बन्द करके मम्मीको बाहोमे भर लिया. मम्मीने मुझे प्यारसे चूमते हुए कहा, अभी नही बेटा, अब घर चलते है, फिर हम दोनो रहेन्गे, हमे कई मौके मिलेन्गे. मै समझ गया कि मम्मी कोई खतरा नही उठाना चाहती लेकिन वो मेरे साथ यौन सबन्ध बनाए रखनेके लिए राजी है. इस खुशीसे मैने उन्हे एक बार फिर चूम लिया और हम दोनो हमारे कमरेकी ओर चल पडे.

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अन्तर्वासना | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/antarvasna.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/antarvasna.html#respond Sun, 04 Feb 2018 03:17:07 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11870 उसके चुत साफ किये गये थे एकदम चीकनी थे फिर मैने उसके पूरे बदन को चूमा बूब्ब मसले धीरे धीरे चुत पर हाथ लगाया ओ मचल सी गई और सीत्कार भरने लगी मौका देखकर एक ऊँगली उसे चुत मे डाल दिया |

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अन्तर्वासना ( Antarvasna )

हलो दोस्तों मेरा नाम आनंद है और प्यार से अवनी बुलाते है यह मेरी पहली और सच्ची कहानी है | जिसमें मैं सुकृता को कैसे चोदा ये बताऊँगा, दोस्तों बात उन दिनो की है जब मैं बी.ए.। में पढ़ रहा था। वो रोज हमारे घर आती थी, दोस्तो मेरा घर गाँव में है इसलिए पानी हमारे कुँआ से लेकर जाती थी। 1 दिन जब मैं नहा राहा था उस वक्त घर पर कोई नहीं था वो आई और पानी भरने लगी झुकने पर उसके बुब्ब दिखने लगी एकदभ दूध की तरह सफेद जिसे देखकर लंड कडा होने लगा जिसे उसने देख लिया और मुस्कुराकर चल दी अगले दिन उसने फिर वही किया लेकिन इस बार मैने उसका हाथ पकडा और बोल दिया आई लव यू ।

पहले तो उसने थप्पड मारा फिर कहा आई लव यू 2 और जोर से गले लग गई किस किया और चली गई अब हम रोज मिलने लगे एक दिन मैंने कहा कि मुझे तूम्हे चोदने का मन कर रहा है तो कहने लगी नही यह गलत है मेरे बहुत कहने पर वो मान गई और रात का प्रोग्राम बना लिया । रात को मिलने का पुरी तैयारी हो चुकी थी सब के खाना खाने के बाद करीब 10 बजे तय किये जगह पर पहुँच गये क्या लग रही थी | आप यह हॉट हिंदी सेक्सी कहानी मस्ताराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | मैं उसके पास गया और जोरदार चुम्बन लिया अब जल्दी से अपना कपडा उतारकर उसके भी कपडे उतार दिये उसके बूब्ब देखकर तो पागल सा हो गया और उन पर टूट पडा उसका 36.28.30 के शरीर कयामत ढाने वाले थे |

उसके चुत साफ किये गये थे एकदम चीकनी थे फिर मैने उसके पूरे बदन को चूमा बूब्ब मसले धीरे धीरे चुत पर हाथ लगाया ओ मचल सी गई और सीत्कार भरने लगी मौका देखकर एक ऊँगली उसकी चुत मे डाल दी उसके मुँह से आह निकल गई ऊँगली अंदर बाहर करने से उसका शरीर अकडने लगी और ओ झड गई यही क्रिया फिर किया करता गया और वो 3 बार झड चुकी थी ओ तडप रही थी कह रही थी कि अवनी अब अंदर डाल दो मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा है

मैने भी समय ना गंवाते हुए अपने 6 इंच का लंड चुत के मुँह पर रख दिया और झटका दिया चुत टाईट थी इसलिए 2 इंच ही अंदर गया और उसके मुँह से चीख निकल गई ओ तडपने लगी थोडी देर बाद जब ओ ठीक हो गई तो दोबारा एक जोरदार झटका मारा और पूरा का पूरा लंड घूस गया ओ तडपने लगी उसके आंख से आंसु बहने लगी चुत से खून बहने लगा तब पता चला कि वह कुँवारी थी ।

थोडी देर बाद मैं लंड अंदर बाहर करने लगा और उसे भी अच्छा लगने लगा और ओ भी चुतड़ हिला हिलाकर साथ देने लगी लगातार चुदाई से दोनो पानी पानी हो गये थे

इसी दौरान ओ एक बार और झड गई अब मैं भी झडने वाला था तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई और 5 मी. में मैं भी झड गया और निडाल होकर उसके उपर ही लेट गया फिर अपने अपने कपडे पहने और घर चल दिये ।

तो दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी । अगली कहानी जल्द भेजूँगा

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बीबी से पहले सास के साथ मनाया सुहागरात | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/bibi-se-pahale-sas-ke-sath-manaya-suhagraat.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/rishto-me-chudai/bibi-se-pahale-sas-ke-sath-manaya-suhagraat.html#respond Sat, 03 Feb 2018 13:25:11 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11883 बीबी से पहले सास के साथ मनाया सुहागरात, ये कहानी मेरी शादी से पहले की है जिसमे एक तांत्रिक की वजह से मुझे मेरी सास को चोदना पीडीए पहले सुन के बुरा लगा लेकिन जब मैंने अपनी सास को अपनी शादी से पहले चोदा तो मुझे लगा जो हुआ बहुत ही अच्छा हुआ

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मेरे प्यारे दोस्त आज मैं आपको एक कहानी सुना रहा हु, जो की मेरे शादी के दिन की है, एक तांत्रिक की वजह से मैं अपने सास के साथ सुहागरात मनाया, पर अच्छा हुआ, इसके पहले मैंने कभी चूत का मज़ा नहीं लिया था और उस दिन ऐसा मौका आया की सुहागरात के दिन मैंने अपनी ही सास के साथ सेक्स किया और दूसरे दिन मैंने अपने वाइफ का पर आप सच मानिये मेरे दोस्त मुझे सास को चोदने में बहुत मजा आया था, उसकी चूत आज भी टाइट थी. चूचे उनका टाइट और गोल गोल है रंग गोरा, लम्बी और होठ गुलाबी, चलती है तो चूतड़ ऐसे हिलता है की लंड महाराज भी खड़ा होके सलामी ठोकते नजर आते है,

मेरे ससुर जी का देहांत हुए 19 साल हो गया है, मेरी वाइफ सास ससुर की अकेली संतान है, धन दौलत की कोई कमी नहीं है, सासु माँ ने बड़े लाड प्यार से पाला, किसी चीज की कभी कोई कमी नहीं होने दी, मेरी वाइफ देखने में बड़ी ही खूबसूरत और मॉडर्न है, गोरी लम्बी सेक्स पार्ट तो मत पूछो यार, वो 24 साल की है, मेरी सास की उम्र 43 की है पर मेरी सास और वाइफ एक जैसी ही लगती है.

मेरी शादी हुयी एक मंदिर बंगाल में, मैंने अपने माँ बाप से छुपा के शादी किया, क्योंकी मैं सपना को पसंद करता था पर मेरे माँ पापा इसके लिए राजी नहीं थे. शादी हो गयी मैंने किराये के मकान में रहता था और मेरी सास को अपना वसंत कुञ्ज में फ्लैट है, मैं उनके यहाँ ही चला गया.

अब मैं असल कहानी पे आता हु, मैं रोज दूसरे की कहानी पढ़ा करता था पर मुझे आज लगा की मैं भी अपनी कहानी पोस्ट करूँ जो आपके सामने है, दिन में २ बजे के करीब कोर्ट में शादी हो गयी, फिर मंदिर में आके फेरे ले लिए, शादी बड़ी ही गुपचुप तरीके से ही हुयी थी, शाम को हम लोग एक फाइव स्टार होटल में खाना खाए और घर के लिए निकल पड़े, अचानक मेरी वाइफ का तबियत ख़राब हो गया, वो बेहोश हो गयी तुरंत उसको हॉस्पिटल ले गया, हॉस्पिटल पहुँचते पहुँचते वो बेहोश हो गयी, डॉक्टर ने बोला की ये बेहोशी करीब १२ घंटे तक रहेगा, आई सी यु में भर्ती करवा दिया, मेरी सास्सू माँ और मैं खुद बहुत बैचेन थे, डॉक्टर ने कहा की अब आप लोग नहीं मिल सकते है सुबह के आठ बजे तक, तो सासु माँ बोली बेटा घर ही चलो यहाँ तो रहने भी नहीं दे रहे है, मिल भी नहीं सकते घर वह से २०० मीटर की दुरी पर ही था तो हमलोग घर आ गए.

सासु माँ बोली की क्या हो गया है, आज तुम्हारे ज़िंदगी का सबसे ख़ुशी का दिन था, सुहागरात का पर होनी को कौन टाल सकता है बेटा और रोने लगी, मैंने चुप करने जैसे ही आगे बढ़ा वो मेरे में लिपट गयी और रोने लगी, मैं समझाता रहा पर वो रोये जा रही थी मैंने अपने सीने से चिपका लिया था, उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक के आधा बाहर निकल रहा था पीठ सहलाते सहलाते मेरा लंड खड़ा होने लगा, ये एहसास मेरे सास को भी हो गया था मुझे ठीक नहीं लग रहा था की पता नहीं ये क्या सोचेगी पर हुआ इसका उल्टा.

वो मेरे गाल को किस करने लगी फिर होठ को किश करने लगी, वो अपने चूत की जगह के मेरे लंड के पास सटा दी इससे मुझे और भी सिहरन होने लगी, फिर वो मेरे पीठ को सहलाने लगी, वो किश करते ही जा रही थी, मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं भी उनको किश में शामिल हो गया, अब दोनों तरफ से किश और सहलाना सुरु हो गया, अचानक वो घूम गयी, उनका गांड मेरे लंड के पास आ गया मैंने उनके गांड में लंड सटा दिया, वो आगे से मेरे हाथ को पकड़ के चूच के पास ले गयी और, दबाने के लिए कहने लगी, मैंने चूच को दबाते दबाते उनके नाभि में ऊँगली घुसाने लगा, फिर मैंने साडी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा.

वो आअह आआह आआह आआह करने लगी, और बोली बेटा आज तो सपना नहीं है बेटा आज तू मेरे साथ ही सुहागरात मना ले, वो मुझे हाथ पकड़ के बेड रूम में ले गयी, और मेरे कपडे उतार दिया और खुद लेट गयी मैंने उनके ब्लाउज का हुक खोला और ब्रा के ऊपर से ही चूच को दबाने लगा वो हाथ ऊपर कर दी कांख में काले काले बाल थे मैंने जीभ से कांख के बाल को चाटने लगा, फिर वो खुद ही ब्रा का हुक पीछे से खोल दी ओह्ह्ह्ह माय गॉड बड़ा बड़ा गोल गोल टाइट चूच हवा में लहराने लगे मैंने तो जोश में आ गया और उनके दोनों चूच को बारी बार से पिने लगा, आआह आआअह उफ्फ्फ्फ्फ़ पि ले बेटा पि ले, आआअह आआआह हाय वो इस तरह से आवाज निकाल रही थी.

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मैंने सरक के निचे हो गया और जीभ उनके नाभि में डालने लगा वो सिहर रही थी कह रही थी और खिल खिला के हँस रही थी कह रही थी हटो ना प्लीज गुद गुदी हो रही है, मैं फिर सरक के निचे हो गया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया ओह्ह्ह्ह, ब्लैक कलर की पेंटी मैंने सूंघने लगा, वो फिर से खिलखिला के है रही थी, मैंने पेंटी उतार दी, वो अपने हाथ से चूत को छिपा ली, बोली मेरा गिफ्ट सुहागरात का, मैंने अपने वाइफ के लिए एक सोने का चेन ले गया था मैंने पहना दिया,

फिर मैंने उनका हाथ चूत से हटा के पैर को अलग अलग किया थोड़े थोड़े बाल थे, चूत को हाथ लगाया वो गरम था चिपचिपा हो चूका था, मैंने उनके चूत के चाटना सुरु किया, करीब ५ मिनट तक चाटा तो सास बोली मुझे और ना तड़पाओ मुझे भी तुम्हारा लंड अपने मुह में लेने है, पर मैं अभी उनके चूत को नहीं छोड़ सकता मुझे चाटना था मुझे काफी अच्छा लग रहा था, तभी मुझे याद आया की 69 पोजीशन जिसमे लंड पार्टनर के मुह में और चूत दूसरे पार्टनर में मुझ के पास बस मैं घूम गया मेरा लंड उनके मुह में था और मेरा मुह उनके चूत के पास बस दोनों एक दूसरे को चाटने लगे, इस विच एक गहरी सांस और अंगड़ाई लेते हुए मेरी सास झड़ गयी, तभी मेरी सास मेरे लंड जो जोर जोर से चूसने लगी और मैं भी झड़ गया पूरा वीर्य उनके मुझ में भर गया, वो पि गयी बोली काफी नमकीन है.

अब मेरी सास उठी और फ्रीज़ से अंगूर लायी दोनों मिलकर अंगूर खाने लगे, दोनों नंगे थे, एक दूसरे को पकड़ के लेटे रहे फिर धीरे धीरे सहलाना सुरु किया मेरा लंड महाराज खड़ा हो गया अब मैं अपने सास के दोनों पैर को उठाया और बीच में लंड को रखा और घुसेड़ दिया, सासु माँ की चीख निकल गयी, बोली धीरे धीरे किसी वर्जिन से कम नहीं हु, आराम से करो, फिर मैं कहा रुकने बाला और वो कहा रुकने बाली, वो गांड उठा उठा के और मैं ऊपर से धक्के पे धक्का देने लगा, वो आअह आअह आअह आअह उफ्फ्फ उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ आॉच आउच करने लगी, फिर क्या था मैं नव सीखिये और मेरी सास अनुभवी वो मुझे अलग अलग पोज में चुदवाने लगी, इस तरह से हम दोनों रात भर चुदाई करते रहे, अब मेरी बीवी भी घर आ गयी है, हम तीनो सुखी बैवाहिक जीवन बिता रहे है,

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टांगे उठाकर चुद्वाती है विद्या के साथ वाइल्ड सेक्स | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/tange-uthakar-chudwati-hai-vidya-ke-sath-wild-sex.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/tange-uthakar-chudwati-hai-vidya-ke-sath-wild-sex.html#respond Sat, 03 Feb 2018 11:43:48 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11880 टांगे उठाकर चुद्वाती है विद्या के साथ वाइल्ड सेक्स, मेरे घर के निचे रहने वाली विद्या जिसे पटना आसन था क्योकि वो भी मुझपर लाइन मारती थी मैंने उसे पटाया और उसे मेरा जिम करना अच्छा लगता था तो वो भी एक बार टांगे उठाकर पुशअप करती जिसे देख मेरा लौड़ा तन गया और मैंने उसे चोदने का प्लान बनकर साली को चोद डाला

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हेल्लो दोस्तों मै इस साईट का पुराना पाठक हूँ और मस्ताराम का फैन हूँ आज मुझे भी अपनी कहानी आप सभी के साथ शेयर करनी है इसलिए आज मैं आप सभी को एक कच्ची कलि मस्त जवानी वाली लड़की की चुदाई की कहानी आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूँ उम्मीद है आप सभी को मेरी आज की कहानी की बहुत ही पसंद आएगी. उससे पहले मैं आप सभी की अपना परिचय दे दू. मैं 24 साल का 6 फ़ुट कद, रंग गेंहुआ, सोमनाथ हूँ। मैं बंगलौर में ऍम. बी.ए की पढ़ाई कर रहा था, फाइनल इयर तक पहुँचते पहुँचते मैंने 3 कमरे बदल लिए थे पर ढंग का कमरा नहीं मिल पा रहा था, तब जाकर मुझे एक ढंग का कमरा मिला। वैसे तो कमरा छोटा था, ऊपरी मंजिल पर था, पर नीचे के लोगों का व्यव्हार बहुत बढ़िया और दिल खुश कर देने वाला था, हर बात मुस्कुरा कर कहते, मकान मालकिन अधेड़ महिला थी पर उनकी बेटी विद्या गजब की माल थी, आँखें काली काली और बड़ी बड़ी, कोई उसकी आँखों को देख कर ही मूठ मार ले ऐसी सुन्दर आँखें थी। और चूची का तो पूछो ही मत, वह 22-23 साल की थी एकदम आईटम लगती थी, और बातें करने में एक्सपर्ट थी. वैसे तो वो मेरी सीनियर थी.

जब एक महीना बीत गया, तो मुझे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था विद्या को पटाने का, क्योंकि वह ऊपर सिर्फ कपड़े सुखाने आती और अपनी माँ के डर से लड़कों से बात भी नहीं करती थी। मेरे दिमाग में सिक्स पैक एब्स बनाने का चस्का चढ़ा, हर सुबह मैं अपनी शर्ट उतार कर पुश-अप्स करता, क्रंचेस मारता, इस उम्मीद में कि विद्या देखेगी, वो देखती तो थी पर भाव नहीं देती थी।

एक दिन वह ऊपर आई कपड़े सुखाने, मुझे लगा यह अच्छा मौका है, मैंने अपना लंड खड़ा कर दिया, लंड मेरी कैपरी में विद्या को सलामी दे रहा था, मैं झट से लोहे की बनी सीढ़ी जो छत पर चढ़ने के लिए रखी थी उसको पकड़ कर पुल-अप्स करने लगा। विद्या ने मेरे लंड की ओर नजर डाली और थोड़ा शरमा कर कपड़े डालने लगी, जाते समय उसने एक बार फिर मेरे लंड की ओर देखा, मेरा लंड भी कुछ कम नहीं था 7.5 इंच लम्बा और काफी मोटा, विद्या जवानी के उस पड़ाव पर थी जिसमें उसे रात को अपने सपने के राजकुमार की जगह सपने के राज-लौड़े की तलाश थी।
धीरे धीरे एक महीना और बीत गया, मुठ मार मार कर मैं फ्रसट्रेट हो रहा था, मन करता था जाकर चोद दूँ साली को पर मैं हवस का पुजारी नहीं था, तो अपने को कण्ट्रोल किया। अब मुझे लगने लगा कि विद्या को अपने लंड के साक्षात् दर्शन कराये जायें।

एक बार विद्या के माँ-बाप को शादी में 1 वीक से ज्यादा दिनों के लिए बाहर जाना था, विद्या की देखरेख के लिए विद्या की दादी थी, यह सुन कर मैंने मन ही मन भगवान की जय-जयकार कर दी। विद्या अब मेरी दोस्त बन चुकी थी, विद्या का मैथ्स में बैकलोग का पेपर था, हम दोनों अब साथ में ही तैयारी करने लगे। एक दिन पढ़ते पढ़ते विद्या ने पूछा- सोमनाथ, तुमने आज ऐक्सेरसाइज़ क्यों नहीं की?

मेरा शैतान जाग गया, मैंने कहा- मेरी कैपरी फट गई है।
उसने कहा- लाओ, मैं सिल देती हूँ।
मैंने कहा- छोड़ ना !

फिर वह जिद करने लगी, मैं ऊपर अपने कमरे में गया और कैपरी को लंड वाले जगह जानबूझ कर फाड़ दिया और नीच विद्या को दे दिया।
यु.पी वाली विद्या का हाथ जैसे मेरी कैपरी के लंड वाले हिस्से पर पड़ा, उसका दूध जैसा गोरा चेहरा लाल पड़ गया। यह देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, उसने मेरी कैपरी सिल कर मुझे दे दी।

मैंने कहा- मैं जींस में मैं अनकम्फर्टेबल फील कर रहा हूँ, मैं कैपरी पहन लेता हूँ।
मैंने विद्या के सामने ही जींस उतार दी और कैपरी पहन लिया। पहनते पहनते मैंने विद्या को थैंक्स बोल कर उलझाये रखा, ऐसा करके हम दोनों फिर पढ़ने लगे।

एक घंटे बाद विद्या बोली- देखो न सोमनाथ, कितनी मोटी हो गयी हूँ मैं !
मैंने कहा- नहीं तो यार, तू तो बिल्कुल सेक्सी है।
यह सुन कर वो हंसने लगी और बोली- नहीं यार, सीरियसली मैं मोटी हो रही हूँ। मुझे भी कुछ एक्सरसाइज़ सिखा !
फिर मैंने कहा- चल साथ में एक्सरसाइज़ करते हैं।
मैंने अपनी शर्ट उतार दी, मेरा लंड खड़ा हो गया था पर मैंने परवाह नहीं की, विद्या ने यह देख लिया था पर इग्नोर कर दिया।

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मैंने कहा- पहले पुश-अप्स कर ! इससे तेरी चेस्ट मस्सल स्ट्रोंग होंगी।

वह हंसते हुए बोली- पहले से मेरी चेस्ट काफी बड़ी है, अब और बड़ी नहीं करनी !

मैंने भी स्माईल देते हुए कहा- अरे नहीं, यह तो तेरे ब्रेस्ट का फैट जलाएगा।

फिर वो बोली- हाँ, तो फिर ठीक है। वैसे भी कुछ ज्यादा ही बड़ी हो गए हैं मेरे ब्रेस्ट !

ऐसा कह कर वो पुश-अप्स मारने की कोशिश करने लगी, पर वो पूरी तरह कर नहीं पा रही थी, उसने कहा- सोमनाथ, नहीं हो रहा।

मैंने कहा- मैं हेल्प करता हूँ।

मैंने उसकी चूचियों के बगल का हिस्सा पकड़ कर उससे पुश-अप्स करवाने लगा, वो धीरे धीरे गर्म होने लगी क्योंकि उसकी साँसें तेज़ हो गई थी।

मैंने अब अपना लंड अपनी कैपरी में फिट किया और उससे क्रंचेस मारने कहा, मैंने उसे लेटा कर अपने पैर उसके कमर के दोनों और रख खड़ा हो गया और उसकी क्रंचेस मारने में हेल्प करने लगा, वो जैसे ही ऊपर आती उसका मुख मेरे लंड के करीब हो जाता, बीच में वह हंसने लगी तो मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो वो बोली- कुछ नहीं !

अब मैंने उसे उसके चूतड़ों की तरफ इशारा करते हुए कहा- सबसे ज्यादा फैट लड़कियों का वहीं जमा होता है।

वो फ़िर हंसने लगी, मैंने उसे लेटा कर उसकी टाँगें ऊपर नीचे करने कहा। जब वो टाँगें उठाती तो उसकी गांड मुझे पागल बना रही थी।

मैंने कहा- आज के लिए इतना काफी है।

उसने पूछा- सोमनाथ, इसमें कितने दिन लगेंगे?

मैंने कहा- 4-5 महीने !

फिर उसने मेरी छाती की तारीफ करते हुए कहा- तेरी छाती मस्त है !

और मैंने कहा- छू कर देख !

वो शरमाते हुए मेरी छाती पर हाथ रखा, उसने मुझे छेड़ने के लिये मेरे निप्पल को छूकर दबाया।

मैंने कहा- मैं लड़की नहीं हूँ जो मुझे इसमें मजा आएगा।

वो हंसने लगी, मैंने सोचा अब देर करनी बेवकूफी है, मैंने अपना हाथ उसकी चूची पर रख दिया, और सहलाने लगा, उसने एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया और लंड पर जोर से चुट्टी काट दी, मुझे दर्द हुआ पर मैंने जोर से उसे किस कर दिया, मैं उसे पागलों की तरह चूम रहा था, मैंने उसकी टी शर्ट फाड़ दी और ब्रा का हूक पीछे से खींच कर रबर बैंड की तरह उसके पीठ में दे मारा, उसे दर्द हुआ, पर मैंने जोर से उसकी चूची दबा दी, मैंने सोच लिया था आज ऐसा चोदूँगा इसको कि जिन्दगी भर मेरे लंड के डरावने सपने आयें इसको।

मैंने उसकी चूची के निप्पल दाँत से जोर से काट दिए, वह चिल्लाई और बोली- छोड़ो मुझे !

मैंने प्यार से उसे फिर किस कर दिया, अब मैं किस करते हुए नीचे आने लगा, होंठ, गला, चूची, क्या सोफ्ट चूची थी उसकी, पेट और उसके लोअर के ऊपर से ही उसकी चूत को चाटने लगा।

वो गर्म हो गई और ऊउह करने लगी, मैंने एक झटके में लोवर के साथ उसकी पैंटी भी उतार दी।

अब विद्या मेरे सामने नंगी लेटी हुई थी जमीन पर ही, मैंने उसे गोद में उठा कर उसके बिस्तर पर लेटाया और उसकी चूत देख कर दंग रह गया। वह कुंवारी अक्षत योनि थी, उसकी चूत पर बाल भी कम थे।

मैं अपना लंड उसके चूची के बीच रगड़ने लगा, उसने आँखें बन्द कर ली थी, मैंने कहा- विद्या, मेरा लंड मुँ में ले !

उसने मना कर दिया, पर मैं जबरदस्ती अपना 7 इंच का लंड उसके मुँह में डालने लगा, हार मान कर वह चूसने लगी, मैं तो सातवें असमान में पहुँच गया। क्या चूस रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे बहुत बड़ी चुदक्कड़ है।

चूसते चूसते मैंने उसके मुँह में ही अपना माल गिरा दिया, वह उल्टी करने जैसा मुँह बनाने लगी।

मैंने तेज आवाज में कहा- विद्या, पी जा उसको। वह पी गई।

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अब मैं उसकी चूत चाटने लगा और उसकी कसी चूत में अपनी जीभ घुसाने की कोशिश की। मैं उसकी चूत को दांत से काटने लगा, वह चिल्ला पड़ती। जब मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा तो वह कांप गई, उसके पैर कांपने लगे थे।

मैंने एक जोरदार झटका मारा, वह इतनी जोर से चिल्लाई कि मुझे लगा कहीं पड़ोसी ना सुन लें।

मैंने जल्दी से उसका मुख बन्द किया, वह फिर भी चिल्ला कर हाथ पाँव मारने लगी और मुझे दूर धकेलने लगी।

मैंने जोरदार झटका ऐसा मारा कि दूसरे झटके में ही पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया, वह रोने लगी, मैंने उसे फ्रेंच किस किया और धक्के मारने लगा, मैं उसे किस करने के साथ धक्के भी मार रहा था।

मैंने उसे कहा- आई लव यू विद्या !

और वह यह सुन कर और ज्यादा रोने लगी। मैंने उसे चोदना चालू रखा, वह रो रही थी, अब उसने ताकत लगाना छोड़ दिया, मैं उसे उठा कर सीधा ऊंचा हो गया और खुद को उठा कर ऊपर नीचे करने लगा।

फिर उसे अपने ऊपर बिठाया और बोला- चोद मुझे अब !

मैंने देखा जब वह ऊपर-नीचे हो रही थी तब ज्यादा मजे लेने लगी।

अब मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूत को साफ़ किया और घोड़ी की तरह बैठा दिया, और पीछे से उसकी जबरदस्त चुदाई करने लगा, मैं धक्के काफी तेज़ी से मार रहा था। वह दो बार झड़ चुकी थी, फिर मैंने उसे सीधा लेटा कर धक्के मारने लगा, धक्के मारते मारते वह अब खुद मुझे किस कर रही थी, मैं झड़ने वाला था और मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूचियों के बीच रखा और धक्के मारने लगा और वहीं झड़ गया।

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पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-1 | hindisexstories.autocamper-service.ru //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-1.html //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/first-time-sex/pandit-dwara-ma-or-didi-bani-vaishya-1.html#respond Sat, 03 Feb 2018 09:15:03 +0000 //hindisexstories.autocamper-service.ru/youjizzmobileporn/?p=11843 पंडित द्वारा माँ और दीदी बनी वैश्य-1, जब मुझे पता चला की मेरी माँ कितनी चुदासी है तो एक रात मैंने माँ के सो जाने में उनके पैरो से उनकी जन्घो तक अपने हाथो से सहलाना लगा जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरा लंड एकदम खड़ा हो चूका था लेकिन माँ की नींद खुल गई और उन्होंने धीरे से खा बेटा ये क्या कर रहे हो

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मेरे परिवार मे 4 लोग है, मै, मेरी बडी बहन मोनाली उनकी उम्र 24 साल है, मेरी मम्मी उषा उनकी उम्र 43 और पापा बलवंत उनकी 47 साल है, और मै 20 साल का हू. हम एक मिडलक्लास परिवार वैसे पैसे की कोई तकलीफ़ नही थी, पापा सरकारी नौकर थे, अच्छी तनखा थी उनकी यह कहानी कुछ महिने पहले की है, मेरी दीदी 23 की हो चुकि थि,उन्होने डिग्री कर ली और वो घर का सब काम जानती थी, बहुत ही सुन्दर और सुशील थी, पर उनकी शादी नही हो पा रही थी क्योकी वो मान्गलिक थी और उनकी जनमपत्री मे भी कुछ दोष था. उनकी शादी ना होने से मम्मी पापा बहुत परेशान थे.

पापा सरकारी नौकर होनेकी वजह से उन्हे काम के सिलसिले मे अक्सर बाहर रहना पडता था, पर १ या २ दिन से ज्यादा नही. एक दिन मै घर पर आया तो मम्मी पापा आपस मे हमेशा की तरह दीदी की शादी की बात कर रहे थे, फिर हमारा पन्डित आया जो दीदी के लिये रिश्ता ढून्ढने मे मदद कर रहा था. उसने बताया के दीदी की जनमपत्री का दोष हटाने के लिये हरिद्वार मे गन्गा किनारे पूजा करनी होगी और उनकी शुद्धि करनी होगी तब कोई मान्गलिक लडका दीदी के लिये ढून्ढ कर उनकी शादी करायी जा सकती है.

मुझे ये सब बाते ठीक नही लगती थी और मै इनमे ज्यादा विश्वास भी नही रखता था. मुझे तो उस पन्डित पर भी विश्वास नही था, लेकिन मम्मी और पापा उसपर बहुत भरोसा रखते थे, असल मे वो दोनो इतने परेशान थे के वो शादी के लिये कुछ भी करने के लिये तैयार थे, पन्डित की बाते सुन कर वो खुश हुए और उस पूजा के लिये फ़ौरन राजी हो गये. पन्डित ने बताया की यह पूजा ७ दिन तक चलेगी और यजमान-मतलब मेरे पिता का-उपस्थित होना जरूरी है. पापा फिर नाराज हो गये के उन्हे २-३ दिन से ज्यादा छुटी नही मिलेगी, फिर ये तय हुआ के मै दीदी, मम्मी और पन्डित जायेन्गे, पापा ने हमारा रिझर्वेशन भी करा दिया.

हमने सारी तैयारी कर ली और निर्धारित समय पे स्टेशन पहुच गये, ट्रेन शाम के 6 बजे चलनी थी और सुबह ९ बजे हरिद्वार पहुचती थी. पन्डित वही स्टेशनपे आ गया था, फिर पापा ने हमे अपने डिब्बे मे बिठाया और चले गये, जाते वक्त उन्होने मुझे कुछ पैसे दिये और कहा की मा और दीदी का खयाल रखना. जब ट्रेन चली तो हम अपने अपने स्थान पे बैठ गये और बाते करने लगे, हमारे डिब्बे मे १ कपल और था, वोह खिडकी वली सीट पे आमने सामने बैठे थे और वोह अपनीही बतो मे बिझी थे, मम्मी और दीदी और वो औरत एक साईड मे थे और मै और पन्डित और वो तीसरा आदमी एक साईड मे थे. मै मम्मी के सामने था, बातो बातो मे मैने देखा की पन्डित मम्मी की तरफ़ कुछ ज्यादा ही देख रहे थे, मुझे बडा अनकम्फरटेबल फ़ील हो रहा था और शायद मम्मी को भी. साला पन्डित कभी मम्मी के बडे बडे बूब्स की ओर देखता तो कभी उसकी जान्घो की ओर, और जब भी मम्मी किसी काम से खडी होती तो वोह उनकी कमर और उनके कूल्हो को देख रहा था.

मुझे बडा गुस्सा आ रहा था पर मैने अपने आप पे काबू बनाये रखा, कुछ समय बाद जब भी वो मम्मी की तरफ़ देखता तो मै भी देखता के वो कहा देख रहा है, इसके चलते मै भी न जाने कब मम्मी के खूबसुरत बदन को देखने लगा, मैने देखा की मम्मी के स्तन बडे विशाल और सख्त लग रहे थे, ब्लाउझ मे कस के बन्धे हुए थे, उनके हिप्स भी बडे और गोल थे, उनका पेट थोडा सा ही फूला था, उनकी स्किन गोरी थी, मम्मीने अपने जिस्म का अच्छा खयाल रखा था. उनके चेहरेपर गोल बडी लाल बिन्दी खूब सज रही थी, मेरी मम्मी अब मुझे भी बहुत खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी. साला इस पन्डित ने मेरा मम्मी की तरफ़ देखने का नजरियाही बदल दिया था.

रात हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे, मै और पन्डित सबसे उपर की बर्थ पे सोये, मम्मी और दीदी बीच की बर्थ पे और वो कपल नीचे वाली बर्थ पे सो गये. सुबह जब उठे तो देखा मम्मी और दीदी जागी हुई थी और पन्डित भी जागे हुए थे, वो कपल बीचमे ही कही उतर गया होगा, क्योन्कि दीदी और मम्मी विन्डो सीट पे बैठे थे, पन्डित मम्मी की तरफ़ ही देख रहा था और शायद मन ही मन मम्मी के शरीर को पाने की कामना कर रहा था. मम्मी ने ग्रीन कलर की साडी पहनी थी और उसी कलरका ब्लाउझ, मम्मी का शायद ध्यान नही था पर उनकी दायी चुची पूरी तरह से ब्लाउझके साईडसे दिख रही थी, वो शायद पल्लु कुछ ज्यादा ही चढ गया होगा, पन्डित तो उसे बस घूरते जा रहा था, मम्मी का स्तन काफ़ी बडा दिख रहा था और वो उनकी उमर की हिसाब से ढीला भी नही लग रहा था. ब्लाउझ का कपडा पतला होनेसे अन्दर की उनकी ब्रा थोडी दिख रही थी और उनके वक्ष का उभार मानो उस कपडेसे बाहर आनेकी राह देख रहा था.

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मम्मी की बगल के हिस्से मे आया पसीन यह सब और उजागर कर रहा था. मेरा लन्ड मेरी पॅन्ट मे फनफना उठा. कुछ ही देर मे हम हरिद्वार पहुच गये, हमने वहा एक आश्रम मे किसी से कह के बुकिन्ग करवा रखी थी. जब हम वहा पहुचे तो देखा वो एक बहोत बडा आश्रम है और रहने खाने पीने की अच्छी व्यवस्था थी, हमने २ कमरे लिये एक मे पन्डित और दूसरे मे हम तीनो, फिर पन्डित ने कहा के अभी आराम कर लो, और शाम ५.३० बजे गन्गा घाट जायेन्गे और पूजा का आरम्भ करेन्गे, हमने दोपहर को खाना खाया और फिर सो गये, ५ बजे मम्मी ने हमे जगाया और जल्दी तैयार होने को कहा, मे तुरन्त नहा के बाहर निकल गया, क्योन्कि मम्मी और दीदी को भी तैयार होना था, जब वो दोनो बाहर निकले तो दोनोने एक जैसी ही साडी पहन रखी थी, क्रीम कलर की गोल्डन बॉर्डरवाली, जैसे हम अक्सर पूजा मे पहनते है, वो दोनो बहोत सुन्दर लग रही थी. साला पन्डित पहले की तरह मम्मीको घूरते जा रहा था. मम्मी भी उनके इस बरताव से परेशान लग रही थी.

खैर हम घाट पे चले गये, वो उस आश्रम का निजी घाट था, आश्रम मे रहने वाले लोग सुकून से स्नान और पूजा कर सकते थे. पन्डित ने सारी तैयारी कर रखी थी, जैसे ही हम पहुच गये उसने मम्मी और दीदी को पूजा के स्थान पे बिठाया और मन्त्र जाप शुरु किया, मे वहा बैठे बैठे सब देख रहा था, मम्मी मेरे बिलकुल सामने बैठी हुई थी, मैने देखा की मम्मी वाकई बहुत सुन्दर और सेक्सी है, उनकी उमरकी कोई भी औरत इतनी सेक्सी मैने नही देखी थी. पूजा के इस साडी मे तो वो इतनी खूबसूरत दिख रही थी की दीदी उनसे जवान होने के बावजूद उनकी मुकाबला नही कर पा रही थी. कुछ देर बाद पूजा करने के बाद पन्डित ने कह की अब आपकी शुद्धि मन्त्रो से हो गयी है अब आप दोनो गन्गा मे ३ डुबकी लगाके आओ.

मम्मी हैरान हो गयी, उसने कहा की हमारे पास कपडे नही है, लेकिन पन्डितने कहा की अभी पूजा समाप्त नही हुई है, आपको स्नान करके फिरसे यहा आके बैठना है. मम्मी कुछ बोल नही पाई, वो चुपचाप पानी मे उतर गयी और डुबकिया लगाने लगी, जब वो बाहर आयी तब मुझे पन्डितकी चाल समझ मे आयी. मम्मी की सारी पूरी भीगने कि वजह से मम्मी और दीदी के शरीर का ज्यादातर हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था, दीदी ने काले कलर की ब्रा पहनी थी और मम्मी ने सफ़ेद, मम्मी के बूब्स एक दम उभर के आ रहे थे, और गीले पानी की वजह से सारी शरीर से चिपक गयी थी, मम्मी का पूरा शेप दिख रहा था, बहुत ही मन मोहित करने वाला दृश्य था. मम्मी का पेट हल्का सा बाहर दिख रहा था, उनकी गान्ड बडी थी, जान्घे मोटी मोटी भरी हुई, दीदी की तरफ़ मैने इतना ध्यान नही दिया मेरी नजर मम्मी से हटतीही नही थी. पन्डितका तो हाल बुरा हो चुका था वो मम्मी को देख के कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो चुका था, घडी घडी अपना लन्ड धोती मे अ*ॅडजस्ट कर रहा था, मुझे उसपे गुस्सा तो बहोत आया पर मै कुछ नही बोला. रात करीबन ७.३० बजे हम वहा से चले पन्डित ने कहा खाना खाके जल्दी सो जाना, सुबह ६ बजे पूजा फिर से शुरु करनी है, और वो चला गया.
मैने मम्मी से कहा मै जरा बाहर घूम कर आता हू. आश्रम से बाहर निकला तो मैने देखा साला पन्डित शर्ट-पॅंन्ट पहने कही जा रहा था. मुझे कुछ अजीबसा लगा की ये शाम को आश्रम छोडकर कहा जा रहा है. मैने उसका पीछा करनेकी ठान ली, चुपकेसे मै भी उसके पीछे चलने लगा. थोडी देर चलने के बाद देखा तो पन्डित एक गन्दीसी दुकान मे घुस गया, मै हैरान हो गया वो तो एक देसी दारू की दुकान थी. ये पन्डित इसमे क्या कर रहा होगा, ये देखनेके लिये मै भी अन्दर दाखिल हुआ और भीड मे छुपकर पन्डितको देखने लगा, उसने एक क्वार्टर मन्गाकर गटागट आधी पी गया. मुझे इस कमीने पन्डितसे बहुत नफरत हो गई थी साला दिन मे पूजा-पाठ पढाता था और शाम होतेही उसके ये धन्दे शुरु हो जाते थे. पन्डितने आधी बोतल अपनी जेब मे रख दी और वो वहासे निकल पडा, मै पीछा करता जा रहा था. फिर पन्डित एक घर मे चला गया, वो बहुत पुराना सा घर था, मै अन्दर तो नही जा सकता था, लेकिन उस घर के पीछे जाकर देखा तो एक खिडकी का काच टूटा हुआ था,

मै अन्दर देखनेके लिये बेताब था, इसलिये बाजूमे पडे एक डिब्बे का सहारा लेकर मै खिडकीसे झाकने लगा. वैसे तो कमरा खाली दिख रहा था, एक टेबल और एक बिस्तर था, मुझे लगा मै शायद गलत कमरे मे देख रहा हू लेकिन कुछही पलोमे पन्डित एक अधेड उम्र की एक औरत को साथ ले आया, दिखनेमे साधारण सी थी लेकिन मेक-अप पर बडा जोर दिया था. चेहरे पर पावडर होटो पे लिपस्टिक वगैरा……मै दन्ग रह गया की भला ऐसी औरत के साथ ये पन्डित क्या कर रहा है. देखतेही देखते पन्डितने उसे अपनी बाहो मे भर के उसे चूमने लगा, चोलीके उपरसे उसके मम्मे दबाने लगा, कुछही पलोमे उसने वो औरत की चोली उसके सीनेसे हटा दी, उस औरत के बूब्स थे तो काफी बडे लेकिन ढीले ढीले लग रहे थे. कुछ देर यूही चुम्मा चाटी करने के बाद वो औरत बिस्तर पर लेट गयी और अपना घागरा कमरतक उठा लिया, उसने नीचे कच्छी नही पहनी थी सो उसकी काले झाटोवाली बुर साफ दिख रही थी, पन्डितने अपना पॅन्ट उतारा और अंडरवेअरसे अपना लन्ड निकाल के उसकी बुर मे घुसा दिया, मै भी ये सब देखकर बहुत उत्तेजित हुआ था, मेरा लन्ड भी मेरे पॅन्टमे सख्त हो गया. धीरे धीरे उनकी चुदई तेज होने लगी और पन्डित जोर जोर से धक्के लगाने लगे, फिर उन्होने और तेजी से चुदई शुरु की और कुछ देर बाद उनका शरीर अकड गया.

मै समझ गया के वो अब झडनेवाला है. और हुआ भी ऐसाही, कुछही पलोमे पन्डित हाफने लगा और वो औरत पर निढाल होकर गिर गया. वो औरत कुछ भी बोल नही रही थी, फिर पन्डित ने उठकर अपने कपडे पहने और वहा से निकलनेके पहले उसने उस औरत को कुछ रुपये दिये, तब मै समझ गया की वो औरत एक वेश्या थी, साला हरामी पन्डित, दिन मे बभूती लगाकर पूजा के मन्त्र बोलता था लेकिन रात को शराब पी कर रन्डीबाजी करता था.

मुझे उसपर गुस्सा भी आया और इस बात का बुरा भी लगा के मेरे मम्मी-पापा ऐसे गिरे हुए इन्सानपर भरोसा रखते थी. फिर पन्डित आश्रम आगये और उनके पीछे पीछे मै भी लौट आया, रात हो चुकी थी, हम सब ने खाना खाया, मम्मी और दीदी उपर हमारे कमरे मे चली गयी, मै इधर-उधर की टहल रहा था, पन्डितने मेरे साथ बात करने की कोशिश की लेकिन मैने टाल दिया. मै ये देखना चाहता था की कही वो कमीना हमारे कमरे के आसपास तो नही आता है, लेकिन वो एक बडेसे कमरेमे सोने चला गया जहा पर और भी लोग थे. तब मै अपने रूम मे सोने चला गया, आश्रम के रूम मे बेड नही था, जब मै रूम मे पहुचा तो देखा की दीदी दिवाल की साईड मे सो रही थी और मम्मी उनके पास. मेरा बिस्तर भी मम्मी के पास फर्शपरही|

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बिछाया था. मै चुपचाप सो गया, मम्मी और दीदी गहरी नीन्द मे थी, अब मेरे मन मे मम्मी के लिये अलग विचार आने लगे थे, बहोत कोशिश के बाद भी मै सो नही पय, एक पल मुझे मम्मी को छूने की सोची लेकिन डर के मारे आगे नही बढ पाया. फिर हिम्मत बढाकर मैने धीरे से मा के हाथ के उपर हाथ रखा, सच बताउ दोस्तो मुझे ऐसा लगा जैसे धडकन वही रुक गयी हई, फिर कुछ देर तक जब कोई हरकत नही हुई तो मै उनका हाथ सहलाने लगा, बहुत अच्छा लगने लगा था. जब मम्मी नही जागी तो मेरा साहस और भी बढ गया और मैने अपना हाथ उनके पेटपर रखा, ओहोहोहो…….कितना मुलायम था, मैने अपना हाथ काफ़ी देर तक हिलाया भी नही, अब कोई हरकत ना हुई तो मै उनका पेट सहलाने लगा, एकदम मख्खन जैसी नरम स्किन थी और नाभी काफी गहरी थी, मै उसमे अपनी उन्गली घुमा रहा था. ऐसा लग रहा थ के मै स्वर्ग मे आया हू, इसी मे मुझे नीन्द आ गयी. जगाया और तैय्यार होने को कहा, मै उठकर दात मान्जने लगा, दीदी नहाने चली गयी, उस वक्*त मैने देखा की मम्मी मुझे कुछ अजीब नजरोसे देख रही है, मैने जब उनकी तरफ देखा तो वो मुस्कुराकर नजर फेरकर चली गयी. मुझे थोडी शर्मसी लग रही थी की कही उनको रातवाली बात मालूम तो नही हो गयी.

खैर हम जब तैयार होके बाहर निकले तो पन्डित बाहर ही खडा था. हम पूजा के स्थान पे गये, वहा सफेद रन्ग के कुछ कपडे पडे हुए थे पन्डितने बताया की ये शुद्ध किये हुए वस्त्र आप दोनो (यानि मम्मी और दीदी) को पहनने होगे, पर अभी आप इन्ही कपडो मे रहे, फिर कुछ देर मन्त्र पढ कर उसने मम्मी और दीदी से कहा की आप पानी मे डुबकी लगा के आओ और ये जो वस्त्र है वो पहन लो. मम्मी-दीदी जब डुबकी लगाकर वस्त्र पहन लिये तो मेरी आन्खे फटी की फटी रह गयी, काहे के वस्त्र वो तो सिर्फ एक ब्लाऊझ और पेटिकोट था और एक चुन्नी, साईझ मे इतने छोटी की मम्मी के बूब्स ब्लाउझमे आधे भी समा नही पा रहे थे, और पेटिकोट बिलकुल उनकी नाभी के नीचे था, शायद अन्दर उन्होने पॅन्टी नही पहनी थी जिसकी वजह से उनकी गान्ड पेटिकोटसे साफ झलक रही थी. दीदी का भी यही हाल था लेकिन मेरी आन्खे तो सिर्फ मम्मी के गदराये हुए जिस्म पर थी, उन्होने किसी तरह उस चुन्नी जैसे कपडे से अपना काम चलाया. पन्डितने आकर फिर पूजा और हवन शुरु कर दिया, जैसी ही मम्मी आहुती देने के लिये हाथ हवन कुन्ड की ओर ले जाती उनके बूब्स उस छोटेसे ब्लाउझसे बाहर आनेकी कोशिश करते थे, मेरा उनको इस हाल मे देख के लन्ड खडा हो गया, पन्डित का भी कुछ ऐसाही हाल था.

एक-दो बार तो मम्मीने शायद मुझे लन्ड अ*ॅडजस्ट करते हुए देख भी लिया था. मै घबरा गया पर कुछ कह न सका, बस वही खामोश बैठा रहा. जब हवन खतम हुआ तो नारियल डालने के लिये सब खडे हो गये, पन्डित सामने था, दीदी और मम्मी पास पास खडी थी और मै मम्मी के पिछे खडा था. पन्डित ने कहा की नारियल की आहुती के समय परिवार के सभी लोग जिस पे नारियल रख के आहुती देते है उसे हाथ लगाये, मै मम्मी के पिछे लकडी पकडके खडा था मम्मी थोडीही पिछे आई और मेरा तना हुआ लन्ड उनकी गदराई गान्ड से एकदम सट गया उधर वो पन्डित कुछ मन्त्र जाप करने लगा लेकिन मै मम्मी की मोटी मांसल गान्ड पे अपने लन्ड के स्पर्श का आनन्द ले रहा था.

कुछ देर बाद जब नारियल की आहुती देने लगे तो मम्मी और दीदी झुक के उस हवन कुन्ड मे डाल रहे थे, इस सूरत मे मम्मी की गान्ड मेरे लन्ड से एक दम सट सी गयी, मै भी जरा भी पिछे नही हटा बल्कि अपने आप को थोडा और आगे की ओर किया जिसकी वजह से मम्मी जब जब झुकती थी मेरा लन्ड मानो उनकी गान्ड की छेद मे धस सा जाता था. आहुती खतम होने के बाद जब हम सब खडे हो गये तो मुझे मम्मी की रिअ*ॅक्शन का डर था, लेकिन उसके चेहरे पर कुछ फर्क नही था.
फिर पन्डित ने कहा की अबकी बार आप तीनो एक बार गन्गा मे नहा कर आ जाओ, और फिर मम्मी और दीदी को कहा की आप अपने दूसरे कपडे पहन लेना. जब हम पानी मे गये तो मम्मी की पीठ मेरे सामने थी, जैसे ही मम्मी ने पहली दफा डुबकी लगायी, गीले पानी की वजह से उनकी गान्ड का शेप साफ दिखने लगा. मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया, मम्मी आराम से नहा रही थी और मुझे उनकी नन्गी पीठ, कमर और गान्ड के खूब दर्शन हो रहे थे. जब डुबकिया लगाने के बाद मम्मी मेरी तरफ मुडी तो मेरा दिल जोरो से धडकने लगा, उन्होने चुन्नी हटा दी थी, और उनके बडे बूब्स मेरी आन्खो के बिलकुल सामने थे, उनके बूब्स का सिर्फ़ ३०-४० % हिस्सा कपडे के अन्दर था बाकी पूरा बाहर था.

मेरा दिल कर रहा था के मै वही उन बडे मम्मो को भीन्च दू, लेकिन मम्मी ने मुझे एक ब्लॅन्कसा लुक दिया और वहा से चली गयी. मै भी पानी से निकल कर बाहर आके खडा हो गया, कुछ देर बाद जब मम्मी और दीदी आये तो हम आश्रम के ओर चले, वहा हमने खाना खाया. पन्डित ने कहा की पूज फिर शाम ५ बजे शुरु होगी. हम अपने रूम मे सोने चले गये क्योन्की सुबह जल्दी उठे थे. शाम करीबन ४.३० बजे मम्मी ने मुझे जगाया, हम सब तैयार होके पूजा-घाट पर आ गये, पन्डित ने मम्मी से कहा की अब यहा से पूजा थोडी कठिन हो जायेगी. लेकिन मम्मे को उसपर पूरा विश्वास था उन्होने कहा की मोनाली की जनमपत्री का दोश हटाने के लिये जो आप जरूरी समझे वो बताये, हम आपका पूरा साथ देन्गे. मै मन ही मन हस पडा, मम्मी कितनी भोली थी, अगर उसने पन्डितका उस शामवाला रूप देखा होता तो………….खैर, मम्मी और दीदी अपने स्थान पर बैठ गयी, पन्डित ने विधी शुरु कर दी, फिरसे वही सुबह वाली बात बतायी, गन्गा मे नहा आओ और सफेद वस्त्र पहनो, पन्डित ने ममी को बुलाया और उन्हे एक धागा दिया उस धागे मे एक मोटी गोल करीबन ३ इन्च की लकडी बन्धी हुई थी, पन्डितने बताया की इस धागे को स्नान के बाद आप और मोनाली अपने नाभी पे पहन लेना, और जब तक पूजा पूरी तरह से खतम नही होगी, उसे नही उतारना.

स्नान होने के बाद मम्मी गजब की मादक और कामुक लग रही थी, उनके ब्लाउझके उपर वाला एक हुक भी नही था. मै समझ गया की ये जरूर इस कमीने पन्डित की चाल होगी. आज तो मम्मी के ७०% बूब्स बाहर थे और चुन्नी होते हुए भी वो उसमे समा नही पा रहे थे, वो पन्डितने दिया हुआ धागा बाहर कमर पे बान्धा हुआ था, पन्डित ने कहा की ऐसे नही, लकडी के टुकडे को अन्दर की ओर रहने दो, मम्मी ने तुरन्त अपने पेटिकोट के अन्दर कर दिया. जैसे ही मम्मी और दीदी उस धागे को और उससे से बन्धी लकडी को लेकर बैठ गयी, लकडी ने अपना काम शुरु किया. अन्दर कुछ न पहनने की वजह से वो लकडी सीधे उन दोनो की चूतपर ही रगड रही थी. और इसी वजह से दोनो के चेहरे पे एक अजीब सा भाव आ रहा था, जो आनन्द और शर्म दोनो दिखा रहा था काफी देर तक वो इस लकडी से जूझ रही थी. जब शाम की पूजा समाप्त हुई और वो दोनो खडी हुई तो मेरे होश का कोई ठिकाना नही रहा, जैसे ही मम्मी और दीदी पलटी तो उनकी गान्ड के थोडा नीचे का भाग गिला था, शायद लकडी की वजह से उनकी चूत से पानी निकल रहा था, मतलब दोनो एकदम कामुक हो चुकी थी. पन्डित ने भी मन ही मन मे कुछ सोच कर उसे घूर रहे थे, उनके चेहरे पर एक कमीनी मुस्कान थी. मम्मी और दीदी ने जब फिर से स्नान कर के कपडे पहने तो वो काफी शान्त लग रही थी और थकी हुई भी. पन्डित ने उन्हे आराम करने को कहा और खाने पर मिलने की बात कही.

जैसे ही हम आश्रम पहुचे मैने देखा पन्डित पॅन्ट शर्ट पहन कर चल पडा, मै जानता था की वो कहा जायेगा. पन्डित वैसे ही पहले शराब की दुकान पर और फिर उस रन्डी के पास जाने के लिये निकल पडा. लेकिन आज उसने कुछ ज्यादाही पी रखी थी, ठीकसे चल भी नही पा रहा था, लडखडा रहा था. उस दिन की तरह भी मै उस घर के पीछे छिप गया, लेकिन इस बार मैने एक तरकीब सोची थी, मेरे पास कॅमेरावाला फोन था, मैने सोचा की क्यो ना इन दोनो का व्हिडियो बनाया जाये. कुछ समय बाद पन्डित आ गया, इस बार कोई और औरत थी, जो बहुतही जवान थी, वो पन्डित से लड रही थी की उसे छोड दे, लेकिन नशे मे धुत पन्डित को अपनी वासना के आगे कुछ नही दिख रहा था. उसने उस औरत को बिस्तरपे गिरा दिया और उसके वस्त्र उतारने लगा, वो औरत चीख रही थी, चिल्ला रही थी, पन्डित ने अपने कपडे उतार दिये और वो उस औरतपर झपटनेवाला था की अन्दर से वो पहलेवाली अधेड औरत आ गयी, उसने डर डर के कहा, भागो जल्दी, पुलीस की रेड पडी है, ये सुनकर वो जवान औरत उठ के खडी हो गयी और अपने कपडे उठाकर अन्दर की तरफ भाग गयी. पन्डित नशे मे था, उसने इस अधेड औरत को अपने बाहो मे भर लिया और उसे चूमने लगा, लेकिन उस औरत ने एक जोरदार तमाचा उसके गाल पे जड दिया और उसको पीछे की दरवाजे की तरफ ढकेल दिया. आगे क्या होगा इसका मुझे अन्दाजा नही था, अचानक पन्डित और वो वेश्या पीछे का दरवाजा खोलकर मेरे सामने आ गये.

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हम दोनो मे कौन ज्यादा अचम्भित हुआ ये बताना मुश्किल है, उस औरत ने पन्डित को ढकेल दिया, लेकिन पन्डित ने उसको काफी कसके पकडा था, सो वो दोनो एक दूसरे पर गिर गये. मैने होश सम्भाला और झट से मेरे फोन के कॅमेरेमे उन दोनो की तस्वीरे खीन्च ली, ये देखकर वो औरत ने पन्डितसे अपने आप को छुडाया और अन्दर भाग गयी, बडा अजीब सा नजारा था, पन्डित आधा नन्गा उस रन्डीखाने के पीछे पडा था, नशे मे धुत………तस्वीरे खीन्चने पर मै वहासे दूर भाग कर खडा हो गया और कुछ अन्तरसे वो सारा तमाशा देखने लगा.

काफी भीड जमी थी. फिर पुलीस आ गयी और उसने पन्डित को उठाकर अपने गिरफ्त मे ले लिया. उस कोठे के सामने ही उन्होने रेड मे गिरफ्तार किये लोगोकी खूब पिटाई शुरु की. अब पन्डित की बारी थी, उसका नशा अब पूरी तरह से उतरा था, उसे अब मार पडनीही थी की उसकी नजर मुझपर पडी, मै भी भीड मे खडा था. पन्डित ने पुलीस को बताया की वो आश्रम मे आया है और गलती से इन लोगोके साथ फस गया है, उसने मुझे पुकारकर बुलाया. पुलीस ने मुझे पन्डितके बारे मे पूछा. मैने मौके का फायदा उठाने की सोच ली, मैने पुलीस से कहा की ये सचमुच हमारे साथ आश्रम मे ठहरा है. पुलीस को तसल्ली हो गयी और उन्होने उसे छोड दिया, मै और पन्डित फिर आश्रम लौट आये, पन्डित बार बार मुझसे शुक्रिया कह रहा था, मै कुछ नही बोला, बस सुनता जा रहा था. आश्रम आने के बाद वो अपने कमरे मे चला गया, कुछ देर बाद जब खाना खाने सब नीचे आये तो वो भी आ गया, उसके चेहरे पे कोई चोट तो नही थी, लेकिन चेहरा लाल था, उसका नशा अब कम हुआ लग रहा था, उसकी चाल अभी भी ठीक नही लग रही थी, मम्मीने बडी चिन्तासे उनको पूछा, लेकिन उसने कुछ झूठ बोलकर बात टाल दी. खाना खाके मम्मी और दीदी उपर चले गये, मै वही पे बैठा रहा, मुझे देखकर पन्डित भी मेरे पास आ गया और बाते करने लगे, बातो बातो मे वो मम्मी की बहुत तारीफ़ करने लगा.

मुझे बडा गुस्सा आया और मैने एक जोरका तमाचा उसके गाल पे मारा और कहा, लगता है मार कम पडी है जो अभी भी औरतो के खयाल जेहेन से जा नही रहे है, वो मेरे मुह से सुन ने के बाद अपने होश मे ही नही था, फिर मैने उनको मेरे फोन के कॅमेरा की तस्वीरे बता दी. वैसे ये पन्डित था तो बडा बदमाश, लेकिन हमारे शहर मे उसका बडा नाम था, कई लोग उसे गुरू मानते थे. इन्ही लोगोकी वजह से उसका पूजा-पाठ का अच्छा धन्दा चलता था. उसे पता चला की अगर मै ये फोटो शहर मे दिखा दी तो उसे मुह छुपाने की भी जगह नही मिलेगी. मैने उसे ये भी बताया की वो शराब पीता है और रन्डीयो के पास जाता है, ये बाते अगर मै अपने शहर मे जाके सबको बता दू तो उसका सारा धन्दा चौपट हो जायेगा.

अब पन्डित बहुत डर गया था, वो मेरे आगे हाथ जोडने लगा और माफ़ी मान्गने लगा और किसी से ना कहने के लिये गिडगिडाने लगा. अब स्थिती बिलकुल मेरे कब्जेमे थी, सो मैने उसे धमकाकर उसे कहा एक शर्त पे. मैने उससे पूछा की तुम यहा पूजा के लिये आये हो या कोई और चक्कर मे. तो उसने बताया के वो मेरी मम्मी को पाने की साजिश रचानेके लिये यहा आया था, वो जानता था की मम्मी और पापा उसे बहुत मानते थे सो वो जो कहेगा उसे वो इन्कार नही करेन्गे, पूजा के बहाने वो मम्मी को अपने चन्गुल मे फसा ने के लिये ही यहा लाया था. उसे मेरे आने की उम्मीद नही थी और पापा आते तो उन्हे वो आसानीसे ठगा सकता था. मेरी वजह से उसका काम नही बन रहा था. उसने बताया के उसने वास्तव मे दीदी के लिये एक रिश्ता ढून्ढ रखा था, ये पूजा तो मेरी मम्मी को फसाने के लिये रखी थी. ये सब सुनकर मुझे उसपर बहुत गुस्सा आया और मैने भी एक कोने मे उसे ले जाके उसकी अच्छी धुलाई कर दी. उसे फिर एक बार उसके नन्गे फोटो दिखाने की धमकी दी. फिर वो मेरे पैरो मे गिर गया और रोने लगा और माफ़ी मान्गने लगा, फिर मैने उससे कहा की मेरी मम्मी का खयाल अपने दिमाग से निकाल दो, और जो दूसरी बात मैने बोली तो वो हक्का बक्का रह गया.

मैने उसे साफ कहा की मै अपने मम्मी को पाना चाहता हू, पर जोर जबरदस्ती से नही बल्कि प्यार से, और तुम मेरी इस काम मे मदद करोगे, नही तो मै उसकी पोल खोल दून्गा. पन्डित का नशा अभी काफी उतरा था, वो हसने लगा की मै कैसा कमीना इन्सान हू जो अपनी सगी मा के साथ यौन-सबन्ध बनाना चाहता है. फिर मैने उसे एक और थप्पड मारा और कहा की हरामी तेरी वजह से ही मेरी नियत बिगडी है, तो अभी ज्यादा नौटन्की मत करना, मेरा काम हो जाना चाहिये वरना तुम जानते हो मै क्या कर सकता हू. उसके पास कोई चारा भी तो नही था, वो मेरी सारी बाते मान रहा था. मैने उसे फिर एक बार धमकाया की ये काम कल सुबहसेही शुरु हो जाना चाहिए और मै सोने चला गया. जब मै रूम मै पहुचा तो देखा की मम्मी और दीदी सो चुकि है, मै भी लेट गया. रूम की खिडकी से चान्द की हल्की रोशनी आ रही थी, मैने साईड मे सोयी मम्मी की तरफ देखा, उनकी साडी घुटनो तक उन्ची हुई थी और उनके गोरे कोमल पाव उस रोशनी मे साफ़ दिख रहे थे. मेरी नीन्द उड गयी, मै मम्मी के पाव के पास बैठ गया और उन्हे देखने लगा, बहुत मन कर रहा था की मै मम्मी के पाव का स्पर्श करू पर हिम्मत जुटा नही पा रहा था, कुछ देर सोचने के बाद मैने मम्मी के पाव को हाथ लगाया मेर शरीर ठन्डा पड गया, मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था.

मैने कुछ देर अपना हाथ मम्मी के पाव पे बिना हिलाये रहने दिया और फिर कुछ देर बाद हलके हलके उनके पाव को मह्सूस करने लगा. मम्मी की टान्गो पे बाल नही थे, शायद यहा आने से पहले उन्होने निकाल लिये होन्गे, लेकिन मम्मी ऐसी मॉडर्न चीजे भी करती होगी ये सोचकर मै और उत्तेजित हो गया.

खैर मै अपना हाथ हलके हलके मम्मी के पाव पे घुमा रहा था, अब मेरा लन्ड एक दम खडा हो गया था और मै अपना हाथ पाव के नाखूनो से लेकर घुटनो तक घुमा रहा था, मुझे बडा मजा आ रह था. मेरा लन्ड भी अब आगेसे चिपचिपा हुआ था. मै अपने ही खयालो मे खोया हुआ था के अचानक मम्मी जाग गयी और मेरा हाथ पकड लिया, मेरी तो जैसे सास ही रुक गयी, मै कुछ भी नही बोला और मम्मी की डाट का इन्तजार करता रहा. लेकिन मम्मीने बडे शान्त स्वर मे पूछा, बेटा तुम यह क्या कर रहे हो, मैने हिचकिचाते हुए कहा, मम्मी मै आपके पाव दबा रहा था. उन्होने थोडे गुस्सेसे पूछा क्यु, मैने कहा की मुझे लगा आप दिन भर पूजा मे बैठ के थक गयी होगी तो पाव दबाने से आराम मिलेगा, लेकिन आपकी नीन्द कैसे खुल गयी. तो उन्होने कहा बेटा यह जो लकडी बान्धी है पन्डितजी ने उससे काफ़ी तकलीफ़ होती है सोने मे. फिर मैने कहा आप सो जाईये, मै पाव दबा देता हू, थोडा चैन मिलेगा.

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इसपर मम्मी के चेहरेपर सन्तुष्टीके भाव झलकने लगे, बडे प्यार से उन्होने मेरे बालोमे हाथ फेरा और बोली, मेरा राजा बेटा मेरा कितना खयाल रखता है, मैने कहा मम्मी ये तो मेरा फ़र्ज़ है. फिर उन्होने कहा बेटा तू भी तो हमारे साथ पूजा मे लगा रहता है, तू भी तो थक गया होगा, चल अब बस कर मेरी सेवा, सो जा यह कहकर वो लेट गयी. मै भी उनके पास जाके लेट गया. मेरे इस बर्ताव से मम्मी काफी खुश थी, उसने प्यार से मुझे अपने पास खीन्च लिया और मेरी तरफ मुह करके मेरे कन्धे पर हाथ डालकर सो गयी. मै उनके बाजू मे लेटा था, मम्मी की साडी का पल्लु थोडासा खिसक गया था और उनके बडे बडे मम्मे और उन मम्मोके बीच वाली खूबसूरत दरार उस चान्दनीमे गजब की जच रही थी. लेकिन मैने इस वक्*त चुपचाप सो जाना ठीक समझा.

सुबह मम्मीने मुझे ५ बजे जगाया और तैयार होने को कहा, आज मै बडी खुशीसे उठा, जल्दी से तैयार हो गया. दीदी नहाने चली गयी, मम्मी का रवैया आज बदला बदला सा था, वो मेरा बडा खयाल रख रही थी, और बात बात पे मेरी तारिफ़ कर रही थी. मेरे रात के पैर दबानेवाले ड्रामेसे वो एकदम पिघल गयी थी, वो नही जानती थी की मै उन्हे किस नजर से देख रहा था. जब हम नीचे आये तो पन्डित हमारा इन्तज़ार कर रहा था, मुझे देखतेही उसने अपनी नजरे नीचे झुका ली. हम घाट पे आये तो मम्मी और दीदी पूजा स्थान पे बैठ गये, और पन्डित ने पूजा शुरु कर दी, आज वो अपना पूरा ध्यान मन्त्र और पूजा पे लगाये हुए थे, उसने मम्मी और दीदी की तरफ देखा तक नही. कुछ देर बाद उसने मम्मीसे कहा की अब पूजा मे मोनाली की जरुरत नही है सो वो आश्रम जा सकती है, अब आगे की विधी मे आपके सुपुत्र और आपका काम है, मै समझ गया की वो मेरे लिये मौका बना रहा है. मैने इशारेसे उसको बता दिया की दीदी की नाभी की लकडी को खुलवा दे.

पन्डित ने वैसे ही किया. अब वो बिलकुल पालतू कुत्तेकी तरह मेरा कहना मान रहा था. मम्मी को थोडा अचरज हुआ, उसने पूछा ऐसा क्यू, तो पन्डित बोला की बाकी की विधी मै आपसे सम्पन्न कर लून्गा. दीदी ने जाते वक्त वो धागा पन्डित को दे दिया और वो आश्रम मे चली गयी. अब पन्डित की चाल शुरु हो गयी, उसने मम्मीसे कहा कि अब पूजा मे आपका विधीपूर्वक स्नान और शुद्धि होनी है, मम्मी ने कह की उसमे कौनसी नयी बात है, हम तो रोज करते आ रहे है. तो पन्डित ने कहा कि आगे की पूजा और कठिन परिश्रमवाली होगी, मात्र डुबकी लगाने से शुद्धि नही होगी. मम्मी ने आश्चर्यसे पूछा तो फिर क्या करना होगा, पन्डित ने बताया कि तुम्हे पहले दिव्य जडीबूटी वाला तेल लगाना होगा फिर गन्गा स्नान करना होगा, यह सब आप खुद नही कर सकती और यह काम मुझे आपके लिये करना उचित नही, आप यह पसन्द भी नही करोगी, इसलिये मै यह कार्य आपके सुपुत्र से करवाउन्गा. मम्मी हैरान हो गयी और परेशान भी, वो कहने लगी, पन्डितजी वो मेरा बेटा है, मतलब कि……वो अब अब….बडा है, मै उसके साथ उसके सामने कैसे स्नान कर सकती हू, मोनाली मुझे स्नान करा सकती है, आप उसे क्यू नही बुलाते. लेकिन पन्डित साला बहुत चालाक था, उसने कहा जी मोनाली जरूर करवा सकती थी अगर उसकी जनमपत्रीमे दोश ना होता तो.

फिर उसने और थोडा जोर देते हुए कहा कि आप अगर अपनी बेटी की जनमपत्री से दोश हटाना चाहती हो तो ऐसा करो, वर्ना इस विधी के बगैर भी काम चलाया सकता है, लेकिन…………यह कहकर पन्डितने बात आधी छोड दी. उसको मम्मी का वीक पॉईन्ट पता था, मम्मी घबरा गयी और पन्डित से माफ़ी मान्गने लगी, पन्डितजी क्षमा करे, हमे आप पर पूर विश्वास है, आप जैसा कहेन्गे वैसा ही होगा. पन्डित ने कहा कि मेरी उपस्थिती मे आप लोग ज्यादा शरमा जाओगे इसलिये मै पुरी स्नान विधी आपके बेटे से कह के कुछ देर के लिये चला जाउन्गा, और जैसा मै उसे समझा के जाऊ उसे वैसा ही करने देना, एक भी कार्य अगर ठीक से ना हुआ तो पूरी पूजा व्यर्थ हो जायेगी. और इस अजीब विधी के लिये पन्डितने एक जगह बतायी जो थी तो घाट पे ही पर थोडी दूर थी, वहा पे ज्यादा लोग अक्सर नही आते थी, अच्छी प्रायव्हसी थी. मम्मी ने पन्डित से कहा की जैसी आपकी आज्ञा हो, हम करेन्गे, है ना, यह कहकर उसने मेरी तरफ देखा, मैने भी हामी भर दी.

फिर पन्डित मुझे एक कोने मे ले गया और उसने कहा कि देखो भाई शुरुआत तो कर दी है थोडा प्रयास तुम्हे भी करना होगा, समय समय पे मै ऐसेही मौके तुम्हे देता जाऊन्गा लेकिन वो कलवाली बात किसीसे ना कहना. मैने उसे निश्चिन्त रहने को कहा, फिर वो वहा से चला गया, जाते हुए वो मुझे एक तेल की बोतल दे गया. मै समझ गया की क्या करना है. मै मम्मी के पास पहुचा, वो थोडी सी घबराई हुई थी और व्याकुल भी थी मै समझ सकता था के उनके मन मे क्या विचार आ रहे होन्गे, लेकिन मै मन ही मन मे बहुत खुश था लेकिन मम्मी के सामने मै भी परेशान होने का नाटक कर रहा था. मम्मी ने क्रीम कलर की साडी पहनी थी और मॅचिन्ग ब्लाउझ भी. उस ब्लाउझसे उनकी सफेद कलर की ब्रा भी साफ दिखाई दे रही थी. मैने थोडा हिचकिचाते हुए मम्मी से कह की विधी शुरु करे वरना सूरज निकल आनेपर और भी लोग आ जायेन्गे और फिर बडी मुसीबत होगी. मम्मी बोली की ठीक है, यह बात भी सही है, और फिर मम्मी वहा एक पत्थर पे बैठ गयी,

मै मम्मी के पाव के करीब नीचे जमीन पर बैठ गया और मम्मी का एक पाव अपने घुटनेपे रखा और पहले उनके पाव के तलवो पे तेल लगाने लगा, फिर मैने पाव की उन्गलियो पे तेल लगाया. मम्मी बहुत अन-इझी लग रही थी पर मुझे बडा अच्छा लग रहा था, फिर मैने पाव के उपरी हिस्से मे तेल लगाया, अब मेरे हाथ उनके पैरोपर घूम रहे थे. मम्मी ने अपनी आन्खे बन्द कर रखी थी और मुझे अपनी मन मर्जी करने का मौका मिल रहा था.

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